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Adultery तेरे प्यार में .....

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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259
नींद छीन लेते हैं जो अफसाने उन्हें कैसे भुलाओगे,
दामन थामे बैठे हैं जो दीवाने उन्हें कैसे छुड़ाओगे।
कभी तन्हाइयों में सोचोगे कभी गुनगुनाओगे,
हमारी यादों के समन्दर से क्या बचकर भाग पाओगे।।


जब जहां चलना हो, दोनों भाई साथ जाएंगे, अकेले भागने की कोशिश मत करना :nana:
इस कहानी का आखिरी किस्सा हूं मैं
 

kas1709

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#२

“कैसे हत्थे चढ़ी इनके ” पुछा मैंने

लड़की- कालेज का वार्षिक उत्सव था , प्रोग्राम देर तक चला उसी में लेट हो गयी बारिश की वजह से कोई ऑटो नहीं मिला , उधेड़बुन में थी की क्या करू तभी ये लोग आ गए और फिर .......

मैं- ये तुझे जानते है क्या

लड़की-शायद उनमे से एक इसी कालेज में पढता है . बाकी उसके दोस्त थे

मैं- हम्म, फिर तो परेशानी वाली बात खैर, तुझे घर छोड़ देता हूँ .कहाँ है घर तेरा

लड़की- इस हालत में घर तो नहीं जा पाऊँगी कपडे फटे है , वहां और तमाशा होगा.

मैं- बाज़ार भी बंद है , घर जाना ही सुरक्षित होगा.पर बात तेरी भी ठीक है फिलहाल ये पहन ले

मैंने अपना कोट उतार कर उसे दिया और हम लोग मेन सड़क पर आ गए. मुझे लड़की की बड़ी ही फ़िक्र हो गयी थी .

लड़की- मेरी वजह से आपको भी परेशानी हो गयी

मैं- वो बात नहीं है , लड़का तेरे ही कालेज का है तो तुझे पहचान लेगा , कुछ दिन के लिए तू घर पर ही रहना . मैं देखता हु तेरी सुरक्षा के लिए क्या कुछ हो सकता है वैसे तू चाहे तो पुलिस में शिकायत दे सकती है .

लड़की- घर नहीं जा पा रही शिकायत तो दूर की बात है और फिर घरवाले तो मुझे ही उल्टा समझेंगे .

सड़क पर चलते हुए मुझे एक दूकान दिखी लेडिज कपड़ो की मैंने उसका ताला तोडा और शटर खोल दिया.

“देख ले अपने लिए कुछ ” कहा तो वो झिझकते हुए अन्दर पहुची और जल्दी ही एक सूट पहन आई. बारिश की वजह से कोई टैक्सी-ऑटो भी नहीं मिल रहा था और रात थी की ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

“मेरा घर थोड़ी ही दूर है अगर तुझे दिक्कत ना हो तो तू वहां रुक जा सुबह ऑटो मिलेंगे ही ” मैंने झिझकते हुए कहा

उसने हाँ में सर हिलाया और हम लोग मेरे घर आ गए. ताला खोल कर हम अन्दर आये. कहने को तो घर था पर ये चारदीवारिया थी और मैं था. मैंने उसे सोने को कहा और एक जाम बना कर बाहर सीढियों पर बैठ गया. टपकती बूंदों को देखते हुए एक पल को मैं कहीं खो सा गया था की किसी ने मुझे झकझोर दिया. देखा तो पाया की सुबह हो चुकी थी , वो लड़की हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी .

“चाय ” उसने मुझे कप दिया . रात की बात समझ आई तो अन्दर आया , उसने घर की सलीके से सजा दिया था हर सामान कायदे से रखा था .

“सोचा आप जब तक उठेंगे तब तक मैं सफाई ही कर लेती हु ” उसने कहा

मैं- अब तक तुम्हे चली जाना चाहिए था .

लड़की- बिन बताये चली जाती तो फिर नजरे ना उठा पाती जिस सख्स ने कल मेरी लाज बचाई उसका नाम तो जानने का हक़ है मेरा.

मैं- अब तो मुझे भी याद नहीं की क्या नाम है मेरा. इस बस्ती में बुजुर्ग बेटा कह देते है बच्चे चाचा कह देते है तुम्हे जो ठीक लगे तुम भी पुकार लेना

“मैं तो भाई ही कहूँगी ” उसने कहा

मैं मुस्कुरा दिया. बेशक वो चली गयी थी पर दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी . बहुत दिनों बाद खुद को आईने में देखा बढ़ी हुई दाढ़ी बिखरे हुए सर के बाल. पता नहीं क्यों पर अब लगने लगा था की इस शहर की आबोहवा ही साली चुतिया थी . सोचा तो था की इस शहर में जी लूँगा पर यहाँ आकर भी चैन नहीं मिला. काम पर जाते समय मेरी नजर कालेज ग्राउंड के गेट पर पड़ी, नीली ड्रेस में बैठा चोकीदार बीडी पी रहा था .. मैं उसके पास गया.

“तू इधर का चोकीदार है क्या ” मैंने पुछा

“तेरे को और क्या लगता मैं ” उसने दांत दिखाते हुए कहा . और अगले ही पल थप्पड़ उसके झुर्रियो भरे गाल को लाल कर गया.

“बहन के लंड फिर रात को कहाँ तेरी माँ चुदवा रहा था .” मैंने एक थप्पड़ और मारा उसको. दो मिनट तो उसको समझ ही नहीं आया उसको कुछ और फिर वो रो पड़ा.

“मैं मजबूर था साहब , जोनी बाबा की बात नहीं मानता तो मेरी नौकरी जाती, नौकरी क्या जान भी जाती पुरे शहर में कोई भी नहीं बात टालता उसकी ” चोकीदार ने मरी हुई आवाज में कहा.

चोकीदार की बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, आखिर कौन था ये जोनी और कल वो कह भी रहा था की उसका बाप बहुत बड़ी चीज है.

मैं- इसका मतलब वो जोनी पहले भी बहुत बार लड़की/औरतो को इधर ही लाके उनके साथ गलत काम कर चूका है.

चोकीदार- कालेज जोनी के बाप का ही है, जो चाहे करे कौन रोकेगा. लडकिया तो लडकिया मैडम लोगो तक के साथ मनमानी करते रहता है वो . पर साहब आप क्यों पूछ रहे हो ये सब , पुलिस वाले तो ....... नहीं पुलिस वाले तो सलाम ठोकते उन लोगो को आप कौन हो साहब.

चोकीदार की बात ने मुझे गहरी सोच में डाल दिया था . इसका मतलब ये था की जोनी इसी ग्राउंड में बहुत बार रेप जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका था .

“जान जायेगा, तू जान जायेगा .पर एक बात बता तेरी लड़की भी तो स्टूडेंट होगी ना अगर कोई उसके साथ रेप करने की कोशिश करेगा तब भी तू क्या देखता ही रहेगा ” मैंने सवाल किया पर उसने नज़र झुका ली कहने को था ही क्या . आदमी साला मुर्दा तब होता है जब वो मर जाए पर ये तो साला जिन्दा मुर्दों का सहर था . वहां से चल तो पड़ा था पर सोच में बस जोनी ही बसा था, कल रात जो घटना हुई थी , वो नहीं होनी चाहिए थी . न जोनी के लिए न उस लड़की के लिए.



खैर, मैं अपने धंधे बढ़ गया , दूकान पहुंचा तो पाया की सेठ ऐसे बैठा था की जैसे कोई मौत हो गयी हो. इतना परेशान मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था .

“सेठ जी , क्या बात है कुछ परेशां से दिखते हो ” मैंने पूछ ही लिया.

सेठ- बेटा, क्या बताऊ.अजीब सी स्तिथि आन पड़ी है तुझे तो मालूम है ही की कुछ दिनों बाद चुनाव होने वाले है .

मैं- अपना क्या लेना देना वोटो से

सेठ-चुनाव की तो ख़ास चिंता नहीं है पार्टियों के फंड में पैसे देने है पर मेरी असल चिंता का कारण कुछ और है

मैं- भरोसा करते हो तो बता सकते हो सेठ जी

सेठ- पिछले कुछ दिनों से मैं परेशानी में हु, कुछ लोग मुझसे हफ्ते के नाम पर वसूली कर रहे है. धंधा करना है तो ये सब झेलना ही होता है पर अचानक से वो लोग ५ करोड़ रूपये की मांग करने लगे है. कहते है की जहाँगीर लाला के आदमी है.

मैं- जहाँगीर लाला ये कौन हुआ भला.

सेठ – तू उसे नहीं जानता, शहर का बाप है . सरकार उसके इशारे पर बनती और गिरती है. कल उसके गुर्गे का फ़ोन आया था की या तो पांच करोड़ और दो वर्ना वो सेठानी को ले जायेगा

सेठ जैसे रोने को ही था. और मैं हैरान की पांच साल बीतने के बाद भी मैंने शहर में ये नाम क्यों नहीं सुना था .

मैं- आज पांच करोड़ दोगे कल दस मांगेगा फिर बीस

सेठ- दो करोड़ तो मैं पहले ही दे चूका हूँ

मैं- ये तो गलत है पुलिस की मदद लेनी चाहिए

सेठ- dsp के पास गया था , उसने जो बात कही मेरे तो घुटने जवाब दे गए.

मैं- ऐसा क्या कह दिया .

सेठ- उसकी लुगाई एक हफ्ते से जहाँगीर लाला के बेटे के पास गिरवी पड़ी थी . ..................... सेठ की दूकान नहीं होती तो मैं थूक देता हिकारत से . बहनचोद क्या ही नंगा नाच हो रहा था इस शहर में .

मैं- सेठ जी , पैसे दे दो

सेठ- हो तो दू, तुझे तो मालूम ही है बेटी भाग गयी थी उसकी शादी जैसे तैसे करवाई . नाम का ही सेठ रह गया हूँ ये कुरता नया है अन्दर बनियान फटी पड़ी है. करू तो क्या करू

मैं- सेठानी को कुछ समय के लिए गाँव भेज दो . क्या मालूम इलेक्शन के बाद सरकार बदल जाये तो इन गुंडों पर लगाम लगे .

सेठ- बात तो सही कही है तूने , विचार करता हूँ.


हम बात कर ही रहे थे की अचानक से गुंडों की जिप्सिया एक के बाद एक बाजार में आती चली गयी और बाजार बंद करवाने लगी. जल्दी ही बाजार में खबर फ़ैल गयी की जहाँगीर लाला के पोते जोनी को कल किसी ने बुरी तरह से मारा और उसका हाथ उखाड़ दिया. ना जाने क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी. ..................
Nice update.....
 

HalfbludPrince

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नींद छीन लेते हैं जो अफसाने उन्हें कैसे भुलाओगे,
दामन थामे बैठे हैं जो दीवाने उन्हें कैसे छुड़ाओगे।
कभी तन्हाइयों में सोचोगे कभी गुनगुनाओगे,
हमारी यादों के समन्दर से क्या बचकर भाग पाओगे।।


जब जहां चलना हो, दोनों भाई साथ जाएंगे, अकेले भागने की कोशिश मत करना :nana:
इस कहानी का आखिरी किस्सा हूं मैं
बहुत ही उम्दा और बेहतरीन शुरुआत है भाई ! नई कहानी के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ भाई !! 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
Thanks bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Congratulations फौजी भाई एक नई महागाथा के लिए

लगता है इस बार आपने गांव की गलियां छोड़कर शहर में आने का इरादा कर लिया है

पहला अपडेट हमेशा की तरह एकदम जबरदस्त
गाँव का साथ छूट जाए ये तो हो ही नहीं सकता
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#३

करने को कुछ था नहीं तो मैं भी वापिस मुड गया . पैदल चलते हुए बरसो बाद मैंने अपने सीने में ताज़ी हवा को महसूस किया .

“कई साल से कुछ खबर नहीं कहाँ दिन गुजरा कहाँ रात की , ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की ” सड़क किनारे उस छोटे से चाय के अड्डे पर बजते गाने ने मेरे कदमो को रोक लिया. धुंए में लिपटी चाय की महक में एक लम्हे के लिए मैं खो सा ही तो गया था .

“चाय पिला दे यार ” मैंने दूकान वाले से कहा .

“साहब , अन्दर आ जाओ . मैं किवाड़ लगा दू बाजार बंद का हुकुम है ” उसने कहा तो मैं अन्दर बैठ गया .

उसने मुझे प्याला दिया पांच बरस बाद आज मेरे होंठो ने तपते कप को छुआ था . उस घूँट की मिठास होंठो को जलाते हुए सीधा दिल में ही तो उतर ही गयी . “माई ” मेरे होंठो रुक ना सके, ना ही मेरे आंसू .

“क्या हुआ साहब चाय ठीक नहीं लगी क्या ” दूकान वाले ने पुछा.

मैंने एक घूँट भरी और जेब के तमाम पैसे उसको दे दिए.

“चाय तो बस दस रूपये की है ”बोला वो

मैं- रख ले यारा, बरसो बाद घर की याद आई है .मेरी माँ भी ऐसी ही चा बनाती थी .

इस से पहले की मैं रो ही पड़ता, मैं हाथ में प्याले को लिए बाहर आ गया.

“ना जी भर के देखा ना कुछ बात की ” बहुत देर तक मैं इस लाइन को महसूस करते रहा . सोकर उठा तो मौसम पूरा बदल चूका था , हाथ में जाम लिए मैं छत पर गया तो देखा मकानमालकिन बारिश में नहा रही थी ,भीगे बदन पर नजर जो पड़ी तो ठहर सी ही गयी.

“ये बारिशे क्यों पसंद है तुम्हे ”

“बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु ”

तभी बिजली की गरज हुई और मैं यादो के भंवर से बाहर आया तो देखा की मकानमालकिन मुझे ही देखे जा रही थी .



“कितनी बार कहा है तुमसे , मत पियो ये शराब कुछ नहीं देगी तुम्हे ये बर्बादी के सिवाय ” बोली वो

मैं- मैं नहीं पीता इसे , पर ये पीती है मुझे



“इधर दो इस गिलास को ” उसने मेरे हाथ से गिलास झटका , मैं कुछ कदम पीछे सरका. वो थोडा आगे बढ़ी .उसकी सुडौल छातिया मेरे सीने से आ लगी और अगले ही पल उसके गर्म होंठ मेरे होंठो से आकर जुड़ गए. भरी बरसात में उसके तपते होंठो का स्पर्श मेरे तन को महका गया पर अगले ही पल मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.

“ये ठीक नहीं है रत्ना ” मैंने कहा

“गलत भी तो नहीं है न , ”रत्ना ने फिर से मेरे पास आते हुए कहा

मैं- तुम नहीं समझोगी

रत्ना- यही तो बार बार मैं पूछती हूँ, क्या हुआ है तू बताता भी तो नहीं. काम पर जाता है आते ही ये जाम उठा लेता है , जिदंगी की कीमत समझ तो सही .

मैं- जिदंगी जी ही तो रहा हूँ रत्ना.

रत्ना- ऐसे नहीं जी जाती जिन्दगी. नजर उठा कर तो देख तेरे आसपास लोग है , परिवार है , यार दोस्त है बस एक तू बेगाना है . ना जाने किस बात का गम लिए बैठा है तू

बारिश बहुत तेज पड़ने लगी थी . रत्ना के गालो से टपकती बारिश की बूंदे मेरे मन में हलचल मचा रही थी , रत्ना ३८ साल की बेहद गदराई औरत थी शानदार ठोस उभार ४२ इंच की गाद्देदार गोल मटोल गांड पांच फूट की लम्बाई के सांचे में ढली बेहद ही दिलकश औरत .

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और बोली- मौसम बहुत अच्छा है करने दे मुझे मनमानी .

जानता था मानेगी नहीं अब ये , मैंने रचना को दिवार से लगाया और उसकी भीगी साडी को ऊपर उठाने लगा. उफ्फ्फ क्या ठोस जांघे थी उसकी. निचे बैठ कर मैंने उसकी कच्छी को निचे उतारा और उसके कुलहो को हाथो से फैलाते हुए अपने होंठो को उसकी दहकती हुई चूत से लगा लिया.

“उफ्फ्फ ” कांप सी गयी वो और अपनी गांड को और खोल दिया. बारिश में भीगी तपती चूत से बहता कामरस मेरे बदन में शोले भड़काने लगा था.

“अन्दर तक ले जा जीभ को ” उन्माद से भरी रत्ना बोली . मैं खुल कर उसकी चूत को पीने लगा. बहुत दिनों बाद रत्ना आज मेरे साथ सोने वाली थी . जब जब वो अपनी गांड को हिलाती मेरी नाक उसके गुदा द्वार से टकराती.

“चोद अब, रहा नहीं जा रहा अह्ह्ह्हह ” रत्ना मद्मास्त हो चुकी थी .

मैंने पेंट खोली और लंड को चिकनी चूत पर रख दिया. रत्ना अपना हाथ निचे ले गयी और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.

“उफ्फ्फ, कितना गरम है तेरा लंड ” आगे वो बोल नहीं पायी क्योंकि लंड उसकी चूत के छेद को फैलाते हुए अन्दर जा चूका था . रत्ना को चूत पर धक्के लगाते हुए मैं उसके गालो को चूमने लगा था.

“बहुत गर्म है तू ” मैंने उसके कान को दांतों से चबाते हुए कहा

रत्ना- फिर भी तू नहीं चढ़ता मुझ पर .

मैं- आज तेरी इच्छा पूरी करूँगा, आज की रात तू कभी नहीं भूलेगी.

रत्ना- मार ले मेरी चूत


कुछ देर तक रत्ना को खड़े खड़े छोड़ने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला रत्ना ने तुरंत अपने कपडे उतार दिए और फर्श पर ही घोड़ी बन गयी . उफ्फ्फ रत्ना की गांड का उभार , कसम से क्या ही कहना . चौड़े कुल्हे को थामते हुए एक बार फिर से लंड उसकी चूत की सवारी करने लगा. रत्ना अड़तीस साल की गदराई विधवा औरत अपना हाथ निचे ले जाकर मेरी गोलियों को सहलाने लगी. उसकी इसी अदा का मैं कायल था .बारिश अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी थी और हमारी चुदाई भी . रत्ना की गांड बहुत जोर से हिलने लगी थी मेरे हाथ बार बार उसकी कमर से फिसल रहे थे . बदन में तरंग चढ़ने लगी थी. तभी रत्ना की चूत ने लंड पर दबाव बना दिया रत्ना सिस्कारिया भरते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे वीर्य की बौछार उसकी चूत में गिरने लगी..................
Vasna aur unmaad ke sath sath bhavnao ko bhigota hua update, gajab kar diya foji:applause::applause:
 

dhparikh

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#२

“कैसे हत्थे चढ़ी इनके ” पुछा मैंने

लड़की- कालेज का वार्षिक उत्सव था , प्रोग्राम देर तक चला उसी में लेट हो गयी बारिश की वजह से कोई ऑटो नहीं मिला , उधेड़बुन में थी की क्या करू तभी ये लोग आ गए और फिर .......

मैं- ये तुझे जानते है क्या

लड़की-शायद उनमे से एक इसी कालेज में पढता है . बाकी उसके दोस्त थे

मैं- हम्म, फिर तो परेशानी वाली बात खैर, तुझे घर छोड़ देता हूँ .कहाँ है घर तेरा

लड़की- इस हालत में घर तो नहीं जा पाऊँगी कपडे फटे है , वहां और तमाशा होगा.

मैं- बाज़ार भी बंद है , घर जाना ही सुरक्षित होगा.पर बात तेरी भी ठीक है फिलहाल ये पहन ले

मैंने अपना कोट उतार कर उसे दिया और हम लोग मेन सड़क पर आ गए. मुझे लड़की की बड़ी ही फ़िक्र हो गयी थी .

लड़की- मेरी वजह से आपको भी परेशानी हो गयी

मैं- वो बात नहीं है , लड़का तेरे ही कालेज का है तो तुझे पहचान लेगा , कुछ दिन के लिए तू घर पर ही रहना . मैं देखता हु तेरी सुरक्षा के लिए क्या कुछ हो सकता है वैसे तू चाहे तो पुलिस में शिकायत दे सकती है .

लड़की- घर नहीं जा पा रही शिकायत तो दूर की बात है और फिर घरवाले तो मुझे ही उल्टा समझेंगे .

सड़क पर चलते हुए मुझे एक दूकान दिखी लेडिज कपड़ो की मैंने उसका ताला तोडा और शटर खोल दिया.

“देख ले अपने लिए कुछ ” कहा तो वो झिझकते हुए अन्दर पहुची और जल्दी ही एक सूट पहन आई. बारिश की वजह से कोई टैक्सी-ऑटो भी नहीं मिल रहा था और रात थी की ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

“मेरा घर थोड़ी ही दूर है अगर तुझे दिक्कत ना हो तो तू वहां रुक जा सुबह ऑटो मिलेंगे ही ” मैंने झिझकते हुए कहा

उसने हाँ में सर हिलाया और हम लोग मेरे घर आ गए. ताला खोल कर हम अन्दर आये. कहने को तो घर था पर ये चारदीवारिया थी और मैं था. मैंने उसे सोने को कहा और एक जाम बना कर बाहर सीढियों पर बैठ गया. टपकती बूंदों को देखते हुए एक पल को मैं कहीं खो सा गया था की किसी ने मुझे झकझोर दिया. देखा तो पाया की सुबह हो चुकी थी , वो लड़की हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी .

“चाय ” उसने मुझे कप दिया . रात की बात समझ आई तो अन्दर आया , उसने घर की सलीके से सजा दिया था हर सामान कायदे से रखा था .

“सोचा आप जब तक उठेंगे तब तक मैं सफाई ही कर लेती हु ” उसने कहा

मैं- अब तक तुम्हे चली जाना चाहिए था .

लड़की- बिन बताये चली जाती तो फिर नजरे ना उठा पाती जिस सख्स ने कल मेरी लाज बचाई उसका नाम तो जानने का हक़ है मेरा.

मैं- अब तो मुझे भी याद नहीं की क्या नाम है मेरा. इस बस्ती में बुजुर्ग बेटा कह देते है बच्चे चाचा कह देते है तुम्हे जो ठीक लगे तुम भी पुकार लेना

“मैं तो भाई ही कहूँगी ” उसने कहा

मैं मुस्कुरा दिया. बेशक वो चली गयी थी पर दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी . बहुत दिनों बाद खुद को आईने में देखा बढ़ी हुई दाढ़ी बिखरे हुए सर के बाल. पता नहीं क्यों पर अब लगने लगा था की इस शहर की आबोहवा ही साली चुतिया थी . सोचा तो था की इस शहर में जी लूँगा पर यहाँ आकर भी चैन नहीं मिला. काम पर जाते समय मेरी नजर कालेज ग्राउंड के गेट पर पड़ी, नीली ड्रेस में बैठा चोकीदार बीडी पी रहा था .. मैं उसके पास गया.

“तू इधर का चोकीदार है क्या ” मैंने पुछा

“तेरे को और क्या लगता मैं ” उसने दांत दिखाते हुए कहा . और अगले ही पल थप्पड़ उसके झुर्रियो भरे गाल को लाल कर गया.

“बहन के लंड फिर रात को कहाँ तेरी माँ चुदवा रहा था .” मैंने एक थप्पड़ और मारा उसको. दो मिनट तो उसको समझ ही नहीं आया उसको कुछ और फिर वो रो पड़ा.

“मैं मजबूर था साहब , जोनी बाबा की बात नहीं मानता तो मेरी नौकरी जाती, नौकरी क्या जान भी जाती पुरे शहर में कोई भी नहीं बात टालता उसकी ” चोकीदार ने मरी हुई आवाज में कहा.

चोकीदार की बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, आखिर कौन था ये जोनी और कल वो कह भी रहा था की उसका बाप बहुत बड़ी चीज है.

मैं- इसका मतलब वो जोनी पहले भी बहुत बार लड़की/औरतो को इधर ही लाके उनके साथ गलत काम कर चूका है.

चोकीदार- कालेज जोनी के बाप का ही है, जो चाहे करे कौन रोकेगा. लडकिया तो लडकिया मैडम लोगो तक के साथ मनमानी करते रहता है वो . पर साहब आप क्यों पूछ रहे हो ये सब , पुलिस वाले तो ....... नहीं पुलिस वाले तो सलाम ठोकते उन लोगो को आप कौन हो साहब.

चोकीदार की बात ने मुझे गहरी सोच में डाल दिया था . इसका मतलब ये था की जोनी इसी ग्राउंड में बहुत बार रेप जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका था .

“जान जायेगा, तू जान जायेगा .पर एक बात बता तेरी लड़की भी तो स्टूडेंट होगी ना अगर कोई उसके साथ रेप करने की कोशिश करेगा तब भी तू क्या देखता ही रहेगा ” मैंने सवाल किया पर उसने नज़र झुका ली कहने को था ही क्या . आदमी साला मुर्दा तब होता है जब वो मर जाए पर ये तो साला जिन्दा मुर्दों का सहर था . वहां से चल तो पड़ा था पर सोच में बस जोनी ही बसा था, कल रात जो घटना हुई थी , वो नहीं होनी चाहिए थी . न जोनी के लिए न उस लड़की के लिए.



खैर, मैं अपने धंधे बढ़ गया , दूकान पहुंचा तो पाया की सेठ ऐसे बैठा था की जैसे कोई मौत हो गयी हो. इतना परेशान मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था .

“सेठ जी , क्या बात है कुछ परेशां से दिखते हो ” मैंने पूछ ही लिया.

सेठ- बेटा, क्या बताऊ.अजीब सी स्तिथि आन पड़ी है तुझे तो मालूम है ही की कुछ दिनों बाद चुनाव होने वाले है .

मैं- अपना क्या लेना देना वोटो से

सेठ-चुनाव की तो ख़ास चिंता नहीं है पार्टियों के फंड में पैसे देने है पर मेरी असल चिंता का कारण कुछ और है

मैं- भरोसा करते हो तो बता सकते हो सेठ जी

सेठ- पिछले कुछ दिनों से मैं परेशानी में हु, कुछ लोग मुझसे हफ्ते के नाम पर वसूली कर रहे है. धंधा करना है तो ये सब झेलना ही होता है पर अचानक से वो लोग ५ करोड़ रूपये की मांग करने लगे है. कहते है की जहाँगीर लाला के आदमी है.

मैं- जहाँगीर लाला ये कौन हुआ भला.

सेठ – तू उसे नहीं जानता, शहर का बाप है . सरकार उसके इशारे पर बनती और गिरती है. कल उसके गुर्गे का फ़ोन आया था की या तो पांच करोड़ और दो वर्ना वो सेठानी को ले जायेगा

सेठ जैसे रोने को ही था. और मैं हैरान की पांच साल बीतने के बाद भी मैंने शहर में ये नाम क्यों नहीं सुना था .

मैं- आज पांच करोड़ दोगे कल दस मांगेगा फिर बीस

सेठ- दो करोड़ तो मैं पहले ही दे चूका हूँ

मैं- ये तो गलत है पुलिस की मदद लेनी चाहिए

सेठ- dsp के पास गया था , उसने जो बात कही मेरे तो घुटने जवाब दे गए.

मैं- ऐसा क्या कह दिया .

सेठ- उसकी लुगाई एक हफ्ते से जहाँगीर लाला के बेटे के पास गिरवी पड़ी थी . ..................... सेठ की दूकान नहीं होती तो मैं थूक देता हिकारत से . बहनचोद क्या ही नंगा नाच हो रहा था इस शहर में .

मैं- सेठ जी , पैसे दे दो

सेठ- हो तो दू, तुझे तो मालूम ही है बेटी भाग गयी थी उसकी शादी जैसे तैसे करवाई . नाम का ही सेठ रह गया हूँ ये कुरता नया है अन्दर बनियान फटी पड़ी है. करू तो क्या करू

मैं- सेठानी को कुछ समय के लिए गाँव भेज दो . क्या मालूम इलेक्शन के बाद सरकार बदल जाये तो इन गुंडों पर लगाम लगे .

सेठ- बात तो सही कही है तूने , विचार करता हूँ.


हम बात कर ही रहे थे की अचानक से गुंडों की जिप्सिया एक के बाद एक बाजार में आती चली गयी और बाजार बंद करवाने लगी. जल्दी ही बाजार में खबर फ़ैल गयी की जहाँगीर लाला के पोते जोनी को कल किसी ने बुरी तरह से मारा और उसका हाथ उखाड़ दिया. ना जाने क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी. ..................
Nice update....
 

Luckyloda

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#1

यूँ तो बहुत राते आई गयी पर नजाने क्यों ये रात परेशान कर रही थी , बहुत बारिशे देखि थी पर आज लगता था की इस बरसात को भी किसी बात का मलाल है , कुछ गुस्सा इसके मन में भी भरा है. कोट को गले तक तो अडा लिया था पर फिर भी ठण्ड कलेजे को चीरे जा रही थी . एक निगाह मैंने काले आस्मां में डाली और उसे कोसते हुए हाथ के जाम को होंठो तक लगाया. महसूस नहीं होती थी अब इसकी कड़वाहट,सुकून बस इतना था की पी रखी है . दो घूँट और गले के निचे करके मैं आगे बढ़ा, पानी इतना बरस रहा था की मैंने छाते पर पकड़ और मजबूत कर दी. बड़ी अजीब सी बात थी आसमान बरस रहा था और ये शहर सो रहा था . मेन सड़क को पीछे छोड़ कर कालेज ग्राउंड के गेट से गुजर ही रहा था की तभी मेरे कदम रुक गए. इतनी बारिश के बावजूद भी मेरे कानो ने चीख सुनी थी . वैसे तो इस शहर में आये दिन ही कोई न कोई अपराध होते रहता था और पड़ी भी किसे थी दुसरे के फटे में टांग अड़ाने की . पव्वे की बची घूंटो को गले के निचे किया और अपने रस्ते बढ़ ही रहा था की दुबारा से मैंने वो आवाज सुनी.

“छोड़ दो मुझे , मत करो ये .” आवाज की तकलीफ कानो से होते हुए दिल तक आकर रुक गयी . दिल कहने लगा की मदद कर दे दिमाग अड़ गया की आगे चल, तेरा कोई लेना देना नहीं है . कदम बेताब थे आगे जाने को पर साले दिल को न जाने क्या हो गया था .

“मत सुन इस चूतिये दिल की मत सुन ” दिमाग लगातार इशारा कर रहा था पर फिर भी मैं ग्राउंड के गेट के अन्दर चला गया. भारी बरसात के बावजूद जलती स्टेडियम लाइट में मैंने वो देखा जो शायद नहीं देखना चाहिए था . अब किसे नहीं देखना था मुझे या फिर उन लोगो को वो सब कर रहे थे . वो चार लड़के थे कार के बोनट पर एक लड़की को नंगी किये हुए मानवता को तार तार करने की जुर्रत में लगे हुए. वो लड़की तड़प रही थी , चीख रही थी और वो चार लड़के इन्सान से जानवर बनने की तरफ बढ़ रहे थे.



“छोड़ो इस लड़की को ये ठीक नहीं है ” मैंने कार की तरफ जाते हुए कहा. एक पल को वो लड़के मुझे देख कर चौंक से गए पर जल्दी ही मुझे अहसास हो गया की ये सिर्फ मेरा वहम था .

“निकल लौड़े यहाँ से ” उनमे से एक लड़के ने मुझे देख कर कहा

मैं- हाँ, निकलते है . लड़की को छोड़ो और जाओ

“अबे साले, देख नहीं रहा क्या ,काम कर रहे है हम . भाग इधर से ” लड़के से कहा और दूसरा लड़का वापिस उस लड़की को बोनट पर लिटाने लगा.

मैं- इसकी मर्जी नहीं है तो जाने दो इसे

“रुक पहले तेरी गांड मारता हु . साला टाइम खराब कर रहा है . मौसम नहीं देख रहा हीरो बन रहा है ”लड़के ने लड़की के हाथ छोड़े और मेरी तरफ बढ़ा

“तेरा कोई लेना देना नहीं है पड़ी लकड़ी मत उठा ”दिमाग ने फिर से इशारा किया लड़के ने पास आते ही मेरे पैर पर लात मारी, मुझे उम्मीद नहीं थी घुटना जमीन से टकराया छतरी हाथ से फिसल गयी . मुझे गिरा देख वो हंसने लगे

“निकल गयी हीरो पांति अब निकल लोडे इधर से , साला न जाने किधर से आ गया मुड की माँ चोदने ” कहते हुए वो वापिस मुड़ा पर आगे बढ़ नहीं पाया. उसकी गूद्दी मेरे हाथ में थी .

“ये गलती मत कर , तू जानता भी नहीं ये कौन है ” उनमे से एक लड़के ने कहा और मारने को आगे बढ़ा और मैं जान गया था की बात अब बिगड़ ही गयी है .

“लड़की को जाने दो ,बात इसी रात खत्म हो जाएगी . तुम भी भूल जाना मैं भी याद नहीं रखूँगा ” मैंने प्रयास किया

“लड़की तो चुदेगी ही आज तेरे सामने ही चोदुंगा इसे जो बने कर ले ” लड़के ने अपनी गूद्दी मुझसे छुडाते हुए कहा

मैंने देखा दो लडको ने गाड़ी में से होकी निकाल ली थी . मैंने आसमान को देखा और अगले ही पल मैंने उस लड़के की गांड पर लात मार दी. होकी उस लड़के के हाथ से छीनी और उसके ही सर पर दे मारे .

“साले तेरी ये हिम्मत ” गुस्से से वो लड़का जो उस लड़की का रेप करना चाहता था मेरी तरफ बढ़ा मैंने उसके मुह पर मुक्का मारा पहले मुक्के में ही उसकी नाक टूट गयी चेहरे पर खून बहने लगा. तीसरे साथी के पैर पर मैंने लात मारी पास पड़ी होकी के दो तीन वार उसके पैर पर किये अब मामला दो बनाम एक का था . इस से पहले की वो अपनी नाक को संभालता मैंने उसके सर को गाडी के बोनट पर दे मारा. “आह ” चीखा वो .

“कपडे पहन ले ” मैंने उस कांपती हुई लड़की से कहा और उस लड़के के हाथ को पकड लिया .

“जिद नहीं करनी चाहिए थी तुझे, देख भारी पड़ गयी न कहना मानना चाहिए था तुझे ” मैंने उसे बोनट के सहारे पटकते हुए कहा

“तू नहीं जानता मेरा बाप कौन है ,तू नहीं जानता तूने किस से पंगा लिया है . तू नहीं जानता आगे तेरे साथ क्या होगा ” लड़के ने लम्बी सांसे लेते हुए कहा .

मैंने एक बार फिर से आसमान की तरफ देखा और बोला,”मत खेल ये खेल मेरे साथ”

“किस्मत को मानता है तू लड़के , बड़ी कुत्ती चीज होती है . पर शायद तेरी किस्मत तुझ पर मेहरबान है माफ़ी मांग इस लड़की से वादा कर की आगे कभी भी तू ऐसी नीच हरकत नहीं करेगा तो क्या पता किस्मत मेहरबान हो जाये तुझ पर ”मैंने कहा

लड़का- इस शहर की हर औरत मेरी जागीर है , जिसकी चाहे उसकी लू जिसे चाहे छोडू ये शहर हमारे नाम से कांपता है किस्मत तो तेरी रोएगी जब मेरा बाप तेरी खाल खींचेगा .

लड़के ने प्रतिकार किया और मैंने उसे मारना शुरू किया,इतना मारा की उसका चेहरा समझ नहीं आया रहा था . खून साला पानी जैसे धरती पर बह रहा था , किसी को अहमियत ही नहीं थी

“इधर आ ” डर से कांपते हुए मैंने उस चौथे लड़के को इशारा किया .

“ले जा इसे, और इसके बाप से कहना की किसी भी औरत की इज्जत कभी भी सस्ती नहीं होती, ये लड़की किसी की बेटी है बहन होगी किसी के . तेरी बहन को कोई ऐसे करे तो तू क्या करता ” मैंने कहा

“चीर देता उसे ” कांपते हुए वो बोला

“मैं भी यही करता ” मैंने कहा और उस धरती पर पड़े उस लड़के के हाथ को कंधे से उखाड़ दिया. चीख इतनी जोर की थी की आसमान तक दहल गया .

“सही किया ना ” मैंने चौथे लड़के के कंधे को थपथपाया

“इसके बाप से कहना की जिस लड़की की तरफ बुरी नजर डाली उसका एक भाई जिन्दा है इस शहर में ”

उस लड़की का हाथ पकड़ आगे बढ़ गया . डर से बुरी तरह कांप रही थी वो लड़की .

“ठीक तो है न तू ” मैंने पुछा

वो कुछ नहीं बोली बस मेरे गले लग कर रोने लगी . मैंने नजर उठा कर आसमान को देखा और उस लड़की के सर पर हाथ रख दिया..................
आते ही कोहराम macha दिया......



राम राम फौजी भाई......
 
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