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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

Naik

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( chapter 7 )

अभय अपनी गुरिया अदिति को लेने के लिये स्कूल आ चुका था और स्कूल के गेट के पास खरा अभय एक साइड अपने जीन्स के दोनों पॉकेट मे हाथ डाले अदिति का इंतज़ार कर रहा था बहोत बेसबरी से अभय अपनी गुरिया को देखने के लिये पुरा बेचैन था दिल बेकरार था

तभी अभय की नजर सामने जाती है तो अभय को दो लरके खरे बात करते दिखाई देते है अभय दोनों को गौर से देखता और समझ जाता है दोनों साले टपोरी जरूर किसी लरकी को छेरने के लिये रुके है


तभी छूटी को जाती सभी लरके लरकिया स्कूल से बाहर निकल अपने अपने घर जाने लगते है लेकिन अभय की नजर सिर्फ अपनी गुरिया को ढूढ़ रही थी लेकिन अदिति अभय को आते दिखाई नही दे रही थी

अभय फिर दोनों लरको को देखता है तो दोनों लरके अंदर की तरफ देख किसी के आने का इंतज़ार कर रहे थे सारे स्टूडेंट निकल चुके थे

लेकिन अदिति बाहर नही आई थी अभय भी सोचने लगता है अदिति अभी तक बाहर कियु नही आई

वही दोनों लरको मे से एक लरका अपने दोस्त से

लरका 2 - भाई अभी तक अदिति बाहर नही आई है कर किया रही अंदर मे और आप किया करने वाले हो अदिति के साथ

लरका 1 अपने दोस्त को देख गुस्से से - साली ने मुझे ठुकरा कर किसी और को अपना सईया बना लिया है तो आज उसकी सजा उसे दे कर रहुंगा


अंदर स्कूल के क्लास मे एक लरका अदिति को बाहो मे लेके एक किस करते हुवे अदिति को देख - अब जाओ दीदी बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी मे थोरी देर मे आता हु


NHEM
अदिति लरके को देख ठीक है अदिति के चेहरे पे जायदा खुशी दिखाई नही दे रही थी लरका ये देख अदिति से - अदिति मुझे पता है तुम्हे अपने भाई की बहोत याद आती है और मे तुम्हारा दुख समझ सकता हु लेकिन वादा है मेरा मे हमेसा हर कदम पे तुम्हारे साथ खरा रहुंगा काश मे कुछ कर पाता अपने साले साहब को दूधने के लिये


अदिति लरके को देख थोरा मुस्कुराते हुवे - भाई मेरी जान है उनके बिना चाह कर भी मे अपनी जिंदगी खुशी से जी नही सकती कियुंकी मेरा एक हिस्सा खो गया है उनके पास है

अदिति जाते हुवे लरके से - ठीक है अमर मे जा रही हु आरोही मेरा इंतज़ार कर रही होगी

अमर - ठीक है अदिति जाओ मे आता हु

अदिति फिर बाहर आती है तो आरोही अदिति का इंतज़ार कर रही होती है अदिति आरोही के पास आके खरी हो जाती है

दोनों अभी स्कूल के अंदर मैदान मे ही थे

( introduction )

अमर सिन्हा - 19 साल - अमर अभी 19 का हुवा है देखने के हैंडसम है बॉडी ठीक है 6 पैक नही है आयेगे कहा से उसके लिये मेहनंत करनी परती है दिल का साफ है अदिति से बहोत प्यार करता है


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अमर की छोटी बेहन - आरोही सिन्हा - 18 साल - अदिति की बेस्टफ्रेंड देखने मे बहोत ही खूबसूरत हॉट है अदिति की तरह स्कूल मे ये दोनों ही टॉप पे है खूबसूरती पढाई मे


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अमर की मा - भारती सिन्हा - 40 साल - बहोत ही खूबसूरत है बॉडी भी कमाल की है आसा से थोरा कम दिल की साफ अपने बेटे बेटी से बहोत प्यार करती है


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अमर के पिता - जगमोहन सिन्हा - 42 साल - ये भी बहोत अच्छे दिल के है गरीब है लेकिन सभी दिल के बहोत अच्छे है ( बाकी सब अच्छे से आगे पता चल जायेगा )


आरोही अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - भाभी हो गई चुम्मा चाटी

अदिति आरोही को देखते हुवे - मार खायेगी चुप चाप चल देर हो रही है घर जाने के लिये

आरोही अदिति चलते हुवे गेट के बाहर जाने लगते है अदिति गेट के तरफ ही देख रही थी

आरोही अदिति को देख - एक बात मेरे दिल मे है जो मे तुमने पूछना चाहती हु और ये बात सायद तुम्हे दुखी भी कर सकती है लेकिन मे पूछे बगैर रेह भी नही सकती

अदिति आरोही को अजीब नजर से घूर कर देखती है फिर आगे की तरफ देखते हुवे - ठीक है पूछ किया पूछना है

आरोही आगे की तरफ देखते हुवे - मान लो तेरा अभय भाई अचानक कही से वापस आ जाता है और उसे पता चलता है तुम किसी से प्यार करती हो लेकिन तुम्हारा भाई तुम्हे अपने प्यार को छोर देने के लिये केहता है तो तुम किया करोगी

अदिति आरोही की बात सुन चलते रुक जाती है और इमोसनल हो जाती है अदिति को फिर अभय की याद आने लगती है अदिति के आखो से आसु निकल आते है

आरोही भी रुक जाती है और अदिति को देख दुखी होते हुवे - माफ करना अदिति मुझे पता था तुम दुखी हो जाओगी सायद मुझे ऐसा कुछ पूछना नही चाहिये था

अदिति अपने आसु साफ करते हुवे आरोही को देख - कोई बात नही और रही तुम्हारे सवाल की बात तो जवाब है हा मे अपने अभय भाई से बहोत प्यार करती हु उनके एक बार केहने से मे अपने प्यार को किया अपनी जान उनके लिये दे दु अमर मेरी कहानी किया है तुम जानती हो

आरोही अदिति को देख - जानती हु और मे खुश हु तुम मेरी भाभी बनोगी अब हमे चलना चाहिये
अदिति - हा सही कहा

अदिति आरोही फिर गेट की तरफ चल परते है बाहर अभय बेचैनी से अदिति का इंतज़ार किये जा रहा था साथ मे दोनों लरको को भी देखे जा रहा था

तभी अभय गेट की तरफ देखता है तो अंदर से आदिति आरोही गेट से बाहर निकलते है अभय की नजर सिर्फ अदिति पे ठीक जाती है अदिति बहोत खूबसूरत लग रही थी अभय अदिति को देखता ही रेह जाता अदिति इस से अंजान आरोही से बाते किये जा रही थी


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अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देखते हुवे मन मे - मेरी गुरिया कितनी खूबसूरत बरी हो गई है हाय किसी की नजर ना लगे मेरी गुरिया को और अगर किसी ने बुरी नजर डालने कि कोसिस की तो उसे जान से मार दुगा

भले ही मेने dp devil के कैद मे रेह किसी को नही मारा लेकिन मुझे किसी को मारने से जरा भी दिकत नही होगी

तभी अभय कुछ देखता जिसे देख अभय की आख लाल हो जाती मुठी कस जाती है हाथो के नस फूलने लगते है

असल मे उन दोनों लरको ने अदिति का रास्ता रोक लिया था

अभय गुस्से से पागल होकर आगे अदिति के पास जाने लगता है

वही अदिति आरोही लरके के बीच

लरका 1 अदिति के समाने खरे होकर अदिति का रास्ता रोक अदिति को गुस्से से देख
लरका - अदिति मेने तुम्हे कई बार अपने दिल का हाल बताया लेकिन फिर भी तुमने मुझे रिजेक्ट कर उस कमीने अमर से इस्क लरा रही हो

अदिति गुस्से से लरके को देख - टीनू मेने तुमसे कितनी बार कहा है मेरा पीछा मत किया करो और रही बात मेरी अपनी लाइफ है मे कुछ भी करू उससे तुझे किया

आरोही टीनू को देख गुस्से से - तुम्हे समझ नही आया अदिति तुमने प्यार नही करती मेरे भाई से करती है अच्छा होगा हमारे रास्ते से हट जाओ और हमे जाने दो

टीनू आरोही से गुस्से मे - तुझे और तेरे भाई को मे बाद मे देख लूंगा ( टीनू अदिति को देख) पेहले मे इसको मजा चखाऊगा

अदिति डर जाती है टीनू को गुस्से मे देख टीनू अपना हाथ अदिति के बरे चुचे की तरफ बढ़ाते हुवे - आज अच्छे से तेरे अंग के साथ खेलुगा मे साली मेरे प्यार को ठुकराती है

अदिति डर से कापते हुवे पीछे हटने लगती है टीनू का हाथ अदिति के सीने के पास पहुँचता उसके पेहले कोई टीनू का हाथ पकर रोक देता है अदिति आरोही हैरान उस सक्स को देखते लगते है लेकिन टीनू उस इंसान को देख पूरे गुस्से से लाल हो जाता है हा ये अमर था जिसने टीनू का हाथ पकर रखा था

तो अभय किया कर रहा है हमारा हीरो अमर को आते देख रुक गया था और अब आराम से थोरी दूर खरे होकर देखने मे लग जाता है अभय को पता चल गया था अमर ही अदिति का बॉयफ्रेंड होगा अभय देखना चाहता है अमर किया कर सकता है

वही टीनू बहोत गुस्से मे अमर को देख रहा था टीनू के आखो मे साफ दिख रहा था टीनू अमर को मारना चाहता है ये इस लिये कियुंकी कई बार टीनू ने अदिति के साथ अमर को देखा था जो टीनू को बिल्कुल अच्छा नही लगा था इस लिये टीनू के अंदर अमर के लिये बहोत गुस्सा भरा हवा था जो आज फूटने वाला था

अमर टीनू के हाथ को दूर करते हुवे गुस्से से टीनू को देख - तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी अदिति के साथ गंदी हरकत करने की
टीनू अमर को देख - साले तेरा ही इंतज़ार था तुझे तो मे कब से मारना चाहता था और आज मे ये कर के रहुंगा चाहे जो हो जाये

( नोट - टीनू अमीर बाप को बिगरा लरका है बाप के पास पावर है इस लिये टीनू को किसी का डर नही रेहता )

अमर कुछ समझ पाता तक तक टीनू का जोरदार मुक्का अमर के पेट मे जाके लगता है अमर पेट पकर दर्द से कराह उठता अदिति आरोही जोर से चिल्ला उठती है


लेकिन टीनू अपने दोस्त के साथ मिल अमर को पकर मारने लगते है अमर लराइ मे अच्छा नही था और कमजोर भी था अमर दर्द मे जमीन पे गिर परता है लेकिन टीनू अमर के ऊपर आके मुक्के से मारे जा रहा था

टीनू अमर को मारते हुवे गुस्से से - साले आज तुझे मे जान से मार के रहुंगा अदिति सिर्फ मेरी है और कोई मेरे बीच मे आया समझो मरा

आस पास कुछ लोग खरे तमाशा देख रखे थे वीडियो बना रहे थे लेकिन कोई आगे जाके मदद नही कर रहा था ( आज की करवी सचाई )

अभय अमर को मार खाते देख - कमीना खुद को बचा नही पा रहा खाक मेरी गुरिया को या किसी और को बचा पायेगा साला पेहले मे 15 साल का था किडनैप से पेहले भी मेरे अंदर इतनी ताकत थी 3 या 4 को तो मे अकेला लपेट लेता था लगता है सीधा साधा मानुस है अच्छा है लेकिन अंदर इतनी ताकत होनी भी चाहिये जब जरूरत परे तो अपने आप को किसी को बचाया जा सके

वही अमर की धुलाई टीनू उसका साथी जोरदार तरीके से किये जा रहे थे ये देख अदिति आरोही बहोत डर जाते है और दोनों टीनू उसके दोस्त को अमर से दूर करने कि कोसिस करते है लेकिन लरकी के अंदर मर्द से कम ताकत होती है इस वजह से अदिति आरोही टीनू उसके दोस्त को अमर से दूर नही कर पा रहे थे अदिति आरोही अमर को मार खाते देख दर्द मे चिलाते देख दोनों रोने लगते है लेकिन कोसिस करते रेहते है
अदिति टीनू को पकर पीछे खीचते हुवे आखो मे आसु लिये - टीनू छोर अमर को उसे मत मार प्लेस

लेकिन टीनू किसी की नही सुनता

टीनू फुल गुस्से मे मे था और सारा गुस्सा निकाल रहा था लेकिन बार बार अदिति के पीछे खीचने की वजह से टीनू परेसान हो जाता है और गुस्से से जोर से अदिति को पीछे झटक देता है जिसकी वजह से अदिति लरखराते हुवे पीछे गिरने लगती है

तभी अभय आके अदिति के कमर को पकर गिरने से बचा देता है अदिति हैरानी से देखती है उसे कोन गिरने से बचाया है अदिति जब अभय के चेहरे को देखती तो हैरान हो जाती है कियुंकी अभय ने अपने चेहरे पी मास्क पेहन रखा था ब्लैक कलर का


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अदिति अभय के बाहो मे झूल रही थी अभय मास्क के अंदर से अदिति अपनी गुरिया को देखता हो जिसके आखो मे आशु थे अभय गुस्से से और लाल हो जाता है अभय आराम से अदिति को खरा करता है लेकिन अदिति हैरानी से अभय को हि देख रही थी


अभय प्यार से अदिति को देखता है अभय की आखे आसु बहाना चाहती थी लेकिन अभय अपने आप रोक लेता है अभय फिर अमर के पास जाके पेहले आरोही को जी जान लगा के अपने भाई को बचाने की कोसिस कर रही थी अभय आरोही के हाथ पकर पीछे खिच लेता है आरोही हैरानी से अभय कि तरफ देखती है

अभय अपनी आवाज बदल कर आरोही को देख - तुम पीछे रहो मे देखता हु इस दोनों को

आरोही हैरान परेसान अभय को देखती रेहती है और सोचने लगती है ये मास्क लरका आखिर है कोन

अभय पेहले टीनू के दोस्त के बाल पकर उपर उठाते खरा करता है लरका भी दर्द मे आह करते हुवे अभय को देखता है लेकिन अभय बिना देरी कियु अपनी मुठी बना के जोर दार मुक्का लरके के पेट मे दे मारता है और फिर लरके के बाल को छोर देता है

अभय का मुक्का कोई मामूली मुक्का नही था 4 साल की करी खतरनाक ट्रेनिंग करने के बाद अभय का मुक्का फौलाद का मुक्का था

अभय का मुक्का पेट पे परते ही लरका इतनी तेज चीख मारता है की सभी आस पास लोगो की रूह काप जाती है लरका नीचे जमीन पे गिर पेट पकर तरपने लगता है दर्द से रोने लग जाता है

लरके की चीख सुन टीनू अमर को मारना बंद देता है और हैरान पीछे मूर कर देखता है उसका दोस्त जमीन पे पारा पेट पकर तरप रहा था अमर भी हैरानी से सामने का सीन देखने लगता है

अदिति आरोही तो पूरी हैरान सोक से अभय को तो कभी नीचे परे दर्द मे तरप रहे लरके को देखे जा रहे थे

टीनू की नजर अभय पी जाती है तो टीनू अमर को छोर गुस्से से खरा होकर अभय के पास जाके सीधा अभय पे एक जोरदार मुक्का मारता है लेकिन टीनू हैरान बाकी सब भी हैरान हो जाते है

अभय बरे आराम से टीनू के मुक्के को एक हाथ से रोक रखा था अभय लाल आखो से टीनू को देखता है फिर टीनू कुछ समझ कर पाता अभय का जोर दार मुक्का सीधा टीनू के पेट मे जाके लगता है टीनू की भी पूरी हालत हो जाती है टीनू पेट पकर जोर से चीख मारता है लेकिन अभय रुकता नही अभय टीनू के बाल पकर टीनू की आखो मे देख एक और जोर दार मुक्का पेट मे दे मारता है टीनू की आखो से आसु निकल आते है टीनू दर्द से रोने लगता है

वही अदिति आरोही बहोत हैरान थे अभय को इतनी आसानी से दोनों को पिटते देख अमर भी बहोत हैरान था अमर अपने पेट पकर उठने कि कोसिस करने लगता है तो अदिति आरोही जल्दी से जाके अमर की मदद करते है खरे होने मे

अभय एक हाथ से टीनू के सर के बाल पकरे खरा टीनू कि आखो मे देखे जा रहा था टीनू पेट पकरे आखो मे आसु लिये अभय को देख

टीनू दर्द मे - तुम्हे पता है मे कोन हु मुझे जाने को नही हो तेरे और तेरे अपने के लिये अच्छा नही होगा

अभय टीनू को देख मुस्कुराते हुवे - पता है तो कोन है जरूर किसी अमीर बाप का बेटा होगा जिसकी पहुँच उपर तक होगी तभी को तेरे अंदर मे इतनी हिम्मत आई की तू सरेआम सरक पे लरकी का छेर रहा था और मारपीट कर रहा था

टीनू अभय को देख गुस्से से देख - तो किया तुम्हे डर नही लग रहा सब जानने के बाद भी मेरे पापा की पहुँच कितने उपर तक है

अभय टीनू के कान मे धीरे से - तेरे पापा जैसे मेरे पीछे कोई पावर नही है ना ही मेरी बहुच उपर तक है लेकिन मेरे पास एक आर्मी है एक ऐसी आर्मी जो किसी को भी मिटा सकती है खतम कर सकती है लेकिन बात रही तेरी तेरे पापा की तो उसके लिये मे अकेला ही काफी हु

अभय मन मे - 4 साल कैद मे मेने प्याज नही छिले है मेने वहा रेह कर बहोत कुछ किया है उस कैद मे रेह कर इतना समझ गया था दुनिया बरी जालिम है और इस जालिम दुनिया मे राज सिर्फ अमीर और जिसके पास पावर है उसका ही चलता तो मेने भी एक अर्मी तेयार कर ताकि अगर आगे चल के मुझे किसी पावर फुल लोगो का सामना करना परा तो उनकी नानी याद दिला सकता हु

अभय सोच से बाहर आके टीनू को देख धीरे से - तो मे किसी से नही डरता समझ गया दूसरी तूने मेरी जान गुरिया के साथ गलत करने की कोसिस की तेरी वजह से उसके आखो मे आसु आये उसका हिसाब तुझे तो देना पड़ेगा ना

अभय अपना मुक्का बनाता है और दे दना दन 4 मुक्का टीनू के मुह पे दे मारता है टीनू दर्द से बहोत जोर से चीख मारता है टीनू के दो दात टूट जाते है नाक मुह से खुन आने लगता है टीनू कि बहोत बुरी हालत हो जाती है अभय टीनू को छोर देता है टीनू धराम से जमीन पे गिर कर बेहोस हो जाता है

आस पास खरे यहा तक की अदिति अमर आरोही पूरी तरह से हैरान अभय को देखे जा रहे थे अभय अपने हाथो को देखता जिसपे टीनू का खुन लगा हुवा था अभय ये देख रुमाल निकाल के

अभय रुमाल से खुन को साफ करते हुवे मन मे - साला 4 साल सांती से जी नही पाया फाइट फाइट हर वक़्त फाइट साला बाहर आया तो यहा भी फाइट मुझे कोई चैन से जीने भी देगा की नही


अभय रुमाल से हाथ पे लगे खुन को साफ कर रुमाल को वही फेक देता है और फिर अदिति आरोही अमर को देखता और चलते हुवे तीनों के पास आके खरा हो जाता है

अदिति आरोही अमर बहोत हैरान अभय को देख रहे थे तीनो मे मन मे यही चल रहा था आखिर ये मास्क पेहना लरका है कोन

अभय अमर को देख - तुम ठीक तो हो ना
अमर अभय को देख - जी मे ठीक हु आपका सुक्रिया
आरोही अभय को देख - आप ना होते तो व कमीना मेरे भाई को मार डालता आपका दिल से सुक्रिया

अभय दोनों को देख - इसकी कोई जरूरत नही है मे तो यह अदिति से मिलने आया था लेकिन यहा तो कुछ और चल रहा था अब मे अपने आखो के सामने किसी को मार खाता थोरी ना देख सकता था इस लिये बचा लिया

अभय की एक बात सभी को हैरान और सोचने पे मजबूर कर देती है ( मे यहा अदिति से मिलने आया था)

अदिति भी अभय की कही बात सुन हैरान अभय को देख - सोचने लगती है मे इसे जानती नही कोन है कियु मुझसे मिलने आया है और दूसरी अपने चेहरे पे मास्क कियु पेहन रखा है

अमर अभय को देख हैरानी से - तुम हो कोन और कियु अदिति से मिलने आये हो

आरोही अभय को देख - भाई ने सही कहा हम अच्छे से जानते है अदिति के हमारे अलावा कोई दोस्त नही है तो तुम कोन हो कियु मास्क पेहना है अदिति को कैसे जानते हो

अभय दोनों के सवाल सुन मुस्कुराते हुवे - मे अदिति का दीवाना हु मे यहा अदिति को परपोस् करने आया हु

अभय की बात सुन अदिति आरोही अमर पूरी तरह से सौक हो जाते है

अमर अभय को देख - देखो भाई अदिति मेरी है और हमारी जल्दी सादी होने वाली है तो प्लेस किसी और को ढूढ़ लो कोई ना कोई अच्छी लरकी आप को मिल जायेगी

आरोही अभय को देख - हा अदिति मेरी होने वाली भाभी है तुम किसी और को ढूढ़ लो

अभय अदिति को देख - लेकिन मे अदिति के मुह से सुनना चाहता हु

अदिति अभय के समाने आके - देखिये आप मे अमर की जान बचा कर हम पे एहसास किया हो लेकिन ये सच है अमर मेरे होने वाले पति है तो प्लेस समझिये बात को

अभय अदिति को देख मन मे - कितनी प्यारी बोली हो तुम्हारी और कितनी खूबसूरत के साथ बरी हो गई हो

अभय तीनो को देख - ठीक है एक सर्त् लगाते है अदिति मेरे प्यार को कबूल करेगी उसी के साथ मेरे केहने पे ( अभय अमर को देख) तुझे छोर भी देगी

अभय की ये बात तीनो को और हैरान कर देती है अभय को थोरा गुस्सा आने लगता है

अमर अभय को देख - मे मान नही सकता ऐसा कभी नही होगा
आरोही - हा अदिति मेरे भाई को कभी छोर नही सकती वो भी तुम्हारे लिये तुम बेकार मे कोसिस किये जा रहे हो

अदिति अभय को देख थोरे गुस्से से - देखो आप ने हमारी मदद की उसके लिये दिल से सुक्रिया लेकिन अब आप कुछ जायदा हि बोल रहे है और अपने आप कोई कुछ जायदा ही समझ रहे ही मे अमर को छोर नही सकती

अभय अदिति के आखो मे देख - ठीक है फिर कोसिस करने से किया जाता है अगर मे जीत गया और तुम मेरे प्यार को कबूल कर लेती हो तो ( अभय अपने गालो मे हाथ रख - तुम्हे मेरे गालो मे मीठी किस्सी देनी होगी लेकिन अगर मे हार गया तो तुम सब जो कहोगी वो मे करुगा

अभय की बात सुन फिर सब हैरान हो जाते है और अभय सभी को मुस्कुराते हुवे देखे जा रहा था

अमर अदिति को देख - मुझे यकीन है अदिति मे तुम हारने वाले हो
आरोही - अभय को देख सही कहा भाई ने अदिति को प्यार बहोत मुश्किल मेरी भाभी बनने के लिये तैयार हुई थी अदिति तो प्यार के चक्कर मे परना ही नही चाहती थी वो तो बाद मे मान गई तो तुम जो भी हो हार मान लो अदिति तुम्हे कबूल नही करेगी

अदिति अभय को देख - सही कहा अमन और मेरी दोस्त मे फिर भी यकीन नही होता तो ट्राई कर लॉ लेकिन बाद मे मेने मना किया तो यहा से चुप चाप चले जाओगे

अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - ठीक है

अदिति अमर आरोही की नजर अब अभय पे टिक जाती है


अभय उपर वाले जेब से गुलाब का फूल निकाल घुटनों पे बैठ अदिति को देख अदिति की तरफ गुलाब का फूल आगे करते हुवे

अभय - अदिति तुम बहोत खूबसूरत हो चाँद की तरह तुम मेरी जान हो तुम मेरे पास होती हो तो मेरे दिल को चैन सुकून मिलता है नही होती हो तो दिल बेचैन हो जाता है तो अदिति प्लेस मेरे प्यार को अपना लो

अभय ने अदिति को एक गर्लफ्रेंड की तरह परपोस् नही किया है ये बात अभय के परपोस् के तरीके से उसके शब्द से समझ सकते है


अभय के कहे गये शब्द सुन अदिति के दिल मे हलचल पैदा कर देती है अदिति के दिल मे एक मिठा दर्द एक अलग एहसास होता है जिसे अदिति समझ नही पाती

अदिति - अभय को देख माफ करना जैसा मेने कहा था मे आपके प्यार को कबूल नही कर सकती सॉरी

अमर आगे आते हुवे अभय को देख - अब अदिति ने भी केह दिया तो प्लेस यहा तमाशा मत करो

आरोही अभय को देख - मेने पेहले हि कहा था लेकिन तुम माने नही अब तो सुन देख लिया अब तुम जाओ हमे भी जाने दो

अभय सभी को देखते हुवे - रुको एक बार और सायद मेने मास्क नही निकाला इस लिये अदिति मेरा हैंडसम चेहरा नही देख पाई लेकिन इस मार मेरा हैंडसम चेहरा देख जरूर हा करेगी

अभय की इस बात को सुन अदिति आरोही अमर अजीब नजर से अभय को देखने लगते है अब तीनो को अभय एक पागल लरका लगने लगता है

अभय अदिति को देख - प्लेस एक बार मान जाओ कसम से इस बार लास्ट है

अदिति अभय को देख सर पकर के - आप नही समझ रहे प्यार अमीर हैंडसम देख नही किया जाता और जो अमीर हैंडसम देख प्यार करते है वो प्यार नही होता लेकिन आप समझ नही रहे है टिक है आखरी बार है

अभय खुश होते हुवे - ठीक है

अदिति खरी थी सांत अभय गुलाब के फूल आके करते हुवे वही लाइन बोलता है जो अभय ने पेहले कही थी लेकिन इस बार अपनी ओरिजनल आवाज मे

अदिति अभय की ओरिजनल आवाज सुनते ही चौक जाती है अदिति हैरानी से अभय को देखने लगती है अभय फिर अपना मास्क हटा देता है और अदिति के सामने अभय का चेहरा आ जाता है जिसे देख अदिति पूरी तरह से एक जगह पे जम जाती है


( घर पे )

आसा टेंसन मे घर से बाहर आके मेन रोड की तरह देखती है तो अभय आता हुवा दिखाई नही देता है आसा फिर आगन मे आके खटिये पे बैठ जाती है दिशा ये सब देख रही थी

दिशा आसा के पास आके बैठ जाती है और आसा के कंधे पे हाथ रखते हुवे - मम्मी जी बस भी कीजिये देवर जी के जाने के बाद आप अभी तक 10 बार बाहर जाके देख चुकी है मुझे पता है पेहले देवर जी के साथ जो हुवा उसके बाद आपके दिल मे एक डर बैठ गया है लेकिन आपको उस डर को भगाना होगा देवर जी अब बच्चे नही रहे आ जायेंगे मुझे लगता है देवर जी ननद जी 4 साल बाद मिले होगे तो दोनों बाते करते हुवे घूमते हुवे आ रहे होगे

अभय के साथ 4 साला पेहले जो हुवा उसके बाद आसा के दिल मे जो डर था वो होना लाजमी था ऊपर से आसा एक मा थी तो एक मा को अपने बच्चो की चिंता हमेसा लगी ही रेहती है इसी की वजह से अभय के जाने के बाद आसा दस बार बाहर जाके देख चुकी थी

आसा दिशा को देखते हुवे - बहु तुम किया केहना समझाना चाहती हो मे समझ रही हु लेकिन एक मा का दिल नही समझ रहा तो मे किया करू अभय को गये एक घंटे होने वाले है अभी तक तो अभय और अदिति को आ जाना चाहिये था लेकिन दोनों नही आये तो चिंता होगी ना

दिशा आसा को देख - आप सही है लेकिन इतना टेंसन भी मत लीजिये आ जायेंगे दोनों अब ये बताइये आज किया बनेगा खाने मे

आसा दिशा को देख मुस्कुराते हुवे - आज मे खुद अपने लाल के पसंद की सारी डिश बनाने वाली हु

दिशा मुस्कुराते हुवे - जरूर मे आपकी मदद करुगी आज हम देवर जी के पसंद की सारी डिस बनायेगे

( आज के लिये इतना ही ) 🙏🙏🙏🙏
Badhiya shaandar update
Abhay ka sochna sahi h aise kamjor bande ko apni bahen kaise de de Jo khud apne aap ko bacha nahi paya woh Kisi or ko kia bacha pata h
Ab dekhte h Aditi kia Karti h
 

Bks@0909

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Bhai update Friday ko aaya tha. Next update Sunday ko aana chahiye. Kya vo mega update ho sakta hai.
 
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Ranjit143

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Badhiya shaandar update
Abhay ka sochna sahi h aise kamjor bande ko apni bahen kaise de de Jo khud apne aap ko bacha nahi paya woh Kisi or ko kia bacha pata h
Ab dekhte h Aditi kia Karti h
Are bhai aapko aisa kyon laga amar kamjor hai, woh kamjor hota tha to udhar se aapni behen ko lekar bhag jata tha...
kyunki usko samne wale ki takat ke bare mein pata hai, aur usko yah bhi pata hai uske sath panga lene se khud ki jaan ki sath sath uski behenn ki jaan ko bhi khatra ho sakta hai,

Lekin woh aisa nahin kiya vah aditi ko bachane ke liye uske sath khada raha uske liye stand liya, khud ke sath sath apni bahan ki jaan ka bhi parvah nahin kiya, haar or jeet to vah alag baat hai, lekin ladne ka himmat to dikhaya,..

Kya ismein aapko uska himmat aur takat dikhai nahin diya, Aditya ke liye uske dil main jo pyar, aditi ka care karna, uski sefty ki bare mein sochana kya yeh sab aapko dikhai nahin diya...

Thodi der ke liye story ko side mein rakho...
bas aapne honestly dil se socho, ek ladki ko shaadi ke liye kaisa ladka chahie, Jo uski pyar ki kadar Karen, Jo uski care kare, jo uski musibat mein bhi uske sath mein khada rahe , to kya aapko amra main yah sab dikhai nahin diya..

Aapke hisab se sab ladki gunde paisa wala aur takatvar Insan se shaadi karna chahie, to jo kamjor ladka kya kunwara mar jaenge.... Matlab kuchh bhi.....
 
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Naik

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Are bhai aapko aisa kyon laga amar kamjor hai, woh kamjor hota tha to udhar se aapni behen ko lekar bhag jata tha...
kyunki usko samne wale ki takat ke bare mein pata hai, aur usko yah bhi pata hai uske sath panga lene se khud ki jaan ki sath sath uski behenn ki jaan ko bhi khatra ho sakta hai,

Lekin woh aisa nahin kiya vah aditi ko bachane ke liye uske sath khada raha uske liye stand liya, khud ke sath sath apni bahan ki jaan ka bhi parvah nahin kiya, haar or jeet to vah alag baat hai, lekin ladne ka himmat to dikhaya,..

Kya ismein aapko uska himmat aur takat dikhai nahin diya, Aditya ke liye uske dil main jo pyar, aditi ka care karna, uski sefty ki bare mein sochana kya yeh sab aapko dikhai nahin diya...

Thodi der ke liye story ko side mein rakho...
bas aapne honestly dil se socho, ek ladki ko shaadi ke liye kaisa ladka chahie, Jo uski pyar ki kadar Karen, Jo uski care kare, jo uski musibat mein bhi uske sath mein khada rahe , to kya aapko amra main yah sab dikhai nahin diya..

Aapke hisab se sab ladki gunde paisa wala aur takatvar Insan se shaadi karna chahie, to jo kamjor ladka kya kunwara mar jaenge.... Matlab kuchh bhi.....
Mere Dil Jo aaya woh keh dia mene ab aapko Jo samjhna h samjho or fir Kahani ka title (incest)ke hisab yaha doosre lade ka kaam hi nahi h yaha hero Abhay h tow side hero ka kia kaam
 

Ranjit143

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Mere Dil Jo aaya woh keh dia mene ab aapko Jo samjhna h samjho or fir Kahani ka title (incest)ke hisab yaha doosre lade ka kaam hi nahi h yaha hero Abhay h tow side hero ka kia kaam
To kya aapka matlab abhay hero hua to poori pariwar ki aurat, baki story mein jitne bhi female character, sab hero ki niche letenge, aise thodi hota hai, ..

Abhay story ki hero na ki superman jab chahenge, jisko chahega, jitno ko chahega, sabko shaadi karega sabko aapni rakhil banaega..

Incest story hua to kya hua thoda to realistic lagna chahie..
 

ajay bhai

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( chapter 8 )

( मे प्यार से उन कुछ लोगो से केहना चाहता जिन्हें अपने हिसाब से सब चाहिये देखो मेरी स्टोरी है और मेने जैसा सोचा है वैसा ही एंड भी होगा जिन लोगो को पसंद नही आ रही प्लेस इंस्टा रील की तरह स्क्रोल कर आगे बढ़ जाये मे हर किसी को खुश नही कर सकता मेरी भी कुछ पसन्दीदा स्टोरी है जिसमे मुझे कई सीन कई चीजे पसंद नही आई लेकिन मे किया कर सकता हु मर्ज़ी मेरी थी पढु या ना पढु xforum मे हर एक स्टोरी मे मेने देखा कोई ना कोई होता है जिन्हें स्टोरी मे सब अपने हिसाब से चाहिये होता है तो भाई xforum पे कई स्टोरी है जाके पढ़ो अगर मेरी स्टोरी पसंद नही आ रही तो प्लेस )
बाकी सभी का थैंक्स
🙏🙏🙏🙏🙏🙏



घर पे आसा अभय के लिये परेसान थी अभय के गये 1 घंटे होने वाले थे अभय के साथ हुई घटना आसा के अंदर डर पैदा कर चुकी थी यही वजह थी आसा अभय के लिये परेसान थी लेकिन दिशा के समझाने पे आसा सांत हो चुकी की लेकिन दिल के अंदर बेटे के लिये चिंता कभी खतम नही हो सकती खास कर एक मा के लिये

( स्कूल)

वही अभय अदिति के सामने घुटनों पे बैठ अपनी ओरिजनल आवाज मे परपोस् करता है उसी के साथ अपने चेहरे से मास्क भी निकाल देता है

अदिति अभय के चेहरे को देख जम जाती है कोई शब्द नही निकल रहे थे ना सरीर कोई मोमेंट कर पा रहा था ना आखे की पलके झपक रही थी लेकिन आखे सिर्फ अभय को देखे जा रही थी

अमर आरोही अदिति को कुछ ना बोलता देख पथर् के तरह खरा देख समझ नही पा रहे थे आखिर अदिति को किया हो गया है लेकिन तभी दोनों और हैरान हो जाते है और कंफ्यूज भी कियुंकी अदिति का पूरा सरीर हिल नही रहा था कोई मोमेंट नही कर रहा था लेकिन अदिति के आखो से भर भर के आसु निकल तप तप कर नीचे गिरे जा रहे थे जो अमर आरोही हो हैरान के साथ सोचने पे मजबूर कर रहे थे

वही अभय अदिति के आखो से आसु निकल नीचे गिरते हुवे देखता तो अपना हाथ आगे लेजाकर अदिति के आसु जो गिर रहे थे अपने हाथो मे जमा करते हुवे अदिति को देख

अभय - गुरिया तेरे एक एक आसु की कीमत मेरे लिये बहोत जायदा है तो ऐसे अपने आसु बहाया मत कर

गुरिया ये शब्द अमर आरोही के कान मे जाते है तो दोनों को बहोत बरा झटका लगता है दोनों हैरानी से अभय को देखने लगते है लेकिन अभी भी अमर आरोही समझ नही पा रहे थे अभय कोन है अदिति से किया रिस्ता है उसका

अदिति जो अभय के चेहरे को देख रोये जा रही थी कुछ बोल रही रही थी जम सी गई थी लेकिन अब अदिति का सिर्फ होठ मोमेंट करता है अदिति कापते होठों से अभय की आखो मे देख

अदिति - किया आप मेरे अभय भाई है
( असल मे अदिति को यकीन था सामने घुटनों पे बैठा उसका भाई है लेकिन 4 साल बाद अचानक अभय आ गया था तो 4 साल मे थोरा बदलाव सॉरी थोरा से ज्यादा बदलाव आये थे अभय मे बस अदिति को बिस्वास नही हो रहा था इसी लिये अदिति ने ये सवाल पूछा )

अभय खरा होता है और अदिति की आखो मे देख बाहें फैलाते हुवे हा गुरिया मे तेरा भाई अभय हु मे लौट आया गुरिया तेरे पास अपनो के पास बस यही सुनना था अदिति को अदिति बिना देरी किये रोते हुवे भईया केहते हुवे जाके अभय के बाहो मे समा जाती है अभय भी अदिति को अपनी बहो मे पूरा समा लेता है


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एक बेहन जिसके लिये उसका भाई सब कुछ था एक भाई जिसकी एक लाडली बेहन जिसके लिये पूरी दुनिया से लर सकता है कहे तो दोनों भाई बेहन की जान एक दूसरे मे बस्ती है आखिर कार आज एक बेहन एक भाई दोनों मिल ही गये सीन बहोत प्यारा लेकिन इमोसनल भी था

अमर आरोही के मूल खुले आखे फटे रेह जाते है ये जान की अभय अदिति का वही भाई है जिसे चार साल पेहले किंडनैपर किडनैप कर के ले गये थे

अदिति अपने भाई के सीने से लगी हुई रोते हुवे - भाई आप कहा चले गये थे आप को पता भी है आपकी गुरिया कैसे आप के बिना एक एक पल दिन रात गुजार रही थी मुझे आप की बहोत याद आती थी भाई हर पल मेरा दिल आपकी आवाज आपको देखने के लिये तरपता रेहता था रात को नींद नही आती थी खाना गले से उतर नही रहा था घर मुझे काटने को दोरते थे ( अभय अदिति के सर को सेहलाते हुवे अदिति को बोलने दे रहा था अभय को पता था बहोत सारी बाते केहनी होगी अदिति को )


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अदिति- जब भी स्कूल से घर जाती थी तो लगता था आप घर पे होगे लेकिन जब अंदर जाती थी तो नही होते थे तो मेरा दिल रो परता था भाई मेरा दिल रो परता था मे उपर वाले से दुवा करती थी आप लौट आये मेरे पास अपनी गुरिया के पास और आज आप लौट आये मेने भाई आपको बहोत मिस किया बहोत हर पल मेरा दिल आप को याद करता था मेरी हर एक सासे भी

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख - मुझे पता है मेरी गुरिया ने मुझे बहोत मिस किया बहोत दर्द सहा है लेकिन गुरिया सेम मेरा भी वही हाल था ये तो मा तेरा प्यार ही है जिसने मुझे हिम्मत दी


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और आज मे तेरे पास आ गया लेकिन अब रोने की जरूरत नही है तेरा भाई अब आ गया है और फिर कभी भी तुझे छोर कर कही नही जायेगा ये मेरा तुझसे वादा है गुरिया

अदिति आखो मे आसु लिये सिसक सिसक कर रोते हुवे अभय को देख - भाई आप सच केह रहे है ना आप फिर मुझे छोर कर नही जायेंगे ना अगर इस बार मुझे फिर छोर कर चले गये तो मे जी ( अभय बीच मे अदिति को रोकते हुवे)


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अभय - नही जाउंगा और ना मे अपनी मर्ज़ी से गया था लेकिन इस बार कोई भी मुझे तुमसे जुदा नही कर सकता और अगर किसी ने कोसिस भी कि तो मे उसे चिर कर रख दूंगा

अभय की बात सुन अदिति अभय के गले लगते हुवे - आप न केह दिया यही मेरे लिये बहोत है अदिति फ़िर अभय के बहो मे समा जाती है अभय भी अदिति को बाहो मे समा लेता है आज दोनों के दिल को सुकून मिल रहा था और ऐसा हो भी कियु ना दोनों की जान जो एक दूसरे मे बस्ती है दोनों भाई बेहन गले लगे रेहते लोगो से बेखबर

अमर आरोही हैरान लेकिन खुश भी थे अदिति के लिये कि उसका भाई आ गया वापस


3 मिनट बाद अभय - अदिति सी गुरिया कब तक गले लगी रहोगी घर भी जाना है


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अदिति - दिल नही कर रहा आपको छोराने का दिल कर रहा है आपके बाहो मे युही रहु कियुंकी आपकी बाहो मे मुझे बहोत सुकून मिल रहा है
अभय - हस्ते हुवे समझ गया लेकिन अभी हमे जाना भी है मे हु ना तेरे पास जितना मेरी बाहो मे रेहना है रेह लेना ठीक है


अभय के केहने पे अदिति अभय से अलग होती है लेकिन अभय के एक बाहो को जोर से पकर लेती है अभय ये देख मुस्कुरा देता है


( दोनों भाई बेहन का मिलन 4 साल बाद पुरा हुवा )

अभय अमर आरोही को देखता है फिर अभय अमर आरोही के पास जाके खरा हो जाता है

अभय अदिति को देख - गुरिया तूने मेरे प्यार को कबूल किया
अदिति अपने भाई की बात सुन अभय को प्यार से देखते हुवे
अदिति - भाई मेरे दिल मे आप तो सुरु से ही है ( कबूल है)
अभय अमर को देख - किया तुम अमर को छोर दोगी मेरे केहने पे
अदिति अमर को देखते हुवे - आपने कहा मेने छोर दिया

अमर ये सुनते ही अभय के पैर पे गिरते हुवे - भाई मे अदिति से बहोत प्यार करता हु प्लेस मुझे अदिति से दूर मत कीजिये

अदिति अमर को ये सब करता देख नही थी लेकिन कुछ नही बोलती है आरोही भी चुप रेहती है

अभय अमर को देख - मेरे पैर पे गिरना बंद करो और खरे होके मेरी बात ध्यान से सुनो

अभय की बात सुन अमर खरा हो जाता है और अभय को देखने लगता है

अभय - देखो अमर मेरी गुरिया मेरे लिये मेरी जान है और मे अपनी गुरिया को ऐसे ही किसी के हाथो मे नही दे सकता मुझे इस बारे मे बहोत सोचना होगा कियुंकी मे अभी आया हु तुम्हे अच्छे से नही जानता तुम दोनों मे दोस्ती प्यार जो है उसके बारे मे भी पता नही है तो मुझे समय चाहिये तुम्हे जानने की चीजो को समझने के लिये मेने देखा तुमने हिम्मत दिखाई लेकिन तुम हालात को समझ नही पाये टीनू तुम्हे जान से मारने वाला था लेकिन तुम मार खाते रहे सोचा है उसके बाद अदिति आरोही का किया होता अगर लराइ आर पार की हो रही है तो उसमे अपनी पूरी जान लगा देनी चाहिये खैर अगर मुझे लगा तुम उसके लायक हो तो ठीक है नही तो अदिति को भूल जाना ( अभय अदिति को देख ) गुरिया तुम्हे कोई दिकत है तो केह सकती हो

अदिति अभय के बाहो को पकरे अपना सर अभय के सीने पे रख - मे आपकी गुरिया भी और हमेसा रहूगी आप को कहेगे करुगी

अभय अमर को देख - तुम समझ गये होगे

अमर बहोत कुछ बोलना चाहता था लेकिन बोल नही पाता

अभय कुछ पैसे निकाल अमर को देते हुवे - ये लो जाके इलाज करवा लेना

अभय पैसे देकर अदिति को प्यार से देख - चले गुरिया
अदिति अभय को प्यार से देख - जी भाई

अभय अदिति को लेकर बाइक की तरफ निकल परता है

अमर अदिति अभय को जाते देख आरोही से - आरोही तुम्हे किया लगता है अदिति की सादी उसका भाई मुझसे करायेगा

आरोही अदिति अभय को जाते देखते हुवे - मे कुछ केह नही सकती चीजे बदल गई है अदिति का भाई अदिति से बहोत प्यार परता है इतना की अदिति के लिये अपनी जान देख सकता किसी का ले भी सकता है और उसका देबो हम ने देख ही लिया है

आरोही अमर को देख - भाई बुरा मत मानना लेकिन तुम 2 लोगो को एक मुक्का भी मार नही पाये अगर अदिति का भाई नही होता हो चीजे बिगर सकती थी बहोत बुरा हो सकता था तो आप समझ रहे होगे अब तो अदिति के भाई के ऊपर है कियुंकी अदिति वही करेगी जो उसका भाई कहेगा अब हमे चलना चाहिये

अमर अदिति को जाते देख - ठीक है हम चलते है

अमर आरोही अपने रास्ते निकल परते है

अभय अदिति के साथ अपनी बाइक के पास आ जाता है अदिति बाइक को देख हैरान होते हुवे अभय को देखते हुवे
-
अदिति - भाई ये नया बाइक आप की है
अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - मे अपनी गुरिया को थोरी ही पैदल या रिस्का मे लेकर जाउंगा इस लिये आते ही खरीद ली
अदिति हैरान होते हुवे बाइक को देख फिर अभय को देख
अदिति - भाई आप सच केह रहे है ये हमारी बाइक है
अभय - मुस्कुराते हुवे हा गुरिया हमारी बाइक है
अदिति खुशी के मारे अभय को गले लगते हुवे - भाई मे कई बार ये सोचती थी की भाई के साथ बाइक पे बैठ कर घूमने जाउंगी कितना मजा आयेगा लेकिन आप नही थे लेकिन आज मेरी ये खवाइज भी पूरी हो जायेगी

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे प्यार से देख

अभय - मेरी गुरिया की खुवाइज मेरी खुवाइस है और मे अपनी गुरिया की हर खोवाइस पूरी करुगा

अदिति अपने भाई की बात सुन इमोसनल होते हुवे - आई लोव यू भाई
अभय अदिति के माथे पे किस करते हुवे आई लोव यू तु मेरी गुरिया

अभय फिर अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - मेने सर्त जीती है पता है ना हारने मे तुम्हे किया देना था


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अदिति अभय को देख मुस्कुराते हुवे अभय के गालो पे अपने गुलाबी होठो से किस करते हुवे मुझे पता है भाई मे भूलि नही थी

अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - गालो के किस लेकिन बहोत मीठी किस लगी मुझे
अदिति सर्म से लाल होते हुवे - भाई आप भी ना

अभय हस्ते हुवे - चलो चलते हो
अदिति - ठीक है

अभय बाइक पे बैठ बाइक चालू करता है और अदिति पीछे दोनों तरफ पैर कर बैठ जाती है लेकिन अदिति पुरा अभय से सत् अभय के कमर को दोनों हाथो से कस के पकर अपना सर अभय से कंधे पे रख देती है


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अभय का ये पहली बार था जो कोई लरकी उससे पुरा चिपक कर बाइक पे बैठी है अभय को अदिति के शरीर कि गर्मी के साथ अदिति के बरे गोल टाइट लेकिन उतने ही मुलायम चुचे अपने सरीर से चिपके साफ फिल हो रहा था लेकिन अभय अपने दिमाग सिर्फ अदिति के लिये प्यार था ( पर ये अनुभव फीलिंग अलग थी अभय के लिये)


( सायद इस लिये कियुंकी अभय 15 का था तक अभय का किंड्नैप हुवा था तो उस समय अभय एक बच्चा ही था अदिति भी लेकिन आज दोनों भाई बेहन जवानी मे कदम रख चुके थे)


अदिति बहोत खुश थी आज और अभय को बाहो मे पकरे बैठी हुई थी आज अदिति के चेहरे के खुशी एक अलग ही नेवल पे थी

अभय -अदिति को देख चले गुरिया
अदिति खुशी से - हा भाई चलिये


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अदिति के केहते ही अभय बाइक लेकर निकल परता है और अदिति अपने भाई को पकरे उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था

अभय बाइक लेकर तेजी से जा रहा था और फ़िर 5 मिनट बाद अभय मार्केट आ जाता है और बाइक रोक देता है

अदिति हैरान बाइक से नीचे उतरते हुवे अभय को देख - भाई हम घर जा रहे थे ना तो यहा कियु आये है

अभय अदिति को देख - गुरिया भाभी की मुहदिखाई मे मेने कुछ नही दिया है तो इसी लिये भाभी के लिये गिफ्ट लेने आया हुई

अदिति अभय के बाहो को पकर् खुश होते हुवे - अच्छा ये बात हो तो आप किया लेने वाले हो गिफ्ट भाभी के लिये


अभय सोचते हुवे - भाभी बहोत खूबसूरत है तो उनके गले मे लॉकेट बहोत अच्छा लगेगा

अदिति अभय को घूर के गुस्से से देख - किया मे खूबसूरत नही हु
अभय घबराते हुवे अदिति को देख - मेरी गुरिया को दुनिया की सब से खूबसूरत है
अदिति - मुह बनाते हुवे ठीक है चलिये लॉकेट ले लेते है

अभय अदिति अंदर जाते है अभय दो खूबसूरत लॉकेट लेता है

अभय एक लॉकेट खुद अदिति के गले पे पेहना देता है
अभय - गुरिया पसंद आया लॉकेट


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अदिति लॉकेट को देखते हुवे - बहोत ही खूबसूरत है और मेरे प्यारे भाई का पेहला गिफ्ट भी है तो ये मेरे बहोत खास हो गया है और बहोत कीमती भी जिसे मे अपने दिल के पास हमेसा रखुंगी
अभय - मुस्कुराते हुवे अदिति को देख हा तुम पे बहोत अच्छा लग रहा है

अदिति - खुश होते हुवे मेरे भाई ने जो पसंद की है
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है चलो चलते है

दोनों बाहर बाइक के पास आ जाते है

अभय - गुरिया तुम खाओगी

अदिति अभय की बात सुन इधर उधर देखने लगती है तो अदिति को पानीपुरी वाला दिखाई देता है

अदिति अभय को देख - भाई मुझे पानी पूरी खानी है
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है चलो फिर

अदिति खुशी खुशी पानीपुरी वाले की तरफ जाने लगती है दोनों पानीपुरी वाले के पास पहुँच जाते है

अभय पानीपुरी वाले से - अंकल पानीपुरी लगा दो

अभय अदिति मन भर पानीपुरी खाते है और अभय मा भाभी के लिये भी पैक करवा लेता है फिर बाइक पे बैठ जाता है अदिति भी पानीपुरी हाथ मे लिये बैठ जाती है

अभय - गुरिया चले फिर
अदिति - जी भाई

अभय बाइक लेकर घर पहुँच जाता है बाइक की आवाज सुन आसा दिशा भागते हुवे बाहर आके देखती है तो अदिति बाइक से उतर रही होती है और अभय बाइक पर ही होता है


आसा दिशा हैरान और कंफ्यूज भी थे बाइक को देख कर
अदिति नीचे उतर अपनी मा भाभी को देखते हुवे

अदिति - खुशी से मा भाभी देखो हम आ गये आज बहोत मजा आया भाई के साथ बाइक पे बैठ कर
अभय भी बाइक साइड मे लगा के अदिति के सामने खरा हो जाता है

आसा बाइक को देखते हुवे - ठीक है लेकिन ये बाइक किसकी है और तुम लोग इतनी देरी से कियु आ रहे हो हा जवाब दो पता भी है मे कितने देर से तुम दोनों का इंतज़ार कर रही हु

अभय आसा को गले लगाते हुवे - मेरी खूबसूरत मा कियु आप चिंता कर रही थी मे आ गया ना अब

आसा अभय को बाहो मे भर - अब मेरे दिल को सुकून मिला
अभय आसा के गाल पे किस करते हुवे - मुझे भी

दिशा अभय को देख - लेकिन देवर जी आपने बताया नही ये नई बाइक किसकी है
अभय के बताने से पेहले
अदिति - हमारी बाइक है भाभी भाई ने नई की है

अदिति की बात सुन आसा दिशा हैरानी से अभय को देखने लगते है

अभय आसा दिशा को देख चलिये अंदर बाते करते है

सभी अंदर आते है और आगन मे खटिये पे बैठ जाते है अभय से सत् कर अभय के बाहो को पकरे हुवे अदिति बैठी हुई थी

आसा अभय को देख - अब बताओ बाइक कहा से ली और कितनी की है बाइक
अभय आसा भाभी को देख - जायदा नही 93 हजार की है बस

आसा दिशा के साथ अदिति भी हैरान होते हुवे अभय को देखने लगते है
दिशा अभय को देख - देवर 93 हजार कोई कम पैसे नही है और आप आराम से केह रहे है
आसा अभय को देख - और नही तू किया लेकिन इतना पैसा आया कहा से तुम्हारे पास
अभय आसा दिशा को देख - अरे मा जहा कैद मे था वहा काम करने के पैसे भी देते थे ( अभय सच नही बताता आगे बतायेगा )

आसा - चल छोर जो भी है खैर अब तु आ गया इतना काफी है मेरे लिये

अदिति दिशा को पानीपुरी देते हुवे - भाभी ये लीजिये पानीपुरी भाई मा आप के लिये लेकर आये है

दिशा पानीपुरी लेते हुवे अभय को देख - वाह देवर जी आज तो मजा आ गया पानीपुरी खाने को मिल रहा है
अभय दिशा को देख मुस्कुराते हुवे - अरे मेरी न ही तो खूबसूरत भाभी है तो उनका ख्याल तो रखना पड़ेगा ही ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - थैंक्स देवर जी पानीपुरी मुझे बहोत पसंद है
अभय - थैंक्स मत कहिये आप मेरी अपनी है इस घर का हिस्सा ही
दिशा अभय को प्यार से देखते हुवे - ठीक है नही कहूगी

अभय मुस्कुरा देता है

दिशा अदिति को देख हस्ते हुवे - ननद जी कब तक ऐसे ही अपने भाई को पकर कर बैठने का इरादा है.
अदिति अभय के कंडे पर सर रख मुस्कुराते हुवे - मेरा दिल करेगा तब तक भाभी

दिशा हस्ते हुवे - ठीक है ठीक है लगी रहो
आसा अदिति अभय को देख इमोसनल होते हुवे अदिति के पास जाके अदिति के गाल को प्यार से सेहलाते हुवे

आसा - मेरी बच्ची की जान उसके भाई मे बस्ती है ( अभय को देख) इस 4 चार साल मे मेरे लाल के बिना कभी मेने हस्ते नही देखा मस्ती करते नही देखा जैसे मेरी बच्ची जीना ही भूल गई हो बस मेरे सामने खुश रहने का दिखावा करती थी लेकिन ऐसा था नही

आसा अभय के गाल को सेहलाते हुवे - मेरा लाल हमारे लिये सब से लर कर आया है मुझे गर्व है मेने एक मर्द को जन्म दिया है

अभय अपनी मा के आसु साफ करते हुवे - आना ही था आप जैसी खूबसूरत मा ( अदिति को देख) मेरी प्यारी गुरिया ( अदिति खूबसूरत गुरिया भाई ) अभय हस्ते हुवे खूबसूरत गुरिया अब ठीक है ( अदिति मुस्कुराते हुवे हा) तो मुझे आना ही था

अभय दिशा के पास जाके खरा होते हुवे - मुझे एक भाभी चाहिये थी मे हमेसा सोचता था जब हम बरे होगे मेरी भाई की सादी होगी फिर हमारे घर मे भाभी आयेगी जिनके साथ खुब मस्ती करुगा भाभी के हाथो से खाना खाऊगा आज हम बरे हो गये भाई की सादी हो गई भाभी भी आ गई लेकिन ( अभय के आखो मे आसु आ जाते है) लेकिन भाई नही है हमारे बीच
अभय दिशा के हाथ को पकर - भाभी आप मुझे खुदगर्ज़ कहेगी चलेगा लेकिन मे ये कहुंगा आप का सुकिया भाभी इस घर को छोर कर ना जाने के किये अगर आप चली जाती तो मेरा सपना कभी पुरा नही होता मे अपनी भाभी के साथ मस्ती मजाक नही कर पाता मे आपके हाथो से बना खाना नही खा पता इस लिये दिल से सुक्रिया भाभी


अभय की बात दिशा की दिल पे लगती हो अभय के लिये दिशा के दिल मे और प्यार बढ़ जाता है दिशा के आखो से आखु झलक परते परते है आसा अदिति भी भाभी देवर का प्यार देख इमोसनल हो जाते है

दिशा अभय के गालो पे प्यार से हाथ फेरते हुवे अभय को देख

दिशा - जब मे इस घर मे आई तो आपके भाई सासु मा अदिति आप के बारे मे बहोत सारी बाते करते थे तो मे समझ गई मे ऐसे परिवार का हिस्सा बनी हु जहा हर किसी के दिल मे एक दूसरे के लिये प्यार है सब के मुह से सुन मे समझ गई थी की आप बहोत अच्छे होगे लेकिन आज मे गलत साबित हुई आप अच्छे नही बहोत अच्छे है देवर जी और मे एक ऐसे घर को छोर कर कैसे जा सकती थी जिस घर मे इतना परिवार है अगर मे चली गई होती तो बहोत पछताती कियुंकी आज जैसा देवर मे खो देती मुझे भी एक प्यारा नटखट देवर चाहिये था जो मुझे मिल चुका है बस कमी रहेगी इस जिंदगी में आपके भाई की

अभय घुघट बिना हटाये अंदर से ही दिशा के आसु साफ करते हुवे

अभय - भाई की कमी मे पूरी नही कर सकता लेकिन एक वादा है मे आप सब को हर खुशी दूगा
दिशा - अभय का हाथ पकर मुझे यकीन है अपने देवर जी पे

आसा - चलो हो गया इमोसनल ड्रामा अब खाना भी बनाना है

आसा की बात सुन अदिति दिशा अभय मुस्कुरा देते है

आसा दिशा खाना बनाने मे लग जाते है और अदिति अभय बहोत सारी बाते करने मे


( रात 8 बजे )

खाना बन चुका था आगन मे चटाइ बिछा दी गई थी सभी नीचे चटाई पे बैठे हुवे थे आसा अदिति दिशा की नजर अभय पे थी

आसा अभय को देख - मेरे लाल अब पता तुम्हे कोन ले गया था कहा ले गया था 4 साल कैसे रहे वहा पे किया करते थे सब कुछ मुझे जानना है
दिशा अभय को देख - हा देवर जी हमे भी जानना है आप कैसे वहा से भाग कर आये

अदिति तो अभी भी अभय से चिपकी हुई थी

अदिति - मुझे भी जानना है भाई सब कुछ

अभय आसा दिशा अदिति को देख एक बरी सास छोराते हुवे ठीक है बताता हु

तभी कोई चिल्लाते हुवे घर के अंदर आता है मेरा बेटा बेटा कहा है करते हुवे

अभय आवाज सुन समझ जाता है ये कोन होगी अभय अपना सर पकर मन मे - साले को कहा था मेरे साथ चल लेकिन नही नही साले को घूमना था बुवा के पास जाना था अब मुझे ऑन्टी को समझाना पड़ेगा

हा अभय का सोचना सही था ये विजय की मा ही थी मिनिता

मिनिता को पता चल चुका था अभय वापस आ गया है तो भागते हुवे आ गई अभय के घर


मिनिता आखो मे आसु लिये अंदर आती है मिनिता की नजर अभय पी जाती है मिनिता अभय के पास आके घुटनों पे बैठ अभय का हाथ पकर रोते हुवे

मिनिता रोते हुवे - मेरा बेटा मेरा लाल कहा है अभय किया वो तेरे साथ था अगर था तो वो कहा है प्लेस बेटा बता है मुझे चार

बीच मे ही अभय मिनिता के मुह को बंद करते हुवे मिनिता को देख

अभय - वो कमीना ठीक है हम साथ मे ही वहा से भाग के आये थे लेकिन कमीने को कहा मेरे साथ चल लेकिन उसके कहा मे घूमते हुवे बुवा के यहा से होते हुवे कल आ जाउंगा मा को बता देना तो अब जान गई रोना बंद कीजिये और आराम से बैठ जाइये वहा किया हुवा हम कैसे भाग कर आये वही मे सभी को बताने जा रहा था

अभय मिनिता को देख अब चुप रहेगी ना

मिनिता गर्दन हिलाते हुवे - हा

अभय फिर छोर देता है

मिनिता अभय को देख प्यार से - बेटा जरा विजय को फोन लगा ला किया करू जिगर का टुकरा है मेरा 4 साल टरपि हु उस के लिये उसको देखने के लिये उसकी आवाजे सुनने के लिये

अभय मिनिता को देखता है फिर फोन निकाल विजय को फोन लगा के मिनिता को दे देता है

मिनिता फोन पकर देती है विजय फोन उठाते हुवे बोलिये बॉस

तभी मिनिता का रुद्र रूप सामने आता है

मिनिता- चिलाते हुवे कमीने मे तेरी मा बोल रही हु मे यहा 4 साल से मेरा लाल मेरा लाल कहा है करते हुवे तुझे ढुंढ रही थी तरप रही थी लेकिन तु बाहर आया तो तुझे अपनी मा से जायदा बुवा की याद आई ठीक है मेरे लाल वही रेह बुवा के पास घर आने की जरूरत नही है

विजय कापते हुवे - मा अरे सुनो तो जैसा आप

तभी मिनिका फोन कट करते हुवे मुस्कुराते हुवे फोन अभय को दे देती है

मिनिका - कमीना जिंदा है सही सलामत है ये जान कर ही मे बहोत खुश हु

पर भाई आसा दिशा अभय तू मुह फारे मिनिका को ही देखे जा रहे थे
आसा दिशा अभय की दिमाग एक ही बात चल रही थी
अभी अभी उन्होंने किया देखा इतनी जल्दी तो गिरगिट भी अपना रंग नही बदलती

( विजय के बुवा के घर )

विजय अपनी बुवा के गोद मे सर रख लेता हुवा था

विजय बुवा को देख डरते हुवे - सुना ना हुवा मा कितने गुस्से मे है पक्का घर जाउंगा तो मा मुझे बहोत मारेगी
बुवा - अरे चिंता कियु करता है मे हु ना कल तेरे साथ चलुंगी टिक है
विजय खुश होते हुवे - तब तो टिक है बुवा

( अभय के के घर )

सभी हैरान मिनिका को देख ही रहे थे की मिनिका अचानक फिर रोने लगती है

मिनिका - मेरा लाल सही सलामत है मे खुश हुई मेरा लाल अपनी बुवा से भी बहोत प्यार करता है उसका बचपन जायदा बुवा के साथ ही गुजरा है इस लिये मुझे बात नही उसका जब दिल करे आ जायेगा

अभय मिनिका को देख मन मे - हर मा एक जैसी होती है हर मा को अपने बेटे की फिकर होती है बेटा कही भी हो सही सलामत है ये जान ही खुश रेहती है

मिनिका अपने आसु साफ करते हुवे अभय को देख - बेटा तुम बताने वाले थे ना तुम सब कहा थे कैसे भाग कर आये अच्छा हुवा सही समय पे मुझे पता चला मे आ गई मुझे भी जानना है सब कुछ

अभय सभी को देख ठीक है तो सुनिये
आसा दिशा अदिति मिनिका सांत अभय पे फोकस किये थे

अभय - हम सभी एक बहोत बरे जंगल के अंदर कैद थे और वहा हमारे अलावा भी कई बच्चे थे हमे रोज काम करने के लिये कहा जाता था पता नही किया था हमे मालूम नही सब पैक रेहता था और हमे उस पैकेट जो एक kg का होता था हमे बरे से बॉक्स मे पैक करना होता था बस रही हम रोज करते थे और हमे उसके पैसे भी मिलते थे जगह बहोत बरी थी वहा सब कुछ मिलता था लेकिन मुझे अपनी मा भाई गुरिया की बहोत याद आती तो मेरे अंदर हिम्मत आ गई फिर मेने विजय और हमारे साथ 2 लरके और थे उन सब को बताया की मे यहा से भागने वाला हु पेहले तो सभी बहोत डर गये लेकिन उन्हें भी घर जाना था तो मान गये फिर मेने प्लान बनाया और 4 साल बाद हमे मोक्का मिला अब चारों वहा से भाग आये बस यही है कहानी

( अभय ने सच किसी को नही पताया कियुंकी अभय नही चाहता था सभी दुखी हो और वहा घिनोने राज के बारे पे पता चले )


अभय की कहानी सुन सभी इमोसनल हो जाते है

मिनिका अभय के हाथ पकर - बेटा तेरा मे कर्ज दार हो गई हु मेरा एक ही लाल था तुम नही होते तो मेरा लाल का किया होता

अभय मिनिका को देख - इसकी कोई जरूरत नही ऑन्टी ( अभय अपना गाल आगे कर) एक किस से काम चल जायेगा

मिनिका मुस्कुराते हुवे अभय के गालो पे किस करते हुवे थैंक्स बेटा

आसा अभय को घूर की देखती है तो अभय डर के मारे नजरे नीचे कर लेता है वही दिशा सब देख अंदर ही अंदर हसे जा रही थी

अभय ने झूठी कहानी बता देता कर बात खतम कर देता है

लेकिन आसा दिशा अदिति मिनिका सब को एक बात का अच्छे से एहसास था 4 साल कैद मे रेह कर सभी ने बहोत मुश्किल दुख dard झेला होगा

सभी के बीच बाते होती है 30 मिनट तक फिर मिनिका जाते हुवे अभय को देख

मिनिका - अभय बेटा मे ये मरते दम तक नही भुलुगी मेरा तेरा अगर सही सलामत है तो तेरी वजह से

मिनिका ये केह चली जाती है

आसा अभय को देख - एक मा ये कभी भूल ही नही सकती अगर किसी ने उसके बेटे को बचाया है तो
अभय आसा को देख - जानता हु मा समझ भी सकता हु

दिशा सभी को देख - बाते हो गई तो खाना भी खा लिया जाये

दिशा खाना लगा देती है फिर सभी बैठ जाते है

आसा अभय को देख - बेटा आज सब तेरे पसंद का बनाया है और इसे बनाने में बहु ने बहोत मदद की है

अभय को देख लार चुवाते हुवे - मा मुझे आप के हाथो से बने खाना को भी बहोत मिस किया है आज जी भर कर खाऊगा

आसा - मुस्कुराते हुवे हा मेरे लाल सब तेरे लिये है मेने भी बहोत मिस किया इस पल के लिये

आसा अपने हाथो से निवाला बना के अभय को खिलाते हुवे - ये ले मेरे लाल खा ले

अभय भी बरे प्यार से आ करता है बच्चो की तरह आसा भी मुस्कुराते हुवे अभय को खिला देती है

अभय खाना खाते हुवे - मा बहोत स्वादिस्ट बना है हमेसा कि तरह मजा आ गया पुराने पल याद आ गये

अदिति एक निवाला बना के अभय की तरफ कर - भाई अपनी गुरिया के हाथो से भी खा लीजिये

अभय अदिति की तरफ देख प्यार से आ करते हुवे - जरूर खाऊगा
अदिति निवाला अभय को खुशी से खिला देती है
अभय खाते हुवे अदिति को देख - वाह तुम्हारे हाथो से खाने पे खाने का स्वाद और बढ़ गया है गुरिया

अदिति खुश होते हुवे - सच्ची भाई
अभय अदिति के सर पे हाथ फेरते हुवे - सच्ची मेरी गुरिया
आसा अदिति अभय को देख मन मे - कितना प्यार है दोनों मे ऐसा हो भी कियु ना बचपन से दोनों का रिस्ता बहोत करीबी रहा है दोनों एक पल एक दूसरे के बगैर रेह नही पाते थे किसी की नजर ना लगे मेरे बच्चो को

दिशा अभय अदिति को देख - सुक्रिया उपर वाले देवर जी को वापस भेजने के लिये इस सुने घर मे फिर से रोनक आ गई ये

अभय की नजर दिशा पे जाती है अभय दिशा को देख

अभय - भाभी आप नही खिलायेगी मुझे अपने हाथो से
दिशा जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी
दिशा - जरूर खिलाऊँगी अपने प्यारे देवर जी को
दिशा एक निवाला अभय को खिला देती है
अभय खाते हुवे - भाभी सच कहु तो मा अदिति आप के हाथो से खाना खाने का मुझे अलग स्वाद मिल रहा है मा के हाथो से मा के प्यार का स्वाद गुरिया के हाथो से एक छोटी बेहन के प्यार का स्वाद आप की हाथो से एक प्यारी भाभी के प्यार का स्वाद मुझे मिल रहा है लेकिन अब मेरी बारी

अभय एक निवाला आसा को खिलता है आसा भी आखो मे खुशी के आसु लिये खा लेती है
अभय आसा की आखो मे देख - मा रोना बंद करो मुझे अच्छा नही लगता आपके आखो मे आसु देख

आसा अपने आखो से आसु साफ करते हुवे - पगले ये तो खुशी के आसु है
अभय - ठीक है फिर तो

अभय फिर अदिति को एक निवाला खिलाता है तो अदिति अभय के हाथो पे काट देती है अभय आउच करते हुवे अदिति को देख - जंगली बिल्ली कही की

अदिति अभय को देख हस्ते हुवे - हा हु जंगली बिल्ली
अभय हसने लगता है

अभय दिशा को खिलाता है दिशा भी प्यार से अभय के हाथो से खाना खा लेती है

सभी मिल कर प्यार से एक दूसरे को खाना खिलाते है खाते है खाना पीना होने के बाद सभी बैठे हुवे थे और अदिति अभय के पास

अभय अदिति को देख - गुरिया ये अमर तेरा किया है जरा अच्छे से बताओगी

अभय की बात सुन आसा दिशा अभय को देखते है तो वही अदिति नजरे नीचे करते हुवे

अदिति - भाई आप जैसा सोच रहे है वैसा कुछ नही है असल में अमर मेरे बेस्ट फ्रेंड का भाई है आप को बरे भाई को खोने की बाद मे प्यार के चक्कर मे परना तो बिल्कुल नही चाहती थी आप बरे भाई होते तो भी मे तो मा आपकी पसंद से ही सादी करुगी ये ही मेरा निर्णय था मे लरको से दूर रेहती आई हु सुरु से ही लेकिन अमर मुझसे बाते करने की कोसिस करता था दोस्त का भाई था इस लिये थोरा बहोत बाते कर लेती थी मेरे दिल मे उसके लिये प्यार था ही नही लेकिन अमर मुझसे प्यार करने लगा फिर एक दिन मुझे परपोस् किया तो मेने बना कर दिया आरोही भी मुझसे बार बार केहने लगी मे उसके भाई से सादी कर लू लेकिन मेने दोनों की नही सुनी लेकिन फिर मा ने मुझे एक दिन कहा की वो जल्दी ही मेरी सादी करवा देगी मुझे मा की चिंता थी तो मेने सोचा किसी अंजान जिसे मे जानती नही हु पता नही वो कैसा होगा यही सोच एंड मे मेने अमर को हा कर दिया बस यही बात है हमारे बीच कुछ नही हुवा है बस सिर्फ दो बार किस वो भी उपर से
वो भी मेने उसके दिल को रखने के लिये करने दिया मेने कभी उसे प्यार की नजर से देखा ही नही तो कहा से मेरे दिल मे उसके लिये प्यार होगा हा भाभी को भी मेने बात बताई थी भाभी ने भी मुझसे कहा भले ही प्यार नही लेकिन अच्छा लरका है जानती हुई तो हा कर देना चाहिये तब मेने हा करी थी

अभय दिशा को देखता है तो दिशा अभय को देख - देवर जी अदिति सही केह रही है आप को भी सायद ये पता होगा की अदिति बाकी लरकियो की तरह नही है जो प्यार के चक्कर मे परे उपर से दोनों भाई के खोने के बाद तो बिल्कुल नही लेकिन मेने कहा सासु मा भी हा कही तब अदिति ने हा करा था

अभय अदिति को बाहो मे लेके - मुझे भी हैरानी हुई थी ये जान की मेरी गुरिया किसी से प्यार करती है लेकिन आज के हमारे जनरेशन मे यही होता है लेकिन ये प्यार का चक्कर बहोत खतरनाक होता है आज के समय मे सच्चा प्यार घास मे सुई दूधने के बराबर है खैर मे आया गया हु तो अब मे सब देख लुगा

अदिति अभय को देख रोते हुवे - भाई आप मुझे बाकी लरकियो की तरह गिरी हुई लरकी तो नही समझ रहे ना जो सादी से पेहले

अभय अदिति के आसु साफ कर आखो मे देख - ना मेरी बेहना सच किया है तूने मुझे पता दिया और रही बात अगर तुम सच मे किसी के प्यार मे होती तो भी मुझे कोई दिकत नही थी प्यार को मे गलत नही सकता प्यार तो किसी को कभी भी किसी से हो सकता है मुझे भी हो सकता है दो लोगो के बीच अगर सच्चा प्यार है दोनों के बीच मर्ज़ी से सब होता है तो इसमें कोई बुरी बात नही है बस मुझे आज के प्यार से डर लगता है और लोगो से भी कियुंकी कोन कैसा है अंदर से किया पता मे ऐसे ही अपनी गुरिया को किसी के हाथो मे नही दे सकता कियुंकी गलती से भी किसी ने तेरी आखो से एक आसु भी गिराये तो कसम से मे अच्छे के साथ बहोत बुरा भी हु खैर अब मे हु ना

अदिति - अभय जी भाई
आसा अभय अदिति को देख - चलो तेरा भाई है तो मेरी टेंसन खतम हुई
दिशा हस्ते हुवे अभय को देख - सही कहा आप.ने सासु मा

अभय सब थोरी देर और बाते करने के बाद

आसा अभय को देख- ठीक है मेरे लाल आज मेरे साथ सोयेगा अपनी मा के साथ

अदिति अभय को पकर आसा को देख- मा ये गलत है मुझे भाई के साथ सोना है

आसा - तुम दोनों बच्चे नही रहे समझ गई
अदिति मुह बनाते हुवे - मुझे भाई के साथ सोना है सोना है सोना है
आसा सर पकर - ठीक है लेकिन कल आज मेरा लाल आज मेरे साथ सोयेगा ठीक है
अदिति सोचते हुवे - ठीक है चलेगा

फिर दिशा अपने कमरे मे अदिति अपने कमरे मे आसा अभयके को लेकर अपने कमरे मे आ जाती है

अभय आसा को देख - मा भाभी से कुछ बात कर के आता हु मेने उन्हें गिफ्ट देना है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे- ठीक है जा

अभय कमरे से निकल दिशा के कमरे की तरफ जाने लगता है

आसा अपने सारी निकाल नाइटी पेहन बिस्तर पे लेट जाती है और अभय का इंतज़ार करने लगती है

अभय दिशा के कमरे के आप आ जाता है

( आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏 )
 
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