• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
30,477
68,872
304

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
30,477
68,872
304

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
30,477
68,872
304

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
30,477
68,872
304

Sushil@10

Active Member
866
887
93
#135.

सुनहरे पंख: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 13:50, मायावन, अराका द्वीप)

ज्वालामुखी से बचने के बाद सभी ऊपर बनी गुफा के छेद में प्रवेश कर गये।

कुछ देर तक गुफा की संकरी और आड़ी-टेढ़ी गलियों में घूमने के बाद सभी एक विशाल स्थान पर पहुंच गये।

यह बड़ा स्थान एक खोखले पहाड़ के समान प्रतीत हो रहा था, जहां पर बीचो बीच में पानी की एक छोटी झील नजर आ रही थी।

झील का पानी पहाड़ में बने 5 छेद से, झरने के समान पहाड़ के नीचे गिर रहा था। वह 5 छेद लगभग 6 फुट डायामीटर के बने थे।

झील के पास के खाली स्थान पर 2 ग्रीक योद्धा और एक घोड़े की मूर्ति थी।

एक ग्रीक योद्धा एक पत्थर पर बैठकर कुछ सोच रहा था। दूसरा योद्धा उसके पास खड़ा था।

एक स्थान पर पत्थर में एक बड़ा सा लीवर लगा था, जिसके पास कुछ पत्थर के छोटे टुकड़े पड़े थे।

झील के ऊपर कुछ ऊंचाई पर, किसी धातु के 5 गोले हवा में तैर रहे थे।

“लगता है हम फिर से किसी मायाजाल के अंदर आ गये हैं।” सुयश ने सारी चीजों को ध्यान से देखते हुए कहा- “इसलिये कोई भी बिना कुछ समझे किसी चीज को हाथ नहीं लगायेगा?”

“कैप्टेन यह दोनों मूर्तियां ग्रीक देव ‘हेफेस्टस’ और ‘हरमीस’ की हैं।” क्रिस्टी ने मूर्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा।

“क्रिस्टी, क्या तुम इन दोनों के बारे में थोड़ा बहुत बता सकती हो, इससे हमें इस मायाजाल को समझने में आसानी हो जायेगी।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा।

“इसमें से पहली मूर्ति हेफेस्टस की है। यह ओलंपस पर्वत पर रहने वाले 12 देवी-देवताओं में से एक है। हेफेस्टस, देवता जीयूष और देवी हेरा का पुत्र है। कुरुप होने के कारण जीयूष ने हेफेस्टस को ओलंपस पर्वत से फेंक दिया था, जिससे हेफेस्टस लंगड़ा कर चलने लगा। हेफेस्टस को जादूगरों का देवता भी कहते हैं।

"ओलंपस पर्वत से निकाले जाने के बाद हेफेस्टस एक ज्वालामुखी में रहने लगा। इसलिये उसे ‘वुल्कान’ भी कहा जाता है। बाद में हेफेस्टस ने अपने जादू से देवी हेरा को एक सिंहासन से चिपका दिया। जिसके परिणाम स्वरुप जीयूष को अपनी पुत्री एफ्रोडाइट का विवाह हेफेस्टस से कर उसे ओलंपस पर्वत वापस बुलाना पड़ा।

"हेफेस्टस ने हेरा को सिंहासन से मुक्त कर दिया। बाद में हेफेस्टस को सभी देवताओं के हथियार बनाने का कार्य सौंपा गया। ज्यादातर देवताओं के हथियार हेफेस्टस ने ही बनाये हैं। अब मैं बात करुंगी, दूसरे देवता हरमीस की। हरमीस को संदेशवाहक देवता कहा जाता है, यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से भ्रमण कर सकने में सक्षम है। यह भी जीयूष का एक पुत्र है।

"हेफेस्टस ने हरमीस को अपना कार्य सरलता से पूरा करने के लिये 3 चीजें प्रदान की थीं। जिसमें से एक सोने का जूता था, जिसमें पंख लगे थे। उस जूते को ‘तलारिया’ कहते थे। दूसरी चीज एक पंखों वाला हेलमेट थी, जिसे ‘पेटोसस’ कहते थे। तीसरी चीज ‘कैडूसियस’ नाम की एक छड़ी थी, जो धातु की बनी थी। जिसमें 2 सर्प आपस में लिपटे हुए बने थे और 2 सुनहरे पंख ऊपर के स्थान पर लगे थे।” इतना कहकर क्रिस्टी चुप हो गई।

“इसका मतलब हेफेस्टस को हिं..दू धर्म का 'विश्वकर्मा' और हरमीस को ‘नारद’ कहा जा सकता है।” सुयश ने कहा।

पर सुयश की यह बात किसी की समझ में आयी नहीं।

“चलो दोस्तों अब देखते हैं कि यहां से कैसे निकला जा सकता है?” सुयश ने सभी में जोश भरते हुए कहा।

“सबसे पहले पहाड़ में मौजूद उन छेद को देखते हैं, क्यों कि वही यहां से निकलने का एक मात्र रास्ता दिख रहा है।“ तौफीक ने पहाड़ में मौजूद छेदों की ओर इशारा करते हुए कहा।

सभी चलते हुए उन 5 छेदों के पास पहुंच गये। चूंकि झरने का पानी उन सभी छेदों से नीचे की ओर जा रहा था, इसलिये पानी का बहाव वहां काफी तेज था।

“जरा ध्यान से तौफीक...यहां बहाव बहुत तेज है।” सुयश ने कहा- “अगर फिसल गये तो शरीर का चूरा भी नहीं मिलेगा। हम लोग कम से कम 600 से 700 फिट की ऊंचाई पर हैं।”

“जी कैप्टेन।”तौफीक ने स्वीकृति से अपना सिर हिला दिया।

तौफीक ने सावधानी से पानी की ओर अपना कदम बढ़ाया, पर उसका पैर पानी के ऊपर ही रुक गया।

“कैप्टेन... मेरा पैर पानी के अंदर नहीं जा रहा है, मुझे पानी के ऊपर पैर रखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे मैंने किसी ठोस वस्तु पर अपना पैर रखा हो। शायद यह भ्रम पैदा करने वाला पानी है।” तौफीक ने पानी के ऊपर खड़े होते हुए कहा।

“यह तो और भी अच्छी भी बात है, अब तुम्हें बहाव से कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश ने कहा- “अब जरा आगे बढ़कर इन सभी छेदों को चेक करो। क्या इसमें कुछ भी तुम्हें अलग महसूस हो रहा है?”

तौफीक ने पहले छेद के पास जा कर दूसरी ओर झांक कर देखने की कोशिश की, परंतु तौफीक को उस छेद में कोई अदृश्य अवरोध महसूस हुआ।

तौफीक ने एक-एक कर सभी छेदों को जांच लिया। उन सभी छेदों से बाहर नहीं जाया जा सकता था।

“कैप्टेन...हम किसी भी छेद से बाहर नहीं जा सकते। हर छेद में कोई अदृश्य दीवार उपस्थित है।” तौफीक के शब्दों में चिंता के भाव नजर आये।

“इसका मतलब हम बिना यहां के मायाजाल को तोड़े यहां से बाहर नहीं निकल सकते।” शैफाली ने कहा।

“पर कैप्टेन, अगर हमने यहां का मायाजाल पार भी कर लिया तो हम इतनी ऊंचाई से नीचे जायेंगे कैसे?” क्रिस्टी के तर्कों में भी दम था।

“यहां से नीचे जाने की चिंता ना करो, यहां से नीचे तो हम शैफाली के सुरक्षा बुलबुले से भी जा सकते हैं।” जेनिथ ने कहा।

“नहीं जा सकते।” शैफाली ने कहा- “जेनिथ दीदी, जरा उन छेदों का साइज देखिये, मेरे रक्षा कवच का बुलबुला उस छेद के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है। वह इतने छोटे से छेद से बाहर ही नहीं निकल पायेगा और बाहर निकलकर, कूदते हुए उस बुलबुले का बनाना मूर्खता होगी क्यों कि उसके लिये भी हम पांचों को सभी छेदों से एक साथ हवा में कूदना होगा और जरा सी चूक हममें से किसी की भी जान ले लेगी।”
शैफाली ने अच्छा तार्किक उत्तर दिया।

“जितना मैंने इस जंगल के मायाजाल को देखा है, उससे पता चलता है कि हर मायाजाल अपने आप में एक साल्यूशन भी रखता है।” सुयश ने कहा- “हो सकता है कि जब हम इस मायाजाल को तोड़ लें, तो इन्हीं से हमें झरने के नीचे जाने का रास्ता मिल जाये?.....चलो फिलहाल हमें ये तो पता चल गया कि ना तो हम इस झील के अंदर जा सकते हैं और ना ही इन छेदों से बाहर। अब बाकी की चीजों को चेक करते हैं।”

यह कहकर सुयश उन हवा में तेज गति से तैर रहे धातु के गोलों को देखा।

“मुझे लगता है कि जरुर इन धातु के गोलों में कोई रहस्य छिपा है, क्यों कि यह गोले तेज गति से हवा में घूम रहे हैं और हमारी पहुंच से काफी दूर भी हैं, तो अब इन गोलों को चेक करना होगा।” शैफाली ने कहा।

“पर कैसे?” क्रिस्टी ने उन गोलों को देखते हुए कहा- “हम इन गोलों तक पहुंचेगे कैसे? जरा इनकी स्पीड तो देखो, यह बहुत तेज हवा में नाच रहे हैं।”

“अगर यह गोले जमीन के पास उड़ रहे होते, तो मैं इन्हें आसानी से पकड़ लेती, भले ही इनकी स्पीड कितनी भी होती।” जेनिथ ने कहा।

तभी तौफीक की नजर पास में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ी। पत्थरों को देखते ही तौफीक की आँखें चमकने लगीं।

“मैं इन गोलों को नीचे ला सकता हूं।” तौफीक ने दृढ़ता पूर्वक कहा।
सभी आश्चर्य से तौफीक का मुंह देखने लगे।

तभी तौफीक ने अपने हाथों में कुछ पत्थर उठा लिये और एक गोले की गति को ध्यान से देखते हुए, उस पर एक पत्थर फेंक कर मार दिया।

हर बार की तरह तौफीक का निशाना बिल्कुल अचूक था। पत्थर सीधा उस गोले पर लगा और वह गोला जमीन पर आ गिरा।

जमीन पर गिरते ही उसकी गति समाप्त हो गयी। अब वह बिल्कुल स्थिर हो गया था।

सुयश ने आगे बढ़कर उस गोले को उठा लिया। उस गोले पर अग्रेजी अक्षर का ‘M’ अक्षर छपा था।

“इस पर तो ‘M’ अक्षर लिखा है।” सुयश सभी की ओर देखते हुए कहा- “लगता है यह भी कोई ‘मैग्नार्क’ जैसी पहेली है। तौफीक बाकी के भी गोलों को गिराओ.... जब सब इकठ्ठा हो जायें, तो फिर देखेंगे, कि इससे क्या बनेगा?”

सुयश की बात सुन तौफीक ने निशाना लगा कर एक-एक करके पांचों गोलों को नीचे गिरा दिया।

सुयश ने सभी गोलों पर लिखे अक्षरों को एकत्र किया, जो कि इस प्रकार थे- ‘MADAN’

“इन अक्षरों से ‘DANAM’, ‘NADAM’, ‘MANDA’, ‘ADMAN’ इस प्रकार के ही शब्द बन रहे हैं, पर इन शब्दों से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”

शैफाली ने कहा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शब्द अभी अधूरा है, मेरा मतलब है कि अभी और भी कुछ अक्षर यहीं कहीं छिपें हों? जिसकी वजह से हम इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं?”

शैफाली के शब्द सुन सभी अपने आस-पास कुछ और ढूंढने में लग गये, पर कहीं भी कुछ भी नहीं था।

तभी सुयश की निगाह पत्थर पर बने उस लीवर पर पड़ी।

सुयश ने आगे बढ़कर उस लीवर को एक दिशा में खींच दिया, पर कहीं से ना तो कोई आवाज सुनाई दी और ना ही कहीं कोई परिवर्तन हुआ।

यह देख सुयश ने उस लीवर को छोड़ दिया। सुयश के छोड़ते ही लीवर अपनेआप यथा स्थान आ गया।

समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी।

तभी एक गोले को देख रही शैफाली के हाथ से वह गोला फिसलकर जमीन पर गिर गया और लुढ़कता हुआ उस झील के अंदर चला गया।

“झील का पानी तो अभी तक ठोस था, फिर वह गोला झील के अंदर कैसे चला गया?” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा।

शैफाली ने आगे बढ़कर झील के पानी को छुआ, पानी अभी भी ठोस था।

शैफाली कुछ देर तक सोचती रही और फिर एक दूसरे गोले को हाथ में लेकर झील की सतह से स्पर्श कराया, वह दूसरा गोला पानी से भीग गया।

अब शैफाली ने गोले को अपने हाथ में लिये-लिये ही, अपना हाथ पानी में डाला। शैफाली का हाथ झील के पानी के अंदर चला गया।

यह देख शैफाली मुस्कुरा उठी। वह गोले को हाथ में पकड़कर झील के पानी में उतर गयी।

सुयश सहित सभी ध्यान से शैफाली की गतिविधियों को देख रहे थे।

थोड़ी ही देर में शैफाली झील के पानी के बाहर निकली, उसके हाथ में 2 और गोले थे।

उन 2 गोलों को सुयश को पकड़ाकर शैफाली फिर से पानी में चल गयी।

पहला वाला अब भी शैफाली के हाथ में था। ऐसे ही एक-एक कर शैफाली ने झील के अंदर से 5 गोले और निकाल लिये और झील के पानी से बाहर आ गयी।

अब उन लोगों के पास कुल 10 गोले हो गये थे। यह 5 नये अक्षर थे ‘ITNAE’....अब सभी तेजी से उन गोलों को एक स्थान पर रखकर उससे कोई नया शब्द बनाने में जुट गये।

लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद इस पहेली को हल किया क्रिस्टी ने।

“कैप्टेन...यह 10 गोलों से ‘ADAMANTINE’ शब्द बन रहा है।” क्रिस्टी ने कहा।

“यह ‘एडमैन्टाइन’ होता क्या है?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।

“देवताओं ने धरती पर गिरने वाले उल्का पिंड से, एक नयी धातु खोज निकाली, जो पृथ्वी पर नहीं पायी जाती थी। उसे ही एडमैन्टाइन नाम दिया गया। यह धातु टंगस्टन और टाइटेनियम से भी ज्यादा कठोर और
हल्की थी। हेफेस्टस ने देवताओं के सभी हथियार इसी धातु से बनाये थे।”

“यानि यहां के मायाजाल के हिसाब से हमें यह धातु इकठ्ठी करके हेफेस्टस के पास रखनी होगी।” सुयश ने यह कहकर सभी से इशारा किया।

सभी ने 2-2 गोले उठाकर हेफेस्टस के पास एक जगह पर एकत्र कर दिये।

पर जैसे ही सभी गोले आपस में स्पर्श हुए, सभी एक साथ जुड़कर, एक छोटे से वर्गाकार धातु के टुकड़े का रुप ले लिये।

सभी अब कुछ परिवर्तन की आस लिये चारों ओर देखने लगे, पर अभी भी सब कुछ शांत था।

“मुझे लगता है कि यहां के दृश्य के हिसाब से हेफेस्टस को कुछ हथियार बनाकर हरमीस को देना है, जब हेफेस्टस वह हथियार हरमीस को दे देगा, तभी यह मायाजाल टूटेगा।” शैफाली ने कहा।

“तो धातु का टुकड़ा तो मिल गया, अब क्या चीज चाहिये?” जेनिथ ने पूछा।

“हेफेस्टस के टूल्स, जिससे वह हथियार बनाता था। मेरे हिसाब से टूल्स के बिना हेफेस्टस कैसे हथियार बना पायेगा ?” सुयश ने कहा- “क्रिस्टी, हेफेस्टस के पास किस प्रकार के टूल्स थे?”

“एक हथौड़ा, एक चिमटा और एक निहाई।” क्रिस्टी ने कहा- “बिना इन यंत्रों के कोई भी शिल्पकार कुछ नहीं बना सकता।" (निहाई को अंग्रेजी में anvil कहते हैं)

“इसका मतलब ये सारी वस्तुएं भी यहीं पर कहीं होंगी?” सुयश ने कहा और चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाने लगा।

“कैप्टेन उस लीवर का अभी तक हम लोगों ने कोई भी उपयोग नहीं किया है? हो सकता है कि हेफेस्टस के टूल्स उसी के अंदर हों?” जेनिथ ने लीवर की ओर इशारा करते हुए कहा।

सुयश उस लीवर के पास पहुंचकर ध्यान से उसे देखने लगा, पर वह लीवर उसे किसी यंत्र जैसा नहीं लगा।

सुयश ने उस लीवर के हैंडिल को ऊपर की ओर खींच कर देखा।

सुयश के ऐसा करते ही लीवर सुयश के हाथ में आ गया, परंतु अब वो किसी हथौड़े की मूठ जैसा लग रहा था।

यह देख सुयश पत्थर को उलट-पलट कर देखने लगा।

कुछ ही देर में सुयश की तीव्र आँखों ने पत्थर पर अलग से लगे एक घन के आकार का भाग देख लिया, जो कि थोड़े ही प्रयास के बाद उस पत्थर के टुकड़े से अलग हो गया।

सुयश ने घन के टुकड़े को जैसे ही लीवर से स्पर्श कराया, वह एक हथौड़े में परिवर्तित हो गया।

हथौड़े के बनते ही सभी में उम्मीद की किरण जाग उठी। अब सभी दुगने उत्साह से बाकी के दोनों यंत्र ढूंढने में लग गये।

कुछ देर में शैफाली को चिमटा वहां मौजूद घोड़े की पूंछ से बंधा हुआ मिल गया। लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी निहाई नहीं मिला।

तभी तौफीक की निगाह उस पत्थर पर गई, जिस पर बैठकर हेफेस्टस कुछ सोच रहा था।

“कैप्टेन, कहीं वह तो निहाई नहीं? जिस पर हेफेस्टस स्वयं बैठा हुआ है।” तौफीक ने सुयश को पत्थर की ओर इशारा करते हुए कहा।

तौफीक की बात सुन सुयश ने उस पत्थर को धीरे से धक्का दिया, धक्का देते ही वह पत्थर हेफेस्टस के नीचे से सरक गया। वह निहाई ही था।

अब सुयश ने निहाई को हेफेस्टस के पास रख दिया और एडमैन्टाइन का टुकड़ा उस निहाई पर रख दिया।

इसके बाद सुयश ने चिमटे को हेफेस्टस के एक हाथ में और हथौड़े को दूसरे हाथ में पकड़ा दिया।

जैसे ही सुयश ने हेफेस्टस के हाथ में हथौड़ा पकड़ाया, हेफेस्टस की मूर्ति सजीव हो गई और वह एडमैन्टाइन को चिमटे से पकड़कर, उस पर हथौड़े से तेज चोट करने लगा।

घन जैसे हथौड़े की तेज आवाज पूरे पहाड़ में गूंजने लगी।

सभी चुपचाप कुछ दूर हटकर हेफेस्टस को काम करते हुए देख रहे थे।

लगभग आधा घंटे की ठोका-पीटी के बाद हेफेस्टस ने उस एडमैन्टाइन के टुकड़े से तीन चीजें बना दीं।
वह चीजें वही थीं, जिसके बारे में क्रिस्टी ने कुछ देर पहले बताया था।

यानि एक जोड़ी जूते, जिनके पंख लगे थे, एक सिर पर पहनने वाला हेलमेट, इस पर भी दोनों ओर पंख लगे थे और एक छड़ी, उस छड़ी पर भी पंख लगे थे।

यानि की ये सब वही चीजें थीं, जो कि पौराणिक कथाओं में हेफेस्टस ने हरमीस को दी थीं।

इतना करने के बाद हेफेस्टस वहां से अदृश्य हो गया और साथ ही अदृश्य हो गये उसके यंत्र भी।

“मुझे लगता है कि अब यह सारे अस्त्र हरमीस को सौंपने के बाद यह मायाजाल टूट जायेगा।” तौफीक ने कहा।

सुयश ने जैसे ही सुनहरे जूते को छुआ, उसके पंख बहुत तेजी से सजीव हो कर फड़फड़ाने लगे।
यह देख सुयश आश्चर्य में पड़ गया। अब उसने पंखों वाले हेलमेट को हाथ लगाया, सुयश के हाथ लगाते ही उसके पंख भी हवा में फड़फड़ाने लगे।

यह देख शैफाली बोल उठी- “कैप्टेन अंकल...मुझे लगता है कि यह जादुई चीजें हेफेस्टस ने हरमीस के लिये नहीं बल्कि हमारे लिये बनाई हैं।...आप कह रहे थे ना कि हम इतनी ऊंचाई से नीचे कैसे जायेंगे, तो मुझे लगता है कि हम इन्हीं जादुई चीजों की मदद से ही नीचे जायेंगे।”

सुयश सहित सभी को शैफाली का विचार सही लगा।

“पर कैप्टेन....यह तो 3 ही चीजें हैं, और हम लोग 5 हैं, फिर इनकी मदद से हम सब नीचे कैसे जायेंगे?” जेनिथ ने कहा।


जारी रहेगा_______✍️
Superb update and nice story
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
30,477
68,872
304

ak143

Member
173
296
78
#135.

सुनहरे पंख: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 13:50, मायावन, अराका द्वीप)

ज्वालामुखी से बचने के बाद सभी ऊपर बनी गुफा के छेद में प्रवेश कर गये।

कुछ देर तक गुफा की संकरी और आड़ी-टेढ़ी गलियों में घूमने के बाद सभी एक विशाल स्थान पर पहुंच गये।

यह बड़ा स्थान एक खोखले पहाड़ के समान प्रतीत हो रहा था, जहां पर बीचो बीच में पानी की एक छोटी झील नजर आ रही थी।

झील का पानी पहाड़ में बने 5 छेद से, झरने के समान पहाड़ के नीचे गिर रहा था। वह 5 छेद लगभग 6 फुट डायामीटर के बने थे।

झील के पास के खाली स्थान पर 2 ग्रीक योद्धा और एक घोड़े की मूर्ति थी।

एक ग्रीक योद्धा एक पत्थर पर बैठकर कुछ सोच रहा था। दूसरा योद्धा उसके पास खड़ा था।

एक स्थान पर पत्थर में एक बड़ा सा लीवर लगा था, जिसके पास कुछ पत्थर के छोटे टुकड़े पड़े थे।

झील के ऊपर कुछ ऊंचाई पर, किसी धातु के 5 गोले हवा में तैर रहे थे।

“लगता है हम फिर से किसी मायाजाल के अंदर आ गये हैं।” सुयश ने सारी चीजों को ध्यान से देखते हुए कहा- “इसलिये कोई भी बिना कुछ समझे किसी चीज को हाथ नहीं लगायेगा?”

“कैप्टेन यह दोनों मूर्तियां ग्रीक देव ‘हेफेस्टस’ और ‘हरमीस’ की हैं।” क्रिस्टी ने मूर्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा।

“क्रिस्टी, क्या तुम इन दोनों के बारे में थोड़ा बहुत बता सकती हो, इससे हमें इस मायाजाल को समझने में आसानी हो जायेगी।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा।

“इसमें से पहली मूर्ति हेफेस्टस की है। यह ओलंपस पर्वत पर रहने वाले 12 देवी-देवताओं में से एक है। हेफेस्टस, देवता जीयूष और देवी हेरा का पुत्र है। कुरुप होने के कारण जीयूष ने हेफेस्टस को ओलंपस पर्वत से फेंक दिया था, जिससे हेफेस्टस लंगड़ा कर चलने लगा। हेफेस्टस को जादूगरों का देवता भी कहते हैं।

"ओलंपस पर्वत से निकाले जाने के बाद हेफेस्टस एक ज्वालामुखी में रहने लगा। इसलिये उसे ‘वुल्कान’ भी कहा जाता है। बाद में हेफेस्टस ने अपने जादू से देवी हेरा को एक सिंहासन से चिपका दिया। जिसके परिणाम स्वरुप जीयूष को अपनी पुत्री एफ्रोडाइट का विवाह हेफेस्टस से कर उसे ओलंपस पर्वत वापस बुलाना पड़ा।

"हेफेस्टस ने हेरा को सिंहासन से मुक्त कर दिया। बाद में हेफेस्टस को सभी देवताओं के हथियार बनाने का कार्य सौंपा गया। ज्यादातर देवताओं के हथियार हेफेस्टस ने ही बनाये हैं। अब मैं बात करुंगी, दूसरे देवता हरमीस की। हरमीस को संदेशवाहक देवता कहा जाता है, यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से भ्रमण कर सकने में सक्षम है। यह भी जीयूष का एक पुत्र है।

"हेफेस्टस ने हरमीस को अपना कार्य सरलता से पूरा करने के लिये 3 चीजें प्रदान की थीं। जिसमें से एक सोने का जूता था, जिसमें पंख लगे थे। उस जूते को ‘तलारिया’ कहते थे। दूसरी चीज एक पंखों वाला हेलमेट थी, जिसे ‘पेटोसस’ कहते थे। तीसरी चीज ‘कैडूसियस’ नाम की एक छड़ी थी, जो धातु की बनी थी। जिसमें 2 सर्प आपस में लिपटे हुए बने थे और 2 सुनहरे पंख ऊपर के स्थान पर लगे थे।” इतना कहकर क्रिस्टी चुप हो गई।

“इसका मतलब हेफेस्टस को हिं..दू धर्म का 'विश्वकर्मा' और हरमीस को ‘नारद’ कहा जा सकता है।” सुयश ने कहा।

पर सुयश की यह बात किसी की समझ में आयी नहीं।

“चलो दोस्तों अब देखते हैं कि यहां से कैसे निकला जा सकता है?” सुयश ने सभी में जोश भरते हुए कहा।

“सबसे पहले पहाड़ में मौजूद उन छेद को देखते हैं, क्यों कि वही यहां से निकलने का एक मात्र रास्ता दिख रहा है।“ तौफीक ने पहाड़ में मौजूद छेदों की ओर इशारा करते हुए कहा।

सभी चलते हुए उन 5 छेदों के पास पहुंच गये। चूंकि झरने का पानी उन सभी छेदों से नीचे की ओर जा रहा था, इसलिये पानी का बहाव वहां काफी तेज था।

“जरा ध्यान से तौफीक...यहां बहाव बहुत तेज है।” सुयश ने कहा- “अगर फिसल गये तो शरीर का चूरा भी नहीं मिलेगा। हम लोग कम से कम 600 से 700 फिट की ऊंचाई पर हैं।”

“जी कैप्टेन।”तौफीक ने स्वीकृति से अपना सिर हिला दिया।

तौफीक ने सावधानी से पानी की ओर अपना कदम बढ़ाया, पर उसका पैर पानी के ऊपर ही रुक गया।

“कैप्टेन... मेरा पैर पानी के अंदर नहीं जा रहा है, मुझे पानी के ऊपर पैर रखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे मैंने किसी ठोस वस्तु पर अपना पैर रखा हो। शायद यह भ्रम पैदा करने वाला पानी है।” तौफीक ने पानी के ऊपर खड़े होते हुए कहा।

“यह तो और भी अच्छी भी बात है, अब तुम्हें बहाव से कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश ने कहा- “अब जरा आगे बढ़कर इन सभी छेदों को चेक करो। क्या इसमें कुछ भी तुम्हें अलग महसूस हो रहा है?”

तौफीक ने पहले छेद के पास जा कर दूसरी ओर झांक कर देखने की कोशिश की, परंतु तौफीक को उस छेद में कोई अदृश्य अवरोध महसूस हुआ।

तौफीक ने एक-एक कर सभी छेदों को जांच लिया। उन सभी छेदों से बाहर नहीं जाया जा सकता था।

“कैप्टेन...हम किसी भी छेद से बाहर नहीं जा सकते। हर छेद में कोई अदृश्य दीवार उपस्थित है।” तौफीक के शब्दों में चिंता के भाव नजर आये।

“इसका मतलब हम बिना यहां के मायाजाल को तोड़े यहां से बाहर नहीं निकल सकते।” शैफाली ने कहा।

“पर कैप्टेन, अगर हमने यहां का मायाजाल पार भी कर लिया तो हम इतनी ऊंचाई से नीचे जायेंगे कैसे?” क्रिस्टी के तर्कों में भी दम था।

“यहां से नीचे जाने की चिंता ना करो, यहां से नीचे तो हम शैफाली के सुरक्षा बुलबुले से भी जा सकते हैं।” जेनिथ ने कहा।

“नहीं जा सकते।” शैफाली ने कहा- “जेनिथ दीदी, जरा उन छेदों का साइज देखिये, मेरे रक्षा कवच का बुलबुला उस छेद के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है। वह इतने छोटे से छेद से बाहर ही नहीं निकल पायेगा और बाहर निकलकर, कूदते हुए उस बुलबुले का बनाना मूर्खता होगी क्यों कि उसके लिये भी हम पांचों को सभी छेदों से एक साथ हवा में कूदना होगा और जरा सी चूक हममें से किसी की भी जान ले लेगी।”
शैफाली ने अच्छा तार्किक उत्तर दिया।

“जितना मैंने इस जंगल के मायाजाल को देखा है, उससे पता चलता है कि हर मायाजाल अपने आप में एक साल्यूशन भी रखता है।” सुयश ने कहा- “हो सकता है कि जब हम इस मायाजाल को तोड़ लें, तो इन्हीं से हमें झरने के नीचे जाने का रास्ता मिल जाये?.....चलो फिलहाल हमें ये तो पता चल गया कि ना तो हम इस झील के अंदर जा सकते हैं और ना ही इन छेदों से बाहर। अब बाकी की चीजों को चेक करते हैं।”

यह कहकर सुयश उन हवा में तेज गति से तैर रहे धातु के गोलों को देखा।

“मुझे लगता है कि जरुर इन धातु के गोलों में कोई रहस्य छिपा है, क्यों कि यह गोले तेज गति से हवा में घूम रहे हैं और हमारी पहुंच से काफी दूर भी हैं, तो अब इन गोलों को चेक करना होगा।” शैफाली ने कहा।

“पर कैसे?” क्रिस्टी ने उन गोलों को देखते हुए कहा- “हम इन गोलों तक पहुंचेगे कैसे? जरा इनकी स्पीड तो देखो, यह बहुत तेज हवा में नाच रहे हैं।”

“अगर यह गोले जमीन के पास उड़ रहे होते, तो मैं इन्हें आसानी से पकड़ लेती, भले ही इनकी स्पीड कितनी भी होती।” जेनिथ ने कहा।

तभी तौफीक की नजर पास में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ी। पत्थरों को देखते ही तौफीक की आँखें चमकने लगीं।

“मैं इन गोलों को नीचे ला सकता हूं।” तौफीक ने दृढ़ता पूर्वक कहा।
सभी आश्चर्य से तौफीक का मुंह देखने लगे।

तभी तौफीक ने अपने हाथों में कुछ पत्थर उठा लिये और एक गोले की गति को ध्यान से देखते हुए, उस पर एक पत्थर फेंक कर मार दिया।

हर बार की तरह तौफीक का निशाना बिल्कुल अचूक था। पत्थर सीधा उस गोले पर लगा और वह गोला जमीन पर आ गिरा।

जमीन पर गिरते ही उसकी गति समाप्त हो गयी। अब वह बिल्कुल स्थिर हो गया था।

सुयश ने आगे बढ़कर उस गोले को उठा लिया। उस गोले पर अग्रेजी अक्षर का ‘M’ अक्षर छपा था।

“इस पर तो ‘M’ अक्षर लिखा है।” सुयश सभी की ओर देखते हुए कहा- “लगता है यह भी कोई ‘मैग्नार्क’ जैसी पहेली है। तौफीक बाकी के भी गोलों को गिराओ.... जब सब इकठ्ठा हो जायें, तो फिर देखेंगे, कि इससे क्या बनेगा?”

सुयश की बात सुन तौफीक ने निशाना लगा कर एक-एक करके पांचों गोलों को नीचे गिरा दिया।

सुयश ने सभी गोलों पर लिखे अक्षरों को एकत्र किया, जो कि इस प्रकार थे- ‘MADAN’

“इन अक्षरों से ‘DANAM’, ‘NADAM’, ‘MANDA’, ‘ADMAN’ इस प्रकार के ही शब्द बन रहे हैं, पर इन शब्दों से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”

शैफाली ने कहा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शब्द अभी अधूरा है, मेरा मतलब है कि अभी और भी कुछ अक्षर यहीं कहीं छिपें हों? जिसकी वजह से हम इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं?”

शैफाली के शब्द सुन सभी अपने आस-पास कुछ और ढूंढने में लग गये, पर कहीं भी कुछ भी नहीं था।

तभी सुयश की निगाह पत्थर पर बने उस लीवर पर पड़ी।

सुयश ने आगे बढ़कर उस लीवर को एक दिशा में खींच दिया, पर कहीं से ना तो कोई आवाज सुनाई दी और ना ही कहीं कोई परिवर्तन हुआ।

यह देख सुयश ने उस लीवर को छोड़ दिया। सुयश के छोड़ते ही लीवर अपनेआप यथा स्थान आ गया।

समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी।

तभी एक गोले को देख रही शैफाली के हाथ से वह गोला फिसलकर जमीन पर गिर गया और लुढ़कता हुआ उस झील के अंदर चला गया।

“झील का पानी तो अभी तक ठोस था, फिर वह गोला झील के अंदर कैसे चला गया?” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा।

शैफाली ने आगे बढ़कर झील के पानी को छुआ, पानी अभी भी ठोस था।

शैफाली कुछ देर तक सोचती रही और फिर एक दूसरे गोले को हाथ में लेकर झील की सतह से स्पर्श कराया, वह दूसरा गोला पानी से भीग गया।

अब शैफाली ने गोले को अपने हाथ में लिये-लिये ही, अपना हाथ पानी में डाला। शैफाली का हाथ झील के पानी के अंदर चला गया।

यह देख शैफाली मुस्कुरा उठी। वह गोले को हाथ में पकड़कर झील के पानी में उतर गयी।

सुयश सहित सभी ध्यान से शैफाली की गतिविधियों को देख रहे थे।

थोड़ी ही देर में शैफाली झील के पानी के बाहर निकली, उसके हाथ में 2 और गोले थे।

उन 2 गोलों को सुयश को पकड़ाकर शैफाली फिर से पानी में चल गयी।

पहला वाला अब भी शैफाली के हाथ में था। ऐसे ही एक-एक कर शैफाली ने झील के अंदर से 5 गोले और निकाल लिये और झील के पानी से बाहर आ गयी।

अब उन लोगों के पास कुल 10 गोले हो गये थे। यह 5 नये अक्षर थे ‘ITNAE’....अब सभी तेजी से उन गोलों को एक स्थान पर रखकर उससे कोई नया शब्द बनाने में जुट गये।

लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद इस पहेली को हल किया क्रिस्टी ने।

“कैप्टेन...यह 10 गोलों से ‘ADAMANTINE’ शब्द बन रहा है।” क्रिस्टी ने कहा।

“यह ‘एडमैन्टाइन’ होता क्या है?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।

“देवताओं ने धरती पर गिरने वाले उल्का पिंड से, एक नयी धातु खोज निकाली, जो पृथ्वी पर नहीं पायी जाती थी। उसे ही एडमैन्टाइन नाम दिया गया। यह धातु टंगस्टन और टाइटेनियम से भी ज्यादा कठोर और
हल्की थी। हेफेस्टस ने देवताओं के सभी हथियार इसी धातु से बनाये थे।”

“यानि यहां के मायाजाल के हिसाब से हमें यह धातु इकठ्ठी करके हेफेस्टस के पास रखनी होगी।” सुयश ने यह कहकर सभी से इशारा किया।

सभी ने 2-2 गोले उठाकर हेफेस्टस के पास एक जगह पर एकत्र कर दिये।

पर जैसे ही सभी गोले आपस में स्पर्श हुए, सभी एक साथ जुड़कर, एक छोटे से वर्गाकार धातु के टुकड़े का रुप ले लिये।

सभी अब कुछ परिवर्तन की आस लिये चारों ओर देखने लगे, पर अभी भी सब कुछ शांत था।

“मुझे लगता है कि यहां के दृश्य के हिसाब से हेफेस्टस को कुछ हथियार बनाकर हरमीस को देना है, जब हेफेस्टस वह हथियार हरमीस को दे देगा, तभी यह मायाजाल टूटेगा।” शैफाली ने कहा।

“तो धातु का टुकड़ा तो मिल गया, अब क्या चीज चाहिये?” जेनिथ ने पूछा।

“हेफेस्टस के टूल्स, जिससे वह हथियार बनाता था। मेरे हिसाब से टूल्स के बिना हेफेस्टस कैसे हथियार बना पायेगा ?” सुयश ने कहा- “क्रिस्टी, हेफेस्टस के पास किस प्रकार के टूल्स थे?”

“एक हथौड़ा, एक चिमटा और एक निहाई।” क्रिस्टी ने कहा- “बिना इन यंत्रों के कोई भी शिल्पकार कुछ नहीं बना सकता।" (निहाई को अंग्रेजी में anvil कहते हैं)

“इसका मतलब ये सारी वस्तुएं भी यहीं पर कहीं होंगी?” सुयश ने कहा और चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाने लगा।

“कैप्टेन उस लीवर का अभी तक हम लोगों ने कोई भी उपयोग नहीं किया है? हो सकता है कि हेफेस्टस के टूल्स उसी के अंदर हों?” जेनिथ ने लीवर की ओर इशारा करते हुए कहा।

सुयश उस लीवर के पास पहुंचकर ध्यान से उसे देखने लगा, पर वह लीवर उसे किसी यंत्र जैसा नहीं लगा।

सुयश ने उस लीवर के हैंडिल को ऊपर की ओर खींच कर देखा।

सुयश के ऐसा करते ही लीवर सुयश के हाथ में आ गया, परंतु अब वो किसी हथौड़े की मूठ जैसा लग रहा था।

यह देख सुयश पत्थर को उलट-पलट कर देखने लगा।

कुछ ही देर में सुयश की तीव्र आँखों ने पत्थर पर अलग से लगे एक घन के आकार का भाग देख लिया, जो कि थोड़े ही प्रयास के बाद उस पत्थर के टुकड़े से अलग हो गया।

सुयश ने घन के टुकड़े को जैसे ही लीवर से स्पर्श कराया, वह एक हथौड़े में परिवर्तित हो गया।

हथौड़े के बनते ही सभी में उम्मीद की किरण जाग उठी। अब सभी दुगने उत्साह से बाकी के दोनों यंत्र ढूंढने में लग गये।

कुछ देर में शैफाली को चिमटा वहां मौजूद घोड़े की पूंछ से बंधा हुआ मिल गया। लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी निहाई नहीं मिला।

तभी तौफीक की निगाह उस पत्थर पर गई, जिस पर बैठकर हेफेस्टस कुछ सोच रहा था।

“कैप्टेन, कहीं वह तो निहाई नहीं? जिस पर हेफेस्टस स्वयं बैठा हुआ है।” तौफीक ने सुयश को पत्थर की ओर इशारा करते हुए कहा।

तौफीक की बात सुन सुयश ने उस पत्थर को धीरे से धक्का दिया, धक्का देते ही वह पत्थर हेफेस्टस के नीचे से सरक गया। वह निहाई ही था।

अब सुयश ने निहाई को हेफेस्टस के पास रख दिया और एडमैन्टाइन का टुकड़ा उस निहाई पर रख दिया।

इसके बाद सुयश ने चिमटे को हेफेस्टस के एक हाथ में और हथौड़े को दूसरे हाथ में पकड़ा दिया।

जैसे ही सुयश ने हेफेस्टस के हाथ में हथौड़ा पकड़ाया, हेफेस्टस की मूर्ति सजीव हो गई और वह एडमैन्टाइन को चिमटे से पकड़कर, उस पर हथौड़े से तेज चोट करने लगा।

घन जैसे हथौड़े की तेज आवाज पूरे पहाड़ में गूंजने लगी।

सभी चुपचाप कुछ दूर हटकर हेफेस्टस को काम करते हुए देख रहे थे।

लगभग आधा घंटे की ठोका-पीटी के बाद हेफेस्टस ने उस एडमैन्टाइन के टुकड़े से तीन चीजें बना दीं।
वह चीजें वही थीं, जिसके बारे में क्रिस्टी ने कुछ देर पहले बताया था।

यानि एक जोड़ी जूते, जिनके पंख लगे थे, एक सिर पर पहनने वाला हेलमेट, इस पर भी दोनों ओर पंख लगे थे और एक छड़ी, उस छड़ी पर भी पंख लगे थे।

यानि की ये सब वही चीजें थीं, जो कि पौराणिक कथाओं में हेफेस्टस ने हरमीस को दी थीं।

इतना करने के बाद हेफेस्टस वहां से अदृश्य हो गया और साथ ही अदृश्य हो गये उसके यंत्र भी।

“मुझे लगता है कि अब यह सारे अस्त्र हरमीस को सौंपने के बाद यह मायाजाल टूट जायेगा।” तौफीक ने कहा।

सुयश ने जैसे ही सुनहरे जूते को छुआ, उसके पंख बहुत तेजी से सजीव हो कर फड़फड़ाने लगे।
यह देख सुयश आश्चर्य में पड़ गया। अब उसने पंखों वाले हेलमेट को हाथ लगाया, सुयश के हाथ लगाते ही उसके पंख भी हवा में फड़फड़ाने लगे।

यह देख शैफाली बोल उठी- “कैप्टेन अंकल...मुझे लगता है कि यह जादुई चीजें हेफेस्टस ने हरमीस के लिये नहीं बल्कि हमारे लिये बनाई हैं।...आप कह रहे थे ना कि हम इतनी ऊंचाई से नीचे कैसे जायेंगे, तो मुझे लगता है कि हम इन्हीं जादुई चीजों की मदद से ही नीचे जायेंगे।”

सुयश सहित सभी को शैफाली का विचार सही लगा।

“पर कैप्टेन....यह तो 3 ही चीजें हैं, और हम लोग 5 हैं, फिर इनकी मदद से हम सब नीचे कैसे जायेंगे?” जेनिथ ने कहा।


जारी रहेगा_______✍️
Awesome update👌👌
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,433
24,633
159
#131

बिल्कुल -- शलाका जैसी शक्तिशाली ‘देवी’ के उत्साहपूर्ण शब्दों को सुन कर इस दल में उत्साह की नई ऊर्जा का संचार होना लाज़मी ही है।

शेफ़ाली का कहना सही है -- इस द्वीप पर आना इन सभी की नियति थी। जब संसार के दो कोनों में बैठे लोगों की जीवन डोर इस तरह से उलझी हुई हो, तो किसी न किसी बहाने वो मिल ही जाते हैं। मेरे एक अनन्य मित्र हैं; उत्तर प्रदेश के एक गाँव में पैदा हुए, एड़ी चोटी का ज़ोर लगा कर एक आईआईटी से पढ़े, फिर काम के सिलसिले में जापान चले गए। वहाँ उनको अपनी जीवन संगिनी मिली! सोचिए! अपनी होने वाली पत्नी से उनका न कोई लेना, और न कोई देना था - लेकिन उन दोनों को मिलना था, सो वो मिले!

सुयश और शलाका! और जैसा कि सभी पाठक सोच रहे हैं -- शेफ़ाली (मैग्ना) और कैस्पर। यही दिशा निकलने वाली है।

“मुझे तो ऐसा लगता है कैप्टेन, कि इस द्वीप का निर्माता हम पर लगातार नजर रखता है, इसलिये जैसे ही हम कोई उपाय सोचते हैं, वह हमारी सोच के विरुद्ध जाकर एक नयी मुसीबत खड़ी कर देता है।” --- जेनिथ का आँकलन पूरी तरह से सटीक है। यह सब बनावटी दुनिया है, इसलिए कोई उसको नियंत्रित कर रहा है। और उसका काट भी कोई आदमी ही निकाल सकता है, जैसा कि सुयश / आर्यन ने निकाला। सुयश, कप्तान-ए-सुप्रीम एक लल्लू आदमी था, लेकिन सुयश, भूतपूर्व आर्यन बुद्धिमान है।

यहाँ पर एक बात मन में आ रही है -- इस द्वीप / तिलिस्मा का काट निकालने के बाद (जाहिर सी बात है, काट तो निकलेगा ही… कहानी भी तो इसी लिए लिखी जा रही है) शायद ही कोई मानवलोक में जाना चाहेगा।

#132

“आसमान से गिरे...खजूर में अटके तो सुना था, पर कुंए से निकले और ज्वालामुखी में लटके नहीं सुना था।” क्रिस्टी के शब्दों में फिर निराशा झलकने लगी। --- हा हा हा हा

सोने के ड्रैगन का शेफ़ाली से क्या लेना देना है? पालतू होगा उसका - खलीसी टाइप!?

त्रिषाल और कलिका को मिला कर -- ध्वनि शक्ति और प्रकाश शक्ति दोनों आ गई है। हनुका जी भी साथ ही हैं। क्या खिचड़ी पक रही है इधर, पता नहीं। कालबाहु राक्षस कौन है? पहले अगर लिखा है, तो शायद मैं भूल गया।

“चलो राक्षसलोक पहुंचने से पहले अपनी शक्तियों के प्रदर्शन का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा।” त्रिशाल ने कहा- “तो दोनों में से कौन करेगा इस राक्षस का अंत?” --- Shoot first, ask questions later! 😂

#133

विद्युम्ना के मुँह से ‘बेहोश’ या अन्य आधुनिक शब्द सुन कर सही नहीं लगता। ‘अचेत’ सही है। वैसे ही ‘थ्योरी’ नहीं, ‘सिद्धाँत’ सही है।

“... देवता तो हमेशा छल से ही काम लेते हैं…” -- अक्षरशः सही है।

रावण की मूर्ति में किस देवी की अस्थियाँ हैं/थीं?

भ्रमन्तिका रुपी एक और मायाजाल! हे प्रभु।

#134

भाई, एक फ़ूफागिरि तो दिखानी पड़ेगी यहाँ।
“द्रव्य” एक umbrella term है, जो किसी भी पदार्थ को reference करता है जिसमें द्रव्यमान (mass) और आयतन (volume) होता है। द्रव्य ठोस (solid), द्रव (liquid), और गैस (gas) तीनों अवस्थाओं को शामिल करता है। “द्रव” पदार्थ की तरल (liquid) या गैस (gas) अवस्था के रूप में प्रवाहित हो सकता है। आप ‘द्रव’ कहना चाहते थे, द्रव्य नहीं।
अलेक्स और स्थेनो की मुलाक़ात --

आपने लिखा है कि आम तौर पर मनुष्य अपनी इंद्रियों की कुल क्षमता का बहुत कम ही इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में कर पाता है। यह बात वैज्ञानिक भी सही मानते हैं। हमारा मस्तिष्क इन्द्रिय-जन्य जानकारी को काफ़ी हद तक फ़िल्टर कर देता है, इसलिए क्षमता का उपयोग सीमित रह जाता है। लेकिन ट्रेनिंग, अभ्यास, या फिर ध्यान इत्यादि से इंद्रियों के उपयोग करने की सीमा बढ़ाई जा सकती है। या फिर “वशीन्द्रिय शक्ति” घोल पी कर! 🙂 लेकिन फिर भी, “... त्वचा के माध्यम से कठोर से कठोर अस्त्र का प्रहार भी आसानी से झेल सकते हो…” जैसी शक्तियाँ पारलौकिक हैं।

ओहोहोहो... तो यह था उस सोने के सर वाले ड्रैगन का राज़! वो स्वयं ‘लैडन’ था - मैग्ना का पिता! 👏👏

इस मायावन का निर्माण मैग्ना और कैस्पर ने मिल कर किया। मैग्ना स्वयं शेफ़ाली के रूप में यहाँ मौजूद है और कैस्पर भी कोई बहुत दूर नहीं। ऊपर वाला कृत्रिम नियंत्रक कैस्पर का रोबोट है। उसका काट शायद नक्षत्रा, जो स्वयं एक सुपरनेचुरल इंटेलिजेंस है, के पास हो?

रावण की मूर्ति में मैग्ना की ही अस्थियाँ थीं! क्योंकि त्रिषाल और कलिका द्वारा उनका पंचतत्व में विलीन करने वाला काम होते ही, शेफ़ाली का जन्म हुआ! बहुत अच्छे! 👏👏👏👍

अलेक्स के पास एक हरक्यूलियन टास्क है अब! एक अलग ही किस्म का लेबर ऑफ़ हर्क्युलीस!


#135

Adamantine -- the metal of the gods!

यार हद कर दी है आपने! क्या गज़ब की रिसर्च है! वाह भाई! वाह!
अत्यंत गहरी रिसर्च + आशातीत कल्पनाशक्ति + परिष्कृत लेखन == अद्भुत कथा! ♥️♥️♥️
सच में, अभी तक जितनी भी फंतासी कहानियाँ मैंने पढ़ी हैं - उनमें से यह कहानी से श्रेष्ठतम है! थोड़ी सी एडिटिंग, और बस - एक बेस्टसेलर बनने के सारे गुण मौजूद हैं इसमें!
वाह! 👏👏👏

Words fall short in the praise of this epic creation, Raj_sharma brother! 👏👏👏👏

You are an amazing writer, BUT you are wasting your talent here...
Get this published! I can suggest you one very good (and may I say, an honest one - rarity in this business) publisher, who will work very hard with you. You deserve a lot! Think about it.
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,983
15,309
159
#135.

सुनहरे पंख: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 13:50, मायावन, अराका द्वीप)

ज्वालामुखी से बचने के बाद सभी ऊपर बनी गुफा के छेद में प्रवेश कर गये।

कुछ देर तक गुफा की संकरी और आड़ी-टेढ़ी गलियों में घूमने के बाद सभी एक विशाल स्थान पर पहुंच गये।

यह बड़ा स्थान एक खोखले पहाड़ के समान प्रतीत हो रहा था, जहां पर बीचो बीच में पानी की एक छोटी झील नजर आ रही थी।

झील का पानी पहाड़ में बने 5 छेद से, झरने के समान पहाड़ के नीचे गिर रहा था। वह 5 छेद लगभग 6 फुट डायामीटर के बने थे।

झील के पास के खाली स्थान पर 2 ग्रीक योद्धा और एक घोड़े की मूर्ति थी।

एक ग्रीक योद्धा एक पत्थर पर बैठकर कुछ सोच रहा था। दूसरा योद्धा उसके पास खड़ा था।

एक स्थान पर पत्थर में एक बड़ा सा लीवर लगा था, जिसके पास कुछ पत्थर के छोटे टुकड़े पड़े थे।

झील के ऊपर कुछ ऊंचाई पर, किसी धातु के 5 गोले हवा में तैर रहे थे।

“लगता है हम फिर से किसी मायाजाल के अंदर आ गये हैं।” सुयश ने सारी चीजों को ध्यान से देखते हुए कहा- “इसलिये कोई भी बिना कुछ समझे किसी चीज को हाथ नहीं लगायेगा?”

“कैप्टेन यह दोनों मूर्तियां ग्रीक देव ‘हेफेस्टस’ और ‘हरमीस’ की हैं।” क्रिस्टी ने मूर्तियों की ओर इशारा करते हुए कहा।

“क्रिस्टी, क्या तुम इन दोनों के बारे में थोड़ा बहुत बता सकती हो, इससे हमें इस मायाजाल को समझने में आसानी हो जायेगी।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा।

“इसमें से पहली मूर्ति हेफेस्टस की है। यह ओलंपस पर्वत पर रहने वाले 12 देवी-देवताओं में से एक है। हेफेस्टस, देवता जीयूष और देवी हेरा का पुत्र है। कुरुप होने के कारण जीयूष ने हेफेस्टस को ओलंपस पर्वत से फेंक दिया था, जिससे हेफेस्टस लंगड़ा कर चलने लगा। हेफेस्टस को जादूगरों का देवता भी कहते हैं।

"ओलंपस पर्वत से निकाले जाने के बाद हेफेस्टस एक ज्वालामुखी में रहने लगा। इसलिये उसे ‘वुल्कान’ भी कहा जाता है। बाद में हेफेस्टस ने अपने जादू से देवी हेरा को एक सिंहासन से चिपका दिया। जिसके परिणाम स्वरुप जीयूष को अपनी पुत्री एफ्रोडाइट का विवाह हेफेस्टस से कर उसे ओलंपस पर्वत वापस बुलाना पड़ा।

"हेफेस्टस ने हेरा को सिंहासन से मुक्त कर दिया। बाद में हेफेस्टस को सभी देवताओं के हथियार बनाने का कार्य सौंपा गया। ज्यादातर देवताओं के हथियार हेफेस्टस ने ही बनाये हैं। अब मैं बात करुंगी, दूसरे देवता हरमीस की। हरमीस को संदेशवाहक देवता कहा जाता है, यह पूरी दुनिया में बहुत तेजी से भ्रमण कर सकने में सक्षम है। यह भी जीयूष का एक पुत्र है।

"हेफेस्टस ने हरमीस को अपना कार्य सरलता से पूरा करने के लिये 3 चीजें प्रदान की थीं। जिसमें से एक सोने का जूता था, जिसमें पंख लगे थे। उस जूते को ‘तलारिया’ कहते थे। दूसरी चीज एक पंखों वाला हेलमेट थी, जिसे ‘पेटोसस’ कहते थे। तीसरी चीज ‘कैडूसियस’ नाम की एक छड़ी थी, जो धातु की बनी थी। जिसमें 2 सर्प आपस में लिपटे हुए बने थे और 2 सुनहरे पंख ऊपर के स्थान पर लगे थे।” इतना कहकर क्रिस्टी चुप हो गई।

“इसका मतलब हेफेस्टस को हिं..दू धर्म का 'विश्वकर्मा' और हरमीस को ‘नारद’ कहा जा सकता है।” सुयश ने कहा।

पर सुयश की यह बात किसी की समझ में आयी नहीं।

“चलो दोस्तों अब देखते हैं कि यहां से कैसे निकला जा सकता है?” सुयश ने सभी में जोश भरते हुए कहा।

“सबसे पहले पहाड़ में मौजूद उन छेद को देखते हैं, क्यों कि वही यहां से निकलने का एक मात्र रास्ता दिख रहा है।“ तौफीक ने पहाड़ में मौजूद छेदों की ओर इशारा करते हुए कहा।

सभी चलते हुए उन 5 छेदों के पास पहुंच गये। चूंकि झरने का पानी उन सभी छेदों से नीचे की ओर जा रहा था, इसलिये पानी का बहाव वहां काफी तेज था।

“जरा ध्यान से तौफीक...यहां बहाव बहुत तेज है।” सुयश ने कहा- “अगर फिसल गये तो शरीर का चूरा भी नहीं मिलेगा। हम लोग कम से कम 600 से 700 फिट की ऊंचाई पर हैं।”

“जी कैप्टेन।”तौफीक ने स्वीकृति से अपना सिर हिला दिया।

तौफीक ने सावधानी से पानी की ओर अपना कदम बढ़ाया, पर उसका पैर पानी के ऊपर ही रुक गया।

“कैप्टेन... मेरा पैर पानी के अंदर नहीं जा रहा है, मुझे पानी के ऊपर पैर रखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि जैसे मैंने किसी ठोस वस्तु पर अपना पैर रखा हो। शायद यह भ्रम पैदा करने वाला पानी है।” तौफीक ने पानी के ऊपर खड़े होते हुए कहा।

“यह तो और भी अच्छी भी बात है, अब तुम्हें बहाव से कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश ने कहा- “अब जरा आगे बढ़कर इन सभी छेदों को चेक करो। क्या इसमें कुछ भी तुम्हें अलग महसूस हो रहा है?”

तौफीक ने पहले छेद के पास जा कर दूसरी ओर झांक कर देखने की कोशिश की, परंतु तौफीक को उस छेद में कोई अदृश्य अवरोध महसूस हुआ।

तौफीक ने एक-एक कर सभी छेदों को जांच लिया। उन सभी छेदों से बाहर नहीं जाया जा सकता था।

“कैप्टेन...हम किसी भी छेद से बाहर नहीं जा सकते। हर छेद में कोई अदृश्य दीवार उपस्थित है।” तौफीक के शब्दों में चिंता के भाव नजर आये।

“इसका मतलब हम बिना यहां के मायाजाल को तोड़े यहां से बाहर नहीं निकल सकते।” शैफाली ने कहा।

“पर कैप्टेन, अगर हमने यहां का मायाजाल पार भी कर लिया तो हम इतनी ऊंचाई से नीचे जायेंगे कैसे?” क्रिस्टी के तर्कों में भी दम था।

“यहां से नीचे जाने की चिंता ना करो, यहां से नीचे तो हम शैफाली के सुरक्षा बुलबुले से भी जा सकते हैं।” जेनिथ ने कहा।

“नहीं जा सकते।” शैफाली ने कहा- “जेनिथ दीदी, जरा उन छेदों का साइज देखिये, मेरे रक्षा कवच का बुलबुला उस छेद के साइज से कहीं ज्यादा बड़ा है। वह इतने छोटे से छेद से बाहर ही नहीं निकल पायेगा और बाहर निकलकर, कूदते हुए उस बुलबुले का बनाना मूर्खता होगी क्यों कि उसके लिये भी हम पांचों को सभी छेदों से एक साथ हवा में कूदना होगा और जरा सी चूक हममें से किसी की भी जान ले लेगी।”
शैफाली ने अच्छा तार्किक उत्तर दिया।

“जितना मैंने इस जंगल के मायाजाल को देखा है, उससे पता चलता है कि हर मायाजाल अपने आप में एक साल्यूशन भी रखता है।” सुयश ने कहा- “हो सकता है कि जब हम इस मायाजाल को तोड़ लें, तो इन्हीं से हमें झरने के नीचे जाने का रास्ता मिल जाये?.....चलो फिलहाल हमें ये तो पता चल गया कि ना तो हम इस झील के अंदर जा सकते हैं और ना ही इन छेदों से बाहर। अब बाकी की चीजों को चेक करते हैं।”

यह कहकर सुयश उन हवा में तेज गति से तैर रहे धातु के गोलों को देखा।

“मुझे लगता है कि जरुर इन धातु के गोलों में कोई रहस्य छिपा है, क्यों कि यह गोले तेज गति से हवा में घूम रहे हैं और हमारी पहुंच से काफी दूर भी हैं, तो अब इन गोलों को चेक करना होगा।” शैफाली ने कहा।

“पर कैसे?” क्रिस्टी ने उन गोलों को देखते हुए कहा- “हम इन गोलों तक पहुंचेगे कैसे? जरा इनकी स्पीड तो देखो, यह बहुत तेज हवा में नाच रहे हैं।”

“अगर यह गोले जमीन के पास उड़ रहे होते, तो मैं इन्हें आसानी से पकड़ लेती, भले ही इनकी स्पीड कितनी भी होती।” जेनिथ ने कहा।

तभी तौफीक की नजर पास में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ी। पत्थरों को देखते ही तौफीक की आँखें चमकने लगीं।

“मैं इन गोलों को नीचे ला सकता हूं।” तौफीक ने दृढ़ता पूर्वक कहा।
सभी आश्चर्य से तौफीक का मुंह देखने लगे।

तभी तौफीक ने अपने हाथों में कुछ पत्थर उठा लिये और एक गोले की गति को ध्यान से देखते हुए, उस पर एक पत्थर फेंक कर मार दिया।

हर बार की तरह तौफीक का निशाना बिल्कुल अचूक था। पत्थर सीधा उस गोले पर लगा और वह गोला जमीन पर आ गिरा।

जमीन पर गिरते ही उसकी गति समाप्त हो गयी। अब वह बिल्कुल स्थिर हो गया था।

सुयश ने आगे बढ़कर उस गोले को उठा लिया। उस गोले पर अग्रेजी अक्षर का ‘M’ अक्षर छपा था।

“इस पर तो ‘M’ अक्षर लिखा है।” सुयश सभी की ओर देखते हुए कहा- “लगता है यह भी कोई ‘मैग्नार्क’ जैसी पहेली है। तौफीक बाकी के भी गोलों को गिराओ.... जब सब इकठ्ठा हो जायें, तो फिर देखेंगे, कि इससे क्या बनेगा?”

सुयश की बात सुन तौफीक ने निशाना लगा कर एक-एक करके पांचों गोलों को नीचे गिरा दिया।

सुयश ने सभी गोलों पर लिखे अक्षरों को एकत्र किया, जो कि इस प्रकार थे- ‘MADAN’

“इन अक्षरों से ‘DANAM’, ‘NADAM’, ‘MANDA’, ‘ADMAN’ इस प्रकार के ही शब्द बन रहे हैं, पर इन शब्दों से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।”

शैफाली ने कहा- “कहीं ऐसा तो नहीं कि यह शब्द अभी अधूरा है, मेरा मतलब है कि अभी और भी कुछ अक्षर यहीं कहीं छिपें हों? जिसकी वजह से हम इस पहेली को समझ नहीं पा रहे हैं?”

शैफाली के शब्द सुन सभी अपने आस-पास कुछ और ढूंढने में लग गये, पर कहीं भी कुछ भी नहीं था।

तभी सुयश की निगाह पत्थर पर बने उस लीवर पर पड़ी।

सुयश ने आगे बढ़कर उस लीवर को एक दिशा में खींच दिया, पर कहीं से ना तो कोई आवाज सुनाई दी और ना ही कहीं कोई परिवर्तन हुआ।

यह देख सुयश ने उस लीवर को छोड़ दिया। सुयश के छोड़ते ही लीवर अपनेआप यथा स्थान आ गया।

समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी।

तभी एक गोले को देख रही शैफाली के हाथ से वह गोला फिसलकर जमीन पर गिर गया और लुढ़कता हुआ उस झील के अंदर चला गया।

“झील का पानी तो अभी तक ठोस था, फिर वह गोला झील के अंदर कैसे चला गया?” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा।

शैफाली ने आगे बढ़कर झील के पानी को छुआ, पानी अभी भी ठोस था।

शैफाली कुछ देर तक सोचती रही और फिर एक दूसरे गोले को हाथ में लेकर झील की सतह से स्पर्श कराया, वह दूसरा गोला पानी से भीग गया।

अब शैफाली ने गोले को अपने हाथ में लिये-लिये ही, अपना हाथ पानी में डाला। शैफाली का हाथ झील के पानी के अंदर चला गया।

यह देख शैफाली मुस्कुरा उठी। वह गोले को हाथ में पकड़कर झील के पानी में उतर गयी।

सुयश सहित सभी ध्यान से शैफाली की गतिविधियों को देख रहे थे।

थोड़ी ही देर में शैफाली झील के पानी के बाहर निकली, उसके हाथ में 2 और गोले थे।

उन 2 गोलों को सुयश को पकड़ाकर शैफाली फिर से पानी में चल गयी।

पहला वाला अब भी शैफाली के हाथ में था। ऐसे ही एक-एक कर शैफाली ने झील के अंदर से 5 गोले और निकाल लिये और झील के पानी से बाहर आ गयी।

अब उन लोगों के पास कुल 10 गोले हो गये थे। यह 5 नये अक्षर थे ‘ITNAE’....अब सभी तेजी से उन गोलों को एक स्थान पर रखकर उससे कोई नया शब्द बनाने में जुट गये।

लगभग 10 मिनट की मेहनत के बाद इस पहेली को हल किया क्रिस्टी ने।

“कैप्टेन...यह 10 गोलों से ‘ADAMANTINE’ शब्द बन रहा है।” क्रिस्टी ने कहा।

“यह ‘एडमैन्टाइन’ होता क्या है?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।

“देवताओं ने धरती पर गिरने वाले उल्का पिंड से, एक नयी धातु खोज निकाली, जो पृथ्वी पर नहीं पायी जाती थी। उसे ही एडमैन्टाइन नाम दिया गया। यह धातु टंगस्टन और टाइटेनियम से भी ज्यादा कठोर और
हल्की थी। हेफेस्टस ने देवताओं के सभी हथियार इसी धातु से बनाये थे।”

“यानि यहां के मायाजाल के हिसाब से हमें यह धातु इकठ्ठी करके हेफेस्टस के पास रखनी होगी।” सुयश ने यह कहकर सभी से इशारा किया।

सभी ने 2-2 गोले उठाकर हेफेस्टस के पास एक जगह पर एकत्र कर दिये।

पर जैसे ही सभी गोले आपस में स्पर्श हुए, सभी एक साथ जुड़कर, एक छोटे से वर्गाकार धातु के टुकड़े का रुप ले लिये।

सभी अब कुछ परिवर्तन की आस लिये चारों ओर देखने लगे, पर अभी भी सब कुछ शांत था।

“मुझे लगता है कि यहां के दृश्य के हिसाब से हेफेस्टस को कुछ हथियार बनाकर हरमीस को देना है, जब हेफेस्टस वह हथियार हरमीस को दे देगा, तभी यह मायाजाल टूटेगा।” शैफाली ने कहा।

“तो धातु का टुकड़ा तो मिल गया, अब क्या चीज चाहिये?” जेनिथ ने पूछा।

“हेफेस्टस के टूल्स, जिससे वह हथियार बनाता था। मेरे हिसाब से टूल्स के बिना हेफेस्टस कैसे हथियार बना पायेगा ?” सुयश ने कहा- “क्रिस्टी, हेफेस्टस के पास किस प्रकार के टूल्स थे?”

“एक हथौड़ा, एक चिमटा और एक निहाई।” क्रिस्टी ने कहा- “बिना इन यंत्रों के कोई भी शिल्पकार कुछ नहीं बना सकता।" (निहाई को अंग्रेजी में anvil कहते हैं)

“इसका मतलब ये सारी वस्तुएं भी यहीं पर कहीं होंगी?” सुयश ने कहा और चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाने लगा।

“कैप्टेन उस लीवर का अभी तक हम लोगों ने कोई भी उपयोग नहीं किया है? हो सकता है कि हेफेस्टस के टूल्स उसी के अंदर हों?” जेनिथ ने लीवर की ओर इशारा करते हुए कहा।

सुयश उस लीवर के पास पहुंचकर ध्यान से उसे देखने लगा, पर वह लीवर उसे किसी यंत्र जैसा नहीं लगा।

सुयश ने उस लीवर के हैंडिल को ऊपर की ओर खींच कर देखा।

सुयश के ऐसा करते ही लीवर सुयश के हाथ में आ गया, परंतु अब वो किसी हथौड़े की मूठ जैसा लग रहा था।

यह देख सुयश पत्थर को उलट-पलट कर देखने लगा।

कुछ ही देर में सुयश की तीव्र आँखों ने पत्थर पर अलग से लगे एक घन के आकार का भाग देख लिया, जो कि थोड़े ही प्रयास के बाद उस पत्थर के टुकड़े से अलग हो गया।

सुयश ने घन के टुकड़े को जैसे ही लीवर से स्पर्श कराया, वह एक हथौड़े में परिवर्तित हो गया।

हथौड़े के बनते ही सभी में उम्मीद की किरण जाग उठी। अब सभी दुगने उत्साह से बाकी के दोनों यंत्र ढूंढने में लग गये।

कुछ देर में शैफाली को चिमटा वहां मौजूद घोड़े की पूंछ से बंधा हुआ मिल गया। लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी निहाई नहीं मिला।

तभी तौफीक की निगाह उस पत्थर पर गई, जिस पर बैठकर हेफेस्टस कुछ सोच रहा था।

“कैप्टेन, कहीं वह तो निहाई नहीं? जिस पर हेफेस्टस स्वयं बैठा हुआ है।” तौफीक ने सुयश को पत्थर की ओर इशारा करते हुए कहा।

तौफीक की बात सुन सुयश ने उस पत्थर को धीरे से धक्का दिया, धक्का देते ही वह पत्थर हेफेस्टस के नीचे से सरक गया। वह निहाई ही था।

अब सुयश ने निहाई को हेफेस्टस के पास रख दिया और एडमैन्टाइन का टुकड़ा उस निहाई पर रख दिया।

इसके बाद सुयश ने चिमटे को हेफेस्टस के एक हाथ में और हथौड़े को दूसरे हाथ में पकड़ा दिया।

जैसे ही सुयश ने हेफेस्टस के हाथ में हथौड़ा पकड़ाया, हेफेस्टस की मूर्ति सजीव हो गई और वह एडमैन्टाइन को चिमटे से पकड़कर, उस पर हथौड़े से तेज चोट करने लगा।

घन जैसे हथौड़े की तेज आवाज पूरे पहाड़ में गूंजने लगी।

सभी चुपचाप कुछ दूर हटकर हेफेस्टस को काम करते हुए देख रहे थे।

लगभग आधा घंटे की ठोका-पीटी के बाद हेफेस्टस ने उस एडमैन्टाइन के टुकड़े से तीन चीजें बना दीं।
वह चीजें वही थीं, जिसके बारे में क्रिस्टी ने कुछ देर पहले बताया था।

यानि एक जोड़ी जूते, जिनके पंख लगे थे, एक सिर पर पहनने वाला हेलमेट, इस पर भी दोनों ओर पंख लगे थे और एक छड़ी, उस छड़ी पर भी पंख लगे थे।

यानि की ये सब वही चीजें थीं, जो कि पौराणिक कथाओं में हेफेस्टस ने हरमीस को दी थीं।

इतना करने के बाद हेफेस्टस वहां से अदृश्य हो गया और साथ ही अदृश्य हो गये उसके यंत्र भी।

“मुझे लगता है कि अब यह सारे अस्त्र हरमीस को सौंपने के बाद यह मायाजाल टूट जायेगा।” तौफीक ने कहा।

सुयश ने जैसे ही सुनहरे जूते को छुआ, उसके पंख बहुत तेजी से सजीव हो कर फड़फड़ाने लगे।
यह देख सुयश आश्चर्य में पड़ गया। अब उसने पंखों वाले हेलमेट को हाथ लगाया, सुयश के हाथ लगाते ही उसके पंख भी हवा में फड़फड़ाने लगे।

यह देख शैफाली बोल उठी- “कैप्टेन अंकल...मुझे लगता है कि यह जादुई चीजें हेफेस्टस ने हरमीस के लिये नहीं बल्कि हमारे लिये बनाई हैं।...आप कह रहे थे ना कि हम इतनी ऊंचाई से नीचे कैसे जायेंगे, तो मुझे लगता है कि हम इन्हीं जादुई चीजों की मदद से ही नीचे जायेंगे।”

सुयश सहित सभी को शैफाली का विचार सही लगा।

“पर कैप्टेन....यह तो 3 ही चीजें हैं, और हम लोग 5 हैं, फिर इनकी मदद से हम सब नीचे कैसे जायेंगे?” जेनिथ ने कहा।


जारी रहेगा_______✍️

Kya gazab ki update post ki he Raj_sharma Bhai,

Greek mythology kaafi had tak apni pauranik kathao se mel khati he..........

Ab jute, Helmet aur Chhadi ka sahi istemal karna hoga suyash and party ko...........

Keepr rocking Bro
 
Top