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Achha update h bhaiUPDATE 13
उस हादसे के बाद रीना और रागिनी जैसे टूट सी गई थी दोनों बहने उस रात से एक ही कमरे में एक साथ दो गई थी उनके साथ रीना की दोनों बेटी सोनम और पूनम भी साथ थी जबकि रीना और रागिनी को इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी से बात कर सके आज उनका भी वैसा ही हाल था जैसे उस रात के हादसे से पहले साहिल का हाल था जिसे कोई बात नहीं करता था उस रात साहिल ने गुस्से में भले ही अपनी मां सुमन को देख के बोल रहा था लेकिन साहिल की कही बात से राघव और सुरेश सोचने पर मजबूर हो गए थे कि वो गुस्से में आके क्या करने जा रहे थे अपने बच्चों के बारे में ना सोच के की उनके इस फैसले से बच्चों पर क्या असर पड़ेगा इसीलिए वो भी शांत हो गए और उन्होंने सोच लिया था कि बच्चों की वजह से वो चुप रहेंगे लेकिन अपनी बीवी से किसी प्रकार का कोई मतलब नहीं रखेंगे जबकि इस वक्त एक कमरे में साहिल की दोनों बुआ सुनीता और अमृता और दादी बात कर रहे थे आपस में...
अमृता – (सरला देवी से) मा आखिर बात क्या है इतने सालों से आप क्या छुपा रही हो कौन है वो जिसने पिता जी को मारा है और क्यों साहिल के साथ इतने सालों से ये ज्यादती हुई आखिर क्यों मा...
दादी – ज्यादती करने वाले भी कौन है सब अपने ही तो है जो बिना कुछ सोचे समझे पड़ गए एक बच्चे के पीछे हाथ धो के इतना भी नहीं सोचा किसीने उस वक्त तो अब क्यों सोचना सिर्फ इसीलिए क्योंकि कल रात साहिल को अटैक से होश आने के बाद उसने जो बोला इस बात से साहिल बेगुनाह होगया ये भी हो सकता है साहिल नाटक कर रहा हो सभी को दिखाने के लिए क्यों अमृता...
अमृता – मा अब तुम बात को मत बदलो मेरे मन में साहिल के लिए ऐसा कुछ नहीं था कभी भी...
दादी – अच्छा तो तेरे बच्चों के मन में कहा से आ गया साहिल के लिए इतना कुछ , अब ये मत बोलना कि मै झूठ बोल रही हूँ कल सब कुछ मैने अपनी आंखों से देखा और कानों से सुना है सभी बच्चों के मू से साहिल के लिए किस तरह जहर उगल रहे थे मुझे तो आज साहिल के लिए अपने फैसले पर भी शक हो रहा है कही साहिल को घर में ले जाके मै कही गलती तो नहीं कर रही हूँ...
अमृता – ऐसा क्यों सोच रही हो मा ऐसा कुछ नहीं होगा सब ठीक होगा...
दादी – जानती हु सब ठीक होगा क्योंकि आज साहिल पहले की तरह नहीं है वो पलट के वार और जवाब देना अच्छे से जनता है लेकिन क्या करू दादी के साथ मा हूँ उसकी चिंता रहेगी मुझे अपने बच्चे की...
अमृता – चिंता मत करो मा साहिल खुश रहेगा घर में सबके साथ और कोई कुछ नहीं करेगा साहिल के साथ मैने देखा है कल से सभी बच्चों ने कल रात जो देखा उसके बाद से कोई सोया नहीं सभी के मन में साहिल की बात चल रही है , मै जानती हु मा कि साहिल ने कुछ नहीं किया था ऐसा होता तो आप उसका साथ ना देती कभी और मै अपने पिता से बहुत प्यार करती हु मा आज भी बस एक बार बता दो मा कौन है जिसने पिता जी को मारा था...
दादी – अमृता तू जितनी बार पूछेगी मै जवाब नहीं दूंगी और अगर तुझे जवाब चाहिए तो पहले जा के साहिल के सवालों का जवाब देदे उसके सवालों का जवाब देने के बाद आना मेरे पास तब मै जवाब दूंगी तेरे सवाल का...
तभी इनकी बातों के बीच में कमल कमरे में आता है और सब चुप हो जाते है तब...
कमल – दादी आपने बुलाया मुझे...
दादी – (मुस्कुरा के) कमल तुम जानते हो मैने तुम्हे NGO से एडॉप्ट किस लिए किया था और क्यों पता है तुम्हे...
कमल – हा दादी साहिल के लिए किया था आपने मुझे एडॉप्ट...
दादी – नहीं कमल असल में उस वक्त मेरे दिमाग में ये ख्याल आया ही नहीं था लेकिन किसी और के मन में आया था वो तुझे एडॉप्ट करना चाहती थी उसको बेटा नहीं था उसने अपनी बेटी से वादा किया था कि उसके लिए भाई लाएगी और NGO में एक नजर में तू उसे भा गया लेकिन फिर उसी वक्त उसे साहिल का ख्याल आया तब उसने मुझे सारी बात बताई तब मैने तुझे एडॉप्ट किया था जनता है असल में एडॉप्ट के कागजात में तेरे मा बाप का नाम उनका ही है बस एडॉप्ट के बाद उन्होंने तुझे मुझे दे दिया था...
कमल – कौन है वो दादी...
दादी – (एक तरफ इशारा करके) ये मेरी बेटी सुनीता ये है तेरी मां...
कमल –(सुनीता को देख जिसकी आंख में आंसू थे जो कमल को देख रही थी) कल रात से मै यही सोच रहा था कि अगर आप साहिल की बुआ हो तो एक शहर में रहके आप क्यों नहीं आए कभी साहिल से मिलने जबकि दादी लगातार आती रहती थी सोचा आपसे पूछूं लेकिन कल रात जो हुआ उसके बाद मैने ध्यान नहीं दिया इस बात पे जबकि आपसे मै रोज मिलता था आपके रेस्टोरेंट में साहिल और मै रोज आते थे खाना खाने लेकिन आपने एक बार भी नहीं बताया कि आप कौन है...
सुनीता – कैसे बताती मै कल रात जो हुआ उसके डर से नहीं बताती थी मै जब भी तू अकेला आता था रेस्टोरेंट में बस उसी वक्त तेरा खाना देर से पैक करने को बोल देती थी ताकि बाते करती रहूं तुझसे और जब तुम साहिल के साथ खाना खाने आते थे रेस्टोरेंट में तब डर लगता था तेरे सामने आने में कही साहिल गुस्से की वजह से फिर से उसे अटैक ना आए...
बोल के सुनीता तुरंत कमल के गले लग जाती है रोने लगती है...
कमल – (सुनीता की आंख से आंसू पोछते हुए) इसीलिए आप हर बार कम पैसे लेती थी है ना...
सुनीता – अपने ही बच्चे को खाना खिलाने के पैसे कैसे लेती तुझे शक ना हो इसीलिए पैसे लिया करती थी...
कमल – मा...
सुनीता – (कमल को देख के) फिर से बोल...
कमल – मा...
बोल के गले लग गई कमल के सुनीता थोड़े देर बाद अलग होके...
सुनीता – मैने मा को बोल दिया है अब तू मेरे साथ रहेगा...
कमल – लेकिन मा मै साहिल को नहीं छोड़ सकता...
दादी – तू चिंता मत कर कमल बस एक काम करना मैने तेरे स्कूल में बात कर ली है बस तुझे अपने सर्टिफिकेट का बहाना बनाना होगा साहिल के सामने जब हम यहां से निकलेंगे घर के लिए तब तू अपनी मां सुनीता के साथ चले जाना घर पर कुछ दिन के लिए क्योंकि सुनीता का पति काम के सिलसिले से 2 साल के लिए अमेरिका जा रहा है उसके बाद सुनीता तेरे और बेटियों के साथ हमारे घर आ जाएगी रहने तब तक के लिए मै चाहती हूँ साहिल हमारे साथ अकेले रहे शायद कुछ हद तक उसकी कड़वाहट कम हो परिवार के लिए...
कमल – लेकिन दादी इस बीच साहिल को फिर से अटैक आया तब...
दादी – हम उसके साथ रहेंगे कमल उसकी मां सुमन और बहन कविता भी साथ है उसके...
कमल – क्या साहिल इनके साथ...
दादी – (बीच में) कोशिश करनी होगी बेटा सबको ताकि साहिल परिवार का हिस्सा बन जाय फिर से हमारे...
कमल – ठीक है दादी...
दादी – (सुनीता से) लो सुनीता मैने तुझे तेरा बेटा वापस दे दिया अब तू सम्भाल इस शैतान को बहुत तंग करता रहता है ये मुझे...
बोल के सभी मुस्कुराने लगे तब सुमन कमरे में आती जो बाहर से इनकी बाते सुन रही थी तब...
सुमन – (कमल के पास आके) शुक्रिया कमल तुमने इतने साल साहिल को संभाला उसके लिए (हाथ जोड़ के) मै...
कमल – (सुमन का हाथ पकड़ के) ये क्या कर रही है आप साहिल मेरा भाई है मैने उसे कभी गैर समझा ही नहीं बस थोड़ा सब्र रखिएगा आप बहुत नफरत है उसके दिल में परिवार के लिए जाने कैसे ये सब होगा मुझे समझ नहीं आ रहा है...
सुमन – वो जितनी नफरत कर ले मै सब सहन करूगी लेकिन अब दूर नहीं रहने दूंगी चाहे उसके लिए मुझे लड़ना क्यों न पड़े किसी से भी...
अमृता – (जो इतनी देर से चुप बैठी थी वो बोली सुनीता से) सारा क्रेडिट तूने और मा ने ले लिया मेरे बारे में कुछ नहीं बोला कितनी गलत बात है सुनीता भूल गई मैने ही कमल को ढूंढा था तेरे लिए...
सुनीता – नहीं दीदी आपको भला कैसे भूल सकती हूँ (कमल से) कमल जनता है अमृता दीदी ने बताया था तेरे बारे में मुझे तभी मै तुझे आई थी देखने अमृता दीदी के साथ...
कमल – (अमृता को ध्यान से देखते हुए) ओह तेरी की इसीलिए मै सोच रहा था कि आपको कहा देखा है मैने आप ही हमारे घर के सामने वाले फ्लैट में रहती हो ना...
अमृता – (मुस्कुरा के) हा बेटा मै ही रहती हु वहा पर और मैने ही मा को बोल के वो फ्लैट तुझे और साहिल को दिलवाया था रहने के लिए रेंट का बहाना बना के जिसे तुम समझते थे कि दादी देती रहती है रेंट मुझे...
कमल – (अमृता के गले लगते हुए) मानना पड़ेगा आप सबको पूरा फूलप्रूफ प्लान बनाया आप सब ने मेरे और साहिल के लिए किसी को पता तक चलने ना दिया...
अमृता – (मुस्कुरा के) अब तो पता चल गया ना तुझे बस साहिल को मत बताना अभी...
सुनीता – (अमृता से) लेकिन क्यों दीदी...
अमृता – (मुस्कुरा के) सुनीता ये कमल कुछ नहीं छुपाता है साहिल से इसीलिए मना कर रही थी साहिल को बताने के लिए वक्त आने पर सब बता देगे साहिल को सच....
दादी – (कमल से) चलो अच्छा अब काम पे लग जाओ तुम (सुनीता , अमृता और सुमन से) तुम लोग भी जाके तैयारी में लग जाओ शादी है 2 दिन बाद बहुत काम है अभी...
बोल के सब चले गए कमरे से जबकि इस तरफ साहिल हवेली के बाहर गया हुआ था राघव के साथ शादी के काम निपटाने में जैसे टेंट और डेकोरेशन वाले से बात करना शादी में क्या क्या और कैसे डेकोरेट करना है जबकि इस तरफ सही में लगने वाले बाकी जरूरी समानों को लेने में लगा हुआ था राघव जबकि साहिल की तरफ जब साहिल इन कामों को निपटा के खाली होके पेड़ की छांव में बैठा तब कोई आया साहिल के पास आते ही...
लड़की – कैसे हो साहिल...
साहिल – (पलट के सामने सेमेंथा को देख) अरे कहा थी तुम कल रात से दिखी नहीं...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) वही हॉल में थी साहिल सबके साथ जब तुम्हे अटैक आया...
साहिल – ओह शायद मेरा ध्यान नहीं गया होगा तुम पर खेर आओ बैठो तुम...
सेमेंथा – देख रही हूँ शादी के काम में लगे हुए हो तुम और तुम्हारे कपड़े तक खराब हो गए देखो कितनी मिट्टी लगी हुई है तुम्हारे कपड़ो में...
साहिल – (मुस्कुरा के) काम की भागा दौड़ी में ये सब चलता रहता है सेमेंथा...
तभी सेमेंथा एक चुटकी बजाती है जिससे साहिल के कपड़े पहले जैसे सफ़ा हो जाते है तब...
सेमेंथा – (साहिल को देख मुस्कुरा के) अब ठीक लग रहे है कपड़े तुम्हारे...
साहिल – (अपने कपड़ो को देख जो सफा हो गए थे ये देख चौक के) ये कैसे हुआ...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने किया ये क्यों अच्छा नहीं लगा...
साहिल – (मुस्कुरा के) अरे मै तो भूल गया था तुम्हारे बारे में अच्छा और क्या क्या कर सकती हो तुम...
सेमेंथा – जो तुम चाहो वो कर सकती हूँ...
साहिल – अच्छा तो मुझे पानी पीना है मिलेगा...
तभी सेमेंथा चुटकी बजा के साहिल के सामने पानी की बोतल ले आती है तब...
साहिल – (पानी पी के) अरे वाह तुम तो सच में कमाल की हो सेमेंथा अच्छा तब तो तुम्हे कोई दिक्कत नहीं होती होगी ना जब प्यास लगे तो चुटकी बजा के पानी पी लिया जब भूख लगे तो चुटकी बजा के खाना खा लिया क्यों...
सेमेंथा – नहीं साहिल मै ये सब इस्तमाल नहीं करती हु...
साहिल – क्या मतलब इस बात का...
समेंथा – साहिल मै इन सबका इस्तमाल नहीं करती हु क्योंकि जब मुझे परी लोक से निकाला गया था तब मेरी मां ने मुझे (अपने हाथ में अंगूठी दिखाते हुए साहिल को) ये अंगूठी दी थी ताकि मुझे इन सब चीजों का इस्तमाल करने को जरूरत न पड़े लेकिन...
साहिल – लेकिन क्या सेमेंथा...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) जिस दिन मै अपने राजकुमार की हो जाऊंगी उस दिन से ये अंगूठी किसी काम की नहीं रहेगी तब मै भी इन सब चीजों का इस्तमाल करने लगूंगी...
साहिल – (मुस्कुरा के) ओह हो राजकुमार वाह क्या बात है...
सेमेंथा – चीड़ाओ मत साहिल....
साहिल – (मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है वैसे बहुत प्यार करती है तुम्हारी मां तुमसे सच में बहुत नसीब वाली हो तुम इतना सब तुम्हारे साथ होने के बाद भी तुम्हारी मां को तुम्हारी कितनी फिक्र थी इसीलिए उन्होंने तुम्हे तुम्हारी शक्ति नहीं ली साथ में ये अंगूठी दे दी...
समेंथा – (साहिल की बात सुन उसका मतलब समझ गई थी इसीलिए बात बदल के) अच्छा साहिल तुम्हारा काम हो गया यहां पे...
साहिल – हा हो गया मै हवेली जा रहा था...
सेमेंथा – ठीक है तुम चलो मै भी आती हूँ...
साहिल – क्यों साथ में नहीं चलोगी...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) चलोगी साथ में लेकिन अभी मुझे जंगल जाना है किसी से मिलने....
साहिल – किसी से मिलने लेकिन तुमने तो कहा था तुम्हे कोई नहीं देख सुन सकता है...
सेमेंथा – तुम्हे सब बताऊंगी साहिल लेकिन अभी नहीं बस भरोसा रखो मुझपे जल्द ही तुम्हे बताऊंगी सब कुछ....
बोल के सेमेंथा वहां से गायब हो गई तब...
साहिल – (मुस्कुरा के) कमाल की लड़की है ये चलो इंतजार करूंगा इसकी भी बात जानने का...
बोल के हवेली की तरफ जाने वाले रस्ते में पैदल चलते रहे बाते करते हुए तभी साहिल के बगल से तेजी से 2 गाड़ी निकली जिस वजह से सड़क पर पड़ी मिट्टी उड़ते हुए साहिल पर आ गई तब...
साहिल – (गुस्से में चिल्ला के गाड़ी वाले को) सूरदास की औलाद अंधा है क्या...
तभी दोनों गाड़िया अचानक से रुक गई तब उसमें में एक बुद्धा आदमी निकला साथ ही 4 पहलवान और आखिर में एक आदमी जिसने काफी महंगे कपड़े पहने थे जैसे कोई बहुत बड़ा बिजनेसमैंन हो इसके साथ एक और आदमी निकला उसके जैसे कपड़े पहने हुए था...
New introduction villian...
लाला – उम्र 65 धीरेन्द्र के गांव का एक रसूखदार और घमंडी इंसान कहने को तो शहर में इसका काफी बड़ा कारोबार है लेकिन असल में इसके सारे काम गैर कानूनी है जैसे ड्रग्स , किडनैपिंग अपने ट्रांसपोर्ट के जरिए स्मगलिंग करना , नकली दवाई बनाना सभी गैर कानूनी काम है इसके लेकिन कोई नहीं जानता इस बारे में अगर कोई भी ऐसी बात होती है तो ये पुलिस और नेताओं की जेब भर देता है जिस वजह से शहर हो या गांव इसकी एक अच्छी छवि बनी हुई है हर जगह पर....
मुनीम – उम्र 60 साल ये है लाला का मुनीम जो उसके सारे गैर कानूनी कामों का लेखा जोखा रखता है ये हर वक्त लाला के साथ रहता है....
लाल का परिवार...
विजय (बड़ा बेटा) – उम्र 55 अपने बाप के साथ सारे गैर कानूनी काम करता है इसने अपने बाप के सारे गैर कानूनी काम को अपने दिमाग से खड़ा किया हुआ है लेकिन कहते है ना कमीने इंसानों को ही संस्कारी स्त्री लिखी होती है वैसा ही हाल कुछ इसका है तभी इसके जैसे कमीने इंसान को राधिका जैसे सुंदर और सुशील लड़की मिली थी....
राधिका (विजय की बीवी) – उम्र 40 सुंदर सुशील और शांत किस्म की औरत इसे सिर्फ अपने दोनों बच्चों से मतलब है और अपने पति से बेहद नफरत करती है....
आनंद (विजय और राधिका का एक लौटा बेटा) – उम्र 26 पहले ये बहुत ही अच्छा और सीधा साधा था लेकिन फिर इसके बाप ने इसे एक आवारा इंसान बना दिया जिसे औरतों और लड़कियों का बहुत शौक है अपनी राते रंगीन करने के लिए शहर में रह के इसने औरतों को लड़कियों को बिस्तर में ले आया बिल्कुल अपने बाप की तरह...
सिमी – उम्र 20 एक सीधी सादी अच्छी लड़की बिल्कुल अपनी मां की तरह...
बाकी लाला के कई पहलवान है जो इनकी रक्षा के लिए है इनके साथ...
लाला – (अपनी गाड़ी उतर साहिल को देख के मुनीम से) कौन है ये मुनीम शकल बड़ी जानी पहचानी लग रही है इसकी...
तभी गाड़ियों की आवाज सुन के खेत में काम कर रहे कुछ गांव वाले आते है देखने...(ये वही गांव वाले थे जिन्होंने कमल को रोक था जंगल में जाने से तब ये साहिल से मिले थे जहां राघव भी था उस वक्त उनके साथ तब राघव ने बताया था गांव वालो को साहिल के बारे में)...
तब...
मुनीम – (साहिल से) ए लौंडे कौन है तू जनता नहीं इनको कौन है ये...
गांव वाला – (बीच में आके लाला के सामने हाथ जोड़ के) माफ करिएगा लाला जी ये लड़का नया है गांव में ये आपके बारे में नहीं जानता है...
लाला – अच्छा वैसे है कौन ये लड़का इसकी शकल बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है...
गांव वाला – लाला जी ये स्वर्गीय प्रताप जी का पोता है इसका नाम साहिल है ये धीरेन्द्र जी की बेटी की शादी में आया है यहां पर...
गांव वाले के मू से प्रताप का नाम सुन साथ ये जान के की ये उसका पोता है तभी लाला की गुस्से में आंखे लाल होने लगी लेकिन गांव वालो के सामने कुछ बोलना सही नहीं समझा लाला ने तब...
लाला – (साहिल से) तो तुम प्रताप के पोते और रनवीर के बेटे हो तभी तुम्हारी शकल जानी पहचानी सी लग रही है बिल्कुल अपने बाप रनवीर पे गए हो तुम , उसी की तरह घमंड और गुस्सा दिख रहा है तुम्हारे अंदर लेकिन शायद बड़ों से बात करने का सलीका नहीं है तुममें...
साहिल – (मुस्कुरा के) जब बड़ों का सलीका ही ऐसा हो अपने से छोटो के साथ तो छोटो का क्या कसूर इसमें...
लाला – (साहिल के उलटे जवाब से गुस्से को काबू में रखते हुए मुनीम से) चलो मुनीम यहां से...
गुस्से में साहिल को घूरते हुए लाला निकल गया अपनी गाड़ी से तब...
गांव वाला – (साहिल से) साहिल बेटा आपको इनके मू नहीं लगाना चाहिए था क्या आपको नहीं पता इनके बारे में...
साहिल – नहीं काका कौन है ये और ये इस तरह से बात क्यों कर रहे थे मेरे साथ...
गांव वाला – (साहिल की बात सुन समझ गया कि इसे कुछ नहीं पता इसीलिए बात बदल के) कुछ नहीं बेटा छोड़ो उसे और बताओ तुम कहा जा रहे हो अभी...
साहिल – काका मै हवेली जा रहा हूँ...
गांव वाला – अच्छा मै भी हवेली जा रहा हूँ धीरेन्द्र जी से काम है मुझे चलो साथ में चलते है...
गांव वाले की इस तरह से बात को टालता देख साहिल कुछ नहीं बोला उससे लेकिन उसे समझ आ गई थी ये बात की उससे कुछ तो छुपाया जा रहा है लेकिन अभी साहिल ने ये बात करना जरूरी नहीं समझा , गांव वाले के साथ हवेली निकल आया साहिल और हवेली के अन्दर चला गया तभी गांव वाले को धीरेन्द्र जी दिखे हाल में बैठे हुए जहां साहिल सीडीओ से अपने कमरे में जा रहा था वही हाल में धीरेन्द्र के साथ दादी , राजेश और धीरज बैठे बाते कर रहे थे तभी...
गांव वाला – (धीरेन्द्र के पास आके) प्रणाम मालिक...
धीरेन्द्र – अरे भाई क्या बात है आज यहां का रास्ता कैसे भूल गए तुम...
गांव वाला – बात ही कुछ ऐसी है मालिक इसीलिए आना पड़ा मुझे...
धीरेन्द्र – ऐसी क्या बात है घर में सब कुशल मंगल है ना...
गांव वाला – घर में सब ठीक है मालिक वो अभी रस्ते में (फिर जो हुआ सब बता के) बस इसीलिए साहिल के साथ यहां तक आया उसे छोड़ने के लिए...
धीरेन्द्र – (गांव वाले की सारी बात सुन के) तुमने ये बहुत अच्छा किया जो तुम आ गए साहिल के साथ गलती मेरी है मुझे ध्यान रखना चाहिए था इस बात का खेर मेरा एक काम कर दो तुम 2 दिन बाद शादी है यहां और उसके बाद सब चले जाएंगे यहां से तब तक के लिए तुम अपने लोगों को बोल देना वो नजर रखे हर किसी पर और कोई ऐसी वैसी बात लगे तो फ़ौरन बता देना मुझे या राघव को...
गांव वाला – जी मालिक अच्छा इजाजत दीजिए मुझे फिर मिलते है...
बोल के चला गया गांव वाला उसके जाते ही...
राजेश – क्या बात है मामा जी...
धीरेन्द्र – शादी के काम काज के चक्कर में मै भूल गया था लाला के बारे में राजेश...
धीरज – (लाला का नाम सुन) ये अभी तक इसी गांव में है...
धीरेन्द्र – हा बेटा और कहा होगा लाला आज तो अनजाने में सही लाला की मुलाकात साहिल से हुई है...
राजेश – मामा जी मुझे नहीं लगता लाला कुछ भी ऐसी वैसी हरकत करेगा...
धीरेन्द्र – हम्ममम बात सही है तुम्हारी राजेश लेकिन कुत्ते की पूछ का कोई भरोसा नहीं होता है उम्मीद करता हु तुम्हारी बात सही हो राजेश...
जबकि इस तरफ साहिल जैसे ही कमरे में आया अपने सामने किसी को देख...
साहिल –(हैरानी से) तुम यहां पर...
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जारी रहेगा![]()
Sahil ke room main kon thaUPDATE 13
उस हादसे के बाद रीना और रागिनी जैसे टूट सी गई थी दोनों बहने उस रात से एक ही कमरे में एक साथ दो गई थी उनके साथ रीना की दोनों बेटी सोनम और पूनम भी साथ थी जबकि रीना और रागिनी को इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी से बात कर सके आज उनका भी वैसा ही हाल था जैसे उस रात के हादसे से पहले साहिल का हाल था जिसे कोई बात नहीं करता था उस रात साहिल ने गुस्से में भले ही अपनी मां सुमन को देख के बोल रहा था लेकिन साहिल की कही बात से राघव और सुरेश सोचने पर मजबूर हो गए थे कि वो गुस्से में आके क्या करने जा रहे थे अपने बच्चों के बारे में ना सोच के की उनके इस फैसले से बच्चों पर क्या असर पड़ेगा इसीलिए वो भी शांत हो गए और उन्होंने सोच लिया था कि बच्चों की वजह से वो चुप रहेंगे लेकिन अपनी बीवी से किसी प्रकार का कोई मतलब नहीं रखेंगे जबकि इस वक्त एक कमरे में साहिल की दोनों बुआ सुनीता और अमृता और दादी बात कर रहे थे आपस में...
अमृता – (सरला देवी से) मा आखिर बात क्या है इतने सालों से आप क्या छुपा रही हो कौन है वो जिसने पिता जी को मारा है और क्यों साहिल के साथ इतने सालों से ये ज्यादती हुई आखिर क्यों मा...
दादी – ज्यादती करने वाले भी कौन है सब अपने ही तो है जो बिना कुछ सोचे समझे पड़ गए एक बच्चे के पीछे हाथ धो के इतना भी नहीं सोचा किसीने उस वक्त तो अब क्यों सोचना सिर्फ इसीलिए क्योंकि कल रात साहिल को अटैक से होश आने के बाद उसने जो बोला इस बात से साहिल बेगुनाह होगया ये भी हो सकता है साहिल नाटक कर रहा हो सभी को दिखाने के लिए क्यों अमृता...
अमृता – मा अब तुम बात को मत बदलो मेरे मन में साहिल के लिए ऐसा कुछ नहीं था कभी भी...
दादी – अच्छा तो तेरे बच्चों के मन में कहा से आ गया साहिल के लिए इतना कुछ , अब ये मत बोलना कि मै झूठ बोल रही हूँ कल सब कुछ मैने अपनी आंखों से देखा और कानों से सुना है सभी बच्चों के मू से साहिल के लिए किस तरह जहर उगल रहे थे मुझे तो आज साहिल के लिए अपने फैसले पर भी शक हो रहा है कही साहिल को घर में ले जाके मै कही गलती तो नहीं कर रही हूँ...
अमृता – ऐसा क्यों सोच रही हो मा ऐसा कुछ नहीं होगा सब ठीक होगा...
दादी – जानती हु सब ठीक होगा क्योंकि आज साहिल पहले की तरह नहीं है वो पलट के वार और जवाब देना अच्छे से जनता है लेकिन क्या करू दादी के साथ मा हूँ उसकी चिंता रहेगी मुझे अपने बच्चे की...
अमृता – चिंता मत करो मा साहिल खुश रहेगा घर में सबके साथ और कोई कुछ नहीं करेगा साहिल के साथ मैने देखा है कल से सभी बच्चों ने कल रात जो देखा उसके बाद से कोई सोया नहीं सभी के मन में साहिल की बात चल रही है , मै जानती हु मा कि साहिल ने कुछ नहीं किया था ऐसा होता तो आप उसका साथ ना देती कभी और मै अपने पिता से बहुत प्यार करती हु मा आज भी बस एक बार बता दो मा कौन है जिसने पिता जी को मारा था...
दादी – अमृता तू जितनी बार पूछेगी मै जवाब नहीं दूंगी और अगर तुझे जवाब चाहिए तो पहले जा के साहिल के सवालों का जवाब देदे उसके सवालों का जवाब देने के बाद आना मेरे पास तब मै जवाब दूंगी तेरे सवाल का...
तभी इनकी बातों के बीच में कमल कमरे में आता है और सब चुप हो जाते है तब...
कमल – दादी आपने बुलाया मुझे...
दादी – (मुस्कुरा के) कमल तुम जानते हो मैने तुम्हे NGO से एडॉप्ट किस लिए किया था और क्यों पता है तुम्हे...
कमल – हा दादी साहिल के लिए किया था आपने मुझे एडॉप्ट...
दादी – नहीं कमल असल में उस वक्त मेरे दिमाग में ये ख्याल आया ही नहीं था लेकिन किसी और के मन में आया था वो तुझे एडॉप्ट करना चाहती थी उसको बेटा नहीं था उसने अपनी बेटी से वादा किया था कि उसके लिए भाई लाएगी और NGO में एक नजर में तू उसे भा गया लेकिन फिर उसी वक्त उसे साहिल का ख्याल आया तब उसने मुझे सारी बात बताई तब मैने तुझे एडॉप्ट किया था जनता है असल में एडॉप्ट के कागजात में तेरे मा बाप का नाम उनका ही है बस एडॉप्ट के बाद उन्होंने तुझे मुझे दे दिया था...
कमल – कौन है वो दादी...
दादी – (एक तरफ इशारा करके) ये मेरी बेटी सुनीता ये है तेरी मां...
कमल –(सुनीता को देख जिसकी आंख में आंसू थे जो कमल को देख रही थी) कल रात से मै यही सोच रहा था कि अगर आप साहिल की बुआ हो तो एक शहर में रहके आप क्यों नहीं आए कभी साहिल से मिलने जबकि दादी लगातार आती रहती थी सोचा आपसे पूछूं लेकिन कल रात जो हुआ उसके बाद मैने ध्यान नहीं दिया इस बात पे जबकि आपसे मै रोज मिलता था आपके रेस्टोरेंट में साहिल और मै रोज आते थे खाना खाने लेकिन आपने एक बार भी नहीं बताया कि आप कौन है...
सुनीता – कैसे बताती मै कल रात जो हुआ उसके डर से नहीं बताती थी मै जब भी तू अकेला आता था रेस्टोरेंट में बस उसी वक्त तेरा खाना देर से पैक करने को बोल देती थी ताकि बाते करती रहूं तुझसे और जब तुम साहिल के साथ खाना खाने आते थे रेस्टोरेंट में तब डर लगता था तेरे सामने आने में कही साहिल गुस्से की वजह से फिर से उसे अटैक ना आए...
बोल के सुनीता तुरंत कमल के गले लग जाती है रोने लगती है...
कमल – (सुनीता की आंख से आंसू पोछते हुए) इसीलिए आप हर बार कम पैसे लेती थी है ना...
सुनीता – अपने ही बच्चे को खाना खिलाने के पैसे कैसे लेती तुझे शक ना हो इसीलिए पैसे लिया करती थी...
कमल – मा...
सुनीता – (कमल को देख के) फिर से बोल...
कमल – मा...
बोल के गले लग गई कमल के सुनीता थोड़े देर बाद अलग होके...
सुनीता – मैने मा को बोल दिया है अब तू मेरे साथ रहेगा...
कमल – लेकिन मा मै साहिल को नहीं छोड़ सकता...
दादी – तू चिंता मत कर कमल बस एक काम करना मैने तेरे स्कूल में बात कर ली है बस तुझे अपने सर्टिफिकेट का बहाना बनाना होगा साहिल के सामने जब हम यहां से निकलेंगे घर के लिए तब तू अपनी मां सुनीता के साथ चले जाना घर पर कुछ दिन के लिए क्योंकि सुनीता का पति काम के सिलसिले से 2 साल के लिए अमेरिका जा रहा है उसके बाद सुनीता तेरे और बेटियों के साथ हमारे घर आ जाएगी रहने तब तक के लिए मै चाहती हूँ साहिल हमारे साथ अकेले रहे शायद कुछ हद तक उसकी कड़वाहट कम हो परिवार के लिए...
कमल – लेकिन दादी इस बीच साहिल को फिर से अटैक आया तब...
दादी – हम उसके साथ रहेंगे कमल उसकी मां सुमन और बहन कविता भी साथ है उसके...
कमल – क्या साहिल इनके साथ...
दादी – (बीच में) कोशिश करनी होगी बेटा सबको ताकि साहिल परिवार का हिस्सा बन जाय फिर से हमारे...
कमल – ठीक है दादी...
दादी – (सुनीता से) लो सुनीता मैने तुझे तेरा बेटा वापस दे दिया अब तू सम्भाल इस शैतान को बहुत तंग करता रहता है ये मुझे...
बोल के सभी मुस्कुराने लगे तब सुमन कमरे में आती जो बाहर से इनकी बाते सुन रही थी तब...
सुमन – (कमल के पास आके) शुक्रिया कमल तुमने इतने साल साहिल को संभाला उसके लिए (हाथ जोड़ के) मै...
कमल – (सुमन का हाथ पकड़ के) ये क्या कर रही है आप साहिल मेरा भाई है मैने उसे कभी गैर समझा ही नहीं बस थोड़ा सब्र रखिएगा आप बहुत नफरत है उसके दिल में परिवार के लिए जाने कैसे ये सब होगा मुझे समझ नहीं आ रहा है...
सुमन – वो जितनी नफरत कर ले मै सब सहन करूगी लेकिन अब दूर नहीं रहने दूंगी चाहे उसके लिए मुझे लड़ना क्यों न पड़े किसी से भी...
अमृता – (जो इतनी देर से चुप बैठी थी वो बोली सुनीता से) सारा क्रेडिट तूने और मा ने ले लिया मेरे बारे में कुछ नहीं बोला कितनी गलत बात है सुनीता भूल गई मैने ही कमल को ढूंढा था तेरे लिए...
सुनीता – नहीं दीदी आपको भला कैसे भूल सकती हूँ (कमल से) कमल जनता है अमृता दीदी ने बताया था तेरे बारे में मुझे तभी मै तुझे आई थी देखने अमृता दीदी के साथ...
कमल – (अमृता को ध्यान से देखते हुए) ओह तेरी की इसीलिए मै सोच रहा था कि आपको कहा देखा है मैने आप ही हमारे घर के सामने वाले फ्लैट में रहती हो ना...
अमृता – (मुस्कुरा के) हा बेटा मै ही रहती हु वहा पर और मैने ही मा को बोल के वो फ्लैट तुझे और साहिल को दिलवाया था रहने के लिए रेंट का बहाना बना के जिसे तुम समझते थे कि दादी देती रहती है रेंट मुझे...
कमल – (अमृता के गले लगते हुए) मानना पड़ेगा आप सबको पूरा फूलप्रूफ प्लान बनाया आप सब ने मेरे और साहिल के लिए किसी को पता तक चलने ना दिया...
अमृता – (मुस्कुरा के) अब तो पता चल गया ना तुझे बस साहिल को मत बताना अभी...
सुनीता – (अमृता से) लेकिन क्यों दीदी...
अमृता – (मुस्कुरा के) सुनीता ये कमल कुछ नहीं छुपाता है साहिल से इसीलिए मना कर रही थी साहिल को बताने के लिए वक्त आने पर सब बता देगे साहिल को सच....
दादी – (कमल से) चलो अच्छा अब काम पे लग जाओ तुम (सुनीता , अमृता और सुमन से) तुम लोग भी जाके तैयारी में लग जाओ शादी है 2 दिन बाद बहुत काम है अभी...
बोल के सब चले गए कमरे से जबकि इस तरफ साहिल हवेली के बाहर गया हुआ था राघव के साथ शादी के काम निपटाने में जैसे टेंट और डेकोरेशन वाले से बात करना शादी में क्या क्या और कैसे डेकोरेट करना है जबकि इस तरफ सही में लगने वाले बाकी जरूरी समानों को लेने में लगा हुआ था राघव जबकि साहिल की तरफ जब साहिल इन कामों को निपटा के खाली होके पेड़ की छांव में बैठा तब कोई आया साहिल के पास आते ही...
लड़की – कैसे हो साहिल...
साहिल – (पलट के सामने सेमेंथा को देख) अरे कहा थी तुम कल रात से दिखी नहीं...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) वही हॉल में थी साहिल सबके साथ जब तुम्हे अटैक आया...
साहिल – ओह शायद मेरा ध्यान नहीं गया होगा तुम पर खेर आओ बैठो तुम...
सेमेंथा – देख रही हूँ शादी के काम में लगे हुए हो तुम और तुम्हारे कपड़े तक खराब हो गए देखो कितनी मिट्टी लगी हुई है तुम्हारे कपड़ो में...
साहिल – (मुस्कुरा के) काम की भागा दौड़ी में ये सब चलता रहता है सेमेंथा...
तभी सेमेंथा एक चुटकी बजाती है जिससे साहिल के कपड़े पहले जैसे सफ़ा हो जाते है तब...
सेमेंथा – (साहिल को देख मुस्कुरा के) अब ठीक लग रहे है कपड़े तुम्हारे...
साहिल – (अपने कपड़ो को देख जो सफा हो गए थे ये देख चौक के) ये कैसे हुआ...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने किया ये क्यों अच्छा नहीं लगा...
साहिल – (मुस्कुरा के) अरे मै तो भूल गया था तुम्हारे बारे में अच्छा और क्या क्या कर सकती हो तुम...
सेमेंथा – जो तुम चाहो वो कर सकती हूँ...
साहिल – अच्छा तो मुझे पानी पीना है मिलेगा...
तभी सेमेंथा चुटकी बजा के साहिल के सामने पानी की बोतल ले आती है तब...
साहिल – (पानी पी के) अरे वाह तुम तो सच में कमाल की हो सेमेंथा अच्छा तब तो तुम्हे कोई दिक्कत नहीं होती होगी ना जब प्यास लगे तो चुटकी बजा के पानी पी लिया जब भूख लगे तो चुटकी बजा के खाना खा लिया क्यों...
सेमेंथा – नहीं साहिल मै ये सब इस्तमाल नहीं करती हु...
साहिल – क्या मतलब इस बात का...
समेंथा – साहिल मै इन सबका इस्तमाल नहीं करती हु क्योंकि जब मुझे परी लोक से निकाला गया था तब मेरी मां ने मुझे (अपने हाथ में अंगूठी दिखाते हुए साहिल को) ये अंगूठी दी थी ताकि मुझे इन सब चीजों का इस्तमाल करने को जरूरत न पड़े लेकिन...
साहिल – लेकिन क्या सेमेंथा...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) जिस दिन मै अपने राजकुमार की हो जाऊंगी उस दिन से ये अंगूठी किसी काम की नहीं रहेगी तब मै भी इन सब चीजों का इस्तमाल करने लगूंगी...
साहिल – (मुस्कुरा के) ओह हो राजकुमार वाह क्या बात है...
सेमेंथा – चीड़ाओ मत साहिल....
साहिल – (मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है वैसे बहुत प्यार करती है तुम्हारी मां तुमसे सच में बहुत नसीब वाली हो तुम इतना सब तुम्हारे साथ होने के बाद भी तुम्हारी मां को तुम्हारी कितनी फिक्र थी इसीलिए उन्होंने तुम्हे तुम्हारी शक्ति नहीं ली साथ में ये अंगूठी दे दी...
समेंथा – (साहिल की बात सुन उसका मतलब समझ गई थी इसीलिए बात बदल के) अच्छा साहिल तुम्हारा काम हो गया यहां पे...
साहिल – हा हो गया मै हवेली जा रहा था...
सेमेंथा – ठीक है तुम चलो मै भी आती हूँ...
साहिल – क्यों साथ में नहीं चलोगी...
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) चलोगी साथ में लेकिन अभी मुझे जंगल जाना है किसी से मिलने....
साहिल – किसी से मिलने लेकिन तुमने तो कहा था तुम्हे कोई नहीं देख सुन सकता है...
सेमेंथा – तुम्हे सब बताऊंगी साहिल लेकिन अभी नहीं बस भरोसा रखो मुझपे जल्द ही तुम्हे बताऊंगी सब कुछ....
बोल के सेमेंथा वहां से गायब हो गई तब...
साहिल – (मुस्कुरा के) कमाल की लड़की है ये चलो इंतजार करूंगा इसकी भी बात जानने का...
बोल के हवेली की तरफ जाने वाले रस्ते में पैदल चलते रहे बाते करते हुए तभी साहिल के बगल से तेजी से 2 गाड़ी निकली जिस वजह से सड़क पर पड़ी मिट्टी उड़ते हुए साहिल पर आ गई तब...
साहिल – (गुस्से में चिल्ला के गाड़ी वाले को) सूरदास की औलाद अंधा है क्या...
तभी दोनों गाड़िया अचानक से रुक गई तब उसमें में एक बुद्धा आदमी निकला साथ ही 4 पहलवान और आखिर में एक आदमी जिसने काफी महंगे कपड़े पहने थे जैसे कोई बहुत बड़ा बिजनेसमैंन हो इसके साथ एक और आदमी निकला उसके जैसे कपड़े पहने हुए था...
New introduction villian...
लाला – उम्र 65 धीरेन्द्र के गांव का एक रसूखदार और घमंडी इंसान कहने को तो शहर में इसका काफी बड़ा कारोबार है लेकिन असल में इसके सारे काम गैर कानूनी है जैसे ड्रग्स , किडनैपिंग अपने ट्रांसपोर्ट के जरिए स्मगलिंग करना , नकली दवाई बनाना सभी गैर कानूनी काम है इसके लेकिन कोई नहीं जानता इस बारे में अगर कोई भी ऐसी बात होती है तो ये पुलिस और नेताओं की जेब भर देता है जिस वजह से शहर हो या गांव इसकी एक अच्छी छवि बनी हुई है हर जगह पर....
मुनीम – उम्र 60 साल ये है लाला का मुनीम जो उसके सारे गैर कानूनी कामों का लेखा जोखा रखता है ये हर वक्त लाला के साथ रहता है....
लाल का परिवार...
विजय (बड़ा बेटा) – उम्र 55 अपने बाप के साथ सारे गैर कानूनी काम करता है इसने अपने बाप के सारे गैर कानूनी काम को अपने दिमाग से खड़ा किया हुआ है लेकिन कहते है ना कमीने इंसानों को ही संस्कारी स्त्री लिखी होती है वैसा ही हाल कुछ इसका है तभी इसके जैसे कमीने इंसान को राधिका जैसे सुंदर और सुशील लड़की मिली थी....
राधिका (विजय की बीवी) – उम्र 40 सुंदर सुशील और शांत किस्म की औरत इसे सिर्फ अपने दोनों बच्चों से मतलब है और अपने पति से बेहद नफरत करती है....
आनंद (विजय और राधिका का एक लौटा बेटा) – उम्र 26 पहले ये बहुत ही अच्छा और सीधा साधा था लेकिन फिर इसके बाप ने इसे एक आवारा इंसान बना दिया जिसे औरतों और लड़कियों का बहुत शौक है अपनी राते रंगीन करने के लिए शहर में रह के इसने औरतों को लड़कियों को बिस्तर में ले आया बिल्कुल अपने बाप की तरह...
सिमी – उम्र 20 एक सीधी सादी अच्छी लड़की बिल्कुल अपनी मां की तरह...
बाकी लाला के कई पहलवान है जो इनकी रक्षा के लिए है इनके साथ...
लाला – (अपनी गाड़ी उतर साहिल को देख के मुनीम से) कौन है ये मुनीम शकल बड़ी जानी पहचानी लग रही है इसकी...
तभी गाड़ियों की आवाज सुन के खेत में काम कर रहे कुछ गांव वाले आते है देखने...(ये वही गांव वाले थे जिन्होंने कमल को रोक था जंगल में जाने से तब ये साहिल से मिले थे जहां राघव भी था उस वक्त उनके साथ तब राघव ने बताया था गांव वालो को साहिल के बारे में)...
तब...
मुनीम – (साहिल से) ए लौंडे कौन है तू जनता नहीं इनको कौन है ये...
गांव वाला – (बीच में आके लाला के सामने हाथ जोड़ के) माफ करिएगा लाला जी ये लड़का नया है गांव में ये आपके बारे में नहीं जानता है...
लाला – अच्छा वैसे है कौन ये लड़का इसकी शकल बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है...
गांव वाला – लाला जी ये स्वर्गीय प्रताप जी का पोता है इसका नाम साहिल है ये धीरेन्द्र जी की बेटी की शादी में आया है यहां पर...
गांव वाले के मू से प्रताप का नाम सुन साथ ये जान के की ये उसका पोता है तभी लाला की गुस्से में आंखे लाल होने लगी लेकिन गांव वालो के सामने कुछ बोलना सही नहीं समझा लाला ने तब...
लाला – (साहिल से) तो तुम प्रताप के पोते और रनवीर के बेटे हो तभी तुम्हारी शकल जानी पहचानी सी लग रही है बिल्कुल अपने बाप रनवीर पे गए हो तुम , उसी की तरह घमंड और गुस्सा दिख रहा है तुम्हारे अंदर लेकिन शायद बड़ों से बात करने का सलीका नहीं है तुममें...
साहिल – (मुस्कुरा के) जब बड़ों का सलीका ही ऐसा हो अपने से छोटो के साथ तो छोटो का क्या कसूर इसमें...
लाला – (साहिल के उलटे जवाब से गुस्से को काबू में रखते हुए मुनीम से) चलो मुनीम यहां से...
गुस्से में साहिल को घूरते हुए लाला निकल गया अपनी गाड़ी से तब...
गांव वाला – (साहिल से) साहिल बेटा आपको इनके मू नहीं लगाना चाहिए था क्या आपको नहीं पता इनके बारे में...
साहिल – नहीं काका कौन है ये और ये इस तरह से बात क्यों कर रहे थे मेरे साथ...
गांव वाला – (साहिल की बात सुन समझ गया कि इसे कुछ नहीं पता इसीलिए बात बदल के) कुछ नहीं बेटा छोड़ो उसे और बताओ तुम कहा जा रहे हो अभी...
साहिल – काका मै हवेली जा रहा हूँ...
गांव वाला – अच्छा मै भी हवेली जा रहा हूँ धीरेन्द्र जी से काम है मुझे चलो साथ में चलते है...
गांव वाले की इस तरह से बात को टालता देख साहिल कुछ नहीं बोला उससे लेकिन उसे समझ आ गई थी ये बात की उससे कुछ तो छुपाया जा रहा है लेकिन अभी साहिल ने ये बात करना जरूरी नहीं समझा , गांव वाले के साथ हवेली निकल आया साहिल और हवेली के अन्दर चला गया तभी गांव वाले को धीरेन्द्र जी दिखे हाल में बैठे हुए जहां साहिल सीडीओ से अपने कमरे में जा रहा था वही हाल में धीरेन्द्र के साथ दादी , राजेश और धीरज बैठे बाते कर रहे थे तभी...
गांव वाला – (धीरेन्द्र के पास आके) प्रणाम मालिक...
धीरेन्द्र – अरे भाई क्या बात है आज यहां का रास्ता कैसे भूल गए तुम...
गांव वाला – बात ही कुछ ऐसी है मालिक इसीलिए आना पड़ा मुझे...
धीरेन्द्र – ऐसी क्या बात है घर में सब कुशल मंगल है ना...
गांव वाला – घर में सब ठीक है मालिक वो अभी रस्ते में (फिर जो हुआ सब बता के) बस इसीलिए साहिल के साथ यहां तक आया उसे छोड़ने के लिए...
धीरेन्द्र – (गांव वाले की सारी बात सुन के) तुमने ये बहुत अच्छा किया जो तुम आ गए साहिल के साथ गलती मेरी है मुझे ध्यान रखना चाहिए था इस बात का खेर मेरा एक काम कर दो तुम 2 दिन बाद शादी है यहां और उसके बाद सब चले जाएंगे यहां से तब तक के लिए तुम अपने लोगों को बोल देना वो नजर रखे हर किसी पर और कोई ऐसी वैसी बात लगे तो फ़ौरन बता देना मुझे या राघव को...
गांव वाला – जी मालिक अच्छा इजाजत दीजिए मुझे फिर मिलते है...
बोल के चला गया गांव वाला उसके जाते ही...
राजेश – क्या बात है मामा जी...
धीरेन्द्र – शादी के काम काज के चक्कर में मै भूल गया था लाला के बारे में राजेश...
धीरज – (लाला का नाम सुन) ये अभी तक इसी गांव में है...
धीरेन्द्र – हा बेटा और कहा होगा लाला आज तो अनजाने में सही लाला की मुलाकात साहिल से हुई है...
राजेश – मामा जी मुझे नहीं लगता लाला कुछ भी ऐसी वैसी हरकत करेगा...
धीरेन्द्र – हम्ममम बात सही है तुम्हारी राजेश लेकिन कुत्ते की पूछ का कोई भरोसा नहीं होता है उम्मीद करता हु तुम्हारी बात सही हो राजेश...
जबकि इस तरफ साहिल जैसे ही कमरे में आया अपने सामने किसी को देख...
साहिल –(हैरानी से) तुम यहां पर...
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जारी रहेगा![]()
Awesome updateUPDATE 1
DEVIL LOK
PART 1
आज डेविल लोक में काफी चहल पहल मची हुई थी जिसका कारण था आज डेविल लोक की रानी मा सुनंदा अपने दोनों बेटे आरव और BD में से किसी एक को डेविल लोक का प्रिंस बनाने जा रही थी जिस वजह से आज महल में काफी हलचल दिख रही थी डेविल लोक राज्य के जितने भी निवासी थे सभी महल के एक बड़े से हॉल में इकठ्ठा हुए थे और सभी के मुख में सिर्फ एक नाम था आरव का के तभी बिगुल बजने लगा जिसका मतलब था कि डेविल लोक की रानी महल में पधार रही है जिसके बाद सभी लोगों में शांति छा गई तभी महल के दरवाजे से रानी सुनंदा आने लगी अपने साथ अपने दोनों बेटे आरव और BD साथ ही आरव की बीवी परी साथ में BD की बीवी समारा भी इन सभी को एक साथ देख डेविल राज्य के रहने वाले सभी लोगों झुक गए चलते चलते रानी मा अपने सिंहासन के पास आ गई जहां डेविल लोक के कुलगुरु दयानंद ने रानी को प्रणाम किया जिसके बाद सुनंदा सिंहासन में बैठने के बजाय पलट के राज्य के लोगों से बोली....
सुनंदा – (सभी से) आप सभी का हम तहे दिल से स्वागत करते है आपके इस सम्मान का तहे दिल से आभारी हूँ जैसा कि आप जानते है आज हमारे दोनों सुपुत्रों का जन्म दिन है जिसके उपलक्ष्य में आज हमने ये फैसला किया है कि आज हम (अपने दोनों बेटो को देख) अपने दोनों सुपुत्रों में से किसी एक को डेविल राज्य का राजा चुनेंगे...
जिसके बाद रानी सुनंदा ने अपनी दासी को पास बुलाया जिसके हाथ में एक प्लेट पकड़े थी जिसमें ताज रखा था उस ताज को उठा के सुनंदा अपने दोनों सुपुत्रों के पास आ गई जहां आरव और BD सिर झुकाए खड़े थे तभी...
सुनंदा – (खुश होके आरव के सिर पे ताज पहना के) आज से हम अपने प्रिय सुपुत्र आरव को डेविल राज्य का राजा घोषित करते है....
जिसके बाद महल में आए राज्य के लोग खुशी से ताली बजाने लगे जिसके बाद रानी सुनंदा ने आरव का हाथ पकड़ के उसे राजा की गड्डी में बिठा उसका तिलक किया जिसे देख आरव खुशी से मुस्कुरा रहा था तब रानी सुनंदा ने प्यार से आरव की सिर पे हाथ फेर बोला...
सुनंदा – (खुशी से) मै शुरू से जानती थी कि तू ही इस राज्य को सम्भाल सकता है आज मै बहुत खुश हूँ तेरे लिए आरव बस अपने पिता की तरह आज से तुझे भी इस राज्य के लोगों की भलाई के लिए जो करना पड़े करना ताकि तेरे पिता को तुझपे फक्र हो...
अपनी मां की बाते सुन खड़ा होके अपनी मां सुनंदा को गले लगा लिया...
आरव – (आंख में आसू लिए) हम वादा करते है मां आपसे पिता जी की तरह हम अपने राज्य के लोगों की खुशी और भलाई के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे (अपने भाई BD को देख के) लेकिन मां हमारे भाई के लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) अब तो तुम राजकुमार हो इस राज्य के इसीलिए अपने भाई के लिए भी तुझे करना होगा...
आरव – (मुस्कुरा के) समझ गया मां (हॉल में सभी को देख के) इस खुशी के मौके पर हम एक महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहते है कृपया सभी ध्यान दे...
जिसके बाद पूरे हॉल में शांति छा जाती है अब सभी की निगाह डेविल प्रिंस आरव के देखते है सब तभी...
आरव – (अपने भाई BD के पास जाके) आज से हम अपने भाई BD को अपने रक्षक के साथ मुख्य सलाहार नियुक्त करते है...
जिसके बाद BD खुशी से आरव को गले लगा लेता है तब...
आरव – (धीरे से BD के कान में) हम जानते है भाई के आप राजा बनना चाहते थे और सच तो ये भी है कि आपके राजा बनने से सबसे ज्यादा खुशी हमें होती लेकिन आप जानते हो रानी मां के फैसले को टालना किसी के बस का नहीं है...
BD – (खुश होके धीरे से आरव के कान में) कोई बात नहीं भाई मुझे रानी मा के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है हमें भी बहुत खुशी हुई आपके राजा बनने से साथ ही आपने हमे इतनी इज्जत दी उसके लिए हमें बहुत खुशी हुई कि हम आपके हर फैसले पे आपके साथ रहेंगे...
बोल के दोनों भाई हस्ते हुए अलग होते है जिसके बाद BD खुशी से आरव के सामने अपना सिर झुकता है जिसे देख आरव BD के कंधे को पकड़ उठा के गले लगता है जिसे देख रानी सुनंदा की आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगते है जिसे देख आरव की बीवी...
परी – (सुनंदा से) मा आपके आंखों में आंसू किस लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दोनों भाइयों का एक दूसरे के प्रति प्यार देख के आंसू आ गए बेटी मुझे लगा कही BD को हमारे फैसले से दुख न हो...
समारा – (दोनों की बाते सुन के) कैसी बाते कर रहे हो आप मां भला उन्हें दुख क्यों होगा भले ही आरव भैया राजा बन गए लेकिन आपके साथ उन्हें भी अपने भाई के लिए इतना कुछ सोचा जिसे उन्होंने पूरे राज्य के सामने अपना मुख्य सलाकार के साथ रक्षक नियुक्त किया मां भैया के इस फैसले से बहुत खुशी हुई कम से कम दोनों भाई एक साथ इस राज्य की भलाई के लिए फैसले ले सकेंगे...
सुनंदा – (समारा की बात सुन उसे गले लगा के) हा मेरी बच्ची तेरी इन बातों से तूने आज सच में मेरा दिल जीत लिया मेरी बच्ची...
बोल के समारा के माथे को चूम लेती है साथ पारी के माथे को भी...
जिसके बाद राज्य के सभी लोग एक एक करके रानी सुनंदा , राजा आरव और BD को मुबारक बाद देते है साथ ही रानी सुनंदा सभी को एक एक करके उपहार देती है जिसे ले सभी लोग खुशी खुशी आरव की जय जय कार करके महल के बाहर जाने लगते है जहां सभी के भोजन का इंतजाम किया गया था सभी के जाने के बाद डेविल लोक से आए उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राज्यों के राजाओं से भेट करते है जिनमें से दक्षिण और उत्तर के राजा की उम्र आरव के पिता की बराबर थी जबकि पूरब के पूर्व राजा के गुजरने के बाद उनके बेटे को राजा बनाया गया था जिसका नाम नागेन्द्र था तीनों मिल के आरव के पास आके उसे प्रणाम करते है साथ ही राजा बनने की बधाई देते है जिसके बाद तीनों रानी सुनंदा के पास जाते है उत्तर , दक्षिण और पूरब के राजा...
तीनों एक साथ – (रानी सुनंदा से) सुनंदा जी बहुत बहुत मुबारक हो आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) आपको भी...
तीनों एक साथ – सुनंदा जी इस शुभ अवसर पर क्या हम आपसे कुछ मांग सकते है...
सुनंदा – जी बिल्कुल कहिए...
तीनों एक साथ – जैसा कि आप जानती है आपके पति राजा हर्षवर्धन जी ने हम तीनों से वादा किया था कि अपने दोनों बेटो में किसी एक को राजा नियुक्त करने के बाद वो हम तीनों के की पुत्रियों से अपने बेटे का विवाह कराएंगे...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) जी हमे अच्छे से याद है उनका किया वादा और हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है राजन अगले दो दिन में ही हम अपने बेटे आरव की शादी आप तीनों राज्यों के राजा की पुत्री से करवाएंगे....
तीनों एक साथ – (मुस्कुरा के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया रानी सुनंदा जी....
सुनंदा – नहीं नहीं राजन इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है हमारे पति भी यही चाहते थे ताकि चारों राज्य एक साथ एक परिवार की तरह मिल के रहे वो तो खुद अपने पुत्र को राजा बनते उसका घर बसता देखना चाहते थे लेकिन तकदीर को शायद मंजूर नहीं था...
नागेन्द्र – कोई बात नहीं रानी मां हम मानते है चाचा जी अगर होते सबसे ज्यादा खुशी उनको होती आज सभा में , अफसोस मुझे भी होता है चाचा जी के ना होने का मेरे पिता के जाने के बाद हर्ष चाचा ने ही मुझे संभाला था मुझे हौसला दिया राज्य के प्रति मेरी जिम्मेदारियों से मुझे अवगत कराया आज मै अगर आपके समक्ष खड़ा हूँ तो सिर्फ हर्ष चाचा की वजह से ही वरना पिता की मृत्यु के बाद मै टूट सा गया था अगर चाचा वक्त पर न संभालते तो शायद आज मै भी राज्य के बाकी लोगों की तरह भीड़ का हिस्सा होता...
सुनंदा – (नागेन्द्र के सिर पे हाथ फेर के) तुम्हारे चाचा ने जो किया सिर्फ इसीलिए क्योंकि तुम्हारे पिता जी और तुम्हारे चाचा बचपन के दोस्त थे उन दोनों ने हमेशा से सुख और दुख में एक दूसरे का साथ निभाया तो भला वो तुम्हे कैसे अकेले छोड़ देते बेटा....
सुनंदा की बाते सुन नागेंद्र ने तुरंत ही सुनंदा के पैर छू लिए...
सुनंदा – बस बेटा अपने पिता के दिखाई राह पे चलते रहना हमेशा ताकि उनको गर्व हो तुम्हे देख के...
नागेंद्र – जी रानी मां...
सुनंदा – (तीनों से) चलिए चल के भोजन करते है उसके बाद आप तीनों को भी तैयारी करनी है अगले दो दिन में आरव के ब्याह की...
सभी हसी खुशी एक साथ भोजन करते है जिसके बाद तीनों राज्य के राजा एक दूसरे से विदा लेके अपने अपने राज्य की ओर निकल जाते है रात के वक्त सभी अपने अपने कमरे में विश्राम कर रहे होते है तभी एक कमरे में रानी सुनंदा जाती है दरवाजा खटखटा ती है जिसे परी खोलती है सामने देख...
परी – (सुनंदा को देख के) मा आप आइए ना...
कमरे में आते ही...
सुनंदा – (परी से) आरव कहा है बेटी...
परी – मा वे अभी बाहर गए हुए है आते होगे....
सुनंदा – हम्ममम बेटी तुझसे एक बात करनी है अगर तुझे कोई एतराज न हो तो...
परी – मा भला आपकी बात से मुझे क्यों एतराज होगा आप निश्चित होके कहिए...
सुनंदा – परी आज तुमने सभा में सारी बात सुनी उसे लेके मै बात करने आई हूँ तुमसे...
परी – जी कहिए मा...
सुनंदा – परी आज सभा में जब हमने आरव की शादी की बात कही क्या तुम्हे मेरे फैसले पर कोई एतराज तो नहीं (इसे पहले परी कुछ बोलती सुनंदा ने आगे बात बोलदी) देखो परी हम जानते है आरव की शादी आपसे हुई है इसीलिए आपक पूरा हक बनता है आरव पर इसीलिए हमने आपसे पूछना बेहतर समझा अगर आपको एतराज हो तो हम तीनों राज्यों के राजाओं में माफी मांग लेगे...
परी – (अपनी आंख में आंसू लिए) मा हम जब से इस महल में बहू बन के आए थे तब से आपने कभी हमें बहू नहीं बेटी समझा कभी हमें एहसास नहीं होने दिया कि हम आपकी बेटी नहीं बहू है फिर भला अपनी मां की बात कैसे टाल सकते है मा हमें अपनी मां पर पूरा यकीन है अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं सोचेगी...
परी की बात सुन उसे गले लगा के....
सुनंदा – तूने आज मेरे मन के बोझ को हल्का कर दिया बेटी आज मुझे पता चला कि आरव तुमसे इतना अधिक प्रेम क्यों करता है (परी के सिर पे हाथ रख के) आज मै तुझे अपनी बराबर की शक्ति देती हु बेटी जिसे मैने अपनी बहू के लिए सम्भाल के रखा है (परी के सिर पे हाथ रख) मेरा आशीर्वाद है कि तेरा और आरव का प्रेम हमेशा के लिए बना रहेगा (सिर से हाथ हटा के) आरव की शादी के बाद हमारी आने वाली तीनों बहुवों का तेरे साथ खास रिश्ता बना रहेगा...
जिसके बाद एक रोशनी निकलती है सुनंदा के शरीर से जो परी के अंदर समा जाती है जिसके बाद...
सुनंदा – सही वक्त आने पर ये शक्ति खुद जागृत हो जाएगी बेटी....
परी – (सुनंदा के पैर छू के) मुझे आशीर्वाद दीजिए माजी मै चाहती हूँ आपका प्रेम हम सब के साथ सदैव ऐसे ही बना रहे...
सुनंदा –(मुस्कुरा के) मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा बेटी...
जिसके बाद सुनंदा कमरे से चली जाती है जिसके कुछ देर बाद आरव आता है कमरे में परी को देख जो बहुत खुश दिख रही थी...
आरव – क्या बात है परी आज तुम बहुत खुश लग रही हो...
परी – (आरव के पास आके) मै तो हमेशा से खुश रहती हु लेकिन आज आपको ऐसा क्यों लगा....
आरव – (परी को गले लगा के) कुछ नहीं मुझे लगा सो कह दिया...
परी – (आरव के गले से अलग होने की कोशिश करते हुए) हटिए अब मै बहुत थक गई हु सोने दीजिए मुझे...
आरव – (परी के गले लगे हुए) बस कुछ देर रहने दो ऐसे ही परी तुम्हारे गले लगते ही मुझे बहुत सुकून मिलता है जैसे शरीर को अजीब सी शांति मिलती है मेरे दिल को ऐसे लगता है बस तुम्हारी गोद में सिर रख के सोता रहूं...
परी – (मुस्कुरा के अलग होते हुए) आपको मना किसने किया है (आरव का हाथ पकड़ बेड में बैठ के आरव के सिर को अपनी गोद में रख उसके सिर पे हाथ फेरते हुए) मुझे भी अच्छा लगता है जब आप मेरी गोद में सिर रख के लेटे रहते है मन शांत हो जाता है मेरा भी...
आरव – (आंख बंद कर परी के गोद में सिर रखे हुए बोलता है) परी एक बात कहूं...
परी – हम्ममम कहिए....
आरव – सभा में मा के लिए मेरी शादी के फैसले से आपको एतराज तो नहीं...
परी – बिल्कुल नहीं मा ने जो किया सोच समझ के किया है फैसला मा कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहेगी...
आरव – क्या तुम्हे लगता है तीन शादी होने के बाद उनका तुम्हारे प्रति व्यवहार कही गलत हुआ तो...
परी – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं होगा...
आरव – और ऐसा क्यों...
नपरी – क्योंकि मुझे विश्वास है खुद पे और आप पर भी देखना हम चारों बहने बन के एक साथ रहेगी हम चारों का प्रेम आपके लिए कभी कम नहीं होगा...
आरव – (परी की बाते सुन के) परी मै वादा करता हु तुमसे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूंगा भले ही परिस्थिति कैसी भी हो....
परी – (मुस्कुरा के) अच्छा सोच लीजिए कही मुझे भूल गए तो...
आरव – (मुस्कुरा के) सोच लिया मेरी जान तुम्हे मै कभी नहीं भूल सकता हूँ और अगर कभी ऐसा हुआ तो तुम मुझे हमारा प्यार याद दिला देना कि मैं क्या हूँ तुम्हारा...
परी – अच्छा भला आपसे जबरदस्ती कैसे कर सकती हूँ मै आप तो बहुत ज्यादा ताकतवर हो...
आरव – लेकिन तुम्हारे प्यार से ज्यादा ताकत कहा मेरी जान...
दोनों मुस्कुरा के गले लग के सो जाते है....
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जारी रहेगा![]()
Shandar story haiUPDATE 2
DEVIL LOK
PART 2
एक कमरे में दो लोग आपस में बाते कर रहे थे..
औरत – (गुस्से में) आपने बोला क्यों नहीं कुछ भी सब कुछ आपकी आंखों के सामने होता चला गया आखिर क्यों चुप बैठे थे आप..
आदमी – (गुस्से में) तो तुम्हे क्या लगता है जो हुआ उससे मै बहुत खुश था नहीं बल्कि बदले की आग तो मेरे सीने में लग चुकी है पूरी तरह से जिससे इन दोनों मा बेटे को जला के खाक कर दूंगा...
औरत – उसे क्या होगा क्या ये राज्य मिल जाएगा आपको...
जी हा सही समझ रहे है ये दोनों कोई और नहीं B D और उसकी बीवी समारा है...
B D – हा मिल जाएगा क्योंकि आरव ने एक गलती कर दी है मुझे अपना रक्षक के साथ सलाहकार नियुक्त करके बस तुम देखती जाओ ये रक्षक कैसे भक्षक बन जाएगा...
समारा – तो आप रानी मा का क्या करोगे....
B D – हम्ममम उसी बात की चिंता हो रही है मुझे कैसे उस औरत को कैद करूं उसकी शक्ति हम दोनों भाइयों से काफी अधिक है पल भर में बच भी जाएगी साथ ही मिटा के रख देगी सभी को....
समारा – अब क्या करोगे आप....
B D – सिर्फ एक रास्ता है अब...
समारा – कौन सा रास्ता....
B D – योगिनी...
समारा – (चौक के) क्या ये कोई चुडैल है....
B D – (हस्ते हुए) वो चुडैल नहीं बल्कि योगिनी है जिसके तांत्रिक और अघोरियों के साथ रह के एक से एक विद्या हासिल की है तुम्हे शायद यकीन नहीं होगा ये बात जान के की वो पिछले तीन सौ सालों से मौत को धोखा देती आ रही है...
समारा – वो कैसे....
BD – हर बार उसका शरीर जब वृद्ध अवस्था में आ जाता है तभी वो एक दूसरा शरीर ढूंढती है ऐसा वैसा शरीर नहीं बल्कि स्वास्थ्य शरीर जो सिर्फ एक बच्चे का होता है जो नाबालिग हो उसे बहला फुसला के अपनी क्रिया करने लगते है जिसके बाद वो उस नाबालिग के शरीर पर अपना कब्जा कर लेती है इस क्रिया की वजह से ही वो इतने सालों से मौत को धोखा देती आ रही है....
समारा – अगर वो इतनी खतरनाक है तो वो यहां कैसे आ गई और आपको कैसे पता उसके बारे में....
B D – एक बार योगिनी अपनी क्रिया करने में लगी हुई थी तभी उस नाबालिग बच्चे के मा बाप उसे ढूंढते हुए योगिनी तक आ गए जब उन्होंने देखा योगिनी को जो अपना हाथ उस नाबालिग बच्चे की सिर पे रख के मंत्र पढ़ रही है तभी उनलोगों ने उसे मारना शुरू किया जिसकी वजह से मौका पा के योगिनी ने तुरंत एक मंत्र पढ़ा जिसके बाद जितने लोग उसे मार रहे थे वो सब राख बन गए उसी वक्त मै धरती पर ये नजारा देख रहा था तभी योगिनी की नजर मुझपे पढ़ी मुझे देखती वो जान गई थी मै कौन हूँ तब उसने मुझे मदद मांगी मैने बदले में उससे वादा लिया कि मेरे लिए काम करना है लेकिन कब क्या और कौन सा काम मै बाद बताऊंगा उसक बाद से मैने योगिनी को इस राज्य के बाहर सुनसान पहाड़ में बनी गुफा में रहने का इंतजाम किया मैने...
समारा – तो आप उससे मिलने जाएंगे...
B D – हा आज ही जाऊंगा मिलने उससे और तुम भी साथ चलोगी मेरे...
समारा – लेकिन मेरा क्या काम है वहां पर....
B D – सब पता चल जाएगा कुछ ही देर में सब सो जाएंगे तब हम चलेंगे योगिनी के पास....
समारा – उसके पास क्यों...
B D – वही हमे हमारी असली मंजिल तक जाने का रास्ता दिखाएगी (समारा से) क्या इस काम में तुम मेरा साथ दोगी...
समारा – आपकी खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकती हूँ...
B D – (मुस्कुरा के) हम्ममम...
जिसके कुछ समय बाद B D और समारा महल से चुपके से निकल गए उस पहाड़ी की ओर जहां पर योगिनी उनका इंतजार कर रही थी गुफा के अंदर आते ही दोनों की नजर एक तरफ पड़ी जहां सामने एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी आंखे बंद करके हवन कुंड के पास बैठी थी तभी उसकी आंख खुली अपने सामने B D और समारा को देख...
योगिनी – (मुस्कुरा के B D से) मै आप ही का इंतजार कर रही थी महाराज (समारा से) कैसी हो आप महारानी...
योगिनी की बात सुन B D मुस्कुराता है जबकि...
समारा – (थोड़ा चौक के) अच्छी हूँ और आप ये क्या...
योगिनी – (बीच में) आपके सारे सवालों का जवाब भी आपको जल्द ही मिल जाएगा महारानी (दोनों को एक तरफ इशारा करके) बैठिए यहां पर...
योगिनी के इशारों को समझ दोनों हवन कुंड के पास बैठ गए तब...
योगिनी – (दोनों से) अब बताइए क्या सेवा कर सकती हूँ मै आप दोनों की...
B D – तुम जानती हो योगिनी आज मैने क्या खोया है बस उसे पाना चाहता हूँ किसी भी हालत में...
योगिनी – हम्ममम और इस कम में क्या आपकी पत्नी आपका साथ देने को तैयार है....
समारा – हा मै अपने पति का साथ अपनी आखिरी सास तक दूंगी....
योगिनी – (मुस्कुरा के समारा से) बहुत अधिक प्रेम करती है आप अपने पति से महारानी....
समारा – हा जान से भी ज्यादा....
योगिनी – (मुस्कुरा के) लेकिन आपको जान देने की जरूरत नहीं है महारानी सिर्फ साथ देना है आपको क्या आप तैयार है...
समारा – हा हम तैयार है....
समारा की बात सुन के योगिनी के साथ B D भी मुस्कुराता है जिसके बाद...
योगिनी – (समारा से) ठीक है महारानी (अपना हाथ आगे कर समारा से) मेरा हाथ पकड़ लीजिए महारानी ताकि इस नेक काम की शुरुवात हम अभी से कर सके...
समारा – (योगिनी का हाथ पकड़ के) लेकिन इससे आप क्या करने वाली है...
योगिनी – (मुस्कुरा के) बहुत जल्द ही आपको पता चल जाएगा महारानी....
जिसके बाद योगिनी ने हवन कुंड के सामने मंत्र पढ़ते हुए दूसरे हाथ से आहुति देने लगी कुछ समय बाद समारा और योगिनी की आंखे बंद हो गई तभी समारा की आंख खुली तो अपने सामने B D को देख के....
समारा – (B D से) क्या हुआ मेरी आंख कैसे लग गई...
बोल के खड़ी होने लगी जिस वजह से समारा को कमर और पैर में दर्द होने लगा जिसके बाद...
समारा – (दर्द में करहाते हुए B D से) सुनिए जाने कैसे मेरे कमर और पैर में काफी दर्द हो रहा है....
तभी एक लड़की की आवाज आई...
लड़की – क्या हुआ महारानी...
आवाज सुन पलट के देखते हुए अचानक से समारा की आंखे बड़ी हो गई डर से...
समारा – (अपने सामने अपनी तरह दिखने वाली लड़की को देखते हुए हैरानी से) कौन हो तुम और तुम मेरी तरह कैसे दिख रही हो....
लड़की – (मुस्कुरा के आइने को समारा को दिखाते हुए) अब देख के बताइए आप महारानी क्या हम एक जैसे दिखते है या नहीं...
समारा – (आइने में अपनी जगह एक अधेड़ उम्र की औरत को देख) ये तो तुम हो लेकिन ये मै कैसे....
बोल के जैसे ही समारा ने B D और उस लड़की की तरफ देख जो हस रहे थे...
समारा – (दोनों हंसता हुए देख हैरान होके) हो क्या रहा है यहां आप दोनों हस क्यों रहे हो (लड़की से) क्या किया है तुमने मेरे साथ...
लड़की – (B D से) लगता है ये अभी तक नहीं समझ पाई है मेरे महाराज...
B D – (हस्ते हुए समारा से) मैने तुझसे कहा था ना कि योगिनी ही हमें हमारी मंजिल के रास्ता दिखाएगी और तुमने ही कहा था ना कि तुम मेरे साथ हो...
समारा – हा लेकिन....
B D – (बीच में) मेरी मंजिल का रास्ता तुझसे ही शुरू होता है समारा तेरे शरीर के बदले योगिनी मुझे डेविल की दुनिया का सबसे ताकतवर राजा बनाएगी जिसके बाद पूरे डेविल वार्ड का सिर्फ एक राजा होगा मै...
बोल के हंसने लगा साथ ही लड़की भी हंसने लगी दोनों की हसी की गूंज उठी थी जिसे देख के समारा डर से कंपनी लगी तब...
समारा – (BD से) लेकिन आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मै तो आपकी पत्नी हूँ आपसे प्यार करती हु...
B D – (हस्ते हुए) प्यार जैसा मेरी जिंदगी में कुछ नहीं है समारा , योगिनी को एक स्वस्थ और ताकत वार शरीर चाहिए था ताकि वो सदा के लिए जवान और ताकतवर रह सके जो एक इंसान में नहीं हो सकता है इसीलिए मैने योगिनी को एक स्वस्थ और ताकतवर शरीर देने का वादा किया जिसके बदले मुझे डेविल लोक का राजा बना देगी योगिनी इसीलिए तुझसे विवाह करने के बाद मैने तुझे छुआ नहीं क्योंकि मैं जनता था अगर मैने तेरे साथ मिलन किया तो तुझमें मेरी तरह ताकत आ जाएगी और साथ ही तेरा कुंवारा पन समाप्त हो जाएगा जो योगिनी नहीं चाहती थी जानती है क्यों , क्योंकि योगिनी तेरे शरीर को अपना बना के उसमें अपनी सालों की इक्कठा की शक्तियों को जागृत करेगी जिसके बाद मै उसे भोगूगा तब मेरी ओर योगिनी की शक्तियां मिल जाएगी जिसके बाद हम दोनों हमेशा के लिए इस लोक में राज करेंगे...
बोल के हंसने लगे दोनों जिसे देख समारा आसू बहने लगी तब...
योगिनी – (समारा को देख हस्ते हुए) ओह हो देखो तो कैसे आसू बहा रही है ये अरे बेवकूफ औरत तुझे खुश होना चाहिए तूने अपने पति के लिए क्या किया है नाज होना चाहिए तुझे खुद पे और तू रो रही है...
समारा – छल किया है मेरे साथ तुम दोनों ने मै रानी मा को सब कुछ बता दूंगी...
BD – (हस्ते हुए) वो तो तब होगा जब तू यहां से चल के निकल पाए पहले खड़ी होके चल के दिखा...
जिसके बाद समारा खड़ी होके चलने की कोशिश कर रही थी कुछ दूर चलने के बाद गिर गई समारा उसे दर्द होने लग अपने पैरों में जिसे देख BD और योगिनी हंसने लगे तब BD समारा को उठा के गुफा के बाहर एक पत्थर में बैठा के...
BD – (हस्ते हुए) बस आज रात की बात है उसक बाद कल सुबह का सूरज तूने देख लिया तो किस्मत तेरी नहीं तो (बोल के हंसने लगा)...
समारा – क्या मतलब है तुम्हारा...
योगिनी – (हस्ते हुए) मतलब ये कि मैने काली शक्तियों को पूजा में अपनी पूरी जिंदगी बिता दी जिस वजह से मुझे अंधेरे में रहना पड़ता है गलती से भी अगर मैं दिन के उजाले में आ गई तो मेरा शरीर जल के भस्म हो जाएगा अब तेरे पास कल सुबह तक का वक्त है बचा सकती है तो बचा ले खुद को क्योंकि अब तेरा शरीर तो मेरा होगया और मेरा शरीर तेरा...
बोल के B D और योगिनी हस्ते हुए एक साथ निकल गए वहां से छोड़ गए समारा को उसके हाल पर दोनों के जाने के बाद समारा मन ही मन खुद को कोस रही थी कि उसने जिसे अपना जीवन साथी माना उसी ने उसके साथ कितना बड़ा छल किया उसके प्यार का क्या सिला मिल रहा है उसे याद कर के आसू बहा थी समारा तभी समारा ने कुछ सोच के गुस्से में बोल उठी...
समारा – नहीं BD मै तुझे तेरी चाल में कभी कामयाब नहीं होने दूंगी मैं सारा सच बताऊंगी रानी मा को तेरा लेकिन उससे पहले मुझे खुद को बचाना होगा वरना रानी मा को कैसे सच बताऊंगी...
मन में सोचते हुए समारा ने हिम्मत करके पैर पर खड़े होके धीरे धीरे गुफा के अंदर जाने लगी ये सोच के की शायद उसे कुछ ऐसा मिल जाय जिससे उसे मदद मिल सके धीरे धीरे गुफा के अंदर आके समारा कुछ ढूंढने लगी कुछ देर बाद समारा को गुफा में एक तरफ पड़े भाले दिखे जिसे डीके समारा की आंखे में चमक आ गई क्योंकि वो भाले में डेविल का चिन्ह था जिसका मतलब ये भाले साधारण नहीं थे बल्कि महल की सुरक्षा करने वाले सैनिकों के इस्तमाल के लिए मिलते थे उन भालों को उठा उसमें उसमें कपड़ा बांधने लगती है जिससे हाथों की पकड़ बन सके जिसके सहारे समारा चल के महल की तरफ जा सके कुछ देर की मेहनत के बाद समारा ने आखिर कार भालों को तैयार कर लिया लेकिन अब उसके सामने सबसे बड़ी मुसीबत थी गुफा से बाहर निकल महल में जाने उसे काफी वक्त लग सकता है इस बीच सुबह हो गई तो शरीर जल के खाक हो जाएगा सूरज की किरणों से इसीलिए समारा से आज की रात और कल पूरा दिन भर गुफा में रहना ठीक समझा जिसके बाद समारा गुफा के अंदर इंतजार करने लगी अगली रात होने का...
जबकि इस तरफ BD और योगिनी दोनों महल में आ गए अपने कमरे में आते ही...
योगिनी – (BD के गले लगते हुए) सालों से इस पल की प्रतीक्षा कर रही थी मै...
BD – (मुस्कुरा के) मै भी योगिनी लेकिन क्या अभी हम आगे बढ़ना चाहिए...
योगिनी – आगे तो हम जरूर बढ़ेंगे लेकिन उससे पहले आपको इस महल का राजा बनना पड़ेगा और उसके लिए आपको चाहिए वो ताकत जिसके बाद आप राजा बनोगे...
BD – लेके कैसे योगिनी वो शक्तियों तो राजा को मिलती है जो आरव को मिलेगी उसके विवाह के वक्त...
योगिनी – (हस्ते हुए) मिल सकती है वो शक्ति आपको उसके लिए बस आपको अपनी मां को भोगना होगा...
BD – (चौक के) ये तुम क्या कह रही हो...
योगिनी – हा महाराज ये काम आपको करना होगा वैसे भी राजा का हक अपने राज्य की हर स्त्री पर होता है फिर वो आपकी मां क्यों ना हो...
BD –(मुस्कुरा के) उसे भोगने के बाद उसके जैसी सारी शक्ति मेरे पास आ जाएगी लेकिन ये होगा कैस...
योगिनी – (मुस्कुरा के) वो मै बताऊंगी आपको...
जिसके बाद दोनों मुस्कुराने लगे...
.
.
जारी रहेगा
Awesome updateUPDATE 3
DEVIL LOK
PART 3
अगली सुबह से डेविल लोक में चहल पहल मची हुई थी क्योंकि रानी मा अपने बेटे आरव की विवाह की तैयारी में लगी हुई थी अपने राज्य को लोगो को बोल के पूरे महल को सजाने का काम शुरू करवा दिया था जबकि इस तरफ आरव और उसकी बीवी परी दोनों इस वक्त महल के बाहर बने बगीचे में भी टहल रहे थे...
आरव – (परी के पैरों में बंधी पायल की झंकार सुन रहे थे जब वो आरव के बगीचे में टहल रही थी) तुम्हारी पायल की झंकार कितनी मधुर है परी जैसे ये पायल की झंकार ना हो के मेरे दिल की धड़कन हो...
परी – (मुस्कुरा के) ये पायल भी आपका दिया तोहफा है मेरे लिए...
आरव – एक बात बताओ परी विवाह के वक्त आप क्या पहनोगे...
परी – जो मेरे राजा बोलो वही...
आरव – मै चाहता हूँ कल विवाह के वक्त तुम्भी शादी का लाल जोड़ा पहनो साथ ही ये पायल भी...
परी – अच्छा फिर आप कहेंगे कि मंडप में भी बैठने साथ में...
आरव – (मुस्कुरा के) तुम सच में मेरे दिल की बात जान लेती हो परी....
परी – (मुस्कुरा के) हमारा विवाह तो पहले ही हो चुका है फिर कल क्यों....
आरव – क्योंकि मैं चाहता हूँ कल ही सबको पता चल जाए कि हमारी एक नहीं बल्कि 4 बीवियां है...
परी – (हस्ते हुए) वो तो वैसे भी सबको पता है लेकिन आपके मन में चल कुछ और रहा है...
आरव – (मुस्कुरा के) में चाहता हूँ कल तुम भी हमारे साथ मंडप में रहो तीनों बीवियों के साथ...
परी – नहीं मै सिर्फ आपके साथ अपना हर लम्हा बिताना चाहती हूँ सिर्फ आपके साथ अकेले में बाकी मंडप में मै आपके साथ रहूंगी ही हर वक्त और आप अब जिद नहीं करेंगे इस बात के लिए...
बोल के परी मुस्कुराने लगी...
आरव – (मुस्कुरा के) जैसी आपकी आज्ञा हो महारानी साहेबा लेकिन हम सिर्फ यही चाहते थे कि आप भी साथ रहे मंडप में ताकि आपको बुरा न लगे...
परी – मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मैं आपसे सबसे ज्यादा प्यार करती हु आपकी कोई भी बात मुझे कभी गलत नहीं लगेगी...
इन दोनों की बातों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा यहां जबकि महल के बाहर बनी गैलरी में इस वक्त BD और योगिनी ये दोनों मिल के आरव और परी को देख रहे थे प्यार भरी बाते करते हुए जिसे देख...
योगिनी – क्या सोच रहे है आप...
BD – बहुत खूबसूरत है परी और आज तो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है (योगिनी से) योगिनी मै परी को पाना चाहता हूँ किसी भी कीमत पर...
योगिनी – (मुस्कुरा के) लगता है दिल आ गया है आपका परी पे...
BD – जब से इसे देखा है तब से इसे पाने की लालसा जागी है दिल में...
योगिनी – (मुस्कुरा के) ओह तो आप परी को भोगना चाहत है...
BD – हा योगिनी...
योगिनी – (मुस्कुरा के) तब तो मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपका काम आसानी से बन जाय...
BD – और वो कैसे...
योगिनी – क्यों न मै अपनी तरह आपके शरीर को किसी के साथ बदल दू तो...
BD – मेरा शरीर किसके साथ बदलोगी...
योगिनी –आपके भाई आरव के साथ...
BD – (मुस्कुरा के) सच में अगर ऐसा हो गया तो...
योगिनी – तो दुनिया के लिए आरव सिर्फ नाम का राजा होगा असली राजा तो आप होगे और आप परी के साथ आरव की तीनों बीवियों को भोग सकेंगे...
BD – (खुश होके) उसके बाद मुझे मा का भी डर नहीं होगा सारी ताकत मेरे पास होगी...
योगिनी – नहीं भोगना तो आपको अपनी मां को भी पड़ेगा क्योंकि सिर्फ वही एक ऐसी दिक्कत है जो आपको रोक सकती है उनकी ताकत को आप कम आंकने की सोचना भी मत डेविल लोक की शक्तियां जब आपके अन्दर समाएगी जो राजा को मिलती है उसका अंदाजा आपको पूरी तरह से होने में कुछ वक्त लग सकता है लेकिन आपकी मां उतने में जाने क्या कुछ कर जाय जिससे आपकी इतने सालों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी...
BD – तो तुम बताओ कैसे भोगु उस औरत को...
योगिनी – उसके लिए कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे आपकी मां खुद राजी हो जाएं...
BD – कैसे होगा ये...
योगिनी – आज रात को ही मै अपनी सारी शक्तियों को पाने की क्रिया करूंगी ताकि मेरी सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो जाएं जिसके लिए मुझे ध्यान में जाना होगा आज रात को सबके सोने के बाद मै ये कार्य करूगी सुबह तक मेरा कार्य सफल हो जाएगा उसके बाद मै बताऊंगी क्या और कैसे करना है आपको...
एक तरफ योगिनी और BD मिल के योजना बना रहे थे डेविल लोक में खुद का राज कायम करने के लिए दूसरी तरफ आरव और परी इन सब बातों से अंजान अपनी प्रेम लीला में व्यस्त थे तीसरी तरफ रानी सुनंदा महल को सजाने की तैयारी में लगी थी अपने बेटे आरव के विवाह के लिए जबकि महल से दूर एक गुफा में समारा इंतजार कर रही थी सूरज ढलने का इन सब बातों से दिन बीत गया शाम होने को आई तब समारा भालों का सहारा लेके गुफा से बाहर निकल के महल की तरह जाने लगी जिसमें उसे काफी वक्त लग सकता है क्योंकि इस वक्त समारा एक अधेड़ उम्र की औरत के शरीर में थी जिसमें ताकत की कमी थी लेकिन समारा पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती जा रही थी...
रात के वक्त जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब...
योगिनी – (मतलब समारा अपनी दासी से जिसका नाम अग्निशा था) ए दासी सुन...
अग्निशा – (योगिनी याने समारा को देख) मन में – आज महारानी इस तरह से कैसे बात कर रही है मेरे से...
योगिनी (समारा) – सुनाई नहीं दे रहा है क्या तुझे बुला रही हूँ...
अग्निशा – (अपनी सोच से बाहर आके) जी महारानी...
योगिनी (समारा) – हमारा एक काम करो बाजार जाके (एक पत्रिका देते हुए) इसमें लिखे समान लेके आओ जल्दी से...
अग्निशा – महारानी इस वक्त कैसे आधी रात हो गई है अभी हर कोई अपने घर में आराम कर रहा होगा...
योगिनी (समारा) – तो उनको जगा देना बोल देना महल में ले जाना है समान कल राजा का विवाह है ना माने तो दंड मिलेगा...
बोल के योगिनी (समारा) चली जाती है उसे जाता हुए देख...
अग्निशा – (मन में) ये आज महारानी को क्या हो गया है इस तरह से कैसे बात कर रही है मुझसे इन्होंने आज तक तो कभी मुझे दासी नहीं कहा मेरा नाम लेके बुलाती थी...
सोचते सोचते अग्निशा चली गई महल के बाहर योगिनी (समारा) के लिए समान लेने जबकि दूसरी तरफ समारा धीरे धीरे चलते चलते महल की तरफ बढ़ती जा रही थी आखिर कार समारा की मेहनत रंग लाई वो महल के द्वार के बाहर तक आ गई थी द्वार में आके सोचने लगी कैसे महल के अंदर जया जाय लेकिन तभी समारा ने देखा उसकी दासी अग्निशा आ रही है बाहर से महल में जाने के लिए उसे देख....
समारा – (पुकारने हुए) अग्नि...
अग्निशा –(अपना नाम सुन आवाज की दिशा पे देखती है जहां एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखती है उसके पास जाके) कौन हो आप और आपको मेरा नाम कैसे पता...
समारा – मुझे ये भी पता है कि तेरा नाम अग्निशा है तुझे प्यार से अग्नि बोलती हूँ...
अग्निशा – लेकिन इस नाम से तो सिर्फ महारानी समारा पुकारती है मुझे...
समारा – मै जानती हु अग्नि मै ही तुझे इस नाम से पुकारती हु...
अग्निशा – क्या मतलब है आपका और आप है कौन कहा से आई है वो भी इतनी रात में...
समारा – मेरी बात ध्यान से सुनो अग्नि मै सच बोल रही हूँ मै ही समारा हूँ और जिसे तुम महल में देख रही हो वो शरीर मेरा है लेकिन आत्मा एक चुडैल की है जिसने मेरा शरीर छल से ले लिया...
अग्निशा – (कुछ न समझते हुए) क्या बोले जा रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है जाके आराम करो कल मिलना रात में राजा के विवाह में खाना भी मिलेगा सबको....
समारा – (अग्नि को अपनी बात का यकीन दिलाने के लिए बोलती है) अग्नि तुम्हारी मुद्रिका तुमसे खो गई थी न तब मैने ही अपनी मुद्रिका तुम्हे दी थी जिस वजह से आज भी तुम इस महल की दासी हो नहीं तो तुम्हे कब का निकाल दिया जाता...
तभी समारा की बात सुन अग्निशा के कदम रुक जाते है पलट के औरत को देख के...
अग्निशा – ये बात तो मेरे और महारानी समारा के इलावा कोई नहीं जानता है इसका मतलब आप सच में महारानी समारा हो...
समारा – हा अग्नि मै ही समारा हूँ और मेरे इलावा कौन तुझे अग्नि नाम लेके बुलाता है...
अग्निशा –(अपने मू पर हाथ रख के) आपके साथ ये किसने किया...
समारा – मै तुझे सब कुछ बताऊंगी अग्नि मुझे किसी तरह से बिना किसी की नजर में आए महल में ले चल रानी मा के पास...
अग्निशा – लेकिन इस वक्त सब सो रहे है ऐसे करिए आप मेरे साथ चलिए महल में मै बोल दूंगी द्वार पल को की मेरी मू बोली चाची हो आप....
BD और योगिनी इस बात से अंजान की उनकी चाल को नाकामयाब करने के लिए महल में समारा आ चुकी है जबकि योगिनी BD के साथ अपने कमरे में बैठ अपने ध्यान में लगीं हुई थी ताकि उसकी शक्तियां जागृत हो जाएं इस तरफ अग्निशा अपने साथ समारा को लिए महल में अन्दर अपने कमरे मे चली आती है जहां समारा को खाना खिला के आराम करने देती है अगले दिन सुबह तक योगिनी अपने शक्तियां हासिल कर लेती है...
योगिनी – (अपने ध्यान से खड़ी होके BD से) मै कामयाब हो गई ये देखिए (अपने हाथ में कंगन दिखा के) ये है मेरी शक्तियां...
BD – ये कंगन किस लिए...
योगिनी – (मुस्कुरा के) सालों में मैने जितनी शक्तियां हासिल की है एक बार में शरीर में धारण करना इतना आसान नहीं होता धीरे धीरे धारण की जाती है शक्तियां इसीलिए मैने अपनी सारी शक्तियों को इन कंगन में इक्कठा किया है (बोल के कंगन अपने हाथ में पहन के) आज रात से ही आपके मकसद को पूरा करेंगे हम मिल के...
बोल के दोनों मुस्कुराने लगे जबकि इस तरफ समारा बेड में लेती हुई थी अग्निशा के इंतजार में जो उसे बोल के गई थी कि किसी तरह रानी मा सुनंदा को लेके आएगी समारा के पास लेकिन अग्निशा की कोशिश के बावजूद वो सुनंदा के पास नहीं जा पा रही थी क्योंकि आज आरव के विवाह की तैयारी चल रही थी जिसमें महल के सभी कर्मचारी किसी ना किसी काम में लगे हुए थे धीरे धीरे करके रात होने को आई तब योगिनी ने रसोई घर में जाके जहां महल के सैनिकों के लिए भोजन बन रहा था उसने चुपके से बिना किसी की नजर में आए खाने में एक द्रव्य मिला दिया जिसके बाद BD के पास आके...
योगिनी – मैने सैनिकों के खाने में द्रव्य मिला दिया है अब महल के सैनिकों को वफादारी सिर्फ आपके प्रति होगी ना कि कीसी और के (द्रव्य देते हुए BD को) इसे पी केलीजिए इसके बाद सैनिक सिर्फ आपका हुकुम मानेंगे किसी गुलाम की तरह...
बात सुन BD उसे पी लेता है रात के वक्त महल के बाहर मंडप में एक तरफ आरव बैठा था उसके दूसरी तरफ पश्चिम राज्य के राजा की बेटी लिसा उत्तर राज्य के राजा की बेटी एंजिला और पूरब राज्य के राजा नागेंद्र की बहन शीना दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी जहां महल के कुलगुरु ज्ञानेन्द्र उनका विवाह करवा रहे थे जिसके बाद उन्होंने आरव को अपना हाथ आगे करने को बोला जिसके बाद आरव की चौथी पत्नी परी को बुला के उसके भी हाथ आगे करवाया और अब आरव की चारों पत्नियों को हाथ आगे कर आरव के हाथ में हाथ रखने को कहा तब कुल गुरु ज्ञानेन्द्र उसमें कमंडल से जल डाल के मंत्र पड़ने लगे जिसके बाद एक रोशनी आई जो सीधा जाके आरव , परी , लिसा , एंजिला और शीना के अन्दर समा गई जिसके बाद...
कुलगुरु ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के सभी से) विवाह पूर्ण हुआ...
जिसके बाद सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी तब आरव और उनकी पत्नियों ने सभी का आशीर्वाद लिया और भोजन करके महल की तरफ चले गए तभी मौका पाके अग्निशा रानी सुनंदा के पास जाती जहां उसके साथ इस वक्त महल के कुछ लोग साथ थे...
अग्निशा – (रानी सुनंदा से) रानी मां आपसे एक जरूरी बात कहनी है...
सुनंदा – हा बोलो क्या बात है...
अग्निशा – रानी मा मेरी मू बोली चाची आई हुई है वो आपसे मिलना चाहती है उनके पैरों में बहुत तकलीफ है क्या आप मेरे कक्ष में उनसे मिलेगी वो कल सुबह यहां से जाना चाहती है...
रानी सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है चलो हम जरूर मिलेगे उनसे...
बोल के सुनंद जाने लगती है अग्निशा के साथ उसके कक्ष में जबकि इस तरफ BD के कमरे में...
योगिनी – मैने तैयारी कर ली है महाराज क्या आप तैयार है राजा बनने के लिए....
BD – हा तैयार हूँ मै...
योगिनी – बस अब आपको किसी तरह अपने भाई से अकेले में मिलना होगा और जो मै बताऊंगी आपको वो करना होगा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीरी में होगे....
BD – लेकिन फिर आरव का क्या होगा....
योगिनी – (मुस्कुरा के BD से) ये लीजिए महाराज (हाथ में द्रव्य देते हुए साथ में कान में मंत्र बोलती है) जब आप अपने भाई से अकेले में मिलो तब आप इस द्रव्य को पी लीजिए गा और उसके बाद अपने भाई के सिर पे हाथ रख ये मंत्र पढ़िए गा जिसके बाद आप अपने भाई के शरीर में होगे और आपका भाई आपके मूर्छित शरीर में होगा जो इस द्रव्य से होगा मूर्छित...
जिसके बाद BD निकल जाता है आरव के कमरे की तरफ अपना काम करने के लिए जबकि इस तरफ योगिनी बहुत खुश होती ही तभी उसके दिमाग में ख्याल आता है समारा का...
योगिनी – (समारा को याद कर) ओह इस चक्कर में उस महारानी को कैसे भूल गई जरा पता तो लगाऊं जिंदा है या मर गई...
बोल के योगिनी ध्यान में चली जाती है और तभी गुस्से में अपनी आंख खोल देती है क्योंकि योगिनी ने देख लिया था समारा को जो इस वक्त महल में है रानी सुनंदा के साथ...
सुनंदा जैसे ही अग्निशा के कमरे में जाती है अपने सामने अधेड़ उम्र की औरत को देखती है तब अग्निशा , सुनंदा को सारी सच्चाई बताती है जिसे सुन पहले तो सुनंदा को यकीन नहीं होता जिसके बाद समारा के सिर पे हाथ रखती है तभी उसे झटका लगता है तब...
समारा – (सुनंदा के पैरों में गिर के) मुझे माफ कर दीजिए मा मैने बहुत बड़ी गलती कर दी...
सुनंदा – (समारा को संभालते हुए) नहीं मेरी बच्ची तूने कोई गलती नहीं की तू कहा जानती थी सच क्या था बस घबरा मत मेरी बच्ची अब मै आ गई हु कुछ नहीं होगा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूंगी तुझे (अग्निशा से) अग्निशा उस योगिनी के कमरे में जाके उसे किसी तरह यहां लेके आना होगा तुम्हे बोल देना रानी मा का आदेश है...
अग्निशा – जी रानी मा...
बोल के अग्निशा निकल जाती है कमरे से जबकि इस तरफ योगिनी ध्यान में ये सब देख तुरंत अपने कमरे से बाहर निकल दौड़ के जाके BD को रोक उसे सारी बात बता देती है जिसके बाद BD गुस्से में आ जाता है कमरे में आता है तब...
BD – (गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी हमने उस समारा को कम आका मैने...
योगिनी – ये वक्त इन सब बातों का नहीं है महाराज ये वक्त फैसला लेने का है अगर आपको राजा बनना है तो आपको अपने भाई आरव का शरीर नहीं बल्कि आपको खुद आरव को मारना होगा और उसकी जगह लेनी होगी...
BD – (गुस्से में) मंजूर है हमें...
योगिनी – (मन में मंत्र पड़ती है जिसके बाद उसके हाथ में एक तलवार आती है जिसे BD को देके) ये लीजिए महाराज तलवार इस तलवार के सामने किसी भी प्रकार की कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अपने गुलाम सैनिकों के साथ हमला बोल दीजिए जाके...
जिसके बाद BD निकल जाता है सैनिकों के साथ आरव के कमरे में लेकिन इससे पहले BD अपने कमरे से बाहर निकलता की तभी कमरे के बाहर खड़ी अग्निशा दोनों की सारी बात सुन लेती है जैसे ही BD कमरे से बाहर निकलने वाला होता है तभी अग्निशा दरवाजे से निकल जाती है रानी सुनंदा के कमरे में उन्हें सारी बात बता देती है तब...
सुनंदा – (अग्निशा से) तुरंत जाके रत्नेश को बुलाओ तुम मै जाती हु आरव के पास...
बोल के जैसे ही सुनंदा कमरे से बाहर निकलने को होती है तभी उसके सामने योगिनी आ जाती है जिसे देख...
योगिनी – (मुस्कुरा के) क्या बात है रानी मा बहुत जल्दी में है आप...
बोल के अपनी शक्ति से वर करती है योगिनी , सुनंदा पे लेकिन सुनंदा पे कोई असर नहीं होता लेकिन जब सुनंदा वार करती है शक्ति से तब कुछ नहीं होता जिसे देख...
योगिनी – (मुस्कुरा के) आपकी शक्ति को काट नही है मेरे पास रानी मा लेकिन कुछ पल के लिए रोक सकती हूँ आपकी शक्तियों को तब तक आपक बेटा अपना काम कर चुका होगा...
तभी योगिनी के पीछे से आके अग्निशा उसके सिर में वार करती है जिस वजह से योगिनी बेहोश हो जाती है जिसे देख...
सुनंदा – (योगिनी के शरीर को देख अग्निशा से) अग्निशा जल्दी से समारा को यहां लेके आओ...
जिसके बाद अग्निशा तुरंत समारा को लेके आती है सुनंदा के पास...
सुनंदा – (समारा से) जल्दी से अपना हाथ (योगिनी की तरफ इशारा करके) इसके हाथ में रखो...
जैसे ही समारा अपना हाथ योगिनी के हाथ में रखती है तभी सुनंदा समारा के शरीरी पे हाथ रख कुछ बोलती है और तुरंत समारा जाग जाती है जिसके बाद...
समारा – (सुनंदा से) मा मै वापस आ गई...
सुनंदा – (समारा और अग्निशा से) अग्निशा जाके रत्नेश को बुला के लेके आओ और समारा तुम इस औरत के शरीर को कमरे में बंद कर दो और इसके ये कंगन उतार फेक देना...
बोल के सुनंद निकल जाती है आरव के कमरे की तरफ जबकि इस तरफ जब सुनंदा और योगिनी का सामना हो रहा था तब BD आचुका था आरव के कमरे में जहां आरव अपनी चारों पत्नियों से बाते कर रहा था इस बात से अंजान काल के रूप में उसका भाई उसकी तरफ बढ़ता जा रहा है तभी आरव के कमरे में दरवाजा खटखटाया जाता है जिसे देख...
आरव – (दरवाजा खोल सामने अपने भाई को देख) क्या हुआ भाई इतनी रात में इस वक्त...
BD – (मुस्कुरा के) तुम्हे विवाह का तोहफा देने आया हु भाई...
बोल के आरव के सीने में तलवार उतार दी जिसे देख अचानक से आरव की चारों पत्नियों की चीख निकल गई तभी...
आरव ने दरवाजे से ही BD को एक लात मारी और दरवाजा बंद कर दिया सीने में तलवार लिए आरव ने अपनी चारों पत्नियों को बोला...
आरव – जितनी जल्दी हो सके निकल जाओ यहां से तुम चारों...
परी – (रोते हुए) मै आपको छोड़ के कही नहीं जाऊंगी...
आरव – परी ये वक्त रोने का नहीं है अपने साथ लिसा , शीना और एंजिला को बचाओ...
शीना – (रोते हुए) चाहे कुछ भी हो हम आपको छोड़ के कही नहीं जाएंगे....
इससे पहले आरव कुछ बोलता तभी आरव जमीन में गिर गया दर्द के चलते जिसे देख एंजिला ने आरव के सीने से तलवार को निकलने के लिए उसमें हाथ लगाया ही था कि तभी एंजिला को एक झटका लगा...
परी – क्या हुआ एंजिला....
एंजिला – (हैरानी से) दीदी ये काले जादू से बनी जहरीली तलवार है इसकी वजह से ही इनकी तकलीफ बढ़ती जा रही है...
लिसा – (बाते सुन के) हमे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए उससे हम इन्हें बचा सकते है...
तीनों की बात सुन के...
परी – कैसे करना है मै भी साथ दोगी तुम तीनों का...
लिसा – दीदी अपनी शक्ति का इस्तमाल करने के लिए आपको अपने दिल से उसे याद करिए तो शक्तियां काम करने लगेगी....
इसके बाद चारों मिल के कोशिश करते है लेकिन पहली बार में हर कोई कामयाब हो ऐसा मुमकिन नहीं लेकिन यहां पर ऐसा हुआ चारों की शक्तियों ने काम किया लेकिन तभी चारों को एक तेज झटका लगा क्योंकि जैसे ही शक्ति आरव के शरीर से टकराई वैसे पलट के वापस आ गई लेकिन तभी दरवाजा तोड़ने की कोशिश की जा रही थी बाहर से जिसे BD कर रहा था सैनिकों के साथ एक जोर दार झटके के साथ दरवाजा टूटा और BD कमरे में आने लगा तभी पीछे से सुनंदा ने आके BD के शरीर में अपनी शक्ति का वार किया जिसके बाद BD दूर जा के गिरा लेकिन तुरंत खुद को सम्भल के आरव की तरफ बढ़ने लगा उसके सीने से तलवार निकलने के लिए जबकि सुनंदा की नजर जैसे ही आरव पर पड़ी सब कुछ भूल के आरव के पास दौड़ पड़ी...
सुनंदा – (रोते हुए) आरव मेरे बच्चे मै तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...
बोल के सुनंदा तलवार को निकालने लगी आरव के शरीर से तलवार निकलते वक्त सुनंदा को कई झटके लग रहे थे लेकिन सुनंदा रुकी नहीं इस वक्त सुनंदा का पूरा ध्यान सिर्फ आरव के सीने से तलवार निकालने में था इस मौके का फायदा उठा के BD ने पास आके आरव की चारों पत्नियों को लात मार के दूर किया फिर सुनंदा को लात मार के दूर किया और एक झटके में आरव के शरीर से तलवार निकाल के उसके उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया ये नजारा देख परी बेहोश हो गई उसके साथ लिसा , शीना भी लेकिन एंजिला के जैसे पैर वही जम से गए जबकि सुनंदा ये नजारा देख जैसी उसका कलेजा फटने लग एक बेजान पुतले की तरह सिर्फ आरव के कटे सिर को देखती रही जबकि...
BD – (गुस्से में बोला) सोचा था प्यार से करूंगा ये काम लेकिन उस समारा की वजह से सारा खेल बिगड़ गया मेरा (परी , लिसा, अलीशा और एंजिला को देख के) कोई बात नहीं आरव न सही तो मै हूँ ना तुम चारों का पति वैसे भी भाई के बाद उसकी हर चीज पे अधिकार उसके भाई का ही होता है चारों के बाद (सुनंदा को देख) अपनी मां को भोग कर मै डेविल राज का राजा बन जाऊंगा पूरा डेविल राज्य सिर्फ मेरा होगा...
BD अपने भाई आरव को मार के खुशी से इतना कुछ बोले जा रहा था तभी उसके पीछे से सुनंद ने वार किया जिससे BD दूर जा गिरा इससे पहले सुनंदा वर करती तभी योगिनी आ गई समारा की गर्दन में चाकू लगा के....
योगिनी – (सुनंदा से) रुक जा वर्ना इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगी मै...
सुनंदा – (ये नजारा देख रुक जाती है और मन में बोलती है) मन में – गुरुदेव मदद करिए हमारी....
तभी BD खड़ा होके मुस्कुराने लगता है पास आके...
BD – (योगिनी से) योगिनी मुझे आज के आज ही सब कुछ हासिल करना है बदले में मै तुझे (सुनंदा की तरफ इशारा करके) इसका शरीर दूंगा...
योगिनी – (खुश होके) जरूर महाराज ऐसा ही होगा....
BD – (सुनंदा से) जिस राज्य में मेरा हक होना चाहिए था वो तूने अपने चहीते बेटे को दे दिया था ना देख तेरी वजह से क्या हाल हो गया तेरे चहीते बेटे का अगर तू चाहती है इसके आगे कुछ अनर्थ ना हो चुप चाप से बात मान जा मेरी वर्ना तेरे चहीते बेटे का जो हाल हुआ है उससे बुरा हाल करूंगा उसकी तीनों पत्नियों का...
बोल के जब BD ने देखा सुनंदा शांत है जिसे देख BD ने आगे कदम बढ़ाया आरव की चारों बीवियों की तरफ इससे पहले BD उन्हें छूता तभी राज गुरु ज्ञानेन्द्र प्रकट हो गए रत्नेश और अग्निशा के साथ आते ही उन्होंने अपनी छड़ी को जमीन में जोर से मारा जिस वजह से सुनंदा , परी , लिसा , एंजिला , शीना और समारा को छोड़ के BD और योगिनी दूर जा गिरे जब तक ये दोनों संभालते तब तक राज गुरु ज्ञानेन्द्र ने सभी के चारों तरफ ऊर्जा से बना एक गोला बना दिया जिसके बाद...
सुनंदा – (गुस्से में BD से) जिस राज्य को पाने के लिए तूने अपने भाई को मारा अपनी मां का अपमान किया अपनी बीवी के प्यार का अपमान किया इन सब का हिसाब तुझे देना होगा करले जितना राज करना है डेविल लोक में लेकिन जल्द ही मेरा आरव आएगा तुझे सब कुछ छीन के तेरा सर्वनाश करेगा...
जिसके बाद सभी एक साथ वहां से गायब हो गए साथ ही आरव का शरीर भी...
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बीच के कुछ हिस्सों को मैने डिटेल में नहीं लिखा क्योंकि उन हिस्सों को कहानी के FLASHBACK में दिखाऊंगा
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जारी रहेगा![]()
Very nice n Awesome updateUPDATE 4
DEVIL LOK
PART 4
BD सबके सामने आरव बन के गुस्से में बैठा हुआ था भरी सभा में अपनी राज गद्दी में अपने सामने बैठे तीनों राज्य के राजा से बात करते हुए...
BD – (आरव बन के उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राजा नागेंद्र से बात करते हुए) बहुत ही अफसोस के साथ मुझे कहना पड़ रहा है मेरे भाई ने राज गद्दी की लालच के लिए अपनी मां और हमारी पत्नियों को अगवा कर बंदी बना लिया है वो अपनी पत्नी के साथ भाग गया है उसका कहना है जब तक उसे इस राज्य का राजा नहीं बना दिया जाता वो किसी को आजाद नहीं करेगा...
नागेंद्र – लेकिन रानी मा को कोई कैसे बन्दी बना सकता है...
धर्मपाल – नागेंद्र सही कह रहा है पुत्र रानी सुनंदा की शक्ति के आगे कोई कैसे टिक सकता है भला...
तेजपाल – बात चाहे जो भी हो मुझे अपनी बेटी की फिक्र हो रही है आखिर कहा ले गया होगा वो BD मेरी बच्ची एंजिला को....
नागेंद्र – धैर्य रखिए चाचा जी मेरी बहन लिसा भी उनके साथ में है वो हर तरह से निपुण है अस्त्र शस्त्र की कला में कोई उसके सामने टिक नहीं पाया वो चुप बैठने वालों में से नहीं है चाचा जी....
धर्मपाल – (नागेंद्र से) क्या पता जाने किस हाल में होगी सुनंदा जी और बच्चियां...
BD –(आरव बन के) हम अपनी पूरी ताकत लगा देगे उन्हें आजाद कराने के लिए बस मुझे आप सब का साथ चाहिए ताकि हम मिल के ढूंढ सके सभी को...
राजपाल और धर्मपाल – हम हर तरह से मदद करने को तैयार है आपकी आरव बेटा...
नागेंद्र –(मन में – इतना सब हो गया लेकिन अभी तक राजगुरु के बारे में यहां पर कोई बात नहीं कर रहा है कुछ तो बात हो जो छुपाई जा रही है हमसे)....
नागेंद्र जो अपनी सोच में डूबा था उसे कुछ न बोलते देख...
BD –(आरव बन के) क्या बात है साले साहब किस सोच में डूबे है आप....
नागेंद्र – (मन की बात बदल के) मै ये सोच रहा था अगर वो यहां से भागे है तो डेविल लोक में नहीं होगे क्योंकि यहां पर उन्हें खोजना आसान है लेकिन कही और हुए तो कह नहीं सकते है...
BD –(आरव बन के) आपके कहने का अर्थ है वो इस लोक में नहीं होगे तो कहा जा सकते है वो....
नागेंद्र – यही बात हमें खाए जा रही है जीजा जी...
तीनों की बातों से BD मन ही मन मुस्कुरा रहा था क्योंकि हादसे के अगले दिन ही BD ने आरव बन के पूरे राज्य में ऐलान करा दिया था कि विवाह के बाद रात में ही BD ने अपनी मां और अपनी भाभियों का अपहरण कर लिया जिसमें उसकी बीवी समारा भी उसका साथ दे रही है साथ में ये शर्त रखी है BD ने जब तक पूरे सम्मान के साथ उसे डेविल लोक का राजा नहीं बना दिया जाता है तब तक वो किसी को आजाद नहीं करेगा....
खेर कुछ ही देर में तीनों राज्य के राजा चले गए जिसके बाद BD एक कमरे में गया जहां पर योगिनी बैठी थी अपने पुराने अधेड़ उम्र की औरत वाले शरीर में...
BD – (योगिनी से) डेविल लोक में सबको खबर करवा दी है मैने अब तुम्हे क्या लगता है क्या होगा आगे...
योगिनी – होना क्या है महाराज अब तो आप ही डेविल लोक के राजा है अब आपको जो करना हो वो करिए अब तो किसी की पाबंदी नहीं है आपके ऊपर...
BD – तुम समझ नहीं रही हो योगिनी जब तक वो औरत जिंदा है तब तक खतरा मंडराता रहेगा हम पे....
योगिनी – आपको उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है महाराज अगर आपकी मां को डेविल लोक में छिपना होता तो राजगुरु को कभी न बुलाती राजगुरु के आने का मतलब साफ है महाराज आपकी मां किसी और लोक में छिपी हुई है...
BD – क्या लगता है तुम्हे किस लोक में होगी मां...
योगिनी – महाराज आप जानते हो बिना शक्ति के मै कुछ पता नहीं कर सकती हूँ मुझे इस वक्त एक स्वस्थ शरीर की आवश्यकता है महाराज...
BD – हमने उसकी व्यवस्था कर ली है योगिनी कुछ ही देर में आती होगी वो...
तभी उस कमरे में सैनिक एक पागल लड़की को पकड़ के लाते है जो दिखने और हरकतों से ही पागल लग रही थी जिसे देख....
योगिनी – (गुस्से में) ये किस पागल को उठवा लाए है महाराज....
BD – (मुस्कुरा के) देखो योगिनी अभी मुझे इस राज्य की जनता के सामने अच्छा बनने का नाटक करना पड़ेगा अगर मैने अभी से गलत हरकत की तो लोगों को शक हो जाएगा और क्या पता हर कोई बात बनाने लगे कि ये सब मेरा किया धारा है इसीलिए मैने इस पागल लड़की को पकड़ने के लिए सैनिकों को भेजा था क्योंकि राज्य में इसका होना न होना बराबर है समझी बात....
योगिनी – हम्ममम ठीक है...
जिसके बाद योगिनी ने कुछ ही देर में अपना शरीरी को बदल लिया पागल लड़की के शरीरी के साथ जिसके बाद...
योगिनी – आज रात को ही मै पता लगाती हु अपनी शक्तियों से उन सबका कहा छुपे बैठे है वो सब...
यहां तो ये सब हो रहा था जबकि इस तरफ एक घने जंगल के बीचोबीच जहां गहरा सन्नाटा छाया हुआ था अचानक से वहां तेज हवा चलने लगती है और तभी वहां पर एक तेज रोशनी होती है जो धीरे धीरे कम होने लगती है जैसे ही वो रोशनी कम होती है तभी उस जगह पर राजगुरु ज्ञानेन्द्र , रानी सुनंदा , समारा , अग्निशा , लिसा , परी , शीना , एंजिला , आरव का मृत शरीर और रत्नेश होते है तब...
सुनंदा – (राजगुरु ज्ञानेन्द्र से) गुरु देव ये हम कहा आ गए है....
ज्ञानेन्द्र – रानी सुनंदा इस वक्त हम धरती लोक में है...
सुनंदा – धरती लोक में लेकिन क्यों गुरु देव...
ज्ञानेन्द्र – हालात को देखते हुए उस वक्त मुझे जो सही लगा मैने वही किया रानी सुनंदा...
तभी उस शांत माहौल में एक तेज आवाज गुजी....
आवाज – स्वागत है आपका धरती लोक में...
ये आवाज सुन सभी चौक जाते है तभी...
आवाज – कृपया करके आप सभी घबराए नहीं मेरी आवाज की दिशा पर चलते आए....
सुनंदा –(आवाज सुन राज गुरु से) ये किसकी आवाज है गुरुदेव किसे पता है हमारे बारे में की हम धरती लोक में है...
ज्ञानेन्द्र – घबराए नहीं रानी सुनंदा ये आवाज जिसकी भी है उसे हमारे आगमन के बारे में जानकारी शायद पहले से है इसीलिए उसने स्वागत की बात बोली चलिए देखते है कौन है वो...
ज्ञानेन्द्र की बात सुन सुनंदा हा बोल के सभी को आगे चलने के लिए बोल दिया लिसा ने परी का हाथ पकड़ के आगे जाने लगी वहीं शीना और एंजिला आगे चलने लगी थी अग्निशा के साथ आखिर में रत्नेश ने आरव के शरीरी को गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ गया लेकिन तभी...
रत्नेश –(ज्ञानेन्द्र को पुकार के) गुरुदेव....
आवाज सुन ज्ञानेन्द्र पलट के देखा रत्नेश के साथ ही बाकी सभी देखने लगे जहां रत्नेश अकेला खड़ा था और आरव का शरीरी गायब हो गया था जिसे देख...
ज्ञानेन्द्र – (रत्नेश से) क्या बात है रत्नेश और आरव का शरीर कहा गया...
रत्नेश – गुरुदेव जैसे ही मै आरव का शरीरी उठाने के लिए आगे बढ़ा ही था तभी आरव का शरीरी गायब हो गया अपने स्थान से...
ये नजारा देख सुनंदा के साथ बाकी सभी हैरान थे तभी...
ज्ञानेन्द्र – (कुछ सोच के) हमे आगे बढ़ना चाहिए आवाज की दिशा में वहां चल के इस बारे में वार्ता लाप करेंगे...
जिसके बाद सभी राजगुरु की बात मान आगे जाने लगे कुछ दूरी में आने के बाद सभी को एक शिव मंदिर दिखा जो कि पूरा खुला हुआ था जहां सीढ़ियां बनी हुई थी उसके ऊपर शिव जी की एक बड़ी सी मूर्ति खड़ी थी जैसे नृत्य कर रहे हो साथ ही मंदिर का कुछ मलबा जमीन में पड़ा हुआ था जैसे ही सब मंदिर के नजदीक आए तभी पंडित का चोला पहने एक आदमी उनके सामने आया दिखने में जिसकी उम्र लगभग 70 से 75 लग रही थी ऐसा लगता था जैसे मंदिर का पुजारी हो वो अपने सामने सभी को देख...
पंडित – (अपने हाथ जोड़ के सभी से) आप सभी को मेरा प्रणाम , स्वागत है आपका धरती लोक में मेरा नाम जगन्नाथ है मै इस मंदिर का पुजारी हूँ....
जगन्नाथ को प्रणाम करता देख सभी ने उन्हें प्रणाम किया जिसके बाद...
जगन्नाथ – (सभी से) कृपया मंदिर के अन्दर पधारे...
जगन्नाथ की बात सुन सभी गौर से उसे देखने लगे तभी...
जगन्नाथ – (उन्हें देख मुस्कुरा के) आप सभी चकित मत होइए हमें पता है आप कौन है और किस कारण धरती लोक में आए है हमारा विश्वास रखिए , आप सब यहां पूर्ण रूप से सुरक्षित है...
जगन्नाथ की बात सुन सभी मंदिर में चले जाते है जहां जगन्नाथ सभी को बैठता है फिर सभी के समीप बैठ के...
जगन्नाथ – (सभी से) हम जानते है आप सभी किन हालातों से निकल के यहां आए है आप निश्चित रहिए यहां आप सभी सुरक्षित है....
तभी...
ज्ञानेन्द्र – (जगन्नाथ से) ऋषिवर आप हमें कैसे जानते है और आपको कैसे पता हम यहां आने वाले है....
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) ये सब शिव जी की लीला है गुरुदेव मै तो उनका एक छोटा सा सेवक हूं जो उनकी आज्ञा का पालन कर रहा हूँ...
ज्ञानेन्द्र – शिव जी की आज्ञा मै कुछ समझा नहीं ऋषिवर....
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) मुझे एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए ही शिव जी ने चुना है जिस कारण मै वर्षों से आप सभी के यहां आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ...
सुनंदा – कैसा कार्य ऋषिवर...
जगन्नाथ – बुरी शक्तियों के नाश के लिए रानी सुनंदा इस कार्य को करने के लिए आपके बेटे आरव को चुना गया है....
अपने पुत्र आरव की बात सुन के...
सुनंदा – मेरा पुत्र आरव का शरीर यहां आते ही जाने कहा...
जगन्नाथ – (बीच में) हम जानते है रानी सुनंदा आपके पुत्र आरव के बारे में और हमें अफसोस भी है आपके पुत्र आरव को आपके सामने कैसे मारा गया था लेकिन जिस कार्य के लिए आपके पुत्र आरव को चुना गया है उसके लिए उसका अगला जन्म का वक्त आने वाला है जिस कारण आप सभी को यहां आना पड़ा....
ज्ञानेन्द्र – लेकिन ऋषिवर हम तो यहां सभी को बचाने के कारण यहां आए थे लेकिन आरव का अगला जन्म से इसका क्या ताल्लुख है...
जगन्नाथ – ताल्लुख है गुरुदेव कुछ ऐसी बुरी शक्तियां जो भविष्य में आपके लोक के साथ धरती लोक में भी विनाश का कारण बन सकती है उनका नाश करने के लिए ही शिव ने चुना है आरव को जो समय आने पर बुरी शक्तियों का नाश खुद करेंगे....
सुनंदा – (खुशी से आंख में आंसू लिए) मेरे आरव का जनम कब होगा ऋषिवर...
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) निश्चित रहिए देवी आपके पुत्र का जन्म कुछ साल बाद इसी लोक में होगा और आपके पुत्र का शरीर कही गायब नहीं हुआ है बल्कि (जलते हुए एक दिए की तरफ इशारा करके) वो देखिए वो जलता दिया कोई ओर नहीं आपका पुत्र आरव है जो जल्द ही पुनर जनम लेने वाला है लेकिन...
सुनंदा – जगन्नाथ की आखिरी बात सुन) लेकिन क्या ऋषिवर....
जगन्नाथ – लेकिन ये की सभी कार्यों को करने से पहले आपके पुत्र आरव को कठिन परीक्षा से गुजरना होगा साथ ही कई कष्टों से गुजरना होगा और इसमें आप सब उसकी कोई मदद नहीं कर सकते है ये विधि का विधान है रानी सुनंदा....
तभी इतनी देर से आरव की चारों पत्नियों साथ थी सभी एक साथ बोल पड़ी....
आरव की चारों पत्नियों – (हाथ जोड़ के रोते हुए जगन्नाथ से) बाबा हमे हमारे पति के साथ रहने दीजिए बाबा उनके बिना नहीं रह सकते हम उनकी हर परीक्षा हर एक कष्ट में उनका साथ देंगे बस हमें उनके साथ रहने दीजिए बाबा....
जगन्नाथ – पुत्री हम जानते है आपके लिए आपके पति आरव क्या है लेकिन ये जरूरी है पुत्री बिना कष्ट के कुछ भी आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन सिर्फ आरव ही नहीं आप सभी का जन्म भी उनके साथ ही होगा आप उनके साथ होगे लेकिन कुछ वक्त के लिए दूरी जरूर रहेगी आपकी और वक्त आने पर आरव सभी के साथ होगे एक दोस्त , एक प्रेमी और एक पति के रूप में उससे पहले उन्हें कुछ परीक्षा देनी ही होगी....
चारों एक साथ – हम उन्हें पहचानेंगे कैसे ऋषिवर...
जगन्नाथ – आप सभी मानव रूप में जनम लेगे लेकिन एक एक करके परन्तु परी पुत्री आपको छोड़ के और जब आपक मिलन होगा उसके बाद ही आपकी अपनी स्मृति वापस आ जाएगी...
परी – तो क्या मेरा जन्म नहीं होगा ऋषिवर मै कैसे अपने पति के बिना रह पाऊंगी...
जगन्नाथ – पुत्री जन्म तो आपक भी होगा मानव रूप में लेकिन आपके पति आरव की तरह आपके भी जन्म का एक उद्देश्य है जो आपके पति आरव के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है वक्त आने पर आप सभी मिलेंगे एक साथ...
जिसके बाद....
चारों एक साथ – (हाथ जोड़ के) हमे मंजूर है ऋषिवर....
सुनंदा – (जगन्नाथ से) क्या मेरा भी जन्म....
जगन्नाथ – (बीच में) नहीं रानी सुनंदा उसके लिए आपको यही प्रतीक्षा करनी होगी वक्त आने पर आपका पुत्र स्वयंम यहां आएगा (एक तरफ इशारा करके जहां मंदिर के बाहर त्रिशूल जमीन में गढ़ा हुआ था) उस त्रिशूल को निकालने वाला ही आपका पुत्र आरव होगा तब तक आपको यही पर उसकी प्रतिक्षा करनी होगी जिस दिन ऐसा होगा उसके बाद आप अपनी शक्तियों के साथ उसी रूप में वापस आ जाएगी जैसे आप आज है साथ ही आपकी दासी अग्निशा भी....
सुनंदा – मै अपने पुत्र प्रतीक्षा करूगी ऋषिवर लेकिन आपने अभी कहा मेरे पुत्र का पुनर जन्म होगा लेकिन उसे उसकी शक्तियां कैसे मिलेगी...
जगन्नाथ – वक्त के साथ शक्ति मिलेगी उसे जिस दिन अपनी प्रेमिकाओं से मिलन होगा उसके बाद आपके पुत्र की स्मृति भी वापस आ जाएगी...
सुनंदा – ठीक है ऋषिवर....
जगन्नाथ – अति उत्तम (ज्ञानेन्द्र से) गुरुदेव अब आपको वापस जाना होगा अपने लोक में वहां आपको आरव के आने की प्रतीक्षा करनी होगी ताकि अपने लोक में पुनः वापस आके अपना कार्य भार सम्भल सके आरव....
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) मै समझ गया ऋषिवर लेकिन जाने से पहले मुझे आपको कुछ जरूरी बात बतानी है...
जगन्नाथ और ज्ञानेन्द्र एक साथ अलग जगह जाके बात करके वापस आते है तब...
ज्ञानेन्द्र – (सुनंदा से) रानी सुनंदा हमे आज्ञा दीजिए अब हमे वापस जाना होगा अपने लोक में जल्द ही आप सभी से वही भेट होगी....
जिसके बाद ज्ञानेंद्र विदा लेके धरती लोक से गायब हो जाता है और चला जाता है डेविल लोक की राज सभा में जहां इस वक्त BD राज गद्दी में बैठा हुआ था योगिनी के साथ अकेले उनके सामने आके....
ज्ञानेन्द्र – (अचानक से BD के सामने आके) कैसे हो BD...
अचानक से अपन नाम सुन के...
BD –(ज्ञानेन्द्र को सामने देख चौक के) तू यहां पर कैसे और कहा है बाकी सब...
ज्ञानेन्द्र – जहां भी है सुरक्षित है वो सब...
BD – (गुस्से में) लेकिन कहा है वो सब....
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) वक्त आने पर तुझे पता चल जाएगा BD....
BD – क्या मतलब है इस बात का...
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) रानी सुनंदा ने तेरे लिए एक संदेश भेजा है कि जितनी मर्जी मनमानी करले तू जल्द ही आरव आएगा तेरा नाश करने...
BD – (हस्ते हुए) उम्र के साथ उस औरत का दिमाग भी खराब हो गया है मुर्दे जिंदा नहीं हुआ करते है गुरुदेव अच्छा होगा आप मेरा साथ दे...
ज्ञानेन्द्र – लेकिन आरव जिंदा होगा भी और तेरा नाश भी करेगा BD तब तक के लिए अगर तुझे अपनी गलती का एहसास हो जाय तो अच्छा होगा तेरे लिए तब शायद रानी सुनंदा माफ करदे तुझे लेकिन मैं जनता हूँ तू ऐसा नहीं करेगा छल कपटी है तू जिसने प्यार का नाजायज फायदा उठाया अपने भाई को मार दिया केवल राज सिंहासन के लिए....
BD – गुरुदेव अपने प्रवचन अपने पास रखे आप अगर मेरा साथ देना हो तो बता दो कहा है वो लोग वर्ना....
ज्ञानेन्द्र – मरना मंजूर है मुझे लेकिन तुझे कभी नहीं बताऊंगा कहा है वो सब....
BD योगिनी की तरफ इशारा करता है जिसे देख योगिनी अपनी शक्ति का इस्तमाल कर ज्ञानेन्द्र को बंदी बना लेती है...
योगिनी – (हस्ते हुए ज्ञानेन्द्र से) ये बंधन कोई मामूली बंधन नहीं है गुरुदेव इसके बांधते ही आपकी कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी और बिना शक्ति के आप ना चल सकते हो ना कुछ कर सकते हो...
तभी अचानक ज्ञानेन्द्र जमीन में गिर पड़ता है साथ ही ज्ञानेन्द्र के चेहरे पर झुर्रियां आने लगती है उसके बाल पूरे सफेद होने लगते है उसका शरीर भी कमजोर होने लगता है इसी के साथ बेहोश हो जाता है जिसके बाद....
BD – (सैनिकों को बुला के) ले जाओ इसे और डाल दो कैद खाने में (योगिनी से) योगिनी ध्यान रहे ये मारना नहीं चाहिए हमें जानना है सबके बारे में कहा है वो सब...
योगिनी – (मुस्कुरा के) जी महाराज...
जिसके बाद धीरे धीरे करके वक्त सालों में बीतता चला गया अब धरती लोक के शिव जी के उस मंदिर में जगन्नाथ के साथ रानी सुनंदा और उनकी दासी अग्निशा ही थी एक पुजारिन की वेश भूषा में जो सिर्फ आरव के आने का इंतजार कर रही थी....
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जारी रहेगा![]()
Fabulous fantastic superb bhaiUPDATE 5
DHARTI LOK
सुबह के 10 बज रहे थे एक कमरे में एक लड़का और एक लड़की बिना कपड़ों के एक दूसरे की बाहों में बाहे डाले सो रहे थे
तभी लड़के का फोन बजने लगा जिससे उस लड़के की नींद टूट गई फोन में नंबर देख उठा के...
लड़का – (कॉल उठा के) क्या हुआ बे सुबह सुबह क्यों गान्ड में उंगली कर रहा है मेरे...
सामने से – चल बे भोसडीके टाइम देख सुबह के 10 बज रहे है अभी...
लड़का – (चौक के) क्या 10 बज रहे है....
सामने से – और नहीं तो क्या हरामखोरो चल जल्दी तैयार होके रूम में आजा...
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद लड़का फोन को वापस रख पलट के लड़की को देखता है जो अभी तक उस लड़के की बाहों में सो रही थी उसके सिर पे हाथ फेर के...
लड़का – (प्यार से लड़की से) उठो निधि देखो सुबह हो गई है...
निधि – (नींद में) सोने दो न साहिल पूरी रात सोने नहीं दिया तुमने...
सही समझे आप ये लड़का कोई और नहीं साहिल है कहानी का हीरो....
साहिल – (मुस्कुरा के) उठ जाइए निधि मैडम सुबह के 10 बज गए है...
निधि – (वक्त का सुन के झटके से उठ के) क्या 10 बज गए है इतनी देर तक सोती रही मै...
साहिल – जी मैडम...
निधि – (साहिल से गले लग के) दो दिन तुम्हारे साथ इतनी जल्दी बीत गए साहिल पता ही नहीं चला यार...
साहिल – हा मैडम ये दो दिन आपके साथ कब निकल गए पता नहीं चला मैडम...
निधि – (थोड़ा मायूस होके) वैसे आज मै अपने गांव जा रही हूँ क्योंकि अगले हफ्ते मेरी शादी है...
साहिल – (चौक के) क्या शादी आपकी और आपने बताया क्यों नहीं मुझे...
निधि – (मुस्कुरा के) वो इसीलिए मेरे भोले बालम मैने सोचा तेरा भी आखिरी साल है स्कूल में और मेरा भी इसके बाद जाने मिल भी पाएंगे की नहीं तो जाने से पहले ये दो दिन अपने इस भोले बालम के नाम कर जाऊं...
साहिल – हा मै भी चला जाऊंगा जाने अब कहा जाऊंगा कौन से कॉलेज में...
निधि – हम्ममम चल कोई बात नहीं सच कहूं अगर उम्र की बात न होती तो अपने पिता को बोल के तेरे से शादी करती मै....
साहिल – क्या मै इतना अच्छा हूँ...
निधि – (मुस्कुरा के) अच्छा नहीं बहुत अच्छा है तू मेरे स्टूडेंट में तू मेरा खास स्टूडेंट है मेरा भोला बलम....
साहिल – अब तो आपका बलम कोई और बनने वाला है....
निधि – बनने दे उससे क्या होगा मै तुझे भूल थोड़ी जाऊंगी तेरा प्यार मेरे साथ रहेगा हमेशा के लिए...
साहिल – (चौक के) क्या मतलब है इस बात का....
निधि – (मुस्कुरा के) कुछ नहीं मेरे भोले बलम चल जल्दी से मै तैयार हो जाती हूँ दोपहर की बस से गांव निकलना है मुझे तू भी तैयार होजा...
कुछ देर में दोनों तैयार हो जाते है जिसके बाद साहिल जाता है निधि को बस में छोड़ने तब...
निधि – (साहिल से) अच्छा साहिल चलती हूँ अपना ख्याल रखना...
बोल के निधि बस में चढ़ गई जिसके बाद बस निकल गई वहां से तब साहिल चलते चलते आ गया एक फ्लैट के अंदर आते ही...
सामने से – आ गया गान्ड मरा के भोसडीके...
साहिल – चल बे अपने काम मुझे मत बता कमल ये तुझे ज्यादा पसंद है...
कमल – अच्छा तो कहा था तू दो दिन से...
साहिल – कही नहीं यार वो निधि मैडम के साथ था मै...
कमल – अच्छा कोई और नहीं मिला तुझे अपने क्लास टीचर को पता लिया तूने...
साहिल – मैने थोड़ी पटाया उसने पटाया मुझे यार...
कमल – चल चल मुझे ज्यादा जान मत दे 4 साल से देख रहा हूँ तुझे और निधि मैडम का पढ़ाई तक ठीक था लेकिन साल भर से कुछ ज्यादा ही पढ़ाई होने लगी है तुम दोनों की क्यों बे....
साहिल – चल अब जाने दे बात को वैसे भी निधि मैडम अपने गांव चली गई है अगले हफ्ते उसकी शादी है...
कमल –(हस्ते हुए) ओह हो तब तो तेरी दुनिया ही हिल गई होगी क्यों सही कहा ना....
साहिल – (घूर के देखते हुए) क्या फालतू की बक बक किए जा रहा है बे तू भी तो 2 साल से इंग्लिश टीचर के साथ मौज कर रहा था...
कमल – (हस्ते हुए) जलन हो रही है क्या...
साहिल – मै क्यों जलने लगा तेरे से...
कमल – अबे मेरे से नहीं इंग्लिश टीचर की बात कर रहा हूँ मै....
और फिर दोनों हंसने लगे जोर से जिसके बाद...
कमल – (हस्ते हुए) और बता अब क्या करने का इरादा है क्लास 12 तो खत्म हो गया रिजल्ट मिल गया है अब आगे का क्या....
साहिल – (कुछ सोचते हुए) हम्ममम कल दादी आ रही है मिलने फोन पे बात हुई थी उन्होने पूछा भी था इस बारे में फिर खुद ही बोली कि बाद में बात करेंगे इस बारे में...
कमल – मतलब कल दादी लेने आ रही है तुझे...
साहिल – मुझे नहीं लगता ऐसा कुछ है खेर जाने दे कल की कल देखते है यार......
कमल – हा भाई चल मै जा रहा हूँ सोने 2 दिन से सही से सो नहीं पाया हूँ यार...
साहिल – मै भी...
दोनों हस्ते हुए सोने चले गए कमरे में....
थोड़ा अपने बारे में बता देता हूँ मेरा नाम तो आप सब जानते है तो शॉट में कुछ बात क्लियर बता देता हूँ मै अपने दोस्त के साथ अपने गांव के बाहर शहर में रहता हूँ मेरे दोस्त का नाम कमल है इसका इस दुनिया में कोई नहीं सिवाय मेरे और मेरा इस दुनिया में सिर्फ दो लोग है एक मेरा दोस्त कमल और दूसरा मेरी प्यारी दादी (सरला देवी) कहने को मेरा परिवार बहुत बड़ा है लेकिन उनके लिए मै मर चुका हु इसीलिए नहीं कि मैं मनहूस हूँ बल्कि उनके लिए मै एक कातिल हूँ और कातिल भी किसका अपने दादा जी (प्रताप सिंह) का जबकि सच तो मै जनता हूँ लेकिन मुझे सही से कुछ याद नहीं क्योंकि जब दादा जी का कत्ल हुआ तब मै वही था लेकिन उस वक्त मुझे ऐसा अटैक लगा जिसके बाद से लेके आज तक मुझे वो अटैक लगते रहते है जिसमें 10 मिनिट के लिए मै जैसे सो जाता हु जब उठता हु तो एक और अटैक के साथ जो मुझे अपने सपने में लगता है जिसमें हर बार अपने दादा जी को मरते देखता हूँ लेकिन मुझे उस कातिल का चेहरा नहीं दिखता है दादा जी के चेहरे के इलावा सब धुंधला सा दिखता है , मुझे लगने वाले अटैक के बारे में दादी और कमल जानते है साथ ही निधि , मेरी दादी ने मुझे कई बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई नहीं जान पाया मेरी इस अटैक का असली कारण खेर कई सालों से मै बाहर शहर में रहके पढ़ाई कर रहा हूं ये सब मेरी दादी ने जो किया मेरे लिए किया है अब तो मेरे 12 के एग्जाम हो गए और रिजल्ट भी आ गया है अब जाने कहा जाऊंगा कहा भेजेगी दादी मेरी मुझे आगे की पढ़ाई के लिए ये सिर्फ मेरी दादी जानती है जब वो आएगी तब बताएगी कहा मेरी आगे की पढ़ाई होगा खेर शाम को हम दोनों की नींद खुली फ्रेश होके तैयार होके हम दोनों बाहर टहलने निकले और बाहर से खाना खा के वापस आके सो गए जल्दी क्योंकि कल दादी आने वाली है अगली सुबह मेरी नींद टूटी फोन कॉल से नंबर देख तुरंत फोन उठाया...
साहिल – (कॉल पे) हेलो दादी कैसे हो आप...
दादी (सरला देवी) – मै अच्छी हूँ मेरे लल्ला तू बता क्या कर रहा है....
साहिल – अभी उठा हूँ...
दादी – जल्दी से तैयार होजा लल्ला मै आ रही हूं थोड़ी देर में तेरे पास...
साहिल – ठीक है दादी...
बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद...
साहिल – (कमल को उठाते हुए) अबे उठा जा बे जल्दी से दादी आ रही है...
लेकिन कमल नहीं उठता जिसे देख साहिल उसके पिछवाड़े में एक जोर की लात मारता है तब...
कमल – (पिछवाड़े पे लात लगने से जमीन में गिरता है) अरे बहनचोद तेरी मां का मारू साले....
साहिल – (बीच में) चल बे बस कर ये रण्डी रोना जल्दी से उठ दादी रस्ते में है यहां आने वाली है....
कमल – (जल्दी से उठ के) क्या दादी आने वाली है...
साहिल – हा चल जल्दी से तैयार होजा मै भी तैयार होने जा रहा हूँ...
जिसके बाद दोनों तैयार होते है तभी उनके घर की घंटी बजती है जिसे साहिल खोलता है सामने दादी खड़ी थी और उनके साथ एक लंबा आदमी...
साहिल दादी को देख पैर छू के गले लग जाता है...
दादी – (मुस्कुरा के) कैसा है मेरा लल्ला...
साहिल – आपको देख के अब बहुत अच्छा हो गया हूँ दादी...
दादी – (मुस्कुरा के सिर पे हाथ फेर के) लल्ला इनसे मिल (अपने साथ वाले आदमी का परिचय देती है) ये मेरा छोटा भाई है रिश्ते में ये तेरे दादा लगते है इनका नाम धीरेन्द्र सिंह है इनकी बेटी की शादी है अगले हफ्ते तुझे न्यौता देने आए है....
साहिल – (धीरेन्द्र के पैर छू के) प्रणाम दादा जी...
साहिल का ऐसा व्यवहार देख उनके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है जिसके बाद...
धीरेन्द्र – (साहिल के सिर पे हाथ फेर के) हमेशा खुश रहो बेटा अगले हफ्ते मेरी बेटी की शादी है तुम्हे भी शामिल होना है हमारे साथ मै चाहता हूँ मेरा पूरा परिवार शादी में एक साथ रहे....
दादी – (कमल को देख जो दरवाजे के पीछे छिपा हुआ था उसका कान पकड़ के) क्यों रे ड्रामेबाज वैसे तो बड़ा शेर बन के फिरता रहता है सबके सामने बस मेरे सामने भीगी बिल्ली बन जाता है...
कमल – आआ दादी मा लग रही है जोर से....
दादी – चल पहले ये बता तू दरवाजे के पीछे क्यों छुपा हुआ था....
कमल – वो दादी आप हर बार आते ही मुझे डांटने लगते हो इसीलिए मैं छुप गया था सौरी दादी मा अब से ऐसा नहीं होगा....
दादी – (कमल के काम छोड़ के) क्यों ना डॉट लगाऊं तुझे तू भी तो मेरा शरारती पोता है...
कमल – (मुस्कुरा के) वो तो मै हूँ दादी मा...
दादी – (अपने बैग से दो टिफिन निकाल के देते हुए) ये ले तुम दोनों के लिए मै गाजर का हलवा बना के लाई हूँ खा लेना अभी गर्म है...
कमल – वाह हलवा I Love You दादी मा मुझे हलवा बहुत पसंद है....
दादी – (कमल और साहिल से) चलो अब तुम दोनों जल्दी से अपना सारा सामान पैक करके तैयार हो जाओ अपने दादा के साथ गांव जाना है शादी है अगले हफ्ते उनके काम में हाथ बताना है दोनों को समझे....
साहिल – ठीक है दादी लेकिन....
दादी – तू चिंता मत कर लल्ला कोई तुझे कुछ नहीं बोलेगा मैने पहले ही समझा दिया है सबको अब जल्दी से पैकिंग करो बाकी बाते गांव में आके करेंगे हम लोग...
साहिल – तो क्या आप नहीं चल रही है हमारे साथ...
दादी – नहीं लल्ला हमलोग कल शाम तक आयेगे गांव में...
साहिल – ठीक है दादी...
धीरेन्द्र – अच्छा बच्चों तुम दोनों जल्दी से अपना सामान लेके नीचे चलो गाड़ी तैयार खड़ी है 2 घंटे लगेगे गांव पहुंचने में...
जिसके बाद साहिल और कमल ने अपना सामान पैक कर बैग लेके नीचे गाड़ी में रख के निकल गए धीरेन्द्र के साथ गांव की तरफ जबकि दादी अपनी कार से निकल गई अपने गांव की तरफ....
दो घंटे के सफर के बाद तीनों गांव में आ गए धीरेन्द्र ने अपनी हवेली के बाहर गाड़ी रोक के साहिल और कमल को उतार के...
धीरेन्द्र – (साहिल और कमल से) बच्चों ये है हमारी हवेली तुम दोनों अन्दर जाओ आराम करो मै कुछ देर में आता हु गांव वालो से मिल के (गेट में खड़े चौकीदार को बुला के) इन दोनों को अन्दर ले जाओ बहू और बिटिया से मिलाव देना मै कुछ देर में आता हु...
चौकीदार – जी मालिक...
जिसके बाद धीरेन्द्र निकल जाता है चौकीदार साहिल और कमल को लेके हवेली का दरवाजा खटखटाता है तभी दरवाजा खुलता है तो सामने एक खूबसूरत लड़की और उसके साथ एक औरत खड़ी होती है...
चौकीदार – मालकिन बड़े मालिक के साथ दो मेहमान आय है बड़े मालिक उन्हें छोड़ गांव वालो के पास गए है...
तभी साहिल और कमल पलट के सामने वाले को देखते ही...
दोनों एक साथ हैरानी से – आप...
सामने खड़ी लड़की – (पहले हैरान होती फिर अचानक से मुस्कुरा के) आ गए तुम दोनों....
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जारी रहेगा![]()
Very very nice and fabulous updateUPDATE 6
निधि – (मुस्कुरा के) कैसे हो साहिल और कमल...
साहिल – आप यहां पर....
निधि – (मुस्कुरा के) हा क्यों नहीं होना चाहिए था क्या...
दूसरी लड़की – (हैरानी से निधि को) तुम दोनों एक दूसरे को जानते हो क्या...
निधि – हा भाभी याद है मैने आपको बताया था स्कूल में साहिल के बारे में ये वही साहिल है भाभी और साहिल और कमल ये है मेरी भाभी रागिनी अन्दर आओ बाकी बाते बाद में करेंगे...
निधि की बात सुन जहां कमल और साहिल हैरान थे वहीं शौक में भी थे उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर निधि यहां कैसे जब चारों हवेली के अन्दर आ गए तभी एक लड़की दौड़ते आई मा मा करके रागिनी की गोद में आके...
बच्ची – मा देखो ना मेरे साथ कोई नहीं खेलता दादा जी ने बोला था आज मुझे झूला झुलाएंगे लेकिन वो भी नहीं ले चले पापा तो बस जब देखो बाहर घूमते है मुझे नहीं ले जाते...
छोटी बच्ची की कही गई इतनी बात सुन के सबके चेहरे पर हसी आ गई जिसके बाद...
निधि – अरे ये क्या बात हुई मेरी प्रिंसेस के साथ कोई नहीं खेलता है चलो कोई बात नहीं आपकी बुआ खेलेगी आपके साथ ठीक है...
बच्ची – प्रॉमिस बुआ...
निधि – पक्का प्रॉमिस अभी चलते है हम खेलने लेकिन पहले आप अपने इन दोनों भैया से मिलो ये है आपके साहिल भईया और ये है आपके कमल भईया....
बच्ची – हेल्लो भइया मेरा नाम पिंकी है...
साहिल – अरे वाह बड़ा प्यार नाम है आपका लेकिन मैं तो आपको प्रिंसेस कह के बुलाऊंगा...
बच्ची – (मुस्कुरा के) ठीक है भईया...
कमल – साथ में मै भी इस नाम से बुलाऊंगा अब से आपको ठीक है प्रिंसेस...
तब...
निधि – (साहिल और कमल से) ऐसा करो तुम दोनों जाके फ्रेश होके आराम करना चाहो करो मै बाहर बगीचे में जा रही हूँ प्रिंसेस के साथ खेलने...
साहिल – ठीक है हम भी फ्रेश होके आते है अब आराम रात में करेंगे...
रागिनी – आइए मै आपको आपका कमरा दिखाती हूँ...
बोलके दोनों को कमरा दिखाया...
रागिनी – आप लोग तैयार होइए मै नाश्ता लाती हु आपके लिए...
बोल के रागिनी चली गई जिसके बाद...
कमल – (साहिल से) अबे ये क्या चक्कर है बे निधि मैडम यहां पर कैसे ऊपर से ये क्या तेरी बुआ लगती है रिश्ते में...
साहिल – वही तो मै भी सोच रहा हूँ यार लेकिन रिश्ते में मेरी बुआ ये बात हजम नहीं हो रही मुझे भी...
कमल – वैसे ये जो चाची है ना मुझे कुछ समझ नहीं आ रही है तूने ध्यान दिया उसकी नजरों का कैसे तुझे देख रही थी कही इसको भी तेरे नीचे आने खुजली तो नहीं मच रही है...
साहिल – नहीं यार मुझे ऐसा नहीं लगता है लेकिन कुछ तो खिचड़ी पक रही है इसके दिमाग में पता करना पड़ेगा इससे पहले मेरे गले की हड्डी बने ये तू तैयार है ना सबके लिए...
कमल – (अपने बैग से समान निकाल के साहिल को दिखाते हुए) हा बे ये देख तैयार हूँ मै पहले से बस इसे इसकी सही जगह लगा दूं और ये तू लगा ले ताकि काम आसान हो जाएं अपना...
(ये दोनों कौन सा सामान और क्या लगाने की बात बोल रहे है ये आगे पता चलेगा आपको)....
जिसके बाद रागिनी नाश्ता लेके आती है कमरे में तब तक साहिल और कमल फ्रेश होके नाश्ता करते है तब...
रागिनी – (साहिल से) आपके परिवार वाले कब तक आएंगे...
साहिल – आपको किसने बताया मेरे परिवार के बारे में...
रागिनी – वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने बताया था आपके बारे में...
साहिल – हम्ममम दादी आएगी सबके साथ कल शाम तक...
रागिनी – ठीक है नाश्ता करके आप लोग आराम करिए और अगर किसी भी चीज की जरूरत हो तो बुला लीजिएगा...
कमल – चाची जी आराम तो करेंगे लेकिन रात में अभी तो दिन का वक्त है अभी थोड़ा बगीचे में घूमते है अगर आप खाली हो तो चलो आप भी हमें भी कंपनी मिल जाएगी...
रागिनी – बात तो सही है ठीक है आप दोनों नाश्ता करिए मै अभी आती हूँ...
रागिनी के जाने के बाद...
कमल – (रागिनी के जाने के बाद) कमाल की बात है बे दादा जी ने बताया था पहले से जब सारी बात के बारे में इसका मतलब ये जान के अंजान बनने का नाटक कर रही थी बेटा सम्भल के रहना पड़ेगा ये दिखने में इसकी खूबसूरती मेनका की तरह है लेकिन बातों से नेता की तरह जो किसी की नहीं होती...
साहिल – हम्ममम पता तो करना पड़ेगा अब इसके बारे में वर्ना कल जो लोग आने वाले है उनको तो वैसे भी मौका चाहिए मेरे लिए जहर उगलने का कही इनकी वजह से वही मौका ना मिल जाय कल सभी को...
थोड़ी देर में रागिनी आती है...
रागिनी –(दोनों से) चले बगीचे में...
जिसके बाद तीनों हवेली के बाहर निकल आते है बगीचे में टहलते है साथ में तभी...
साहिल – (कमल से) अरे कमल क्या तेरे मोबाइल पर दादी का कॉल आया था क्या मेरा मोबाइल बंद हो गया तो चार्ज में लगा के आया हु मै...
कमल – (चौक के)अरे यार मेरा मोबाइल तो बैग में रखा है उसे निकालना ही भूल गया मै रुक मै अभी आता हूं मोबाइल लेके....
बोल के कमल दौड़ के हवेली में चला गया उसके जाने के बाद साहिल और रागिनी बचे थे आपस में बात करने लगे...
साहिल – चाची हवेली में चाचा नहीं दिख रहे काम में बिजी है क्या...
रागिनी – (चाचा की बात सुन उदास होके) काम के सिवा उन्हें सूझता ही क्या है बस जब देखो अपने आवारा दोस्तो के साथ घूमते रहते है जाने कितनी बार बाबू जी ने समझाया है इन्हें लेकिन इनके कान में जू तक नहीं रेंगती है...
साहिल – तो आप क्यों नहीं समझाती हो चाचा को...
रागिनी – आपको क्या लगता है मैने बोला नहीं होगा उनको लेकिन उल्टा मुझपे ही हाथ उठाते है गालियां देते है...
इतना बोल के उनकी आंख में आंसू आ गए जिसे देख साहिल को अच्छा नहीं लगा तब...
साहिल – चाची आप चिंता मत करिए चाचा जरूर सही रस्ते में आयेगे आपको उन्हें एहसास दिलाना होगा उनके बच्चे का देखना अपनी बेटी के लिए जरूर चाचा बदल जाएंगे...
रागिनी – काश ऐसा होता साहिल काश ये बात सच हो जाती...
साहिल – (हैरानी से) क्या मतलब चाची मै कुछ समझा नहीं....
रागिनी – मेरी बात सुन के आपको बुरा लगेगा कि मै कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हूँ लेकिन सच तो यही है मै पत्नी होंने के साथ एक औरत भी हूँ मेरी भी अपनी कुछ जरूरतें है अपने पति से उम्मीदें है लेकिन उनको तो जैसे इन सब बातों से कोई मतलब ही नहीं है इसीलिए इस बारमे मैने निधि के इलावा किसी से बात नहीं की वो मेरी ननद से पहले मेरी सखी भी है...
साहिल – तो क्या चाचा को कोई शारीरिक दिक्कत है क्या चाची अगर ऐसा है तो उसका इलाज भी होगा आज की तारीख में दुनिया में हर बीमारी का इलाज होता है...
रागिनी – तुम्हे क्या पता एक मर्द को अपनी मर्दानगी में बहुत घमंड होता है साहिल तुम्हारे चाचा को भी इस बात का झूठा घमंड है और जब आप किसी इंसान की मर्दानगी पर सवाल उठाओगे वो कभी बर्दाश नहीं करेगा इस बात को इसीलिए मैने और निधि ने इसका भी हल निकाल लिया है....
साहिल – (रागिनी की बात सुन अपने मन में – अरे यार कही निधि मैडम ने मेरे और अपने बारे में बता तो नहीं दिया चाची को)....
साहिल – (रागिनी से) कैसा हल चाची...
रागिनी – एक ऐसा भरोसे मंद इंसान जो मेरी जरूरत को पूरा कर सके हा ये बात अलग है ये काम इतना भी आसन नहीं है क्योंकि ऐसा इंसान मिलना मुश्किल है जो औरत की भावनाओं को समझे उसकी मजबूरी का फायदा ना उठाएं...
साहिल – (हैरान होके) आप जानती हो कि आप क्या बोले जा रहे हो इससे अच्छा तो आप चाचा का इलाज करवा लो और इन बेकार की बातों को अपने दिमाग से निकाल दो आप भूलों मत चाची आपकी एक छोटी बेटी है आपके इस बात से जरूरी नहीं जो आप सोच रहे हो वैसा हो जाएं इस गलती के कारण आप सोच भी नहीं सकते हो पूरे परिवार की क्या इज्जत रह जाएगी कभी सोचा है आपने...
रागिनी – (गुस्से में) इलेक्चर देना बहुत आसान होता है साहिल हर बात में सिर्फ औरत ही समझौता क्यों करे क्या वो इंसान नहीं क्या उसकी अपनी खुशी कुछ मायने नहीं रखती है और अगर तुम्हे ऐसा लगता है तो तुम ही सम्भाल लो मुझे साहिल कम से कम तुम तो बदनाम नहीं होने दोगे ना मुझे या इस खानदान की इज्जत को...
रागिनी की बात सुन के बेचारे साहिल की हालत गल कटे मुर्गे की तरह हो गई उसे समझ नहीं आ रहा था कि कोई औरत पहली मुलाकात में एक अंजान लड़के के साथ संबंध बनाने को तैयार बैठी है इसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे लेकिन इससे पहले दोनों में कोई कुछ बोलता तभी निधि आ गई बच्ची को गोद में लिए जो सो चुकी थी...
निधि – (रागिनी से) भाभी गुड़िया तो सो गई थक के आप इसे अन्दर ले जाओ सुला दो...
रागिनी अपनी बेटी को गोद में लेके बिना कुछ बोले निकल हवेली के अन्दर उसके जाने के बाद...
निधि – (साहिल का हाथ पकड़ उसे अपने साथ हवेली के पीछे वाले हिस्से में ले गई जहां दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था वहां आते ही) कैसे हो मेरे भोले बलम...
साहिल – मै तो ठीक हूँ लेकिन पहले आप ये बताओ ये चक्कर क्या है आप यहां पर कैसे...
निधि – (मुस्कुरा के) तुझे पता नहीं मेरे बारे में लेकिन रिश्ते में तो मै तेरी बुआ लगती हु...
साहिल – (चौक के) क्या....
निधि – हा कक्षक 12 के बाद कॉलेज में मैने 3 साल पढ़ाई की उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन फिर एक दिन दादी से मुझे तेरे बारे में पता चला था के तुम किस स्कूल में पड़ रहे हो बस तेरी देख रेख के लिए मै आई थी...
साहिल – सिर्फ देख रेख या कुछ और भी...
निधि – (मुस्कुरा के) चुप उसके आगे वो हमारी पर्सनल बात है...
साहिल – लेकिन आप मेरी बुआ हो ये बताया क्यों नहीं आपने और उसके बाद जो हुआ हमारे बीच...
निधि – देख साहिल तेरी दादी को तेरी बहुत फिकर होती थी खास कर तब जब तुझे अटैक आता है लेकिन अच्छी बात ये है कि 4 सालों में तुझे अटैक आना कम हो गए है इसीलिए दादी चाहती थी की कोई अपना तेरा ध्यान रखे तो ज्यादा सही रहेगा इसीलिए एक दिन तेरी दादी हवेली में आई थी पिता जी से बात करने इस बारे में तभी पिता जी ने मुझे बताया तो मै तैयार हो गई उसके बाद तुम्हारे स्कूल में मेरी जॉब लग गई फिर तुमसे मुलाक़ात का सिलसिला शुरू हुआ बाकी धीरे धीरे हम तो करीब आ गए हा हमारा करीब आना ये हमारा फैसला था घर वालों का नहीं समझे मेरे भोले बलम...
साहिल – (मुस्कुरा के) आप सच में कमाल हो बुआ....
निधि – चुप बुआ नहीं सिर्फ निधि बोला कर वैसे भी तेरे और मेरे में सिर्फ 8 साल का फर्क है बाकी लंबाई तेरी बॉडी से तू किसी एंगल से नहीं लगता है 20 साल का लड़का तुझे देख के लगता है जैसे 25 साल का लड़का हो कोई...
साहिल – अच्छा ठीक है निधि अब खुश हो ना...
निधि – हा बहुत खुश अच्छा सुन तेरे बगल वाला कमरा मेरा है साथ ही तेरे कमरे से मेरे कमरे का दरवाजा लगा हुआ है रात में आना तू मेरे कमरे में....
साहिल – आप पागल तो नहीं हो गई हो आपकी शादी होने वाली है और आप अभी भी...
निधि –(हस्ते हुए) पागल है मै मजाक कर ही थी वैसे भी मेरी सहेली आने वाली है थोड़ी देर में मेरे साथ ही सोएगी वो...
जिसके बाद दोनों वापस बगीच में आ गए जहां कमल अकेला टहल रहा था अपने सामने साहिल और निधि को एक साथ आता देख मुस्कुरा के....
कमल – ओह हो तो आप दोनों एक साथ हो तभी मै सोचु कहा गायब हो गए....
साहिल – हा वो निधि मैडम मुझे बगीचा दिखा रही थी यार...
कमल – हम्ममम लेकिन बगीचा तो यहां है जहां तू खड़ा है हवेली के पीछे कौन सा बगीचा आ गया बे...
इन दोनों की बातों के बीच में निधि हस्ते हुए चली गई हवेली में उसके जाने के बाद...
साहिल – तो क्या हुआ काम का....
कमल – बचा हुआ आधा काम मै कर के आया हु चिंता मत सब कुछ ठीक होगा अब....
साहिल – अच्छी बात है...
कमल – वैसे निधि मैडम क्या बात हुई तेरी....
साहिल – (मुस्कुरा के) यही की वो रिश्ते में मेरी बुआ है...
कमल – (चौक के) बुआ फिर भी वो तेरे साथ....
फिर साहिल सारी बात बताता है कमल को निधि ने बताया जिसके बाद....
कमल – ओह ये बात है...
साहिल –सही समझ रहा है तू भाई....
कमल – और ये चाची का क्या सीन है...
फिर रागिनी से हुई सारी बात बता देता है...
कमल – अच्छा हुआ मै पहले से तैयारी करके आया हु...
तभी हवेली के गेट से गाड़ी अन्दर आती है जिसमें धीरेन्द्र होता है उसे आता देख दोनों उसके पास जाते है...
धीरेन्द्र – (दोनों को देख) तो कैसा लगा तुम दोनों को घर सबसे मिले दोनों...
साहिल – हा दादा जी मिल लिए बहुत अच्छा लगा दादा जी थैंक यू...
धीरेन्द्र – इसमें थैंक यू कैसा बेटा...
साहिल – पहली बार परिवार के साथ हूँ मै इसीलिए...
धीरेन्द्र – (मुस्कुरा के) चलो कोई बात नहीं खेर आज और कल तो कोई काम नहीं है तुम दोनों गांव घूम लो जब तक...
साहिल – ठीक है दादा जी...
धीरेन्द्र – ऐसा करो मेरी गाड़ी से जाओ...
साहिल – नहीं दादा जी हम दोनों पैदल ही घूमेंगे गांव...
धीरेन्द्र – ठीक है जल्दी आ जाना हवेली में ठीक है...
जिसके बाद साहिल और कमल निकल जाते है गांव की तरफ घूमने के...
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