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Update 6
एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...
इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था
अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी
अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था
रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था
वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,
कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।
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सोमवार का दिन
एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी
“कम इन” एकांश ने कहा
“सर आपकी कॉफी”
एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका
अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी
“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा
“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा
एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था
अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन
एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हालांकि वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है
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अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया
“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया
“इन माइ केबिन” और फोन कट
अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची
“सर आपने बुलाया था?”
“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा
“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा
“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई
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अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई
स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था
अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी
अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी
अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी
अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी
इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी
अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही
कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना
अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ
पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही
धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....
क्रमश:
Update 7
अक्षिता को गए 2 घंटे हो गए थे और एकांश अपने केबिन मे यही सोच रहा था के इतना वक्त तो नहीं लगना चाहिए था, उसने सोचा के शायद अक्षिता को फाइलस् नहीं मिली होंगी इसीलिए वक्त लग रहा था
वही दूसरी तरफ स्वरा भी अक्षिता के बारे मे ही सोच रही थी क्युकी उसने भी अक्षिता को लंच के बाद से नहीं देखा था और अब उसे ये चिंता सता रही थी के शायद एकांश उससे बहुत ज्यादा काम करवा रहा होगा और ये सोच के उसने एक नंबर डायल किया
“हैलो दिस इस पूजा स्पीकिंग हाउ मे आइ हेल्प यू?”
“ही पूजा स्वरा बात कर रही हु, अक्षिता वहा पर है क्या?”
“एक मिनट रुको मैं देख लेती हु”
स्वरा फिर पूजा का इंतजार करने लगी
“हैलो स्वरा अक्षिता नहीं है यहा, मैंने कुछ थोड़े समय पहले देखा था उसे लंच ब्रेक के बाद उसके बाद नहीं दिखी वो ना ही यहा आई है” पूजा ने बताया और स्वरा ने फोन रखा
पूजा से बात होने के बाद स्वरा सीधा कैन्टीन की ओर गई के शायद अक्षिता वहा हो फिर कैन्टीन के बाद फिर रेस्टरूम वगैर सब जगह स्वरा ने चेक कर लिया लेकिन उसे अक्षिता कही नहीं मिली और आखिर मे वो रोहन के पास पहुची
स्वरा को ऐसे पैनिक मोड मे देख रोहन पहले तो थोड़ा चौका फिर स्वरा ने जब उसे पूरा मैटर बताया तब उसे भी टेंशन होने लगी थी, रोहन पूरी बिल्डिंग छान आया था लेकिन कही अक्षिता का कुछ पता नहीं था, आखिर मे वो लोग रीसेप्शन पर पहुचे मीरा से पूछने के उसने अक्षिता को बाहर जाते देखा है क्या
“मीरा तुमने अक्षिता को देखा है क्या बाहर जाते या अंदर आते हुए?” स्वरा ने मीरा से पूछा
“हा... अभी दो घंटे पहले ही देखा था” मीरा ने कहा
“कहा?” रोहन और स्वरा ने एकसाथ पूछा
“वही आई थी स्टोर रूम की चाबी लेने और चली गई, उसे कुछ फाइलस् चाहिए थी” मीरा ने पूरी बात बताई
“तुमने उसे स्टोर रूम से बाहर आते देखा? या चाबी वापिस करने आई थी वो?” रोहन ने पूछा
“नहीं”
“हो गया कांड” बोलते हुए रोहन और स्वरा दोनों स्टोर रूम की ओर लपके
स्टोर रूम का दरवाजा बंद देख रोहन और स्वरा दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगे और अक्षिता को आवाज लगाने लगे, रोहन ने तो दरवाजा तोड़ने की भी कोशिश की लेकिन मीरा ने उसे रोक दिया जो उनके पीछे पीछे वहा आ गई थी,
“ये स्टोर रूम की ही चाबी है” मीरा ने दरवाजे के पास नीचे जमीन पर गिरे चाबियों के गुच्छे को उठाते हुए कहा और इस वक्त तक कुछ क्लीनिंग वाले और ऑफिस स्टाफ भी इनकी आवाज सुन वहा पहुच गया था, उन्होंने झट से दरवाजा खोला और अक्षिता का नाम पुकारते हुए अंदर घुसे
“अक्षु...!” स्वरा ने चिल्ला कर कहा जब उसने नीचे बेहोश पड़ी अक्षिता को देखा
स्वरा अक्षिता के पास नीचे ही बैठ गई और उसके चेहरे को थपथपा कर उसे उठाने की कोशिश करने लगी, रोहन ने कीसी से पानी लाने कहा और वो भी नीचे बैठ कर अक्षिता को होश मे लाने की कोशिश करने लगा
इतनी सब आवाज और भसड़ सुन कर एकांश भी क्या हुआ है देखने वहा पहुच गया था और अपने सामने का सीन देख कर शॉक था, वो जल्दी से उन लोगों के पास पहुचा और घुटनों के बल बैठ गया
“अक्षिता.... क्या हुआ है इसे?” उसने वहा के बाकी लोगों से पूछा,
तब तक कोई पानी ले आया था और रोहन ने अक्षिता के चेहरे पर पानी मारा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ वो वैसे ही बेहोश रही, अब वो लोग और ज्यादा पैनिक करने लगे थे
“ये सब आपकी वजह से हुआ है आपने किया है” स्वरा ने गुस्से मे एकांश को देखते हुए कहा.. उसकी आँखों मे पानी था
“क्या?? नहीं!“ एकांश ने भी चिल्ला कर कहा
“उससे इतना काम करवाया के उसकी हालत ऐसी हो गई, ये सब आपकी वजह से हुआ है” रोहन ने भी गुस्से मे एकांश को सुना दिया लेकिन एकांश इस गिल्ट ट्रिप पर नहीं जाने वाला था, हा उसे भी इस वक्त अक्षिता के लिए बुरा लग रहा था और उसकी फिक्र भी हो रही थी लेकिन अक्षिता चाहती तो बोल सकती और वो शायद वो उसका काम भी कम कर देता
“मैंने बस उसे कुछ पुरानी फाइलस् लाने कहा था, बस! और मुझे नहीं पता उसका साथ क्या हुआ है और वो कैसे बेहोश हो गई” एकांश ने कहा
“वो claustrophobic है, वो बंद कमरों मे छोटी बंद जगहों मे डर जाती है, इसीलिए वो लिफ्ट भी यूज नहीं करती” स्वरा ने एकांश को गुस्से से देखते हुए कहा
अब एकांश को लगने लगा था के उसे अक्षिता ने इतना काम नहीं करवाना चाहिए था, अक्षिता के लिए उसकी फिक्र और बढ़ गई थी लेकिन वो उसे दिखा नहीं रहा था और अब रोहन ने अक्षिता को गोद मे उठा लिया था
“हम उसे अस्पताल लेकर चलते है मैं ड्राइवर से कार निकालने कहता हु... चलो” एकांश ने आगे बढ़ते हुए कहा
“थैंक यू सर पर हम हमारी दोस्त का खयाल रख सकते हु” रोहन ने एकांश को घूरते हुए कहा और वो और स्वरा अक्षिता को लेकर वहा से निकल गए इस दुआ के साथ के अक्षिता ठीक हो जाए...
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“वो ठीक हो जाएगी ना?”
“हा बाबा”
“मुझे बहुत फिक्र हो रही है रोहन”
“मुझे भी”
जिसके बाद स्वरा और रोहन दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोला और डॉक्टर का इंतजार करने लगे जो अक्षिता को चेक कर रहे थे
“इतना वक्त क्यू लग रहा है इन्हे” स्वरा ने रूम के बाहर इधर उधर घूमते हुए कहा
“अरे यार डॉक्टर को उनका काम करने दो शांत हो जाओ तुम कुछ नहीं होगा उसे”
स्वरा की आँख मे अक्षिता की चिंता मे वापिस पानी जमने लगा था वो रो रही थी और रोहन उसे शांत कराने मे लगा हुआ था
“विल यू प्लीज शट अप”
इस आवाज के साथ उन दोनों ने उस ओर देखा तो पाया के एकांश गुस्से मे उन्हे ही देख रहा था, वो ये भूल ही चुके थे के एकांश भी वहा था जो उनके पीछे पीछे अस्पताल पहुचा था, एकांश वही कॉरिडर मे इधर उधर घूम रहा था अपनी हो सोच मे गुम था वही स्वरा और रोहन दोनों बेंच पर बैठे थे जो बीच बीच मे एकांश को देख लेते जो बहुत ज्यादा चिंताग्रस्त दिख रहा था
तभी डॉक्टर बाहर आए और ये तीनों डॉक्टर की ओर लपके
“कैसी है वो?”
“क्या हुआ था उसे?”
“कोई खतरे वाली बात तो नहीं है ना?”
“उसे होश आया?”
“क्या हम उससे मिल सकते है?”
एक एक बाद एक तीनों ने डॉक्टर से सवाल पुछ डाले और डॉक्टर को चिल्ला कर उन्हे चुप कराना पड़ा
“वो ठीक है, अब भी बेहोश है, उसे आराम की जरूरत है हमने दवाइया दे दी है दो घंटे मे होश आ जाएगा अब खतरे की कोई बात नहीं है और आप उससे अभी नहीं मिल सकते है” डॉक्टर ने एक ही लाइन मे सबके सभी सवालों का जवाब दे दिया था और वहा से चला गया
उन तीनों ने एकदूसरे को देखा और डॉक्टर की बताई पूरी बात सही से समझने के बाद राहत की सास ली
“आइ विल गो टॉक टु हिम” इतना बोल के एकांश डॉक्टर के पीछे चला गया और रोहन और स्वरा वही खड़े रहे
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एकांश डॉक्टर के साथ उनके केबिन मे था
“हैलो डॉक्टर, मैं एकांश रघुवंशी, मुझे आपसे कुछ बात करनी थी” एकांश ने कहा
“कहिए मिस्टर रघुवंशी क्या बात करनी है आपको”
“अक्षिता के बारे मे” एकांश ने कहा
“ओके, बैठिए”
“उसे क्या हुआ है डॉक्टर?” एकांश ने चिंतित स्वर मे वहा कुर्सी पर बैठते हुए पूछा
“और आप उनके क्या लगते है?”
“मैं.... मैं उसका बॉस हु, वो एम्प्लोयी है मेरी”
“ओह... लेकिन मिस्टर रघुवंशी मैं पैशन्ट की कन्डिशन केवल उसके फॅमिली मेम्बर से ही डिस्कस करता हु”
“मैं समझता हु डॉक्टर लेकिन ये मेरे लिए जानना बहुत जरूरी है”
“वो अब ठीक है मिस्टर रघुवंशी”
“बस इतना ही?”
“वो claustrophobic है कीसी कमरे मे बंद होने की वजह से डर के बेहोश हो गई है बस, और कुछ जानना है आपको?”
“ओके.. थैंक यू डॉक्टर, डॉक्टर क्या मैं उसे देख सकता हु”
“अभी नहीं मिस्टर रघुवंशी”
“प्लीज”
डॉक्टर ने एकांश को देखा, उसकी आँखों मे जो भाव थे उन्हे देख डॉक्टर उसे मना नहीं कर पाए
“ठीक है लेकिन प्लीज उसे डिस्टर्ब मत कीजिएगा”
“थैंक यू डॉक्टर” और इतना बोल के एकांश वहा से निकल गया
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एकांश धीरे धीरे अक्षिता के कमरे की ओर बढ़ रहा था उसके दिमाग मे वो सीन चल रहा था जब उसने अक्षिता को बेहोशी की हालत मे देखा था, और ये कहना बिल्कुल ही गलत होगा के अक्षिता की वो हालत देख वो डरा ना हो, एकांश का पूरा स्टाफ उसे हैरत मे देख रहा था जब वो भागदौड़ करते हुए ऑफिस से अस्पताल के लिए निकला था और इस सब मे एक सवाल एकांश के मन मे उमड़ रहा था
‘उनके रीलेशनशिप के दौरान क्यू एकांश को अक्षिता के बारे मे ये बात पता नहीं चली थी’
जवाब उसका पास था
‘शायद वो अक्षिता को उतने अच्छे से जान ही नही पाया था, या वो बाते छुपाने मे एक्सपर्ट थी या वो नहीं चाहती थी के उसके बारे मे ये सब उस को पता चले क्युकी आखिर मे वो सब झूठ ही तो था’
एकांश रूम के पास पहुच गया था और वहा जो सीन चल रहा था उसे देख रुका
स्वरा चुपके से रूम मे घुसने की कोशिश कर रही थी, दरवाजा हल्का स खुला हुआ था जिसके हँडल को स्वरा ने कस के पकड़ा हुआ था वही रोहन स्वरा को कमर से पकड़े उसे अंदर जाने से रोक रहा था
‘क्या कर रहे हो तुम?” स्वरा ने रोहन से कहा
“तुमको रोक रहा हु”
“छोड़ो मुझे” स्वरा ने थोड़े गुस्से मे कहा
“नहीं” रोहन ने उसे और कस के पकड़ लिया
“रोहन जाने दो मुझे”
“स्वरा नहीं, वो हँडल छोड़ो”
“नहीं तुम छोड़ो मुझे”
“नहीं, डॉक्टर ने अभी मना किया है और वो नर्स देख लेगी तो और चिल्लाएगी”
“मुझे कुछ नहीं पता मुझे अक्षु को देखना है”
“पकडी जाओगी”
“रोहन अगर तुमने अभी मुझे नहीं छोडा तो मैं तेरी जान ले लूँगी” स्वरा ने रोहन को धमकाया
“लेकिन..”
“रोहन जाने दो ना वो नर्स आ जाएगी वरना” स्वरा ने बिनती करते हुए कहा
‘ये कैसे एम्प्लॉईस रख रखे है मैंने’ इन लोगों की ये हरकते देख एकांश ने मन मे सोचा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,
“जाने दो उसे” एकांश ने कहा
“नहीं, इट्स अगैन्स्ट रूल” रोहन
“कुछ नहीं होगा” एकांश ने वापिस कहा और रोहन ने अपनी पकड़ ढीली की और स्वरा जल्दी से अपने पीछे दरवाजा बंद करते हुए रूम मे चली गई
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एकांश भी रूम मे आया और बेड पर सोई अक्षिता के मुरझाए चेहरे को देखा, अक्षिता को अब भी होश नहीं आया था और अब एकांश को लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था और डायरेक्टली या इनडायरेक्टली कही न कही इसमे उसका भी कुसूर था..
एकांश की आंखे भरने लगी थी और वो वहा और नहीं रुक सकता था इसीलिए वो अपनी आंखे साफ करते हुए झट से बाहर आया तो उसकी नजरे कुछ और लोगों से मिली जिनकी आँखों मे चिंता के भाव थे..
“आंटी अंकल, ये मिस्टर एकांश रघुवंशी है, हमारे बॉस और सर ये अक्षिता के पेरेंट्स है” रोहन ने इन्ट्रो करवाया
अक्षिता के पेरेंट्स एकांश को ऐसे देख रहे थे मानो परख रहे हो, मानो उन्हे कुछ जानना हो वही एकांश से उनकी नजरे नहीं सही जा रही थी, उसके पेरेंट्स ने एकदूसरे को देखा और फिर डॉक्टर से मिलने चले गए लेकिन जाते हुए एक नजर एकांश पर डाल गए थे..
अक्षिता के पेरेंट्स डॉक्टर से मिल कर आ गए थे
“क्या कहा डॉक्टर ने?” रोहन ने उन्हे केबिन से बाहर आता देख पूछा
“उन्होंने कहा के अब वो ठीक है लेकिन...” अक्षिता के पिता बोलते बोलते रुके
“वो बहुत ज्यादा स्ट्रेस ले रही है, जो उसके लिए बिल्कुल भी सही नहीं है” अक्षिता की मा ने कहा
उनकी बात सुन स्वरा और रोहन दोनों ने एकांश को देखा जो अपनी कीसी गहन सोच मे डूबा हुआ था
“मेरी बेटी बहुत बहादुर है वो संभाल लेगी अपने आप को फिक्र मत करो” अक्षिता के पिता ने मुसकुराते हुए कहा और वो लोग अब अक्षिता के होश मे आने की राह देखने लगे
कुछ समय बाद नर्स ने आकार बताया के अक्षिता को होश आ गया है और वो लोग उससे मिल सकते है ये सुन उनके चेहरों को मुस्कान आ गई और अक्षिता के पेरेंट्स के साथ रोहन और स्वरा उससे मिलने अंदर गए वही एकांश बाहर बैठा उस कमरे के बंद दरवाजे को देख रहा था वो आराम से उठ कर दरवाजे के पास आया और उसमे लगी कांच की विंडो से अंदर देखा
उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी थी और स्माइल के साथ अपने दोस्तों और पेरेंट्स से बात कर रही थी, उसे ठीक देख एकांश के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई और वो ठीक है ये सोच उससे भी अच्छा लगने लगा, वो बस वहा से जाने के लिए अभी पलटा ही था के अपने सामने खड़े शक्स को देख ठिठका
जिस डॉक्टर ने अक्षिता का इलाज किया था वो हाथ बांधे एकांश को देख रहा था
“पहले तो आप उससे मिलने के लिए बेचैन थे और अब अंदर भी नहीं जा रहे ऐसा क्यू?”
“वो डॉक्टर... वो..”
“आप उससे मिलना नहीं चाहते?” डॉक्टर ने एकांश के नर्वसनेस को भांपते हुए कहा
“मैं नहीं मिल सकता” इतना बोलते हुए एकांश वहा से निकल गया अपने दिमाग मे विचारों का तूफान लिए..
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“हैलो अक्षिता अब कैसा लग रहा है?”
“अब ठीक है डॉक्टर, थैंक्स”
“आपको अपनी तबीयत का खयाल रखना चाहिए.. बहुत कमजोर हो आप.. बढ़िया खाओ एक्सर्साइज़ करो और स्ट्रेस मत लो, ठीक है?”
“ओके डॉक्टर”
“ओके देन, आप लोग इन्हे घर ले जा सकते है” इतना बोल डॉक्टर वहा से चले गए
“ओ शीट! सर भी बाहर ही है हम तो उनके बारे मे भूल ही गए थे” डॉक्टर के जाने के बाद रोहन को एकांश का ध्यान आया
एकांश का नाम आते ही अक्षिता का दिल जोरों से धड़कने लगा था वही रोहन एकांश को बुलाने बाहर आया तो वहा कोई नहीं था
“कहा है वो?” स्वरा ने पूछा
“पता नहीं शायद चले गए” रोहन ने कहा और अक्षिता को थोड़ा बुरा लगा के वो उससे बगैर मिले गया लेकिन बाकी लोगों के साथ ने उसे इस बारे मे सोचने ही नहीं दिया, उनलोगों ने बिल भरा और दवाइया लेकर घर की ओर निकल पड़े, आज का दिन उन लोगों के लिए बहुत भारी बीता था....
क्रमश:
Update 12
एकांश अपने केबिन मे बैठा काम कर रहा था के तभी अचानक अक्षिता धड़धड़ाते हुए उसके केबिन मे घुसी, बगैर नॉक कीये, अक्षिता बहुत ज्यादा गुस्से मे थी और उसे इस वक्त कुछ नहीं सूझ रहा था...
“मिस्टर रघुवंशी! आप अपने आप को समझते क्या है? आप कोई तोप है जो कुछ भी कर सकते है?” अक्षिता ने सीधा केबिन मे घुसते हुए एकांश पर धावा बोल दिया और सीधा उसे गुस्से से देखते हुए बोलने लगी
“मिस पांडे होश मे तो हो क्या बोल रही हो क्या कर रही हो? और तुममे इतनी भी समझ नहीं है क्या के कीसी के केबिन मे आने से पहले नॉक करना होता है?” एकांश भी उसपर गुर्राया
“मुझे जो सही लग रहा है वो मैं कर रही हु और मुझे नहीं लगता तुम इस वक्त कोई मैनर्स या रीस्पेक्ट डेसर्वे करते हो” अक्षिता वापिस चिल्लाई
“होश मे आओ मिस पांडे तुम अपने बॉस से बात कर रही हो”
“अच्छा... लेकिन बॉस के पास ये हक नहीं होता न के उसका एम्प्लोयी अपने पर्सनल जिंदगी मे क्या करता है उसपर नजर रखे उसे स्टॉक करे” अक्षिता ने कहा
“क्या?? मैं कीसी पर नजर नहीं रख रहा हु” एकांश अक्षिता की बात सुन शॉक था और वो अपने आप को डिफेंड करते हुए चिल्लाया
“झूठ मत बोलो...! मैं अभी इतने गुस्से मे हु के अभी कुछ उल्टा सीधा कर जाऊँगी” अक्षिता ने एकांश को उंगली दिखा कर धमकाते हुए कहा
“और क्या करोगी तुम?” एकांश ने अपनी भोहे उठा कर अक्षिता को चैलेंज किया
“कुछ भी जिससे तुम्हें पछताना पड़े”
“अब अपनी ये बकवास बंद करो और मुद्दे पर आओ मिस पांडे” एकांश ने कहा
“Stop. Stalking. Me.” अक्षिता ने दाँत पीसते हुए कहा
“अपने आप को इतना इम्पॉर्टन्स मत दो मिस पांडे मैं क्यू स्टॉक करूंगा तुम्हें?”
“मुझे क्या पता वो तो आपको पता होना ना”
“अबे यार!!” एकांश अब फ्रस्ट्रैट हो रहा था
“एक बात बताओ, तुमको कैसे पता के मैं तुम्हें स्टॉक कर रहा हु, तुमपे नजर रखे हु?” एकांश ने पूछा
“क्युकी आपका वो दोस्त मेरा पीछा कर रहा है, जहा भी मैं जाऊ घर, शॉपिंग रेस्टोरेंट हर जगह” अक्षिता का गुस्सा कम ही नहीं हो रहा था
“क्या? कौनसा दोस्त? किसका दोस्त?” एकांश अब कन्फ्यूज़ था
“पुछ तो ऐसे रहे हो जैसे इस सब के बारे मे कुछ पता ही नहीं है” अक्षिता ने कहा
“हा क्युकी मुझे सही मे कुछ नहीं पता है” एकांश ने जो सच था बता दिया
“लेकिन फिर तुम्हारा दोस्त मेरा पीछा क्यू करेगा जब तुमने उसे ये करने नहीं कहा तो?” अक्षिता मानने को ही तयार नहीं थी
“अबे यार तुम किस दोस्त की बात कर रही हो वो बताओ पहले?” एकांश अब साफ साफ इरिटैट हो रहा था इसीलिए उसने दाँत पीसते हुए बोला
“वही जो उस दिन ऑफिस आया था.. बर्थडे के दिन”
“क्या??”
“हा!”
“तो तुम्हारा ये कहना है के अमर तुमको स्टॉक कर रहा है?” अब इस नए खुलासे से एकांश थोड़ा चौका
“मुझे नाम नहीं पता लेकिन ये वही है जिससे मैं ऑफिस मे टकराई थी और वो आपका दोस्त है” अक्षिता भी इस सब से परेशान थी और एक ही बात रीपीट किए जा रही थी
“तो अब मुझसे क्या चाहती हो?’
“आपने अपने दोस्त को मुझे स्टॉक करने क्यू कहा?
“मैंने कीसी से कुछ नहीं कहा है मिस पांडे, लेकिन मैं पता लगाऊँगा के मैटर क्या है” इससे पहले अक्षिता कुछ बोलती एकांश ने साफ शब्दों मे कह दिया था के उसका इससे कोई लेना देना नहीं है
“ओके”
“अब जाओ यहा से और दोबारा मेरे केबिन मे ऐसे घुसने की हिम्मत मत करना” एकांश ने ऑडर छोड़ते हुए अक्षिता को जाने के लिए कहा
“अभी तो मैं जा रही हु मिस्टर रघुवंशी लेकिन अपने दोस्त को समझा देना के मुझसे दूर रहे मेरा पीछा करना बंद करे क्युकी दोबारा अगर वो मुझे मेरे आसपास या मेरे घर के आसपास दिखा तो जो होगा उसके लिए मुझे दोष मत देना” अक्षिता ने एकांश को जाते जाते वापिस उंगली दिखा कर धमकाया
“don’t you dare to warn me miss Pandey, तुम्हें याद दिलाना पड़ेगा क्या ये मेरा ऑफिस है और मैं बॉस हु?” एकांश ने अक्षिता की ओर बढ़ते हुए कहा और वो थोड़ा पीछे हटने लगी
और इससे पहले के एकांश और कुछ बोलता या करता उन्हे कीसी के गला साफ करने का आवाज आया और दोनों के चेहरे उस इंसान की ओर घूमे
केबिन मे एक खूबसूरत मॉडेल जैसी दिखने वाली लड़की हाथ बांधे एकांश के डेस्क पर बैठी थी और उन्ही लोगों को देख रही थी
अक्षिता भी उस लड़की को देख रही थी
‘ये कौन है? और ये अंदर कैसे आई? और मैंने इसे अंदर आते हुए कैसे नहीं देखा? ये कबसे यहा है? और इसने अब तक कुछ बोला क्यू नहीं? कही ये कोई भूत तो नहीं?”
अपने ही खयालों से अक्षिता थोड़ा चौकी और उस लड़की को थोड़े डर से देखने लगी
‘ये इतनी खूबसूरत भूतनी मुझे ऐसे क्यू देख रही है जैसे मैं कोई अजूबा हु?’
एक तरह यह अक्षिता के दिमाग मे ये सब बेतुके सवाल आ रहे थे ही एकांश ने मन ही मन अपने आप को लपड़िया दिया था क्युकी वो भूल चुका था के वो केबिन मे अकेला नहीं था
‘मैं ऐसी बेवकूफी कैसे कर सकता हु यार? मैं कैसे भूल सकता हु के मैं केबिन मे अकेला नहीं था वो मेरे साथ थी और इस बेवकूफ लड़की से उलझने मे मेरा ध्यान ही नहीं रहा... ये क्या सोच रही होगी अब मेरे मारे मे? हमारे बारे मे?’
इन लोगों के ऐसे क्लूलेस चेहरे देख वो लड़की हसने लगी थी...
“आइ लाइक यू” जब हस कर हो गया तब वो लड़की अक्षिता से बोली
“हा?” और ये था अक्षिता का ब्रिलिएन्ट रीस्पान्स
“आइ रिएलि लाइक यू क्युकी मैंने कभी कीसी को एकांश रघुवंशी से ऐसे बात करते नहीं सुना है” उस लड़की ने मुसकुराते हुए अक्षिता को देख कहा और अक्षिता ने गर्दन नीचे झुका ली
अक्षिता ने एक नजर एकांश को देखा जो गुस्से से उसे ही घूर रहा था और वो उसे देख हस दी
“लेकिन मानना पड़ेगा के तुम न एकदम कमाल हो यार, मतलब तुमने वो कर दिया है जो कोई करने का सोचता भी नहीं है” उस लड़की ने अक्षिता की तारीफ की जो अब भी उसे कन्फ़्युशन मे देख रही थी
“अब ये सीन रोज रोज देखने नहीं मिलता न के कोई एकांश को उंगली दिखा कर धमकाए, उसपर इल्जाम लगाये उससे लड़े उसे चुप करा दे उसपर चिल्लाए और उसे एकदम इरिटैट करके रख दे मतलब एकदम कमाल हैना एकांश?” उस लड़की ने कहा
“हा हा ठीक है हो गया अब” एकांश ने इरिटैटेड टोन ने कहा और वो लड़की वापिस से हसने लगी वही अक्षिता बस नीचे देख रही थी
“ओके ओके, तो अब मुझे इस ब्रैव एण्ड ब्यूटीफुल लड़की से इन्ट्रोडूस तो कराओ” उस लड़की ने कहा
“ये अक्षिता पांडे है, मेरी पर्सनल अससिस्टेंट” एकांश ने कहा
“ओह नाइस टु मीट यू अक्षिता.... आइ एम श्रेया, श्रेया मेहता” श्रेया ने अक्षिता की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा
“नाइस टु मीट यू टू” अक्षिता ने भी मुसकुराते हुए श्रेया से हाथ मिलाया
तभी अक्षिता के फोन का अलार्म बीप बजाने लगा और एकांश और श्रेया दोनों ने सवालिया नजरों से अक्षिता को देखा
“सॉरी.... वो कुछ काम का रिमाइंडर है, जरूरी काम है मुझे जाना होगा” इतना बोल अक्षिता जाने के लिए पलटी
“अक्षिता रूकों” श्रेया ने अक्षिता को रोका और अक्षिता ने उसे देखा फिर फिर श्रेया आगे बोली
“आज मेरी एक पार्टी है होटल मे और मैं चाहती हु तुम भी आओ” श्रेया ने स्माइल के साथ कहा
“नहीं, सॉरी लेकिन मैं नहीं आ पाऊँगी, एक तो मुझे पार्टी करना उतना पसंद भी नहीं है” अक्षिता ने नर्वसली कहा
“प्लीज ऐसा मत कहो यार... तुम आओगी तो मुझे अच्छा लगेगा”
“लेकिन मैं वहा आकार क्या करूंगी मैं तो वहा कीसी को जानती भी नहीं हु” अक्षिता ने वापिस बहाना बनाना चाहा
“अरे मैं तो रहूँगी ही ना वहा और तुम चाहो तो अपने दोस्तों को भी लेकर आ सकती हो फिर तो कोई प्रॉब्लेम ही नहीं होगी” श्रेया ने कहा
“श्रेया तुम क्यू फोर्स कर रही हो, उसको नहीं आना तो ना आए ना” एकांश ने कहा
“एकांश रघुवंशी, तुम खुद तो कही आते जाते नहीं हो न पार्टी करते हो मैं तबसे तुम्हें मना रही हु लेकिन तुम माने? और अब मुझे औरों को भी इन्वाइट नहीं करने दे रहे” श्रेया ने कहा और उसे सुन एकांश वापिस अपनी जगह जाकर बैठ गया वो अब और बहस के मूड मे नहीं था
“तो आओगी ना?” श्रेया ने अक्षिता से पूछा
“हा मैं आ जाऊँगी” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और श्रेया ने खुश होकर उसे गले लगा लिया पहले तो अक्षिता थोड़ी चौकी फिर उसने भी श्रेया को गले लगाया
“तुम मुझे अपना नंबर दो मैं उसपर तुम्हें वेन्यू टेक्स्ट करती हु”
जिसके बाद अक्षिता ने श्रेया के साथ नंबर एक्सचेंज किया वही एकांश बस उन्हे देखर यहा था, कुछ देर मे अक्षिता अपने काम मे लग गई और श्रेया भी ऑफिस से चली गई वही एकांश अमर से कान्टैक्ट करने की कोशिश करने लगा जिसका फोन स्विच ऑफ बता रहा था, एकांश अमर की इस हरकत से बहुत ज्यादा गुस्से मे था और अगर अमर के पास इसका कोई खास कारण नहीं हुआ तो वो पिटेगा ये कन्फर्म था
काम खत्म करने के बाद अक्षिता स्वरा और रोहन साथ मे पार्किंग की ओर जा रहे थे
“गाइज आज एक पार्टी है और....” और इसके पहले के अक्षिता अपनी बात पूरी कर पाती
“पार्टी! कौनसी पार्टी.. कैसी पार्टी.. किसका बर्थडे है?” स्वरा ने सवालों की भडमार कर दी
“अरे पहले उसको बात तो पूरी करने दो” रोहन ने स्वरा को कहा
“अरे बस मुझे इन्विटैशन मिला है और हमे जाना है बस इतना समझ लो” अक्षिता ने कहा
“किसकी पार्टी है?” रोहन ने पूछा
“श्रेया मेहता की, मैं उससे आज ही मिली थी एकांश के केबिन मे उसी ने मुझे कहा है मैं दोस्तों के साथ भी आ सकती हु” अक्षिता ने बता
“ओके, लेकिन पार्टी है कहा?” इस बार स्वरा ने आराम से पूछा
“कोई फाइव स्टार होटल है शायद” अक्षिता ने श्रेया का भेजा मैसेज देखते हुए कहा
“क्या?”
“हा”
“वॉव यार, अब आएगा मजा” स्वरा ने एक्सईट होते हुए कहा
“कब जाना है?” रोहन ने पूछा
“आज रात”
“क्या!!!”
“अबे पागल औरत चिल्लाना बंद कर यार” रोहन ने स्वरा वो चुप कराया
“आज पार्टी मे जहा और मेरा क्या पहनना डिसाइड नहीं है शॉपिंग करनी होगी कितने काम है तयार होना है तुम लोग यहा टाइमपास कर रहे हो” स्वरा ने उलट उन दोनों को ही सुना दिया
“अबे बस पार्टी ही तो है इतना क्या लोड लेना जो है उसमे काम चलाओ, चलो मैं निकलता हु तुम लोग रेडी हो जाओ तो कॉल करना मैं दोनों को पिक कर लूँगा” इतना बोल के रोहन वहा से निकल और और उसके पीछे स्वरा और अक्षिता भी अपने अपने घरों की ओर निकल गए.....
क्रमश:
bilkul padho bhai aapke reviews ka intajar haiअपने कहानी को देवनागरी में लिखा हैं यहां विचार अच्छा हैं क्योंकि देवनागरी में बहुत से शब्दों का उच्चारण ठीक ठीक हो जाता हैं लेकिन हिंग्लिश में वैसा नहीं हो पाता हैं। देवनागरी लिपि की इस खुबी के साथ एक दुष्परिणाम भी हैं और वह है वर्तनी में अशुद्धियां जो संभवतः जल्दी पकड़ में आ जाता हैं।
बाकी कहानी की सारांश की बात करूं तो ये संपूर्ण कथा की एक रूप रेखा हैं जिसमें दो प्रेमी जोड़े के बीच विचार विमर्श हो रहा संभवतः ये दोनों प्रेमी कथा का मूल नायक और नायिका हो सकते हैं। बाकी आगे पढ़कर ही जाना जा सकता हैं।
Thank you so much bhaiBahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....
Nice and lovdely update....
Thank you so much for this review bhaiकिसी लो बजट फिल्म में अगर कलाकार अपनी कार्य कौशलता का प्रमाण न दे तो फिल्म की स्थिति डामाडोल रहती हैं लेकिन यहां राइटर साहब ने अपने कौशलता का प्रमाण प्रसिद्धि अनुरूप ही दिया हैं। हां शुरुवात में कुछ वक्त के लिए लय टूटा लेकिन उसके बाद कथा बिल्कुल पटरी पे था। किंतु किसी कथा के कथांश को पढ़के क्षणिक समय में त्रुटियां बता देना आसान होता हैं किंतु एक लेखक को उसी कथांश की घटनाओं और संवादों को शब्दों में ढाल पाना बहुत ज्यादा सरल नहीं होता क्योंकि एक ही वक्त में बहुत सारे विचार कथांश को लेकर दिमाग़ में चलता रहता हैं इसलिए वाक्यांश की वर्तनी में त्रुटियां सामान्य बात हैं।
अब कथांश पे आते हैं। सारांश के बाद कथा का पहला कथांश डेढ़ साल बाद शुरू हुआ और दृश्य एक दफ़्तर का था जहां पुराना उच्चाधिकारी जाने से पहले नूतन आए अधिकारी की परिचय करवा रहे थे। यहां परिचय एक व्यक्ति के लिए सामान्य नहीं था। थोड़ा भय, असहज, मन में उथल-पुथल और सबसे दयनीय स्थिति में, उसकी आँखें थीं। जिसमें अंभू तैर रहे थे अब ये तो होना ही था। एक सख्श जो उसके जीवन का हिस्सा रहा हो। उसके साथ बिताए पल स्मृति की कपट खोले बार बार झलकी दिखाए तब मन में आई ज्वार-भांटा अक्षर आंखों में दिखाई दे जाता हैं।
Thank you so muchNice update....