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Adultery तेरे प्यार में .....

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#३

करने को कुछ था नहीं तो मैं भी वापिस मुड गया . पैदल चलते हुए बरसो बाद मैंने अपने सीने में ताज़ी हवा को महसूस किया .

“कई साल से कुछ खबर नहीं कहाँ दिन गुजरा कहाँ रात की , ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की ” सड़क किनारे उस छोटे से चाय के अड्डे पर बजते गाने ने मेरे कदमो को रोक लिया. धुंए में लिपटी चाय की महक में एक लम्हे के लिए मैं खो सा ही तो गया था .

“चाय पिला दे यार ” मैंने दूकान वाले से कहा .

“साहब , अन्दर आ जाओ . मैं किवाड़ लगा दू बाजार बंद का हुकुम है ” उसने कहा तो मैं अन्दर बैठ गया .

उसने मुझे प्याला दिया पांच बरस बाद आज मेरे होंठो ने तपते कप को छुआ था . उस घूँट की मिठास होंठो को जलाते हुए सीधा दिल में ही तो उतर ही गयी . “माई ” मेरे होंठो रुक ना सके, ना ही मेरे आंसू .

“क्या हुआ साहब चाय ठीक नहीं लगी क्या ” दूकान वाले ने पुछा.

मैंने एक घूँट भरी और जेब के तमाम पैसे उसको दे दिए.

“चाय तो बस दस रूपये की है ”बोला वो

मैं- रख ले यारा, बरसो बाद घर की याद आई है .मेरी माँ भी ऐसी ही चा बनाती थी .

इस से पहले की मैं रो ही पड़ता, मैं हाथ में प्याले को लिए बाहर आ गया.

“ना जी भर के देखा ना कुछ बात की ” बहुत देर तक मैं इस लाइन को महसूस करते रहा . सोकर उठा तो मौसम पूरा बदल चूका था , हाथ में जाम लिए मैं छत पर गया तो देखा मकानमालकिन बारिश में नहा रही थी ,भीगे बदन पर नजर जो पड़ी तो ठहर सी ही गयी.

“ये बारिशे क्यों पसंद है तुम्हे ”

“बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु ”

तभी बिजली की गरज हुई और मैं यादो के भंवर से बाहर आया तो देखा की मकानमालकिन मुझे ही देखे जा रही थी .



“कितनी बार कहा है तुमसे , मत पियो ये शराब कुछ नहीं देगी तुम्हे ये बर्बादी के सिवाय ” बोली वो

मैं- मैं नहीं पीता इसे , पर ये पीती है मुझे



“इधर दो इस गिलास को ” उसने मेरे हाथ से गिलास झटका , मैं कुछ कदम पीछे सरका. वो थोडा आगे बढ़ी .उसकी सुडौल छातिया मेरे सीने से आ लगी और अगले ही पल उसके गर्म होंठ मेरे होंठो से आकर जुड़ गए. भरी बरसात में उसके तपते होंठो का स्पर्श मेरे तन को महका गया पर अगले ही पल मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.

“ये ठीक नहीं है रत्ना ” मैंने कहा

“गलत भी तो नहीं है न , ”रत्ना ने फिर से मेरे पास आते हुए कहा

मैं- तुम नहीं समझोगी

रत्ना- यही तो बार बार मैं पूछती हूँ, क्या हुआ है तू बताता भी तो नहीं. काम पर जाता है आते ही ये जाम उठा लेता है , जिदंगी की कीमत समझ तो सही .

मैं- जिदंगी जी ही तो रहा हूँ रत्ना.

रत्ना- ऐसे नहीं जी जाती जिन्दगी. नजर उठा कर तो देख तेरे आसपास लोग है , परिवार है , यार दोस्त है बस एक तू बेगाना है . ना जाने किस बात का गम लिए बैठा है तू

बारिश बहुत तेज पड़ने लगी थी . रत्ना के गालो से टपकती बारिश की बूंदे मेरे मन में हलचल मचा रही थी , रत्ना ३८ साल की बेहद गदराई औरत थी शानदार ठोस उभार ४२ इंच की गाद्देदार गोल मटोल गांड पांच फूट की लम्बाई के सांचे में ढली बेहद ही दिलकश औरत .

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और बोली- मौसम बहुत अच्छा है करने दे मुझे मनमानी .

जानता था मानेगी नहीं अब ये , मैंने रचना को दिवार से लगाया और उसकी भीगी साडी को ऊपर उठाने लगा. उफ्फ्फ क्या ठोस जांघे थी उसकी. निचे बैठ कर मैंने उसकी कच्छी को निचे उतारा और उसके कुलहो को हाथो से फैलाते हुए अपने होंठो को उसकी दहकती हुई चूत से लगा लिया.

“उफ्फ्फ ” कांप सी गयी वो और अपनी गांड को और खोल दिया. बारिश में भीगी तपती चूत से बहता कामरस मेरे बदन में शोले भड़काने लगा था.

“अन्दर तक ले जा जीभ को ” उन्माद से भरी रत्ना बोली . मैं खुल कर उसकी चूत को पीने लगा. बहुत दिनों बाद रत्ना आज मेरे साथ सोने वाली थी . जब जब वो अपनी गांड को हिलाती मेरी नाक उसके गुदा द्वार से टकराती.

“चोद अब, रहा नहीं जा रहा अह्ह्ह्हह ” रत्ना मद्मास्त हो चुकी थी .

मैंने पेंट खोली और लंड को चिकनी चूत पर रख दिया. रत्ना अपना हाथ निचे ले गयी और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.

“उफ्फ्फ, कितना गरम है तेरा लंड ” आगे वो बोल नहीं पायी क्योंकि लंड उसकी चूत के छेद को फैलाते हुए अन्दर जा चूका था . रत्ना को चूत पर धक्के लगाते हुए मैं उसके गालो को चूमने लगा था.

“बहुत गर्म है तू ” मैंने उसके कान को दांतों से चबाते हुए कहा

रत्ना- फिर भी तू नहीं चढ़ता मुझ पर .

मैं- आज तेरी इच्छा पूरी करूँगा, आज की रात तू कभी नहीं भूलेगी.

रत्ना- मार ले मेरी चूत

कुछ देर तक रत्ना को खड़े खड़े छोड़ने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला रत्ना ने तुरंत अपने कपडे उतार दिए और फर्श पर ही घोड़ी बन गयी . उफ्फ्फ रत्ना की गांड का उभार , कसम से क्या ही कहना . चौड़े कुल्हे को थामते हुए एक बार फिर से लंड उसकी चूत की सवारी करने लगा. रत्ना अड़तीस साल की गदराई विधवा औरत अपना हाथ निचे ले जाकर मेरी गोलियों को सहलाने लगी. उसकी इसी अदा का मैं कायल था .बारिश अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी थी और हमारी चुदाई भी . रत्ना की गांड बहुत जोर से हिलने लगी थी मेरे हाथ बार बार उसकी कमर से फिसल रहे थे . बदन में तरंग चढ़ने लगी थी. तभी रत्ना की चूत ने लंड पर दबाव बना दिया रत्ना सिस्कारिया भरते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे वीर्य की बौछार उसकी चूत में गिरने लगी..................
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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#३

करने को कुछ था नहीं तो मैं भी वापिस मुड गया . पैदल चलते हुए बरसो बाद मैंने अपने सीने में ताज़ी हवा को महसूस किया .

“कई साल से कुछ खबर नहीं कहाँ दिन गुजरा कहाँ रात की , ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की ” सड़क किनारे उस छोटे से चाय के अड्डे पर बजते गाने ने मेरे कदमो को रोक लिया. धुंए में लिपटी चाय की महक में एक लम्हे के लिए मैं खो सा ही तो गया था .

“चाय पिला दे यार ” मैंने दूकान वाले से कहा .

“साहब , अन्दर आ जाओ . मैं किवाड़ लगा दू बाजार बंद का हुकुम है ” उसने कहा तो मैं अन्दर बैठ गया .

उसने मुझे प्याला दिया पांच बरस बाद आज मेरे होंठो ने तपते कप को छुआ था . उस घूँट की मिठास होंठो को जलाते हुए सीधा दिल में ही तो उतर ही गयी . “माई ” मेरे होंठो रुक ना सके, ना ही मेरे आंसू .

“क्या हुआ साहब चाय ठीक नहीं लगी क्या ” दूकान वाले ने पुछा.

मैंने एक घूँट भरी और जेब के तमाम पैसे उसको दे दिए.

“चाय तो बस दस रूपये की है ”बोला वो

मैं- रख ले यारा, बरसो बाद घर की याद आई है .मेरी माँ भी ऐसी ही चा बनाती थी .

इस से पहले की मैं रो ही पड़ता, मैं हाथ में प्याले को लिए बाहर आ गया.

“ना जी भर के देखा ना कुछ बात की ” बहुत देर तक मैं इस लाइन को महसूस करते रहा . सोकर उठा तो मौसम पूरा बदल चूका था , हाथ में जाम लिए मैं छत पर गया तो देखा मकानमालकिन बारिश में नहा रही थी ,भीगे बदन पर नजर जो पड़ी तो ठहर सी ही गयी.

“ये बारिशे क्यों पसंद है तुम्हे ”

“बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु ”

तभी बिजली की गरज हुई और मैं यादो के भंवर से बाहर आया तो देखा की मकानमालकिन मुझे ही देखे जा रही थी .



“कितनी बार कहा है तुमसे , मत पियो ये शराब कुछ नहीं देगी तुम्हे ये बर्बादी के सिवाय ” बोली वो

मैं- मैं नहीं पीता इसे , पर ये पीती है मुझे



“इधर दो इस गिलास को ” उसने मेरे हाथ से गिलास झटका , मैं कुछ कदम पीछे सरका. वो थोडा आगे बढ़ी .उसकी सुडौल छातिया मेरे सीने से आ लगी और अगले ही पल उसके गर्म होंठ मेरे होंठो से आकर जुड़ गए. भरी बरसात में उसके तपते होंठो का स्पर्श मेरे तन को महका गया पर अगले ही पल मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.

“ये ठीक नहीं है रत्ना ” मैंने कहा

“गलत भी तो नहीं है न , ”रत्ना ने फिर से मेरे पास आते हुए कहा

मैं- तुम नहीं समझोगी

रत्ना- यही तो बार बार मैं पूछती हूँ, क्या हुआ है तू बताता भी तो नहीं. काम पर जाता है आते ही ये जाम उठा लेता है , जिदंगी की कीमत समझ तो सही .

मैं- जिदंगी जी ही तो रहा हूँ रत्ना.

रत्ना- ऐसे नहीं जी जाती जिन्दगी. नजर उठा कर तो देख तेरे आसपास लोग है , परिवार है , यार दोस्त है बस एक तू बेगाना है . ना जाने किस बात का गम लिए बैठा है तू

बारिश बहुत तेज पड़ने लगी थी . रत्ना के गालो से टपकती बारिश की बूंदे मेरे मन में हलचल मचा रही थी , रत्ना ३८ साल की बेहद गदराई औरत थी शानदार ठोस उभार ४२ इंच की गाद्देदार गोल मटोल गांड पांच फूट की लम्बाई के सांचे में ढली बेहद ही दिलकश औरत .

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और बोली- मौसम बहुत अच्छा है करने दे मुझे मनमानी .

जानता था मानेगी नहीं अब ये , मैंने रचना को दिवार से लगाया और उसकी भीगी साडी को ऊपर उठाने लगा. उफ्फ्फ क्या ठोस जांघे थी उसकी. निचे बैठ कर मैंने उसकी कच्छी को निचे उतारा और उसके कुलहो को हाथो से फैलाते हुए अपने होंठो को उसकी दहकती हुई चूत से लगा लिया.

“उफ्फ्फ ” कांप सी गयी वो और अपनी गांड को और खोल दिया. बारिश में भीगी तपती चूत से बहता कामरस मेरे बदन में शोले भड़काने लगा था.

“अन्दर तक ले जा जीभ को ” उन्माद से भरी रत्ना बोली . मैं खुल कर उसकी चूत को पीने लगा. बहुत दिनों बाद रत्ना आज मेरे साथ सोने वाली थी . जब जब वो अपनी गांड को हिलाती मेरी नाक उसके गुदा द्वार से टकराती.

“चोद अब, रहा नहीं जा रहा अह्ह्ह्हह ” रत्ना मद्मास्त हो चुकी थी .

मैंने पेंट खोली और लंड को चिकनी चूत पर रख दिया. रत्ना अपना हाथ निचे ले गयी और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.

“उफ्फ्फ, कितना गरम है तेरा लंड ” आगे वो बोल नहीं पायी क्योंकि लंड उसकी चूत के छेद को फैलाते हुए अन्दर जा चूका था . रत्ना को चूत पर धक्के लगाते हुए मैं उसके गालो को चूमने लगा था.

“बहुत गर्म है तू ” मैंने उसके कान को दांतों से चबाते हुए कहा

रत्ना- फिर भी तू नहीं चढ़ता मुझ पर .

मैं- आज तेरी इच्छा पूरी करूँगा, आज की रात तू कभी नहीं भूलेगी.

रत्ना- मार ले मेरी चूत


कुछ देर तक रत्ना को खड़े खड़े छोड़ने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला रत्ना ने तुरंत अपने कपडे उतार दिए और फर्श पर ही घोड़ी बन गयी . उफ्फ्फ रत्ना की गांड का उभार , कसम से क्या ही कहना . चौड़े कुल्हे को थामते हुए एक बार फिर से लंड उसकी चूत की सवारी करने लगा. रत्ना अड़तीस साल की गदराई विधवा औरत अपना हाथ निचे ले जाकर मेरी गोलियों को सहलाने लगी. उसकी इसी अदा का मैं कायल था .बारिश अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी थी और हमारी चुदाई भी . रत्ना की गांड बहुत जोर से हिलने लगी थी मेरे हाथ बार बार उसकी कमर से फिसल रहे थे . बदन में तरंग चढ़ने लगी थी. तभी रत्ना की चूत ने लंड पर दबाव बना दिया रत्ना सिस्कारिया भरते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे वीर्य की बौछार उसकी चूत में गिरने लगी..................

Bahut hi gazab ki update he HalfbludPrince Fauji Bhai,

Apne hero ka atit to batao bhai, kuch flashback wala part bhi post karo..........

Keep rocking Bro
 

Ashwathama

अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः 🕸
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#1

यूँ तो बहुत राते आई गयी पर नजाने क्यों ये रात परेशान कर रही थी , बहुत बारिशे देखि थी पर आज लगता था की इस बरसात को भी किसी बात का मलाल है , कुछ गुस्सा इसके मन में भी भरा है. कोट को गले तक तो अडा लिया था पर फिर भी ठण्ड कलेजे को चीरे जा रही थी . एक निगाह मैंने काले आस्मां में डाली और उसे कोसते हुए हाथ के जाम को होंठो तक लगाया. महसूस नहीं होती थी अब इसकी कड़वाहट,सुकून बस इतना था की पी रखी है . दो घूँट और गले के निचे करके मैं आगे बढ़ा, पानी इतना बरस रहा था की मैंने छाते पर पकड़ और मजबूत कर दी. बड़ी अजीब सी बात थी आसमान बरस रहा था और ये शहर सो रहा था . मेन सड़क को पीछे छोड़ कर कालेज ग्राउंड के गेट से गुजर ही रहा था की तभी मेरे कदम रुक गए. इतनी बारिश के बावजूद भी मेरे कानो ने चीख सुनी थी . वैसे तो इस शहर में आये दिन ही कोई न कोई अपराध होते रहता था और पड़ी भी किसे थी दुसरे के फटे में टांग अड़ाने की . पव्वे की बची घूंटो को गले के निचे किया और अपने रस्ते बढ़ ही रहा था की दुबारा से मैंने वो आवाज सुनी.

“छोड़ दो मुझे , मत करो ये .” आवाज की तकलीफ कानो से होते हुए दिल तक आकर रुक गयी . दिल कहने लगा की मदद कर दे दिमाग अड़ गया की आगे चल, तेरा कोई लेना देना नहीं है . कदम बेताब थे आगे जाने को पर साले दिल को न जाने क्या हो गया था .

“मत सुन इस चूतिये दिल की मत सुन ” दिमाग लगातार इशारा कर रहा था पर फिर भी मैं ग्राउंड के गेट के अन्दर चला गया. भारी बरसात के बावजूद जलती स्टेडियम लाइट में मैंने वो देखा जो शायद नहीं देखना चाहिए था . अब किसे नहीं देखना था मुझे या फिर उन लोगो को वो सब कर रहे थे . वो चार लड़के थे कार के बोनट पर एक लड़की को नंगी किये हुए मानवता को तार तार करने की जुर्रत में लगे हुए. वो लड़की तड़प रही थी , चीख रही थी और वो चार लड़के इन्सान से जानवर बनने की तरफ बढ़ रहे थे.



“छोड़ो इस लड़की को ये ठीक नहीं है ” मैंने कार की तरफ जाते हुए कहा. एक पल को वो लड़के मुझे देख कर चौंक से गए पर जल्दी ही मुझे अहसास हो गया की ये सिर्फ मेरा वहम था .

“निकल लौड़े यहाँ से ” उनमे से एक लड़के ने मुझे देख कर कहा

मैं- हाँ, निकलते है . लड़की को छोड़ो और जाओ

“अबे साले, देख नहीं रहा क्या ,काम कर रहे है हम . भाग इधर से ” लड़के से कहा और दूसरा लड़का वापिस उस लड़की को बोनट पर लिटाने लगा.

मैं- इसकी मर्जी नहीं है तो जाने दो इसे

“रुक पहले तेरी गांड मारता हु . साला टाइम खराब कर रहा है . मौसम नहीं देख रहा हीरो बन रहा है ”लड़के ने लड़की के हाथ छोड़े और मेरी तरफ बढ़ा

“तेरा कोई लेना देना नहीं है पड़ी लकड़ी मत उठा ”दिमाग ने फिर से इशारा किया लड़के ने पास आते ही मेरे पैर पर लात मारी, मुझे उम्मीद नहीं थी घुटना जमीन से टकराया छतरी हाथ से फिसल गयी . मुझे गिरा देख वो हंसने लगे

“निकल गयी हीरो पांति अब निकल लोडे इधर से , साला न जाने किधर से आ गया मुड की माँ चोदने ” कहते हुए वो वापिस मुड़ा पर आगे बढ़ नहीं पाया. उसकी गूद्दी मेरे हाथ में थी .

“ये गलती मत कर , तू जानता भी नहीं ये कौन है ” उनमे से एक लड़के ने कहा और मारने को आगे बढ़ा और मैं जान गया था की बात अब बिगड़ ही गयी है .

“लड़की को जाने दो ,बात इसी रात खत्म हो जाएगी . तुम भी भूल जाना मैं भी याद नहीं रखूँगा ” मैंने प्रयास किया

“लड़की तो चुदेगी ही आज तेरे सामने ही चोदुंगा इसे जो बने कर ले ” लड़के ने अपनी गूद्दी मुझसे छुडाते हुए कहा

मैंने देखा दो लडको ने गाड़ी में से होकी निकाल ली थी . मैंने आसमान को देखा और अगले ही पल मैंने उस लड़के की गांड पर लात मार दी. होकी उस लड़के के हाथ से छीनी और उसके ही सर पर दे मारे .

“साले तेरी ये हिम्मत ” गुस्से से वो लड़का जो उस लड़की का रेप करना चाहता था मेरी तरफ बढ़ा मैंने उसके मुह पर मुक्का मारा पहले मुक्के में ही उसकी नाक टूट गयी चेहरे पर खून बहने लगा. तीसरे साथी के पैर पर मैंने लात मारी पास पड़ी होकी के दो तीन वार उसके पैर पर किये अब मामला दो बनाम एक का था . इस से पहले की वो अपनी नाक को संभालता मैंने उसके सर को गाडी के बोनट पर दे मारा. “आह ” चीखा वो .

“कपडे पहन ले ” मैंने उस कांपती हुई लड़की से कहा और उस लड़के के हाथ को पकड लिया .

“जिद नहीं करनी चाहिए थी तुझे, देख भारी पड़ गयी न कहना मानना चाहिए था तुझे ” मैंने उसे बोनट के सहारे पटकते हुए कहा

“तू नहीं जानता मेरा बाप कौन है ,तू नहीं जानता तूने किस से पंगा लिया है . तू नहीं जानता आगे तेरे साथ क्या होगा ” लड़के ने लम्बी सांसे लेते हुए कहा .

मैंने एक बार फिर से आसमान की तरफ देखा और बोला,”मत खेल ये खेल मेरे साथ”

“किस्मत को मानता है तू लड़के , बड़ी कुत्ती चीज होती है . पर शायद तेरी किस्मत तुझ पर मेहरबान है माफ़ी मांग इस लड़की से वादा कर की आगे कभी भी तू ऐसी नीच हरकत नहीं करेगा तो क्या पता किस्मत मेहरबान हो जाये तुझ पर ”मैंने कहा

लड़का- इस शहर की हर औरत मेरी जागीर है , जिसकी चाहे उसकी लू जिसे चाहे छोडू ये शहर हमारे नाम से कांपता है किस्मत तो तेरी रोएगी जब मेरा बाप तेरी खाल खींचेगा .

लड़के ने प्रतिकार किया और मैंने उसे मारना शुरू किया,इतना मारा की उसका चेहरा समझ नहीं आया रहा था . खून साला पानी जैसे धरती पर बह रहा था , किसी को अहमियत ही नहीं थी

“इधर आ ” डर से कांपते हुए मैंने उस चौथे लड़के को इशारा किया .

“ले जा इसे, और इसके बाप से कहना की किसी भी औरत की इज्जत कभी भी सस्ती नहीं होती, ये लड़की किसी की बेटी है बहन होगी किसी के . तेरी बहन को कोई ऐसे करे तो तू क्या करता ” मैंने कहा

“चीर देता उसे ” कांपते हुए वो बोला

“मैं भी यही करता ” मैंने कहा और उस धरती पर पड़े उस लड़के के हाथ को कंधे से उखाड़ दिया. चीख इतनी जोर की थी की आसमान तक दहल गया .

“सही किया ना ” मैंने चौथे लड़के के कंधे को थपथपाया

“इसके बाप से कहना की जिस लड़की की तरफ बुरी नजर डाली उसका एक भाई जिन्दा है इस शहर में ”

उस लड़की का हाथ पकड़ आगे बढ़ गया . डर से बुरी तरह कांप रही थी वो लड़की .

“ठीक तो है न तू ” मैंने पुछा

वो कुछ नहीं बोली बस मेरे गले लग कर रोने लगी . मैंने नजर उठा कर आसमान को देखा और उस लड़की के सर पर हाथ रख दिया..................
अन्त ही तो आरंभ है फौजी साहब, तो ये विदाई भला क्यो!


बेसबर हो बैठा है इस लेखन शैली को पढ़ने को।
शुभकामनाएं आपको आपके मुताबिक अंतिम कला के आरंभिक शुरुआत के लिए।
 

randibaaz chora

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#३

करने को कुछ था नहीं तो मैं भी वापिस मुड गया . पैदल चलते हुए बरसो बाद मैंने अपने सीने में ताज़ी हवा को महसूस किया .

“कई साल से कुछ खबर नहीं कहाँ दिन गुजरा कहाँ रात की , ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की ” सड़क किनारे उस छोटे से चाय के अड्डे पर बजते गाने ने मेरे कदमो को रोक लिया. धुंए में लिपटी चाय की महक में एक लम्हे के लिए मैं खो सा ही तो गया था .

“चाय पिला दे यार ” मैंने दूकान वाले से कहा .

“साहब , अन्दर आ जाओ . मैं किवाड़ लगा दू बाजार बंद का हुकुम है ” उसने कहा तो मैं अन्दर बैठ गया .

उसने मुझे प्याला दिया पांच बरस बाद आज मेरे होंठो ने तपते कप को छुआ था . उस घूँट की मिठास होंठो को जलाते हुए सीधा दिल में ही तो उतर ही गयी . “माई ” मेरे होंठो रुक ना सके, ना ही मेरे आंसू .

“क्या हुआ साहब चाय ठीक नहीं लगी क्या ” दूकान वाले ने पुछा.

मैंने एक घूँट भरी और जेब के तमाम पैसे उसको दे दिए.

“चाय तो बस दस रूपये की है ”बोला वो

मैं- रख ले यारा, बरसो बाद घर की याद आई है .मेरी माँ भी ऐसी ही चा बनाती थी .

इस से पहले की मैं रो ही पड़ता, मैं हाथ में प्याले को लिए बाहर आ गया.

“ना जी भर के देखा ना कुछ बात की ” बहुत देर तक मैं इस लाइन को महसूस करते रहा . सोकर उठा तो मौसम पूरा बदल चूका था , हाथ में जाम लिए मैं छत पर गया तो देखा मकानमालकिन बारिश में नहा रही थी ,भीगे बदन पर नजर जो पड़ी तो ठहर सी ही गयी.

“ये बारिशे क्यों पसंद है तुम्हे ”

“बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु ”

तभी बिजली की गरज हुई और मैं यादो के भंवर से बाहर आया तो देखा की मकानमालकिन मुझे ही देखे जा रही थी .



“कितनी बार कहा है तुमसे , मत पियो ये शराब कुछ नहीं देगी तुम्हे ये बर्बादी के सिवाय ” बोली वो

मैं- मैं नहीं पीता इसे , पर ये पीती है मुझे



“इधर दो इस गिलास को ” उसने मेरे हाथ से गिलास झटका , मैं कुछ कदम पीछे सरका. वो थोडा आगे बढ़ी .उसकी सुडौल छातिया मेरे सीने से आ लगी और अगले ही पल उसके गर्म होंठ मेरे होंठो से आकर जुड़ गए. भरी बरसात में उसके तपते होंठो का स्पर्श मेरे तन को महका गया पर अगले ही पल मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.

“ये ठीक नहीं है रत्ना ” मैंने कहा

“गलत भी तो नहीं है न , ”रत्ना ने फिर से मेरे पास आते हुए कहा

मैं- तुम नहीं समझोगी

रत्ना- यही तो बार बार मैं पूछती हूँ, क्या हुआ है तू बताता भी तो नहीं. काम पर जाता है आते ही ये जाम उठा लेता है , जिदंगी की कीमत समझ तो सही .

मैं- जिदंगी जी ही तो रहा हूँ रत्ना.

रत्ना- ऐसे नहीं जी जाती जिन्दगी. नजर उठा कर तो देख तेरे आसपास लोग है , परिवार है , यार दोस्त है बस एक तू बेगाना है . ना जाने किस बात का गम लिए बैठा है तू

बारिश बहुत तेज पड़ने लगी थी . रत्ना के गालो से टपकती बारिश की बूंदे मेरे मन में हलचल मचा रही थी , रत्ना ३८ साल की बेहद गदराई औरत थी शानदार ठोस उभार ४२ इंच की गाद्देदार गोल मटोल गांड पांच फूट की लम्बाई के सांचे में ढली बेहद ही दिलकश औरत .

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और बोली- मौसम बहुत अच्छा है करने दे मुझे मनमानी .

जानता था मानेगी नहीं अब ये , मैंने रचना को दिवार से लगाया और उसकी भीगी साडी को ऊपर उठाने लगा. उफ्फ्फ क्या ठोस जांघे थी उसकी. निचे बैठ कर मैंने उसकी कच्छी को निचे उतारा और उसके कुलहो को हाथो से फैलाते हुए अपने होंठो को उसकी दहकती हुई चूत से लगा लिया.

“उफ्फ्फ ” कांप सी गयी वो और अपनी गांड को और खोल दिया. बारिश में भीगी तपती चूत से बहता कामरस मेरे बदन में शोले भड़काने लगा था.

“अन्दर तक ले जा जीभ को ” उन्माद से भरी रत्ना बोली . मैं खुल कर उसकी चूत को पीने लगा. बहुत दिनों बाद रत्ना आज मेरे साथ सोने वाली थी . जब जब वो अपनी गांड को हिलाती मेरी नाक उसके गुदा द्वार से टकराती.

“चोद अब, रहा नहीं जा रहा अह्ह्ह्हह ” रत्ना मद्मास्त हो चुकी थी .

मैंने पेंट खोली और लंड को चिकनी चूत पर रख दिया. रत्ना अपना हाथ निचे ले गयी और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.

“उफ्फ्फ, कितना गरम है तेरा लंड ” आगे वो बोल नहीं पायी क्योंकि लंड उसकी चूत के छेद को फैलाते हुए अन्दर जा चूका था . रत्ना को चूत पर धक्के लगाते हुए मैं उसके गालो को चूमने लगा था.

“बहुत गर्म है तू ” मैंने उसके कान को दांतों से चबाते हुए कहा

रत्ना- फिर भी तू नहीं चढ़ता मुझ पर .

मैं- आज तेरी इच्छा पूरी करूँगा, आज की रात तू कभी नहीं भूलेगी.

रत्ना- मार ले मेरी चूत


कुछ देर तक रत्ना को खड़े खड़े छोड़ने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला रत्ना ने तुरंत अपने कपडे उतार दिए और फर्श पर ही घोड़ी बन गयी . उफ्फ्फ रत्ना की गांड का उभार , कसम से क्या ही कहना . चौड़े कुल्हे को थामते हुए एक बार फिर से लंड उसकी चूत की सवारी करने लगा. रत्ना अड़तीस साल की गदराई विधवा औरत अपना हाथ निचे ले जाकर मेरी गोलियों को सहलाने लगी. उसकी इसी अदा का मैं कायल था .बारिश अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी थी और हमारी चुदाई भी . रत्ना की गांड बहुत जोर से हिलने लगी थी मेरे हाथ बार बार उसकी कमर से फिसल रहे थे . बदन में तरंग चढ़ने लगी थी. तभी रत्ना की चूत ने लंड पर दबाव बना दिया रत्ना सिस्कारिया भरते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे वीर्य की बौछार उसकी चूत में गिरने लगी..................
Aa gye bhai aap apne rang me pehli chudai mubarak ho mast updates hai....
Phir se koi chutiya gunda hai jahangeer bhidant dekhne me majaa aayega best of luck............
 

Himanshu630

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बढ़िया अपडेट फौजी भाई इस अपडेट से ये तो पक्का हो गया की हीरो अपना अतीत नही भुला है बस किन्ही कारणों से वो जगह छोड़ दी है जहां का वो है

बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु
ये लाइन सीधे दिल में उतर गई भाई गजब
पगडंडी का जिक्र हुआ है तो अपनी मुहब्बत गांव में ही जवान होगी
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#1

यूँ तो बहुत राते आई गयी पर नजाने क्यों ये रात परेशान कर रही थी , बहुत बारिशे देखि थी पर आज लगता था की इस बरसात को भी किसी बात का मलाल है , कुछ गुस्सा इसके मन में भी भरा है. कोट को गले तक तो अडा लिया था पर फिर भी ठण्ड कलेजे को चीरे जा रही थी . एक निगाह मैंने काले आस्मां में डाली और उसे कोसते हुए हाथ के जाम को होंठो तक लगाया. महसूस नहीं होती थी अब इसकी कड़वाहट,सुकून बस इतना था की पी रखी है . दो घूँट और गले के निचे करके मैं आगे बढ़ा, पानी इतना बरस रहा था की मैंने छाते पर पकड़ और मजबूत कर दी. बड़ी अजीब सी बात थी आसमान बरस रहा था और ये शहर सो रहा था . मेन सड़क को पीछे छोड़ कर कालेज ग्राउंड के गेट से गुजर ही रहा था की तभी मेरे कदम रुक गए. इतनी बारिश के बावजूद भी मेरे कानो ने चीख सुनी थी . वैसे तो इस शहर में आये दिन ही कोई न कोई अपराध होते रहता था और पड़ी भी किसे थी दुसरे के फटे में टांग अड़ाने की . पव्वे की बची घूंटो को गले के निचे किया और अपने रस्ते बढ़ ही रहा था की दुबारा से मैंने वो आवाज सुनी.

“छोड़ दो मुझे , मत करो ये .” आवाज की तकलीफ कानो से होते हुए दिल तक आकर रुक गयी . दिल कहने लगा की मदद कर दे दिमाग अड़ गया की आगे चल, तेरा कोई लेना देना नहीं है . कदम बेताब थे आगे जाने को पर साले दिल को न जाने क्या हो गया था .

“मत सुन इस चूतिये दिल की मत सुन ” दिमाग लगातार इशारा कर रहा था पर फिर भी मैं ग्राउंड के गेट के अन्दर चला गया. भारी बरसात के बावजूद जलती स्टेडियम लाइट में मैंने वो देखा जो शायद नहीं देखना चाहिए था . अब किसे नहीं देखना था मुझे या फिर उन लोगो को वो सब कर रहे थे . वो चार लड़के थे कार के बोनट पर एक लड़की को नंगी किये हुए मानवता को तार तार करने की जुर्रत में लगे हुए. वो लड़की तड़प रही थी , चीख रही थी और वो चार लड़के इन्सान से जानवर बनने की तरफ बढ़ रहे थे.



“छोड़ो इस लड़की को ये ठीक नहीं है ” मैंने कार की तरफ जाते हुए कहा. एक पल को वो लड़के मुझे देख कर चौंक से गए पर जल्दी ही मुझे अहसास हो गया की ये सिर्फ मेरा वहम था .

“निकल लौड़े यहाँ से ” उनमे से एक लड़के ने मुझे देख कर कहा

मैं- हाँ, निकलते है . लड़की को छोड़ो और जाओ

“अबे साले, देख नहीं रहा क्या ,काम कर रहे है हम . भाग इधर से ” लड़के से कहा और दूसरा लड़का वापिस उस लड़की को बोनट पर लिटाने लगा.

मैं- इसकी मर्जी नहीं है तो जाने दो इसे

“रुक पहले तेरी गांड मारता हु . साला टाइम खराब कर रहा है . मौसम नहीं देख रहा हीरो बन रहा है ”लड़के ने लड़की के हाथ छोड़े और मेरी तरफ बढ़ा

“तेरा कोई लेना देना नहीं है पड़ी लकड़ी मत उठा ”दिमाग ने फिर से इशारा किया लड़के ने पास आते ही मेरे पैर पर लात मारी, मुझे उम्मीद नहीं थी घुटना जमीन से टकराया छतरी हाथ से फिसल गयी . मुझे गिरा देख वो हंसने लगे

“निकल गयी हीरो पांति अब निकल लोडे इधर से , साला न जाने किधर से आ गया मुड की माँ चोदने ” कहते हुए वो वापिस मुड़ा पर आगे बढ़ नहीं पाया. उसकी गूद्दी मेरे हाथ में थी .

“ये गलती मत कर , तू जानता भी नहीं ये कौन है ” उनमे से एक लड़के ने कहा और मारने को आगे बढ़ा और मैं जान गया था की बात अब बिगड़ ही गयी है .

“लड़की को जाने दो ,बात इसी रात खत्म हो जाएगी . तुम भी भूल जाना मैं भी याद नहीं रखूँगा ” मैंने प्रयास किया

“लड़की तो चुदेगी ही आज तेरे सामने ही चोदुंगा इसे जो बने कर ले ” लड़के ने अपनी गूद्दी मुझसे छुडाते हुए कहा

मैंने देखा दो लडको ने गाड़ी में से होकी निकाल ली थी . मैंने आसमान को देखा और अगले ही पल मैंने उस लड़के की गांड पर लात मार दी. होकी उस लड़के के हाथ से छीनी और उसके ही सर पर दे मारे .

“साले तेरी ये हिम्मत ” गुस्से से वो लड़का जो उस लड़की का रेप करना चाहता था मेरी तरफ बढ़ा मैंने उसके मुह पर मुक्का मारा पहले मुक्के में ही उसकी नाक टूट गयी चेहरे पर खून बहने लगा. तीसरे साथी के पैर पर मैंने लात मारी पास पड़ी होकी के दो तीन वार उसके पैर पर किये अब मामला दो बनाम एक का था . इस से पहले की वो अपनी नाक को संभालता मैंने उसके सर को गाडी के बोनट पर दे मारा. “आह ” चीखा वो .

“कपडे पहन ले ” मैंने उस कांपती हुई लड़की से कहा और उस लड़के के हाथ को पकड लिया .

“जिद नहीं करनी चाहिए थी तुझे, देख भारी पड़ गयी न कहना मानना चाहिए था तुझे ” मैंने उसे बोनट के सहारे पटकते हुए कहा

“तू नहीं जानता मेरा बाप कौन है ,तू नहीं जानता तूने किस से पंगा लिया है . तू नहीं जानता आगे तेरे साथ क्या होगा ” लड़के ने लम्बी सांसे लेते हुए कहा .

मैंने एक बार फिर से आसमान की तरफ देखा और बोला,”मत खेल ये खेल मेरे साथ”

“किस्मत को मानता है तू लड़के , बड़ी कुत्ती चीज होती है . पर शायद तेरी किस्मत तुझ पर मेहरबान है माफ़ी मांग इस लड़की से वादा कर की आगे कभी भी तू ऐसी नीच हरकत नहीं करेगा तो क्या पता किस्मत मेहरबान हो जाये तुझ पर ”मैंने कहा

लड़का- इस शहर की हर औरत मेरी जागीर है , जिसकी चाहे उसकी लू जिसे चाहे छोडू ये शहर हमारे नाम से कांपता है किस्मत तो तेरी रोएगी जब मेरा बाप तेरी खाल खींचेगा .

लड़के ने प्रतिकार किया और मैंने उसे मारना शुरू किया,इतना मारा की उसका चेहरा समझ नहीं आया रहा था . खून साला पानी जैसे धरती पर बह रहा था , किसी को अहमियत ही नहीं थी

“इधर आ ” डर से कांपते हुए मैंने उस चौथे लड़के को इशारा किया .

“ले जा इसे, और इसके बाप से कहना की किसी भी औरत की इज्जत कभी भी सस्ती नहीं होती, ये लड़की किसी की बेटी है बहन होगी किसी के . तेरी बहन को कोई ऐसे करे तो तू क्या करता ” मैंने कहा

“चीर देता उसे ” कांपते हुए वो बोला

“मैं भी यही करता ” मैंने कहा और उस धरती पर पड़े उस लड़के के हाथ को कंधे से उखाड़ दिया. चीख इतनी जोर की थी की आसमान तक दहल गया .

“सही किया ना ” मैंने चौथे लड़के के कंधे को थपथपाया

“इसके बाप से कहना की जिस लड़की की तरफ बुरी नजर डाली उसका एक भाई जिन्दा है इस शहर में ”

उस लड़की का हाथ पकड़ आगे बढ़ गया . डर से बुरी तरह कांप रही थी वो लड़की .

“ठीक तो है न तू ” मैंने पुछा

वो कुछ नहीं बोली बस मेरे गले लग कर रोने लगी . मैंने नजर उठा कर आसमान को देखा और उस लड़की के सर पर हाथ रख दिया..................
Waah Manish bhai, wahi lekhni, wahi chir parichit andaaj. Kaafi din baad dekh kar maja aaya. :claps: :claps:
Hero ka naam to bata dete😁
Dhua dhaar suruwaat👌🏻👌🏻
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#४

बिना परवाह किये की निचे से नंगा हु मैंने बचे हुए जाम को उठाया और मुंडेर पर खड़ा होकर बारिश को देखने लगा.

“याद आती है न तुम्हे उसकी ” रत्ना ने मेरे पास आकर कहा

मैं- मुझे किसी की याद नहीं आती

रत्ना- मुझसे तो झूठ बोल सकता है पर अपने आप से नहीं , कितनी ही रातो को रोते हुए देखा है तुझे, चीखता तू है बेबसी मैं महसूस करती हु. सयाने कह गए की कहने से दिल का बोझ हल्का हो जाता है

मैं- ऐसा कुछ भी नहीं है रत्ना

रत्ना थोड़ी देर बाद निचे चली गयी मैं रह गया , बस मैं रह गया मन तो साला दूर कही खेतो में घूम रहा था . रात को फिर से रत्ना मेरे साथ थी, कहने को मकानमालिकिन थी पर उसने इस शहर में बहुत मदद की थी मेरी, बदले में कभी कुछ नहीं माँगा .अगले दिन मैं कालेज के पास से गुजर रहा था की ग्राउंड के पास भीड़ देख कर रुक गया. बीस तीस गाडिया तो होंगी ही जिन्होंने रास्ता रोक रखा था उत्सुकतावश मैं भी ग्राउंड में पहुँच गया.वहां पर मैंने पहली बार जहाँगीर लाला को देखा. गंजा सर , पचपन-साठ की उम्र चेहरे पर घहरी दाढ़ी बेहद ही महंगे कपडे पहने वो बीचोबीच खड़ा था और उसके साथ जोनी बाबा का वो ही दोस्त था जिसे मैंने जाने दिया था .

मुझे उम्मीद थी की ये सब होगा पर इतनी जल्दी ये नहीं . खास परवाह तो नहीं थी मुझे पर मैंने महसूस किया की वो लड़की इसी कालेज की है जोनी के दोस्त ने उसे पहचान लिया तो बात बहुत बढ़ जाएगी.

“जिसने भी जोनी पर हाथ उठाया उसका अंजाम पूरा शहर देखेगा ”जहाँगीर लाला के शब्द बहुत देर तक मेरे जेहन में थे. खैर, मैं कालेज के अन्दर गया और उसी लड़की को तलाशने लगा. पर वो नहीं मिली. शायद नहीं आई होगी कालेज में . सेठ ने मुझे घर पर बुलाया था वहां पहुंचा तो पहले से कुछ मावली लोग मोजूद थे .सेठ मुझे अन्दर ले गया .

सेठ- बेटे बड़ी मुसीबत में फंस गया हु . करार एक हफ्ते का हुआ था और ये लोग आज ही आ गए .

“मैं देखता हु बात करके ” मैंने कहा और बैठक में आ गया.

“किस चीज के पैसे मांगने आये हो तुम लोग ” मैंने कहा

“तू कौन बे शाने , ” उनमे से एक ने पान की पीक कालीन पर थूकते हुए कहा

मैं- पैसे नहीं मिलेंगे

“क्या बोला रे , जानता है न किसको मना कर रहा है ” उसने फिर से पीक थूकी

मैंने उसके कान पर एक थप्पड़ दे मारा और बोला- अब ठीक से सुनेगा तुझे . पैसे नहीं मिलेंगे .

“तेरी तो साले ” अगले ही पल मारपीट शरू हो गयी . मैंने दो लोगो को घसीट कर सीढियों से निचे की तरफ फेंका और पान वाले को बेल्ट से मारते हुए गली में ले आया.

“बहनचोद तेरा बाप छोड़ के गया था पैसे जो मन में आये तब आ जाते हो मांगने. ” जब तक बेल्ट टूट नहीं गयी तब तक मैंने रेल बनाई उन लोगो को

“तू गया साले , महंगा पड़ेगा तू रुक इधर ही ” जाते जाते वो धमकी देता गया .

सेठ की शकल मरे हुए चूहे जैसी हो गयी थी , आनन फानन में सेठ अपने परिवार को लेकर भाग गया. मैने सोचा बहनचोद इन चुतियो का क्या ही भला करना. शहर में किसी ने इतनी जुर्रत नहीं की थी की ऐसे लाला के आदमियों को कुत्ते की तरह सड़क पर पीटा गया हो. दूसरा लाला के पोते का हाथ उखाड़ दिया गया था . पता नहीं किस खुमार में मैं उस दुश्मनी की तरफ बढ़ रहा था जिसका अंजाम क्या ही हो.

घर आकर नलके पर हाथ मुह धो ही रहा था की रत्ना आ गयी . अस्त व्यस्त कपड़ो को देख कर बोली- क्या करके आया तू

मैं- जहाँगीर लाला के आदमियों को पीट कर

रत्ना के चेहरे की रौनक तुरंत ही गायब हो गयी,मुर्दानगी ही तो छा गयी. वो तुरंत अन्दर गयी और एक बैग और कुछ पैसे लेकर आई-“तू निकल, अभी के अभी शहर छोड़ दे ये , बाबा रे बाबा क्या करके आया है तू ये ”

मैं- वो जो मेरे से पहले किसी को तो कर ही देना चाहिए था

रत्ना- येडा है तू ये तो जानती थी पर इतना होगा आज जान लिया. मरने से बचना है तो चला जा यहाँ से कही दूर.

मैं-गलत को गलत कहना गलत तो नहीं

रत्ना- ये बाते फ़िल्मी रे, तू कोई हीरो नहीं न जिन्दगी फिलम . क्या जाने क्या होगा रे. पुलिस तक लाला के पैर छूती

मैं- तू मत घबरा

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ा और अन्दर ले आई

“ये देख मेरा मर्द , कभी तुझे बताया नहीं कैसे मरा ये . पुलिस में था ये . इसको भी तेरे जैसे समाज का भला करने का कीड़ा था . एक दिन मारा गया . सबको मालूम किसने मारा पर कुछ हुआ नहीं . ये मुर्दों का शाहर है , यहाँ ये सब ऐसे ही जीते है . तू मत कर रे किसी का भला मत कर ” रत्ना भावुक हो गयी. मैंने रत्ना को उस रात की पूरी बात बताई की क्या हुआ था .

“मैं फिर भी यही कहूँगी की तू वापिस लौट जा लड़ाई में कोई गारंटी नहीं की जीत अपनी ही हो खासकर जब दुश्मन भी ऐसा चुना तूने. ” रत्ना बोली और मेरे पास उसकी बात का जवाब नहीं था .

“तेरे पास जवाब क्यों नहीं मेरी बात का ”

“तू ही बता क्या करूँ मैं नहीं है मुझमे इतनी हिम्मत की ये सब झेल सकू ”

अतीत की बाते एक बार फिर से मेरे मन में आने लगी . यादो को झटक पाता उस से पहले ही घर के बाहर एक जीप आकर रुकी .......................
 

Himanshu630

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#४

बिना परवाह किये की निचे से नंगा हु मैंने बचे हुए जाम को उठाया और मुंडेर पर खड़ा होकर बारिश को देखने लगा.

“याद आती है न तुम्हे उसकी ” रत्ना ने मेरे पास आकर कहा

मैं- मुझे किसी की याद नहीं आती

रत्ना- मुझसे तो झूठ बोल सकता है पर अपने आप से नहीं , कितनी ही रातो को रोते हुए देखा है तुझे, चीखता तू है बेबसी मैं महसूस करती हु. सयाने कह गए की कहने से दिल का बोझ हल्का हो जाता है

मैं- ऐसा कुछ भी नहीं है रत्ना

रत्ना थोड़ी देर बाद निचे चली गयी मैं रह गया , बस मैं रह गया मन तो साला दूर कही खेतो में घूम रहा था . रात को फिर से रत्ना मेरे साथ थी, कहने को मकानमालिकिन थी पर उसने इस शहर में बहुत मदद की थी मेरी, बदले में कभी कुछ नहीं माँगा .अगले दिन मैं कालेज के पास से गुजर रहा था की ग्राउंड के पास भीड़ देख कर रुक गया. बीस तीस गाडिया तो होंगी ही जिन्होंने रास्ता रोक रखा था उत्सुकतावश मैं भी ग्राउंड में पहुँच गया.वहां पर मैंने पहली बार जहाँगीर लाला को देखा. गंजा सर , पचपन-साठ की उम्र चेहरे पर घहरी दाढ़ी बेहद ही महंगे कपडे पहने वो बीचोबीच खड़ा था और उसके साथ जोनी बाबा का वो ही दोस्त था जिसे मैंने जाने दिया था .

मुझे उम्मीद थी की ये सब होगा पर इतनी जल्दी ये नहीं . खास परवाह तो नहीं थी मुझे पर मैंने महसूस किया की वो लड़की इसी कालेज की है जोनी के दोस्त ने उसे पहचान लिया तो बात बहुत बढ़ जाएगी.

“जिसने भी जोनी पर हाथ उठाया उसका अंजाम पूरा शहर देखेगा ”जहाँगीर लाला के शब्द बहुत देर तक मेरे जेहन में थे. खैर, मैं कालेज के अन्दर गया और उसी लड़की को तलाशने लगा. पर वो नहीं मिली. शायद नहीं आई होगी कालेज में . सेठ ने मुझे घर पर बुलाया था वहां पहुंचा तो पहले से कुछ मावली लोग मोजूद थे .सेठ मुझे अन्दर ले गया .

सेठ- बेटे बड़ी मुसीबत में फंस गया हु . करार एक हफ्ते का हुआ था और ये लोग आज ही आ गए .

“मैं देखता हु बात करके ” मैंने कहा और बैठक में आ गया.

“किस चीज के पैसे मांगने आये हो तुम लोग ” मैंने कहा

“तू कौन बे शाने , ” उनमे से एक ने पान की पीक कालीन पर थूकते हुए कहा

मैं- पैसे नहीं मिलेंगे

“क्या बोला रे , जानता है न किसको मना कर रहा है ” उसने फिर से पीक थूकी

मैंने उसके कान पर एक थप्पड़ दे मारा और बोला- अब ठीक से सुनेगा तुझे . पैसे नहीं मिलेंगे .

“तेरी तो साले ” अगले ही पल मारपीट शरू हो गयी . मैंने दो लोगो को घसीट कर सीढियों से निचे की तरफ फेंका और पान वाले को बेल्ट से मारते हुए गली में ले आया.

“बहनचोद तेरा बाप छोड़ के गया था पैसे जो मन में आये तब आ जाते हो मांगने. ” जब तक बेल्ट टूट नहीं गयी तब तक मैंने रेल बनाई उन लोगो को

“तू गया साले , महंगा पड़ेगा तू रुक इधर ही ” जाते जाते वो धमकी देता गया .

सेठ की शकल मरे हुए चूहे जैसी हो गयी थी , आनन फानन में सेठ अपने परिवार को लेकर भाग गया. मैने सोचा बहनचोद इन चुतियो का क्या ही भला करना. शहर में किसी ने इतनी जुर्रत नहीं की थी की ऐसे लाला के आदमियों को कुत्ते की तरह सड़क पर पीटा गया हो. दूसरा लाला के पोते का हाथ उखाड़ दिया गया था . पता नहीं किस खुमार में मैं उस दुश्मनी की तरफ बढ़ रहा था जिसका अंजाम क्या ही हो.

घर आकर नलके पर हाथ मुह धो ही रहा था की रत्ना आ गयी . अस्त व्यस्त कपड़ो को देख कर बोली- क्या करके आया तू

मैं- जहाँगीर लाला के आदमियों को पीट कर

रत्ना के चेहरे की रौनक तुरंत ही गायब हो गयी,मुर्दानगी ही तो छा गयी. वो तुरंत अन्दर गयी और एक बैग और कुछ पैसे लेकर आई-“तू निकल, अभी के अभी शहर छोड़ दे ये , बाबा रे बाबा क्या करके आया है तू ये ”

मैं- वो जो मेरे से पहले किसी को तो कर ही देना चाहिए था

रत्ना- येडा है तू ये तो जानती थी पर इतना होगा आज जान लिया. मरने से बचना है तो चला जा यहाँ से कही दूर.

मैं-गलत को गलत कहना गलत तो नहीं

रत्ना- ये बाते फ़िल्मी रे, तू कोई हीरो नहीं न जिन्दगी फिलम . क्या जाने क्या होगा रे. पुलिस तक लाला के पैर छूती

मैं- तू मत घबरा

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ा और अन्दर ले आई

“ये देख मेरा मर्द , कभी तुझे बताया नहीं कैसे मरा ये . पुलिस में था ये . इसको भी तेरे जैसे समाज का भला करने का कीड़ा था . एक दिन मारा गया . सबको मालूम किसने मारा पर कुछ हुआ नहीं . ये मुर्दों का शाहर है , यहाँ ये सब ऐसे ही जीते है . तू मत कर रे किसी का भला मत कर ” रत्ना भावुक हो गयी. मैंने रत्ना को उस रात की पूरी बात बताई की क्या हुआ था .

“मैं फिर भी यही कहूँगी की तू वापिस लौट जा लड़ाई में कोई गारंटी नहीं की जीत अपनी ही हो खासकर जब दुश्मन भी ऐसा चुना तूने. ” रत्ना बोली और मेरे पास उसकी बात का जवाब नहीं था .

“तेरे पास जवाब क्यों नहीं मेरी बात का ”

“तू ही बता क्या करूँ मैं नहीं है मुझमे इतनी हिम्मत की ये सब झेल सकू ”


अतीत की बाते एक बार फिर से मेरे मन में आने लगी . यादो को झटक पाता उस से पहले ही घर के बाहर एक जीप आकर रुकी .......................
गजब भाई

इस बार तो शुरू से ही एक्शन ही एक्शन दिखाए जा रहे हो

ऐसा लग रहा है जैसे रत्ना सबकुछ जानती है अतीत के बारे में

बाहर जीप में कौन आ गया लाला का कोई आदमी या पुलिस
 
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