Luckyloda
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Gayab kahi nahi hu... bas aajakl idhar k chakkar kam hi lag rahe hai.....
Gayab kahi nahi hu... bas aajakl idhar k chakkar kam hi lag rahe hai.....
Kyun kya baat ho gai?Gayab kahi nahi hu... bas aajakl idhar k chakkar kam hi lag rahe hai.....
sab thik hai... bas thoda bisy schedule chal rha hai to...Kyun kya baat ho gai?Sab theek to hai?
Aur story pe wapas kzb aa rahe ho?
Koi baat nahi bhai, take your timesab thik hai... bas thoda bisy schedule chal rha hai to...
Baki समय निकाल कर आता हूं जल्दी ही
धन्यवाद भाई जी, आपके साथ के लिए, और साथ ना छोड़ने के लिए,आप के थ्रीड पर एक तो वैसे भी रीडर्स की तादात बहुत कम है और ऊपर से उनमे भी कुछ मेरे जैसे रीडर्स है जो महीने मे एकाध बार ही यहां आ पाते है । इस के बावजूद भी आप न ही हतोत्साहित हुए और न ही आपका इस कहानी के प्रति समर्पण मे कोई कमी आई । इस के लिए आप को बहुत बहुत साधुवाद ।
बोहोत बोहोत आभार आपका भाई, वैसे वो सब होमवर्क जरूरी है, और इसकी बोहोत सारी चीजें इतिहास के पन्नो से खंगाल कर लाई गई है।अपडेट की बात या इस कहानी की बात क्या करें ! आप ने इस कहानी के लिए जैसा होम वर्क किया है , जितना इतिहास खंगाला है उस से यह कहानी बुरी हो ही नही सकती ।
इस कहानी के अंदर ऐसा बहुत कुछ है जिसके बारे मे मैने कभी पढ़ा ही नही । शायद इसका कारण चमत्कारिक और फैंटेसी कहानी के प्रति मेरी उदासीनता रही होगी । लेकिन आप की इस कहानी ने मेरे सारे मिथक तोड़ दिए । बहुत ही बेहतरीन कहानी लिखा है आपने ।
समिक्षा तो इसकी भी होती ही है भाई, और सबके लिए आसान ना सही, पर आपके लिए मुश्किल भी नहीं है।फैंटेसी कहानी पर तथ्यात्मक रूप से समीक्षात्मक विचार विमर्श करना किसी भी रीडर्स के लिए आसान नही होता ।
क्षण भर मे हालात बदल जाते है , घटनाक्रम बदल जाती है , भूमि बदल जाती है , परिवेश बदल जाता है और किरदार की भुमिका भी बदल जाता है ।यह कहानी शुरू होती है " सम्राट " शिप के बरमूडा ट्राइंगल मे भटकने से । बहुत यात्री मारे जाते हैं और जो चंद लोग बच जाते हैं वह भटकते हुए पोसाइडन के शलाका द्वीप पर पंहुच जाते हैं ।इतने सारे अपडेट पढ़ने के बाद अब लगता है इन भटके हुए यात्रीगण मे कुछ की उपस्थिति अवश्यंभावी थी और कुछ लोग हालात के शिकार होकर यहां पहुंचे ।सिर्फ सम्राट शिप के पैसेंजर ही इस तिलिस्मी द्वीप पर नही आए हैं , कई देश के कुछ लोग यहां पहुंच गए है ।
इन सबका यहां होने का एक मायना है भाई जी, इस कहानी मे बिना मतलब का ना तो कोई पात्र है, और ना ही कोई घटना। नक्षत्रा का जेनिथ से जुड़ाव किस ओर इशारा कर रहा है, इसका जबाव आगे मिलेगा। वैसे भी ईस कहानी का अगला भाग/चैप्टर शुरू होने ही वाला है।एक भारतीय महिला जिसे शलाका का हमशक्ल कहा जा रहा है , इस आइलैंड पर मौजूद है । विल्मर और जेम्स जो अमेरिकन है वह भी यहां मौजूद है । अमेरिकन सीआईए एजेंट व्योम साहब भी इस मिस्ट्रीयस लैंड पर मौजूद है ।
जिस तरह सुयश साहब और शेफाली की मौजूदगी इस आइलैंड पर अवश्यंभावी थी उसी तरह तथाकथित हमशक्ल मोहतरमा शलाका मैडम और व्योम साहब की मौजूदगी भी अवश्यंभवी लग रहा है ।इस नए अपडेट से अब यह भी प्रतीत हो रहा है कि जेनिथ भी इसी श्रेणी मे आती है । कालचक्र उर्फ नक्षत्रा का जेनिथ के साथ सम्पर्क होना इस बात की तरफ इशारा कर रहा है ।
शैफाली की कहानी वाकई मे ना केवल मिस्ट्रीयस, बल्कि महत्वपूर्ण हो सकती है। वो क्या है? और क्यूं है? ये भी आगे ही पता लगे तो बेहतर होगा।शेफाली की कहानी अब तक सबसे अधिक मिस्ट्रीयस लगा है । मेडूसा > मैग्रा > शेफाली ....सम्भवतः एक आत्मा के तीन स्वरूप हो सकते है ।मेडूसा की लाइफ भी क्या दुखद भरी लाइफ थी । बहुत पहले ही मैने कहा था ,
मै भी ऐसे को भगवान नहीं मानता, भगवान तो काम, ओर माया से परे हैं।पोसाइडन कोई देवता और भगवान नही है । इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को कैद किया , एक लंबी चौड़ी सभ्यता का नामोनिशान मिटा दिया और मेडूसा के साथ बलात्कार किया और वह भी मंदिर मे , यह आदमी किस एंगल से देवता नजर आ रहा है !
आप सब का सहयोग है भाई साहब, वरना नाचीज को कहां लिखना आता है।बहुत बढ़िया लिख रहे है आप शर्मा जी ।
सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे ।
Accha chal rha h ab story ka flow#100.
चैपटर-13
समय-चक्र (10 जनवरी 2002, गुरुवार, 03:15, मायावन, अराका द्वीप)
शैफाली के सपने के बाद सभी फ़िर से सो चुके थे, पर पता नहीं क्यों जेनिथ को बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी।
उसे अपने घर की बहुत याद आ रही थी। उसका मन कर रहा था कि वह तौफीक के पास ही चली जाए, पर इतनी रात को उधर जाना भी ठीक नहीं था।
जेनिथ ने बहुत करवटें बदली, पर उसे नींद नहीं आयी। आख़िरकार उसने टहलने का योजना बनाया।
यह सोच जेनिथ उठकर खड़ी हो गयी। उसने एक नजर वहां सो रहे सभी लोगो पर मारी, फ़िर धीरे से उन सो रहे लोगो से कुछ दूर जाकर टहलने लगी।
वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कुछ बुरा होने जा रहा है।
तभी अचानक जेनिथ के गले में पड़े लॉकेट का वह काला मोती प्रकाशमान हो गया, पर उसकी रोशनी इतनी कम थी कि जेनिथ उसे देख नहीं पायी।
“हाय जेनिथ!" जेनिथ को अपने दिमाग में एक आवाज सी आती हुई महसूस हुई।
“कौन?" जेनिथ इस आवाज को सुन हैरानी से बोल उठी- “कौन हो तुम?"
“पहले शांत हो जाओ और कुछ बोलने की कोशिश मत करो। वरना वहां सो रहे सारे लोग उठ जायेंगे और मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा। तुम्हे जो कुछ पूछना है, वह अपने मन में सोचो। मैं तुम्हारे मन की बात सुन सकता हूँ।" जेनिथ के दिमाग में फ़िर से आवाज आयी।
जेनिथ यह बात सुनकर घबरा गयी। पर इस बार उसने अपने मुंह से कोई आवाज नहीं निकाली।
“कौन हो तुम? और मुझसे कैसे बात कर रहे हो?" जेनिथ ने अपने मन में सोचा।
“वेरी गुड! तुम इसी प्रकार मुझसे बात कर सकती हो।" जेनिथ के दिमाग में पुनः आवाज गूंजी-
“मैं ‘समयचक्र’ हूँ। मैं तुम्हारे गले में पड़े लॉकेट में रहता हूँ।"
जेनिथ ने घबराकर अपने लॉकेट की ओर देखा। जेनिथ के देखते ही लॉकेट का मोती पुनः प्रकाशमान हो उठा।
इस बार जेनिथ को यह साफ दिखाई दिया।
“तुम मुझसे क्या चाहते हो?" जेनिथ ने अब चहलकदमी करते हुए कहा।
“मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।" समयचक्र ने कहा।
“मेरी मदद ... पर मुझे किसी मदद की जरुरत नहीं है।" जेनिथ ने कहा- “और तुम मेरी मदद किस प्रकार कर सकते हो?"
“तुम्हें स्वयं नहीं पता है कि इस समय तुम्हें मदद की जरुरत है और मैं तुम्हारी मदद हर प्रकार से कर सकता हूँ।" समयचक्र ने कहा।
“मैं तुम्हारी पहेलियों को समझ नहीं पा रही हूँ समयचक्र।" जेनिथ ने कहा- “क्या तुम खुल कर मुझे कुछ समझाओगे कि तुम कौन हो? और तुम क्या कहना चाहते हो?"
“ठीक है, मैं तुम्हें शुरू से समझाता हूँ।" समयचक्र ने कहा- “पृथ्वी से 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक और आकाशगंगा है, जिसे ‘एरियन’ आकाशगंगा कहते हैं, उस आकाशगंगा के एक ग्रह का नाम है- ‘डेल्फ़ानो’।"
“एक मिनट ... एक मिनट!" जेनिथ ने समयचक्र को बीच में ही टोकते हुए पूछा- “ये 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष कितना हुआ? जरा समझाओगे क्योंकि मुझे विज्ञान की इतनी जानकारी नहीं है?"
“प्रकाश 1 सेकंड में 30 लाख किलोमीटर की दूरी तय करता है। वही प्रकाश 1 वर्ष में कुल जितनी दूरी तय करता है, उसे 1 प्रकाशवर्ष कहते हैं और डेल्फ़ानो यहां से 12 लाख प्रकाशवर्ष दूर है।" समयचक्र ने कहा।
“बाप रे! इतना ज़्यादा।" जेनिथ के विचारों में आश्चर्य साफ झलक रहा था।
“हां। इसका मतलब इतनी दूरी को तय करने के लिये, प्रकाश की गति से चलकर भी 12 लाख वर्ष का समय लगेगा।" समयचक्र ने जेनिथ को समझाया-
“अच्छा अब आगे सुनो। डेल्फ़ानो के राजा ‘गिरोट’ ने दूसरी आकाशगंगा के लोगों से सम्पर्क करने का विचार किया, पर यह दूरी ज़्यादा होने के कारण संभव नहीं था। लेकिन गिरोट स्वयं एक वैज्ञानिक थे इसिलये उन्होंने मेरा यानी ‘समयचक्र’ का निर्माण किया, जो कि ‘ब्लैक होल’ और ‘नेबूला’ के सिद्धांतो से बना था।
मैं समय को रोककर किसी को भी एक आकाशगंगा से दूसरी आकाशगंगा मैं सेकंड से भी कम समय में पहुंचा सकता था। जैसे ही यह खबर दूसरे ग्रह के लोगों को पता चली, उन्होंने मुझको पाने के लिये डेल्फ़ानो पर हमले करने शुरू कर दिये।
गिरोट को पता था कि एक ना एक दिन वह लोग अवश्य कामयाब हो जाते और मुझे पाते ही अन्तरिक्ष में विनाश करना शुरू कर देते। इससे बचने के लिये उन्होंने मेरे अंदर कुछ बदलाव किये और मुझे स्वयं का मस्तिष्क प्रदान कर दिया। अब अगर मैं किसी के हाथ में आ भी जाता तो वह मेरा प्रयोग मेरी इच्छा के बिना नहीं कर सकता था।
एक दिन कई ग्रहो ने एक साथ मिलकर डेल्फ़ानो पर आक्रमण कर दिया और राजा गिरोट को मार दिया। राजा गिरोट ने मरने से पहले मुझे एक छोटे से काले मोती में कैद कर दूसरी आकाशगंगा में फेंक दिया। मैं आज से 20 वर्ष पहले पृथ्वी के इस अराका द्वीप पर आकर गिरा। मुझे जंगलियों ने अपनी देवी का रत्न समझ एक लॉकेट के रूप में उनके गले में डाल दिया।"
“अच्छा तो ये मेरे गले में समयचक्र है।" जेनिथ ने अपने गले के लॉकेट को हाथ से छूते हुए मन में सोचा- “तुम्हारा नाम क्या है?”
“मेरा नाम?..... मैं तो समयचक्र ही हूँ।" समयचक्र ने थोड़ा गड़बड़ाते हुए कहा।
“समय को नियंत्रित करना तुम्हारा कार्य है, पर ये तुम्हारा नाम नहीं हो सकता।" जेनिथ ने अपने मन में कहा।
“फ़िर.... फ़िर तुम्ही कोई अच्छा सा मेरा नाम क्यों नहीं रख देती?" समयचक्र ने जेनिथ को सुझाया।
“हूँ......... तुम्हारा नाम .... तुम्हारा नाम ...... चूंकि तुम नक्षत्रो से बने हो, इसिलये आज से मैं तुम्हारा नाम ‘नक्षत्रा’ रखती हूँ।" जेनिथ ने कहा- “कैसा लगा तुम्हें तुम्हारा नया नाम?"
“बहुत ही अच्छा.... इससे अच्छा नाम मेरे लिये कोई हो भी नहीं सकता था।" ‘नक्षत्रा’ ने खुश होते हुए कहा।
“तो फ़िर आज से तुम मेरे दोस्त ।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।
“दोस्त?" .... नक्षत्रा ने आश्चर्य से कहा- “तुम सच में मुझे अपना दोस्त बनाना चाहती हो?"
“क्यों?.....तुम्हें आश्चर्य क्यों हो रहा है?" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।
“कुछ नहीं..... पर मैं पिछले 20 वर्ष से इंसानो के बीच हूँ और उनकी भावनाओं पर अध्ययन भी कर रहा हूँ।"
नक्षत्रा ने कहा- “अधिकतर मनुष्य लालची हैं, जो अपने मतलब की खातिर किसी भी रिस्ते पर वार करने से नहीं हिचकीचते। आज के समय में अगर किसी भी इंसान को कोई सुपर पावर देने की बात करो, तो वह उसे अपना गुलाम बना कर ही रखना चाहेंगे, पर तुम्हारी सोच दूसरोँ से काफ़ी अलग है। लगता है मैंने तुम्हें चुनकर कोई गलती नहीं की। मुझे तुम्हारा दोस्त बनने में खुशी महसूस होगी।"
“अरे वाह! अब तो मैं जंगल में भी अकेलापन महसूस नहीं करूंगी।" जेनिथ ने खुश होते हुए कहा- “अच्छा ये बताओ तुम कर क्या-क्या सकते हो? आई मीन तुम्हारी पॉवर्स क्या हैं?"
“मैं अभी आधा-अधूरा हूँ और तेजी से खुद को विकसित कर रहा हूँ।" नक्षत्रा ने कहा।
“आधा-अधूरा मतलब?" जेनिथ ने ना समझने वाले भाव से कहा।
“मतलब मैं अन्तरिक्ष में तुम्हें किसी भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकता हूँ, लेकिन पृथ्वी पर वातावरण होने की वजह से मैं ऐसा अभी नहीं कर सकता।"
नक्षत्रा ने अपनी विशेषताएं बताते हुए कहा- “मैं तुम्हें किसी भी व्यक्ती के बीते हुए एक साल के समयकाल में ले चल सकता हूँ, बस वह व्यक्ती या उसकी फोटो तुम्हारे सामने होनी चाहिये। और हां ये याद रहे कि उस समयकाल में तुम कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। भविष्य को देखने की शक्ति अभी मैं विकसित करने की कोशिश कर रहा हूँ। बाकी कुछ छोटी-मोटी शक्तियां हैं, जो मैं तुम्हें समय आने पर बताऊंगा।"
“ठीक है, मेरे लिये इतना ही काफ़ी है कि मुझे एक दोस्त मिल गया।" जेनिथ ने ये बोलते हुए सो रहे तौफीक की ओर देखा- “नहीं तो यहां पर तो कुछ लोग साथ रहकर भी नहीं हैं।"
“जेनिथ तुममें भावनाएं बहुत ज़्यादा है और ज़्यादा भावनाएं हमेशा दुख ही पहुँचाति हैं। इसलिये पहले तुम्हें अपनी भावनाओ को नियंत्रित करने की जरुरत है।" नक्षत्रा ने कहा।
“मैं तुम्हारे कहने का मतलब नहीं समझी नक्षत्रा?" जेनिथ ने कहा।
“जेनिथ मैं तुम्हारे दिल और दिमाग दोनों से जुड़ा हूँ। तुम जो महसूस करोगी, वो मुझे अपने आप महसूस हो जायेगा। मुझे पता है कि इस समय तुम तौफीक के बारे में बात कर रही हो। पर मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि तुम तौफीक को जितनी जल्दी भूल जाओ, उतना ही अच्छा है।" नक्षत्रा के शब्दों में रहस्य भरा था।
“तुम ऐसा क्यों कह रहे हो नक्षत्रा? क्या कोई ऐसी बात है जो तुम मुझे बताना नहीं चाहते?" जेनिथ ने नक्षत्रा को जोर देते हुए कहा।
“अभी तुम्हारा, तुम्हारी भावनाओ पर नियंत्रण नहीं है, इसिलये कुछ चीज़ो का ना जानना ही तुम्हारे लिये अच्छा है।" नक्षत्रा के हर शब्द जेनिथ के रहस्यमयी लग रहे थे।
“देखो नक्षत्रा, तुमने मुझे दोस्त कहा है, मैं नहीं चाहती कि मेरा दोस्त मुझसे कुछ छिपाए, अगर तुम्हें कुछ ऐसा पता है जो मेरे लिये सही नहीं है? तो तुम्हें मुझे वो बताना पड़ेगा।"
जेनिथ अब जिद्द पर उतर आयी।
“ठीक है। मैं तुम्हें सब बता दूँगा, पर तुम्हें मुझसे वादा करना पड़ेगा कि तुम अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखोगी।" नक्षत्रा ने हिथयार डालते हुए कहा।
“ठीक है मैं वादा करती हूँ कि मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखूंगी।" जेनिथ ने वादा करते हुए कहा।
“तो फ़िर ठीक है, मैं अभी समय को रोककर तुम्हें ऐसी चीज दिखाता हूँ जो कि मुझे लगता है कि तुम्हारा जानना बहुत जरूरी है।" नक्षत्रा के इतना कहते ही आसपास का समय रुक गया, जो जहां था वहीं पर रुक गया।
जेनिथ की आँखो के सामने अब कुछ दृश्य नजर आने लगे।
जारी रहेगा________![]()
ThanksAccha chal rha h ab story ka flow