

















Prefix- Non- Erotica
रचनाकार- Mahi Maurya
(6995 - शब्द)









करमजली, कुलटा, पहले तो मेरे पवन को खा गई और अब मेरे समीर पर घिनौना इलजाम लगा रही है। अभी पवन के चिता की राख भी ठंडी नहीं हुई और तूने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। निकल मेरे घर से। तुझ जैसी चरित्रहीन और बदचलन औरत के लिए मेरे घर में कोई जगह नहीं।
लड़की- नहीं माँजी। मैं कोई गलत इलजाम नहीं लगा रही हूँ। देवरजी ने मेरी इज्जत लूटने की कोशिश की। आप मुझे घर से मत निकालिए मैं कहाँ जाऊँगी।
सास- कहीं भी जा कर मर, लेकिन अब मैं तुझे एक मिनट भी अपने घर में बरदास्त नहीं कर सकती। जो लड़की शादी के एक महीने में ही मेरे एक बेटे को खा गई और दूसरे बेटे पर इलजाम लगा रही है। वो लड़की पता नहीं आगे क्या क्या गुल खिलाएगी। निकल जा मेरे घर से अभी-के-अभी।
इतना कहकर लड़की की सास ने उसे धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया। वो रोती रही, गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उन्होंने उसकी बात नहीं सुनी। समीर एक कमीनी मुस्कान के साथ उसे जाते हुए देखता रहा।
नयनतारा(नयन), उम्र 21 वर्ष, माँ- मालती, पिता- जगदीश, बड़ी बहन- कुसुम(शादीशुदा), जुड़वा बहन(दो मिनट छोटी)- सरिता और छोटा भाई- राज
नयनतारा बहुत ही खूबसूरत, तीखे नैन नक्श, शांत स्वभाव वाली मध्यमवर्गीय लड़की। जगदीश और मालती रूढ़िवादी विचारों वाले इंसान। अभी लगभग महीने भर पहले ही नयनतारा की शादी कारोबारी पवन से हुई थी। पवन एक शांत, सुलझा हुआ इंसान जो अपनी माँ और छोटे भाई समीर के साथ रहता था। खुद का कारोबार था तो पैसे की कोई कमी नहीं थी। समीर ज्यादा लाड-प्यार के कारण बदतमीज और बिगड़ैल हो गया था। जब से नयनतारा की शादी पवन से हुई थी, तब से समीर की गंदी नजर अपने ऊपर महसूस करती थी, लेकिन भ्रम समझकर नजरअंदाज कर देती थी।
शादी के सोलहवें दिन ही एक सड़क दुर्घटना में पवन की मौत हो गई जिसका जिम्मेदार उसकी सास ने नयनतारा को ठहराया। पवन की मौत के 7वें दिन रात को समीर नयनतारा के कमरे में पहुँच गया और उससे जोर-जबरदस्ती करने लगा। कमरे में शोर की आवाज सुनकर जिस समय नयनतारा की सास उसके कमरे में पहुँची, उसी समय समीर ने चालाकी से नयनतारा को अपने ऊपर खीच लिया और “भाभी क्या कर रही हो छोड़ दो मुझे मैं आपका देवर हूँ” कहकर चिल्लाने लगा। नयनतारा की सास जो पहले ही पवन की मौत का जिम्मेदार उसे मानती थी वो ये देखकर भड़क कई और नयनतारा को धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया।
घर से बाहर निकाले जाने के बाद नयनतारा खूब रोई। उसने बाहर बैठकर किसी तरह रात बिताई। सुबह होते ही अपने मायके के लिए निकल गई। जब वो अपने मायके पहुँची तो पास-पड़ोस की औरतें उसे देखकर कानाफूसी करने लगी। आखिर औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं। कोई कहता कि इसके साथ गलत हुआ भरी जवानी में ही विधवा हो गई। कोई कहता कि इसमें ही कोई दोष है नहीं तो ससुराल जाते ही अपने पति को नहीं खा जाती।
नयनतारा अपनी माँ के गले लगकर खूब रोई। हफ्ते तक वह अपने कमरे में बंद रही। खाना भी अपने कमरे में ही खाती थी। सरिता और राज हमेशा उसके साथ रहते। उसके दिल बहलाने की कोशिश करते रहते थे। नयनतारा औरतों के लिए गोसिप तो जवान मर्दों के लिए एक अवसर नजर आने लगी। पिछले कुछ दिनों से नयनतारा ने ये महसूस किया कि उसके प्रति उसके माँ-बाप को रवैया बदल रहा है। समाज के ताने एवं रुढ़िवादी विचारों के कारण अब वो नयनतारा से कटने लगे थे।
समय अपनी गति से बढ़ता रहा। समाज के ताने सुन और उसे अपनी नियति मानकर नयनतारा अब सामान्य हो गई और उसने अपने आपको घर के कामों में झोंक दिया। एक दिन नयनतारा राज के साथ बैठी। राज ने कोई चुटकुला सुनाया तो नयनतारा को हँसी आ गई और वो जोर-जोर से हँसने लगी। ठीक उसी समय पड़ोस में रहने वाली माया उसके घर आई। नयनतारा का इसतरह हँसना रास नहीं आया। उसने मालती से शिकायत की।
माया- अभी पति को मरे हुए 3 महीने भी नहीं हुए हैं और ये ऐसे हँस रही है। ये सब भले घर की लड़कियों को शोभा नहीं देता।
ये कहकर माया चली गई लेकिन मालती को उसकी बात चुभ सी गई। उसने नयन को लगभग आदेश देते हुए कहा।
मालती- देख नयन अब तू सुहागन नहीं है तो कुछ चीजों का ख्याल रखना पड़ेगा। समाज को भी मुँह दिखाना है। अभी सरिता की भी शादी करनी है। मुझे तो उसकी बहुत चिंता हो रही है। न जाने तेरे पापा कैसे करेंगे ये सब अकेले। और कोई सहारा भी तो नहीं है।
मालती की बात सुनकर नयनतारा ने सिर हाँ में हिला दिया, लेकिन उसे अपनी माँ की बात बहुत बुरी लगी।
मालती तो अपनी बात कहकर चली गई लेकिन नयन को एक गहरी सोच में छोड़ गई। नयन ने काफी सोच-विचार कर एक फैसला लिया। अगले दिन नयनतारा तैयार हो रही थी जो मालती को अजीब लगा। नयनतारा तैयार होकर अपने शैक्षणिक दस्तावेज लेकर बाहर जाने लगी तो जगदीशजी ने कहा।
जगदीशजी- कहाँ जा रही हो नयन।
सूरज- पापा दीदी मेरे स्कूल में पढ़ाने वाली हैं। सरिता दीदी ने कुछ दिन पहले ही मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की थी, उन्होंने दीदी को बुलाया है।
इतना सुनते ही जगदीशजी की त्यौरियाँ चढ़ गई। उन्होंने कहा।
जगदीशजी- कहीं नहीं जाना। नाक कटाने की ठान ली है क्या तुम लोगों ने मेरी। पति को मरे हुए अभी 3 महीने ही हुए हैं और ये बन-ठनकर ऐसे बाहर जाएगी। देखो नयन तुम ये सब नहीं करोगी। जाओ अंदर।
मालती- हाँ वही तो मैं भी कह रही थी। अब खाने और सोने के अलावा इसका काम ही क्या है।
माँ-पापा की बातों से नयनतारा आहत हो चुकी थी। इतना दुःख तो उसे तब नहीं हुआ था जब उसकी सास ने उसे चरित्रहीन कहा था।
सरिता- माँ-पापा कौन से जमाने में हो आप दोनो। जमाना बदल गया है अब ऐसा नहीं होता, दीदी बाहर जाएँगी चार लोगों के बीच रहेंगी तो उनका भी मन लगा रहेगा। क्यों आप दोनों उन्हें पागल करने पर तुले हुए हो।
जगदीश- (फटकारते हुए)दो चार किताबें क्या पढ़ ली तुम लोगों ने तो मुझे ही ज्ञान देने लगे। चुपचाप अपने काम पर ध्यान दो तो अच्छा है।
जगदीशजी और मालती वहाँ से चले गए तो सरिता ने नयनतारा को सब ठीक होने का दिलासा दिया। उस दिन के बाद नयनतारा और गुमसुम रहने लगी। अब वो घर की नौकरानी बन गई थी। मालती ने सारे घर की जिम्मेदारी नयनतारा को सौंप दी थी। भले ही वो इस घर की बेटी थी लेकिन माँ-बाप की नजर में अब वो पहले जैसी नहीं रह गई थी।
बीच-बीच में मोहल्ले वालों के ताने भी सुनने को मिलता नयन सारी बातें सुनलेती, आँसू बहाती और अपना काम करती रहती। इसके अलावा वो कर ही क्या सकती थी।
कुछ दिन बाद सरिता के लिए एक अच्छा रिश्ता आया। मालती ने नयनतारा को लड़कों वालों के सामने आने से सख्ती से मना कर दिया था। तय समय पर लड़के वाले आ गए। नयन उस समय रसोईघर में चाय बना रही थी। लड़का किचन के पास वासबेसिन में हाथ धोने गया तो उसने नयन को देख लिया। औपचारिक बात-चीत के बाद लड़के वाले चले गए।
अगली सुबह घर में कोहराम मचा था। माँ-पापा दोनों उससे बात नहीं कर रहे थे। नयनतारा को कुछ समझ नहीं आया कि बात क्या है। नयनतारा ने सरिता से पूछा।
नयनतारा- क्या हुआ सरिता सब मुझसे नाराज क्यों हैं।
सरिता- दीदी कल जो लड़का मुझे देखने आया था उसने मुझे नहीं आपको पसंद किया है।
नयनतारा- क्या।
सरिता- हाँ दीदी। मैं तो माँ-पापा से कह रही थी कि अगर लड़के ने आपको पसंद किया है तो आपकी ही शादी कर देते। अभी आपकी उमर ही क्या है।
नयनतारा- चुप कर सरिता। ऐसी बातें नहीं करते। तू नहीं समझती कुछ।
सरिता- क्यों दीदी, इसमें क्या बुराई है। पत्नी के मरते ही पति दूसरी शादी कर लेता है तब कोई कुछ नहीं कहता फिर औरतों को ही क्यों। मैं सब समझती हूँ। वह लड़का मुझे आपके लिए सही लगा। लेकिन पापा ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया।
उसके बाद बात आई-गई हो गई। अपने माँ-बाप के उदासीन व्यवहार से नयनतारा तंग आ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
कुछ दिन बाद सरिता के लिए एक अच्छा रिश्ता और आया और उसकी शादी भी तय हो गई। नयनतारा सरिता के लिए बहुत खुश थी और शादी की तैयारियों में खुशी-खुशी हाथ बटा रही थी। लेकिन उसका इस तरह खुश रहना किसी को भी रास नहीं आ रहा था। जो भी उसे इस-तरह हँसता मुस्कुराता देखता उसे नसीहत देकर चला जाता। किसी को उसके गम से मतलब नहीं था। नयनतारा इन सब में घुट-घुट कर जी रही थी।
आखिरकार शादी का दिन भी आ गया और सभी लोग तैयार होकर मैरिज हॉल चले गए। नयनतारा का भी बहुत मन था सरिता कि शादी में शामिल होने का, लेकिन लड़के वालों के विशेष आग्रह पर मालती ने नयनतारा को घर में ही रहने की सख्त हिदायत दी। नयनतारा को बहुत बुरा लगा लेकिन वो चुप रही।
रातमें नयनतारा अपने कमरे में सो रही थी। उसे लगा कि कोई दरवाजा खटखटा रहा है। वह अपने कमरे से बाहर आई और पूछा तो पता चला कि उसके जीजाजी(कुसुम का पति) बाहर खड़े हैं। नयनतारा ने दरवाजा खोला तो विनोद नशे में झूम रहा था। नयन ने उसे इस हाल में देखा तो उसे अंदर ले आई और उसके लिए पानी लेने रसोईघर में गई। अभी वो फ्रिज से पानी निकाल रही थी कि विनोद ने उसे पीछे से पकड़ लिया। नयन घबरा गई और उसने विनोद को धकेल दिया। विनोद बेहयाई और हवसी नजरों से नयन को देखते हुए बोला।
विनोद- अरे साली साहिबा, कैसे रहती हो तुम भरी जवानी में बिना किसी मर्द के। बुरा नहीं लगता जब बिस्तर पर अकेले सोती हो। तुम्हें एक मर्द की जरूरत है जो तुम्हारी इस गदराई जवानी को रगड़कर तुम्हारी गर्मी को शांत कर सके।
नयनतारा(गुस्से से)- ये क्या वाहियात बातें कर रहे हैं आप। मेरी बहन के पति हैं आप। बहन समान हूँ मैं आपकी। आपको ऐसी घटिया बातें करते हुए शर्म नहीं आती।
विनोद- अरे वाह, देखो तो सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। पति की मौत के बाद जब तूने अपने देवर के साथ रंगरेलियाँ मनाई थी तब तुझे शर्म नहीं आई। तो मुझसे क्यों शरमा रही है।
इतना कहकर विनोद ने नयनतारा का हाथ कसकर पकड़ लिया। नयनतारा ने अपने दूसरे हाथ के नाखून से उसका चेहरा नोच लिया और उसे धक्का देकर अपने कमरे में भाग गई और रोने लगी। वो रोते हुए बोली।
नयनतारा- ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ। मुझसे आपकी क्या दुश्मनी है भगवान, दुनिया के सारे दुःख केवल मेरी ही झोली में क्यों। इससे अच्छा तो मैं मर जाती।
रोते-बिलखते, शिकायत करते, किस्मत को कोसते कब रात बीत गई, सरिता की बिदाई हो गई उसे पता ही नहीं चला। दरवाजे पर हुई दस्तक उसे होश आया और उसने दरवाजा खोला। मालती और कुसुम को देखकर वो कुछ बोलने को हुई कि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा। मालती ने नयनतारा के बाल पकड़कर झंझोड़ते हुए कहा।
मालती- अरे करमजली। कुछ तो शरमकर लेती। वो तेरे जीजाजी थे। तुझे ऐसा करते हुए लाज भी नहीं आई।
नयनतारा- माँ मेरी बात तो सुनो। मैंने कुछ.......
कुसुम- तू कहना क्या चाहती है कि तेरे जीजाजी झूठ बोलेंगे। अपने कुकर्मों का ठीकरा मेरे पति पर मत फोड़ो तेरा तो साया ही खराब है। पहले अपने पति को खा गई फिर अपने देवर पर डोरे डाले, सरिता की शादी तुड़वाई और अब मेरा परिवार बरबाद करने पर तुली है।
नयनतारा(चीखते हुए)- सच्चाई जाकर अपने कमीने पति से पूछो। क्या करने आए थे वो रात में घरपर।
विनोद(आते हुए)- मुझसे क्या पूछना। कल माँ ने ही मुझे किसी काम से घर पर भेजा था। मैं अपनी मरजी से नहीं आया था।
नयनतारा- मेरा विश्वास करो माँ जीजाजी झूठ बोल रहे हैं।
मालती- चुप कर करमजली। पहले अपने पति को खा गई और अब अपनी बहन के पति पर डोरे डाल रही है। तू इतनी चरित्रहीन कैसे हो गई।
ये कहकर मालती वहाँ से चली गई। कुसुम तिरस्कार भरी नजर नयनतारा पर डालकर चली गई। इस हादसे ने नयन को पूरी तरह तोड़ दिया। जिस वक्त उसे अपनों के सहारे की जरूरत थी उस समय उसके साथ कोई नहीं था। पहले ससुराल में चरित्रहीन का तमगा और अब मायके में चरित्रहीन साबित होने पर नयनतारा पूरी तरह हिल गई थी और जिसने ये सब किया उसे दामादजी बोलकर उसके तलवे चाट रहे थे।
उस दिन नयनतारा अपने कमरे में ही बंद रही, रोती रही, बिलखती रही और अपने आने वाले भविष्य के लिए सोच-विचार करती रही। काफी सोच-विचार के बाद उसने एक निर्णय लिया। अगले दिन नयनतारा तैयार होकर अपने शैक्षणिक दस्तावेज लेकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हुई।
नयनतारा- हे भोलेनाथ, आज से मैं अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहती हूँ। दुनिया मुझे चाहे जो भी समझे आप तो सबके मन की जानते हैं। मैंने कोई गलती नहीं की फिर क्यों मैं ही दोषी। भोलेनाथ बस जो हुआ वो हुआ अब मैं एक नई शुरुआत करना चाहती हूँ। आप अपना हाथ मेरे सिर पर बनाए रखना।
प्रार्थना कर नयनतारा बाहर जाने लगी तो सभी की भौंहें तन गई। कई व्यंग-बाण कुसुम ने उसके चरित्र पर छोड़े। जगदीशजी ने दहाड़ते हुए कहा।
जगदीशजी- खबरदार जो एक कदम भी घर से बाहर निकाला तो। अरे करमजली तूने हमारे माथे पर कालिख पोतने की कमस खा ली है क्या। किस बात की कमी है तुझे यहाँ। सुबह-शाम दो कौर खा और पड़ी रह। विधवा के लिए यही जिंदगी होती है।
नयनतारा- विधवा को कैसे रहना है और कैसे नहीं ये कहने वाले आप होते कौन हैं पापा। क्या सारी रोक-टोक सिर्फ औरतों के लिए ही होती है। मैंने फैसला ले लिया है। आप मुझे मत रोकिए।
जगदीशजी- खबरदार जो एक कदम भी घर से बाहर निकाला। नहीं तो इस घर के दरवाजे तेरे लिए हमेशा के लिए बंद हो जाएँगे। कोई रिश्ता नहीं रहेगा हमारे बीच।
नयनतारा- ठीक है अगर आप यही चाहते हैं तो यही सही।
नयनतारा घर से निकल गई। आस-पास की औरतों को बड़ा मजा आ रहा था यह सब देककर। नयनतारा अपने किस्मत का फैसला समझकर उस जंजाल से निकल चुकी थी, लेकिन इस बात से अनजान कि उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बवंडर आने वाला है। आगे ऐसे-ऐसे तूफान आने वाले थे जिससे बचना उसके बस में नहीं था।
घर से निकल जाना एक बात है पर जब ये पताही न हो कि घर से निकलकर जाना कहाँ है तो होश ठिकाने आते हैं। नयन घर से तो निकल गई थी पर उसे पता नहीं था कि वो कहाँ जाए। सबसे पहले उसे काम की जरूरत थी। नयन ने तो अभी अपना स्नातक भी पूरा नहीं किया था। शादी के बाद जिंदगी के झंझावातों ने उसे पढ़ने का मौका ही नहीं दिया।
उसने कई जगह नौकरी के लिए कोशिश की लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला, तभी एक स्कूल के चपरासी ने उसे एक कार्ड देते हुए कहा कि उसे इस जगह नोकरी मिल सकती है। नयनतारा वहाँ पहुँची तो पता चला कि उसे बार काउंटर पर खड़े होकर ग्राहकों को ड्रिंक सर्व करनी थी। पहले तो वो इसके लिए मना करना चाहती थी, लेकिन उसे नौकरी की जरूरत थी तो उसने काफी सोचने के बाद हाँ कर दिया।
नौकरी मिलने के बाद रहने के लिए घर की समस्या थी। उसने कई जगह कोशिश की घर के लिए लेकिन उसे घर नहीं मिला। रात गहरी हो रही थी तो उसे अपनी सहेली मीरा की याद आयी जो शादी के बाद इसी शहर में रहती थी। नयनतारा मीरा के यहाँ पहुँच गई। दोनों सहोलियाँ मिलकर बहुत खुश हुई। मीरा से मिलने के बाद उसके रहने की भी व्यवस्था हो गई थी।
आने वाली कठिनाईयों से अनजान नयनतारा आगे की जिंदगी जीने लगी। नयनतारा जिस बार में काम करती थी वहाँ अधिकतर महिलाएँ ही थी। डेविड(बार मालिक) ने अपने बार में महिलाओं को इसलिए रखा था ताकि अधिक-से-अधिक ग्राहक उसके बार में आएँ। नयनतारा को शुरू-शुरू में अपनी नौकरी में परेशानी हुई, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे उसे आदत पड़ने लगी।
नयनतारा बार में काम करती है ये बात मीरा को अच्छी नहीं लगी। साथ ही पास-पड़ोस में भी उसे लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी जिसके कारण मीरा के मन में नयनतारा को लेकर जहर घुलने लगा, लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी।
नयनतारा की किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी कि खुशियाँ उसके दामन में टिक सकें। एक सुबह मीरा का पति रमन जो घर से बाहर रहता था, वह घर आया।
उस समय नयनतारा रसोईघर में चाय बना रही थी और मीरा बाहर गई हुई थी। रमन ने नयनतारा को मीरा समझकर पीछे से अपनी बाहों में भर लिया नयनतारा चौंक कर पीछे मुड़ी तो रमन भी चौक गया और तुम कौन हो बोलकर उसे छोड़ दिया।
उसी समय मीरा भी किचन में आ गई और सबकुछ देख लिया। पहले पास-पड़ोस की बातें फिर आज की घटना ने मीरा के मन में चिंगारी लगा दी थी उसने नयनतारा को घर से भगाने का निर्णय कर लिया। शाम को रमन से बात करने के बाद उसने नयनतारा को समाज की दुहाई देकर घर से चले जाने के लिए कह दिया।
यह सुनकर नयनतारा की आँखों में आँसू आ गए पर उसने कुछ नहीं कहा। जब अपनों ने ही उसका साथ छोड़ दिया था तो गैरों से क्या गिला करती वो। उसने अपना सामान लिया बच्चे को दुलार किया और घर से बाहर निकल गई।
वहाँ से निकलकर वो एक सस्ते से होटल में रुक गई। दिनभर की भागदौड़ से वह थक गई थी, इसलिए लेटते ही उसे नींद आ गई। रात को शोर-शराबे और दरवाजा पीटने से उसकी आँख खुली। उसने दरवाजा खोला तो पुलिस उसे पकड़ने लगी।
नयनतारा- मैंने क्या किया है।
कांस्टेबल- साली, कुतिया। यहाँ देह व्यापार करते हुए तुझे शर्म नहीं आई। अब नाटक करती है। चल थाने।
नयनतारा मना करती रही लेकिन पुलिस उसे पकड़कर थाने ले गई। उसके साथ 10-12 लड़कियाँ और भी थी। आज नयनतारा एक धन्धेवाली के तमगे के साथ थाने में बैठी थी।
सुबह तक नयनतारा को छोड़कर सभी लड़कियों की जमानत हो गई । पुलिस के कहने पर नयनतारा ने कुछ सोचकर डेविड को फोन किया और उसे सारी बात बताई। डेविड थाने जाकर उसकी जमानत करवाई और अपने घर ले जाने लगा। नयनतारा उसके घर जाने से घबरा रही थी, लेकिन अभी उसके पास कोई और रास्ता नहीं था।
उधर सुबह के अखबार में नयनतारा की फोटो धन्धेवाली के रूप में छपी थी। जिसे देखकर जगदीशजी ने नयनतारा को फोन किया और उसे चरित्रहीन, पैदा होते ही मर क्यों नहीं गई, करमजली आदि शब्दों नवाजा, उसकी फोटो पर माला पहनाई और नयनतारा का श्राध कर दिया।
नयनतारा रोते बिलखते डेविड के घर आई। डेविड ने उसे पानी दिया और बोला।
डेविड- देखो नयनतारा जो कुछ भी हुआ है उससे अब तुम पहले की तरह काम तो कर नहीं पाओगी, क्योंकि हर जगह तुम्हारी थू-थू हो रही है। अब या तो तुम ये शहर छोड़ दो या फिर........मुझसे शादी कर लो। मैं तुम्हें खुश रखूँगा।
नयनतारा- (आश्चर्य से)लेकिन आप तो शादीशुदा है।
डेविड- तो क्या हुआ। अच्छे से सोच लो फिर बताना।
यह कहकर डेविड चला गया, लेकिन उसके शब्द नयनतारा के कानों में गूँज रहे थे। पिछली बातें सोचकर नयनतारा खूब रोई। अभी वह ढंग से 25 की भी नहीं हुई थी वो अपने से दोगुने उम्र के इनसान के साथ शादी का सोच ही नहीं सकती थी। उसने निर्णय लिया कि वह यह शहर छोड़ देगी, लेकिन अब सवाल ये था कि वह जाएगी कहाँ।
नयनतारा ने एकबार फिर से अंधे कुएँ में छलांग लगाने का ठान लिया था। उसने सोच लिया था कि लोग उसके बारे में कुछ भी सोचे जब उसने कुछ किया ही नहीं तो अपनी नजरों में हमेशा के लिए गिरने से अच्छा है जब तक जिए लड़ कर जिए।
डेविड ने होटल से नयनतारा का सामान मँगवा दिया था। नयनतारा ने रसोईघर में जाकर कुछ खाने का सामान लिया और उसे अपने बैग में भरकर उसके घर से बाहर निकल गई। अब वह कहाँ जाएगी उसे कुछ भी पता नहीं था। उसके पास पैसे भी नहीं थे। उसने अपने कान की बाली बेची और रेलवे स्टेशन पहुँचकर टिकट लेकर मुम्बई की गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी के लगभग हर मर्द उसे खा जाने वाली नजरों से देख रहे थे। नयनतारा खिड़की से बाहर देखने लगी।
आज पहली बार उसे लगा कि घर से बाहर निकलकर उसने कितनी बड़ी गलती कर दी। वो उस पंछी की तरह थी जिसको बचपन से बड़े होने तक पिंज़रे में पाला जाता है जिससे वो खुले आसमान में उड़ना भूल जाता है। और जब पिंजरा खोलकर पंछी को आसमान में छोड़ा जाता है तो पंछी या तो मर जाता है या किसी का शिकार हो जाता है।
यही हाल आज नयन का भी था वो उसी पंछी की भाँति अपने पिंजरे से निकल तो आई थी पर अब खुले आसमान में उड़ने का न हुनर था और न ही वो जानती थी कि आसमान के नीचे शिकारी उसके लिए घात लगाए बैठे हैं।
बहरहाल नयन मुम्बई पहुँच चुकी थी, लेकिन अब आगे क्या करना है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि इनसान हर जख्म सहन कर सकता है परंतु पेट की भूख नहीं सहन कर सकता, नयन के पास ज्यादा पैसे भी नहीं बचे थे। उसे जल्द-से-जल्द काम की जरूरत थी। वह स्टेशन पर ही बैठ गई और थके होने के कारण उसकी आँख लग गई। नयन की नींद खुली तो देखा उसके सामने एक औरत सजधजकर खड़ी है। नयन उसे देखते ही जान गई कि ये धन्धा करने वाली है। उस औरत ने कहा।
औरत- अगर तू चाहे तो मुझे अपना दुःख बता सकती है। मैं भी ऐसे ही स्टेशन पर खो गई थी, लेकिन तू तो भले घर की लग रही है।
औरत ने इतने अपनेपन से पूछा था कि नयनतारा अपनी कहानी उसे सुनाती चली गई। औरत जिसका नाम चंपा था पूरी कहानी सुनने के बाद उसने कहा।
चंपा- देखो नयन, मैं तेरे को कुछ ज्यादा तो नहीं दे सकती पर हाँ तू चाहे तो मेरी खोली में रह सकती है। ये दुनिया न हम औरतों को जीने नहीं देती। तू सही करेगी तब भी उँगली उठाएगी और गलत करेगी तब भी, पर अगर ये सब सोचने बैठेगी तो जी नहीं पाएगी। चल मेरे साथ अगर स्टेशन पर रही तो कोई-न-कोई तुझे अपना शिकार बना लेगा। यहाँ किस चेहरे के पीछे भेड़िया छिपा है तेरे को नजर नहीं आएगा।
नयन को कहीं तो जाना ही था इसलिए वो चंपा के साथ ही चली गई। वहाँ चंपा की तरह और कई महिलाएँ थी जो मजबूरी में अपने जिस्म का सौदा करती थी। भले ही चंपा का काम निहायत ही गिरे दर्जे का था पर उसका दिल उन तमाम अमीरजादों से अच्छा था जिनकी नजर में इंसानियत का कोई मोल नहीं था।
अगले दिन नयनतारा ने एक नई दुनिया देखी जिसमें उसकी जिंदगी का दर्द कुछ भी नहीं था। लाचारी, गरीबी, संघर्ष ये सब नयन की आँख खोलने वाली थी। जब खाने के लिए भोजन और पीने के लिए पानी न हो तो इंसान सबकुछ बेच सकता है फिर वो जिस्म ही क्यों न हो।
दो दिन तक नयन चंपा के यहाँ रही, फिर उसने फैसला किया कि वो भी कुछ काम करेगी। अगले दिन वह नौकरी के लिए निकल गई और एक शोरूम में उसे सेल्सगर्ल की नौकरी मिल गई। तनख्वाह ज्यादा नहीं थी लेकिन नयन के लिए यही काफी था। उसने ऑफिस के आस-पास ही घर लेने का सोचा। उसने चंपा को लेकर घर की खोज की लेकिन चंपा को देखकर कोई भी उसे घर देने को तैयार नहीं होता।
चंपा- ये वही इज्जतदार लोग हैं नयन जो रात को तो हमारे पास आने के पैसे देते हैं और दिन में हमारी शक्ल से नफरत करते हैं। तू अपनी जिंदगी में आगे बढ़ नयन। कभी-कभार मिलने आजाया करना।
न चाहते हुए भी नयनतारा को चंपा की बात माननी पड़ी। ऑफिस के पास ही नयन ने कमरा ले लिया। जिस शोरूम में नयन काम करती थी वहाँ के मैनेजर वरुण की नजर नयन के यौवन पर थी। वह किसी भी तरीके से नयन के यौवनरूपी सागर में गोते लगाना चाहता था। नयन इन सब बातों से अनजान अपने काम में व्यस्त रहती। उसे पता ही नहीं था कि कोई उसपर अपनी कुदृष्टि डाल चुका है। कुछ ही समय में नयन के मिलनसार स्वभाव के कारण उसकी कुछ लड़कियों से दोस्ती हो गई थी।
क्रिसमस के अवसर पर वरुण ने अपने घर पर पार्टी रखी थी और ऑफिस के कुछ कर्मचारियों के साथ उसने नयन को भी निमंत्रण दिया। रात को सब वरुण के घर डिनर के लिए गए। घर काफी अच्छा था और उसकी पत्नी मालिनी बहुत खूबसूरत महिला थी। सबने अच्छे से डिनर किया और चले गए।
अगले दिन ऑफिस पहुँचने पर सब नयनतारा को बधाई देने लगे। उसे पता चला कि उसका प्रमोशन हो गया तो उसे यकीन नहीं हुआ। वरुण ने भी उसे बधाई दी।
वरुण- मिस नयनतारा। आपके काम से हमें काफी फायदा हो रहा है। आपके कस्टमर से डील करने की स्किल काफी अच्छी है इस वजह से आप को प्रमोट किया गया है।
नयनतारा- धन्यवाद सर।
नयनतारा अपने काम में लग गई। लेकिन कुछ सीनियर लड़कियों ने नयनतारा के चरित्र पर उँगली उठानी शुरू कर दी।
पहली- हम तो यहाँ कई सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन हमारा प्रमोशन तो नहीं हुआ। कल की आई लड़की ने ऐसा क्या जादू कर दिया कि इसको प्रमोशन मिल गया।
दूसरी- अरे जादू क्या। अपने हुश्न के जाल में फाँस लिया होगा वरुण सर को। उनका बिस्तर गरम किया होगा तभी इतनी जल्दी प्रमोशन पा लिया।
अब जितने मुँह उतनी बाते हो रही थी। नयनतारा को यह सब बहुत बुरा लग रहा था, क्योंकि अतीत फिर से अपने आप को दोहरा रहा था। काम खत्म हो जाने के बाद वो घर जाने लगी तो वरुण ने उसे लिफ्ट दी। पहले तो उसने मना कर दिया, लेकिन वरुण के फोर्स करने पर वह मना नहीं कर पाई और उसकी गाड़ी में बैठ गई। वरुण ने उसके काम के साथ-साथ उसकी खूबसूरती की भी तारीफ की जो लड़कियों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है।
समय के साथ-साथ वरुण और नयनतारा में दोस्ती हो गई। नयनतारा की तरफ से तो ये बस दोस्ती ही थी, लेकिन वरुण की तरफ से कुछ और ही था जो नयनतारा समझ नहीं पाई थी। दोनों का साथ ऑफिस में गोसिप का मुद्दा बन गया था। जितने मुँह उतनी बातें हो रही थी। उन्हीं में से एक लड़की ने दोनों की साथ में कई फोटो भी निकाल ली।
धीरे-धीरे 2 महीने बीत गए। उनकी दोस्ती और ज्यादा गहरी हो गई। नयनतारा अब वरुण को अपना हमदर्द समझने लगी थी। अब वरुण नयन के घर भी जाने लगा था। एक रविवार शाम को वरुण खतरनाक इरादे के साथ नयनतारा के घर गया और बहाने से उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा तो नयन ने उसे चाँटा मार दिया और घर से बाहर भागी।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला सामने मालिनी खड़ी थी। नयनतारा के अस्तव्यस्त कपड़े देख और कमरे में वरुण को देख वो आगबबूला हो गई।
नयनतारा- आआआपपपप.
मालिनी- क्यों तुम्हें उम्मीद नहीं थी कि मैं यहाँ आऊँगी। शर्म नहीं आती तुम्हें यू एक शादीशुदा इनसान के साथ रंगरेलियाँ मनाते हुए। और वरुण तुम, तुम्हें एक बार भी मेरे और बच्चों का ख्याल नहीं आया। इस धन्धेवाली के लिए तुमने मुझे धोखा दिया।
नयनतारा- जबानसंभाल कर बात कीजिए मालिनी जी आपकी हिम्मत.......
मालिनी- (अखबार दिखाते हुए) जो तुम हो मैंने वही कहा है। शुक्र मनाओ कि मैंने पुलिस को नहीं बुलाया।
वरुण मालिनी के पैरों में गिर पड़ा और माफी माँगने लगा। मालिनी उसे खीचकर बाहर ले जाती है। मकानमालिक ने नयन को घर से निकाल दिया। नयन के लिए ये सबसे बड़ा झटका था। जिसे उसने अपना हमदर्द समझा था उसी ने उसके साथ ऐसा किया।
नयन का दिल अब दुनिया से फट चुका था वह अब जीना नहीं चाहती थी। वह अपना सामान लेकर सड़क पर चलने लगी तभी एक जोरदार टक्कर से नयन बेहोश हो जाती है। सुबह जब उसकी आँख खुलती है तो अपने आपको एक आलीशान घर में पाती है। नयन ने उठने की कोशिश की तो उसे दर्द हुआ।
लेटी रहिए मोहतरमा। एक 30-32 साल का आदमी जो रईस लग रहा था नयन के पास कुर्सी पर आकर बैठ गया।
नयनतारा- मैं यहाँ कैसे।
आदमी- दिमाग पर ज्यादा जोर मत दीजिए। बस इतना समझ लीजिए कि जिस इरादे से आप बदहवास होकर सड़क पर निकली थी वो पूरा नहीं हुआ। वैसे मुझे कबीर खन्ना करते हैं। क्या मैं जान सकता हूँ कि आप मरने के लिए इतनी उत्साहित क्यों हैं।
नयनतारा ने कोई जवाब नही दिया। तभी एक लड़की(डाँली) कमरे में आई और नयन को कॉफी देते हुए बोली।
डॉली- मैं और कबीर भाई-बहन है तुम कल रात हमारी कार से टकरा गई थी।
दोनों ने नयन से उसका नाम पूछा और उसे आराम करने के लिए कहकर चले गए। डॉली और कबीर अपनी कास्टिंग एजेंसी चलाते थे यही उनका रोजगार था।
कुछ देर सोने के बाद नयनतारा उठी और जाकर फ्रेस हुई। शॉवर के पानी के साथ उसके आँसू भी बाहर निकल रहे थे। जब वह वाशरूम से बाहर निकली तो सामने डॉली खड़ी थी। उसने नयनतारा की आखों में देखते हुए कहा।
डॉली- देखो नयनतारा मुझे नहीं पता कि तुम खुदखुशी करने क्यों गई थी और तुम्हारे साथ क्या हुआ है। पर नयन इस दुनियामें किसी की भी जिंदगी आसान नहीं है। किसी को पैसे की दिक्कत है तो किसी को परिवार की। किसी के बच्चे नहीं है तो किसी का पति। पर इंसान जीना तो नहीं छोड़ देता न। भगवान के दिए जीवन को रोते हुए बरबाद करने से अच्छा है अपने लिए जिए। अगर तुम चाहो तो मुझे अपने बारे में बता सकती हो।
डॉली की बातों में अपनापन देखकर नयनतारा ने अपना दिल उसके सामने खोलकर रख दिया। डॉली ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।
डॉली- नयन हिम्मत मत हारो। हम औरतों की जिंदगी में बचपन से ही संघर्ष होता है। हर पुरुष एक समान नहीं होता नयन पर तुम्हारा दुर्भाग्य कि जो पुरुष तुम्हारी जिंदगी में आए सब कमीने निकले। जो तुम्हारे साथ हुआ है न नयन मैं भी इसकी भुक्तभोगी हूँ।
मेरी शादी भी 19 वर्ष की उम्र में हो गई थी पर मेरे पति मरे नहीं थे, बल्कि लड़का न दे पाने के कारण उन्होंने मुझे 24 वर्ष की उम्र में ही छोड़ दिया। शादी के 5 सालों तक मैंने नरक यातना भुगती। जैसे आज तुम सड़क पर मौत की आशा में निकली थी वैसे मैं भी अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए घर से बाहर निकली थी।
मैंने अपने पति को छोड़ दिया, पर मेरे लिए मायके के दरवाजे भी बंद हो चुके थे। वो तो अच्छा हो कबीर का जिसने मुझे उस रात उन दरिंदो से बचाया और अपने घर में शरण दी। उसने मुझे पढ़ने में खुद नौकरी करने में मदद की। आज मैं जो कुछ भी हूँ सिर्फ कबीर की वजह से हूँ। नयन ये सब समझाने का मेरा बस एक मकसद था कि दुनिया का हर पुरुष गलत नहीं है। हाँ कुछ की गलती से पूरा समाज बदनाम हो जाता है।
देखो नयन मैं तुम्हारी बहन जैसी हूँ इसलिए तुम परेशान मत हो और अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करो। यही सही मायनों में थप्पड़ होगा उन तमाम लोगों के लिए जो हम जैसी अकेली स्त्रियों को चरित्रहीन करते जरा नहीं शर्माते जबकि खुद अंदर से अपने चरित्र को नहीं देखते।
नयनतारा को अब पुरुषों पर भरोसा नहीं रह गया था, लेकिन डॉली एक लड़की थी नयनतारा उसपर भरोसा कर सकती थी। डॉली की बात सुनकर नयनतारा को हौंसला मिला। तो उसने भी आगे बढ़ने का फैसला कर लिया, लेकिन क्या इतना आसान था नयनतारा के लिए अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना। अभी तो उसके जीवन में असली तूफान आना बाकी था।
नयनतारा भी डॉली और कबीर के साथ बहुत हदतक अपने गम भुलाकर आगे बढ़ रही थी। एक दिन कबीर से मिलने के लिए कोई फोटोग्राफर आया। दरवाजा नयन ने खोला। दरवाजे पर एक 26-27 वर्ष का आकर्षक नौजवान खड़ा था। लड़के ने जब नयनतारा को देखा तो बस देखता ही रह गया। उसकी नजरें नयनतारा से हट ही नहीं रही थी। पहली नजर का प्यार हो गया था उसे नयनतारा से।
नयनतारा के बार-बार पुकारने पर भी वो अपने होश में नहीं आया और अपलक नयनतारा को देखता रहा। नयनतारा असहज महसूस करने लगी थी। तभी डॉली नहाकर बाहर आई और लड़के को देखकर बोली।
डॉली- अरे करन। आओ अंदर आओ। नयन अंदर आने दो करन को।
नयन एक तरफ हट गई तो करन अंदर आया। डॉली ने करन और नयनतारा का परिचय करवाया। कुछ देर बाद जब नयनतारा वहाँ से चली गई तो करन ने कहा।
करन- यार डॉली ये लड़की काफी खूबसूरत है। एक काम करो मैं एक इंडियन साडी की सूट कर रहा हूँ इसे मॉडल की जगह ले सकते हैं।
डॉली- मुझे उससे बात करनी पड़ेगी करन।
करन- अच्छा मैं चलता हूँ तुम एक बार उससे बात जरूर कर लेना शायद वो मान जाए।
करन डॉली के यहाँ से चला गया लेकिन उसके दिल-दिमाग में नयनतारा की सूनी आँखें ही शोर मचाती रही। करन के जाने बाद डॉली नयनतारा के पास गई और उसे करन के प्रपोजल के बारे में बताया तो उसने मना कर दिया। क्योंकि नयनतारा चरित्रहीन की तोहमत से, परिवार वालों की बेरुखी से वैसे ही परेशान थी। वो नहीं चाहती थी कि उसके ऐसा करने से फिर से लोगों को कुछ कहने का मौका मिल जाए। डॉली के बहुत समझाने के बाद आखिरकार नयनतारा इसके लिए तैयार हो गई।
डॉली ने करन से बात करने के लिए रात डिनर के लिए उसे घर बुलाया। करन खुद नयनतारा से मिलने के लिए उत्सुक था। तो वह रात में डिनर के लिए डॉली के घर गया। दरवाजा नयनतारा ने खोला। दोनों की आँखें चार हुई तो नयनतारा ने अपनी नजरें झुका ली और साइड हट गई। डिनर करते हुए करन बस नयनतारा को ही देख रहा था। जिसे नयनतारा भी महसूस कर असहज हो रही थी।
डिनर के बाद करन ने हफ्ते भर बाद का फोटोसूट कहकर चला गया। हफ्ते भर नयनतारा अपने आपको इस फोटोसूट के लिए तैयार करती रही। आखिर वह दिन आ ही गया। आज नयनतारा का फोटोसूट था और नयन ने एक दो गलतियों के बाद बहुत अच्छे से फोटोसूट करवाया। करन भी नयनतारा की छोटी-छोटी बातों का ख्याल रख रहा था। कहीं न कहीं नयनतारा को करन का व्यवहार अच्छा भी लग रहा था, लेकिन अपने अतीत के कारण वह सजग थी।
ऐसे ही कुछ समयांतराल पर करन और नयनतारा की फोटोसूट के दौरान मुलाकात होती रही और नयनतारा उसके दिल की गहराइयों में उतरती रही। नयनतारा भी उसका प्यार महसूस कर पा रही थी, लेकिन वो अब कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी।
एक दिन फोटोसूट के दौरान करन ने नयनतारा को प्रपोज कर दिया।
करन- नयनतारा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। जब से मैंने तुम्हें देखा है मेरा दिल मेरे बस में नहीं है। दिन-रात सिर्फ तुम ही नजर आती हो। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। देखों प्लीज मना मत करना।
जिस बात का डर नयनतारा को था वही हुआ। करन की बात सुनकर वो बिना कुछ बोले ही चली गई। नयनतारा की चुप्पी करन को परेशान कर गई। दो दिन बाद करन डॉली से मिला। उससे नयन के बारे में बात की और अपने प्यार के बारे में उसे बताया। डॉली ने कहा।
डॉली- ये प्यार-व्यार सब झूठ होता है करन। उसका सच जानते ही तुम्हारे प्यार का भूत उतर जाएगा।
करन- प्लीज डॉली, मेरे प्यार का मजाक मत उड़ाओ और जो भी कहना है साफ-साफ कहो।
डॉली- ठीक है तो सुनो। वो एक विधवा है।
करन- क्या।
डॉली- उसके ससुराल वाले और उसके घरवालों ने उसपर बदचलन और चरित्रहीन होने का आरोप लगाया है।
करन- (आश्चर्य से) क्या
डॉली- उसपर धन्धा करने का आरोप है। कई मर्दों ने उसे धोखा दिया है। इसका साथ तो उसके परिवारवालों ने नहीं दिया तो तुम क्या दोगे।
करन- मुझे तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं है। फिरभी अगर ये सच भी है तो मुझे उसके अतीत से कोई मतलब नहीं है। मैं उससे प्यार करता हूँ यही वर्तमान की सच्चाई है।
करन की बात से डॉली को बहुत खुशी हुई। करन के जाने के बाद डॉली ने नयनतारा से बात की और उसे समझाया। महीनों तक नयनतारा ने इसपर गौर किया। महीने भर में करन के व्यवहार और प्यार ने आखिरकार नयनतारा ने करन के प्यार को स्वीकार कर लिया। आज नयनतारा के पास कबीर और डॉली जैसे दोस्त और करन का प्यार था।
एक हफ्ते बाद करन नयनतारा को अपने भैया-भाभी से मिलवाने अपने घर ले गया। नयनतारा बहुत नर्वस थी। करन नयनतारा को लेकर घर के अंदर आया और अपनी भाभी को बुलाने चला गया। अंदर नयनतारा ने कुछ ऐसे देखा कि उसकी आँखें फटी रह गई। सामने वरुण खड़ा था। उसने नयनतारा से कहा।
वरुण- तुम। तुम यहाँ क्या करने आई हो।
तबतक करन मालिनी के साथ बाहर आ गया।
करन- भाभी ये है नयनतारा। मैं इसी की बात कर रहा था और नयन ये हैं मेरे भैया वरुण और भाभी मालिनी।
नयनतारा को लगा कि एक बार फिर से उसे ठग लिया गया है। वो जड़वत हो गई थी। वो क्या बोले कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी मालिनी नयन के पास आई और उसके गालों को इधर-उधर करते हुए बोली।
मालिनी- ऐसा क्या जादू है भाई तुममें कि दोनों भाई तुम्हारी तरफ आकर्षित हो गए। कोई जादू-वादू जानती हो क्या। वैसे नाम भी तुम्हारा नयनतारा है।
करन- ये आप क्या कह रही हैं भाभी। ये नयनतारा है इसी से तो मैं शादी...........
वरुण-(थप्पड़ मारकर)क्या बकवास कर रहा है तू। जानता भी है ये क्या क्या गुल खिला चुकी है। अरे ये धन्धा करती है धन्धा।
करन-(चिल्लाकर)भैया।
वरुण- तू मासूम है करन। इस बेगैरत औरत ने तुझे भी बरगला दिया है। इससे कोई क्या शादी करेगा जो हर रात अपना पति बदलती है।
नयन की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे।
करन- ये आप क्या कह रहे हैं भैया। भगवान के लिए चुप हो जाइए। मुझे नयन के बारे में सब पता है। आप उसके बारे में ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं।
मालिनी- (बीचमें)ये लड़की वही है जिसे मैंने तेरे भैया के साथ रंगे हाथों पकड़ा था और आज तू भी।
करन- क्या
करन भौचक्का होकर जमीन पर बैठ गया। इससे ज्यादा नयनतारा के लिए सुनना मुश्किल था। वह रोते हुए घर से बाहर भाग गई। वो रोती हुई बेतहाशा भागी जा रही थी तभी सामने से आती हुई कार से टकरा गई। कारवाला भला मानुष था तो उसने तुरंत उसे अस्पताल पहुँचाया और नयन के फोन से डॉली को फोन किया। डॉली भागी हुई अस्पताल पहुँची। डॉली के पूछने पर नयनतारा ने सबकुछ उसे बता दिया।
डॉली- (शाक्ड) अब इसमें करन तो अपने भाई की ही सुनेगा। ऐसे उदास मत हो और जिंदगी में आगे बढ़ो अगर करन तुम्हें सच्चा प्यार करता होगा तो वो जरूर तुम्हारे पास आएगा और अगर उसे तुम्हारे जिस्म की चाह होगी तो अच्छा हुआ वो तुमसे दूर हो गया।
डॉली के समझाने के बाद नयनतारा थोड़ी संभल गई। डॉली ने करन को फोन किया तो वरुण ने फोन उठाया डॉली ने नयनतारा की हालत के बारे में करन को बताने के लिए कहा। दो दिन अस्पताल में बीत गए लेकिन करन नयनतारा से मिलने नहीं आया। नयनतारा ने भी इसे अपनी किस्मत मान लिया कि शायद प्यार और सुख उसकी किस्मत में हैं ही नहीं।
अस्पताल से वापस आने के तीन दिन बाद डॉली उसे किसी से मिलाने का बोल रही थी। उसका कहना था कि घर में पड़े रहने से अच्छा है बाहर निकलो और अपने काम पर फोकस करो। डॉली ने नयनतारा को तैयार होने भेज दिया और फोन पर बात करने लगी। नयनतारा तैयार होकर डॉली को बुलाने उसके कमरे में गई, लेकिन उसने जो बात सुनी उससे उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि डॉली उसके साथ इस तरह का धोखा करेगी।
डॉली- (फोन पर) अरे तुम चिंता मत करो। उस लड़की को मैंने अच्छी तरह शीशे में उतार लिया है। अब वो मुझसे खुद से ज्यादा भरोसा करती है।
कोई किसी की मदद फ्री में नहीं करता। हर चीज की कीमत होती है। मेरा तो काम ही है भोली-भाली और मजबूर लड़कियों को अपने जाल में फँसाना।
आज तक कबीर को नहीं पता चला मेरे इस काम के बारे में तो उसे कैसे पता चलेगा कि मैं उसका फायदा उठाकर पैसा कमाना चाहती हूँ। अब तो करन भी उसके साथ नहीं है। बस 5-6 साल और उसकी जवानी है उसक बाद कौन उसे पूछेगा।
मैं जल्द-ही उसे तुम्हारे पास भी लेकर आऊँगी। फिलहाल तो मिस्टर राठौड़ को कई लड़कियों को फोटो दिखाई थी, लेकिन उन्हें आज इस लड़की को चखना है। अच्छा अब फोन रखती हूँ।
नयनतारा का तो बस रोने का मन कर रहा था। जिसको उसने अपना समझा उसी ने उसके पीठ में छूरा घोंपा। अब तो उसका इंसानियत से भरोसा ही उठ गया था, लेकिन उसने किसी तरह खुद को संयत किया। वो भाग-दौड़ करके थक गई थी इसलिए उसने खुद इस स्थिति से निपटने का निर्णय लिया।
नयनतारा डॉली के साथ राठौड़ के यहाँ पहुँची और नजर बचाकर कैमरे की रिकार्डिंग ऑन कर उसे एक सुरक्षित जगह छिपा दिया। आवभगत के बाद डॉली फोन का बहाना बनाकर कमरे से बाहर चली गई तो राठौड बातों-बातों में नयनतारा के साथ छेड़खानी करने लगा। नयनतारा ने पास रखा गमला उठाकर उसके सिर पर दे मारा और अपना फोन लेकर कमरे का दरवाजा खोला तो करन पुलिस के साथ खड़ा था। डॉली को गिरफ्तार कर लिया गया था। करन को देखकर नयनतारा उसके गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगी। पुलिस डॉली, राठौड़ और फोन लेकर वहाँ से चली गई।
करन ने नयनतारा को चुप करवाया और अपने साथ घर ले गया। नयनतारा ने कहा।
नयनतारा- अगर आज तुम सही समय पर नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता।
करन- कुछ नहीं होता तुम्हें। आज तुमने बहुत बहादुरी दिखाई। अच्छा हुआ जो तुमने सही समय पर मुझे फोन करके डॉली की असलियत के बारे में बता दिया।
मुझे माफ कर दो जो मैं इतने दिन तुमसे मिलने नहीं आ सका। मैं भैया-भाभी को अपनी शादी के लिए मना रहा था, लेकिन वो नहीं माने। मैं तुमसे आज भी उतना ही प्यार करता हूँ जितने पहले करता था। क्या तुम मुझसे शादी करोगी।
करन की बात सुनकर नयनतारा की आँखों में आँसू आ गए और वो हाँ बोलकर करन के गले लग गई। [/JUSTIFY]
लड़की- नहीं माँजी। मैं कोई गलत इलजाम नहीं लगा रही हूँ। देवरजी ने मेरी इज्जत लूटने की कोशिश की। आप मुझे घर से मत निकालिए मैं कहाँ जाऊँगी।
सास- कहीं भी जा कर मर, लेकिन अब मैं तुझे एक मिनट भी अपने घर में बरदास्त नहीं कर सकती। जो लड़की शादी के एक महीने में ही मेरे एक बेटे को खा गई और दूसरे बेटे पर इलजाम लगा रही है। वो लड़की पता नहीं आगे क्या क्या गुल खिलाएगी। निकल जा मेरे घर से अभी-के-अभी।
इतना कहकर लड़की की सास ने उसे धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया। वो रोती रही, गिड़गिड़ाती रही, लेकिन उन्होंने उसकी बात नहीं सुनी। समीर एक कमीनी मुस्कान के साथ उसे जाते हुए देखता रहा।
नयनतारा(नयन), उम्र 21 वर्ष, माँ- मालती, पिता- जगदीश, बड़ी बहन- कुसुम(शादीशुदा), जुड़वा बहन(दो मिनट छोटी)- सरिता और छोटा भाई- राज
नयनतारा बहुत ही खूबसूरत, तीखे नैन नक्श, शांत स्वभाव वाली मध्यमवर्गीय लड़की। जगदीश और मालती रूढ़िवादी विचारों वाले इंसान। अभी लगभग महीने भर पहले ही नयनतारा की शादी कारोबारी पवन से हुई थी। पवन एक शांत, सुलझा हुआ इंसान जो अपनी माँ और छोटे भाई समीर के साथ रहता था। खुद का कारोबार था तो पैसे की कोई कमी नहीं थी। समीर ज्यादा लाड-प्यार के कारण बदतमीज और बिगड़ैल हो गया था। जब से नयनतारा की शादी पवन से हुई थी, तब से समीर की गंदी नजर अपने ऊपर महसूस करती थी, लेकिन भ्रम समझकर नजरअंदाज कर देती थी।
शादी के सोलहवें दिन ही एक सड़क दुर्घटना में पवन की मौत हो गई जिसका जिम्मेदार उसकी सास ने नयनतारा को ठहराया। पवन की मौत के 7वें दिन रात को समीर नयनतारा के कमरे में पहुँच गया और उससे जोर-जबरदस्ती करने लगा। कमरे में शोर की आवाज सुनकर जिस समय नयनतारा की सास उसके कमरे में पहुँची, उसी समय समीर ने चालाकी से नयनतारा को अपने ऊपर खीच लिया और “भाभी क्या कर रही हो छोड़ दो मुझे मैं आपका देवर हूँ” कहकर चिल्लाने लगा। नयनतारा की सास जो पहले ही पवन की मौत का जिम्मेदार उसे मानती थी वो ये देखकर भड़क कई और नयनतारा को धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया।
घर से बाहर निकाले जाने के बाद नयनतारा खूब रोई। उसने बाहर बैठकर किसी तरह रात बिताई। सुबह होते ही अपने मायके के लिए निकल गई। जब वो अपने मायके पहुँची तो पास-पड़ोस की औरतें उसे देखकर कानाफूसी करने लगी। आखिर औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं। कोई कहता कि इसके साथ गलत हुआ भरी जवानी में ही विधवा हो गई। कोई कहता कि इसमें ही कोई दोष है नहीं तो ससुराल जाते ही अपने पति को नहीं खा जाती।
नयनतारा अपनी माँ के गले लगकर खूब रोई। हफ्ते तक वह अपने कमरे में बंद रही। खाना भी अपने कमरे में ही खाती थी। सरिता और राज हमेशा उसके साथ रहते। उसके दिल बहलाने की कोशिश करते रहते थे। नयनतारा औरतों के लिए गोसिप तो जवान मर्दों के लिए एक अवसर नजर आने लगी। पिछले कुछ दिनों से नयनतारा ने ये महसूस किया कि उसके प्रति उसके माँ-बाप को रवैया बदल रहा है। समाज के ताने एवं रुढ़िवादी विचारों के कारण अब वो नयनतारा से कटने लगे थे।
समय अपनी गति से बढ़ता रहा। समाज के ताने सुन और उसे अपनी नियति मानकर नयनतारा अब सामान्य हो गई और उसने अपने आपको घर के कामों में झोंक दिया। एक दिन नयनतारा राज के साथ बैठी। राज ने कोई चुटकुला सुनाया तो नयनतारा को हँसी आ गई और वो जोर-जोर से हँसने लगी। ठीक उसी समय पड़ोस में रहने वाली माया उसके घर आई। नयनतारा का इसतरह हँसना रास नहीं आया। उसने मालती से शिकायत की।
माया- अभी पति को मरे हुए 3 महीने भी नहीं हुए हैं और ये ऐसे हँस रही है। ये सब भले घर की लड़कियों को शोभा नहीं देता।
ये कहकर माया चली गई लेकिन मालती को उसकी बात चुभ सी गई। उसने नयन को लगभग आदेश देते हुए कहा।
मालती- देख नयन अब तू सुहागन नहीं है तो कुछ चीजों का ख्याल रखना पड़ेगा। समाज को भी मुँह दिखाना है। अभी सरिता की भी शादी करनी है। मुझे तो उसकी बहुत चिंता हो रही है। न जाने तेरे पापा कैसे करेंगे ये सब अकेले। और कोई सहारा भी तो नहीं है।
मालती की बात सुनकर नयनतारा ने सिर हाँ में हिला दिया, लेकिन उसे अपनी माँ की बात बहुत बुरी लगी।
मालती तो अपनी बात कहकर चली गई लेकिन नयन को एक गहरी सोच में छोड़ गई। नयन ने काफी सोच-विचार कर एक फैसला लिया। अगले दिन नयनतारा तैयार हो रही थी जो मालती को अजीब लगा। नयनतारा तैयार होकर अपने शैक्षणिक दस्तावेज लेकर बाहर जाने लगी तो जगदीशजी ने कहा।
जगदीशजी- कहाँ जा रही हो नयन।
सूरज- पापा दीदी मेरे स्कूल में पढ़ाने वाली हैं। सरिता दीदी ने कुछ दिन पहले ही मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की थी, उन्होंने दीदी को बुलाया है।
इतना सुनते ही जगदीशजी की त्यौरियाँ चढ़ गई। उन्होंने कहा।
जगदीशजी- कहीं नहीं जाना। नाक कटाने की ठान ली है क्या तुम लोगों ने मेरी। पति को मरे हुए अभी 3 महीने ही हुए हैं और ये बन-ठनकर ऐसे बाहर जाएगी। देखो नयन तुम ये सब नहीं करोगी। जाओ अंदर।
मालती- हाँ वही तो मैं भी कह रही थी। अब खाने और सोने के अलावा इसका काम ही क्या है।
माँ-पापा की बातों से नयनतारा आहत हो चुकी थी। इतना दुःख तो उसे तब नहीं हुआ था जब उसकी सास ने उसे चरित्रहीन कहा था।
सरिता- माँ-पापा कौन से जमाने में हो आप दोनो। जमाना बदल गया है अब ऐसा नहीं होता, दीदी बाहर जाएँगी चार लोगों के बीच रहेंगी तो उनका भी मन लगा रहेगा। क्यों आप दोनों उन्हें पागल करने पर तुले हुए हो।
जगदीश- (फटकारते हुए)दो चार किताबें क्या पढ़ ली तुम लोगों ने तो मुझे ही ज्ञान देने लगे। चुपचाप अपने काम पर ध्यान दो तो अच्छा है।
जगदीशजी और मालती वहाँ से चले गए तो सरिता ने नयनतारा को सब ठीक होने का दिलासा दिया। उस दिन के बाद नयनतारा और गुमसुम रहने लगी। अब वो घर की नौकरानी बन गई थी। मालती ने सारे घर की जिम्मेदारी नयनतारा को सौंप दी थी। भले ही वो इस घर की बेटी थी लेकिन माँ-बाप की नजर में अब वो पहले जैसी नहीं रह गई थी।
बीच-बीच में मोहल्ले वालों के ताने भी सुनने को मिलता नयन सारी बातें सुनलेती, आँसू बहाती और अपना काम करती रहती। इसके अलावा वो कर ही क्या सकती थी।
कुछ दिन बाद सरिता के लिए एक अच्छा रिश्ता आया। मालती ने नयनतारा को लड़कों वालों के सामने आने से सख्ती से मना कर दिया था। तय समय पर लड़के वाले आ गए। नयन उस समय रसोईघर में चाय बना रही थी। लड़का किचन के पास वासबेसिन में हाथ धोने गया तो उसने नयन को देख लिया। औपचारिक बात-चीत के बाद लड़के वाले चले गए।
अगली सुबह घर में कोहराम मचा था। माँ-पापा दोनों उससे बात नहीं कर रहे थे। नयनतारा को कुछ समझ नहीं आया कि बात क्या है। नयनतारा ने सरिता से पूछा।
नयनतारा- क्या हुआ सरिता सब मुझसे नाराज क्यों हैं।
सरिता- दीदी कल जो लड़का मुझे देखने आया था उसने मुझे नहीं आपको पसंद किया है।
नयनतारा- क्या।
सरिता- हाँ दीदी। मैं तो माँ-पापा से कह रही थी कि अगर लड़के ने आपको पसंद किया है तो आपकी ही शादी कर देते। अभी आपकी उमर ही क्या है।
नयनतारा- चुप कर सरिता। ऐसी बातें नहीं करते। तू नहीं समझती कुछ।
सरिता- क्यों दीदी, इसमें क्या बुराई है। पत्नी के मरते ही पति दूसरी शादी कर लेता है तब कोई कुछ नहीं कहता फिर औरतों को ही क्यों। मैं सब समझती हूँ। वह लड़का मुझे आपके लिए सही लगा। लेकिन पापा ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया।
उसके बाद बात आई-गई हो गई। अपने माँ-बाप के उदासीन व्यवहार से नयनतारा तंग आ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
कुछ दिन बाद सरिता के लिए एक अच्छा रिश्ता और आया और उसकी शादी भी तय हो गई। नयनतारा सरिता के लिए बहुत खुश थी और शादी की तैयारियों में खुशी-खुशी हाथ बटा रही थी। लेकिन उसका इस तरह खुश रहना किसी को भी रास नहीं आ रहा था। जो भी उसे इस-तरह हँसता मुस्कुराता देखता उसे नसीहत देकर चला जाता। किसी को उसके गम से मतलब नहीं था। नयनतारा इन सब में घुट-घुट कर जी रही थी।
आखिरकार शादी का दिन भी आ गया और सभी लोग तैयार होकर मैरिज हॉल चले गए। नयनतारा का भी बहुत मन था सरिता कि शादी में शामिल होने का, लेकिन लड़के वालों के विशेष आग्रह पर मालती ने नयनतारा को घर में ही रहने की सख्त हिदायत दी। नयनतारा को बहुत बुरा लगा लेकिन वो चुप रही।
रातमें नयनतारा अपने कमरे में सो रही थी। उसे लगा कि कोई दरवाजा खटखटा रहा है। वह अपने कमरे से बाहर आई और पूछा तो पता चला कि उसके जीजाजी(कुसुम का पति) बाहर खड़े हैं। नयनतारा ने दरवाजा खोला तो विनोद नशे में झूम रहा था। नयन ने उसे इस हाल में देखा तो उसे अंदर ले आई और उसके लिए पानी लेने रसोईघर में गई। अभी वो फ्रिज से पानी निकाल रही थी कि विनोद ने उसे पीछे से पकड़ लिया। नयन घबरा गई और उसने विनोद को धकेल दिया। विनोद बेहयाई और हवसी नजरों से नयन को देखते हुए बोला।
विनोद- अरे साली साहिबा, कैसे रहती हो तुम भरी जवानी में बिना किसी मर्द के। बुरा नहीं लगता जब बिस्तर पर अकेले सोती हो। तुम्हें एक मर्द की जरूरत है जो तुम्हारी इस गदराई जवानी को रगड़कर तुम्हारी गर्मी को शांत कर सके।
नयनतारा(गुस्से से)- ये क्या वाहियात बातें कर रहे हैं आप। मेरी बहन के पति हैं आप। बहन समान हूँ मैं आपकी। आपको ऐसी घटिया बातें करते हुए शर्म नहीं आती।
विनोद- अरे वाह, देखो तो सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। पति की मौत के बाद जब तूने अपने देवर के साथ रंगरेलियाँ मनाई थी तब तुझे शर्म नहीं आई। तो मुझसे क्यों शरमा रही है।
इतना कहकर विनोद ने नयनतारा का हाथ कसकर पकड़ लिया। नयनतारा ने अपने दूसरे हाथ के नाखून से उसका चेहरा नोच लिया और उसे धक्का देकर अपने कमरे में भाग गई और रोने लगी। वो रोते हुए बोली।
नयनतारा- ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ। मुझसे आपकी क्या दुश्मनी है भगवान, दुनिया के सारे दुःख केवल मेरी ही झोली में क्यों। इससे अच्छा तो मैं मर जाती।
रोते-बिलखते, शिकायत करते, किस्मत को कोसते कब रात बीत गई, सरिता की बिदाई हो गई उसे पता ही नहीं चला। दरवाजे पर हुई दस्तक उसे होश आया और उसने दरवाजा खोला। मालती और कुसुम को देखकर वो कुछ बोलने को हुई कि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा। मालती ने नयनतारा के बाल पकड़कर झंझोड़ते हुए कहा।
मालती- अरे करमजली। कुछ तो शरमकर लेती। वो तेरे जीजाजी थे। तुझे ऐसा करते हुए लाज भी नहीं आई।
नयनतारा- माँ मेरी बात तो सुनो। मैंने कुछ.......
कुसुम- तू कहना क्या चाहती है कि तेरे जीजाजी झूठ बोलेंगे। अपने कुकर्मों का ठीकरा मेरे पति पर मत फोड़ो तेरा तो साया ही खराब है। पहले अपने पति को खा गई फिर अपने देवर पर डोरे डाले, सरिता की शादी तुड़वाई और अब मेरा परिवार बरबाद करने पर तुली है।
नयनतारा(चीखते हुए)- सच्चाई जाकर अपने कमीने पति से पूछो। क्या करने आए थे वो रात में घरपर।
विनोद(आते हुए)- मुझसे क्या पूछना। कल माँ ने ही मुझे किसी काम से घर पर भेजा था। मैं अपनी मरजी से नहीं आया था।
नयनतारा- मेरा विश्वास करो माँ जीजाजी झूठ बोल रहे हैं।
मालती- चुप कर करमजली। पहले अपने पति को खा गई और अब अपनी बहन के पति पर डोरे डाल रही है। तू इतनी चरित्रहीन कैसे हो गई।
ये कहकर मालती वहाँ से चली गई। कुसुम तिरस्कार भरी नजर नयनतारा पर डालकर चली गई। इस हादसे ने नयन को पूरी तरह तोड़ दिया। जिस वक्त उसे अपनों के सहारे की जरूरत थी उस समय उसके साथ कोई नहीं था। पहले ससुराल में चरित्रहीन का तमगा और अब मायके में चरित्रहीन साबित होने पर नयनतारा पूरी तरह हिल गई थी और जिसने ये सब किया उसे दामादजी बोलकर उसके तलवे चाट रहे थे।
उस दिन नयनतारा अपने कमरे में ही बंद रही, रोती रही, बिलखती रही और अपने आने वाले भविष्य के लिए सोच-विचार करती रही। काफी सोच-विचार के बाद उसने एक निर्णय लिया। अगले दिन नयनतारा तैयार होकर अपने शैक्षणिक दस्तावेज लेकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हुई।
नयनतारा- हे भोलेनाथ, आज से मैं अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहती हूँ। दुनिया मुझे चाहे जो भी समझे आप तो सबके मन की जानते हैं। मैंने कोई गलती नहीं की फिर क्यों मैं ही दोषी। भोलेनाथ बस जो हुआ वो हुआ अब मैं एक नई शुरुआत करना चाहती हूँ। आप अपना हाथ मेरे सिर पर बनाए रखना।
प्रार्थना कर नयनतारा बाहर जाने लगी तो सभी की भौंहें तन गई। कई व्यंग-बाण कुसुम ने उसके चरित्र पर छोड़े। जगदीशजी ने दहाड़ते हुए कहा।
जगदीशजी- खबरदार जो एक कदम भी घर से बाहर निकाला तो। अरे करमजली तूने हमारे माथे पर कालिख पोतने की कमस खा ली है क्या। किस बात की कमी है तुझे यहाँ। सुबह-शाम दो कौर खा और पड़ी रह। विधवा के लिए यही जिंदगी होती है।
नयनतारा- विधवा को कैसे रहना है और कैसे नहीं ये कहने वाले आप होते कौन हैं पापा। क्या सारी रोक-टोक सिर्फ औरतों के लिए ही होती है। मैंने फैसला ले लिया है। आप मुझे मत रोकिए।
जगदीशजी- खबरदार जो एक कदम भी घर से बाहर निकाला। नहीं तो इस घर के दरवाजे तेरे लिए हमेशा के लिए बंद हो जाएँगे। कोई रिश्ता नहीं रहेगा हमारे बीच।
नयनतारा- ठीक है अगर आप यही चाहते हैं तो यही सही।
नयनतारा घर से निकल गई। आस-पास की औरतों को बड़ा मजा आ रहा था यह सब देककर। नयनतारा अपने किस्मत का फैसला समझकर उस जंजाल से निकल चुकी थी, लेकिन इस बात से अनजान कि उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बवंडर आने वाला है। आगे ऐसे-ऐसे तूफान आने वाले थे जिससे बचना उसके बस में नहीं था।
घर से निकल जाना एक बात है पर जब ये पताही न हो कि घर से निकलकर जाना कहाँ है तो होश ठिकाने आते हैं। नयन घर से तो निकल गई थी पर उसे पता नहीं था कि वो कहाँ जाए। सबसे पहले उसे काम की जरूरत थी। नयन ने तो अभी अपना स्नातक भी पूरा नहीं किया था। शादी के बाद जिंदगी के झंझावातों ने उसे पढ़ने का मौका ही नहीं दिया।
उसने कई जगह नौकरी के लिए कोशिश की लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला, तभी एक स्कूल के चपरासी ने उसे एक कार्ड देते हुए कहा कि उसे इस जगह नोकरी मिल सकती है। नयनतारा वहाँ पहुँची तो पता चला कि उसे बार काउंटर पर खड़े होकर ग्राहकों को ड्रिंक सर्व करनी थी। पहले तो वो इसके लिए मना करना चाहती थी, लेकिन उसे नौकरी की जरूरत थी तो उसने काफी सोचने के बाद हाँ कर दिया।
नौकरी मिलने के बाद रहने के लिए घर की समस्या थी। उसने कई जगह कोशिश की घर के लिए लेकिन उसे घर नहीं मिला। रात गहरी हो रही थी तो उसे अपनी सहेली मीरा की याद आयी जो शादी के बाद इसी शहर में रहती थी। नयनतारा मीरा के यहाँ पहुँच गई। दोनों सहोलियाँ मिलकर बहुत खुश हुई। मीरा से मिलने के बाद उसके रहने की भी व्यवस्था हो गई थी।
आने वाली कठिनाईयों से अनजान नयनतारा आगे की जिंदगी जीने लगी। नयनतारा जिस बार में काम करती थी वहाँ अधिकतर महिलाएँ ही थी। डेविड(बार मालिक) ने अपने बार में महिलाओं को इसलिए रखा था ताकि अधिक-से-अधिक ग्राहक उसके बार में आएँ। नयनतारा को शुरू-शुरू में अपनी नौकरी में परेशानी हुई, लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे उसे आदत पड़ने लगी।
नयनतारा बार में काम करती है ये बात मीरा को अच्छी नहीं लगी। साथ ही पास-पड़ोस में भी उसे लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी जिसके कारण मीरा के मन में नयनतारा को लेकर जहर घुलने लगा, लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी।
नयनतारा की किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी कि खुशियाँ उसके दामन में टिक सकें। एक सुबह मीरा का पति रमन जो घर से बाहर रहता था, वह घर आया।
उस समय नयनतारा रसोईघर में चाय बना रही थी और मीरा बाहर गई हुई थी। रमन ने नयनतारा को मीरा समझकर पीछे से अपनी बाहों में भर लिया नयनतारा चौंक कर पीछे मुड़ी तो रमन भी चौक गया और तुम कौन हो बोलकर उसे छोड़ दिया।
उसी समय मीरा भी किचन में आ गई और सबकुछ देख लिया। पहले पास-पड़ोस की बातें फिर आज की घटना ने मीरा के मन में चिंगारी लगा दी थी उसने नयनतारा को घर से भगाने का निर्णय कर लिया। शाम को रमन से बात करने के बाद उसने नयनतारा को समाज की दुहाई देकर घर से चले जाने के लिए कह दिया।
यह सुनकर नयनतारा की आँखों में आँसू आ गए पर उसने कुछ नहीं कहा। जब अपनों ने ही उसका साथ छोड़ दिया था तो गैरों से क्या गिला करती वो। उसने अपना सामान लिया बच्चे को दुलार किया और घर से बाहर निकल गई।
वहाँ से निकलकर वो एक सस्ते से होटल में रुक गई। दिनभर की भागदौड़ से वह थक गई थी, इसलिए लेटते ही उसे नींद आ गई। रात को शोर-शराबे और दरवाजा पीटने से उसकी आँख खुली। उसने दरवाजा खोला तो पुलिस उसे पकड़ने लगी।
नयनतारा- मैंने क्या किया है।
कांस्टेबल- साली, कुतिया। यहाँ देह व्यापार करते हुए तुझे शर्म नहीं आई। अब नाटक करती है। चल थाने।
नयनतारा मना करती रही लेकिन पुलिस उसे पकड़कर थाने ले गई। उसके साथ 10-12 लड़कियाँ और भी थी। आज नयनतारा एक धन्धेवाली के तमगे के साथ थाने में बैठी थी।
सुबह तक नयनतारा को छोड़कर सभी लड़कियों की जमानत हो गई । पुलिस के कहने पर नयनतारा ने कुछ सोचकर डेविड को फोन किया और उसे सारी बात बताई। डेविड थाने जाकर उसकी जमानत करवाई और अपने घर ले जाने लगा। नयनतारा उसके घर जाने से घबरा रही थी, लेकिन अभी उसके पास कोई और रास्ता नहीं था।
उधर सुबह के अखबार में नयनतारा की फोटो धन्धेवाली के रूप में छपी थी। जिसे देखकर जगदीशजी ने नयनतारा को फोन किया और उसे चरित्रहीन, पैदा होते ही मर क्यों नहीं गई, करमजली आदि शब्दों नवाजा, उसकी फोटो पर माला पहनाई और नयनतारा का श्राध कर दिया।
नयनतारा रोते बिलखते डेविड के घर आई। डेविड ने उसे पानी दिया और बोला।
डेविड- देखो नयनतारा जो कुछ भी हुआ है उससे अब तुम पहले की तरह काम तो कर नहीं पाओगी, क्योंकि हर जगह तुम्हारी थू-थू हो रही है। अब या तो तुम ये शहर छोड़ दो या फिर........मुझसे शादी कर लो। मैं तुम्हें खुश रखूँगा।
नयनतारा- (आश्चर्य से)लेकिन आप तो शादीशुदा है।
डेविड- तो क्या हुआ। अच्छे से सोच लो फिर बताना।
यह कहकर डेविड चला गया, लेकिन उसके शब्द नयनतारा के कानों में गूँज रहे थे। पिछली बातें सोचकर नयनतारा खूब रोई। अभी वह ढंग से 25 की भी नहीं हुई थी वो अपने से दोगुने उम्र के इनसान के साथ शादी का सोच ही नहीं सकती थी। उसने निर्णय लिया कि वह यह शहर छोड़ देगी, लेकिन अब सवाल ये था कि वह जाएगी कहाँ।
नयनतारा ने एकबार फिर से अंधे कुएँ में छलांग लगाने का ठान लिया था। उसने सोच लिया था कि लोग उसके बारे में कुछ भी सोचे जब उसने कुछ किया ही नहीं तो अपनी नजरों में हमेशा के लिए गिरने से अच्छा है जब तक जिए लड़ कर जिए।
डेविड ने होटल से नयनतारा का सामान मँगवा दिया था। नयनतारा ने रसोईघर में जाकर कुछ खाने का सामान लिया और उसे अपने बैग में भरकर उसके घर से बाहर निकल गई। अब वह कहाँ जाएगी उसे कुछ भी पता नहीं था। उसके पास पैसे भी नहीं थे। उसने अपने कान की बाली बेची और रेलवे स्टेशन पहुँचकर टिकट लेकर मुम्बई की गाड़ी में बैठ गई। गाड़ी के लगभग हर मर्द उसे खा जाने वाली नजरों से देख रहे थे। नयनतारा खिड़की से बाहर देखने लगी।
आज पहली बार उसे लगा कि घर से बाहर निकलकर उसने कितनी बड़ी गलती कर दी। वो उस पंछी की तरह थी जिसको बचपन से बड़े होने तक पिंज़रे में पाला जाता है जिससे वो खुले आसमान में उड़ना भूल जाता है। और जब पिंजरा खोलकर पंछी को आसमान में छोड़ा जाता है तो पंछी या तो मर जाता है या किसी का शिकार हो जाता है।
यही हाल आज नयन का भी था वो उसी पंछी की भाँति अपने पिंजरे से निकल तो आई थी पर अब खुले आसमान में उड़ने का न हुनर था और न ही वो जानती थी कि आसमान के नीचे शिकारी उसके लिए घात लगाए बैठे हैं।
बहरहाल नयन मुम्बई पहुँच चुकी थी, लेकिन अब आगे क्या करना है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि इनसान हर जख्म सहन कर सकता है परंतु पेट की भूख नहीं सहन कर सकता, नयन के पास ज्यादा पैसे भी नहीं बचे थे। उसे जल्द-से-जल्द काम की जरूरत थी। वह स्टेशन पर ही बैठ गई और थके होने के कारण उसकी आँख लग गई। नयन की नींद खुली तो देखा उसके सामने एक औरत सजधजकर खड़ी है। नयन उसे देखते ही जान गई कि ये धन्धा करने वाली है। उस औरत ने कहा।
औरत- अगर तू चाहे तो मुझे अपना दुःख बता सकती है। मैं भी ऐसे ही स्टेशन पर खो गई थी, लेकिन तू तो भले घर की लग रही है।
औरत ने इतने अपनेपन से पूछा था कि नयनतारा अपनी कहानी उसे सुनाती चली गई। औरत जिसका नाम चंपा था पूरी कहानी सुनने के बाद उसने कहा।
चंपा- देखो नयन, मैं तेरे को कुछ ज्यादा तो नहीं दे सकती पर हाँ तू चाहे तो मेरी खोली में रह सकती है। ये दुनिया न हम औरतों को जीने नहीं देती। तू सही करेगी तब भी उँगली उठाएगी और गलत करेगी तब भी, पर अगर ये सब सोचने बैठेगी तो जी नहीं पाएगी। चल मेरे साथ अगर स्टेशन पर रही तो कोई-न-कोई तुझे अपना शिकार बना लेगा। यहाँ किस चेहरे के पीछे भेड़िया छिपा है तेरे को नजर नहीं आएगा।
नयन को कहीं तो जाना ही था इसलिए वो चंपा के साथ ही चली गई। वहाँ चंपा की तरह और कई महिलाएँ थी जो मजबूरी में अपने जिस्म का सौदा करती थी। भले ही चंपा का काम निहायत ही गिरे दर्जे का था पर उसका दिल उन तमाम अमीरजादों से अच्छा था जिनकी नजर में इंसानियत का कोई मोल नहीं था।
अगले दिन नयनतारा ने एक नई दुनिया देखी जिसमें उसकी जिंदगी का दर्द कुछ भी नहीं था। लाचारी, गरीबी, संघर्ष ये सब नयन की आँख खोलने वाली थी। जब खाने के लिए भोजन और पीने के लिए पानी न हो तो इंसान सबकुछ बेच सकता है फिर वो जिस्म ही क्यों न हो।
दो दिन तक नयन चंपा के यहाँ रही, फिर उसने फैसला किया कि वो भी कुछ काम करेगी। अगले दिन वह नौकरी के लिए निकल गई और एक शोरूम में उसे सेल्सगर्ल की नौकरी मिल गई। तनख्वाह ज्यादा नहीं थी लेकिन नयन के लिए यही काफी था। उसने ऑफिस के आस-पास ही घर लेने का सोचा। उसने चंपा को लेकर घर की खोज की लेकिन चंपा को देखकर कोई भी उसे घर देने को तैयार नहीं होता।
चंपा- ये वही इज्जतदार लोग हैं नयन जो रात को तो हमारे पास आने के पैसे देते हैं और दिन में हमारी शक्ल से नफरत करते हैं। तू अपनी जिंदगी में आगे बढ़ नयन। कभी-कभार मिलने आजाया करना।
न चाहते हुए भी नयनतारा को चंपा की बात माननी पड़ी। ऑफिस के पास ही नयन ने कमरा ले लिया। जिस शोरूम में नयन काम करती थी वहाँ के मैनेजर वरुण की नजर नयन के यौवन पर थी। वह किसी भी तरीके से नयन के यौवनरूपी सागर में गोते लगाना चाहता था। नयन इन सब बातों से अनजान अपने काम में व्यस्त रहती। उसे पता ही नहीं था कि कोई उसपर अपनी कुदृष्टि डाल चुका है। कुछ ही समय में नयन के मिलनसार स्वभाव के कारण उसकी कुछ लड़कियों से दोस्ती हो गई थी।
क्रिसमस के अवसर पर वरुण ने अपने घर पर पार्टी रखी थी और ऑफिस के कुछ कर्मचारियों के साथ उसने नयन को भी निमंत्रण दिया। रात को सब वरुण के घर डिनर के लिए गए। घर काफी अच्छा था और उसकी पत्नी मालिनी बहुत खूबसूरत महिला थी। सबने अच्छे से डिनर किया और चले गए।
अगले दिन ऑफिस पहुँचने पर सब नयनतारा को बधाई देने लगे। उसे पता चला कि उसका प्रमोशन हो गया तो उसे यकीन नहीं हुआ। वरुण ने भी उसे बधाई दी।
वरुण- मिस नयनतारा। आपके काम से हमें काफी फायदा हो रहा है। आपके कस्टमर से डील करने की स्किल काफी अच्छी है इस वजह से आप को प्रमोट किया गया है।
नयनतारा- धन्यवाद सर।
नयनतारा अपने काम में लग गई। लेकिन कुछ सीनियर लड़कियों ने नयनतारा के चरित्र पर उँगली उठानी शुरू कर दी।
पहली- हम तो यहाँ कई सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन हमारा प्रमोशन तो नहीं हुआ। कल की आई लड़की ने ऐसा क्या जादू कर दिया कि इसको प्रमोशन मिल गया।
दूसरी- अरे जादू क्या। अपने हुश्न के जाल में फाँस लिया होगा वरुण सर को। उनका बिस्तर गरम किया होगा तभी इतनी जल्दी प्रमोशन पा लिया।
अब जितने मुँह उतनी बाते हो रही थी। नयनतारा को यह सब बहुत बुरा लग रहा था, क्योंकि अतीत फिर से अपने आप को दोहरा रहा था। काम खत्म हो जाने के बाद वो घर जाने लगी तो वरुण ने उसे लिफ्ट दी। पहले तो उसने मना कर दिया, लेकिन वरुण के फोर्स करने पर वह मना नहीं कर पाई और उसकी गाड़ी में बैठ गई। वरुण ने उसके काम के साथ-साथ उसकी खूबसूरती की भी तारीफ की जो लड़कियों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है।
समय के साथ-साथ वरुण और नयनतारा में दोस्ती हो गई। नयनतारा की तरफ से तो ये बस दोस्ती ही थी, लेकिन वरुण की तरफ से कुछ और ही था जो नयनतारा समझ नहीं पाई थी। दोनों का साथ ऑफिस में गोसिप का मुद्दा बन गया था। जितने मुँह उतनी बातें हो रही थी। उन्हीं में से एक लड़की ने दोनों की साथ में कई फोटो भी निकाल ली।
धीरे-धीरे 2 महीने बीत गए। उनकी दोस्ती और ज्यादा गहरी हो गई। नयनतारा अब वरुण को अपना हमदर्द समझने लगी थी। अब वरुण नयन के घर भी जाने लगा था। एक रविवार शाम को वरुण खतरनाक इरादे के साथ नयनतारा के घर गया और बहाने से उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा तो नयन ने उसे चाँटा मार दिया और घर से बाहर भागी।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला सामने मालिनी खड़ी थी। नयनतारा के अस्तव्यस्त कपड़े देख और कमरे में वरुण को देख वो आगबबूला हो गई।
नयनतारा- आआआपपपप.
मालिनी- क्यों तुम्हें उम्मीद नहीं थी कि मैं यहाँ आऊँगी। शर्म नहीं आती तुम्हें यू एक शादीशुदा इनसान के साथ रंगरेलियाँ मनाते हुए। और वरुण तुम, तुम्हें एक बार भी मेरे और बच्चों का ख्याल नहीं आया। इस धन्धेवाली के लिए तुमने मुझे धोखा दिया।
नयनतारा- जबानसंभाल कर बात कीजिए मालिनी जी आपकी हिम्मत.......
मालिनी- (अखबार दिखाते हुए) जो तुम हो मैंने वही कहा है। शुक्र मनाओ कि मैंने पुलिस को नहीं बुलाया।
वरुण मालिनी के पैरों में गिर पड़ा और माफी माँगने लगा। मालिनी उसे खीचकर बाहर ले जाती है। मकानमालिक ने नयन को घर से निकाल दिया। नयन के लिए ये सबसे बड़ा झटका था। जिसे उसने अपना हमदर्द समझा था उसी ने उसके साथ ऐसा किया।
नयन का दिल अब दुनिया से फट चुका था वह अब जीना नहीं चाहती थी। वह अपना सामान लेकर सड़क पर चलने लगी तभी एक जोरदार टक्कर से नयन बेहोश हो जाती है। सुबह जब उसकी आँख खुलती है तो अपने आपको एक आलीशान घर में पाती है। नयन ने उठने की कोशिश की तो उसे दर्द हुआ।
लेटी रहिए मोहतरमा। एक 30-32 साल का आदमी जो रईस लग रहा था नयन के पास कुर्सी पर आकर बैठ गया।
नयनतारा- मैं यहाँ कैसे।
आदमी- दिमाग पर ज्यादा जोर मत दीजिए। बस इतना समझ लीजिए कि जिस इरादे से आप बदहवास होकर सड़क पर निकली थी वो पूरा नहीं हुआ। वैसे मुझे कबीर खन्ना करते हैं। क्या मैं जान सकता हूँ कि आप मरने के लिए इतनी उत्साहित क्यों हैं।
नयनतारा ने कोई जवाब नही दिया। तभी एक लड़की(डाँली) कमरे में आई और नयन को कॉफी देते हुए बोली।
डॉली- मैं और कबीर भाई-बहन है तुम कल रात हमारी कार से टकरा गई थी।
दोनों ने नयन से उसका नाम पूछा और उसे आराम करने के लिए कहकर चले गए। डॉली और कबीर अपनी कास्टिंग एजेंसी चलाते थे यही उनका रोजगार था।
कुछ देर सोने के बाद नयनतारा उठी और जाकर फ्रेस हुई। शॉवर के पानी के साथ उसके आँसू भी बाहर निकल रहे थे। जब वह वाशरूम से बाहर निकली तो सामने डॉली खड़ी थी। उसने नयनतारा की आखों में देखते हुए कहा।
डॉली- देखो नयनतारा मुझे नहीं पता कि तुम खुदखुशी करने क्यों गई थी और तुम्हारे साथ क्या हुआ है। पर नयन इस दुनियामें किसी की भी जिंदगी आसान नहीं है। किसी को पैसे की दिक्कत है तो किसी को परिवार की। किसी के बच्चे नहीं है तो किसी का पति। पर इंसान जीना तो नहीं छोड़ देता न। भगवान के दिए जीवन को रोते हुए बरबाद करने से अच्छा है अपने लिए जिए। अगर तुम चाहो तो मुझे अपने बारे में बता सकती हो।
डॉली की बातों में अपनापन देखकर नयनतारा ने अपना दिल उसके सामने खोलकर रख दिया। डॉली ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।
डॉली- नयन हिम्मत मत हारो। हम औरतों की जिंदगी में बचपन से ही संघर्ष होता है। हर पुरुष एक समान नहीं होता नयन पर तुम्हारा दुर्भाग्य कि जो पुरुष तुम्हारी जिंदगी में आए सब कमीने निकले। जो तुम्हारे साथ हुआ है न नयन मैं भी इसकी भुक्तभोगी हूँ।
मेरी शादी भी 19 वर्ष की उम्र में हो गई थी पर मेरे पति मरे नहीं थे, बल्कि लड़का न दे पाने के कारण उन्होंने मुझे 24 वर्ष की उम्र में ही छोड़ दिया। शादी के 5 सालों तक मैंने नरक यातना भुगती। जैसे आज तुम सड़क पर मौत की आशा में निकली थी वैसे मैं भी अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए घर से बाहर निकली थी।
मैंने अपने पति को छोड़ दिया, पर मेरे लिए मायके के दरवाजे भी बंद हो चुके थे। वो तो अच्छा हो कबीर का जिसने मुझे उस रात उन दरिंदो से बचाया और अपने घर में शरण दी। उसने मुझे पढ़ने में खुद नौकरी करने में मदद की। आज मैं जो कुछ भी हूँ सिर्फ कबीर की वजह से हूँ। नयन ये सब समझाने का मेरा बस एक मकसद था कि दुनिया का हर पुरुष गलत नहीं है। हाँ कुछ की गलती से पूरा समाज बदनाम हो जाता है।
देखो नयन मैं तुम्हारी बहन जैसी हूँ इसलिए तुम परेशान मत हो और अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करो। यही सही मायनों में थप्पड़ होगा उन तमाम लोगों के लिए जो हम जैसी अकेली स्त्रियों को चरित्रहीन करते जरा नहीं शर्माते जबकि खुद अंदर से अपने चरित्र को नहीं देखते।
नयनतारा को अब पुरुषों पर भरोसा नहीं रह गया था, लेकिन डॉली एक लड़की थी नयनतारा उसपर भरोसा कर सकती थी। डॉली की बात सुनकर नयनतारा को हौंसला मिला। तो उसने भी आगे बढ़ने का फैसला कर लिया, लेकिन क्या इतना आसान था नयनतारा के लिए अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना। अभी तो उसके जीवन में असली तूफान आना बाकी था।
नयनतारा भी डॉली और कबीर के साथ बहुत हदतक अपने गम भुलाकर आगे बढ़ रही थी। एक दिन कबीर से मिलने के लिए कोई फोटोग्राफर आया। दरवाजा नयन ने खोला। दरवाजे पर एक 26-27 वर्ष का आकर्षक नौजवान खड़ा था। लड़के ने जब नयनतारा को देखा तो बस देखता ही रह गया। उसकी नजरें नयनतारा से हट ही नहीं रही थी। पहली नजर का प्यार हो गया था उसे नयनतारा से।
नयनतारा के बार-बार पुकारने पर भी वो अपने होश में नहीं आया और अपलक नयनतारा को देखता रहा। नयनतारा असहज महसूस करने लगी थी। तभी डॉली नहाकर बाहर आई और लड़के को देखकर बोली।
डॉली- अरे करन। आओ अंदर आओ। नयन अंदर आने दो करन को।
नयन एक तरफ हट गई तो करन अंदर आया। डॉली ने करन और नयनतारा का परिचय करवाया। कुछ देर बाद जब नयनतारा वहाँ से चली गई तो करन ने कहा।
करन- यार डॉली ये लड़की काफी खूबसूरत है। एक काम करो मैं एक इंडियन साडी की सूट कर रहा हूँ इसे मॉडल की जगह ले सकते हैं।
डॉली- मुझे उससे बात करनी पड़ेगी करन।
करन- अच्छा मैं चलता हूँ तुम एक बार उससे बात जरूर कर लेना शायद वो मान जाए।
करन डॉली के यहाँ से चला गया लेकिन उसके दिल-दिमाग में नयनतारा की सूनी आँखें ही शोर मचाती रही। करन के जाने बाद डॉली नयनतारा के पास गई और उसे करन के प्रपोजल के बारे में बताया तो उसने मना कर दिया। क्योंकि नयनतारा चरित्रहीन की तोहमत से, परिवार वालों की बेरुखी से वैसे ही परेशान थी। वो नहीं चाहती थी कि उसके ऐसा करने से फिर से लोगों को कुछ कहने का मौका मिल जाए। डॉली के बहुत समझाने के बाद आखिरकार नयनतारा इसके लिए तैयार हो गई।
डॉली ने करन से बात करने के लिए रात डिनर के लिए उसे घर बुलाया। करन खुद नयनतारा से मिलने के लिए उत्सुक था। तो वह रात में डिनर के लिए डॉली के घर गया। दरवाजा नयनतारा ने खोला। दोनों की आँखें चार हुई तो नयनतारा ने अपनी नजरें झुका ली और साइड हट गई। डिनर करते हुए करन बस नयनतारा को ही देख रहा था। जिसे नयनतारा भी महसूस कर असहज हो रही थी।
डिनर के बाद करन ने हफ्ते भर बाद का फोटोसूट कहकर चला गया। हफ्ते भर नयनतारा अपने आपको इस फोटोसूट के लिए तैयार करती रही। आखिर वह दिन आ ही गया। आज नयनतारा का फोटोसूट था और नयन ने एक दो गलतियों के बाद बहुत अच्छे से फोटोसूट करवाया। करन भी नयनतारा की छोटी-छोटी बातों का ख्याल रख रहा था। कहीं न कहीं नयनतारा को करन का व्यवहार अच्छा भी लग रहा था, लेकिन अपने अतीत के कारण वह सजग थी।
ऐसे ही कुछ समयांतराल पर करन और नयनतारा की फोटोसूट के दौरान मुलाकात होती रही और नयनतारा उसके दिल की गहराइयों में उतरती रही। नयनतारा भी उसका प्यार महसूस कर पा रही थी, लेकिन वो अब कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी।
एक दिन फोटोसूट के दौरान करन ने नयनतारा को प्रपोज कर दिया।
करन- नयनतारा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। जब से मैंने तुम्हें देखा है मेरा दिल मेरे बस में नहीं है। दिन-रात सिर्फ तुम ही नजर आती हो। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। देखों प्लीज मना मत करना।
जिस बात का डर नयनतारा को था वही हुआ। करन की बात सुनकर वो बिना कुछ बोले ही चली गई। नयनतारा की चुप्पी करन को परेशान कर गई। दो दिन बाद करन डॉली से मिला। उससे नयन के बारे में बात की और अपने प्यार के बारे में उसे बताया। डॉली ने कहा।
डॉली- ये प्यार-व्यार सब झूठ होता है करन। उसका सच जानते ही तुम्हारे प्यार का भूत उतर जाएगा।
करन- प्लीज डॉली, मेरे प्यार का मजाक मत उड़ाओ और जो भी कहना है साफ-साफ कहो।
डॉली- ठीक है तो सुनो। वो एक विधवा है।
करन- क्या।
डॉली- उसके ससुराल वाले और उसके घरवालों ने उसपर बदचलन और चरित्रहीन होने का आरोप लगाया है।
करन- (आश्चर्य से) क्या
डॉली- उसपर धन्धा करने का आरोप है। कई मर्दों ने उसे धोखा दिया है। इसका साथ तो उसके परिवारवालों ने नहीं दिया तो तुम क्या दोगे।
करन- मुझे तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं है। फिरभी अगर ये सच भी है तो मुझे उसके अतीत से कोई मतलब नहीं है। मैं उससे प्यार करता हूँ यही वर्तमान की सच्चाई है।
करन की बात से डॉली को बहुत खुशी हुई। करन के जाने के बाद डॉली ने नयनतारा से बात की और उसे समझाया। महीनों तक नयनतारा ने इसपर गौर किया। महीने भर में करन के व्यवहार और प्यार ने आखिरकार नयनतारा ने करन के प्यार को स्वीकार कर लिया। आज नयनतारा के पास कबीर और डॉली जैसे दोस्त और करन का प्यार था।
एक हफ्ते बाद करन नयनतारा को अपने भैया-भाभी से मिलवाने अपने घर ले गया। नयनतारा बहुत नर्वस थी। करन नयनतारा को लेकर घर के अंदर आया और अपनी भाभी को बुलाने चला गया। अंदर नयनतारा ने कुछ ऐसे देखा कि उसकी आँखें फटी रह गई। सामने वरुण खड़ा था। उसने नयनतारा से कहा।
वरुण- तुम। तुम यहाँ क्या करने आई हो।
तबतक करन मालिनी के साथ बाहर आ गया।
करन- भाभी ये है नयनतारा। मैं इसी की बात कर रहा था और नयन ये हैं मेरे भैया वरुण और भाभी मालिनी।
नयनतारा को लगा कि एक बार फिर से उसे ठग लिया गया है। वो जड़वत हो गई थी। वो क्या बोले कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी मालिनी नयन के पास आई और उसके गालों को इधर-उधर करते हुए बोली।
मालिनी- ऐसा क्या जादू है भाई तुममें कि दोनों भाई तुम्हारी तरफ आकर्षित हो गए। कोई जादू-वादू जानती हो क्या। वैसे नाम भी तुम्हारा नयनतारा है।
करन- ये आप क्या कह रही हैं भाभी। ये नयनतारा है इसी से तो मैं शादी...........
वरुण-(थप्पड़ मारकर)क्या बकवास कर रहा है तू। जानता भी है ये क्या क्या गुल खिला चुकी है। अरे ये धन्धा करती है धन्धा।
करन-(चिल्लाकर)भैया।
वरुण- तू मासूम है करन। इस बेगैरत औरत ने तुझे भी बरगला दिया है। इससे कोई क्या शादी करेगा जो हर रात अपना पति बदलती है।
नयन की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे।
करन- ये आप क्या कह रहे हैं भैया। भगवान के लिए चुप हो जाइए। मुझे नयन के बारे में सब पता है। आप उसके बारे में ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं।
मालिनी- (बीचमें)ये लड़की वही है जिसे मैंने तेरे भैया के साथ रंगे हाथों पकड़ा था और आज तू भी।
करन- क्या
करन भौचक्का होकर जमीन पर बैठ गया। इससे ज्यादा नयनतारा के लिए सुनना मुश्किल था। वह रोते हुए घर से बाहर भाग गई। वो रोती हुई बेतहाशा भागी जा रही थी तभी सामने से आती हुई कार से टकरा गई। कारवाला भला मानुष था तो उसने तुरंत उसे अस्पताल पहुँचाया और नयन के फोन से डॉली को फोन किया। डॉली भागी हुई अस्पताल पहुँची। डॉली के पूछने पर नयनतारा ने सबकुछ उसे बता दिया।
डॉली- (शाक्ड) अब इसमें करन तो अपने भाई की ही सुनेगा। ऐसे उदास मत हो और जिंदगी में आगे बढ़ो अगर करन तुम्हें सच्चा प्यार करता होगा तो वो जरूर तुम्हारे पास आएगा और अगर उसे तुम्हारे जिस्म की चाह होगी तो अच्छा हुआ वो तुमसे दूर हो गया।
डॉली के समझाने के बाद नयनतारा थोड़ी संभल गई। डॉली ने करन को फोन किया तो वरुण ने फोन उठाया डॉली ने नयनतारा की हालत के बारे में करन को बताने के लिए कहा। दो दिन अस्पताल में बीत गए लेकिन करन नयनतारा से मिलने नहीं आया। नयनतारा ने भी इसे अपनी किस्मत मान लिया कि शायद प्यार और सुख उसकी किस्मत में हैं ही नहीं।
अस्पताल से वापस आने के तीन दिन बाद डॉली उसे किसी से मिलाने का बोल रही थी। उसका कहना था कि घर में पड़े रहने से अच्छा है बाहर निकलो और अपने काम पर फोकस करो। डॉली ने नयनतारा को तैयार होने भेज दिया और फोन पर बात करने लगी। नयनतारा तैयार होकर डॉली को बुलाने उसके कमरे में गई, लेकिन उसने जो बात सुनी उससे उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि डॉली उसके साथ इस तरह का धोखा करेगी।
डॉली- (फोन पर) अरे तुम चिंता मत करो। उस लड़की को मैंने अच्छी तरह शीशे में उतार लिया है। अब वो मुझसे खुद से ज्यादा भरोसा करती है।
कोई किसी की मदद फ्री में नहीं करता। हर चीज की कीमत होती है। मेरा तो काम ही है भोली-भाली और मजबूर लड़कियों को अपने जाल में फँसाना।
आज तक कबीर को नहीं पता चला मेरे इस काम के बारे में तो उसे कैसे पता चलेगा कि मैं उसका फायदा उठाकर पैसा कमाना चाहती हूँ। अब तो करन भी उसके साथ नहीं है। बस 5-6 साल और उसकी जवानी है उसक बाद कौन उसे पूछेगा।
मैं जल्द-ही उसे तुम्हारे पास भी लेकर आऊँगी। फिलहाल तो मिस्टर राठौड़ को कई लड़कियों को फोटो दिखाई थी, लेकिन उन्हें आज इस लड़की को चखना है। अच्छा अब फोन रखती हूँ।
नयनतारा का तो बस रोने का मन कर रहा था। जिसको उसने अपना समझा उसी ने उसके पीठ में छूरा घोंपा। अब तो उसका इंसानियत से भरोसा ही उठ गया था, लेकिन उसने किसी तरह खुद को संयत किया। वो भाग-दौड़ करके थक गई थी इसलिए उसने खुद इस स्थिति से निपटने का निर्णय लिया।
नयनतारा डॉली के साथ राठौड़ के यहाँ पहुँची और नजर बचाकर कैमरे की रिकार्डिंग ऑन कर उसे एक सुरक्षित जगह छिपा दिया। आवभगत के बाद डॉली फोन का बहाना बनाकर कमरे से बाहर चली गई तो राठौड बातों-बातों में नयनतारा के साथ छेड़खानी करने लगा। नयनतारा ने पास रखा गमला उठाकर उसके सिर पर दे मारा और अपना फोन लेकर कमरे का दरवाजा खोला तो करन पुलिस के साथ खड़ा था। डॉली को गिरफ्तार कर लिया गया था। करन को देखकर नयनतारा उसके गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगी। पुलिस डॉली, राठौड़ और फोन लेकर वहाँ से चली गई।
करन ने नयनतारा को चुप करवाया और अपने साथ घर ले गया। नयनतारा ने कहा।
नयनतारा- अगर आज तुम सही समय पर नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता।
करन- कुछ नहीं होता तुम्हें। आज तुमने बहुत बहादुरी दिखाई। अच्छा हुआ जो तुमने सही समय पर मुझे फोन करके डॉली की असलियत के बारे में बता दिया।
मुझे माफ कर दो जो मैं इतने दिन तुमसे मिलने नहीं आ सका। मैं भैया-भाभी को अपनी शादी के लिए मना रहा था, लेकिन वो नहीं माने। मैं तुमसे आज भी उतना ही प्यार करता हूँ जितने पहले करता था। क्या तुम मुझसे शादी करोगी।
करन की बात सुनकर नयनतारा की आँखों में आँसू आ गए और वो हाँ बोलकर करन के गले लग गई। [/JUSTIFY]
समाप्त