- 30,477
- 68,872
- 304
Thank you very much for your valuable review bhai , sath bane rahiye.Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

Thank you very much for your valuable review bhai , sath bane rahiye.Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Thanks brotherNice update.....
Thank u so much bhaiShaandar Update![]()
Thanks brothernice update
Superb update and nice story#135.
सुनहरे पंख: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 13:50, मायावन, अराका द्वीप)
ज्वालामुखी से बचने के बाद सभी ऊपर बनी गुफा के छेद में प्रवेश कर गये।
कुछ देर तक गुफा की संकरी और आड़ी-टेढ़ी गलियों में घूमने के बाद सभी एक विशाल स्थान पर पहुंच गये।
यह बड़ा स्थान एक खोखले पहाड़ के समान प्रतीत हो रहा था, जहां पर बीचो बीच में पानी की एक छोटी झील नजर आ रही थी।
झील का पानी पहाड़ में बने 5 छेद से, झरने के समान पहाड़ के नीचे गिर रहा था। वह 5 छेद लगभग 6 फुट डायामीटर के बने थे।
झील के पास के खाली स्थान पर 2 ग्रीक योद्धा और एक घोड़े की मूर्ति थी।
एक ग्रीक योद्धा एक पत्थर पर बैठकर कुछ सोच रहा था। दूसरा योद्धा उसके पास खड़ा था।
एक स्थान पर पत्थर में एक बड़ा सा लीवर लगा था, जिसके पास कुछ पत्थर के छोटे टुकड़े पड़े थे।
झील के ऊपर कुछ ऊंचाई पर, किसी धातु के 5 गोले हवा में तैर रहे थे।
“लगता है हम फिर से किसी मायाजाल के अंदर आ गये हैं।” सुयश ने सारी चीजों को ध्यान से देखते हुए कहा- “इसलिये कोई भी बिना कुछ समझे किसी चीज को हाथ नहीं लगायेगा?”
“कैप्टेन यह दोनों मूर्तियां ग्रीक देव ‘हेफेस्टस’ और ‘हरमीस’ की हैं।” क्रिस्टी ने मूर्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा।
“क्रिस्टी, क्या तुम इन दोनों के बारे में थोड़ा बहुत बता सकती हो, इससे हमें इस मायाजाल को समझने में आसानी हो जायेगी।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा।
“इसमें से पहली मूर्ति हेफेस्टस की है। यह ओलंपस पर्वत पर रहने वाले 12 देवी-देवताओं में से एक है। हेफेस्टस, देवता जीयूष और देवी हेरा का पुत्र है। कुरुप होने के कारण जीयूष ने हेफेस्टस को ओलंपस पर्वत से फेंक दिया था, जिससे हेफेस्टस लंगड़ा कर चलने लगा। हेफेस्टस को जादूगरों का देवता भी कहते हैं।
"ओलंपस पर्वत से निकाले जाने के बाद हेफेस्टस एक ज्वालामुखी में रहने लगा। इसलिये उसे ‘वुल्कान’ भी कहा जाता है। बाद में हेफेस्टस ने अपने जादू से देवी हेरा को एक सिंहासन से चिपका दिया। जिसके परिणाम स्वरुप जीयूष को अपनी पुत्री एफ्रोडाइट का विवाह हेफेस्टस से कर उसे ओलंपस पर्वत वापस बुलाना पड़ा।
"हेफेस्टस ने हेरा को सिंहासन से मुक्त कर दिया। बाद में हेफेस्टस को सभी देवताओं के हथियार बनाने का कार्य सौंपा गया। ज्यादातर देवताओं के हथियार हेफेस्टस ने ही बनाये हैं। अब मैं बात करुंगी, दूसरे देवता हरमीस की। हरमीस को संदेशवाहक देवता कहा जाता है, यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से भ्रमण कर सकने में सक्षम है। यह भी जीयूष का एक पुत्र है।
"हेफेस्टस ने हरमीस को अपना कार्य सरलता से पूरा करने के लिये 3 चीजें प्रदान की थीं। जिसमें से एक सोने का जूता था, जिसमें पंख लगे थे। उस जूते को ‘तलारिया’ कहते थे। दूसरी चीज एक पंखों वाला हेलमेट थी, जिसे ‘पेटोसस’ कहते थे। तीसरी चीज ‘कैडूसियस’ नाम की एक छड़ी थी, जो धातु की बनी थी। जिसमें 2 सर्प आपस में लिपटे हुए बने थे और 2 सुनहरे पंख ऊपर के स्थान पर लगे थे।” इतना कहकर क्रिस्टी चुप हो गई।
“इसका मतलब हेफेस्टस को हिं..दू धर्म का 'विश्वकर्मा' और हरमीस को ‘नारद’ कहा जा सकता है।” सुयश ने कहा।
पर सुयश की यह बात किसी की समझ में आयी नहीं।
“चलो दोस्तों अब देखते हैं कि यहां से कैसे निकला जा सकता है?” सुयश ने सभी में जोश भरते हुए कहा।
“सबसे पहले पहाड़ में मौजूद उन छेद को देखते हैं, क्यों कि वही यहां से निकलने का एक मात्र रास्ता दिख रहा है।“ तौफीक ने पहाड़ में मौजूद छेदों की ओर इशारा करते हुए कहा।
सभी चलते हुए उन 5 छेदों के पास पहुंच गये। चूंकि झरने का पानी उन सभी छेदों से नीचे की ओर जा रहा था, इसलिये पानी का बहाव वहां काफी तेज था।
“जरा ध्यान से तौफीक...यहां बहाव बहुत तेज है।” सुयश ने कहा- “अगर फिसल गये तो शरीर का चूरा भी नहीं मिलेगा। हम लोग कम से कम 600 से 700 फिट की ऊंचाई पर हैं।”
“जी कैप्टेन।”तौफीक ने स्वीकृति से अपना सिर हिला दिया।
तौफीक ने सावधानी से पानी की ओर अपना कदम बढ़ाया, पर उसका पैर पानी के ऊपर ही रुक गया।
“कैप्टेन... मेरा पैर पानी के अंदर नहीं जा रहा है, मुझे पानी के ऊपर पैर रखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे मैंने किसी ठोस वस्तु पर अपना पैर रखा हो। शायद यह भ्रम पैदा करने वाला पानी है।” तौफीक ने पानी के ऊपर खड़े होते हुए कहा।
“यह तो और भी अच्छी भी बात है, अब तुम्हें बहाव से कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश ने कहा- “अब जरा आगे बढ़कर इन सभी छेदों को चेक करो। क्या इसमें कुछ भी तुम्हें अलग महसूस हो रहा है?”
तौफीक ने पहले छेद के पास जा कर दूसरी ओर झांक कर देखने की कोशिश की, परंतु तौफीक को उस छेद में कोई अदृश्य अवरोध महसूस हुआ।
तौफीक ने एक-एक कर सभी छेदों को जांच लिया। उन सभी छेदों से बाहर नहीं जाया जा सकता था।
“कैप्टेन...हम किसी भी छेद से बाहर नहीं जा सकते। हर छेद में कोई अदृश्य दीवार उपस्थित है।” तौफीक के शब्दों में चिंता के भाव नजर आये।
“इसका मतलब हम बिना यहां के मायाजाल को तोड़े यहां से बाहर नहीं निकल सकते।” शैफाली ने कहा।
“पर कैप्टेन, अगर हमने यहां का मायाजाल पार भी कर लिया तो हम इतनी ऊंचाई से नीचे जायेंगे कैसे?” क्रिस्टी के तर्कों में भी दम था।
“यहां से नीचे जाने की चिंता ना करो, यहां से नीचे तो हम शैफाली के सुरक्षा बुलबुले से भी जा सकते हैं।” जेनिथ ने कहा।
“नहीं जा सकते।” शैफाली ने कहा- “जेनिथ दीदी, जरा उन छेदों का साइज देखिये, मेरे रक्षा कवच का बुलबुला उस छेद के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है। वह इतने छोटे से छेद से बाहर ही नहीं निकल पायेगा और बाहर निकलकर, कूदते हुए उस बुलबुले का बनाना मूर्खता होगी क्यों कि उसके लिये भी हम पांचों को सभी छेदों से एक साथ हवा में कूदना होगा और जरा सी चूक हममें से किसी की भी जान ले लेगी।”
शैफाली ने अच्छा तार्किक उत्तर दिया।
“जितना मैंने इस जंगल के मायाजाल को देखा है, उससे पता चलता है कि हर मायाजाल अपने आप में एक साल्यूशन भी रखता है।” सुयश ने कहा- “हो सकता है कि जब हम इस मायाजाल को तोड़ लें, तो इन्हीं से हमें झरने के नीचे जाने का रास्ता मिल जाये?.....चलो फिलहाल हमें ये तो पता चल गया कि ना तो हम इस झील के अंदर जा सकते हैं और ना ही इन छेदों से बाहर। अब बाकी की चीजों को चेक करते हैं।”
यह कहकर सुयश उन हवा में तेज गति से तैर रहे धातु के गोलों को देखा।
“मुझे लगता है कि जरुर इन धातु के गोलों में कोई रहस्य छिपा है, क्यों कि यह गोले तेज गति से हवा में घूम रहे हैं और हमारी पहुंच से काफी दूर भी हैं, तो अब इन गोलों को चेक करना होगा।” शैफाली ने कहा।
“पर कैसे?” क्रिस्टी ने उन गोलों को देखते हुए कहा- “हम इन गोलों तक पहुंचेगे कैसे? जरा इनकी स्पीड तो देखो, यह बहुत तेज हवा में नाच रहे हैं।”
“अगर यह गोले जमीन के पास उड़ रहे होते, तो मैं इन्हें आसानी से पकड़ लेती, भले ही इनकी स्पीड कितनी भी होती।” जेनिथ ने कहा।
तभी तौफीक की नजर पास में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ी। पत्थरों को देखते ही तौफीक की आँखें चमकने लगीं।
“मैं इन गोलों को नीचे ला सकता हूं।” तौफीक ने दृढ़ता पूर्वक कहा।
सभी आश्चर्य से तौफीक का मुंह देखने लगे।
तभी तौफीक ने अपने हाथों में कुछ पत्थर उठा लिये और एक गोले की गति को ध्यान से देखते हुए, उस पर एक पत्थर फेंक कर मार दिया।
हर बार की तरह तौफीक का निशाना बिल्कुल अचूक था। पत्थर सीधा उस गोले पर लगा और वह गोला जमीन पर आ गिरा।
जमीन पर गिरते ही उसकी गति समाप्त हो गयी। अब वह बिल्कुल स्थिर हो गया था।
सुयश ने आगे बढ़कर उस गोले को उठा लिया। उस गोले पर अग्रेजी अक्षर का ‘M’ अक्षर छपा था।
“इस पर तो ‘M’ अक्षर लिखा है।” सुयश सभी की ओर देखते हुए कहा- “लगता है यह भी कोई ‘मैग्नार्क’ जैसी पहेली है। तौफीक बाकी के भी गोलों को गिराओ.... जब सब इकठ्ठा हो जायें, तो फिर देखेंगे, कि इससे क्या बनेगा?”
सुयश की बात सुन तौफीक ने निशाना लगा कर एक-एक करके पांचों गोलों को नीचे गिरा दिया।
सुयश ने सभी गोलों पर लिखे अक्षरों को एकत्र किया, जो कि इस प्रकार थे- ‘MADAN’
“इन अक्षरों से ‘DANAM’, ‘NADAM’, ‘MANDA’, ‘ADMAN’ इस प्रकार के ही शब्द बन रहे हैं, पर इन शब्दों से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”
शैफाली ने कहा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शब्द अभी अधूरा है, मेरा मतलब है कि अभी और भी कुछ अक्षर यहीं कहीं छिपें हों? जिसकी वजह से हम इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं?”
शैफाली के शब्द सुन सभी अपने आस-पास कुछ और ढूंढने में लग गये, पर कहीं भी कुछ भी नहीं था।
तभी सुयश की निगाह पत्थर पर बने उस लीवर पर पड़ी।
सुयश ने आगे बढ़कर उस लीवर को एक दिशा में खींच दिया, पर कहीं से ना तो कोई आवाज सुनाई दी और ना ही कहीं कोई परिवर्तन हुआ।
यह देख सुयश ने उस लीवर को छोड़ दिया। सुयश के छोड़ते ही लीवर अपनेआप यथा स्थान आ गया।
समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी।
तभी एक गोले को देख रही शैफाली के हाथ से वह गोला फिसलकर जमीन पर गिर गया और लुढ़कता हुआ उस झील के अंदर चला गया।
“झील का पानी तो अभी तक ठोस था, फिर वह गोला झील के अंदर कैसे चला गया?” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा।
शैफाली ने आगे बढ़कर झील के पानी को छुआ, पानी अभी भी ठोस था।
शैफाली कुछ देर तक सोचती रही और फिर एक दूसरे गोले को हाथ में लेकर झील की सतह से स्पर्श कराया, वह दूसरा गोला पानी से भीग गया।
अब शैफाली ने गोले को अपने हाथ में लिये-लिये ही, अपना हाथ पानी में डाला। शैफाली का हाथ झील के पानी के अंदर चला गया।
यह देख शैफाली मुस्कुरा उठी। वह गोले को हाथ में पकड़कर झील के पानी में उतर गयी।
सुयश सहित सभी ध्यान से शैफाली की गतिविधियों को देख रहे थे।
थोड़ी ही देर में शैफाली झील के पानी के बाहर निकली, उसके हाथ में 2 और गोले थे।
उन 2 गोलों को सुयश को पकड़ाकर शैफाली फिर से पानी में चल गयी।
पहला वाला अब भी शैफाली के हाथ में था। ऐसे ही एक-एक कर शैफाली ने झील के अंदर से 5 गोले और निकाल लिये और झील के पानी से बाहर आ गयी।
अब उन लोगों के पास कुल 10 गोले हो गये थे। यह 5 नये अक्षर थे ‘ITNAE’....अब सभी तेजी से उन गोलों को एक स्थान पर रखकर उससे कोई नया शब्द बनाने में जुट गये।
लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद इस पहेली को हल किया क्रिस्टी ने।
“कैप्टेन...यह 10 गोलों से ‘ADAMANTINE’ शब्द बन रहा है।” क्रिस्टी ने कहा।
“यह ‘एडमैन्टाइन’ होता क्या है?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।
“देवताओं ने धरती पर गिरने वाले उल्का पिंड से, एक नयी धातु खोज निकाली, जो पृथ्वी पर नहीं पायी जाती थी। उसे ही एडमैन्टाइन नाम दिया गया। यह धातु टंगस्टन और टाइटेनियम से भी ज्यादा कठोर और
हल्की थी। हेफेस्टस ने देवताओं के सभी हथियार इसी धातु से बनाये थे।”
“यानि यहां के मायाजाल के हिसाब से हमें यह धातु इकठ्ठी करके हेफेस्टस के पास रखनी होगी।” सुयश ने यह कहकर सभी से इशारा किया।
सभी ने 2-2 गोले उठाकर हेफेस्टस के पास एक जगह पर एकत्र कर दिये।
पर जैसे ही सभी गोले आपस में स्पर्श हुए, सभी एक साथ जुड़कर, एक छोटे से वर्गाकार धातु के टुकड़े का रुप ले लिये।
सभी अब कुछ परिवर्तन की आस लिये चारों ओर देखने लगे, पर अभी भी सब कुछ शांत था।
“मुझे लगता है कि यहां के दृश्य के हिसाब से हेफेस्टस को कुछ हथियार बनाकर हरमीस को देना है, जब हेफेस्टस वह हथियार हरमीस को दे देगा, तभी यह मायाजाल टूटेगा।” शैफाली ने कहा।
“तो धातु का टुकड़ा तो मिल गया, अब क्या चीज चाहिये?” जेनिथ ने पूछा।
“हेफेस्टस के टूल्स, जिससे वह हथियार बनाता था। मेरे हिसाब से टूल्स के बिना हेफेस्टस कैसे हथियार बना पायेगा ?” सुयश ने कहा- “क्रिस्टी, हेफेस्टस के पास किस प्रकार के टूल्स थे?”
“एक हथौड़ा, एक चिमटा और एक निहाई।” क्रिस्टी ने कहा- “बिना इन यंत्रों के कोई भी शिल्पकार कुछ नहीं बना सकता।" (निहाई को अंग्रेजी में anvil कहते हैं)
“इसका मतलब ये सारी वस्तुएं भी यहीं पर कहीं होंगी?” सुयश ने कहा और चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाने लगा।
“कैप्टेन उस लीवर का अभी तक हम लोगों ने कोई भी उपयोग नहीं किया है? हो सकता है कि हेफेस्टस के टूल्स उसी के अंदर हों?” जेनिथ ने लीवर की ओर इशारा करते हुए कहा।
सुयश उस लीवर के पास पहुंचकर ध्यान से उसे देखने लगा, पर वह लीवर उसे किसी यंत्र जैसा नहीं लगा।
सुयश ने उस लीवर के हैंडिल को ऊपर की ओर खींच कर देखा।
सुयश के ऐसा करते ही लीवर सुयश के हाथ में आ गया, परंतु अब वो किसी हथौड़े की मूठ जैसा लग रहा था।
यह देख सुयश पत्थर को उलट-पलट कर देखने लगा।
कुछ ही देर में सुयश की तीव्र आँखों ने पत्थर पर अलग से लगे एक घन के आकार का भाग देख लिया, जो कि थोड़े ही प्रयास के बाद उस पत्थर के टुकड़े से अलग हो गया।
सुयश ने घन के टुकड़े को जैसे ही लीवर से स्पर्श कराया, वह एक हथौड़े में परिवर्तित हो गया।
हथौड़े के बनते ही सभी में उम्मीद की किरण जाग उठी। अब सभी दुगने उत्साह से बाकी के दोनों यंत्र ढूंढने में लग गये।
कुछ देर में शैफाली को चिमटा वहां मौजूद घोड़े की पूंछ से बंधा हुआ मिल गया। लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी निहाई नहीं मिला।
तभी तौफीक की निगाह उस पत्थर पर गई, जिस पर बैठकर हेफेस्टस कुछ सोच रहा था।
“कैप्टेन, कहीं वह तो निहाई नहीं? जिस पर हेफेस्टस स्वयं बैठा हुआ है।” तौफीक ने सुयश को पत्थर की ओर इशारा करते हुए कहा।
तौफीक की बात सुन सुयश ने उस पत्थर को धीरे से धक्का दिया, धक्का देते ही वह पत्थर हेफेस्टस के नीचे से सरक गया। वह निहाई ही था।
अब सुयश ने निहाई को हेफेस्टस के पास रख दिया और एडमैन्टाइन का टुकड़ा उस निहाई पर रख दिया।
इसके बाद सुयश ने चिमटे को हेफेस्टस के एक हाथ में और हथौड़े को दूसरे हाथ में पकड़ा दिया।
जैसे ही सुयश ने हेफेस्टस के हाथ में हथौड़ा पकड़ाया, हेफेस्टस की मूर्ति सजीव हो गई और वह एडमैन्टाइन को चिमटे से पकड़कर, उस पर हथौड़े से तेज चोट करने लगा।
घन जैसे हथौड़े की तेज आवाज पूरे पहाड़ में गूंजने लगी।
सभी चुपचाप कुछ दूर हटकर हेफेस्टस को काम करते हुए देख रहे थे।
लगभग आधा घंटे की ठोका-पीटी के बाद हेफेस्टस ने उस एडमैन्टाइन के टुकड़े से तीन चीजें बना दीं।
वह चीजें वही थीं, जिसके बारे में क्रिस्टी ने कुछ देर पहले बताया था।
यानि एक जोड़ी जूते, जिनके पंख लगे थे, एक सिर पर पहनने वाला हेलमेट, इस पर भी दोनों ओर पंख लगे थे और एक छड़ी, उस छड़ी पर भी पंख लगे थे।
यानि की ये सब वही चीजें थीं, जो कि पौराणिक कथाओं में हेफेस्टस ने हरमीस को दी थीं।
इतना करने के बाद हेफेस्टस वहां से अदृश्य हो गया और साथ ही अदृश्य हो गये उसके यंत्र भी।
“मुझे लगता है कि अब यह सारे अस्त्र हरमीस को सौंपने के बाद यह मायाजाल टूट जायेगा।” तौफीक ने कहा।
सुयश ने जैसे ही सुनहरे जूते को छुआ, उसके पंख बहुत तेजी से सजीव हो कर फड़फड़ाने लगे।
यह देख सुयश आश्चर्य में पड़ गया। अब उसने पंखों वाले हेलमेट को हाथ लगाया, सुयश के हाथ लगाते ही उसके पंख भी हवा में फड़फड़ाने लगे।
यह देख शैफाली बोल उठी- “कैप्टेन अंकल...मुझे लगता है कि यह जादुई चीजें हेफेस्टस ने हरमीस के लिये नहीं बल्कि हमारे लिये बनाई हैं।...आप कह रहे थे ना कि हम इतनी ऊंचाई से नीचे कैसे जायेंगे, तो मुझे लगता है कि हम इन्हीं जादुई चीजों की मदद से ही नीचे जायेंगे।”
सुयश सहित सभी को शैफाली का विचार सही लगा।
“पर कैप्टेन....यह तो 3 ही चीजें हैं, और हम लोग 5 हैं, फिर इनकी मदद से हम सब नीचे कैसे जायेंगे?” जेनिथ ने कहा।
जारी रहेगा_______![]()
Thanks brother for your valuable reviewSuperb update and nice story
Awesome update#135.
सुनहरे पंख: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 13:50, मायावन, अराका द्वीप)
ज्वालामुखी से बचने के बाद सभी ऊपर बनी गुफा के छेद में प्रवेश कर गये।
कुछ देर तक गुफा की संकरी और आड़ी-टेढ़ी गलियों में घूमने के बाद सभी एक विशाल स्थान पर पहुंच गये।
यह बड़ा स्थान एक खोखले पहाड़ के समान प्रतीत हो रहा था, जहां पर बीचो बीच में पानी की एक छोटी झील नजर आ रही थी।
झील का पानी पहाड़ में बने 5 छेद से, झरने के समान पहाड़ के नीचे गिर रहा था। वह 5 छेद लगभग 6 फुट डायामीटर के बने थे।
झील के पास के खाली स्थान पर 2 ग्रीक योद्धा और एक घोड़े की मूर्ति थी।
एक ग्रीक योद्धा एक पत्थर पर बैठकर कुछ सोच रहा था। दूसरा योद्धा उसके पास खड़ा था।
एक स्थान पर पत्थर में एक बड़ा सा लीवर लगा था, जिसके पास कुछ पत्थर के छोटे टुकड़े पड़े थे।
झील के ऊपर कुछ ऊंचाई पर, किसी धातु के 5 गोले हवा में तैर रहे थे।
“लगता है हम फिर से किसी मायाजाल के अंदर आ गये हैं।” सुयश ने सारी चीजों को ध्यान से देखते हुए कहा- “इसलिये कोई भी बिना कुछ समझे किसी चीज को हाथ नहीं लगायेगा?”
“कैप्टेन यह दोनों मूर्तियां ग्रीक देव ‘हेफेस्टस’ और ‘हरमीस’ की हैं।” क्रिस्टी ने मूर्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा।
“क्रिस्टी, क्या तुम इन दोनों के बारे में थोड़ा बहुत बता सकती हो, इससे हमें इस मायाजाल को समझने में आसानी हो जायेगी।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा।
“इसमें से पहली मूर्ति हेफेस्टस की है। यह ओलंपस पर्वत पर रहने वाले 12 देवी-देवताओं में से एक है। हेफेस्टस, देवता जीयूष और देवी हेरा का पुत्र है। कुरुप होने के कारण जीयूष ने हेफेस्टस को ओलंपस पर्वत से फेंक दिया था, जिससे हेफेस्टस लंगड़ा कर चलने लगा। हेफेस्टस को जादूगरों का देवता भी कहते हैं।
"ओलंपस पर्वत से निकाले जाने के बाद हेफेस्टस एक ज्वालामुखी में रहने लगा। इसलिये उसे ‘वुल्कान’ भी कहा जाता है। बाद में हेफेस्टस ने अपने जादू से देवी हेरा को एक सिंहासन से चिपका दिया। जिसके परिणाम स्वरुप जीयूष को अपनी पुत्री एफ्रोडाइट का विवाह हेफेस्टस से कर उसे ओलंपस पर्वत वापस बुलाना पड़ा।
"हेफेस्टस ने हेरा को सिंहासन से मुक्त कर दिया। बाद में हेफेस्टस को सभी देवताओं के हथियार बनाने का कार्य सौंपा गया। ज्यादातर देवताओं के हथियार हेफेस्टस ने ही बनाये हैं। अब मैं बात करुंगी, दूसरे देवता हरमीस की। हरमीस को संदेशवाहक देवता कहा जाता है, यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से भ्रमण कर सकने में सक्षम है। यह भी जीयूष का एक पुत्र है।
"हेफेस्टस ने हरमीस को अपना कार्य सरलता से पूरा करने के लिये 3 चीजें प्रदान की थीं। जिसमें से एक सोने का जूता था, जिसमें पंख लगे थे। उस जूते को ‘तलारिया’ कहते थे। दूसरी चीज एक पंखों वाला हेलमेट थी, जिसे ‘पेटोसस’ कहते थे। तीसरी चीज ‘कैडूसियस’ नाम की एक छड़ी थी, जो धातु की बनी थी। जिसमें 2 सर्प आपस में लिपटे हुए बने थे और 2 सुनहरे पंख ऊपर के स्थान पर लगे थे।” इतना कहकर क्रिस्टी चुप हो गई।
“इसका मतलब हेफेस्टस को हिं..दू धर्म का 'विश्वकर्मा' और हरमीस को ‘नारद’ कहा जा सकता है।” सुयश ने कहा।
पर सुयश की यह बात किसी की समझ में आयी नहीं।
“चलो दोस्तों अब देखते हैं कि यहां से कैसे निकला जा सकता है?” सुयश ने सभी में जोश भरते हुए कहा।
“सबसे पहले पहाड़ में मौजूद उन छेद को देखते हैं, क्यों कि वही यहां से निकलने का एक मात्र रास्ता दिख रहा है।“ तौफीक ने पहाड़ में मौजूद छेदों की ओर इशारा करते हुए कहा।
सभी चलते हुए उन 5 छेदों के पास पहुंच गये। चूंकि झरने का पानी उन सभी छेदों से नीचे की ओर जा रहा था, इसलिये पानी का बहाव वहां काफी तेज था।
“जरा ध्यान से तौफीक...यहां बहाव बहुत तेज है।” सुयश ने कहा- “अगर फिसल गये तो शरीर का चूरा भी नहीं मिलेगा। हम लोग कम से कम 600 से 700 फिट की ऊंचाई पर हैं।”
“जी कैप्टेन।”तौफीक ने स्वीकृति से अपना सिर हिला दिया।
तौफीक ने सावधानी से पानी की ओर अपना कदम बढ़ाया, पर उसका पैर पानी के ऊपर ही रुक गया।
“कैप्टेन... मेरा पैर पानी के अंदर नहीं जा रहा है, मुझे पानी के ऊपर पैर रखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे मैंने किसी ठोस वस्तु पर अपना पैर रखा हो। शायद यह भ्रम पैदा करने वाला पानी है।” तौफीक ने पानी के ऊपर खड़े होते हुए कहा।
“यह तो और भी अच्छी भी बात है, अब तुम्हें बहाव से कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश ने कहा- “अब जरा आगे बढ़कर इन सभी छेदों को चेक करो। क्या इसमें कुछ भी तुम्हें अलग महसूस हो रहा है?”
तौफीक ने पहले छेद के पास जा कर दूसरी ओर झांक कर देखने की कोशिश की, परंतु तौफीक को उस छेद में कोई अदृश्य अवरोध महसूस हुआ।
तौफीक ने एक-एक कर सभी छेदों को जांच लिया। उन सभी छेदों से बाहर नहीं जाया जा सकता था।
“कैप्टेन...हम किसी भी छेद से बाहर नहीं जा सकते। हर छेद में कोई अदृश्य दीवार उपस्थित है।” तौफीक के शब्दों में चिंता के भाव नजर आये।
“इसका मतलब हम बिना यहां के मायाजाल को तोड़े यहां से बाहर नहीं निकल सकते।” शैफाली ने कहा।
“पर कैप्टेन, अगर हमने यहां का मायाजाल पार भी कर लिया तो हम इतनी ऊंचाई से नीचे जायेंगे कैसे?” क्रिस्टी के तर्कों में भी दम था।
“यहां से नीचे जाने की चिंता ना करो, यहां से नीचे तो हम शैफाली के सुरक्षा बुलबुले से भी जा सकते हैं।” जेनिथ ने कहा।
“नहीं जा सकते।” शैफाली ने कहा- “जेनिथ दीदी, जरा उन छेदों का साइज देखिये, मेरे रक्षा कवच का बुलबुला उस छेद के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है। वह इतने छोटे से छेद से बाहर ही नहीं निकल पायेगा और बाहर निकलकर, कूदते हुए उस बुलबुले का बनाना मूर्खता होगी क्यों कि उसके लिये भी हम पांचों को सभी छेदों से एक साथ हवा में कूदना होगा और जरा सी चूक हममें से किसी की भी जान ले लेगी।”
शैफाली ने अच्छा तार्किक उत्तर दिया।
“जितना मैंने इस जंगल के मायाजाल को देखा है, उससे पता चलता है कि हर मायाजाल अपने आप में एक साल्यूशन भी रखता है।” सुयश ने कहा- “हो सकता है कि जब हम इस मायाजाल को तोड़ लें, तो इन्हीं से हमें झरने के नीचे जाने का रास्ता मिल जाये?.....चलो फिलहाल हमें ये तो पता चल गया कि ना तो हम इस झील के अंदर जा सकते हैं और ना ही इन छेदों से बाहर। अब बाकी की चीजों को चेक करते हैं।”
यह कहकर सुयश उन हवा में तेज गति से तैर रहे धातु के गोलों को देखा।
“मुझे लगता है कि जरुर इन धातु के गोलों में कोई रहस्य छिपा है, क्यों कि यह गोले तेज गति से हवा में घूम रहे हैं और हमारी पहुंच से काफी दूर भी हैं, तो अब इन गोलों को चेक करना होगा।” शैफाली ने कहा।
“पर कैसे?” क्रिस्टी ने उन गोलों को देखते हुए कहा- “हम इन गोलों तक पहुंचेगे कैसे? जरा इनकी स्पीड तो देखो, यह बहुत तेज हवा में नाच रहे हैं।”
“अगर यह गोले जमीन के पास उड़ रहे होते, तो मैं इन्हें आसानी से पकड़ लेती, भले ही इनकी स्पीड कितनी भी होती।” जेनिथ ने कहा।
तभी तौफीक की नजर पास में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ी। पत्थरों को देखते ही तौफीक की आँखें चमकने लगीं।
“मैं इन गोलों को नीचे ला सकता हूं।” तौफीक ने दृढ़ता पूर्वक कहा।
सभी आश्चर्य से तौफीक का मुंह देखने लगे।
तभी तौफीक ने अपने हाथों में कुछ पत्थर उठा लिये और एक गोले की गति को ध्यान से देखते हुए, उस पर एक पत्थर फेंक कर मार दिया।
हर बार की तरह तौफीक का निशाना बिल्कुल अचूक था। पत्थर सीधा उस गोले पर लगा और वह गोला जमीन पर आ गिरा।
जमीन पर गिरते ही उसकी गति समाप्त हो गयी। अब वह बिल्कुल स्थिर हो गया था।
सुयश ने आगे बढ़कर उस गोले को उठा लिया। उस गोले पर अग्रेजी अक्षर का ‘M’ अक्षर छपा था।
“इस पर तो ‘M’ अक्षर लिखा है।” सुयश सभी की ओर देखते हुए कहा- “लगता है यह भी कोई ‘मैग्नार्क’ जैसी पहेली है। तौफीक बाकी के भी गोलों को गिराओ.... जब सब इकठ्ठा हो जायें, तो फिर देखेंगे, कि इससे क्या बनेगा?”
सुयश की बात सुन तौफीक ने निशाना लगा कर एक-एक करके पांचों गोलों को नीचे गिरा दिया।
सुयश ने सभी गोलों पर लिखे अक्षरों को एकत्र किया, जो कि इस प्रकार थे- ‘MADAN’
“इन अक्षरों से ‘DANAM’, ‘NADAM’, ‘MANDA’, ‘ADMAN’ इस प्रकार के ही शब्द बन रहे हैं, पर इन शब्दों से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”
शैफाली ने कहा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शब्द अभी अधूरा है, मेरा मतलब है कि अभी और भी कुछ अक्षर यहीं कहीं छिपें हों? जिसकी वजह से हम इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं?”
शैफाली के शब्द सुन सभी अपने आस-पास कुछ और ढूंढने में लग गये, पर कहीं भी कुछ भी नहीं था।
तभी सुयश की निगाह पत्थर पर बने उस लीवर पर पड़ी।
सुयश ने आगे बढ़कर उस लीवर को एक दिशा में खींच दिया, पर कहीं से ना तो कोई आवाज सुनाई दी और ना ही कहीं कोई परिवर्तन हुआ।
यह देख सुयश ने उस लीवर को छोड़ दिया। सुयश के छोड़ते ही लीवर अपनेआप यथा स्थान आ गया।
समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी।
तभी एक गोले को देख रही शैफाली के हाथ से वह गोला फिसलकर जमीन पर गिर गया और लुढ़कता हुआ उस झील के अंदर चला गया।
“झील का पानी तो अभी तक ठोस था, फिर वह गोला झील के अंदर कैसे चला गया?” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा।
शैफाली ने आगे बढ़कर झील के पानी को छुआ, पानी अभी भी ठोस था।
शैफाली कुछ देर तक सोचती रही और फिर एक दूसरे गोले को हाथ में लेकर झील की सतह से स्पर्श कराया, वह दूसरा गोला पानी से भीग गया।
अब शैफाली ने गोले को अपने हाथ में लिये-लिये ही, अपना हाथ पानी में डाला। शैफाली का हाथ झील के पानी के अंदर चला गया।
यह देख शैफाली मुस्कुरा उठी। वह गोले को हाथ में पकड़कर झील के पानी में उतर गयी।
सुयश सहित सभी ध्यान से शैफाली की गतिविधियों को देख रहे थे।
थोड़ी ही देर में शैफाली झील के पानी के बाहर निकली, उसके हाथ में 2 और गोले थे।
उन 2 गोलों को सुयश को पकड़ाकर शैफाली फिर से पानी में चल गयी।
पहला वाला अब भी शैफाली के हाथ में था। ऐसे ही एक-एक कर शैफाली ने झील के अंदर से 5 गोले और निकाल लिये और झील के पानी से बाहर आ गयी।
अब उन लोगों के पास कुल 10 गोले हो गये थे। यह 5 नये अक्षर थे ‘ITNAE’....अब सभी तेजी से उन गोलों को एक स्थान पर रखकर उससे कोई नया शब्द बनाने में जुट गये।
लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद इस पहेली को हल किया क्रिस्टी ने।
“कैप्टेन...यह 10 गोलों से ‘ADAMANTINE’ शब्द बन रहा है।” क्रिस्टी ने कहा।
“यह ‘एडमैन्टाइन’ होता क्या है?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।
“देवताओं ने धरती पर गिरने वाले उल्का पिंड से, एक नयी धातु खोज निकाली, जो पृथ्वी पर नहीं पायी जाती थी। उसे ही एडमैन्टाइन नाम दिया गया। यह धातु टंगस्टन और टाइटेनियम से भी ज्यादा कठोर और
हल्की थी। हेफेस्टस ने देवताओं के सभी हथियार इसी धातु से बनाये थे।”
“यानि यहां के मायाजाल के हिसाब से हमें यह धातु इकठ्ठी करके हेफेस्टस के पास रखनी होगी।” सुयश ने यह कहकर सभी से इशारा किया।
सभी ने 2-2 गोले उठाकर हेफेस्टस के पास एक जगह पर एकत्र कर दिये।
पर जैसे ही सभी गोले आपस में स्पर्श हुए, सभी एक साथ जुड़कर, एक छोटे से वर्गाकार धातु के टुकड़े का रुप ले लिये।
सभी अब कुछ परिवर्तन की आस लिये चारों ओर देखने लगे, पर अभी भी सब कुछ शांत था।
“मुझे लगता है कि यहां के दृश्य के हिसाब से हेफेस्टस को कुछ हथियार बनाकर हरमीस को देना है, जब हेफेस्टस वह हथियार हरमीस को दे देगा, तभी यह मायाजाल टूटेगा।” शैफाली ने कहा।
“तो धातु का टुकड़ा तो मिल गया, अब क्या चीज चाहिये?” जेनिथ ने पूछा।
“हेफेस्टस के टूल्स, जिससे वह हथियार बनाता था। मेरे हिसाब से टूल्स के बिना हेफेस्टस कैसे हथियार बना पायेगा ?” सुयश ने कहा- “क्रिस्टी, हेफेस्टस के पास किस प्रकार के टूल्स थे?”
“एक हथौड़ा, एक चिमटा और एक निहाई।” क्रिस्टी ने कहा- “बिना इन यंत्रों के कोई भी शिल्पकार कुछ नहीं बना सकता।" (निहाई को अंग्रेजी में anvil कहते हैं)
“इसका मतलब ये सारी वस्तुएं भी यहीं पर कहीं होंगी?” सुयश ने कहा और चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाने लगा।
“कैप्टेन उस लीवर का अभी तक हम लोगों ने कोई भी उपयोग नहीं किया है? हो सकता है कि हेफेस्टस के टूल्स उसी के अंदर हों?” जेनिथ ने लीवर की ओर इशारा करते हुए कहा।
सुयश उस लीवर के पास पहुंचकर ध्यान से उसे देखने लगा, पर वह लीवर उसे किसी यंत्र जैसा नहीं लगा।
सुयश ने उस लीवर के हैंडिल को ऊपर की ओर खींच कर देखा।
सुयश के ऐसा करते ही लीवर सुयश के हाथ में आ गया, परंतु अब वो किसी हथौड़े की मूठ जैसा लग रहा था।
यह देख सुयश पत्थर को उलट-पलट कर देखने लगा।
कुछ ही देर में सुयश की तीव्र आँखों ने पत्थर पर अलग से लगे एक घन के आकार का भाग देख लिया, जो कि थोड़े ही प्रयास के बाद उस पत्थर के टुकड़े से अलग हो गया।
सुयश ने घन के टुकड़े को जैसे ही लीवर से स्पर्श कराया, वह एक हथौड़े में परिवर्तित हो गया।
हथौड़े के बनते ही सभी में उम्मीद की किरण जाग उठी। अब सभी दुगने उत्साह से बाकी के दोनों यंत्र ढूंढने में लग गये।
कुछ देर में शैफाली को चिमटा वहां मौजूद घोड़े की पूंछ से बंधा हुआ मिल गया। लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी निहाई नहीं मिला।
तभी तौफीक की निगाह उस पत्थर पर गई, जिस पर बैठकर हेफेस्टस कुछ सोच रहा था।
“कैप्टेन, कहीं वह तो निहाई नहीं? जिस पर हेफेस्टस स्वयं बैठा हुआ है।” तौफीक ने सुयश को पत्थर की ओर इशारा करते हुए कहा।
तौफीक की बात सुन सुयश ने उस पत्थर को धीरे से धक्का दिया, धक्का देते ही वह पत्थर हेफेस्टस के नीचे से सरक गया। वह निहाई ही था।
अब सुयश ने निहाई को हेफेस्टस के पास रख दिया और एडमैन्टाइन का टुकड़ा उस निहाई पर रख दिया।
इसके बाद सुयश ने चिमटे को हेफेस्टस के एक हाथ में और हथौड़े को दूसरे हाथ में पकड़ा दिया।
जैसे ही सुयश ने हेफेस्टस के हाथ में हथौड़ा पकड़ाया, हेफेस्टस की मूर्ति सजीव हो गई और वह एडमैन्टाइन को चिमटे से पकड़कर, उस पर हथौड़े से तेज चोट करने लगा।
घन जैसे हथौड़े की तेज आवाज पूरे पहाड़ में गूंजने लगी।
सभी चुपचाप कुछ दूर हटकर हेफेस्टस को काम करते हुए देख रहे थे।
लगभग आधा घंटे की ठोका-पीटी के बाद हेफेस्टस ने उस एडमैन्टाइन के टुकड़े से तीन चीजें बना दीं।
वह चीजें वही थीं, जिसके बारे में क्रिस्टी ने कुछ देर पहले बताया था।
यानि एक जोड़ी जूते, जिनके पंख लगे थे, एक सिर पर पहनने वाला हेलमेट, इस पर भी दोनों ओर पंख लगे थे और एक छड़ी, उस छड़ी पर भी पंख लगे थे।
यानि की ये सब वही चीजें थीं, जो कि पौराणिक कथाओं में हेफेस्टस ने हरमीस को दी थीं।
इतना करने के बाद हेफेस्टस वहां से अदृश्य हो गया और साथ ही अदृश्य हो गये उसके यंत्र भी।
“मुझे लगता है कि अब यह सारे अस्त्र हरमीस को सौंपने के बाद यह मायाजाल टूट जायेगा।” तौफीक ने कहा।
सुयश ने जैसे ही सुनहरे जूते को छुआ, उसके पंख बहुत तेजी से सजीव हो कर फड़फड़ाने लगे।
यह देख सुयश आश्चर्य में पड़ गया। अब उसने पंखों वाले हेलमेट को हाथ लगाया, सुयश के हाथ लगाते ही उसके पंख भी हवा में फड़फड़ाने लगे।
यह देख शैफाली बोल उठी- “कैप्टेन अंकल...मुझे लगता है कि यह जादुई चीजें हेफेस्टस ने हरमीस के लिये नहीं बल्कि हमारे लिये बनाई हैं।...आप कह रहे थे ना कि हम इतनी ऊंचाई से नीचे कैसे जायेंगे, तो मुझे लगता है कि हम इन्हीं जादुई चीजों की मदद से ही नीचे जायेंगे।”
सुयश सहित सभी को शैफाली का विचार सही लगा।
“पर कैप्टेन....यह तो 3 ही चीजें हैं, और हम लोग 5 हैं, फिर इनकी मदद से हम सब नीचे कैसे जायेंगे?” जेनिथ ने कहा।
जारी रहेगा_______![]()
#135.
सुनहरे पंख: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 13:50, मायावन, अराका द्वीप)
ज्वालामुखी से बचने के बाद सभी ऊपर बनी गुफा के छेद में प्रवेश कर गये।
कुछ देर तक गुफा की संकरी और आड़ी-टेढ़ी गलियों में घूमने के बाद सभी एक विशाल स्थान पर पहुंच गये।
यह बड़ा स्थान एक खोखले पहाड़ के समान प्रतीत हो रहा था, जहां पर बीचो बीच में पानी की एक छोटी झील नजर आ रही थी।
झील का पानी पहाड़ में बने 5 छेद से, झरने के समान पहाड़ के नीचे गिर रहा था। वह 5 छेद लगभग 6 फुट डायामीटर के बने थे।
झील के पास के खाली स्थान पर 2 ग्रीक योद्धा और एक घोड़े की मूर्ति थी।
एक ग्रीक योद्धा एक पत्थर पर बैठकर कुछ सोच रहा था। दूसरा योद्धा उसके पास खड़ा था।
एक स्थान पर पत्थर में एक बड़ा सा लीवर लगा था, जिसके पास कुछ पत्थर के छोटे टुकड़े पड़े थे।
झील के ऊपर कुछ ऊंचाई पर, किसी धातु के 5 गोले हवा में तैर रहे थे।
“लगता है हम फिर से किसी मायाजाल के अंदर आ गये हैं।” सुयश ने सारी चीजों को ध्यान से देखते हुए कहा- “इसलिये कोई भी बिना कुछ समझे किसी चीज को हाथ नहीं लगायेगा?”
“कैप्टेन यह दोनों मूर्तियां ग्रीक देव ‘हेफेस्टस’ और ‘हरमीस’ की हैं।” क्रिस्टी ने मूर्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा।
“क्रिस्टी, क्या तुम इन दोनों के बारे में थोड़ा बहुत बता सकती हो, इससे हमें इस मायाजाल को समझने में आसानी हो जायेगी।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा।
“इसमें से पहली मूर्ति हेफेस्टस की है। यह ओलंपस पर्वत पर रहने वाले 12 देवी-देवताओं में से एक है। हेफेस्टस, देवता जीयूष और देवी हेरा का पुत्र है। कुरुप होने के कारण जीयूष ने हेफेस्टस को ओलंपस पर्वत से फेंक दिया था, जिससे हेफेस्टस लंगड़ा कर चलने लगा। हेफेस्टस को जादूगरों का देवता भी कहते हैं।
"ओलंपस पर्वत से निकाले जाने के बाद हेफेस्टस एक ज्वालामुखी में रहने लगा। इसलिये उसे ‘वुल्कान’ भी कहा जाता है। बाद में हेफेस्टस ने अपने जादू से देवी हेरा को एक सिंहासन से चिपका दिया। जिसके परिणाम स्वरुप जीयूष को अपनी पुत्री एफ्रोडाइट का विवाह हेफेस्टस से कर उसे ओलंपस पर्वत वापस बुलाना पड़ा।
"हेफेस्टस ने हेरा को सिंहासन से मुक्त कर दिया। बाद में हेफेस्टस को सभी देवताओं के हथियार बनाने का कार्य सौंपा गया। ज्यादातर देवताओं के हथियार हेफेस्टस ने ही बनाये हैं। अब मैं बात करुंगी, दूसरे देवता हरमीस की। हरमीस को संदेशवाहक देवता कहा जाता है, यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से भ्रमण कर सकने में सक्षम है। यह भी जीयूष का एक पुत्र है।
"हेफेस्टस ने हरमीस को अपना कार्य सरलता से पूरा करने के लिये 3 चीजें प्रदान की थीं। जिसमें से एक सोने का जूता था, जिसमें पंख लगे थे। उस जूते को ‘तलारिया’ कहते थे। दूसरी चीज एक पंखों वाला हेलमेट थी, जिसे ‘पेटोसस’ कहते थे। तीसरी चीज ‘कैडूसियस’ नाम की एक छड़ी थी, जो धातु की बनी थी। जिसमें 2 सर्प आपस में लिपटे हुए बने थे और 2 सुनहरे पंख ऊपर के स्थान पर लगे थे।” इतना कहकर क्रिस्टी चुप हो गई।
“इसका मतलब हेफेस्टस को हिं..दू धर्म का 'विश्वकर्मा' और हरमीस को ‘नारद’ कहा जा सकता है।” सुयश ने कहा।
पर सुयश की यह बात किसी की समझ में आयी नहीं।
“चलो दोस्तों अब देखते हैं कि यहां से कैसे निकला जा सकता है?” सुयश ने सभी में जोश भरते हुए कहा।
“सबसे पहले पहाड़ में मौजूद उन छेद को देखते हैं, क्यों कि वही यहां से निकलने का एक मात्र रास्ता दिख रहा है।“ तौफीक ने पहाड़ में मौजूद छेदों की ओर इशारा करते हुए कहा।
सभी चलते हुए उन 5 छेदों के पास पहुंच गये। चूंकि झरने का पानी उन सभी छेदों से नीचे की ओर जा रहा था, इसलिये पानी का बहाव वहां काफी तेज था।
“जरा ध्यान से तौफीक...यहां बहाव बहुत तेज है।” सुयश ने कहा- “अगर फिसल गये तो शरीर का चूरा भी नहीं मिलेगा। हम लोग कम से कम 600 से 700 फिट की ऊंचाई पर हैं।”
“जी कैप्टेन।”तौफीक ने स्वीकृति से अपना सिर हिला दिया।
तौफीक ने सावधानी से पानी की ओर अपना कदम बढ़ाया, पर उसका पैर पानी के ऊपर ही रुक गया।
“कैप्टेन... मेरा पैर पानी के अंदर नहीं जा रहा है, मुझे पानी के ऊपर पैर रखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे मैंने किसी ठोस वस्तु पर अपना पैर रखा हो। शायद यह भ्रम पैदा करने वाला पानी है।” तौफीक ने पानी के ऊपर खड़े होते हुए कहा।
“यह तो और भी अच्छी भी बात है, अब तुम्हें बहाव से कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश ने कहा- “अब जरा आगे बढ़कर इन सभी छेदों को चेक करो। क्या इसमें कुछ भी तुम्हें अलग महसूस हो रहा है?”
तौफीक ने पहले छेद के पास जा कर दूसरी ओर झांक कर देखने की कोशिश की, परंतु तौफीक को उस छेद में कोई अदृश्य अवरोध महसूस हुआ।
तौफीक ने एक-एक कर सभी छेदों को जांच लिया। उन सभी छेदों से बाहर नहीं जाया जा सकता था।
“कैप्टेन...हम किसी भी छेद से बाहर नहीं जा सकते। हर छेद में कोई अदृश्य दीवार उपस्थित है।” तौफीक के शब्दों में चिंता के भाव नजर आये।
“इसका मतलब हम बिना यहां के मायाजाल को तोड़े यहां से बाहर नहीं निकल सकते।” शैफाली ने कहा।
“पर कैप्टेन, अगर हमने यहां का मायाजाल पार भी कर लिया तो हम इतनी ऊंचाई से नीचे जायेंगे कैसे?” क्रिस्टी के तर्कों में भी दम था।
“यहां से नीचे जाने की चिंता ना करो, यहां से नीचे तो हम शैफाली के सुरक्षा बुलबुले से भी जा सकते हैं।” जेनिथ ने कहा।
“नहीं जा सकते।” शैफाली ने कहा- “जेनिथ दीदी, जरा उन छेदों का साइज देखिये, मेरे रक्षा कवच का बुलबुला उस छेद के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है। वह इतने छोटे से छेद से बाहर ही नहीं निकल पायेगा और बाहर निकलकर, कूदते हुए उस बुलबुले का बनाना मूर्खता होगी क्यों कि उसके लिये भी हम पांचों को सभी छेदों से एक साथ हवा में कूदना होगा और जरा सी चूक हममें से किसी की भी जान ले लेगी।”
शैफाली ने अच्छा तार्किक उत्तर दिया।
“जितना मैंने इस जंगल के मायाजाल को देखा है, उससे पता चलता है कि हर मायाजाल अपने आप में एक साल्यूशन भी रखता है।” सुयश ने कहा- “हो सकता है कि जब हम इस मायाजाल को तोड़ लें, तो इन्हीं से हमें झरने के नीचे जाने का रास्ता मिल जाये?.....चलो फिलहाल हमें ये तो पता चल गया कि ना तो हम इस झील के अंदर जा सकते हैं और ना ही इन छेदों से बाहर। अब बाकी की चीजों को चेक करते हैं।”
यह कहकर सुयश उन हवा में तेज गति से तैर रहे धातु के गोलों को देखा।
“मुझे लगता है कि जरुर इन धातु के गोलों में कोई रहस्य छिपा है, क्यों कि यह गोले तेज गति से हवा में घूम रहे हैं और हमारी पहुंच से काफी दूर भी हैं, तो अब इन गोलों को चेक करना होगा।” शैफाली ने कहा।
“पर कैसे?” क्रिस्टी ने उन गोलों को देखते हुए कहा- “हम इन गोलों तक पहुंचेगे कैसे? जरा इनकी स्पीड तो देखो, यह बहुत तेज हवा में नाच रहे हैं।”
“अगर यह गोले जमीन के पास उड़ रहे होते, तो मैं इन्हें आसानी से पकड़ लेती, भले ही इनकी स्पीड कितनी भी होती।” जेनिथ ने कहा।
तभी तौफीक की नजर पास में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ी। पत्थरों को देखते ही तौफीक की आँखें चमकने लगीं।
“मैं इन गोलों को नीचे ला सकता हूं।” तौफीक ने दृढ़ता पूर्वक कहा।
सभी आश्चर्य से तौफीक का मुंह देखने लगे।
तभी तौफीक ने अपने हाथों में कुछ पत्थर उठा लिये और एक गोले की गति को ध्यान से देखते हुए, उस पर एक पत्थर फेंक कर मार दिया।
हर बार की तरह तौफीक का निशाना बिल्कुल अचूक था। पत्थर सीधा उस गोले पर लगा और वह गोला जमीन पर आ गिरा।
जमीन पर गिरते ही उसकी गति समाप्त हो गयी। अब वह बिल्कुल स्थिर हो गया था।
सुयश ने आगे बढ़कर उस गोले को उठा लिया। उस गोले पर अग्रेजी अक्षर का ‘M’ अक्षर छपा था।
“इस पर तो ‘M’ अक्षर लिखा है।” सुयश सभी की ओर देखते हुए कहा- “लगता है यह भी कोई ‘मैग्नार्क’ जैसी पहेली है। तौफीक बाकी के भी गोलों को गिराओ.... जब सब इकठ्ठा हो जायें, तो फिर देखेंगे, कि इससे क्या बनेगा?”
सुयश की बात सुन तौफीक ने निशाना लगा कर एक-एक करके पांचों गोलों को नीचे गिरा दिया।
सुयश ने सभी गोलों पर लिखे अक्षरों को एकत्र किया, जो कि इस प्रकार थे- ‘MADAN’
“इन अक्षरों से ‘DANAM’, ‘NADAM’, ‘MANDA’, ‘ADMAN’ इस प्रकार के ही शब्द बन रहे हैं, पर इन शब्दों से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”
शैफाली ने कहा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शब्द अभी अधूरा है, मेरा मतलब है कि अभी और भी कुछ अक्षर यहीं कहीं छिपें हों? जिसकी वजह से हम इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं?”
शैफाली के शब्द सुन सभी अपने आस-पास कुछ और ढूंढने में लग गये, पर कहीं भी कुछ भी नहीं था।
तभी सुयश की निगाह पत्थर पर बने उस लीवर पर पड़ी।
सुयश ने आगे बढ़कर उस लीवर को एक दिशा में खींच दिया, पर कहीं से ना तो कोई आवाज सुनाई दी और ना ही कहीं कोई परिवर्तन हुआ।
यह देख सुयश ने उस लीवर को छोड़ दिया। सुयश के छोड़ते ही लीवर अपनेआप यथा स्थान आ गया।
समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी।
तभी एक गोले को देख रही शैफाली के हाथ से वह गोला फिसलकर जमीन पर गिर गया और लुढ़कता हुआ उस झील के अंदर चला गया।
“झील का पानी तो अभी तक ठोस था, फिर वह गोला झील के अंदर कैसे चला गया?” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा।
शैफाली ने आगे बढ़कर झील के पानी को छुआ, पानी अभी भी ठोस था।
शैफाली कुछ देर तक सोचती रही और फिर एक दूसरे गोले को हाथ में लेकर झील की सतह से स्पर्श कराया, वह दूसरा गोला पानी से भीग गया।
अब शैफाली ने गोले को अपने हाथ में लिये-लिये ही, अपना हाथ पानी में डाला। शैफाली का हाथ झील के पानी के अंदर चला गया।
यह देख शैफाली मुस्कुरा उठी। वह गोले को हाथ में पकड़कर झील के पानी में उतर गयी।
सुयश सहित सभी ध्यान से शैफाली की गतिविधियों को देख रहे थे।
थोड़ी ही देर में शैफाली झील के पानी के बाहर निकली, उसके हाथ में 2 और गोले थे।
उन 2 गोलों को सुयश को पकड़ाकर शैफाली फिर से पानी में चल गयी।
पहला वाला अब भी शैफाली के हाथ में था। ऐसे ही एक-एक कर शैफाली ने झील के अंदर से 5 गोले और निकाल लिये और झील के पानी से बाहर आ गयी।
अब उन लोगों के पास कुल 10 गोले हो गये थे। यह 5 नये अक्षर थे ‘ITNAE’....अब सभी तेजी से उन गोलों को एक स्थान पर रखकर उससे कोई नया शब्द बनाने में जुट गये।
लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद इस पहेली को हल किया क्रिस्टी ने।
“कैप्टेन...यह 10 गोलों से ‘ADAMANTINE’ शब्द बन रहा है।” क्रिस्टी ने कहा।
“यह ‘एडमैन्टाइन’ होता क्या है?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।
“देवताओं ने धरती पर गिरने वाले उल्का पिंड से, एक नयी धातु खोज निकाली, जो पृथ्वी पर नहीं पायी जाती थी। उसे ही एडमैन्टाइन नाम दिया गया। यह धातु टंगस्टन और टाइटेनियम से भी ज्यादा कठोर और
हल्की थी। हेफेस्टस ने देवताओं के सभी हथियार इसी धातु से बनाये थे।”
“यानि यहां के मायाजाल के हिसाब से हमें यह धातु इकठ्ठी करके हेफेस्टस के पास रखनी होगी।” सुयश ने यह कहकर सभी से इशारा किया।
सभी ने 2-2 गोले उठाकर हेफेस्टस के पास एक जगह पर एकत्र कर दिये।
पर जैसे ही सभी गोले आपस में स्पर्श हुए, सभी एक साथ जुड़कर, एक छोटे से वर्गाकार धातु के टुकड़े का रुप ले लिये।
सभी अब कुछ परिवर्तन की आस लिये चारों ओर देखने लगे, पर अभी भी सब कुछ शांत था।
“मुझे लगता है कि यहां के दृश्य के हिसाब से हेफेस्टस को कुछ हथियार बनाकर हरमीस को देना है, जब हेफेस्टस वह हथियार हरमीस को दे देगा, तभी यह मायाजाल टूटेगा।” शैफाली ने कहा।
“तो धातु का टुकड़ा तो मिल गया, अब क्या चीज चाहिये?” जेनिथ ने पूछा।
“हेफेस्टस के टूल्स, जिससे वह हथियार बनाता था। मेरे हिसाब से टूल्स के बिना हेफेस्टस कैसे हथियार बना पायेगा ?” सुयश ने कहा- “क्रिस्टी, हेफेस्टस के पास किस प्रकार के टूल्स थे?”
“एक हथौड़ा, एक चिमटा और एक निहाई।” क्रिस्टी ने कहा- “बिना इन यंत्रों के कोई भी शिल्पकार कुछ नहीं बना सकता।" (निहाई को अंग्रेजी में anvil कहते हैं)
“इसका मतलब ये सारी वस्तुएं भी यहीं पर कहीं होंगी?” सुयश ने कहा और चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाने लगा।
“कैप्टेन उस लीवर का अभी तक हम लोगों ने कोई भी उपयोग नहीं किया है? हो सकता है कि हेफेस्टस के टूल्स उसी के अंदर हों?” जेनिथ ने लीवर की ओर इशारा करते हुए कहा।
सुयश उस लीवर के पास पहुंचकर ध्यान से उसे देखने लगा, पर वह लीवर उसे किसी यंत्र जैसा नहीं लगा।
सुयश ने उस लीवर के हैंडिल को ऊपर की ओर खींच कर देखा।
सुयश के ऐसा करते ही लीवर सुयश के हाथ में आ गया, परंतु अब वो किसी हथौड़े की मूठ जैसा लग रहा था।
यह देख सुयश पत्थर को उलट-पलट कर देखने लगा।
कुछ ही देर में सुयश की तीव्र आँखों ने पत्थर पर अलग से लगे एक घन के आकार का भाग देख लिया, जो कि थोड़े ही प्रयास के बाद उस पत्थर के टुकड़े से अलग हो गया।
सुयश ने घन के टुकड़े को जैसे ही लीवर से स्पर्श कराया, वह एक हथौड़े में परिवर्तित हो गया।
हथौड़े के बनते ही सभी में उम्मीद की किरण जाग उठी। अब सभी दुगने उत्साह से बाकी के दोनों यंत्र ढूंढने में लग गये।
कुछ देर में शैफाली को चिमटा वहां मौजूद घोड़े की पूंछ से बंधा हुआ मिल गया। लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी निहाई नहीं मिला।
तभी तौफीक की निगाह उस पत्थर पर गई, जिस पर बैठकर हेफेस्टस कुछ सोच रहा था।
“कैप्टेन, कहीं वह तो निहाई नहीं? जिस पर हेफेस्टस स्वयं बैठा हुआ है।” तौफीक ने सुयश को पत्थर की ओर इशारा करते हुए कहा।
तौफीक की बात सुन सुयश ने उस पत्थर को धीरे से धक्का दिया, धक्का देते ही वह पत्थर हेफेस्टस के नीचे से सरक गया। वह निहाई ही था।
अब सुयश ने निहाई को हेफेस्टस के पास रख दिया और एडमैन्टाइन का टुकड़ा उस निहाई पर रख दिया।
इसके बाद सुयश ने चिमटे को हेफेस्टस के एक हाथ में और हथौड़े को दूसरे हाथ में पकड़ा दिया।
जैसे ही सुयश ने हेफेस्टस के हाथ में हथौड़ा पकड़ाया, हेफेस्टस की मूर्ति सजीव हो गई और वह एडमैन्टाइन को चिमटे से पकड़कर, उस पर हथौड़े से तेज चोट करने लगा।
घन जैसे हथौड़े की तेज आवाज पूरे पहाड़ में गूंजने लगी।
सभी चुपचाप कुछ दूर हटकर हेफेस्टस को काम करते हुए देख रहे थे।
लगभग आधा घंटे की ठोका-पीटी के बाद हेफेस्टस ने उस एडमैन्टाइन के टुकड़े से तीन चीजें बना दीं।
वह चीजें वही थीं, जिसके बारे में क्रिस्टी ने कुछ देर पहले बताया था।
यानि एक जोड़ी जूते, जिनके पंख लगे थे, एक सिर पर पहनने वाला हेलमेट, इस पर भी दोनों ओर पंख लगे थे और एक छड़ी, उस छड़ी पर भी पंख लगे थे।
यानि की ये सब वही चीजें थीं, जो कि पौराणिक कथाओं में हेफेस्टस ने हरमीस को दी थीं।
इतना करने के बाद हेफेस्टस वहां से अदृश्य हो गया और साथ ही अदृश्य हो गये उसके यंत्र भी।
“मुझे लगता है कि अब यह सारे अस्त्र हरमीस को सौंपने के बाद यह मायाजाल टूट जायेगा।” तौफीक ने कहा।
सुयश ने जैसे ही सुनहरे जूते को छुआ, उसके पंख बहुत तेजी से सजीव हो कर फड़फड़ाने लगे।
यह देख सुयश आश्चर्य में पड़ गया। अब उसने पंखों वाले हेलमेट को हाथ लगाया, सुयश के हाथ लगाते ही उसके पंख भी हवा में फड़फड़ाने लगे।
यह देख शैफाली बोल उठी- “कैप्टेन अंकल...मुझे लगता है कि यह जादुई चीजें हेफेस्टस ने हरमीस के लिये नहीं बल्कि हमारे लिये बनाई हैं।...आप कह रहे थे ना कि हम इतनी ऊंचाई से नीचे कैसे जायेंगे, तो मुझे लगता है कि हम इन्हीं जादुई चीजों की मदद से ही नीचे जायेंगे।”
सुयश सहित सभी को शैफाली का विचार सही लगा।
“पर कैप्टेन....यह तो 3 ही चीजें हैं, और हम लोग 5 हैं, फिर इनकी मदद से हम सब नीचे कैसे जायेंगे?” जेनिथ ने कहा।
जारी रहेगा_______![]()