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कहानी का नया अपडेट 32
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Thank youWahhhh outstanding writing skill, I read ur last story sapna ya hakikat... Marvelous
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
EXPLOSIVE, AMAZING, OUT OF WORLD, SO EROTIC I ALMOST CAME IN MY PAJAMAS
Bahut hi lajawaab jabrdast kamuk update
Kya hi mast nazara dikhaya hai ammi ne bete ko
Kya lajawab update tha bhai![]()
amazing wonderfull update
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
Absolutely super duper hit story writings!
mast,awesome aur ekdom umda update
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
?????
Nice
Bro waiting for updates
Post edit kar le bahan ke bhai
Warna writter moderator se kah kar terimaar jarur lega
Uska track clear hai es mamale me
Naani ki ghamasan chudai dekh kar maza aa gaya.... Lekin Shanu ne Farida ko car se aata dekha.. ye majra bhi samajhna padega.... aur Naani ne bhi farida ko smjhaya.. dekhte hn farida kese ab aagey badhegi...
Achcha build up tha bhai...
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अपडेट![]()
कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई हैWahhhh outstanding writing skill, I read ur last story sapna ya hakikat... Marvelous
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SuperUPDATE 031
लेवल-अप
शाम को देर से आंख खुली , पसीने से पूरा जिस्म चिपचिपा सा हो गया था , पेट के बल लेटा हुआ था मै बिस्तर पर ।
कानों में कुछ तड़कने और नथुनों में तेज मसाले की खुशबू आ रही थी , उस स्वादिष्ट मसाले का स्वाद अभी से मै मेरी जुबान पर महसूस करने लगा ।
घड़ी देखी तो 7 बजने वाले थे ।
मै उठा और अंगड़ाई लेता हुआ खड़ा हुआ , अम्मी के कमरे के आइने में खुद को निहारा । तो मेरा पैंट ऊपर तक चढ़ा था । खुद को आइने में देखते ही बीते पल की यादों से भर आया मै ।
अम्मी का यू मुझे सताना और फिर मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकना फिर मेरा उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों पर झड़ना । अभी तक जैसे सब कुछ सपने सा ही लग रहा था । यकीन नहीं हो पा रहा था चीजे इस कदर आसान हो सकती थी । अम्मी की जिस भड़कीले गाड़ का मै दीवाना था अम्मी ने खुद मुझे परोस दिया था ।
फिर मुझे अम्मी की याद आई और मै मुस्कुराता हुआ कमरे से निकल कर किचन की ओर आया कि किचन के बाहर ही हाल में मेरे पैर जम गए , आंखे बड़ी , मुंह खुल गया " अबे यार सीईईईई अमीईई उफ्फफ"
सामने अम्मी किचन सींक के पास खड़ी थी वो भी सिर्फ ब्रा पैंटी में
बड़ी सी मोटी भड़कीली गाड़ उनकी पैंटी से फैलकर बाहर निकली हुई जिसपे पैंटी की लास्टिक पूरी चुस्त । नंगी पीठ और ऊपर सिर्फ ब्रा , बगल से दिखती झलक में ब्रा में उनकी मोटी चूचियां हिल डुल रही थी बर्तन धुलते हुए ।
मोटी गदराई जांघें जिन्हें देख कर लिपटने का जी चाहता हो और मेरा लंड एकदम से अकड़ गया । मैने लोवर के ऊपर से उसको पकड़े हुए सिहरा
: अम्मी ये क्या है ? ( अपना लंड सहलाते कर उनके पास खड़ा हुआ मेरी नजरे उनके उभरे हुए कूल्हे पर जमी थी जिसपे पैंटी की परत चढ़ी थी )
: क्या? क्या है ? ( अम्मी शरारत भरी नजरो से मुस्कुराई )
: ये क्यों पहने हो ( मै ललचाई नजरो से अम्मी के रसीले मम्मों को ब्रा में हिलता देख कर थूक गटक कर बोला )
: तो क्या अब नंगी होकर घुमू तेरे सामने ( अम्मी ने फिर से मुस्कुरा कर मुझे देखा और अम्मी के शब्दों का सीधा असर मेरे लंड पर हो रहा था उन्हें नंगी देखने ही तलब मुझसे ज्यादा भला किस्में ही होगी । मै तो चाहता ही हूं कि अम्मी पूरा दिन और रात नंगी मेरे सामने रहे )
: अरे मेरा मतलब , आप तो सूट पहनी थी न तो निकाल क्यों दी ये पूछ रहा हूं मै ( मेरी आंखो में अब फिर से नशा उतर चुका था , मेरी नजरे अम्मी के चूतड़ों और चूचों से हट नहीं रही थी )
: क्यों इसमें अच्छी नहीं लग रही हूं क्या ? ( अम्मी ने मुझे उकसाया और मेरा लंड फड़का )
: बहुत ही सेक्सी अह्ह्ह्ह ( मैने जैसे ही उनकी तारीफ करते हुए उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों पर हाथ फेरने का सोचा था कि वो सरक गई )
: आहा छूना नहीं ( अम्मी पीछे होकर बोली और उनकी रसीली चूचियां मेरे आगे उछली , मै तड़प कर अपना लंड पकड़ना चाहा ) उसे भी नहीं हाथ लगाएगा तू ( एकदम से डांटा मुझे अम्मी ने )
: तो क्या आप बस मुझे तंग करोगे अब , न छूने दोगे और न कुछ करने दोगे ऐसे तो मै पागल हो जाऊंगा अम्मीई ( मै तड़प कर बोला )
: यही तो चाहती हूं मै ( अम्मी मुस्कुरा कर बुदबुदाई)
: क्या ? ( मै चौका )
: मै तुझे तड़पाने के लिए थोड़ी पहनी थी, वो तेरे अब्बू ने वीडियो कॉल किया था और तू तो जानता है कि उन्हें कपड़े उतरवाने में मजा आता है हीही, उनका फोन कटा तो सोचा गर्मी है इसीलिए मैने कपड़े नहीं डाले ।
मै चुपचाप अम्मी की बातें सुन रहा था और जैसे ही अम्मी ने वीडियो काल कर जिक्र किया , न जाने क्यों मेरे जहन में उस अंजान शख्स का ख्याल आया जिसका नंबर नगमा2 से सेव था
मेरे दिल में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी , अजीब सा तनाव बढ़ने लगा दिमाग में , जैसे कुछ मेरा हो जो मुझसे बहुत ही नजदीक से जुड़ा हो और मै उसे खो दूंगा । अम्मी ही एक मात्र मेरा कीमती खजाना थी । उनकी फिक्र उनकी शरारतें उनके लिए हुए फैसलों से मै बहुत परेशान हो जाता था । जब जब उस अंजान शख्स के बारे में ख्याल आता अम्मी की नजरो में मै खुद को पराया पाता , मानो अम्मी ने अपनी वफ़ाई मुझसे हटा कर उसे सौंप दी हो । एक गुस्सा एक खीझ जिसकी तीव्रता मेरे विचारों को संकीर्ण कर देती । अजीब सा पोजेसिवनेस बढ़ने लगा था अम्मी को लेकर , मन ही मन अब मै उनपर एक अप्रकट तौर पर अधिकार रखने लगा जैसे कि एक प्रेमी का अपनी अजीज प्रेमिका पर होता है ।
मेरी नजरे मोबाइल को तलाशने लगी , किचन रैक पर ऊपर ही रखी थी । मै हाथ बढ़ा कर लेना चाहा
: फिर मोबाइल!! जा नहा ले बदबू कर रहा है ( अम्मी ने डांट लगाई और मैने हाथ पीछे कर लिया )
वहा से निकल कर मै बाथरूम में चला गया ।
मैं नहा कर बाहर आया अंडरवियर में अम्मी खाना बना चुकी थी और हाल में सोफे पर पैरों पर पैर रख कर बैठे हुए मोबाइल चला रही थी , उनकी होठों पर मुस्कुराहट थी । मै देख रहा था इन दिनों वो मोबाइल से जुड़ी चीजें तेजी से सीख रही थी , chat करना भी लगभग आ चुका था और उससे बढ़ कर कि उन्हें छिपाना सिख गई ।बाते करके डिलीट कर देना , कॉल लॉग की हिस्ट्री हटाना सब और ये सब मुझे अब बेचैन कर रहा था । जब जब अम्मी कही कुछ छिपाने का प्रयास करती मेरे भीतर की जिज्ञासा और तीव्र हो जाती ।
सामने अम्मी थी , बड़े बड़े रसीले मम्में दोनों बाहों की गोद में बैठे हुए थे, उन्होंने पैरो पर पैर चढ़ा रखा था जिससे उनकी गदराई नंगी जांघ कूल्हे तक दिख रहे थी , नीचे सोफे पर चूतड़ फैले हुए अंदर तक धंसे हुए थे सोफे का वो भाग अम्मी के भारी वजन से कुछ ज्यादा ही दब गया था ।
: नहा लिया तू ( अम्मी ने मोबाइल चलाते हुए मुझे एक नजर देखा और मुस्कुराई )
: जी अम्मी ( मै उदास लहजे से बोला , पसंद नहीं आ रहा था अम्मी जिस तरह से मुस्कुरा रही थी । )
मेरी चुप्पी ने आखिर उनका ध्यान मेरी ओर खींचा
: अरे क्या हो गया , डांट दिया तो नाराज हो गया ( अम्मी ने मोबाइल रखते हुए कहा ) तू न बिल्कुल तेरे अब्बू पर गया है , उनको भी जब मैं मना कर देती थी तो मुंह फूला लेते थे ( अम्मी हस्ती हुई बोली )
अम्मी की बातों में मुझे फिर से रूचि पैदा हुई और मै जानने को इच्छुक हुआ कि वो किन बातों पर नाराज होते थे ।
: तो क्या अब्बू को भी आप मोबाइल नहीं चलाने देती थी ( मैने जानबूझ कर सवाल घुमाया )
: हिहीही तो क्या तुझे मोबाइल नहीं मिला इसीलिए नाराज है ? ( अम्मी के शरारती मुस्कुराहट से मुझे देखते हुए खड़ी हो गई )
: हा वो , नहीं वो ( न जाने क्यों मेरी धड़कने तेज हो गई )
: तुझे मोबाइल ही चाहिए न ,तो ले ( अम्मी हाथ में मोबाइल घुमाती हुई मेरे आगे बढ़ाई)
अम्मी की बाते मुझे ललचा रही थी , जहन कई तरह की कल्पनाएं उठ रही थी लंड एकदम फड़फड़ाने लगा अंडरवियर में टेंट बनने लगा ।
: अगर कुछ और चाहिए होता तो ? ( मैने थूक गटक सवाल किया , मेरी नजरो में मदहोशी उतर चुकी थी )
: लेकिन तुझे तो मोबाइल चाहिए न ? ( अम्मी ने मुंह में अपनी जीभ चलाईं और कातिल मुस्कुराहट से मुझे देखा )
वो मेरी तड़प समझ रही थी और उन्हें मुझे तड़पाने में मजा आ रहा था ।
मैने बस ना में बिना कुछ कहे सर हिलाया और उन्हें देखता रहा , मेरी नजरे उनके चौड़े कूल्हे पर जमी थी जहां से आगे की तरफ पैंटी जांघों के बीच जा रही थी । वो गुदाज नरम चर्बीदार जगह , जहां पर मोटापे की धारियां थी , चूत के ऊपरी भाग पर पेडू से नीचे जितना भी हिस्सा पैंटी ने ढक रखा था पूरा।
फूला हुआ और चर्बीदार था , पैंटी ने मानो सारी चर्बी को वही बटोर रखा हो । पैंटी के लास्टिक के जस्ट ऊपर अम्मी की गुदाज गहरी बड़ी नाभि और मखमली सा गोरा पेट , ऊपर बड़े रसीले मम्में जो डिजाइनर ब्रा में कसे थे
: फिर क्या चाहिए ? उम्मम ( अम्मी ने आंखे उचका कर पूछी और अगले ही पल मेरे आगे घूमते हुए आगे झुक कर अपने बड़े भड़कीले चूतड़ों को मेरी ओर घुमाते हुए एड़ियों के बल उन्हें हवा में उठा दिया ) ये ?
अम्मी की इस हरकत से उनकी गाड़ फेल गई और पैंटी उनके मोटे चूतड़ों के लकीरों की ओर खींच गई जिससे उनका चर्बीदार हिस्सा और भी नंगा हो गया , मेरी आँखें एकदम से फैल गई अम्मी की इस हरकत से उनकी बड़ी गाड़ मेरे आगे हिल रही थी
मै ललचाई नजरो से उन्हें देखता हुआ हा में सर हिलाया , मेरा हलक सूखने लगा था और लंड अंडरवियर में पूरा तन गया था , मेरे हाथ सहज उसे छू रहे थे अम्मी की नजरे बराबर मेरे तने हुए लंड की ओर थी , मगर इस बार उन्होंने मुझे रोका टोका नहीं
मेरी नजरे उनकी मादक आंखों पर जमी थी उनके इजाजत की राह देखती और वो मुस्कुरा कर पलके झपकाती हुई इजाजत देदी।
मै भीतर से सिहर उठा और लंड एकदम अकड़ कर तन गया ।
मैने अपने हाथ आगे बढ़ाए , मेरे हाथ कांप रहे थे , मानो पहली बार अम्मी के चूतड़ छूने के लिए बढ़ रहे हो , जल्दी ही मेरे गर्म पंजों ने उनकी बड़ी गाड़ की चर्बीदार चूतड़ों से चिपक गया , अह्ह्ह्ह कितना मुलायम और मखमली सा अहसास था , शायद ही इससे गुदाज कुछ मैने कभी अपने हथेली में महसूस किया था
मैने अपने पंजे अम्मी के चूतड़ के नंगे हिस्से पर घुमाया और जल्द ही मुझे अपने हथेलियों में हल्के दानेदार अहसास होने लगी, वो अम्मी के जिस्म के रोए थे जो उभर आए थे
मैने अम्मी की ओर देखा तो वो आंखे बंद कर ली थी और उनके चेहरे पर एक बेचैनी का भाव था , मेरे हाथ के स्पर्श को अपने भीतर महसूस कर रही थी
उन्हें देख कर मेरे अंदर उत्तेजना और भड़कने लगी , और मैने अपने पंजे में उसके बड़े चौड़े चूतड़ के नंगे हिस्से को भरते हुए नाखून लगा कर दबोचा और अम्मी सिसकी
: अह्ह्ह्ह शानू उम्मम क्या कर रहा है उम्मम ( अम्मी ने आंखे भींच कर सिसकी )
मगर मैने पूरी तसल्ली से अम्मी के चूतड़ के नरम नंगे भाग को हाथों के भर कर मसला और उसको पकड़ कर उनके चूतड़ को हल्का सा फैलाया जिससे उनकी पैंटी गाड़ की दरारों में और खींच गई
: छू लिया न अब छोड़ दे बेटा ( अम्मी की सांसे उखड़ रही थी )
: उफ्फ अम्मी कितनी बड़ी और मुलायम है अह्ह्ह्ह्ह ( मैने पूरे चूतड़ पर अपने पंजे सहलाते हुए बोला ) जी कर रहा है कि... ( मै बोलते हुए रुक गया , मेरी सांसे चढ़ने लगी, थोड़ी हिम्मत भी नहीं हो पा रही थी )
: उम्मम क्या बेटा क्या मन कर रहा है तेरा ( अम्मी मेरे रेंगते पंजे अपने चूतड़ पर महसूस करते हुए बोली )
: वो , आप डाटोगे नहीं न ( मै मेरे हाथ रोकते हुए बोला )
: क्या करना चाहता है बोल न ( अम्मी ने आंखे खोलकर मेरी ओर गर्दन फेर कर मुस्कुराते हुए बोली )
: किस्सी!!
: क्या ?
: किस्सी!! चुम्मी !! चुम्मी लेलु इसपर ( मैने हिम्मत करके बोला और अम्मी के मुंह से हंसी का फब्बारा फूट गया )
: बोलो न ( मैने थोड़ा बचपना दिखाया )
: हम्म्म ( उन्होंने वापस पलके झपका कर इजाजत दी और मै सिहर उठा )
मै उनके पीछे गया और घुटने के बल होकर उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों को दोनो पंजों से थामा , उनके गाड़ से आती मादक गंध मेरे नथुनों में भर रही थी । मेरा हलक सूख रहा था और तलब बढ़ रही थी ।
रह रह मेरे भीतर वासना का गुबार उठ रहा था और मेरी आंखो के आगे अम्मी अपनी गाड़ फैलाए झुकी थी , इस राह में कि कब मेरे होठ उनके गुदाज चर्बीदार चूतड़ों को चूमेंगे
मगर उनके जिस्म से आती मादक गंध से मेरे भीतर तूफान खड़ा हो गया था , मेरे पंजे उनके कूल्हे को कसने लगे और धीरे धीरे मै अम्मी के चूतड़ के करीब गया और पाउट करते हुए अपने होठ अम्मी के नरम फुले हुए चूतड़ों के नंगे भाग पर रख दिए
अम्मी एकदम से गिनगिनाई और हल्की सी सिसकी
मैने जस के तस अपने होठ उनके चर्बीदार चूतड़ों से जोड़े रखे और हाथों को आगे जांघों पर घुमाया
फिर दोनों पंजों से उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों को सहलाते हुए अपने होठ खोलकर अम्मी के गाड़ का वो नरम चर्बीदार हिस्सा चूसने लगा जैसे निप्पल चूसते है
अम्मी पूरी सिहर गई ,उनके पाव कांप रहे थे
मैने अपने चेहरे का दबाव उनके गुदाज चर्बीदार चूतड़ों पर रखते हुए अपने नथुनों सहित होठ को खुला छोड़ कर दरारों की ओर रेंगाया और अम्मी चिहुंक कर आगे हो गई
: बस हो गया ( अम्मी अलग होकर हाफ रही थी ) उठ खाना ला रही हूं खा ले
फिर अम्मी बिना मुझे देखे किचन में चली गई, एक किनारे जहां बर्तन रखे हुए थे मै उठ कर आया और अम्मी को वहीं बर्तन के पास खड़ा देखा एकदम चुप और शांत मगर उनकी चढ़ती सांसे साफ महसूस हो रही थी । मानो अगर कुछ पल और वो रुकती तो बहक ही जाती मेरे संग
मैने अपना लंड मसला और हाल में वापस आ गया ।
कुछ ही पल में वो बाहर आई और कमरे में चली गई फिर एक नाइटी डाल कर सीधा किचन में ।
हमने खाना खाया वो भी बिना कोई बात चीत किए , अम्मी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी मगर दुबारा से उनका नाइटी डाल लेना मुझे समझ नहीं आया ।
मन में कही उलझन थी कि कही मैने ज्यादा तो नहीं कर दिया इसीलिए वो नाराज हो , मगर उनकी मुस्कुराहट भरी नजरे कुछ और ही कह रही थी ।
मै हाथ धूल कर कमरे में चला गया
कुछ ही देर बाद अम्मी कमरे में आई , वो थोड़ी असहज दिख रही थी ।
करीब 45 मिनट से हमने कुछ भी बात चीत नहीं की थी । मै अभी तक सिर्फ अंडरवियर में था और बिस्तर पर फैला हुआ था ।
: शानू ( अम्मी झिझक कर बोली , मगर उनके चेहरे पर असहज मुस्कुराहट थी )
: जी अम्मी कहिए
: वो , क्या तू ऊपर सो जाएगा ? ( अम्मी थोड़ी लजाती हुई अपने होठ पीती हुई बोली )
: क्या हुआ , आपको अच्छा नहीं लगा न जो मैंने किया , सॉरी अम्मी ( मै उदास होकर बोला )
: अरे नहीं पागल ( अम्मी मुस्कुराई ) वो मुझे तेरे अब्बू से बात करनी है अकेले में ( अम्मी ने नजरे झुका लीं)
: हा तो करो न , मै भी सुनूंगा हीही ( मै एकदम से चहक कर बोला )
: क्या ? नहीं , तू जा न प्लीज ( अम्मी तेजी से बोली )
: उम्हू , आप बातें करो न मै डिस्टर्ब नहीं करूंगा प्रोमिस ( मै मिन्नते करता हुआ बड़ी उम्मीद भरी नजरो से बोला )
मगर अम्मी आज कुछ उलझी सी दिख रही थी , कुछ तो हिचक था उनमें ।शायद मेरी मौजूदगी ।
: तू जिद क्यों करता है , मानता क्यों नहीं । ( अम्मी थोड़ी सी रूठने को हुई तो मेरा भी मन उदास हो गया , एकदम से पराया सा महसूस करा देती थी अम्मी )
मै बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गया और कमरे से निकल गया ।
कुछ देर बाद मेरे कमरे की बत्ती एकदम से जली और मै आंखे मिज कर उठ कर बैठा तो सामने का नजारा देख कर आंखे बड़ी हो गई , चेहरे पर एक गजब की खुशी और आश्चर्य के भाव उभर आए
मेरे आगे अम्मी एक आसमानी रंग की बिजिबल नाइटी में खड़ी थी , जो पूरी तरह से स्लीवलेस थी और जांघों तक जा रहे थी , उस बिजिबल नाइटी में उनकी दूधिया चूचियां नंगी झलक रही थी और नीचे एक पतली सी थांग वाली पैंटी जो साथ उस नाइटी का सेट थी । पूरा पेट जांघें सब के सब बिजिबल
: नहीं अभी ऊपर आई हूं , हा , उसी को देखने , नहीं सो रहा है वो ( अम्मी मोबाइल पर अब्बू से बात करते हुए मुझे देखकर मुस्कुराई )
मै उठ कर बैठ गया और मेरे भीतर अम्मी का ये रूप देख कर खुशी की लहर उठने लगी थी , लंड में हरकत होने लगी थी ।
मुझे मुस्कुराता देख कर अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरा और शायद अब्बू उस वक्त कुछ बोल रहे थे
: धत्त नहीं , आप भी बिगड़ गए हो शरारती कही के ( अम्मी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुराई )
अम्मी की बातें सुनकर मुझे बेचैनी हुई आखिर अब्बू ने कया बोला
मै इशारे से उनको फोन स्पीकर पर करने को बोला तो वो भौहें टाइट कर ना में सर हिला कर मुझे घूरी और अगले ही पल खिलखिलाई
: नहीं मतलब नहीं ( फिर अम्मी मुझे आंखों से साथ चलने का इशारा करके घूम गई )
और जैसे ही वो घूमी उनकी बड़ी भड़कीली गांड पीछे से पूरी विजिबल नंगी , वो पतली ही पैंटी उनके गाड़ के दरारों के फंसी हुई थीं
अम्मी के बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए जा रहे थे उस बिजिबल नाइटी में । मैंने अपना लंड मसला और उनके पीछे हो लिया ।
: अरे बाबा अब क्या यही सीढ़ियों पर उतार दूं , कमरे में तो जाने दो ( अम्मी फोन पर जारी रही )
उनकी बातों से साफ जाहिर था कि अब्बू फूल मूड में है अम्मी को नंगी करने के , वो रोमांचक सोच कर ही लंड अकड़ रहा था ।
अम्मी सीढ़ियों से उतर कर एक नजर मुझे पीछे आता हुआ देखा और अब्बू से बातें करते हुए कमरे में चली गई । मै उनके पीछे हो लिया
कमरे में आते ही अम्मी ने इशारे से बिस्तर पर जाने को कहा और खुद भी लेट गई
: अरे उठाओ , भेजा है मैने ( अम्मी ने अब्बू को वीडियो कॉल की रिक्वेस्ट की , अम्मी की बढ़ती स्किल्स पर मुझे भी ताज्जुब हुआ कि वो तेजी से सीख रही है सब)
जैसे ही अब्बू ने वीडियो कॉल उठाया फोन खुद से स्पीकर पर आ गया
: अह्ह्ह्ह मेरी जान देखू तो , माशाअल्लाह क्या कयामत लग रही हो बेगम उम्मम सीईईईई उफ्फ ( अब्बू की आवाज आई और अम्मी ने एक नजर मुझे देखा , मै अब्बू की दिलफेंक बातो पर मुस्कुरा रहा था )
: आज बड़े शराफ़त के फूल झड़ रहे है जनाब के मुंह से उम्मम ( अम्मी ने मुझे देख कर अब्बू से इतरा कर बोली )
: क्या बताऊं सोचता हूं कही बेकाबू हो गया तो मुझे रोकेगा कौन ( अब्बू सिहर कर बोले )
: रुकना ही क्यों है उम्ममम , क्या मेरे ये जोबन आपको बहकाने के लिए काफी नहीं या बेपर्दा कर दूं इन्हें ( अम्मी ने वीडियो काल पर अब्बू को रिझाती हुई नाइटी के ऊपर से अपने बड़े रसीले मम्में को हाथ में पकड़ कर उन्हें दिखाती हुई बोली )
अम्मी की इस हरकत से उनकी चुची के निप्पल पूरी तरह से उभर आए उस बिजिबल नाइटी में और उनकी इस अदा से मेरा सुपाड़ा बाहर निकल आया अपनी खोल से , उफ्फ कितनी शरारती थी अम्मी और सारा दोष अब्बू को देती है ।
: अह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान , उफ्फ तेरे रसीले मम्मों का ही तो आशिक हु मै , अह्ह्ह्ह्ह जी कर रहा है कि इन्हें ऊपर से ही चूस लूं उम्मम ( अब्बू अब खुलने लगे और उनकी बात पर अम्मी मुस्कुरा कर मुझे देखी , मेरे भीतर अब बेचैनी होने लगी , लंड अकड़ गया था )
: आपको तो बस कपड़े पहना कर वही सब करना है और कोई शौक नहीं है क्या ? ( अम्मी ने ताना दिया )
: अरे मेरी जान पास होती तो तेरे जबरजस्त चूतड़ों की थिरकन भी देखता अपनी पसंद के गानों पर , क्या लाजवाब नाचती है तू उफ्फ , जरा एक बार दिखा दे न ( अब्बू ने दिल की बात कही )
: क्या ? धत्त नहीं ( अम्मी लजाते हुए मुझे देखी और मैने भी अब्बू की तरफदारी करते हुए इशारा किया )
: अरे मेरी जान मान जाओ न , कितने दिन हो गए तुम्हे नाचते देखे , मै गाना लगा रहा हूं रुको
और अगले ही पल अब्बू ने अपने दूसरे मोबाइल में गाना भी लगा दिया ।
अम्मी अब बेबस दिखने लगी वो बार बार मुझे देख रही थी और मेरा इशारा साफ था और मै भी उनका डांस देखने को बेताब था
उसपे से गाने की धुन इतनी लाजवाब थी कि अम्मी खुद के कूल्हे मटकाने से अपने आप को रोक भी नहीं पाई और बिस्तर पर ही एक तकिया से मोबाइल टीका दिया और आगे थिरकने लगी ,
मै मोबाईल के पीछे था और अपनी टांगे फैलाए हुए लंड को हल्का सा सहलाया
उफ्फ अम्मी में मूव्स गजब के थे और जब वो अपने कंधे झटकती तो उनके बिना ब्रा के उनके मोटे मम्मे खूब उछल कूद करते उसपे से उनकी बड़ी थुलथुली सी गाड़ ऐसे झटके दे रही थी मानो मै पागल ही हो जा रहा था
तभी अम्मी घूम कर नाचते अपनी गाड़ को मोबाइल के कैमरे में अपनी गाड़ उछाली
उफ्फ अम्मी की शॉर्ट बिजिबल नाइटी से उनके चूतड़ बाहर आ गए , नाइटी पूरी कमर तक चली गई, वो पतली सी डोरी वाली पैंटी तो गाड़ के दरारों में कही खो सी गई थी , जिससे अम्मी की गाड़ पूरी नंगी दिख रही थी
मै पागल हो गया और अंडरवियर में मेरा लंड तम्बू बना चुका था , कड़कपन की वजह से लंड में दर्द होने लगा था और मैने उसको बाहर निकाल लिया और हल्के से सहलाने लगा
एकाएक अम्मी की नजर मुझपर गई और उन्होंने गुस्से भरी आंखों से मुझे घूरा , मैने झट से हाथ लंड से हटा दिया
: अह्ह्ह्ह जानेमन , जरा ऊपर से अपने रसीले मम्मों को बेपर्दा तो करो ( अब्बू ने गाना बंद कर कहा )
फिर अम्मी अगले ही पल मुझे देखी और मुस्कुराते हुए घुटने के बल होते हुए अपने जिस्म से अपनी नाइटी को निकाल कर मोबाइल की के ऐसे उछाला , जैसे अब्बू को लगे कि अम्मी ने उन्हें दिया हो , लेकिन वो नाइटी उड़कर सीधे मेरे तने हुए लंड पर आ गई
अम्मी की इस हरकत ने मैं और कामोत्तेजक हो उठा और लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
वही सामने अम्मी बिना मेरे दर्द और बेताबी को समझे अब्बू के आगे अपने चूचे खोल कर उन्हें सहलाने लगी
: ओह्ह्ह मेरी जान कितने रसीले है तेरे दूध उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जी करता है खा जाऊ अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( अब्बू की आवाज आई )
: तो आजाओ न मेरी जान, अह्ह्ह्ह्ह देखो कितने कड़क हो गए है ( अम्मी अब्बू को देखकर बोली और एक नजर मुझे देखा मै उनकी नाइटी को अपने चेहरे पर ओढ चुका था और मेरा हाथ बस आड़ो से लेकर लंड के सुपाड़े तक रेंग रहा था ।)
: अह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बेगम उम्मम तुम्हारे रसीले मम्में पर मै झड़ना चाहता हूं अह्ह्ह्ह्ह इनको अपने रस से लिपना चाहता हूं
: उफ्फ मेरे सरताज आजाओ न अह्ह्ह्ह बहा दो मेरे दूध पर अपना पानी अह्ह्ह्ह मुझे भी आपके गर्म पानी से नहाना पसंद है ( अम्मी बिना झिझक कर मेरे सामने बोले जा रही थी और उनकी बातें सुनकर मेरा लंड पंप हो रहा था )
मै बदहवास होकर अफ़नाई सांसे से उन्हें लालच भरी नजरो से निहार रहा था ,और लंड मेरा पूरा अकड़ा हुआ तन गया था , अम्मी भी मेरे लाल सुपाड़े को देख रही थी और लंड की नसों की गांठे उभर आई थी ।
अगली जब उन्होंने मुझे देखा तो मै भुनभुनाया : अम्मीई प्लीज
अम्मी ने फिर गुस्से में मुझे घूरा,
: उफ्फ मेरी जान जरा अपने जन्नत के दरवाजे तो खोलो देखें तो कैसे है ( अब्बू का इशारा अम्मी की बुर की ओर था और अम्मी मुस्कुराई )
: लो देख लो मेरे राजा, ये नजारा खास आपके लिए है
अम्मी ने उस हल्की पैंटी के ऊपर से अपनी झांट भरी चूत के पास मोबाईल ले गई नीचे
वो नजारा मेरी आंखो से दूर था क्योंकि अम्मी बेड के नीचे थी और मै दूसरी ओर टेक लगाए बैठा था
: ओह्ह्ह्ह सीईईईई कितनी रसीली है , जब मै आऊ तो इसे साफ कर देना अच्छे से चूसना है मुझे ( अब्बू की आवाज आई )
: अह्ह्ह्ह नहीं , आप आना खुद करना , मुझसे नहीं होता है अच्छे से अह्ह्ह्ह ( अम्मी सिहर कर अपनी बुर मसलती हुई बोली और उनकी नजरे अभी तक मुझपर थी कि कही मै छुपकर लंड न सहलाऊ )
: तुम फिकर न करो , मै कल रहीम को भेज दूंगा , वो कर देगा और तुम्हारी जलन वाली दिक्कत भी जांच लेगा ( अब्बू एक सास में बोले , ये सुनते ही मेरे और अम्मी दोनों के कान खड़े और चौकन्नी नजरे टकराई , अम्मी की हालत कुछ बिगड़ती दिखी )
: ये , क्या कह रहे है शानू के अब्बू आप ? पागल है क्या ? कोई जरूरत नहीं है उन्हें भेजने की । ( अम्मी पूरी तरह से सफाई देती हुई दिखी और मै तो पूरी तरफ भन्नाया हुआ था कि बीसी चल क्या रहा है )
: ऑफ़ो शानू की अम्मी , अब जिद मत करो , पहले भी तुम उसे दिखा चुकी हो । याद नहीं तुम्हारे निप्पल दर्द की जांच भी तो उसी ने की थी ।
: लेकिन घर में शानू भी तो होगा ? ( अम्मी ने मुझे देख कर कहा )
: अरे उसे कही भेज देना , और 10 मिनट का समय लगेगा ज्यादा नहीं , प्लीज मेरी जान मान जाओ न बस एक आखिरी बार तुम्हे शानू की कसम ( अब्बू ने एकदम से अम्मी को जज्बाती कर दिया )
: ये ठीक नहीं है , छोड़िए मेरा मूड नहीं है कुछ , बाय ( अम्मी ने मोबाइल बंद कर दिया )
अम्मी के चेहरे रंग उड़े हुए थे और फिर वो वैसे ही आ कर मेरे बगल में बैठ गई ।
एक तरह से देखा जाए तो अब्बू की बात मुझे सही भी लगी , आखिरी अब्बू के भरोसे से डॉ थे वो फिर अम्मी ने पहले भी उनसे ट्रीटमेट लिया था ।
: देखा न तूने , कैसे ये मुझे परेशान करते है ? जब इन्हें लगता है कि मै नहीं मानूंगी तेरी कसम दे देते है मुझे ( अम्मी उखड़ कर बोली )
लेकिन अम्मी की बातों से साफ जाहिर था कि उन्हें मेरी फिकर ज्यादा है । जिससे मै खुश हो गया था और उनके पास आकर उनकी बाह पकड़ कर उनसे लिपट गया
: अम्मी , कोई बात नहीं , अब्बू ने कुछ सोच कर ही कहा होगा और फिर डॉ अंकल तो अच्छे है न । फिर क्या दिक्कत है ? ( मैने उन्हें प्यार से बोला)
: तुझे अच्छा लगेगा क्या कि तेरी अम्मी किसी गैर मर्द के आगे अपनी टांगे फैलाए लेती रहे , बोल ? और कही उनका ईमान डोल गया तो ? ( अम्मी ने जायज सवाल रखे ) नहीं मुझसे नहीं होगा
: अम्मी , अम्मी सुनो देखो मै भी तो रहूंगा ही न घर में और कुछ बात होगी ऐसी तो आवाज दे देना मै फौरन आ जाऊंगा अंदर , देखो आपको इलाज करवाना चाहिए मेरी समझ से । अब्बू सही कह रहे है
अम्मी अब थोड़ी नॉर्मल हुई
: पक्का?
: हा अम्मी , मुझे यकीन है ऐसा कुछ नहीं होगा आप टेंशन न लें ( मै उनसे लिपट कर बोला और उनके गुदाज नंगे जिस्म का स्पर्श पाकर मेरा लंड फिर से हरकत करने लगा )
मैने शांत माहौल देखकर हौले से अम्मी के बाजू से अपने उंगलियों से आगे बढ़ा कर उनकी नंगी झूलती चुची को छुआ ।
जैसे ही अम्मी ने मेरी उंगलियां महसू की वो फौरन मुझे देखी और मुस्कुरा पड़ी
: अब ये क्या कर रहा है तू , हटा हाथ ( अम्मी खुद से कोई प्रयास नहीं किया था हटाने का )
: हीही कितनी सॉफ्टी है , बस एक बार छूने दो न ( और मैने दांत दिखाते हुए अम्मी ने चूचे को हाथ में भर लिए और हथेली की कटोरी बना कर अम्मी के कड़क निप्पल पर घुमाया जिससे अम्मी सिसक पड़ी )
: अह्ह्ह्ह पागल मत कर न ( अम्मी ने इस बार मेरे हाथ पर चपत लगाई , लेकिन हाथ नहीं हटाया )
: अम्मी वो परेशान कर रहा और दर्द हो रहा है , नुनु ( मै मुंह बना कर बोला )
: अच्छा ठीक है आज मेरी गोदी में ( अम्मी मुस्कुरा कर अपने टांगे फैलाए और मै उन्हें जांघों पर पीठ टिका कर उनकी गोद में आ गया )
फिर अगले ही पल अम्मी ने मेरा लंड पकड़ लिया
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह कितना सॉफ्टी पकड़े हो अह्ह्ह्ह जैसे निकल ही जाएगा अह्ह्ह्ह ( मै पागल होने लगा )
अम्मी की नंगी गुदाज जांघें मेरे नंगे पीठ को गुदगुदा रही थी और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर अम्मी की रसीली छातियां झूल रही थी ,उनके बड़े घेरे वाले गुलाबी निप्पल मेरे आंखों के आगे नाच रहे थे
: इसीलिए बोल रही थी कि तू ऊपर चला जा , परेशान हो गया न ( अम्मी ने लंड सहलाते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी कैसे नहीं होता , अब्बू और बातें की ऐसे कर रहे थे अह्ह्ह्ह ( मेरे गले में पानी आने लगा था , जीभ चटकारे लेने लगी थी नजरे बस अम्मी के चुचियों पर जमी थी )
: अम्मी दूदू पीना है ! ( मैने मदहोश नजरो से उन्हें देखा , मेरे चेहरे पर वासना का बादल छाया हुआ था , चेहरे और सूखते होठ मेरे भीतर की भूख को साफ साफ बया कर रहे थे उसपे से अम्मी का हाथ मेरे लंड को कसे हुए था
अब अम्मी की ममता जागी या वासना उन्होंने मुस्कुरा कर मेरे माथे पर हाथ घुमाया और मैने आंखे बंद कर अपनी गर्दन को ऊपर कर दिया और लटके हुए चूचि के कड़क निप्पल की टिप पर जीभ फिराई और अगले ही पल उसे होठों से सूरक लिया और चूसने लगा
: अह्ह्ह्ह शानू आराम से बेटा अह्ह्ह्ह उम्मम दर्द होता है अभी भी अह्ह्ह्ह बेटा ( अम्मी ने सिसक कर अपने पंजे मेरे लंड को भींचा )
मै और अकड़ गया और उनकी चुची को पीने लगा जैसे गोद में लेटा बच्चा पीता हो
: उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा अह्ह्ह्ह ले पी ले मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
अम्मी के सिहरे हुए लफ़्ज़ मुझे पागल कर रहे थे वहीं नीचे वो तेजी से लंड को सहला रही थी मै अकड़ा जा रहा था और तभी मेरा लावा फूटा
भलभला कर मै झटके मारने लगा , लेकिन मैंने अम्मी के चूचों को छोड़ा नहीं और अम्मी मेरे झड़ते लंड को लगातार सहलाती हुई निचोड़ती रही मै खुद के ऊपर ही झड़ रहा था
और जल्द ही मै खामोश हो गया , मुंह खोल दिया और अम्मी की गोद में शांत हो गया ।
मेरा सीना जोरो से धड़क रहा था , जीभ गला सूख रहा था और लंड धीरे धीरे शांत हो रहा था । वही अम्मी मुस्कुरा कर मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी , और उनका स्पर्श मुझे नीद के आगोश में ले जा चुका था ।
वही देर रात एक बार फिर अम्मी की सिसकियों भरी कुंमुनाहट ने मेरी आँखें खोल दी थी
जारी रहेगी ।
आप सभी से अनुरोध है कि पढ़ कर रेवो जरूर करें
कहानी जल्द ही अपने आखिरी फेज में आने वाली है।
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 031
लेवल-अप
शाम को देर से आंख खुली , पसीने से पूरा जिस्म चिपचिपा सा हो गया था , पेट के बल लेटा हुआ था मै बिस्तर पर ।
कानों में कुछ तड़कने और नथुनों में तेज मसाले की खुशबू आ रही थी , उस स्वादिष्ट मसाले का स्वाद अभी से मै मेरी जुबान पर महसूस करने लगा ।
घड़ी देखी तो 7 बजने वाले थे ।
मै उठा और अंगड़ाई लेता हुआ खड़ा हुआ , अम्मी के कमरे के आइने में खुद को निहारा । तो मेरा पैंट ऊपर तक चढ़ा था । खुद को आइने में देखते ही बीते पल की यादों से भर आया मै ।
अम्मी का यू मुझे सताना और फिर मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकना फिर मेरा उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों पर झड़ना । अभी तक जैसे सब कुछ सपने सा ही लग रहा था । यकीन नहीं हो पा रहा था चीजे इस कदर आसान हो सकती थी । अम्मी की जिस भड़कीले गाड़ का मै दीवाना था अम्मी ने खुद मुझे परोस दिया था ।
फिर मुझे अम्मी की याद आई और मै मुस्कुराता हुआ कमरे से निकल कर किचन की ओर आया कि किचन के बाहर ही हाल में मेरे पैर जम गए , आंखे बड़ी , मुंह खुल गया " अबे यार सीईईईई अमीईई उफ्फफ"
सामने अम्मी किचन सींक के पास खड़ी थी वो भी सिर्फ ब्रा पैंटी में
बड़ी सी मोटी भड़कीली गाड़ उनकी पैंटी से फैलकर बाहर निकली हुई जिसपे पैंटी की लास्टिक पूरी चुस्त । नंगी पीठ और ऊपर सिर्फ ब्रा , बगल से दिखती झलक में ब्रा में उनकी मोटी चूचियां हिल डुल रही थी बर्तन धुलते हुए ।
मोटी गदराई जांघें जिन्हें देख कर लिपटने का जी चाहता हो और मेरा लंड एकदम से अकड़ गया । मैने लोवर के ऊपर से उसको पकड़े हुए सिहरा
: अम्मी ये क्या है ? ( अपना लंड सहलाते कर उनके पास खड़ा हुआ मेरी नजरे उनके उभरे हुए कूल्हे पर जमी थी जिसपे पैंटी की परत चढ़ी थी )
: क्या? क्या है ? ( अम्मी शरारत भरी नजरो से मुस्कुराई )
: ये क्यों पहने हो ( मै ललचाई नजरो से अम्मी के रसीले मम्मों को ब्रा में हिलता देख कर थूक गटक कर बोला )
: तो क्या अब नंगी होकर घुमू तेरे सामने ( अम्मी ने फिर से मुस्कुरा कर मुझे देखा और अम्मी के शब्दों का सीधा असर मेरे लंड पर हो रहा था उन्हें नंगी देखने ही तलब मुझसे ज्यादा भला किस्में ही होगी । मै तो चाहता ही हूं कि अम्मी पूरा दिन और रात नंगी मेरे सामने रहे )
: अरे मेरा मतलब , आप तो सूट पहनी थी न तो निकाल क्यों दी ये पूछ रहा हूं मै ( मेरी आंखो में अब फिर से नशा उतर चुका था , मेरी नजरे अम्मी के चूतड़ों और चूचों से हट नहीं रही थी )
: क्यों इसमें अच्छी नहीं लग रही हूं क्या ? ( अम्मी ने मुझे उकसाया और मेरा लंड फड़का )
: बहुत ही सेक्सी अह्ह्ह्ह ( मैने जैसे ही उनकी तारीफ करते हुए उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों पर हाथ फेरने का सोचा था कि वो सरक गई )
: आहा छूना नहीं ( अम्मी पीछे होकर बोली और उनकी रसीली चूचियां मेरे आगे उछली , मै तड़प कर अपना लंड पकड़ना चाहा ) उसे भी नहीं हाथ लगाएगा तू ( एकदम से डांटा मुझे अम्मी ने )
: तो क्या आप बस मुझे तंग करोगे अब , न छूने दोगे और न कुछ करने दोगे ऐसे तो मै पागल हो जाऊंगा अम्मीई ( मै तड़प कर बोला )
: यही तो चाहती हूं मै ( अम्मी मुस्कुरा कर बुदबुदाई)
: क्या ? ( मै चौका )
: मै तुझे तड़पाने के लिए थोड़ी पहनी थी, वो तेरे अब्बू ने वीडियो कॉल किया था और तू तो जानता है कि उन्हें कपड़े उतरवाने में मजा आता है हीही, उनका फोन कटा तो सोचा गर्मी है इसीलिए मैने कपड़े नहीं डाले ।
मै चुपचाप अम्मी की बातें सुन रहा था और जैसे ही अम्मी ने वीडियो काल कर जिक्र किया , न जाने क्यों मेरे जहन में उस अंजान शख्स का ख्याल आया जिसका नंबर नगमा2 से सेव था
मेरे दिल में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी , अजीब सा तनाव बढ़ने लगा दिमाग में , जैसे कुछ मेरा हो जो मुझसे बहुत ही नजदीक से जुड़ा हो और मै उसे खो दूंगा । अम्मी ही एक मात्र मेरा कीमती खजाना थी । उनकी फिक्र उनकी शरारतें उनके लिए हुए फैसलों से मै बहुत परेशान हो जाता था । जब जब उस अंजान शख्स के बारे में ख्याल आता अम्मी की नजरो में मै खुद को पराया पाता , मानो अम्मी ने अपनी वफ़ाई मुझसे हटा कर उसे सौंप दी हो । एक गुस्सा एक खीझ जिसकी तीव्रता मेरे विचारों को संकीर्ण कर देती । अजीब सा पोजेसिवनेस बढ़ने लगा था अम्मी को लेकर , मन ही मन अब मै उनपर एक अप्रकट तौर पर अधिकार रखने लगा जैसे कि एक प्रेमी का अपनी अजीज प्रेमिका पर होता है ।
मेरी नजरे मोबाइल को तलाशने लगी , किचन रैक पर ऊपर ही रखी थी । मै हाथ बढ़ा कर लेना चाहा
: फिर मोबाइल!! जा नहा ले बदबू कर रहा है ( अम्मी ने डांट लगाई और मैने हाथ पीछे कर लिया )
वहा से निकल कर मै बाथरूम में चला गया ।
मैं नहा कर बाहर आया अंडरवियर में अम्मी खाना बना चुकी थी और हाल में सोफे पर पैरों पर पैर रख कर बैठे हुए मोबाइल चला रही थी , उनकी होठों पर मुस्कुराहट थी । मै देख रहा था इन दिनों वो मोबाइल से जुड़ी चीजें तेजी से सीख रही थी , chat करना भी लगभग आ चुका था और उससे बढ़ कर कि उन्हें छिपाना सिख गई ।बाते करके डिलीट कर देना , कॉल लॉग की हिस्ट्री हटाना सब और ये सब मुझे अब बेचैन कर रहा था । जब जब अम्मी कही कुछ छिपाने का प्रयास करती मेरे भीतर की जिज्ञासा और तीव्र हो जाती ।
सामने अम्मी थी , बड़े बड़े रसीले मम्में दोनों बाहों की गोद में बैठे हुए थे, उन्होंने पैरो पर पैर चढ़ा रखा था जिससे उनकी गदराई नंगी जांघ कूल्हे तक दिख रहे थी , नीचे सोफे पर चूतड़ फैले हुए अंदर तक धंसे हुए थे सोफे का वो भाग अम्मी के भारी वजन से कुछ ज्यादा ही दब गया था ।
: नहा लिया तू ( अम्मी ने मोबाइल चलाते हुए मुझे एक नजर देखा और मुस्कुराई )
: जी अम्मी ( मै उदास लहजे से बोला , पसंद नहीं आ रहा था अम्मी जिस तरह से मुस्कुरा रही थी । )
मेरी चुप्पी ने आखिर उनका ध्यान मेरी ओर खींचा
: अरे क्या हो गया , डांट दिया तो नाराज हो गया ( अम्मी ने मोबाइल रखते हुए कहा ) तू न बिल्कुल तेरे अब्बू पर गया है , उनको भी जब मैं मना कर देती थी तो मुंह फूला लेते थे ( अम्मी हस्ती हुई बोली )
अम्मी की बातों में मुझे फिर से रूचि पैदा हुई और मै जानने को इच्छुक हुआ कि वो किन बातों पर नाराज होते थे ।
: तो क्या अब्बू को भी आप मोबाइल नहीं चलाने देती थी ( मैने जानबूझ कर सवाल घुमाया )
: हिहीही तो क्या तुझे मोबाइल नहीं मिला इसीलिए नाराज है ? ( अम्मी के शरारती मुस्कुराहट से मुझे देखते हुए खड़ी हो गई )
: हा वो , नहीं वो ( न जाने क्यों मेरी धड़कने तेज हो गई )
: तुझे मोबाइल ही चाहिए न ,तो ले ( अम्मी हाथ में मोबाइल घुमाती हुई मेरे आगे बढ़ाई)
अम्मी की बाते मुझे ललचा रही थी , जहन कई तरह की कल्पनाएं उठ रही थी लंड एकदम फड़फड़ाने लगा अंडरवियर में टेंट बनने लगा ।
: अगर कुछ और चाहिए होता तो ? ( मैने थूक गटक सवाल किया , मेरी नजरो में मदहोशी उतर चुकी थी )
: लेकिन तुझे तो मोबाइल चाहिए न ? ( अम्मी ने मुंह में अपनी जीभ चलाईं और कातिल मुस्कुराहट से मुझे देखा )
वो मेरी तड़प समझ रही थी और उन्हें मुझे तड़पाने में मजा आ रहा था ।
मैने बस ना में बिना कुछ कहे सर हिलाया और उन्हें देखता रहा , मेरी नजरे उनके चौड़े कूल्हे पर जमी थी जहां से आगे की तरफ पैंटी जांघों के बीच जा रही थी । वो गुदाज नरम चर्बीदार जगह , जहां पर मोटापे की धारियां थी , चूत के ऊपरी भाग पर पेडू से नीचे जितना भी हिस्सा पैंटी ने ढक रखा था पूरा।
फूला हुआ और चर्बीदार था , पैंटी ने मानो सारी चर्बी को वही बटोर रखा हो । पैंटी के लास्टिक के जस्ट ऊपर अम्मी की गुदाज गहरी बड़ी नाभि और मखमली सा गोरा पेट , ऊपर बड़े रसीले मम्में जो डिजाइनर ब्रा में कसे थे
: फिर क्या चाहिए ? उम्मम ( अम्मी ने आंखे उचका कर पूछी और अगले ही पल मेरे आगे घूमते हुए आगे झुक कर अपने बड़े भड़कीले चूतड़ों को मेरी ओर घुमाते हुए एड़ियों के बल उन्हें हवा में उठा दिया ) ये ?
अम्मी की इस हरकत से उनकी गाड़ फेल गई और पैंटी उनके मोटे चूतड़ों के लकीरों की ओर खींच गई जिससे उनका चर्बीदार हिस्सा और भी नंगा हो गया , मेरी आँखें एकदम से फैल गई अम्मी की इस हरकत से उनकी बड़ी गाड़ मेरे आगे हिल रही थी
मै ललचाई नजरो से उन्हें देखता हुआ हा में सर हिलाया , मेरा हलक सूखने लगा था और लंड अंडरवियर में पूरा तन गया था , मेरे हाथ सहज उसे छू रहे थे अम्मी की नजरे बराबर मेरे तने हुए लंड की ओर थी , मगर इस बार उन्होंने मुझे रोका टोका नहीं
मेरी नजरे उनकी मादक आंखों पर जमी थी उनके इजाजत की राह देखती और वो मुस्कुरा कर पलके झपकाती हुई इजाजत देदी।
मै भीतर से सिहर उठा और लंड एकदम अकड़ कर तन गया ।
मैने अपने हाथ आगे बढ़ाए , मेरे हाथ कांप रहे थे , मानो पहली बार अम्मी के चूतड़ छूने के लिए बढ़ रहे हो , जल्दी ही मेरे गर्म पंजों ने उनकी बड़ी गाड़ की चर्बीदार चूतड़ों से चिपक गया , अह्ह्ह्ह कितना मुलायम और मखमली सा अहसास था , शायद ही इससे गुदाज कुछ मैने कभी अपने हथेली में महसूस किया था
मैने अपने पंजे अम्मी के चूतड़ के नंगे हिस्से पर घुमाया और जल्द ही मुझे अपने हथेलियों में हल्के दानेदार अहसास होने लगी, वो अम्मी के जिस्म के रोए थे जो उभर आए थे
मैने अम्मी की ओर देखा तो वो आंखे बंद कर ली थी और उनके चेहरे पर एक बेचैनी का भाव था , मेरे हाथ के स्पर्श को अपने भीतर महसूस कर रही थी
उन्हें देख कर मेरे अंदर उत्तेजना और भड़कने लगी , और मैने अपने पंजे में उसके बड़े चौड़े चूतड़ के नंगे हिस्से को भरते हुए नाखून लगा कर दबोचा और अम्मी सिसकी
: अह्ह्ह्ह शानू उम्मम क्या कर रहा है उम्मम ( अम्मी ने आंखे भींच कर सिसकी )
मगर मैने पूरी तसल्ली से अम्मी के चूतड़ के नरम नंगे भाग को हाथों के भर कर मसला और उसको पकड़ कर उनके चूतड़ को हल्का सा फैलाया जिससे उनकी पैंटी गाड़ की दरारों में और खींच गई
: छू लिया न अब छोड़ दे बेटा ( अम्मी की सांसे उखड़ रही थी )
: उफ्फ अम्मी कितनी बड़ी और मुलायम है अह्ह्ह्ह्ह ( मैने पूरे चूतड़ पर अपने पंजे सहलाते हुए बोला ) जी कर रहा है कि... ( मै बोलते हुए रुक गया , मेरी सांसे चढ़ने लगी, थोड़ी हिम्मत भी नहीं हो पा रही थी )
: उम्मम क्या बेटा क्या मन कर रहा है तेरा ( अम्मी मेरे रेंगते पंजे अपने चूतड़ पर महसूस करते हुए बोली )
: वो , आप डाटोगे नहीं न ( मै मेरे हाथ रोकते हुए बोला )
: क्या करना चाहता है बोल न ( अम्मी ने आंखे खोलकर मेरी ओर गर्दन फेर कर मुस्कुराते हुए बोली )
: किस्सी!!
: क्या ?
: किस्सी!! चुम्मी !! चुम्मी लेलु इसपर ( मैने हिम्मत करके बोला और अम्मी के मुंह से हंसी का फब्बारा फूट गया )
: बोलो न ( मैने थोड़ा बचपना दिखाया )
: हम्म्म ( उन्होंने वापस पलके झपका कर इजाजत दी और मै सिहर उठा )
मै उनके पीछे गया और घुटने के बल होकर उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों को दोनो पंजों से थामा , उनके गाड़ से आती मादक गंध मेरे नथुनों में भर रही थी । मेरा हलक सूख रहा था और तलब बढ़ रही थी ।
रह रह मेरे भीतर वासना का गुबार उठ रहा था और मेरी आंखो के आगे अम्मी अपनी गाड़ फैलाए झुकी थी , इस राह में कि कब मेरे होठ उनके गुदाज चर्बीदार चूतड़ों को चूमेंगे
मगर उनके जिस्म से आती मादक गंध से मेरे भीतर तूफान खड़ा हो गया था , मेरे पंजे उनके कूल्हे को कसने लगे और धीरे धीरे मै अम्मी के चूतड़ के करीब गया और पाउट करते हुए अपने होठ अम्मी के नरम फुले हुए चूतड़ों के नंगे भाग पर रख दिए
अम्मी एकदम से गिनगिनाई और हल्की सी सिसकी
मैने जस के तस अपने होठ उनके चर्बीदार चूतड़ों से जोड़े रखे और हाथों को आगे जांघों पर घुमाया
फिर दोनों पंजों से उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों को सहलाते हुए अपने होठ खोलकर अम्मी के गाड़ का वो नरम चर्बीदार हिस्सा चूसने लगा जैसे निप्पल चूसते है
अम्मी पूरी सिहर गई ,उनके पाव कांप रहे थे
मैने अपने चेहरे का दबाव उनके गुदाज चर्बीदार चूतड़ों पर रखते हुए अपने नथुनों सहित होठ को खुला छोड़ कर दरारों की ओर रेंगाया और अम्मी चिहुंक कर आगे हो गई
: बस हो गया ( अम्मी अलग होकर हाफ रही थी ) उठ खाना ला रही हूं खा ले
फिर अम्मी बिना मुझे देखे किचन में चली गई, एक किनारे जहां बर्तन रखे हुए थे मै उठ कर आया और अम्मी को वहीं बर्तन के पास खड़ा देखा एकदम चुप और शांत मगर उनकी चढ़ती सांसे साफ महसूस हो रही थी । मानो अगर कुछ पल और वो रुकती तो बहक ही जाती मेरे संग
मैने अपना लंड मसला और हाल में वापस आ गया ।
कुछ ही पल में वो बाहर आई और कमरे में चली गई फिर एक नाइटी डाल कर सीधा किचन में ।
हमने खाना खाया वो भी बिना कोई बात चीत किए , अम्मी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी मगर दुबारा से उनका नाइटी डाल लेना मुझे समझ नहीं आया ।
मन में कही उलझन थी कि कही मैने ज्यादा तो नहीं कर दिया इसीलिए वो नाराज हो , मगर उनकी मुस्कुराहट भरी नजरे कुछ और ही कह रही थी ।
मै हाथ धूल कर कमरे में चला गया
कुछ ही देर बाद अम्मी कमरे में आई , वो थोड़ी असहज दिख रही थी ।
करीब 45 मिनट से हमने कुछ भी बात चीत नहीं की थी । मै अभी तक सिर्फ अंडरवियर में था और बिस्तर पर फैला हुआ था ।
: शानू ( अम्मी झिझक कर बोली , मगर उनके चेहरे पर असहज मुस्कुराहट थी )
: जी अम्मी कहिए
: वो , क्या तू ऊपर सो जाएगा ? ( अम्मी थोड़ी लजाती हुई अपने होठ पीती हुई बोली )
: क्या हुआ , आपको अच्छा नहीं लगा न जो मैंने किया , सॉरी अम्मी ( मै उदास होकर बोला )
: अरे नहीं पागल ( अम्मी मुस्कुराई ) वो मुझे तेरे अब्बू से बात करनी है अकेले में ( अम्मी ने नजरे झुका लीं)
: हा तो करो न , मै भी सुनूंगा हीही ( मै एकदम से चहक कर बोला )
: क्या ? नहीं , तू जा न प्लीज ( अम्मी तेजी से बोली )
: उम्हू , आप बातें करो न मै डिस्टर्ब नहीं करूंगा प्रोमिस ( मै मिन्नते करता हुआ बड़ी उम्मीद भरी नजरो से बोला )
मगर अम्मी आज कुछ उलझी सी दिख रही थी , कुछ तो हिचक था उनमें ।शायद मेरी मौजूदगी ।
: तू जिद क्यों करता है , मानता क्यों नहीं । ( अम्मी थोड़ी सी रूठने को हुई तो मेरा भी मन उदास हो गया , एकदम से पराया सा महसूस करा देती थी अम्मी )
मै बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गया और कमरे से निकल गया ।
कुछ देर बाद मेरे कमरे की बत्ती एकदम से जली और मै आंखे मिज कर उठ कर बैठा तो सामने का नजारा देख कर आंखे बड़ी हो गई , चेहरे पर एक गजब की खुशी और आश्चर्य के भाव उभर आए
मेरे आगे अम्मी एक आसमानी रंग की बिजिबल नाइटी में खड़ी थी , जो पूरी तरह से स्लीवलेस थी और जांघों तक जा रहे थी , उस बिजिबल नाइटी में उनकी दूधिया चूचियां नंगी झलक रही थी और नीचे एक पतली सी थांग वाली पैंटी जो साथ उस नाइटी का सेट थी । पूरा पेट जांघें सब के सब बिजिबल
: नहीं अभी ऊपर आई हूं , हा , उसी को देखने , नहीं सो रहा है वो ( अम्मी मोबाइल पर अब्बू से बात करते हुए मुझे देखकर मुस्कुराई )
मै उठ कर बैठ गया और मेरे भीतर अम्मी का ये रूप देख कर खुशी की लहर उठने लगी थी , लंड में हरकत होने लगी थी ।
मुझे मुस्कुराता देख कर अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरा और शायद अब्बू उस वक्त कुछ बोल रहे थे
: धत्त नहीं , आप भी बिगड़ गए हो शरारती कही के ( अम्मी थोड़ी लजाती हुई मुस्कुराई )
अम्मी की बातें सुनकर मुझे बेचैनी हुई आखिर अब्बू ने कया बोला
मै इशारे से उनको फोन स्पीकर पर करने को बोला तो वो भौहें टाइट कर ना में सर हिला कर मुझे घूरी और अगले ही पल खिलखिलाई
: नहीं मतलब नहीं ( फिर अम्मी मुझे आंखों से साथ चलने का इशारा करके घूम गई )
और जैसे ही वो घूमी उनकी बड़ी भड़कीली गांड पीछे से पूरी विजिबल नंगी , वो पतली ही पैंटी उनके गाड़ के दरारों के फंसी हुई थीं
अम्मी के बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए जा रहे थे उस बिजिबल नाइटी में । मैंने अपना लंड मसला और उनके पीछे हो लिया ।
: अरे बाबा अब क्या यही सीढ़ियों पर उतार दूं , कमरे में तो जाने दो ( अम्मी फोन पर जारी रही )
उनकी बातों से साफ जाहिर था कि अब्बू फूल मूड में है अम्मी को नंगी करने के , वो रोमांचक सोच कर ही लंड अकड़ रहा था ।
अम्मी सीढ़ियों से उतर कर एक नजर मुझे पीछे आता हुआ देखा और अब्बू से बातें करते हुए कमरे में चली गई । मै उनके पीछे हो लिया
कमरे में आते ही अम्मी ने इशारे से बिस्तर पर जाने को कहा और खुद भी लेट गई
: अरे उठाओ , भेजा है मैने ( अम्मी ने अब्बू को वीडियो कॉल की रिक्वेस्ट की , अम्मी की बढ़ती स्किल्स पर मुझे भी ताज्जुब हुआ कि वो तेजी से सीख रही है सब)
जैसे ही अब्बू ने वीडियो कॉल उठाया फोन खुद से स्पीकर पर आ गया
: अह्ह्ह्ह मेरी जान देखू तो , माशाअल्लाह क्या कयामत लग रही हो बेगम उम्मम सीईईईई उफ्फ ( अब्बू की आवाज आई और अम्मी ने एक नजर मुझे देखा , मै अब्बू की दिलफेंक बातो पर मुस्कुरा रहा था )
: आज बड़े शराफ़त के फूल झड़ रहे है जनाब के मुंह से उम्मम ( अम्मी ने मुझे देख कर अब्बू से इतरा कर बोली )
: क्या बताऊं सोचता हूं कही बेकाबू हो गया तो मुझे रोकेगा कौन ( अब्बू सिहर कर बोले )
: रुकना ही क्यों है उम्ममम , क्या मेरे ये जोबन आपको बहकाने के लिए काफी नहीं या बेपर्दा कर दूं इन्हें ( अम्मी ने वीडियो काल पर अब्बू को रिझाती हुई नाइटी के ऊपर से अपने बड़े रसीले मम्में को हाथ में पकड़ कर उन्हें दिखाती हुई बोली )
अम्मी की इस हरकत से उनकी चुची के निप्पल पूरी तरह से उभर आए उस बिजिबल नाइटी में और उनकी इस अदा से मेरा सुपाड़ा बाहर निकल आया अपनी खोल से , उफ्फ कितनी शरारती थी अम्मी और सारा दोष अब्बू को देती है ।
: अह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान , उफ्फ तेरे रसीले मम्मों का ही तो आशिक हु मै , अह्ह्ह्ह्ह जी कर रहा है कि इन्हें ऊपर से ही चूस लूं उम्मम ( अब्बू अब खुलने लगे और उनकी बात पर अम्मी मुस्कुरा कर मुझे देखी , मेरे भीतर अब बेचैनी होने लगी , लंड अकड़ गया था )
: आपको तो बस कपड़े पहना कर वही सब करना है और कोई शौक नहीं है क्या ? ( अम्मी ने ताना दिया )
: अरे मेरी जान पास होती तो तेरे जबरजस्त चूतड़ों की थिरकन भी देखता अपनी पसंद के गानों पर , क्या लाजवाब नाचती है तू उफ्फ , जरा एक बार दिखा दे न ( अब्बू ने दिल की बात कही )
: क्या ? धत्त नहीं ( अम्मी लजाते हुए मुझे देखी और मैने भी अब्बू की तरफदारी करते हुए इशारा किया )
: अरे मेरी जान मान जाओ न , कितने दिन हो गए तुम्हे नाचते देखे , मै गाना लगा रहा हूं रुको
और अगले ही पल अब्बू ने अपने दूसरे मोबाइल में गाना भी लगा दिया ।
अम्मी अब बेबस दिखने लगी वो बार बार मुझे देख रही थी और मेरा इशारा साफ था और मै भी उनका डांस देखने को बेताब था
उसपे से गाने की धुन इतनी लाजवाब थी कि अम्मी खुद के कूल्हे मटकाने से अपने आप को रोक भी नहीं पाई और बिस्तर पर ही एक तकिया से मोबाइल टीका दिया और आगे थिरकने लगी ,
मै मोबाईल के पीछे था और अपनी टांगे फैलाए हुए लंड को हल्का सा सहलाया
उफ्फ अम्मी में मूव्स गजब के थे और जब वो अपने कंधे झटकती तो उनके बिना ब्रा के उनके मोटे मम्मे खूब उछल कूद करते उसपे से उनकी बड़ी थुलथुली सी गाड़ ऐसे झटके दे रही थी मानो मै पागल ही हो जा रहा था
तभी अम्मी घूम कर नाचते अपनी गाड़ को मोबाइल के कैमरे में अपनी गाड़ उछाली
उफ्फ अम्मी की शॉर्ट बिजिबल नाइटी से उनके चूतड़ बाहर आ गए , नाइटी पूरी कमर तक चली गई, वो पतली सी डोरी वाली पैंटी तो गाड़ के दरारों में कही खो सी गई थी , जिससे अम्मी की गाड़ पूरी नंगी दिख रही थी
मै पागल हो गया और अंडरवियर में मेरा लंड तम्बू बना चुका था , कड़कपन की वजह से लंड में दर्द होने लगा था और मैने उसको बाहर निकाल लिया और हल्के से सहलाने लगा
एकाएक अम्मी की नजर मुझपर गई और उन्होंने गुस्से भरी आंखों से मुझे घूरा , मैने झट से हाथ लंड से हटा दिया
: अह्ह्ह्ह जानेमन , जरा ऊपर से अपने रसीले मम्मों को बेपर्दा तो करो ( अब्बू ने गाना बंद कर कहा )
फिर अम्मी अगले ही पल मुझे देखी और मुस्कुराते हुए घुटने के बल होते हुए अपने जिस्म से अपनी नाइटी को निकाल कर मोबाइल की के ऐसे उछाला , जैसे अब्बू को लगे कि अम्मी ने उन्हें दिया हो , लेकिन वो नाइटी उड़कर सीधे मेरे तने हुए लंड पर आ गई
अम्मी की इस हरकत ने मैं और कामोत्तेजक हो उठा और लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
वही सामने अम्मी बिना मेरे दर्द और बेताबी को समझे अब्बू के आगे अपने चूचे खोल कर उन्हें सहलाने लगी
: ओह्ह्ह मेरी जान कितने रसीले है तेरे दूध उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जी करता है खा जाऊ अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( अब्बू की आवाज आई )
: तो आजाओ न मेरी जान, अह्ह्ह्ह्ह देखो कितने कड़क हो गए है ( अम्मी अब्बू को देखकर बोली और एक नजर मुझे देखा मै उनकी नाइटी को अपने चेहरे पर ओढ चुका था और मेरा हाथ बस आड़ो से लेकर लंड के सुपाड़े तक रेंग रहा था ।)
: अह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बेगम उम्मम तुम्हारे रसीले मम्में पर मै झड़ना चाहता हूं अह्ह्ह्ह्ह इनको अपने रस से लिपना चाहता हूं
: उफ्फ मेरे सरताज आजाओ न अह्ह्ह्ह बहा दो मेरे दूध पर अपना पानी अह्ह्ह्ह मुझे भी आपके गर्म पानी से नहाना पसंद है ( अम्मी बिना झिझक कर मेरे सामने बोले जा रही थी और उनकी बातें सुनकर मेरा लंड पंप हो रहा था )
मै बदहवास होकर अफ़नाई सांसे से उन्हें लालच भरी नजरो से निहार रहा था ,और लंड मेरा पूरा अकड़ा हुआ तन गया था , अम्मी भी मेरे लाल सुपाड़े को देख रही थी और लंड की नसों की गांठे उभर आई थी ।
अगली जब उन्होंने मुझे देखा तो मै भुनभुनाया : अम्मीई प्लीज
अम्मी ने फिर गुस्से में मुझे घूरा,
: उफ्फ मेरी जान जरा अपने जन्नत के दरवाजे तो खोलो देखें तो कैसे है ( अब्बू का इशारा अम्मी की बुर की ओर था और अम्मी मुस्कुराई )
: लो देख लो मेरे राजा, ये नजारा खास आपके लिए है
अम्मी ने उस हल्की पैंटी के ऊपर से अपनी झांट भरी चूत के पास मोबाईल ले गई नीचे
वो नजारा मेरी आंखो से दूर था क्योंकि अम्मी बेड के नीचे थी और मै दूसरी ओर टेक लगाए बैठा था
: ओह्ह्ह्ह सीईईईई कितनी रसीली है , जब मै आऊ तो इसे साफ कर देना अच्छे से चूसना है मुझे ( अब्बू की आवाज आई )
: अह्ह्ह्ह नहीं , आप आना खुद करना , मुझसे नहीं होता है अच्छे से अह्ह्ह्ह ( अम्मी सिहर कर अपनी बुर मसलती हुई बोली और उनकी नजरे अभी तक मुझपर थी कि कही मै छुपकर लंड न सहलाऊ )
: तुम फिकर न करो , मै कल रहीम को भेज दूंगा , वो कर देगा और तुम्हारी जलन वाली दिक्कत भी जांच लेगा ( अब्बू एक सास में बोले , ये सुनते ही मेरे और अम्मी दोनों के कान खड़े और चौकन्नी नजरे टकराई , अम्मी की हालत कुछ बिगड़ती दिखी )
: ये , क्या कह रहे है शानू के अब्बू आप ? पागल है क्या ? कोई जरूरत नहीं है उन्हें भेजने की । ( अम्मी पूरी तरह से सफाई देती हुई दिखी और मै तो पूरी तरफ भन्नाया हुआ था कि बीसी चल क्या रहा है )
: ऑफ़ो शानू की अम्मी , अब जिद मत करो , पहले भी तुम उसे दिखा चुकी हो । याद नहीं तुम्हारे निप्पल दर्द की जांच भी तो उसी ने की थी ।
: लेकिन घर में शानू भी तो होगा ? ( अम्मी ने मुझे देख कर कहा )
: अरे उसे कही भेज देना , और 10 मिनट का समय लगेगा ज्यादा नहीं , प्लीज मेरी जान मान जाओ न बस एक आखिरी बार तुम्हे शानू की कसम ( अब्बू ने एकदम से अम्मी को जज्बाती कर दिया )
: ये ठीक नहीं है , छोड़िए मेरा मूड नहीं है कुछ , बाय ( अम्मी ने मोबाइल बंद कर दिया )
अम्मी के चेहरे रंग उड़े हुए थे और फिर वो वैसे ही आ कर मेरे बगल में बैठ गई ।
एक तरह से देखा जाए तो अब्बू की बात मुझे सही भी लगी , आखिरी अब्बू के भरोसे से डॉ थे वो फिर अम्मी ने पहले भी उनसे ट्रीटमेट लिया था ।
: देखा न तूने , कैसे ये मुझे परेशान करते है ? जब इन्हें लगता है कि मै नहीं मानूंगी तेरी कसम दे देते है मुझे ( अम्मी उखड़ कर बोली )
लेकिन अम्मी की बातों से साफ जाहिर था कि उन्हें मेरी फिकर ज्यादा है । जिससे मै खुश हो गया था और उनके पास आकर उनकी बाह पकड़ कर उनसे लिपट गया
: अम्मी , कोई बात नहीं , अब्बू ने कुछ सोच कर ही कहा होगा और फिर डॉ अंकल तो अच्छे है न । फिर क्या दिक्कत है ? ( मैने उन्हें प्यार से बोला)
: तुझे अच्छा लगेगा क्या कि तेरी अम्मी किसी गैर मर्द के आगे अपनी टांगे फैलाए लेती रहे , बोल ? और कही उनका ईमान डोल गया तो ? ( अम्मी ने जायज सवाल रखे ) नहीं मुझसे नहीं होगा
: अम्मी , अम्मी सुनो देखो मै भी तो रहूंगा ही न घर में और कुछ बात होगी ऐसी तो आवाज दे देना मै फौरन आ जाऊंगा अंदर , देखो आपको इलाज करवाना चाहिए मेरी समझ से । अब्बू सही कह रहे है
अम्मी अब थोड़ी नॉर्मल हुई
: पक्का?
: हा अम्मी , मुझे यकीन है ऐसा कुछ नहीं होगा आप टेंशन न लें ( मै उनसे लिपट कर बोला और उनके गुदाज नंगे जिस्म का स्पर्श पाकर मेरा लंड फिर से हरकत करने लगा )
मैने शांत माहौल देखकर हौले से अम्मी के बाजू से अपने उंगलियों से आगे बढ़ा कर उनकी नंगी झूलती चुची को छुआ ।
जैसे ही अम्मी ने मेरी उंगलियां महसू की वो फौरन मुझे देखी और मुस्कुरा पड़ी
: अब ये क्या कर रहा है तू , हटा हाथ ( अम्मी खुद से कोई प्रयास नहीं किया था हटाने का )
: हीही कितनी सॉफ्टी है , बस एक बार छूने दो न ( और मैने दांत दिखाते हुए अम्मी ने चूचे को हाथ में भर लिए और हथेली की कटोरी बना कर अम्मी के कड़क निप्पल पर घुमाया जिससे अम्मी सिसक पड़ी )
: अह्ह्ह्ह पागल मत कर न ( अम्मी ने इस बार मेरे हाथ पर चपत लगाई , लेकिन हाथ नहीं हटाया )
: अम्मी वो परेशान कर रहा और दर्द हो रहा है , नुनु ( मै मुंह बना कर बोला )
: अच्छा ठीक है आज मेरी गोदी में ( अम्मी मुस्कुरा कर अपने टांगे फैलाए और मै उन्हें जांघों पर पीठ टिका कर उनकी गोद में आ गया )
फिर अगले ही पल अम्मी ने मेरा लंड पकड़ लिया
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह कितना सॉफ्टी पकड़े हो अह्ह्ह्ह जैसे निकल ही जाएगा अह्ह्ह्ह ( मै पागल होने लगा )
अम्मी की नंगी गुदाज जांघें मेरे नंगे पीठ को गुदगुदा रही थी और मेरे चेहरे के ठीक ऊपर अम्मी की रसीली छातियां झूल रही थी ,उनके बड़े घेरे वाले गुलाबी निप्पल मेरे आंखों के आगे नाच रहे थे
: इसीलिए बोल रही थी कि तू ऊपर चला जा , परेशान हो गया न ( अम्मी ने लंड सहलाते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी कैसे नहीं होता , अब्बू और बातें की ऐसे कर रहे थे अह्ह्ह्ह ( मेरे गले में पानी आने लगा था , जीभ चटकारे लेने लगी थी नजरे बस अम्मी के चुचियों पर जमी थी )
: अम्मी दूदू पीना है ! ( मैने मदहोश नजरो से उन्हें देखा , मेरे चेहरे पर वासना का बादल छाया हुआ था , चेहरे और सूखते होठ मेरे भीतर की भूख को साफ साफ बया कर रहे थे उसपे से अम्मी का हाथ मेरे लंड को कसे हुए था
अब अम्मी की ममता जागी या वासना उन्होंने मुस्कुरा कर मेरे माथे पर हाथ घुमाया और मैने आंखे बंद कर अपनी गर्दन को ऊपर कर दिया और लटके हुए चूचि के कड़क निप्पल की टिप पर जीभ फिराई और अगले ही पल उसे होठों से सूरक लिया और चूसने लगा
: अह्ह्ह्ह शानू आराम से बेटा अह्ह्ह्ह उम्मम दर्द होता है अभी भी अह्ह्ह्ह बेटा ( अम्मी ने सिसक कर अपने पंजे मेरे लंड को भींचा )
मै और अकड़ गया और उनकी चुची को पीने लगा जैसे गोद में लेटा बच्चा पीता हो
: उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा अह्ह्ह्ह ले पी ले मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
अम्मी के सिहरे हुए लफ़्ज़ मुझे पागल कर रहे थे वहीं नीचे वो तेजी से लंड को सहला रही थी मै अकड़ा जा रहा था और तभी मेरा लावा फूटा
भलभला कर मै झटके मारने लगा , लेकिन मैंने अम्मी के चूचों को छोड़ा नहीं और अम्मी मेरे झड़ते लंड को लगातार सहलाती हुई निचोड़ती रही मै खुद के ऊपर ही झड़ रहा था
और जल्द ही मै खामोश हो गया , मुंह खोल दिया और अम्मी की गोद में शांत हो गया ।
मेरा सीना जोरो से धड़क रहा था , जीभ गला सूख रहा था और लंड धीरे धीरे शांत हो रहा था । वही अम्मी मुस्कुरा कर मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी , और उनका स्पर्श मुझे नीद के आगोश में ले जा चुका था ।
वही देर रात एक बार फिर अम्मी की सिसकियों भरी कुंमुनाहट ने मेरी आँखें खोल दी थी
जारी रहेगी ।
आप सभी से अनुरोध है कि पढ़ कर रेवो जरूर करें
कहानी जल्द ही अपने आखिरी फेज में आने वाली है।
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