Pradeep paswan
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ThanksJabarjast update
Rajesh aur Jyoti ka milan ek dam dhamakedar ho aur ho sake to Rajesh aur Jyoti ka sex poonam dekh le tab aur majja aayega
Rajesh Bhai update acha tha but yaar ab story ko aage badane ke bare me socho......वापस आते समय जब वे लक्ष्मण पुर पहुंचे,,
ज्योति _राजेश, देखो वो सामने मेडिकल है, वहा से कोइ अच्छी सी मलहम लेलो, ताकि उसे लगाने से छिली हुई त्वचा जल्दी ठीक हो सके।
राजेश _ठीक है दीदी,,
राजेश ने मेडिकल दुकान के सामने गाड़ी रोक दिया।
राजेश ने मेडिकल से एक क्रीम ले लिया जिसे लगाने से कटी हुई त्वचा जल्दी ठीक हो सके।
मेडिकल से दवाई लेने के बाद वे घर के लिए निकल पड़े जब वे भानगढ़ पहुंचे तो लोग उन्हें घूर रहे थे उनके मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे थे ये कार तो ठाकुर के बेटी की है फिर इसे कौन चला रहा है और बाजू में बैठी महिला कौन है! जब वे अपने गांव पहुंचे तो गांव वाले भीअपने मन में सवालिया निशान लगाए उन्हे देखने लगे।
राजेश _दीदी आप घर के अंदर चलो, मैं कार दिव्या जी को वापस करके आता हूं।
ज्योति _ठीक है राजेश।
राजेश कार लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चला गया।
वहा कार की चाबी देने दिव्या के रूम में गया।
दिव्या _अरे आ गए छोड़ कर दीदी को।
राजेश _जी दिव्या जी, धन्यवाद दिव्या जी,
दिव्या _अरे इसमें धन्यवाद की क्या बात? यह तो मेरा फर्ज था।
उसने चपरासी को बुलाया और दो कॉफी मंगवाया।
दिव्या _राजेश तुम्हारे निशा का क्या हाल चाल है, कोइ फोन वगैरा आया था।
राजेश _नही दिव्या जी, मुझे नही लगता कि वो मुझे भुल गई।
दिव्या _पर मुझे लगता है कि वो एक दिन जरूर वापस आयेगी।
चपरासी ने कॉफी लाया, दोनो काफी पीने लगे।
कॉफी पीने के बाद,,
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मैं चलता हूं।
दिव्या _ठीक है राजेश, अब मेरा भी घर जाने का समय हो गया है।
राजेश अपना बाइक लेकर घर आ गया जब वह घर पहुंचा।
पदमा खेत से घर आ चुकी थी।
पदमा _आ गया राजेश बेटा।
राजेश _हां ताई, आप कब आई खेत से, और भुवन भैया कहा है?
पदमा _मैं भी अभी आई बेटा, खेत में कुछ काम ज्यादा है तो भुवन थोडा लेट से आएगा।
वैसे क्या कहा डाक्टर ने ।
राजेश _डाक्टर ने कहा की सब ठीक हैकुछ दवाई दी है उसे रोज लेने को कहा है, दीदी ने तो बताया ही होगा।
पदमा _हां।
राजेश _वैसे दीदी कहा है?
वो वो कीचन में बहू के साथ है।
पदमा _अच्छा बेटा जाओ तुम भी फ्रेस होकर थोड़ा आराम कर लो।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश अपने कमरे में जाकर कपड़ा चेंज किया फिर पीछे बाड़ा में बने बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया। अपने में जाकर आराम करने लगा।
पदमा _अरे बहू जाओ, राजेश को चाय दे दो,,
पुनम _ठीक है मां जी।
ज्योति _पुनम, दो राजेश को मैं चाय दे आती हूं। तुमने मुझ से वादा किया है न की तुम राजेश से अब दूर रहोगी।
राजेश के कमरे में जाने की बात हो तो तुम नही मैं जाऊंगी? क्यों की मुझे तुम पर कोइ भरोसा नहीं, वहा फिर से तुम शुरू हो गई तो,,
पुनम _ठीक है दीदी।
ज्योति राजेश के कमरे में चाय लेकर गई,,,
राजेश _अरे, दीदी तुम,,,
ज्योति _क्यू मैं नही आ सकती?
राजेश _नही, ऐसी बात नही चाय हमेशा भौजी ही लेकर आती थी ना इसलिए,,,
ज्योति _हूं, मैने उसे मना कर दिया है, तुम्हारे कमरे में आने के लिए, पता नही तुम लोग घर की मान मर्यादा छोड़कर फिर कब शुरू हो जाओ।
इसलिए अब चाय या और कोइ चीज तुम्हे देनी हो तो तुम्हे मै दूंगी।
लो चाय पी लो।
राजेश बेड से उठ बैठा और चाय की प्याली लेते हुए कहा, धन्यवाद दीदी।
राजेश _वैसे दीदी आज आपको कैसा लगा?
ज्योति _क्या?
राजेश _वही, कार में घूमना, फिर ढाबे में खाना।
दीदी _बहुत अच्छा, और तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया, मेरा इच्छा पूरा करने के लिए।
राजेश _दीदी, ये तो कुछ भी नही और कोई ईच्छा हो तो मुझे बता देना, मैं आपकी सारे इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करूंगा।
ज्योति _,, ठीक है।
अच्छा ये बताओ, तुमने मलहम लगाया की नही। अभी भी जलन हो रही है क्या?
राजेश _दीदी, जलन तो हो रही है, ठीक होने में समय तो लगेगा ही।
दिव्या _दवाई लगाई की नही।
राजेश _नही दीदी।
आप लगा दो न,,
ज्योति _चल हट बेशरम मैं क्यूं लगाऊं। मैं पुनम और तेरी तरह बेशरम नही।
राजेश _वो तो मैं इसलिए कह रहा था की आपने जब चोट पर अपना थूक मला था न तो आधा दर्द ऐसे ही दूर हो गया था। जब अपने हाथो से मलहम लगाओ गी तो देखना दो दिनों में ही ठीक हो जायेगा।
ज्योति _पर मुझे बड़ी शर्म आयेगी, और किसी ने देख लिया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _अच्छा तो रात में लगा देना जब सब सो जाए।
ज्योति _ठीक है, सोचूंगी।
ज्योति वहा से चली गई।
कुछ देर बाद भुवन घर आया। राजेश और भुवन दोनो, टहलने के लिए चले गए।
वहा से आने के बाद भुवन रात का भोजन कर खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में पढ़ाई करने लगा।
घर के सभी लोग भोजन करने के बाद अपने कमरे में आराम करने लगे।
आज राजेश के कमरे में दूध का गिलास लेकर पुनम की जगह ज्योति आई।
ज्योति _क्या कर रहे हो, लो दूध पी लो,,
राजेश _शुक्रिया दीदी।
जब ज्योति जाने को हुई।
राजेश _दीदी, आप दवाई लगाने वाली थी।
ज्योति _मुझसे नही हो पाएगा, तुम खुद ही लगा लो,, पुनम अभी कीचन में ही है वो यहां आ गई तो, वो क्या सोचेगी?
न बाबा, मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _अच्छा ठीक है, दीदी रहने दो।
ज्योति वहा से चली गई।
कीचन का काम निपटा कर पुनम और ज्योति दोनो अपने कमरे में सोने चले गए।
कुछ देर बाद ज्योति ने क्या सोंचा पता नही, वह आरती की ओर देखी जो गहरी नींद में सो रही थी उसकी बेटी भी उसके साथ सो रही थी। वह धीरे से उठी और अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे की ओर चली गई।
उसने कमरे में जाकर देखा राजेश अभी भी पढ़ाई कर रहा था।
वह कमरे में प्रवेश किया।
राजेश _अरे दीदी तुम।
ज्योति _हां, वैसे आना तो नही चाहती थी, पर सोचा पता नही तुमने दवाई लगाया भी की नही, कहीं जख्म और न बड़ जाए।
राजेश _दवाई तो अब तक नही लगाई दी।
ज्योति _अच्छा ये लोवर और अंडरवियर निकाल लूंगी लपेट लो, मैं दवाई लगा देती हूं। जल्दी करो कहीं कोइ उठ न जाए।
राजेश _ठीक है दी।
राजेश ने अपना लोवर और चड्डी निकाल दिया और एक लूंगी लपेट लिया।
और बेड पर लेट गया।
ज्योति _, दो मलहम लगा देती हूं।
राजेश ने मलहम ज्योति को दे दिया।
ज्योति ने मलहम अपने उंगली पर ले लिया।
ज्योति _लूंगी हटाओ।
राजेश ने अपना लूंगी हटा दिया।
लंद ज्योति के आंखों के सामने आ गया।
वह संकोच करती हुई एक हाथ से लंद को पकड़ी और कटी हुई जगह को देखने लगी।
कटी जगह पर उंगली से मलहम लगा कर मालिश करने लगी।
ज्योति के मुलायम हाथो का स्पर्श पाकर लंद में तनाव आने लगा।
ज्योति की दिल की धड़कन बढ़ने लगी।
देखते ही देखते लंद एकदम तन कर खड़ा हो गया।
ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई।
वह उठ कर जाने लगी।
राजेश _क्या huwa दीदी, थोड़ी देर और मालिश कर दो।
ज्योति को वहा और रुकने की हिम्मत नही हुई। वह अपने कमरे में चली गई। उसकी दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी।
वह अपने बेड पर सोने की कोशिश करने लगी। पर उसकी आंखो के सामने राजेश का मोटा और लम्बा लंद ही नजर आ रहा था।
उसे अपने योनि में गीला पन महसूस huwa वह अपने उंगली ले जाकर boor पर फेरा तो पता चला उसकी boor बुरी तरह गीली हो गई है।
वह रुकी नही और राजेश की लंद को इमेज करके अपनी उंगली से boor को रगड़ती रही और कुछ ही देर में झड़ने लगी।
उसे आत्मग्लानि महसूस होने लगी।
छी ये मैंने क्या किया? अपने ही छोटे भाई का लंद याद कर boor रगड़कर झड़ गई। पर झड़ने के बाद उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगी।
कुछ देर बाद वह भी गहरी नींद में सो गई।
अगले दिन राजेश सुबह नाश्ता करने के बाद। स्कूल के समिति वालो के साथ शाला विकास के लिए फंड इकट्ठा करने, गांव में भ्रमण करने लगा।
वह जिसके घर भी जाता, राजेश का सम्मान करते, उसकी बातो को ध्यान से सुनते और अपनी क्षमता अनुसार शाला को दान करते।
इधर जब ज्योति का नहाने का समय huwa, वह पुनम को अपने पास बुलाकर बोली,,
पुनम _क्या बात है दी कुछ काम था क्या?
ज्योति _कैसे कहूं, मुझे तो शर्म आ रही है?
पुनम _अरे दीदी मुझसे क्या शर्माना बोलो क्या बात है?
ज्योति _कल हम चेक अप के लिए डाक्टर के पास गए थे न, तो डाक्टर ने जब मेरे वहा पर बाल देखी तो उसे साफ़ करने बोली है, नही तो इन्फेशन का हो सकता है।
क्या तुम्हारे पास रेजर है? ज्योति शर्माते हुए बोली।
पुनम _दीदी इसमें शर्माने की क्या बात है। पर आपने कभी रेजर का उपयोग किया है?
ज्योति _नही।
पुनम _दीदी , पहली बार रेजर का उपयोग करो तो कटने का डर रहता है। कहीं कट गया तो परेशानी में पड़ जावोगी।
ज्योति _ओह तो क्या करू?
पुनम _अगर तुम कहो तो तुम्हारी बालो को मैं साफ़ कर दूंगी।
ज्योति _पर मुझे बहुत शर्म आयेगी।
पुनम _ओह दीदी, तुम भी न, देखो अभी तुम नहा लो। दोपहर में जब मां खेत चली जाएगी। आरती भी अपनी सहेली के घर चली जाती हैं, उस समय मैं तुम्हारे बालो को साफ़ कर दूंगी।
ज्योति _मुझे तो सोच के भी बड़ी शर्म आ रही है।
पुनम _दीदी शर्माना छोड़ो और मैने जैसा कहा है वैसा करो, पुनम मुस्कुराते हुवे बोली।
ज्योति नहाने चली गई। दोपहर में राजेश घर आया और भोजन किया सभी ने भोजन किया, पदमा खेत चली गई।
राजेश कुछ देर आराम करने के बाद फिर से गांव में शाला के लिए फंड इकट्ठा करने चला गया।
आरती भी अपनी सहेली के घर चली गई। ज्योति ने मुन्नी को भी अपने साथ ले जाने कहा।
अब घर में केवल पुनम और ज्योति ही रह गई।
पुनम _दीदी, चलो मेरे कमरे में चलते है। मैं तुम्हारे बाल साफ़ कर दूंगी।
ज्योति और पुनम दोनो कमरे में आ गए।
पुनम ने अलमारी से सेविंग करने का सामान निकाल लिया जिससे भुवन अपना दाढ़ी बनाता था।
पुनम _दीदी आप बेड के किनारे लेट जाओ।
ज्योति _मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
पुनम _दीदी अब मुझसे क्या शर्माना। आपको पता है मैं अपनी बाल कभी कभी तो भुवन से साफ़ कराती हूं।
ज्योति _क्या?
तू सच में बड़ी बेशरम है। पुनम हसने लगी।
पुनम _उससे बाल बनवाने में बड़ा मज़ा आता है।
उसे तो चिकनी boor ही पसंद है। और,,
ज्योति _और क्या?
पुनम _और राजेश को भी।
चलो अब लेट जाओ। ज्योति शर्माते हुवे बेड किनारे लेट गई। और अपनी दोनो टांगे फैला दी।
पुनम _दीदी अपनी साड़ी और पेटिकोट तो हटाओ।
ज्योति ने शर्माते हुवे अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया।
जब पुनम ने ज्योति की boor पे घने जंगल देखा।
पुनम _दीदी ये क्या इतना घना जंगल, आपका गुफा तो दिखाई ही नही दे रहा।
ज्योति _चुप कर बेशरम,,,
पुनम ने बालो पर क्रीम लगाया और ब्रश चलाया। फिर रेजर पर नया ब्लेड लगाकर बालो को साफ़ करने लगी।
ज्योति को बड़ी शर्म आ रही थी, गुदगुदी भी हो रही थी।
ज्योति _अरे बेशरम जल्दी करो और कितनी देर लगेगी।
पुनम _बस दीदी हो गया।
पुनम ने धीरे धीरे करके पूरे बालो को साफ़ कर दिया।
एक बार बाल साफ़ करने के बाद फिर से योनि के आस पास ब्रश चलाया, तो ज्योति सिसकने लगी, आए उन
पुनम _क्या huwa दीदी, मुस्कुराते हुवे पूछी।
ज्योति _कुछ नही तू जल्दी कर।।
पुनम ने योनि को एक बार फिर रेजर चला कर साफ़ किया।
पुनम _दीदी आपकी बुरिया तो बहुत खुबसूरत लग रही है। एकदम फूली हुई मस्त चिकनी। ज्योति _चुप कर बेशरम।
ज्योति की boor एकदम गीली हो गई थी। जब पुनम ने देखा तो समझ गई कि ज्योति गर्म हो गई है।
वह ज्योति को और गर्म करना चाहती थी।
उसने ज्योति की boor को चाटना शुरू कर दिया।
ज्योति सिसक उठी,,
वह सिसकते हुवे बोली,, आह मां, आह,,
अरे क्या कर रही है बेशरम, ऐसा मत कर, पर पुनम नही मानी और चांटती रही।
ज्योति बहुत गर्म हो गई। अब उसे बहुत मज़ा आने लगा।
आह मां आई, आह,,
वह पुनम की सिर को योनि में और दबा दिया,,
और कुछ ही देर में चीखते हुए झड़ने लगी।
पुनम ने उसकी boor की पानी को चांटते हुवे कहा,,
दीदी आपकी boor का पानी का स्वाद तो एकदम मजेदार है?
ज्योति _छी बेशरम तू कितनी गंदी है।
पुनम _दीदी सच बोलो क्या तुम्हे मजा नही आया?
ज्योति _छी ऐसा भी कोइ करता है?
पुनम _लगता है आपका पति आपका बुरिया नही चांटते।
भुवन तो बिना चांटे घुसता ही नही।
ज्योति _क्या?
पुनम _हां, और,,
ज्योति _और,, क्या ?
पुनम _और राजेश तो और मस्त चांटता है।
ज्योति _क्या, राजेश भी।
पुनम _दीदी अपनी बुरिया को तो देखो कैसा चमक रहा है? कहीं एक बार राजेश ने देख लिया तो दीवाना हो जायेगा।
ज्योति _चुप कर बेशरम, तू तो शर्म हया सब बेच खाई है है। और सुन तू राजेश से दूर ही रहना, नही तो मां को सब सच बता दूंगी। तू क्या गुल खिला रही है।
पुनम ने अपने मन में बोली,, दीदी जब तुम्हे पता चलेगा न कि तुम्हारी मां क्या गुल खिला रही है तब देखूंगी तू क्या करेगी?
ज्योति _तुमने कुछ कहा?
पुनम _नही, तो।
दीदी अब मां जी के आने का समय हो गया है। अब तुम अपने कमरे में जाओ।
ज्योति बेड से उठी और अपने कमरे में चली गई।
र
रात में ज्योति, दूध का गिलास लेकर फिर राजेश के कमरे में गई।
ज्योति _लो, दूध पी लो।
राजेश _शुक्रिया दीदी।
जब ज्योति जाने लगी।
राजेश _दीदी, आज आवोगी न मलहम लगाने।
ज्योति शर्मा गई,, अपने हाथो से लगा लेना।
राजेश _ठीक है दीदी, पर मैं तो इसलिए कह रहा था की कल आपने जो क्रीम लगाकर मालिश की थी उससे काफी राहत मिला, एक दो दिन मे जख्म बिल्कुल ठीक हो जायेगा। लगा देती तो,,
ज्योति _ठीक है देखूंगी,,,
रात में जब ज्योति ने देखा कि सभी सो गए है वह चुपके से उठी, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था।
वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश पहले से ही लूंगी पहन कर बेड पर लेट कर ज्योति के आने का इन्तजार कर रहा था।
राजेश _लो दीदी, क्रीम लो।
राजेश ने लंद के ऊपर से लूंगी हटा दिया।
ज्योति का दिल जोरो से धड़क रहा था।
लंद पहले से ही खड़ा huwa था।
ज्योति ने लंद को एक हाथ से पकड़ कर कटे हुए जगह को देखा, चोंट पहले से काफी ठीक हो गया था।
उसने कटे भाग पर क्रीम लगा कर मालिश करने लगी।
ज्योति के हाथो का स्पर्श पाते ही लंद और शख्त होकर ठुमकने लगा। जिसे देख कर ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई। और वह कमरे से जाने लगी,,
राजेश _दी क्या huwa, कितना अच्छा लग रहा था, थोड़ी और मालिश कर देती तो,,,
ज्योति रुकी नही उसका दिल जोरो से धड़क रहा था वह अपने कमरे में चली गई, वह सोने की कोशिश करने लगी पर राजेश का लंद उसके आंखो के सामने नजर आ रहा था। उसकी chut का हाल भी बहुत बुरा हो गया था।
वह अपनी उंगली से chut की पानी बाहर निकाल कर शांत की और सो गई।
पर इधर राजेश का लंद खड़ा था, बड़े मुस्किल से वह सो पाया।
अगली रात फिर वही huwa।
ज्योति राजेश के लंद पर मालिश की, और बोली,,
ज्योति _अब तो तुम्हारा जख्म बिल्कुल ठीक हो गया है। कल से मालिश की जरूरत नही पड़ेगी ।
राजेश _हा दीदी ये तो आपके हाथो का कमाल है जो जख्म इतना जल्दी ठीक हो गया।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरी मदद करने के लिए।
ज्योति मालिश करके वहा से चली गई। और राजेश के लंद को इमेज कर अपनी chut रगड़ कर सो गई।
अगले दिन रात में दूध लेकर ज्योति, राजेश के कमरे में फिर पहुंची।
ज्योति _लो राजेश दूध पी लो।
राजेश _थैंक यू दी।
ज्योति _अब तो तुम्हारा जख्म बिल्कुल ठीक हो गया है। अब तो मुझे आने की जरूरत नही है न, ज्योति ने मुस्कुराते हुवे बोली।
राजेश _हां दीदी।
अब तो चोट बिल्कुल ठीक हो गया है। तुम्हारी मालिश से। अब तो आप मालिश करने नही आएंगी।
ज्योति _हां
राजेश _दीदी अच्छा होता आज आखरी बार और अच्छे से मालिश कर देती।
आप मालिश करती हो तो बड़ा अच्छा लगता है।
ज्योति _न बाबा, अब मैं नही आऊंगी। किसी को पता चला तो मैं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
ज्योति वहा से चली गई।
रात में ज्योति सोने की कोशिश करने लगी पर उसके आंखो के सामने राजेश का लंद ही नजर आ रहा था। वह बहुत गर्म हो चुकी थी। वह अपने उंगली से boor को राहत पहुंचाने में लग गई। पर पता नही उसे क्या huwa वह न चाहते हुवे भी, अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में पहुंच गई।
राजेश सोने ही वाला था, ज्योति जब कमरे में पहुंची।
राजेश _दीदी आप। आज तो आप नही आने वाली थी।
ज्योति _मैं सोंचि की आज आखरी बार मालिश कर दू। अगर तुमको नही करानी है तो जा रही हूं।
राजेश _अरे दीदी ये तो बड़ी खुशी की बात है। आ जाओ, आज अच्छे से मालिश करना आखिरी बार है।
पर क्रीम से नही।
ज्योति _फिर किस्से।
राजेश _सरसो तेल से। आप जाओ।
ज्योति _नही बाबा, ऐसे ही कराले। दीदी सरसो तेल से मालिश करने से ज्यादा लाभ होता है।
ज्योति _अच्छा।
राजेश _हां।
ज्योति _ठीक है मैं कीचन से सरसो तेल ला रही हूं।
राजेश खुश हो गया।
कुछ देर में ज्योति सरसो एक कटोरी में सरसो तेल गर्म करके ले आई। ज्योति गर्म हो चुकी थी वह न चाहते हुवे भी ये सब कर रही थी। उसके शरीर का हवस जाग चुका था।
वह राजेश के कमरे में पहुंचा और दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश बेड पर लेट गया और अपना लूंगी निकाल दिया। ऊपर ती शर्ट पहना था नीचे से नंगा हो गया। उसका लंद हवा में लहरा रहा था।
उसे देख कर ज्योति की योनि से चिपचिपा पानी बहना शुरू हो गया।
राजेश _लो दीदी अब अच्छे से मालिश कर दो।
ज्योति ने सरसो का तेल कटोरी से अपने हाथ में डालकर उसे लंद पर चुपडा और मालिश करने लगी।
राजेश को बहुत मजा आने लगा।
राजेश _दीदी बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही मालिश करती रहो दीदी आह।
राजेश का जोश बढ़ता जा रहा था उससे रहा न गया और एक हाथ से ज्योति चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा।
ज्योति चौंकी, पर उसे भी अच्छा लगने लगा उसने कोइ विरोध नही किया।
राजेश का हिम्मत और बड़ गया, उसने ब्लाउज का बटन एक एक कर खोल दिया और चूची को ब्लाउज से आज़ाद कर दिया।
ज्योति की दूध से भरे मस्त बड़ी बड़ी सुडौल स्तन को देख कर राजेश के लंद ने झटका मारा।
जिसे ज्योति ने अपने हाथो में महसूस किया।
वह तेल लगा लगा कर बहुत अच्छे तरीके से लंद और अंडकोष की मालिश करने लगी।
इधर राजेश ने चूची को मसलना जारी रखा।
कुछ देर चूची मसलने के बाद राजेश ने एक चूची मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
ज्योति सिसक उठी।
वह बहुत उत्तेजित हो गई।
ज्योति की चुचियों को बारी बारी से चूसने लगा।
कुछ देर बाद,,,
राजेश दीदी अब बस करो,, ज्योति ने मालिश करना बंद कर दिया।
राजेश उठ कर बैठ गया।
वह दोनो हाथो से चूची पकड़ कर बारी बारी पीने लगा।
ज्योति प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी और सिसकने लगी।
राजेश ने ज्योति की आंखो में देखा। ज्योति शर्मा गई।
राजेश ने उसकी ओंठो को मुंह में भर कर चूसने लगा।
ज्योति तेज़ तेज़ सांसे लेने लगी।
राजेश भुवन की बाइक लेकर, ज्योति को बैठाकर लक्ष्मण पुर स्वास्थ्यकेंद के लिए निकल पड़ा।
गांव की सड़क खराब था, जगह जगह गड्ढे।
राजेश _दीदी रास्ता बहुत खराब है सम्हलकर बैठना।
ज्योति ने एक हाथ से बाइक और एक हाथ से राजेश का कंधा पकड़ लिया।
राजेश धीरे धीरे बाइक चलाने लगा।
भानगढ़ पहुंचने के बाद रास्ता कुछ ठीक था।
ज्योति कुछ बोल नहीं रही थी, खामोश बैठी थी।
उसने राजेश के कंधे से हाथ हटा दिया।
राजेश _दीदी, तुम चुप क्यू हो, कुछ बोल क्यू नही रही?
ज्योति _जो तुम कर रहे हो न, बहुत गलत कर रहे हो।
राजेश _दीदी मैं कुछ समझा नहीं। मैं क्या गलत कर रहा हूं।
ज्योति _अपने ही भाभी के साथ, जो चोरी छिपे खेल खेल रहे हो उसके बारे में बोल रही हू। मुझे सब पता चल गया है। तुम दोनो की करतूत।
तुम लोगो को घर की मान मर्यादा की कोइ चिन्ता नही, छी।
राजेश _ओह, पर आपको कैसे पता चला?
ज्योति _पाप को आखिर कितने ही छुपाने की कोशिश करो एक दिन लोगो के सामने सच्चाई आ ही जाती है। कभी तुम लोगो ने सोचा है घर के लोगो को सच्चाई पता चलेगी तो उन पर क्या बीतेगी?
मेरा तो मन कर रहा था की मां को सब सच बता दूं, जो तुम लोग चोरी छिपे गुल खिला रहे हो।
पर सोंची कि ये बात उन्हे पता चली तो पता नहीं मां क्या करेगी?
घर में बवाल न मचा दे, और यह बात बाहर वालो को पता चला तो परिवार की कितनी बदनामी होगी। यह सोचकर मैं चुप हो गई।
बोलो कब से चल रहा है ये तुम लोगो का खेल?
राजेश चुप रहा,,
ज्योति _तुम चुप क्यू हो कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _दीदी, अब मैं क्या बोलूं? अब जानकर क्या करोगी, कैसे और कब से चल रहा है?
आप यह समझ लीजिए की मैं एक चोर हूं, और आपने मुझे चोरी करते पकड़ा है अब आप जो भी सजा दोगी, मुझे मंजूर होगा।
ज्योति _देखो मैं नही चाहती की तुम लोगो के कारण घर की शांति भंग हो , मैं तुम लोगो को एक मौका देना चाहती हूं की आज के बाद तुम लोग यह गलती फिर नही करोगे, अगर फिर से मैने तुम दोनो को पकड़ा तो मैं मां को सब बता दूंगी।
राजेश _ठीक है दीदी, आज के बाद मैं भाभी के साथ ऐसा कुछ भी नही करूंगा।
पर,,
ज्योति _
पर क्या?
राजेश _कही, भाभी मेरे कमरे में आकर, मुझसे जिद करेगी तो, मुझे नींद नही आ रही? मेरी प्यास बुझाओ तब।
ज्योति _मैने उसे भी समझा दिया है?
और वो मुझे भरोसा दी है कि फिर वह ऐसी गलती नही करेगी?
राजेश _ओह,तो भाभी से इस बारे में बात हो गई है।
ज्योति _हां, उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली है।
राजेश _ओह ऐसा है तो मैं भी आपको भरोसा दिलाता हूं, की अब ये गलती नही होगी।
हमे माफ कर दो, प्लीज।
ज्योति _ठीक है, पर फिर गलती किए न, तो फिर,, मैं मां को सब बता दूंगी।
राजेश _नही बाबा, अब नही करेंगे ऐसी गलती।
ज्योति _मुझे तुम लोगो से यहीं उम्मीद है?
राजेश _दीदी, आप बताई नही आखिर आपको पता कैसे चला?
ज्योति _रात को मैं पेशाब करने उठी थी। बाड़े की ओर गया तो किसी के चीखने कराहने की आवाज़ आ रही थी? तुम दोनो के कमरे को चेक किया तुम दोनो कमरे में नही मिले, मैं समझ गई तुम दोनो चोरी छिपे क्या गुल खिला रहे हो?
राजेश _ओह।
ज्योति _पर एक बात समझ नही आई, पुनम इतनी चीख क्यू रही थी? मुझे तो एक पल ये लगा की कहीं उसके साथ मारपीट तो नही कर रहे, फिर उसकी कराहने की आवाज़ सुनाई पड़ी, मैं समझ गई बाड़े में क्या चल रहा है?
वैसे उसके साथ कर क्या रहा था? वो इतनी चीख क्यू रही थी?
राजेश _दीदी, ये भी कोइ पूछने की बात है, एक औरत तभी चीखेगी न जब उसे दर्द हो?
ज्योति _पुनम, कुंवारी तो नही, फिर वो इतनी चीख क्यू रही थी? आखिर क्या कर रहे थे उसके साथ?
राजेश _दीदी, ये बात तो आप भाभी से ही पूछना?
आखिर इतनी चीख क्यू रही थी? मैं ये सब बातें आपके सामने कैसे कह सकता हूं!
ज्योति _जरूर कोइ उल्टी सीधी हरकत किया होगा?
राजेश _लो दीदी हम लक्ष्मण पुर आ गए।
यहाँ का स्वास्थ्य केंद्र कहा पर है, आपको पता है?
ज्योति _हां, उस दिशा में कुछ दूर पर,,
राजेश बाइक को उस दिशा में मोड़ दिया कुछ देर में स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए।
राजेश स्वास्थ्य केंद्र के अंदर गया, वहा एक वार्ड बॉय से बात किया?
वार्ड बॉय ने बताया कि पहले एक पर्ची कटाना होगा?
राजेश ने पर्ची बनवाया।
नर्स से मिलने पर नर्स ने कहा की पहलेआप लोग सोनोग्राफी करा लो फिर मैडम को रिपोर्ट दिखा देना की मैडम अभी आई नही है ।
स्वास्थ्य केंद्र में वैसे तो बहुत से स्टाफ थे सभी अपनी अपनी जिम्मेदारी के अनुसार काम कर रहे थे।
राजेश और ज्योति सोनोग्राफी कक्ष की ओर गए, वहा महिलाओं की काफी भीड़ थी, जो सोनोग्राफी के लिए लाइन पर बैठे थे।
राजेश _दीदी यहां तो महिलाओं की काफी भीड़ है, अपना नंबर आने में तो काफी समय लगेगा?
आप भी लाइन पर बैठ जाओ। मैं देखता हूं कोइ जुगाड हो जाए तो।
ज्योति _ठीक है।
इधर स्वास्थ्य केंद्र पर एक कार पहुंची। कार से एक एक खूबसूरत युवती उतरी। आसपास के लोग उसे नमस्ते मैडम कह रहे थे।
राजेश ने उस युवती को देखा ,
राजेश _अपने मन से कहा, ये तो दिव्या जी है?
तब उसे याद आया की, हां दिव्या जी ने तो उसे बताया था की वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पद ज्वाइन की है।
राजेश सोच ही रहा था तभी दिव्या उसके पास से गुजरी।
दिव्या आगे बड़ चुकी थी?
तभी वह पलट कर देखी.?
दिव्या _वह राजेश के पास आई और बोली, राजेश तुम यहां,,
राजेश _हां दिव्या जी। मैं अपनी दीदी को लेकर आया हूं, चेक अप के लिए।
दिव्या _फोन कर मुझे बताया क्यू नही, कितना समय हो गया, यहां आए।
राजेश _जी, कुछ ही समय huwa है।
दिव्या _ओह, तुम मेरे कक्ष में आओ।
राजेश दिव्या के पीछे पीछे उसके रूम में चली गई।
दिव्या ने राजेश को चेयर पे बैठने कहा।
और खुद अपने चेयर पर बैठ गई।
दिव्या _कैसे हो राजेश? कैसी चल रही है तुम्हारी आई ए एस की तैयारी?
राजेश _मैं बिल्कुल ठीक हूं दिव्या जी। आई ए एस की प्रारंभिक परीक्षा हो चुकी है, अब मुख्य परीक्षा की तैयारी में लगा हूं।
आप बताइए, लगता है आपने यहां की जिम्मेदारी बड़े अच्छे से सम्हाल ली है।
दिव्या मुस्कुराई,,
दिव्या _तुम कह रहे थे कि अपने दीदी को लेकर आए हो। वो कहा है?
राजेश _हा, दीदी प्रेगनेंट है, ताई ने कहा एक बार चेक अप करा, ले आते सब ठीक तो है, तो मैं दीदी को यहां ले आया, वो सोनोग्राफी के लिए अपनी बारी की वेट कर रही है।
ज्योति _ओह, क्या नाम है? दीदी का,,
राजेश _जी, ज्योति
दिव्या ने, सोनोग्राफी करने वाले डाक्टर को फोन किया और कहा कि वहा पर ज्योति नाम की महिला होगी। उसका पहले सोनोग्राफी कर दो और रिपोर्ट मेरे रूम में भेज दो।
और सोनोग्राफी हो जाने पर ज्योति को मेरे रूम मे भेज देना।
दिव्या _राजेश तुम तो हवेली के तरफ आना ही भुल गए।
राजेश _दिव्या जी हवेली पर जाने के लिए कोइ वजह तो होनी चाहिए न।
दिव्या _क्यू, मुझसे मिलने तो आ सकते हो? नही तो फोन पर ही हालचाल पुछ लेते।
राजेश _जी, आप यहां के राजकुमारी हैऔर मैं एक,,
वैसे भी आपकी जान बचाने की कीमत ठाकुर साहब से वसूल चुका हु, वह मुझसे ऐसे भी नाराज होंगे?
दिव्या _तुमने गांव वालो की भलाई के लिए, किया अपने लिए नही।
खैर छोड़ो, ये बताओ क्या लोगे चाय या काफी?
अरे मैं भी क्या पुछ रही? तुम्हे तो काफी ज्यादा पसंद है।
राजेश _दिव्या जी रहने दीजिए।
दिव्या _ऐसे कैसे रहने दू।
दिव्या ने अपने मेज पर रखे घंटी बजाया।
चपरासी अंदर आया।
चपरासी _कुछ काम था मैडम जी।
दिव्या _हां, देखो कैंटीन से दो बढ़िया सी कॉफी बनवाकर लाना।
चपरासी _जी मैडम जी।
इधर सोनोग्राफी रूम की नर्स बाहर आकर वहा बैठे महिलाओं के पास जाकर नाम पुकारा,,
तुम में से ज्योति कौन है?
ज्योति _जी मैं?
नर्स _तुम अंदर आ जाओ।
ज्योति को आश्चर्य huwa उसके पहले बहुत से महिलाए कतार में थी फिर अचानक से मुझे क्यू बुलाया गया?
वह अंदर गई?
डाक्टर द्वारा उनका सोनोग्राफी किया गया।
सोनोग्राफी होने के बाद नर्स ने कहा की आपको मैडम ने अपने रूम में बुलाया है। एक अन्य नर्स को रूम तक छोड़ आने को कहा!
ज्योति दिव्या के रूम में गई।
जब वह अंदर गई तो देखा राजेश वही बैठा है।
राजेश _दिव्या जी, ये है मेरी दीदी।
दिव्या _आओ दीदी बैठो।
ज्योति _जी, नमस्ते मैडम जी।
राजेश _दीदी, दिव्या जी यहां की मुख्य चिकित्सा अधिकारी है! इसी के कहने पर आपका सोनो ग्राफी पहले किया गया।
ज्योति _धन्यवाद मैडम जी।
दिव्या _दीदी इसमें धन्यवाद की क्या बात? तुम राजेश की दीदी हो, तो मेरे भी दीदी हुवे।
एआपको पता नही राजेश का कितना बड़ा अहसान है मुझपर।
तभी चपरासी, काफी लेकर आया।
दिव्या _दीदी आप कॉफी लेंगी।
ज्योति _नही मैडम जी, मैं कॉफी नही लेती।
दिव्या _चाय, मंगवा देती हूं।
चपरासी से एक चाय लाने कहा।
बात चीत करते करते काफी पीने लगे।
कुछ देर में सोनो ग्राफी का रिपोर्ट भी आ गया।
दिव्या _दीदी आपका सोनोग्राफी रिपोर्ट तो बहुत अच्छा है?
आपको कोइ समस्या तो नही होती?
ज्योति _जी कोइ समस्या तो नही पर,,
दिव्या _पर क्या? देखिए दीदी आप संकोच न करो, जो भी समस्या है निःसंकोच बताओ।
ज्योति _जी, पेशाब कुछ ज्यादा बार आती है?
दिव्या _पेशाब का बार बार आना ऐसे अवस्था में सामान्य बात है। पर कोइ इफेक्शन तो नही चेक करना होगा?
अच्छा चलो चेक अप रूम में चलते हैं? मैं चेक करती हूं।
ज्योति _जी।
दिव्या _, राजेश तुम यहीं रुको मैं चेकअप करके आती हूं। चलिए दीदी।
दिव्या और ज्योति दोनो चेकअप रूम मे चले गए।
वहा दिव्या ने ज्योति को बेड पर लेटने कहा।
दिव्या ने अपने हाथ में दस्ताना पहना, और ज्योति को पेटीकोट साड़ी ऊपर उठाने कहा, ताकि योनि की जांच कर सके।
ज्योति शर्माती हुई, अपनी पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठा दी।
जब दिव्या ने योनि पर घने बाल देखा।
ज्योति _ये क्या दीदी, इतने बाल, ऐसी अवस्था में योनि बिल्कुल साफ़ सुथरा होनी चाहिए, नही तो इन्फेक्शन फैल सकता है।
दिव्या ने ज्योति की योनि के बाल हटाए और उसकी योनि के अंदर दो उंगली डाली।
ज्योति सिसक उठी।
दिव्या ने देखा योनि से चिपचिपा पदार्थ निकल रहा है।
ज्योति _दीदी आपकी योनि तो एकदम गीली है।
लगता है गर्भवास्था के दौरान आपकी सेक्स इच्छा बड़ी गई है।
ज्योति शर्मा गई।
दिव्या _दीदी, अधिकांश महिलाओं में ऐसी अवस्था में यौन इच्छा बड़ जाती है यह सामान्य बात है।
दिव्या ने ज्योति की boor का पानी उंगली में ले कर, उस पर कुछ टेस्ट किया, और पता किया कोइ इन्फेक्शन तो नही।
दिव्या _दीदी, योनि में कोइ इन्फेक्शन तो नही है। पर इस पर ऐसे ही बाल रहेंगे तो इन्फेक्शन फैल सकता है इन बालों को घर जाने के बाद साफ़ कर लेना।
तुम बता रही थी की बार बार पेशाब लगती है, यह भी सामान्य है, पर पेशाब लगे तो उसे रोकना मत नही तो इन्फेक्शन का डर रहता है।
और हां ऐसी अवस्था में यौन इच्छा बड़ जाने पर तुम यौन संबंध बना सकती हो पर ध्यान रखना पेट पर भार नही पड़नी चाहिए सुरक्षती आसनों का प्रयोग करना।
आपको और कोइ समस्या तो नही है।
ज्योति _जी नही।
चेकअप के बाद दोनो कमरे से बाहर आ गए।
राजेश _दिव्या जी, सब ठीक तो है न।
दिव्या _राजेश सब अच्छा है, मैं कुछ दवाई दे रही हूं उसे समय पर खाने से बच्चा और मां दोनो के लिए लाभकारी होगा उसमें कैल्शियम है जो बच्चे और मां के लिए फायदेमंद है।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
राजेश ने दिव्या जी से दवाई प्राप्त कर कहा,,
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब हम चलते हैं।
आपको भी अन्य मरीजों को देखने है।
दिव्या _अच्छा ठीक है, पर कोइ समस्या आए तो मुझे फोन करना।
राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _वैसे तुम लोग आए किसमे हो?
राजेश _जी बाइक से।
दिव्या _राजेश, मैंने तुम्हारे गांव का रास्ता देखा है जगह जगह कितने गढ्ढे है। अगर कुछ हो गया तो।
राजेश _दिव्या जी अब कर भी क्या सकते है मजबूरी है। और कोइ साधन भी नहीं।
दिव्या _राजेश तुम एक काम करो, तुम्हे कार चलाने तो आती होगी। मेरा कार ले जाओ दीदी को घर छोड़ देना, मैं तो शाम को 5बजे के बाद ही घर जाती हूं उसके पहले कार को यहां ले आना।
राजेश _पर दिव्या जी,
दिव्या _पर वर कुछ नही, लो चाबी, और जाओ दीदी को छोड़ आओ।
राजेश _धन्यवाद दिव्या जी।
दीदी चलो कार पे बैठो।
ज्योति पीछे की दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगी।
राजेश _दीदी, सामने वाली सीट पर बैठो।
ज्योति संकोच करने लगी।
राजेश _, दीदी क्या सोचने लगी।
ज्योति _गांव वाले देखेंगे तो क्या सोचेंगे?
राजेश _गांव वाले कुछ नहीं सोचेंगे चलो आ जाओ।
ज्योति सामने वाली सीट पर बैठ गई।
राजेश ने कार चला दिया।
कुछ देर बाद,,,
राजेश _दीदी कैसा महसूस हो रहा है?
ज्योति _मैं तो शादी के समय कार पे बैठी थी, उसके बाद मौका ही नही मिला। कार पे बैठने की मेरी बड़ी इच्छा थी।
राजेश _ओह ऐसी बात है तो कहीं दूर घुमा ले आता हूं आपको कार पे। वैसे भी अभी तो 12बजे है। हमारे पास काफी समय है कार में घूमने का आपका इच्छा पूरा कर देता हूं।
ज्योति _पर जायेंगे कहा,,,
राजेश _लॉन्ग ड्राइव पर चलते है, वैसे भी यहां चारो तरफ पहाड़, घने पेड़ पौधे और ये सुहाना मौसम, ऐसे में कार चलाने और घूमने का एक अलग ही आनंद है।
ज्योति _अगर ऐसा है तो चलो पर समय पर घर पहुंचना है।
राजेश _दीदी आप बिल्कुल फिक्र न करो, हम समय पर घर पहुंच जायेंगे वैसे भी 5बजे के पहले कार वापस करना है।
राजेश ने कार हाईवे पे आगे बड़ा दिया,,
कुछ दूर चलने के बाद
सड़क के आज बाजू पहाड़ पर्वत, घने पेड़ पौधे,, कलकल करती बहती पानी बहुंत ही मनोरम नजारा था।
ज्योति _राजेश दिव्या जी कितनी सुंदर और संस्कारी है। यकीन नही होता की वह उस जालिम ठाकुर की बेटी हैं । उनके अंदर घमंड नाम की चीज नही।
राजेश _दिव्या जी ही नही उसकी मां और बहन गीता जी भी बहुत संस्कारी है।
ज्योति _पर राजेश तुम्हे नही लगता कि दिव्या तुम्हारी कुछ ज्यादा ही परवाह करती है।
राजेश _क्यू की मैने उसकी जान बचाया था न इसलिए, राजेश ने ज्योति को सारी बाते बता दी।
ज्योति _ओह तो ये बात मैं तो कुछ और ही समझ बैठी थी।
राजेश _क्या, समझ बैठी थी दीदी।
ज्योति _वही जो कुछ लोग तुम्हारे और दिव्या के बारे में कहते है खिचड़ी पकने वाली बात।
राजेश _लोगो को तो मौका चाहिए, अफवाह उड़ाने के लिए,,
दीदी उधर देखो कितनी सुंदर दृश्य है?
ज्योति _हां, वैसे तुम्हारा शुक्रिया।
राजेश _किस बात के लिए दीदी।
ज्योति _कार में घूमने की मेरी शौंक पूरा करने के लिए।
राजेश _मैं तो अपने दीदी के खुशियों के लिए कुछ भी कर सकता हूं। बताओ और कोइ शौंक हो तो उसे भी पूरा कर दू।
ज्योति _अभी तो और कोइ शौंक नही है, पर आगे कोइ हो जाए तो बताऊंगी।
राजेश _बिल्कुल बताना अपने भाई से संकोच न करना। बहन को हर ईच्छा पूरा करना भाई का फर्ज है।
ज्योति _लगता है हम काफी दूर चले आए। लगभग एक घंटा हो गया हमे।
राजेश हा 50km दूर आ गए।
ज्योति _चलो अब हम वापस चलते हैं?
राजेश _ठीक है दी,,
राजेश ने कार सड़क किनारे रोक दिया,,
राजेश _अड़े क्या huwa कार क्यू खड़ा कर दी।
राजेश _दीदी, मुझे शुशु आ रही है, तुम कार में बैठी रहो मैं कर के आता हूं।
राजेश कार से उतरकर जाने लगा, तभी,,
ज्योति _राजेश, सुनो तो,,
राजेश _क्या बात दीदी,,
ज्योति संकोच करती हुई बोली,, मुझ भी लगी है,,
राजेश _दीदी मैं करके आता हूं फिर तुम चले जाना।
ज्योति _पर यहां तो चारो तरफ घने जंगल है न बाबा मैं अकेले नही जा पाऊंगी।
राजेश _, ओह ऐसा है तो फिर चलो तुम भी मेरे साथ,,
ज्योति भी कार से उतर गई।
राजेश सड़क से उतरकर थोड़े झाड़ी के अंदर की ओर चला गया और ज्योति दे कहा,,
दीदी आप वहा पर जाकर करलो,,
मैं यहां पर कर लेता हूं।
ज्योति _यहां तो घने जंगल है कोइ जंगली जानवर आ गया तो,,
तुम पास ही रहो ज्यादा दूर मत जाओ।
राजेश _ओह दीदी इतना डर भी ठीक नहीं।
ज्योति _सुनसान जगह है और घना जंगल, मेरी जगह कोइ और हो तो वो भी डरेगी,,
देखो तुम पीछे मुंह कर लो और तुम्हे तुम्हारी दीदी की कसम है, पीछे मुड़कर मत देखना।
राजेश _ठीक है दीदी, पीछे मुड़कर मैं भी कर लेता हूं, तुम भी करलो।
ज्योति _ठीक है।
राजेश पीछे मुड़कर खड़ा हो गया।
जब ज्योति ने देखा राजेश पीछे मुड़कर खड़ा हो गया है। वह अपनी पेटी कोट और साड़ी उठाकर दोनो पैर फैला कर मूतने लगी, इधर राजेश भी अपने पैंट का चैन खोल लंद बाहर निकाला।
जब ज्योति की मूत की आवाज़ चर चर,
राजेश की कानो पर सुनाई पड़ी उसे वह दृश्य याद आ गया जब राजेश ने घर के बाड़े में बने मूत्रालय में ज्योति को खड़े खड़े मूत ते देखा था।
उसके शरीर में रक्त संचार बड़ गया।
उसका लंद तनकर खड़ा हो गया।
वह मूतने की कोशिश करने लगा पर मूत तनाव के कारण मूत बाहर नही आ पा रहा था।
इधर ज्योति ने पेशाब कर लेने के बाद। पीछे मुड़कर राजेश को देखी।
राजेश पीठ पीछे कर खड़ा था वह एक हाथ से लंद पकड़ा huwa था। पर ज्योति को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
ज्योति _राजेश जल्दी करो और कितना देर लगेगा।
राजेश _जी दीदी।
राजेश ने देखा की मूत बाहर नही आने पर अपना लंद को हाथ से आगे पीछे करने लगा।
ज्योति को पता चल गया कि राजेश अपना लंद हिला रहा है।
ज्योति _राजेश, ये तुम क्या कर रहे हो? पेशाब कर रहे हो या कुछ और,,
राजेश _दीदी पेशाब करने की कोशिश कर रहा हूं, पर पेशाब बाहर निकल नही रहा है ।
ज्योति _तुम्हे पेशाब तो लगी है न,
राजेश _हां दीदी, पेशाब तो लगी है, पर निकल नही रहा,,
ज्योति _ओ हो, यू जंगल में ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं,, जल्दी करो बाबा।
राजेश _दीदी कोशिश तो कर रहा हूं, पर हो ही नही रहा।
ज्योति _ओ हो ऐसा करो तुम कहीं और कर लेना जब पेशाब नही आ रहा है तो जबरदस्ती मत करो।
राजेश _ठीक है दीदी।
राजेश अपना लंद चड्डी के अंदर डाल दिया लेकिन लंद खड़ा होने के कारण चैन लगाने में दिक्कत हुई। चैन चमड़ी को पकड़ लिया।
राजेश चीख पड़ा,, आह,,
ज्योति _क्या huwa राजेश
राजेश दर्द में बोला,, दीदी चैन पकड़ लिया,
बड़ा दर्द हो रहा है,,
ज्योति _ओहो तुम तो बिल्कुल बच्चो की तरह हरकत कर रहे हो,,
बड़ा दर्द कर रहा है क्या
राजेश _हां दीदी,,
ज्योति _ओहो मुझे दिखाओ,,
राजेश _दीदी मुझे शर्म आयेगी।
ज्योति _कल पुनम के साथ करने में तो कोइ शर्म नही आ रही थी, मेरे सामने शर्म आ रही। दिखाओ मुझे
राजेश ज्योती की ओर मुंह करके खड़ा हो गया।
ज्योति की नजर राजेश के पैंट पर सामने बना उभार पर गया।
राजेश _आह दीदी बड़ा दर्द कर रहा है।
ज्योति _दिखाओ मुझे
ज्योति नीचे झुककर चैन को देखने लगी,
चैन ने तुम्हारे अंडर वियर को पकड़ लिया और शायद अंदर की चमड़ी भी,
ज्योति चैन को खोलने की कोशिश करने लगी।
राजेश कराह उठा,,
ज्योति _देखो तुम्हे दर्द तो होगा, दर्द सहना पड़ेगा मैं चैन खोल रही हूं।
ज्योति चैन को जोर से ऊपर खींच नीचे खींच दी।
राजेश चीख पड़ा,,
ज्योति _देखो कहीं ज्यादा तो नही कट गया।
ज्योति ने अंडर वियर नीचे खिसकाया,
वह राजेश का लंद देखकर दंग रह गई। इतना बड़ा और मोटा लंद पहली बार देख रही थी वह आश्चर्य से देख रही थी।
राजेश दीदी जलन हो रहा है।
ज्योति होश में आई।
ज्योति _चमड़ी कट गई है।
ज्योति ने अपना थूक उंगली में लेकर कटे भाग में मलने लगी।
ज्योति _घर जाकर इसमें मलहम लगा लेना।
चलो पेशाब कर लो तभी तुम पैंट पहन पाओगे और वह मुस्कुराने लगी।
दर्द के कारण लंद का तनाव कम हो गया था। राजेश ज्योति के सामने ही लंद पकड़ कर मूतने लगा।
ज्योति राजेश को मूत ते हुए देखने लगी, और मुस्कुराने लगी।
मूतने के बाद लंद और छोटा हो गया।
ज्योति _चलो अब पैंट पहन लो।
राजेश ने पैंट का चैन लगा लिया।
ज्योति और राजेश वहा से जाने लगे।
ज्योति मुंह बंद कर हसने लगी,,
राजेश _दीदी हस क्यू रही हो।
ज्योति _कुछ नही।
वे दोनो कार में बैठ कर घर के लिए वापस जाने लगे।
ज्योति _अब पता चला, रात में पुनम इतनी चीख क्यू रही थी।
आधे रास्ते में,,,
राजेश _दीदी वहा पर देखो एक ढाबा है। लंच का भी समय हो गया है चलो ढाबे पर कुछ खा लेते है।
ज्योति _अच्छा चल
राजेश ने कार ढाबा के सामने खड़ा कर दिया।
दोनो ढाबा के अंदर गए।
और ज्योति का मन पसंद खाना आर्डर किया, खाना खाने के बाद वे घर के लिए निकल पड़े जब वे भानगढ़ पहुंचे तो लोग उन्हें देखने लगे वही हाल गांव पहनुचने पर था।
वापस आते समय जब वे लक्ष्मण पुर पहुंचे,,
ज्योति _राजेश, देखो वो सामने मेडिकल है, वहा से कोइ अच्छी सी मलहम लेलो, ताकि उसे लगाने से छिली हुई त्वचा जल्दी ठीक हो सके।
राजेश _ठीक है दीदी,,
राजेश ने मेडिकल दुकान के सामने गाड़ी रोक दिया।
राजेश ने मेडिकल से एक क्रीम ले लिया जिसे लगाने से कटी हुई त्वचा जल्दी ठीक हो सके।
मेडिकल से दवाई लेने के बाद वे घर के लिए निकल पड़े जब वे भानगढ़ पहुंचे तो लोग उन्हें घूर रहे थे उनके मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे थे ये कार तो ठाकुर के बेटी की है फिर इसे कौन चला रहा है और बाजू में बैठी महिला कौन है! जब वे अपने गांव पहुंचे तो गांव वाले भीअपने मन में सवालिया निशान लगाए उन्हे देखने लगे।
राजेश _दीदी आप घर के अंदर चलो, मैं कार दिव्या जी को वापस करके आता हूं।
ज्योति _ठीक है राजेश।
राजेश कार लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चला गया।
वहा कार की चाबी देने दिव्या के रूम में गया।
दिव्या _अरे आ गए छोड़ कर दीदी को।
राजेश _जी दिव्या जी, धन्यवाद दिव्या जी,
दिव्या _अरे इसमें धन्यवाद की क्या बात? यह तो मेरा फर्ज था।
उसने चपरासी को बुलाया और दो कॉफी मंगवाया।
दिव्या _राजेश तुम्हारे निशा का क्या हाल चाल है, कोइ फोन वगैरा आया था।
राजेश _नही दिव्या जी, मुझे नही लगता कि वो मुझे भुल गई।
दिव्या _पर मुझे लगता है कि वो एक दिन जरूर वापस आयेगी।
चपरासी ने कॉफी लाया, दोनो काफी पीने लगे।
कॉफी पीने के बाद,,
राजेश _अच्छा दिव्या जी अब मैं चलता हूं।
दिव्या _ठीक है राजेश, अब मेरा भी घर जाने का समय हो गया है।
राजेश अपना बाइक लेकर घर आ गया जब वह घर पहुंचा।
पदमा खेत से घर आ चुकी थी।
पदमा _आ गया राजेश बेटा।
राजेश _हां ताई, आप कब आई खेत से, और भुवन भैया कहा है?
पदमा _मैं भी अभी आई बेटा, खेत में कुछ काम ज्यादा है तो भुवन थोडा लेट से आएगा।
वैसे क्या कहा डाक्टर ने ।
राजेश _डाक्टर ने कहा की सब ठीक हैकुछ दवाई दी है उसे रोज लेने को कहा है, दीदी ने तो बताया ही होगा।
पदमा _हां।
राजेश _वैसे दीदी कहा है?
वो वो कीचन में बहू के साथ है।
पदमा _अच्छा बेटा जाओ तुम भी फ्रेस होकर थोड़ा आराम कर लो।
राजेश _ठीक है ताई।
राजेश अपने कमरे में जाकर कपड़ा चेंज किया फिर पीछे बाड़ा में बने बाथरुम में जाकर फ्रेस हो गया। अपने में जाकर आराम करने लगा।
पदमा _अरे बहू जाओ, राजेश को चाय दे दो,,
पुनम _ठीक है मां जी।
ज्योति _पुनम, दो राजेश को मैं चाय दे आती हूं। तुमने मुझ से वादा किया है न की तुम राजेश से अब दूर रहोगी।
राजेश के कमरे में जाने की बात हो तो तुम नही मैं जाऊंगी? क्यों की मुझे तुम पर कोइ भरोसा नहीं, वहा फिर से तुम शुरू हो गई तो,,
पुनम _ठीक है दीदी।
ज्योति राजेश के कमरे में चाय लेकर गई,,,
राजेश _अरे, दीदी तुम,,,
ज्योति _क्यू मैं नही आ सकती?
राजेश _नही, ऐसी बात नही चाय हमेशा भौजी ही लेकर आती थी ना इसलिए,,,
ज्योति _हूं, मैने उसे मना कर दिया है, तुम्हारे कमरे में आने के लिए, पता नही तुम लोग घर की मान मर्यादा छोड़कर फिर कब शुरू हो जाओ।
इसलिए अब चाय या और कोइ चीज तुम्हे देनी हो तो तुम्हे मै दूंगी।
लो चाय पी लो।
राजेश बेड से उठ बैठा और चाय की प्याली लेते हुए कहा, धन्यवाद दीदी।
राजेश _वैसे दीदी आज आपको कैसा लगा?
ज्योति _क्या?
राजेश _वही, कार में घूमना, फिर ढाबे में खाना।
दीदी _बहुत अच्छा, और तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया, मेरा इच्छा पूरा करने के लिए।
राजेश _दीदी, ये तो कुछ भी नही और कोई ईच्छा हो तो मुझे बता देना, मैं आपकी सारे इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करूंगा।
ज्योति _,, ठीक है।
अच्छा ये बताओ, तुमने मलहम लगाया की नही। अभी भी जलन हो रही है क्या?
राजेश _दीदी, जलन तो हो रही है, ठीक होने में समय तो लगेगा ही।
दिव्या _दवाई लगाई की नही।
राजेश _नही दीदी।
आप लगा दो न,,
ज्योति _चल हट बेशरम मैं क्यूं लगाऊं। मैं पुनम और तेरी तरह बेशरम नही।
राजेश _वो तो मैं इसलिए कह रहा था की आपने जब चोट पर अपना थूक मला था न तो आधा दर्द ऐसे ही दूर हो गया था। जब अपने हाथो से मलहम लगाओ गी तो देखना दो दिनों में ही ठीक हो जायेगा।
ज्योति _पर मुझे बड़ी शर्म आयेगी, और किसी ने देख लिया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _अच्छा तो रात में लगा देना जब सब सो जाए।
ज्योति _ठीक है, सोचूंगी।
ज्योति वहा से चली गई।
कुछ देर बाद भुवन घर आया। राजेश और भुवन दोनो, टहलने के लिए चले गए।
वहा से आने के बाद भुवन रात का भोजन कर खेत चला गया। राजेश अपने कमरे में पढ़ाई करने लगा।
घर के सभी लोग भोजन करने के बाद अपने कमरे में आराम करने लगे।
आज राजेश के कमरे में दूध का गिलास लेकर पुनम की जगह ज्योति आई।
ज्योति _क्या कर रहे हो, लो दूध पी लो,,
राजेश _शुक्रिया दीदी।
जब ज्योति जाने को हुई।
राजेश _दीदी, आप दवाई लगाने वाली थी।
ज्योति _मुझसे नही हो पाएगा, तुम खुद ही लगा लो,, पुनम अभी कीचन में ही है वो यहां आ गई तो, वो क्या सोचेगी?
न बाबा, मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
राजेश _अच्छा ठीक है, दीदी रहने दो।
ज्योति वहा से चली गई।
कीचन का काम निपटा कर पुनम और ज्योति दोनो अपने कमरे में सोने चले गए।
कुछ देर बाद ज्योति ने क्या सोंचा पता नही, वह आरती की ओर देखी जो गहरी नींद में सो रही थी उसकी बेटी भी उसके साथ सो रही थी। वह धीरे से उठी और अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे की ओर चली गई।
उसने कमरे में जाकर देखा राजेश अभी भी पढ़ाई कर रहा था।
वह कमरे में प्रवेश किया।
राजेश _अरे दीदी तुम।
ज्योति _हां, वैसे आना तो नही चाहती थी, पर सोचा पता नही तुमने दवाई लगाया भी की नही, कहीं जख्म और न बड़ जाए।
राजेश _दवाई तो अब तक नही लगाई दी।
ज्योति _अच्छा ये लोवर और अंडरवियर निकाल लूंगी लपेट लो, मैं दवाई लगा देती हूं। जल्दी करो कहीं कोइ उठ न जाए।
राजेश _ठीक है दी।
राजेश ने अपना लोवर और चड्डी निकाल दिया और एक लूंगी लपेट लिया।
और बेड पर लेट गया।
ज्योति _, दो मलहम लगा देती हूं।
राजेश ने मलहम ज्योति को दे दिया।
ज्योति ने मलहम अपने उंगली पर ले लिया।
ज्योति _लूंगी हटाओ।
राजेश ने अपना लूंगी हटा दिया।
लंद ज्योति के आंखों के सामने आ गया।
वह संकोच करती हुई एक हाथ से लंद को पकड़ी और कटी हुई जगह को देखने लगी।
कटी जगह पर उंगली से मलहम लगा कर मालिश करने लगी।
ज्योति के मुलायम हाथो का स्पर्श पाकर लंद में तनाव आने लगा।
ज्योति की दिल की धड़कन बढ़ने लगी।
देखते ही देखते लंद एकदम तन कर खड़ा हो गया।
ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई।
वह उठ कर जाने लगी।
राजेश _क्या huwa दीदी, थोड़ी देर और मालिश कर दो।
ज्योति को वहा और रुकने की हिम्मत नही हुई। वह अपने कमरे में चली गई। उसकी दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी।
वह अपने बेड पर सोने की कोशिश करने लगी। पर उसकी आंखो के सामने राजेश का मोटा और लम्बा लंद ही नजर आ रहा था।
उसे अपने योनि में गीला पन महसूस huwa वह अपने उंगली ले जाकर boor पर फेरा तो पता चला उसकी boor बुरी तरह गीली हो गई है।
वह रुकी नही और राजेश की लंद को इमेज करके अपनी उंगली से boor को रगड़ती रही और कुछ ही देर में झड़ने लगी।
उसे आत्मग्लानि महसूस होने लगी।
छी ये मैंने क्या किया? अपने ही छोटे भाई का लंद याद कर boor रगड़कर झड़ गई। पर झड़ने के बाद उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगी।
कुछ देर बाद वह भी गहरी नींद में सो गई।
अगले दिन राजेश सुबह नाश्ता करने के बाद। स्कूल के समिति वालो के साथ शाला विकास के लिए फंड इकट्ठा करने, गांव में भ्रमण करने लगा।
वह जिसके घर भी जाता, राजेश का सम्मान करते, उसकी बातो को ध्यान से सुनते और अपनी क्षमता अनुसार शाला को दान करते।
इधर जब ज्योति का नहाने का समय huwa, वह पुनम को अपने पास बुलाकर बोली,,
पुनम _क्या बात है दी कुछ काम था क्या?
ज्योति _कैसे कहूं, मुझे तो शर्म आ रही है?
पुनम _अरे दीदी मुझसे क्या शर्माना बोलो क्या बात है?
ज्योति _कल हम चेक अप के लिए डाक्टर के पास गए थे न, तो डाक्टर ने जब मेरे वहा पर बाल देखी तो उसे साफ़ करने बोली है, नही तो इन्फेशन का हो सकता है।
क्या तुम्हारे पास रेजर है? ज्योति शर्माते हुए बोली।
पुनम _दीदी इसमें शर्माने की क्या बात है। पर आपने कभी रेजर का उपयोग किया है?
ज्योति _नही।
पुनम _दीदी , पहली बार रेजर का उपयोग करो तो कटने का डर रहता है। कहीं कट गया तो परेशानी में पड़ जावोगी।
ज्योति _ओह तो क्या करू?
पुनम _अगर तुम कहो तो तुम्हारी बालो को मैं साफ़ कर दूंगी।
ज्योति _पर मुझे बहुत शर्म आयेगी।
पुनम _ओह दीदी, तुम भी न, देखो अभी तुम नहा लो। दोपहर में जब मां खेत चली जाएगी। आरती भी अपनी सहेली के घर चली जाती हैं, उस समय मैं तुम्हारे बालो को साफ़ कर दूंगी।
ज्योति _मुझे तो सोच के भी बड़ी शर्म आ रही है।
पुनम _दीदी शर्माना छोड़ो और मैने जैसा कहा है वैसा करो, पुनम मुस्कुराते हुवे बोली।
ज्योति नहाने चली गई। दोपहर में राजेश घर आया और भोजन किया सभी ने भोजन किया, पदमा खेत चली गई।
राजेश कुछ देर आराम करने के बाद फिर से गांव में शाला के लिए फंड इकट्ठा करने चला गया।
आरती भी अपनी सहेली के घर चली गई। ज्योति ने मुन्नी को भी अपने साथ ले जाने कहा।
अब घर में केवल पुनम और ज्योति ही रह गई।
पुनम _दीदी, चलो मेरे कमरे में चलते है। मैं तुम्हारे बाल साफ़ कर दूंगी।
ज्योति और पुनम दोनो कमरे में आ गए।
पुनम ने अलमारी से सेविंग करने का सामान निकाल लिया जिससे भुवन अपना दाढ़ी बनाता था।
पुनम _दीदी आप बेड के किनारे लेट जाओ।
ज्योति _मुझे बड़ी शर्म आ रही है।
पुनम _दीदी अब मुझसे क्या शर्माना। आपको पता है मैं अपनी बाल कभी कभी तो भुवन से साफ़ कराती हूं।
ज्योति _क्या?
तू सच में बड़ी बेशरम है। पुनम हसने लगी।
पुनम _उससे बाल बनवाने में बड़ा मज़ा आता है।
उसे तो चिकनी boor ही पसंद है। और,,
ज्योति _और क्या?
पुनम _और राजेश को भी।
चलो अब लेट जाओ। ज्योति शर्माते हुवे बेड किनारे लेट गई। और अपनी दोनो टांगे फैला दी।
पुनम _दीदी अपनी साड़ी और पेटिकोट तो हटाओ।
ज्योति ने शर्माते हुवे अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया।
जब पुनम ने ज्योति की boor पे घने जंगल देखा।
पुनम _दीदी ये क्या इतना घना जंगल, आपका गुफा तो दिखाई ही नही दे रहा।
ज्योति _चुप कर बेशरम,,,
पुनम ने बालो पर क्रीम लगाया और ब्रश चलाया। फिर रेजर पर नया ब्लेड लगाकर बालो को साफ़ करने लगी।
ज्योति को बड़ी शर्म आ रही थी, गुदगुदी भी हो रही थी।
ज्योति _अरे बेशरम जल्दी करो और कितनी देर लगेगी।
पुनम _बस दीदी हो गया।
पुनम ने धीरे धीरे करके पूरे बालो को साफ़ कर दिया।
एक बार बाल साफ़ करने के बाद फिर से योनि के आस पास ब्रश चलाया, तो ज्योति सिसकने लगी, आए उन
पुनम _क्या huwa दीदी, मुस्कुराते हुवे पूछी।
ज्योति _कुछ नही तू जल्दी कर।।
पुनम ने योनि को एक बार फिर रेजर चला कर साफ़ किया।
पुनम _दीदी आपकी बुरिया तो बहुत खुबसूरत लग रही है। एकदम फूली हुई मस्त चिकनी। ज्योति _चुप कर बेशरम।
ज्योति की boor एकदम गीली हो गई थी। जब पुनम ने देखा तो समझ गई कि ज्योति गर्म हो गई है।
वह ज्योति को और गर्म करना चाहती थी।
उसने ज्योति की boor को चाटना शुरू कर दिया।
ज्योति सिसक उठी,,
वह सिसकते हुवे बोली,, आह मां, आह,,
अरे क्या कर रही है बेशरम, ऐसा मत कर, पर पुनम नही मानी और चांटती रही।
ज्योति बहुत गर्म हो गई। अब उसे बहुत मज़ा आने लगा।
आह मां आई, आह,,
वह पुनम की सिर को योनि में और दबा दिया,,
और कुछ ही देर में चीखते हुए झड़ने लगी।
पुनम ने उसकी boor की पानी को चांटते हुवे कहा,,
दीदी आपकी boor का पानी का स्वाद तो एकदम मजेदार है?
ज्योति _छी बेशरम तू कितनी गंदी है।
पुनम _दीदी सच बोलो क्या तुम्हे मजा नही आया?
ज्योति _छी ऐसा भी कोइ करता है?
पुनम _लगता है आपका पति आपका बुरिया नही चांटते।
भुवन तो बिना चांटे घुसता ही नही।
ज्योति _क्या?
पुनम _हां, और,,
ज्योति _और,, क्या ?
पुनम _और राजेश तो और मस्त चांटता है।
ज्योति _क्या, राजेश भी।
पुनम _दीदी अपनी बुरिया को तो देखो कैसा चमक रहा है? कहीं एक बार राजेश ने देख लिया तो दीवाना हो जायेगा।
ज्योति _चुप कर बेशरम, तू तो शर्म हया सब बेच खाई है है। और सुन तू राजेश से दूर ही रहना, नही तो मां को सब सच बता दूंगी। तू क्या गुल खिला रही है।
पुनम ने अपने मन में बोली,, दीदी जब तुम्हे पता चलेगा न कि तुम्हारी मां क्या गुल खिला रही है तब देखूंगी तू क्या करेगी?
ज्योति _तुमने कुछ कहा?
पुनम _नही, तो।
दीदी अब मां जी के आने का समय हो गया है। अब तुम अपने कमरे में जाओ।
ज्योति बेड से उठी और अपने कमरे में चली गई।
र
रात में ज्योति, दूध का गिलास लेकर फिर राजेश के कमरे में गई।
ज्योति _लो, दूध पी लो।
राजेश _शुक्रिया दीदी।
जब ज्योति जाने लगी।
राजेश _दीदी, आज आवोगी न मलहम लगाने।
ज्योति शर्मा गई,, अपने हाथो से लगा लेना।
राजेश _ठीक है दीदी, पर मैं तो इसलिए कह रहा था की कल आपने जो क्रीम लगाकर मालिश की थी उससे काफी राहत मिला, एक दो दिन मे जख्म बिल्कुल ठीक हो जायेगा। लगा देती तो,,
ज्योति _ठीक है देखूंगी,,,
रात में जब ज्योति ने देखा कि सभी सो गए है वह चुपके से उठी, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था।
वह राजेश के कमरे में गई।
राजेश पहले से ही लूंगी पहन कर बेड पर लेट कर ज्योति के आने का इन्तजार कर रहा था।
राजेश _लो दीदी, क्रीम लो।
राजेश ने लंद के ऊपर से लूंगी हटा दिया।
ज्योति का दिल जोरो से धड़क रहा था।
लंद पहले से ही खड़ा huwa था।
ज्योति ने लंद को एक हाथ से पकड़ कर कटे हुए जगह को देखा, चोंट पहले से काफी ठीक हो गया था।
उसने कटे भाग पर क्रीम लगा कर मालिश करने लगी।
ज्योति के हाथो का स्पर्श पाते ही लंद और शख्त होकर ठुमकने लगा। जिसे देख कर ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई। और वह कमरे से जाने लगी,,
राजेश _दी क्या huwa, कितना अच्छा लग रहा था, थोड़ी और मालिश कर देती तो,,,
ज्योति रुकी नही उसका दिल जोरो से धड़क रहा था वह अपने कमरे में चली गई, वह सोने की कोशिश करने लगी पर राजेश का लंद उसके आंखो के सामने नजर आ रहा था। उसकी chut का हाल भी बहुत बुरा हो गया था।
वह अपनी उंगली से chut की पानी बाहर निकाल कर शांत की और सो गई।
पर इधर राजेश का लंद खड़ा था, बड़े मुस्किल से वह सो पाया।
अगली रात फिर वही huwa।
ज्योति राजेश के लंद पर मालिश की, और बोली,,
ज्योति _अब तो तुम्हारा जख्म बिल्कुल ठीक हो गया है। कल से मालिश की जरूरत नही पड़ेगी ।
राजेश _हा दीदी ये तो आपके हाथो का कमाल है जो जख्म इतना जल्दी ठीक हो गया।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरी मदद करने के लिए।
ज्योति मालिश करके वहा से चली गई। और राजेश के लंद को इमेज कर अपनी chut रगड़ कर सो गई।
अगले दिन रात में दूध लेकर ज्योति, राजेश के कमरे में फिर पहुंची।
ज्योति _लो राजेश दूध पी लो।
राजेश _थैंक यू दी।
ज्योति _अब तो तुम्हारा जख्म बिल्कुल ठीक हो गया है। अब तो मुझे आने की जरूरत नही है न, ज्योति ने मुस्कुराते हुवे बोली।
राजेश _हां दीदी।
अब तो चोट बिल्कुल ठीक हो गया है। तुम्हारी मालिश से। अब तो आप मालिश करने नही आएंगी।
ज्योति _हां
राजेश _दीदी अच्छा होता आज आखरी बार और अच्छे से मालिश कर देती।
आप मालिश करती हो तो बड़ा अच्छा लगता है।
ज्योति _न बाबा, अब मैं नही आऊंगी। किसी को पता चला तो मैं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
ज्योति वहा से चली गई।
रात में ज्योति सोने की कोशिश करने लगी पर उसके आंखो के सामने राजेश का लंद ही नजर आ रहा था। वह बहुत गर्म हो चुकी थी। वह अपने उंगली से boor को राहत पहुंचाने में लग गई। पर पता नही उसे क्या huwa वह न चाहते हुवे भी, अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में पहुंच गई।
राजेश सोने ही वाला था, ज्योति जब कमरे में पहुंची।
राजेश _दीदी आप। आज तो आप नही आने वाली थी।
ज्योति _मैं सोंचि की आज आखरी बार मालिश कर दू। अगर तुमको नही करानी है तो जा रही हूं।
राजेश _अरे दीदी ये तो बड़ी खुशी की बात है। आ जाओ, आज अच्छे से मालिश करना आखिरी बार है।
पर क्रीम से नही।
ज्योति _फिर किस्से।
राजेश _सरसो तेल से। आप जाओ।
ज्योति _नही बाबा, ऐसे ही कराले। दीदी सरसो तेल से मालिश करने से ज्यादा लाभ होता है।
ज्योति _अच्छा।
राजेश _हां।
ज्योति _ठीक है मैं कीचन से सरसो तेल ला रही हूं।
राजेश खुश हो गया।
कुछ देर में ज्योति सरसो एक कटोरी में सरसो तेल गर्म करके ले आई। ज्योति गर्म हो चुकी थी वह न चाहते हुवे भी ये सब कर रही थी। उसके शरीर का हवस जाग चुका था।
वह राजेश के कमरे में पहुंचा और दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश बेड पर लेट गया और अपना लूंगी निकाल दिया। ऊपर ती शर्ट पहना था नीचे से नंगा हो गया। उसका लंद हवा में लहरा रहा था।
उसे देख कर ज्योति की योनि से चिपचिपा पानी बहना शुरू हो गया।
राजेश _लो दीदी अब अच्छे से मालिश कर दो।
ज्योति ने सरसो का तेल कटोरी से अपने हाथ में डालकर उसे लंद पर चुपडा और मालिश करने लगी।
राजेश को बहुत मजा आने लगा।
राजेश _दीदी बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही मालिश करती रहो दीदी आह।
राजेश का जोश बढ़ता जा रहा था उससे रहा न गया और एक हाथ से ज्योति चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा।
ज्योति चौंकी, पर उसे भी अच्छा लगने लगा उसने कोइ विरोध नही किया।
राजेश का हिम्मत और बड़ गया, उसने ब्लाउज का बटन एक एक कर खोल दिया और चूची को ब्लाउज से आज़ाद कर दिया।
ज्योति की दूध से भरे मस्त बड़ी बड़ी सुडौल स्तन को देख कर राजेश के लंद ने झटका मारा।
जिसे ज्योति ने अपने हाथो में महसूस किया।
वह तेल लगा लगा कर बहुत अच्छे तरीके से लंद और अंडकोष की मालिश करने लगी।
इधर राजेश ने चूची को मसलना जारी रखा।
कुछ देर चूची मसलने के बाद राजेश ने एक चूची मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
ज्योति सिसक उठी।
वह बहुत उत्तेजित हो गई।
ज्योति की चुचियों को बारी बारी से चूसने लगा।
कुछ देर बाद,,,
राजेश दीदी अब बस करो,, ज्योति ने मालिश करना बंद कर दिया।
राजेश उठ कर बैठ गया।
वह दोनो हाथो से चूची पकड़ कर बारी बारी पीने लगा।
ज्योति प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी और सिसकने लगी।
राजेश ने ज्योति की आंखो में देखा। ज्योति शर्मा गई।
राजेश ने उसकी ओंठो को मुंह में भर कर चूसने लगा।
ज्योति तेज़ तेज़ सांसे लेने लगी।