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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

chodumahan

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लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन, एन बी ऍफ़ सी

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एल आई सी के लिए उन्होंने एक छोटा सा पी पी टी बना लिया था ,

लेकिन असली बात सिर्फ ये थी की वो कितने बजे उनका शेयर खरीदना शुरू करेंगे।

ये तय हुआ की सवा दस के आस पास एल आई सी को जितना शेयर खरीदना है उसका 10 % खरीदेगी , जिससे थोड़ा होप जेनरेट हो , फिर उन्हें अपनी पैरेंट कम्पनी और ऍफ़ डी आई से उसे मैच कराना होगा , और साथ ही साथ जिन कम्पनीज़ की उन्हें लिस्ट दी गयी है , उसमे जितना ऍफ़ डी आई उनकी कम्पनी को करना है , वो उसका ४० % कर देगी ,

फिर एन बी ऍफ़ सी वाले मैदान में आएंगे और उन्हें जितना शेयर लेना है उसका २५ % वो ले लेंगे।

दोपहर के पहले , एल आई सी ३० % शेयर और खरीदेगी , इसके बाद बियर वाले बचा खुचा शेयर मार्केट में डाल कर , एक बार फिर मार्केट को डी स्टैब्लाइज करने की कोशिश करेंगे तो शाम तीन बजे एल आई सी , अपने हिस्से के बाकी बचे ६० % शेयर एक साथ खरीद लेगी ,

हाँ अगर उसके बाद भी मार्केट गिरेगी तो उसे सम्हालने की जिम्मेदारी इन लोगों की होगी।

लेकिन यह सब तय कराना इतना आसान नहीं था। और जो सेबी वाले मित्र से इनको अंदरूनी सूचना मिली थी उसके हिस्सा से गवर्मेंट डायरेक्टर्स को भी इनके पक्ष में एक्टिव भूमिका बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में करनी जरूरी थी।

एल आई सी का एक डायरेक्टर इनकी कम्पनी में था ही और बढ़ी हुयी शेयर होल्डिंग के हिसाब से अब दो भी सकते थे जो एल आई सी की किसी सब्सिडियरी कम्पनी का होता।



पहली बात तो यह थी की यह कम्पनी थी तो गवर्मेंट इसलिए एटीट्यूड भी रिजिड था और थोड़ा रिस्क से वो बचना चाहते थे। दूसरे उनके निगोशियेटिंग टीम के हेड मिस्टर षणमुगम की डाटा पर गजब की पकड़ थी और उनके लिए अपनी कम्पनी का लांग टर्म इंट्रेस्ट बाहर इन्वेस्टमेंट में मानते थे लेकिन वाल स्ट्रीट के गलियारों में उनकी पकड़ कमजोर थी। ये भी उसे पता चल गया था की वो एक पेंशन फंड में अमेरिका में इन्वेस्ट करने में इंट्रेस्टेड थे लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही थी, एकदम शुरू में ही अटकी थी।



बस जो टी ब्रेक हुआ, उसमे इन्ही दो प्वाइंट्स को पकड़ा और ये कहा की उनके पैरेंट कम्पनी के जो फायनेंस डायरेक्टर है वो कई पेंशन फंड में भी डायटेक्टर हैं और वाल स्ट्रीट में उनकी पकड़ तगड़ी है। मिस्टर षणमुगम ने कुछ बोला है सिर्फ मुस्करा के उन्हें काफी ऑफर की पर ब्रेक के बाद मीटिंग थोड़ी आसान हो गयी।
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यॉट क्लब की मीटिंग में उन लोगों को एल आई सी और सेबी दोनों से मेसेज मिल गया था , इसलिए वहां भी उसी तरह की प्लानिंग हो गयी।

ये मीटिंग एकदम अलग तरह की थी और सबसे ज्यादा धन्यवाद उन्होंने दिया की उनके खाने पीने की आदत सुधार दी गयी थी। ये मीटिंग शुद्ध 'नान -वेज ' थी, खाने पीने में और बात चीत में भी। कुल पांच लोग थे उस कंसोर्टियम के जो दस नान बैंकिंग फायनेंसियल कम्पनी को रिप्रजेंट करती थी, लेकिन ऊपर ऊपर जो मस्ती और इनफॉर्मल माहौल था उस में उन्हें और उनकी कम्पनी को जज किया जा रहा था, और उन लोगो की कोशिश थी की वो थोड़ा 'लूज ' हो के कुछ बोल दें।

पर इतने दिनों के निगोशिएशन में उन्होंने ये समझ लिया था की ये पहचान जाना जरुरी है की पूरी टीम में डिसीजन मेकर कौन है , होस्टाइल कौन है और कौन सिर्फ उकसा के अंदर की बात जानने की कोशिश कर रहा है। अक्सर जो डिसीजन मेकर होता है वो चुप रहता है बोर होता रहता है लेकिन सब पत्ते उसी के पास होते हैं और सेबी वाले मित्र से मीटिंग के दौरान ये सब पता चल गया था , और वो इसका फायदा उठा रहे थे। दूसरी बात ये भी पता थी की दो एन बी ऍफ़ सी के ऊपर आर बी आई की जांच चलने वाली थी और सेबी ने क्वेशन भेजे थे। तो वो भी गवर्नमेंट को होस्टाइल नहीं कर सकते थे।



ये मीटिंग इसलिए जरूरी थी की जो नान इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स थे वो iअक्सर गवर्मेंट कम्पनी के इन्वेस्टमेंट नहीं देखते थे बल्कि एन बी ऍफ़ सी और बड़े फंड्स को फॉलो करते थे। इसके अलावा इन लोगो की इसाइट्स बड़ी तगड़ी थी और उससे भी उन्हें अटैक किधर से होना है इसका कुछ अंदाज लग गया और ये साफ़ था अटैक जबरदस्त होगा और कल पक्का लांच हो जाएगा और परसों तक अक्वीजिशन पूरा भी हो जाएगा.

वहां से निकल कर वो गेट वे ऑफ़ इण्डिया की ओर बढे। अमेरिकन कौंसुलेट में पहुँचने में अभी टाइम था तो वो थोड़ी देर अरब सागर के किनारे टहल कर आगे के बारे सोचना चाहते थे, ख़ास तौर से जब शेयर वाली बातें काफी साफ़ हो गयी थीं और कल के बारे में कुछ कुछ साफ़ नजर आने लगा था

लेकिन वहां से निकलते ही लाल फोन बजा।
सही समय पर सही वार...
तभी मिलेगी जीत का हार..
 
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chodumahan

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बांद्रा, अमेरिकन कांसुलेट और मिस्टर दीर्घलिंगम
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अमेरिकन कौंसुलेट में पहले तो उन्होंने पैरेंट कम्पनी से बात की , वहां स्टॉक मार्केट खुल गया था , और इनकी इंडियन सब्सडियरी के भी शेयर वहां रजिस्टर्ड थे , उसकी सेल चालू हो गयी थी , जिससे उसकी रेटिंग्स ऊपर चल रही थी , जो जो इंवेसेटमेंट पैरेंट्स कम्पनी को करने थे उसने शुरू कर दिए थे। उन्होंने तीन डायरेकर्स के मोल होने की बात तो बता दी , लेकिन मिस्टर और मिसेज दीर्घलिंगम की लापरवाही से जो लीक्स हुए हैं वो नहीं बताया।



पैरेंट कम्पनी ने उन्हें कुछ इंस्ट्रक्शन दिए ,

एक अकाउंट केमन आइलैंड का दिया जिसमें अनकाउंटेड फंड्स थे , और जिसका वो टेकओवर बचाने के लिए इस्तेमाल कर सकते थे , और भी कहीं , ... ये भी बताया की डो जोन्स में आधे घंटे बाद उनकी इंडियन कंपनी के शेयर की खरीद शुरू हो जायेगी , और उसके बाद जो भी शेयर मार्कट रात में खुले होंगे , वहां वहां से ,...

लेकिन जो जो मैंने कमिट किया था वो काम पैरेंट कम्पनी वालों के हवाले कर दिया,

दो बातें एल आई सी से जुडी थीं, एक तो पेंशन फंड की उनकी इन्वेस्टमेंट की फाइलिंग और दूसरे एक डिस्ट्रेस्ड असेट्स से निकलना चाहते थे, और फिर एन बी ऍफ़ सी वाली रिजर्व बैंक की इंक्वायरी। बिना कहे क्लियर हो गया की अगर इंडियन सब्सिडियरी बचानी है तो बस आज की रात और कल का दिन है। हाँ लीक के बारे में उन्हें बस इतना बताया की कारपोरेट आफिस में बहुत लीकेज है लेकिन मिस्टर दीर्घलिंगम को बहुत सपोर्ट की जरूरत हैं , बाकी कंपनियों और बाहर से भी। ।

हायर मैनेजमेंट से जो बात कर रहे थे उन्होंने सिर्फ ये कहा की हमने इन्वेस्टमेंट और स्ट्रेटजी की एक टीम बना दी है, उसमे दो लोग सिंगापुर और दुबई में हैं वो कल के स्टॉक मैनेजमेंट में हेल्प करेंगे। इसके बाद आप उनसे बात कर लेना और हाँ निकलने के पहले मिस्टर दीर्घलिंगम भी यहाँ आये हैं उनको भी उनके रोल के बारे में ब्रीफ कर देना।


मैं जानता था बोर्ड रूम की लड़ाई तो मिस्टर दीर्घलिंगम को ही लड़नी होगी और उनसे ज्यादा एक्सपीरिएंस्ड निगोशियेटर मैंने देखा नहीं था, इसलिए षड्यंत्रकारी उनकी बेटी और पत्नी के जरिये उन्हें बोर्ड रूम से बाहर रखना चाहते थे। उनसे कुछ भी कहना उनके कॉन्फिडेंस को शैटर कर देना होता और इसलिए मैंने बहुत से बातें नहीं बतायीं। हाँ जो जो हेल्प चाहिए थे वो साफ़ साफ़ बताया गया।

काल ख़तम होने के पहले मुझे बताया गया की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी टीम मुझसे बात करेगी और उसके बाद ही वीडियो कांफ्रेंस में चार लोग थे जिनमे दो तो मेरे रेगुलर स्ट्रेटजी वाले और दो फंड मैनेजर्स थे जिनका साउथ एशिया का एक्सपीरियंस था। उसके बाद एक दो स्ट्रेटजी वाली कांफ्रेंस और हुयी बस सब नीड तो नो के बेसिस वाली,...


लेकिन जोर का झटका जोर से तब लगा जब मुलाकात मिस्टर दीर्घलिंगम से उसी कांसुलेट में हुयी ,

पैरेंट कम्पनी के कहने पर , कंसुलेट ने वीसा के पेपर्स के नाम पर , मिस्टर दीर्घलिंगम को शाम को साढ़े आठ बजे ही बुला लिया था।

मिस्टर दीर्घलिंगम को पैरेंट कम्पनी ने अभी कौंसुलेट में ही ब्रीफ किया की कुछ इसुज हैं तो आपको ये ब्रीफ करेंगे। एक स्ट्रेटजी टीम भी बनाई गयी है जिनसे ये टच में रहेंगे। मिस्टर दीर्घलिंगम को अभी इस प्रोसेस से आइसोलेट किया गया है जिससे किसी को पता न चल सके और वो जयादा फ्री हो कर ग्राउंड पर आपरेट कर सकें। पैरेंट कम्पनी का पूरा सपोर्ट उनके साथ है, और इस अक्वीजिशन के एफर्ट को उनसे बेहतर कोई और नहीं फाइट कर सकता।




इसलिए मिस्टर दीर्घलिंगम को झटका इन्हे देख कर ज्यादा नहीं लगा।


पर वो तब हिल गए जब इन्होने उन तीन डायरेक्टर्स के नाम जो एक्विजशन वाली कम्पनी से मिले थे बताया , वो रिकारीडिंग सुनाई जिसमें ये आलमोस्ट तय था की कल शाम की बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मीटिंग में उन्हे हटाने के प्रस्ताव पर वो तीन डायरेक्टर उनके खिलाफ वोट देते.

अब समय स्ट्रेटजी बनाने का था और इन्होने मिस्टर दीर्घलिंगम को शेयर मार्केट के युद्ध से दूर रखा। लेकिन एक लड़ाई कल कंपनी में भी लड़ी जानी थी और उसके लिए मिस्टर दीर्घलिंगम से ज्यादा अनुभवी और कुशल कोई नहीं था।

बहुत सी बातें मिस्टर दीर्घलिंगम को नहीं बताई गयी और जो उनकी लड़की और उनकी पत्नी से जुडी थीं वो एकदम नहीं। लीकेज के बारे में भी सिर्फ उनके ड्राइवर के बारे में बताया गया की वह लीकेज के कई सोर्सेज में से एक है।

मिस्टर दीर्घलिंगम कॉर्पोरेट बिजनेस के साथ मैन मैनजमेंट में भी बहुत दक्ष थे, इसलिए वो जानते थे की किसी विभाग का हेड सबसे इम्पोर्टेन्ट नहीं होता, क्योंकि वो फील्ड से उसे दूर कर देता है पर उसका नंबर टू वाइटल है क्योंकि डिपार्टमेंट के हेड को वही सब इन्फॉर्मेशन देता है और किसी भी अटैक में सबसे ससेपटिबल वो होते हैं। तो उन सारे पोस्टो पे जो लोग थे वो सुपर एफिसिएंट और उनके लायल थे, और किसी भी राइवल की ओर नहीं मुड़ सकते थे।

लेकिन राइवल कम्पनी ने वही किया, उसने एक हेड हंटर को लगाया जिसने फाइनेंस के जो सीनियर वाइस प्रेजिडेंट थे उन्हें एक बड़ी कम्पनी में कंट्री हेड बनाने का प्रलोभन दिया और मिस्टर दीर्घलिंगम ने भी मान लिया क्योंकि उनकी कम्पनी में तो कंट्री हेड वही थे और एक बड़ा जम्प था। पे, पर्क्स भी दूने थे। और अब जो नंबर तीन था, वाइसप्रेसिडेट वो काम देखने लगा और वो राइवल कंपनी से मिला था। इस तरह सीनियर मैनेजमेंट के पांच लोगों को तोडागया था और सबके लिए अलग अलग सोर्सेज, अलग तरीके इस्तेमाल किये थे। और इसी लिए इनकी कम्पनी की सब इन्फो लीक हो रही थी।

कम्पनी सेक्रेटरी सबसे बड़ा कैच थी। वो अभी यंग थी, अम्बिशस थी और सारे डायरेक्टर उसके प्रति अट्रैक्टिव थे। और एफिसिएन्ट पर अब सवाल स्ट्रेटजी बनाने का था और उन डाइरेक्टस को टैकल करने का था, बिना उन्हें शक हुए। दोनों लोगो ने मिल कर थोड़ी देर में स्ट्रेटजी को शेप दे दिया और यह भी की बाकी इन्फो, पिक्स और डॉक्युमेंट्स कल आफिस के पहले उन्हें मिल जाएंगे, लेकिन वो लोग फोन पर कांटेक्ट नहीं करेंगे कयोंकि फोन तो सबसे पहले हैक हुए होंगे। तो थी ही।



पहला डायरेक्टर अपनी लड़की के चक्कर में ,... उसकी लड़की , एक सेक्स और ड्रग रैकेट में थे , और उसकी सीडी ,... उन्होंने उस सी डी की कॉपी दीर्घलिंगम को । लेकिन वो डायरेक्टर खुद भी कच्ची उम्र की लड़कियों के चककर में रहता था और उस की भी सी डी ,...
तय ये हुआ की उस डायेक्टर से इस्तीफा मांग लिया जाएगा , लेकिन उसे कम्पनी में एक नान सिग्नीफिकेंट पोस्ट पर बने रहने दिया जाएगा , विद सेम पर्क्स।

दो डायरेक्टर्स के रिलेटिव्स के अकाउंट में पैसे , डायमंड , ... और वो शुरू से ही प्लानिंग में शामिल थे , उन्हें भी ब्लैकमेल करने के पूरे मसाले थे , उन दोनों से इस्तीफा लिया जाएगा , और उन्हें कम्पनी से बाहर कर दिया जायेगा।

मिस्टर दीर्घलिंगम को उन्होंने , दीर्घलिंगम के ड्राइवर और उनकी ऑफिसियल कार में लगे बग्स के बारे में भी बताया।



बाकी मीटिंग्स के बारे में उन्होंने बता दिया लेकिन डिटेल्स कुछ भी नहीं बताया।
तय ये हुआ की कल स्टॉक मार्केट खुलने तक मिस्टर दीर्घलिंगम नार्मल रहेंगे , हाँ बात चीत वो डिसइन्फोर्मशन के लिए करेंगे। जिससे उनके बग को सुनने वाले ,कौंसुलेट में सिग्निट वाले बग्स की जांच कर ये पता लेंगे की उन्हें कौन कैसे रिकार्ड कर रहा है ,
बहुत उठा पटक चल रही है...
 
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chodumahan

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मिस्टर बुल
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और उसके बाद उनकी असली मीटिंग हुयी , मिस्टर बुल के साथ , ... मैरियट जुहू के काफी शाप में उन सिर्फ एक मेसज मिला की बोरीवली स्टेशन पर कोई उनसे प्लेटफार्म ६ पर मिलेगा। वह उन्हें मलाड ले गया , एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में ,



और वह मीटिंग रात में दो घण्टे तक चली,

उन्होंने उस केमैन आइलैंड वाले फंड से ४८ करोड़ एक एस्क्रो फंड में ट्रांसफर किये जिसका इस्तेमाल दस कंपनियां , सिर्फ उनकी कम्पनी के शेयर को खरीदने के लिए करतीं , इसमें से २५ करोड़ सुबह बारह बजे के आस आपस , पहले अटैक के लिए इस्तेमाल होता , बाकी बाद में,

वो बुल जितना पैसा उस एक्स्रो फंड का इस्तेमाल करता उतना ही अपना भी करता। कहते हैं न जादूगर अपना राज नहीं बताते तो वो भी नहीं बताने वाले कैटगरी में था, लेकिन उसकी मार्केट इंटेलिजेंस पक्की थी की कल मार्केट खुलते ही पहले इनकी कम्पनी के शेयरों की बिक्री शुरू होगी और दाम तेजी से गिरेंगे, लेकिन फ्रीफॉल होने के ठीक पहले वो इन्वेस्ट करना शुरू करेगा पहले अपने फंड से, फिर उस एस्क्रो फंड से और दाम जब थोड़े बढ़ जाएंगे तो खरीदना रोक देगा और उसके बाद राइवल फिर से शेयर बेच कर के दाम गिरायेगा, और अगर वो नहीं गिरायेगा तो ये खुद अपने ख़रीदे शेयरों में से ही बेच के एक बार फिर से दाम गिराएंगे और देखा देखी मार्केट सेंटीमेंट के बेस पे वो भी दाम गिरायेगा और शेयर बेचेगा।



उन्होंने अपनी स्ट्रेटजिक इन्वेस्मेंट टीम के लोगों का एक कांटेक्ट नंबर दे दिया और वो पहले से ही उनमे से एक को जानता था। ये मीटिंग सबसे लम्बी थी और सबसे टफ भी।

आधी रात तो कब की बीत चुकी थी।

वहां से निकलते ही उनके इंटेलिजेंस वाले ने यह बता दिया था की कौन बीयर वाला ट्रेडर कल होने वाले अटैक में शामिल होगा ,


उन की रूह काँप गयी उस का नाम और प्लानिंग सुन कर , जिस बुल आफ बुल्स से वो मिल कर आ रहे थे , वो उसी की टक्कर का था , और लास्ट मुकाबले में बीयर की ही जीत हुयी थी। उस के कांटेक्ट भी हर लेवल पर थे , और एक्वायर करने वाली कम्पनी ने उसे फ्री हैंड दे दिया था।



उन्हें फिर एक बार लाल और हरे दोनों फोन दबाये और उस का नाम बता दिया।




वो चरनी रोड के पास एक शेडी से होटल में रुके , और बहुत सुबह ,... साढ़े छह बजे ग्रांट रोड स्टेशन के सामने ( ईस्ट साइड ) बी मेरवान की दूकान पर , बन मस्का , मावा केक और चाय पीते हुए , वहीँ एक बार फिर उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से ,... और ढेर सारी इन्फॉर्मेंशन ,...

वो साथ में ये भी चेक कर रहा था की इनकी मीटिंग्स के बारे में कोई इन्फो अपोजिट कैम्प में तो नहीं पहुंची।

आज बुधवार शुरू हो गया था और ये दिन बहुत अहम् था। उनकी कम्पनी के लिए और उससे भी बढ़के इनके लिए , अगर इनकी कम्पनी डूबती तो साथ में ये भी और जो एक्वायर करता वो इनकी जॉब तो लेता ही आगे के लिए भी कांटे बोता। उन्हें टाउनशिप छोड़ना पड़ता, ये, गुड्डी और उसकी भाभी, और जो पॉजिशन इस कम्पनी में मिल गयी थी वो तो सपने में भी कहीं नहीं मिल पाती, डिप्रेशन का टाइम था, पांच छह महीना तो घर बैठना मामूली बात थी, हफ्ते भर में ही घर खाली करना पड़ता



पर दिमाग से एक झटके से उन्होंने उस अवसाद को निकाल दिया



होगी जीत, जरूर होगी जीत और ऐसी जीत होगी की अगली बार कोई सोचेगा भी नहीं कुछ करने की।
इनफार्मेशन इज पॉवर....
 
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chodumahan

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जोरू का गुलाम -भाग ३३८

War I - शेयर मार्केट में मारकाट

34,01,300

बुधवार -बम्बई

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वो चरनी रोड के पास एक शेडी से होटल में रुके ,

और बहुत सुबह ,... साढ़े छह बजे ग्रांट रोड स्टेशन के सामने ( ईस्ट साइड ) बी मेरवान की दूकान पर , बन मस्का , मावा केक और चाय पीते हुए , वहीँ एक बार फिर उस काउंटर इंटेलिजेंस वाले से ,... और ढेर सारी इन्फॉर्मेंशन ,... वो साथ में ये भी चेक कर रहा था की इनकी मीटिंग्स के बारे में कोई इन्फो अपोजिट कैम्प में तो नहीं पहुंची।

बी मेरवान, १०० साल से भी ज्यादा पुरानी, ईरानी चाय की दूकान जहाँ चाय से ज्यादा मावा केक मशहूर है और सुबह ६ बजे से ही लाइन लग जाती, हैं, ग्रांट रोड स्टेशन से उतरने वाले, रात की पाली ख़तम कर जाने वाले, आस पास के लोग , सुबह की पहली चाय के लिए यहाँ लाइन में लगे रहते हैं। और मावा केक के चाहने वाले तो आसपास से ही नहीं बल्कि दूर से भी आते हैं, तो यहीं पर तय हुयी मिलने की बात,

चरनी रोड स्टेशन के बाद ग्रांट रोड बस अगला ही लोकल स्टेशन है वेस्टर्न लाइन पे मुम्बई सेंट्रल की ओर तो वहीँ सुबह सुबह,


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और उस भीड़ में कोई सोच भी नहीं सकता था, कितने काम की बात हुयी।

सुबह से तीन चार काम की बातें मैंने सोच रखी थी, पहले तो बीयर कार्टेल, जो लोग शेयर बाजार में मंदी लाते हैं, उनके बारे में जितना पता चल जाए, असल में उनको कंट्रोल करना सिर्फ हम लोगो के लिए जरूरी नहीं है, मुझे अब तक लग गया है जो सरकार में आर्थिक व्यवस्था की पेंच अपने हाथ में रखते हैं वो भी चाहते हैं इन्वेस्टमेंट हो, शेयर मार्केट में और इकोनामी के प्रति एक पॉजिटिव अप्रोच बाजार में और लोगो के मन में जागे, इसके लिए शेयर बाजार में ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा उछाल होना चाहिए, और मार्केट के रेगुलेटर, सेबी के लोग भी उन पर नकेल कसना चाहते हैं पर उनकी भी मज़बूरी है और उन्हें डाक्यूमेंट चाहिए, फिर कल उसने बोला भी था की दो चार दिन के लिए तो वो एक दो की ट्रेडिंग रोक सकते हैं, लेकिन उससे ज्यादा नहीं। वो कोर्ट से स्टे ले आते हैं।

कल उस 'बुल' के यहाँ से निकलते ही मुझे इन्फो मिल गयी थी की आज बीयर कार्टेल का जो मुखिया है वो शायद खुद मैदान में आएगा हम लोगो के खिलाफ।

दूसरी बात थी, कम्पनी के जो दो डायरेक्टर राइवल कम्पनी से मिल गए थे उन्हें हैंडल करने के हथियार तो थे, एक की बीबी का चक्कर था दूसरी की बेटी का और उसके खुद के भी बहुत घपले थे और ये बातें कल मैंने मिस्टर दीर्घलिंगम को बता दी थीं और आज उन्हें हैंडल करना था। लेकिन उनको हैंडल करने के लिए उन्हें डॉक्यमेंटरी एविडेंस चाहिए थे, वीडियो, ऑडियो जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे । और सबसे पापिन तो वो कम्पनी सेक्रेटरी थी, उसका जहर निकालने का भी जुगाड़ होना था। और यह सब डाकुमेंट आफिस के पहले ही मिस्टर दीर्घलिंगम को मिल जाना था।

और सबसे जरूरी बातें थी मुझे कुछ सर्वेलेंस वाले चाहिए थे जो मुझे ही सीधे रिपोर्ट करें, मैं मिसेज महालिंगम या उनकी बेटी के मामले में प्राइवेसी मेंटेन करना चाहता था, और वो दोनों मामले मुझे ही हैंडल करने थे और वो भी शाम पांच बजे के पहले नहीं।

और तीसरा मावा केक खत्म करने के पहले वो तीनो काम हो गए। मुश्किल से दस मिनट काउंटर इंटेलिजेंस वाले से बात हुयी, एक मोबाइल फोन वो मेरे लिए लाया था बस उसी में सब डाटा था। और सर्वेलेंस के लिए वहीँ उसने मीटिंग फिक्स कर दी, साढ़े सात बजे स्टेडियम रेस्टोरेंट में, चर्चगेट के पास।


उसके जाने के बाद मैंने एक मावा केक और खाया और एक पैक भी कराया। और वो डाटा यथायोग्य सात बजे तक भेज दिया , शेयर के दाम करने वाले कार्टेल के बारे में काफी अंदरूनी जानकारी मिल गयी थी और अब मुझे अगली मीटिंग के लिए निकलना था ।

साढ़े सात बजे, स्टेडियम रेस्टोरेंट, चर्चगेट, में मिलना था और चरनी रोड से मैंने फिर चर्च गेट के लिए लोकल पकड़ी, मुश्किल से पांच मिनट का रास्ता , चरनी रोड, मरीन लाइंस और फिर चर्च गेट।


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स्टेडियम रेस्टोरेंट, एकदम खुला खुला, इंडियन मर्चेंट चैंबर से सटा हुआ, पारसी रेस्टोरेंट, और सुबह का समय चर्च गेट आनेवालों की भीड़ अभी पीक पर नहीं पहुंची थी, लेकिन विरार की और से आने वाली लोकल हजारों लोगों को साऊथ मुम्बई ला रही थीं और वहां से वो बस, टैक्सी, कुछ पैदल, किसी को किसी से कोई मतलब नहीं, और इसी समय मैं जब स्टेडियम रेस्टोरेंट में घुसा तो वो पहले से वहां था, लाल टोपी, हाथ में मराठी अखबार लोकमत, और पहुंचते ही आर्डर उसी ने दे दिया और जैसे बहुत दोनों के बाद के दोस्त मिले हों, लेकिन बात सीधे काम पर आ गयी।

मैंने मोबाइल में उस लड़की की पिक दिखाई, जो मिसेज दीर्घलिंगम के पीछे पड़ी थी,


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देखने में एकदम कच्ची कली लगती थी


और उसके पास मिसेज दीर्घलिंगम की पिक्स थी और आज शाम को पांच बजे वो कुछ वोमेन एन जी ओ के साथ पहले कोलाबा थाने, फिर कफ परेड में उनके फ़्लैट पे, मिडिया, पहले से होती। पुलिस, एनजीओ और मिडिया वाले पहले से सेट थे, हाँ उन्हें ये नहीं बताया गया था की शिकायत कौन करेगा और फंसाना किसको है, ये पांच बजे के बाद ही पता चलता। लेकिन ये सब मैंने उसे नहीं बताया है।

उसने फोटो देख के सिर्फ ये पूछा,
"उठाना है ? लोकेशन।"

मैंने हाँ और नहीं दोनों में सर हिलाया और पूरा आपरेशन समझा दिया। पहले सिर्फ सर्वेलेंस, और चार बजे के आसपास, उठा लेना है, लेकिन कुछ करना नहीं है। सिर्फ २४ घंटे तक कहीं रखना है और फिर छोड़ देना है।

वो समझ गया, मैंने पोसोसिबल लोकेशन भी बता दी, कफ परेड के पास की ही झोपड़ पट्टी में, गली का नंबर भी। उसने फोटो अपने फोन में ले और चाय ख़तम करने के पहले बता दिया, पहले एक स्पा में थी, अभी एक एस्कॉर्ट एजेंसी के पास है । अभी नाना चौक के पास एक होटल में गयी है और दस बजे तक खोली में लौटती है, दिन भर वहीँ रहेगी और आपको डाटा भी चाहियेगा तो वो भी मैं निकाल लूंगा और डिवाइसेज खाली कर दूंगा।



आज बुधवार शुरू हो गया था और ये दिन बहुत अहम् था।



उनकी कम्पनी के लिए और उससे भी बढ़के इनके लिए , अगर इनकी कम्पनी डूबती तो साथ में ये भी और जो एक्वायर करता वो इनकी जॉब तो लेता ही आगे के लिए भी कांटे बोता। उन्हें टाउनशिप छोड़ना पड़ता, ये, गुड्डी और उसकी भाभी, और जो पॉजिशन इस कम्पनी में मिल गयी थी वो तो सपने में भी कहीं नहीं मिल पाती, डिप्रेशन का टाइम था, पांच छह महीना तो घर बैठना मामूली बात थी, हफ्ते भर में ही घर खाली करना पड़ता



पर दिमाग से एक झटके से उन्होंने उस अवसाद को निकाल दिया



होगी जीत, जरूर होगी जीत और ऐसी जीत होगी की अगली बार कोई सोचेगा भी नहीं कुछ करने की।

स्टेडियम रेस्टोरेंट से निकल कर वो एस्टोरिया होटल में घुस गए, एक छोटा सा लेकिन बहुत ही कम्फर्टबेल और पुराना होटल था साउथ बॉम्बे का, चर्चगेट स्टेटशन के एकदम बगल मे। कल जब उनकी एल आई सी से मीटिंग थी, उसी समय उन्होंने इस होटल में चेक इन कर लिया था, लेकिन रात में रुके थे वो चरनी रोड के पास एक छोटे से होटल में। पर आज दिन की सब एक्टिविटी साउथ मुंबई में ही है तो वापस वो एस्टोरिया में आ गए।

बस एक मीटिंग और बची थी, लेकिन वो भी पास में ही थी, और अभी आधे घंटे टाइम था। एरोस थियेटर के पास जहाँ चर्चगेट स्टेशन का सब वे निकलता है, एक अखबार वाले से उन्होंने सब इकोनामिक अखबार ले लिए, इकोनॉमिक टाइम्स, फायनेंसियल एक्सप्रेस और मिंट, और एक दो पेपर और।

होटल के कमरे में चाय पीते हुए अखबार खोला, टीवी लगाया और ख़ुशी से उछल पड़े, अब बयार थोड़ा उनलोगों की ओर बहने लगी थी।



टीवी में नीचे न्यूज रनर चल रहा था,

" सुबह सुबह ई डी का छापा, चार बड़े शेयर मार्केट से जुड़े लोगों के यहाँ " और जब एक दो और चैनल देखे तो नाम पता चल गया।

वही जिनके नाम उन्हें सुबह सुबह मिले थे, जो बीयर किंग था, सट्टा बाजार में मंदी को सपोर्ट करने वाला, और उसके तीन प्रमुख साथी, अभी साढ़े छह बजे सुबह ही तो उन्होंने आधे दर्जन से ऊपर शेयर मार्केट वालों के बारे में डाटा ट्रांसफर किया था।

पहला हमला इन लोगों का आठ बजे शुरू हुआ , एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने उस बीयर वाले ट्रेडर्स के यहाँ जो मार्केट में मंदी का एक्सपर्ट था , उसके यहाँ छापे मारने शुरू किये , और वही खबर टीवी में आ रही थी और उसका असर मार्केट पर जरूर पड़ेगा और बाकी लोग भी जो इन के साथ मिलकर मार्केट को गिराने की कोशिश कोशिश करते थोड़ा तो सहम जाते, और सिर्फ उनकी कम्पनी के शेयर के दाम नहीं गिरते बल्कि और लोगों के भी उसको रोकने के लिए अगर इनकी कंपनी शेयर वापस खरीदना शुरू करती तो उसके लिए बहुत फंड चाहिए था, अभी सवाल था इन लोगो ने जो वार चेस्ट जोड़ा था उससे क्या हो पायेगा, लेकिन अब ये झटका निश्चित रूप से हेल्प करेगा



साढ़े नौ बजे , सेबी ने उस बीयर वाली कम्पनी के ट्रेडिंग राइट्स एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किये ,

पर उससे पहले दो और मीटिंग हो गयी, एक तो टी सेण्टर में, स्टेडियम रेस्टोरेंट के पास ही, स्टैनफोर्ड का पढ़ा, बहुत दिन तक स्टैनले मॉर्गन में काम किया, फिर वॉल स्ट्रीट जर्नल में, लेकिन देश की माटी की पुकार और देसी लड़की का चक्कर, वापस हिन्दुस्तान और अब बिजनेस कंसल्टेंसी के साथ कई बिजनेस साइट्स से जुड़ा और शेयर मार्केट की एडवाइस भी इंटरनेट पर,



कल जिस लड़की के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर बात हुयी थी, उसी ने ये कांटेक्ट बताया था और रात में ही ये मीटिंग फिक्स हुयी थी। ये भी मंदी लाने वाले लोगो के खिलाफ था लेकिन उससे भी बढ़कर मार्केट इंटेलिजेंस उसकी पक्की थी और वर्ड ऑफ़ माउथ पब्लिसिटी के लिए भी वो जाना जाता था, उसके कालम के ६४ हजार फॉलोअर थे।

उसकी सूचना थी,

की आज मार्केट में क्रैश होने के पूरे चांसेज थे


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और उनकी कम्पनी पर जबरदस्त रेड होनेवाली थी और हो सका तो एक्वायर करने वाले शाम तक अपना दावा पेश कर दें, लेकिन उनके काउंटर अटैक की सुनगुन भी मार्केट में है और सुबह इंफोर्स्मेंट डायरेक्ट्रोरेट की रेड से भी मंदी वालों की आंच थोड़ी मंद पड़ी है,

और अगर इस रेड के बेसिस पर कुछ शेयर मार्केट वालों की ट्रेडिंग सेबी वाले रोक देंगे तो उनके पास सपोर्ट कम हो जाएगा और अगर कहीं बैंक ने उनके खाते सीज कर दिए, जिससे वो शेयर बाद में खरीदेंगे, तो उनका वार चेस्ट भी कम हो जाएगा और सबसे बड़ी बात मार्केट भी बड़े इन्वेस्टर्स को देखता है, तो इंस्टीयूशनल इन्वेस्टर्स क्या करते हैं ये भी लोग देखेंगे।

अक्सर जब बहुत उठा पटक होती है तो गवरमेंट के लोग दूर रहते हैं, पर वो अगर साथ आएंगे तो मार्केट का मूड बदलते देर नहीं लगेगी।



कुछ टिप मैंने उसे दी, कुछ उससे ली और कुछ बातें बोली, १२ बजे के बाद फूफसूसाहट के साथ मार्केट में फ़ैलाने के लिए।



एक हैकर से भी डार्क वेब पर जाकर कुछ काम की बातें हुयी।



और साढ़े नौ बजे सेबी ने चार बीयर वालो की ट्रेडिंग रोक दी, जिनके यहाँ छापा पड़ा था और छह को नोटिस दे दी, ये सारे लोग उस कार्टेल के मेंबर थे और इन्हे भी सिर्फ २४ घंटे का समय दिया। कुछ कंपनियों को इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए भी नोटिस पकड़ा दी गयी।
मुंबई.. पुराना बॉम्बे के आइकोनिक जगहों का जगह जगह उद्धरण .. बहुत मजेदार और विश्वसनीय लगा...
 
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वार रूम
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पर मैं उसके पहले ' वार रूम' में पहुंच गया था।

ओपनिंग बेल के पंद्रह मिनट पहले, यह फोर्ट में ही था, स्टॉक एक्सचेंज के पास, एक सेकेण्ड फ्लोर पर आफिस, जो वैसे कोई स्पा या पार्लर लगता।

कल रात में अमेरिकन कौंसुलेट से जो कारपोरेट हेडक्वार्टर से बात हुयी थी तो उन्होंने दो स्टॉक के एक्सपर्ट्स को मेरे साथ लगाया था, एक दुबई में और एक सिंगापुर में, साउथ एशिया के मार्किट के दोनों एक्सपर्ट थे और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का भी काफी एक्सपेरिएंस था। इनमे से एक से मेरी कई बार बिजनेस स्ट्रेटजी सेशन में मुलाक़ात हो चुकी थी। हम तीनो ने मिल कर आज के बारे में बहुत देर तक प्लान किया, वार चेस्ट, शेयर कितने लेवल तक गिरने देना है, कब चेस्ट से इंटरवीन करना है, कब खरदीना है कब बेचना है और क्या स्ट्रेटजी होगी अक्वीजिशन बचाने के लिए

लेकिन हम तीनो जानते थे की लड़ाई में पहली गोली चलने के बाद सारी प्लानिंग धरी रह जाती है ,

और उस समय फ्रंट पर कौन है वो क्या टैक्टिकल डिसीजन लेता है उसका बड़ा फरक पड़ता है।
ब्रोकर्स की कई टीम थीं, कुछ तो स्टॉक मार्केट में थे, कुछ अलग से आपरेट कर रहे थे, बिग बुल से जो मैंने बात की थी उनकी टीम अलग थी लेकिन कोआरडीनेट करने के लिए एक सेंटर था, ' वार रूम ' जिसको एक लड़की कंडक्ट कर रही थी, उसके बारे में उन दोनों ने ज्यादा नहीं बताया था, लेकिन ये बोला था की वो मुश्किल से किसी को पसंद करती है, अपने साथ वार रूम में रखना, लेकिन अगर उसने तुम्हे ग्रीन सिंग्नल दे दिया तो आधा काम हो गया।

एक लिमिट्स हम लोगो ने तय कर ली थी, उसके बियांड जाने पर हम तीनो की परमिशन लगती, और लाइव कम्युनिएकशन होता और उसमें भी मुझे ही उस वार रूम वाली को बोलना होता। उस के अलावा बिग बुल के साथ कारपोरेट के लोगो से क्या बात हुयी थी सिर्फ मुझे मालूम था। और वो सब कोर्डिनेट भी मुझ से ही करते

और वार रूम में घुसते ही जोर का झटका जोर से लगा,

मीनल, मीनल शाह , सुना तो था उसके बारे में कल।


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जब हम लोगो की आज के बारे में स्ट्रेटजी मीटिंग जो रही थी, दुबई और सिंगापुर में बैठे अपने एक्सपर्ट्स के साथ जो आज के आपरेशन में हमारे साथ रहते और कम्पनी के स्टॉक मार्केट के सबसे बड़े ऑपरेटर थे, उन दोनों ने बताया था।

बताया क्या था, बस वार्न किया था और कहा था समझ लो थी की अगर उसने तुझे पसंद कर लिया, तो काम हो गया, उसके साथ की किसी ऑर्डिनरी आदमी का टीम बना के काम करना मुश्किल है, लेकिन अगर जोड़ी बन गयी तो फिर तो, ….और ज्यादा पूछने पे उन्होंने हाथ जोड़ लिया,

उन लोगों की भी एक दो बार की ही मुलाक़ात थी, और आज वार रूम की कमान मीनल शाह के हाथ में थी, बल्कि वार रूम भी उसी का था,
ऑन द स्पॉट डिसीजन ... वो भी सही... जीतने के चांसेस ९०% कर देते हैं...
 
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chodumahan

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मीनल शाह
Diya-ileana-in-nenu-naa-rakshasi-hq-stills-wallpapers-movie-1928147882.jpg


मीनल स्टॉक ब्रोकर के जंगल की शेरनी थी, जो कभी कभार ही शिकार में उतरती थी और वो भी अपनी मर्जी से, और जब ऑड्स एकदम खिलाफ हों, तब बाजी पलटने के लिए लेकिन वो भी किसी के कहने पर नहीं बस अपनी मर्जी से, और न बीयर थी न बुल, कभी मंदीवालों के साथ तो कभी तेजी वालो के साथ लेकिन और एक बार शिकार कर के हफ़्तों भर आराम करती थी।

आज सुबह से सट्टा बाजार में हमारी कंपनी के एक्वायर किये जाने पर पर एक का पांच चल रहा था, मतलब जो कहे की हमारी कम्पनी एक्वायर नहीं होगी और १०० रुपया लगाए, उसे अगर शाम तक हमारी कम्पनी न एक्वायर हो तो ५०० मिलेगा, मतलब हमारे जितने के चांसेज मुश्किल से २० फीसदी थी और मार्केट तो पब्लिक के मूड से चलता है , और मूड साफ़ दिख रहा था।

पहले मैंने वार रूम देखा और फिर मीनल शाह को, और दो बार जोर का झटका जोर से लगा।

ढेर सारे बीयर के कैन्स,
beer-18mc919szi2ssjpg.jpg


सिगरेट, और सामने ६० इंच वाले तीन टीवी के स्क्रीन, जिस पे फीड्स आ रही थीं, एक पे निफ्टी और सेंसेक्स के ट्रैकर चल रहे थे और एक पे काफी कंपनियों के और साथ में कुछ और लैप टॉप खुले थे,


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मीनल के साथ दो और थे, एक लड़की और एक लड़का और एक टीनेजर था शायद आफिस ब्वाय।

मीनल शाह मुड़ी मेरी ओर, ट्वेंटीज में,… बाल खुले, एकदम गुजराती लड़कियों की तरह स्लिम, शार्प फीचर्स, बड़ी बड़ी आँखे, तीखी नाक, एकदम अंकेम्पट, बूब्स जबरदस्त थे और टॉप छोटा सा, साफ़ था की उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी, और उसे लुक्स की कोई फ़िक्र नहीं थी। एकदम लाइट मेकअप, और जींस,

" स्साले चिकने, तो तू ही है, देखने में तो मस्त लग रहा है , तेरे साथ आज मजा आ जायेगा, क्यों अनु, लौंडा कैसा है " अपनी सीट पे थोड़ा सा सरक के मुझे हाथ और जगह ऑफर करते बोली।

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अनु मतलब अनुराधा बिश्वास, असली बंगालन, मछली सी आँखे, थोड़ी सांवली लेकिन जैसे बंगाल की खाड़ी का पूरा नमक उसके अंदर आ गया हो,

वो भी जरा सा मुस्करायी और हाथ मिलाने के लिए, हाथ बढ़ा दिया /
bengali-girl-2desktop-wallpaper-sohini-sarkar-bengali-actress-thumbnail.jpg


टीम का तीसरा मेंबर, सुब्रण्मयम, जिसे सब सुब्बू ही कहते थे औरआफिस ब्वाय, अनीस, जो पता चला बाद में असली खिलाड़ी था, लॉजिस्टिक्स , आई टी सपोर्ट और एडमिन सब कुछ वही था।
ओपनिंग बेल में अभी थोड़ा टाइम था, लेकिन हम सब की निगाहें स्क्रीन से चिपकी थीं और ओपनिंग बेल के साथ ट्रेडिंग शुरू हुयी। कल रात को हमारी स्ट्रेटकजीक सेशन का नतीजा था और फॉर ईस्ट में स्टॉक एक्सचेंज में किये गए कोशिशों का असर, हमारी कम्पनी शुरू में कल से हमारा स्टॉक २ प्वाइंट ऊपर चल रहा था। हम सब की आँख टिकर पर लगी थी, और ओपनिंग बेल के पहले मीनल ने मुझसे पूछा

" व्हाट हैव यू ब्रॉट इन प्लेट "

और मैंने टैब खोल के दिखा दिया, मेरा ऑथराइजेशन, वार चेस्ट का फंड, जो शेयर हम ट्रेड कर सकते थे, अपनी कम्पनी के, और कंपनियों के जो शेयर हमारे पास थे, और जो इन्फो मैंने कलेक्ट की थी, बीयर कार्टेल के जो लोग अटैक करने वाले थे, सब कुछ जो समझाने में किसी को आधे घंटे से ज्यादा लगता, मीनल ने पांच मिनट में आत्मसात कर लिया और उतने ही टाइम में सुब्बू के टैब से होते हुए स्क्रीन पे और सुब्बू ने कुछ फार्म्स पे मुझसे साइन कराये, कुछ टैब पे थम्ब्स इंप्रिंट लिए, मेरे आई डी कार्ड और सब कुछ,

और उसी समय ओपनिंग बेल बजी, ट्रेडिंग शुरू हो गयी।

हम सब की, ख़ास तौर से मेरी दिल की धड़कने बढ़ी हुयी थी, मीनल टिकर को देख रही थी, कभी कनखियों से मुझे भी। लेकिन अभी सब सामने चल रहा था, हमारे शेयर अभी भी कल से ऊपर कोट हो रहे थे, सेंसेक्स भी नार्मल चल रहा था,

मीनल ने थोड़ी देर बाद बोला, पुट टाइमर फॉर २८ मिनट्स

और अनुराधा ने कोई बटन दबाया, स्क्रीन पर टाइमर सेट हो गया २८ मिनट, यानी सभी टीम २८ मिनट तक कुछ नहीं करेंगी। सारे आपरेशन होल्ड पर थे और हमे वाच करना था।

गिरावट २५ मिनट के बाद शुरू हुयी, और मीनल एक स्क्रीन पर देख रही थी की कौन से एजेंट्स हैं, जो हमारे शेयर बेच रहे हैं, और सिर्फ हमारी कम्पनी के ही नहीं कुछ और कंपनियां थीं, जिनके शेयर नीचे गिर रहे थे, और ये वो कंपनियां थीं जो हमारे शेयर को सपोर्ट कर रही थीं, और कुछ बीयर वाली कंपनियां जिनके नाम मुझे पता चली थीं वो भी गिरा रही थीं, कुछ शार्ट सेलर मैदान में आ गए थे,

और हमारी कम्पनी के साथ और ग्राफ गिरने के साथ अब सेंसेक्स और निफ्टी दोनों नीचे आ रहे थे, मैं सिर्फ सामने स्क्रीन पर ट्रैकर आ रहे थे, उन्हें देख रहा और उन्हें समझने की कोशिश कर रहा था।

२८ मिनट का टाइमर जैसे लगा, मीनल ने सिर्फ एक शब्द बोला, होल्ड फॉर टेनमिनट्स, और अनुराधा ने बस वो मेसेज सब टीम्स को रिले किया,



होल्ड फॉर टेन मिनट्स,

और बेचने वाली कंपनियों की ओर देख के मीनल ने बस सुब्बू की ओर देखा और वो टैब पे उन कंपनियों के डिटेल निकालने लगा। उन कंपनियों के खुद के शेयर किसके पास थे, कौन कौन सी ब्रोकरेज फर्म थीं और मीनल ने एक बार फिर से सब स्क्रीन को देखा और मुझे देख के मुस्करायी,

" स्साले कभी किसी १६ साल की लौंडिया को चोदा है ? "
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मैं एक पल के लिए संशय में पड़ गया, गुड्डी ? नहीं अब अगर कुछ दिन पहले १८ की हो गयी है तो १६ की तो कतई नहीं, लेकिन फिर मुझे मिसेज मोइत्रा की कबुतरियों की याद आ गयी, दोनों जुड़वाँ बहने अभी नौवे में थीं, और मैं मुस्कराया, और मीनल ने मेरी चोरी पकड़ ली और मुस्करा के बोली,

" कभी मौका मिले तो छोड़ना मत, और मौका न मिले तो मौका ढूंढ लेना, जितनी कच्ची उतनी अच्छी। खूब चिल्लायेगी, चीखेगी टांग फेंकेगी चूतड़ पटकेगी, हाथ पैर जोड़ेगी, और जितना रोये, उतना कस के पेलना, रगड़ के, खूब परपरायेगा, छरछरायेगा, स्साली को उतना ही मजा आएगा।
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तो आज तुझे सोलह साल की लौंडिया जो चोदने का मजा मिलेगा, बल्कि उससे भी ज्यादा,....., खड़ा तो स्साला तेरा अभी से हो रहा है। क्यों अनु हम लोगों का आर्गाज्म का क्या रिकार्ड हैं, ऐसे टाइम का ?"

" चार बार,... लास्ट टाइम, " मुस्कराते हुए स्क्रीन पे देखते अनुराधा बोली,

" आज पक्का टूटेगा " मीनल बोली



और अब उसकी उंगलिया की बोर्ड पर नाच रही थीं, एक स्क्रीन पर इंस्ट्रक्शन आ रहे थे अलग अलग टीमों के लिए


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और ट्रैकर अब सब नीचे चल रहे थे, सिर्फ हमारी कंपनी के नहीं बाकी कंपनियों के भी,

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मुझे लग रहा था मीनल अब बिकवाली रोकने के लिए हमारे शेयर खरीदना शुरूकरेगी, अभी हमने अपना वार चेस्ट खोला भी नहीं था, लेकिन ठीक १० मिनट बाद मीनल चीखी



बेचो, सालों बेचो,



और चार टीमें अनुराधा हैंडल कर रही थी और चार सुब्बू और मीनल खुद हर टीम लीडर से अलग अलग बात कर रही थी।

अब वो अपने रूप में आ गयी थी, कम से कम आठ जुबानों में बात कर रही थी, सिंगापुर और दुबई के टीम लीडर्स से अंग्रेजो वाली अक्सेन्टेड अंग्रेजी में अनु से बांग्ला में, सुब्बू से तमिल में और टीम लीडर से कभी गुजराती, तो कभी सिंधी



बाद में मुझे पता चला की मीनल को दस भाषाएँ तो अपने देश की आती थीं, विदेशी छोड़ दें,.... लेकिन गाली वो सिर्फ पंजाबी और भोजपुरी में देती थी। उसका मानना था की उसके अलावा किसी और जुबान में गाली देने का मजा नहीं और जिससे बिना गाली दिए बात किया,... वो दोस्त नहीं।
जैसे शेर और शेरनियां एक बार शिकार करने के बाद हफ्ते तक आराम फरमाते हैं...
 

chodumahan

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मीनल शाह
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मीनल स्टॉक ब्रोकर के जंगल की शेरनी थी, जो कभी कभार ही शिकार में उतरती थी और वो भी अपनी मर्जी से, और जब ऑड्स एकदम खिलाफ हों, तब बाजी पलटने के लिए लेकिन वो भी किसी के कहने पर नहीं बस अपनी मर्जी से, और न बीयर थी न बुल, कभी मंदीवालों के साथ तो कभी तेजी वालो के साथ लेकिन और एक बार शिकार कर के हफ़्तों भर आराम करती थी।

आज सुबह से सट्टा बाजार में हमारी कंपनी के एक्वायर किये जाने पर पर एक का पांच चल रहा था, मतलब जो कहे की हमारी कम्पनी एक्वायर नहीं होगी और १०० रुपया लगाए, उसे अगर शाम तक हमारी कम्पनी न एक्वायर हो तो ५०० मिलेगा, मतलब हमारे जितने के चांसेज मुश्किल से २० फीसदी थी और मार्केट तो पब्लिक के मूड से चलता है , और मूड साफ़ दिख रहा था।

पहले मैंने वार रूम देखा और फिर मीनल शाह को, और दो बार जोर का झटका जोर से लगा।

ढेर सारे बीयर के कैन्स,
beer-18mc919szi2ssjpg.jpg


सिगरेट, और सामने ६० इंच वाले तीन टीवी के स्क्रीन, जिस पे फीड्स आ रही थीं, एक पे निफ्टी और सेंसेक्स के ट्रैकर चल रहे थे और एक पे काफी कंपनियों के और साथ में कुछ और लैप टॉप खुले थे,


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मीनल के साथ दो और थे, एक लड़की और एक लड़का और एक टीनेजर था शायद आफिस ब्वाय।

मीनल शाह मुड़ी मेरी ओर, ट्वेंटीज में,… बाल खुले, एकदम गुजराती लड़कियों की तरह स्लिम, शार्प फीचर्स, बड़ी बड़ी आँखे, तीखी नाक, एकदम अंकेम्पट, बूब्स जबरदस्त थे और टॉप छोटा सा, साफ़ था की उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी, और उसे लुक्स की कोई फ़िक्र नहीं थी। एकदम लाइट मेकअप, और जींस,

" स्साले चिकने, तो तू ही है, देखने में तो मस्त लग रहा है , तेरे साथ आज मजा आ जायेगा, क्यों अनु, लौंडा कैसा है " अपनी सीट पे थोड़ा सा सरक के मुझे हाथ और जगह ऑफर करते बोली।

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अनु मतलब अनुराधा बिश्वास, असली बंगालन, मछली सी आँखे, थोड़ी सांवली लेकिन जैसे बंगाल की खाड़ी का पूरा नमक उसके अंदर आ गया हो,

वो भी जरा सा मुस्करायी और हाथ मिलाने के लिए, हाथ बढ़ा दिया /
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टीम का तीसरा मेंबर, सुब्रण्मयम, जिसे सब सुब्बू ही कहते थे औरआफिस ब्वाय, अनीस, जो पता चला बाद में असली खिलाड़ी था, लॉजिस्टिक्स , आई टी सपोर्ट और एडमिन सब कुछ वही था।
ओपनिंग बेल में अभी थोड़ा टाइम था, लेकिन हम सब की निगाहें स्क्रीन से चिपकी थीं और ओपनिंग बेल के साथ ट्रेडिंग शुरू हुयी। कल रात को हमारी स्ट्रेटकजीक सेशन का नतीजा था और फॉर ईस्ट में स्टॉक एक्सचेंज में किये गए कोशिशों का असर, हमारी कम्पनी शुरू में कल से हमारा स्टॉक २ प्वाइंट ऊपर चल रहा था। हम सब की आँख टिकर पर लगी थी, और ओपनिंग बेल के पहले मीनल ने मुझसे पूछा

" व्हाट हैव यू ब्रॉट इन प्लेट "

और मैंने टैब खोल के दिखा दिया, मेरा ऑथराइजेशन, वार चेस्ट का फंड, जो शेयर हम ट्रेड कर सकते थे, अपनी कम्पनी के, और कंपनियों के जो शेयर हमारे पास थे, और जो इन्फो मैंने कलेक्ट की थी, बीयर कार्टेल के जो लोग अटैक करने वाले थे, सब कुछ जो समझाने में किसी को आधे घंटे से ज्यादा लगता, मीनल ने पांच मिनट में आत्मसात कर लिया और उतने ही टाइम में सुब्बू के टैब से होते हुए स्क्रीन पे और सुब्बू ने कुछ फार्म्स पे मुझसे साइन कराये, कुछ टैब पे थम्ब्स इंप्रिंट लिए, मेरे आई डी कार्ड और सब कुछ,

और उसी समय ओपनिंग बेल बजी, ट्रेडिंग शुरू हो गयी।

हम सब की, ख़ास तौर से मेरी दिल की धड़कने बढ़ी हुयी थी, मीनल टिकर को देख रही थी, कभी कनखियों से मुझे भी। लेकिन अभी सब सामने चल रहा था, हमारे शेयर अभी भी कल से ऊपर कोट हो रहे थे, सेंसेक्स भी नार्मल चल रहा था,

मीनल ने थोड़ी देर बाद बोला, पुट टाइमर फॉर २८ मिनट्स

और अनुराधा ने कोई बटन दबाया, स्क्रीन पर टाइमर सेट हो गया २८ मिनट, यानी सभी टीम २८ मिनट तक कुछ नहीं करेंगी। सारे आपरेशन होल्ड पर थे और हमे वाच करना था।

गिरावट २५ मिनट के बाद शुरू हुयी, और मीनल एक स्क्रीन पर देख रही थी की कौन से एजेंट्स हैं, जो हमारे शेयर बेच रहे हैं, और सिर्फ हमारी कम्पनी के ही नहीं कुछ और कंपनियां थीं, जिनके शेयर नीचे गिर रहे थे, और ये वो कंपनियां थीं जो हमारे शेयर को सपोर्ट कर रही थीं, और कुछ बीयर वाली कंपनियां जिनके नाम मुझे पता चली थीं वो भी गिरा रही थीं, कुछ शार्ट सेलर मैदान में आ गए थे,

और हमारी कम्पनी के साथ और ग्राफ गिरने के साथ अब सेंसेक्स और निफ्टी दोनों नीचे आ रहे थे, मैं सिर्फ सामने स्क्रीन पर ट्रैकर आ रहे थे, उन्हें देख रहा और उन्हें समझने की कोशिश कर रहा था।

२८ मिनट का टाइमर जैसे लगा, मीनल ने सिर्फ एक शब्द बोला, होल्ड फॉर टेनमिनट्स, और अनुराधा ने बस वो मेसेज सब टीम्स को रिले किया,



होल्ड फॉर टेन मिनट्स,

और बेचने वाली कंपनियों की ओर देख के मीनल ने बस सुब्बू की ओर देखा और वो टैब पे उन कंपनियों के डिटेल निकालने लगा। उन कंपनियों के खुद के शेयर किसके पास थे, कौन कौन सी ब्रोकरेज फर्म थीं और मीनल ने एक बार फिर से सब स्क्रीन को देखा और मुझे देख के मुस्करायी,

" स्साले कभी किसी १६ साल की लौंडिया को चोदा है ? "
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मैं एक पल के लिए संशय में पड़ गया, गुड्डी ? नहीं अब अगर कुछ दिन पहले १८ की हो गयी है तो १६ की तो कतई नहीं, लेकिन फिर मुझे मिसेज मोइत्रा की कबुतरियों की याद आ गयी, दोनों जुड़वाँ बहने अभी नौवे में थीं, और मैं मुस्कराया, और मीनल ने मेरी चोरी पकड़ ली और मुस्करा के बोली,

" कभी मौका मिले तो छोड़ना मत, और मौका न मिले तो मौका ढूंढ लेना, जितनी कच्ची उतनी अच्छी। खूब चिल्लायेगी, चीखेगी टांग फेंकेगी चूतड़ पटकेगी, हाथ पैर जोड़ेगी, और जितना रोये, उतना कस के पेलना, रगड़ के, खूब परपरायेगा, छरछरायेगा, स्साली को उतना ही मजा आएगा।
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तो आज तुझे सोलह साल की लौंडिया जो चोदने का मजा मिलेगा, बल्कि उससे भी ज्यादा,....., खड़ा तो स्साला तेरा अभी से हो रहा है। क्यों अनु हम लोगों का आर्गाज्म का क्या रिकार्ड हैं, ऐसे टाइम का ?"

" चार बार,... लास्ट टाइम, " मुस्कराते हुए स्क्रीन पे देखते अनुराधा बोली,

" आज पक्का टूटेगा " मीनल बोली



और अब उसकी उंगलिया की बोर्ड पर नाच रही थीं, एक स्क्रीन पर इंस्ट्रक्शन आ रहे थे अलग अलग टीमों के लिए


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और ट्रैकर अब सब नीचे चल रहे थे, सिर्फ हमारी कंपनी के नहीं बाकी कंपनियों के भी,

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मुझे लग रहा था मीनल अब बिकवाली रोकने के लिए हमारे शेयर खरीदना शुरूकरेगी, अभी हमने अपना वार चेस्ट खोला भी नहीं था, लेकिन ठीक १० मिनट बाद मीनल चीखी



बेचो, सालों बेचो,



और चार टीमें अनुराधा हैंडल कर रही थी और चार सुब्बू और मीनल खुद हर टीम लीडर से अलग अलग बात कर रही थी।

अब वो अपने रूप में आ गयी थी, कम से कम आठ जुबानों में बात कर रही थी, सिंगापुर और दुबई के टीम लीडर्स से अंग्रेजो वाली अक्सेन्टेड अंग्रेजी में अनु से बांग्ला में, सुब्बू से तमिल में और टीम लीडर से कभी गुजराती, तो कभी सिंधी



बाद में मुझे पता चला की मीनल को दस भाषाएँ तो अपने देश की आती थीं, विदेशी छोड़ दें,.... लेकिन गाली वो सिर्फ पंजाबी और भोजपुरी में देती थी। उसका मानना था की उसके अलावा किसी और जुबान में गाली देने का मजा नहीं और जिससे बिना गाली दिए बात किया,... वो दोस्त नहीं।
जैसे शेर और शेरनियां एक बार शिकार करने के बाद हफ्ते तक आराम फरमाते हैं...
 
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खेल शुरू

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मेरे समझ में धीरे धीरे आने लगा था कुल खेल,

एक स्क्रीन के कोने पे हमारा वार चेस्ट था, जिसमे हमारे शेयर और पैसे थे। मुझे लगा रहा था की हमारे वार चेस्ट में पैसे में कमी आनी शुरू हो जायेगी और हमारे शेयर बढ़ने लगेंगे लेकिन हो उलटा रहा था, बेचने से हमारे शेयर कम हो रहे थे और पैसे बढ़ रहे थे,

और अब मीनल का खेल मुझे थोड़ा बहुत समझ में आने लगा, अभी जब हमारे शेयर की वैल्यू ज्यादा है उसे बेच के हम वार चेस्ट और बढ़ा लेंगे और जब शेयर के दाम एकदम से गिर जाएंगे, तो उस समय जब हम शेयर अपने वापस खरीदना शुरू करेंगे तो उतने ही दाम में ज्यादा शेयर मिलने शुरू हो जाएंगे।

शेयर मार्केट में वैसे तो हर कोई बोलता है की जब शेयर गिरे तो खरीदो और उठे तो बेचो, लेकिन कितना गिरने पे खरीदो, यही आर्ट है क्योंकि आप पोस्टपोन करते रहे, और शेयर का दाम बढ़ने लगा या आपने खरीद लिया और शेयर और फिर औंधे मुंह गिर पड़े तो आप का पैसा गया।

और मीनल तेज निगाहों से सब बेचने वालों खरीदने वालों को देख रही थी और कम से कम कम १५० शेयर एक साथ ट्रैक कर रही थी , और कुछ कुछ कभी अनु को कभी टीम को बोलती।

लेकिन मैंने अपने लिए भी काम ढूंढ लिया था,

शेयर का मेरा ज्ञान करीब करीब शून्य था लेकिन बिजनेस एनेलेटिक्स और फोरेंसिक अकाउंटिंग में मैं क्लास ले सकता था और दूसरे बैलंस शीट और फायनेंसियल परफॉर्मेंस के डिटेल पढ़ कर मैं पांच मिनट में कम्पनी की असलियत तक पहुँच सकता था, बस करीब बारह कंपनियां थीं जो हम लोगो के पीछे पड़ी थीं, और कहीं से भी शेयर निकाल कर बेच रही थीं, बस सुब्बू को मैंने इशारा किया और उसने और अनीस ने, अनीस जबरदस्त हैकर भी था, उन ब्रोकरेज फर्म और कंपनियों की कुंडली निकाल के मुझे दे दी।

कम से कम पांच में मैंने जबरदस्त गड़बड़ियां ढूंढी, एकदम फ्राड वाली, और तीन तो फर्जी थीं।

राइवल भी जानता था की हम उनपे काउंटर अटैक करेंगे और ये तीन एकदम शैडो टाइप, कुछ दिनों पहले ही बनी थीं और डूब जाती तो फरक भी नहीं पड़ता, और उन्हें आगे इसलिए किया गया की अपने अटैक की सब एनर्जी हम इन कंपनियों पे खर्च करें,

मैंने मीनल को अपने रिजल्ट्स दिखाए और वो बड़े जोर से मुस्करायी और मुझे पकड़ के कस के हग कर के बोलीं,

" स्साले आज आया है असली मजा, आज जीतने के बाद तुझे बिना चोदे छोडूंगी नहीं, कहाँ छिपा था, ...अब चल हम दोनों मिल के इन सब की गांड मारते हैं "
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और अनुराधा को इशारा किया और उसने स्ट्रेटजी में तुरंत चेंज किया।

इधर मैंने अपने रिजल्ट सेबी का जो मेरा दोस्त कल मिला था उसे भेजे।

पंद्रह मिनट में रिजल्ट आ गया, उन बारह में से पांच की ट्रेडिंग बंद कर दी गयी और उनके अकाउंट भी बैंक ने फ्रीज कर दिए। बाकी को सेबी ने समंस भेज दिए।



उसका असर हम लोगों के शेयर की बिक्री पर पड़ा, मैं सामने ट्रैकर पर देख रहा था।

अब न सर्फ हमारी कंपनी के रेट गिरना बंद हो गए थेलेकिन ओवरआल सेंसेक्स भी स्टैब्लाइज हो गया था, और मीनल ने गेम प्लान चेंज किया और एक टाइमर सेट किया २५ मिनट,



जस्ट होल्ड, नो सेल्स, नो परचेज वो चीख कर अपनी सारी टीम से बोली और एक बार फिर एक एक ब्रोकरेज फर्म की परफॉर्मंस देखने लगी। यहाँ तक की सिंगापुर और दुबई में बैठे दोनों एक्सपर्ट्स ने भी हाथ रोक दिए।

मीनल ने मुड़ के देखा मेरी ओर और बोली,


" अब निकलेंगे स्साले असली मोटे वाले चूहे बिल से बाहर "
स्ट्रेटेजिक डिसीजन...
 
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chodumahan

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हमला - बीयर कार्टेल का, मंदी वालों का
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अबतक मैं रिएक्शन टाइम समझ गया था, जो हम लोग या हम पर अटैक करने वाले कर रहे थे उस की कॉपी फंड मैनेजर्स कर रहेथे जिमसे ५-७ मिनट टाइम लगता और फिर ट्रैकर पर गिरते बढ़ते शेयर को देख कर रिटेल वाले रिएक्ट करते उसमे १५ मिनट टाइम लगता तो करीब बीस मिनट बाद असल पता चलता था।

और सच में चार ब्रोकरेज फर्म जो मेरी लिस्ट में थी सीधे बीयर किंग से जुडी उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी।

हम लोगों का शेयर जो पांच प्वाइंट नीचे चल रहा था, एक घंटे के अंदर १० प्वाइंट आ गया था।

वो चारों ब्रोकरेज फर्म हमारे शेयर मार्केट में आफ लोड कर रहे थे, मुझे लग रहा था की अब मीनल खरीदना शुरू करेगी, लेकिन वो बार बार एक ही बात बोलती होल्ड आन,

१० प्वाइंट मतलब एक रेड लाइन, कल हम लोगो ने दो रेड लाइन तय की थी, एक फाल्स वाली जो दस प्वाइंट पर थी

और एक असली वाली जो १४ प्वांइंट पर थी। १० प्वाइंट वाली लाइन मैंने सुबह मिडिया वाले को भी बताई थी और मिस्टर दीर्घलिंगम को भी और उनसे कहा था की अपने ड्राइवर के सामने कल सुबह दस बजे के करीब किसी से फोन पर बात करते हुए बता दें की उसके बाद हम पूरी ताकत लगा देंगे और उसके बाद भी अगर शेयर गिरा तो हम हार मान लेंगे।

और दस प्वाइंट पार हो गया।

मैं मीनल अनु सुब्बू सब लोग सांस थाम के ट्रैकर देख रहे थे, कुछ हमारा शेयर ऊपर आया, दुबई वाले ने मीनल से बात कर के कुछ शेयर अपने ख़रीदे।

और तभी मेरे दिमाग में एक बात कौंधी, हैकर, मैंने स्टॉक एक्स्चेंजेस के कैमरे हैक करवाए थे, यानी उन बीयर फर्म के जो लोग ट्रेड कर रहे थे उनक की फीड मैंने अपने टैब में लिंक की और उसे मीनल को पास किया, मीनल ने सुब्बू को और अनीस को इशारा किया और अब वो स्क्रीन पे साफ़ दिख रहा था।

उन सब के चेहरे पे टेंशन पे था और अब मैं मान गया मीनल की स्ट्रेटजी।


शेयर बेचने वालों के चेहरे देखकर मीनल को एक जबरदस्त इनपुट मिल गया था, उन का टेशन, स्ट्रेस देख कर अंदाजा वो लगा रही थी की ये कितना दूर तक और चल सकते हैं।

राइवल चाहता था की दस प्वाइंट से नीचे न जाने के लिए हम शेयर खरीदेंगे तो हमारा वार चेस्ट खरच होगा और फाइनल अटैक में हमारे पास डिफेंड करने के लिए पैसा नहीं बचेगा। या शेयर के दाम गिरते देख कर हम शेयर बेचेंगे तो मार्केट में हमारे शेयर आएंगे और हमारी इक्विटी डाइल्यूट होगी, दोनों ही हालत में उनके पास उसका जवाब था।

पर मीनल ने होल्ड कर दिया था और मार्केट या तो अब गिरता या बढ़ता और वो गिराना चाहते थे तो उनके पास हमारे जो भी शेयर थे उसे बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। और उससे उस राइवल कम्पनी के शेयर हमारे कंम्पनी में कम होते और टेक ओवर होने का खतरा कम हो जाता।



एक जैसे १०० -१५० वादक का आर्केस्ट्रा हो और एक कुशल कंडक्टर उसे संचालित कर रहा हो, मीनल एकदम उसी कुशलता से कर रही थी।
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वो और उसके साथ अनु और सुबु भी, जैसे कठपुतली नचाने वाले हों और उनके दो नहीं दस हाथ हों और हर हाथ में बीसों उँगलियाँ हों, एक किसकी कुशल कोरियोग्राफर की तरह, जब उसने शेयर की खरीद फरोख्त होल्ड कर दी थी, तब भी लगातार टीमों से कभी वो फोन पे तो कभी आई पेड और कम्प्यूटर से, और अब सिर्फ टीम ही नहीं जो हम लोगों की टीमों को फॉलो कर रहे थे, फंड मैनेजर्स, जो मार्केट में सलाह देते हैं, यहाँ तक की राइवलस भी अगले कदम का इन्तजार कर रहे थे,

लेकिन मेरी दिल की धड़कने बढ़ रही थीं,
हालत अनु की भी कम ख़राब नहीं थी, हमारे शेयर की लाइन धीरे धीरे नीचे आ रही थी, जो एक फाल्स रेड लाइन हमने तय कर रखी थी, वो तो कब की पार हो गयी थीं, उसके बाद बाजार कुछ देर तक रुका,

लेकिन फिर धीरे धीरे गिरना शुरू हो गया। बीयर कार्टेल की मज़बूरी थी, मार्केट गिराने के लिए उन्हें हमारे शेयर बेचने पड़ रहे थे, मुझे लगा शायद एल आई सी या कोई और फ्रेंडली कंपनियां आएँगी, लेकिन मुझे याद आया की उनकी शर्त यही थी की पहले हम मैदान में आये, और

मीनल ने सबको रोक रखा था, बस वो देख रही थी हमारे और हमारी सपोर्ट करने वाली कंपनियों के कितने शेयर मैदान में है

और असली रेड लाइन भी पार हो गयी, हम लोगों ने तय किया था की अगर शेयर हमारी कम्पनी के १५ प्वाइंट से ज्यादा नीचे गिर गए तो उसे उठाना बहुत मुश्किल होगा,

मैं बार बार मीनल की ओर देख रहा था, उसका चेहरा स्क्रीन से चिपका लेकिन हाथ ट्रैफिक के सिपाही की तरह रोकने की मुद्रा में

अनुराधा की भी हालत खराब थी, वो बार बार जांघो को भींच रही थी, सिकोड़ रही और ढीली कर रही थी, जैसे कोई लड़की बार बार झड़ने के कगार पे पहुँच के रुक जाए और फिर एक बार झड़ने की हालत में पहुँचने लगे, साँसे तेज चल रही थी,

मीनल की हालत भी कम खराब नहीं थी, बड़े बड़े बूब्स एकदम पथराये, निप्स भाले के नोक की तरह टॉप को बेध रहे थे लकिन ये सब देखने की फुर्सत किसे थी, मेरी खुद हार्ट बीट कब की १०० पार कर चुकी थी, मैं कस के टेबल को पकडे था, बस अपनी कम्पनी के टिकर को देख रहा था


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अब वह धीरे धीरे १६ प्वाइंट के नीचे आ गया था
दुश्मन भी अपने पत्ते आजमा रहा है...
 
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chodumahan

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हमारा हमला
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मीनल किसी कुशल सर्जन की तरह आपरेशन टेबल पर और जैसे बाकी डाक्टर बिना बोले अपना काम करते हैं, हेड नर्स औजार पकड़ाती है अनुराधा और सुब्बू और मैं भी

मीनल की आँखे मुस्करायी, पहले हलके से मेरी ओर और फिर सुब्बू की ओर,

और सुबु ने जो सपॉर्टिंग कंपनियां थीं उनके शेयर ग्रैब करने शुरू किये, ....पहले धीरे धीरे फिर तेजी से, मीनल बस स्क्रीन पर और टाइमर देख रही थी और पंद्रह सेकेण्ड बाद अनुराधा को उसने आँख से इशारा किया, और हमारा वार चेस्ट कम होना शुरू हुआ,

हमने शेयर खरीदने शुरू कर दिए थे लेकिन बहुत धीरे धीरे जिससे मार्केट को अंदाजा न लगे और शेयर अब गिरना बंद हो गए थे, बीयर कार्टेल ने फिर एक झटके में १०, हजार शेयर हमारी कम्पनी के आफलोड किये और मीनल चिल्लाई,

" पेल दे, फाड़ दे स्सालों की, ...लौंडिया ने टाँगे खोल दी हैं,... चोद दे "

और ये इशारा सिर्फ हमारी बाहर बैठी टीमों के लिए नहीं था, ....उन तीनो ने तमाम फंड मॅनेजर को लूप में ले लिया था की मीनल की जो टिप आएगी वो उन्हें तुरंत बतायंगे, और उन फंड मैनेजर्स ने रिटेलर्स को



" डाल डाल और डाल, पूरा डाल,... स्साली, “

मीनल अनुराधा से बोल रही थी और अब सिर्फ हमारी कम्पनी के नहीं,.... हम अपनी सपोर्टिंग कामोनियों के भी शेयर तेजी से खरीद रहे थे,

जो शेयर हमने १८०० में बेचे थे अब १३०० में खरीद रहे थे, और थोड़ी देर में हमारे कम्पनी का ट्रैकर ऊपर उठने लगा, मुश्किल से दो चार न मिनट के अंदर बिग बुल और बाकी कंपनियां भी मैदान में आ गयी, जब शेयर १५०० पहुँच गया तो सब को यकीन हो गया की अब हमारी कंपनी बच गयी है और शेयर तेजी से मॉप अप होने लगे, लेकिन तब तक हमने अपनी कम्पनी की शेयर होल्डिंग काफी बढ़ा ली

जो मैंने फाल्स रेड लाइन दे रखी थी, आधे घंटे में हमारे शेयर उससे भी ऊपर आ चुके थे।

और अब ड्राप सिर्फ ८ प्वाइंट का था , सपॉटिंग कंपनियां जो एकदम डूबने के कगार पर थीं अब सुबह के लेवल पर ट्रेड कर रही थीं और सबसे ज्यादा उछाल उनमे आया था

जिन जिन बैंको और फंड ने हमें लोन दिया था, उनके शेयर भी नीचे हो गए थे अब वो भी सुबह के लेवल पर आ गए और कुछ के तो पॉजिटिव हो गए,



साढ़े बारह बजे तक सेंसेक्स सुबह से चार प्वाइंट ऊपर चलने लगा था।

अनुराधा की हालत एकदम खराब थी, वो बस ट्रैकर देख रही थी और बार बार अपनी जाँघे सिकोड़ रही थी, हाथ उसके कस के टेबल को दबोच रहे थे, मैं समझ रहा था की क्या हो रही हां उसके साथ, देह एकदम पथराई, आँखे चढ़ी और वही हालत मीनल की लेकिन उन दोनों से ज्यादा खराब हालत मेरी थी,

वो ट्रैकर देख कर मेरा टनटनाया था, एकदम बुरी हालत में और मीनल ने उस हालत में भी सुब्बू को बोला, स्लो २० मिनट्स जस्ट रैप अप
और वो इंस्ट्रक्शन सारी टीम्स को पास हो गए,

अब हम लोगों ने अपनी खरीद रोक दी, बल्कि स्लो कर दी थी, और जो छोटी छोटी कंपनियां हमारे साथ की थीं बस थोड़ा बहुत उनके शेयर बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे और यह काम सुब्बू और सपोर्टिंग टीम के जिम्मे था,

मैं समझ गया मीनल की ट्रिक,

अब कुछ फायदा मिस्टर बुल और इंस्टीट्यूशनल बायर्स को मिल जाए और दूसरी बात, जब शेयर हमारे बहुत लो हो गए थे तो कम फंड्स इन्वेस्ट कर के भी उसे १३०० से १५०० पर खींच लाये, लेकिन १५०० से १८०० पर लाने के लिए और फंड चाहिए जो इन इन्वेस्टर्स के पास था और तब भी उन सब को टोटल कैपिटल गेन अच्छा खासा होता और सबसे बड़ी बात हमारी कंपनी एकदम सेफ हो जाती

हे, सुब्बू की ओर मीनल ने देखा और सुब्बू ने एक सिगी उसकी ओर बढ़ा दी, और दो जबरदस्त कस लगा के मीनल ने वो मेरे मुंह में खास दी और उसकी निगाह मेरी पैंट के बल्ज पे,
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और मीनल ने कस के उसे पकड़ के निचोड़ दिया,

" वाउ स्साला, ....तेरा तो, हो गया न खड़ा, ...अरे मीनल के पास आया है, घबड़ा मत मजा आया न । बहुत दिन बाद ऐसी ट्रेडिंग हुयी है आज तुझे तो बिना चोदे जाने नहीं दूंगी, पर उसके पहले तेरे साथ मिल के आज स्साले इन बीयर कार्टेल वालों की मां बहन चोदनी है, स्साला आज गांड मार के रख दूंगी, सालो ने शार्ट सेलर्स के साथ मिल के मार्केट की माँ बहन चोद कर के रख दी थी, ...आज ऐसी फाड़ूंगी तेरे साथ मिल के की पूरे बंबई का कोई मोची सिल नहीं पायेगा,....मजा आ गया तेरे साथ चिकने "
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और सिगी के बाद बीयर का नंबर था लेकिन मीनल की एक निगाह ट्रैकर्स पर चल रही थी, वो धीरे से बोली,

" लेकिन वो सब अभी गए नहीं हैं, देखना गांड पे मरहम लगा के आधे एक घण्टे में फिर लौंटेंगे, और तब तक हम लोग दुबारा तैयार मिलेंगे हाँ वो हमला सुबह से भी तेज होगा, अबकी वो सब ताकत झोंकेंगे "



एल आई सी के साथ अब एन बी ऍफ़ सी और कुछ बड़े फंड मैनेजर्स भी गए थे और सामने टीवी पे भी सेंसेक्स की ही न्यूज चल रही थी

तब तक मेरा नान स्मार्ट फोन बजा और ये नंबर सिर्फ चार पांच लोगो के पास था, मिस्टर बुल का सीधे फोन था

और एक बड़ी खराब न्यूज थी,


" एल आई सी वाले शायद हाथ खींच ले और अभी तो न्यूट्रल रहेंगे लेकिन अगर दूसरा हमला बहुत तगड़ा हुआ तो शायद "

और उन्होंने फोन रख दिया, मतलब साफ़ था की अभी जो शेयर उन्होंने ख़रीदा है, उसे वो सीधे बीयर कार्टेल को बेच भी सकते हैं अगर मैंने उन्हें हैंडल नहीं किया।

मेरे चेहरे पे पसीना आ गया। न्यूयार्क में अभी दस बज रहा होगा, लेकिन ये तो डूबने उतराने की बात थी, और मैंने अपनी कंपनी के हेडक्वार्टर में फोन लगाया, और मीनल को धीरे से बोला


" एल आई सी "
अगर ये खबर सही हुयी तो अब तक का सब किया धरा पानी में चला जाएगा और हम पर हमला करने वालों को भी ये बात अभी नहीं तो थोड़ी देर में पता चल ही जायेगी।

हम सब के चेहरे उतर गए,यहाँ तक की मीनल के चेहरे पर भी अब सुबह से पहली बार परेशानी नजर आ रही थी।
मीनल तो शेयर बाजार को खड़ा करने में उस्ताद हैं हीं साथ में क्लाइंट का भी खड़ा करवा देती है...
 
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