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अपडेट्स 92 और 93 पर मेरे विचार --
सुयश की बातें सुन कर लगता है कि वो एक आशावादी व्यक्ति है। लेकिन उसके इस अति-आशावाद ने कई लोगों की जान ले ली। अगर वो समय रहते सही निर्णय लेता, तो शायद अभी सुप्रीम के हज़ारों यात्री जीवित रहते। लेकिन अपने राज भाई को वो पसंद है, इसलिए उसकी ऐसी-तैसी हम नहीं करेंगे। वैसे, सोलह साल का समय किसी जाति के सभ्य होने के लिए बहुत कम हैं। हाँ, असभ्य होने के लिए पर्याप्त हैं।
अराका पर सीनोर बनाम सामरा के बीच वर्चस्व का खेल चल रहा है। जहाँ सीनोर जाति के लोग तमराज जैगन के पक्ष में लग रहे हैं (मजबूरी में ही सही), वहीं सामरा जाति के लोग क्लिटो को मुक्त कराना चाहते हैं। (एक बात है भाई, जो मैं पहले भी कहना चाहता था - लेकिन क्लिटो से क्लाइटोरिस शब्द याद आने लगता है और उसका मतलब तो आप जानते ही हैं... हा हा हा हा! क्या करूँ - दिमाग में न चाहते हुए भी ऐसी खुरपेंची बातें आ ही जाती हैं)!
एक बात अपडेट 93 के बाद भी समझ नहीं आई - अगर युगाका अधिक से अधिक मानवों को तिलिस्मा तोड़ने के लिए भेजना चाहता था, तो मानवों की संख्या कम होने से वो इतना खुश क्यों लगा? मतलब वो युगाका नहीं है। इस ‘युगाका’ ने अलेक्स का रूप धर तो लिया, लेकिन शेफाली की दिव्य-दृष्टि से बच न सका। अब ये युगाका ही है, या कोई बहुरूपिया (लुफ़ासा तो नहीं)? अगले कुछ अपडेट्स बेहद रोमाँचक होने वाले हैं।
बहुत ही बढ़िया कहानी चल रही है राज भाई!
आपकी USC की दूसरी कहानी पढ़ी। पहली भी पढता हूँ और दोनों के बारे में अपने विचार अलग अलग लिखता हूँ, जल्दी ही। कुछ कहानियाँ बहुत अच्छी आई हैं इस बार!
सुयश की बातें सुन कर लगता है कि वो एक आशावादी व्यक्ति है। लेकिन उसके इस अति-आशावाद ने कई लोगों की जान ले ली। अगर वो समय रहते सही निर्णय लेता, तो शायद अभी सुप्रीम के हज़ारों यात्री जीवित रहते। लेकिन अपने राज भाई को वो पसंद है, इसलिए उसकी ऐसी-तैसी हम नहीं करेंगे। वैसे, सोलह साल का समय किसी जाति के सभ्य होने के लिए बहुत कम हैं। हाँ, असभ्य होने के लिए पर्याप्त हैं।
अराका पर सीनोर बनाम सामरा के बीच वर्चस्व का खेल चल रहा है। जहाँ सीनोर जाति के लोग तमराज जैगन के पक्ष में लग रहे हैं (मजबूरी में ही सही), वहीं सामरा जाति के लोग क्लिटो को मुक्त कराना चाहते हैं। (एक बात है भाई, जो मैं पहले भी कहना चाहता था - लेकिन क्लिटो से क्लाइटोरिस शब्द याद आने लगता है और उसका मतलब तो आप जानते ही हैं... हा हा हा हा! क्या करूँ - दिमाग में न चाहते हुए भी ऐसी खुरपेंची बातें आ ही जाती हैं)!
एक बात अपडेट 93 के बाद भी समझ नहीं आई - अगर युगाका अधिक से अधिक मानवों को तिलिस्मा तोड़ने के लिए भेजना चाहता था, तो मानवों की संख्या कम होने से वो इतना खुश क्यों लगा? मतलब वो युगाका नहीं है। इस ‘युगाका’ ने अलेक्स का रूप धर तो लिया, लेकिन शेफाली की दिव्य-दृष्टि से बच न सका। अब ये युगाका ही है, या कोई बहुरूपिया (लुफ़ासा तो नहीं)? अगले कुछ अपडेट्स बेहद रोमाँचक होने वाले हैं।
बहुत ही बढ़िया कहानी चल रही है राज भाई!
आपकी USC की दूसरी कहानी पढ़ी। पहली भी पढता हूँ और दोनों के बारे में अपने विचार अलग अलग लिखता हूँ, जल्दी ही। कुछ कहानियाँ बहुत अच्छी आई हैं इस बार!

Clitorious
Lekin uska aadmiyo ko marne pe khus hona koi or wajah hai, wo ye chaahta hai ki tilishma me wahi pahunche jo yogya ho, varna tilishma khud unki jaan le lega,
Tilisma koi saadharan tilishm nahi hai, aur jo kathin pariksha yaha unki chal rahi hai, yaani araaka se 10 guna jyada khatarnaak hai wo
Hume aapke vicharo ka intezaar rahega
dekhna ye hai ki inke sath aage kya hota hai gurudev