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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#116.

त्रिशक्ति: (
12 जनवरी 2002, शनिवार, 13:25, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)

वेगा अचानक से अपने ऊपर हो रहे हमलों से परेशान हो गया था। वह अपनी बातें अपने भाई युगाका से शेयर भी नहीं कर सकता था, नहीं तो युगाका डरकर उसे अराका द्वीप पर बुला लेता।

वेगा के जन्मदिन को बीते आज 3 दिन हो गये थे। इन तीन दिनों में वेगा ना तो वीनस से मिला था और ना ही कहीं घर से बाहर निकला था। पर वेगा घर में बैठे-बैठे बिल्कुल बोर हो गया था। इसलिये आज उसने घर से निकलने का प्लान कर ही लिया।

वेगा ने आज अपने क्लब जाकर स्वीमिंग करने का प्लान कर लिया।

यह सोच वेगा कार की चाबी ले, घर से बाहर निकल गया, पर वह भैया की दी हुई जोडियाक वॉच पहनना नहीं भूला।

कुछ ही देर में ड्राइव करते हुए वेगा अपने स्वीमिंग क्लब तक पहुंच गया। वेगा ने चेंजिंग रुम में जा कर अपने कपड़े चेन्ज किये और स्वीमिंग पूल के पास पहुंच गया।

स्वीमिंग पूल में सिर्फ 2 लोग ही और स्वीमिंग कर रहे थे। वेगा ने डाइविंग बोर्ड पर खड़े होकर पानी में डाइव मार दी।

नीले रंग के स्वीमिंग पूल का पानी बेहद साफ सुथरा दिख रहा था। स्वीमिंग हमेशा से ही वेगा का फेवरेट शुगल रहा था।

वेगा जब भी पानी में उतरता, वह अपने आप को बहुत फ्रेश महसूस करने लगता था। चूंकि वेगा एक अटलांटियन था, इसलिये उसे पानी में भी साँस लेना आता था, पर वह दुनिया को दिखाने के लिये हर कुछ देर में पानी से बाहर आकर साँस लेने का नाटक करता था।

डाइव लगाने के बाद वेगा पानी के अंदर ही अंदर, स्वीमिंग पूल के एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर चल दिया।

तभी वेगा को पानी में एक बहुत छोटी सी मछली दिखाई दी। वह मछली 2 सेमी छोटी थी।

वह मछली बिल्कुल पारदर्शी थी। अगर उसकी आँखें काली ना होतीं तो शायद वेगा उसे देख भी नहीं पाता।

“ये तो ‘टैबियस’ मछली है, यह तो झील के फ्रेश वॉटर में पायी जाती है, यह यहां स्वीमिंग पूल के पानी में कैसे आ गयी? वेगा अभी उस नन्हीं मछली को देख ही रहा था कि तभी वह नन्हीं मछली एक ‘इलेक्ट्रिक ईल मछली’ में बदल गई और इससे पहले कि वेगा अपना बचाव कर पाता, उस ईल मछली ने वेगा को छूकर करंट का एक तेज झटका दिया।

वेगा का पूरा शरीर पानी में झनझना गया। वह करंट कम से कम 600 वॉट का तो जरुर रहा होगा।

वेगा के शरीर का आधा करंट उसकी जोडियाक वॉच ने खींच लिया, नहीं तो वेगा इतने तेज करंट से मर भी
सकता था।

वेगा ने पलटकर ईल मछली को देखा, वह पानी में तैरती हुई फिर उसकी ओर बढ़ रही थी।

वेगा यह देख तेजी से पानी से निकलने के लिये, किनारे की ओर तैरने लगा। तभी पीछे से आकर ईल ने वेगा को फिर एक बार करंट लगा दिया।

वेगा को इस बार पिछले वाले से भी ज्यादा करंट महसूस हुआ। वह समझ गया कि अब अगर एक बार भी ईल ने उसे और करंट मारा, तो वह मर जायेगा।

यह सोच वेगा ने अपनी पूरी शक्ति एक बार फिर एकत्रित की और किनारे की ओर तेजी से तैरने लगा।
इससे पहले कि ईल दोबारा पलट कर आती वेगा स्वीमिंग पूल से बाहर निकल गया।

वेगा अब किनारे पर लेटा हुआ, पानी में घूम रही ईल मछली को देख रहा था।

वेगा के साथ जो कुछ भी हुआ, वह वहां तैर रहे बाकी दोनों लड़को ने नहीं देखा था। वह अभी भी पानी में मस्ती कर रहे थे।

तभी वेगा के देखते ही देखते वह ईल पानी में गायब हो गई।

यह देख वेगा की आँखें कुछ सोचने वाले अंदाज में सिकुड़ गयीं। वेगा क्लब में और कोई हंगामा होते नहीं देखना चाहता था। इसलिये चेंजिंग रुम में जा कर कपड़े बदले और अपनी कार की ओर चल पड़ा।

वेगा की कार आउटडोर खड़ी थी, इसलिये वह बाहर की ओर चल दिया।

रास्ते में एक छोटा सा फव्वारा बना था, जिसमें पानी के फव्वारे चारो ओर पानी छीट रहे थे।

उस फव्वारे के दूसरी साइड एक बड़ी सी किसी अप्सरा की मूर्ति बनी थी, जो एक बड़ी सी मटकी अपने सिर पर रखे हुई थी।

जैसे ही वेगा उस फव्वारे के बगल से निकला, एक 10 फुट लंबा काला नाग उस फव्वारे वाले स्थान से निकलकर वेगा के पैर से लिपट गया।

वेगा यह देखकर हैरान हो गया। उसे क्लब जैसी जगह पर इतने खतरनाक नाग के होने का अंदेशा भी नहीं था।

नाग अपना पूरा फन फैला कर वेगा को काटने चला, पर वेगा का भी पूरा बचपन जंगल में ही बीता था। उसे नाग से बचना अच्छी तरह से आता था।

इससे पहले कि नाग वेगा को कोई नुकसान पहुंचा पाता, वेगा ने नाग के फन को, अपने सीधे हाथ से जोर से पकड़ लिया।

वेगा के द्वारा फन पकड़ लिये जाने पर नाग वेगा को काट नहीं पा रहा था, तभी उसने अपनी पूंछ से वेगा के पैर को जोर से उमेठना शुरु कर दिया।

नाग के ताकत बहुत ज्यादा थी, वेगा बांये हाथ से नाग की पूंछ को अपने पैर से छुड़ाने की कोशिश तो कर रहा था, पर एक हाथ से वह सफल नहीं हो पा रहा था।

इसी प्रयास में वेगा जमीन पर गिर पड़ा, पर गिरने के बाद भी वेगा ने नाग के फन को नहीं छोड़ा था।
तभी वेगा को उस अप्सरा की मूर्ति के नीचे, झाड़ी काटने वाली एक बड़ी सी कैंची दिखाई दी।

अब वेगा जमीन पर सरक कर धीरे-धीरे उस कैंची की ओर बढ़ने लगा।

तभी खतरा देख वेगा की जोडियाक वॉच स्वतः हरकत में आ गयी। उससे निकलकर धरा-कण मूर्ति के सिर पर रखी मटकी में समा गया।

उधर वेगा घिसटता हुआ मूर्ति के नीचे पहुंच गया। वेगा ने जमीन पर पड़ी कैंची की ओर अपना बांया हाथ बढ़ाया।

वेगा को कैंची की ओर हाथ बढ़ाते देख नाग ने पूरी ताकत लगा कर अपना फन वेगा के हाथ से छुड़ा लिया।

अब नाग वेगा के शरीर को छोड़कर उसके सामने आ गया। वेगा अभी भी गिरा पड़ा हुआ था। वेगा अचानक से उस नाग की आक्रामकता देख कर हैरान रह गया।

नाग ने अपना फन जोर से फैलाया और वेगा को काटने चला। वेगा के पास अब स्वयं को बचाने का बिल्कुल भी समय नहीं था।

तभी मूर्ति के सिर पर रखा मटका तेजी से हवा में लहराया और नाग के फन पर आकर जोर से गिरा। इतने भारी मटके के नीचे दबकर नाग मारा गया।

वेगा के देखते ही देखते नाग का शरीर वहां से धुंआ बनकर उड़ गया। वेगा की आँखें एक बार फिर सिकुड़ गयीं।

अब वेगा को पूर्ण विश्वास हो गया था कि उस पर बार-बार हो रहे यह हमले एक इत्तेफाक नहीं थे, इसके पीछे अवश्य ही कोई गहरा राज था? वेगा तुरंत कार में बैठकर अपने घर की ओर चल दिया।

वेगा कार को ड्राइव करके भीड़ भरे रास्ते से अपने घर की ओर जा रहा था, पर अब एक कार उसकी कार का पीछा कर रही थी।

वेगा का पीछा कर रही कार में धरा और मयूर बैठे थे।

“यह तो एक साधारण बालक लग रहा है।” धरा ने मयूर से कहा-“इसके पास हमारी धरा शक्ति कैसे पहुंची?”

“उसने धरा शक्ति के हमारे कण को किसी आधुनिक तरीके से बनी एक घड़ी में डाल रखा है और वह घड़ी राशियों का रुप लेकर इसे बचा रही है।” मयूर ने कहा- “पर एक बात कहूं मुझे लगता है कि इस बालक को भी धरा शक्ति के बारे में कुछ भी पता नहीं है?”

“सही कहा मयूर, पर हमें इस लड़के को अपने अधिकार में लेकर उससे यह तो पूछना ही पड़ेगा कि उसे यह घड़ी किसने दी?”

धरा ने कार को ड्राइव करते हुए कहा- “और हम इस तरह से किसी मनुष्य को इतनी बड़ी धरा शक्ति का अधिकार भी नहीं दे सकते, हमें इससे वह घड़ी छीननी ही पड़ेगी। लेकिन इसके लिये हमें इस लड़के के किसी एकांत जगह में जाने का इंतजार करना होगा क्यों कि हम अपनी शक्तियों का प्रयोग मनुष्यों के सामने नहीं कर सकते।”

तभी वेगा की कार एक ऐसी रोड पर आ गयी, जहां पर ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं थी।

वेगा ने एक जगह पर कार को रोका और कार से उतरकर एक फल की दुकान की ओर बढ़ गया।

यह देख मयूर ने धरा को इशारा किया।

धरा ने अपनी कार को वेगा की कार से कुछ दूरी पर रोका और कार से उतरकर वेगा की ओर बढ़ने लगी।

मयूर कार में ही बैठकर धरा को देख रहा था। धरा अब फल खरीद रहे वेगा के बिल्कुल पीछे पहुंच गयी, तभी जाने कहां से एक पागल सांड अनियंत्रित हो कर वेगा की ओर दौड़ पड़ा।

अनियंत्रित सांड अपने रास्ते में आ रही हर चीज को हटाता जा रहा था।

चूंकि धरा और मयूर का ध्यान पूरी तरह से वेगा की ओर था, इसलिये वेगा की ओर तेजी से बढ़ रहा सांड उन्हें भी दिखाई नहीं दिया। और इससे पहले कि धरा वेगा का कुछ भी कर पाती, पागल सांड जा कर तेजी से धरा से जा टकराया।

सांड की टक्कर इतनी प्रभावशाली थी कि धरा उछलकर काफी दूर जा गिरी और उसका सिर एक कंक्रीट की दीवार से टकराने की वजह से, उसकी चेतना भी लुप्त हो गयी।

धरा को टक्कर मारने के बाद सांड वेगा की झपटा, पर वेगा की नजर इस जोरदार आवाज की वजह से सांड पर पड़ गयी थी।

वेगा ने तेजी से अपने शरीर को एक ओर गिरा कर स्वयं को बचा लिया।

सांड अपनी झोंक में वेगा के पीछे मौजूद एक बड़े से पेड़ से जा टकराया। सांड गुस्सा कर पलटा और वेगा को अपनी लाल-लाल आँखों से घूरने लगा।

उधर मयूर ने जैसे ही धरा को गिरते देखा, गुस्साकर कार से बाहर आया और गिरी पड़ी धरा की ओर भागा। मयूर ने धरा को हिलाया, पर धरा बेहोश थी।

गुस्साकर मयूर ने उस सांड की ओर देखा, सांड पेड़ के नीचे खड़ा गुस्से से फुंफकारता हुआ खूनी नजरों से वेगा की ओर देख रहा था।

यह देख मयूर ने गुस्से से जमीन को धीरे से थपथपाया। तभी सांड के पीछे खड़े, उस पेड़ की जड़ों के पास की धरती में कुछ परिवर्तन होना शुरु हो गया।

मयूर के थपथपाते ही पेड़ की जड़ के पास की मिट्टी जमीन में समाने लगी, जिसकी वजह से 1 सेकेण्ड में ही पेड़ की जड़ें मिट्टी के बाहर दिखाई देने लगीं और इससे पहले कि वेगा को कुछ समझ आता, वह पेड़ एक चरचराहट की आवाज के साथ उस सांड के ऊपर आ गिरा।

सांड उस बड़े से पेड़ के नीचे पूरी तरह से दब गया।

वेगा को लगा कि पेड़ सांड की टक्कर की वजह से कमजोर हो गया था, इसलिये ही वह गिर पड़ा।

अब वेगा का ध्यान बेहोश पड़ी धरा की ओर गया, जिसे उसके पास बैठा मयूर हिला कर उठाने की कोशिश कर रहा था। वेगा भागकर धरा के पास पहुंच गया।

“इन्हें तो काफी चोट आयी लगती है, जल्दी चलिये मैं आपको हॉस्पिटल छोड़ देता हूं।” वेगा ने मयूर को देखते हुए कहा।

“नहीं...नहीं...इसे कुछ नहीं हुआ है, बस यह डर की वजह से बेहोश है, यह अपने आप सही हो जायेगी।
हमें हॉस्पिटल जाने की कोई जरुरत नहीं है।” हॉस्पिटल का नाम सुनते ही मयूर थोड़ा डर सा गया।

“पर ये बेहोश हैं और मैंने देखा, उस सांड की सीधी टक्कर इन्हें लगी थी, ऐसे में इन्हें अंदरुनी चोट आयी हो सकती है, हमें इन्हें किसी ना किसी डॉक्टर को दिखाना जरुरी है।” वेगा ने धरा को देखते हुए अपनी सलाह
दी।

“देखिये ये हॉस्पिटल के नाम पर बहुत पैनिक हो जाती हैं, इसलिये मैं इन्हें हॉस्पिटल तो किसी भी कीमत पर नहीं ले जा सकता।” मयूर ने भी बहाना बनाते हुए कहा।

“तो फिर ठीक है, आप इन्हें मेरे घर पर ले चलिये, मैं वहीं पर किसी डॉक्टर को कॉल करके बुला लूंगा।” वेगा ने सॉल्यूशन निकालते हुए कहा- “और मेरा घर भी यहां से बिल्कुल पास में ही है।”

मयूर को वेगा का यह सुझाव बहुत अच्छा लगा, उसने सोचा कि इसी बहाने वेगा के घर का भी पता चल जायेगा।

“ठीक है, हम आपके घर चल सकते हैं।” मयूर ने अपनी स्वीकृति दे दी।

मयूर की बात सुनते ही वेगा अपनी कार की ओर भागा। मयूर ने अपनी कार वहीं खड़ी छोड़ी और धरा को लेकर वेगा की कार की पिछली सीट पर बैठ गया।

मयूर, धरा के लिये ज्यादा चिंतित नहीं था, उसे पता था कि धरा को कैसी भी चोट लगी हो, उसके अंदर मौजूद धरा शक्ति कुछ ही देर में धरा को सही कर देगी।

अंजाने में वेगा, उन्हें ही अपने घर ले जा रहा था, जो कि उसे ही मारने वाशिंगटन डी.सी. आये थे।


जारी रहेगा_______
✍️
Story bahut hi romanchak mod par end hua hai. Aaj Sinjo aur Rinjo 2 bhai ki wajah se Vega khatre mein pad gaya hai.
Albert ke jane ke baad ab 5 log hi bache hain.
Yadi Cristy ke paas koi abnormal power nahi aaya toh wo bhi khud ko bacha nahi payegi bhale hi wo ek secret agent hai.
#117.

कालसर्प विषाका:
(3 दिन पहले........09 जनवरी 2002, बुधवार, 16:10, मायावन)

जंगल में पक्षियों का कलरव गूंज रहा था। ठण्डी-ठण्डी हवाओं के झोंको से ऐलेक्स की आँख खुल गयी।

ऐलेक्स ने धीरे से उठकर चारो ओर नजर मारी। उसके आसपास कोई भी नहीं था।

तभी उसे याद आया कि किसी इंसान ने हाथों से निकलते हरे रंग के धुंए को सूंघकर वह बेहोश हो गया था।

“कौन था वह आदमी ? उसने मुझे क्यों बेहोश किया...और...और कैप्टेन सहित सारे लोग मुझे बिना साथ लिये क्यों चले गये?”

परंतु थोड़ी देर तक सोचने के बाद भी जब ऐलेक्स को अपने सवालों का जवाब नहीं मिला, तो वह अपने कपड़ों को झाड़कर, अंदाज से ही जंगल में एक ओर बढ़ गया।

अकेले होने की वजह से ऐलेक्स को अब थोड़ा डर लग रहा था। उसके पास ना तो खाने-पीने की कोई चीज थी और ना ही अपने बचाव के लिये कोई हथियार। अब तो बस जंगल का सहारा ही बचा था।

ऐलेक्स अभी कुछ आगे ही बढ़ा था कि तभी उसे एक पेड़ के पास कोई लड़की का साया दिखाई दिया।
ऐलेक्स यह देख तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

ऐलेक्स ने धीरे से किसी चोर की तरह पेड़ की ओट से झांककर उस साये को देखा।

वह साया अब उजाले में आ गया था। उस साये पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स के होश उड़ गये।

“बाप रे....यह तो मेडूसा है। ग्रीक कहानियों की पात्र, जिसकी आँख में देखते ही इंसान पत्थर का बन जाता है....यह...यह इस जंगल में क्या कर रही है...मुझे तो लगता था कि ग्रीक कहानियों के सभी पात्र झूठे थे...पर ...पर इसे देखने के बाद ....देखने से याद आया मुझे इसकी आँखों में नहीं देखना है, नहीं तो मैं भी पत्थर का बन जाऊंगा।”

ऐलेक्स मन ही मन बड़बड़ाते पूरी तरह से भयभीत हो गया। जब थोड़ी देर तक कुछ नहीं घटा, तो ऐलेक्स ने धीरे से अपनी आँखें खोलकर चारो ओर देखा।

मेडूसा का कहीं भी पता नहीं था। यह देख ऐलेक्स ने राहत की साँस ली।

“लगता है कहीं चली गयी?....पर मैंने तो कहानियों में सुना था कि मेडूसा को पर्सियस ने मार दिया था, फिर ये जिंदा कैसे है?... क्या ये भी किसी मायाजाल का हिस्सा है?.... पर ये उस पेड़ के पास क्या कर रही
थी?”

ऐलेक्स के दिमाग में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे।

थोड़ी देर तक ऐलेक्स अपनी जगह पर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच वह उस पेड़ की ओर बढ़ा, जिसके पास से उसने मेडूसा को निकलते हुए देखा था।

उस पेड़ के पास पहुंचकर ऐलेक्स ने घूरकर देखा, उसे उस पेड़ में बड़ा सा कोटर दिखाई दिया।

ऐलेक्स ने उस कोटर में झांककर देखा, पर अंदर अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।

कुछ सोच ऐलेक्स धीरे से उस कोटर में दाखिल हो गया। वह कोटर अंदर से काफी बड़ा था, ऐलेक्स उसमें खड़ा भी हो सकता था।

ऐलेक्स धीरे-धीरे टटोलकर आगे की ओर बढ़ने लगा।

कुछ आगे जाने पर उसे काफी दूर एक हल्की सी नीले रंग की रोशनी दिखाई दी। ऐलेक्स उस रोशनी की दिशा में आगे बढ़ने लगा।

एक छोटे से पेड़ में इतनी बड़ी सुरंग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। थोड़ा आगे बढ़ने पर रास्ता ऊपर की ओर से संकरा होने लगा, यह देख ऐलेक्स अब झुककर चलने लगा।

उस संकरे रास्ते में भी पर्याप्त ऑक्सीजन थी, इसलिये ऐलेक्स को साँस लेने में किसी प्रकार की कोई भी तकलीफ नहीं हो रही थी।

बैठकर चलते-चलते ऐलेक्स, कुछ ही देर में उस रोशनी के स्थान पर पहुंच गया।

वहां पर जमीन में एक 4 फुट व्यास का गड्ढा था, रोशनी उसी गड्ढे से आ रही थी।

ऐलेक्स ने रोशनी के स्रोत का पता लगाने के लिये उस गड्ढे में झांककर देखा। गड्ढे में झांकते ही ऐलेक्स का पैर फिसल गया और वह 20 फुट गहरे उस गड्ढे में गिर पड़ा।

गड्ढे में गिरने के बाद भी ऐलेक्स को चोट नहीं लगी, क्यों कि उसका शरीर किसी गुलगुली चीज पर गिरा था।

वह एक बड़ा सा तहखाना था। तहखाना रोशनी से भरा था,शइसलिये ऐलेक्स को देखने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई कि वह किस चीज पर गिरा है? पर उस चीज पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स की धड़कन बिल्कुल रुक सी गयी, वह एक तीन सिर वाला विशालकाय काला सर्प था, जो कि उस तहखाने में सो रहा था।

ऐलेक्स हड़बड़ा कर उस सर्प से दूर हो गया। भला यही था ऐलेक्स के गिरने के बावजूद भी, वह सर्प नींद से नहीं जागा था।

ऐलेक्स ने तुरंत अपने बचने के लिये तहखाने में चारो ओर नजरें डाली, तहखाने में एक भी दरवाजा नहीं था।

ऐलेक्स यह देख और भी डर गया।

“हे भगवान...यह मैं कहां फंस गया? इस तहखाने में तो निकलने का एक मात्र वहीं रास्ता है, जिससे मैं यहां नीचे गिरा था, पर वह तो 20 फुट की ऊंचाई पर है...और इस तहखाने में कोई भी ऐसी चीज नहीं है? जिस पर खड़ा हो कर मैं उतनी ऊंचाई तक पहुंच सकूं....और ऊपर से यह काला साँप?....अगर यह उठ गया तो मुझे मरने से कोई भी नहीं बचा सकता। हे ईश्वर बचाले इस मुसीबत से।”

ऐलेक्स काफी देर तक डरा-डरा तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठा रहा। पर जब काफी देर हो गया तो ऐलेक्स का डर थोड़ा सा कम हुआ।

अब उसने पूरे तहखाने पर नजर मारना शुरु कर दिया। पूरा तहखाना दो भागों में बंटा था।

तहखाने के बीचो बीच एक लाल रंग की रेखा खिंची हुई थी। उस रेखा के एक ओर वह सर्प सो रहा था और दूसरी ओर कुछ सामान रखा था।

ऐलेक्स अब उस समान के पास पहुंचकर उन्हें देखने लगा।

वहां मौजूद सामान में एक बीन थी, एक काँच की बोतल थी, जिसमें सुनहरे रंग का धुंआ भरा था। बीच-बीच में उस धुंए में लाइट स्पार्क हो रही थी।

बोतल को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे बोतल में बादल कैद हैं और उन बादलों में बीच-बीच में बिजली सी चमक रही है।

बोतल के पास एक काँच का पारदर्शी घड़ा रखा था, जिसका मुंह छोटा था और उस काँच के घड़े में एक कंचे के आकार की, नीले रंग की हीरे सी चमचमाती एक मणि रखी थी।

उसी मणि का प्रकाश तहखाने में चारो ओर बिखरा हुआ था।

“क्या मुझे यहां रखे इन सामान को छूना चाहिये?” ऐलेक्स के दिमाग की घंटी बज रही थी- “कहीं ऐसा ना हो कि किसी सामान को छूते ही यह तीन सिर वाला साँप जाग जाये?.. ...नहीं...नहीं मुझे यहां रखी किसी
चीज को भी नहीं छूना।”

ऐलेक्स यह सोच चुपचाप बैठ गया, पर जब 2 घंटे बीत गये तो ऐलेक्स फिर से खड़ा हुआ और उस काँच के मटके में हाथ डालकर उस मणि को निकाल लिया।

ऐलेक्स ने मणि को उलट-पलट कर देखा और फिर से वापस उसी घड़े में रख दिया।

अब ऐलेक्स ने उस काँच की बोतल को उठा कर देखा। उस बोतल के ऊपर एक कार्क का ढक्कन लगा था।

ऐलेक्स ने ढक्कन को खोलने की बहुत कोशिश की, पर वह ढक्कन ऐलेक्स से ना खुला।

आखिरकार ऐलेक्स ने बोतल को रख अब बीन उठा ली। ऐलेक्स उस बीन को कुछ देर तक देखता रहा और फिर उसने बीन को बजाना शुरु कर दिया।

ऐलेक्स के द्वारा बीन के बजाते ही वह तीन मुंह वाला सर्प जाग गया।

यह देख ऐलेक्स ने डरकर बीन को एक ओर फेंक दिया और वापस डरता हुआ तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठकर उस साँप को देखने लगा।

जागते ही उस साँप ने एक जोर की फुंफकार मारी और अपने तीनों सिर से ऐलेक्स को घूरकर देखने लगा।

ऐलेक्स उसे साँप को अपनी ओर देखते पाकर और भी ज्यादा डर गया।

तभी उस साँप का बीच वाला सिर बोल उठा- “तुम कौन हो मानव? क्या तुमने ही मुझे इस नींद से जगाया है?”

साँप को बोलता देख ऐलेक्स की घबराहट थोड़ी सी कम हो गयी।

“म...म....मैं तो उस बीन को देख रहा था...वह तो मुझसे गलती से बज गयी...मेरा तुमको उठाने का कोई इरादा नहीं था।” ऐलेक्स ने घबराते हुए कहा।

“घबराओ नहीं मानव...मैं तुमको कोई हानि नहीं पहुंचाऊंगा।” साँप बोला- “तुमने तो मुझे जगा कर मेरी मदद ही की है।”

“मदद!....कैसी मदद।” ऐलेक्स उस सर्प के शब्द को सुनकर अब थोड़ा बेहतर दिखने लगा।

“मेरा नाम विषाका है, मुझे एक विषकन्या ने हजारों सालों से इस स्थान पर कैद करके रखा है, उस विषकन्या ने मेरी सारी शक्तियों को उस बोतल में बंद कर दिया है और मेरी मणि भी छीनकर उस घड़े में रखी है।

मैं एक अच्छा नाग हूं, मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।” विषाका ने कहा- “हे मनुष्य क्या तुम मेरी मणि को उस घड़े से निकालकर मुझे दे सकते हो ?”

“तुम स्वयं क्यों नहीं ले लेते उस मणि को ?” ऐलेक्स ने शंकित स्वर
में कहा- “अब तो तुम जाग गये हो।”

“मैं अपनी मणि और शक्तियों के बिना इस लाल रेखा को नहीं पार कर सकता।” विषाका ने कहा- “इसी लिये मैं तुमसे उसे देने को कह रहा हूं। मुझे पता है तुम अच्छे इंसान हो, तुम मुझे मणि और वह बोतल अवश्य दोगे।”

“थैंक गॉड कि यह सर्प तहखाने के इस तरफ नहीं आ सकता।” ऐलेक्स ने मन में ही ईश्वर को धन्यवाद किया- “पर पता नहीं यह सर्प सही बोल रहा है या फिर झूठ बोल रहा है?...कहीं ऐसा ना हो कि मैं जैसे ही
इसे यह दोनों वस्तुएं दूं, यह मुझे ही मार दे।”

ऐलेक्स को सोचता देख विषाका ने फिर आग्रह किया- “ज्यादा मत सोचो मानव, मैं कभी झूठ नहीं बोलता, इससे पहले कि वह विषकन्या वापस लौटे, मुझे वह दोनों चीजें दे दो। मैं यहां से आजाद होते ही तुम्हें भी यहां से निकाल दूंगा। अगर वह विषकन्या वापस आयी तो वह तुम्हें पत्थर का बना देगी, फिर तुम कभी भी यहां से निकल नहीं पाओगे।”

ऐलेक्स को वह सर्प सही बोलता दिख रहा था, पर फिर भी जाने क्यों उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी, उस सर्प को दोनों वस्तुएं देने की। ऐलेक्स के लिये यह स्थिति असमंजस से भरी थी।

विषाका बार-बार ऐलेक्स से निवेदन कर रहा था, मगर विषाका समझ गया था कि ऐलेक्स इतनी आसानी से उसे वह दोनों वस्तुंए नहीं देगा।

अचानक विषाका जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। ऐलेक्स यह देख कर डर गया।

“ऐ अच्छे मनुष्य, मेरी मणि मेरे पास ना होने से मेरा दम घुटने लगा है।” विषाका ने तड़पते हुए कहा- “अगर तुमने मुझे मणि नहीं दी तो मैं कुछ ही मिनटों में अपने प्राण त्याग दूंगा। अगर तुम्हें सोचने के लिये और समय चाहिये तो तुम सोचो, पर कम से कम मणि मुझे देकर मेरी जान तो बचालो। वैसे भी मैं बिना बोतल की शक्तियों के इस लाल रेखा को पार नहीं कर सकता और अगर मैं मर गया तो तुम्हारी यहां से निकलने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो जायेगी।”

विषाका की इस बात ने ऐलेक्स पर असर किया। उससे विषाका का यूं तड़पना देखा नहीं गया।

कुछ सोच ऐलेक्स ने काँच के घड़े से मणि को निकाला और विषाका की ओर उछाल दिया।

मणि को अपनी ओर आते देख अचानक विषाका तड़पना छोड़ मणि की ओर झपटा।

विषाका ने मणि को हवा में ही अपने बीच वाले मुंह से पकड़ लिया। अब विषाका सही नजर आने लगा।

“हे मनुष्य, मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूं।” विषाका ने ऐलेक्स को देखते हुए कहा।

“मेरा नाम ऐलेक्स है।” ऐलेक्स ने जवाब दिया।

यह सुन विषाका जोर से फुफकारा और लाल रेखा को पारकर ऐलेक्स के पास आ गया।

विषाका को लाल रेखा पार करते देख, ऐलेक्स को एक मिनट में ही अपनी भूल का अहसास हो गया।

“तुम्हें पता है कि मैंने तुम्हारा नाम क्यों पूछा ?” विषाका ने अपने तीनों फन को हवा में लहराते हुए कहा- “ताकि मैं पूरे नागलोक को तुम्हारी मूर्खता की कहानी सुना सकूं। मैं उन्हें बताऊंगा कि एक मूर्ख मनुष्य मुझे मिला था, जिसने एक विषधर के नाटक पर विश्वास करके उसकी चमत्कारी मणि वापस कर दी। हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ अरे मूर्ख उस बोतल में तो मेरी शक्तियां हैं ही नहीं। मेरी सारी शक्तियां तो इस मणि में थीं।....अब बताओ तुम्हारा क्या किया जाये?”

विषाका की बात सुनकर ऐलेक्स आशा के विपरीत गुस्सा होते हुए बोला-

“अगर तुम मेरी अच्छाई को मूर्खता का नाम दे रहे हो, तो तुम से बड़ा धोखेबाज तो आज तक मैंने इंसानों में भी नहीं देखा। मुझे गर्व है कि मैं इंसान हूं...तुम मुझे मारना चाहते हो तो मार दो, पर ये याद रखना कि तुम जब भी कभी जिंदगी में मेरे बारे में सोचोगे, तुम्हें बहुत बेचैनी महसूस होगी।”

ऐलेक्स के ऐसे शब्दों को सुन विषाका एक पल को हिल गया, उसे डरे-डरे ऐलेक्स से ऐसी वीरता की उम्मीद नहीं थी।

कुछ सोच विषाका पलटा और उसने अपने दांए फन से वहां रखी बोतल को उठा लिया।

बोतल उठाकर विषाका वापस ऐलेक्स की ओर घूमा- “कुछ भी हो मुझे तुम्हारा यह रुप बहुत अच्छा लगा, इसलिये मैं तुम्हें जीवनदान देता हूं, वैसे भी मेरे जाने के बाद या तो तुम भूख-प्यास से मर जाओगे या फिर विषकन्या तुम्हें मार देगी, तो फिर मैं तुम्हें मारकर इस पाप को अपने सिर क्यों लूं।”

इतना कहकर विषाका अपनी पूंछ पर खड़ा हो कर छत पर लगे उस
छेद से बाहर निकल गया।

विषाका के बाहर निकलते ही तहखाने में पूरी तरह से अंधकार छा गया। अब ऐलेक्स के पास उस तहखाने से बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं बचा था।


जारी रहेगा______✍️
Ye Alex aasman se gira aur khajur par atka wo wali baat ho gayi.
Par mujhe aisa kyun lag raha hai jaise Alex abhi toh nahi marne wala hai.

Vishakha ki acting kammal ki tha yadi Akex ki jagah main hota toh main bhi wahi karta jo Akex ne kiya tha.

Beautiful update brother.
 

Raj_sharma

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Bhut hi badhiya update Bhai
To alex us tin muh vale sanp ke jhute natak me phans gaya or use us jagah se aazad kar diya aur khud vaha par phans gaya
Dhekte hai ab alex us gadde se kese bahar niklata hai
Alex ne wo mani dekar use bhaari galti kar baitha, verna wo saanp uska kuch nahi bigaad sakta tha. Sath bane rahiye mitra kuch na kuch jugaad karte hain :D
Thank you so much for your valuable review and superb support bhai :hug:
 

ak143

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#117.

कालसर्प विषाका:
(3 दिन पहले........09 जनवरी 2002, बुधवार, 16:10, मायावन)

जंगल में पक्षियों का कलरव गूंज रहा था। ठण्डी-ठण्डी हवाओं के झोंको से ऐलेक्स की आँख खुल गयी।

ऐलेक्स ने धीरे से उठकर चारो ओर नजर मारी। उसके आसपास कोई भी नहीं था।

तभी उसे याद आया कि किसी इंसान ने हाथों से निकलते हरे रंग के धुंए को सूंघकर वह बेहोश हो गया था।

“कौन था वह आदमी ? उसने मुझे क्यों बेहोश किया...और...और कैप्टेन सहित सारे लोग मुझे बिना साथ लिये क्यों चले गये?”

परंतु थोड़ी देर तक सोचने के बाद भी जब ऐलेक्स को अपने सवालों का जवाब नहीं मिला, तो वह अपने कपड़ों को झाड़कर, अंदाज से ही जंगल में एक ओर बढ़ गया।

अकेले होने की वजह से ऐलेक्स को अब थोड़ा डर लग रहा था। उसके पास ना तो खाने-पीने की कोई चीज थी और ना ही अपने बचाव के लिये कोई हथियार। अब तो बस जंगल का सहारा ही बचा था।

ऐलेक्स अभी कुछ आगे ही बढ़ा था कि तभी उसे एक पेड़ के पास कोई लड़की का साया दिखाई दिया।
ऐलेक्स यह देख तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

ऐलेक्स ने धीरे से किसी चोर की तरह पेड़ की ओट से झांककर उस साये को देखा।

वह साया अब उजाले में आ गया था। उस साये पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स के होश उड़ गये।

“बाप रे....यह तो मेडूसा है। ग्रीक कहानियों की पात्र, जिसकी आँख में देखते ही इंसान पत्थर का बन जाता है....यह...यह इस जंगल में क्या कर रही है...मुझे तो लगता था कि ग्रीक कहानियों के सभी पात्र झूठे थे...पर ...पर इसे देखने के बाद ....देखने से याद आया मुझे इसकी आँखों में नहीं देखना है, नहीं तो मैं भी पत्थर का बन जाऊंगा।”

ऐलेक्स मन ही मन बड़बड़ाते पूरी तरह से भयभीत हो गया। जब थोड़ी देर तक कुछ नहीं घटा, तो ऐलेक्स ने धीरे से अपनी आँखें खोलकर चारो ओर देखा।

मेडूसा का कहीं भी पता नहीं था। यह देख ऐलेक्स ने राहत की साँस ली।

“लगता है कहीं चली गयी?....पर मैंने तो कहानियों में सुना था कि मेडूसा को पर्सियस ने मार दिया था, फिर ये जिंदा कैसे है?... क्या ये भी किसी मायाजाल का हिस्सा है?.... पर ये उस पेड़ के पास क्या कर रही
थी?”

ऐलेक्स के दिमाग में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे।

थोड़ी देर तक ऐलेक्स अपनी जगह पर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच वह उस पेड़ की ओर बढ़ा, जिसके पास से उसने मेडूसा को निकलते हुए देखा था।

उस पेड़ के पास पहुंचकर ऐलेक्स ने घूरकर देखा, उसे उस पेड़ में बड़ा सा कोटर दिखाई दिया।

ऐलेक्स ने उस कोटर में झांककर देखा, पर अंदर अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।

कुछ सोच ऐलेक्स धीरे से उस कोटर में दाखिल हो गया। वह कोटर अंदर से काफी बड़ा था, ऐलेक्स उसमें खड़ा भी हो सकता था।

ऐलेक्स धीरे-धीरे टटोलकर आगे की ओर बढ़ने लगा।

कुछ आगे जाने पर उसे काफी दूर एक हल्की सी नीले रंग की रोशनी दिखाई दी। ऐलेक्स उस रोशनी की दिशा में आगे बढ़ने लगा।

एक छोटे से पेड़ में इतनी बड़ी सुरंग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। थोड़ा आगे बढ़ने पर रास्ता ऊपर की ओर से संकरा होने लगा, यह देख ऐलेक्स अब झुककर चलने लगा।

उस संकरे रास्ते में भी पर्याप्त ऑक्सीजन थी, इसलिये ऐलेक्स को साँस लेने में किसी प्रकार की कोई भी तकलीफ नहीं हो रही थी।

बैठकर चलते-चलते ऐलेक्स, कुछ ही देर में उस रोशनी के स्थान पर पहुंच गया।

वहां पर जमीन में एक 4 फुट व्यास का गड्ढा था, रोशनी उसी गड्ढे से आ रही थी।

ऐलेक्स ने रोशनी के स्रोत का पता लगाने के लिये उस गड्ढे में झांककर देखा। गड्ढे में झांकते ही ऐलेक्स का पैर फिसल गया और वह 20 फुट गहरे उस गड्ढे में गिर पड़ा।

गड्ढे में गिरने के बाद भी ऐलेक्स को चोट नहीं लगी, क्यों कि उसका शरीर किसी गुलगुली चीज पर गिरा था।

वह एक बड़ा सा तहखाना था। तहखाना रोशनी से भरा था,शइसलिये ऐलेक्स को देखने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई कि वह किस चीज पर गिरा है? पर उस चीज पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स की धड़कन बिल्कुल रुक सी गयी, वह एक तीन सिर वाला विशालकाय काला सर्प था, जो कि उस तहखाने में सो रहा था।

ऐलेक्स हड़बड़ा कर उस सर्प से दूर हो गया। भला यही था ऐलेक्स के गिरने के बावजूद भी, वह सर्प नींद से नहीं जागा था।

ऐलेक्स ने तुरंत अपने बचने के लिये तहखाने में चारो ओर नजरें डाली, तहखाने में एक भी दरवाजा नहीं था।

ऐलेक्स यह देख और भी डर गया।

“हे भगवान...यह मैं कहां फंस गया? इस तहखाने में तो निकलने का एक मात्र वहीं रास्ता है, जिससे मैं यहां नीचे गिरा था, पर वह तो 20 फुट की ऊंचाई पर है...और इस तहखाने में कोई भी ऐसी चीज नहीं है? जिस पर खड़ा हो कर मैं उतनी ऊंचाई तक पहुंच सकूं....और ऊपर से यह काला साँप?....अगर यह उठ गया तो मुझे मरने से कोई भी नहीं बचा सकता। हे ईश्वर बचाले इस मुसीबत से।”

ऐलेक्स काफी देर तक डरा-डरा तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठा रहा। पर जब काफी देर हो गया तो ऐलेक्स का डर थोड़ा सा कम हुआ।

अब उसने पूरे तहखाने पर नजर मारना शुरु कर दिया। पूरा तहखाना दो भागों में बंटा था।

तहखाने के बीचो बीच एक लाल रंग की रेखा खिंची हुई थी। उस रेखा के एक ओर वह सर्प सो रहा था और दूसरी ओर कुछ सामान रखा था।

ऐलेक्स अब उस समान के पास पहुंचकर उन्हें देखने लगा।

वहां मौजूद सामान में एक बीन थी, एक काँच की बोतल थी, जिसमें सुनहरे रंग का धुंआ भरा था। बीच-बीच में उस धुंए में लाइट स्पार्क हो रही थी।

बोतल को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे बोतल में बादल कैद हैं और उन बादलों में बीच-बीच में बिजली सी चमक रही है।

बोतल के पास एक काँच का पारदर्शी घड़ा रखा था, जिसका मुंह छोटा था और उस काँच के घड़े में एक कंचे के आकार की, नीले रंग की हीरे सी चमचमाती एक मणि रखी थी।

उसी मणि का प्रकाश तहखाने में चारो ओर बिखरा हुआ था।

“क्या मुझे यहां रखे इन सामान को छूना चाहिये?” ऐलेक्स के दिमाग की घंटी बज रही थी- “कहीं ऐसा ना हो कि किसी सामान को छूते ही यह तीन सिर वाला साँप जाग जाये?.. ...नहीं...नहीं मुझे यहां रखी किसी
चीज को भी नहीं छूना।”

ऐलेक्स यह सोच चुपचाप बैठ गया, पर जब 2 घंटे बीत गये तो ऐलेक्स फिर से खड़ा हुआ और उस काँच के मटके में हाथ डालकर उस मणि को निकाल लिया।

ऐलेक्स ने मणि को उलट-पलट कर देखा और फिर से वापस उसी घड़े में रख दिया।

अब ऐलेक्स ने उस काँच की बोतल को उठा कर देखा। उस बोतल के ऊपर एक कार्क का ढक्कन लगा था।

ऐलेक्स ने ढक्कन को खोलने की बहुत कोशिश की, पर वह ढक्कन ऐलेक्स से ना खुला।

आखिरकार ऐलेक्स ने बोतल को रख अब बीन उठा ली। ऐलेक्स उस बीन को कुछ देर तक देखता रहा और फिर उसने बीन को बजाना शुरु कर दिया।

ऐलेक्स के द्वारा बीन के बजाते ही वह तीन मुंह वाला सर्प जाग गया।

यह देख ऐलेक्स ने डरकर बीन को एक ओर फेंक दिया और वापस डरता हुआ तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठकर उस साँप को देखने लगा।

जागते ही उस साँप ने एक जोर की फुंफकार मारी और अपने तीनों सिर से ऐलेक्स को घूरकर देखने लगा।

ऐलेक्स उसे साँप को अपनी ओर देखते पाकर और भी ज्यादा डर गया।

तभी उस साँप का बीच वाला सिर बोल उठा- “तुम कौन हो मानव? क्या तुमने ही मुझे इस नींद से जगाया है?”

साँप को बोलता देख ऐलेक्स की घबराहट थोड़ी सी कम हो गयी।

“म...म....मैं तो उस बीन को देख रहा था...वह तो मुझसे गलती से बज गयी...मेरा तुमको उठाने का कोई इरादा नहीं था।” ऐलेक्स ने घबराते हुए कहा।

“घबराओ नहीं मानव...मैं तुमको कोई हानि नहीं पहुंचाऊंगा।” साँप बोला- “तुमने तो मुझे जगा कर मेरी मदद ही की है।”

“मदद!....कैसी मदद।” ऐलेक्स उस सर्प के शब्द को सुनकर अब थोड़ा बेहतर दिखने लगा।

“मेरा नाम विषाका है, मुझे एक विषकन्या ने हजारों सालों से इस स्थान पर कैद करके रखा है, उस विषकन्या ने मेरी सारी शक्तियों को उस बोतल में बंद कर दिया है और मेरी मणि भी छीनकर उस घड़े में रखी है।

मैं एक अच्छा नाग हूं, मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।” विषाका ने कहा- “हे मनुष्य क्या तुम मेरी मणि को उस घड़े से निकालकर मुझे दे सकते हो ?”

“तुम स्वयं क्यों नहीं ले लेते उस मणि को ?” ऐलेक्स ने शंकित स्वर
में कहा- “अब तो तुम जाग गये हो।”

“मैं अपनी मणि और शक्तियों के बिना इस लाल रेखा को नहीं पार कर सकता।” विषाका ने कहा- “इसी लिये मैं तुमसे उसे देने को कह रहा हूं। मुझे पता है तुम अच्छे इंसान हो, तुम मुझे मणि और वह बोतल अवश्य दोगे।”

“थैंक गॉड कि यह सर्प तहखाने के इस तरफ नहीं आ सकता।” ऐलेक्स ने मन में ही ईश्वर को धन्यवाद किया- “पर पता नहीं यह सर्प सही बोल रहा है या फिर झूठ बोल रहा है?...कहीं ऐसा ना हो कि मैं जैसे ही
इसे यह दोनों वस्तुएं दूं, यह मुझे ही मार दे।”

ऐलेक्स को सोचता देख विषाका ने फिर आग्रह किया- “ज्यादा मत सोचो मानव, मैं कभी झूठ नहीं बोलता, इससे पहले कि वह विषकन्या वापस लौटे, मुझे वह दोनों चीजें दे दो। मैं यहां से आजाद होते ही तुम्हें भी यहां से निकाल दूंगा। अगर वह विषकन्या वापस आयी तो वह तुम्हें पत्थर का बना देगी, फिर तुम कभी भी यहां से निकल नहीं पाओगे।”

ऐलेक्स को वह सर्प सही बोलता दिख रहा था, पर फिर भी जाने क्यों उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी, उस सर्प को दोनों वस्तुएं देने की। ऐलेक्स के लिये यह स्थिति असमंजस से भरी थी।

विषाका बार-बार ऐलेक्स से निवेदन कर रहा था, मगर विषाका समझ गया था कि ऐलेक्स इतनी आसानी से उसे वह दोनों वस्तुंए नहीं देगा।

अचानक विषाका जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। ऐलेक्स यह देख कर डर गया।

“ऐ अच्छे मनुष्य, मेरी मणि मेरे पास ना होने से मेरा दम घुटने लगा है।” विषाका ने तड़पते हुए कहा- “अगर तुमने मुझे मणि नहीं दी तो मैं कुछ ही मिनटों में अपने प्राण त्याग दूंगा। अगर तुम्हें सोचने के लिये और समय चाहिये तो तुम सोचो, पर कम से कम मणि मुझे देकर मेरी जान तो बचालो। वैसे भी मैं बिना बोतल की शक्तियों के इस लाल रेखा को पार नहीं कर सकता और अगर मैं मर गया तो तुम्हारी यहां से निकलने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो जायेगी।”

विषाका की इस बात ने ऐलेक्स पर असर किया। उससे विषाका का यूं तड़पना देखा नहीं गया।

कुछ सोच ऐलेक्स ने काँच के घड़े से मणि को निकाला और विषाका की ओर उछाल दिया।

मणि को अपनी ओर आते देख अचानक विषाका तड़पना छोड़ मणि की ओर झपटा।

विषाका ने मणि को हवा में ही अपने बीच वाले मुंह से पकड़ लिया। अब विषाका सही नजर आने लगा।

“हे मनुष्य, मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूं।” विषाका ने ऐलेक्स को देखते हुए कहा।

“मेरा नाम ऐलेक्स है।” ऐलेक्स ने जवाब दिया।

यह सुन विषाका जोर से फुफकारा और लाल रेखा को पारकर ऐलेक्स के पास आ गया।

विषाका को लाल रेखा पार करते देख, ऐलेक्स को एक मिनट में ही अपनी भूल का अहसास हो गया।

“तुम्हें पता है कि मैंने तुम्हारा नाम क्यों पूछा ?” विषाका ने अपने तीनों फन को हवा में लहराते हुए कहा- “ताकि मैं पूरे नागलोक को तुम्हारी मूर्खता की कहानी सुना सकूं। मैं उन्हें बताऊंगा कि एक मूर्ख मनुष्य मुझे मिला था, जिसने एक विषधर के नाटक पर विश्वास करके उसकी चमत्कारी मणि वापस कर दी। हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ अरे मूर्ख उस बोतल में तो मेरी शक्तियां हैं ही नहीं। मेरी सारी शक्तियां तो इस मणि में थीं।....अब बताओ तुम्हारा क्या किया जाये?”

विषाका की बात सुनकर ऐलेक्स आशा के विपरीत गुस्सा होते हुए बोला-

“अगर तुम मेरी अच्छाई को मूर्खता का नाम दे रहे हो, तो तुम से बड़ा धोखेबाज तो आज तक मैंने इंसानों में भी नहीं देखा। मुझे गर्व है कि मैं इंसान हूं...तुम मुझे मारना चाहते हो तो मार दो, पर ये याद रखना कि तुम जब भी कभी जिंदगी में मेरे बारे में सोचोगे, तुम्हें बहुत बेचैनी महसूस होगी।”

ऐलेक्स के ऐसे शब्दों को सुन विषाका एक पल को हिल गया, उसे डरे-डरे ऐलेक्स से ऐसी वीरता की उम्मीद नहीं थी।

कुछ सोच विषाका पलटा और उसने अपने दांए फन से वहां रखी बोतल को उठा लिया।

बोतल उठाकर विषाका वापस ऐलेक्स की ओर घूमा- “कुछ भी हो मुझे तुम्हारा यह रुप बहुत अच्छा लगा, इसलिये मैं तुम्हें जीवनदान देता हूं, वैसे भी मेरे जाने के बाद या तो तुम भूख-प्यास से मर जाओगे या फिर विषकन्या तुम्हें मार देगी, तो फिर मैं तुम्हें मारकर इस पाप को अपने सिर क्यों लूं।”

इतना कहकर विषाका अपनी पूंछ पर खड़ा हो कर छत पर लगे उस
छेद से बाहर निकल गया।

विषाका के बाहर निकलते ही तहखाने में पूरी तरह से अंधकार छा गया। अब ऐलेक्स के पास उस तहखाने से बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं बचा था।


जारी रहेगा______✍️
Mastt update👌👌
 

avsji

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राज भाई - ऐसे न सोचें कि हम आपको भूल गए।
बिल्कुल ही नहीं। बस समय लग रहा है। पिछले कुछ समय से वेबसाइट का जो भर्ता बना था, यह देर उसी का परिणाम है।
इतने में आपने कई सारे अपडेट्स दे दिए!


111 से शुरू करने वाला हूँ। एक दो दिन में आता हूँ अपनी फ़ूफागिरी दिखाने 😂
 

Raj_sharma

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Ye Alex aasman se gira aur khajur par atka wo wali baat ho gayi.
Par mujhe aisa kyun lag raha hai jaise Alex abhi toh nahi marne wala hai.

Vishakha ki acting kammal ki tha yadi Akex ki jagah main hota toh main bhi wahi karta jo Akex ne kiya tha.

Beautiful update brother.
Alex ki halat filhal dhobi ke kutte jaisi hi hai, na ghar ka na ghaat ka :D uski kismat me kya likha hai, ye to samay hi batayega:shhhh:Isme main kuch nahi kar sakta. Vishaka ne uska chu.. kaat diya bhai:D
Thank you so much for your valuable review and superb support bhai :hug:
 

Raj_sharma

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राज भाई - ऐसे न सोचें कि हम आपको भूल गए।
बिल्कुल ही नहीं। बस समय लग रहा है। पिछले कुछ समय से वेबसाइट का जो भर्ता बना था, यह देर उसी का परिणाम है।
इतने में आपने कई सारे अपडेट्स दे दिए!
Aap lagbhag ek mahine se gayab the, to apun ka mann udaash ho gaya, maine socha aapne bhi sath chhod diya mera:hide2:
111 से शुरू करने वाला हूँ। एक दो दिन में आता हूँ अपनी फ़ूफागिरी दिखाने 😂
Aapki fufa giri dekhne ke liye hi to likh raha hu sir:D
 
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मोडरेटर साहब , आप लोगों का तो हमे पता नही पर हम जैसे साधारण लोगों के लिए इस फोरम को ओपन करना बहुत मुश्किल हो गया है ।
कभी-कभार तो लगता है यह फोरम भी गाॅसिप की तरह शट डाउन हो जाएगा । फिलहाल यह फोरम ओपन तो हो रहा है , लेकिन हर पन्द्रह मिनट बाद प्रोब्लम भी पैदा हो रही है । नेक्स्ट पेज ओपन करने के लिए कभी पीछे तो कभी आगे के पेज पर जाना पड़ रहा है । कुछ कमेंट करो तो कमेंट पोस्ट करने मे दिक्कतें आ रही है ।
बहरहाल , जैसा कि मैने पहले भी कहा है आप बहुत सुंदर लिख रहे है और वह सुन्दरता हर अपडेट के बाद और भी बढ़ती जा रही है ।
इस अटलांटिस सभ्यता के अराका और समारा द्वीप मे , खासकर अराका द्वीप के मायावन मे एक से बढ़कर एक चमत्कारिक घटनाएं देखने को मिल रही है ।
डायनासोर प्रकरण देखकर ' जुरासिक पार्क ' और ' द लास्ट वर्ल्ड ' की यादें ताजा हो गई ।

जहां तक बात है वेगा की , इसकी हत्या करने की कोशिश निरंतर जारी है लेकिन इसका कारण क्या है ? कौन इसकी हत्या करना चाहता है । अब दो नए किरदार भी इस लिस्ट मे शामिल हो गए जो इन साहबान के जान के पीछे पड़े हैं - धरा और मयूर । यह लोग वेगा के जान के पीछे क्यों पड़े है ?

क्रिस्टी के लख्ते जिगर एलेक्स साहब को जिंदा देखकर बहुत खुशी हुई पर यह खुशी कपूर की माफिक छर्र से उड़ गई । साहब आसमान से गिरकर खजूर पर आ टपके है ।

सम्राट के सिर्फ शायद छ पैसेंजर बचे हैं । देखते हैं एलेक्स साहब अगले शिकार होते है या फिर अंत तक कैप्टन सुयश साहब के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मायावन का तिलिस्म तोड़ते है !

सुयश साहब के लिए एक शेर अर्ज है -
" कैद मे है बुलबुल सैय्यद मुस्कराए ,
कहा भी न जाए , चुप रहा भी न जाए । "
सुयश उर्फ आर्यन साहब की बुलबुल सदियों से कैद मे है । कम से कम कुछ तो ऐसा करें कि साहब के चेहरे पर मुस्कराहट आता दिखे !

सभी अपडेट बेहद ही खूबसूरत थे शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 
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