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Entertainment TheBlackBlood Empire..

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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शाख़ों पे ज़ख़्म हैं कि शगूफ़े खिले हुए।
अब के फ़रोग़-ए-गुल के अजब सिलसिले हुए।।

ख़ुर्शीद का जमाल किसे हो सका नसीब,
तारों के डूबते ही रवाँ क़ाफ़िले हुए।।

अपना ही ध्यान और कहीं था नज़र कहीं,
वर्ना थे राह में गुल-ओ-ग़ुंचे खिले हुए।।

तुम मुतमइन रहो कि न देखें न कुछ कहें,
आँखों के साथ साथ हैं लब भी सिले हुए।।

माना किसी का दर्द ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं,
फिर भी किसी के दर्द से क्या क्या गिले हुए।।
 
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TheBlackBlood

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क्या पूछते हो मुझ से कि मैं किस नगर का था।
जलता हुआ चराग़ मिरी रह-गुज़र का था।।

हम जब सफ़र पे निकले थे तारों की छाँव थी,
फिर अपने हम-रिकाब उजाला सहर का था।।

साहिल की गीली रेत ने बख़्शा था पैरहन,
जैसे समुंदरों का सफ़र चश्म-ए-तर का था।।

चेहरे पे उड़ती गर्द थी बालों में राख थी,
शायद वो हम-सफ़र मिरे उजड़े नगर का था।।

क्या चीख़ती हवाओं से अहवाल पूछता,
साया ही यादगार मिरे हम-सफ़र का था।।

यकसानियत थी कितनी हमारे वजूद में,
अपना जो हाल था वही आलम भँवर का था।।

वो कौन था जो ले के मुझे घर से चल पड़ा,
सूरत ख़िज़र की थी न वो चेहरा ख़िज़र का था।।

दहलीज़ पार कर न सके और लौट आए,
शायद मुसाफ़िरों को ख़तर बाम-ओ-दर का था।।

कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए,
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था।।

मैं उस गली से कैसे गुज़रता झुका के सर,
आख़िर को ये मुआमला भी संग-ओ-सर का था।।

लोगों ने ख़ुद ही काट दिए रास्तों के पेड़,
'अख़्तर' बदलती रुत में ये हासिल नज़र का था।।

~~'अख़्तर' होशियारपुरी
 

TheBlackBlood

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हर इक ज़ख़्म दिल का जवां जवां करके।
चला गया वो ज़िन्दगी धुआं धुआं करके।।

एक मुद्दत से कहीं उसका पता ही नहीं,
जाने कहां गया है मुझको परेशां करके।।

मेरे बग़ैर कहीं तो सुकूं से रह रहा होगा,
वो जो यादें दे गया मुझे एहसां करके।।

किसे बताऊं मुसलसल उसकी जुस्तजू में,
थक गया हूं बहुत ज़मीनो-आसमां करके।।

ग़म ये नहीं के मेरे हिस्से में इंतज़ार आया,
ग़म ये है के लौटा नहीं मुझे तन्हां करके।।

ख़ुदा करे के कहीं से ख़बर हो जाए उसे,

के बैठा है कोई बीमारे-दिलो-जां करके।।

~~~ TheBlackBlood
 
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इससे पहले के जी तन से जुदा हो जाए।
तेरी सूरत मेरी आँखों को अता हो जाए।।

मैं आ गया हूं वही इश्क़ का दरिया ले कर,
खुदा करे के तुझको भी ये पता हो जाए।।

इतना आसां नहीं तेरी याद में जीना जाना,
वो भी क्या जीना के जीना सज़ा हो जाए।।

रास आएगी तुझे भी ये मोहब्बत ऐ दोस्त,
तू जो आलम-ए-बेबसी से रिहा हो जाए।।

कज़ा के बाद तब ही मुझे सुकून आएगा,
तेरे हाथों से अगर दिल की दवा हो जाए।।

~~~~ TheBlackBlood ~~~~
 
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