• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मुझे प्यार करो,,,

ricky4545

Member
353
467
63
मैं पूरी तरह से आपकी बात से सहमत हूँ। मैं rohnny भाई को उस समय से जानता हूँ जब उन्होंने 'जिस्म की प्यास के खातिर – बहकते कदम' जैसी कहानी लिखी थी। दुर्भाग्यवश, उस समय मैं इस दुनिया में नया-नया था इसलिए उस शानदार कहानी का बैकअप नहीं ले पाया। गॉसिप के बंद हो जाने के बाद हम दोनों इस मंच पर मिले, जब यहाँ पाठकों की संख्या बहुत कम थी। फिर भी मैंने इन्हें प्रोत्साहित किया कि यह एक नई शुरुआत है, लेखन जारी रखिए, पाठक धीरे-धीरे जुड़ेंगे। और आज जो स्थिति है, वो वही है जो मैंने उस समय अनुमान लगाया था।

इनकी लेखन शैली विशेष रूप से माँ-बेटे के संबंधों पर आधारित कहानियों में अत्यंत प्रभावशाली होती है। खासकर ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित माँ-बेटे के संबंधों पर आधारित कहानी के संवाद तो अत्यंत रोचक और कामुकता की गहराई नापने वाले होते है, ऐसी कहानियां पाठकों को सहज ही बाँध लेती है।

हालाँकि, मुझे एक बात अक्सर खटकती है, जब कहानी अपने चरम की ओर बढ़ रही होती है, तब लेखक अचानक उसका अंत कर देते हैं। जैसे कि जब माँ-बेटे दोनों सामाजिक बंधनों से परे जाकर एक-दूसरे को पूरी तरह स्वीकार करने लगते हैं, माँ अपने पति के सभी अधिकार बेटे को सौंपने लगती है, यहाँ तक कि वह बेटे के बच्चे को गर्भ में धारण करना चाहती है, ऐसी संभावनाएँ जो जन्म ले सकती थी, लेकिन ठीक तभी कहानी खत्म कर दी जाती है। उदाहरण के तौर पर ‘एक अधूरी प्यास 2’ का अंत देख लीजिए।

मैंने कई बार अपने सुझाव और प्रतिक्रियाएँ साझा करने की कोशिश की, लेकिन लेखक की ओर से हमेशा एक ही प्रतिक्रिया मिलती है — ‘धन्यवाद’ या 'thanks' जो पाठक करे तो ठीक भी लगती है मगर लेखक करे वो भी ऐसे पाठकों को, जो उनकी कहानी इतनी रूचि लेकर पढ़ते है तो अत्यंत दुःख होता है!

बहरहाल, यह उनकी रचना है और निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह लेखक का होता है। हम पाठक केवल सुझाव दे सकते हैं। लेकिन एक कहानी तभी बेहतर से बेहतरीन बनती है जब लेखक और पाठक दोनों मिलकर उसमें रुचि लें और आपस में संवाद बनाए रखें। यही जुड़ाव किसी भी कहानी को कालजयी बनाता है। इस कमी का एहसास न केवल मुझे बल्कि कई अन्य पाठकों को भी होता है, और यही एक छोटी-सी निराशा है, अन्यथा लेखन के स्तर पर इनका काम काबिले-तारीफ है।
मुझे इसबात की ख़ुशी है कि आप यहांक लेखको के बारे में इतना सोचते हैं,,, लेकिनम भी मजबूर हूं मुझे भी दख है कि मेरी ईद रिकवर नहीं हो पाई,,, और आपसेसपर्क करने हेतु मेरे पास इस तरह का मोबाइल नहीं है कि मैं कोई भी एपकेशन डाउनलोड कर सकूं,,, मैं पहले भी कह चुका हूं कि यहां कहानीलिखने के पैसेमलते तो बहुत अच्छा होता,,,, हम लोग भी तो कितना समय यहां पर बर्बाद कर देते हैं बदले में कुछ नहीं मिलता,,,
 
  • Like
Reactions: Napster

ricky4545

Member
353
467
63
सुगंधा किसी काम से पड़ोस में गई हुई थी और यह बात उसने अपने बेटे से बताई थी क्योंकि उसे शाम को बाजार जाना था अपने लिए लूज पजामा और कुर्ता लेने के लिए ताकि सुबह की जॉगिंग आराम से हो सके क्योंकि साड़ी में उसे भी उचित नहीं लग रहा था दौड़ना उसे इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं पैर फस न जाए और वह गिर ना जाए। गर्मी का महीना होने की वजह से अंकित दोबारा बिस्तर पर नहीं लेटा और वह नहाने के लिए बाथरुम में घुस गया था घर में किसी के न होने की वजह से वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा ही नहा रहा था दरवाजे पर कड़ी लगाकर पहले ही वह दरवाजा बंद कर चुका था।




1749971119-picsay
लेकिन जैसे ही बनना शुरू किया था वैसे ही दरवाजे पर 10 तक होने लगी थी और जब उसे एहसास हुआ कि दरवाजे पर कोई और नहीं बल्कि सुमन की मां है तो उसकी आंखों की चमक बढ़ गई पल भर में ही बीती हुई कुछ बातें कुछ यादें एकदम से ताजा हो गई उसे अच्छी तरह से याद था कि वह सुषमा आंटी के घर गया था सुमन से परीक्षा के बारे में कुछ पूछने के लिए तो वहां पर अनजाने में ही वहां बाथरूम के करीब पहुंच गया था और बाथरूम के अंदर सुमन की मां एकदम नंगी होकर नहा रही थी उसे समय उसके नंगे बदन को देखकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, उसे समय सुषमा आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां और झांटो वाली बुर देखकर अंकित का लंड एकदम से खड़ा हो गया था,,, अंकित को अच्छी तरह से याद था कि अपनी आंखों के सामने उसे देखकर सुमन की मन एकदम से हड़बड़ा गई थी और अपने बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी,, लेकिन फिर भी बिना दरवाजे पर जा सकती है वहां तक पहुंच जाने पर उसे एक शब्द नहीं बोली थी इससे अंकित की हिम्मत थोड़ी इस समय बढ़ रही थी,।




1749970914-picsay
आवाज पर गौर करके खुश होते हुए अंकित अपने बदन पर ठंडा पानी डाल रहा था और बाहर से लगातार आवाज आ रही थी।

सुगंधा,,, ओ सुगंधा अरे सच में सो गई क्या दरवाजा तो खोल मुझे काम है,,,।
(सुमन की मां की आवाज सुनकर एक तरफ अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था लेकिन दूसरी तरफ थोड़ी घबराहट उसे हो रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके मन में चल रहा था उसे कार्य को अंजाम देने के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी इसलिए उसका दिन जोरों से धड़कता है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ उसके मन में चल रहा है उसे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी वह अपने मन में ऐसा सोच लिया था कि जो कुछ भी होगा सुषमा आंटी को ऐसा ही लगेगा कि अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह तुरंत बाथरूम से बाहर आया और कुर्सी पर पड़ी चावल को अपने बदन से लपेट लिया बदन से क्या अपनी कमर से लपेट लिया लेकिन उसके टावल में भी अद्भुत तंबू बना हुआ था क्योंकि बाथरूम के अंदर वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था जिसके चलते उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था। अंकित सुषमा आंटी को अपने टावल में बने हुए तंबू को दिखाना चाहता था यह एहसास दिलाना चाहता था कि उसके पड़ोस में ही एक लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका है जो अगर वह चाहे तो उसकी ख्वाहिश उसकी इच्छा को उसकी प्यास को बुझा सकता है,,,, और किसी भी औरत की प्यास को बुझाने और उसे संतुष्ट करने का हाथ में विश्वास उसे अपनी नानी से मिला था नानी की चुदाई करके वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और आत्मविश्वास से भर चुका था। और यह इस आत्मविश्वास का असर था जो आज वह एक अद्भुत कार्य करने जा रहा था और वह भी किसी गैर औरत के सामने।





1747739274-picsay
अपनी कमर पर टावल लपेटने के बाद वह एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच डालकर अपनी स्थिति का मुआयना कर लेना चाहता था और वाकई में ही समय उसका तंबू काफी आकर्षक लग रहा था उसे पूरा विश्वास था कि सुषमा आंटी अगर इसे देखेगी तो जरूर मस्त हो जाएगी मदहोश हो जाएगी। लगातार दरवाजे के बाहर से आवाज आ रही थी दरवाजे पर दस्तक हो रही थी और वैसे भी दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपनी-अपने घरों में आराम कर रहे थे और सबसे फायदे वाली बात यह थी कि इस समय उसकी मां भी घर पर नहीं थी इसलिए वह धीरे से दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजे की कड़ी को खोलकर दरवाजे के दोनों पट को धीरे से खोल दिया सामने सुषमा आंटी थी जिसे देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,।)





1746181293-picsay
क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,? मैं नहा रहा था इसलिए दरवाजा खोलने में देर हो गई और वैसे भी मम्मी घर पर नहीं है,,,(अंकित एक ही सांस में उस सारे सवाल भी पूछ ले रहा था और यह भी बता दे रहा था कि घर पर इस समय उसकी मां नहीं है घर पर वह अकेला ही है अगर वाकई में सुषमा आंटी के मन में भी दूसरे औरतों वाली बात होगी तो जरूर इस मौके का फायदा उठाएगी,,, सुषमा आंटी उसकी बात तो सुन रही थी लेकिन वह दरवाजे पर अंकित को खड़ा देखकर न जाने किस एहसास में डूबने लगी थी,,, सुषमा को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था की उसकी आंखों के सामने एकदम जवान लड़का खड़ा है जिसे देखकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अच्छी तरह से देख रही थी कि दरवाजे पर खड़ा अंकित नहा कर बाथरूम से पर अभी-अभी बाहर आया था और उसके कमर पर टावल लपटी हुई थी लेकिन अभी तक सुषमा का ध्यान उसके तंबू पर बिल्कुल भी नहीं किया था वह इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी पल भर के लिए सुषमा को लग रहा था कि इसकी चौड़ी छाती में एकदम से समा जाए क्योंकि दरवाजे पर खड़ा अंकित उसे पूरा मर्द लग रहा था मोहल्ले में दौड़ता हुआ वह छोटा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था इस बात का एहसास सुषमा आंटी को हो रहा था। कुछ देर तक सुषमा आंटी एकदम खामोश रही उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके जवानी का जादू उसकी मर्दानगी का असर सुमन आंटी पर थोड़ा-थोड़ा हो रहा है इसलिए वह फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)




क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,?

हां मुझे तेरी मम्मी से काम था लेकिन वह तो है ही नहीं,,,।

तो क्या हुआ आंटी मैं तो हूं ना मुझसे कहिए क्या काम है,,,,।

वह क्या है ना थोड़ा चीनी चाहिए था,,, शाम को बाजार जाऊंगी तो ले आऊंगी अभी है नहीं,,,,,(उसका इतना कहना था कि उसके हाथ से कटोरी गिर गई और वह कटोरी लेने के लिए नीचे जो की लेकिन कटोरी उठते समय उसकी नजर अंकित के टावल पर गई तो उसमे बना हुआ तंबू देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए,,, सुषमा को समझते देर नहीं लगी की अंकित की दोनों टांगों के बीच का हथियार कैसा है वह कुछ क्षण तक टॉवल की तरफ अच्छी और फिर सहज बनने का नाटक करते हुए धीरे से उठकर बोली,,,) क्या तु मुझको चीनी देगा,,,।

(अंकित का पूरा ध्यान सुषमा आंटी पर ही था सुषमा की नजरों को अच्छी तरह से देख लिया था वह समझ गया थाकी आंटी उसके तंबू की तरफ देख चुकी हैं और जरूर उनके मन में कुछ चल रहा होगा इस बात की खुशी अंकित के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन वह जताना नहीं चाहता था पानी की बूंदे अभी भी इसकी चौड़ी छाती पर फिसल रही थी जिसे देखकर इस समय ऐसे हालात में जबकि सुषमा की नजरे उसके तंबू पर जा चुकी थी अब उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होना शुरू हो गया था,,,, अंकित सुषमा आंटी की बात सुनकर बोला।)



क्यों नहीं आंटी यह तो मेरा फर्ज है और वैसे भी चीनी क्या आप यहां से चाय पी कर जाइए,,, मैं अभी बना देताहूं,,,(अंकित चाय के बहाने सुषमा आंटी को अपने घर पर रोकना चाहता था क्योंकि अभी उसकी मां के आने में बहुत समय था अपनी नानी की जी भर कर चुदाई कर लेने के बाद उसकी हिम्मत खुलने लगी थी और यह उसी का नतीजा था जो आज वह सुमन की मां से इस तरह से बातें कर रहा था वरना वह कभी हां और ना से ज्यादा जवाब ही नहीं देता था,,,, अंकित की बात सुनकर सुषमा बोली,,,)

अरे नहीं नहीं अंकित बेटा रहने दे मैं यहां चाय पीने के लिए नहीं आई हूं बल्कि चीनी लेने के लिए आई हूं,,,, और हां तुझे अगर चाय पीना है तो मेरे घर चल मैं तुझे चाय पिलाती हूं,,,,(बात करते हुए अपनी नजरों को हल्के से नीचे करते हुए वह अंकित के टॉवल की तरफ देख रही थी उसमें बने हुए तंबू को देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी बाप रे कितना बड़ा लंड है ईसका पूरा हथियार है,,,, सुषमा की बात सुनकर अंकित बोला,,,)

फिर कभी आंटी थोड़ी देर बाद मुझे बाजार जाना है,,,, आप अंदर तो लिए कब से दरवाजे पर खड़ी है,,,,।
(अंकित की बात सुनकर धीरे से सुषमा आंटी घर में आ गई,,, और अंकित आगे बढ़कर दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद कर दिया हालांकि उसने दरवाजे पर कड़ी नहीं लगाई,,,, पल भर के लिए सुषमा आंटी के बदन में सनसनी से दौड़ने लगी जब आगे बढ़कर अंकित दरवाजे को बंद कर रहा था तब सुषमा आंटी को ऐसा ही एहसास हो रहा था कि मानो जैसे अंकित उसके साथ कुछ करना चाहता हो इसलिए दरवाजा बंद कर रहा है,,,, दरवाजा बंद करने के बाद अंकित बोला,,)



Nupoor or ankit
GIF-250526-153411
आप रुकिए में चीनी लेकर आता हूं,,,(वह ऐसे ही जा रहा था कि सुषमा बोल पड़ी)

अरे ले कटोरी तो लेता जा,,,,।

ओहहह,,,लाईए,,,(ऐसा कहते हुए वापस सुषमा आंटी की तरफ मोडा और अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी लेने लगा सुषमा आंटी भी अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी को अंकित की तरफ बढ़ा दी और अंकित उसके हाथों में से कटोरी लेने का कटोरी लेते समय उसकी उंगलियां सुषमा आंटी की उंगलियों से स्पर्श करने लगी और यह स्पर्श सुषमा आंटी को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार तक महसूस होने लगी सुषमा आंटी को ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसकी बुर फुल पिचक कर रही हो,,,, और अंकित कटोरी लेकर रसोई घर की तरफ चल दिया जाते समय उसके पीठ सुषमा की आंखों के सामने एकदम चौड़ी पीठ कमर की तरफ एकदम आकर्षक कमर के नीचे का उसके उभरे हुए नितंब टॉवल में भी सुडौल लग रहे थे,,, जहां एक तरफ मर्द औरतों की गांड देखकर आकर्षित होते हैं वहीं सुषमा आंटी आज अंकित के कसरती बदन के साथ-साथ उसके नितंबों को देखकर भी आकर्षित हो रही थी,,, अंकित रसोई घर में जा चुका था और सुषमा आंटी अंकित के बारे में बहुत सारी बातें सोच रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि अंकित पूरी तरह से जवान मर्द हो चुका है और अपने बदन को आकर्षक बनाने के लिए कितना मेहनत किया है कितना कसरत किया है तभी तो उसे देखते ही उसे न जाने क्या होने लगा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था रह रहकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी।



Ankit ki kalpna nupoor k sath

GIF-250617-151340
सुषमा अंकित के लंड के बारे में सोच रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जब उसका तंबू इतना शानदार है तो बिना कपड़ों के उसका लंड तो औरतों के होश उड़ा देगा,,, काश उसके लंड को देख पाती तो कितना मजा आता,,, सुगंधा कितनी किस्मत वाली है कि उसका बेटा इतना दमदार है। वह तो दिन रात अपने बेटे को देखती होगी उसे बिना कपड़ों के भी देख चुकी है जाने अनजाने में नजर तो पड़ ही जाती होगी,,,, पल भर में सुगंधा के बारे में और बहुत सारी बातें सोचने लगी सुषमा के मन में बहुत सी बातें चल रही थी पल भर में ही सुगंध के जीवन के बारे में सोचने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी की सुषमा को तो अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर संतुष्ट हो जाना चाहिए,,, घर के चार दिवारी के अंदर क्या हो रहा है दूसरों को क्या पता,,,, लेकिन सुगंधा वाकई में एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरतें इतने बरस हो गए पति के गुजरे लेकिन वह इतने दिनों में कभी भी कोई ऐसा काम नहीं की जिससे उसकी बदनामी हो वरना एक खूबसूरत और जवान औरत और वह भी जवानी से भरी हुई औरत के पैर फिसल जाते हैं लेकिन सुगंधा के बारे में आज तक ऐसी कोई भी बातें सुनने को नहीं मिली,,, अगर मुझे अंकित के साथ एक ही घर में रहना हो तो शायद एक साथ भी गुजारना मुश्किल हो जाए और ना चाहते हुए कि मुझे अंकित के साथ शारीरिक संबंध बनाना ही पड़ जाए,,,।

क्या अंकित के मर्दाना बदन और उसके अंग का ही कमाल था जो सुषमा उसके बारे में इतना कुछ सोचने लगी थी,,, सुष्मा अपने मन में यह सब बातें सोच रही थी और रसोई घर के अंदर अंकित अपनी ही जुगाड़ में लगा हुआ था अंकित या तो जान चुका था कि सुषमा आंटी उसकी टांगों के पीछे देख रही थी जरूर उनके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था और इस समय वह पूरी तरह से सुषमा को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था जिसके चलते वह अपनी टॉवल को कमर पर इतनी देरी बांध लिया था कि 5 6 कदम चलने के बाद ही वह अपने आप ही कमर से छूटकर नीचे गिर जाती और फिर हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह रसोई घर से बाहर आ गया वह जानता था कि उसका टावल उसका ज्यादा देर तक साथ देने वाली नहीं है,,, उसकी उत्तेजना कम भी नहीं हो रही थी उसका तंबु ज्यों का त्यों खड़ा था,,, रसोई घर से बाहर आते हुए अंकित को देखकर सुषमा आंटी मुस्कुराने लगी लेकिन अभी भी उसकी नजर उसके दोनों टांगों के बीच ही थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाला लग रहा था देखते ही देखते अंकित सुषमा आंटी के करीब आ गया। ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया और हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए बोला।

लीजिए आंटी मैं पूरी कटोरी भरकर लाया हूं,,,( उसका इतना कहना था की वाकई में उसका टॉवल उसकी कमर से छूटकर उसके कदमों में जा गिरा और उसका टनटनाया हुआ लंड एकदम से सुषमा आंटी के सामने लहराता हुआ आ गया जिसे देखकर सुषमा आंटी के सांसे एकदम से रुक गई,,, और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, सुषमा अपना हाथ भी आगे नहीं बढ़ा पाई थी कि उसकी आंखों के सामने एक अद्भुत मंजर दिखाई देने लगा था जिसे देखकर उसकी सिटी पिट्टी गुम हो चुकी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल बढ़ने लगी थी और अंकित तो यही चाहता ही था इसलिए वह पूरी तरह से सहज था वह जी भरकर सुमन की मां को अपने लंड के दर्शन करा देना चाहता था,,,, क्योंकि वह लंड के दर्शन करने की महिमा को अच्छी तरह से जानता था जिसके चलते उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए आतुर हो चुकी थी,और इस समय वह यही चाहता था,,, अंकित का आत्मविश्वास पूरी तरह से कायम था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो सकती है तो सुमन तो अभी भी उसकी मां की उम्र की है इसमें भी तो जवान कूट-कूट कर भरी हुई है जिसके दर्शन वह खुद अनजाने में कर लिया था,,,,।

अंकित दोनों हाथ में कटोरी को पकड़े हुए था और वह पूरी तरह से नंगा था उसके बदन पर टावल भी नहीं था टावल के गिरने के साथ ही उसका मर्दाना अंग पूरी तरह से प्रदर्शित हो रहा था जिसे देखकर सुषमा आंटी पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी उनकी नज़रें अंकित के लंड से एक पल के लिए भी नहीं है रही थी शायद इस तरह का वह अपने जीवन में पहली बार देख रही थी और वाकई में यह सच भी था क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस तरह का लंड तो वह गंदी फिल्म मेंदेखी थी। और कभी सोची भी नहीं थी कि उसे इस तरह का लंड देखने को मिलेगा लेकिन आज उसकी मुराद पूरी हो रही थी,,, उसकी आंखों के सामने टनटनाया हुआ लंड था जो किसी भी बुर में जाकर बुर का भोसड़ा बनाने के लिए सक्षम था। सुषमा की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह पागलों की तरह अंकित के लंड को देखे जा रही थी मानो कि जैसे देखकर ही उसे अपने अंदर ले लेगी,,, अंकित पूरी तरह से उसे दिखा देना चाहता था इसलिए अभी कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन जब उसे एहसास हो गया कि आप समय को ज्यादा हाय दइया हो गया है सुषमा आंटी जी भर कर उसके लंड के दर्शन कर चुकी है इसलिए वह एकदम से बोला,,,)


Ankit ka mardaana ang dekhkar suman ki ma mast ho gayi


बाप रे यह क्या हो गया यह टावल भी ना,,,,, जल्दी पकड़िए कटोरी आंटी,,,, मुझे शर्म आ रही है जल्दी करिए,,,,।

हाय दइया कैसी बातें कर रहा है सर में तो मुझे आनी चाहिए जो आंखों के सामने यह सब देख रही हूं,,,सहहहहहह,,,, कितना बड़ा है रे तेरा कितना मोटा और लंबा बाप रे तेरा हथियार तो गजब का है,,,,,(बिना कटोरी को अपने हाथ में पकड़े हुए ही सुषमा आंटी इस तरह की बातें बोल रही थी और यह सब सुनकर अंकीत मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए बोला।)

यह कैसी बातें कर रही हो आंटी जल्दी से कटोरी पकड़ो समझो मेरी हालत को मैं पूरी तरह से नंगा हुं और मुझे शर्म आ रही है,,,,,,।
(अंकित की हालत को देखकर सुषमा के अंदर की औरत पूरी तरह से जाग गई थी वह एक कदम आगे बढ़कर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और अपना हाथ आगे बढ़कर तुरंत अंकित के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि उसकी बुर से मदन रस की बुंद टपकने लगी थी,,,, सुषमा की सांस एकदम से गहरी चलने लगी थी पहली बार जीवन में वह इतने मोटे तगड़े लंड अपने हाथ में पड़ रही थी उसकी गर्माहट पूरी तरह से उसे पानी पानी कर रही थी,,, अपनी नानी से प्राप्त अनुभव को यहां पर थोड़ा दिखाना चाहता था इसलिए तुरंत अपने हाथ में लिए हुए कटोरी को पास में ही पड़ी कुर्सी पर रख दिया वह सुमन की मां की हरकत को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि सुषमा आंटी भी राहुल की मां नुपुर और उसकी नानी से बिल्कुल कम नहीं थी इसलिए वह यहां पर थोड़ा अनुभव दिखा देना चाहता था,,,,,,, बस तुरंत अपना एक हाथ सुमन की मां की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और तुरंत उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,, यह सब इतनी जल्दबाजी में हुआ था कि सुमन की मां को भी इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था लेकिन वह अंकित की हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी।

Suman ki ma or Ankit kuch is tarah se

GIF-250526-151604
उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि मोहल्ले में घूमने वाला वह छोटा सा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था सुषमा आंटी अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह इस तूफान में पूरी तरह से बहाने को तैयार हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी अभी भी उनके हाथ में अंकित का मोटा तगड़ा लंड था जिसकी गर्माहट उसे धीरे-धीरे पिघला रही थी। अंकित पागलों की तरह सुमन की मां की लाल लाल होठों का चुंबन का रस पीते हुए उसकी कमर में हाथ हटा लिए हुए उसे एकदम से दीवार से सटा दिया अंकित की हरकत से सुषमा आंटी की बोलती बंद हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी,,, जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की के साथ वह पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी,,, अंकित इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, अपनी नानी की बुर की गर्मी आई है उसे अच्छी तरह से महसूस होती थी जब भी वह अपनी नानी को याद करता था तब तक उसका लंड बुर में जाने के लिए खड़ा पड़ता था और ऐसा लग रहा था कि आज वह अपनी नानी की कमी को पूरा कर लेगा,,,,,।

सुमन की मां को दीवार से सटाकर वह उसके होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा सुषमा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसे घबराहट होने लगी थी कि वह क्या कर रही है वह अंकित को रोकना चाहती थी लेकिन वह कुछ बोल पाती से पहले ही अंकित उसकी साली को कमर तक उठा दिया था और उसकी नसीब इतनी तेज थी कि उसने आज साड़ी के अंदर पेटी भी नहीं पहनी थी इसलिए वह तुरंत अपनी हथेली को उसकी नंगी बुर पर रख दिया जो पूरी तरह से झांटों के झुरमुट के घेरे में थी,,, जिस तरह से अंकित अपनी हथेली को उसकी बुर की रगड़ रहा था उसे देखकर एक बार फिर से सुषमा की बोलती बंद हो चुकी थी वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पाई थी उसके होठों से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,, अंकित पागलों की तरह उसकी बुर को रगड़ रहा था अपनी हथेली से गर्म कर रहा था और अभी भी सुषमा अंकित के लंड को पकड़कर उसे जोर-जोर से दबा रही थी,,,, जिंदगी में पहली बार इतना मोटा तरो ताजा लंड देखकर वह भी अपना आपा खो चुकी थी,,,, अंकित को अपनी हथेली में सुषमा आंटी की बुर से निकला हुआ मदन रस एकदम साफ महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से अकेली होती चली जा रही थी,,,,, आगे बढ़ने से पहले फिर भी वह सुषमा आंटी से एक बार पूछ लेना चाहता था अपने मन को तसल्ली दिला देना चाहता था कि वाकई महसूस मानती क्या चाहती है इसलिए वह अपने होठों को एकदम से सुषमा आंटी के होठों से अलग करता हुआ गहरी सांस लेता हुआ सुषमा आंटी के चेहरे को फिर से अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोला लेकिन इस दौरान दोनों हाथों को ऊपर उठने से एक बार फिर से सुषमा की साड़ी वापस अपनी स्थिति में आ चुकी थी और उसके कदम में जा गिरी थी खूबसूरत है तेरे से पर पर्दा पड़ चुका था लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसका लंड था,,,, अंकित उत्तेजित स्वर में बोला,,,,)


Suman ki ma or Ankit

GIF-250602-163424
तुम तो मुझे पागल कर दी आंटी बोलो अब क्या करूं,,,,,।

(अंकित का सवाल सुनकर सुषमा आंटी कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, वह नजर भर कर अंकित की तरफ देख रही थी अंकित के मासूम चेहरे की तरफ देख रही थी उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि मासूम चेहरा पूरी तरह से जवान हो चुका था वह कुछ बोल नहीं पाई अपने मन की बात अपने होठों पर लाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह दरवाजे की तरफ देखते हुए सिर्फ इतना ही बोली।)

दरवाजे की कड़ी नहीं लगी है,,,।
(बस सुषमा का इतना कहना उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत दे रहा था उसकी तरफ से निमंत्रण दे रहा था जिसे सुनकर अंकित एकदम खुश हो गया और तुरंत दरवाजे की तरफ आगे बढ़कर और दरवाजे की कड़ी लगा दिया वह भी मदहोशी में भूल चुका था कि दरवाजा का पल्ला सिर्फ बंद है उसे पर कड़ी नहीं लगी है ऐसे में उसकी मां आ सकती थी कोई भी आ सकता था वह दरवाजे पर कड़ी लग रहा था और सुषमा उसके गोल-गोल नितंबों की तरफ देख रही थी वाकई में वह अंकित के नितंबों को देखकर आकर्षित हो चुकी थी फुर्ती दिखाता हुआ अंकित दरवाजे पर खड़ी लगा चुका था और वापस अपनी जगह पर आ चुका था लेकिन इस बार वह तुरंत सुषमा आंटी को दीवार की तरफ घुमा दिया था औरउनकी पीठ को अपनी तरफ कर दिया था और पीछे से उसे अपनी बाहों में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों चुचियों का दबाना शुरू कर दिया था इतना तो अंकित को मालूम नहीं था कि उसके पास समय अब ज्यादा नहीं था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाता हुआ सुषमा आंटी के ब्लाउज के निचले हिस्से के दो बटन को खोल दिया और दोनों हाथों से चुचियों को बाहर निकाल दिया,,,, सुषमा की दोनों चूचियां भी पपाया की तरह थी,,,, जिसे हम की जोर-जोर से दबा रहा था और इस तरह के स्तन मर्दन में सुषमा को भी बहुत मजा आ रहा था,,, इसदौरान वह लगातार साड़ी के ऊपर से ही सुषमा के पिछवाड़े पर अपना लंड रगड़ रहा था जिससे सुषमा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी वह भी जल्दी से जल्दी अंकित के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी।

समय के अभाव को देखते हुए अंकित भी ज्यादा देर नहीं करना चाहता था वह भी जल्द से जल्द इस खेल को खत्म कर देना चाहता था आज उसके जीवन में सुषमा उसके नीचे आने वाली दूसरी औरत थी और इस पल को वह गंवाना नहीं चाहता था और वह देखते ही देखते एक बार फिर से अपने दोनों हाथों से चश्मा की साड़ी पड़कर कमर तक उठा दिया और उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसकी गांड को अपने हिसाब से अपनी स्थिति में लाने लगा,,, सुषमा के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे वह इस समय अंकित के हाथों की कठपुतली बन चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड उसे पूरी तरह से मजबूर कर चुका था उसके सामने घोड़ी बनने के लिए,,, और फिर अंकित अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर धीरे से उसे सुषमा की गांड की दोनों आंखों के बीच से अंदर की तरफ ले जाने लगा उसे सुषमा का गुलाबी छेद बराबर दिख नहीं रहा था इसलिए वह अपने हाथों से ही सुषमा की दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया और अब उसे सुषमा के झांटों की झुरमुट में उसका गुलाबी छेद नजर आने लगा और वह धीरे से अपने लंड पर थूक लगाकर अपने सुपाड़े को उस छेद में प्रवेश कराने लगा।


Sushma aunty ki chudai

GIF-250602-164614
सुषमा को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है क्योंकि उसकी बुर में घुसने में थोड़ी सी मस्सकत पैस आ रही थी,,, लेकिन अंकित की नानी का अनुभव उसे आगे बढ़ने में मदद कर रहा था,,, सुषमा की हालत खराब हो रही थी और अंकित धीरे-धीरे अपने लंड की सुपाड़े को उसकी बुर की गहराई में उतर रहा था और देखते ही देखते धीरे-धीरे करके अंकित का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया और फिर वह दोनों हाथों से सुषमा की कमर पकड़ कर ज्यादा जोर लगाकर बाकी काफी लंड उसकी बुर में डाल दिया और फिर दोनों कमर पकड़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। सुषमा पागल हो जा रही थी मदहोश हो जा रही थी क्योंकि यह सुख उसे महीनों बाद महसूस हो रहा था महीनो बाद तो वह चुदवा रही थी बाकी अद्भुत एहसास उसे जीवन में पहली बार महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से मत हो रही थी और अंकित जोर-जोर से धक्के लगा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था।

वह कभी सोचा भी नहीं था कि सुषमा आंटी को इस तरह से छोड़ने का सुख प्राप्त होगा और ना तो सुषमा कभी सोची थी कि चीनी मांगने पर उसे इतना मोटा तगड़ा लंड मिल जाएगा वह भी इस चुदाई से पूरी तरह से मत हो रही थी अंकित बार-बार उसकी कमर पकड़ ले रहा था तो कभी उसकी चूची को दबा दे रहा था वह पूरी तरह से सुषमा को मदहोश कर रहा था उसे मस्त कर रहा था,,,, और फिर देखते ही देखते सुषमा की सांसे उखड़ने लगी क्योंकि वह अपने चरम सुख के करीब पहुंच रही थी और यही हाल अंकित का भी हो चुका था वह जोर-जोर से धक्के लग रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, दोनों का काम बन चुका था सुषमा पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसका लाल-लाल चेहरा साफ बता रहा था कि वह पूरी तरह से संतुष्टि का एहसास लेकर यहां से जाने वाली थी वह धीरे से अपने कपड़ों को व्यवस्थित की वासना का तूफान उतर जाने पर अंकित से नजर मिलाने मुझे सब महसूस हो रही थी इसलिए वह बिना कुछ बोले कुर्सी पर से चीनी की कटोरी हाथ मिला और अपने हाथ से ही दरवाजे की कड़ी खोलकर कमरे से बाहर चली गई अंकित उसे जाता हुआ देख रहा था और फिर वापस दरवाजा बंद करके मुस्कुराता हुआ बाथरुम में चला गया और नहाने लगा।


अंकित बहुत खुश था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुषमा आंटी के साथ इतनी हिम्मत दिखा कर पहली बार में ही उससे चुदाई का सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन यही हिम्मत हुआ अपनी मां के साथ क्यों नहीं दिखा पता ऐसा क्या हो जाता है कि अपनी मां के सामने वह घबरा जाता है और आगे बढ़ने से डरने लगता है और सब कुछ समय पर छोड़ देता है जबकि अगर वह भी हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ जाए तो ऐसा ही सुख उसे अपने घर में भी मिल सकता है,,, यही सब सोचता हुआ नहा कर बाहर निकल गया और कपड़े पहन कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां भी आ चुकी थी और दोनों तैयार होकर मार्केट के लिए निकल गए थे।
 
Last edited:

ricky4545

Member
353
467
63
Rikki bhai ne aaj tak aapse baat karne ka bhi vichar nahi kiya itne saalo me to Salman Khan Shahrukh kaan bhi apne fans se baat kar lete.... Lekin apne Rohnny bhai ka level hi alag hai... Wo hum jaise pathkon se jyada incest chat karna pasand karte hain.... Khair ye to vyang hua aur unki personal choice bhi hai... लेकिन प्रमुख बात ये है कि रिक्की4545 को सलाह देना बेकार है। मैने भी बहुत कोशिश कर लीं, मैने सोचा था किसी नोबल पब्लिशर से बात करके इनकी कहानी को किसी तरह से प्रकाशित करवाया जाए कितना खर्चा आएगा ये सब बात के लिए मैं भी उसमें पार्टनर बनने की सोचा था लेकिन जैसे अभी आप मेहनत करना चाहते हैं इनकी पुरानी 🆔 रिकवरी में लेकिन वो खुद उदासीन है। मैने भी आपकी तरह ही कुछ महीने पहले कोशिश की थी लेकिन वो अपना नंबर तक शेयर नहीं करना चाहते मुझे भी धन्यवाद और शुक्रिया जैसे जवाब मिले थे
Ye aapka pyar he dost lekin me mobile ki wajah se majboor hu
 
  • Like
Reactions: Napster

rajeev13

Active Member
1,638
2,018
159
मुझे इसबात की ख़ुशी है कि आप यहांक लेखको के बारे में इतना सोचते हैं,,, लेकिनम भी मजबूर हूं मुझे भी दख है कि मेरी ईद रिकवर नहीं हो पाई,,, और आपसेसपर्क करने हेतु मेरे पास इस तरह का मोबाइल नहीं है कि मैं कोई भी एपकेशन डाउनलोड कर सकूं,,, मैं पहले भी कह चुका हूं कि यहां कहानीलिखने के पैसेमलते तो बहुत अच्छा होता,,,, हम लोग भी तो कितना समय यहां पर बर्बाद कर देते हैं बदले में कुछ नहीं मिलता,,,
आप नया मोबाइल क्यों नहीं ले लेते हो ? अगर पैसों की थोड़ी तंगी है तो मैं आधे पैसे देने के लिए तैयार हूं उसमें थोड़ा आप पैसे जोड़ कर नया मोबाइल ले लो!
जैसे Samsung का Galaxy M05 ₹6,249 तक में आपको मिल जाएगा, या Lava का O3 ₹5,799 तक में मिल सकता है, ये दोनों फ़ोन काफी फ़ास्ट है।
 

Napster

Well-Known Member
6,507
17,157
188
रात जैसे तैसे करके गुजर गई आज की रात ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिस से मां बेटे दोनों बेहद करीब आ सके,,,,, सुबह के 5:00 बज रहे थे,, सुगंधा की नींद जल्दी खुल चुकी थी वह धीरे से अपने बिस्तर पर से नीचे उतरी और अपने कमरे के बाहर आ गई बाथरूम जाने के बाद वह हाथ मुंह धोकर फ्रेश हो गई,, आज उसे अपने बेटे के कहीं अनुसार पैदल चलना था थोड़ा दौडना था ताकि उसका बदन और भी ज्यादा आकर्षक बन सके,, अंकित के कमरे पर जाकर दरवाजे पर दस्तक देने लगी,,, थोड़ी ही देर में दस्तक की आवाज सुनकर अंकित की भी नींद खुल गई लेकिन नींद में होने की वजह से ऐसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला।

कौन ,,,,,

अरे मैं हूं,,,,, भूल गया आज दौड़ने चलना है,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित की नींद एकदम से उड़ गई वह बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया और जल्दी से दरवाजा खुला तो देखा दरवाजे पर उसकी मां खड़ी थी जो की एकदम तरोताजा दिखाई दे रही थी यह देखकर वह बोला,,,)

तुम तो बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,,,, रुको मैं भी तैयार हो जाता हूं,,,,(इतना कहकर वह तुरंत बाथरूम में चला गया वह जानबूझकर अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ किया था क्योंकि वह इतना तो समझ गया था कि वह औरत क्या सुनना चाहती हैं क्या सुनना पसंद करती है,,,, सुगंधा भी हैरान थी अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर लेकिन अपने बेटे के मुझे अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह फुले नहीं समा रही थी,,, और वैसे भी सुबह-सुबह वह अपनी साड़ी को कमर में खोंस ली थी और अपने रेशमी बालों की गुच्चो का जुड़ा बना ली थी और इसकी लत उसके गोरे गाल पर लहरा रही थी वाकई में इस समय सुगंधा कुछ ज्यादा ही खूबसूरत दिखाई दे रही थी,,,, थोड़ी देर में हाथ मुंह धो कर अंकित भी फ्रेश हो गया और फिर दोनों घर से बाहर निकल गए लेकिन घर में कोई न होने की वजह से सुगंधा घर में ताला लगा दी थी ताकि कोई चोर चोरी ना कर सके।

सुबह का समय होने की वजह से बहुत ही शीतल हवा बह रही थी जो गर्मी के महीने में बदन को शीतलता प्रदान कर रही थी,, पर वैसे भी सुबह का समय कुछ ज्यादा ही खूबसूरत दिखाई देता है अभी सूरज निकला नहीं था इसलिए चारों तरफ अंधेरा ही था लेकिन सड़क पर की स्ट्रीट लाइट जल रही थी और ईक्का दुक्का लोग जॉगिंग करते हुए नजर आ रहे थे,,, जिनमें औरतें भी थी लड़कियां भी थी,,, सुगंधा औरतों के मोटे बदन को देखकर समझ गया था कि इन लोगों को जोगिंग करने की जरूरत क्यों पड़ती होगी लेकिन पतली और तो लड़कियों को देखकर भी इतना तो समझ में आ रहा था कि यह लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति कितने जागरूक है,,,, मोटी औरतों को देखकर सुगंधा के मन में भी ढेर सारे सवाल उठ रहे थे,,, उनमें से अपने मन में उठ रहे एक सवाल को अपने बेटे के सामने ही प्रस्तुत करते हुए बोली,,,,।

बाप रे और से सच में अपने शरीर का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते देखो तो सही कितनी मोटी है ठीक से चला भी नहीं जा रहा है,,,।(जल्दी-जल्दी अपने कदम को आगे बढ़ते हुए सुगंधा बोली,,)

सब तुम्हारी तरह जागरूक थोड़ी होते हैं मुझे लगता है कि वह औरत तुमसे कम उम्र की होगी लेकिन उसके शरीर के हिसाब से वह कितनी बड़ी लग रही है अगर वह भी तुम्हारी तरह जागरूक होती तो वह भी आज तुम्हारी तरह दिखती,,,, एक तरफ वह औरतें हैं जो अपने शरीर का ख्याल नहीं रखती और एकदम मोटी हो गई है और एक तरफ तुम हो जो कसा हुआ बदन होने के बावजूद भी ऐसा महसूस कर रही हो कि मेरा पेट बाहर निकल रहा है,,,(अंकित अपनी मां के पेट की तरफ देखते हुए बोला जो कि एकदम चिकना और सपाट नजर आ रहा था बस हल्का सा बाहर निकला हुआ था और उसकी नाभि एकदम साफ दिखाई दे रही थी अपने बेटे की बात सुनकर वह भी अपने पेट की तरफ देखने लगे उसे भी एहसास हो रहा था कि उसकी गहरी ना अभी एकदम साफ दिखाई दे रही थी लेकिन फिर भी वह इस समय अपनी नाभि को अपने बेटे की नजर से बिल्कुल भी छुपाने की कोशिश नहीं की और उसकी बात सुनकर बोली,,)

अरे सच में मेरा पेट बाहर निकला हुआ है पहले ऐसा नहीं था,,,(जल्दी-जल्दी तेज कदम आगे बढ़ाते हुए वह बोली,,,,)

लेकिन मम्मी तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम्हारा पेट बाहर निकल गया है मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है,,,।

अरे तुझे क्या मालूम तु क्या देखता रहता है क्या,,,?

तो क्या मैं तुम्हें देखा नहीं हूं क्या,,, तुम्हें भी अच्छी तरह से याद होगा कि मैं तुम्हें देखता हूं कि नहीं,,,(अंकित दो अर्थ वाली बात कर रहा था उसकी मां भी अपने बेटे की बात को अच्छी तरह से समझ रही थी वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसे बहुत बार दे नग्न अवस्था पूर्ण नग्न अवस्था और तो और उसे पेशाब करते हुए भी देख चुका है लेकिन फिर भी जानबूझकर वह ऐसा बोल रही थी,,, अपने बेटे की बात का मतलब अच्छी तरह से समझते हुए सुगंधा बोली,,,)

अरे जानती हूं तो बहुत बार देख चुका है लेकिन फिर भी मेरा शरीर है मुझे तो समझ में आता होगा ना कि मेरा शरीर बढ़ा है कि नहीं बढ़ा,,,,

चलो कोई बात नहीं अगर ऐसा है तो सही हो जाएगा और तुम और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई देने लगोगे अपनी उम्र से 10 साल कम,,,।

सच में,,,

तो क्या अभी भी तुम अपनी उम्र से 10 साल कमी लगती हो कोई कह नहीं सकता कि तुम्हारे दो दो जवान बच्चे हैं,,,।

अच्छा तो यहबात है,,,(सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली उसे अपने बेटे की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी दोनों बात करते-करते तकरीबन आधा किलोमीटर की दूरी तय कर चुके थे,,,, रास्ते में जॉगिंग करते हुए बहुत लोग दिखाई दे रहे थे ज्यादातर औरतें और औरतों का शरीर को ज्यादा ही मोटा उनकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देख कर सुगंधा अपने मन में सोचती कि अगर वाकई में वह भी अपने शरीर का ख्याल ना रखती तो शायद उसका भी यही हाल हो जाता,,, अभी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि तभी एक औरत की तरफ देखते हुए अंकित बोला,,,)

मम्मी मैं तो सोच करेंगे घबरा जाता हूं कि अगर तुम भी उस औरत की तरह हो जाती तो कैसा होता तुम्हारी खूबसूरती तो एकदम बेकार हो जाती।
(अंकित की बात सुनकर सुगंधा भी सूरज की तरफ देखने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

ज्यादा से ज्यादा क्या हो जाता सिर्फ खूबसूरती चली जाती ना,,,।

किसी बात से कर रही हो मम्मी उसका पिछवाड़ा देखी हो,,,,(अंकित जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा था और उसकी मां भी उसके मुंह से पिछवाड़ा शब्द सुनकर गनगना गई थी,,, क्योंकि उसे भी एहसास होने लगा था कि अंकित भी औरतों की गांड की तरफ देखता है,,, चलते फिर कुछ देर की खामोशी के बाद अपने शब्दों को पूरा करते हुए अंकित बोला,,,) कितना भारी भरकम है और तुम्हारा,,,,(इतना कह कर वह एकदम से खामोश हो गया,,,, ऐसा हुआ जानबूझकर किया था वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या कहती है लेकिन उसकी बातें सुनकर सुगंधा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह उसऔरत के साथ-साथ उसकी भी गांड के बारे में बात कर रहा था लेकिन खुलकर बोल नहीं पाया था इसलिए उसकी अधूरी बात को सुगंधा पूरी करवाने हेतु बोली।)

तुम्हारा,,, मतलब कि मेरा,,,मेरा कैसा है,,,,।
(अंकित अच्छी तरह से समझ गया था कि अब धीरे-धीरे आगे बढ़ना है अपनी मंजिल को प्राप्त करना है अगर वह इसी तरह से शर्माता रहा तो महिना गुजर जाएगा और त्रप्ति भी वापस आ जाएगी सब कुछ नहीं हो पाएगा इसलिए वह थोड़ा हिम्मत उठाकर बोला,,,)

तुम्हारी तो बहुत खूबसूरत है उसका उठाव उसका उभार एकदम लाजवाब,, है,,,,।(सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट के नीचे खड़े होते हुए अंकित बोला क्योंकि वह दोनों चलते-चलते काफी दूर तक आ चुके थे तकरीबन 1 किलोमीटर की दूरी दोनों ने तय कर लिया था और यह कुछ ज्यादा ही था पहले दिन के लिए,,,, सुगंधा भी वहीं पर रुक गई थी अपने बेटे की बात सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि वह वाकई में खुले तौर पर ना सही लेकिन उचित शब्दों का प्रयोग करके उसकी गांड की तारीफ कर रहा था,,, सुगंधा मुस्कुरा रही थी और अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

अच्छा तुझे औरत के पिछवाड़े के उठाव और उभार के बारे में ज्यादा मालूम पडने लगा है।

नहीं है सब कुछ भी नहीं है लेकिन औरतों का पिछवाड़ा उसे औरत की तरह तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए क्योंकि कितना भद्दा लगता है,,,।

तो किसकी तरह होना चाहिए,,,,(सुगंधा एकदम मुस्कुराते हुए बोली,,, अंकित अपनी मां के खाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी मां क्या सुनना चाहती है इसलिए वह भी हिम्मत जुटा कर बोला,,,)

तुम्हारी तरह,,,, सच कहता हूं औरतों का पिछवाड़ा तुम्हारी तरह होना चाहिए ,,,, एकदम आकर्षक और खूबसूरत,,,( तिरछी नजर से अपनी मां की गांड की तरफ देखते हुए बोला सुगंधा भी अपने बेटे के मुंह से अपनी गांड की तारीफ सुनकर भाभी नजर पीछे करके अपने नितंबों के उभार को देखकर मुस्कुराने लगी,,,,, और फिर वह एकदम सहज होते हुए बोली,,,)

अब क्या करना है आगे बढ़ना है या पीछे जाना है,,,,।

अभी सुबह होने में थोड़ा समय है थोड़ा आगे ही चलना चाहिए लेकिन दौड़ते हुए दौड़ तो लोगी ना साड़ी में,,,,।

वैसे कभी दौड़ी तो नहीं लेकिन कोशिश करूंगी,,,।

ठीक है ज्यादा जोर से नहीं भागना है आराम से ऐसा लगना चाहिए कि भाग रही है लेकिन चलने जैसा ही होना चाहिए वरना कहीं गिर गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,।

ओहहह मेरी बहुत फिक्र है,,,।

होगी क्यों नहीं,,, इतनी खूबसूरत मम्मी जो है,,,, और जिसके पास इतनी खूबसूरत मम्मी होगी बेटे को तो ख्याल रखना ही होगा,,,।
(अंकित बड़ी चतुराई से बहुत कुछ भूल गया था और उसकी मां भी उसकी बात को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए तो उसकी बात सुनकर उसके बदन में हलचल सी होने लगी थी,,, क्योंकि एक औरत की ख्वाहिश यही होती है कि उसे भी कोई बेइंतहा चाहने वाला हो उसकी फिक्र करने वाला हो,, उसे ढेर सारा प्यार करने वाला है और अब सुगंधा को लगने लगा था कि उसकी आंखों के सामने जो मर्द खड़ा है वही एक दिन उसे बहुत प्यार देगा,,,, अभी भी अंधेरा छाया हुआ था सड़क की स्ट्रीट लाइट का भी उपयोग प्रकाश के लिए हो रहा था,,, सुगंधा को पहली बार ऐसा लग रहा था कि वाकई में लोग अपने स्वास्थ्य के लिए इतने जागरुक है,,,, मां बेटे दोनों तैयार हो चुके थे आगे बढ़ने के लिए,,,, और फिर अंकित धीरे से अपना कदम आगे बढ़ाया और धीरे-धीरे दौड़ने लगा उसके साथ उसकी मां भी दौड़ने लगी इस तरह से दौड़ने का सुगंधा के लिए पहला मौका था खास करके शादी के बाद क्योंकि ऐसी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी थी कि उसे दौड़ना पड़े,,,,।

इस तरह से दौड़ते हुए उसे अपने जवानी के दिन याद आ जाए जब वह कॉलेज में जाया करती थी ऐसे ही एक दिन कॉलेज जाने में उसे देर हो गई थी बस छूट गई थी और वह एक हाथ में बैग लिए हुए दौड़ते दौड़ते ही कॉलेज की तरफ जा रही थी,,, और इस तरह से उसे दौड़ते हुए देखकर रास्ते में कई लोग कई कई तरह की बातें बना रहे थे उनमें से कुछ उसका हौसला बढ़ा रहे थे तो कुछ गंदी फब्तियां भी शामिल थे जिसे सुनकर उसे समय तो उसके कान खड़े हो गए थे उसने कभी सोचा नहीं था कि उसके बारे में लोग इस तरह की भी बातें करेंगे आज भी उसे अच्छी तरह से याद है जब वह दौड़ते हुए जा रही थी तो,,, उसे देखकर खास करके दौड़ते समय उसकी गांड के घेराव को देखकर जो की दौड़ते समय उनमें ज्यादा थिरकन हो रही थी,,, उसे देखकर एक लड़का बोला था,,, वाह क्या गांड है कसम से एक रात के लिए मिल जाए तो दोनों टांगें फैला कर इसकी गांड मार लुं,,, यह शब्द जैसे ही उसके कानों में पड़े थे वह एकदम से स्तब्ध रह गई थी पल भर के लिए तो उसके मन में आया कि वापस लौटकर उस लड़के के गाल पर दो-तीन थप्पड़ लगा दे लेकिन इतनी हिम्मत उसमें नहीं थी,,,, जैसे तैसे करके सुगंधा उस लड़के की बात को सहन कर गई थी लेकिन जैसे ही अपने कॉलेज के गेट पर पहुंची थी तो गेट पर खड़ा जमादार जो कि अधेड़ उम्र का था,,, वह भी उस पर गंदी फब्ति कसते हुए बोला ।

वाह क्या गांड है साली की,,, अगर मिल जाए तो इसकी बुर नहीं बल्कि गांड मारने में ही मजा आएगा,,,,, यह शब्द जैसे ही उसके कान में पड़े थे उसके तो होश उड़ गए थे,,, क्योंकि वह चौकीदार उसके बाप की उम्र का था और वह कभी सपने में नहीं सोचे थे कि इस उम्र के आदमी भी लड़कियों को देखकर लार टपकाते होंगे,,,, उसकी बात सुनकर सुगंधा दौड़ते हुए ही पीछे नजर घुमा कर देखी थी और उसे चौकीदार की नजरों को जब वह अपनी गांड के इर्द-गिर्द घूमता हुआ महसूस की तो वह मारे शर्म के पानी पानी हो गई थी,,, उसके मन में हुआ कि उसे चौकीदार की शिकायत प्रिंसिपल को कर दे लेकिन फिर वह अपने मन में सोचने लगी की प्रिंसिपल को जाकर वह बोलेगी क्या किन शब्दों में शिकायत करेगी क्योंकि इस तरह के असली शब्दों का प्रयोग कभी अपने जुबान पर नहीं की थी,,, और फिर काफी सोच समझने के बाद वह कुछ बोली नहीं और अपनी क्लास रूम में चली गई।

वह दिन था और उसके बाद आज का दिन है जब वह दौड़ रही थी वैसे तो जवानी के दिनों में उसके बाद में कुछ ज्यादा ही फुर्ती थी और बदन भी छरहरा था इसलिए भागने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं आती थी लेकिन अब समय बदल चुका था उम्र के हिसाब से अब वह ज्यादा तेज नहीं तोड़ सकती थी लेकिन फिर भी काम चलाने के लिए वह धीरे-धीरे दौड़ लगा रही थी,,,, दौड़ लगाते हुए अंकित अपनी मां को ही देख रहा था वह तिरछी नजर से अपनी मां के ब्लाउज की तरफ देख रहा था क्योंकि भागने की वजह से उसके घर पहुंचे जैसी चूचियां उछल रही थी और अंकित को साफ एहसास हो रहा था कि उसकी मां ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,, इसलिए उसके दोनों कबूतर एकदम बेकाबू हो चुके थे ब्लाउज की कैद से बाहर निकलने के लिए,,, अपनी मां की वह चलती हुई चूचियों को देखकर अंकित अपने मन में सोच रहा था कि नानी की चूचियों की तरह उसे अपनी मां की भी चूचियों को दबाने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आता,,,। ऐसा सोचता हुआ वह मस्त हुआ जा रहा था,,, सुगंधा भी जब तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसकी नजर को अपनी चूचियों के ईर्द गिर्द ही पाई तो वह एकदम से गनगना गई,,,।

वह अंदर ही अंदर एकदम खुश होने लगी थी क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि दौड़ने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में उछल रही थी,,, और उसे अभी मालूम था कि यह सब उसके ब्रा ना पहनने की वजह से हो रहा था,,,, अपने बेटे की नजर के बारे में जानने के बावजूद भी वह अपनी चूचियों के उछाल को बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि वह उसी लय में आगे बढ़ रही थी,,, और अपने मन में सोच रही थी कि काश उसके ब्लाउज के सारे बटन टूट जाए और उसकी चूची एकदम से आजाद हो जाए एकदम नंगी हो जाए और उसका बेटा उसे अपने दोनों हाथों से थाम कर उसे ब्लाउज में वापस भरने की कोशिश करें और उसे जोर-जोर से दबाकर मजा ले,,,।

लेकिन यह सिर्फ उसकी सोच थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों का भारत के ब्लाउज के छोटे-छोटे बटन पर टिका हुआ था जो की मजबूती से एक दूसरे से हाथ मिलाकर बड़ी-बड़ी चूचियों के भार से ब्लाउज के बांध को टूटने से बचा रहे थे,,,, यह तो चुचियों का हाल था लगे हाथ अंकित अपनी मां के भारी भरकम गांड के भूगोल के बारे में भी समझ लेना चाहता था उसे अच्छी तरह से देख लेना चाहता था इसलिए अपनी मां से बात करते हुए बोला,,,।

कैसा लग रहा है मम्मी,,,?

आज तो बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा लग रहा है कि मेरे जवानी के दिन लौट आए हो,,,।

जवानी के दिन गए ही कब थे मम्मी तो वापस आने का सवाल ही नहीं उठता,,, तुम पर तो जवानी पूरी तरह से छाई हुई है या युं कह लो की जवानी तुम पर पूरी तरह से मेहरबान है,,,,।
(अपने बेटे की आवाज सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, और उसे अपने बेटे की बातों में एक मर्दाना अंदाज चालक रहा था जो एक मर्द एक औरत के साथ बातें करते हुए शब्दों का प्रयोग करता है,,, अंकित की बातों से सुगंधा बहुत खुश थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

क्या बात है आज तो तो फिल्मी हीरो की तरह मेरी तारीफ पर तारीफ कर रहा है।

क्योंकि तुम तारीफ के लायक हो अभी तक मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ करने के लिए लेकिन बहुत हिम्मत उठाकर तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं और यह बात तुम्हें भी अच्छी तरह से मालूम होगा कि वाकई में तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,(अंकित अपनी मां की चूचियों की तरफ देखते हैं बोला और जब-जब सुगंध अपने बेटे की नजर को अपनी चूचियों के इर्द-गिर्द घूमती हुई पाती थी तब तब उसके बदन में सुरसुराहट सी होने लगती थी।,,, सुगंधा अपनी बेटी की बात सुनकर खुश हो रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही क्योंकि उसके पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं है लेकिन उनकी धीरे से अपनी मां से एक कदम पीछे हो गया था क्योंकि वह अपनी मां का पिछवाड़ा देखना चाहता था उसकी भारी भरकम गांड को दौड़ते समय कैसी दिखाई देती है यह देखना चाहता था। और शायद इसका एहसास सुगंधा को भी हो गया था,,, इसलिए वह बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी अपने बेटे के साथ दौड़ने की,,, वह इस तरह से अपने बेटे से कदम आगे ही थी,,

अंकित को अब सब कुछ स्ट्रीट लाइट की रोशनी में एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,, अंकित की मां की गांड दौड़ते समय कुछ ज्यादा ही उछल रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह खुद अंकित को इशारा कर रही हो कि लपक कर दोनों हाथों से उसे थाम ले,,,, कसी हुई साड़ी में सुगंधा की गांड कहर ढा रही थी,,, अंकित दौड़ते हुए अपनी मां की गांड को देखकर मत हो जा रहा था वाकई में उसकी मां की गांड उसने अब तक जितनी भी औरतों को देखा था उनमें से सबसे ज्यादा खूबसूरत गांड उसकी मां की ही थी,,,। अंकित तो देखता ही रह गया था सुगंधा को भी अच्छी तरह से मालूम था कि उसका बेटा क्या देख रहा होगा इसलिए वह चलते हुए तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो एकदम से खुश हो गई क्योंकि जैसा वह सोच रही थी वैसा ही हो रहा था उसका बेटा उसकी गांड को ही देख रहा था,,,, तभी उसे एहसास हुआ की उसके पास से एक आदमी दौड़ता हुआ निकला जो कि उसकी तरफ ही देख रहा था,,,, और फिर तो ऐसे कई लोगों को उसने देखी जो उसे ही देख रहे थे,,, इस बात का एहसास अंकित को भी हो रहा था और वह अपनी मां की खूबसूरती से गर्व महसूस कर रहा था,,,। लेकिन इस बात का एहसास हुआ अपनी मां को करना चाहता है इसलिए वह फिर से अपनी मां के साथ दौड़ने लगा और दौड़ते हुए अपनी मां से बोला,,,,।

देख रही हो मम्मी आते जाते सभी लोग की नजर तुम पर ही है,।

नहीं तो मुझे तो नहीं लग रहा है,,,(सुगंधा जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली और तभी अंकित सामने से आ रहे हैं एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए बोला)

वह देखो सड़क की दूसरी तरफ से जो आदमी आ रहा है तुमको ही देख रहा है,,,,।
(सुगंधा धीरे-धीरे दौड़ते हो उसे आदमी की तरह देखने लगी और वाकई में वह आदमी उसे ही देख रहा था और तभी एक आदमी फिर से उसके बगल से आगे निकल गया और उसे देखकर कर अंकित बोला)

देख रही हो यह भी तुम्हें देखता हुआ निकल गया,,,,, जो आगे से आ रहे हो तुम्हारी छाती की तरफ देख रहा है और जो पीछे से आ रहा है और तुम्हारे पिछवाड़े की तरफ देख रहा है,,,(अंकित पूरी तरह से सोच समझकर मौके की नजाकत को देखते हुए ही इस तरह की बात कहा था इस तरह के शब्दों का प्रयोग किया था वह जानता था कि इस समय उसकी मां भी मस्त हो रही है इसलिए वह कुछ बोलेगी नहीं,,,, और ऐसा ही हुआ अंकित की बातों से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी और अंकित की बातों में पूरी तरह से सच्चाई थी इस बात का एहसास सुगंधा को भी था अच्छी तरह से जानती थी मर्दों की फितरत को आगे से आते समय वह चुचई की तरफ देखते हैं और पीछे से गांड की तरफ,,,,।

दौड़ते दौड़ते दोनों काफी दूर तक आ चुके थे और अब धीरे-धीरे उजाला भी हो रहा था,,,, इसलिए सुगंधा एक जगह पर रुक गई और गहरी गहरी सांस लेने लगी उसकी सांसों की गति उसकी चूचियों में हलचल मचा रही थी और उसकी यह हलचल अंकित की नजरों से छुपी नहीं थी,,,। गहरी सांस लेते हुए सुगंधा अपने बेटे से बोली,,,।

काफी दूर आ गए हैं पहले दिन के लिए यह तो बहुत ज्यादा ही हो गया है बातों ही बातों में कहां से कहां पहुंच गए पता ही नहीं चला,,,।

सच कह रही हो मम्मी तुम्हारे साथ दौडने में मुझे भी बहुत मजा आया,,,।

मजा तो आया लेकिन साड़ी में दौड़ने में दिक्कत होती है खुलकर दौड़ नहीं सकते,,,।

तो तुम भी उसे औरत की तरह,,,(सामने सड़क से जा रही है एक औरत की तरफ इशारा करते भेजो ढीला पाजामा और कुर्ता पहने हुए थी) कपड़े पहन कर दौड़ा करो आराम रहेगा और अच्छा भी लगेगा,,,।

तू सच कह रहा है लेकिन इस तरह से कपड़े पहन कर घर से निकलने में बड़ा अजीब लगेगा आस पड़ोस के लोग देखेंगे तो क्या बोलेंगे,,,।

अरे इसमें क्या बोलेंगे बहुत से लोग पहनते हैं अच्छी नहीं जॉगिंग करते समय कितनी औरतें पहनी हुई थी क्योंकि इसमें आराम रहता है,,,।

बात तो तु सही कह रहा है,,, चल देखेंगे अब घर चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर दोनों बातें करते हुए कब घर पहुंच गए पता ही नहीं चला)
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia

Sushilnkt

Well-Known Member
3,483
5,597
158
Bahut hi umda update

Is baar dusri baar sukh मिला हीरो को

आगे भी उसे मिलता रहेगा।

अब पड़ोस में जुगाड भीड़ गया है।

ये नानी की कमी तो पूरी करेगा।
 
  • Like
Reactions: Napster
Top