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Incest यह क्या हुआ

sunoanuj

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rajesh bhagat

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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि किस तरहज्योति काम ज्वर से तड़प रही थी। वह काम के वशीभूत होकर राजेश के कमरे में गई और सरसो के तेल से राजेश के लंद की मालिश करने लगी।
राजेश जोश में आकर ज्योति की चुचियों से खेलने लगा। जिससे ज्योति और अधिक गर्म हो गई।
राजेश आगे बड़ा और ज्योति की ओंठो को मुंह में भर कर चूसने लगा, ज्योति भी साथ देने लगी।
राजेश ज्योति की चुचियों को जी भर कर चूसने के बाद वह ज्योति को बेड के किनारे लिटा दिया और उसकी पेटीकोट साड़ी को ऊपर चढ़ा दिया जिससे ज्योति की मस्त चिकनी, फूली हुई रसभरी fuddi राजेश के आंखों के सामने आ गया।
राजेश देर न करते हुए ज्योति की chut को चाटना शुरु कर दिया। ज्योति हवा में उड़ने लगी। काम का ऐसा सुख उसे अभी तक नही मिला था जो अब मिल रहा था। कमरे में उसकी सिसकारियों गूंजने लगी।
राजेश उसकी boor के भगनाशा को जीव से कुर्दने लगा। ज्योति बर्दास्त नही कर सकी। वह हवस में चीखने लगी।
उसकी आवाज़ बाजू कमरे में सो रही पुनम तक पहुंच गई। वह अपने बेड से उठ कर कमरे से बाहर निकल कर पता करने की कोशिश करने लगी आवाज़ कहा से आ रही है।
इधर ज्योति को बर्दास्त न huwa तो वह कपकपाते आवाज़ में बोली,,
ज्योति _राजेश अब बस करो, मुझसे बर्दास्त नही हो रहा,,,, मेरी,,,प्यास,,,, बुझाओ,,,,,
राजेश ने ज्योति की बात सुन कर देर ने करते हुवे। अपना मोटा सांप निकाला और ज्योति के बिल में ठेल दिया। सांप सरसराता huwa बिल में घुस गया।
राजेश ज्योति की कमर को दोनो हाथो से पकड़ कर ज्योति की कुंआ से पानी निकालने के काम में जुट गया।
राजेश का लंद फुच फुच की आवाज़ करता huwa ज्योति के boor में अंदर बाहर होने लगा।
ज्योति को संभोग का वह सुख प्राप्त हो रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना तक नही की थी।
उनकी मादक सिसकारी कमरे कमरे में गूंजने लगी। उसकी चूड़ियां खन खन खनकने लगे।
राजेश को भी ज्योति की boor चोदने में एक अलग ही मजा आ रहा था।
वह ज्योति की fuddi में गहराई तक लंद पहुंचाकर। चोदे जा रहा था।
इधर पूनम को पता चल गया की राजेश की कमरे में chudai चल रही है।
पर राजेश किसको चोद रहा है, हो सकता है मां जी हो।
यह जानने के लिए की अंदर मां जी ही है ताकि अगर मां जी हो तो वो भी अंदर जा कर मजा ले सकती है पहले वह आरती के कमरे की ओर गई। उसने देखा दरवाजा अंदर से बंद नही थोड़ा दरवाजा धकेल कर देखी, ज्योति बिस्तर पे नही थी।
पुनम चौंकी।
क्या दीदी राजेश से chudwa रही है।
उसके चहरे पर मुस्कान आ गई।
चलो अब किसी से डरने की जरूरत नही, अब तो दीदी के सामने ही राजेश से चुदवाऊंगीं ।
उसकी boor से पानी बहकर उसकी पेंटी को भिगाने लगा।
उसका मन किया की वह भी राजेश के कमरे में जाकर chudai का मजा ले फिर सोची नही अभी जाना ठीक नही उसे राजेश से आज जी भर कर chud कर उसका गुलाम बनने दो, अभी गई तो मामला बिगड़ सकता है।
वह अपने कमरे में गई और राजेश के लंद को इमेज कर अपनी उंगलियां boor में डालकर, उसे शांत करने की कोशिश करने लगी।
इधर राजेश ज्योति की जमकर chudai कर रहा था। ज्योति दो बार झड़ चुकी थी।
राजेश ने ज्योति को बेड से उतार कर उसे बेड पकड़ा कर झुका दिया और पीछे से लंद को उसकी boor ने गच से पेल दिया।
उसकी कमर को पकड़कर गपा गप लंद boor में अंदर बाहर करने लगा। दोनो स्वर्ग की सैर कर रहे थे।
ज्योति तो राजेश के मर्दानगी की दीवानी हो गई। वह भी अपनी कमर हिला हिला कर राजेश का साथ देने लगी।
राजेश ने ज्योति के सारे कपड़े एक एक करके निकाल कर पूरी नंगी कर दिया और खुद नंगा हो गया।
ज्योति को घोड़ी बनाकर, अपने लंद से उसकी boor की गहराई नापने लगा।

इसी पोजीशन में राजेश ने ज्योति को तब तक चोदा जब तक वह फिर से न झड़ गई।
ज्योति के झड़ने के बाद राजेश ने उसे बेड पर लिटा दिया और फिर उसकी boor चांटकर उसे गर्म किया, वह उसके बाजू लेट गया, फिर ज्योति को करवट के बल लिटा कर उसकी एक टांग उठा कर लंद को boor में gach से पेल दिया, और लंद को boor में गगपागप पेलने लगा।
राजेश लगातार इसी पोजीशन में ज्योति को चोदता रहा और उसकी boor में अपना वीर्य छोड़ दिया।
जब ज्योति को अपनी boor में गर्म गर्म वीर्य का अहसास हुआ तो वह फिर से झड़ गई।
दोनो थक चुके थे।
दोनो कुछ देर सुस्ताने लगे। जब ज्योति होस में आई। उसके ऊपर से हवस का भूत उतरी तो, उसे अपनी हालात देख शर्मिंदगी महसूस होने लगी। वह राजेश से नज़रे न मिला सकी। वह बेड से उतरी और अपने कपड़े पहनने लगी।
राजेश उसे कपड़े पहनता देखने लगा, और मुस्कुराने लगा। एक हाथ से अपना लंद मुठियाने लगा।
कपड़े पहनने के बाद ज्योति एक नजर राजेश को देखी जो उसी को देख कर अपना लंद मुठिया रहा था और मुस्कुरा रहा था। ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई। वह तुरंत वहां से भाग कर अपने कमरे में चली गई।
इधर पुनम भी अपनी उंगली से खुद को झाड़ ली। और सो गई।
ज्योति भी अपने कमरे में जाकर गहरी नींद में सो गई।
सुबह राजेश उठा और अखाड़े पर चला गया।
सुबह जब पुनम और ज्योति अकेले में थे, पुनम ने ज्योति से कहा।
पुनम _दीदी, एक बात बताऊं।
ज्योति _हां बताओ, क्या बात है?
पुनम _मुझे ने कल रात राजेश के कमरे से किसी की सिसकने की आवाज़ आ रही थी।
ज्योति डर गई,, कहीं पुनम को पता तो नही चल गया।
ज्योति _राजेश के कमरे में कौन जायेगा। इतनी रात को, आरती तो मेरे कमरे में ही थी। ये तुम्हारा वहम होगा या तुम सपने देखी होगी।
पुनम _हो सकता है दीदी, ये कोइ सपना ही हो,,, वह मुस्कुराने लगी
जबकि ज्योति अपनी नजरे चुराने लगी।
राजेश अखाड़े से आने के बाद घर में नाश्ता किया और स्कूल समिति के सदस्यों के साथ फंड इकट्ठा करने चला गया।
इधर ठाकुर की हवेली मे,,,
मुनीम _ठाकुर साहब एक बात बतानी थी आपको।
ठाकुर _क्या बात है मुनीम जी?
मुनीम _ठाकुर साहब, हमारे लड़के बता रहे थे की दिव्या बिटिया की गाड़ी को राजेश चला रहा था। गांव वालो में तरह तरह की बाते हो रही है।
ठाकुर _क्या बक रहा है?
मुनीम जी _ठाकुर साहब मैं तो वही बता रहा हूं जो गांव में चर्चे हो रहे हैं।
मैने तो पहले ही कहा था ये राजेश के आने के बाद से मुझे कुछ भय सा लगता है, ऐसा न हो आपकी इज्ज़त पे लोग,,,,,
ठाकुर _मुनीम जी, अपनी जुबान सम्हालो,,
मुनीम _ठाकुर साहब मैने आपका नमक खाया है आपकी इज्ज़त पर कोइ आंच न आए इसलिए आगाह करना मेरा फर्ज है,,,
ठाकुर _हूं,,,, इस साले का कुछ करना पड़ेगा।
उस गांव के लाला जी को, यहां बुलाओ,,,
मुनीम _ठीक है ठाकुर साहब,,,
मुनीम जी ने लाला जी को फोन लगाया,,
लाला _अरे मुनीम जी, बड़े दिनो के बाद याद किया कुछ काम था क्या?
मुनीम _ठाकुर साहब तुम्हे बुला रहे हैं हवेली में।
लाला _ठाकुर साहब याद कर रहे है, किस काम के लिए याद किया है ठाकुर साहब ने।
मुनीम जी _ये तो हवेली आने के बाद ही ठाकुर साहब तुमको बताएंगे?
लाला _अच्छा ठीक है मुनीम जी ठाकुर साहब से कहना, मैं अभी आ रहा हवेली पे।
लाला जी जो इस समय अपने घर पर थे अपने राशन की दुकान खोलने के लिए निकल रहे थे।
ठालाला की बीबी ललिता,, बोली
ललिता _क्या बात है जी, किसका फोन था।
लाला _मुनीम जी का फोन था, कह रहा था कि ठाकुर साहब ने हवेली पे बुलाया है, मैं हवेली जा रहा हूं। कोइ पूछे तो कह देना कुछ काम से शहर गया है। किसी को बताना मत, मैं हवेली जा रहा हूं।
ललिता _ठीक है जी।
लाला जी कुछ लूना लेकर ठाकुर की हवेली पहुंचा।
लाला _पाय लागू ठाकुर साहब।
ठाकुर _आओ मुनीम जी।
लाला _ठाकुर साहब , कहिए मुझ तुच्छ आदमी को कैसे याद किया हुजूर।
ठाकुर _लाला जी, तुम्हे तो पता है तुम्हारे गांव में शहर से एक लडका आया है।
लाला जी _कहीं आप राजेश के बारे में तो नही कह रहे हुजूर।
ठाकुर _हां, मैं उसी के बारे में कह रहा हूं।
साला हवा में बहुत उड़ रहा है। मुझे तकलीफ पहुंचा रहा है।
लाला _जानता हूं हुजूर।
ठाकुर _लाला जी, उस साले को रास्ते से हटा ने के लिए, तुम्हारी मदद की जरूरत है।
लाला _ठाकुर साहब आप अपने आदमियों से कहकर उसे रास्ते से ऐसे ही हटा सकते हैं। फिर मेरी मदद की क्या आवश्यकता पड़ गई।
ठाकुर _मुनीम जी सामने चुनाव आने वाला है, हम नही चाहते की हमारे क्षेत्र में किसी तरह का बवाल हो,,
मुनीम _तो बताइए हुजूर मैं भला आपकी क्या मदद कर सकता हूं।
वैसे भी आपकी मुझ पर कृपा है, आपने ही राशन की दुकान ठेके पर दिलाया है।
मुनीम जी _देखो मुनीम जी, मैं चाहता हूं की गांव वाले राजेश को ठीक उसी तरह गांव से निकाले जैसे उसने मेरा मुंह काला कर गधे में बिठाकर निकाला था। अगर तुमने यह काम कर दिया तो मुंह मांगा रकम मिलेगा।
लाला _पर हुजूर ये होगा कैसे?
ठाकुर _मैंने सब सोच लिया है लाला, क्या करना है?
सुना है की साला, स्कूल के लिए फंड इकट्ठा करने तुम्हारे घर घर जा रहा है।
लाला _बिल्कुल सही सुना है हुजूर।
ठाकुर _सुनो लाला, जब राजेश चंदा के लिए तुम्हारे घर आए, तो तुम कहना, राजेश तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो, मेरे लिए खुशी की बात होगी जो, मैं आप लोगों की मदद कर सकूं। मैं शाला को एक लाख रुपए दान दूंगा।
पर राजेश मुझे भी तुम्हारी एक मदद की जरूरत है। तुम्हारी बेटी 12वी की परीक्षा में रुकी हुई है न।
लाला _जी हुजूर, वह गणित विषय में रुकी हुई है। एक माह बाद पूरक परीक्षा होनी है।
ठाकुर _तुम राजेश से कहना तुम्हारी बेटी लज्जो को घर में ट्यूशन पढ़ाने को, जब वह तुम्हारे घर आए तो, अपनी बीवी, बहू और बेटी को उसे अपने जाल में फसाने कहना, और उचित मौका मिलने पर राजेश पर इज्जत लूटने का इल्जाम लगा दे।
लाला _हुजूर, मैं समझ गया, आपने क्या योजना बनाया है?

ठाकुर _मुनीम जी, लाला जी को २लाख रुपए दे दो।
मुनीम जी ने लाला जी को 2लाख रुपए दे दिए।
ठाकुर _मुनीम जी यदि तुमने मेरा काम कर दिया तो 3लाख और मिलेंगे।
लाला _शुक्रिया हुजूर, आपके काम हो जायेंगे।
ठाकुर अपने मूछ ऐंठते हुए हसने लगा।

अब लाला जी के परिवार के बारे में जानते है।
लाला जी का उम्र 50वर्ष।
उसकी पत्नि ललिता 45वर्ष।
उसकी बड़ी बेटी जिसकी उम्र 26वर्ष जिसकी शादी हो चुकी है।
उसके बाद उसका बेटा, ललित उम्र 24वर्ष।
उसकी पत्नि कुसुम 22 वर्ष एक बच्चे।
छोटी बेटी,, लज्जो 19वर्ष
लज्जो 12की परीक्षा में गणित विषय में पूरक आई है।
लाला रंगीन मिजाज का आदमी है। वह गांव की गरीब बहु बेटियो के गरीबी का फायदा उठाकर, न जाने, कितनो का यौन शोषण किया है।
लाला जी ने तो अपने बहु कुसुम को भी नही छोड़ा।
जब अपने लड़के ललित के शादी के लिए, कुसुम को देखने पहली बार उसके घर गया।
कुसुम जब चाय लेकर आई, तो लाला जी कुसुम की खूबसूरती को देखता रह गया।
कुसुम उसके दिल में उतर गया।
ललित से शादी के बाद कुसुम जब अपने ससुराल आई।
लाला जी उसे पाने का सपना देखने लगे।
वह चोरी छुपे, कुसुम के अंगो को देखा करता।
वह अकेले में सोचता रहता की बहु को कैसे पाया जाय।
लाला ने ललित के लिए लक्ष्मण पुर में मोबाइल का दुकान खोल दिया था।
ललित सुबह 9बजे ही दुकान के लिए निकल जाता था और रात को वह 9बजे घर आता था।
लाला जी गांव में राशन दुकान चलाता था । एक नौकर रखा था जो लोगो को राशन देता था।
ललिता और कुसुम दोनो मिलकर घर का काम सम्हालते थे लज्जो स्कूल जाता था।
लाला जी गरीब बहु बेटियो को मुफ्त में राशन देने के नाम पर फसाता था और अपने गोदाम में ले जाकर उसका यौन शौषण करता था।
लाला कुसुम को पाने का हसरत पाल रखा था वह उसे पाने के लिए योजना बना रहा था।
ललित के शादी के 4माह बाद ही, उसके मामा के लड़के की शादी होना था।
लाला ने कुसुम को पाने की योजना बनाया।
ललिता को अपने भतीजे की शादी में 4दिन पहले ही जाना था।
लाला जी बाथरुम में फिसल जाने का नाटक किया।
लाला जी _अरे, मर गया,re आह,,,
ललिता दौड़ते हुवे आई।
ललिता _क्या huwa ललित के बापू,,
लाला _अरे भाग्यवान देख नही रही हो क्या huwa है, अब देखती रहेगी की उठाएगी भी, हे भगवान बड़ा दर्द हो रहा है, मेरी टांग में बड़ा दर्द हो रहा है। मैं उठ नही पा रहा।
ललिता ने अपने बेटे ललित को पुकारा, ललित दौड़ता huwa आया।
ललित _क्या huwa मां?
ललिता _बेटा, तेरे बापू फिसलकर गीर गया, उसे उठकर कमरे में ले चलो।
ललित और उसकी मां ने लाला को सहारा देकर उठाया और उसके बेड पे ले जाकर लिटा दिया।
ललिता _बेटा गांव के डाक्टर रवि को बुलाओ ।
ललित ने रवि को फोन कर बुलाया।
रवि, लाला के घर पहुंचा।
रवि ने पूछा क्या हुआ?
लाला _बेटा बाथरुम में नहाकर निकल रहा था की पैर साबुन पर चला गया, फिसल कर गिर गया।
टांग और कमर पर दर्द हो रहा है बेटा, उठ नही पा रहा।
रवि ने लाला की कमर और टांग को दबाकर देखा।
लाला जानबूझकर दर्द से कराहा।
रवि को लाला पर कुछ शक तो huwa फिर भी उसने लाला की कमर पर मालिश करने के लिए तेल और खाने के लिए दवाई दे दिया।
ललिता ने तेल से लाला की कमर और टांगो की मालिश करने लगी।
ललिता _हे भगवान ये घटना अभी होना था।
लाला _क्यू, कोई घटना तुम्हे बताकर होगा क्या?
ललिता _अजी, कल हमे मायका जाना था। भतीजे की शादी जो हो रही हैं। अब क्या होगा।
लाला _अरे ललित की मां तुम उसकी चिन्ता मत करो तुम चली जाओ। और लज्जो को भी ले जाओ।
ललिता _पर तुम्हारा देखभाल कौन करेगा?
लाला _बहु और ललित है न मेरा देखभाल करने, बारात के दिन ललित चला जायेगा।
तब तक मैं भी कुछ ठीक हो जाऊंगा।
ललित _हां मां बापू ठीक कह रहे हैं।
अगले दिन, ललिता और लज्जो दोनो मामा के लड़के की शादी में जाने तैयार हो गए।
लाला _बेटा ललित तुम भी दुकान जा रहे हो उधर ही अपने साथ अपनी मां और बहन को भी ले जाओ उसे ट्रैन बिठा देना।
ललित _ठीक है बापू।
ललिता, लज्जो दोनो को लेकर ललित स्टेशन के लिए निकल पड़े।
इधर घर में अब कुसुम और लाला ही रह गए।

कुसुम _ससुर जी, आपको कुछ चाहिए तो नही, मैं नहाने जा रही।
लाला _नही बहु, मुझे अभी कुछ नही चाहिए। तुम जाओ नहा लो।
जब कुसुम नहाने के लिए बाथरुम में घुस गई और दरवाजा बंद कर दी।
लाला चुपके से बेड से उठ कर बाथरुम के पास चला गया जो घर के आंगन में बना था।
वह बाथरुम के अंदर का नजारा देखना चाहता था।
बाथरुम का दरवाजा लकड़ी से बना था। उस पर एक छेद था।
लाला उस छेद से अंदर का नजारा देखने लगा।
बाथरुम में जाने के बाद कुसुम पहले अपनी साड़ी उतारी फिर फिर ब्लाउज खोलने लगी जिसे देखकर लाला की दिल की धड़कन बढ़ गया।
और जब ब्लाउज उतार दी तो कुसुम के गोरे गोरे मस्त चूचे देख कर लाला का लंद खड़ा हो गया।
वह अपने लंद को मसलने लगा।
कुसुम बाथरुम में बैठकर कपड़े धोने लगी।
कपड़े धोने के बाद वह साबुन मल मल कर नहाने लगी।
वह अपनी पेटीकोट भी उतार दी।
उसकी मस्त चिकनी chut देखकर लाला अपना लंद हिलाने लगा।
इधर कुसुम अपनी chut में साबुन मलने लगी।
लाला जी अपने आप से बोला,, आह क्या माल है साली इसे खाने में तो बहुत मजा आएगा।
वह अपने बहु को नंगी नहाते देख, मुठ मारने लगा और कुछ देर में अपना पानी दरवाज़े पर ही गिराकर अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया।
बिस्तर पर लेट कर आगे की योजना बनाने लगा।
कुसुम नहाने के बाद के बाद अपने कमरे में जाकर, तैयार हुई।
उसके बाद वह लाला के कमरे में आई।
कुसुम _बाबू जी, आपको कुछ चाहिए क्या?
लाला _बहु, एक गिलास पानी ले आओ।
कुसुम गिलास में पानी लेकर आई और लाला को देने लगी।
कुसुम _लो बाबू जी, पानी पी लो।
कुसुम ने उसे सहारा देकर बिठाया।
लाला जी पानी पीने लगा।
लाला जी _शुक्रिया बहु।
तुम्हे मेरे कारण परेशानी उठानी पड़ रही है।
कुसुम _बाबू जी इसमें परेशानी कैसी ये तो मेरा फर्ज है।
लाला जी ने देखा कुसुम ने जी साड़ी पहन रखी थी उसमें वो काफी खुबसूरत लग रही थी।
लाला _अरे बहु एक बात कहूं?
कुसुम _तुम तो इस साड़ी में बहुँत सुंदर लग रही हो
कुसुम शर्मा गई।
बाबू जी आपको कुछ और चाहिए तो बता देना मैं भोजन कर रही हूं, आप भी कुछ खायेंगे क्या?
लाला _नही बहु, अभी तो तुम्हारी सास खिलाके गई है जाओ तुम खा लो।
कुसुम ठीक है, बाबू जी।
कुसुम भोजन करने के बाद अपने कमरे में जाकर आराम करने लगी।
आराम करके जब उठी।
वह लाला के कमरे में गई ।
कुसुम _बाबू जी कुछ चाहिए क्या? लाला _बहु, अब कैसे कहूं?
कुसुम _कहिए न बाबू जी, क्या बात है!
लाला जी _बहु, वो पेशाब लगी थी।
अब ललित या तुम्हारी सास तो है नही,,,
कुसुम _बाबू जी, चलो मैं सहारा देकर तुम्हे बाथरुम तक ले जाती हूं।
लाला _बहु, अच्छा तो मुझे नही लग रहा पर क्या करू मजबूरी है।
कुसुम _कोइ बात नही बाबू जी चलिए, उठिए।
कुसुम ने लाला को सहारा देकर उठाया। लाला नाटक दर्द करने का नाटक किया फिर लंगड़ाते हुवे वह कुसुम के सहारे बाथरुम पहुंचा।
वह दरवाज़े के पास खड़ा हो गया। कुसुम पीछे से पकड़ी हुई थी।
कुसुम _लो बाबू जी आप पेशाब कर लीजिए।
लाला _ठीक है बहु।
लाला ने लूंगी हटाया और अपना कच्छा नीचे कर लंद बाहर निकाल कर मूतने लगा।
कुसुम को बड़ी शर्म आ रही थी।
और लाला को बड़ा मज़ा।
मूतने के बाद।
लाला _बहु हो गया, अब ले चलो।
लाला को सहारा देकर फिर बेड तक लाकर लिटा दिया
लाला _शुक्रिया बहु।
कुसुम _बाबू जी अब मैं घर का काम कर रही हूं कुछ काम हो तो बताना।
रात में जब ललित घर आया तो अपने लाला से पूछा।
ललित _बाबू जी, अब तुम्हारे पैर कैसे है?
लाला _कल से बेहतर है बेटा।
ललित _आज तुम्हे कोइ परेशानी तो नही हुई।
लाला _नही बेटा, बहु ने बहुत अच्छे से देखभाल कि है,बहु बहुत अच्छी है, हम किस्मत वाले है जो ऐसी बहु मिली है।
कुसुम अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई।
अगले दिन ललित, लाला को नहाकर खाना खिलाकर, कुसुम को बापू का देखभाल कहना कहकर दुकान चला गया।
जब कुसुम नहाने के लिए बाथरुम गई।
लाला फिर से अंदर का नजारा दरवाज़े के छेद से देखकर अपना लंद हिलाया और दरवाज़े पर अपना पानी गिराकर, कमरे में आकर लेट गया और आगे क्या किया जाए, सोचने लगा।


कुसुम नहाने के बाद अपने कमरे में जाकर तैयार हुई और लाला जी के पास गई।
कुसुम _बाबू जी, कुछ चाहिए क्या?
लाला _नही बहु तुम जाओ खाना खा लो।
भोजन करने के बाद फिर कमरे में आई।
कुसुम _बाबू जी मैं कमरे में आराम करने जा रही कुछ काम हो तो आवाज़ लगाना।
लाला _बहु, पेशाब लगी थी।
कुसुम _अच्छा चलो,,
कुसुम ने सहारा दे कर लाला को उठाया और बाथरुम ले गया, दरवाज़े पर खड़ा कर दिया पीछे से पकड़ी रही। लाला ने लूंगी हटाया और अपना कच्छा नीचे कर लंद बाहर निकाल कर मूतने लगा।
मूतने की आवाज़ कानों पर पड़ते ही कुसुम शर्माने लगी।
मूतने के बाद लाला कुसुम के सहारे बेड तक आया और फिर लेट गया।
लाला _बहु,
कुसुम _जी बाबू जी।
लाला _कुछ नही रहने दो।
कुसुम _बहु कहिए न संकोच मत कीजिए।
लाला _बहु, दोपहर में एक बार और मालिश हो जाता तो जल्दी टांगो में जल्दी सुधार होता।
कुसुम _ठीक है बाबू जी मैं आराम करने के बाद उठूंगी तो एक बार आपके पैरों की मालिश कर दूंगी।
लाला _बहु तुम कितनी अच्छी हो पिछले जन्म में मैने जरूर कोइ अच्छा कार्य किया रहा होगा जो तुम जैसी बहु मिला।
कुसुम _अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई।

कुसुम आराम करने के बाद जब अपने बेड से उठी वह सीधा लाला के कमरे में आई।
कुसुम _बाबू जी चलो मैं आपकी पैरो की मालिश कर देती हूं।
लाला खुश हो गया।
कुसुम बेड किनारे बैठ गई और अपनी हाथो में तेल लगाकर लाला के पैरो की मालिश करने लगी।
मालिस करते हुवे जांघ की ओर बड़ने लगी।
नर्म मुलायम हाथ का अहसास पाकर साथ ही, जब मालिश करते हुवे कुसुम नीचे झुकी उसकी मस्त चूचियों के दीदार से लाला का लंद खड़ा हो ने लगा। इधर लूंगी सरकाकर कुसुम मालिश करते हुवे लाला की टांगो कीजांघ की ओर बढ़ने लगी। इधर लाला का लंद खड़ा होने से लूंगी के ऊपर बड़ा सा उभार बन गया था।
जब मालिश करते हुवे कुसुम की नजर लूंगी के ऊपर बनी उभार पर गई तो वह समझ गई की ससुर जी का खडा हो गया है।
वह शर्म से पानी पानी हो गई, फिर भी धड़कते दिल से वह मालिश करने लगी।
लाला को बहुत मजा आ रहा था।
कुसुम को और ज्यादा देर तक मालिश करने की हिम्मत नही हुई और उठ कर चली गई।
लाला ,अपनी चाल में कामयाब होता देख बहुत खुश था।
रात में ललित आया और लाला से उनका हालचाल पूछा।
लाला ने अपनी बहु की जमकर तारीफ की।

कुसुम _अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई।
अगले दिन लाला ने कुसुम को फिर से दोपहर में मालिश कर देने के लिए कहा,,,
कुसुम अपनी ससुर की बात टाल नही सकी और दोपहर में आराम करने के बाद फिर से कुसुम अपने ससुर के कमरे में गई और बेड किनारे बैठ कर हाथो में तेल लगाकर पैरो को मालिश करते हुए आगे बढ़ने लगी।
उसने तिरछी नजर से ऊपर की ओर देखा कहीं ससुर जी का लंद आज भी तो खड़ा नही हो गया है।
लाला का लंद सच में फिर से खड़ा हो गया था।
कुसुम शर्माते हुवे धड़कते दिल के साथ पैरो की मालिश करते हुवे जांघो तक गई।
लूंगी के ऊपर काफी बड़ा उभार हो गया था।
कुसुम तिरछी नजरों से उसे देखती थी।
लाला कुसुम को जाल में फसते देख बहुत खुस हो, गया।
कुसुम कुछ देर जांघ की मालिश करने के बाद वहा से शर्माते हुवे चली गई। अगले दिन भी वही huwa। लाला ने अपने जांघो जी मालिश करवाया।
ललिता की भतीजे का आज बारात जाने वाला था।
लाला _बेटा आज तो तेरे मामा के लड़के का बारात जायेगा। उसमें शामली होना जरूरी है तुम आज अपने मामा के घर चले जाओ।
ललित _ठीक है बाबू जी।
जाते समय ललित ने कुसुम से कह दिया की वह बापू का अच्छे से ख्याल रखे।
ललित के जाने के बाद, आज तो लाला बहुत खुस था आखिर वह दिन आ गया जिसका उसे कब से इन्तजार था।
आरती नहाने के बाद जब अपने कमरे में जाकर तैयार हुई और लाला के कमरे में पूछने आई की उसे किसी चीज की जरूरत तो नही है,,,
लाला _बहु तुम बहुत सुंदर लग रही हो।
कुसुम शर्मा गई।
लाला _बहु मुझे तुमसे कुछ काम था, आओ बैठो।
कुसुम बेड किनारे बैठ गई। बहु तुम्हारी सेवा से मैं बहुत खुश हूं अब तो मैं लगभग ठीक हो गया हूं।
ये सब तुम्हारी मालिश और सेवा के कारण है जो जल्दी ठीक हो गया। बहु मैं तुम्हे कुछ देना चाहता हूं।
कुसुम _क्या बाबू जी।
लाला अपने बेड से कुसुम का हाथ पकड़ कर उठा और आलमारी के पास गया।
आलमारी में रखे एक बॉक्स से उसने एक सोने का हार निकाला और उसे कुसुम को दे ते हुए कहा।
ये मेरी प्यारी बहु के लिए,
कुसुम _बाबू जी सोने की हार,, ये तो काफी कीमती है।
लाला _तुमने मेरी इतनी देखभाल की न उसका इनाम है। जरा पहन कर तो दिखाओ इसे, मैं भी तो देखूं तुम इसे पहनने के बाद कैसी लगती हो।
कुसुम खुश हो गई, वह आईने के सामने जाकर सोने की हार पहन ली,,
कुसुम _वाह, बहु तुम तो बिल्कुल चांद की टुकड़ा लग रही हो, मेरी बहु को किसी की नजर न लगे। उसने कुसुम की माथे को चूम लिया।
कुसुम शर्मा गई।
लाला _जाओ बहु, अब तुम भोजन करलो।
कुसुम _भोजन करने चली गई।
लाला का लंद बेचैन था, वह अकड़ गया था। उसने अपने लंद को मसलते हुए कहा, अब तुम्हे और तड़पना नही पड़ेगा, अब जल्द ही तुम्हारी इच्छा पूरी होने वाली है।
कुसुम कीचन में जाकर भोजन कर ली, वहा का काम निपटाकर लाला के कमरे में आई।
बाबूजी आपको कुछ चाहिए तो नही, मैं कमरे में आराम करने जा रही।
लाला _अरे बहु, आओ थोड़ा मेरे पास तो बैठो।
तुमसे कुछ पूछना था।
कुसुम बेड किनारे बैठते हुवे कहा।
कुसुम _बोलो बाबू जी क्या कहना है आपको।
लाला _बहु तुम्हारी और ललित की शादी को 4माह हो गए। अभी तक कोई खुशखबरी नही सुनाई। ललित और तुम्हारे बीच सब ठीक तो है न। कोइ समस्या हो तो मुझे बता सकती हो।
जब मेरी शादी हुई थी टी पहले मां ही तुम्हारी सास को बच्चा ठहर गया था। तुम्हारे और ललित के बीच कोई गड़बड़ तो नही।
कुसुम शर्माते हुए, नही बाबू जी कोइ समस्या नहीं।
लाला _ओह, तो कहीं तुम लोग, बच्चा रोकने का कोइ तरीका तो नही अपना रहे।
कुसुम शर्माते हुवे न में सिर हिलाई।
लाला _चलो तब तो ठीक है। आज नही तो कल बच्चा हो जायेगा।
बहु मैं कह रहा था कि आराम करने से पहले एक बार मालिश कर देती।
कुसुम _ठीक है बाबू जी।

कुसुम ने तेल हाथो में लगा कर। अपनी ससुर के पैर की मालिश शुरू की।
कुछ देर बाद कुसुम नेचोर नजर से देखा कहीं ससुर का लंद फिर से तो खड़ा नही हो गया।
लाला के टांगो के बीच बड़ा उभार देख कर वह समझ गई की ससुर जी का लंद फिर खड़ा हो गया है।
वह शर्माने लगी, उसके दिल का धड़कन बढ़ गया। वह धीरे धीरे लाला के टांगो की ओर आगे बड़ी।
लाला का लंद कच्छा के अंदर ठुमक रहा था।
जब मालिश करते हुवे कुसुम का हाथ जांघ तक पहुंची।
लाला ने कुसुम का हाथ पकड़ लिया। उसकी हाथ पकड़ कर अपने लंद के ऊपर रख दिया।
लाला _बहु, आज इसकी भी मालिश कर दो, कुछ दिनों से परेशान कर रखा है।
कुसुम शर्म से गड़ने लगी। वह हाथ हटाने लगी। लाला हाथ को पकड़े रखा।
लाला _बहु क्या अपनी ससुर के लिए इतना नही कर सकती।
कुसुम _बाबू जी मुझे बड़ी शर्म आयेगी।
अरे मैं अभी तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूं।
लाला ने अपना लूंगी निकाल दिया और कच्छा नीचे कर के लंद बाहर निकाल दिया।
उसका लंद खड़ा होकर झटके मार रहा था।
कुसुम ने तिरछी नजर से लंद को देखा उसका दिल जोरो से धड़क रहा था।
लाला _बहु, करो न मालिश, बड़ा परेशान कर रखा है कुछ दिनों से। तुम्हारी मालिश से इसको बड़ा आराम मिलेगा।
कुसुम _बाबू जी, किसी को पता चल गया तो, बड़ी बदनामी होगी।
लाला _अरे ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच रहेगी, वैसे भी हम दोनों के अलावा यहां है कौन?
चलो मुझे और मत तड़पाओ।
कलाला ने कुसुक के हाथ को लंद पर रख दिया।
कुसुम ने लंद को सहलाने लगी।
लाला _आह बहु, बहुत अच्छा लग रहा है।

कुसुम ने तेल हाथ में लेकर लंद की मालिश शुरू कर दी।
लाला _आंखे बंद कर कहा, आह बहु बहुत अच्छा लग रहा है थोड़ा तेज़ तेज़ हाथ चलाओ।
कुसुम ने लंद को अपने मुठ्ठी में लेकर, तेज़ तेज़ मुठ मारना शुरू कर दी।
लाला का लंद उसके पति के लंद से बड़ा और मोटा था, उसे मुठ मारने में शर्म तो आ रही थी पर उसे भी अच्छा लगने लगा।
वह लगातार हाथ बदल बदल कर मुठ मारने लगी, लाला आंखे बंद कर मुठ मरवाने का मजा लेने लगा। और कुछ देर बाद लाला के लंद ने वीर्य की लंबी लंबी पिचकारी मारने लगी।
लाला _आह आह, करके कराहते हुवे झड़ने लगा।

लाला के झड़ने के बाद, कुसुम अपने कमरे में भाग गई और बेड में सोकर अभी अभी हुई घटना के कारण, तेज़ तेज़ सांस लेने लगी।
उसकी कच्छी भी गीली हो चुकी थी उसने उंगली से कच्छी को चेक किया।
उसके आंखो के सामने अभी भी ससुर का लंद दिखाई दे रहा था। जो उसके पति के लंद से बड़ा और मोटा था।
वह जब सो कर उठी तो शाम हो गया था।
उसे ससुर जी के कमरे में जाने की हिम्मत नही हुई। वह कीचन का काम करने लगी।
लाला ने अपने कमरे से आवाज़ लगाया, बहु बहु,,,
कुसुम कीचन से कमरे में आया,,
कुसुम _शर्माते हुवे धीरे से कहा क्या बात है बाबू जी?
लाला अरे देखो तो, अब मैं अपने पैरो से खड़ा हो सकता हूं चल सकता हूं, ये सब तुम्हारी मालिश का कमाल है!
बहु तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया।
लाला ने कुसुम का हाथ पकड़ कर कहा।
कुसुम शर्मा कर अपना सिर नीचे कर ली।
लाला _अच्छा बहु मैं बाहर जा रहा हूं, कुछ लाना है क्या?
लाला बाहर गया और टहल कर रात में लौटा, उसने खाने के लिए कुछ मिठाईयां ले आयाथा उसे कुसुम को दे दिया।
कुसुम _बाबू जी आप हाथ मुंह धोकर तैयार हो जाओ, मैं खाना लगाता हूं।
लाला _ठीक है बहु।
लाला, खाना खा कर सोने चला गया।
कुसुम भी भोजन कर कीचन का काम निपटा कर सोने चली गई।
कुसुम के आंखों के सामने अभी भी ससुर का लंद नजर आ रहा था। उसे नींद नही आ रही थी।
इधर लाला का लंद फिर से खड़ा हो चुका था।
उसे तो रात का ही इन्तजार था।
वह अपने कमरे से उठ कर बहु के कमरे की ओर गया और दरवाजा खटखटाया,
कुसुम अभी सोई नही थी, वह दरवाजा खोली।
कुसुम _ससुर जी आप इस समय।
लाला _हा बहु मुझे नींद नही आ रही थी। देखो ने मुझे ये फिर से परेशान कार रखा है।
इसकी मालिश कर फिर से शांत कर दो।
लाला ने अपना लंद दिखाते हुए कहा,,
कुसुम शर्माने लगी,,
लाला ने कुसुम का हाथ पकड़ कर कमरे के अंदर ले गया और अपना लूंगी और कच्छा निकाल कर बेड पर लेट गया।
लाला _आओ बहु।
कुसुम का हाथ पकड़ कर अपने लंद पर रख दिया।
कुसुम लंद सहलाने लगा।
लाला एक हाथ, कुसुम की चूची पर ले जाकर उसे मसलने लगा।
कुसुम तो पहले ही गर्म थी, ससुर की हरकत से वह सिसकने लगी।
लाला समझ गया की अब बहु को भी मजा आ रहा है। उसने उसकी ब्लाउज का बटन खोल दिया ओर उसकी चूची से खेलते लगा ।
कुसुम सिसकने लगी
लाला कुसुम की चूची मुंह में भर कर चूसने लगा।
वह कुसुम को अपने गोद में बिठा लिया।
और दूध को मुंह में भर कर चूसने लगा ।
कुसुम सिसकने लगी।
कुछ देर बाद बेड पर कुसुम को लिटा कर लाला उसके ऊपर आ गया और उसकी गालों को चूमने लगा। गर्दन को चूमते हुवे आगे बड़ा फिर उसकी पेट को चाटने लगा। उसकी साड़ी को खीच कर अलग कर दिया।
अब सिर्फ पेटीकोट में रह गई थी।
लाला कुसुम की पैर चूमते हुए टांग की ओर आगे बड़ा। कुसुम जोर जोर से सिसकने लगी।
लाला कुसुम की कच्छी को उतार दिया।
उसकी मस्त चिकनी chut देख कर पागल हो गया, वह chut को पागलों की तरह चाटने लगा ।
कुसुम हवा में उड़ने लगी।
लाला देर न करते हुवे अपना लंद का टोपा कुसुम के boor के छेद में रखा और एक जोर का धक्का मारा लंद boor चीरता huwa अंदर चला गया। कुसुम चीख उठी।
उसके बाद लाला ने उस रात कुसुम को अलग अलग आसनों में जी भर कर चोदा।

कुसुम को भी अपने ससुर की chudai से बहुत मजा आया। उसका पति तो उसके झड़ने से पहले ही झड़ जाता था ।
उस रात के बाद दोनो ससुर और बहु को जब भी मौका मिलता दोनो अपनी प्यास बुझाने लगे
और एक माह बाद कुसुम को गर्भ ठहर गया।
उसने 9माह बाद एक लड़की को जन्म दिया।

 

khaleel_ali

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दोस्तों कहानी को अब आगे बढ़ाते हैं हमने देखा किस प्रकार सुनीता और राजेश के बीच शर्म कुछ कम हो रहा था

शाम को 4:30 बजे स्वीटी कॉलेज से घर आती है और देखती है उसकी मां कीचन में काम कर रही है

वह अपने मम्मी से कहती है मम्मी भैया कहां है

सुनीता कहती है कॉलेज से आ गई बेटी

स्वीटी कहती है हां मम्मी

सुनिता कहती है कि तुम्हारे भैया अपने रूम में आराम कर रहाहैं

स्वीटी राजेश के रूम की तरफ चली जाती हैं

राजेश के कमरे में प्रवेश करती है वह देखते हैं कि राजेश सोया हुआ है

वह राजेश से कहती है भैया उठो आपकी तबीयत कैसी है

राजेश switi की आवाज सुनकर उठ जाता है
अरे स्वीटी कॉलेज से आ गई वह स्वीटी से कहता है

हां भैया मुझे आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था कॉलेज में मेरा मन नहीं लग रहा था तुम्हारी चिंता हो रही थी

राजेश कहता है अरे पगली मैं बिल्कुल ठीक हूं मेरी चिंता मत करो और तुम पढ़ाई में ध्यान लगाओ

स्वीटी कहती है भैया यह सब मेरे कारण ही हुआ है सॉरी भैया

राजेश कहता है नहीं पगली इसमें तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है तुम्हें अपने भैया से सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं

भैया तुम मुझे कितना प्यार करते हो और भाई राजेश को गले लगा लेती हैं

स्वीटी राजेश से कहती है ठीक है भैया मैं अपने कपड़े बदल लेती हूं कुछ काम रहेगा तो मुझे आवाज देना

राजेश के कैमरे से जाने को होती है तभी राजेश स्वीटी से से कहता है स्वीटी थोड़ा मम्मी को भेजना

स्वीटी कहती भैया मम्मी किचन में काम कर रही है कुछ काम है तो मुझे बता दो मैं कर दूंगी

नहीं स्वीटी तुम मम्मी को बुला दो
भैया कुछ काम हो तो मुझे बताओ ना मैं कर दूंगी नहीं

स्वीटी तुम मॉ को भेजो

ठीक है भैया मैं मम्मी को भेजती हूं और स्वीटी किचन क्यों चली जाती है

स्वीटी किचन में जाक वह अपनी मम्मी से कहती है

मम्मी भैया को आपसे कुछ काम है वह आपको बुला रहे हैं

सुनीता कहती है क्या काम है

स्वीटी कहती है मैंने भैया से कहा कि क्या काम है मैं कर देती हूं तो उसने मुझे कुछ बताया नहीं

सुनीता कहती है अभी शायद उसको पेशाब लगी हो उसके मुंह से अचानक ही निकल जाता है जिसे सुनकर स्वीटी चौक जाती है

सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

Switi सोचने लगती है क्या सच में भैया को पेशाब लगी होगी और वह मम्मी को बुला रही है मम्मी कैसी मदद करेगी भैया की यह सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है

उसे जाकर देखने की इच्छा होती है और वह भी राजेश की कमरे की ओर जाने लगती है

इधर सुनीता राजेश के कमरे में पहुंच चुकी होती है और राजेश से पूछती है बेटा कुछ काम है

राजेश पहले की अपेक्षा आसानी से बोल दिया कि मुझे पेशाब लग रही और बोल कर थोड़ा शर्मा गया

सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा चलो बाथरूम में

इधर स्वीटी राजेश के कमरे में पहुंचते हैं वह राजेश और अपनी मम्मी को बाथरूम में घुसते हुए देखती हैं

सुनीता स्वीटी को देख लेती है

Switi को देखते ही वह स्वीटी से कहती है अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गई

अरे मां मैं यहां देखने आई हूं भैया को ऐसा क्या काम है जो मुझसे नहीं कहा

सुनीता ने कहा राजेश को पेशाब लगा है उसकी मदद करनी होगी

तुम जाओ यहां से और सुनीता बाथरूम के अंदर चली जाती हैं और बाथरूम के दरवाजे बंद कर देती है
इधर राजेश urinal pot के सामने खड़ा हो चुका था

वह अपनी मम्मी से कहता हैं मम्मी क्या स्वीटी आई थी

सुनीता ने कहा हां बेटा वह चली गई है कि नहीं पता नहीं

बेटा मैंने उसको कमरे से जाने के लिए कहा उसको छोड़ो तुम पेशाब करो

राजेश के दिल का धड़कन बढ़ चुका था इधर सुनीता ने राजेश के लोअर और अंडरवियर को उनके जांग से नीचे किसका दिया सुनीता ने अपने दाएं हाथ आगे ले जा कर राजेश के लिंग को पकड़ लिया इस बार राजेश के शरीर में कपकपी आ गया

राजेश अपने लिंग पर थोड़ा दबाव डालें जिससे उसका पेशाब तेजी से बाहर आने लगा

इस समय सुनीता सोच रही थी स्वीटी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी उसे बहुत ही गिल्टी फील हो रहा था

इधर राजेश को उसकी मां का लिंग पकड़ना अच्छा महसूस हो रहा था

राजेश जब पेशाब कर लिया ततव वह सुनीता से कहा मम्मी हो गया

तब सुनीता ने राजेश के लिंग को थोड़ा दिलाया राजेश को यह बहुत ही अच्छा लगा

पेशाब करने के बाद दोनों कमरे से बाहर निकले

स्वीटी बाहर हाल में बैठी थी जब उसकी मां किचन की ओर आई

अपनी मां से पूछी मम्मी क्या भैया ने पेशाब कर लिया

सुनीता यह सुनकर शरमा गई चुप रे पगली

उसे अपनी बेटी के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा था

उसने स्वीटी से कहा बेटा देखो तुम्हारे भैया को पेशाब कर पाने में दिक्कत होती है इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है

तब स्वीटी ने कहा मैं समझ सकती हूं मम्मी और थैंक्स देती है अपने भैया की मदद करने के लिए

तब सुनीता कहती है मैं उसकी मम्मी मम्मी हूं मेरे लिए वह छोटा बच्चा ही है मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा

स्वीटी अपने मां को गले लगा लेती हैऔर कहती है आप सही कह रही है मम्मी और स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

सुनीता को अच्छा महसूस हो रहा था क्योंकि स्वीटी समझदार लड़की है वह मजबूरी को समझ सकती है

इधर स्वीटी अपने कमरे में जाने के बाद उस पल को
याद करने लगती है जब राजेश और उसकी मां बाथरूम मे राजेश को पेशाब कराने ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती हैं

और वह सोचती रहती हैं की मम्मी ने भैया का कैसे किस तरह मदद की होगी यह सोचकर ही उसके शरीर में अजीब सी हलचल होना शुरू हो जाती हैं
gajab
 
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