मिल सके जो आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है जिद्द तो उसकी है जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं है।
Bhaav bohot badhiya hai iskaवह आते हैं रात और सुबह निकल जाते हैं
हमें छूते हैं ऐसे और हम पिघल जाते हैं
सोचा हमने की उन्हें हमारी परवाह ना है
पर हमने उनकी कलाई पर अपना नाम गुदा देखा.
अब हमें उनसे कोई शिकवा ना है
Waah kya baat hai.Bohot badhiya per message ko edit kar ke husaain ki jagah husn aadha s use karo mai samajh gaya hu aapne bohot badhiya likha haiकसूर तेरी इन आंखों का है.
यह मेरे हुसैन को बदनाम ना कर.
यह तोहीन है मेरे हुसैन की.
अपने दिल के कत्ल का इल्जाम मुझ पर न कर
Bohot hi badhiya waah...सोचा था उनसे रूठ जाएंगे. वो मनाए तो भी ना मानेंगे.
मगर ये दिल है ज़ालिम.
बस उन्होंने छुआ ही ऐसे की उसी की बाहों में माई सिमट गई.
Cool tum to sayar bhi banti ja rahi ho prito jiकिस्मत बुरी थी या हम. ये फैसला ना हो सका.
मै सबका होता चला गया. कोई मेरा ना हो सका.
मनझील को तो पाना मुशाफिर का मकशद है.
मुशाफिर आखिर मुशाफिर को मिल गई.
मगर मुशाफिर मंज़िल का ना हो सका.
जो फील हुआ वो लिखा. स्पेशल मेरे शैतान के लिए. फीमेल की नजरों सेBohot hi badhiya waah...
Bohot ache bheema bhai superBahut din baad aaya hun is thread pe to kuchh likhne ka man kar gya agar pasand aaye to achhi baat hai
तुम्हें क्यूँ याद रखा हुँ अब तक, ये भूल जाता हूँ ।
ना तेरी अब की नफ़रत, न तब की मुहब्बत... वसूल पाता हुँ...
बेचयनियाँ हज़ारों इस दिल समाये रखा हुँ ऐ सनम...
फ़िर भी तुम्हारे हज्र ए एहशाश को, हमेशा ज़माने के ज़िक्र मे कबूल जाता हुँ....-BHEEMA
Bhai aate jate raha karo pata nahi kaha busy rehte hoBahut din baad aaya hun is thread pe to kuchh likhne ka man kar gya agar pasand aaye to achhi baat hai
तुम्हें क्यूँ याद रखा हुँ अब तक, ये भूल जाता हूँ ।
ना तेरी अब की नफ़रत, न तब की मुहब्बत... वसूल पाता हुँ...
बेचयनियाँ हज़ारों इस दिल समाये रखा हुँ ऐ सनम...
फ़िर भी तुम्हारे हज्र ए एहशाश को, हमेशा ज़माने के ज़िक्र मे कबूल जाता हुँ....-BHEEMA