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Incest इंस्पेक्टर की बेटी

Ashokafun30

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दोस्तों

आज काफ़ी समय बाद आपके सामने फिर से एक नयी कहानी लेकर हाज़िर हूँ , कहानी का शीर्षक है इंस्पेक्टर की बेटी, आशा करता हूँ आपको ये पसंद आएगी.
 
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Ashokafun30

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इंस्पेक्टर की बेटी

मेरा नाम सलोनी है
शायद मेरे रंग रूप को देखकर ही मेरे माँ बाप ने मेरा ये नाम रखा था
सुन्दर तो मैं थी



मैं ही नहीं, मेरी क्लास ओर अड़ोस - पड़ोस के सभी लोग ये मानते थे
पापा पुलिस में थे इसलिए स्कूल में मुझे सभी इंस्पेक्टर की बेटी कहकर बुलाते थे
और अब तो मेरा कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था
हालाँकि वहां ये नाम इतना पॉपुलर नही हुआ था पर मेरी स्कूल की फ्रेंड्स जो मेरे साथ ही कॉलेज में भी थी, वो मुझे उसी नाम से बुलाती थी
सब कुछ ठीक था
सिवाए मेरे घर के माहौल के
कारण था मेरे पापा का गुस्सा
पता नही वो खानदानी था या उनकी जॉब का असर
वो हमेशा गुस्से में ही रहते थे
उनके चेहरे पर शायद ही कभी हँसी आती थी
मैने तो आज तक उन्हे खुल कर हंसते हुए नही देखा
हां , गुस्से में लगभग रोज ही देखती थी
घर से निकलते हुए उनके कपड़े ढंग से इस्त्री नही हुए तो मम्मी पर गुस्सा
मैं टाइम से घर पर नही आई या बिना बताए कही फ्रेंड्स के साथ चली गयी तो मुझपर गुस्सा
रात को जब वो पुलिस स्टेशन से आकर ड्रिंक करने बैठते तो बर्फ या चखना कुछ भी मिस्सिंग हुआ तो हम दोनो माँ बेटी की तो खेर नही होती थी
माँ को तो वो गंदी गलियां भी देते थे
जो शायद मेरे पड़ोस वालों को भी सुनाई देती होगी
और उसी वजह से मेरा हंसता खेलता चेहरा बुझा-2 सा रहता था

जब से मुझे होश आया था यानी 14 साल के बाद से जब से मैं चीज़ों को समझने लगी थी, तब से मैं मायूस सी रहने लगी थी
जिसका असर मेरी पढ़ाई पर भी हुआ
कम नंबर आते पर पास हो जाया करती थी
इस वजह से भी पापा मुझसे और गुस्सा रहने लगे
कई बार तो रात को रोते -2 मैं उनको जी भरकर गालियां देती थी
उपर वाले को शिकायत करती की मेरी लाइफ में यही पापा क्यों लिखे

एक दिन तो बात हद से ज़्यादा बड़ गयी
मेरी फ्रेंड श्रुति का बर्थडे था, उसने एक दिन पहले ही बर्थडे का पूरा प्लान बनाकर मुझे बता दिया था
कॉलेज जाने से पहले मैंने माँ से कहा की कॉलेज के बाद मैं फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हूँ और बाद में श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए एक क्लब में
माँ और मुझे दोनो को पता था की पापा इस बात की पर्मिशन नही देंगे

इसलिए ना तो मैने पापा से पूछा और ना ही मॉम ने उन्हे बताया की मुझे क्लब जाना है
पर इस बात की हिदायत दे दी की मैं उनके आने से पहले घर आ जाऊं
वो 9 बजे तक आते थे
कॉलेज मेरा 2 बजे ख़त्म होता था और मूवी 6 बजे तक निपट जानी थी
2 घंटे बहुत थे हमे क्लब में मस्ती करने के लिए

और इस तरह से प्लान बनाकर मैं एक सेक्सी सी ड्रेस अपने बेग मे छुपाकर कॉलेज के लिए निकल गयी
सब कुछ ठीक हुआ
कॉलेज में दिन अच्छा बीता
मूवी भी अच्छी थी
श्रुति का बाय्फ्रेंड भी आया हुआ था

वो मेरी बगल में बैठकर ही उसे किस्स करने में लगी हुई थी
हालाँकि मैं भी 21 साल की हो चुकी थी पर इन सब बातों की तरफ मेरी ख़ास रूचि नही थी
अब ये हालात की वजह से थी या पापा का डर पर इन बातों के बारे में सोचकर ही डर सा लगता था
पर आज श्रुति को अपने बाय्फ्रेंड के साथ गहरी स्मूच करते हुए देखकर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था

उनकी गहरी साँसे मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी



मेरी तिरछी नज़रों ने उनकी फिल्म बनाना शुरू कर दी
उन्हें ऐसा करते देखकर मेरे निप्पल्स एकदम कड़क हो गये
ये पहली बार हो रहा था मेरे साथ
ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से मेरे बूब्स में कोई हवा भर गयी हो
श्रुति का बाय्फ्रेंड नितिन उसके बूब्स को दोनो हाथो से दबा रहा था
उफफफफफफफफफ्फ़…..
काश मेरी बगल में भी कोई बैठा होता
जो मेरे बूब्स को दबाता
ऐसा सोचते-2 मेरे खुद के हाथ अपने बूब्स पर जा लगे और मैने उन्हे धीरे से दबा दिया
हालाँकि ये पहली बार था जब ऐसे विचार मेरे जहन में आए थे
और ये भी पहली बार था की मेरे बूब्स को मैने इस अंदाज से छुआ था

आआआहहहहह……..
क्या एहसास था ये
मेरा हाथ तो जैसे सुन्न सा हो गया था
और वो मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लग भी नही रहा था
बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई और मेरे बूब्स को दबा रहा है

मेरी आँखे खुद ब खुद बंद होती चली गयी और मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को च्यूंटी भरके ज़ोर से दबा दिया

“अअअअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…..”

मैं खुद ही चिल्ला पड़ी
और एकदम से हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी
मेरी चीख़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी मेरी तरफ गया और मेरी हालत देखकर वो समझ गयी की क्या चल रहा था यहाँ
वो मुस्कुरा दी

कुछ ही देर में मूवी भी ख़त्म हो गयी
हालाँकि मूवी अच्छी थी पर आख़िरी में आकर मैं उसका पूरा मज़ा नही ले पाई

कुछ ही देर में हम उसी माल के टॉप फ्लोर पर बने एक क्लब में पहुँच गये
अंदर जाने का रास्ता एक काली सुरंग जैसा था
और एक भारी भरकम दरवाजे को पार करते ही अंदर से आ रहे तेज म्यूज़िक के शोर ने हमारे मूड को एकदम से बदल का रख दिया
कपड़े तो मैने माल में आने के बाद ही चेंज कर लिए थे

मैने एक घुटनो तक की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमे मेरा पूरा बदन काफ़ी सैक्सी लग रहा था



हमने एक कॉर्नर टेबल लिया और खाने पीने का सामान मंगवा कर एंजाय करने लगे
श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड तो बियर भी पी रहे थे , पर मैंने उनका साथ देने से मना कर दिया

सामने ही डांस फ्लोर था
मेरी कुछ सहेलियां आने के साथ ही डांस फ्लोर पर कूद पड़ी और खुल कर एंजाय करने लगी

श्रुति भी नितिन के साथ एकदम चिपक कर डांस कर रही थी
मैं अभी तक सोफ़े पर बैठकर उन्हे देख रही थी और अपनी कोल्ड ड्रिंक एंजाय कर रही थी

कुछ देर बाद श्रुति मुझे ज़बरदस्ती उठाकर फ्लोर पर ले गयी और हम सब एकसाथ एन्जॉय करने लगे
कई बार डांस करते-2 नितिन के हाथ मेरे शरीर को छू रहे थे
पता नही जान बूझकर या फिर अंजाने में
पर मैने उसका कोई विरोध नही किया

ऐसा कुछ करके मैं उनका दिन खराब नही करना चाहती थी
हालाँकि मुझे भी अच्छा लग रहा था
पर मैं खुलकर उसे कुछ बोल भी तो नही सकती थी

इसलिए मैं उन पलों को एंजाय करते हुए खुलकर डांस करने लगी
आज कई सालो बाद मैंने इतना ख़ूलकर डांस किया था शायद
और इतना खुश भी बहुत टाइम बाद हुई थी

पर ये खुशी ज़्यादा देर तक कायम नही रह सकी

मैं नाच रही थी और अचानक मेरे सामने पापा आकर खड़े हो गये
वो भी पूरी यूनिफॉर्म में
मैं तो हक्की बक्की रह गयी

“प…प…पापा…..आअप य…यहां ……..ओह”

मैने खुद को संभाला, और फिर अपने कपड़ो को, जो शायद मेरे पापा ने आज पहली बार देखे होंगे
ऐसी ड्रेस मैं पहन सकती हूँ ऐसा उन्होने सपने में भी नही सोचा होगा
पापा की आग उगलती नज़रों से सॉफ पता चल रहा था की जो वो देख रहे है उन्हे बिल्कुल पसंद नही आया
उनके गुस्से को मैं जानती थी

आज तो मेरी खैर नही थी

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पोलीस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था

मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी

आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था
 
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sunoanuj

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Bahut hee jabardast shuruaat hai ….
 

Ajju Landwalia

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इंस्पेक्टर की बेटी

मेरा नाम सलोनी है
शायद मेरे रंग रूप को देखकर ही मेरे माँ बाप ने मेरा ये नाम रखा था
सुन्दर तो मैं थी



मैं ही नहीं, मेरी क्लास ओर अड़ोस - पड़ोस के सभी लोग ये मानते थे
पापा पुलिस में थे इसलिए स्कूल में मुझे सभी इंस्पेक्टर की बेटी कहकर बुलाते थे
और अब तो मेरा कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था
हालाँकि वहां ये नाम इतना पॉपुलर नही हुआ था पर मेरी स्कूल की फ्रेंड्स जो मेरे साथ ही कॉलेज में भी थी, वो मुझे उसी नाम से बुलाती थी
सब कुछ ठीक था
सिवाए मेरे घर के माहौल के
कारण था मेरे पापा का गुस्सा
पता नही वो खानदानी था या उनकी जॉब का असर
वो हमेशा गुस्से में ही रहते थे
उनके चेहरे पर शायद ही कभी हँसी आती थी
मैने तो आज तक उन्हे खुल कर हंसते हुए नही देखा
हां , गुस्से में लगभग रोज ही देखती थी
घर से निकलते हुए उनके कपड़े ढंग से इस्त्री नही हुए तो मम्मी पर गुस्सा
मैं टाइम से घर पर नही आई या बिना बताए कही फ्रेंड्स के साथ चली गयी तो मुझपर गुस्सा
रात को जब वो पुलिस स्टेशन से आकर ड्रिंक करने बैठते तो बर्फ या चखना कुछ भी मिस्सिंग हुआ तो हम दोनो माँ बेटी की तो खेर नही होती थी
माँ को तो वो गंदी गलियां भी देते थे
जो शायद मेरे पड़ोस वालों को भी सुनाई देती होगी
और उसी वजह से मेरा हंसता खेलता चेहरा बुझा-2 सा रहता था

जब से मुझे होश आया था यानी 14 साल के बाद से जब से मैं चीज़ों को समझने लगी थी, तब से मैं मायूस सी रहने लगी थी
जिसका असर मेरी पढ़ाई पर भी हुआ
कम नंबर आते पर पास हो जाया करती थी
इस वजह से भी पापा मुझसे और गुस्सा रहने लगे
कई बार तो रात को रोते -2 मैं उनको जी भरकर गालियां देती थी
उपर वाले को शिकायत करती की मेरी लाइफ में यही पापा क्यों लिखे

एक दिन तो बात हद से ज़्यादा बड़ गयी
मेरी फ्रेंड श्रुति का बर्थडे था, उसने एक दिन पहले ही बर्थडे का पूरा प्लान बनाकर मुझे बता दिया था
कॉलेज जाने से पहले मैंने माँ से कहा की कॉलेज के बाद मैं फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हूँ और बाद में श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए एक क्लब में
माँ और मुझे दोनो को पता था की पापा इस बात की पर्मिशन नही देंगे

इसलिए ना तो मैने पापा से पूछा और ना ही मॉम ने उन्हे बताया की मुझे क्लब जाना है
पर इस बात की हिदायत दे दी की मैं उनके आने से पहले घर आ जाऊं
वो 9 बजे तक आते थे
कॉलेज मेरा 2 बजे ख़त्म होता था और मूवी 6 बजे तक निपट जानी थी
2 घंटे बहुत थे हमे क्लब में मस्ती करने के लिए

और इस तरह से प्लान बनाकर मैं एक सेक्सी सी ड्रेस अपने बेग मे छुपाकर कॉलेज के लिए निकल गयी
सब कुछ ठीक हुआ
कॉलेज में दिन अच्छा बीता
मूवी भी अच्छी थी
श्रुति का बाय्फ्रेंड भी आया हुआ था

वो मेरी बगल में बैठकर ही उसे किस्स करने में लगी हुई थी
हालाँकि मैं भी 21 साल की हो चुकी थी पर इन सब बातों की तरफ मेरी ख़ास रूचि नही थी
अब ये हालात की वजह से थी या पापा का डर पर इन बातों के बारे में सोचकर ही डर सा लगता था
पर आज श्रुति को अपने बाय्फ्रेंड के साथ गहरी स्मूच करते हुए देखकर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था

उनकी गहरी साँसे मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी



मेरी तिरछी नज़रों ने उनकी फिल्म बनाना शुरू कर दी
उन्हें ऐसा करते देखकर मेरे निप्पल्स एकदम कड़क हो गये
ये पहली बार हो रहा था मेरे साथ
ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से मेरे बूब्स में कोई हवा भर गयी हो
श्रुति का बाय्फ्रेंड नितिन उसके बूब्स को दोनो हाथो से दबा रहा था
उफफफफफफफफफ्फ़…..
काश मेरी बगल में भी कोई बैठा होता
जो मेरे बूब्स को दबाता
ऐसा सोचते-2 मेरे खुद के हाथ अपने बूब्स पर जा लगे और मैने उन्हे धीरे से दबा दिया
हालाँकि ये पहली बार था जब ऐसे विचार मेरे जहन में आए थे
और ये भी पहली बार था की मेरे बूब्स को मैने इस अंदाज से छुआ था

आआआहहहहह……..
क्या एहसास था ये
मेरा हाथ तो जैसे सुन्न सा हो गया था
और वो मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लग भी नही रहा था
बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई और मेरे बूब्स को दबा रहा है

मेरी आँखे खुद ब खुद बंद होती चली गयी और मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को च्यूंटी भरके ज़ोर से दबा दिया

“अअअअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…..”

मैं खुद ही चिल्ला पड़ी
और एकदम से हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी
मेरी चीख़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी मेरी तरफ गया और मेरी हालत देखकर वो समझ गयी की क्या चल रहा था यहाँ
वो मुस्कुरा दी

कुछ ही देर में मूवी भी ख़त्म हो गयी
हालाँकि मूवी अच्छी थी पर आख़िरी में आकर मैं उसका पूरा मज़ा नही ले पाई

कुछ ही देर में हम उसी माल के टॉप फ्लोर पर बने एक क्लब में पहुँच गये
अंदर जाने का रास्ता एक काली सुरंग जैसा था
और एक भारी भरकम दरवाजे को पार करते ही अंदर से आ रहे तेज म्यूज़िक के शोर ने हमारे मूड को एकदम से बदल का रख दिया
कपड़े तो मैने माल में आने के बाद ही चेंज कर लिए थे

मैने एक घुटनो तक की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमे मेरा पूरा बदन काफ़ी सैक्सी लग रहा था



हमने एक कॉर्नर टेबल लिया और खाने पीने का सामान मंगवा कर एंजाय करने लगे
श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड तो बियर भी पी रहे थे , पर मैंने उनका साथ देने से मना कर दिया

सामने ही डांस फ्लोर था
मेरी कुछ सहेलियां आने के साथ ही डांस फ्लोर पर कूद पड़ी और खुल कर एंजाय करने लगी

श्रुति भी नितिन के साथ एकदम चिपक कर डांस कर रही थी
मैं अभी तक सोफ़े पर बैठकर उन्हे देख रही थी और अपनी कोल्ड ड्रिंक एंजाय कर रही थी

कुछ देर बाद श्रुति मुझे ज़बरदस्ती उठाकर फ्लोर पर ले गयी और हम सब एकसाथ एन्जॉय करने लगे
कई बार डांस करते-2 नितिन के हाथ मेरे शरीर को छू रहे थे
पता नही जान बूझकर या फिर अंजाने में
पर मैने उसका कोई विरोध नही किया

ऐसा कुछ करके मैं उनका दिन खराब नही करना चाहती थी
हालाँकि मुझे भी अच्छा लग रहा था
पर मैं खुलकर उसे कुछ बोल भी तो नही सकती थी

इसलिए मैं उन पलों को एंजाय करते हुए खुलकर डांस करने लगी
आज कई सालो बाद मैंने इतना ख़ूलकर डांस किया था शायद
और इतना खुश भी बहुत टाइम बाद हुई थी

पर ये खुशी ज़्यादा देर तक कायम नही रह सकी

मैं नाच रही थी और अचानक मेरे सामने पापा आकर खड़े हो गये
वो भी पूरी यूनिफॉर्म में
मैं तो हक्की बक्की रह गयी

“प…प…पापा…..आअप य…यहां ……..ओह”

मैने खुद को संभाला, और फिर अपने कपड़ो को, जो शायद मेरे पापा ने आज पहली बार देखे होंगे
ऐसी ड्रेस मैं पहन सकती हूँ ऐसा उन्होने सपने में भी नही सोचा होगा
पापा की आग उगलती नज़रों से सॉफ पता चल रहा था की जो वो देख रहे है उन्हे बिल्कुल पसंद नही आया
उनके गुस्से को मैं जानती थी

आज तो मेरी खैर नही थी

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पोलीस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था

मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी

आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था

Welcome back Ashokafun30 Bhai,

Nayi story shuru karne ke liye congratulations

Keep rocking Bro
 
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komaalrani

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इंस्पेक्टर की बेटी

मेरा नाम सलोनी है
शायद मेरे रंग रूप को देखकर ही मेरे माँ बाप ने मेरा ये नाम रखा था
सुन्दर तो मैं थी



मैं ही नहीं, मेरी क्लास ओर अड़ोस - पड़ोस के सभी लोग ये मानते थे
पापा पुलिस में थे इसलिए स्कूल में मुझे सभी इंस्पेक्टर की बेटी कहकर बुलाते थे
और अब तो मेरा कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था
हालाँकि वहां ये नाम इतना पॉपुलर नही हुआ था पर मेरी स्कूल की फ्रेंड्स जो मेरे साथ ही कॉलेज में भी थी, वो मुझे उसी नाम से बुलाती थी
सब कुछ ठीक था
सिवाए मेरे घर के माहौल के
कारण था मेरे पापा का गुस्सा
पता नही वो खानदानी था या उनकी जॉब का असर
वो हमेशा गुस्से में ही रहते थे
उनके चेहरे पर शायद ही कभी हँसी आती थी
मैने तो आज तक उन्हे खुल कर हंसते हुए नही देखा
हां , गुस्से में लगभग रोज ही देखती थी
घर से निकलते हुए उनके कपड़े ढंग से इस्त्री नही हुए तो मम्मी पर गुस्सा
मैं टाइम से घर पर नही आई या बिना बताए कही फ्रेंड्स के साथ चली गयी तो मुझपर गुस्सा
रात को जब वो पुलिस स्टेशन से आकर ड्रिंक करने बैठते तो बर्फ या चखना कुछ भी मिस्सिंग हुआ तो हम दोनो माँ बेटी की तो खेर नही होती थी
माँ को तो वो गंदी गलियां भी देते थे
जो शायद मेरे पड़ोस वालों को भी सुनाई देती होगी
और उसी वजह से मेरा हंसता खेलता चेहरा बुझा-2 सा रहता था

जब से मुझे होश आया था यानी 14 साल के बाद से जब से मैं चीज़ों को समझने लगी थी, तब से मैं मायूस सी रहने लगी थी
जिसका असर मेरी पढ़ाई पर भी हुआ
कम नंबर आते पर पास हो जाया करती थी
इस वजह से भी पापा मुझसे और गुस्सा रहने लगे
कई बार तो रात को रोते -2 मैं उनको जी भरकर गालियां देती थी
उपर वाले को शिकायत करती की मेरी लाइफ में यही पापा क्यों लिखे

एक दिन तो बात हद से ज़्यादा बड़ गयी
मेरी फ्रेंड श्रुति का बर्थडे था, उसने एक दिन पहले ही बर्थडे का पूरा प्लान बनाकर मुझे बता दिया था
कॉलेज जाने से पहले मैंने माँ से कहा की कॉलेज के बाद मैं फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हूँ और बाद में श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए एक क्लब में
माँ और मुझे दोनो को पता था की पापा इस बात की पर्मिशन नही देंगे

इसलिए ना तो मैने पापा से पूछा और ना ही मॉम ने उन्हे बताया की मुझे क्लब जाना है
पर इस बात की हिदायत दे दी की मैं उनके आने से पहले घर आ जाऊं
वो 9 बजे तक आते थे
कॉलेज मेरा 2 बजे ख़त्म होता था और मूवी 6 बजे तक निपट जानी थी
2 घंटे बहुत थे हमे क्लब में मस्ती करने के लिए

और इस तरह से प्लान बनाकर मैं एक सेक्सी सी ड्रेस अपने बेग मे छुपाकर कॉलेज के लिए निकल गयी
सब कुछ ठीक हुआ
कॉलेज में दिन अच्छा बीता
मूवी भी अच्छी थी
श्रुति का बाय्फ्रेंड भी आया हुआ था

वो मेरी बगल में बैठकर ही उसे किस्स करने में लगी हुई थी
हालाँकि मैं भी 21 साल की हो चुकी थी पर इन सब बातों की तरफ मेरी ख़ास रूचि नही थी
अब ये हालात की वजह से थी या पापा का डर पर इन बातों के बारे में सोचकर ही डर सा लगता था
पर आज श्रुति को अपने बाय्फ्रेंड के साथ गहरी स्मूच करते हुए देखकर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था

उनकी गहरी साँसे मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी



मेरी तिरछी नज़रों ने उनकी फिल्म बनाना शुरू कर दी
उन्हें ऐसा करते देखकर मेरे निप्पल्स एकदम कड़क हो गये
ये पहली बार हो रहा था मेरे साथ
ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से मेरे बूब्स में कोई हवा भर गयी हो
श्रुति का बाय्फ्रेंड नितिन उसके बूब्स को दोनो हाथो से दबा रहा था
उफफफफफफफफफ्फ़…..
काश मेरी बगल में भी कोई बैठा होता
जो मेरे बूब्स को दबाता
ऐसा सोचते-2 मेरे खुद के हाथ अपने बूब्स पर जा लगे और मैने उन्हे धीरे से दबा दिया
हालाँकि ये पहली बार था जब ऐसे विचार मेरे जहन में आए थे
और ये भी पहली बार था की मेरे बूब्स को मैने इस अंदाज से छुआ था

आआआहहहहह……..
क्या एहसास था ये
मेरा हाथ तो जैसे सुन्न सा हो गया था
और वो मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लग भी नही रहा था
बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई और मेरे बूब्स को दबा रहा है

मेरी आँखे खुद ब खुद बंद होती चली गयी और मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को च्यूंटी भरके ज़ोर से दबा दिया

“अअअअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…..”

मैं खुद ही चिल्ला पड़ी
और एकदम से हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी
मेरी चीख़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी मेरी तरफ गया और मेरी हालत देखकर वो समझ गयी की क्या चल रहा था यहाँ
वो मुस्कुरा दी

कुछ ही देर में मूवी भी ख़त्म हो गयी
हालाँकि मूवी अच्छी थी पर आख़िरी में आकर मैं उसका पूरा मज़ा नही ले पाई

कुछ ही देर में हम उसी माल के टॉप फ्लोर पर बने एक क्लब में पहुँच गये
अंदर जाने का रास्ता एक काली सुरंग जैसा था
और एक भारी भरकम दरवाजे को पार करते ही अंदर से आ रहे तेज म्यूज़िक के शोर ने हमारे मूड को एकदम से बदल का रख दिया
कपड़े तो मैने माल में आने के बाद ही चेंज कर लिए थे

मैने एक घुटनो तक की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमे मेरा पूरा बदन काफ़ी सैक्सी लग रहा था



हमने एक कॉर्नर टेबल लिया और खाने पीने का सामान मंगवा कर एंजाय करने लगे
श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड तो बियर भी पी रहे थे , पर मैंने उनका साथ देने से मना कर दिया

सामने ही डांस फ्लोर था
मेरी कुछ सहेलियां आने के साथ ही डांस फ्लोर पर कूद पड़ी और खुल कर एंजाय करने लगी

श्रुति भी नितिन के साथ एकदम चिपक कर डांस कर रही थी
मैं अभी तक सोफ़े पर बैठकर उन्हे देख रही थी और अपनी कोल्ड ड्रिंक एंजाय कर रही थी

कुछ देर बाद श्रुति मुझे ज़बरदस्ती उठाकर फ्लोर पर ले गयी और हम सब एकसाथ एन्जॉय करने लगे
कई बार डांस करते-2 नितिन के हाथ मेरे शरीर को छू रहे थे
पता नही जान बूझकर या फिर अंजाने में
पर मैने उसका कोई विरोध नही किया

ऐसा कुछ करके मैं उनका दिन खराब नही करना चाहती थी
हालाँकि मुझे भी अच्छा लग रहा था
पर मैं खुलकर उसे कुछ बोल भी तो नही सकती थी

इसलिए मैं उन पलों को एंजाय करते हुए खुलकर डांस करने लगी
आज कई सालो बाद मैंने इतना ख़ूलकर डांस किया था शायद
और इतना खुश भी बहुत टाइम बाद हुई थी

पर ये खुशी ज़्यादा देर तक कायम नही रह सकी

मैं नाच रही थी और अचानक मेरे सामने पापा आकर खड़े हो गये
वो भी पूरी यूनिफॉर्म में
मैं तो हक्की बक्की रह गयी

“प…प…पापा…..आअप य…यहां ……..ओह”

मैने खुद को संभाला, और फिर अपने कपड़ो को, जो शायद मेरे पापा ने आज पहली बार देखे होंगे
ऐसी ड्रेस मैं पहन सकती हूँ ऐसा उन्होने सपने में भी नही सोचा होगा
पापा की आग उगलती नज़रों से सॉफ पता चल रहा था की जो वो देख रहे है उन्हे बिल्कुल पसंद नही आया
उनके गुस्से को मैं जानती थी

आज तो मेरी खैर नही थी

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पोलीस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था

मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी

आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था
Congrats for the new story and startling start , just superb
 

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
49,903
52,454
304
इंस्पेक्टर की बेटी

मेरा नाम सलोनी है
शायद मेरे रंग रूप को देखकर ही मेरे माँ बाप ने मेरा ये नाम रखा था
सुन्दर तो मैं थी



मैं ही नहीं, मेरी क्लास ओर अड़ोस - पड़ोस के सभी लोग ये मानते थे
पापा पुलिस में थे इसलिए स्कूल में मुझे सभी इंस्पेक्टर की बेटी कहकर बुलाते थे
और अब तो मेरा कॉलेज भी स्टार्ट हो गया था
हालाँकि वहां ये नाम इतना पॉपुलर नही हुआ था पर मेरी स्कूल की फ्रेंड्स जो मेरे साथ ही कॉलेज में भी थी, वो मुझे उसी नाम से बुलाती थी
सब कुछ ठीक था
सिवाए मेरे घर के माहौल के
कारण था मेरे पापा का गुस्सा
पता नही वो खानदानी था या उनकी जॉब का असर
वो हमेशा गुस्से में ही रहते थे
उनके चेहरे पर शायद ही कभी हँसी आती थी
मैने तो आज तक उन्हे खुल कर हंसते हुए नही देखा
हां , गुस्से में लगभग रोज ही देखती थी
घर से निकलते हुए उनके कपड़े ढंग से इस्त्री नही हुए तो मम्मी पर गुस्सा
मैं टाइम से घर पर नही आई या बिना बताए कही फ्रेंड्स के साथ चली गयी तो मुझपर गुस्सा
रात को जब वो पुलिस स्टेशन से आकर ड्रिंक करने बैठते तो बर्फ या चखना कुछ भी मिस्सिंग हुआ तो हम दोनो माँ बेटी की तो खेर नही होती थी
माँ को तो वो गंदी गलियां भी देते थे
जो शायद मेरे पड़ोस वालों को भी सुनाई देती होगी
और उसी वजह से मेरा हंसता खेलता चेहरा बुझा-2 सा रहता था

जब से मुझे होश आया था यानी 14 साल के बाद से जब से मैं चीज़ों को समझने लगी थी, तब से मैं मायूस सी रहने लगी थी
जिसका असर मेरी पढ़ाई पर भी हुआ
कम नंबर आते पर पास हो जाया करती थी
इस वजह से भी पापा मुझसे और गुस्सा रहने लगे
कई बार तो रात को रोते -2 मैं उनको जी भरकर गालियां देती थी
उपर वाले को शिकायत करती की मेरी लाइफ में यही पापा क्यों लिखे

एक दिन तो बात हद से ज़्यादा बड़ गयी
मेरी फ्रेंड श्रुति का बर्थडे था, उसने एक दिन पहले ही बर्थडे का पूरा प्लान बनाकर मुझे बता दिया था
कॉलेज जाने से पहले मैंने माँ से कहा की कॉलेज के बाद मैं फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हूँ और बाद में श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए एक क्लब में
माँ और मुझे दोनो को पता था की पापा इस बात की पर्मिशन नही देंगे

इसलिए ना तो मैने पापा से पूछा और ना ही मॉम ने उन्हे बताया की मुझे क्लब जाना है
पर इस बात की हिदायत दे दी की मैं उनके आने से पहले घर आ जाऊं
वो 9 बजे तक आते थे
कॉलेज मेरा 2 बजे ख़त्म होता था और मूवी 6 बजे तक निपट जानी थी
2 घंटे बहुत थे हमे क्लब में मस्ती करने के लिए

और इस तरह से प्लान बनाकर मैं एक सेक्सी सी ड्रेस अपने बेग मे छुपाकर कॉलेज के लिए निकल गयी
सब कुछ ठीक हुआ
कॉलेज में दिन अच्छा बीता
मूवी भी अच्छी थी
श्रुति का बाय्फ्रेंड भी आया हुआ था

वो मेरी बगल में बैठकर ही उसे किस्स करने में लगी हुई थी
हालाँकि मैं भी 21 साल की हो चुकी थी पर इन सब बातों की तरफ मेरी ख़ास रूचि नही थी
अब ये हालात की वजह से थी या पापा का डर पर इन बातों के बारे में सोचकर ही डर सा लगता था
पर आज श्रुति को अपने बाय्फ्रेंड के साथ गहरी स्मूच करते हुए देखकर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था

उनकी गहरी साँसे मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी



मेरी तिरछी नज़रों ने उनकी फिल्म बनाना शुरू कर दी
उन्हें ऐसा करते देखकर मेरे निप्पल्स एकदम कड़क हो गये
ये पहली बार हो रहा था मेरे साथ
ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से मेरे बूब्स में कोई हवा भर गयी हो
श्रुति का बाय्फ्रेंड नितिन उसके बूब्स को दोनो हाथो से दबा रहा था
उफफफफफफफफफ्फ़…..
काश मेरी बगल में भी कोई बैठा होता
जो मेरे बूब्स को दबाता
ऐसा सोचते-2 मेरे खुद के हाथ अपने बूब्स पर जा लगे और मैने उन्हे धीरे से दबा दिया
हालाँकि ये पहली बार था जब ऐसे विचार मेरे जहन में आए थे
और ये भी पहली बार था की मेरे बूब्स को मैने इस अंदाज से छुआ था

आआआहहहहह……..
क्या एहसास था ये
मेरा हाथ तो जैसे सुन्न सा हो गया था
और वो मुझे मेरे शरीर का हिस्सा लग भी नही रहा था
बस ऐसा लग रहा था जैसे कोई और मेरे बूब्स को दबा रहा है

मेरी आँखे खुद ब खुद बंद होती चली गयी और मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को च्यूंटी भरके ज़ोर से दबा दिया

“अअअअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…..”

मैं खुद ही चिल्ला पड़ी
और एकदम से हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी
मेरी चीख़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी मेरी तरफ गया और मेरी हालत देखकर वो समझ गयी की क्या चल रहा था यहाँ
वो मुस्कुरा दी

कुछ ही देर में मूवी भी ख़त्म हो गयी
हालाँकि मूवी अच्छी थी पर आख़िरी में आकर मैं उसका पूरा मज़ा नही ले पाई

कुछ ही देर में हम उसी माल के टॉप फ्लोर पर बने एक क्लब में पहुँच गये
अंदर जाने का रास्ता एक काली सुरंग जैसा था
और एक भारी भरकम दरवाजे को पार करते ही अंदर से आ रहे तेज म्यूज़िक के शोर ने हमारे मूड को एकदम से बदल का रख दिया
कपड़े तो मैने माल में आने के बाद ही चेंज कर लिए थे

मैने एक घुटनो तक की वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमे मेरा पूरा बदन काफ़ी सैक्सी लग रहा था



हमने एक कॉर्नर टेबल लिया और खाने पीने का सामान मंगवा कर एंजाय करने लगे
श्रुति और उसका बॉयफ्रेंड तो बियर भी पी रहे थे , पर मैंने उनका साथ देने से मना कर दिया

सामने ही डांस फ्लोर था
मेरी कुछ सहेलियां आने के साथ ही डांस फ्लोर पर कूद पड़ी और खुल कर एंजाय करने लगी

श्रुति भी नितिन के साथ एकदम चिपक कर डांस कर रही थी
मैं अभी तक सोफ़े पर बैठकर उन्हे देख रही थी और अपनी कोल्ड ड्रिंक एंजाय कर रही थी

कुछ देर बाद श्रुति मुझे ज़बरदस्ती उठाकर फ्लोर पर ले गयी और हम सब एकसाथ एन्जॉय करने लगे
कई बार डांस करते-2 नितिन के हाथ मेरे शरीर को छू रहे थे
पता नही जान बूझकर या फिर अंजाने में
पर मैने उसका कोई विरोध नही किया

ऐसा कुछ करके मैं उनका दिन खराब नही करना चाहती थी
हालाँकि मुझे भी अच्छा लग रहा था
पर मैं खुलकर उसे कुछ बोल भी तो नही सकती थी

इसलिए मैं उन पलों को एंजाय करते हुए खुलकर डांस करने लगी
आज कई सालो बाद मैंने इतना ख़ूलकर डांस किया था शायद
और इतना खुश भी बहुत टाइम बाद हुई थी

पर ये खुशी ज़्यादा देर तक कायम नही रह सकी

मैं नाच रही थी और अचानक मेरे सामने पापा आकर खड़े हो गये
वो भी पूरी यूनिफॉर्म में
मैं तो हक्की बक्की रह गयी

“प…प…पापा…..आअप य…यहां ……..ओह”

मैने खुद को संभाला, और फिर अपने कपड़ो को, जो शायद मेरे पापा ने आज पहली बार देखे होंगे
ऐसी ड्रेस मैं पहन सकती हूँ ऐसा उन्होने सपने में भी नही सोचा होगा
पापा की आग उगलती नज़रों से सॉफ पता चल रहा था की जो वो देख रहे है उन्हे बिल्कुल पसंद नही आया
उनके गुस्से को मैं जानती थी

आज तो मेरी खैर नही थी

क्लब का म्यूज़िक बंद हो चूका था,
पोलीस यूनिफॉर्म में कोई एकदम से डॅन्स फ्लोर पर आ जाए तो अच्छे अच्छों की हवा टाइट हो जाती है
क्लब के स्टाफ का भी यही हाल था

मैं जल्दी से श्रुति और दूसरी फ्रेंड्स के साथ बाहर निकल गयी
श्रुति जानती थी मेरे पापा और उनके गुस्से के बारे में

इसलिए उसे भी अब मेरी चिंता हो रही थी
मैने वॉशरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज किए और कैब पकड़ कर जल्दी से घर की तरफ निकल गयी

आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन होने वाला था
Well started,congrats 🎉 🎉 🎉
Congrats Celebrate GIF by Sesame Street
 
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