prasha_tam
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Shandaar updateउस दिन मामा मामी शाम तक हमारे यहाँ रह। मामी की चुहलबाजी से घर का माहौल काफी हल्का हो गया था। मामी तो श्वेता को छोड़ ही नहीं रही थी। उसे हमेशा अपने पास बिठाये रखा। उधर मामा और चाची एक दुसरे के साथ नैन मटक्का किये जा रहे थे। सरला दी ने मामा के साथ जो किया था उसके बाद शायद गिल्ट हो रहा था इस लिए वो थोड़ा कटी कटी सी रह रही थी। पर मुझे पता था ये सिर्फ टेम्पररी है। बहुत जल्दी मामी भांजी सेक्स भी कर ही लेंगे।
शाम को जाते वक़्त मामा मामी ने हम सबको अपने घर आने का न्योता दिया। मामी ने कहा - लल्ला यहाँ ज्यादा मजा नहीं आया। घर आओ खुल कर खेलेंगे। सरला दी और चाची को भी लेकर आना।
मैंने उनको वादा किया।
उनके जाने के बाद घर थोड़ा सुना सा हुआ पर अगले दिन सब पहले जैसा हो गया। मैंने श्वेता और सरला दीदी के साथ अपने बिजनेस आईडिया डिसकस किये। फ़ूड ट्रक, होलसेल बिजनेस और आर्गेनिक फार्मिंग जैसे आईडिया भी डिसकस किये गए। श्वेता ने स्कूल खोलने का आईडिया भी दिया। वो अपनी पढाई आगे एजुकेशन में ही करने को सोच रही थी। हमारे पास गाँव में स्कूल खोलने का भी आईडिया आया। आस पास बढ़िया स्कूल नहीं थे।
अभी थोड़ा समाया था इस लिए हमने डिस्कशन आगे भी जारी रखने का सोचा। दो दिन बाद श्वेता की छुटियाँ ख़त्म हो गई। उसे एक दिन पहले शाम को छोड़ने का प्लान हुआ। पहले की तरह ही मैं और सरला दी गाडी से छोड़ने जाने वाले थे। सरला दी के दिमाग में आया क्यों न दीप्ति मैम के लिए भी चला जाए। श्वेता ने तो मन कर दिया। पर मैं जाना चाह रहा था। मुझे तारा से मिलना था।
सरला दी ने दीप्ति मैम को फ़ोन किया। उन्होंने हमें आने को बोला।
शाम को हम तीनो निकल पड़े। पहले श्वेता को कॉलेज छोड़ा फिर मैम के घर पहुँच गए। दीप्ति मैम ने हमें देखते ही सबसे पहले दीदी को गले लगाया फिर मुझे। सरला दीदी ने भी तारा को अपने गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोला - तुम्हे कितनो सालों बाद देख रही हूँ। कितनी सुन्दर हो गई हो तुम।
तारा - आपसे कम। आप जैसा कोई नहीं।
सरला दी - मैं और सुन्दर ? देखो कितनी मोती हो गई हूँ।
तारा - इसको मोटाना नहीं गदराना कहते हैं दीदी। आपका जलवा ऐसा है की मॉम को आपके अलावा कोई पसंद ही नहीं आया।
सरला दी ने मैम की तरफ देखा। मैम ने कहा - सच ही कह रही है। तुम मेरी इकलौती फेवरेट हो जो मेरे इतने करीब आई हो।
ये सुन मुझे भी आश्चर्य हुआ। ये सिर्फ दीदी के बदन का जादू नहीं रहा होगा। दीदी इतनी केयरिंग थी , मैम के अकेलेपन में उन्होंने उनका बहुत सपोर्ट किया था। ये सच्चा प्यार ही था।
खैर दीदी तो सुन्दर थी ही , पर तारा भी काम सुन्दर नहीं थी। मेरे मुँह से निकल गया - दीदी की बात तो अलग है ही। पर तारा तुम भी बहुत खूबसूरत हो।
ये सुन तारा शर्मा गई। दीप्ति मैम ने कहा - सरला तुम तो कहती थी तुम्हारा भाई एब्नार्मल है। इसे बड़ी उम्र की लड़कियां पसंद हैं। मुझे लगा था मेरी तारीफ करेगा पर लौंडा तो मेरे सामने मेरी ही बेटी को लाइन मार रहा है।
मैं सकपका गया। पर सँभालते हुए कहा - अरे मैम , गई तो आप पर ही है। आप जैसा कोई कहाँ है। दीदी भी तो तभी आप पर फ़िदा हैं।
और जहाँ तक रही बड़ी उम्र की पसंद आने की तो आज तक किसी कली ने इस भँवरे को आस पास फटकने नहीं दिया तो फूलों से ही काम चला लेता हूँ।
सरला दी भी बोल पड़ी - मैम एकदम फट्टू है ये। किसी जवान को आज तक पटा नहीं पाया। वो मैं और आप हैं तो थोड़ा बहुत बोल पा रहा है। वार्ना अगर अकेले तारा होती तो इस साले के मुँह से एक लफ्ज नहीं निकलता।
दीप्ति मैम - साला या बहन ~~
सरला दी ने वाकया पूरा किया - बहनचो। वैसे इस मादरचोद का लंड कोई भी देख ले लेने के लिए तरस जाए।
दीप्ति मैम - हाँ वो तो मैंने पिछली बार ही देख लिया था।
दोनों को इतना खुल कर गरियाते देख तारा अंदर चली गई। बोली - आपलोग अपनी बातें करिये मैं कुछ खाने पीने को लेकर आती हूँ।
सरला दी ने मैम से कहा - ड्रिंक है ?
मैम ने कहा - है। चिंता मत कर। तू अपना ड्रिंक लेकर आई है ?
सरला दी - हाँ , शाम से गई नहीं हूँ। पानी भी खूब पिया है। आप तैयार हैं ?
मैम - हाँ।
सरला दी - एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानेंगी ?
मैम - यार तेरा क्या बुरा मानना। खुल के बोल।
सरला दी - वो मैं सोच रही थी आज कुछ नया ट्राई करते।
मैम समझ गईं, बोलीं - तू ही बात कर ले। दे देगी तो मुझे कोई ऑब्जेक्शन नहीं है।
मुझे इनकी बातें कुछ कुछ तो समझ आ रही थी। कुछ तो किंकी करने वाली थी। मुझे पिछली बार इनके एक साथ बाथ्ररोम जाने और फिर अलग ही महक के साथ लौटने की बात याद आ गई।
कुछ देर में तारा कुछ स्नैक्स और पानी लेकर आई। उसने पुछा - आप लोग कॉफी लेंगे या चाय।
सरला दी ने कहा - देख तुझसे क्या शर्माना - चाय और कॉफ़ी बच्चे पीते हैं। तुम अपने और राज के लिए बना लो। हम तो हार्ड ड्रिंक लेंगे।
मैं - पर मेरे साथ ये नाइंसाफी क्यों ? पिछली बार भी एक घूँट बियर दिया था।
सरला दी - साले गाडी कौन चलाएगा फिर ?
मैं - यार जब यही करना था तो टैक्सी से आते।
सरला दी - किसी एक को तो फिर भी होश में रहना ही होगा।
मैंने मुँह बना लिया। तारा हंस पड़ी। मैम ने दीदी से कहा चलें मेरे कमरे में?
दीदी ने मैम का हाथ पकड़ा और उनके बैडरूम की तरफ चल पड़ी। तारा मुझसे बोली - ये दोनों तो गईं। तुम बताओ क्या लोगे चाय या कॉफी ?
मैं - जो तुम्हे अच्छा लगे।
तारा बोली - कॉफ़ी बनाती हूँ।
मैं भी उसके साथ साथ किचन में चल पड़ा। मैंने उससे पुछा - तुम्हे अजीब नहीं लगता ये ?
तारा - क्या ? मैम और दी का व्यवहार ?
तारा - इसमें अजीब क्या है। माँ की भी नीड है। और ये दोनों बहुत पहले से रिलेशन में है। सबसे बड़ी बात कोई एक्सपेक्टेशन नहीं है। सरला दी की शादी हुई तो माँ सबसे खुश थी। वो जब जब मिलती हैं माँ कई दिन तक खुश रहती हैं।
मैं - वो सब ठीक है। पर इनका किंकी लव ?
तारा - सब चलता है। जिससे जो खुश रहे। कुछ हद तक सब सही है। वैसे भी माँ को पापा से प्यार तो मिला नहीं। जबसे मैं हुई उसके बाद से दोनों लगभग अलग ही रह रहे हैं। दादा जी जब तक थे तो ताई और उनका परिवार था पर उनके जाने के बाद से तो एकदम अकेली हैं।
मैं - हम्म्म। चलो अच्छा लगा तुम ओपन माइंडेड हो।
तारा - तुम अपना सुनाओ। सच में तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है ?
मैं - सच में। वो तो माँ और दीदी लोग हैं तो खुश हूँ।
तारा हँसते हुए - तुम सच में अपनी माँ और बहन के साथ ~~~~
मैं - तुमसे कुछ छुपाऊं क्यों। हाँ मुझे उनसे प्यार है। मैं उनको बहुत प्यार करता हूँ और वो भी मुझे उतना ही प्यार करती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, मैंने अपनी चाची को भी प्यार दिया है और मामी को भी।
तारा ने बड़ा सा मुँह बनाते हुए कहा - ऊऊऊ , पुरे घर के अकेले मर्द हो तुम।
मैं - समझ सकती हो। पर क्या ही फायदा जब कोई बाहरी न पटे।
तारा - माँ तैयार हो जाएँगी। चाहो तो आज ही चोद दो।
तारा के मुँह से चुदाई शब्द सुन कर मुझे गुदगुदी सी हुई। मैंने कहा - शायद वो मान जाएँ पर मेरे कहने का मतलब कुँवारी जवान लड़की से था।
तारा - तुम्हारे घर में भी तो एक है। श्वेता।
मैं - वही तो मुसीबत है। उसी की शर्त है।
तारा ने कहा - कैसी शर्त ?
मैंने साड़ी बात उसे बता दी। ना जाने क्यों मुझे तारा से कुछ भी छुपाने का मन नहीं किया। उसकी आँखें जब मुझे देखती थी तो लगता था जैसे वो मेरे दिल की बात पढ़ रही हो। उससे कुछ छुपा ही नहीं पा रहा था मैं।
तारा से सारी बात सुनकर कह - तीन तीन कुँवारी चूत। कहाँ से मिलेगी ?
मैंने कहा - देखि जाएगी। तुम अपना सुनाओ। तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड?
तारा - नहीं। कोई नहीं है।
मैं - फिर तुम खुद को कैसे खुश रखती हो ?
तारा - टूल्स हैं न।
मैं - टूल्स ?
तारा - अरे बुद्धू तुम्हे ये सब नहीं पटा। चलो दिखाती हूँ।
तारा मुझे अपने कमरे में ले गई। उसके कमरा पिंक कलर से पेंटेड था। उसने दीवारों पर एकदम इरोटिक पोस्टर्स भी लगा रखे थे। बेड के साइड में टेबल था जिस पर कुछ बुक्स थी। उसने वहीँ टेबल का ड्रावर खोल दिया और कहा देखो।
मैंने देखा उसमे कई तरह के डिलडो और वाइब्रेटर रखे थे। छोटे बड़े सब।
मैंने कहा - ओह्ह्ह। तुमने तो शानदार कलेक्शन बना रखा है।
तारा - इसमें से कुछ माँ भी उसे करती हैं। ख़ास कर बड़े वाले।
मैं उसे इतनी आसानी से खुलने की उम्मीद नहीं कर रहा था। पर शायद सरला दी और मैम के प्यार की वजह से वो मुझसे आसानी से खुल गई। उसे मेरे घर का भी पता था इस लिए मुझसे बदनामी का कोई डर नहीं था।
मैंने एक बड़ा डिलडो उठा लिया और कहा - ये अंदर लिया होगा तो ~~~
तारा - मैंने अभी तक कोई भी डिलडो ज्यादा अंदर नहीं डाला। मेरी सील इनटेक्ट है।
मैंने मन ही मन सोचने लगा - क्या ये मेरे लिए हिंट था। क्या वो मुझे ये कहना चाह रही थी की वो अब तक कुँवारी है। उसका कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं था। कुछ देर वहीँ रहने के बाद वो बोली - चलो देखते हैं वो दोनों क्या कर रहे हैं।
हम दोनों दीप्ति मैम के कमरे की तरफ चल पड़े।
bas thodi der me ye rasbhara bhaag pura hoga . kuch der ki pratiksha kijiye..Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Khaa ho Prabhu jibas thodi der me ye rasbhara bhaag pura hoga . kuch der ki pratiksha kijiye..
Super amazing jhakas updateउनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। कमरे में पहुंचे तो देखा माहौल देख मेरे तो रोयें के साथ लंड भी खड़ा हो गया। मैम कमरे में काउच पर दिवार के अदलती अवस्था में नंगी बैठी थी । दीदी उनके पैरों के बीच जमीन पर नंगी बैठी हुई थी। उनका मुँह मैम की चूत पर था। मैम के मुँह बियर की एक पतली सी धार निकल रही थी जो उनके मुम्मो से होते हुए सीधे चूत के आस पास गिर रही थी जिसे दीदी एक बिल्ली की तरह चाटे जा रही थी। टेबल पर बियर की बोतल थी और नट्स का पैकेट रखा था।
हमें देखते ही मैम बोली - आ गए तुम दोनों भी। पर ड्रिंक नहीं मिलेगी।
सरला दी ने पलट कर देखा। बोली - मैम , अब नशा आएगा। साला इतने देर से नशा चढ़ ही नहीं रहा था। प्लीज आप तारा को बोलो न।
तारा - ओह माई गॉड। ये कौन सा तरीका है ?
मैं - इनका यही तरीका है। पिछली बार तो ताई से नशा किया था।
दीप्ति मैम - तारा , प्लीज हमारी मदद कर दो। ड्रिंक थोड़ा स्पाइक कर दो प्लीज।
तारा - मॉम , क्या कह रही हैं आप ?
सरला दी बहकते कदमों से हमारे पास आई और तारा का हाथ पकड़ कर बोली - प्लीज।
तारा को कुछ समझ नहीं आया। बोली - मैं क्या करूँ इसमें अब।
मैम भी उठ कर मेरे पास आ गईं। बोली - सरला तारा को मना रही है। पता नहीं वो मानेगी की नहीं। पर तू मेरी मदद कर दे।
उनके हिलते हुए बड़े मुम्मे देख मेरा लंड बेकाबू हो रहा था। मन कर रहा था मुम्मो और पेट पर टपकते हुए बियर को चाट जाऊं। मैम ने मेरे इरादे भांप लिए थे।
उन्होंने कहा - पी जाना। चाट लेना। पर अभी मुझे तुम्हारा लॉलीपॉप चाहिए। यू नो मुझे बियर लॉलीपॉप चाहिए। हीहीहीहीही।
मैं बूत की तरह खड़ा था। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर की तरफ ले कर चल पड़ी। उन्होंने वहां पहुंचकर मेरे पेंट के बटन और ज़िप खोल कर एक ही झटके में उसे उतार दिया और मुझे बिस्तर पर बिठा दिया। फिर वो टेबल पर पहुंची और अपना ग्लास उठा लिया। वो मेरे पार आई और मेरे पैरों के पास बैठ गई। उन्होंने मेरा पेंट पूरा उतार कर अलग कर दिया और कहा - डोंट वोर्री , कपडे ख़राब नहीं होंगे।
फिर उन्होंने मेरा लंड मेरे अंडरवियर से निकाल लिया। मेरा लंड कमरे के माहौल और नंगी गदराई दीप्ति मैम को देख पहले से सलामी दे रहा था।
मैम ने दीदी की तरफ देख कर कहा - तूने इस गधेड़े लंड को कैसे लिया रे।
दीदी - मैम आप लेकर देखो मजा आ जायेगा। एक बार जो अंदर लिया तो निकलने का मन नहीं करेगा।
मैम - चूत के अंदर का पता नहीं पर अभी मुँह में तो जायेगा।
मैम ने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया। और ग्लास से बियर मेरे लंड पर डाल कर उसे नहला दिया। जब मेरे लंड पूरी तरह से गिला हो गया तो मैम ने कहा - अब बियर लोलिओप का मजा आएगा। कह कर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और सडप सडप की आवाज के साथ उसे चूसने लगी। मेरी आँखे बंद होने लगी थी। मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था।
उधर दीदी ने तारा को काउच पर बिठा दिया था और उसके पैरों और जांघो को चाट रही थी। शुरू में तारा ने तो उन्हें मन किया पर माहौल देख कर वो भी पिघलने लगी थी। दीदी के चेहरे की कामुकता और लपलपाती जीभ ने असर दिखाना शुरू कर दिया था। उसकी आँखें भी बंद हो रही थी। दीदी ने कब उसकी पेंट उतार दी पता ही नहीं चला। अब दीदी उसके चूत पर जीभ चला रही थी। तारा सिसकियाँ लेना शुरू कर चुकी थी। वो अपने दोनों हाथों से टी शर्ट के ऊपर से ही अपने बूब्स दबा रही थी।
इधर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने मैम से कहा - कुछ नशा मुझे भी करने दीजिये प्लीज।
मैम ने कहा - चलो तुम भी क्या याद करोगे।
मैम अब बिस्तर पर चढ़ कर लेट गईं। मुझे पहले तो समझ नहीं आया इस कामुकता से भरी औरत के साथ कहा से शुरुआत करूँ ? क्या करूँ ? मैं कुछ पल उन्हें निहारता ही रहा। भरा पूरा लम्बा शरीर, बॉब कट बाल , बड़े बड़े मुम्मे, उस पर से बड़ा भूरा एरोला और एकदम तीर जैसा बड़ा निप्पल। माँ के बाद इतने बढ़िया ममममे मैंने नहीं देखे थे। सपाट पेट जिसपर बड़ी सी वृत्ताकार नाभि। जब मेरी नजर निचे पड़ी तो मेरे होश उड़ गए। मैम के क्लीट एकदम बड़े से थे। पिछली बार बस एक झलक मिली थी। पर आज गौर से देखा तो लगा जैसे एक छोटी सी नुनी निकली हुई थी। गुलाबी चूत के फैंको के बीच लग रहा था जैसे किसी ने एक ताज सजा दिया हो। वैसे ही वो उनके चूत रस , दीदी के थूक और बियर से गीली हो रखी थी। मैं उन्हें निहार ही रहा था की मैम की आवाज आई - बस देखेगा ही या बहन की तरह नशा भी करेगा।
मैंने तुरंत बीएड के साइड में रखे उनके ग्लास को उठाया और धीरे से उनके बदन पर ऊपर से निचे की तरफ बूँद बूँद करके गिराने लगा। उसके बाद मैंने उनके मुम्मे चाटना शुरू कर दिया। पहली बार मैंने किसी को बिना किस किये सीधे बदन को भोगने की सोची थी। पर स्थिति ही ऐसी थी। मैंने जैसे ही जीभ लगाई , उनका शरीर सिहर उठा। उन्होंने कहा - एकदम अपनी बहन जैसा है। चाट ले। उनके मुम्मो के चारों तरफ लगे बियर, पसीने और दीदी के थूक के गीलेपन को चाटने के बाद मैंने उनके निप्पल पर अपनी जीभ फेरी। क्या मस्त चूचक थे। मजा आ गया। मैंने एक हाथ से उनके एक मुम्मे को गूथना शुरू किया और दुसरे को चूसना।
मैम - आह , पी जा इन्हे। तेरी बहन को भी बहुत पसंद है। इस्सस आराम से निप्पल को ठीक से चूस। आह आह।
मैं उनके निप्पल चूसने के बाद उनके पेट की तरफ बढ़। कुछ देर पेट को चाटने के बाद मैंने उनके गहरी नाभि में जीभ डाल दी। कुछ देर जीभ फेरने के बार मुझे कुछ सुझा। मैंने ग्लास से दो बूँद ड्रिंक उनके नाभि में डाल दिया और सुडुप सुडुप करके पी गया। मुझे ये करके बहुत मजा आया। मैंने ऐसा दो तीन बार किया।
फिर मैं उनके चूत की तरफ बढ़ा। मैम बोली - मेरे मुँह में भी कुछ डाल दे मादरचोद या खाली चीख निकलवायेगा।
मैं - डाल तो दूँ रंडी पर मेरे माल आज तेरी चूत में ही निकलेगा। बोल मंजूर है ?
मैम - भोसड़ी के तेरे सामने नंगी लेती हूँ। तुझसे अपना बदन चटवा रही हूँ तब भी तू ये सवाल पूछ रहा है।
मैं - पिछली बार का याद है। बाँध दिया था तुम सबने मुझे।
मैम - भोसड़ी के आज तो आजाद है। चल दे लॉलीपॉप और मेरी डबल ब्रैडरोल खा जा।
मैंने अपने दोनों पैर मैम के कंधे के दोनों तरफ किया और सिक्सटी नाइन पोजीशन में आ गया। मैम ने लपक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
मैंने कहा -साली काट मत लेना।
मैम - काटूंगी तो चुदुंगी कैसे ?
उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में अंदर बहार करना शुरू कर दिया। और मैं उनके चूत पर भीड़ गया।
उधर तारा ने दीदी को बालों से पकड़ लिया और अपने चूत पर रगड़ने लगी। वो भी आहें भरी जा रही थी और मस्ती में मोले जा रही थी।
तारा - आह दीदी , क्या मस्त चूसती हो। अब पता चला माँ तुम्हे हमेशा क्यों याद करती हैं। आह। थोड़ा अंदर जीभ डालो। मुझे पता होता की चटवाने में इतना मजा है तो पहले ही खुद को तुम्हारे हवाले कर देती , बेकार ही वाइब्रेटर से काम चला रही हूँ। आह आह इस्सस
दीदी - डार्लिंग। अब मैं भी हूँ और मैम भी। सोच जब मुझसे इतना मजा आ रहा है तो मेरा भाई कितना मजा देगा। देख तेरी माँ की चूत कितने मजे से चाट रहा है। अभी तेरी माँ जब उसके लौड़े की सवारी करेगी तो देखना।
इधर मैम - आह आह , सडप सडप। जरा मेरे लौड़े को तो चूस। चूत का ताज है वो जरा उसकी पूजा कर।
सच में उनका क्लीट को आराम से चूसा जा सकता था। मैंने उनके क्लीट को दातों तले दबा दिया और उसे चूसने लगा। मैंने साथ ही साथ अपने एक हाथ की ऊँगली उनके चूत में और दुसरे हाथ की एक ऊँगली उनके गांड के मुहाने पर रख दी।
मैम ने मेरा लंड छोड़ दिया था। अब वो चूत चुसाई के मजे ले रही थी।
मैम - आह , इसस चूस ले। चूस ले। खा जा । आह बड़ा तंग करता है। तेरी बहन तो दीवानी है इसकी। चूस चूस। आह हाँ हाँ ऐसे ही।
मैम अब जल्दी ही खलास होने वाली थी। कुछ ही देर के बाद उनके शरीर में कंपन होनी शुरू हो गई। उनकी गांड, थाई बुरु तरह से थरथराने लगे। उन्होंने अपने हाथों से मेरे मुँह को अपने जाँघों के बीच जकड लिया और चूत से रस छोड़ने लगी। गजब का माल छोड़ रही थी। एकदम अलग सा स्वाद। मुझे मजा आ गया। मैं उनके चूत से निकल रहे एक एक बूँद को चाटता रहा। कुछ देर बाद अचानक से दीप्ति मैम ने अपने पैर ढीले छोड़ दिए। वो अपने चरम सुख को पा चुकी थी। मैं भी उठ कर बैठ गया था। और चटकारे लेते हुए दीदी और तारा की तरफ देखने लगा।
मैम ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर लेटा दिया । मैंने उनके पेट को तकिया बना लिया और उन दोनों को वापस देखने लगा। तारा की आँखे बंद थी। उसने भी दीदी को जांघो के बीच जकड रखा था। मैं देखना चाहता था की स्खलन के समय वो कैसी दिखती है। उसके शरीर में भी कम्पन शुरू हो गई थी। उसके चूत ने भी रस निकलना शुरू कर दिया था। दीदी उसे चूसे जा रही थी। दीदी ने एक और काम किया था। दीदी ने बियर की ग्लास से कुछ बूँद उसके चूत पर गिरा दिया था। वो बियर और चूत से निकले पानी का मिश्रण पी रही थी। तारा स्खलित हो चुकी थी पर दीदी ने उसे चाटना जाी रखा। तारा बोली - आह दीदी बस करो। मेरा निकल जायेगा। प्लीज बस करो मुझे बाथरूम जाना है।
दीदी - बस मेरी जान वही तो चाह रही हूँ। छोड़ दे अपना गर्म फवारा मेरे ऊपर। दे दे नशा। देख ग्लास लेकर बैठी हूँ।
तारा ने आखिर मूतकी धार दीदी के चेहरे पर छोड़ दिया। कुछ बूँद पीने के अलावा दीदी ने कुछ अपने बियर वाले ग्लास में भरा और बाकी के गर्म मूत से अपने आपको नहलाने लगीं। तारा सिसकारियां लेती हुई मुट्ठी रही और मैं बूट बने इस खतरनाक, गंदे , किंकी एक्ट को देखता रहा।
दीदी बोल पड़ी - मैम बहुत स्वाद है आपकी बिटिया में। आप पर ही गई है।
मैम - तब तो चखना पड़ेगा।
मैंने देखा मैम उठ कर दीदी के बगल में बैठ गईं। दोनों ने पहले तो एक दुसरे को चूमा फिर मैम दीदी के बदन पर लगे तारा के रस को चाटने लगीं।
दीदी ने ग्लास में और बियर लिया और दो सिप लेने के बाद मैम को थमा दिया।
दोनों को देख मेरा लंड उछलने लगा। मेरा माल तो निकला ही नहीं था। मैं उठ कर उनके पास जाने को सोच रहा था तभी मैम मुझे देख बोल पड़ी - आ जा मादरचोद आ मेरे बदन को चाट। फिर चूत मिलेगी।
उनका डोमिनेटिंग अंदाज मुझे अलग ही मजा दे रहा था। मैं बेड से उतर कर घुटनो के बल उनके पास पहुँच गया। वो तारा के बगल में काउच पर बैठ गईं। मैंने उनके पैरों से चाटना शुरू किया और जांघो तक पहुँच गया। एक बार फिर से मैं उन्हें चाट रहा था पर इस बार मेरे साथ साथ दीदी भी लगी हुई थी। दीदी ने एक बार बीच में मुझे किस भी किया। मेरे होठों पर जब उन्होंने अपने होठ लगाए तो मुझे अजब सा ही स्वाद आया। अलग सा नशा था उसमे।
तारा ने जब हम तीनो को इस तरह से देखा तो वो उठ कर जाने लगी। मैम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा - इतने के बाद जाने का क्या फायदा।
तारा वहीँ रुक गई। कुछ देर की चूत चुसाई के बाद मैंने कहा - बहुत हुई तेरी सेवा अब मेरे लंड को चूत चाहिए।
मैम बोली - तीन तीन है। पर पहले मेरी ले। अपनी मुनिया से पहले तेरी दोस्ती कराऊँ। बहुत सालों बाद लंड पायेगी वो। आज चढ़ जा।
तारा एक किनारे हो गई। मैम ने उसके गॉड में अपना सर रख दिया। मैंने काउच के दोनों तरफ पैर किया और मैम के पैर को उठा दिया और अपना लंड उनके चूत में एक ही बार में डाल दिया।
मैम की चीख निकल गई - मादरचोद , बोलै था न बहुत साल बाद लंड लुंगी। आराम से डालना था। भोसड़ी के फाड़ दी मेरी चूत।
गालियां सुन मैं एक पल को ठिठक गया।
मैम - बहनचोद, रुक क्यों गया अब लंड अंदर डाला है तो चोद ना।
मैंने उनके पैर कंधे पर रखे और चुदाई शुरू कर दी। वाकई बहुत दिन बाद उन्होंने लंड लिया था । डिलडो भी शायद कभी पूरा नहीं डाला होगा। एकदम टाइट चूत थी।
मैं धक्के मारे जा रहा था। मैम ने उधर तारा के शर्ट में मुँह डाल कर उसके मुम्मे पीना शुरू कर दिया था। दीदी का हाथ मैम में क्लीट की मालिश कर रहा था।
मैं - बोल कुतिया , अब मजा आ रहा है ? दर्द गया या नहीं?
मैम - हां बहन के लौड़े। मजा तो तू दे ही रहा है। आह आह। मेरी मुनिया एकदम खुश हो गई है । दोनों भाई बहन मस्त सेवा कर रहे हो। खुश कर दिया है तुमने। इनाम में मेरी बेटी की भी ले लेना। आह आह। साली आजतक कोई लंड नहीं लिया है उसने। एकदम कोरी है। बस वाइब्रेटर से काम चालती है। वो भी बस ऊपर से।
मैं - जितनी तू मास माल है उतनी ही खूबसूरत तेरी बेटी भी है। चूत देगी तो लूंगा क्यों नहीं। बोल उसको देगी क्या ?
मैम - तारा बिटिया , मान जा। देख कितना मजा आता है चुदाई में । आह आह , आज देखा ना वाइब्रेटर से बढ़िया जीभ काम करती है। वैसे ही लंड मजा देगा। मान जा मेरी बात। तेरी उम्र की लड़कियां ना जाने कितनी बार चुद चुकी होती हैं। पर एक तू है।
मैं - मान जाओ तारा। देखो कितना मजा आ रहा है मैम को। आह। मस्त चूत है इनकी।
अंत में तारा भी बोल पड़ी - बहनचोद , दे तो दूँ पर डर लगता है। माँ की हालत देख कर फटी जा रही है मेरी।
मैम - आह आह। पहले धक्के का दर्द है बस। देख मेरा कितना पानी निकल चूका है। अभी भी मैं आ गई हूँ पर इसका माल नहीं निकला है। ले ले। मौका है।
तारा असमंजस में थी। मैम की चूत पानी छोड़ चुकी थी पर मेरा माल नहीं निकला था। मैम ने कहा - बस कर मेरा तो हो गया है। अपनी बहन चोद ले अगर तारा नहीं दे रही है तो।
मैं - बहन की तो रोज ही लेट हूँ। आज तो माल या तुझमे निकलेगा या तेरी बेटी में। सोच ले। मैं धक्के लगाए जा रहा था। अचानक से तारा बोल पड़ी - ठीक है। पर तुम चूत में लंड नहीं डालोगे। मैं चूत में लंड लुंगी। दर्द हुआ तो निकाल लुंगी कोई जबरदस्ती नहीं।
मैं - जैसी तुम्हारी मर्जी मेरी जान। तरबूज चाकू पर गिरे या चाकू तरबूज पर कटेगा तो तरबूज पर ही। बताओ क्या करना है।
मैंने मैम की चूत से लंड निकाल लिया। मैम धीरे से उठ कर बैठ गई। अब मैं काउच के दोनों तरफ पैर लटका कर टेक लगाए बैठा था। मेरा लंड एकदम सीधा तना हुआ था। तारा की चूत एकदम पनियाई हुई थी। वो सरकते सरकते मेरे पास आई और काउच के दोनों तरफ पैर करके खड़ी हो गई। उसने अपने हाथो से मेरा लंड पकड़ा। उसके पकड़ते ही मेरा लंड फड़फड़ा उठा। वो बोली - ये तो बहुत बड़ा है।
दीदी बोल पड़ी - मेरी जान तेरी चूत इससे भी गहरी है। डर मत पूरा लील लेगी तू इसे। बस धीरे धीरे ले।
तारा - दीदी , जाया बियर दो।
दीदी ने बियर की पूरी बोतल उसे दे दी। तारा ने एक हो घूँट में पूरी बोतल पी डाली और फिर मेरे लंड को अपने चूत पर सेट करके धीरे धीरे अंदर लेने लगी। अभी टोपा ही गया होगा की वो चीक पड़ी - माआ , तुमने कैसे किया इसे। मुझे तो अभी ही दर्द होने लगा।
मैम - थोड़ा रु। चूत पर घिस। कुछ देर में मजा आने लगेगा।
तारा में मेरे लंड को फिर अपने चूत में थोड़ा डाला और फिर निकाल लिया। उसने खड़े खड़े ही मेरे लंड से अपने चूत के पंख और क्लीट को रगड़ा। कुछ देर में उसे मजा आने लगा। अबकी उसने हिम्मत करके लंड को कुछ और अंदर लिया पर फिर तुरंत निकाल लिया।
उसकी चूत एकदम भाति की तरह दहक रही थी। मेरा लंड भी माल निकलने को तैयार था। मैं जानता था इसने एक दो बार ऐसा किया किया तो मेरा माल निकाल जायेगा। इससे ना मुझे मजा आएगा ना ही उसे। पर तारा तो पहले ही मजे ले चुकी थी। उसकी चूत कई बार पानी निकाल चुकी थी। तरस तो मन रहा था।
मैंने कहा - जान , कब तक तरसाओगी। पूरा लो न।
शायद अब उसे मजा आने लगा था। वो अबकी धपप से मेरे लंड पर पूरा ही बैठ गई। पर इससे उसकी चीख निकाल गई - माआआआआ
मैंने उसे अपने बाहों में भर लिया और अपने ऊपर लिटा लिया। मैंने अपने होठ उसके नरम मुलायम अधरों पर रख दिए। उसने भी दर्द के एहसास के साथ मेरे होठ अपने अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसते चूसते अचानक से काट लिया। मैं दर्द से बिलबिला उठा और उसी दर्द में कमर को एक झटका दिया जिससे मेरे लंड का कुछ हिस्सा उसकी चूत से बाहर आया और फिर पूरा अंदर चला गया। है दोनों कुछ देर वैसे ही रहे पर थोड़ी देर में उसने अपने कमर को फिर से हरकत दी। अब वो मेरे चेहरे और होठो को बेतहाशा चूमे जा रही थी और साथ ही मेरे लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रही थी। अब उसे मजा आने लगा था।
तारा - हम्म , उफ्फ्फ। माँआआ , तुम सच कह रही थी। बहुत मजा है चुदाई में। आह आह।
दीदी - देखा , मैं कहती थी न तेरी चूत इसे पूरा जातक सकती है। देख।
तारा - हाँ। इस्सस मजा है। क्या मजा है।
दीदी और मैम बिस्तर पर एक दुसरे के बाहों में लेटी हम दोनों के जवान शरीर के अठखेलियों को देख रही थी। तारा कभी मेरे ऊपर उछलती तो कभी मुझसे लिपट कर लेट जाती। उसने अपने टी शर्ट को निकाल फेंका था। मैं तो कब का नंगा हो रखा था। हम दोनों के बदन एक दुसरे से लिपट रहे थे तो कभी अलग हो रहे थे। मेरा लंड जैसे लग रहा था तारा के काबू में है। मुझे लगा था की एक ही दो धक्के में मेरा लंड माल निकाल देगा। पर दर्द कहिये या उसकी कला वो रुक रुक कर झटके ले रही थी। हम दोनों अलग दुनिया में थे। उसकी चूत पनियाई थी पर मेरा लंड भी कम मोटा नहीं था। कुछ देर बाद जब वो दर्द से मुक्ति पाकर आनंद के सागर में पहुंच गई तो उसने लगातार लंड पर झूलना शुरू कर दिया। अब हम दोनों ही अपने चरम सुख को पा लेना चाहते थे। मैं उसके छोटे पर सॉलिड उछलते मुम्मे और निप्पल के साथ खेल रहा था। वो अपने खुले बालों को पकडे मुझे पर सवारी कर रही थी। लग रहा था जैसे मैं उसका गुलाम बनता जा रहा हूँ।
तभी मुझे लगा , जैसे श्वेता मेरे ऊपर हो। मुझे उसके बाल , और मुम्मे याद आने लगे। जैसे ही मुझे ये एहसास हुआ की श्वेता की चूत से बस दो चूत दूर हूँ मैं , मेरे लंड ने अपना माल निकाल दिया। तारा ने भी मेरा साथ दिया और मेरे ऊपर लेट गई। अब मैं निचे से धक्के लगा कर अपना पूरा माल उसके अंदर उड़ेल रहा था और वो मेरे होठों को पी रही थी। कुछ देर पहले जहाँ मुझे लग रहा था की मेरा लंड एक भट्टी में है वही अब मुझे लगने लगा था की वो किसी शांत, गीले और मीठे एहसास वाली जगह में घूम रहा है। वही क्यों मैं भी किसी और दुनिया में था। मैंने बहुत चुदाई की थी पर ऐसा एहसास नहीं हुआ था।
Sexy update.कमरे में पहुँच कर माँ ने दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने कहा - दरवाजा क्यों बंद कर दिया माँ ?
माँ - अब मेरे साथ है तो सिर्फ मेरे साथ रह।
माँ ने फिर अपनी साडी उतार दी और मेरे पास खड़ी हो गई। उन्होंने मेरे दोनों कंधो पर हाथ रख कर मुझसे कहा - कितनी अच्छी खुशबु आ रही है।
मैंने कहा - अभी तो वहां तुम इसकी वजह से नहाने को कह रही थी।
माँ - मैं तो देख रही थी मेरे लाल को मेरा कितना ख्याल है ?
माँ में फिर मुझे किस किया। मैंने अपनी जीभ निकाल ली जिसे माँ ने अपने मुँह में भर लिया । माँ ने फिर मेरे होठों को चूमने के बाद मेरे चेहरे पर लगे पसीने को चाटना शुरू किया। माँ के जीभ के एहसास से मेरा लंड फिर से खड़ा हो रहा था। माँ मुझसे बिलकुल सट के खड़ी थी इस वजह से मेरा लंड माँ में चूत पर दस्तक देने लगा।
माँ ने कहा - तूने फिर से इसे खड़ा कर दिया।
मैं - माँ , तुझे देखता हूँ तो अपने आप ही खड़ा हो जाता है।
माँ झुक कर मेरे सीने से टपकते पसीने को चाटते हुए बोली - इसी लिए अपनी चाची और बहन को चोद कर आ रहा है। मेरा बड़ा ख्याल था तुझे।
मैं - मुझे पता होता तुम इतनी चुदासी हो तो तभी चोद देता। कोई बात नहीं अभी चोद देता हूँ तुझ।
माँ ने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली - शह्ह्ह्ह , अब चुप रह। अब तेरे लंड को आराम दे। आज कोई चूत नहीं।
मैंने कहा - माँ अपने मुम्मे तो छूने दे।
माँ ने कोई जवाब नहीं दिया। वो मेरे बाँहों और बगलों में लगे पसीने को चाटने लगी। उनके चाटने से मैं गिला होता जा रहा था। मेरा लंड उत्तेजना में तो था पर हवा से बातें कर रहा था। माँ ने उसे खुला छोड़ दिया था। वो मुझसे सट के तो खड़ी थी पर मी लंड को अपने बदन के किसी भी हिस्से से टच नहीं करने दे रही थी। एक बार मैंने खुद हाथ लगाने की कोशिश की तो मेरे हाथ को हटा दिया।
जब उन्होंने मेरे बदन के ऊपरी हिस्से को पूरा चाट लिटा तो बोली - मजा आ गया। आज मस्त नशा कराया तूने। चल नहला दूँ अब।
मैंने कहा - लंड भी तो मेहनत करके पसीने पसीने है माँ।
माँ बोली - मुझे सब समझ आता है। मैं उसे कुछ नहीं करुँगी। चल बाथरूम में।
माँ मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं। उन्होंने शावर ऑन किया और मुझे उसके निचे खड़ा कर दिया। उन्होंने अपना ब्लॉउस और पेटीकोट अब तक उतारा नहीं था , जबकि वो गीली हो रही थी।
मैंने कहा - माँ ये तो गलत है। मैं नंगा हूँ और तुमने कपडे पहन रखे हैं।
माँ ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने साबुन लिया और मेरे बदन पर लगाने लगीं। उन्होंने पहले मेरे पीठ पर साबुन लगाया और फिर कुछ देर मलने के बाद सामने आकर मेरे सीने पर साबुन लगाने लगीं। उनका ब्लॉउस पूरा भींग चूका था और भींगे ब्लाउज से उनके निप्पल और उसके चरों तरफ के काले घेरे साफ़ दिख रहे थे। भींगे होने की वजह से या उत्तेजना से उनके निप्पल भी एकदम निकले हुए थे। अब मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उनके बूब्स पकड़ लिए। चूँकि खुद को बहुत देर से रोका हुआ था तो मैंने थोड़ी ताकत लगा दी।
मेरे हाथ लगाते ही उनके मुँह से तेज सिसकारी निकली - इसस्स्सस्स , आराम से।
मैं फालतू में अपने आपको इतनी देर से रोका हुआ था। वो मेरी परीक्षा ले रही थी कि मैं कितनी देर तक अपने आप को रोक सकता हूँ। मैंने माँ के ब्लाउज के ऊपर से ही उनके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया।
माँ ने कहा - आह , दूध का दीवाना है तू। रुक , ब्लाउज खोलने दे वरना फट जायेगा।
माँ ने फिर अपना ब्लाउज खोल दिया और वहीँ शावर के नीचे खड़ी हो गईं। मैं उनके मुम्मो और निप्पल से बहते पानी को इस तरह पीने लगा जैसे दूध आ रहा हो।
कुछ देर तक मैंने उनके मुम्मे पीने के बाद मैंने कहा - माँ चूत से बहता पानी भी पिलाओ न।
माँ ने अपने पेटीकोट का नाडा खोल दिया। मैं वहीँ बाथरूम के जमीन पर उनके चरणों में बैठ गया और उनके चूत पैट मुँह लगा दिया।
माँ - आह , चाट ले लाल , अच्छे से चाट। बहुत देर से रोका हुआ था खुद को मैंने। अब नहीं बर्दास्त होता। पी जा मेरे चूत से बहता पानी पी जा।
माँ ने मेरे सर को मेरे बालो से पकड़ लिया और अपने कमर को मेरे मुँह पर ही हिलाने लगीं। मैंने भी अपनी जीभ निकाल कर उनके चूत की फांकों पर टिका भर दिया। बाकी तो वो खुद ही कमर हिला कर मेरे जीभ से चुदने लगीं।
माँ - आह आह , मादरचोद , अपनी माँ की चूत का ख्याल नहीं था तुझे। इस्सस चोद अपने मुँह से चोद। साले नै चूत पा गया तो जन्मस्थान भूल गया। आह आह आह आह।
माँ ने मेरे सर को जोर से पकड़ रखा था। बाल खींचने की वजह से मुझे दर्द तो हो रहा था पर मैं उनके आनंद में बाधा पहुँचाना नहीं चाह रहा था। माँ तेजी से अपने कमर को हिलाये जा रही थी।
माँ - उफ्फ्फ , कितनी आग भर दी है तूने मेरे अंदर। इस्सस इस्सस आह आह। चोद , चोद जोर से चोद। बहन के लौड़े अपनी माँ के लौड़े को भी चूस।
मैंने माँ के क्लीट को दांतो तले दबा लिया।
माँ - हाँ , खा जा उसे। बहुत परेशान करती है। आह आह
क्लीट को चूसने से माँ अपने चरम के नजदीक पहुँच गईं। उनका सारा शरीर कांपने लगा। उन्होंने कमर हिलना बंद करके मेरे मुँह को अपने जांघो के बीचज जोर से दबा दिया। मेरे दम घुट रहा था पर मैं माँ की ख़ुशी रोकना नहीं चाहता था।
माँ - आआआआह माआआआ मैं तो गई।
कुछ देर बाद माँ जब होश में आई तो उन्होंने अपने जाँघों की पकड़ ढीली की। मैं चरण जोर जोर से हांफने लगा। मुझे खांसी भी आ रही थी।
माँ ने मेरी हालत देखी तो उन्हें होश आया। उन्होंने मेरा कन्धा पकड़ कर उठा दिया और कहा - अरे मेरे लाल। पहले क्यों नहीं बोला।
मैं - माँ तू इतने मजे में थी की डिस्टर्ब करने का मन नहीं किया।
माँ -बता दिया कर पगले। ऐसे में कईयो की मौत तक हो चुकी है।
मैं - ऐसी नौबत नहीं थी माँ। तेरा बेटा संभाल लेता।
माँ ने मुझे चूम कर कहा - अब तूने मेरे लिए इतना किया है तो तेरा इनाम तो बनता है।
माँ निचे बैठ गईं और उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चाटने लगीं। मेरी आँखे बंद हो गईं। चूँकि मैंने बहुत देर से अपने आपको रोका हुआ था मेरा माल बस मुहाने पर था। मुझे पता था मैं कुछ ही देर में आ जाऊंगा और ऐसा ही हुआ। मैंने माँ के मुँह में अपना पूरा माल उड़ेल दिया। माँ ने मेरे लंड से निकलते हर एक बूँद को चाट लिया। माल निकलते ही मुझे भी कमजोरी सी महसूस होने लगी थी। माँ ने जल्दी जल्दी फिर अपने साथ साथ मुझे भी नहलाया और तौलिये से मेरे बदन को पूरा पोछ दिया। फिर अपने बदन को भी पोछने लगीं। मैं वहीँ खड़ा था। माँ ने कहा - जा कपडे पहन।
मैं फिर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। बाहर निकला तो देखा चाची और बहने टी वी देख रही थी।
मुझे देखते ही सब एक साथ बोली - मादरचोद , इतनी देर लगा दी। हम तब से इंतजार कर रहे हैं।
मैं भाग कर अपने कमरे में कपडे पहनने चला गया। मैं और माँ लगभग एक साथ अपने अपने कमरे से बाहर निकले।
हमें देखते ही चाची ने कहा - हमें तो बड़ा जल्दी जल्दी कह रही थी। खुद लौड़ा मिला तो समय का पता नहीं चला।
माँ - बड़ी हूँ तुम सबसे तो ज्यादा समय लगना ही था। ज्यादा हक़ है मेरा। चलो जल्दी से खाना निकालो।
हम सब फिर खाने के लिए बैठ गए। उस रात हम सब इतना थके थे की कौन कहाँ कैसे सोया किसी को होश नहीं था।
Erotic update.अगली सुबह मैं उठा तो देखा माँ और चाची सोफे पर बैठ कर चाय पी रहे थे। कोई और नजर नहीं आ रहा था। मैं जाकर माँ के गोद में सर रख कर लेट गया। मैंने कहा - बाकी सब सोये हैं क्या ?
चाची - कल जो तूने सबका हाल किया उसके बाद कौन सुबह उठता।
तभी ऊपर कमरे से सरला दी जिम के पेंट और स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए उतरी - ऐसा नहीं है। मैं आप सबसे पहले उठ चुकी थी।
मैं - तुमने जिम भी कर लिया ? मुझे उठा देती।
दीदी - साले मादरचोद , गई थी उठाने पर तुम माँ बेटे ऐसे लिपटे पड़े थे की पूछो मत। एक बार तो मेरा भी मन खराब हो गया , सोचा वहीँ शुरू हो जाऊं पर खुद पर बड़ी मुश्किल से काबू किया।
मैं - हीहीहीही , माँ मेरी ऐसी है।
दीदी - चुप चोदू।
मैं - चुप चुदक्कड़।
दीदी हँसते हुए सुधा दी के कमरे की तरफ बढ़ गई। उन्होंने कमरे में देखा तो वहां सुधा दी और श्वेता दोनों नंग धडंग सोई हुई थी। सुधा दी के चेहरा श्वेता के पैरों की तरफ था। लगता है रात में उन दोनों ने सिक्सटी नाइन पोज़ में एक दुसरे की चूत चटाई की थी।
सरला दी - उठो चूत चुसनियों उठो। कितना सोवोगी।
सरला दी की आवाज सुन श्वेता बोली - सोने दो न दीदी , सुबह पांच बजे तो सोएं हैं।
सरला दी - क्याआ ? सुबह ?
श्वेता - हाँ यार। सुधा दी को ना जाने क्या हो गया है। मुझे एकदम से पागल बना कर रख दिया था।
सुधा दी आँख बंद करे करे बोली - चुप रंडी। साली खुद ही चुसवा रही थी। बिस्तर पर आते ही बोली दीदी एक बार सिक्सटी नाइन करें। और मुझे दोष दे रही है।
सरला दी - ठीक है सो जाओ वापस। सरला दी ड्राइंग रूम में वापस आई तब तक मैं ब्रश कर चूका था। माँ ने हम दोनों के लिए भी चाय निकल दिया था।
सरला दी मेरे बगल में बैठ गई और बोली - और क्या प्लान है ? आजकल श्वेता भी है। अपना फ्यूचर प्लान डिसकस कर ले। देख ले क्या पता उसके दिमाग में ही कोई नया बिजनेस आईडीया आ जाए।
मैं - हाँ। सोचता हूँ। एक दो दिन सब हैं तो डिसकस कर सकते हैं।
हम दोनों बातें करने लगे , माँ और चाची किचन में लग गए। तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी। देखा तो मामा का फ़ोन था। मैंने उठाया। कुछ देर नमस्ते , प्रणाम के बाद मामा ने बताया वो और मामी यहाँ आ रहे हैं खाने पर। सरला दी के आने की खबर से मामी का मिलने का मन कर गया। मैंने माँ को बताया। माँ भी खुश हो गईं। कुछ देर बाद श्वेता और सुधा दी भी जाग गए। मामा मामी के आने की खबर सुन सब खुश हो गए।
सुधा दी ने पुछा - नाना भी आ रहे हैं क्या ?
मैंने कहा - नहीं वो गॉंव गए ह। आजकल वहीँ रह रहे हैं।
सुधा दी - तब ठीक है।
दो तीन घंटे बाद मामा और मामी घर आ गए। मैंने मामा के पैर छुए , उन्होंने मुझे गले लगा लिया। मामी ने तो सीधे गले लगा लिया। उनके सॉफ्ट सॉफ्ट मुम्मे मेरे सीने से लगे तो मुझे गोवा की याद आ गई। मैंने महसूस किया कि उनके मुम्मे पहले से बड़े हो गए हैं। उनका पेट भी थोड़ा निकल आया था।
मामी को देखते ही सरला दी बोली - यार आपको दूध आने लगा क्या ?
मामी ने अपने मुम्मे देखे और हँसते हुए बोली - नहीं बहनी , अभी तो नहीं। पर बड़े होने लगे हैं।
सरला दी उनके चूचे पकड़ कर बोली - तब मामा आपको तो मजा आता होगा।
मामी - मजा तो शलभ बाबू को भी आता होगा। बड़े तो आपके भी हुए हैं।
जब तक मामी को एहसास होता कि क्या बोल गईं , सरला दी उदास हो गईं पर वापस जिंदादिली से बोली - हाँ मजा तो उनको भी आता है और यहाँ चोदूमल को भी पर अफ़सोस मैं इन्हे दूध नहीं पीला पाऊँगी।
मामी - सॉरी , मैं भूल गई थी।
सरला दी - अरे कोई बात नहीं। आप दुखी मत होइए।
माँ ने भी मामी और मामा को गले से लगाया। मामी ने चाची को देखा तो बोली - अच्छा तो ये हैं हमारे लल्ला का पहला प्यार।
फिर वो दोनों गले लगीं। तभी चाची कि नजर अलसाई सी श्वेता के ऊपर पड़ी।
उन्होंने उसे देखते ही कहा - ओह्हो कितनी सुन्दर परी है ये। मर्द होती तो भगा कर अभी शादी कर लेती तेरे से।
मामी की मस्ती देख कर श्वेता शर्मा गई।
मामा ने कहा - हो गया परिचय सबसे तो कुछ चाय पानी भी हो जाये।
मामी ने श्वेता का हाथ पकड़ा और सोफे पर बैठ गई। वो श्वेता का हाथ छोड़ ही नहीं रही थी। चाची और सरला दी किचन से चाय नाश्ता लाने चले गए। सुधा दी मामी के पास आकर बैठ गई। मामा मेरे बगल मे बैठे थे पर उनका ध्यान किचन में कड़ी चाची के बड़े बड़े गांड पर ही अटका था। लगता था मेरे ननिहाल वालों को जितना मजा चूत मारने में आता है उतना ही गांड में भी।
मैंने धीरे से कहा - सील पैक गांड है मामा , मुझे भी नहीं मिली अभी तक।
मामा - तो इसका मतलब अपनी मामी के अलावा किसी की गांड नहीं मारी अब तक।
मैं ने चेहरा लटकाते हुए कहा - नहीं। अभी तक नहीं। मामी की भी कहाँ ठीक से मार पाया था।
मामा - चला आता घर। ये तो प्रेग्नेंसी में भयंकर चुदास हो रखी है। डॉक्टर से गांड मरवाने की स्पेशल परमिशन ली है।
मैं - मुझे ख्याल ही नहीं आया। यहाँ सुधा दी भी एकदम गरम हो रखीं हैं पर जबसे सरला दी का काण्ड हुआ है एकदम सावधानी ले रही हैं।
मामा - हाँ भाई अभी शुरुआती महीने हैं। सावधानी में ही भला है।
फिर बात चीत मेरे पढाई और काम धंधे की तरफ चल पड़। पर इन सब बात चीत के बीच में मामा की निगाहें बार बार चाची की तरफ ही अटकी हुई थी। चाची के साथ साथ मामा सरला दी को भी ताड़े जा रहे थे। मिसकैरेज और हार्मोनल चंगेस की वजह से उनका बदन और भी गदरा गया था। चूँकि मामा ने उन्हें गोवा के बाद आज देखा था तो परिवर्तन उन्हें ही दिख रहा था। गोवा में वैसे भी खुल्लम खुल्ला एक साथ प्यार होने की वजह से मेरी बहनो के प्रति मामा का नजरिया बदल भी गया था। सरला दी के मन में क्या चल रहा है ये मुझे पता नहीं था। पर चाची मामा की तरफ आकर्षित हो रही थी। घर का एक नया जवान मर्द , जिससे उनकी मुलाकात कम ही हुई हो अगर ताड़े तो मजा तो आता ही है।
इधर मामी श्वेता के पीछे पड़ी थी। लगता है उन्हें पसंद आ गई थी। श्वेता थी ही ऐसी।
मामी चाची से - जिज्जी , इसे मुझे दे दो। बड़ी प्यारी है। मेरा दिल इस पर आ गया है।
चाची - इसका जो दीवाना इधर बैठा है उसका क्या ?
मामी - अच्छा , तभी। कोई बात नहीं मैं दोनों को अपने साथ ले जाउंगी।
चाची ने मामा की तरफ इशारा करके कहा - और जो इधर बैठे हैं आपके , उनका क्या ?
मामी - उन्हें आप रख लो। वैसे भी बहुत देर से आपको ताड़े जा रहे हैं। आप पसंद आ गई हो इन्हे।
ये सुन चाची शर्मा गईं।
माँ ने तब जवाब दिया - मेरा क्या होगा ?
मामी - आपके भाई आप दोनों बहनों की सेवा करेंगे। वैसे भी आने इन्हे कई सालों से प्यार नहीं दिया है।
माँ - कई साल , हम्म्म। ये तो सच है। तेरे जीजा के जाने के बाद से मैं सबसे कट ही गई थी।
मामी - मौका है , कर लो भरपाई।
तभी सरला दी बोल पड़ीं - हमारा नहीं सोचा मामी।
मामी - अरे भाई तेरे तो मामा हैं। हक़ है। वैसे भी गोवा से लौट कर आने के बाद तेरे नाम से मेरी इतनी ली पूछो मत। मैंने तेरा सबसे ज्यादा रोले प्ले किया है। वैसे तू और भी गदरा गई है। नजर इनकी तेरे पर भी है।
आज मामी ना जाने किस मूड में थी। शायद ज्यादा ही हॉर्नी हो रखी थी। और बातों से संको लाजवाब भी किये जा रही थी। किसी के पास कोई जवाब नहीं था। पर श्वेता थोड़ी असहज हो रही थी। और सुधा दी भी।
श्वेता बोली - आप सबको सेक्स के अलावा कुछ और नहीं सूझता ? कोई ये नहीं बात कर रहा की राज का बिजनेस आईडिया क्या है ? वो आगे क्या करे ? सुधा दी कैसी हैं ?
मामी आज पुरे मूड में थीं।
बोल पड़ी - देख सुधा का तो पता है ? मालूम है मेरी तरह गरम हो रखी है । राज ने बता दिया था , रात भर तेरे साथ सिक्सटी नाइन किया है। जहाँ तक राज के बिजनेस की तो बहनचोद सिर्फ एक फ्रेंची में फोटो डाल दे गेट पर , लाइन लग जाएगी। औरतें , लड़कियां गड्डी लेकर कड़ी रहेंगी इसके पास टाइम नहीं रहेगा।
मामी की हाजिर जवाबी सुन सब हंस पड़े। श्वेता भी। वो भी आखिर बोल ही पड़ी - चोदू राज के चुदाई का धंधा। हाहाहाहाहा।
मामी - तू अपने सैंया के कमाए मस्त नोट गिनना फिर।
श्वेता फ्लो में बोल गई - मेरा क्या होगा ?
मामी - अब आई मेरी लाडो लाइन पर। तेरी तो ऐसी फाड़ेगा कि बससससस।
श्वेता शर्मा कर वहां से भाग गई और सब हंस पड़े ।
मामी - जिज्जी , कुछ खाने को दो। पता नहीं आजकल बस चुदाई और खाना बस यही दिमाग में घूमता रहता है। सुधा तेरा क्या हाल है ?
सुधा दी बोली - बस ऐसा ही कुछ है अपना भी। खाना तो लगता है कोई और ही खा जाता है।
माँ उठाते हुए बोली - भाई तुम दोनों एक का नहीं दो का हिस्सा खाते हो। अच्छा है।
चाची भी माँ के साथ किचन में चली गईं। कमरे में मैं, मामा , मेरी दोनों बहने और मामी ही रह गए।
मैं उठकर मामी के पास चला गया और गर्दन के पीछे से उनके दुसरे कंधे पर हाथ रख कर बोला - आपको इतने दिनों में मेरी याद नहीं आई?
मामी - याद नहीं आई होती तो आती क्या ?
मेरा हाथ उनके कंधे से होता हुआ उनके मुम्मे पर लटका हुआ था। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मुम्मे दबाते हुए कहा - बस अब साथ आठ महीने औ। फिर तुम्ही से दुहावआउँगी।
मैंने कहा - अभी ही थोड़ा पीला दो।
मामी ने तुरंत अपने पल्लू के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज के हुक खोलना शुरू कर दिया। वो बोली - सब तुम्हारा ही है।
मुझे उम्मीद नहीं थी मामी मामा के सामने इतनी जल्दी तैयार हो जाएँगी। पर जिस तरग से सुधा दी का व्यवहार था , अब मुझे कोई विशेष आश्चर्य नहीं हुआ। जब तक मामी ने अपने ब्लाउज और ब्रा को खोला मैं उनके गोद में सर रख कर लेट गया। उन्होंने मुझे अपने पल्लू में छुपा लिया और अपना एक निप्पल मेरे मुँह में डाल दिया। उनके निप्पल जो पहले से काफी बड़े थे और उभर आये थे। उनके मुम्मे गोवा ट्रिप के बाद से बड़े हो गए थे। मैं एकदम बच्चे की तरह उनके दूध पीने लगा।
मामी - आह , आराम से पियो लल्ला। तुम्हारे होठो को तरस गए थे ये।
मैं मामी के मुम्मो में खोया हुआ था और सरला दी असमंजस में थी। उनका मन मामा के पास जाने का कर रहा था पर आजतक उन्होंने अपने पति और मेरे अलावा किसी और से सम्बन्ध नहीं बनाये थे। गोवा में हम सब आस पास एन्जॉय कर रहे थे और खुले भी हुए थे पर अभी इतना भी नहीं खुले थे। पर आखिर हवस की जीत हुई। दीदी उठकर मामा के पास पहुँच गई उन्होंने निचे सुबह वाला जिम पेंट ही डाला हुआ था। ऊपर बस स्पोर्ट्स ब्रा के ऊपर से एक ढीला ढाला टी शर्ट डाल रखा था। वो जाकर मामा के पैरन के पास बैठ गईं उन्होंने उनके पेंट की जिप पर हाथ लगा दिया। उनका लंड मेरे और मामी की हरकतों के वजह से पहले से ही खड़ा हो चूका था। दीदी के हाथ लगते ही एकदम उछलने लगा।
मामी ने जब ये देखा तो कहा - खा जाओ सरला दी उनके लौड़े को। काट लेना साला मुझे बहुत परेशान करता है।
दीदी - चुप रहो मामी। खुद ही रंडीबाजी पर लगी हो और मेरे प्यारे मामू को दोष दे रही हो। मामा जरा निकालो अपने लौड़े को , देखो बेचारा अंदर परेशान है।
मामा ने तुरंत अपना जिप खोल दिया और अंडरवियर के अंदर से ही अपना लंड निकाल लिया। उनका लंड वाकई बड़ा था। मैं इतने यकीन से कह सकता हूँ की जीजू से बड़ा था। क्योंकि उसे देख दीदी की आँखें खुली रह गई। दीदी ने प्यार से उसे हाथ में ले लिया और बोली - राज से भले ही छोटा है पर मेरे मियाँ से तो बड़ा है। मामी कैसे तुम लेती हो इसे ?
मामी - तभी तो मेरी चूत का कबाड़ा कर रखा है। गांड खिड़की बना दी है इस लौड़े ने। तुमने अभी तो इसका मतलब अपने नाना का देखा ही नहीं है। इसका डेढ़ गुना है।
दीदी ने मामा के लंड पर मुँह लगा दिया और उसे चूसने लगी। मामा ने अपनी आँखें बंद कर ली । बोले - कितने दिनों से तरस रहा था मैं तेरे लिए सरला। तेरी मामी के मुँह में तेरा नाम ले लेकर माल निकाला है। आज तूने खुश कर दिया।
सरला दी ने थोड़े देर के लिए लंड निकाला और कहा मुझे तो लगा था आप इनसे मुझे गोवा में ही मांग लेंगे। पर चलिए कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये। अब चुप चाप बैठिये मुझे कुल्फी का मजा लेने दीजिये। तभी किचन से चाची सच में आइसक्रीम लेकर आ गई। मामा और मामी के आने का सुनकर मैं दो तीन ब्रिक आइसक्रीम मार्किट से लेकर आया था। उसी में से एक मामी लेकर सरला दी के पास आई।
मामी ने खूब सारा आइसक्रीम हाथो में लिया और मामा के लंड पर लगाते हुए बोली - अब लो असली कुल्फी का माजा बहनी।
सरला दी एकदम चाव से मामा के लंड को ऊपर से लेकर निचे तक चाटने और चूसने लगीं।
मामा - आह , क्या लंड चूसती हो सरला। आह , दीदी आप आइसक्रीम नहीं खाओगी।
मामी - नहीं पहले अपनी भांजी का उद्धाटन कर लो।
इधर मैंने मामी का दूध पीना बंद कर दिया था और मामी को अपने लंड की सवारी करा रहा था। मामी ने अपनी साडी नहीं उतारी थी बस पैंटी निकाल दी थी। फिर मेरे तन्नाए लंड को अपने गांड में ले लिया था। सच में मामा और नाना ने मिलकर मामी के गांड को खिड़की बना दिया था। मेरा लंड सबसे बड़ा और मोटा था फिर भी उनके अंदर जाने में मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। पर एक बार अंदर जाते ही मुझे लगा जैसे मेरा लंड किसी कैसे हुए सुरंग में घुस गया हो। मामी मेरे तरफ पीठ करके बैठी थी। वो मेरे ऊपर उछल रही थी और मैं पीछे से उनकी चूचियां दबा रहा था। रात भर की चुदाई के बाद मेरा आने में तो देर थी।
उधर सरला दी ने मामा के लंड पर लगे आइसक्रीम को चाटने के बाद अपना टी-शर्ट उतार दिया। उन्होंने स्पोर्ट्स ब्रा पहन रखा था। वो थोड़ा आगे झुकीं और मामा के लंड को ब्रा के अंदर से डाल कर अपने मुम्मों के बीच फंसा लिया। ये मेरे लिए भी नया था। मामा तो एकदम मजे में आ गए।
मामा - आह , क्या मस्त चुचे हैं तेरे।
दीदी - मामा चूत तो नहीं दे पाऊँगी पर इसके मजे ले लो।
फिर दीदी ने अपने मुम्मे ब्रा सहित इस तरह से हिलाना शुरू कर दिया जैसे वो मुम्मो से उन्हें छोड़ रही हों।
मैंने अब मामी को सोफे के सहारे कुटिया बना दिया था और उनकी गांड में तेज धक्के लगा रहा था। साथ ही उनके मुम्मे भी दबा रहा था।
मामा तो बस आनंद के महासागर में थे। मामी और सरला दी की आहें सुनकर बाकी औरतें भी वहां डाइनिंग टेबल पर बैठ मस्त लाइव ब्लू फिल्म का नजारा ले रही थी। सबने शायद अपने एक एक हाथ की उँगलियाँ अपनी चूत में कर रखी थी और एक हाथ से अपने मुम्मे दबा रही थी।
मामी चीखें जा रही थी - कहाँ फंस गई रे में। जिज्जी क्या खा कर पैदा किया है। इसका तो माल ही नहीं निकल रहा है। मेरी गांड फटने को है। साले मादरचोद अब बक्श दे।
मैं - चुप रंडी की औलाद , साली तुझे ही गांड मरवाने का शौख था न। अब क्यों फट रह है।
मामी ने श्वेता की तरफ देख कर कहा - साले मुझ जैसी खाई खेली का ये हल कर दिया तो श्वेता नीतिया की कुँवारी चूत का क्या हाल होगा
जिज्जी , उसके सुहागरात में तो तुम सबको उसका साथ देना होगा वार्ना ये गधे वाला लंड डाल कर उसकी पहली रात में ही फाड़ देगा।
मैं धपाधप मामी की गांड मारे जा रहा था।
मामी - आह आह लीला बहनी भी आने वाली है। उसकी मार लेना। मुझे बक्श दो। अपनी चुदाईल मौसी की ले लेना मुझे बक्श दो।
मामी मुझे मेरे ही परिवार की औरतों का नाम लेकर चढ़ा रही थी। कुछ देर बाद आखिर मेरे लंड ने अपना माल उनके गांड में छोड़ ही दिया।
मैं उनके ऊपर लुढ़कने वाला ही था की मामी ने कहा - पेट में बच्चा है। मेरे ऊपर न लदो। ये सुनते ही मैं होश में आ गया। मैंने अपना लंड निकाल लिया और वहीँ सोफे पर लुढ़क गया। दीदी ने पहले से ही मामा का माल निकाल दिया था।
कुछ देर बाद हम सबने बाथरूम का रुख किया और फ्रेश होने के बाद खाने के लिए बैठ गए।
चाची और श्वेता मामा और मामी को देखे जा रहीं थी । बल्कि वो दोनों बारी बारी से हम सबको देख रही थी और मन में यही सोच रही थी की कितना बड़ा चोदू खानदान है। बात सही भी थी। पूरा परिवार हर वक़्त चुदाई में डूबा जो रहता था। चाची तो खैर इस खेल में शामिल थी पर श्वेता को पूरा मजा लेने में टाइम था। देर थी पर बहुत देर नहीं।