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Adultery तेरे प्यार में .....

Luckyloda

Well-Known Member
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#२

“कैसे हत्थे चढ़ी इनके ” पुछा मैंने

लड़की- कालेज का वार्षिक उत्सव था , प्रोग्राम देर तक चला उसी में लेट हो गयी बारिश की वजह से कोई ऑटो नहीं मिला , उधेड़बुन में थी की क्या करू तभी ये लोग आ गए और फिर .......

मैं- ये तुझे जानते है क्या

लड़की-शायद उनमे से एक इसी कालेज में पढता है . बाकी उसके दोस्त थे

मैं- हम्म, फिर तो परेशानी वाली बात खैर, तुझे घर छोड़ देता हूँ .कहाँ है घर तेरा

लड़की- इस हालत में घर तो नहीं जा पाऊँगी कपडे फटे है , वहां और तमाशा होगा.

मैं- बाज़ार भी बंद है , घर जाना ही सुरक्षित होगा.पर बात तेरी भी ठीक है फिलहाल ये पहन ले

मैंने अपना कोट उतार कर उसे दिया और हम लोग मेन सड़क पर आ गए. मुझे लड़की की बड़ी ही फ़िक्र हो गयी थी .

लड़की- मेरी वजह से आपको भी परेशानी हो गयी

मैं- वो बात नहीं है , लड़का तेरे ही कालेज का है तो तुझे पहचान लेगा , कुछ दिन के लिए तू घर पर ही रहना . मैं देखता हु तेरी सुरक्षा के लिए क्या कुछ हो सकता है वैसे तू चाहे तो पुलिस में शिकायत दे सकती है .

लड़की- घर नहीं जा पा रही शिकायत तो दूर की बात है और फिर घरवाले तो मुझे ही उल्टा समझेंगे .

सड़क पर चलते हुए मुझे एक दूकान दिखी लेडिज कपड़ो की मैंने उसका ताला तोडा और शटर खोल दिया.

“देख ले अपने लिए कुछ ” कहा तो वो झिझकते हुए अन्दर पहुची और जल्दी ही एक सूट पहन आई. बारिश की वजह से कोई टैक्सी-ऑटो भी नहीं मिल रहा था और रात थी की ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

“मेरा घर थोड़ी ही दूर है अगर तुझे दिक्कत ना हो तो तू वहां रुक जा सुबह ऑटो मिलेंगे ही ” मैंने झिझकते हुए कहा

उसने हाँ में सर हिलाया और हम लोग मेरे घर आ गए. ताला खोल कर हम अन्दर आये. कहने को तो घर था पर ये चारदीवारिया थी और मैं था. मैंने उसे सोने को कहा और एक जाम बना कर बाहर सीढियों पर बैठ गया. टपकती बूंदों को देखते हुए एक पल को मैं कहीं खो सा गया था की किसी ने मुझे झकझोर दिया. देखा तो पाया की सुबह हो चुकी थी , वो लड़की हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी .

“चाय ” उसने मुझे कप दिया . रात की बात समझ आई तो अन्दर आया , उसने घर की सलीके से सजा दिया था हर सामान कायदे से रखा था .

“सोचा आप जब तक उठेंगे तब तक मैं सफाई ही कर लेती हु ” उसने कहा

मैं- अब तक तुम्हे चली जाना चाहिए था .

लड़की- बिन बताये चली जाती तो फिर नजरे ना उठा पाती जिस सख्स ने कल मेरी लाज बचाई उसका नाम तो जानने का हक़ है मेरा.

मैं- अब तो मुझे भी याद नहीं की क्या नाम है मेरा. इस बस्ती में बुजुर्ग बेटा कह देते है बच्चे चाचा कह देते है तुम्हे जो ठीक लगे तुम भी पुकार लेना

“मैं तो भाई ही कहूँगी ” उसने कहा

मैं मुस्कुरा दिया. बेशक वो चली गयी थी पर दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी . बहुत दिनों बाद खुद को आईने में देखा बढ़ी हुई दाढ़ी बिखरे हुए सर के बाल. पता नहीं क्यों पर अब लगने लगा था की इस शहर की आबोहवा ही साली चुतिया थी . सोचा तो था की इस शहर में जी लूँगा पर यहाँ आकर भी चैन नहीं मिला. काम पर जाते समय मेरी नजर कालेज ग्राउंड के गेट पर पड़ी, नीली ड्रेस में बैठा चोकीदार बीडी पी रहा था .. मैं उसके पास गया.

“तू इधर का चोकीदार है क्या ” मैंने पुछा

“तेरे को और क्या लगता मैं ” उसने दांत दिखाते हुए कहा . और अगले ही पल थप्पड़ उसके झुर्रियो भरे गाल को लाल कर गया.

“बहन के लंड फिर रात को कहाँ तेरी माँ चुदवा रहा था .” मैंने एक थप्पड़ और मारा उसको. दो मिनट तो उसको समझ ही नहीं आया उसको कुछ और फिर वो रो पड़ा.

“मैं मजबूर था साहब , जोनी बाबा की बात नहीं मानता तो मेरी नौकरी जाती, नौकरी क्या जान भी जाती पुरे शहर में कोई भी नहीं बात टालता उसकी ” चोकीदार ने मरी हुई आवाज में कहा.

चोकीदार की बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, आखिर कौन था ये जोनी और कल वो कह भी रहा था की उसका बाप बहुत बड़ी चीज है.

मैं- इसका मतलब वो जोनी पहले भी बहुत बार लड़की/औरतो को इधर ही लाके उनके साथ गलत काम कर चूका है.

चोकीदार- कालेज जोनी के बाप का ही है, जो चाहे करे कौन रोकेगा. लडकिया तो लडकिया मैडम लोगो तक के साथ मनमानी करते रहता है वो . पर साहब आप क्यों पूछ रहे हो ये सब , पुलिस वाले तो ....... नहीं पुलिस वाले तो सलाम ठोकते उन लोगो को आप कौन हो साहब.

चोकीदार की बात ने मुझे गहरी सोच में डाल दिया था . इसका मतलब ये था की जोनी इसी ग्राउंड में बहुत बार रेप जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका था .

“जान जायेगा, तू जान जायेगा .पर एक बात बता तेरी लड़की भी तो स्टूडेंट होगी ना अगर कोई उसके साथ रेप करने की कोशिश करेगा तब भी तू क्या देखता ही रहेगा ” मैंने सवाल किया पर उसने नज़र झुका ली कहने को था ही क्या . आदमी साला मुर्दा तब होता है जब वो मर जाए पर ये तो साला जिन्दा मुर्दों का सहर था . वहां से चल तो पड़ा था पर सोच में बस जोनी ही बसा था, कल रात जो घटना हुई थी , वो नहीं होनी चाहिए थी . न जोनी के लिए न उस लड़की के लिए.



खैर, मैं अपने धंधे बढ़ गया , दूकान पहुंचा तो पाया की सेठ ऐसे बैठा था की जैसे कोई मौत हो गयी हो. इतना परेशान मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था .

“सेठ जी , क्या बात है कुछ परेशां से दिखते हो ” मैंने पूछ ही लिया.

सेठ- बेटा, क्या बताऊ.अजीब सी स्तिथि आन पड़ी है तुझे तो मालूम है ही की कुछ दिनों बाद चुनाव होने वाले है .

मैं- अपना क्या लेना देना वोटो से

सेठ-चुनाव की तो ख़ास चिंता नहीं है पार्टियों के फंड में पैसे देने है पर मेरी असल चिंता का कारण कुछ और है

मैं- भरोसा करते हो तो बता सकते हो सेठ जी

सेठ- पिछले कुछ दिनों से मैं परेशानी में हु, कुछ लोग मुझसे हफ्ते के नाम पर वसूली कर रहे है. धंधा करना है तो ये सब झेलना ही होता है पर अचानक से वो लोग ५ करोड़ रूपये की मांग करने लगे है. कहते है की जहाँगीर लाला के आदमी है.

मैं- जहाँगीर लाला ये कौन हुआ भला.

सेठ – तू उसे नहीं जानता, शहर का बाप है . सरकार उसके इशारे पर बनती और गिरती है. कल उसके गुर्गे का फ़ोन आया था की या तो पांच करोड़ और दो वर्ना वो सेठानी को ले जायेगा

सेठ जैसे रोने को ही था. और मैं हैरान की पांच साल बीतने के बाद भी मैंने शहर में ये नाम क्यों नहीं सुना था .

मैं- आज पांच करोड़ दोगे कल दस मांगेगा फिर बीस

सेठ- दो करोड़ तो मैं पहले ही दे चूका हूँ

मैं- ये तो गलत है पुलिस की मदद लेनी चाहिए

सेठ- dsp के पास गया था , उसने जो बात कही मेरे तो घुटने जवाब दे गए.

मैं- ऐसा क्या कह दिया .

सेठ- उसकी लुगाई एक हफ्ते से जहाँगीर लाला के बेटे के पास गिरवी पड़ी थी . ..................... सेठ की दूकान नहीं होती तो मैं थूक देता हिकारत से . बहनचोद क्या ही नंगा नाच हो रहा था इस शहर में .

मैं- सेठ जी , पैसे दे दो

सेठ- हो तो दू, तुझे तो मालूम ही है बेटी भाग गयी थी उसकी शादी जैसे तैसे करवाई . नाम का ही सेठ रह गया हूँ ये कुरता नया है अन्दर बनियान फटी पड़ी है. करू तो क्या करू

मैं- सेठानी को कुछ समय के लिए गाँव भेज दो . क्या मालूम इलेक्शन के बाद सरकार बदल जाये तो इन गुंडों पर लगाम लगे .

सेठ- बात तो सही कही है तूने , विचार करता हूँ.

हम बात कर ही रहे थे की अचानक से गुंडों की जिप्सिया एक के बाद एक बाजार में आती चली गयी और बाजार बंद करवाने लगी. जल्दी ही बाजार में खबर फ़ैल गयी की जहाँगीर लाला के पोते जोनी को कल किसी ने बुरी तरह से मारा और उसका हाथ उखाड़ दिया. ना जाने क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी. ..................
Bahanchod police wali ki biwi girvi रखी है..... ग़ज़ब आदमी है जहांगीर लाला भी......



Sethani को ही बचाकर क्या करोगे...... ladki सेठ की पहले ही भाग गयी थी.......


सेठ भी नाम का ही है 😂😂😂😂😂
 

Luckyloda

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#३

करने को कुछ था नहीं तो मैं भी वापिस मुड गया . पैदल चलते हुए बरसो बाद मैंने अपने सीने में ताज़ी हवा को महसूस किया .

“कई साल से कुछ खबर नहीं कहाँ दिन गुजरा कहाँ रात की , ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की ” सड़क किनारे उस छोटे से चाय के अड्डे पर बजते गाने ने मेरे कदमो को रोक लिया. धुंए में लिपटी चाय की महक में एक लम्हे के लिए मैं खो सा ही तो गया था .

“चाय पिला दे यार ” मैंने दूकान वाले से कहा .

“साहब , अन्दर आ जाओ . मैं किवाड़ लगा दू बाजार बंद का हुकुम है ” उसने कहा तो मैं अन्दर बैठ गया .

उसने मुझे प्याला दिया पांच बरस बाद आज मेरे होंठो ने तपते कप को छुआ था . उस घूँट की मिठास होंठो को जलाते हुए सीधा दिल में ही तो उतर ही गयी . “माई ” मेरे होंठो रुक ना सके, ना ही मेरे आंसू .

“क्या हुआ साहब चाय ठीक नहीं लगी क्या ” दूकान वाले ने पुछा.

मैंने एक घूँट भरी और जेब के तमाम पैसे उसको दे दिए.

“चाय तो बस दस रूपये की है ”बोला वो

मैं- रख ले यारा, बरसो बाद घर की याद आई है .मेरी माँ भी ऐसी ही चा बनाती थी .

इस से पहले की मैं रो ही पड़ता, मैं हाथ में प्याले को लिए बाहर आ गया.

“ना जी भर के देखा ना कुछ बात की ” बहुत देर तक मैं इस लाइन को महसूस करते रहा . सोकर उठा तो मौसम पूरा बदल चूका था , हाथ में जाम लिए मैं छत पर गया तो देखा मकानमालकिन बारिश में नहा रही थी ,भीगे बदन पर नजर जो पड़ी तो ठहर सी ही गयी.

“ये बारिशे क्यों पसंद है तुम्हे ”

“बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु ”

तभी बिजली की गरज हुई और मैं यादो के भंवर से बाहर आया तो देखा की मकानमालकिन मुझे ही देखे जा रही थी .



“कितनी बार कहा है तुमसे , मत पियो ये शराब कुछ नहीं देगी तुम्हे ये बर्बादी के सिवाय ” बोली वो

मैं- मैं नहीं पीता इसे , पर ये पीती है मुझे



“इधर दो इस गिलास को ” उसने मेरे हाथ से गिलास झटका , मैं कुछ कदम पीछे सरका. वो थोडा आगे बढ़ी .उसकी सुडौल छातिया मेरे सीने से आ लगी और अगले ही पल उसके गर्म होंठ मेरे होंठो से आकर जुड़ गए. भरी बरसात में उसके तपते होंठो का स्पर्श मेरे तन को महका गया पर अगले ही पल मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.

“ये ठीक नहीं है रत्ना ” मैंने कहा

“गलत भी तो नहीं है न , ”रत्ना ने फिर से मेरे पास आते हुए कहा

मैं- तुम नहीं समझोगी

रत्ना- यही तो बार बार मैं पूछती हूँ, क्या हुआ है तू बताता भी तो नहीं. काम पर जाता है आते ही ये जाम उठा लेता है , जिदंगी की कीमत समझ तो सही .

मैं- जिदंगी जी ही तो रहा हूँ रत्ना.

रत्ना- ऐसे नहीं जी जाती जिन्दगी. नजर उठा कर तो देख तेरे आसपास लोग है , परिवार है , यार दोस्त है बस एक तू बेगाना है . ना जाने किस बात का गम लिए बैठा है तू

बारिश बहुत तेज पड़ने लगी थी . रत्ना के गालो से टपकती बारिश की बूंदे मेरे मन में हलचल मचा रही थी , रत्ना ३८ साल की बेहद गदराई औरत थी शानदार ठोस उभार ४२ इंच की गाद्देदार गोल मटोल गांड पांच फूट की लम्बाई के सांचे में ढली बेहद ही दिलकश औरत .

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और बोली- मौसम बहुत अच्छा है करने दे मुझे मनमानी .

जानता था मानेगी नहीं अब ये , मैंने रचना को दिवार से लगाया और उसकी भीगी साडी को ऊपर उठाने लगा. उफ्फ्फ क्या ठोस जांघे थी उसकी. निचे बैठ कर मैंने उसकी कच्छी को निचे उतारा और उसके कुलहो को हाथो से फैलाते हुए अपने होंठो को उसकी दहकती हुई चूत से लगा लिया.

“उफ्फ्फ ” कांप सी गयी वो और अपनी गांड को और खोल दिया. बारिश में भीगी तपती चूत से बहता कामरस मेरे बदन में शोले भड़काने लगा था.

“अन्दर तक ले जा जीभ को ” उन्माद से भरी रत्ना बोली . मैं खुल कर उसकी चूत को पीने लगा. बहुत दिनों बाद रत्ना आज मेरे साथ सोने वाली थी . जब जब वो अपनी गांड को हिलाती मेरी नाक उसके गुदा द्वार से टकराती.

“चोद अब, रहा नहीं जा रहा अह्ह्ह्हह ” रत्ना मद्मास्त हो चुकी थी .

मैंने पेंट खोली और लंड को चिकनी चूत पर रख दिया. रत्ना अपना हाथ निचे ले गयी और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.

“उफ्फ्फ, कितना गरम है तेरा लंड ” आगे वो बोल नहीं पायी क्योंकि लंड उसकी चूत के छेद को फैलाते हुए अन्दर जा चूका था . रत्ना को चूत पर धक्के लगाते हुए मैं उसके गालो को चूमने लगा था.

“बहुत गर्म है तू ” मैंने उसके कान को दांतों से चबाते हुए कहा

रत्ना- फिर भी तू नहीं चढ़ता मुझ पर .

मैं- आज तेरी इच्छा पूरी करूँगा, आज की रात तू कभी नहीं भूलेगी.

रत्ना- मार ले मेरी चूत

कुछ देर तक रत्ना को खड़े खड़े छोड़ने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला रत्ना ने तुरंत अपने कपडे उतार दिए और फर्श पर ही घोड़ी बन गयी . उफ्फ्फ रत्ना की गांड का उभार , कसम से क्या ही कहना . चौड़े कुल्हे को थामते हुए एक बार फिर से लंड उसकी चूत की सवारी करने लगा. रत्ना अड़तीस साल की गदराई विधवा औरत अपना हाथ निचे ले जाकर मेरी गोलियों को सहलाने लगी. उसकी इसी अदा का मैं कायल था .बारिश अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी थी और हमारी चुदाई भी . रत्ना की गांड बहुत जोर से हिलने लगी थी मेरे हाथ बार बार उसकी कमर से फिसल रहे थे . बदन में तरंग चढ़ने लगी थी. तभी रत्ना की चूत ने लंड पर दबाव बना दिया रत्ना सिस्कारिया भरते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे वीर्य की बौछार उसकी चूत में गिरने लगी..................
पहले चाय की तारीफ.... क्या बात है चाय के स्वाद में..... 1 घुट में ही माँ याद आ गयी... और दारू ग़म भी नहीं भूला पा रहीं......




रत्ना के साथ तो बारिश का मजा ही आ गया......


बहुत सुंदर लेखनी हमेशा की तरह
 

Naik

Well-Known Member
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#२

“कैसे हत्थे चढ़ी इनके ” पुछा मैंने

लड़की- कालेज का वार्षिक उत्सव था , प्रोग्राम देर तक चला उसी में लेट हो गयी बारिश की वजह से कोई ऑटो नहीं मिला , उधेड़बुन में थी की क्या करू तभी ये लोग आ गए और फिर .......

मैं- ये तुझे जानते है क्या

लड़की-शायद उनमे से एक इसी कालेज में पढता है . बाकी उसके दोस्त थे

मैं- हम्म, फिर तो परेशानी वाली बात खैर, तुझे घर छोड़ देता हूँ .कहाँ है घर तेरा

लड़की- इस हालत में घर तो नहीं जा पाऊँगी कपडे फटे है , वहां और तमाशा होगा.

मैं- बाज़ार भी बंद है , घर जाना ही सुरक्षित होगा.पर बात तेरी भी ठीक है फिलहाल ये पहन ले

मैंने अपना कोट उतार कर उसे दिया और हम लोग मेन सड़क पर आ गए. मुझे लड़की की बड़ी ही फ़िक्र हो गयी थी .

लड़की- मेरी वजह से आपको भी परेशानी हो गयी

मैं- वो बात नहीं है , लड़का तेरे ही कालेज का है तो तुझे पहचान लेगा , कुछ दिन के लिए तू घर पर ही रहना . मैं देखता हु तेरी सुरक्षा के लिए क्या कुछ हो सकता है वैसे तू चाहे तो पुलिस में शिकायत दे सकती है .

लड़की- घर नहीं जा पा रही शिकायत तो दूर की बात है और फिर घरवाले तो मुझे ही उल्टा समझेंगे .

सड़क पर चलते हुए मुझे एक दूकान दिखी लेडिज कपड़ो की मैंने उसका ताला तोडा और शटर खोल दिया.

“देख ले अपने लिए कुछ ” कहा तो वो झिझकते हुए अन्दर पहुची और जल्दी ही एक सूट पहन आई. बारिश की वजह से कोई टैक्सी-ऑटो भी नहीं मिल रहा था और रात थी की ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

“मेरा घर थोड़ी ही दूर है अगर तुझे दिक्कत ना हो तो तू वहां रुक जा सुबह ऑटो मिलेंगे ही ” मैंने झिझकते हुए कहा

उसने हाँ में सर हिलाया और हम लोग मेरे घर आ गए. ताला खोल कर हम अन्दर आये. कहने को तो घर था पर ये चारदीवारिया थी और मैं था. मैंने उसे सोने को कहा और एक जाम बना कर बाहर सीढियों पर बैठ गया. टपकती बूंदों को देखते हुए एक पल को मैं कहीं खो सा गया था की किसी ने मुझे झकझोर दिया. देखा तो पाया की सुबह हो चुकी थी , वो लड़की हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी .

“चाय ” उसने मुझे कप दिया . रात की बात समझ आई तो अन्दर आया , उसने घर की सलीके से सजा दिया था हर सामान कायदे से रखा था .

“सोचा आप जब तक उठेंगे तब तक मैं सफाई ही कर लेती हु ” उसने कहा

मैं- अब तक तुम्हे चली जाना चाहिए था .

लड़की- बिन बताये चली जाती तो फिर नजरे ना उठा पाती जिस सख्स ने कल मेरी लाज बचाई उसका नाम तो जानने का हक़ है मेरा.

मैं- अब तो मुझे भी याद नहीं की क्या नाम है मेरा. इस बस्ती में बुजुर्ग बेटा कह देते है बच्चे चाचा कह देते है तुम्हे जो ठीक लगे तुम भी पुकार लेना

“मैं तो भाई ही कहूँगी ” उसने कहा

मैं मुस्कुरा दिया. बेशक वो चली गयी थी पर दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी . बहुत दिनों बाद खुद को आईने में देखा बढ़ी हुई दाढ़ी बिखरे हुए सर के बाल. पता नहीं क्यों पर अब लगने लगा था की इस शहर की आबोहवा ही साली चुतिया थी . सोचा तो था की इस शहर में जी लूँगा पर यहाँ आकर भी चैन नहीं मिला. काम पर जाते समय मेरी नजर कालेज ग्राउंड के गेट पर पड़ी, नीली ड्रेस में बैठा चोकीदार बीडी पी रहा था .. मैं उसके पास गया.

“तू इधर का चोकीदार है क्या ” मैंने पुछा

“तेरे को और क्या लगता मैं ” उसने दांत दिखाते हुए कहा . और अगले ही पल थप्पड़ उसके झुर्रियो भरे गाल को लाल कर गया.

“बहन के लंड फिर रात को कहाँ तेरी माँ चुदवा रहा था .” मैंने एक थप्पड़ और मारा उसको. दो मिनट तो उसको समझ ही नहीं आया उसको कुछ और फिर वो रो पड़ा.

“मैं मजबूर था साहब , जोनी बाबा की बात नहीं मानता तो मेरी नौकरी जाती, नौकरी क्या जान भी जाती पुरे शहर में कोई भी नहीं बात टालता उसकी ” चोकीदार ने मरी हुई आवाज में कहा.

चोकीदार की बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, आखिर कौन था ये जोनी और कल वो कह भी रहा था की उसका बाप बहुत बड़ी चीज है.

मैं- इसका मतलब वो जोनी पहले भी बहुत बार लड़की/औरतो को इधर ही लाके उनके साथ गलत काम कर चूका है.

चोकीदार- कालेज जोनी के बाप का ही है, जो चाहे करे कौन रोकेगा. लडकिया तो लडकिया मैडम लोगो तक के साथ मनमानी करते रहता है वो . पर साहब आप क्यों पूछ रहे हो ये सब , पुलिस वाले तो ....... नहीं पुलिस वाले तो सलाम ठोकते उन लोगो को आप कौन हो साहब.

चोकीदार की बात ने मुझे गहरी सोच में डाल दिया था . इसका मतलब ये था की जोनी इसी ग्राउंड में बहुत बार रेप जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका था .

“जान जायेगा, तू जान जायेगा .पर एक बात बता तेरी लड़की भी तो स्टूडेंट होगी ना अगर कोई उसके साथ रेप करने की कोशिश करेगा तब भी तू क्या देखता ही रहेगा ” मैंने सवाल किया पर उसने नज़र झुका ली कहने को था ही क्या . आदमी साला मुर्दा तब होता है जब वो मर जाए पर ये तो साला जिन्दा मुर्दों का सहर था . वहां से चल तो पड़ा था पर सोच में बस जोनी ही बसा था, कल रात जो घटना हुई थी , वो नहीं होनी चाहिए थी . न जोनी के लिए न उस लड़की के लिए.



खैर, मैं अपने धंधे बढ़ गया , दूकान पहुंचा तो पाया की सेठ ऐसे बैठा था की जैसे कोई मौत हो गयी हो. इतना परेशान मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था .

“सेठ जी , क्या बात है कुछ परेशां से दिखते हो ” मैंने पूछ ही लिया.

सेठ- बेटा, क्या बताऊ.अजीब सी स्तिथि आन पड़ी है तुझे तो मालूम है ही की कुछ दिनों बाद चुनाव होने वाले है .

मैं- अपना क्या लेना देना वोटो से

सेठ-चुनाव की तो ख़ास चिंता नहीं है पार्टियों के फंड में पैसे देने है पर मेरी असल चिंता का कारण कुछ और है

मैं- भरोसा करते हो तो बता सकते हो सेठ जी

सेठ- पिछले कुछ दिनों से मैं परेशानी में हु, कुछ लोग मुझसे हफ्ते के नाम पर वसूली कर रहे है. धंधा करना है तो ये सब झेलना ही होता है पर अचानक से वो लोग ५ करोड़ रूपये की मांग करने लगे है. कहते है की जहाँगीर लाला के आदमी है.

मैं- जहाँगीर लाला ये कौन हुआ भला.

सेठ – तू उसे नहीं जानता, शहर का बाप है . सरकार उसके इशारे पर बनती और गिरती है. कल उसके गुर्गे का फ़ोन आया था की या तो पांच करोड़ और दो वर्ना वो सेठानी को ले जायेगा

सेठ जैसे रोने को ही था. और मैं हैरान की पांच साल बीतने के बाद भी मैंने शहर में ये नाम क्यों नहीं सुना था .

मैं- आज पांच करोड़ दोगे कल दस मांगेगा फिर बीस

सेठ- दो करोड़ तो मैं पहले ही दे चूका हूँ

मैं- ये तो गलत है पुलिस की मदद लेनी चाहिए

सेठ- dsp के पास गया था , उसने जो बात कही मेरे तो घुटने जवाब दे गए.

मैं- ऐसा क्या कह दिया .

सेठ- उसकी लुगाई एक हफ्ते से जहाँगीर लाला के बेटे के पास गिरवी पड़ी थी . ..................... सेठ की दूकान नहीं होती तो मैं थूक देता हिकारत से . बहनचोद क्या ही नंगा नाच हो रहा था इस शहर में .

मैं- सेठ जी , पैसे दे दो

सेठ- हो तो दू, तुझे तो मालूम ही है बेटी भाग गयी थी उसकी शादी जैसे तैसे करवाई . नाम का ही सेठ रह गया हूँ ये कुरता नया है अन्दर बनियान फटी पड़ी है. करू तो क्या करू

मैं- सेठानी को कुछ समय के लिए गाँव भेज दो . क्या मालूम इलेक्शन के बाद सरकार बदल जाये तो इन गुंडों पर लगाम लगे .

सेठ- बात तो सही कही है तूने , विचार करता हूँ.


हम बात कर ही रहे थे की अचानक से गुंडों की जिप्सिया एक के बाद एक बाजार में आती चली गयी और बाजार बंद करवाने लगी. जल्दी ही बाजार में खबर फ़ैल गयी की जहाँगीर लाला के पोते जोनी को कल किसी ने बुरी तरह से मारा और उसका हाथ उखाड़ दिया. ना जाने क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी. ..................
Sahi h yeh Bhai sahab tow Kuch alag hi mood me na AP a Naam bataya or na ladki se Naam poocha sahi h
Tow yeh shahar poori tarah gundo ka h naa yaha police na kanooni
Ab jhony ka haath ukhad dia tow shahar hi band Karwa dia sahi
Bhai sahab 5 saale se reh rehe h iss shaher me Lekin jahangeer lala ko Naam nahi suna
Baherhal dekhte h aage kia hota h
 

Naik

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#३

करने को कुछ था नहीं तो मैं भी वापिस मुड गया . पैदल चलते हुए बरसो बाद मैंने अपने सीने में ताज़ी हवा को महसूस किया .

“कई साल से कुछ खबर नहीं कहाँ दिन गुजरा कहाँ रात की , ना जी भर के देखा ना कुछ बात की बड़ी आरजू थी मुलाकात की ” सड़क किनारे उस छोटे से चाय के अड्डे पर बजते गाने ने मेरे कदमो को रोक लिया. धुंए में लिपटी चाय की महक में एक लम्हे के लिए मैं खो सा ही तो गया था .

“चाय पिला दे यार ” मैंने दूकान वाले से कहा .

“साहब , अन्दर आ जाओ . मैं किवाड़ लगा दू बाजार बंद का हुकुम है ” उसने कहा तो मैं अन्दर बैठ गया .

उसने मुझे प्याला दिया पांच बरस बाद आज मेरे होंठो ने तपते कप को छुआ था . उस घूँट की मिठास होंठो को जलाते हुए सीधा दिल में ही तो उतर ही गयी . “माई ” मेरे होंठो रुक ना सके, ना ही मेरे आंसू .

“क्या हुआ साहब चाय ठीक नहीं लगी क्या ” दूकान वाले ने पुछा.

मैंने एक घूँट भरी और जेब के तमाम पैसे उसको दे दिए.

“चाय तो बस दस रूपये की है ”बोला वो

मैं- रख ले यारा, बरसो बाद घर की याद आई है .मेरी माँ भी ऐसी ही चा बनाती थी .

इस से पहले की मैं रो ही पड़ता, मैं हाथ में प्याले को लिए बाहर आ गया.

“ना जी भर के देखा ना कुछ बात की ” बहुत देर तक मैं इस लाइन को महसूस करते रहा . सोकर उठा तो मौसम पूरा बदल चूका था , हाथ में जाम लिए मैं छत पर गया तो देखा मकानमालकिन बारिश में नहा रही थी ,भीगे बदन पर नजर जो पड़ी तो ठहर सी ही गयी.

“ये बारिशे क्यों पसंद है तुम्हे ”

“बरिशे तो बहाना है दिल तो बस इन बूंदों को तुम्हारे गालो पर देखना चाहता है . बारिश तो बहाना तेरे भीगे आँचल को चेहरे से लगाने का बारिश तो बहाना है सरकार . यूँ तो तमाम बंदिशे है मुझ पर तुझ पर पर इस बारिश में तेरा हाथ थाम कर इस पगडण्डी पर चलने का जो सुख है बस मैं जानता हु ”

तभी बिजली की गरज हुई और मैं यादो के भंवर से बाहर आया तो देखा की मकानमालकिन मुझे ही देखे जा रही थी .



“कितनी बार कहा है तुमसे , मत पियो ये शराब कुछ नहीं देगी तुम्हे ये बर्बादी के सिवाय ” बोली वो

मैं- मैं नहीं पीता इसे , पर ये पीती है मुझे



“इधर दो इस गिलास को ” उसने मेरे हाथ से गिलास झटका , मैं कुछ कदम पीछे सरका. वो थोडा आगे बढ़ी .उसकी सुडौल छातिया मेरे सीने से आ लगी और अगले ही पल उसके गर्म होंठ मेरे होंठो से आकर जुड़ गए. भरी बरसात में उसके तपते होंठो का स्पर्श मेरे तन को महका गया पर अगले ही पल मैंने उसे अपने से दूर कर दिया.

“ये ठीक नहीं है रत्ना ” मैंने कहा

“गलत भी तो नहीं है न , ”रत्ना ने फिर से मेरे पास आते हुए कहा

मैं- तुम नहीं समझोगी

रत्ना- यही तो बार बार मैं पूछती हूँ, क्या हुआ है तू बताता भी तो नहीं. काम पर जाता है आते ही ये जाम उठा लेता है , जिदंगी की कीमत समझ तो सही .

मैं- जिदंगी जी ही तो रहा हूँ रत्ना.

रत्ना- ऐसे नहीं जी जाती जिन्दगी. नजर उठा कर तो देख तेरे आसपास लोग है , परिवार है , यार दोस्त है बस एक तू बेगाना है . ना जाने किस बात का गम लिए बैठा है तू

बारिश बहुत तेज पड़ने लगी थी . रत्ना के गालो से टपकती बारिश की बूंदे मेरे मन में हलचल मचा रही थी , रत्ना ३८ साल की बेहद गदराई औरत थी शानदार ठोस उभार ४२ इंच की गाद्देदार गोल मटोल गांड पांच फूट की लम्बाई के सांचे में ढली बेहद ही दिलकश औरत .

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया और बोली- मौसम बहुत अच्छा है करने दे मुझे मनमानी .

जानता था मानेगी नहीं अब ये , मैंने रचना को दिवार से लगाया और उसकी भीगी साडी को ऊपर उठाने लगा. उफ्फ्फ क्या ठोस जांघे थी उसकी. निचे बैठ कर मैंने उसकी कच्छी को निचे उतारा और उसके कुलहो को हाथो से फैलाते हुए अपने होंठो को उसकी दहकती हुई चूत से लगा लिया.

“उफ्फ्फ ” कांप सी गयी वो और अपनी गांड को और खोल दिया. बारिश में भीगी तपती चूत से बहता कामरस मेरे बदन में शोले भड़काने लगा था.

“अन्दर तक ले जा जीभ को ” उन्माद से भरी रत्ना बोली . मैं खुल कर उसकी चूत को पीने लगा. बहुत दिनों बाद रत्ना आज मेरे साथ सोने वाली थी . जब जब वो अपनी गांड को हिलाती मेरी नाक उसके गुदा द्वार से टकराती.

“चोद अब, रहा नहीं जा रहा अह्ह्ह्हह ” रत्ना मद्मास्त हो चुकी थी .

मैंने पेंट खोली और लंड को चिकनी चूत पर रख दिया. रत्ना अपना हाथ निचे ले गयी और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.

“उफ्फ्फ, कितना गरम है तेरा लंड ” आगे वो बोल नहीं पायी क्योंकि लंड उसकी चूत के छेद को फैलाते हुए अन्दर जा चूका था . रत्ना को चूत पर धक्के लगाते हुए मैं उसके गालो को चूमने लगा था.

“बहुत गर्म है तू ” मैंने उसके कान को दांतों से चबाते हुए कहा

रत्ना- फिर भी तू नहीं चढ़ता मुझ पर .

मैं- आज तेरी इच्छा पूरी करूँगा, आज की रात तू कभी नहीं भूलेगी.

रत्ना- मार ले मेरी चूत


कुछ देर तक रत्ना को खड़े खड़े छोड़ने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला रत्ना ने तुरंत अपने कपडे उतार दिए और फर्श पर ही घोड़ी बन गयी . उफ्फ्फ रत्ना की गांड का उभार , कसम से क्या ही कहना . चौड़े कुल्हे को थामते हुए एक बार फिर से लंड उसकी चूत की सवारी करने लगा. रत्ना अड़तीस साल की गदराई विधवा औरत अपना हाथ निचे ले जाकर मेरी गोलियों को सहलाने लगी. उसकी इसी अदा का मैं कायल था .बारिश अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी थी और हमारी चुदाई भी . रत्ना की गांड बहुत जोर से हिलने लगी थी मेरे हाथ बार बार उसकी कमर से फिसल रहे थे . बदन में तरंग चढ़ने लगी थी. तभी रत्ना की चूत ने लंड पर दबाव बना दिया रत्ना सिस्कारिया भरते हुए झड़ने लगी और ठीक उसी पल मेरे वीर्य की बौछार उसकी चूत में गिरने लगी..................
Tow Bhai sahab makan Malkin se Maza le rehe h ya makan Malkin Maza le Rahi h
Baherhal BAAT k hi h
Ho Jo bhi Raha ho Maza tow dono ko aaya Hoga
 

Naik

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#४

बिना परवाह किये की निचे से नंगा हु मैंने बचे हुए जाम को उठाया और मुंडेर पर खड़ा होकर बारिश को देखने लगा.

“याद आती है न तुम्हे उसकी ” रत्ना ने मेरे पास आकर कहा

मैं- मुझे किसी की याद नहीं आती

रत्ना- मुझसे तो झूठ बोल सकता है पर अपने आप से नहीं , कितनी ही रातो को रोते हुए देखा है तुझे, चीखता तू है बेबसी मैं महसूस करती हु. सयाने कह गए की कहने से दिल का बोझ हल्का हो जाता है

मैं- ऐसा कुछ भी नहीं है रत्ना

रत्ना थोड़ी देर बाद निचे चली गयी मैं रह गया , बस मैं रह गया मन तो साला दूर कही खेतो में घूम रहा था . रात को फिर से रत्ना मेरे साथ थी, कहने को मकानमालिकिन थी पर उसने इस शहर में बहुत मदद की थी मेरी, बदले में कभी कुछ नहीं माँगा .अगले दिन मैं कालेज के पास से गुजर रहा था की ग्राउंड के पास भीड़ देख कर रुक गया. बीस तीस गाडिया तो होंगी ही जिन्होंने रास्ता रोक रखा था उत्सुकतावश मैं भी ग्राउंड में पहुँच गया.वहां पर मैंने पहली बार जहाँगीर लाला को देखा. गंजा सर , पचपन-साठ की उम्र चेहरे पर घहरी दाढ़ी बेहद ही महंगे कपडे पहने वो बीचोबीच खड़ा था और उसके साथ जोनी बाबा का वो ही दोस्त था जिसे मैंने जाने दिया था .

मुझे उम्मीद थी की ये सब होगा पर इतनी जल्दी ये नहीं . खास परवाह तो नहीं थी मुझे पर मैंने महसूस किया की वो लड़की इसी कालेज की है जोनी के दोस्त ने उसे पहचान लिया तो बात बहुत बढ़ जाएगी.

“जिसने भी जोनी पर हाथ उठाया उसका अंजाम पूरा शहर देखेगा ”जहाँगीर लाला के शब्द बहुत देर तक मेरे जेहन में थे. खैर, मैं कालेज के अन्दर गया और उसी लड़की को तलाशने लगा. पर वो नहीं मिली. शायद नहीं आई होगी कालेज में . सेठ ने मुझे घर पर बुलाया था वहां पहुंचा तो पहले से कुछ मावली लोग मोजूद थे .सेठ मुझे अन्दर ले गया .

सेठ- बेटे बड़ी मुसीबत में फंस गया हु . करार एक हफ्ते का हुआ था और ये लोग आज ही आ गए .

“मैं देखता हु बात करके ” मैंने कहा और बैठक में आ गया.

“किस चीज के पैसे मांगने आये हो तुम लोग ” मैंने कहा

“तू कौन बे शाने , ” उनमे से एक ने पान की पीक कालीन पर थूकते हुए कहा

मैं- पैसे नहीं मिलेंगे

“क्या बोला रे , जानता है न किसको मना कर रहा है ” उसने फिर से पीक थूकी

मैंने उसके कान पर एक थप्पड़ दे मारा और बोला- अब ठीक से सुनेगा तुझे . पैसे नहीं मिलेंगे .

“तेरी तो साले ” अगले ही पल मारपीट शरू हो गयी . मैंने दो लोगो को घसीट कर सीढियों से निचे की तरफ फेंका और पान वाले को बेल्ट से मारते हुए गली में ले आया.

“बहनचोद तेरा बाप छोड़ के गया था पैसे जो मन में आये तब आ जाते हो मांगने. ” जब तक बेल्ट टूट नहीं गयी तब तक मैंने रेल बनाई उन लोगो को

“तू गया साले , महंगा पड़ेगा तू रुक इधर ही ” जाते जाते वो धमकी देता गया .

सेठ की शकल मरे हुए चूहे जैसी हो गयी थी , आनन फानन में सेठ अपने परिवार को लेकर भाग गया. मैने सोचा बहनचोद इन चुतियो का क्या ही भला करना. शहर में किसी ने इतनी जुर्रत नहीं की थी की ऐसे लाला के आदमियों को कुत्ते की तरह सड़क पर पीटा गया हो. दूसरा लाला के पोते का हाथ उखाड़ दिया गया था . पता नहीं किस खुमार में मैं उस दुश्मनी की तरफ बढ़ रहा था जिसका अंजाम क्या ही हो.

घर आकर नलके पर हाथ मुह धो ही रहा था की रत्ना आ गयी . अस्त व्यस्त कपड़ो को देख कर बोली- क्या करके आया तू

मैं- जहाँगीर लाला के आदमियों को पीट कर

रत्ना के चेहरे की रौनक तुरंत ही गायब हो गयी,मुर्दानगी ही तो छा गयी. वो तुरंत अन्दर गयी और एक बैग और कुछ पैसे लेकर आई-“तू निकल, अभी के अभी शहर छोड़ दे ये , बाबा रे बाबा क्या करके आया है तू ये ”

मैं- वो जो मेरे से पहले किसी को तो कर ही देना चाहिए था

रत्ना- येडा है तू ये तो जानती थी पर इतना होगा आज जान लिया. मरने से बचना है तो चला जा यहाँ से कही दूर.

मैं-गलत को गलत कहना गलत तो नहीं

रत्ना- ये बाते फ़िल्मी रे, तू कोई हीरो नहीं न जिन्दगी फिलम . क्या जाने क्या होगा रे. पुलिस तक लाला के पैर छूती

मैं- तू मत घबरा

रत्ना ने मेरा हाथ पकड़ा और अन्दर ले आई

“ये देख मेरा मर्द , कभी तुझे बताया नहीं कैसे मरा ये . पुलिस में था ये . इसको भी तेरे जैसे समाज का भला करने का कीड़ा था . एक दिन मारा गया . सबको मालूम किसने मारा पर कुछ हुआ नहीं . ये मुर्दों का शाहर है , यहाँ ये सब ऐसे ही जीते है . तू मत कर रे किसी का भला मत कर ” रत्ना भावुक हो गयी. मैंने रत्ना को उस रात की पूरी बात बताई की क्या हुआ था .

“मैं फिर भी यही कहूँगी की तू वापिस लौट जा लड़ाई में कोई गारंटी नहीं की जीत अपनी ही हो खासकर जब दुश्मन भी ऐसा चुना तूने. ” रत्ना बोली और मेरे पास उसकी बात का जवाब नहीं था .

“तेरे पास जवाब क्यों नहीं मेरी बात का ”

“तू ही बता क्या करूँ मैं नहीं है मुझमे इतनी हिम्मत की ये सब झेल सकू ”


अतीत की बाते एक बार फिर से मेरे मन में आने लगी . यादो को झटक पाता उस से पहले ही घर के बाहर एक जीप आकर रुकी .......................
Bhai sahab ne fir se panga le lia
Jahangeer ke bando ko peeth dia
Tow Ratan ka pati bhi police Wala tha or imandar tha isliye imandari ki saza mili woh bhi maut
Aa gaye gunde log
Dekhte h kia hota h Bhai sahab ke saath
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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दूसरे अपडेट से लगता है की अपना हीरो कही से आकर यहां रह रहा है शायद अपना अतीत भूलना चाहता है

मस्त अपडेट भाई
पूरे शहर पर लाला का राज और उसी के पोते का किसी ने हाथ उखाड़ दिया बात दूर तक जाएगी

कसम से भाई दिलवाले वाला सीन याद आ गया
रेफरेंस उसी सीन से लिया है
 
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