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Kya lajawab update tha bhaiUPDATE 30
ट्रेनिंग-डे
रात के किसी प्रहर में, जब दुनिया सो रही थी, बिस्तर पर एक हल्की हलचल शुरू हुई। बेड का पुराना लकड़ी का ढाँचा हल्का-हल्का चरमराने लगा, जैसे कोई उस पर अपनी जगह बदल रहा हो। मेरी नींद में अभी पूरी तरह कोई खलल नहीं पड़ा, लेकिन कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा फैलने लगी थी। मुझे मेरे जिस्म में गरमाहट सी महसूस हो रही थी और कानों में गुनगुनाहट भरी आवाज रह रह कर आती । आंखे अब खुलना चाह रही थी मानो मेरी चेतना में कोई सतर्कता के लिए घंटी बज रही थी शायद अब तक अम्मी की जो हरकते रही है उसको लेकर मेरा दिमाग पूरी तरह अलर्ट हो गया था । रात के अंधेरे में मेरे सोने के बाद अम्मी का जागना हो सकता था । और सही भी था । मैने अपनी आँखें पल भर को खोली और झट से बंद कर ली
करवट लेटे हुए मेरे सामने जो नजारा मेरी आंखो के सामने आया उसे देखते ही भीतर से मेरे पूरे बदन में सरसरी उमड़ी और मै पूरी तरह से चेत गया । बंद आंखो में मेरे वो दृश्य उभर रहा था जो अभी अभी मैने देखा था
बेड के हेडबोर्ड पर, जहाँ लकड़ी की नक्काशी में पुराने फूलों के निशान उकेरे हुए थे, अम्मी उससे सटकर बैठी थी।उनका सिर हेडबोर्ड से टिका हुआ था, और उनकी साँसें थोड़ी तेज़ चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाइटी को जाँघों तक उठा रखा था—वह हल्के रंग की नाइटी, जो पुरानी होने के बावजूद उनकी रोज़ की पसंद थी। कपड़ा उनकी त्वचा पर हल्का सिकुड़ा हुआ था, और बल्ब की सफेद रोशनी में उनकी दूधिया जाँघों की गोरी चमक साफ दिख रही थी। उनका एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर था
—वह सादी सफेद पैंटी, जो रोज़मर्रा की सादगी लिए हुए थी। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे, लेकिन एक लय में हिल रही थीं, जैसे कोई गहरा तनाव या चाहत उन्हें जकड़े हुए हो।उनके दूसरे हाथ में मेरा मोबाइल था। स्क्रीन की नीली रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिख रही थी। कानों में इयरफोन लगे हुए थे—वह सस्ते वाले काले इयरफोन, जिनके तार आपस में उलझे हुए थे। मोबाइल की स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल चल रही थी। उनकी आवाज़ दबी हुई थी, जैसे वे किसी से धीरे-धीरे बात कर रही हों, शब्दों को होंठों के बीच दबाकर बोल रही हों। बीच-बीच में उनकी साँसें भारी हो जाती थीं, और उनकी उंगलियों की गति पैंटी में तेज़ हो जाती थी।
"उम्ममम सीईईई उम्हू नहीं मै नहीं आ सकती ऐसे , समझो उम्हू .... हा याद है न ( अम्मी एक गहरी आह भरते हुए बोली और उनकी उंगलियां पैंटी में चूत के गहरे घुस गई ) सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह आप बहुत तंग करते है अह्ह्ह्ह्ह आपके शौक बहुत शरारती है अह्ह्ह्ह......
अम्मी की मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया और शब्द सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी । देर रात में अब्बू और अम्मी की बातें सुनने का मजा ही कुछ और था । लेकिन ये मजा दुगना हो जाता अगर अब्बू की शरारत भरी गंदी बातें सुनने को मिलती जो वो अम्मी के जिस्म की तारीफ ने कहते नहीं थकते थे
हम्ममम क्यों आपको नहीं अच्छा लगा था ? ( अम्मी की उंगलियां रुक गई और चेहरे पर शरारती भाव थे ) ........ धत्त बदमाश हो आप ( अम्मी ने दुबारा से पैंटी के ऊपर से चूत के फांके पर एक उंगली ऊपर नीचे करने लगी उनकी रसाई बुर से पैंटी पूरी पचपचाई हुई थी ) ...... क्या ? नहीं अब रखो हो गया ... मुझे नीद आ रही है आप हो कि ( अम्मी उबासी लेती हुई बोली ) ...... दिन में कहा शानू रहता है पूरे दिन और उसके अब्बू आ जायेंगे तो ये मौका भी गया हीही ( अम्मी खिलखिलाई और फिर शांत हो गई )
मेरे कान खड़े हो गए ये सोच कर कि क्या मैने जो सुना वो सही था । इतनी देर रात में अम्मी अब्बू के सिवा भला किस्से बाते कर रही थी .. कही वो कार वाला आदमी तो नहीं ?
एक बार फिर मै आवेश और उलझन से भर गया । कि अम्मी ने अब मेरे साथ साथ अब्बू को भी धोखा देने लगी ।
अम्मी ने फोन काट कर मोबाइल और इयरफोन बिस्तर पर रखा और उठ कर बाथरूम के लिए कमरे से बाहर निकल गई
जैसे ही वो निकली मैने लपक कर मोबाइल उठाया और व्हाट्सअप ओपन कर कालिंग लॉग देखा
उसमें Nagma2 करके नंबर सेव था और नम्बर चेक किया तो देखा ******2277 , उस नम्बर पर न कोई डीपी थी और ना कुछ अब एकदम से गोपनीय रखा हुआ था न ही उसपे कोई चैट की गई थी ।
मैने वापस मोबाइल रख दिया और वो नंबर दिमाग में रटने लगा ।
तभी कमरे में अम्मी लौटी और मुझे बिस्तर पर बैठे हुए पाया
मेरी आँखें अपनी अम्मी पर जमी थीं। मेरा चेहरा भ्रम और डर से भरा हुआ था।
"अम्मी... ये... ये क्या था?" (आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था, जिसका जवाब शायद उसकी अम्मी के पास नहीं था।)
अम्मी ने एक गहरी साँस ली, और उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर साफ दिख रहा था।
"शानू... बेटा... कुछ नहीं... सो जा," उन्होंने कहा, लेकिन कमरे का माहौल अब बदल चुका था। मेरी जिज्ञासा और अम्मी की गुप्त चाहतों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी।
: अम्मी ... अब्बू का मोबाइल बंद है चेक किया मैने ( मैने सख्ती दिखाने का महज प्रयास किया और अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए)
वह अपनी माँ को हमेशा से एक मजबूत और साधारण औरत के रूप में देखता था—वह औरत जो सुबह जल्दी उठकर चूल्हा जलाती थी, उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी, और रात को कहानिया थी। उसके लिए उसकी अम्मी सिर्फ उसके अब्बू की दीवानी थी लेकिन अब, उसकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ था, वह उस छवि को तोड़ रहा था।उनकी अम्मी ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें नम थीं, और चेहरे पर शर्मिंदगी का एक भारी बोझ था।
वो बिना कुछ बोले मेरे करीब आई और मेरे सर को अपने गुदाज नर्म सीने से लगा लिया, अगले ही पल मै भाव विभोर होने लगा मानो अम्मी जादू से मेरे भीतर की उठ रही जिज्ञासाओ को मिटा देना चाहती हो ।
मैने हल्के से अपने सिर को पीछे खींच लिया। उसका यह छोटा सा इशारा अम्मी को वर्तमान में लाने का ।
: आप... आप उस फोन पर क्या कर रही थीं? मैंने हिचकिचाते हुए हिम्मत कर पूछा )
मेरी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक जिज्ञासा भी थी जो अब दब नहीं रही थी। उनकी अम्मी का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, जैसे वे कोई जवाब ढूँढ रही हों। लेकिन फिर उनकी आँखें फिर से नम हो गईं।
: बेटा... कुछ चीज़ें... कुछ चीज़ें तेरी माँ को भी समझ नहीं आतीं । ( उन्होंने धीरे से कहा। उनकी आवाज़ में एक टूटन थी, जैसे वे खुद से भी लड़ रही हों। )
: मै उस पल में बस कमजोर सी हो गई थी और ...कुछ गलत नहीं था। तू सो जा, सुबह सब ठीक हो जाएगा। ( अम्मी ने मेरे सर सहलाने हुए बोली और उनके चेहरे पर एक उम्मीद भरी मुस्कुराहट थी शायद वो चाह रही थी कि मै उनपर भरोसा बनाए रखूं)
मेरे के लिए सुबह का इंतज़ार अब आसान नहीं था। कमरे की बत्ती बुझ गई थी और करवट होकर अपनी अम्मी की ओर देखना चाहा तो कमरे का घुप अंधेरा मानो मुझे मेरी अम्मी से दूर ले जा रहा था ।
और पहली बार मुझे लगा कि मै उन्हें पूरी तरह नहीं जानता। मै हमेशा उनकी गोद में सिर रखकर सोता था, उनकी सूट की महक मुझे सुकून देती थी। लेकिन अब, उस महक के पीछे एक अनजाना सच छिपा हुआ था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ छिपा रही हैं न? ( मैने धीरे से उनसे लिपटे हुए कहा )
अम्मी ने एक गहरी साँस ली। उनके मन में शायद एक तूफान चल रहा था—शर्मिंदगी, डर, और अपने बेटे के सामने सच को छिपाने की मजबूरी।
: नहीं, बेटा... ऐसा कुछ नहीं है ( उन्होंने कहा, लेकिन उनकी बेचैन सांसे और मेरे कानो के पास तेज धड़कता दिल कुछ और कह रहा था )
हमने कोई बात नहीं की ... लाख सवाल और नाराजगी थी मन में लेकिन अम्मी की बाहों में लिपटने से मानो सारे सवालों के जवाब मिल गए हो सारे जख्म भर गए हो, भीतर का तनाव कम होने लगा था उनके मुलायम स्पर्श से और मै कब सो गया पता ही नहीं चला ।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से कमरे में रोशनदान से दाखिल हुईं। मै अभी भी बेड पर लेटा था, आँखें खुली थीं, लेकिन मेरा मन रात की घटना में उलझा हुआ था। मैने कई बार करवट बदली, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी। अम्मी रसोई में थीं, और वहाँ से चूल्हे की हल्की खटपट की आवाज़ आ रही थी।कुछ देर बाद, दरवाज़े पर एक हल्की आहट हुई। अम्मी कमरे में दाखिल हुईं, उनकी आँखें अभी भी लाल थीं, जैसे रात भर रोने के निशान छिपे हों, लेकिन चेहरे पर एक कोशिश थी—अपने बेटे के सामने फिर से वही माँ बनने की, जो वह हमेशा से थीं।
: शानू, बेटा... उठ जा। सुबह हो गई, ( उनकी आवाज़ में हल्की कोमलता थी, लेकिन एक झिझक भी थी)
मैने ने धीरे से सिर उठाया और अपनी अम्मी की ओर देखा। मेरी आँखों में अभी भी सवाल थे, लेकिन अब उनमें डर कम और कुछ समझने की चाह ज़्यादा थी। मै बेड पर बैठ गया, और उनकी अम्मी पास बैठ गईं।
: रात को नींद ठीक से नहीं आई न? ( कनपटी के पास मेरे कानो को छूते हुए मेरे बालों को संवारते हुए वो बोली , उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन साथ ही एक डर भी था कि शायद मै अब उनकी बातों का जवाब न दूं । )
मैने उनकी आंखों में देखा एक उम्मीद जो आंखों उठ रही थी उनके , चेहरे पर डर का वो भाव जिसे वो अपनी जबरन मुस्कुराहट से छिपाना चाहती थी उनके भीतर एक कंपकपी सी महसूस कर पा रहा था
: आप रो रही थी न .. अम्मी ( मैने मासूम होकर बोला , उनका दुलार उनका स्पर्श मुझमें हर बार बचपन भर देता था )
: बेटा ... ( उनकी आवाज भर्रा गई ) ... हा रो रही थी तेरी अम्मी भी तो एक इंसान है जो कभी कभी कमजोर सी पड़ जाती है ( उनकी आंखे छलक पड़ी अब ,और उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए , एक गर्माहट महसूस हो रही मुझे मेरे हाथों में ) लेकिन तू मेरे लिए सबसे बढ़ कर बेटा , तू ये कभी नहीं भूलना ।
मैने ने अपनी अम्मी के हाथ को देखा। वह हाथ, जो उसे हमेशा थपकी देकर सुलाता था, अब काँप रहा था।
: अम्मी, आप जो भी कर रही थीं... मुझे समझ नहीं आया। लेकिन मुझे डर लगा था कि आप मुझसे दूर जा रही हैं। ( मै धीरे से बोला एक मासूम डर था, जो उनकी अम्मी के सीने में चुभ गया। उन्होंने जल्दी से उसे अपने गले से लगा लिया।)
: नहीं, बेटा... मैं कहीं नहीं जा रही। तू मेरी जान है। रात को... रात को मैं बस एक कमज़ोर पल में थी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरी अम्मी नहीं हूँ। (उनकी आवाज़ में अब पछतावा था )
मैने अपनी अम्मी की गोद में सिर रख दिया, जैसे वह फिर से वही सुकून ढूँढ रहा हो जो उसे हमेशा मिलता था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ मत छिपाना। मुझे सब समझ नहीं आता, लेकिन मैं आपसे प्यार करता हूँ ( मैने धीरे से कहा और अम्मी की आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन अब ये आँसू दुख के नहीं, राहत के थे )
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा, "ठीक है, बेटा। अब कुछ भी तुझसे नहीं छिपाऊंगी , तेरा मुझपर उतना ही हक है जितना तेरे अब्बू का और तुझे भी वो सब जानने का हक है जो उन्हें है । आखिर तू भी तो मेरे जीवन का हिस्सा है मै क्यों समझ नहीं पाई ( अम्मी मानो अपनी उस वेदना को व्यक्त कर रही थी जो रात में सोचते हु उन्होंने सोची थी जिसके लिए उन्हें पछतावा था )
मै उनकी गोदी और दुबक गया और वो सिसकते हुए मुझे कस ली
: चल उठ और फ्रेश हो ले , फिर नाश्ता भी करना है न ? ( अम्मी ने मेरे सर को सहला कर कहा )
: अम्मी ... आप नहला दो न ( मैने भी उनके इमोशन का फायदा लेने का सोचा )
: धत्त बदमाश... जा नहा मै नहीं नहलाने वाली , उठ अब ( अम्मी वापस अपने रूप में आ गई , वैसे ही खिली हुई खुश और मेरी अम्मी जैसी )
: जा रहा हूं, लेकिन मुझे कुछ पूछना है आपसे , मतलब काफी कुछ है बताओगे न सब ( मै मुंह बना कर बोला )
: सोचूंगी ... हट अब ( अम्मी ने मेरे मजे लिए और मुझे गोदी से उतार दिया फिर बिस्तर से जाने लगी )
: अरे अभी मै नाराज ही हुं ( मैने उन्हें रोकना चाहा )
: अच्छा ... चल बड़ा आया ( अम्मी हंसके निकल गई और नाइटी में उनके चूतड़ों की थिरकन देख कर मै अपना सुपाड़ा मिज दिया )
नहाने नाश्ते के बाद हम दोनो कमरे में बैठे थे, एक चुप्पी सी थी हमारे बीच । अम्मी को हिचक थी कि मै क्या पूछने वाला हूं।
: अम्मी ..... मै परेशान हूं अभी भी ( मै उनके कंधे पर सर रखे हुए बोला , मेरे फैले हुए पैर की उंगलियां अम्मी के उंगलियों को सहला रही थी )
: क्या हुआ बेटा ... क्या सोच रहा है तू ( अम्मी के लहजे ने डर शामिल था उसके सांसों की तेजी मुझे महसूस हो रही थी )
: मुझे कुछ जानना है ?
ये सवाल किसी अंधेर जगह में उस दरवाजे की तरह था जिसके बारे में अम्मी के कल्पना करना कठिन था कि वो उनकी किस दुनिया को मेरे सामने ला खडा करेगा , साथ ही मेरे लिए भी जिज्ञासा पूर्ण था उस रोमांच के बारे में सोचना कि कैसे इन सब की शुरुआत हुई होगी ।
: क्या बोल न ? ( अम्मी अटक कर बोली )
मेरे जहन में कई सवाल थे मन में आ रहा था कि अभी पूछ लूं कि रात में अम्मी जिससे बात कर रही थी और वो गाड़ी में जो उन्हें छोड़ने आया था दोनों एक ही शख्स थे , मगर दिल नहीं मान रहा था कि अम्मी ईमानदारी दिखाएंगी । फिर ख्याल आया कि नानी और अब्बू के बारे में पूछ लू, मगर हाल ही में जो हुआ वो सोच कर हिम्मत नहीं थी कि नानी का टॉपिक छेड़ा जाए ।
फिर दिमाग में ख्याल आया अनायास नगमा मामी का क्योंकि अम्मी ने वो नम्बर भी नगमा मामी के नाम से ही सेव किया था ।
: वो नगमा मामी का क्या हुआ? ( मै थोड़ा डरा डरा सा हिम्मत करके बोला )
: नगमा को क्या होना है ? ( अम्मी को शायद मेरी बात समझ नहीं आई )
: नहीं वो आप उनको अब्बू से ... हुआ ? ( मै भीतर से थरथरा सा रहा था कही थप्पड़ पड़ ही न जाए इस गुस्ताखी के लिए )
: क्या ... तू पागल है ? तुझसे किसने कहा कि मै नगमा को तेरे अब्बू से .... ( अम्मी चौंकते हुए बोली )
अम्मी की आंखे चौकन्ना थी और मै थोड़ा डरा हुआ उनकी आंखों में देख रहा था ,
: वो .. वो मैने वीडियो देखी आप लोगों की ( मेरा इशारा उस रोज की तरफ था जब मैने अब्बू के लेपटॉप में मम्मी की मेमोरी कार्ड लगाई थी मगर पकड़ा गया था ) उसमें आप कह रहे थे ( खुद को सुरक्षित करने के भाव से थोड़ा पीछे होता हुआ मै बोला )
अम्मी के चेहरे रंग एकदम से गुलाबी होने लगा और वो मुस्कुराने लगी
: हा तो तुझे उससे क्या ? बोला होगा ? ( अम्मी ने फिर से बात को दबाने के लिए नाराज होने का नाटक कर रही थी जो मुझे पसंद नहीं आया )
: कुछ नहीं ... ( मै शांत ही गया , मेरे भीतर एक पोजेसिवनेस जैसा कुछ था जो मै महसूस कर पा रहा था जब अम्मी ने ऐसा कुछ जवाब दिया मुझे , मानो अम्मी मुझसे मेरा हक छिन रही थी )
कुछ देर तक अम्मी मुस्कुराते हुए मुझे घूरने लगी और फिर मै बिस्तर से सरक कर उतरने लगा ।
: अरे कहा जा रहा है... ( अम्मी के सवाल में हसी की खनक थी )
: अपने कमरे में पढ़ाई करने ( मै उखड़ कर जवाब दिया )
: अच्छा ठीक है नाराज मत हो .. बताती हूं ( अम्मी ने रोका मुझे ) आ इधर ... बड़ा आया पढ़ाई करने वाला जैसे मुझे नहीं पता कैसी पढ़ाई करता है तू
मै मुस्कुराने लगा कि अम्मी को सब पता है
मै मुस्कुराता हुआ घुटने के बल टेंग कर अम्मी के पास गया और उनसे लिपट गया
वो मुझे बाहों में लेकर मेरे गाल दुलारने लगी
: अम्मी बताओ न ( मै उनको हग करता हु बोला
: अब ... क्या बताऊं तुझे ( अम्मी के गाल खिले हुए थे , शर्माहट हिचक उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी ) कहा से शुरू करूं क्या बताऊं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है और तू है कि जिद कर रहा है ।
: अच्छा ये तो बताओ कि अब्बू और मामी मिले या नहीं ( मैने उनकी उलझन कम करने की कोशिश की )
: उम्मम .... हा मिल चुके है ( अम्मी शर्म से गाढ़ होती हुई मुस्कुराई )
: कब ? कहा ? ( मेरे भीतर हलचल होने लगी , लंड में हरकत होने लगी , लोवर में तनाव बढ़ने लगा )
: वो जब मै तेरे अब्बू के पास थी तो वही बुलवाया था उसे ( अम्मी के जवाबों में झिझक साफ झलक रही थी मानो ये सब बाते मुझसे करने में उन्हें कितनी शर्म आ रही थी और उन्हें कितना असहज लग रहा था सब )
: तो क्या ? अब्बू ने आपके सामने ही .... ( मै अपने कल्पनाओं की किताब खोलने लगा और लंड धीरे धीरे अपनी ताकत महसूस कर रहा था )
: हम्ममम ( अम्मी ने एक शब्द में अपनी बात पूरी की )
: और आप? ( मै लंड पकड़ कर मिस दिया लोवर के ऊपर से ) आप भी शामिल थी ?
: क्या मतलब ? ( अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा )
: मतलब क्या मामी के साथ अब्बू ने आपको भी चो... ( मेरा गला सूखने लगा था )
: तू कुछ ज्यादा नहीं सोचता है ( अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरते हुए मुस्कुराई )
: पता नहीं , बस ऐसे ही ख्याल आया क्योंकि अब्बू आपके सामने कर रहे होंगे तो आपका भी मन हुआ होगा न ? ( मैने थोड़ी मासूमियत दिखाई कुछ जिज्ञासा रखते हुए )
: हा लेकिन पहली बार में उतना आसान नहीं था ( अम्मी बातों को घुमाते हुए बोली )
: पहली बार ? कितने बार किया था अब्बू ने ( मै चौक कर बोला तो अम्मी की आंखे बड़ी हो गई मै समझ गया मेरा लहजा अभी अम्मी को अच्छा नहीं लगा) मेरा मतलब कितने रोज थी मामी वहां ?
: 3 दिन ( अम्मी आंखे नचा कर बोली और मुस्कुराने लगी )
: तो क्या बाद में आपने ज्वाइन किया था ( मै धीरे से अपना लंड खुजा कर बोला )
: हम्म्म ( अम्मी मुझसे नजरे चुराती हुई बोली , उनकी सांसे भारी हो रही थी ) तेरे अब्बू को जानता ही है कितने शरारती है वो । ( अम्मी शर्मा कर बोली )
: अच्छा लेकिन मुझे लगता है कि आप ज्यादा हो हिही ( मैने उन्हें छेड़ा )
: धत्त बदमाश, मै तो कुछ करती भी नहीं सब तेरे अब्बू ही करते है समझा ( अम्मी सफाई देते हुए लजा रही थी और मुस्कुरा रही थी )
: हा देखा है मैने कौन कितना शरारती है हीही ( मै खिलखिलाया और उन्हें छेड़ा )
अम्मी लाज से लाल हुई जा रही थी उनकी सांसे चढ़ने उतरने लगी थीं और मेरा लंड उनके फूलते चूचों को देख कर अकड़ने लगा था अब ।
: अब चुप रहेगा तू और वो क्या कर रहा है ( अम्मी का इशारा मेरे हाथ पर था जो लोवर के ऊपर से लंड को मिस रहा था )
: हीही , कुछ नहीं ( मैने वहा से हाथ हटा लिया )
: इतना जल्दी खड़ा हो गया तेरा ( अम्मी अचरज से बोली )
: हा वो आपकी और अब्बू की बातों से ये परेशान हो जाता है ( मै थोड़ा असहज होकर बोला )
: इतना पसंद है तुझे हमारी बातें ( अम्मी उत्सुक होकर बोली )
: बहुत ज्यादा , कितनी मजेदार होती है आपकी बातें और अब्बू जब आपकी तारीफ करते है तो उम्ममम ये और भी बड़ा हो जाता है ( मैने अपने पैर फैलाए जिससे लोवर में मेरा लंड एकदम से टाइट होकर खूंटे जैसा खड़ा हो गया और अम्मी ने उसे देखा )
: धत्त बदमाश, कितना गंदा हो गया है तू , शर्म नहीं आती तुझे अपनी अम्मी के बारे में वो सब सुनते हुए ( अम्मी ने मुझे टटोला )
: उम्हू , मुझे तो मजा आता है जब अब्बू आपके बारे में गंदा गंदा बोलते है ( अम्मी आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी ) सच्ची में ( मै पूरे विश्वास से बोला )
अम्मी चुप रही उनके चेहरे पर एक लाज भरी मुस्कुराहट थी शायद उन्हें अब थोड़ा थोड़ा मेरे बातों से गुदगुदी हो रही थी । उनकी एड़ीया आपस में उलझी हुई थी और वो अपने दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से रगड़ रही थी ।
: और जब आप मुझे खुद के साथ शामिल करती है तो मुझे और भी अच्छा लगता है ( मैने अपने दिल की बात कही अम्मी से )
: मैने कब किया तुझे शामिल ? ( अम्मी अचरज से बोली )
: क्यों उस रोज अब्बू को भेजने के लिए तस्वीरें मैने ही निकाली थी न ( मैने पुरानी यादें ताजा की )
: धत्त बदमाश, याद है मुझे और फोटो खींचने में ही तेरा ... हीही ( अम्मी मेरे झड़ने का मजाक उड़ाती हुई बोली )
: हा तो मेरी जगह कोई भी होता वो सीन देख कर पागल हो जाता जैसे मै हो गया , आपके बड़े बड़े (मै आगे बोलता तो अम्मी मुझे घूरने लगी ) इतना बड़ा सा तो है । मै तो बाजार में भी सब निहारते है आपको पीछे से ( मासूम होकर मैने अपने आप को सेफ जोन में कर लिया )
: धत्त इतने भी बड़े नहीं है ( अम्मी थोड़ा इतराई )
: विश्वास न हो तो अब्बू से पूछ लो ( मैने उन्हें छेड़ा )
: तू और तेरे अब्बू एक जैसे है , ना जाने तुम लोगों को क्या पसंद आता है उसमें ( अम्मी थोड़ा इतराई और लजाए )
: उफ्फ अम्मी आप क्या जानो , जो देखता है वो ही जानता है अपनी हालत , उस रोज जब आपने फैलाया उसको तो मै तो पागल ही हो गया , कितना बड़ा और गोल मटोल था उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह ( मै अम्मी के सामने बड़ी बेशर्मी से अपना लंड मसल दिया )
: धत्त गंदा छोड़ उसे ... फिर गलत तरीके से कर रहा है । अभी कल समझाया न ( अम्मी ने मेरे हाथ को झटका )
: उम्मम अम्मी क्या करु तंग कर रहा है , कभी कभी मन करता है कि उखाड़ दूं ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त पागल ( अम्मी हसी ) इसके साथ जबरजस्ती नहीं करते प्यार से करते है ( अम्मी ने लोवर के ऊपर से मेरे मूसल को थाम लिया )
उनके हाथों के स्पर्श से मै भीतर से सिहर उठा और आंखे उलटने लगा
: अह्ह्ह्ह अम्मीई सहलाओ न सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गॉड ( मै अपना जिस्म अकड़ता हुआ बोला और अम्मी पूरी मजबूती से मुठ्ठी में मेरे लंड को भरे हुए थी । )
उन्होंने लोवर के ऊपर से मेरे लंड को खींचना शुरू किया मै और छटपटाने लगा और बिस्तर पर अकड़ने लगा
: क्या हो रहा है तुझे ( अम्मी फिकर में बोली )
: ऐसे ही होता है अम्मी हर बार , आपका टच मुझे पागल कर देता है और लगता है कि अभी निकल जाएगा ( मैने एक सास में अपनी बात कह दी )
: क्या इतना जल्दी ( अम्मी चौकी ) ऐसा नहीं होना चाहिए बेटा ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करु अम्मी आप बताओ न ( मै उनकी आंखों में देखता हुआ बोला इस उम्मीद में कि शायद उनके पास कोई जवाब हो )
: तुझे ये सब सिर्फ मेरे साथ महसूस होता है या और भी किसी को देख कर ( अम्मी ने सहज सवाल किया )
: मैने तो आपके सिवा किसी को नहीं देखा ( सरल भाव से मैने अपनी दीवानगी जाहिर की अम्मी से )
: चल उठ खड़ा हो , निकाल ये सब ( अम्मी मेरे लोवर खींचने लगी )
मै उलझे हुए भाव में बिस्तर पर खड़ा हो गया और अपने कपड़े निकालने लगा
और धीरे धीरे मेरे जिस्म के सारे कपड़े बिस्तर पर थे और मेरा मोटा मूसल पाइप के जैसे सीधा तना हुआ अम्मी की ओर मुंह किए हुए
अम्मी ने मुझे नीचे उतारा और बिस्तर पर बिठाया ।
: खबरदार उसको हाथ लगाया तो ( अम्मी ने आंखे दिखा कर मुझे चेतावनी दी )
मेरा हलक सूखने लगा था लंड सास लेते हुए हवा में झूल रहा था , पूरे लंड में सुरसुराहट फैली हुई थी । जैसे नसों में कुछ रेंग सा रहा हो ।
: अम्मी , क्या करने जा रहे हो ( मै बेचैन होकर बोला )
अम्मी मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी और देखते ही देखते अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और घूम गई
मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
अगले ही अम्मी कबोर्ड का सहारा लेते हुए अपनी सलवार छोड़ दी जो सरकते हुए उनके पैरों में चली
मेरी आँखें फैल गई और अगले ही पल अम्मी ने अपने नंगे भड़कीले चूतड़ों पर से सूट को कमर तक खींच लिया
: ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के नंगे चूतड़ों को देख मै भीतर से पागल होने लगा )
: उम्हू , मारूंगी अगर छुआ उसको तो ( अम्मी गर्दन घुमा कर मुझे लंड को छूते देखा तो डांट लगाई )
: उफ्फ अम्मी कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आप टच कर दो न इसको ( मै हांफते हुए बोला )
अम्मी घूम कर मेरे तरफ आई और मै खड़ा हो गया उनके बराबर में आ अम्मी अपने पैरो से सलवार उतारते हुए मुस्कुराई और आगे बिस्तर पर घुटने के बल चलती हुई बिस्तर पर घोड़ी बन गई। उनकी बड़ी मोटी गाड़ उनके सूट के पर्दे से बाहर निकल आई थी , जांघों खूब फैल आकर टाइट
अगले ही पल अम्मी ने अपने चूतड़ हवा में हिलाने लगी
: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीईईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह मुझे पागल कर रहे हो ओह्ह्ह
: क्या बोला ( अम्मी ने घोड़ी बने हुए मुस्कुरा कर गर्दन घुमा कर मुझे देखा)
: आप मुझे पागल कर रहें हो ( मै मुस्कुराया )
: उससे पहले क्या बोला ( अम्मी बड़ी शरारती मुस्कुराहट के साथ अपने चूतड़ों से शूट को ऊपर खींचते हुए बोली )
जैसे जैसे अम्मी के चूतड़ नंगे होते गए मेरी आँखें फैलने लगी और सांसे चढ़ने लगी और लंड पूरा तन गया
: उफ्फ अम्मी आपकी बु.... ( मेरी नजर उनकी गदराई जांघों से झांकती बुर पर गई और मै मेरे हाथ लंड के पास ले जाना लगा )
: अंहां, नहीं ( अम्मी ने मुझे रोका और वापस से अपने नंगे चूतड़ों को हवा में उछाला )
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह अमीईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मेरे भीतर तरंगों का सैलाब आया था लंड में बिजली सी दौड़ रही थी )
: क्या बड़ी है उम्ममम ( अम्मी ने अपने बाल झटक कर मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा)
: आ.. आपकी गाड़ ओह्ह्ह्ह मन कर रहा है इसी पर झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( मै अपनी जांघें कस कर लंड को सहलाने को नाकाम कोशिश करने लगा )
: और नहीं देखेगा, इतना जल्दी झड़ जायेगा ( अम्मी ने उकसाया मुझे और मोटिवेट भी किया )
: हा हा दिखाओ न ( सूखते हलक को घोंटते हुए मै बोला )
मेरी जांघें बिस्तर पर घिस रही थी लंड को बिस्तर पर स्पर्श करा रहा था मै
और अगले ही पल अम्मी ने अपनी गाड़ और ऊपर उठाई और दोनों पंजों से फाड़ दी
: ओह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई कितनी सेक्सी गाड़ है आपकी अह्ह्ह्ह आपकी बुर कितनी लंबी है ( मै वासना में पागल सा होने लगा , विवेक कही गायब सा हो गया था मेरे लहजे में )
: पसंद है न तुझे मेरी गाड़ ( अम्मी अपने चूतड़ पर थपेड़ मारती हुई सवाल की )
: हा ( मै सर हिलाया )
: और क्या पसंद है बेटा ( अम्मी ने हवा में अपनी गाड़ हिलाती हुई बोली )
: आपके दूध सीईईई कितना बड़ा है और आपकी ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई आओ न प्लीज अह्ह्ह्ह्ह आजाओ जल रहा है नहीं रहा जा रहा है आजाओ न ( मै तड़पता हुआ बोला )
और अम्मी घुटने के बल पीछे आने लगी उनके बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए आपस में टकराते हुएं मेरी ओर बढ़ने लगे
मै हदस कर पीछे हो गया और अम्मी बेड से नीचे उतर गई , अभी भी अपनी गाड़ मेरी ओर किए हुए थी
: उम्मम ले आ गई और देखेगा ( अम्मी ने बिस्तर पर औंधे झुके हुए अपने पंजों से दुबारा अपने चूतड़ों को फाड़ दिया ) ले देख
: उम्मम अम्मीई अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ कितनी बड़ी और वो गुलाबी सुराख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अमीईई ( मै पागल सा होने लगा , मेरे लंड की नसे वीर्य से भर गई थी , सुपाड़े पर मानो पूरे बदन का खून भरने लगा , वो जलन वो पीड़ा सी उठ रही थी उसमें , अम्मी का रंडीपना देख कर आड़ो से लेकर सुपाड़े के मुहाने तक नसे डकार रही थी , बस एक स्पर्श और भलभला कर सारी गाढ़ी मलाई बाहर
अम्मी पूरे जोश में अपने चूतड़ हिला रही थी कमरे उनके चूतड़ एक ताल में तालिया बजा रहे थे और हर ताल के साथ अम्मी के गाड़ और बुर की गुलाबी झलक मिल जाती
मानो दोनों मुझे बुला रही हो अपने करीब और मै दो कदम आगे बढ़ गया और लंड को जड़ से पकड़ कर अम्मी के गदराई मोटी मोटी गाड़ के दरारों में टिका दिया
मेरे गर्म तपते लंड का स्पर्श पाते ही अम्मी भीतर से मचल उठी , उनके भीतर अलग ही काम की ज्वाला उठी
: या अल्लाह ओह्ह्ह कितना गर्म.. ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ( अम्मी मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह बस ऐसे ही आयेगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईईई अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अम्मीईई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह
और अगले ही पल मै भलभला कर अपनी के गाड़ के सुराखों में झड़ने लगा
खूब गाड़ी सफेद मलाई उनके मोटी गदराई गाड़ के सकरे दरारों में जाने लगी जो रिस कर अम्मी की बुर की ओर बढ़ने लगी और मै आखिरी बूंद के निचोड़ने तक अपना लंड अम्मी के गाड़ के दरारों में रखे रहा और अम्मी बेड पर अपनी गाड़ हवा में झुकी हुई हाफ रही थी
मै अपना लंड झाड़ कर दो बार उनके नरम चूतड़ों पर पटका और सुस्त होकर अम्मी के बगल में बिस्तर पर पैर लटका कर पसर गया वही अम्मी सरक पर नीचे फर्श पर घुटने के बल आ गई और बिस्तर पर सर रख कर सुस्ताने लगी ।
जारी रहेगी
कहानी की अगली कड़ी आपके प्रतिक्रियाओ पर निर्भर रहेगी
ज्यादा से ज्यादा रेवो और सपोर्ट करें ।
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ट्रेनिंग-डे
रात के किसी प्रहर में, जब दुनिया सो रही थी, बिस्तर पर एक हल्की हलचल शुरू हुई। बेड का पुराना लकड़ी का ढाँचा हल्का-हल्का चरमराने लगा, जैसे कोई उस पर अपनी जगह बदल रहा हो। मेरी नींद में अभी पूरी तरह कोई खलल नहीं पड़ा, लेकिन कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा फैलने लगी थी। मुझे मेरे जिस्म में गरमाहट सी महसूस हो रही थी और कानों में गुनगुनाहट भरी आवाज रह रह कर आती । आंखे अब खुलना चाह रही थी मानो मेरी चेतना में कोई सतर्कता के लिए घंटी बज रही थी शायद अब तक अम्मी की जो हरकते रही है उसको लेकर मेरा दिमाग पूरी तरह अलर्ट हो गया था । रात के अंधेरे में मेरे सोने के बाद अम्मी का जागना हो सकता था । और सही भी था । मैने अपनी आँखें पल भर को खोली और झट से बंद कर ली
करवट लेटे हुए मेरे सामने जो नजारा मेरी आंखो के सामने आया उसे देखते ही भीतर से मेरे पूरे बदन में सरसरी उमड़ी और मै पूरी तरह से चेत गया । बंद आंखो में मेरे वो दृश्य उभर रहा था जो अभी अभी मैने देखा था
बेड के हेडबोर्ड पर, जहाँ लकड़ी की नक्काशी में पुराने फूलों के निशान उकेरे हुए थे, अम्मी उससे सटकर बैठी थी।उनका सिर हेडबोर्ड से टिका हुआ था, और उनकी साँसें थोड़ी तेज़ चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाइटी को जाँघों तक उठा रखा था—वह हल्के रंग की नाइटी, जो पुरानी होने के बावजूद उनकी रोज़ की पसंद थी। कपड़ा उनकी त्वचा पर हल्का सिकुड़ा हुआ था, और बल्ब की सफेद रोशनी में उनकी दूधिया जाँघों की गोरी चमक साफ दिख रही थी। उनका एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर था
—वह सादी सफेद पैंटी, जो रोज़मर्रा की सादगी लिए हुए थी। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे, लेकिन एक लय में हिल रही थीं, जैसे कोई गहरा तनाव या चाहत उन्हें जकड़े हुए हो।उनके दूसरे हाथ में मेरा मोबाइल था। स्क्रीन की नीली रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिख रही थी। कानों में इयरफोन लगे हुए थे—वह सस्ते वाले काले इयरफोन, जिनके तार आपस में उलझे हुए थे। मोबाइल की स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल चल रही थी। उनकी आवाज़ दबी हुई थी, जैसे वे किसी से धीरे-धीरे बात कर रही हों, शब्दों को होंठों के बीच दबाकर बोल रही हों। बीच-बीच में उनकी साँसें भारी हो जाती थीं, और उनकी उंगलियों की गति पैंटी में तेज़ हो जाती थी।
"उम्ममम सीईईई उम्हू नहीं मै नहीं आ सकती ऐसे , समझो उम्हू .... हा याद है न ( अम्मी एक गहरी आह भरते हुए बोली और उनकी उंगलियां पैंटी में चूत के गहरे घुस गई ) सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह आप बहुत तंग करते है अह्ह्ह्ह्ह आपके शौक बहुत शरारती है अह्ह्ह्ह......
अम्मी की मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया और शब्द सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी । देर रात में अब्बू और अम्मी की बातें सुनने का मजा ही कुछ और था । लेकिन ये मजा दुगना हो जाता अगर अब्बू की शरारत भरी गंदी बातें सुनने को मिलती जो वो अम्मी के जिस्म की तारीफ ने कहते नहीं थकते थे
हम्ममम क्यों आपको नहीं अच्छा लगा था ? ( अम्मी की उंगलियां रुक गई और चेहरे पर शरारती भाव थे ) ........ धत्त बदमाश हो आप ( अम्मी ने दुबारा से पैंटी के ऊपर से चूत के फांके पर एक उंगली ऊपर नीचे करने लगी उनकी रसाई बुर से पैंटी पूरी पचपचाई हुई थी ) ...... क्या ? नहीं अब रखो हो गया ... मुझे नीद आ रही है आप हो कि ( अम्मी उबासी लेती हुई बोली ) ...... दिन में कहा शानू रहता है पूरे दिन और उसके अब्बू आ जायेंगे तो ये मौका भी गया हीही ( अम्मी खिलखिलाई और फिर शांत हो गई )
मेरे कान खड़े हो गए ये सोच कर कि क्या मैने जो सुना वो सही था । इतनी देर रात में अम्मी अब्बू के सिवा भला किस्से बाते कर रही थी .. कही वो कार वाला आदमी तो नहीं ?
एक बार फिर मै आवेश और उलझन से भर गया । कि अम्मी ने अब मेरे साथ साथ अब्बू को भी धोखा देने लगी ।
अम्मी ने फोन काट कर मोबाइल और इयरफोन बिस्तर पर रखा और उठ कर बाथरूम के लिए कमरे से बाहर निकल गई
जैसे ही वो निकली मैने लपक कर मोबाइल उठाया और व्हाट्सअप ओपन कर कालिंग लॉग देखा
उसमें Nagma2 करके नंबर सेव था और नम्बर चेक किया तो देखा ******2277 , उस नम्बर पर न कोई डीपी थी और ना कुछ अब एकदम से गोपनीय रखा हुआ था न ही उसपे कोई चैट की गई थी ।
मैने वापस मोबाइल रख दिया और वो नंबर दिमाग में रटने लगा ।
तभी कमरे में अम्मी लौटी और मुझे बिस्तर पर बैठे हुए पाया
मेरी आँखें अपनी अम्मी पर जमी थीं। मेरा चेहरा भ्रम और डर से भरा हुआ था।
"अम्मी... ये... ये क्या था?" (आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था, जिसका जवाब शायद उसकी अम्मी के पास नहीं था।)
अम्मी ने एक गहरी साँस ली, और उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर साफ दिख रहा था।
"शानू... बेटा... कुछ नहीं... सो जा," उन्होंने कहा, लेकिन कमरे का माहौल अब बदल चुका था। मेरी जिज्ञासा और अम्मी की गुप्त चाहतों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी।
: अम्मी ... अब्बू का मोबाइल बंद है चेक किया मैने ( मैने सख्ती दिखाने का महज प्रयास किया और अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए)
वह अपनी माँ को हमेशा से एक मजबूत और साधारण औरत के रूप में देखता था—वह औरत जो सुबह जल्दी उठकर चूल्हा जलाती थी, उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी, और रात को कहानिया थी। उसके लिए उसकी अम्मी सिर्फ उसके अब्बू की दीवानी थी लेकिन अब, उसकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ था, वह उस छवि को तोड़ रहा था।उनकी अम्मी ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें नम थीं, और चेहरे पर शर्मिंदगी का एक भारी बोझ था।
वो बिना कुछ बोले मेरे करीब आई और मेरे सर को अपने गुदाज नर्म सीने से लगा लिया, अगले ही पल मै भाव विभोर होने लगा मानो अम्मी जादू से मेरे भीतर की उठ रही जिज्ञासाओ को मिटा देना चाहती हो ।
मैने हल्के से अपने सिर को पीछे खींच लिया। उसका यह छोटा सा इशारा अम्मी को वर्तमान में लाने का ।
: आप... आप उस फोन पर क्या कर रही थीं? मैंने हिचकिचाते हुए हिम्मत कर पूछा )
मेरी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक जिज्ञासा भी थी जो अब दब नहीं रही थी। उनकी अम्मी का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, जैसे वे कोई जवाब ढूँढ रही हों। लेकिन फिर उनकी आँखें फिर से नम हो गईं।
: बेटा... कुछ चीज़ें... कुछ चीज़ें तेरी माँ को भी समझ नहीं आतीं । ( उन्होंने धीरे से कहा। उनकी आवाज़ में एक टूटन थी, जैसे वे खुद से भी लड़ रही हों। )
: मै उस पल में बस कमजोर सी हो गई थी और ...कुछ गलत नहीं था। तू सो जा, सुबह सब ठीक हो जाएगा। ( अम्मी ने मेरे सर सहलाने हुए बोली और उनके चेहरे पर एक उम्मीद भरी मुस्कुराहट थी शायद वो चाह रही थी कि मै उनपर भरोसा बनाए रखूं)
मेरे के लिए सुबह का इंतज़ार अब आसान नहीं था। कमरे की बत्ती बुझ गई थी और करवट होकर अपनी अम्मी की ओर देखना चाहा तो कमरे का घुप अंधेरा मानो मुझे मेरी अम्मी से दूर ले जा रहा था ।
और पहली बार मुझे लगा कि मै उन्हें पूरी तरह नहीं जानता। मै हमेशा उनकी गोद में सिर रखकर सोता था, उनकी सूट की महक मुझे सुकून देती थी। लेकिन अब, उस महक के पीछे एक अनजाना सच छिपा हुआ था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ छिपा रही हैं न? ( मैने धीरे से उनसे लिपटे हुए कहा )
अम्मी ने एक गहरी साँस ली। उनके मन में शायद एक तूफान चल रहा था—शर्मिंदगी, डर, और अपने बेटे के सामने सच को छिपाने की मजबूरी।
: नहीं, बेटा... ऐसा कुछ नहीं है ( उन्होंने कहा, लेकिन उनकी बेचैन सांसे और मेरे कानो के पास तेज धड़कता दिल कुछ और कह रहा था )
हमने कोई बात नहीं की ... लाख सवाल और नाराजगी थी मन में लेकिन अम्मी की बाहों में लिपटने से मानो सारे सवालों के जवाब मिल गए हो सारे जख्म भर गए हो, भीतर का तनाव कम होने लगा था उनके मुलायम स्पर्श से और मै कब सो गया पता ही नहीं चला ।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से कमरे में रोशनदान से दाखिल हुईं। मै अभी भी बेड पर लेटा था, आँखें खुली थीं, लेकिन मेरा मन रात की घटना में उलझा हुआ था। मैने कई बार करवट बदली, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी। अम्मी रसोई में थीं, और वहाँ से चूल्हे की हल्की खटपट की आवाज़ आ रही थी।कुछ देर बाद, दरवाज़े पर एक हल्की आहट हुई। अम्मी कमरे में दाखिल हुईं, उनकी आँखें अभी भी लाल थीं, जैसे रात भर रोने के निशान छिपे हों, लेकिन चेहरे पर एक कोशिश थी—अपने बेटे के सामने फिर से वही माँ बनने की, जो वह हमेशा से थीं।
: शानू, बेटा... उठ जा। सुबह हो गई, ( उनकी आवाज़ में हल्की कोमलता थी, लेकिन एक झिझक भी थी)
मैने ने धीरे से सिर उठाया और अपनी अम्मी की ओर देखा। मेरी आँखों में अभी भी सवाल थे, लेकिन अब उनमें डर कम और कुछ समझने की चाह ज़्यादा थी। मै बेड पर बैठ गया, और उनकी अम्मी पास बैठ गईं।
: रात को नींद ठीक से नहीं आई न? ( कनपटी के पास मेरे कानो को छूते हुए मेरे बालों को संवारते हुए वो बोली , उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन साथ ही एक डर भी था कि शायद मै अब उनकी बातों का जवाब न दूं । )
मैने उनकी आंखों में देखा एक उम्मीद जो आंखों उठ रही थी उनके , चेहरे पर डर का वो भाव जिसे वो अपनी जबरन मुस्कुराहट से छिपाना चाहती थी उनके भीतर एक कंपकपी सी महसूस कर पा रहा था
: आप रो रही थी न .. अम्मी ( मैने मासूम होकर बोला , उनका दुलार उनका स्पर्श मुझमें हर बार बचपन भर देता था )
: बेटा ... ( उनकी आवाज भर्रा गई ) ... हा रो रही थी तेरी अम्मी भी तो एक इंसान है जो कभी कभी कमजोर सी पड़ जाती है ( उनकी आंखे छलक पड़ी अब ,और उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए , एक गर्माहट महसूस हो रही मुझे मेरे हाथों में ) लेकिन तू मेरे लिए सबसे बढ़ कर बेटा , तू ये कभी नहीं भूलना ।
मैने ने अपनी अम्मी के हाथ को देखा। वह हाथ, जो उसे हमेशा थपकी देकर सुलाता था, अब काँप रहा था।
: अम्मी, आप जो भी कर रही थीं... मुझे समझ नहीं आया। लेकिन मुझे डर लगा था कि आप मुझसे दूर जा रही हैं। ( मै धीरे से बोला एक मासूम डर था, जो उनकी अम्मी के सीने में चुभ गया। उन्होंने जल्दी से उसे अपने गले से लगा लिया।)
: नहीं, बेटा... मैं कहीं नहीं जा रही। तू मेरी जान है। रात को... रात को मैं बस एक कमज़ोर पल में थी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरी अम्मी नहीं हूँ। (उनकी आवाज़ में अब पछतावा था )
मैने अपनी अम्मी की गोद में सिर रख दिया, जैसे वह फिर से वही सुकून ढूँढ रहा हो जो उसे हमेशा मिलता था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ मत छिपाना। मुझे सब समझ नहीं आता, लेकिन मैं आपसे प्यार करता हूँ ( मैने धीरे से कहा और अम्मी की आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन अब ये आँसू दुख के नहीं, राहत के थे )
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा, "ठीक है, बेटा। अब कुछ भी तुझसे नहीं छिपाऊंगी , तेरा मुझपर उतना ही हक है जितना तेरे अब्बू का और तुझे भी वो सब जानने का हक है जो उन्हें है । आखिर तू भी तो मेरे जीवन का हिस्सा है मै क्यों समझ नहीं पाई ( अम्मी मानो अपनी उस वेदना को व्यक्त कर रही थी जो रात में सोचते हु उन्होंने सोची थी जिसके लिए उन्हें पछतावा था )
मै उनकी गोदी और दुबक गया और वो सिसकते हुए मुझे कस ली
: चल उठ और फ्रेश हो ले , फिर नाश्ता भी करना है न ? ( अम्मी ने मेरे सर को सहला कर कहा )
: अम्मी ... आप नहला दो न ( मैने भी उनके इमोशन का फायदा लेने का सोचा )
: धत्त बदमाश... जा नहा मै नहीं नहलाने वाली , उठ अब ( अम्मी वापस अपने रूप में आ गई , वैसे ही खिली हुई खुश और मेरी अम्मी जैसी )
: जा रहा हूं, लेकिन मुझे कुछ पूछना है आपसे , मतलब काफी कुछ है बताओगे न सब ( मै मुंह बना कर बोला )
: सोचूंगी ... हट अब ( अम्मी ने मेरे मजे लिए और मुझे गोदी से उतार दिया फिर बिस्तर से जाने लगी )
: अरे अभी मै नाराज ही हुं ( मैने उन्हें रोकना चाहा )
: अच्छा ... चल बड़ा आया ( अम्मी हंसके निकल गई और नाइटी में उनके चूतड़ों की थिरकन देख कर मै अपना सुपाड़ा मिज दिया )
नहाने नाश्ते के बाद हम दोनो कमरे में बैठे थे, एक चुप्पी सी थी हमारे बीच । अम्मी को हिचक थी कि मै क्या पूछने वाला हूं।
: अम्मी ..... मै परेशान हूं अभी भी ( मै उनके कंधे पर सर रखे हुए बोला , मेरे फैले हुए पैर की उंगलियां अम्मी के उंगलियों को सहला रही थी )
: क्या हुआ बेटा ... क्या सोच रहा है तू ( अम्मी के लहजे ने डर शामिल था उसके सांसों की तेजी मुझे महसूस हो रही थी )
: मुझे कुछ जानना है ?
ये सवाल किसी अंधेर जगह में उस दरवाजे की तरह था जिसके बारे में अम्मी के कल्पना करना कठिन था कि वो उनकी किस दुनिया को मेरे सामने ला खडा करेगा , साथ ही मेरे लिए भी जिज्ञासा पूर्ण था उस रोमांच के बारे में सोचना कि कैसे इन सब की शुरुआत हुई होगी ।
: क्या बोल न ? ( अम्मी अटक कर बोली )
मेरे जहन में कई सवाल थे मन में आ रहा था कि अभी पूछ लूं कि रात में अम्मी जिससे बात कर रही थी और वो गाड़ी में जो उन्हें छोड़ने आया था दोनों एक ही शख्स थे , मगर दिल नहीं मान रहा था कि अम्मी ईमानदारी दिखाएंगी । फिर ख्याल आया कि नानी और अब्बू के बारे में पूछ लू, मगर हाल ही में जो हुआ वो सोच कर हिम्मत नहीं थी कि नानी का टॉपिक छेड़ा जाए ।
फिर दिमाग में ख्याल आया अनायास नगमा मामी का क्योंकि अम्मी ने वो नम्बर भी नगमा मामी के नाम से ही सेव किया था ।
: वो नगमा मामी का क्या हुआ? ( मै थोड़ा डरा डरा सा हिम्मत करके बोला )
: नगमा को क्या होना है ? ( अम्मी को शायद मेरी बात समझ नहीं आई )
: नहीं वो आप उनको अब्बू से ... हुआ ? ( मै भीतर से थरथरा सा रहा था कही थप्पड़ पड़ ही न जाए इस गुस्ताखी के लिए )
: क्या ... तू पागल है ? तुझसे किसने कहा कि मै नगमा को तेरे अब्बू से .... ( अम्मी चौंकते हुए बोली )
अम्मी की आंखे चौकन्ना थी और मै थोड़ा डरा हुआ उनकी आंखों में देख रहा था ,
: वो .. वो मैने वीडियो देखी आप लोगों की ( मेरा इशारा उस रोज की तरफ था जब मैने अब्बू के लेपटॉप में मम्मी की मेमोरी कार्ड लगाई थी मगर पकड़ा गया था ) उसमें आप कह रहे थे ( खुद को सुरक्षित करने के भाव से थोड़ा पीछे होता हुआ मै बोला )
अम्मी के चेहरे रंग एकदम से गुलाबी होने लगा और वो मुस्कुराने लगी
: हा तो तुझे उससे क्या ? बोला होगा ? ( अम्मी ने फिर से बात को दबाने के लिए नाराज होने का नाटक कर रही थी जो मुझे पसंद नहीं आया )
: कुछ नहीं ... ( मै शांत ही गया , मेरे भीतर एक पोजेसिवनेस जैसा कुछ था जो मै महसूस कर पा रहा था जब अम्मी ने ऐसा कुछ जवाब दिया मुझे , मानो अम्मी मुझसे मेरा हक छिन रही थी )
कुछ देर तक अम्मी मुस्कुराते हुए मुझे घूरने लगी और फिर मै बिस्तर से सरक कर उतरने लगा ।
: अरे कहा जा रहा है... ( अम्मी के सवाल में हसी की खनक थी )
: अपने कमरे में पढ़ाई करने ( मै उखड़ कर जवाब दिया )
: अच्छा ठीक है नाराज मत हो .. बताती हूं ( अम्मी ने रोका मुझे ) आ इधर ... बड़ा आया पढ़ाई करने वाला जैसे मुझे नहीं पता कैसी पढ़ाई करता है तू
मै मुस्कुराने लगा कि अम्मी को सब पता है
मै मुस्कुराता हुआ घुटने के बल टेंग कर अम्मी के पास गया और उनसे लिपट गया
वो मुझे बाहों में लेकर मेरे गाल दुलारने लगी
: अम्मी बताओ न ( मै उनको हग करता हु बोला
: अब ... क्या बताऊं तुझे ( अम्मी के गाल खिले हुए थे , शर्माहट हिचक उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी ) कहा से शुरू करूं क्या बताऊं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है और तू है कि जिद कर रहा है ।
: अच्छा ये तो बताओ कि अब्बू और मामी मिले या नहीं ( मैने उनकी उलझन कम करने की कोशिश की )
: उम्मम .... हा मिल चुके है ( अम्मी शर्म से गाढ़ होती हुई मुस्कुराई )
: कब ? कहा ? ( मेरे भीतर हलचल होने लगी , लंड में हरकत होने लगी , लोवर में तनाव बढ़ने लगा )
: वो जब मै तेरे अब्बू के पास थी तो वही बुलवाया था उसे ( अम्मी के जवाबों में झिझक साफ झलक रही थी मानो ये सब बाते मुझसे करने में उन्हें कितनी शर्म आ रही थी और उन्हें कितना असहज लग रहा था सब )
: तो क्या ? अब्बू ने आपके सामने ही .... ( मै अपने कल्पनाओं की किताब खोलने लगा और लंड धीरे धीरे अपनी ताकत महसूस कर रहा था )
: हम्ममम ( अम्मी ने एक शब्द में अपनी बात पूरी की )
: और आप? ( मै लंड पकड़ कर मिस दिया लोवर के ऊपर से ) आप भी शामिल थी ?
: क्या मतलब ? ( अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा )
: मतलब क्या मामी के साथ अब्बू ने आपको भी चो... ( मेरा गला सूखने लगा था )
: तू कुछ ज्यादा नहीं सोचता है ( अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरते हुए मुस्कुराई )
: पता नहीं , बस ऐसे ही ख्याल आया क्योंकि अब्बू आपके सामने कर रहे होंगे तो आपका भी मन हुआ होगा न ? ( मैने थोड़ी मासूमियत दिखाई कुछ जिज्ञासा रखते हुए )
: हा लेकिन पहली बार में उतना आसान नहीं था ( अम्मी बातों को घुमाते हुए बोली )
: पहली बार ? कितने बार किया था अब्बू ने ( मै चौक कर बोला तो अम्मी की आंखे बड़ी हो गई मै समझ गया मेरा लहजा अभी अम्मी को अच्छा नहीं लगा) मेरा मतलब कितने रोज थी मामी वहां ?
: 3 दिन ( अम्मी आंखे नचा कर बोली और मुस्कुराने लगी )
: तो क्या बाद में आपने ज्वाइन किया था ( मै धीरे से अपना लंड खुजा कर बोला )
: हम्म्म ( अम्मी मुझसे नजरे चुराती हुई बोली , उनकी सांसे भारी हो रही थी ) तेरे अब्बू को जानता ही है कितने शरारती है वो । ( अम्मी शर्मा कर बोली )
: अच्छा लेकिन मुझे लगता है कि आप ज्यादा हो हिही ( मैने उन्हें छेड़ा )
: धत्त बदमाश, मै तो कुछ करती भी नहीं सब तेरे अब्बू ही करते है समझा ( अम्मी सफाई देते हुए लजा रही थी और मुस्कुरा रही थी )
: हा देखा है मैने कौन कितना शरारती है हीही ( मै खिलखिलाया और उन्हें छेड़ा )
अम्मी लाज से लाल हुई जा रही थी उनकी सांसे चढ़ने उतरने लगी थीं और मेरा लंड उनके फूलते चूचों को देख कर अकड़ने लगा था अब ।
: अब चुप रहेगा तू और वो क्या कर रहा है ( अम्मी का इशारा मेरे हाथ पर था जो लोवर के ऊपर से लंड को मिस रहा था )
: हीही , कुछ नहीं ( मैने वहा से हाथ हटा लिया )
: इतना जल्दी खड़ा हो गया तेरा ( अम्मी अचरज से बोली )
: हा वो आपकी और अब्बू की बातों से ये परेशान हो जाता है ( मै थोड़ा असहज होकर बोला )
: इतना पसंद है तुझे हमारी बातें ( अम्मी उत्सुक होकर बोली )
: बहुत ज्यादा , कितनी मजेदार होती है आपकी बातें और अब्बू जब आपकी तारीफ करते है तो उम्ममम ये और भी बड़ा हो जाता है ( मैने अपने पैर फैलाए जिससे लोवर में मेरा लंड एकदम से टाइट होकर खूंटे जैसा खड़ा हो गया और अम्मी ने उसे देखा )
: धत्त बदमाश, कितना गंदा हो गया है तू , शर्म नहीं आती तुझे अपनी अम्मी के बारे में वो सब सुनते हुए ( अम्मी ने मुझे टटोला )
: उम्हू , मुझे तो मजा आता है जब अब्बू आपके बारे में गंदा गंदा बोलते है ( अम्मी आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी ) सच्ची में ( मै पूरे विश्वास से बोला )
अम्मी चुप रही उनके चेहरे पर एक लाज भरी मुस्कुराहट थी शायद उन्हें अब थोड़ा थोड़ा मेरे बातों से गुदगुदी हो रही थी । उनकी एड़ीया आपस में उलझी हुई थी और वो अपने दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से रगड़ रही थी ।
: और जब आप मुझे खुद के साथ शामिल करती है तो मुझे और भी अच्छा लगता है ( मैने अपने दिल की बात कही अम्मी से )
: मैने कब किया तुझे शामिल ? ( अम्मी अचरज से बोली )
: क्यों उस रोज अब्बू को भेजने के लिए तस्वीरें मैने ही निकाली थी न ( मैने पुरानी यादें ताजा की )
: धत्त बदमाश, याद है मुझे और फोटो खींचने में ही तेरा ... हीही ( अम्मी मेरे झड़ने का मजाक उड़ाती हुई बोली )
: हा तो मेरी जगह कोई भी होता वो सीन देख कर पागल हो जाता जैसे मै हो गया , आपके बड़े बड़े (मै आगे बोलता तो अम्मी मुझे घूरने लगी ) इतना बड़ा सा तो है । मै तो बाजार में भी सब निहारते है आपको पीछे से ( मासूम होकर मैने अपने आप को सेफ जोन में कर लिया )
: धत्त इतने भी बड़े नहीं है ( अम्मी थोड़ा इतराई )
: विश्वास न हो तो अब्बू से पूछ लो ( मैने उन्हें छेड़ा )
: तू और तेरे अब्बू एक जैसे है , ना जाने तुम लोगों को क्या पसंद आता है उसमें ( अम्मी थोड़ा इतराई और लजाए )
: उफ्फ अम्मी आप क्या जानो , जो देखता है वो ही जानता है अपनी हालत , उस रोज जब आपने फैलाया उसको तो मै तो पागल ही हो गया , कितना बड़ा और गोल मटोल था उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह ( मै अम्मी के सामने बड़ी बेशर्मी से अपना लंड मसल दिया )
: धत्त गंदा छोड़ उसे ... फिर गलत तरीके से कर रहा है । अभी कल समझाया न ( अम्मी ने मेरे हाथ को झटका )
: उम्मम अम्मी क्या करु तंग कर रहा है , कभी कभी मन करता है कि उखाड़ दूं ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त पागल ( अम्मी हसी ) इसके साथ जबरजस्ती नहीं करते प्यार से करते है ( अम्मी ने लोवर के ऊपर से मेरे मूसल को थाम लिया )
उनके हाथों के स्पर्श से मै भीतर से सिहर उठा और आंखे उलटने लगा
: अह्ह्ह्ह अम्मीई सहलाओ न सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गॉड ( मै अपना जिस्म अकड़ता हुआ बोला और अम्मी पूरी मजबूती से मुठ्ठी में मेरे लंड को भरे हुए थी । )
उन्होंने लोवर के ऊपर से मेरे लंड को खींचना शुरू किया मै और छटपटाने लगा और बिस्तर पर अकड़ने लगा
: क्या हो रहा है तुझे ( अम्मी फिकर में बोली )
: ऐसे ही होता है अम्मी हर बार , आपका टच मुझे पागल कर देता है और लगता है कि अभी निकल जाएगा ( मैने एक सास में अपनी बात कह दी )
: क्या इतना जल्दी ( अम्मी चौकी ) ऐसा नहीं होना चाहिए बेटा ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करु अम्मी आप बताओ न ( मै उनकी आंखों में देखता हुआ बोला इस उम्मीद में कि शायद उनके पास कोई जवाब हो )
: तुझे ये सब सिर्फ मेरे साथ महसूस होता है या और भी किसी को देख कर ( अम्मी ने सहज सवाल किया )
: मैने तो आपके सिवा किसी को नहीं देखा ( सरल भाव से मैने अपनी दीवानगी जाहिर की अम्मी से )
: चल उठ खड़ा हो , निकाल ये सब ( अम्मी मेरे लोवर खींचने लगी )
मै उलझे हुए भाव में बिस्तर पर खड़ा हो गया और अपने कपड़े निकालने लगा
और धीरे धीरे मेरे जिस्म के सारे कपड़े बिस्तर पर थे और मेरा मोटा मूसल पाइप के जैसे सीधा तना हुआ अम्मी की ओर मुंह किए हुए
अम्मी ने मुझे नीचे उतारा और बिस्तर पर बिठाया ।
: खबरदार उसको हाथ लगाया तो ( अम्मी ने आंखे दिखा कर मुझे चेतावनी दी )
मेरा हलक सूखने लगा था लंड सास लेते हुए हवा में झूल रहा था , पूरे लंड में सुरसुराहट फैली हुई थी । जैसे नसों में कुछ रेंग सा रहा हो ।
: अम्मी , क्या करने जा रहे हो ( मै बेचैन होकर बोला )
अम्मी मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी और देखते ही देखते अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और घूम गई
मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
अगले ही अम्मी कबोर्ड का सहारा लेते हुए अपनी सलवार छोड़ दी जो सरकते हुए उनके पैरों में चली
मेरी आँखें फैल गई और अगले ही पल अम्मी ने अपने नंगे भड़कीले चूतड़ों पर से सूट को कमर तक खींच लिया
: ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के नंगे चूतड़ों को देख मै भीतर से पागल होने लगा )
: उम्हू , मारूंगी अगर छुआ उसको तो ( अम्मी गर्दन घुमा कर मुझे लंड को छूते देखा तो डांट लगाई )
: उफ्फ अम्मी कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आप टच कर दो न इसको ( मै हांफते हुए बोला )
अम्मी घूम कर मेरे तरफ आई और मै खड़ा हो गया उनके बराबर में आ अम्मी अपने पैरो से सलवार उतारते हुए मुस्कुराई और आगे बिस्तर पर घुटने के बल चलती हुई बिस्तर पर घोड़ी बन गई। उनकी बड़ी मोटी गाड़ उनके सूट के पर्दे से बाहर निकल आई थी , जांघों खूब फैल आकर टाइट
अगले ही पल अम्मी ने अपने चूतड़ हवा में हिलाने लगी
: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीईईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह मुझे पागल कर रहे हो ओह्ह्ह
: क्या बोला ( अम्मी ने घोड़ी बने हुए मुस्कुरा कर गर्दन घुमा कर मुझे देखा)
: आप मुझे पागल कर रहें हो ( मै मुस्कुराया )
: उससे पहले क्या बोला ( अम्मी बड़ी शरारती मुस्कुराहट के साथ अपने चूतड़ों से शूट को ऊपर खींचते हुए बोली )
जैसे जैसे अम्मी के चूतड़ नंगे होते गए मेरी आँखें फैलने लगी और सांसे चढ़ने लगी और लंड पूरा तन गया
: उफ्फ अम्मी आपकी बु.... ( मेरी नजर उनकी गदराई जांघों से झांकती बुर पर गई और मै मेरे हाथ लंड के पास ले जाना लगा )
: अंहां, नहीं ( अम्मी ने मुझे रोका और वापस से अपने नंगे चूतड़ों को हवा में उछाला )
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह अमीईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मेरे भीतर तरंगों का सैलाब आया था लंड में बिजली सी दौड़ रही थी )
: क्या बड़ी है उम्ममम ( अम्मी ने अपने बाल झटक कर मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा)
: आ.. आपकी गाड़ ओह्ह्ह्ह मन कर रहा है इसी पर झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( मै अपनी जांघें कस कर लंड को सहलाने को नाकाम कोशिश करने लगा )
: और नहीं देखेगा, इतना जल्दी झड़ जायेगा ( अम्मी ने उकसाया मुझे और मोटिवेट भी किया )
: हा हा दिखाओ न ( सूखते हलक को घोंटते हुए मै बोला )
मेरी जांघें बिस्तर पर घिस रही थी लंड को बिस्तर पर स्पर्श करा रहा था मै
और अगले ही पल अम्मी ने अपनी गाड़ और ऊपर उठाई और दोनों पंजों से फाड़ दी
: ओह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई कितनी सेक्सी गाड़ है आपकी अह्ह्ह्ह आपकी बुर कितनी लंबी है ( मै वासना में पागल सा होने लगा , विवेक कही गायब सा हो गया था मेरे लहजे में )
: पसंद है न तुझे मेरी गाड़ ( अम्मी अपने चूतड़ पर थपेड़ मारती हुई सवाल की )
: हा ( मै सर हिलाया )
: और क्या पसंद है बेटा ( अम्मी ने हवा में अपनी गाड़ हिलाती हुई बोली )
: आपके दूध सीईईई कितना बड़ा है और आपकी ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई आओ न प्लीज अह्ह्ह्ह्ह आजाओ जल रहा है नहीं रहा जा रहा है आजाओ न ( मै तड़पता हुआ बोला )
और अम्मी घुटने के बल पीछे आने लगी उनके बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए आपस में टकराते हुएं मेरी ओर बढ़ने लगे
मै हदस कर पीछे हो गया और अम्मी बेड से नीचे उतर गई , अभी भी अपनी गाड़ मेरी ओर किए हुए थी
: उम्मम ले आ गई और देखेगा ( अम्मी ने बिस्तर पर औंधे झुके हुए अपने पंजों से दुबारा अपने चूतड़ों को फाड़ दिया ) ले देख
: उम्मम अम्मीई अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ कितनी बड़ी और वो गुलाबी सुराख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अमीईई ( मै पागल सा होने लगा , मेरे लंड की नसे वीर्य से भर गई थी , सुपाड़े पर मानो पूरे बदन का खून भरने लगा , वो जलन वो पीड़ा सी उठ रही थी उसमें , अम्मी का रंडीपना देख कर आड़ो से लेकर सुपाड़े के मुहाने तक नसे डकार रही थी , बस एक स्पर्श और भलभला कर सारी गाढ़ी मलाई बाहर
अम्मी पूरे जोश में अपने चूतड़ हिला रही थी कमरे उनके चूतड़ एक ताल में तालिया बजा रहे थे और हर ताल के साथ अम्मी के गाड़ और बुर की गुलाबी झलक मिल जाती
मानो दोनों मुझे बुला रही हो अपने करीब और मै दो कदम आगे बढ़ गया और लंड को जड़ से पकड़ कर अम्मी के गदराई मोटी मोटी गाड़ के दरारों में टिका दिया
मेरे गर्म तपते लंड का स्पर्श पाते ही अम्मी भीतर से मचल उठी , उनके भीतर अलग ही काम की ज्वाला उठी
: या अल्लाह ओह्ह्ह कितना गर्म.. ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ( अम्मी मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह बस ऐसे ही आयेगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईईई अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अम्मीईई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह
और अगले ही पल मै भलभला कर अपनी के गाड़ के सुराखों में झड़ने लगा
खूब गाड़ी सफेद मलाई उनके मोटी गदराई गाड़ के सकरे दरारों में जाने लगी जो रिस कर अम्मी की बुर की ओर बढ़ने लगी और मै आखिरी बूंद के निचोड़ने तक अपना लंड अम्मी के गाड़ के दरारों में रखे रहा और अम्मी बेड पर अपनी गाड़ हवा में झुकी हुई हाफ रही थी
मै अपना लंड झाड़ कर दो बार उनके नरम चूतड़ों पर पटका और सुस्त होकर अम्मी के बगल में बिस्तर पर पैर लटका कर पसर गया वही अम्मी सरक पर नीचे फर्श पर घुटने के बल आ गई और बिस्तर पर सर रख कर सुस्ताने लगी ।
जारी रहेगी
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 027
अतीत के पन्ने : 08
: वही नीचे वाले दराज में होगी देख ले न ( अम्मी बिस्तर पर लेटी हुई बोली और उसके हाथ में मोबाइल था जिसपे वो रिल्स स्क्रॉल कर रही थी )
मै तेल निकाल कर उनकी ओर घुमा
अह्ह्ह्ह्ह महीनों बाद अम्मी के नंगे चूतड़ों के दीदार हुए ।
नरम गुलाबी और पहाड़ जैसा उभार , कसी हुई गहरी सकरी दरार देखकर की लंड अकड़ने लगा ।
मै धीरे से उनके पास आया और तेल की शीशी से बूंद बूंद अम्मी के कमर पर गिराने लगा मेरी नजर उनकी रसीली गाड़ के चिपकी हुई दरारों में थी और तेल की शीशी का मुहाना कब उसके गाड़ के ऊपर आ गया
एक दो तीन और फिर टिप टिप टिप टिप बूंदें अम्मी के गाड़ के दरारों में टिपकती रही
: शानू क्या कर रहा है , नहलाएगा ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
मैने तेल की शीशी किनारे रख कर अम्मी के नंगी मखमली कमर को अपने सख्त हथेलियों से लिपने लगा
गर्म हथेलियों का स्पर्श पाते ही अम्मी का जिस्म अकड़ने लगा और एक गहरी आह भरते हुए वो अपना मोबाइल किराने रख कर अपने बाजुओं का तकिया बना कर सर टीका लिया
अम्मी को आराम पाता देख मै मुस्कुरा और अच्छे से उनकी मालिश कर रहा था , अम्मी आंखे बंद कर ली थी । उनके चेहरे पर गजब का सुकून दिख रहा था ।मैने उनके आधी पीठ से लेकर कूल्हे तक और अच्छे से मसाज कर रहा था ।
: उम्ममम थैंक यू बेटा , अह्ह्ह्ह्ह सच में इसकी जरूरत थी मुझे अह्ह्ह्ह्ह थोड़ा और नीचे उम्मम अह्ह्ह्ह
मै मुस्कुरा कर अम्मी के कूल्हे अपने पंजे फैला आकर मसलने लगा और जांघों को रगड़ने लगा ।
इस दौरान तेल की बूंदे जो गाड़ की चिपकी दरारों में गई थी धीरे धीरे रिस कर अम्मी के गाड़ की सुराख और चूत की ओर बढ़ रही थी । हल्का हल्का अम्मी को वहां पर खुजली होने लगी थी , वो कभी अपने चूतड़ों को कस लेती तो कभी एकदम ढीला छोड़ देती और ऐसे करने से तेजी से तेल उनकी बुर तक आने लगा और धीरे धीरे बुर फांकों में इकठ्ठा होने लगा ।
इस दौरान मै उनकी जांघों की मालिश करता ।
कि अम्मी एकदम से अपने चूतड़ हवा में उठा कर नीचे बिस्तर पर त्रिकोण बनाते हुए अपना हाथ नीचे चूत पर ले गई और सूट से अपने बुर के फांके साफ करने लगी
पीछे से ये नजारा ऐसा था मानो मै अम्मी को चोद कर उठा हु और वो अपनी फांकों से मेरी मलाई साफ कर रही हो। थूक हलक से उतारते हुए मै रुक कर उन्हें देखा , यकीन नहीं हो रहा था आज महीने भर बाद अम्मी के गाड़ की सुराख देख रहा था
और वो वापस लेट गई
: कितना तेल गिरा दिया था पागल ( अम्मी ने फिर डांट सी लगाई मुझे )
: सॉरी अम्मी ( मै मायूस सा होकर बोला )
: ठीक है अब जा आराम कर ले तू भी नानी के पास , सुबह उनकी पैकिंग करवा देना
: क्यों ( मै अचरज से )
: कल वो वापस जा रही है ( अम्मी उखड़ कर बोली )
: मुझसे तो नानी ने कुछ नहीं बताया ( मै चौक कर बोला )
: सब कुछ तू जाने जरूरी है क्या ? ( जा और दरवाजा लगा देना )
मै बिना कुछ बोले उठ गया और कमरे से निकल गया
मै और भी उलझ गया था, दोपहर में तो नानी ने सब ठीक कर दिया था । अम्मी भी एक नई शुरुआत के लिए राजी हो गई थी। मगर उनका गुस्सा नराजगी अभी भी जस की तस ही है । फिर अब नानी को क्या हुआ , वो भी ऐसे अचानक से क्यों जा रही है ।
मै परेशान होकर ऊपर चला आया , नानी का यू चला जाना मुझे ज्यादा तकलीफ दे रहे था वो भी बिना मुझे बताए ।
मै अपने कमरे में गया तो नानी बैठी हुई बेड के हेडबोर्ड से अपना सर टिकाए हुए झपकियां खा रही थी ।
मैने कमरे का दरवाजा लगाया तो उनकी नीद खुल गई ।
: आ गया बेटा , आ जा बत्ती बुझा कर ( नानी मुस्कुराते हुए बोली )
मै बिना कुछ कहे चुप चाप लाइट बुझा कर नानी के पास आया और उनसे लिपट कर उनकी जांघें पकड़ कर लेट गया । नानी अभी भी बैठी हुई थी ।
वो मेरे सर को सहला रही थी ।
: क्या हुआ , कुछ कहा क्या तेरी अम्मी ने ( नानी ने मुझे दुलार कर पूछी)
: उतना तो रोज सुनता हु मै ( मै उखड़ कर बोला )
: तेरी अम्मी भी न , कितना समझाया उसे दुपहर में फिर भी ( नानी सफाई देते हुए बोली )
: छोड़ो नानी , वैसे भी मुझे यहां रहने का मन नहीं कर रहा है अब । रिजल्ट आते ही मै यहां से चला जाऊंगा ( मेरी बातों की मजबूती में मेरे टूटे हुए दिल की खनक बुझ गई नानी )
: ऐसा नहीं कहते बेटा , घर में थोड़ी बहुत अनबन होती है । तू फिकर न तेरी अम्मी समझेगी देर सवेर ।
: और आप , आप भी तो जा रहे हो न कल बिना बताए मुझे ( किसका भरोसा करु मै अब )
: हम्म्म तो तू इस लिए परेशान है , अरे पागल आज नहीं तो कल मुझे जाना ही था और फिर बेटी का ससुराल है कबतक मै रहूंगी ।
मै चुप रहा कुछ भी नहीं बोला बस उनको पेट के पास जाकर और कस लिया । वो मेरे सर पर हाथ फिराने लगी : और फिर तेरे अब्बू तो आए नहीं तो भला मै यहां किसके लिए रुकूं ( नानी ने थोड़ा सा चिढ़ाया मुझे )
मै भीतर से इतना भावुक हो चुका था कि बस आंखे नहीं छलक रही थी मगर दिल छलनी हुआ पड़ा था ।
: तो आप क्या बस अब्बू के लिए आई थी मेरे लिए नहीं ( मै उनके छातियों के पास अपना सर उठा कर बोला )
: हा और क्या , और तेरी अम्मी भी तो आ ही गई है । आज नहीं तो कल उसका गुस्सा कम हो जाएगा तो मै यहां क्या करूंगी रुक कर ( नानी की बातों में मस्ती साफ झलक रही थी )
: भक्क नानी प्लीज रुको न ( मै उठ कर उनके बराबर में बैठ गया और उनके चूचों पर सर रख कर लिपट गया ) और अब्बू भी आ जायेंगे संडे तक .... शायद ?
: बेटा कुछ रिश्तों की अपनी एक मर्यादा होती है , उन्हें उनकी हद ने रहना पड़ता है । चाहते हुए भी मै यहां तेरे अब्बू के लिए नहीं रुक सकती ।
: क्यों ( मुझे समझ नहीं आ रहा था एकदम से क्या हो गया है नानी को )
: बेटा मै मेरी कामनाओं के लिए अपने बेटी का संसार नहीं उजाड़ सकती है । मैने तेरे अब्बू की दीवानगी बचपन से देखी है और अगर मैने उस चिनगारी को हवा दी तो ये घर जल जाएगा । ( नानी ने मुझे कस कर सीने से लगा लिया)
: पर आपको तो अब्बू का साथ चाहिए था न , आपके अक्कू का ( मैने सूट के ऊपर के उनके निप्पल के इर्द गिर्द अपनी हथेली घुमाई जिससे उनके बदन में अकड़न हुई )
: नहीं शानू मत कर ( नानी ने मेरे हाथ रोक दिए ) मै और नहीं खुद को बहकाना चाहती हूं। ( उनकी बातों में दर्द साफ झलक रहा था )
मुझे लगने लगा था कि जरूर अम्मी और नानी में कुछ बातें हुई है मेरी गैर हाजिरी में , लेकिन कब ... ओह गॉड मै शाम को सब्जी मंडी गया था ?
मेरा माथा ठनका और भीतर जिज्ञासाओं की लहर उठने लगी ।
: अम्मी ने कुछ कहा क्या ?
: क्या ? नहीं ! ( नानी सकपका कर बोली )
: नानी आपको मेरी कसम क्या हुआ था शाम को जब मैं मंडी गया था ( मै उठ कर अलग हो गया उनसे )
: बेटा तू जिद मत कर , आज की रात मेरे सीने से लगा रह मेरा बच्चा ( नानी एकदम रुआस सी हो गई थी )
: नानी अगर आपको मेरी परवाह है तो आप जरूर बताएंगी , मुझे जो कहना था मै कह दिया हु बाय गुड नाइट
मै उखड़ कर उनकी ओर पीठ करके करवट होकर लेट गया
कुछ देर की चुप्पी और फिर उन्होंने मेरे सर पर हाथ फिराने लगी , उनके सुबकते हुए नथुने की आवाज आई तो मै पसीज गया और उठ कर बैठ गया : नानी ?
मैने उनके गाल छुए तो मेरी हथेली भीगने लगी , नानी रो रही थी ।
: क्या हुआ नानी बोलो न
: कुछ नहीं बेटा , शायद ये मेरे लालच की हार जो उसने मुझे जीवन के इस मोड पर खड़ा कर दिया । कुछ पलो के लिए मै भी बहक कर लालची हो गई थी , मगर तेरी अम्मी ने मुझे आईना दिखाया।
: नानी आप फिर घुमा रहे हो , साफ साफ बताओ न क्या हुआ । ( मेरा कलेजा रो रहा थे भीतर से नानी को रोता देखकर )
: बेटा तेरी अम्मी को पता चल गया हमारे बारे में ?
: क्या ? , कैसे ? ( मेरी एकदम से फट गई ) उन्हें कैसे पता चला और उनके आने के बाद हमने तो कुछ किया भी नहीं
: पता नहीं शायद उसने मेरा मोबाइल चेक किया था और शाम को मै जब ऊपर से नीचे आई तो वो किसी से फोन कर बाते कर रही थी । लेकिन इतना पता है वो तेरे अब्बू तो नहीं थे नहीं तो बात और बिगड़ जाती । ( नानी साफ साफ समझा रही थी और मुझे समझते देर नहीं लगी कि जरूर अम्मी नगमा मामी से ही बातें शेयर कर रही होगी क्योंकि अब्बू से ज्यादा भरोसा वो नगमा मामी पर करती थी । )
: क्या कह रही थी अम्मी हमारे बारे में ( मै फिकर में बोला )
मै दरवाजे के पास खड़ी उसे सुन रही थी जैसे ही उसने मुझे देखा तो फोन काट दी ।
: फरीदा तू गलत मत समझ मुझे ( मै डर गई थी )
: अम्मी बस करें आप , और कितना बेवकूफ बनाएगी आप ( फरीदा गुस्से में मुझे फटकार रही थी )
: फरीदा ,पहले मेरी बात सुन ले और फिर तुझे जो कुछ कहना होगा कह लेना
: मुझे आपकी एक बात नहीं सुननी अम्मी , खुदा के लिए मेरे बेटे और मेरे परिवार से दूर ही रहिए आप । मैने आपके भरोसे अपने बेटे को सौंपा और आप उसकी नादानी का ये सिला दे रही थी छीइ ( फरीदा ने मुंह फेर कर मुझसे कहा )
: इसमें शानू की कोई गलती है न फरीदा जो कुछ हुआ बस एक छोटी सी शरारत से हुआ और... ( मै सफाई देना चाहती थी )
: बिल्कुल इसमें शानू की गलती नहीं मानूंगी मै , इसके लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हो और खबरदार अब से आपने मेरे बेटे से कोई वास्ता रखा तो मेरा
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
मरा हुआ मुंह देखेंगी आप
: शानू.... क्या हुआ बोल क्यों नहीं रहा ( फोन पर वापस नानी की आवाज आई )
: हा नानी ( मै अपने ख्यालों से बाहर आया)
: तू बोल क्यों नहीं रहा था ( नानी ने सवाल किया , मगर मै क्या जवाब देता सालों बाद उनके फोन ने मेरे अतीत के वो पन्ने खुल गए जिन्हें मै भी कभी नहीं पढ़ना चाहता था )
: जी कुछ नहीं , अभी अम्मी कैसी है ? तबियत कैसी है उनकी ? ( मै मेरे आंसू पोंछ कर नानी से फोन पर बोला )
: बिलख रही है और तेरे लिए परेशान थी , बेटा वो तेरी अम्मी है और उसे हमेशा से उम्मीद थी कि जब कभी वो नाराज होगी तो उसे मनाने जरूर जाएगा उससे पास , वो थोड़ा डांटेगी मारेगी मगर प्यार तो तुझसे ही करेगी न ( नानी की बातें सुनकर मेरा कलेजा डबडबा गया मानो )
: नानी मै अभी टिकट करा रहा हूं घर के लिए ( मै एकदम से तड़प उठा था अम्मी के लिए)
: तू उससे बात तो कर ले एक बार , तेरी राह निहार रही है । जुबैदा का फोन सुबह से लेकर बैठी है अपने पास । मेरी तो खुद हिम्मत नहीं हो रही थी कि किस मुंह से अपने लाडले के पास फोन करूं मगर तेरी अम्मी की हालत देख कर मैने फोन किया । अब बात कर ले बेटा ।
: जी नानी मै अम्मी से बात करके काल करता हूं आपको , बाय ।
मैने फोन काटा और मोबाइल में जुबैदा काकी का नंबर खोजने लगा ।
नंबर सामने था , मगर उंगलियां उसको स्वाइप करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थी । पूरे बदन में कंपकपी होने लगी थी , कलेजा बैठने लगा था मेरा
मै उठ कर कमरे में टहलने लगा गहरी गहरी सांसे लेने लगा , ना जाने क्यों इतना मुश्किल लग रहा था अम्मी को काल करना । शायद इसमें भी मेरा गुरूर आड़े आ रहा था ।
मैने आइने में खुद को देखा और एक जोरदार थप्पड़ अपने गाल पर दिया
पूरा सिस्टम रिबूट हो गया अगले ही पल , खुद की ताकत का अहसास इतने सालों में पहली बार हुआ और जबड़े भी हिल गए मानो थोड़ा खुद पर हसी भी आई और फिर मैने गहरी सास लेते हुए जुबैदा चच्ची पर फोन घुमा दिया ।
घंटी बज रही थी मगर फोन नहीं उठा रहा था कोई, मन में कई कल्पनाएं उठ रही थी कि अम्मी जान बुझ कर फोन नहीं उठा रही है । या फिर जुबैदा चच्ची के घर फोन होगा उनका बेटा दौड़ते हुए मोबाइल अम्मी के पास ले जा रहा होगा । या फिर मोबाइल बज रहा है कोई सुन ही नहीं रहा होगा ।
तभी फोन पिकअप हुआ और मेरी धड़कने भारी होने लगी , फेफड़े मानो डर डर के सांसे ले रहो। मुंह सुख गया था मेरा
: अम्मीईई ( हिम्मत कर मैने उन्हें पुकारा )
वो एकदम चुप थी और उनके सिसकने की आवाज आई और मै पूरा पसीज गया
: अम्मीई प्लीज रो मत , मुझे माफ कर दो , प्लीज रो मत ( मै रुआंस होके बोला और अम्मी फूटफूट कर रोने लगी फोन कर और मेरी भी आँखें बहने लगी )
: अम्मीई मुझसे बात करो , आपको मेरी कसम है प्लीज
: नहीं करनी मुझे तेरे से कोई बात ( अम्मी सुबकते हुए नाराज होकर बोली )
: नहीं आपको करनी पड़ेगी , आप चाहे पूरा जिंदगी मुझसे गुस्सा रहो मानो नफरत करो मगर आपको मेरे से बात करनी पड़ेगी ( मै बिलख कर बोला )
: मारूंगी तुझे बदमाश जो दुबारा बोला, मै क्यों करूंगी तुझसे नफरत ? ( अम्मी ने रोते हुए मीठा सा डांटा मुझे )
: प्यार करती तो इतने दिन क्यों बात नहीं की मुझसे ( मै दुलराया उनके आगे )
: मार मार गाल लाल कर दूंगी कमीना , तू नहीं कर सकता था फोन इतना प्यार है अम्मी से तो ( अम्मी ने भी घुड़क कर जवाब दिया )
अम्मी की गाली से हंसी आई और मै आंसू पोछने लगा
: अच्छा सॉरी , आई लव यू अम्मी ( मैने उन्हें फुसलाया )
: हुंह , आई लव यू अम्मी ( अम्मी ने मुंह बना कर बोली ) नहीं चाहिए तेरा प्यार हूह मै ऐसी ही ठीक हु
: अच्छा तो रो क्यों रही थी मेरे लिए ( मैने भी थोड़ा छेड़ा उन्हें )
: मै क्यों रोऊंगी तेरे लिए, मै तो खुद की किस्मत पर रो रही थी । जिसे पाल पोस कर बड़ा किया और जिसके लिए इतना लड़ती आई उसने रत्ती भर परवाह नहीं की मेरी । चला गया मुझे छोड़ कर हूह ( अम्मी ने अपनी भड़ास निकाली और उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था । )
हम सब सामाजिक ढर्रे से जुड़े जीव है और समाज ने अपनी व्यवस्था में सभी रिश्तों नातों के लिए अपनी अपनी मर्यादाएं और नैतिकता दी है । सभी को उसी के हिसाब से चलना होता है जैसे बड़े और छोटे में अकसर ये होता है कि छोटे ही अपनी गलती माने और खुद से पहल करके आगे आए । भले ही प्रेम की बहस में गलतियां दोनो से हुई हो । अम्मी का कहना भी उसी सामाजिक ढर्रे से निकला था ।
मगर मैने अम्मी के साथ कभी बड़े छोटे का भेद पाया ही नहीं । उनके साथ एक दोस्ताना एक आशिक़ी भरा रिश्ता रहा था मेरा और जहां मैने कदम कदम पद उनसे अपने दिल की बात कही है , हर बार उन्हें जताया था कि दुनिया में मै उनसे ज्यादा प्यार किसी से नहीं करता । मेरी दिल की धड़कन सिर्फ उनके लिए ही धड़कती है , सांसों की साज सिर्फ उनके लिए ही खनकती है । अम्मी भी बखूबी मेरे जज्बातों और अरमानों को समझती है मगर हर बार वो मेरे दिए प्यार के फूल को लेकर बस मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाती है कुछ नहीं कहती है । जिनती बार भी मैने अम्मी को अपनी दीवानगी का तोहफा दिया रिटर्न गिफ्ट में वो मुझे एक मां का प्यार ही लौटाई थी । मेरे हर प्रेम के भोग से सजे हुए थाल को उन्होंने अपनी ममता के आंचल से छिपा दिया । आज एक बार फिर अम्मी ने अपनी मां वाली लाठी चला कर चित कर दिया था ।
: बोल न चुप क्यों है ? ( अम्मी ने सवाल किया )
: सॉरी न अम्मी ( मै बचकानी अदा से बोला )
: अभी आऊंगी तो पक्का मारूंगी ( अम्मी की बातों में हसी की खनक आई ) जब देखो "सॉरी न अम्मी" , अपनी हर गलती से तू सिर्फ यही कह कर बच जाता है
: अच्छा माफ भी कर दो , आई लव यू न अम्मी , प्लीज ( मैने दुलरा कर बोला) मेरी प्यारी अम्मी , देखो मै आपके पैर पकड़ रहा हूं और जांघ पर सॉफ्टी सॉफ्टी छू रहा हूं। प्लीज मान जाओ
: हीही मारूंगी कमीना कही ( अम्मी मेरी बाते सोच कर खिलखिलाई )
: हीही थैंक यू लव यू उम्माआह ( मै खुश होकर उन्हें एक किस दी फोन कर ही )
: अरे अरे मै अभी मानी नहीं हु , गुस्सा हु ( अम्मी बोली )
: नहीं आप हस दिए मतलब फ़िट्टूस सब खत्म हीही ( मै खिलखिलाया )
: पागल मेरा बच्चा , लव यू ( अम्मी खुश होकर बोली )
: लव यू सो सो सो मच मेरी प्यारी अम्मी ( मै खुश होकर बोला )
: अच्छा इतना प्यार उम्मम
: हम्ममम शानू आपको बहुत बहुत प्यार करता है ( मै भीतर से खुश हो रहा था )
: अच्छा , शानू की अम्मी भी शानू को बहुत बहुत प्यार करती है , लेकिन उसकी पीटाई होगी जरूर ( अम्मी बोली )
: पिटाई ? अब क्यों ? ( मै चौका )
: होगी तो होगी , प्यार करती हु तो मारूंगी नहीं तुझे । ( अम्मी ने हक जताया )
: ठीक है मार लेना , अम्मी हो ( मैने भी हस कर बोला )
फिर हम दोनो खिलखिलाते रहे कुछ देर तक ।
: अच्छा बता , कब घर आ रहा है ? ( अम्मी ने पूछा , जी में आया कि कह दूं कि कल आ रहा हूं मगर मैने सोचा माहौल खुशनुमा है थोड़ा अम्मी को परेशान करूं )
: मै क्यों आऊ हर , आपका मन नहीं होता अपने बेटे के पास आने का । हमेशा अब्बू के पीछे लगी रहती हो ( मै मुंह बना कर बोला )
: क्या बोला फिर से बोल ( अम्मी चिढ़ गई )
: क्या मेरा इतना भी हक नहीं है कि आपके साथ अकेले में कुछ हफ्ते रहूं ( मै थोड़ा नाटक करके बोला )
: अरे ऐसा नहीं बेटा , तू तो तेरे अब्बू की आदत जानता है न ( अम्मी उदास होकर बोली)
: कितना झूठ बोलती हो अम्मी , आप खुद नहीं रह पाती हो और अब्बू को ब्लेम करती हो ( मैने उनके मजे लिए )
: बहुत मारूंगी तुझे शानू , बदमाश कही का ( अम्मी शर्मा कर मुझे डांट लगाई )
: हा तो चले आओ न , थोड़ा दिन अब्बू रह लेंगे अकेले तो क्या हो जाएगा । ( मैने दो चूड़ी और कसी )
: अच्छा ( अम्मी कुछ सोच कर ) चल ठीक है आती हूं मै फिर ( अम्मी पक्के स्वर में बोली )
: पक्का न , बाद में मुकर जाओगे तो ? ( मैने उन्हें परखा )
: हा भई पक्का आऊंगी जो होगा सो होगा ( अम्मी पूरे विश्वास से बोली )
: और अब्बू ? वो गुस्सा हुए तो ? ( मैने आखिरी जांच की )
: तेरे अब्बू को कैसे मनाना है मै जानती हूं ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: हा वो तो मुझे भी पता है ( मै हल्का सा बड़बड़ाया मगर शायद अम्मी सुन ली थी )
: क्या बोला, बहुत मारूंगी तुझे बदमाश कही का , बहुत बिगड़ गया है ( अम्मी मुझे डांट लगाती रही )
मै दिल से खुश हो गया था कि फाइनली अम्मी मान गई और सबसे बढ़ कर वो मेरे पास आ रही है रहे के लिए।
मै एकदम से चहक रहा था , अम्मी से बात करने के बाद मैने नानी को सारी बातें बताई फोन पर
: चल अच्छा है और इस बार कोई शरारत मत करना । नहीं तो खामखां बात बिगड़ जाएगी समझा ( नानी समझा कर बोली )
: परेशान करने के लिए मेरी सेक्सी नानी है न हीही ( मैने नानी को छेड़ा )
: धत्त बदमाश सेक्सी नानी , आकर देख मुझे बूढ़ी हो गई है तेरी नानी । चलना तो दूर अब उठना बैठना दूभर हो गया है , ना जाने कितनी रोज की जिन्दगी बची है ( नानी उखड़ कर बोली )
: क्या नानी ऐसे न कहो प्लीज ( नानी की बातों से मन उदास सा होने लगा )
: क्या न कहूँ, अरे मरने से पहले तेरा निगाह देख लू अब बस यही इच्छा है । कोई पटाई वटाई है या बस अम्मी के लिए ही जी रहा है । (नानी ने माहौल हल्का किया )
: नानी तुम भी न ( मै मुस्कुराया )
: अगर होगी तो मिलवा देना अपनी अम्मी से , झिझकना मत
: ठीक है और कुछ ( मै अलीना को अम्मी से मिलाने के बारे में सोच कर ही सिहर उठा )
: और मन करेगा तो मुझसे भी मिला देना मेरे जिंदा रहते और क्या ? ( नानी ने जवाब दिया )
: नानी , अच्छा ठीक है मिला दूंगा खुश । चलो मै रखता हु फोन आ रहा है ऑफिस से कुछ जरूरी है ।
: ठीक है रख दे ( नानी ने फोन काट दिया )
मोबाइल पर शबनम के फोन आ रहे थे । रेस्तरां से आने के बाद शाम हो गई थी और मैने उससे कुछ बात नहीं की थी । अम्मी से बात करते हुए एक बार अलीना का भी फोन आ चुका था ।
फोन पर
: हा शबनम बोलो ( मै खुश होकर बोला)
: क्या बोलो , तुम तो एकदम से निकल गए और फोन भी नहीं किया ( शबनम ने हड़काया मुझे ) सब ठीक है न
: हा अब सब ठीक है , तुम कहा हो
: कहा रहूंगी , घर पर अपने कमरे में अपने बिस्तर पर तुम्हारा इंतजार कर रही थी ( शबनम ने बातों को लपेटा )
उसकी बातों से ही लंड ने हरकत होने लगी
: उम्हू तो ठीक है आ रहा हूं 10 मिनट रुको ( मैने उसे डराया )
: क्या ? नहीं नहीं यहां कैसे पागल हो मामू काम से वापस आ गए है ( वो मना करते हुए बोली )
: हा लेकिन मुझे मिलने का मन है सीईईईई उम्मम जबसे तुमने बाथरूम ने इसको चूसा है अह्ह्ह्ह ये तो छोटा ही नहीं हो रहा है ( अपना अकड़ता लंड को पकड़ कर भींचता हुआ मै सिहरा)
: शानू नही मत याद दिलाओ न प्लीज ( शबनम की तेज धड़कने साफ महसूस हो पा रही थी उसके बातों में बेचैनी जाहिर हो रही थी )
: क्यों पसंद नहीं आया क्या मेरा बड़ा सा लंड , कितने प्यार से तुम उसको अपने होठों से लगाए थी अह्ह्ह्ह शब्बू उम्मम्म फिर से वैसे ही चूसो न उम्मम ( मैने उसको उकसाया )
: उफ्फ शानू मै यहां पागल हो जाऊंगी उम्ममम मत करो ऐसी बातें उम्मम मुझे देखने का मन करेगा ( शबनम बोली )
: रुको फोटो भेज रहा हु
और मैने उसको कालिंग पर होल्ड रखे हुए व्हाट्सअप पर अपने लंड को के ऊपर से पकड़े हुए एक फोटो उसे भेजी
: देखो गया है ( मैने फोन पर बोला उसे )
: धत्त ऐसे नहीं ( शबनम सिहर कर बोली ) खोल कर दिखाओ न मेरी जान
मैंने उसे तुरन्त वीडियो काल की रिक्वेस्ट की और उसने पिकअप कर ली
: उम्मम क्या देखना है ( मैने मुस्कुरा कर उसे देखा और वीडियो काल पर आते ही वो शर्माने लगी )
: धत्त ऐसे नहीं फोटो भेजो न ( वो पूरी लाज से लाल होती हुई बोली और चेहरा छिपाने लगी )
मै कैमरा बैक करके अपने पेंट के ऊपर से लंड को मसलते हुए दिखाया : ये देखना है उम्मम
वीडियो काल पर शबनम की हालत खराब होने लगी ।
मै अपना पेंट खोलकर उसे अपना मोटा मूसल हाथ में सहलाते हुए दिखा रहा था
: उफ्फफ अमीईई उम्मम कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( वीडियो काल पर शबनम के चेहरे के भाव बदल रहे थे । वो अपने होठ चबाते हुए बड़े गौर से मेरे लंड को निहारे जा रही थी । )
: क्या कर रही हो मोबाइल हिल रहा है कितना ( मै अपना सुपाड़ा खोलता हुआ बोला और उसने बैक कैमरा करके सामने आइने में जो दिखाया मेरा लंड पूरा अकड़ गया )
शबनम अपने कमरे में आलमारी के शीशे के आगे फर्श पर टांगे खोल कर बैठी हुई थी और उसके हाथ लेगी में घुसे हुए बुर सहला रहे थे
: पागल हो गई हु शानू , उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई प्लीज अह्ह्ह्ह्ह चोद दो मुझे पेल दो मुझे इस मोटे लंड से अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह
मै उसकी खुमारी देखे जा रहा था और वो तेजी से अपनी चूत मसलते हुए अकड़ने लगी और तेजी झड़ने लगी
: अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह उम्मम शानू फ़क्कक्क अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम आ रहा है आह्ह्ह्ह ओह गॉड फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम
( वीडियो कॉल पर शबनम अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और उसकी लेगी पूरी गीली हो गई थी इतना रस बह चुका था )
फिर वो शांत होकर मुस्कुराने लगी , मेरा लंड एकदम बेहाल हो गया था ।
फिर उसने लाज के मारे बाद में बात करने का बोल कर फोन काट दिया और मै अभी उठ कर फ्रेश होने का सोच रहा था कि व्हाट्सअप अप अलीना का मैसेज आया एक तस्वीर के साथ
Hey baby, are you missing me ?
जारी रहेगी
कृपया अपडेट पढ़ने के बाद रेवो जरूर करें । जल्द ही अगला अपडेट पोस्ट किया जाएगा ।
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बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 028
सॉरी अम्मी
उफ्फफ अलीना के विजिबल ब्रा पैंटी में उसके रसीले मम्में और चूत के फांके देखते ही मै पागल हो उठा और फौरन वीडियो काल कर दिया
: ऊहू देखो तो मेरे बावरे साजन को फट से वीडियो काल उम्मम ( अलीना ने छेड़ा मुझे )
मै मुस्कुराया मगर तभी मेरी नगर उसके सूट पर गई और मेरा चेहरा उतर गया ये सोच कर कि उसने कपड़े पहन रखे है ।
: चेंज क्यों किया ? ( मै उखड़ कर बोला )
: अरे मैं तो ट्राई कर रही थी साइज वाइज ठीक है न तो सोचा तुम्हे भी दिखा दु ( अलीना मुस्कुराई )
: सिर्फ़ दिखाती भर हो चिखाती जरा भी नहीं हूह ( मै भी भूनका)
: हीही आव मेरा बेटा , दूदू चाहिए मेरे बेबी को
मैने बच्चों जैसी शकल बना कर वीडियो कॉल पर हा में सर हिलाया और सामने से अलीना ने अपना सूट उठाया
उफ्फ लाल ब्रा में कैद उसके गुलाबी चूचे देख कर ही लंड अकड़ गया और ब्रा में उसके उभरे हुए कड़क निप्पल को देखते ही मै झुक कर अपने मोबाइल स्क्रीन दिख रही उसकी गुदाज रसीली छातियां चूमने लगा ।
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कुछ कुछ हो रहा है जान उम्मम अह्ह्ह्ह्ह प्लीज आजाओ न ( अलीना सिसकी )
: मै नहीं तुम आने की तैयारी करो हिहीही ( मैने उलझाया उसे )
: मतलब ?
: अम्मी आ रही है मेरे पास रहने ( मै खुश होकर बोला )
: क्या सच में ? कब ? ( अलीना खुशी से उछल ही पड़ी )
: संडे बाद कभी भी ...
: वाव लेकिन कैसे ? वो तो नाराज थी न ? ( अलीना ने सवाल किया )
: हा थी मगर अब सब ठीक है ( मै मुस्कुरा कर बोला ) और पता है इतने साल बाद नानी से भी बात हुई ।
: ओहो सही है लेकिन एक बात पूछूं ( अलीना थोड़ा सोच कर बोली )
: हा बोलो न
: तुमने बताया नहीं कि उस रोज ऐसा क्या हुआ था कि तुम घर से गुस्से में चले आए थे । कुछ ज्यादा बात हो गई थी क्या ? ( अलीना ने सवाल किया)
अलीना के सवाल ने मुझे बेजुबान कर दिया था रह रह कर उस शाम की वो बहस जहन में लहरों के जैसे उठ रही थी और मै उन्हें झटकता और वो फिर वापस लौट आती ।
: क्या हुआ जान ( अलीना ने कहा)
: अह कुछ नहीं , छोड़ो न ( मै थोड़ा सा खीझ कर बोला )
: तुम आज भी उस दिन को लेकर परेशान हो न ( अलीना थोड़ा रुक कर बोली )
: हम्म्म थोड़ा बहुत ( मै उखड़े हुए मन से बोला )
: क्या इतना मुश्किल है मुझसे शेयर करना ? ( अलीना ने सवाल किया और उसके सवाल ने मुझे ऐसे कटघरे में खड़ा कर दिया था कि अगर मै उसे ना कह दूं तो कही वो ऐसा न सोच ले कि उसका मुझ पर जरा भी हक नहीं है । )
: जान मैने तुम्हे अपने आप से जुड़ा वो पहलू बताया है जो मै कभी अपनी अम्मी से भी नहीं कह पाया मगर अब जब उस रोज की बात सोचता हूं तो डरता हूं कि कही तुम मेरी अम्मी को गलत न समझ बैठो । ( मै उदास होकर बोला )
: एक बात कहूं बेबी ( अलीना ने बड़े प्यार से मुझे कहा )
: हम्मम बोलो न
: जिस दिन से तुमने मुझे अपनाया था न उस दिन से ही मैने अपना सब कुछ तुम्हे सौंप दिया था यहां तक कि मुझे मेरे नजरो से इस दुनिया को देखना भी नहीं पसंद अब , मै तो तुम्हारी आंखों से ये खूबसूरत दुनिया देखना चाहती हूं, तुम्हारे सुनाए सुनना चाहती हूं जैसे तुम जीते हो वैसे जीना चाहती हूं और तुम्हारी सांसों में अपनी सास जोड़ कर खुद को भी तुम्हे सौंप देना चाहती हूं हर तरह से । ( अलीना के कहे एक एक अल्फ़ाज़ ने मै अन्दर से पिघलता गया )
: और एक बात कहूं
: हा कहो न जान ( कितना प्यारा लग रहा था उसे सुनना )
: मुझे तुम्हारे साथ तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हारी sexy फैंटेसी दुनिया की सीढ़िया उतरना चाहती हूं । क्योंकि मुझे पता है तुम बहुत नॉटी हो हिहीही ( अलीना के मीठे जादूई शब्द ने मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट और लंड में अकड़न पैदा कर दी )
: उम्मम सच्ची में क्या ? जानती हो न कितना गंदा बच्चा हू मै ( मै मुस्कुरा कर अंगड़ाई लेता हुआ बोला )
: जैसे भी हो मेरे हो न , आई लव यू जान
: आई लव यू सो मच बेबी उम्मम्मआह ( मैने मोबाईल स्क्रीन पर उसको किस किया बदले ने वो भी अपने लिप्स कैमरे के पास लाकर किस कर दी मुझे )
अलीना से बातें करके आज जितना गर्व मुझे कभी भी नहीं हुआ था , शायद ये मेरे जीवन के लिए हुए फैसलों में सबसे उचित फैसला था जब मैने अपने जीवनसाथी के लिए उसे चुना ।
बहुत खास फर्क नहीं था उसमें और अम्मी में , थोड़ी सी शरारत या चतुराई करना दोनो मुझे पकड़ लेती थी । मगर अम्मी की बात ही और थी , उनसे जुड़ी बाते सोच कर ही बदन में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगती थी । मगर आज अलीना ने मेरा वो विश्वास हासिल कर लिया था जो शायद मै अपनी अम्मी पर भी नहीं दिखा पाता।
: अरे कहा खो गए ( वीडियो काल पर अलीना बोली )
: कही नहीं बस सोच रहा हु कि कहा से बताऊं तो तुम समझ पाओ सारी बातें , मेरा अतीत बहुत उलझा हुआ है । चीजे बहुत उलट पलट है ( मै हल्का होकर बोला )
: उलझा हुआ नहीं मिस्ट्री थ्रिलर बोलो हाहा ( अलीना खिलखिलाई )
: हा और क्या अम्मी के नए अफेयर के बारे में पता लगा पाना किसी सस्पेंस मूवी से कम थोड़ी न था ( मै अलीना से बोला )
: लेकिन तुमने पता कैसे लगाया कि उस रोज अम्मी जिस गाड़ी से आई वो उनके नए साथी की थी । ( अलीना ने बड़ी उत्सुकता से बोली )
: आसान नहीं था नानी के जाने के बाद अम्मी के साथ रहना । वो पहले से ज्यादा चिड़चिड़ी और नाराज रह रही थी । कभी कभी तो अब्बू से भी उनकी बहस हो जाती थी मगर ना जाने कैसे अब्बू उनको बहला ले जाते और फिर अम्मी सेक्सुअली हो जाती । पर अब जब सोचता हूं तो शायद लगता कि जैसे तुम्हे पसंद है मेरे नजरिए से जीना शायद अम्मी को भी अब्बू के वासना और सेक्स के नजरिए की दीवानगी हो गई थी । तभी तो वो दिन ब दिन और भी ज्यादा कामुक हुई जा रही थी ।
: क्या सच में ? वैसे सासू मां से मिलना तो पड़ेगा ही मै भी देखूं ऐसा क्या है उनमें जो मेरे हीरो को इतने साल से अपना दीवाना बना रखा है हिहीही ( अलीना हस कर बोली )
: उफ्फ यार क्या ही बताऊं , जब कभी भी मुझे अम्मी के किसी हरकत पर नाराजगी होती वो मुझे अपने अगले कामुक अवतार से चौंका देती थी और मै सब कुछ भूल कर उनको देखने के लिए उनकी और अब्बू की बाते सुनने के लिए पागल हो जाता था ।
: हीही ऐसा क्या ? ( अलीना चहक कर बोली )
: हा और फिर वो जब अम्मी ने झूठ बोला था कि वे बस से आई थीं। मुझे तो बहुत नाराजगी थी उस टाइम । थोड़ा खुद पर भी गुस्सा था कि मेरी नादानी की वजह से नानी भी मुझसे अलग हो गई मगर अम्मी से मै खासा नाराज था उस टाइम क्योंकि उन्होंने नानी को साफ साफ मुझसे मिलने और बात करने के लिए मना कर दिया था ।
सारा दिन मै खुद को कमरे में बंद रखता था , बस जब खाना पीना होता तभी बाहर आता और वापस कमरे में । 2 दिन ऐसे ही बीत गए थे । अम्मी भी आश्वत हो गई थी कि मै सुधर रहा हूं और शायद कहीं न कही उन्हें लगने लगा था कि नानी को मुझसे अलग करना उनका सही फैसला था ।
मै बोर हो गया था 2 दिन में और मेरे साथ मेरे भीतर की चंचल वासना भी , मगर अंदर के अहम ने मुझे सख्त लौंडा बना रखा था लेकिन लालची मन चाहता था कि थोड़ी नरमी बरत कर अम्मी से बातें शुरू करूं उनके कमरे में फिर से ताक झांक शुरू करूं । शायद ईगो ने ये लड़ाई बाहर से जीत ली थी मगर असल लड़ाई को मेरे लालची कामुक मन ने ही जीता था । अम्मी के वापस आने से पहले ही मैने अब्बू के लेपटॉप से कुछ तस्वीरें वीडियो अपने एक गुप्त मेल ड्राइव में सेव कर रखी थी । मेरा लालची मन बार बार उसी ओर इशारा करता मगर भरे इगो में मै अम्मी से मोबाइल मांगने से रहा ।
दुपहर में 11 बज रहे थे और मै एक फाइल लेकर नीचे आया जिसमें कुछ डॉक्यूमेंट थे मेरे ।
: कहा जा रहा है शानू ( अम्मी ने हाल में सवाल किया था , वो सब्जियां काट रही थी दुपहर के खाने के लिए लेकिन कान में उनके एक ईयर फोन लगा था वायर वाला जो मोबाइल से जुड़ा था । शायद किसी से बात कर रही थी वो )
: जी वो एक फॉर्म आया **** पोस्ट के लिए वही जा रहा हूं ( मै थोड़ा टाइट होकर बोला )
: पैसे है? ( अम्मी ने भी घुड़क कर जवाब दिया , पसंद नहीं आया मुझे )
: हा है । नानी ने दिए थे 1000 ( मैने भी जानबूझ कर नानी को शामिल किया ताकि उनको भी तकलीफ हो उनका भी कलेजा जले )
: जल्दी आना इधर उधर मत जाना ( मै निकल रहा था वहा से कि पीछे से अम्मी ने आवाज दी मगर मै बिना बोले ही बाहर आ गया )
थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था अम्मी से भीड़ कर मगर इतना भी नहीं कि जश्न मनाया जाए । मै घर से निकल कर सीधा एक साइबर कैफे गया । मै यहाँ कई बार आया था 9वी से लेकर ग्रेजुएशन तक स्कॉलरशिप से लेकर हर तक के आवेदन यही से होते थे खोवामंडी में । कैफे के मालिक का लड़का नदीम मेरा ही क्लास मेट था तो उसके यहां मुझे बहुत रियायत मिलती थी । कभी कभी कैफे के केबिन वाले सिस्टम पर बैठ कर भी मैने अपने काम किए थे । आज भी आने के बाद मै नदीम से मिल और मै उसको चेयर से उठा कर बगल में किया
: अबे हट ने साले ( मैने उसे कुर्सी से हटाया )
: क्या करना है बोल न , अब्बू देखते है तो गुस्सा करते है ( नदीम भुनभुनाया )
: अबे तेरा बाप तो मै ही हु दूसरा कहा से पैदा हो गया ? हूं ? ( मैने उसकी पहिए वाली आराम दायक कुर्सी पर बैठता हुआ बोला तो वो मेरे गर्दन की पीछे से दबोचने लगा )
: अबे मर जाऊंगा बे छोड़ ( मै क्रोम पर अपना मेल लोग इन करने लगा ) .. समोसा मगा दे भाई
: भोसड़ी के सुबह हड्डी नहीं मिली क्या जो यहां आ गया ( वो भी गरियाते हुए बोला और चला गया )
मै झट से अपना मेल खोलकर कुछ फोटो सेलेक्ट किए और प्रिंटर में पेपर लगाया , चीजे उतनी आसान थी नहीं मगर इतना पता था कि कैसे निकालना है फोटो । न कुछ एडिट किया और न कुछ सेटिंग डायरेक्ट प्रिंट मार दिया । कच्च फच कच्च फच होने लगा और देखते ही देखते एक ही पेज पर पासपोर्ट साइज से थोड़े से बड़े आकार ने वो तस्वीरें प्रिंट होकर आई
: सत्यानाश बहीनचोद ( तस्वीरें देख कर मै बड़बड़ाया ) इससे पहले कि मै दुबारा से पेज लगाकर प्रिंट मारता मुझे सड़क उस पार से नदीम एक काली पन्नी हाथ में झुलाता हुआ दिखा । मैने झट से वो प्रिंट हुआ पेज पूरा का पूरा बिना काट पिट किए फोन में छिपा दिया और सिस्टम से अपना डाटा हटाने लगा ।
: साले BP देख रहा था क्या ( वो मुझे हड़बड़ाया देख कर बोला )
: है क्या इसमें ? ( मैने भी उसको छेड़ा )
: भक्क भोसड़ी के अब्बू ने देख लिया तो फाड़ देंगे मेरी ( वो घबरा कर बोला ) ले ठूस
फिर मै उसके साथ बैठ कर समोसा खाया और एक फॉर्म अप्लाई करके निकल गया घर के लिए।
घर आकर मैने हाल ने एक तरफ रखी हुई सिलाई मशीन से कैंची उठाई और चुपचाप ऊपर निकल गया । हालांकि अम्मी ने किचन से मुझे ऐसा करते देखा जरूर मगर कुछ बोली नहीं और मुझे डर भी नहीं था ।
मै मेरे कमरे में आया और दरवाजा लगा कर बिस्तर पर आया । झट से फाइल खोलकर वो प्रिंट पेज निकाला उफ्फ अम्मी की कातिल अदाएं और उनके नंगे जिस्म की तस्वीरें देख मै पागल हो उठा । मैने बड़े आराम से तस्वीरें काट कर अलग की
कुछ पल मै जिस चीज के लिए परेशान था कि मेरी नासमझी की वजह से मै सही साइज के फोटो प्रिंट नहीं कर पाया अब वो मेरे लिए लकी साबित हो रही थी । क्योंकि अम्मी के इस साइज की तस्वीरें तो मै अब पर्स में रख कर भी घूम सकता था ।
मै अम्मी की तस्वीरें उनके बड़े भड़कीले चूचों को देखकर अपना लंड मसल रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ।
: शानू खाना हो गया है , दरवाजा क्यों बंद किया है तूने ( अम्मी की आवाज आई और मेरी फट गई )
मै झट से वो फोटू फाइल में डाला और सारा कूड़ा करकट वैसे ही रख कर दरवाजा खोलकर बाहर आया
: क्या कर रहा था अंदर तू और कैची किस लिए लाया था ( अम्मी ने सवाल किया )
वो मैने फोटो निकलवाए है फॉर्म में लगाने के लिए तो वही काट रहा था , हो गया है ला रहा हूं ( मै भी हिम्मत करके बोला , मगर भीतर ही भीतर सहमा हुआ था । )
फिर अम्मी जवाब पाकर चुप होकर चली गई और मै कैची लेकर नीचे आया खाना खाने के लिए।
खाते हुए भी मै न अम्मी से बात कर रहा था और न ही उन्हें देख रहा था ।
: कब होगी परीक्षा इसकी ( अम्मी ने सवाल किया )
: किसकी ? ( मैने सरल होकर पूछा )
: अरे वही जो फार्म भरने गया था , कहा होगी परीक्षा और कब ( अम्मी चिढ़ कर बोली जैसे उन्हें पसंद नहीं आया हो दुबारा पूछना )
: दिल्ली में होगी सोच रहा हूं तैयारी के लिए भी वही जाऊं ( मैने अम्मी का मन टटोला )
: दिल्ली ? उतना दूर क्यों जाना यहां लखनऊ में भी तो .... (अम्मी एकदम से बोलते हुए चुप हो गई ... शायद उनके जहन में नानी की कही हुई बात उठ आई थी उस वक्त आंखे उनकी खाते हुए नम होने लगी और वो थाली लेकर किचन में चली गई )
मैने बहुत परवाह नहीं की और खाना खा कर ऊपर चला गया ।
एक लंबी नींद के बाद शाम को आंखे खुली तो देखा कमरे का दरवाजा भड़का हुआ है और मैने धीरे से फाइल से फोटो निकाले और उन्हें देखने लगा
: उफ्फ अम्मी अपने बूब्स उम्मम कितने सेक्सी है ( आप लंड बाहर निकाल कर उन्हें सहलाते हुए बड़बड़ाए जा रहा था )
सारी की सारी तस्वीरों में अम्मी के सेक्सी लुक और उनकी बड़ी बड़ी गाड़ को देख कर मै आंखे उलटता हुआ लंड हिला रहा था कि तभी मुझे अम्मी की आहट आई और इससे पहले ही वो कमरे में आती झट से मैने सारी तस्वीरें तकिए के नीचे छिपा दी और लेट कर बगल में रखी एक बुक को करवट होकर पढ़ने लगा ।
: शानू .. उठ जा बेटा शाम हो गई है ( अम्मी बड़ी मीठी होकर बोली )
एकदम से चौक गया मै कि इन्हें क्या हुआ जो ऐसे बदल गई
मै अपने पैर फैलाता हुआ अकड़ा और उठने लगा
अम्मी कमरे से मेरे गंदे कपड़े निकाल कर एक बाल्टी के रखने लगी ।
: उठ जा शाम हो गई बिस्तर पर नहीं सोते बेटा , चल नीचे आजा ( अम्मी मेरे कपड़े लेकर निकल गई और मै उठ कर ऊपर वाले बाथरूम में घुस गया)
कुछ देर बाद मै अपना लंड साफ कर बाहर आया कि आंखे फेल गई अम्मी तो वापस कमरे में आ गई थी और मेरे गंदे बेडशीट को खींच रही थी
मेरी तो एकदम फटी और मै समझ गया कि अब फिर एक थप्पड़ पड़ेगा ही क्योंकि तकिए के नीचे छिपा कर रखा हुआ उनका फोटो तो देख ही लेंगी ।
मै उनके पीछे था और
वो जैसे ही तकिया उठाई वो फोटोज वहां पड़ी मिली , उन्हें देखते ही अम्मी की आंखे बड़ी हो गई और वो फोटोज अपने हाथ में लेकर देख कर एकदम से चौक गई
मेरी किस्मत भी साली इतनी चुदी थी कि क्या ही कहता मै सहमा हुआ मै उनके पीछे से खड़ा होकर बस इतना ही बोला : सॉरी अम्मी !!!
जारी रहेगी
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बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 029
नई सीख नया अहसास
मेरा कलेजा धकधक हो रहा था और हलक सूखने को हुआ जा रहा था । समझ नहीं आ रहा था आगे क्या होगा
अभी 2 मिनट पहले की बात थी कि अम्मी इतने प्यार से बोल रही थी और अब तो पक्का है फिर से मार पड़नी थी ।
: ये सब क्या है शानू ( अम्मी उलझन भरे भाव में बोली )
: जी ,जी वो सॉरी ( मै डरते हुए बोला )
अम्मी मुझे घूरे जा रही थी और मै हिम्मत कर उन्हें चोर नजरो से देखा तो जैसे ही उनकी नजरे मुझसे टकराई एक लकीर भर की मुस्कान उसके होठों पर आई और उन्होंने छिपा लिया ।
: तो इसलिए तांक झांक बंद कर दिया था तू , मुझे लगा कि तू सुधर गया है ( अम्मी वो फोटो हाथ में पकड़े हुए मुझे दिखाते हुए बोली ) मगर नवाब साहब ने तो नई तरकीब निकाल ली ।
: सॉरी अम्मी ( मै मुंह लटकाए बोला )
: कब निकाला इसे और कहा ? बोल बोलता क्यों नहीं ( अम्मी ने हड़काया )
: आ आज , आज ही निकाला है नदीम के यहां ( मै एकदम से घबराया ) अम्मी प्लीज मारना मत प्लीज
: क्या आज ही ( अम्मी चौक कर हंसी फिर अगले ही पल नॉर्मल हो गई )
शायद वो भी मेरी किस्मत पर हस रही थी कि एक ही दिन में पकड़ा गया मै
: तुझे शर्म नहीं आई , अपनी अम्मी की नंगी तस्वीरें उससे निकलवाते हुए ( अम्मी ने हड़काया फिर से ) हा शर्म क्यों आएगी उसी से सब सीखता है न ये सब ( अम्मी गुस्से में बोली )
: नहीं नहीं अम्मी , वो दुकान पर नहीं था मैने चुपके से निकाली है इसीलिए छोटी निकली ( मै सफाई देते हुए चुप हो गया जब मेरी नजरे उनकी नाराज आंखों से मिली तो )
: तो क्या अब तू मेरे पोस्टर चिपकाएगा कमरे में अपने ( अम्मी हड़काते हुए बोली ) बोल न
एक पल को अम्मी का इडिया पसंद आया कैसा होगा जब मेरे कमरे की दीवारें अम्मी ने नंगे पोस्टर से भरी होंगी और कई उन्हें देख कर हिलाऊंगा
: सॉरी न अम्मी
: सॉरी न अम्मी ( अम्मी ने मुंह बना कर मुझे डांटा और हाथ उठा कर मारने को हुई ) मारूंगी अभी कमीना कही का ।
मै मुंह बना कर चुप रहा , गनीमत थी कि मार नहीं पड़ी
: ये उठा सब और लेकर चल नीचे ( अम्मी का इशारा बेडशीट और दूसरे कपड़े पर था )
मै उन्हें समेटा और चुपचाप निकल आया नीचे
कुछ ही देर बाद अम्मी भी नीचे आ गई ।
सारे कपड़े बारी बारी से वाशिंग मशीन में मैने खुद लगाए और छत पर फैलाने भी गया ।
अम्मी रात के खाने की तैयारी करने लगी ।
वो तस्वीरें अभी भी अम्मी के पास थी , एक तो न मै अच्छे से हिला पाया और मेहनत भी डांड गई ।
अम्मी कान में इयरफोन लगा कर खाना बनाते हुए बातें कर रही थी
ये बदलाव अब्बू के पास से आने के बाद आया था । इससे पहले अम्मी कभी भी कान में इयरफोन नहीं लगाती थी ।
मै अपनी तैयारी वाली किताबें खोलकर हाल में बैठा हुआ था मगर मेरी नजरे अम्मी की ओर ही थी ।
बीच बीच वो भी मेरी ओर देख लेती थी ।
: हा देखती हु क्या करु मै इसका पागल कर देगा ये मुझे ( अम्मी धीरे से फोन पर फुसफुसाई मगर उनकी आवाज मुझ तक आ रही थी )
: ..............
: हा भेज दूंगी ( अम्मी बोली )
: ..............
: अब मार खाएगी कमीनी हीही ( अम्मी एकदम से खिलखिलाई )
उन्हें हंसता देख कर मेरा मन भी खुश हुआ चलो अम्मी में बदलाव हो रहा है । अब इसमें जैसे ही मेरे मन के डर कम हुए दबी हुई अधूरी हवस फिर से हावी होने लगी ।
अम्मी ने खाना बनाया और मुझे दे दिया और खुद अपना खाना लेकर कमरे में चली गई । उनकी नगमा मामी से आज की बात काफी लंबी चल रही थी ।
मै भी खाना खाया और हाथ धूल कर किचन से बाहर आया और अपने बुक लेकर छत पर जा रहा था कि अम्मी ने मुझे रोक
: कहा जा रहा है ( अम्मी एक कान से इयरफोन निकाल कर बोली )
: जी ऊपर जा रहा हु अम्मी कमरे में ( मै दब्बू सा होकर बोला )
: ऊपर बिस्तर नहीं लगा है आज यही सो जा ( अम्मी का इशारा उनके कमरे में था )
दिल खुश हो गया कितने दिनों बाद अम्मी के साथ वापस सोने को मिलेगा काश अम्मी फिर से नंगी होकर तस्वीरें निकलवाए और अब्बू को भेजे उफ्फ सोच कर ही लोवर में हरकत होने लगी ।
मै अपनी किताब लेकर अम्मी के कमरे में चला गया और कुछ देर बाद अम्मी किचन से निकली और हाल में सोफे पर रखे हुए धूल कर सूख चुके कपड़े लेकर कमरे में आई
उनका मोबाइल अभी भी चालू था , ना जाने क्या बाते हो रही थी या फिर आज शायद आज अब्बू बिजी थे कही नहीं तो अबतक अब्बू का फोन आ ही जाता था ।
मै बिस्तर में आकर किताबें खोलकर करवट लेकर लेट गया था
अम्मी कमरे में आई और आयरन टेबल पर कपड़े प्रेस करने की तैयारी करने लगी ।
वो ठीक मेरे आगे थी , जैसे ही नीचे बोर्ड में प्लग लगाने के लिए झुकी उफ्फ बड़ा चौड़ा कूल्हा फैल गया उम्मम देखते ही लंड बगावत पर आ गया
मैने लपक कर चादर खींच ली कमर तक
अम्मी बाते करते हुए कपड़े प्रेस करने लगी । वो और नगमा मामी कही जाने की प्लानिंग कर रहे थे ।
: हा उसकी फिक्र मत कर मै गाड़ी के लिए कह दूंगी , तू मना मत कर देना समझी ( अम्मी मुझे एक नजर देख कर धीरे से बोली कही मै उन्हें सुन तो नहीं रहा )
मगर मेरी नजर उनके चूतड़ों में फंसी हुई नाइटी पर थी जिससे उनकी गाड़ के शेप बीजिबल थे , साफ था अम्मी नीचे से नंगी थी ।
मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था उसपे से अम्मी और नगमा मामी की प्लानिंग गाड़ी से कही जाने की । अम्मी ने बड़ी विश्वास के साथ कहा था कि वो गाड़ी के लिए बेफिकर है । मुझे शक हुआ कि कही वो गाड़ी वाला वही तो नहीं जो अम्मी को छोड़ने आया था ।
फिर ध्यान आया कि कही अम्मी नगमा मामी को अब्बू के पास तो नहीं लेकर जा रही है चुदवाने के लिए
ये ख्याल आते ही पूरे बदन में अकड़न होने लगी , लंड एकदम अकड़ गया और मैने उसे हौले से बाहर निकाला चादर के नीचे
मेरी कल्पनाएं एक बार फिर मुझे पागल करने लगी ये सोच कर कि क्या होगा जब अम्मी अब्बू और नगमा मामी थ्रीसम करेंगे । मेरे आंखों के आगे अम्मी की बड़ी सी गाड़ दिख रही थी
उफ्फ अम्मी की गाड़ इतनी बड़ी है अब्बू तो उन्हें अपने मुंह पर बिठा लेंगे और नगमा मामी कितनी sexy है वो अब्बू के लंड पर खूब उछलेंगी
अह्ह्ह्ह्ह मजा आ जाएगा अम्मी के बुर की गंध उम्मम अम्मी मेरे ऊपर बैठ जाओ न अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड़ है इसको खूब चाटूंगा खूब चूसूंगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई
मै दबी हुई सिसकिया लेने लगा और चादर में लंड को हिलाने लगा
अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म अम्मीई अह्ह्ह्ह ओह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई उम्मम
मै झड़ने लगा अपने ही ऊपर अपने पेट पर आगे मेरे अम्मी मेरी ओर अपनी गाड़ किए हुए कपड़े प्रेस करती रही ।
मै आंखे उलटने लगा और जिस्म पूरा अकड़ने लगा जब मेरा लंड झटके खा कर वीर्य उगल रहा था
रैंडमली अम्मी घूमी और उन्होंने मुझे देखा । वो एकदम फिकर में चीख पड़ी क्योंकि उन्होंने मेरे चेहरे के भाव देखे थे मेरा लंड तो चादर में छिपा हुआ
: शानू क्या हुआ ( अम्मी चीखी ) फोन रख मै करती हूं अभी
अम्मी फोन बेड पर फेक कर मेरे पास आई और तबतक मेरा नशा मेरा सुरूर उतर चुका था । मेरी आँखें खुली।
अम्मी मेरे पास थी मैंने चादर से हाथ बाहर खींच लिए
अम्मी मेरे करीब बैठ कर : क्या हो रहा था तुझे तेरी आँखें उलटती देखी मैने
मै क्या बोलता मेरी हालत खराब हुई पड़ी थी , मेरे आंखों के सामने अम्मी के बड़े बड़े खरबूजे जैसे चूचे नाइटी में झूल रहे । बदन से आती मादक गंध से लंड फिर से हरकत करने लगा
मगर उससे पहले ही मेरी चोरी पकड़ी गई क्योंकि लंड की पिचकारी से चादर गीली होने लगी और अम्मी को समझते देर नहीं कही
उन्होंने झटके से मेरे कमर के ऊपर से चादर झटका और सफेद गाढ़े वीर्य में लसराया मेरा लंड पूरी ताकत से तन कर सीधा खड़ा हो गया । मेरे वीर्य मेरे पेडू और आड तक गए थे ।
: सॉरी अम्मी ( मै आगे कुछ बोलता कि एक जोर का तमाशा मेरे चेहरे पर पड़ा और फिर गर्दन कंधे कनपटी पर तीन चार पड़े )
: हरामजादा , जा यहां से और कभी भी मुझसे बात मत करना ( अम्मी गुस्से से आग बबूला होकर बोली )
मै डर गया और बिस्तर पूरा सिस्टम झन्नाया हुआ था उठ कर लोवर पकड़े हुए बाथरूम में चला गया ।
लंड हाथ मुंह धूल कर मै बाहर आया
तो अम्मी के सिसकने की आवाज आई
मेरा दिल पिघल गया और अम्मी की कही हुई बात याद आई कि "कभी मुझसे बात नहीं करना "
कजेला कांप उठा भीतर से , पहले नानी और अब अम्मी भी । अम्मी से दूरी मै बर्दाश्त नहीं कर सकता था ।
चोरों के जैसे मै हिम्मत करके अम्मी के कमरे के दरवाजे पर आया
अम्मी बेड से टेक लगा कर फर्श पर बैठी हुई थीं और मेरे आने की आहट से अपनी नम लाल आंखों से मुझे देखा : मैने कहा न जा यहां से
अम्मी को रोता देख मै भी तड़प उठा भीतर से मगर फिर भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि एक भी कदम कमरे की दहलीज से भीतर रख सकू ।
: शायद मेरी ही परवरिश में कोई कमी रही होगी या फिर मेरी हरकते ऐसी है कि तू ऐसा बन गया ( अम्मी सुबकती हुई बिना मुझे देखे बोली )
अम्मी ने जैसे ही पहल की मुझे लगा यही मौका है अम्मी के पास जाने का उन्हें संभालने शायद वो मान जाए
मै भागकर उनके पास गया और उनके कंधे पकड़ कर बैठ गया
: नहीं अम्मी नहीं , आपकी कोई गलती नहीं है । बस मै ही बुरा हू ( मै रुआस होकर बोला )
: छोड़ मुझे और मुझसे बात मत कर बोला न ( अम्मी ने छलकते हुए आंखों से मुझे गुस्से में घूरा )
: प्लीज अम्मी इस बार माफ कर दो , अब कभी भी मै ऐसा कुछ नहीं करूंगा । आपकी कसम पक्का सच में ।
अम्मी कसम वाली बात पर मेरी ओर देखी और एकदम से चुप हो गई ।
अम्मी को शांत देखकर मै उनके बगल में बैठ गया और उनकी बाह पकड़ ली
: सॉरी अम्मी , पता नहीं मुझे क्या हो जाता है आपको देख कर । आपकी और अब्बू की बातें सुनकर
: लेकिन ये सब गलत है बेटा , और तू अभी कितना छोटा है ( अम्मी के भीतर बदलाव हुए तो दिल को राहत हुई )
: हम्म्म जानता हु अम्मी , मगर ना जाने क्या है आपमें जो मै आपकी ओर खींचा चला आता हूं। जैसे अब्बू को होता है वैसे मुझे भी । ( मैने उनके कंधे पर सर रखकर बोला )
: तेरे अब्बू की मै बीवी हु और तेरी अम्मी, फर्क नहीं समझ आता क्या ? ( अम्मी ने समझाया )
: आता है , मगर ?
: मगर क्या ? ( अम्मी मेरी ओर देख आकर बोली ) बोल ?
: आई लव यू अम्मी , दुनिया में सबसे ज्यादा अपनी जान से भी ज्यादा । सोचता हु अगर अब्बू नहीं होते तो मै आपसे निगाह भी कर लेता ( मैने भोलेपन पर अपने दिल की बात अम्मी से कह दी )
: हीही, तेरे अब्बू नहीं होते तो तू भी नहीं होता , पागल कही का ( अम्मी खिलखिलाई और हसने लगी )
मै भी उनकी बातें समझ कर मुस्कुराया
: तूने हमारी उम्र के बारे में भी नहीं सोचा , निगाह के लिए सोचने के पहले ( अम्मी हल्के होकर बोली )
: उन्हू , मुझे तो मेरी अम्मी की चाहिए न जैसे हो आप वैसे ही ( मैने उनकी बाह पकड़ कर उनसे लिपटा उसके गर्दन के पास की नर्माहट से बदन में गुदगुदी होने लगती )
: ठीक है फिर चल तेरे अब्बू से कह देती हूं कि मुझे तलाक देदो और तू मुझसे निगाह करेगा , ठीक है ( अम्मी ने मजाक में बोला )
: अरे नहीं , फिर अब्बू का क्या होगा ? ( मै बच्चों के जैसे घबराया )
: हीही पागल , बेटा तुझे समझना होगा कि इन सब की एक उम्र होती है , तू जो कर रहा है इससे तेरा विकास रुक सकता है । भविष्य ने तकलीफें आ सकती है । ( अम्मी ने मेरे हाथ पकड़ कर कहा )
मै चुप रहा
: देख मै कभी नहीं चाहती थी कि इनसब को लेकर तुझसे बात आग बढ़ाऊं क्योंकि एक मां के लिए कितना कठिन होगा अपने ही बेटे को समझाना वो भी ऐसे बात के लिए ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करूं अम्मी आप बताओ न , कौन समझाएगा फिर मुझे । न मेरे कोई दोस्त है न भाई और अब्बू तो चिढ़े रहते है बस ( मै उखड़ कर बोला ) मै समझता हूं कि मेरे भीतर बदलाव हो रहे और जिधर की ओर मै भटकता हूं वो भी समझ आता है कि मै गलत कर रहा हूं मगर मै खुद को रोक नहीं पाता ।
अम्मी मुझे सुन रही थी
: बाहर समाज में देखता हूं और बातें जो सुनता हूं तो लोग बस मजे लेते हुए नजर आते है । जो मेरी उम्र के है उनके अपने रिश्ते सही नहीं है , एक दूसरे को धोखे दे रहे है । मैने तो बचपन से आपको ही देखा है मेरे लिए प्यार का मतलब ही मेरी अम्मी है । जब भी आने वाले कल के लिए सोचता हूं तो आपका ही ख्याल आता है मुझे मेरे जीवनसाथी के रूप में आपके जैसा ही साथी चाहिए । आपके जैसी मीठी प्यारी चंचल और थोड़ी शरारती ( मै बोलते हुए मुस्कुराया )
: पागल मै शरारती हू, शरारतें तो तू करता है ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: वो शरारत जो आप अब्बू के साथ करते हो .. ( मै बोलते हुए रुक गया और हसने लगा )
: कमीना कही का बहुत मार खायेगा ( अम्मी ने मुझे हस्ते है घुरा )
: फिर भी बेटा ये गलत है , हर नजरिए से मै तेरी मां हूँ । हा इतना कर सकती हू कि तेरे लिए एक गाइड की तरह एक दोस्त के जैसे तुझे अब सही गलत के मायने सिखा सकती हूं। तुझे चीजों को कंट्रोल करना सिखा सकती हूं मगर तू जो चाहता है वो मै नहीं कर सकती । मै ता उम्र तेरी अम्मी ही रहूंगी और मै यही चाहती जब मेरी सांसे चले मेरा लाडला मेरी आंखो के सामने मुस्कुराता रहे । हंसता रहे ।
: पर अम्मी , आई लव यू
: मै भी करती हूं मेरे बेटे से उसके अब्बू से भी ज्यादा ।
: सच्ची में अम्मी ( मै खुश होकर )
: हा और क्या , मेरा राजा बेटा उम्माह ( अम्मी मुझे सीने से लगा कर मेरे माथे को चूम लिया )
: आई लव यू सो मच अम्मी , मै प्रोमिस करता हूं आगे से कभी ऐसा कुछ नहीं करूंगा ।
: मेरा बच्चा , और अगर तुझे परेशानी हो तो मुझे बताना ठीक है ( अम्मी ने कबूलवाया )
: ठीक है अम्मी ( मै खुश होकर बोला )
: चल सो जा अब ( अम्मी उठते हुए बोली )
: आपके साथ ?
: हा और क्या , अब जब तक तेरे अब्बू नहीं आते तो रोज मेरे साथ सोएगा ठीक है ( अम्मी खुश होकर बोली )
: थैंक यू अम्मी ( मैने उनके गाल चूम लिए और बिस्तर पर भाग गया )
: धत्त गंदा कर दिया ( अम्मी अपने गाल पोंछ कर बोली और मुंह धुलने किचन में चली गई ।
मै मेरे किताबें किनारे किया और पैर फैला कर लेट ही रहा था कि अम्मी कमरे में मेरे लिए दूध लेकर आई: ले इसे पी ले और अब से रोज दूध पिया कर ठीक है
मैने दूध का ग्लास गटकते हुए अम्मी को गर्दन हिला कर सहमति दिखाई
फिर थोड़ा सा दूध छोड़ दिया
: अम्मी आप पी लो ( मैने तकरीबन 50ml दूध छोड़ा होगा )
: नहीं नहीं तू पी ले , मुझे दिक्कत होती है
: कैसी दिक्कत है ?
: वो तू नहीं समझेगा ( अम्मी मुंह बनाते हुए बोली )
: अब्बू की याद आती है न ( मै उन्हें छेड़ कर बोला )
: क्या नहीं रे पागल , वो बादाम वाला दूध पीने से मुझे सफेद पानी आने लगता है । ( अम्मी ने संशय में मुझे देखा कि मै समझ पाया या नहीं )
: क्या ? फिर मुझे क्यों पिलाया ? मेरा रात में गिरने लगा तो ( मैने थोड़ा ड्रामा करके बोला )
: धत्त पागल ऐसे थोड़ी होगा ( अम्मी हसी )
: अरे मैं आपका ही बेटा हूं न , मेरे अंदर भी आपके जैसे गुण दोष होंगे न ( मैने उनको समझाया )
: हा लेकिन तुझे नहीं होगा , मै जानती हु ( अम्मी मुस्कुरा कर गिलास किनारे रखते हुए बोली )
: कैसे ?
: अगर तुझे होता तो मुझे पता चल जाता , ये सब चीजें 15-16 साल की उम्र से ही होने लगती है । उससे कमजोरी आने लगती है । ( अम्मी मुस्कुरा कर बिस्तर पर आते हुए बोली )
: तो क्या वो जो आप करते हो , उससे कमजोरी नहीं आती ( मैने मासूम होकर बोला )
अम्मी शर्म से झेप गई और मुस्कुराने लगी : होती है उससे भी मगर वो दोनों अलग अलग असर करते है ।
: अलग अलग कैसे ?
: ओफ्फो अब कैसे समझाऊं तुझे , मुझे बड़ा अजीब लग रहा है । तुझे डांटना और मारना ज्यादा सहज था मेरे लिए
: हीही लेकिन अब समझाओ मुझे ( मै सरककर उनके करीब आकर बोला )
: वो जो मै और तेरे अब्बू करते है वो दूसरा होता है वो सिर्फ वो सब करने पर ही होता है और ये दूध वाला जो होता है वो लगातार होता है इससे कमर दर्द और सुस्ती रहती है
: क्या कैसे होता मतलब मुझे तो समझ ही नहीं आया ( मै उलझ कर बोला )
: अरे दादा , मै ये कह रही हूं कि जब सफेद पानी आता है वो लगातार होता है पूरा दिन कच्छी गीली हो जाती है उससे कमर दर्द रहता सारा सारा दिन तकलीफ होती और वो जो मै और तेरे अब्बू करते है वो अलग होता है उससे शरीर के दर्द में आराम होता है समझा
: पर मै जब करता हूं या मेरा ढेर सारा निकल जाता है तो मै तो जैसे बेहोश ही हो जाता हूं ऐसा क्यों ? ( मैने सवाल किया )
: वो होता है बस खान पान सही न करने और गलत तरीके से करने से होता है ( अम्मी ने समझाया )
: गलत तरीके से मतलब ? ( मै सोच के पड़ गया )
: वही जो तू करता है , ठंडे हाथों से या फिर पेंट के ऊपर से उसको रगड़ना और सारा दिन बस उसी के बारे में सोचना ये सब गलत तरीके है ( अम्मी समझा रही थी )
: फिर सही तरीका क्या है ?
: सही तरीका ? तूने तो कहा है कि अब तू ये सब नहीं करेगा ? ( अम्मी मेरी ओर देख कर बोली )
: हा लेकिन जानने में क्या बुराई है , बताओ न प्लीज अम्मी ( मै थोड़ा सा रिड़का)
: वो ... सबसे पहले उसको बाहर निकालते है और किसी आराम दायक जगह पर बैठ कर करते है । हाथ गर्म रहे और थोड़ा सा तेल भी लगा कर धीरे धीरे करते है । उससे उसकी नसे और भी तंदुरुस्त रहती है और टाइट भी रहता है ।
: किसकी नसे हाथों की ( मैने मस्ती की )
: धत्त नहीं रे , वो तेरे नुनु की समझा ( अम्मी लजाती हुई बोली ) और अब हो गया चल सो जा अब ।
मै चुप रहा , आज पहली बार अम्मी से इनसब पर बाते की थी । कितना अच्छा लग रहा था अम्मी की बातों से लगा कि वो भी मुझपर नजर रखती थी । धीरे धीरे मेरा मन लालची होने लगा और मेरे जहन में चतुराई हावी होने लगी । हालांकि मैं अम्मी की कसम खा चुका था कि अब मै नहीं हिलाऊंगा मगर मेरा करामाती दिमाग मेरे बोले गए शब्दों में भी खेल करने की फिराक में था । तभी मेरे जहन में अम्मी की एक बात याद आई "अगर तुझे परेशानी हो तो मुझे बताना" , बस यही रास्ता मिल गया था मुझे ।
करीब 10 मिनट हो गए थे
: अम्मी सो गई क्या ( मैने आवाज दी उनको )
: हम्मम बोल ( अम्मी ने हुंकारी भरी )
: अम्मी वो नीचे फिर से बड़ा हो रहा है नुनु मेरा ( मै धड़कते दिल के साथ कहा )
: नुनु को बोल सो जाए और तू भी सो जा ( अम्मी करवट लेती हुई मेरे ओर अपनी पीठ कर दी और उनके बड़े चौड़े कूल्हे नाइट बल्ब मेरे आगे उठे हुए थे देखते ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा )
: ऊहू मुझे नीद नहीं आएगी ऐसे , अम्मी प्लीज बताओ न क्या करु ( मै उनके पीछे से हग करते हुए बोला और अपना लंड का टोपा लोवर के नीचे से उनकी नरम चर्बीदार गाड़ में चुभोया )
: शानू !! मै सब समझ रही हु तेरी शरारत , सो जा चुपचाप और वहां से हटा उसको ( अम्मी ने हाथ पीछे ले जाकर मेरे लंड को अपने हथेली से धकेला अपने गाड़ पर से उनके नरम हथेली का स्पर्श पहली बार पाते ही मेरे लंड में पंपिंग होने लगी )
: अम्मी प्लीज , दर्द होता है अंदर ( मै थोड़ा सा नाटक किया )
: तो बाहर निकाल कर सो जा न , कौन सा मैने तेरा देखा नहीं है ( अम्मी मजे लेते हुए बोली )
: अम्मी बक्क सुनो न ( मै अब पैर पटकने के जैसे हो गया )
: क्या है ? क्यों नाटक कर रहा है ( अम्मी घूम गई मेरे तरफ )
: वो परेशान कर रहा है क्या करु ( मै भुनभुना कर बोला )
: तू उसको परेशान मत कर , जरूर कुछ चल रहा होगा तेरे दिमाग । वो सोचना बंद कर दे सही हो जाएगा तो ( अम्मी ने तो जैसे मेरे नस ही पकड़ ली , ना जाने कैसे इतनी तेज थी वो )उम्मम बोल क्या सोच रहा है ?
: यही कि तेल लगा कर कैसे लगता होगा ? ( मै हिचक कर बोला )
: पागल कही का , जा देख के तेल लगाकर कैसा लगता है ( अम्मी हस कर बोली )
: लेकिन मै कैसे करूंगा मैने तो कसम खाई है न ( मै सफाई देते हुए बोला )
: तो क्या अब मै लगाऊं तेल तेरे नुनु पर ( अम्मी चौक कर बोली )
: लगा दो चाहो तो ( मै गुनगुनाते हुए बोला )
: क्या ? ( अम्मी चौकी ) मारूंगी इतना की सब नाटक भूल जाएगा सो जा चुप चाप
: प्लीज न अम्मी ( मै उन्हें मनाता हुआ ) बस एक बार
: नहीं मतलब नहीं ( अम्मी सीधा हो गई )
: प्लीज अम्मी ( मै उनकी बाहों पर उंगलियों से खुजाता हुआ उन्हें मनाने लगा ) प्लीज अम्मी प्लीज एक बार बस
अम्मी की तेज धड़कने मै साफ सुन पा रहा था, उनकी चुप्पी और उलझन को मै भी समझ रहा था मगर मेरा लालची मन कहा मानने वाला था ।
: जा किचन से तेल लेकर आ , तू भी तेरे अब्बू जितना जिद्दी है ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
अम्मी का इतना कहना था कि मेरे तन बदन में फुर्ती सी फेल गई । लंड एकदम से अकड़ने लगा । यकीन नहीं हो पा रहा था कि अम्मी इसके लिए तैयार हो गई थी । मेरी योजना रंग ला रही थी
मैने झट से बत्ती चालू की और किचन में तेल की शीशी लेकर आ गया ।
: हमम्म ( मैने खुश होकर अम्मी को तेल की शीशी थमाई वो नारियल तेल की थी नीली बॉटल , मेरे भीतर का बचपन अंदर खूब उछल कूद कर रहा था मानो मुझे मेरा पसंदीदा खिलौना मिलने जा रहा हो )
मुझे मुस्कुरा देख अम्मी भी गुस्सा होने का नाटक की मगर मुस्कुराने से खुद को रोक नहीं पाई
: चल लेट जा ( अम्मी ने डांट लगाई , जैसे जता रही हो कि उन्हें सब करना बिल्कुल भी नहीं भा रहा हो )
यहां अंदर से मै बेचैन हुआ पड़ा था , मैने अपना लोवर और अंडरवियर एक साथ सरका कर लेट गया , बिना किसी हिचक के
पूरे 8 इंच का रॉकेट अपने बारूद गोले के साथ पेट पर मेरे सुस्ता रहा था ।
अम्मी कभी मुझे निहारती तो कभी मेरे आकार लेते लंड को । पंखे की हवा में अचानक से सर्दी सी बढ़ गई थी , जिस्म में अजीब सी कंपकपी होने लगी और दिल रुक रुक कर धड़कने लगा ।
: कितना बड़ा करके रखा है कभी साफ नहीं करता क्या ? ( अम्मी का इशारा मेरे घुंघराले बालों पर था जो मेरे लंड की जड़ों पर फैले हुए थे )
मै कुछ नहीं बोला , अजीब सा लग रहा था अम्मी से इनसब पर बातें करना । शायद शुरू शुरू में ऐसा ही लगता हो मगर अम्मी के चेहरे पर सिकन की एक रेखा नहीं थी । मानो वो किसी मिशन पर हो ।
तेल की शीशी खोलकर ड्रॉप गिराने लगी लंड पर सुपाड़े के गांठ से नीचे आड़ तक एक लाइन पर वो तेल टिप टिप करके गिराती चली गई और फिर शीशी को बगल में रख दिया ।
तेल मेरे लंड पर फैलने लगा मगर मेरा कलेजा उस अहसास के लिए धड़क रहा था जो अब अम्मी करने वाली थी ।
अम्मी लंड को छूने वाली है ये सोच कर ही लंड की नसे फड़कने लगी और लंड धीरे धीरे ऊपर उठने लगा, और देखते ही देखते रॉकेट के जैसे सीधा खड़ा हो गया ऊपर की छत को निहारता ।
लंड में हरकत होते ही अम्मी के चेहरे पर मुस्कुराहट आई मगर जैसे ही उनकी नजरे मुझसे जुड़ी उन्होंने खुद को रोक लिया।
मै मेरे भीतर बदलाव महसूस कर पा रहा था आंखे बंद हो रही थी और धड़कने मद्धम हो रही थी , कि तभी एक गर्म मुलायम और हल्के दबाव के साथ उंगलियां मेरे लंड के तने पर महसूस हुई
मानो मेरे जिस्म के तारो को बिजली से जोड़ दिया गया हो , एकदम से मेरे जिस्म मेरे दिल और दिमाग हलचल सी हुई आंखे पूरी फेल गई , धकधक करके दिल जोरो से धड़कने लगा । हलक ऐसे सूखने लगा मानो गाड़ी के इंजन से पेट्रोल
और अगले ही पल अम्मी ने जैसे अपनी हथेली में मेरे लंड को हल्का कसे हुए ऊपर से नीचे सरकाया , लंड की नसे खुद ही पंप होने लगी ।
: उम्ममम अह्ह्ह्ह ( मै तड़प उठा बिस्तर पर )
तभी अम्मी का दूसरा हाथ मेरे आड़ों को मलने लगा दर्द और मजे का ऐसा संगम मैने आजतक नहीं महसूस किया था । आड़ो पर गोल गोल रेंगती उनकी हथेली मुझे किसी तरह के हेलोसुनेशन में डाल रही थी । मेरी सांसे फिर से हल्की पड़ने लगी ।
मगर अलगे ही पल तेल की कुछ बूंदे सीधा मेरे सुपाड़े की टिप पर गिरी
क्षण पर शांत और ठंडा अहसास और अगले ही पल अम्मी ने उसपे पर भी अपनी उंगलियां नचाने लगी
: अह्ह्ह्ह्ह अमीईइ ( अकड़ कर मैने अपनी टांगे तान दी )
: सही से नहीं रह सकता क्या , इतना क्या उछल रहा है ( अम्मी ने डांट लगाई और अगले ही पल उनका अंगूठा मेरे सुपाड़े की गांठ पर )
एक ऐसा अनोखा संवेदनशील स्पर्श , जोर भीतर एक डर पैदा कर रहा था जल्दी झड़ने का , लंड में खरोच का और मुझे पागल हो जाने का ।
दांत पिस कर मै अकड़ गया और कोहनीयो के बल उठ कर अम्मी के हाथों की जादू देखने लगा
जब जब उनका अंगूठा मेरे सुपाड़े के नीचे घर्षण करता मानो अब मेरा लंड छलक पड़ेगा , मगर अम्मी भी कम शैतान नहीं थी उन्होंने नीचे मेरे आड़ो को दूसरे हाथ से जकड़ रखा था । कमर पेडू में अजीब सी गर्मी अजीब सा तनाव हुआ पड़ा था ।
तभी अम्मी ने अपनी हथेली की कटोरी बनाई और मेरे सुपाड़े पर घुमाने लगी , उनकी गुदाज हथेली का घर्षण मेरे संवेदनशील सुपाड़े पर होते ही पूरे बदन में गुदगुदी होने लगी
: अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह सीईईईई अह्ह्ह्ह सीजीईईई उम्मम अम्मी रुक जाओ आह्ह्ह्ह ( मै आंखे बंद कर बिस्तर पर गिर पड़ा )
: चुप कर पागल , नहीं तो मारूंगी ( अम्मी ने डांटा मुझे )
: अम्मीई वहा नहीं , पता नहीं क्याअह ( मै आंखे उलटने लगा ) सीईईईई ओह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह पागल हो जाऊंगा अम्मीई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह छोड़ दो आयेगा आयेगा अह्ह्ह्ह
मेरे कहने की देरी थी अम्मी ने मेरे आड़ो को रिहा किया और दूसरे हाथ से उंगलियों का छल्ला बना कर नीचे से ऊपर की ओर ले जाने लगी
एक दो तीन पिच्च फिच्च करता हुआ मेरा लंड पिचकारी छोड़ने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई आई लव यू अम्मी आई लव यू अह्ह्ह्ह
मै मुंह खोल कर हांफता हुआ सुस्त होने लगा मेरी आंखे बंद थी । मेरे चेहरे पर मुस्कान एक संतुष्टि भरी , एक सुकून और वो चरम आनंद जिसके लिए मानो इतने वर्षों तक तड़प रहा था । मेरे दिल की धड़कने हल्की होने लगी और आंखों में नीद घेरने लगी । कमरे में एकदम शांति थी सीलिंग फैन की हनहनाहट साफ सुनाई दे रही थी और हवाएं अब गर्म महसूस हो रही थी । मगर दूर कही सपनों में मुझे कोई आवाज दे रहा था बाहें फैलाए जैसे चांदनी रात में सफेद पारदर्शी पोशाक में अम्मी ही खड़ी थी , उनकी रेशमी कपड़ों में उभरा उनका गदराया जिस्म बहुत ही मुलायम महसूस हो रहा था । एक हल्की मीठी महीन सी आवाज धीरे धीरे और मंदिम होती जा रही थी
: ....आब..साहब... सो गए.... आफ भी मै ही करु .... ( अम्मी के कुछ धुंधले अल्फ़ाज़ मेरे कानो को छू कर निकल गए )
जल्द ही मै गहरी नींद में सो गया ।
जारी रहेगी।
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BaUPDATE 30
ट्रेनिंग-डे
रात के किसी प्रहर में, जब दुनिया सो रही थी, बिस्तर पर एक हल्की हलचल शुरू हुई। बेड का पुराना लकड़ी का ढाँचा हल्का-हल्का चरमराने लगा, जैसे कोई उस पर अपनी जगह बदल रहा हो। मेरी नींद में अभी पूरी तरह कोई खलल नहीं पड़ा, लेकिन कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा फैलने लगी थी। मुझे मेरे जिस्म में गरमाहट सी महसूस हो रही थी और कानों में गुनगुनाहट भरी आवाज रह रह कर आती । आंखे अब खुलना चाह रही थी मानो मेरी चेतना में कोई सतर्कता के लिए घंटी बज रही थी शायद अब तक अम्मी की जो हरकते रही है उसको लेकर मेरा दिमाग पूरी तरह अलर्ट हो गया था । रात के अंधेरे में मेरे सोने के बाद अम्मी का जागना हो सकता था । और सही भी था । मैने अपनी आँखें पल भर को खोली और झट से बंद कर ली
करवट लेटे हुए मेरे सामने जो नजारा मेरी आंखो के सामने आया उसे देखते ही भीतर से मेरे पूरे बदन में सरसरी उमड़ी और मै पूरी तरह से चेत गया । बंद आंखो में मेरे वो दृश्य उभर रहा था जो अभी अभी मैने देखा था
बेड के हेडबोर्ड पर, जहाँ लकड़ी की नक्काशी में पुराने फूलों के निशान उकेरे हुए थे, अम्मी उससे सटकर बैठी थी।उनका सिर हेडबोर्ड से टिका हुआ था, और उनकी साँसें थोड़ी तेज़ चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाइटी को जाँघों तक उठा रखा था—वह हल्के रंग की नाइटी, जो पुरानी होने के बावजूद उनकी रोज़ की पसंद थी। कपड़ा उनकी त्वचा पर हल्का सिकुड़ा हुआ था, और बल्ब की सफेद रोशनी में उनकी दूधिया जाँघों की गोरी चमक साफ दिख रही थी। उनका एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर था
—वह सादी सफेद पैंटी, जो रोज़मर्रा की सादगी लिए हुए थी। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे, लेकिन एक लय में हिल रही थीं, जैसे कोई गहरा तनाव या चाहत उन्हें जकड़े हुए हो।उनके दूसरे हाथ में मेरा मोबाइल था। स्क्रीन की नीली रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिख रही थी। कानों में इयरफोन लगे हुए थे—वह सस्ते वाले काले इयरफोन, जिनके तार आपस में उलझे हुए थे। मोबाइल की स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल चल रही थी। उनकी आवाज़ दबी हुई थी, जैसे वे किसी से धीरे-धीरे बात कर रही हों, शब्दों को होंठों के बीच दबाकर बोल रही हों। बीच-बीच में उनकी साँसें भारी हो जाती थीं, और उनकी उंगलियों की गति पैंटी में तेज़ हो जाती थी।
"उम्ममम सीईईई उम्हू नहीं मै नहीं आ सकती ऐसे , समझो उम्हू .... हा याद है न ( अम्मी एक गहरी आह भरते हुए बोली और उनकी उंगलियां पैंटी में चूत के गहरे घुस गई ) सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह आप बहुत तंग करते है अह्ह्ह्ह्ह आपके शौक बहुत शरारती है अह्ह्ह्ह......
अम्मी की मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया और शब्द सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी । देर रात में अब्बू और अम्मी की बातें सुनने का मजा ही कुछ और था । लेकिन ये मजा दुगना हो जाता अगर अब्बू की शरारत भरी गंदी बातें सुनने को मिलती जो वो अम्मी के जिस्म की तारीफ ने कहते नहीं थकते थे
हम्ममम क्यों आपको नहीं अच्छा लगा था ? ( अम्मी की उंगलियां रुक गई और चेहरे पर शरारती भाव थे ) ........ धत्त बदमाश हो आप ( अम्मी ने दुबारा से पैंटी के ऊपर से चूत के फांके पर एक उंगली ऊपर नीचे करने लगी उनकी रसाई बुर से पैंटी पूरी पचपचाई हुई थी ) ...... क्या ? नहीं अब रखो हो गया ... मुझे नीद आ रही है आप हो कि ( अम्मी उबासी लेती हुई बोली ) ...... दिन में कहा शानू रहता है पूरे दिन और उसके अब्बू आ जायेंगे तो ये मौका भी गया हीही ( अम्मी खिलखिलाई और फिर शांत हो गई )
मेरे कान खड़े हो गए ये सोच कर कि क्या मैने जो सुना वो सही था । इतनी देर रात में अम्मी अब्बू के सिवा भला किस्से बाते कर रही थी .. कही वो कार वाला आदमी तो नहीं ?
एक बार फिर मै आवेश और उलझन से भर गया । कि अम्मी ने अब मेरे साथ साथ अब्बू को भी धोखा देने लगी ।
अम्मी ने फोन काट कर मोबाइल और इयरफोन बिस्तर पर रखा और उठ कर बाथरूम के लिए कमरे से बाहर निकल गई
जैसे ही वो निकली मैने लपक कर मोबाइल उठाया और व्हाट्सअप ओपन कर कालिंग लॉग देखा
उसमें Nagma2 करके नंबर सेव था और नम्बर चेक किया तो देखा ******2277 , उस नम्बर पर न कोई डीपी थी और ना कुछ अब एकदम से गोपनीय रखा हुआ था न ही उसपे कोई चैट की गई थी ।
मैने वापस मोबाइल रख दिया और वो नंबर दिमाग में रटने लगा ।
तभी कमरे में अम्मी लौटी और मुझे बिस्तर पर बैठे हुए पाया
मेरी आँखें अपनी अम्मी पर जमी थीं। मेरा चेहरा भ्रम और डर से भरा हुआ था।
"अम्मी... ये... ये क्या था?" (आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था, जिसका जवाब शायद उसकी अम्मी के पास नहीं था।)
अम्मी ने एक गहरी साँस ली, और उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर साफ दिख रहा था।
"शानू... बेटा... कुछ नहीं... सो जा," उन्होंने कहा, लेकिन कमरे का माहौल अब बदल चुका था। मेरी जिज्ञासा और अम्मी की गुप्त चाहतों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी।
: अम्मी ... अब्बू का मोबाइल बंद है चेक किया मैने ( मैने सख्ती दिखाने का महज प्रयास किया और अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए)
वह अपनी माँ को हमेशा से एक मजबूत और साधारण औरत के रूप में देखता था—वह औरत जो सुबह जल्दी उठकर चूल्हा जलाती थी, उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी, और रात को कहानिया थी। उसके लिए उसकी अम्मी सिर्फ उसके अब्बू की दीवानी थी लेकिन अब, उसकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ था, वह उस छवि को तोड़ रहा था।उनकी अम्मी ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें नम थीं, और चेहरे पर शर्मिंदगी का एक भारी बोझ था।
वो बिना कुछ बोले मेरे करीब आई और मेरे सर को अपने गुदाज नर्म सीने से लगा लिया, अगले ही पल मै भाव विभोर होने लगा मानो अम्मी जादू से मेरे भीतर की उठ रही जिज्ञासाओ को मिटा देना चाहती हो ।
मैने हल्के से अपने सिर को पीछे खींच लिया। उसका यह छोटा सा इशारा अम्मी को वर्तमान में लाने का ।
: आप... आप उस फोन पर क्या कर रही थीं? मैंने हिचकिचाते हुए हिम्मत कर पूछा )
मेरी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक जिज्ञासा भी थी जो अब दब नहीं रही थी। उनकी अम्मी का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, जैसे वे कोई जवाब ढूँढ रही हों। लेकिन फिर उनकी आँखें फिर से नम हो गईं।
: बेटा... कुछ चीज़ें... कुछ चीज़ें तेरी माँ को भी समझ नहीं आतीं । ( उन्होंने धीरे से कहा। उनकी आवाज़ में एक टूटन थी, जैसे वे खुद से भी लड़ रही हों। )
: मै उस पल में बस कमजोर सी हो गई थी और ...कुछ गलत नहीं था। तू सो जा, सुबह सब ठीक हो जाएगा। ( अम्मी ने मेरे सर सहलाने हुए बोली और उनके चेहरे पर एक उम्मीद भरी मुस्कुराहट थी शायद वो चाह रही थी कि मै उनपर भरोसा बनाए रखूं)
मेरे के लिए सुबह का इंतज़ार अब आसान नहीं था। कमरे की बत्ती बुझ गई थी और करवट होकर अपनी अम्मी की ओर देखना चाहा तो कमरे का घुप अंधेरा मानो मुझे मेरी अम्मी से दूर ले जा रहा था ।
और पहली बार मुझे लगा कि मै उन्हें पूरी तरह नहीं जानता। मै हमेशा उनकी गोद में सिर रखकर सोता था, उनकी सूट की महक मुझे सुकून देती थी। लेकिन अब, उस महक के पीछे एक अनजाना सच छिपा हुआ था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ छिपा रही हैं न? ( मैने धीरे से उनसे लिपटे हुए कहा )
अम्मी ने एक गहरी साँस ली। उनके मन में शायद एक तूफान चल रहा था—शर्मिंदगी, डर, और अपने बेटे के सामने सच को छिपाने की मजबूरी।
: नहीं, बेटा... ऐसा कुछ नहीं है ( उन्होंने कहा, लेकिन उनकी बेचैन सांसे और मेरे कानो के पास तेज धड़कता दिल कुछ और कह रहा था )
हमने कोई बात नहीं की ... लाख सवाल और नाराजगी थी मन में लेकिन अम्मी की बाहों में लिपटने से मानो सारे सवालों के जवाब मिल गए हो सारे जख्म भर गए हो, भीतर का तनाव कम होने लगा था उनके मुलायम स्पर्श से और मै कब सो गया पता ही नहीं चला ।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से कमरे में रोशनदान से दाखिल हुईं। मै अभी भी बेड पर लेटा था, आँखें खुली थीं, लेकिन मेरा मन रात की घटना में उलझा हुआ था। मैने कई बार करवट बदली, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी। अम्मी रसोई में थीं, और वहाँ से चूल्हे की हल्की खटपट की आवाज़ आ रही थी।कुछ देर बाद, दरवाज़े पर एक हल्की आहट हुई। अम्मी कमरे में दाखिल हुईं, उनकी आँखें अभी भी लाल थीं, जैसे रात भर रोने के निशान छिपे हों, लेकिन चेहरे पर एक कोशिश थी—अपने बेटे के सामने फिर से वही माँ बनने की, जो वह हमेशा से थीं।
: शानू, बेटा... उठ जा। सुबह हो गई, ( उनकी आवाज़ में हल्की कोमलता थी, लेकिन एक झिझक भी थी)
मैने ने धीरे से सिर उठाया और अपनी अम्मी की ओर देखा। मेरी आँखों में अभी भी सवाल थे, लेकिन अब उनमें डर कम और कुछ समझने की चाह ज़्यादा थी। मै बेड पर बैठ गया, और उनकी अम्मी पास बैठ गईं।
: रात को नींद ठीक से नहीं आई न? ( कनपटी के पास मेरे कानो को छूते हुए मेरे बालों को संवारते हुए वो बोली , उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन साथ ही एक डर भी था कि शायद मै अब उनकी बातों का जवाब न दूं । )
मैने उनकी आंखों में देखा एक उम्मीद जो आंखों उठ रही थी उनके , चेहरे पर डर का वो भाव जिसे वो अपनी जबरन मुस्कुराहट से छिपाना चाहती थी उनके भीतर एक कंपकपी सी महसूस कर पा रहा था
: आप रो रही थी न .. अम्मी ( मैने मासूम होकर बोला , उनका दुलार उनका स्पर्श मुझमें हर बार बचपन भर देता था )
: बेटा ... ( उनकी आवाज भर्रा गई ) ... हा रो रही थी तेरी अम्मी भी तो एक इंसान है जो कभी कभी कमजोर सी पड़ जाती है ( उनकी आंखे छलक पड़ी अब ,और उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए , एक गर्माहट महसूस हो रही मुझे मेरे हाथों में ) लेकिन तू मेरे लिए सबसे बढ़ कर बेटा , तू ये कभी नहीं भूलना ।
मैने ने अपनी अम्मी के हाथ को देखा। वह हाथ, जो उसे हमेशा थपकी देकर सुलाता था, अब काँप रहा था।
: अम्मी, आप जो भी कर रही थीं... मुझे समझ नहीं आया। लेकिन मुझे डर लगा था कि आप मुझसे दूर जा रही हैं। ( मै धीरे से बोला एक मासूम डर था, जो उनकी अम्मी के सीने में चुभ गया। उन्होंने जल्दी से उसे अपने गले से लगा लिया।)
: नहीं, बेटा... मैं कहीं नहीं जा रही। तू मेरी जान है। रात को... रात को मैं बस एक कमज़ोर पल में थी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरी अम्मी नहीं हूँ। (उनकी आवाज़ में अब पछतावा था )
मैने अपनी अम्मी की गोद में सिर रख दिया, जैसे वह फिर से वही सुकून ढूँढ रहा हो जो उसे हमेशा मिलता था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ मत छिपाना। मुझे सब समझ नहीं आता, लेकिन मैं आपसे प्यार करता हूँ ( मैने धीरे से कहा और अम्मी की आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन अब ये आँसू दुख के नहीं, राहत के थे )
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा, "ठीक है, बेटा। अब कुछ भी तुझसे नहीं छिपाऊंगी , तेरा मुझपर उतना ही हक है जितना तेरे अब्बू का और तुझे भी वो सब जानने का हक है जो उन्हें है । आखिर तू भी तो मेरे जीवन का हिस्सा है मै क्यों समझ नहीं पाई ( अम्मी मानो अपनी उस वेदना को व्यक्त कर रही थी जो रात में सोचते हु उन्होंने सोची थी जिसके लिए उन्हें पछतावा था )
मै उनकी गोदी और दुबक गया और वो सिसकते हुए मुझे कस ली
: चल उठ और फ्रेश हो ले , फिर नाश्ता भी करना है न ? ( अम्मी ने मेरे सर को सहला कर कहा )
: अम्मी ... आप नहला दो न ( मैने भी उनके इमोशन का फायदा लेने का सोचा )
: धत्त बदमाश... जा नहा मै नहीं नहलाने वाली , उठ अब ( अम्मी वापस अपने रूप में आ गई , वैसे ही खिली हुई खुश और मेरी अम्मी जैसी )
: जा रहा हूं, लेकिन मुझे कुछ पूछना है आपसे , मतलब काफी कुछ है बताओगे न सब ( मै मुंह बना कर बोला )
: सोचूंगी ... हट अब ( अम्मी ने मेरे मजे लिए और मुझे गोदी से उतार दिया फिर बिस्तर से जाने लगी )
: अरे अभी मै नाराज ही हुं ( मैने उन्हें रोकना चाहा )
: अच्छा ... चल बड़ा आया ( अम्मी हंसके निकल गई और नाइटी में उनके चूतड़ों की थिरकन देख कर मै अपना सुपाड़ा मिज दिया )
नहाने नाश्ते के बाद हम दोनो कमरे में बैठे थे, एक चुप्पी सी थी हमारे बीच । अम्मी को हिचक थी कि मै क्या पूछने वाला हूं।
: अम्मी ..... मै परेशान हूं अभी भी ( मै उनके कंधे पर सर रखे हुए बोला , मेरे फैले हुए पैर की उंगलियां अम्मी के उंगलियों को सहला रही थी )
: क्या हुआ बेटा ... क्या सोच रहा है तू ( अम्मी के लहजे ने डर शामिल था उसके सांसों की तेजी मुझे महसूस हो रही थी )
: मुझे कुछ जानना है ?
ये सवाल किसी अंधेर जगह में उस दरवाजे की तरह था जिसके बारे में अम्मी के कल्पना करना कठिन था कि वो उनकी किस दुनिया को मेरे सामने ला खडा करेगा , साथ ही मेरे लिए भी जिज्ञासा पूर्ण था उस रोमांच के बारे में सोचना कि कैसे इन सब की शुरुआत हुई होगी ।
: क्या बोल न ? ( अम्मी अटक कर बोली )
मेरे जहन में कई सवाल थे मन में आ रहा था कि अभी पूछ लूं कि रात में अम्मी जिससे बात कर रही थी और वो गाड़ी में जो उन्हें छोड़ने आया था दोनों एक ही शख्स थे , मगर दिल नहीं मान रहा था कि अम्मी ईमानदारी दिखाएंगी । फिर ख्याल आया कि नानी और अब्बू के बारे में पूछ लू, मगर हाल ही में जो हुआ वो सोच कर हिम्मत नहीं थी कि नानी का टॉपिक छेड़ा जाए ।
फिर दिमाग में ख्याल आया अनायास नगमा मामी का क्योंकि अम्मी ने वो नम्बर भी नगमा मामी के नाम से ही सेव किया था ।
: वो नगमा मामी का क्या हुआ? ( मै थोड़ा डरा डरा सा हिम्मत करके बोला )
: नगमा को क्या होना है ? ( अम्मी को शायद मेरी बात समझ नहीं आई )
: नहीं वो आप उनको अब्बू से ... हुआ ? ( मै भीतर से थरथरा सा रहा था कही थप्पड़ पड़ ही न जाए इस गुस्ताखी के लिए )
: क्या ... तू पागल है ? तुझसे किसने कहा कि मै नगमा को तेरे अब्बू से .... ( अम्मी चौंकते हुए बोली )
अम्मी की आंखे चौकन्ना थी और मै थोड़ा डरा हुआ उनकी आंखों में देख रहा था ,
: वो .. वो मैने वीडियो देखी आप लोगों की ( मेरा इशारा उस रोज की तरफ था जब मैने अब्बू के लेपटॉप में मम्मी की मेमोरी कार्ड लगाई थी मगर पकड़ा गया था ) उसमें आप कह रहे थे ( खुद को सुरक्षित करने के भाव से थोड़ा पीछे होता हुआ मै बोला )
अम्मी के चेहरे रंग एकदम से गुलाबी होने लगा और वो मुस्कुराने लगी
: हा तो तुझे उससे क्या ? बोला होगा ? ( अम्मी ने फिर से बात को दबाने के लिए नाराज होने का नाटक कर रही थी जो मुझे पसंद नहीं आया )
: कुछ नहीं ... ( मै शांत ही गया , मेरे भीतर एक पोजेसिवनेस जैसा कुछ था जो मै महसूस कर पा रहा था जब अम्मी ने ऐसा कुछ जवाब दिया मुझे , मानो अम्मी मुझसे मेरा हक छिन रही थी )
कुछ देर तक अम्मी मुस्कुराते हुए मुझे घूरने लगी और फिर मै बिस्तर से सरक कर उतरने लगा ।
: अरे कहा जा रहा है... ( अम्मी के सवाल में हसी की खनक थी )
: अपने कमरे में पढ़ाई करने ( मै उखड़ कर जवाब दिया )
: अच्छा ठीक है नाराज मत हो .. बताती हूं ( अम्मी ने रोका मुझे ) आ इधर ... बड़ा आया पढ़ाई करने वाला जैसे मुझे नहीं पता कैसी पढ़ाई करता है तू
मै मुस्कुराने लगा कि अम्मी को सब पता है
मै मुस्कुराता हुआ घुटने के बल टेंग कर अम्मी के पास गया और उनसे लिपट गया
वो मुझे बाहों में लेकर मेरे गाल दुलारने लगी
: अम्मी बताओ न ( मै उनको हग करता हु बोला
: अब ... क्या बताऊं तुझे ( अम्मी के गाल खिले हुए थे , शर्माहट हिचक उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी ) कहा से शुरू करूं क्या बताऊं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है और तू है कि जिद कर रहा है ।
: अच्छा ये तो बताओ कि अब्बू और मामी मिले या नहीं ( मैने उनकी उलझन कम करने की कोशिश की )
: उम्मम .... हा मिल चुके है ( अम्मी शर्म से गाढ़ होती हुई मुस्कुराई )
: कब ? कहा ? ( मेरे भीतर हलचल होने लगी , लंड में हरकत होने लगी , लोवर में तनाव बढ़ने लगा )
: वो जब मै तेरे अब्बू के पास थी तो वही बुलवाया था उसे ( अम्मी के जवाबों में झिझक साफ झलक रही थी मानो ये सब बाते मुझसे करने में उन्हें कितनी शर्म आ रही थी और उन्हें कितना असहज लग रहा था सब )
: तो क्या ? अब्बू ने आपके सामने ही .... ( मै अपने कल्पनाओं की किताब खोलने लगा और लंड धीरे धीरे अपनी ताकत महसूस कर रहा था )
: हम्ममम ( अम्मी ने एक शब्द में अपनी बात पूरी की )
: और आप? ( मै लंड पकड़ कर मिस दिया लोवर के ऊपर से ) आप भी शामिल थी ?
: क्या मतलब ? ( अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा )
: मतलब क्या मामी के साथ अब्बू ने आपको भी चो... ( मेरा गला सूखने लगा था )
: तू कुछ ज्यादा नहीं सोचता है ( अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरते हुए मुस्कुराई )
: पता नहीं , बस ऐसे ही ख्याल आया क्योंकि अब्बू आपके सामने कर रहे होंगे तो आपका भी मन हुआ होगा न ? ( मैने थोड़ी मासूमियत दिखाई कुछ जिज्ञासा रखते हुए )
: हा लेकिन पहली बार में उतना आसान नहीं था ( अम्मी बातों को घुमाते हुए बोली )
: पहली बार ? कितने बार किया था अब्बू ने ( मै चौक कर बोला तो अम्मी की आंखे बड़ी हो गई मै समझ गया मेरा लहजा अभी अम्मी को अच्छा नहीं लगा) मेरा मतलब कितने रोज थी मामी वहां ?
: 3 दिन ( अम्मी आंखे नचा कर बोली और मुस्कुराने लगी )
: तो क्या बाद में आपने ज्वाइन किया था ( मै धीरे से अपना लंड खुजा कर बोला )
: हम्म्म ( अम्मी मुझसे नजरे चुराती हुई बोली , उनकी सांसे भारी हो रही थी ) तेरे अब्बू को जानता ही है कितने शरारती है वो । ( अम्मी शर्मा कर बोली )
: अच्छा लेकिन मुझे लगता है कि आप ज्यादा हो हिही ( मैने उन्हें छेड़ा )
: धत्त बदमाश, मै तो कुछ करती भी नहीं सब तेरे अब्बू ही करते है समझा ( अम्मी सफाई देते हुए लजा रही थी और मुस्कुरा रही थी )
: हा देखा है मैने कौन कितना शरारती है हीही ( मै खिलखिलाया और उन्हें छेड़ा )
अम्मी लाज से लाल हुई जा रही थी उनकी सांसे चढ़ने उतरने लगी थीं और मेरा लंड उनके फूलते चूचों को देख कर अकड़ने लगा था अब ।
: अब चुप रहेगा तू और वो क्या कर रहा है ( अम्मी का इशारा मेरे हाथ पर था जो लोवर के ऊपर से लंड को मिस रहा था )
: हीही , कुछ नहीं ( मैने वहा से हाथ हटा लिया )
: इतना जल्दी खड़ा हो गया तेरा ( अम्मी अचरज से बोली )
: हा वो आपकी और अब्बू की बातों से ये परेशान हो जाता है ( मै थोड़ा असहज होकर बोला )
: इतना पसंद है तुझे हमारी बातें ( अम्मी उत्सुक होकर बोली )
: बहुत ज्यादा , कितनी मजेदार होती है आपकी बातें और अब्बू जब आपकी तारीफ करते है तो उम्ममम ये और भी बड़ा हो जाता है ( मैने अपने पैर फैलाए जिससे लोवर में मेरा लंड एकदम से टाइट होकर खूंटे जैसा खड़ा हो गया और अम्मी ने उसे देखा )
: धत्त बदमाश, कितना गंदा हो गया है तू , शर्म नहीं आती तुझे अपनी अम्मी के बारे में वो सब सुनते हुए ( अम्मी ने मुझे टटोला )
: उम्हू , मुझे तो मजा आता है जब अब्बू आपके बारे में गंदा गंदा बोलते है ( अम्मी आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी ) सच्ची में ( मै पूरे विश्वास से बोला )
अम्मी चुप रही उनके चेहरे पर एक लाज भरी मुस्कुराहट थी शायद उन्हें अब थोड़ा थोड़ा मेरे बातों से गुदगुदी हो रही थी । उनकी एड़ीया आपस में उलझी हुई थी और वो अपने दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से रगड़ रही थी ।
: और जब आप मुझे खुद के साथ शामिल करती है तो मुझे और भी अच्छा लगता है ( मैने अपने दिल की बात कही अम्मी से )
: मैने कब किया तुझे शामिल ? ( अम्मी अचरज से बोली )
: क्यों उस रोज अब्बू को भेजने के लिए तस्वीरें मैने ही निकाली थी न ( मैने पुरानी यादें ताजा की )
: धत्त बदमाश, याद है मुझे और फोटो खींचने में ही तेरा ... हीही ( अम्मी मेरे झड़ने का मजाक उड़ाती हुई बोली )
: हा तो मेरी जगह कोई भी होता वो सीन देख कर पागल हो जाता जैसे मै हो गया , आपके बड़े बड़े (मै आगे बोलता तो अम्मी मुझे घूरने लगी ) इतना बड़ा सा तो है । मै तो बाजार में भी सब निहारते है आपको पीछे से ( मासूम होकर मैने अपने आप को सेफ जोन में कर लिया )
: धत्त इतने भी बड़े नहीं है ( अम्मी थोड़ा इतराई )
: विश्वास न हो तो अब्बू से पूछ लो ( मैने उन्हें छेड़ा )
: तू और तेरे अब्बू एक जैसे है , ना जाने तुम लोगों को क्या पसंद आता है उसमें ( अम्मी थोड़ा इतराई और लजाए )
: उफ्फ अम्मी आप क्या जानो , जो देखता है वो ही जानता है अपनी हालत , उस रोज जब आपने फैलाया उसको तो मै तो पागल ही हो गया , कितना बड़ा और गोल मटोल था उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह ( मै अम्मी के सामने बड़ी बेशर्मी से अपना लंड मसल दिया )
: धत्त गंदा छोड़ उसे ... फिर गलत तरीके से कर रहा है । अभी कल समझाया न ( अम्मी ने मेरे हाथ को झटका )
: उम्मम अम्मी क्या करु तंग कर रहा है , कभी कभी मन करता है कि उखाड़ दूं ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त पागल ( अम्मी हसी ) इसके साथ जबरजस्ती नहीं करते प्यार से करते है ( अम्मी ने लोवर के ऊपर से मेरे मूसल को थाम लिया )
उनके हाथों के स्पर्श से मै भीतर से सिहर उठा और आंखे उलटने लगा
: अह्ह्ह्ह अम्मीई सहलाओ न सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गॉड ( मै अपना जिस्म अकड़ता हुआ बोला और अम्मी पूरी मजबूती से मुठ्ठी में मेरे लंड को भरे हुए थी । )
उन्होंने लोवर के ऊपर से मेरे लंड को खींचना शुरू किया मै और छटपटाने लगा और बिस्तर पर अकड़ने लगा
: क्या हो रहा है तुझे ( अम्मी फिकर में बोली )
: ऐसे ही होता है अम्मी हर बार , आपका टच मुझे पागल कर देता है और लगता है कि अभी निकल जाएगा ( मैने एक सास में अपनी बात कह दी )
: क्या इतना जल्दी ( अम्मी चौकी ) ऐसा नहीं होना चाहिए बेटा ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करु अम्मी आप बताओ न ( मै उनकी आंखों में देखता हुआ बोला इस उम्मीद में कि शायद उनके पास कोई जवाब हो )
: तुझे ये सब सिर्फ मेरे साथ महसूस होता है या और भी किसी को देख कर ( अम्मी ने सहज सवाल किया )
: मैने तो आपके सिवा किसी को नहीं देखा ( सरल भाव से मैने अपनी दीवानगी जाहिर की अम्मी से )
: चल उठ खड़ा हो , निकाल ये सब ( अम्मी मेरे लोवर खींचने लगी )
मै उलझे हुए भाव में बिस्तर पर खड़ा हो गया और अपने कपड़े निकालने लगा
और धीरे धीरे मेरे जिस्म के सारे कपड़े बिस्तर पर थे और मेरा मोटा मूसल पाइप के जैसे सीधा तना हुआ अम्मी की ओर मुंह किए हुए
अम्मी ने मुझे नीचे उतारा और बिस्तर पर बिठाया ।
: खबरदार उसको हाथ लगाया तो ( अम्मी ने आंखे दिखा कर मुझे चेतावनी दी )
मेरा हलक सूखने लगा था लंड सास लेते हुए हवा में झूल रहा था , पूरे लंड में सुरसुराहट फैली हुई थी । जैसे नसों में कुछ रेंग सा रहा हो ।
: अम्मी , क्या करने जा रहे हो ( मै बेचैन होकर बोला )
अम्मी मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी और देखते ही देखते अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और घूम गई
मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
अगले ही अम्मी कबोर्ड का सहारा लेते हुए अपनी सलवार छोड़ दी जो सरकते हुए उनके पैरों में चली
मेरी आँखें फैल गई और अगले ही पल अम्मी ने अपने नंगे भड़कीले चूतड़ों पर से सूट को कमर तक खींच लिया
: ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के नंगे चूतड़ों को देख मै भीतर से पागल होने लगा )
: उम्हू , मारूंगी अगर छुआ उसको तो ( अम्मी गर्दन घुमा कर मुझे लंड को छूते देखा तो डांट लगाई )
: उफ्फ अम्मी कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आप टच कर दो न इसको ( मै हांफते हुए बोला )
अम्मी घूम कर मेरे तरफ आई और मै खड़ा हो गया उनके बराबर में आ अम्मी अपने पैरो से सलवार उतारते हुए मुस्कुराई और आगे बिस्तर पर घुटने के बल चलती हुई बिस्तर पर घोड़ी बन गई। उनकी बड़ी मोटी गाड़ उनके सूट के पर्दे से बाहर निकल आई थी , जांघों खूब फैल आकर टाइट
अगले ही पल अम्मी ने अपने चूतड़ हवा में हिलाने लगी
: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीईईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह मुझे पागल कर रहे हो ओह्ह्ह
: क्या बोला ( अम्मी ने घोड़ी बने हुए मुस्कुरा कर गर्दन घुमा कर मुझे देखा)
: आप मुझे पागल कर रहें हो ( मै मुस्कुराया )
: उससे पहले क्या बोला ( अम्मी बड़ी शरारती मुस्कुराहट के साथ अपने चूतड़ों से शूट को ऊपर खींचते हुए बोली )
जैसे जैसे अम्मी के चूतड़ नंगे होते गए मेरी आँखें फैलने लगी और सांसे चढ़ने लगी और लंड पूरा तन गया
: उफ्फ अम्मी आपकी बु.... ( मेरी नजर उनकी गदराई जांघों से झांकती बुर पर गई और मै मेरे हाथ लंड के पास ले जाना लगा )
: अंहां, नहीं ( अम्मी ने मुझे रोका और वापस से अपने नंगे चूतड़ों को हवा में उछाला )
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह अमीईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मेरे भीतर तरंगों का सैलाब आया था लंड में बिजली सी दौड़ रही थी )
: क्या बड़ी है उम्ममम ( अम्मी ने अपने बाल झटक कर मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा)
: आ.. आपकी गाड़ ओह्ह्ह्ह मन कर रहा है इसी पर झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( मै अपनी जांघें कस कर लंड को सहलाने को नाकाम कोशिश करने लगा )
: और नहीं देखेगा, इतना जल्दी झड़ जायेगा ( अम्मी ने उकसाया मुझे और मोटिवेट भी किया )
: हा हा दिखाओ न ( सूखते हलक को घोंटते हुए मै बोला )
मेरी जांघें बिस्तर पर घिस रही थी लंड को बिस्तर पर स्पर्श करा रहा था मै
और अगले ही पल अम्मी ने अपनी गाड़ और ऊपर उठाई और दोनों पंजों से फाड़ दी
: ओह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई कितनी सेक्सी गाड़ है आपकी अह्ह्ह्ह आपकी बुर कितनी लंबी है ( मै वासना में पागल सा होने लगा , विवेक कही गायब सा हो गया था मेरे लहजे में )
: पसंद है न तुझे मेरी गाड़ ( अम्मी अपने चूतड़ पर थपेड़ मारती हुई सवाल की )
: हा ( मै सर हिलाया )
: और क्या पसंद है बेटा ( अम्मी ने हवा में अपनी गाड़ हिलाती हुई बोली )
: आपके दूध सीईईई कितना बड़ा है और आपकी ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई आओ न प्लीज अह्ह्ह्ह्ह आजाओ जल रहा है नहीं रहा जा रहा है आजाओ न ( मै तड़पता हुआ बोला )
और अम्मी घुटने के बल पीछे आने लगी उनके बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए आपस में टकराते हुएं मेरी ओर बढ़ने लगे
मै हदस कर पीछे हो गया और अम्मी बेड से नीचे उतर गई , अभी भी अपनी गाड़ मेरी ओर किए हुए थी
: उम्मम ले आ गई और देखेगा ( अम्मी ने बिस्तर पर औंधे झुके हुए अपने पंजों से दुबारा अपने चूतड़ों को फाड़ दिया ) ले देख
: उम्मम अम्मीई अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ कितनी बड़ी और वो गुलाबी सुराख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अमीईई ( मै पागल सा होने लगा , मेरे लंड की नसे वीर्य से भर गई थी , सुपाड़े पर मानो पूरे बदन का खून भरने लगा , वो जलन वो पीड़ा सी उठ रही थी उसमें , अम्मी का रंडीपना देख कर आड़ो से लेकर सुपाड़े के मुहाने तक नसे डकार रही थी , बस एक स्पर्श और भलभला कर सारी गाढ़ी मलाई बाहर
अम्मी पूरे जोश में अपने चूतड़ हिला रही थी कमरे उनके चूतड़ एक ताल में तालिया बजा रहे थे और हर ताल के साथ अम्मी के गाड़ और बुर की गुलाबी झलक मिल जाती
मानो दोनों मुझे बुला रही हो अपने करीब और मै दो कदम आगे बढ़ गया और लंड को जड़ से पकड़ कर अम्मी के गदराई मोटी मोटी गाड़ के दरारों में टिका दिया
मेरे गर्म तपते लंड का स्पर्श पाते ही अम्मी भीतर से मचल उठी , उनके भीतर अलग ही काम की ज्वाला उठी
: या अल्लाह ओह्ह्ह कितना गर्म.. ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ( अम्मी मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह बस ऐसे ही आयेगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईईई अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अम्मीईई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह
और अगले ही पल मै भलभला कर अपनी के गाड़ के सुराखों में झड़ने लगा
खूब गाड़ी सफेद मलाई उनके मोटी गदराई गाड़ के सकरे दरारों में जाने लगी जो रिस कर अम्मी की बुर की ओर बढ़ने लगी और मै आखिरी बूंद के निचोड़ने तक अपना लंड अम्मी के गाड़ के दरारों में रखे रहा और अम्मी बेड पर अपनी गाड़ हवा में झुकी हुई हाफ रही थी
मै अपना लंड झाड़ कर दो बार उनके नरम चूतड़ों पर पटका और सुस्त होकर अम्मी के बगल में बिस्तर पर पैर लटका कर पसर गया वही अम्मी सरक पर नीचे फर्श पर घुटने के बल आ गई और बिस्तर पर सर रख कर सुस्ताने लगी ।
जारी रहेगी
कहानी की अगली कड़ी आपके प्रतिक्रियाओ पर निर्भर रहेगी
ज्यादा से ज्यादा रेवो और सपोर्ट करें ।
Bahot hi behetarin likhte ho dost..Aur updates bhi regular dete ho.UPDATE 30
ट्रेनिंग-डे
रात के किसी प्रहर में, जब दुनिया सो रही थी, बिस्तर पर एक हल्की हलचल शुरू हुई। बेड का पुराना लकड़ी का ढाँचा हल्का-हल्का चरमराने लगा, जैसे कोई उस पर अपनी जगह बदल रहा हो। मेरी नींद में अभी पूरी तरह कोई खलल नहीं पड़ा, लेकिन कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा फैलने लगी थी। मुझे मेरे जिस्म में गरमाहट सी महसूस हो रही थी और कानों में गुनगुनाहट भरी आवाज रह रह कर आती । आंखे अब खुलना चाह रही थी मानो मेरी चेतना में कोई सतर्कता के लिए घंटी बज रही थी शायद अब तक अम्मी की जो हरकते रही है उसको लेकर मेरा दिमाग पूरी तरह अलर्ट हो गया था । रात के अंधेरे में मेरे सोने के बाद अम्मी का जागना हो सकता था । और सही भी था । मैने अपनी आँखें पल भर को खोली और झट से बंद कर ली
करवट लेटे हुए मेरे सामने जो नजारा मेरी आंखो के सामने आया उसे देखते ही भीतर से मेरे पूरे बदन में सरसरी उमड़ी और मै पूरी तरह से चेत गया । बंद आंखो में मेरे वो दृश्य उभर रहा था जो अभी अभी मैने देखा था
बेड के हेडबोर्ड पर, जहाँ लकड़ी की नक्काशी में पुराने फूलों के निशान उकेरे हुए थे, अम्मी उससे सटकर बैठी थी।उनका सिर हेडबोर्ड से टिका हुआ था, और उनकी साँसें थोड़ी तेज़ चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाइटी को जाँघों तक उठा रखा था—वह हल्के रंग की नाइटी, जो पुरानी होने के बावजूद उनकी रोज़ की पसंद थी। कपड़ा उनकी त्वचा पर हल्का सिकुड़ा हुआ था, और बल्ब की सफेद रोशनी में उनकी दूधिया जाँघों की गोरी चमक साफ दिख रही थी। उनका एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर था
—वह सादी सफेद पैंटी, जो रोज़मर्रा की सादगी लिए हुए थी। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे, लेकिन एक लय में हिल रही थीं, जैसे कोई गहरा तनाव या चाहत उन्हें जकड़े हुए हो।उनके दूसरे हाथ में मेरा मोबाइल था। स्क्रीन की नीली रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिख रही थी। कानों में इयरफोन लगे हुए थे—वह सस्ते वाले काले इयरफोन, जिनके तार आपस में उलझे हुए थे। मोबाइल की स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल चल रही थी। उनकी आवाज़ दबी हुई थी, जैसे वे किसी से धीरे-धीरे बात कर रही हों, शब्दों को होंठों के बीच दबाकर बोल रही हों। बीच-बीच में उनकी साँसें भारी हो जाती थीं, और उनकी उंगलियों की गति पैंटी में तेज़ हो जाती थी।
"उम्ममम सीईईई उम्हू नहीं मै नहीं आ सकती ऐसे , समझो उम्हू .... हा याद है न ( अम्मी एक गहरी आह भरते हुए बोली और उनकी उंगलियां पैंटी में चूत के गहरे घुस गई ) सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह आप बहुत तंग करते है अह्ह्ह्ह्ह आपके शौक बहुत शरारती है अह्ह्ह्ह......
अम्मी की मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया और शब्द सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी । देर रात में अब्बू और अम्मी की बातें सुनने का मजा ही कुछ और था । लेकिन ये मजा दुगना हो जाता अगर अब्बू की शरारत भरी गंदी बातें सुनने को मिलती जो वो अम्मी के जिस्म की तारीफ ने कहते नहीं थकते थे
हम्ममम क्यों आपको नहीं अच्छा लगा था ? ( अम्मी की उंगलियां रुक गई और चेहरे पर शरारती भाव थे ) ........ धत्त बदमाश हो आप ( अम्मी ने दुबारा से पैंटी के ऊपर से चूत के फांके पर एक उंगली ऊपर नीचे करने लगी उनकी रसाई बुर से पैंटी पूरी पचपचाई हुई थी ) ...... क्या ? नहीं अब रखो हो गया ... मुझे नीद आ रही है आप हो कि ( अम्मी उबासी लेती हुई बोली ) ...... दिन में कहा शानू रहता है पूरे दिन और उसके अब्बू आ जायेंगे तो ये मौका भी गया हीही ( अम्मी खिलखिलाई और फिर शांत हो गई )
मेरे कान खड़े हो गए ये सोच कर कि क्या मैने जो सुना वो सही था । इतनी देर रात में अम्मी अब्बू के सिवा भला किस्से बाते कर रही थी .. कही वो कार वाला आदमी तो नहीं ?
एक बार फिर मै आवेश और उलझन से भर गया । कि अम्मी ने अब मेरे साथ साथ अब्बू को भी धोखा देने लगी ।
अम्मी ने फोन काट कर मोबाइल और इयरफोन बिस्तर पर रखा और उठ कर बाथरूम के लिए कमरे से बाहर निकल गई
जैसे ही वो निकली मैने लपक कर मोबाइल उठाया और व्हाट्सअप ओपन कर कालिंग लॉग देखा
उसमें Nagma2 करके नंबर सेव था और नम्बर चेक किया तो देखा ******2277 , उस नम्बर पर न कोई डीपी थी और ना कुछ अब एकदम से गोपनीय रखा हुआ था न ही उसपे कोई चैट की गई थी ।
मैने वापस मोबाइल रख दिया और वो नंबर दिमाग में रटने लगा ।
तभी कमरे में अम्मी लौटी और मुझे बिस्तर पर बैठे हुए पाया
मेरी आँखें अपनी अम्मी पर जमी थीं। मेरा चेहरा भ्रम और डर से भरा हुआ था।
"अम्मी... ये... ये क्या था?" (आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था, जिसका जवाब शायद उसकी अम्मी के पास नहीं था।)
अम्मी ने एक गहरी साँस ली, और उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर साफ दिख रहा था।
"शानू... बेटा... कुछ नहीं... सो जा," उन्होंने कहा, लेकिन कमरे का माहौल अब बदल चुका था। मेरी जिज्ञासा और अम्मी की गुप्त चाहतों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी।
: अम्मी ... अब्बू का मोबाइल बंद है चेक किया मैने ( मैने सख्ती दिखाने का महज प्रयास किया और अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए)
वह अपनी माँ को हमेशा से एक मजबूत और साधारण औरत के रूप में देखता था—वह औरत जो सुबह जल्दी उठकर चूल्हा जलाती थी, उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी, और रात को कहानिया थी। उसके लिए उसकी अम्मी सिर्फ उसके अब्बू की दीवानी थी लेकिन अब, उसकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ था, वह उस छवि को तोड़ रहा था।उनकी अम्मी ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें नम थीं, और चेहरे पर शर्मिंदगी का एक भारी बोझ था।
वो बिना कुछ बोले मेरे करीब आई और मेरे सर को अपने गुदाज नर्म सीने से लगा लिया, अगले ही पल मै भाव विभोर होने लगा मानो अम्मी जादू से मेरे भीतर की उठ रही जिज्ञासाओ को मिटा देना चाहती हो ।
मैने हल्के से अपने सिर को पीछे खींच लिया। उसका यह छोटा सा इशारा अम्मी को वर्तमान में लाने का ।
: आप... आप उस फोन पर क्या कर रही थीं? मैंने हिचकिचाते हुए हिम्मत कर पूछा )
मेरी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक जिज्ञासा भी थी जो अब दब नहीं रही थी। उनकी अम्मी का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, जैसे वे कोई जवाब ढूँढ रही हों। लेकिन फिर उनकी आँखें फिर से नम हो गईं।
: बेटा... कुछ चीज़ें... कुछ चीज़ें तेरी माँ को भी समझ नहीं आतीं । ( उन्होंने धीरे से कहा। उनकी आवाज़ में एक टूटन थी, जैसे वे खुद से भी लड़ रही हों। )
: मै उस पल में बस कमजोर सी हो गई थी और ...कुछ गलत नहीं था। तू सो जा, सुबह सब ठीक हो जाएगा। ( अम्मी ने मेरे सर सहलाने हुए बोली और उनके चेहरे पर एक उम्मीद भरी मुस्कुराहट थी शायद वो चाह रही थी कि मै उनपर भरोसा बनाए रखूं)
मेरे के लिए सुबह का इंतज़ार अब आसान नहीं था। कमरे की बत्ती बुझ गई थी और करवट होकर अपनी अम्मी की ओर देखना चाहा तो कमरे का घुप अंधेरा मानो मुझे मेरी अम्मी से दूर ले जा रहा था ।
और पहली बार मुझे लगा कि मै उन्हें पूरी तरह नहीं जानता। मै हमेशा उनकी गोद में सिर रखकर सोता था, उनकी सूट की महक मुझे सुकून देती थी। लेकिन अब, उस महक के पीछे एक अनजाना सच छिपा हुआ था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ छिपा रही हैं न? ( मैने धीरे से उनसे लिपटे हुए कहा )
अम्मी ने एक गहरी साँस ली। उनके मन में शायद एक तूफान चल रहा था—शर्मिंदगी, डर, और अपने बेटे के सामने सच को छिपाने की मजबूरी।
: नहीं, बेटा... ऐसा कुछ नहीं है ( उन्होंने कहा, लेकिन उनकी बेचैन सांसे और मेरे कानो के पास तेज धड़कता दिल कुछ और कह रहा था )
हमने कोई बात नहीं की ... लाख सवाल और नाराजगी थी मन में लेकिन अम्मी की बाहों में लिपटने से मानो सारे सवालों के जवाब मिल गए हो सारे जख्म भर गए हो, भीतर का तनाव कम होने लगा था उनके मुलायम स्पर्श से और मै कब सो गया पता ही नहीं चला ।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से कमरे में रोशनदान से दाखिल हुईं। मै अभी भी बेड पर लेटा था, आँखें खुली थीं, लेकिन मेरा मन रात की घटना में उलझा हुआ था। मैने कई बार करवट बदली, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी। अम्मी रसोई में थीं, और वहाँ से चूल्हे की हल्की खटपट की आवाज़ आ रही थी।कुछ देर बाद, दरवाज़े पर एक हल्की आहट हुई। अम्मी कमरे में दाखिल हुईं, उनकी आँखें अभी भी लाल थीं, जैसे रात भर रोने के निशान छिपे हों, लेकिन चेहरे पर एक कोशिश थी—अपने बेटे के सामने फिर से वही माँ बनने की, जो वह हमेशा से थीं।
: शानू, बेटा... उठ जा। सुबह हो गई, ( उनकी आवाज़ में हल्की कोमलता थी, लेकिन एक झिझक भी थी)
मैने ने धीरे से सिर उठाया और अपनी अम्मी की ओर देखा। मेरी आँखों में अभी भी सवाल थे, लेकिन अब उनमें डर कम और कुछ समझने की चाह ज़्यादा थी। मै बेड पर बैठ गया, और उनकी अम्मी पास बैठ गईं।
: रात को नींद ठीक से नहीं आई न? ( कनपटी के पास मेरे कानो को छूते हुए मेरे बालों को संवारते हुए वो बोली , उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन साथ ही एक डर भी था कि शायद मै अब उनकी बातों का जवाब न दूं । )
मैने उनकी आंखों में देखा एक उम्मीद जो आंखों उठ रही थी उनके , चेहरे पर डर का वो भाव जिसे वो अपनी जबरन मुस्कुराहट से छिपाना चाहती थी उनके भीतर एक कंपकपी सी महसूस कर पा रहा था
: आप रो रही थी न .. अम्मी ( मैने मासूम होकर बोला , उनका दुलार उनका स्पर्श मुझमें हर बार बचपन भर देता था )
: बेटा ... ( उनकी आवाज भर्रा गई ) ... हा रो रही थी तेरी अम्मी भी तो एक इंसान है जो कभी कभी कमजोर सी पड़ जाती है ( उनकी आंखे छलक पड़ी अब ,और उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए , एक गर्माहट महसूस हो रही मुझे मेरे हाथों में ) लेकिन तू मेरे लिए सबसे बढ़ कर बेटा , तू ये कभी नहीं भूलना ।
मैने ने अपनी अम्मी के हाथ को देखा। वह हाथ, जो उसे हमेशा थपकी देकर सुलाता था, अब काँप रहा था।
: अम्मी, आप जो भी कर रही थीं... मुझे समझ नहीं आया। लेकिन मुझे डर लगा था कि आप मुझसे दूर जा रही हैं। ( मै धीरे से बोला एक मासूम डर था, जो उनकी अम्मी के सीने में चुभ गया। उन्होंने जल्दी से उसे अपने गले से लगा लिया।)
: नहीं, बेटा... मैं कहीं नहीं जा रही। तू मेरी जान है। रात को... रात को मैं बस एक कमज़ोर पल में थी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरी अम्मी नहीं हूँ। (उनकी आवाज़ में अब पछतावा था )
मैने अपनी अम्मी की गोद में सिर रख दिया, जैसे वह फिर से वही सुकून ढूँढ रहा हो जो उसे हमेशा मिलता था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ मत छिपाना। मुझे सब समझ नहीं आता, लेकिन मैं आपसे प्यार करता हूँ ( मैने धीरे से कहा और अम्मी की आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन अब ये आँसू दुख के नहीं, राहत के थे )
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा, "ठीक है, बेटा। अब कुछ भी तुझसे नहीं छिपाऊंगी , तेरा मुझपर उतना ही हक है जितना तेरे अब्बू का और तुझे भी वो सब जानने का हक है जो उन्हें है । आखिर तू भी तो मेरे जीवन का हिस्सा है मै क्यों समझ नहीं पाई ( अम्मी मानो अपनी उस वेदना को व्यक्त कर रही थी जो रात में सोचते हु उन्होंने सोची थी जिसके लिए उन्हें पछतावा था )
मै उनकी गोदी और दुबक गया और वो सिसकते हुए मुझे कस ली
: चल उठ और फ्रेश हो ले , फिर नाश्ता भी करना है न ? ( अम्मी ने मेरे सर को सहला कर कहा )
: अम्मी ... आप नहला दो न ( मैने भी उनके इमोशन का फायदा लेने का सोचा )
: धत्त बदमाश... जा नहा मै नहीं नहलाने वाली , उठ अब ( अम्मी वापस अपने रूप में आ गई , वैसे ही खिली हुई खुश और मेरी अम्मी जैसी )
: जा रहा हूं, लेकिन मुझे कुछ पूछना है आपसे , मतलब काफी कुछ है बताओगे न सब ( मै मुंह बना कर बोला )
: सोचूंगी ... हट अब ( अम्मी ने मेरे मजे लिए और मुझे गोदी से उतार दिया फिर बिस्तर से जाने लगी )
: अरे अभी मै नाराज ही हुं ( मैने उन्हें रोकना चाहा )
: अच्छा ... चल बड़ा आया ( अम्मी हंसके निकल गई और नाइटी में उनके चूतड़ों की थिरकन देख कर मै अपना सुपाड़ा मिज दिया )
नहाने नाश्ते के बाद हम दोनो कमरे में बैठे थे, एक चुप्पी सी थी हमारे बीच । अम्मी को हिचक थी कि मै क्या पूछने वाला हूं।
: अम्मी ..... मै परेशान हूं अभी भी ( मै उनके कंधे पर सर रखे हुए बोला , मेरे फैले हुए पैर की उंगलियां अम्मी के उंगलियों को सहला रही थी )
: क्या हुआ बेटा ... क्या सोच रहा है तू ( अम्मी के लहजे ने डर शामिल था उसके सांसों की तेजी मुझे महसूस हो रही थी )
: मुझे कुछ जानना है ?
ये सवाल किसी अंधेर जगह में उस दरवाजे की तरह था जिसके बारे में अम्मी के कल्पना करना कठिन था कि वो उनकी किस दुनिया को मेरे सामने ला खडा करेगा , साथ ही मेरे लिए भी जिज्ञासा पूर्ण था उस रोमांच के बारे में सोचना कि कैसे इन सब की शुरुआत हुई होगी ।
: क्या बोल न ? ( अम्मी अटक कर बोली )
मेरे जहन में कई सवाल थे मन में आ रहा था कि अभी पूछ लूं कि रात में अम्मी जिससे बात कर रही थी और वो गाड़ी में जो उन्हें छोड़ने आया था दोनों एक ही शख्स थे , मगर दिल नहीं मान रहा था कि अम्मी ईमानदारी दिखाएंगी । फिर ख्याल आया कि नानी और अब्बू के बारे में पूछ लू, मगर हाल ही में जो हुआ वो सोच कर हिम्मत नहीं थी कि नानी का टॉपिक छेड़ा जाए ।
फिर दिमाग में ख्याल आया अनायास नगमा मामी का क्योंकि अम्मी ने वो नम्बर भी नगमा मामी के नाम से ही सेव किया था ।
: वो नगमा मामी का क्या हुआ? ( मै थोड़ा डरा डरा सा हिम्मत करके बोला )
: नगमा को क्या होना है ? ( अम्मी को शायद मेरी बात समझ नहीं आई )
: नहीं वो आप उनको अब्बू से ... हुआ ? ( मै भीतर से थरथरा सा रहा था कही थप्पड़ पड़ ही न जाए इस गुस्ताखी के लिए )
: क्या ... तू पागल है ? तुझसे किसने कहा कि मै नगमा को तेरे अब्बू से .... ( अम्मी चौंकते हुए बोली )
अम्मी की आंखे चौकन्ना थी और मै थोड़ा डरा हुआ उनकी आंखों में देख रहा था ,
: वो .. वो मैने वीडियो देखी आप लोगों की ( मेरा इशारा उस रोज की तरफ था जब मैने अब्बू के लेपटॉप में मम्मी की मेमोरी कार्ड लगाई थी मगर पकड़ा गया था ) उसमें आप कह रहे थे ( खुद को सुरक्षित करने के भाव से थोड़ा पीछे होता हुआ मै बोला )
अम्मी के चेहरे रंग एकदम से गुलाबी होने लगा और वो मुस्कुराने लगी
: हा तो तुझे उससे क्या ? बोला होगा ? ( अम्मी ने फिर से बात को दबाने के लिए नाराज होने का नाटक कर रही थी जो मुझे पसंद नहीं आया )
: कुछ नहीं ... ( मै शांत ही गया , मेरे भीतर एक पोजेसिवनेस जैसा कुछ था जो मै महसूस कर पा रहा था जब अम्मी ने ऐसा कुछ जवाब दिया मुझे , मानो अम्मी मुझसे मेरा हक छिन रही थी )
कुछ देर तक अम्मी मुस्कुराते हुए मुझे घूरने लगी और फिर मै बिस्तर से सरक कर उतरने लगा ।
: अरे कहा जा रहा है... ( अम्मी के सवाल में हसी की खनक थी )
: अपने कमरे में पढ़ाई करने ( मै उखड़ कर जवाब दिया )
: अच्छा ठीक है नाराज मत हो .. बताती हूं ( अम्मी ने रोका मुझे ) आ इधर ... बड़ा आया पढ़ाई करने वाला जैसे मुझे नहीं पता कैसी पढ़ाई करता है तू
मै मुस्कुराने लगा कि अम्मी को सब पता है
मै मुस्कुराता हुआ घुटने के बल टेंग कर अम्मी के पास गया और उनसे लिपट गया
वो मुझे बाहों में लेकर मेरे गाल दुलारने लगी
: अम्मी बताओ न ( मै उनको हग करता हु बोला
: अब ... क्या बताऊं तुझे ( अम्मी के गाल खिले हुए थे , शर्माहट हिचक उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी ) कहा से शुरू करूं क्या बताऊं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है और तू है कि जिद कर रहा है ।
: अच्छा ये तो बताओ कि अब्बू और मामी मिले या नहीं ( मैने उनकी उलझन कम करने की कोशिश की )
: उम्मम .... हा मिल चुके है ( अम्मी शर्म से गाढ़ होती हुई मुस्कुराई )
: कब ? कहा ? ( मेरे भीतर हलचल होने लगी , लंड में हरकत होने लगी , लोवर में तनाव बढ़ने लगा )
: वो जब मै तेरे अब्बू के पास थी तो वही बुलवाया था उसे ( अम्मी के जवाबों में झिझक साफ झलक रही थी मानो ये सब बाते मुझसे करने में उन्हें कितनी शर्म आ रही थी और उन्हें कितना असहज लग रहा था सब )
: तो क्या ? अब्बू ने आपके सामने ही .... ( मै अपने कल्पनाओं की किताब खोलने लगा और लंड धीरे धीरे अपनी ताकत महसूस कर रहा था )
: हम्ममम ( अम्मी ने एक शब्द में अपनी बात पूरी की )
: और आप? ( मै लंड पकड़ कर मिस दिया लोवर के ऊपर से ) आप भी शामिल थी ?
: क्या मतलब ? ( अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा )
: मतलब क्या मामी के साथ अब्बू ने आपको भी चो... ( मेरा गला सूखने लगा था )
: तू कुछ ज्यादा नहीं सोचता है ( अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरते हुए मुस्कुराई )
: पता नहीं , बस ऐसे ही ख्याल आया क्योंकि अब्बू आपके सामने कर रहे होंगे तो आपका भी मन हुआ होगा न ? ( मैने थोड़ी मासूमियत दिखाई कुछ जिज्ञासा रखते हुए )
: हा लेकिन पहली बार में उतना आसान नहीं था ( अम्मी बातों को घुमाते हुए बोली )
: पहली बार ? कितने बार किया था अब्बू ने ( मै चौक कर बोला तो अम्मी की आंखे बड़ी हो गई मै समझ गया मेरा लहजा अभी अम्मी को अच्छा नहीं लगा) मेरा मतलब कितने रोज थी मामी वहां ?
: 3 दिन ( अम्मी आंखे नचा कर बोली और मुस्कुराने लगी )
: तो क्या बाद में आपने ज्वाइन किया था ( मै धीरे से अपना लंड खुजा कर बोला )
: हम्म्म ( अम्मी मुझसे नजरे चुराती हुई बोली , उनकी सांसे भारी हो रही थी ) तेरे अब्बू को जानता ही है कितने शरारती है वो । ( अम्मी शर्मा कर बोली )
: अच्छा लेकिन मुझे लगता है कि आप ज्यादा हो हिही ( मैने उन्हें छेड़ा )
: धत्त बदमाश, मै तो कुछ करती भी नहीं सब तेरे अब्बू ही करते है समझा ( अम्मी सफाई देते हुए लजा रही थी और मुस्कुरा रही थी )
: हा देखा है मैने कौन कितना शरारती है हीही ( मै खिलखिलाया और उन्हें छेड़ा )
अम्मी लाज से लाल हुई जा रही थी उनकी सांसे चढ़ने उतरने लगी थीं और मेरा लंड उनके फूलते चूचों को देख कर अकड़ने लगा था अब ।
: अब चुप रहेगा तू और वो क्या कर रहा है ( अम्मी का इशारा मेरे हाथ पर था जो लोवर के ऊपर से लंड को मिस रहा था )
: हीही , कुछ नहीं ( मैने वहा से हाथ हटा लिया )
: इतना जल्दी खड़ा हो गया तेरा ( अम्मी अचरज से बोली )
: हा वो आपकी और अब्बू की बातों से ये परेशान हो जाता है ( मै थोड़ा असहज होकर बोला )
: इतना पसंद है तुझे हमारी बातें ( अम्मी उत्सुक होकर बोली )
: बहुत ज्यादा , कितनी मजेदार होती है आपकी बातें और अब्बू जब आपकी तारीफ करते है तो उम्ममम ये और भी बड़ा हो जाता है ( मैने अपने पैर फैलाए जिससे लोवर में मेरा लंड एकदम से टाइट होकर खूंटे जैसा खड़ा हो गया और अम्मी ने उसे देखा )
: धत्त बदमाश, कितना गंदा हो गया है तू , शर्म नहीं आती तुझे अपनी अम्मी के बारे में वो सब सुनते हुए ( अम्मी ने मुझे टटोला )
: उम्हू , मुझे तो मजा आता है जब अब्बू आपके बारे में गंदा गंदा बोलते है ( अम्मी आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी ) सच्ची में ( मै पूरे विश्वास से बोला )
अम्मी चुप रही उनके चेहरे पर एक लाज भरी मुस्कुराहट थी शायद उन्हें अब थोड़ा थोड़ा मेरे बातों से गुदगुदी हो रही थी । उनकी एड़ीया आपस में उलझी हुई थी और वो अपने दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से रगड़ रही थी ।
: और जब आप मुझे खुद के साथ शामिल करती है तो मुझे और भी अच्छा लगता है ( मैने अपने दिल की बात कही अम्मी से )
: मैने कब किया तुझे शामिल ? ( अम्मी अचरज से बोली )
: क्यों उस रोज अब्बू को भेजने के लिए तस्वीरें मैने ही निकाली थी न ( मैने पुरानी यादें ताजा की )
: धत्त बदमाश, याद है मुझे और फोटो खींचने में ही तेरा ... हीही ( अम्मी मेरे झड़ने का मजाक उड़ाती हुई बोली )
: हा तो मेरी जगह कोई भी होता वो सीन देख कर पागल हो जाता जैसे मै हो गया , आपके बड़े बड़े (मै आगे बोलता तो अम्मी मुझे घूरने लगी ) इतना बड़ा सा तो है । मै तो बाजार में भी सब निहारते है आपको पीछे से ( मासूम होकर मैने अपने आप को सेफ जोन में कर लिया )
: धत्त इतने भी बड़े नहीं है ( अम्मी थोड़ा इतराई )
: विश्वास न हो तो अब्बू से पूछ लो ( मैने उन्हें छेड़ा )
: तू और तेरे अब्बू एक जैसे है , ना जाने तुम लोगों को क्या पसंद आता है उसमें ( अम्मी थोड़ा इतराई और लजाए )
: उफ्फ अम्मी आप क्या जानो , जो देखता है वो ही जानता है अपनी हालत , उस रोज जब आपने फैलाया उसको तो मै तो पागल ही हो गया , कितना बड़ा और गोल मटोल था उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह ( मै अम्मी के सामने बड़ी बेशर्मी से अपना लंड मसल दिया )
: धत्त गंदा छोड़ उसे ... फिर गलत तरीके से कर रहा है । अभी कल समझाया न ( अम्मी ने मेरे हाथ को झटका )
: उम्मम अम्मी क्या करु तंग कर रहा है , कभी कभी मन करता है कि उखाड़ दूं ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त पागल ( अम्मी हसी ) इसके साथ जबरजस्ती नहीं करते प्यार से करते है ( अम्मी ने लोवर के ऊपर से मेरे मूसल को थाम लिया )
उनके हाथों के स्पर्श से मै भीतर से सिहर उठा और आंखे उलटने लगा
: अह्ह्ह्ह अम्मीई सहलाओ न सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गॉड ( मै अपना जिस्म अकड़ता हुआ बोला और अम्मी पूरी मजबूती से मुठ्ठी में मेरे लंड को भरे हुए थी । )
उन्होंने लोवर के ऊपर से मेरे लंड को खींचना शुरू किया मै और छटपटाने लगा और बिस्तर पर अकड़ने लगा
: क्या हो रहा है तुझे ( अम्मी फिकर में बोली )
: ऐसे ही होता है अम्मी हर बार , आपका टच मुझे पागल कर देता है और लगता है कि अभी निकल जाएगा ( मैने एक सास में अपनी बात कह दी )
: क्या इतना जल्दी ( अम्मी चौकी ) ऐसा नहीं होना चाहिए बेटा ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करु अम्मी आप बताओ न ( मै उनकी आंखों में देखता हुआ बोला इस उम्मीद में कि शायद उनके पास कोई जवाब हो )
: तुझे ये सब सिर्फ मेरे साथ महसूस होता है या और भी किसी को देख कर ( अम्मी ने सहज सवाल किया )
: मैने तो आपके सिवा किसी को नहीं देखा ( सरल भाव से मैने अपनी दीवानगी जाहिर की अम्मी से )
: चल उठ खड़ा हो , निकाल ये सब ( अम्मी मेरे लोवर खींचने लगी )
मै उलझे हुए भाव में बिस्तर पर खड़ा हो गया और अपने कपड़े निकालने लगा
और धीरे धीरे मेरे जिस्म के सारे कपड़े बिस्तर पर थे और मेरा मोटा मूसल पाइप के जैसे सीधा तना हुआ अम्मी की ओर मुंह किए हुए
अम्मी ने मुझे नीचे उतारा और बिस्तर पर बिठाया ।
: खबरदार उसको हाथ लगाया तो ( अम्मी ने आंखे दिखा कर मुझे चेतावनी दी )
मेरा हलक सूखने लगा था लंड सास लेते हुए हवा में झूल रहा था , पूरे लंड में सुरसुराहट फैली हुई थी । जैसे नसों में कुछ रेंग सा रहा हो ।
: अम्मी , क्या करने जा रहे हो ( मै बेचैन होकर बोला )
अम्मी मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी और देखते ही देखते अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और घूम गई
मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
अगले ही अम्मी कबोर्ड का सहारा लेते हुए अपनी सलवार छोड़ दी जो सरकते हुए उनके पैरों में चली
मेरी आँखें फैल गई और अगले ही पल अम्मी ने अपने नंगे भड़कीले चूतड़ों पर से सूट को कमर तक खींच लिया
: ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के नंगे चूतड़ों को देख मै भीतर से पागल होने लगा )
: उम्हू , मारूंगी अगर छुआ उसको तो ( अम्मी गर्दन घुमा कर मुझे लंड को छूते देखा तो डांट लगाई )
: उफ्फ अम्मी कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आप टच कर दो न इसको ( मै हांफते हुए बोला )
अम्मी घूम कर मेरे तरफ आई और मै खड़ा हो गया उनके बराबर में आ अम्मी अपने पैरो से सलवार उतारते हुए मुस्कुराई और आगे बिस्तर पर घुटने के बल चलती हुई बिस्तर पर घोड़ी बन गई। उनकी बड़ी मोटी गाड़ उनके सूट के पर्दे से बाहर निकल आई थी , जांघों खूब फैल आकर टाइट
अगले ही पल अम्मी ने अपने चूतड़ हवा में हिलाने लगी
: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीईईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह मुझे पागल कर रहे हो ओह्ह्ह
: क्या बोला ( अम्मी ने घोड़ी बने हुए मुस्कुरा कर गर्दन घुमा कर मुझे देखा)
: आप मुझे पागल कर रहें हो ( मै मुस्कुराया )
: उससे पहले क्या बोला ( अम्मी बड़ी शरारती मुस्कुराहट के साथ अपने चूतड़ों से शूट को ऊपर खींचते हुए बोली )
जैसे जैसे अम्मी के चूतड़ नंगे होते गए मेरी आँखें फैलने लगी और सांसे चढ़ने लगी और लंड पूरा तन गया
: उफ्फ अम्मी आपकी बु.... ( मेरी नजर उनकी गदराई जांघों से झांकती बुर पर गई और मै मेरे हाथ लंड के पास ले जाना लगा )
: अंहां, नहीं ( अम्मी ने मुझे रोका और वापस से अपने नंगे चूतड़ों को हवा में उछाला )
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह अमीईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मेरे भीतर तरंगों का सैलाब आया था लंड में बिजली सी दौड़ रही थी )
: क्या बड़ी है उम्ममम ( अम्मी ने अपने बाल झटक कर मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा)
: आ.. आपकी गाड़ ओह्ह्ह्ह मन कर रहा है इसी पर झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( मै अपनी जांघें कस कर लंड को सहलाने को नाकाम कोशिश करने लगा )
: और नहीं देखेगा, इतना जल्दी झड़ जायेगा ( अम्मी ने उकसाया मुझे और मोटिवेट भी किया )
: हा हा दिखाओ न ( सूखते हलक को घोंटते हुए मै बोला )
मेरी जांघें बिस्तर पर घिस रही थी लंड को बिस्तर पर स्पर्श करा रहा था मै
और अगले ही पल अम्मी ने अपनी गाड़ और ऊपर उठाई और दोनों पंजों से फाड़ दी
: ओह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई कितनी सेक्सी गाड़ है आपकी अह्ह्ह्ह आपकी बुर कितनी लंबी है ( मै वासना में पागल सा होने लगा , विवेक कही गायब सा हो गया था मेरे लहजे में )
: पसंद है न तुझे मेरी गाड़ ( अम्मी अपने चूतड़ पर थपेड़ मारती हुई सवाल की )
: हा ( मै सर हिलाया )
: और क्या पसंद है बेटा ( अम्मी ने हवा में अपनी गाड़ हिलाती हुई बोली )
: आपके दूध सीईईई कितना बड़ा है और आपकी ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई आओ न प्लीज अह्ह्ह्ह्ह आजाओ जल रहा है नहीं रहा जा रहा है आजाओ न ( मै तड़पता हुआ बोला )
और अम्मी घुटने के बल पीछे आने लगी उनके बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए आपस में टकराते हुएं मेरी ओर बढ़ने लगे
मै हदस कर पीछे हो गया और अम्मी बेड से नीचे उतर गई , अभी भी अपनी गाड़ मेरी ओर किए हुए थी
: उम्मम ले आ गई और देखेगा ( अम्मी ने बिस्तर पर औंधे झुके हुए अपने पंजों से दुबारा अपने चूतड़ों को फाड़ दिया ) ले देख
: उम्मम अम्मीई अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ कितनी बड़ी और वो गुलाबी सुराख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अमीईई ( मै पागल सा होने लगा , मेरे लंड की नसे वीर्य से भर गई थी , सुपाड़े पर मानो पूरे बदन का खून भरने लगा , वो जलन वो पीड़ा सी उठ रही थी उसमें , अम्मी का रंडीपना देख कर आड़ो से लेकर सुपाड़े के मुहाने तक नसे डकार रही थी , बस एक स्पर्श और भलभला कर सारी गाढ़ी मलाई बाहर
अम्मी पूरे जोश में अपने चूतड़ हिला रही थी कमरे उनके चूतड़ एक ताल में तालिया बजा रहे थे और हर ताल के साथ अम्मी के गाड़ और बुर की गुलाबी झलक मिल जाती
मानो दोनों मुझे बुला रही हो अपने करीब और मै दो कदम आगे बढ़ गया और लंड को जड़ से पकड़ कर अम्मी के गदराई मोटी मोटी गाड़ के दरारों में टिका दिया
मेरे गर्म तपते लंड का स्पर्श पाते ही अम्मी भीतर से मचल उठी , उनके भीतर अलग ही काम की ज्वाला उठी
: या अल्लाह ओह्ह्ह कितना गर्म.. ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ( अम्मी मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह बस ऐसे ही आयेगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईईई अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अम्मीईई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह
और अगले ही पल मै भलभला कर अपनी के गाड़ के सुराखों में झड़ने लगा
खूब गाड़ी सफेद मलाई उनके मोटी गदराई गाड़ के सकरे दरारों में जाने लगी जो रिस कर अम्मी की बुर की ओर बढ़ने लगी और मै आखिरी बूंद के निचोड़ने तक अपना लंड अम्मी के गाड़ के दरारों में रखे रहा और अम्मी बेड पर अपनी गाड़ हवा में झुकी हुई हाफ रही थी
मै अपना लंड झाड़ कर दो बार उनके नरम चूतड़ों पर पटका और सुस्त होकर अम्मी के बगल में बिस्तर पर पैर लटका कर पसर गया वही अम्मी सरक पर नीचे फर्श पर घुटने के बल आ गई और बिस्तर पर सर रख कर सुस्ताने लगी ।
जारी रहेगी
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