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Incest शक का अंजाम

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aamirhydkhan

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शक का अंजाम - by pratima kavi

यह कहानी हैं एक लड़के प्रशांत की। आप उसी के नज़रिये से यह कहानी पढिये।
दोस्तो ये कहानी मैंने अन्यत्र पढ़ी अच्छी लगी इसीलिए इस कहानी को मैं यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ असली लेखक के बारे में पता नहीं चला .. किसी को पता हो तो जरूर कमेंट कीजियेगा ..

परिचय
प्रशांत २३ साल का नौजवांन माँ बाप का इक्लौता लड़का और गर्ल फ्रेंड बनाने के चक्कर में कभी नहीं पड़ा क्योंकि बहुत शर्मीला है । कॉलेज ख़त्म होते ही पास के बड़े शहर में जॉब लग गयी और माँ बाप का घर छोड़ कर नए शहर में रहने लगा।

नीरू- प्रशांत की पत्नी खूबसूरत फिगर एकदम पेरफ़ेक्ट। चुलबुली, बब्बली सी लड़की अपनी शरारत और नटखटपन नहीं भूली थी

ऋतु नीरू की बड़ी दीदी है। ऋतु दीदी निरु से ७ साल बड़ी हैं और उनकी शादी करीब ६-७ साल पहले नीरज जी से हुयी थी।

नीरज ऋतु दीदी के पति है।


INDEX




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PART III
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Raj_Singh

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शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 48

मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 48. ( New-12)


ऋतु : ये एक लम्बी कहानी है अभी वक्त हो रहा है मुझे घर जाना होगा क्योंकि यदि लेट हो गई तो नीरज कई सवाल करने लग जाएगा। लेकिन एक बात याद रखना तू किसी को प्रशांत की शादी में चल रही है या नहीं।

नीरू : उदास होते हुए दीदी अपनी बर्बादी को अपनी आंखों से देखने की अब हिम्मत नहीं है।

ऋतु : देख अभी भी समय है यदि प्रशांत को सबकुछ सही सही पता चल जाता है तो शायद तुम दोनों की गलत फहमी दूर हो जाए।

नीरू : नहीं दीदी अब बहुत देर हो चुकी है। परसो शादी है यदि इस समय हम कोई कदम उठाएंगे तो उस लडकी के बारे में भी सोचिए जिसकी प्रशांत से शादी होने वाली है।

ऋतु : लेकिन तेरा क्या होगा, क्या प्रशांत की शादी होने के बाद तू किसी और से शादी करने को तैयार है।

नीरू : नहीं दीदी अब मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी ऐसे ही अपनी जिंदगी गुजार दूगी वैसे भी निशंक तो मेरे पास है ही, कम से कम जीने का एक मकसद तो होगा।

ऋतु : तो तू नहीं चल रही इसका मतलब

नीरू : नहीं दीदी मुझमें हिम्मत नहीं है।

ऋतु : एक बार प्रशांत को नहीं देखेगी, उसे उसका बच्चा नहीं दिखाएगी। देख जो होगा वो देखा जाएगा। प्रशांत तुझे गलत समझता है और इसीलिए शादी के लिए तैयार हुआ है। तू चाहती है कि प्रशांत नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करें और खुश रहे तो तू उसे सच मत बताना। वो तुझे गलत समझेगा और तुझे खाने का उसे गम नहीं होगा। लेकिन तूने उसे सच्चाई बताई या उसे कहीं और से पता चली तो बेचारा घुटता रहेगा।

नीरू: तो मैं क्या करूं

ऋतु : हम लोग शादी में चलेंगे। लेकिन एक बात याद रखना

नीरू : क्या,

ऋतु: देख जो कॉल रिकॉर्डिग मैंने तुझे सुनाई वो पांच दिन पुरानी है। और नीरज और प्रशांत की बातों से ये लग रहा है कि नीरज को ये नहीं मालूम कि प्रशांत इंडिया आ चुका है वो ये ही समझ रहा है कि प्रशांत अभी भी कनाडा में ही है।

नीरू : इससे क्या होगा।

ऋतु : यार शादी में हम दोनों ही जाएंगे नीरज को इस बारे में बताएंगे भी नहीं।

नीरू : वैसे भी मैं तो जीजाजी से बात ही नहीं करती, उनकी भी हिम्मत ने ही जो मुझसे फालतू की बातें करें। उन्होंने मेरा भरोसा तो तोडा ही है और अभी भी उनके दिमाग में मेरे प्रति जो गंदगी भरी हुई है। उसे सुनने के बाद तो मैं उनकी सूरत से भी नफरत करने लगी हूं।

ऋतु : देख नीरज पर भडक कर तू अपना ही नुकसान मत कर लेना। तेरा तो पता नहीं लेकिन मेरा बसा हुआ घर तबाह हो जाएगा। प्लीज नीरज को ऐसी कोई बात मत बताना जो मैने तुझे बताई है।

नीरू : ठीक है लेकिन आप आएंगी कैसे, जीजाजी शक नहीं करेंगे जो आप रात भर गायब रहेंगी। और वैसे भी कल शनिवार और परसो रविवार दोनों दिन जीजाजी घर पर ही होंगे।

ऋतु :तू ये सब मेरे उपर छोड दो। बस तू तैयार रहना।

नीरू : ठीक है दीदी, कल का ही दिन बीच में हैं।

ऋतु : हां और वहां रोनी सूरत बनाकर नहीं जाना है समझ गई।

नीरू : फीकी मुस्कान के साथ कहती है ठीक है। और इसके बाद ऋतु नीरू के घर से अपने घर चली जाती है।

नीरू के मन में अब उथल पुथल मची हुई थी। वो समझ चुकी थी कि उसके जीजाजी ने ही प्रशांत और उसके बीच में दूरियां बढ़ाई है। प्रशांत का उस पर शक करना तो गलत था लेकिन प्रशांत नीरज की मंशा पहले ही भांप गया था। जिस कारण वो मुझे लगातार ताने देता था। लेकिन मेरा अपने और जीजाजी के उपर जो भरोसा था उस कारण मैंने प्रशांत पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। मैंने प्रशांत से प्यार तो किया लेकिन उस पर भरोसा नहीं कर पाई और इसी बात का फायदा जीजाजी ने उठा लिया। लेकिन अब हो भी क्या सकता है प्रशांत की तो दूसरी शादी होने वाली है और अब इतना समय भी नहीं बचा है कि कुछ हो सके। घर के लोग तो शादी के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। और ये सोचते हुए नीरू की आंखों में आंसू और तेजी से बहने लगते हैं।

दूसरे दिन ऋतु के घर
ऋतु : सुनो एक काम था आपसे

नीरज : हां बोलो,

ऋतु : वो क्या है कि नीरू के आफिस में एक लडकी काम करती है उसकी शादी है। वो नीरू से अपनी शादी में आने का दबाव बना रही है। लेकिन नीरू का कहना है कि वो अकेले नहीं जाएगी। उसका मेरे पास फोन भी आया था। वैसे भी तो वो कहीं आती जाती नहीं है। मेरे विचार से उसे जाना चाहिए।

नीरज : हां जाना तो चाहिए लेकिन तुम्हारी बहन बहुत जिदï्दी है। दो साल होने को हैं लेकिन आज भी वो मुझसे सीधी मुंह बात ही नहीं करती। सीधी मुंह का वो तो बात ही नहीं करती।

ऋतु : वो इस घटना को भूल नहीं पा रहीं है साथ ही नीरज भी उससे दूर चला गया है। खैर उन बातों को छोडो। मैंने भी नीरू से कहा था कि उसे जाना चाहिए। लेकिन वो अकेले होने के कारण जाने को तैयार नहीं है। मैं सोच रही थी कि मैं उसे अपने साथ ले जाउं। जिससे शादी में उसके अकेलापन भी फील नहीं होगा।

नीरज : हां ये ठीक है ऐसा करता हूं मैं भी चलता हूं।

ऋतु : नहीं नहीं आप जाएंगे तो फिर नीरू किसी भी कीमत पर चलने को तैयार नहीं होगी।

नीरज : यार तुम ही उसे मनाओ, ऐसे गुस्सा करने से कोई फायदा थोडे ही है।

ऋतु : देखों अभी एकदम से तो उसे तैयार नहीं कर पाउंगी लेकिन धीरे धीरे कोशिश करूंगी ताकि वो आपके साथ फिर से बातचीत शुरू कर सकेे।

ऋतु की बात से नीरज मन ही मन खुश होता है और सोचता है कि एक बार नीरू से पहले जैसी बातचीत शुरू हो जाए तो फिर वो नीरू को किसी न किसी तरह अपने जाल में फंसा ही लोगा। और नीरज ऋतु को जाने की इजाजत दे देता है।

नीरज : ठीक है तुम नीरू के साथ चली जाना, बच्चे को मेरे पास छोड देना, उसे अपने साथ मत ले जाना क्योंकि नीरू का बच्चा तो होगा ही वैसे शादी कब की है।

ऋतु : कल की ही है मैं शाम को नीरू के घर चली जाउंगी। और रात को उसी के घर रूक जाउंगी।

नीरज : नहीं तुम जब शादी से लाौटो तो मुझे फोन कर देना मैं तुम्हें लेने आ जाउंगा।

ऋतु : ठीक है मैं लौट कर नीरू के घर ही आ जाउंगी आप मुझे उसी के घर से ले लेना। जैसे ही हम लोग शादी वाले स्थाान से निकलेेंगे आपको फोन कर देंगे।

इसके बाद ऋतु नीरू को फोन कर बता देती है कि नीरज को उसने तैयार कर लिया है।

रविवार सुबह से ही नीरू का मन बहुत ज्यादा बेचैन था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ जिंदगी कैसा खेल खेल रही है। अब तक वो प्रशांत को ही पूरी तरह से गलत समझती थी। लेकिन अब वो समझ चुकी थी कि प्रशांत भोला और मन का साफ है इसलिए वो नीरज की बातों में जल्दी आ जाता है। उसका मेरे उपर शक करने की बात यदि छोड दी जाए तो उसने जो भी कहा वो सच ही कहा था। नीरज के बारे में उसकी कही हर बात बाद में सच साबित हुई।

काश उस दिन मैंने ही घर न छोडा होता। लेकिन प्रशांत ने भी तो नहीं रोका। उसे रोकना चाहिए था। यदि ऋतु दीदी के साथ उसकी इच्छा के खिलाफ वो सब हुआ था तो उसे बताना चाहिए था। यदि वो रोक लेता तो शायद मैं अपना फैसला बदल देती।
दूसरी ओर प्रशांत के घर में उसकी मां कहती है।

प्रशांत की मां : बेटे आज शादी होने ही आज तो कम से कम ढंग से तैयार हो जा।

प्रशांत : मां क्या कमी है सही तो लग रहा हूं।

प्रशांत की मां : क्या सही लग रहा है ये बड़े बडे बाल, लम्बी दाडी, मूछे। मूछ तो चलो चल भी जाएगी लेकिन बाल और दाडी तो आज साफ करा लें।

प्रशांत : मां आप भी मैं ऐसा ही ठीक हूं और प्रशांत वहां से चला जाता है।

शाम को ऋतु नीरू के घर बैग लेकर पहुंच जाती है। और पहले वो नीरू को तैयार करती है और फिर खुद तैयार होती है।

नीरू : दीदी आपने अविनाश वाली बात नहीं बताई, वो आपकी मदद क्यो कर रहा है।

ऋतु : यार तू जानकर क्या करेगी।

नीरू : नहीं दीदी मुझे जानना है कि जीजाजी का दोस्त उनके खिलाफ आपकी मदद कर रहा है। और वो जीजाजी को बता भी नहीं रहा। जबकि होना इसका उल्टा चाहिए था। उसका करेक्टर भी सही नहीं था। उसके बारे में मैंने जो भी कुछ सुना वो उल्टा ही सुना।

ऋतु: देख अभी हम लोग शादी में चल रहे हैं। वहां से लौटेंगे और समय होगा तो इस पर चर्चा कर लेंगे। क्योंकि अभी बात शुरू की तो फिर जाने कब खत्म होगी।

नीरू : आप प्रोमिस करो कि आप पूरी बात सच सच मुझे बताओगी।

ऋतु : यार जब कह दिया है तो तुझे भरोसा नहीं है।

नीरू : ठीक है दीदी अब तो सिर्फ आप पर ही भरोसा बचा है। बाकी तो जिस पर भी भरोसा किया उसने भरोसे को तोड़ा ही है।

ऋतु : ठीक है जब तुझसे कह दिया तो तुझे जरूर बताउंगी अविनाश मेरी मदद क्यो कर रहा है। और फिर करीब 9 बजे नीरू और ऋतु जहां से शादी हो रही थी वहां पहुंच जाते हैं। बारात आ चुकी थी। और वरमाला का कार्यक्रम मैदान के जिस हिस्से में रखा गया था अभी तक नीरू और ऋतु उस ओर नहीं गए थे। नीरू और ऋतू ने अपना चेहरा थोड़े से घूंघट में ढका हुआ था ताकि कोई आसानी से पहचान न सके .. और सब लोग रस्मो कार्यक्रमों में इतना व्यस्त थे के उनके ऊपर किसी का ख़ास ध्यान नहीं जाता है .. तभी नीरू की नजर वहां एक लडकी पर पडती है जो किसी से बात कर रही थी।

नीरू : दीदी वो सामने आप देख रही है पीले सूट में एक लडकी है जो नीला सूट पहने हुए आदमी से बात कर रही है।

ऋतु : हां दिखाई दे रहा है कौन है ये

नीरू : ये शायद प्रशाांत के मामा की लडकी है, और ये दाडी वाला आदमी इसे मैंने कहीं देखा है हां याद आया इसे अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने शाम के समय अपने आफिस के सामने देखा था। चार पांच दिन लगातार दिखाई दिया था। लेकिन उसके बाद गायब हो गया। कल शाम को भी दिखाई दिया था। लगता है प्रशांत का कोई दोस्त होगा जो मुझ पर नजर रखने के लिए आया है।

ऋतु: अब तुझसे में प्रशांत के शक करने वाली आदतें आने लगी हैं। हो सकता है वो वहीं रहता हो। या फिर कोई और हो जिसे तूने देखा हो।

नीरू : हां ये हो सकता है वैसे भी मैंने उस आदमी को ज्यादा गौर से नहीं देखा था।

ऋतु : तू शक करना बंद कर दे किसी के बारे में भी कुछ भी सोचने लगती है।

तब तक जो आदमी बात कर रहा था वो वहा से जाने लगता है लडकी उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन वो रूकता नहीं है।

नीरू : विचित्र आदमी है लेकिन ये शशि इससे इतना चिपक क्यो रही है।

ऋतु: तू शशि की पूरी फैमिली के जानती है क्या

नीरू : नहीं

ऋतु : ते फिर ज्यादा दिमाग मत लगा उसका कोई रिश्तेदार ही होगा नहीं तो रिश्तेदारों की इतनी भीड़ में वो इस तरह हाथ पकड कर किसी को रोकने की कोशिश नहीं करती।

नीरू : मुस्कुराते हुए हां सही कहा आपने तभी शशि के पास कुछ लडकिया आती है और कहती है कि वारमाला का कार्यक्रम शुरू होने वाला है जल्दी से स्टेज पर चल। और शिशि वहां से चली जाती है।

ऋतु : चलो हम भी चलते हैं प्रशांत की दुल्हन को भी देख लेंगे।

नीरू : बेमन से जाना जरूरी है।

ऋतु : अब आ गए हैं तो वहां चलने में क्या दिक्कत है अरे स्टेज पर नहीं जाएंगे और ऋतु नीरू का हाथ पकड कर अपने साथ ले आती है।

स्टेज पर नीरू की जैसे ही नजर पडती है। उसका मुंह से निकल जाता है। सूरज

ऋतु नीरू के मुंह से निकले शब्द सुन नहीं पाती और कहती है कि ये तो प्रशांत नहीं लग रहा हम कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए।

नीरू : नहीं हम लोग सही जगह पर जाए हैं।

ऋतु : लेकिन ये आदमी तो कोई और है


नीरू : हां ये कोई और ही है ये प्रशांत के चाचा का लडका सूरज है।

ऋतु: विकास लेकिन प्रशांत की मां तो बोल रही थी कि उसके बच्चे की शादी है उसकी पहली बीबी बीच रास्ते में ही छोड गई तो फिर वो क्या था क्या प्रशांत की मां झूठ बोल रही थी।

नीरू : नहीं वो झूठ नहीं कह रहीं थी। दरअसल सूरज को भी वो अपना बेटा ही मानती हैं। और सूरज की पत्नी की एक हादसे में मौत हो गई थी। वो दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। लेकिन लगता है कि घर वालों के दबाव में बाद में मान गया होगा। और प्रशांत की मां ने जो कहा था वो सही ही था। नीरू के चेहरे पर अब राहत दिखाई दे रही थी।

और ऋतु भी ये देखकर खुश थी कि अभी भी उम्मीद बची हुई थी। लेकिन प्रशांत कहां है यदि प्रशांत के भाई की शादी है ऋतु नीरू से पूछती है।

नीरू : अरे इस सवाल का जवाब मैं कैसे दे सकती हूं। एक काम कर तू शशि से पूछ ले।

ऋतु : अरे मैं उससे कैसे बात करूंगी। मैं तो उसे जानती भी नहीं हूं।

नीरू : एक काम करो आप उससे कहना है कि आप प्रशांत के साथ काम करती हो। वैसे शशि भी शायद ही मुझे पहचान पाए क्योंकि मैंने उसे सिर्फ फोटो में ही देखा था। क्योंकि हमारी शादी में वो आई नहीं थी। शायद मुझे पहचान न सके।

ऋतु : ठीक है साथ में ही चलते हैं। मैं उससे बात कर लूंगी। और थोडी देर बाद जब वारमाला का कार्यक्रम समाप्त हो जाता है और शशि खाने के लिए जाती है तो वहां ऋतु और नीरू भी पहुंच जाते हैं।

ऋतु: आप लडकी वालों की तरफ से हैं।

शशि : नहीं हम लडके वालों की ओर से हैं। वैसे आप किस ओर से है

ऋतु : जी मैं किसी ओर से नहीं हूं दरअसल प्रशांत के साथ मैं काम करती थी।

शशि : अच्छा पहले करती होगी

ऋतु : हां लेकिन तुमने कैसे समझ लिया कि पहले करती होंगी।

शशि : इसलिए क्योंकि भैया डेढ साल तो कनाडा में ही रहेें है एक महीने पहले ही वहां से लौटे हैं और अब लडकियों के नाम पर ऐसा बिदकते हैं जैसे कोई भूखा शेर उनके सामने आ गया हो जो उन्हें खा जाएंगे।

ऋतु : हंसते हुए, अच्छा वैसे बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। वैसे प्रशांत है कहां दिखाई नहीं दिया।

शशि : अरे क्या बताउं भैया को बडी मुश्किल से तो बुआ ने तैयार किया। वो यहां आए अभी आधा घंटे पहले चले गए मैंने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की।

नीरू : अभी जो नीले सूट में थे उनकी ही बात कर रही हो।

शशि : हां वो ही थे। आब आप बताओं ये भी कोई बात होती है घर की शादी में बेगानों जैसे शामिल हुए। वैसे आप कौन हैं अपको कहीं देखा सा लग रहा है।

ऋतु : अरे ये मेरी बहन है घर आई हुई थी इसलिए अपने साथ ले आई। अच्छा पहले कुछ खा लेते हैं फिर बाद में मिलते हैं। और ऋतु नीरू को लेकर वहां से दूर हट जाती है। नीरू तेरी कुछ समझ में आया।

नीरू : क्या दीदी

ऋतु : तू क्या बोली थी कि ये आदमी तुझे अपने आफिस के आसपास कुछ दिन पहले दिखाई दिया है। उससे पहले नहीं। जब वो इंडिया में ही नहीं था तो तेरे आफिस कैसे आता। और फोन पर बात तो तू खुद ही समझ सकती है। तुझे मैं परसो सबकुछ बता चुकी हूं।

नीरू : दीदी अब प्रशांत तो यहां आएगा नहीं तो हम लोग भी अपने घर चलते हैं।

ऋतु : ठीक है और वो घर की ओर निकल जाते हैं ऋतु भी नीरज को फोन कर देती है कि वो आ जाए।

नीरू : दीदी आज कुछ हल्का हल्का लग रहा है।

ऋतु : नीरू एक बात तो मानले कि जिस तरह तुझे जब प्रशांत से नफरत थी तब भी तेरे मन में उसके लिए कहीं न कहीं प्यार था। उसी तरह प्रशांत के मन में तेरे प्रति इस समय भले ही कुछ भी हो लेकिन वो तुझसे आज भी प्यार करता है। शशि ने ही कहा था लडकियों के नाम पर तो ऐसा उछलता है जैसा भूखा शेर देख लिया हो।

नीरू : ठीक है दीदी लेकिन आपको अपना प्रॉमिस याद हैं ना।

ऋतु : याद है वो कहानी में तुम्हें कल बताउंगी। लेकिन पहले ये पता करो प्रशांत काम कहां करता है। उसने शादी नहीं की है ये तो साफ।

नीरू : दीदी अब मैं ये कैसे पता कर पाउंगी।

ऋतु: उसकी चिंता तू मत कर वो सब काम मैं देखती हूं।

जारी रहेगी

बहुत ही बेहतरीन अपडेट :applause:

अब निरु को भी अहसास हो गया है कि नीरज को लेकर प्रशांत जो शक करता था वो शक करना गलत नही था, बल्कि उसने ही कभी प्रशांत पर भरोसा नही किया।

अब देखते है कि ऋतु और अविनाश का चक्कर :sex: कब से चल रहा है।
 
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Aamirpqrs

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शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 48

मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 48. ( New-12)


ऋतु : ये एक लम्बी कहानी है अभी वक्त हो रहा है मुझे घर जाना होगा क्योंकि यदि लेट हो गई तो नीरज कई सवाल करने लग जाएगा। लेकिन एक बात याद रखना तू किसी को प्रशांत की शादी में चल रही है या नहीं।

नीरू : उदास होते हुए दीदी अपनी बर्बादी को अपनी आंखों से देखने की अब हिम्मत नहीं है।

ऋतु : देख अभी भी समय है यदि प्रशांत को सबकुछ सही सही पता चल जाता है तो शायद तुम दोनों की गलत फहमी दूर हो जाए।

नीरू : नहीं दीदी अब बहुत देर हो चुकी है। परसो शादी है यदि इस समय हम कोई कदम उठाएंगे तो उस लडकी के बारे में भी सोचिए जिसकी प्रशांत से शादी होने वाली है।

ऋतु : लेकिन तेरा क्या होगा, क्या प्रशांत की शादी होने के बाद तू किसी और से शादी करने को तैयार है।

नीरू : नहीं दीदी अब मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी ऐसे ही अपनी जिंदगी गुजार दूगी वैसे भी निशंक तो मेरे पास है ही, कम से कम जीने का एक मकसद तो होगा।

ऋतु : तो तू नहीं चल रही इसका मतलब

नीरू : नहीं दीदी मुझमें हिम्मत नहीं है।

ऋतु : एक बार प्रशांत को नहीं देखेगी, उसे उसका बच्चा नहीं दिखाएगी। देख जो होगा वो देखा जाएगा। प्रशांत तुझे गलत समझता है और इसीलिए शादी के लिए तैयार हुआ है। तू चाहती है कि प्रशांत नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करें और खुश रहे तो तू उसे सच मत बताना। वो तुझे गलत समझेगा और तुझे खाने का उसे गम नहीं होगा। लेकिन तूने उसे सच्चाई बताई या उसे कहीं और से पता चली तो बेचारा घुटता रहेगा।

नीरू: तो मैं क्या करूं

ऋतु : हम लोग शादी में चलेंगे। लेकिन एक बात याद रखना

नीरू : क्या,

ऋतु: देख जो कॉल रिकॉर्डिग मैंने तुझे सुनाई वो पांच दिन पुरानी है। और नीरज और प्रशांत की बातों से ये लग रहा है कि नीरज को ये नहीं मालूम कि प्रशांत इंडिया आ चुका है वो ये ही समझ रहा है कि प्रशांत अभी भी कनाडा में ही है।

नीरू : इससे क्या होगा।

ऋतु : यार शादी में हम दोनों ही जाएंगे नीरज को इस बारे में बताएंगे भी नहीं।

नीरू : वैसे भी मैं तो जीजाजी से बात ही नहीं करती, उनकी भी हिम्मत ने ही जो मुझसे फालतू की बातें करें। उन्होंने मेरा भरोसा तो तोडा ही है और अभी भी उनके दिमाग में मेरे प्रति जो गंदगी भरी हुई है। उसे सुनने के बाद तो मैं उनकी सूरत से भी नफरत करने लगी हूं।

ऋतु : देख नीरज पर भडक कर तू अपना ही नुकसान मत कर लेना। तेरा तो पता नहीं लेकिन मेरा बसा हुआ घर तबाह हो जाएगा। प्लीज नीरज को ऐसी कोई बात मत बताना जो मैने तुझे बताई है।

नीरू : ठीक है लेकिन आप आएंगी कैसे, जीजाजी शक नहीं करेंगे जो आप रात भर गायब रहेंगी। और वैसे भी कल शनिवार और परसो रविवार दोनों दिन जीजाजी घर पर ही होंगे।

ऋतु :तू ये सब मेरे उपर छोड दो। बस तू तैयार रहना।

नीरू : ठीक है दीदी, कल का ही दिन बीच में हैं।

ऋतु : हां और वहां रोनी सूरत बनाकर नहीं जाना है समझ गई।

नीरू : फीकी मुस्कान के साथ कहती है ठीक है। और इसके बाद ऋतु नीरू के घर से अपने घर चली जाती है।

नीरू के मन में अब उथल पुथल मची हुई थी। वो समझ चुकी थी कि उसके जीजाजी ने ही प्रशांत और उसके बीच में दूरियां बढ़ाई है। प्रशांत का उस पर शक करना तो गलत था लेकिन प्रशांत नीरज की मंशा पहले ही भांप गया था। जिस कारण वो मुझे लगातार ताने देता था। लेकिन मेरा अपने और जीजाजी के उपर जो भरोसा था उस कारण मैंने प्रशांत पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। मैंने प्रशांत से प्यार तो किया लेकिन उस पर भरोसा नहीं कर पाई और इसी बात का फायदा जीजाजी ने उठा लिया। लेकिन अब हो भी क्या सकता है प्रशांत की तो दूसरी शादी होने वाली है और अब इतना समय भी नहीं बचा है कि कुछ हो सके। घर के लोग तो शादी के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। और ये सोचते हुए नीरू की आंखों में आंसू और तेजी से बहने लगते हैं।

दूसरे दिन ऋतु के घर
ऋतु : सुनो एक काम था आपसे

नीरज : हां बोलो,

ऋतु : वो क्या है कि नीरू के आफिस में एक लडकी काम करती है उसकी शादी है। वो नीरू से अपनी शादी में आने का दबाव बना रही है। लेकिन नीरू का कहना है कि वो अकेले नहीं जाएगी। उसका मेरे पास फोन भी आया था। वैसे भी तो वो कहीं आती जाती नहीं है। मेरे विचार से उसे जाना चाहिए।

नीरज : हां जाना तो चाहिए लेकिन तुम्हारी बहन बहुत जिदï्दी है। दो साल होने को हैं लेकिन आज भी वो मुझसे सीधी मुंह बात ही नहीं करती। सीधी मुंह का वो तो बात ही नहीं करती।

ऋतु : वो इस घटना को भूल नहीं पा रहीं है साथ ही नीरज भी उससे दूर चला गया है। खैर उन बातों को छोडो। मैंने भी नीरू से कहा था कि उसे जाना चाहिए। लेकिन वो अकेले होने के कारण जाने को तैयार नहीं है। मैं सोच रही थी कि मैं उसे अपने साथ ले जाउं। जिससे शादी में उसके अकेलापन भी फील नहीं होगा।

नीरज : हां ये ठीक है ऐसा करता हूं मैं भी चलता हूं।

ऋतु : नहीं नहीं आप जाएंगे तो फिर नीरू किसी भी कीमत पर चलने को तैयार नहीं होगी।

नीरज : यार तुम ही उसे मनाओ, ऐसे गुस्सा करने से कोई फायदा थोडे ही है।

ऋतु : देखों अभी एकदम से तो उसे तैयार नहीं कर पाउंगी लेकिन धीरे धीरे कोशिश करूंगी ताकि वो आपके साथ फिर से बातचीत शुरू कर सकेे।

ऋतु की बात से नीरज मन ही मन खुश होता है और सोचता है कि एक बार नीरू से पहले जैसी बातचीत शुरू हो जाए तो फिर वो नीरू को किसी न किसी तरह अपने जाल में फंसा ही लोगा। और नीरज ऋतु को जाने की इजाजत दे देता है।

नीरज : ठीक है तुम नीरू के साथ चली जाना, बच्चे को मेरे पास छोड देना, उसे अपने साथ मत ले जाना क्योंकि नीरू का बच्चा तो होगा ही वैसे शादी कब की है।

ऋतु : कल की ही है मैं शाम को नीरू के घर चली जाउंगी। और रात को उसी के घर रूक जाउंगी।

नीरज : नहीं तुम जब शादी से लाौटो तो मुझे फोन कर देना मैं तुम्हें लेने आ जाउंगा।

ऋतु : ठीक है मैं लौट कर नीरू के घर ही आ जाउंगी आप मुझे उसी के घर से ले लेना। जैसे ही हम लोग शादी वाले स्थाान से निकलेेंगे आपको फोन कर देंगे।

इसके बाद ऋतु नीरू को फोन कर बता देती है कि नीरज को उसने तैयार कर लिया है।

रविवार सुबह से ही नीरू का मन बहुत ज्यादा बेचैन था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ जिंदगी कैसा खेल खेल रही है। अब तक वो प्रशांत को ही पूरी तरह से गलत समझती थी। लेकिन अब वो समझ चुकी थी कि प्रशांत भोला और मन का साफ है इसलिए वो नीरज की बातों में जल्दी आ जाता है। उसका मेरे उपर शक करने की बात यदि छोड दी जाए तो उसने जो भी कहा वो सच ही कहा था। नीरज के बारे में उसकी कही हर बात बाद में सच साबित हुई।

काश उस दिन मैंने ही घर न छोडा होता। लेकिन प्रशांत ने भी तो नहीं रोका। उसे रोकना चाहिए था। यदि ऋतु दीदी के साथ उसकी इच्छा के खिलाफ वो सब हुआ था तो उसे बताना चाहिए था। यदि वो रोक लेता तो शायद मैं अपना फैसला बदल देती।
दूसरी ओर प्रशांत के घर में उसकी मां कहती है।

प्रशांत की मां : बेटे आज शादी होने ही आज तो कम से कम ढंग से तैयार हो जा।

प्रशांत : मां क्या कमी है सही तो लग रहा हूं।

प्रशांत की मां : क्या सही लग रहा है ये बड़े बडे बाल, लम्बी दाडी, मूछे। मूछ तो चलो चल भी जाएगी लेकिन बाल और दाडी तो आज साफ करा लें।

प्रशांत : मां आप भी मैं ऐसा ही ठीक हूं और प्रशांत वहां से चला जाता है।

शाम को ऋतु नीरू के घर बैग लेकर पहुंच जाती है। और पहले वो नीरू को तैयार करती है और फिर खुद तैयार होती है।

नीरू : दीदी आपने अविनाश वाली बात नहीं बताई, वो आपकी मदद क्यो कर रहा है।

ऋतु : यार तू जानकर क्या करेगी।

नीरू : नहीं दीदी मुझे जानना है कि जीजाजी का दोस्त उनके खिलाफ आपकी मदद कर रहा है। और वो जीजाजी को बता भी नहीं रहा। जबकि होना इसका उल्टा चाहिए था। उसका करेक्टर भी सही नहीं था। उसके बारे में मैंने जो भी कुछ सुना वो उल्टा ही सुना।

ऋतु: देख अभी हम लोग शादी में चल रहे हैं। वहां से लौटेंगे और समय होगा तो इस पर चर्चा कर लेंगे। क्योंकि अभी बात शुरू की तो फिर जाने कब खत्म होगी।

नीरू : आप प्रोमिस करो कि आप पूरी बात सच सच मुझे बताओगी।

ऋतु : यार जब कह दिया है तो तुझे भरोसा नहीं है।

नीरू : ठीक है दीदी अब तो सिर्फ आप पर ही भरोसा बचा है। बाकी तो जिस पर भी भरोसा किया उसने भरोसे को तोड़ा ही है।

ऋतु : ठीक है जब तुझसे कह दिया तो तुझे जरूर बताउंगी अविनाश मेरी मदद क्यो कर रहा है। और फिर करीब 9 बजे नीरू और ऋतु जहां से शादी हो रही थी वहां पहुंच जाते हैं। बारात आ चुकी थी। और वरमाला का कार्यक्रम मैदान के जिस हिस्से में रखा गया था अभी तक नीरू और ऋतु उस ओर नहीं गए थे। नीरू और ऋतू ने अपना चेहरा थोड़े से घूंघट में ढका हुआ था ताकि कोई आसानी से पहचान न सके .. और सब लोग रस्मो कार्यक्रमों में इतना व्यस्त थे के उनके ऊपर किसी का ख़ास ध्यान नहीं जाता है .. तभी नीरू की नजर वहां एक लडकी पर पडती है जो किसी से बात कर रही थी।

नीरू : दीदी वो सामने आप देख रही है पीले सूट में एक लडकी है जो नीला सूट पहने हुए आदमी से बात कर रही है।

ऋतु : हां दिखाई दे रहा है कौन है ये

नीरू : ये शायद प्रशाांत के मामा की लडकी है, और ये दाडी वाला आदमी इसे मैंने कहीं देखा है हां याद आया इसे अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने शाम के समय अपने आफिस के सामने देखा था। चार पांच दिन लगातार दिखाई दिया था। लेकिन उसके बाद गायब हो गया। कल शाम को भी दिखाई दिया था। लगता है प्रशांत का कोई दोस्त होगा जो मुझ पर नजर रखने के लिए आया है।

ऋतु: अब तुझसे में प्रशांत के शक करने वाली आदतें आने लगी हैं। हो सकता है वो वहीं रहता हो। या फिर कोई और हो जिसे तूने देखा हो।

नीरू : हां ये हो सकता है वैसे भी मैंने उस आदमी को ज्यादा गौर से नहीं देखा था।

ऋतु : तू शक करना बंद कर दे किसी के बारे में भी कुछ भी सोचने लगती है।

तब तक जो आदमी बात कर रहा था वो वहा से जाने लगता है लडकी उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन वो रूकता नहीं है।

नीरू : विचित्र आदमी है लेकिन ये शशि इससे इतना चिपक क्यो रही है।

ऋतु: तू शशि की पूरी फैमिली के जानती है क्या

नीरू : नहीं

ऋतु : ते फिर ज्यादा दिमाग मत लगा उसका कोई रिश्तेदार ही होगा नहीं तो रिश्तेदारों की इतनी भीड़ में वो इस तरह हाथ पकड कर किसी को रोकने की कोशिश नहीं करती।

नीरू : मुस्कुराते हुए हां सही कहा आपने तभी शशि के पास कुछ लडकिया आती है और कहती है कि वारमाला का कार्यक्रम शुरू होने वाला है जल्दी से स्टेज पर चल। और शिशि वहां से चली जाती है।

ऋतु : चलो हम भी चलते हैं प्रशांत की दुल्हन को भी देख लेंगे।

नीरू : बेमन से जाना जरूरी है।

ऋतु : अब आ गए हैं तो वहां चलने में क्या दिक्कत है अरे स्टेज पर नहीं जाएंगे और ऋतु नीरू का हाथ पकड कर अपने साथ ले आती है।

स्टेज पर नीरू की जैसे ही नजर पडती है। उसका मुंह से निकल जाता है। सूरज

ऋतु नीरू के मुंह से निकले शब्द सुन नहीं पाती और कहती है कि ये तो प्रशांत नहीं लग रहा हम कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए।

नीरू : नहीं हम लोग सही जगह पर जाए हैं।

ऋतु : लेकिन ये आदमी तो कोई और है


नीरू : हां ये कोई और ही है ये प्रशांत के चाचा का लडका सूरज है।

ऋतु: विकास लेकिन प्रशांत की मां तो बोल रही थी कि उसके बच्चे की शादी है उसकी पहली बीबी बीच रास्ते में ही छोड गई तो फिर वो क्या था क्या प्रशांत की मां झूठ बोल रही थी।

नीरू : नहीं वो झूठ नहीं कह रहीं थी। दरअसल सूरज को भी वो अपना बेटा ही मानती हैं। और सूरज की पत्नी की एक हादसे में मौत हो गई थी। वो दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। लेकिन लगता है कि घर वालों के दबाव में बाद में मान गया होगा। और प्रशांत की मां ने जो कहा था वो सही ही था। नीरू के चेहरे पर अब राहत दिखाई दे रही थी।

और ऋतु भी ये देखकर खुश थी कि अभी भी उम्मीद बची हुई थी। लेकिन प्रशांत कहां है यदि प्रशांत के भाई की शादी है ऋतु नीरू से पूछती है।

नीरू : अरे इस सवाल का जवाब मैं कैसे दे सकती हूं। एक काम कर तू शशि से पूछ ले।

ऋतु : अरे मैं उससे कैसे बात करूंगी। मैं तो उसे जानती भी नहीं हूं।

नीरू : एक काम करो आप उससे कहना है कि आप प्रशांत के साथ काम करती हो। वैसे शशि भी शायद ही मुझे पहचान पाए क्योंकि मैंने उसे सिर्फ फोटो में ही देखा था। क्योंकि हमारी शादी में वो आई नहीं थी। शायद मुझे पहचान न सके।

ऋतु : ठीक है साथ में ही चलते हैं। मैं उससे बात कर लूंगी। और थोडी देर बाद जब वारमाला का कार्यक्रम समाप्त हो जाता है और शशि खाने के लिए जाती है तो वहां ऋतु और नीरू भी पहुंच जाते हैं।

ऋतु: आप लडकी वालों की तरफ से हैं।

शशि : नहीं हम लडके वालों की ओर से हैं। वैसे आप किस ओर से है

ऋतु : जी मैं किसी ओर से नहीं हूं दरअसल प्रशांत के साथ मैं काम करती थी।

शशि : अच्छा पहले करती होगी

ऋतु : हां लेकिन तुमने कैसे समझ लिया कि पहले करती होंगी।

शशि : इसलिए क्योंकि भैया डेढ साल तो कनाडा में ही रहेें है एक महीने पहले ही वहां से लौटे हैं और अब लडकियों के नाम पर ऐसा बिदकते हैं जैसे कोई भूखा शेर उनके सामने आ गया हो जो उन्हें खा जाएंगे।

ऋतु : हंसते हुए, अच्छा वैसे बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। वैसे प्रशांत है कहां दिखाई नहीं दिया।

शशि : अरे क्या बताउं भैया को बडी मुश्किल से तो बुआ ने तैयार किया। वो यहां आए अभी आधा घंटे पहले चले गए मैंने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की।

नीरू : अभी जो नीले सूट में थे उनकी ही बात कर रही हो।

शशि : हां वो ही थे। आब आप बताओं ये भी कोई बात होती है घर की शादी में बेगानों जैसे शामिल हुए। वैसे आप कौन हैं अपको कहीं देखा सा लग रहा है।

ऋतु : अरे ये मेरी बहन है घर आई हुई थी इसलिए अपने साथ ले आई। अच्छा पहले कुछ खा लेते हैं फिर बाद में मिलते हैं। और ऋतु नीरू को लेकर वहां से दूर हट जाती है। नीरू तेरी कुछ समझ में आया।

नीरू : क्या दीदी

ऋतु : तू क्या बोली थी कि ये आदमी तुझे अपने आफिस के आसपास कुछ दिन पहले दिखाई दिया है। उससे पहले नहीं। जब वो इंडिया में ही नहीं था तो तेरे आफिस कैसे आता। और फोन पर बात तो तू खुद ही समझ सकती है। तुझे मैं परसो सबकुछ बता चुकी हूं।

नीरू : दीदी अब प्रशांत तो यहां आएगा नहीं तो हम लोग भी अपने घर चलते हैं।

ऋतु : ठीक है और वो घर की ओर निकल जाते हैं ऋतु भी नीरज को फोन कर देती है कि वो आ जाए।

नीरू : दीदी आज कुछ हल्का हल्का लग रहा है।

ऋतु : नीरू एक बात तो मानले कि जिस तरह तुझे जब प्रशांत से नफरत थी तब भी तेरे मन में उसके लिए कहीं न कहीं प्यार था। उसी तरह प्रशांत के मन में तेरे प्रति इस समय भले ही कुछ भी हो लेकिन वो तुझसे आज भी प्यार करता है। शशि ने ही कहा था लडकियों के नाम पर तो ऐसा उछलता है जैसा भूखा शेर देख लिया हो।

नीरू : ठीक है दीदी लेकिन आपको अपना प्रॉमिस याद हैं ना।

ऋतु : याद है वो कहानी में तुम्हें कल बताउंगी। लेकिन पहले ये पता करो प्रशांत काम कहां करता है। उसने शादी नहीं की है ये तो साफ।

नीरू : दीदी अब मैं ये कैसे पता कर पाउंगी।

ऋतु: उसकी चिंता तू मत कर वो सब काम मैं देखती हूं।

जारी रहेगी
Superb update bro❤
Ab Prashant aur neeru jaldi se ek ho jaayen
Aur ritu k saath milkar Neeraz ko uske kiye ki bhayanak sza den👍
 

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शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 48

मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 48. ( New-12)


ऋतु : ये एक लम्बी कहानी है अभी वक्त हो रहा है मुझे घर जाना होगा क्योंकि यदि लेट हो गई तो नीरज कई सवाल करने लग जाएगा। लेकिन एक बात याद रखना तू किसी को प्रशांत की शादी में चल रही है या नहीं।

नीरू : उदास होते हुए दीदी अपनी बर्बादी को अपनी आंखों से देखने की अब हिम्मत नहीं है।

ऋतु : देख अभी भी समय है यदि प्रशांत को सबकुछ सही सही पता चल जाता है तो शायद तुम दोनों की गलत फहमी दूर हो जाए।

नीरू : नहीं दीदी अब बहुत देर हो चुकी है। परसो शादी है यदि इस समय हम कोई कदम उठाएंगे तो उस लडकी के बारे में भी सोचिए जिसकी प्रशांत से शादी होने वाली है।

ऋतु : लेकिन तेरा क्या होगा, क्या प्रशांत की शादी होने के बाद तू किसी और से शादी करने को तैयार है।

नीरू : नहीं दीदी अब मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी ऐसे ही अपनी जिंदगी गुजार दूगी वैसे भी निशंक तो मेरे पास है ही, कम से कम जीने का एक मकसद तो होगा।

ऋतु : तो तू नहीं चल रही इसका मतलब

नीरू : नहीं दीदी मुझमें हिम्मत नहीं है।

ऋतु : एक बार प्रशांत को नहीं देखेगी, उसे उसका बच्चा नहीं दिखाएगी। देख जो होगा वो देखा जाएगा। प्रशांत तुझे गलत समझता है और इसीलिए शादी के लिए तैयार हुआ है। तू चाहती है कि प्रशांत नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करें और खुश रहे तो तू उसे सच मत बताना। वो तुझे गलत समझेगा और तुझे खाने का उसे गम नहीं होगा। लेकिन तूने उसे सच्चाई बताई या उसे कहीं और से पता चली तो बेचारा घुटता रहेगा।

नीरू: तो मैं क्या करूं

ऋतु : हम लोग शादी में चलेंगे। लेकिन एक बात याद रखना

नीरू : क्या,

ऋतु: देख जो कॉल रिकॉर्डिग मैंने तुझे सुनाई वो पांच दिन पुरानी है। और नीरज और प्रशांत की बातों से ये लग रहा है कि नीरज को ये नहीं मालूम कि प्रशांत इंडिया आ चुका है वो ये ही समझ रहा है कि प्रशांत अभी भी कनाडा में ही है।

नीरू : इससे क्या होगा।

ऋतु : यार शादी में हम दोनों ही जाएंगे नीरज को इस बारे में बताएंगे भी नहीं।

नीरू : वैसे भी मैं तो जीजाजी से बात ही नहीं करती, उनकी भी हिम्मत ने ही जो मुझसे फालतू की बातें करें। उन्होंने मेरा भरोसा तो तोडा ही है और अभी भी उनके दिमाग में मेरे प्रति जो गंदगी भरी हुई है। उसे सुनने के बाद तो मैं उनकी सूरत से भी नफरत करने लगी हूं।

ऋतु : देख नीरज पर भडक कर तू अपना ही नुकसान मत कर लेना। तेरा तो पता नहीं लेकिन मेरा बसा हुआ घर तबाह हो जाएगा। प्लीज नीरज को ऐसी कोई बात मत बताना जो मैने तुझे बताई है।

नीरू : ठीक है लेकिन आप आएंगी कैसे, जीजाजी शक नहीं करेंगे जो आप रात भर गायब रहेंगी। और वैसे भी कल शनिवार और परसो रविवार दोनों दिन जीजाजी घर पर ही होंगे।

ऋतु :तू ये सब मेरे उपर छोड दो। बस तू तैयार रहना।

नीरू : ठीक है दीदी, कल का ही दिन बीच में हैं।

ऋतु : हां और वहां रोनी सूरत बनाकर नहीं जाना है समझ गई।

नीरू : फीकी मुस्कान के साथ कहती है ठीक है। और इसके बाद ऋतु नीरू के घर से अपने घर चली जाती है।

नीरू के मन में अब उथल पुथल मची हुई थी। वो समझ चुकी थी कि उसके जीजाजी ने ही प्रशांत और उसके बीच में दूरियां बढ़ाई है। प्रशांत का उस पर शक करना तो गलत था लेकिन प्रशांत नीरज की मंशा पहले ही भांप गया था। जिस कारण वो मुझे लगातार ताने देता था। लेकिन मेरा अपने और जीजाजी के उपर जो भरोसा था उस कारण मैंने प्रशांत पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। मैंने प्रशांत से प्यार तो किया लेकिन उस पर भरोसा नहीं कर पाई और इसी बात का फायदा जीजाजी ने उठा लिया। लेकिन अब हो भी क्या सकता है प्रशांत की तो दूसरी शादी होने वाली है और अब इतना समय भी नहीं बचा है कि कुछ हो सके। घर के लोग तो शादी के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। और ये सोचते हुए नीरू की आंखों में आंसू और तेजी से बहने लगते हैं।

दूसरे दिन ऋतु के घर
ऋतु : सुनो एक काम था आपसे

नीरज : हां बोलो,

ऋतु : वो क्या है कि नीरू के आफिस में एक लडकी काम करती है उसकी शादी है। वो नीरू से अपनी शादी में आने का दबाव बना रही है। लेकिन नीरू का कहना है कि वो अकेले नहीं जाएगी। उसका मेरे पास फोन भी आया था। वैसे भी तो वो कहीं आती जाती नहीं है। मेरे विचार से उसे जाना चाहिए।

नीरज : हां जाना तो चाहिए लेकिन तुम्हारी बहन बहुत जिदï्दी है। दो साल होने को हैं लेकिन आज भी वो मुझसे सीधी मुंह बात ही नहीं करती। सीधी मुंह का वो तो बात ही नहीं करती।

ऋतु : वो इस घटना को भूल नहीं पा रहीं है साथ ही नीरज भी उससे दूर चला गया है। खैर उन बातों को छोडो। मैंने भी नीरू से कहा था कि उसे जाना चाहिए। लेकिन वो अकेले होने के कारण जाने को तैयार नहीं है। मैं सोच रही थी कि मैं उसे अपने साथ ले जाउं। जिससे शादी में उसके अकेलापन भी फील नहीं होगा।

नीरज : हां ये ठीक है ऐसा करता हूं मैं भी चलता हूं।

ऋतु : नहीं नहीं आप जाएंगे तो फिर नीरू किसी भी कीमत पर चलने को तैयार नहीं होगी।

नीरज : यार तुम ही उसे मनाओ, ऐसे गुस्सा करने से कोई फायदा थोडे ही है।

ऋतु : देखों अभी एकदम से तो उसे तैयार नहीं कर पाउंगी लेकिन धीरे धीरे कोशिश करूंगी ताकि वो आपके साथ फिर से बातचीत शुरू कर सकेे।

ऋतु की बात से नीरज मन ही मन खुश होता है और सोचता है कि एक बार नीरू से पहले जैसी बातचीत शुरू हो जाए तो फिर वो नीरू को किसी न किसी तरह अपने जाल में फंसा ही लोगा। और नीरज ऋतु को जाने की इजाजत दे देता है।

नीरज : ठीक है तुम नीरू के साथ चली जाना, बच्चे को मेरे पास छोड देना, उसे अपने साथ मत ले जाना क्योंकि नीरू का बच्चा तो होगा ही वैसे शादी कब की है।

ऋतु : कल की ही है मैं शाम को नीरू के घर चली जाउंगी। और रात को उसी के घर रूक जाउंगी।

नीरज : नहीं तुम जब शादी से लाौटो तो मुझे फोन कर देना मैं तुम्हें लेने आ जाउंगा।

ऋतु : ठीक है मैं लौट कर नीरू के घर ही आ जाउंगी आप मुझे उसी के घर से ले लेना। जैसे ही हम लोग शादी वाले स्थाान से निकलेेंगे आपको फोन कर देंगे।

इसके बाद ऋतु नीरू को फोन कर बता देती है कि नीरज को उसने तैयार कर लिया है।

रविवार सुबह से ही नीरू का मन बहुत ज्यादा बेचैन था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ जिंदगी कैसा खेल खेल रही है। अब तक वो प्रशांत को ही पूरी तरह से गलत समझती थी। लेकिन अब वो समझ चुकी थी कि प्रशांत भोला और मन का साफ है इसलिए वो नीरज की बातों में जल्दी आ जाता है। उसका मेरे उपर शक करने की बात यदि छोड दी जाए तो उसने जो भी कहा वो सच ही कहा था। नीरज के बारे में उसकी कही हर बात बाद में सच साबित हुई।

काश उस दिन मैंने ही घर न छोडा होता। लेकिन प्रशांत ने भी तो नहीं रोका। उसे रोकना चाहिए था। यदि ऋतु दीदी के साथ उसकी इच्छा के खिलाफ वो सब हुआ था तो उसे बताना चाहिए था। यदि वो रोक लेता तो शायद मैं अपना फैसला बदल देती।
दूसरी ओर प्रशांत के घर में उसकी मां कहती है।

प्रशांत की मां : बेटे आज शादी होने ही आज तो कम से कम ढंग से तैयार हो जा।

प्रशांत : मां क्या कमी है सही तो लग रहा हूं।

प्रशांत की मां : क्या सही लग रहा है ये बड़े बडे बाल, लम्बी दाडी, मूछे। मूछ तो चलो चल भी जाएगी लेकिन बाल और दाडी तो आज साफ करा लें।

प्रशांत : मां आप भी मैं ऐसा ही ठीक हूं और प्रशांत वहां से चला जाता है।

शाम को ऋतु नीरू के घर बैग लेकर पहुंच जाती है। और पहले वो नीरू को तैयार करती है और फिर खुद तैयार होती है।

नीरू : दीदी आपने अविनाश वाली बात नहीं बताई, वो आपकी मदद क्यो कर रहा है।

ऋतु : यार तू जानकर क्या करेगी।

नीरू : नहीं दीदी मुझे जानना है कि जीजाजी का दोस्त उनके खिलाफ आपकी मदद कर रहा है। और वो जीजाजी को बता भी नहीं रहा। जबकि होना इसका उल्टा चाहिए था। उसका करेक्टर भी सही नहीं था। उसके बारे में मैंने जो भी कुछ सुना वो उल्टा ही सुना।

ऋतु: देख अभी हम लोग शादी में चल रहे हैं। वहां से लौटेंगे और समय होगा तो इस पर चर्चा कर लेंगे। क्योंकि अभी बात शुरू की तो फिर जाने कब खत्म होगी।

नीरू : आप प्रोमिस करो कि आप पूरी बात सच सच मुझे बताओगी।

ऋतु : यार जब कह दिया है तो तुझे भरोसा नहीं है।

नीरू : ठीक है दीदी अब तो सिर्फ आप पर ही भरोसा बचा है। बाकी तो जिस पर भी भरोसा किया उसने भरोसे को तोड़ा ही है।

ऋतु : ठीक है जब तुझसे कह दिया तो तुझे जरूर बताउंगी अविनाश मेरी मदद क्यो कर रहा है। और फिर करीब 9 बजे नीरू और ऋतु जहां से शादी हो रही थी वहां पहुंच जाते हैं। बारात आ चुकी थी। और वरमाला का कार्यक्रम मैदान के जिस हिस्से में रखा गया था अभी तक नीरू और ऋतु उस ओर नहीं गए थे। नीरू और ऋतू ने अपना चेहरा थोड़े से घूंघट में ढका हुआ था ताकि कोई आसानी से पहचान न सके .. और सब लोग रस्मो कार्यक्रमों में इतना व्यस्त थे के उनके ऊपर किसी का ख़ास ध्यान नहीं जाता है .. तभी नीरू की नजर वहां एक लडकी पर पडती है जो किसी से बात कर रही थी।

नीरू : दीदी वो सामने आप देख रही है पीले सूट में एक लडकी है जो नीला सूट पहने हुए आदमी से बात कर रही है।

ऋतु : हां दिखाई दे रहा है कौन है ये

नीरू : ये शायद प्रशाांत के मामा की लडकी है, और ये दाडी वाला आदमी इसे मैंने कहीं देखा है हां याद आया इसे अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने शाम के समय अपने आफिस के सामने देखा था। चार पांच दिन लगातार दिखाई दिया था। लेकिन उसके बाद गायब हो गया। कल शाम को भी दिखाई दिया था। लगता है प्रशांत का कोई दोस्त होगा जो मुझ पर नजर रखने के लिए आया है।

ऋतु: अब तुझसे में प्रशांत के शक करने वाली आदतें आने लगी हैं। हो सकता है वो वहीं रहता हो। या फिर कोई और हो जिसे तूने देखा हो।

नीरू : हां ये हो सकता है वैसे भी मैंने उस आदमी को ज्यादा गौर से नहीं देखा था।

ऋतु : तू शक करना बंद कर दे किसी के बारे में भी कुछ भी सोचने लगती है।

तब तक जो आदमी बात कर रहा था वो वहा से जाने लगता है लडकी उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन वो रूकता नहीं है।

नीरू : विचित्र आदमी है लेकिन ये शशि इससे इतना चिपक क्यो रही है।

ऋतु: तू शशि की पूरी फैमिली के जानती है क्या

नीरू : नहीं

ऋतु : ते फिर ज्यादा दिमाग मत लगा उसका कोई रिश्तेदार ही होगा नहीं तो रिश्तेदारों की इतनी भीड़ में वो इस तरह हाथ पकड कर किसी को रोकने की कोशिश नहीं करती।

नीरू : मुस्कुराते हुए हां सही कहा आपने तभी शशि के पास कुछ लडकिया आती है और कहती है कि वारमाला का कार्यक्रम शुरू होने वाला है जल्दी से स्टेज पर चल। और शिशि वहां से चली जाती है।

ऋतु : चलो हम भी चलते हैं प्रशांत की दुल्हन को भी देख लेंगे।

नीरू : बेमन से जाना जरूरी है।

ऋतु : अब आ गए हैं तो वहां चलने में क्या दिक्कत है अरे स्टेज पर नहीं जाएंगे और ऋतु नीरू का हाथ पकड कर अपने साथ ले आती है।

स्टेज पर नीरू की जैसे ही नजर पडती है। उसका मुंह से निकल जाता है। सूरज

ऋतु नीरू के मुंह से निकले शब्द सुन नहीं पाती और कहती है कि ये तो प्रशांत नहीं लग रहा हम कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए।

नीरू : नहीं हम लोग सही जगह पर जाए हैं।

ऋतु : लेकिन ये आदमी तो कोई और है


नीरू : हां ये कोई और ही है ये प्रशांत के चाचा का लडका सूरज है।

ऋतु: विकास लेकिन प्रशांत की मां तो बोल रही थी कि उसके बच्चे की शादी है उसकी पहली बीबी बीच रास्ते में ही छोड गई तो फिर वो क्या था क्या प्रशांत की मां झूठ बोल रही थी।

नीरू : नहीं वो झूठ नहीं कह रहीं थी। दरअसल सूरज को भी वो अपना बेटा ही मानती हैं। और सूरज की पत्नी की एक हादसे में मौत हो गई थी। वो दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। लेकिन लगता है कि घर वालों के दबाव में बाद में मान गया होगा। और प्रशांत की मां ने जो कहा था वो सही ही था। नीरू के चेहरे पर अब राहत दिखाई दे रही थी।

और ऋतु भी ये देखकर खुश थी कि अभी भी उम्मीद बची हुई थी। लेकिन प्रशांत कहां है यदि प्रशांत के भाई की शादी है ऋतु नीरू से पूछती है।

नीरू : अरे इस सवाल का जवाब मैं कैसे दे सकती हूं। एक काम कर तू शशि से पूछ ले।

ऋतु : अरे मैं उससे कैसे बात करूंगी। मैं तो उसे जानती भी नहीं हूं।

नीरू : एक काम करो आप उससे कहना है कि आप प्रशांत के साथ काम करती हो। वैसे शशि भी शायद ही मुझे पहचान पाए क्योंकि मैंने उसे सिर्फ फोटो में ही देखा था। क्योंकि हमारी शादी में वो आई नहीं थी। शायद मुझे पहचान न सके।

ऋतु : ठीक है साथ में ही चलते हैं। मैं उससे बात कर लूंगी। और थोडी देर बाद जब वारमाला का कार्यक्रम समाप्त हो जाता है और शशि खाने के लिए जाती है तो वहां ऋतु और नीरू भी पहुंच जाते हैं।

ऋतु: आप लडकी वालों की तरफ से हैं।

शशि : नहीं हम लडके वालों की ओर से हैं। वैसे आप किस ओर से है

ऋतु : जी मैं किसी ओर से नहीं हूं दरअसल प्रशांत के साथ मैं काम करती थी।

शशि : अच्छा पहले करती होगी

ऋतु : हां लेकिन तुमने कैसे समझ लिया कि पहले करती होंगी।

शशि : इसलिए क्योंकि भैया डेढ साल तो कनाडा में ही रहेें है एक महीने पहले ही वहां से लौटे हैं और अब लडकियों के नाम पर ऐसा बिदकते हैं जैसे कोई भूखा शेर उनके सामने आ गया हो जो उन्हें खा जाएंगे।

ऋतु : हंसते हुए, अच्छा वैसे बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। वैसे प्रशांत है कहां दिखाई नहीं दिया।

शशि : अरे क्या बताउं भैया को बडी मुश्किल से तो बुआ ने तैयार किया। वो यहां आए अभी आधा घंटे पहले चले गए मैंने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की।

नीरू : अभी जो नीले सूट में थे उनकी ही बात कर रही हो।

शशि : हां वो ही थे। आब आप बताओं ये भी कोई बात होती है घर की शादी में बेगानों जैसे शामिल हुए। वैसे आप कौन हैं अपको कहीं देखा सा लग रहा है।

ऋतु : अरे ये मेरी बहन है घर आई हुई थी इसलिए अपने साथ ले आई। अच्छा पहले कुछ खा लेते हैं फिर बाद में मिलते हैं। और ऋतु नीरू को लेकर वहां से दूर हट जाती है। नीरू तेरी कुछ समझ में आया।

नीरू : क्या दीदी

ऋतु : तू क्या बोली थी कि ये आदमी तुझे अपने आफिस के आसपास कुछ दिन पहले दिखाई दिया है। उससे पहले नहीं। जब वो इंडिया में ही नहीं था तो तेरे आफिस कैसे आता। और फोन पर बात तो तू खुद ही समझ सकती है। तुझे मैं परसो सबकुछ बता चुकी हूं।

नीरू : दीदी अब प्रशांत तो यहां आएगा नहीं तो हम लोग भी अपने घर चलते हैं।

ऋतु : ठीक है और वो घर की ओर निकल जाते हैं ऋतु भी नीरज को फोन कर देती है कि वो आ जाए।

नीरू : दीदी आज कुछ हल्का हल्का लग रहा है।

ऋतु : नीरू एक बात तो मानले कि जिस तरह तुझे जब प्रशांत से नफरत थी तब भी तेरे मन में उसके लिए कहीं न कहीं प्यार था। उसी तरह प्रशांत के मन में तेरे प्रति इस समय भले ही कुछ भी हो लेकिन वो तुझसे आज भी प्यार करता है। शशि ने ही कहा था लडकियों के नाम पर तो ऐसा उछलता है जैसा भूखा शेर देख लिया हो।

नीरू : ठीक है दीदी लेकिन आपको अपना प्रॉमिस याद हैं ना।

ऋतु : याद है वो कहानी में तुम्हें कल बताउंगी। लेकिन पहले ये पता करो प्रशांत काम कहां करता है। उसने शादी नहीं की है ये तो साफ।

नीरू : दीदी अब मैं ये कैसे पता कर पाउंगी।

ऋतु: उसकी चिंता तू मत कर वो सब काम मैं देखती हूं।

जारी रहेगी
बहुत बहुत बहुत बढ़िया अपडेट अब निरु और प्रशांत मिल के नीरज को मजा चखाऐ
 
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बहुत ही शानदार अपडेट है । गलतफहमियां दूर हो रही है अब नीरू ओर प्रशांत दोनो फिर से मिल जाएंगे
 
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