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Incest आंधी (नफ़रत और इन्तकाम की)

Badking16

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UPDATE 20


LOCATION....लाला की हवेली....


जिस दिन निधि की शादी थी उसी रात लाला की हवेली के एक कमरे में इस वक्त लाला उसका बेटा विजय और मुनीम बैठे आपस में बात कर रहे थे....



विजय – (लाला से) खबर मिली है कल पूरा परिवार वापस जा रहा है शहर अपने घर में...


लाला – (सोचते हुए) पूरा परिवार वापस जा रहा है एक साथ , लगता है इस बार भी किस्मत हमारे साथ नहीं है विजय , खेर जाने दो देखता हु कब तक बचते है वो हमसे....


विजय – लेकिन इसमें सोचना वाली क्या बात है पिता जी कल सबको एक साथ ठिकाने लगा देते है....


लाला – बेवकूफी वाली बाते मत करो विजय यही काम अगर करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मै लेकिन नहीं मुझे रनवीर को ऐसी चोट देनी है जिससे हर रोज तिल तिल कर के मारता रहे वो....


विजय – शहर से बुलाए लोग तैयार है उनका क्या करना है अब....


लाला – आज के लिए रहने दो उन्हें , कल उन्हें वापस भेज देना शहर....


ठीक उसी वक्त आनंद अपने कमरे में बैठा था तभी उसके कमरे में राधिका और सिमी आती है....


आनंद – (राधिका और सिमी को देख के) आप दोनों इस वक्त कोई काम था....


राधिका – तेरे से जरूरी बात करनी है....


आनंद – क्या बात है मां....


राधिका – तू जानना चाहता है ना कि क्यों इतनी नफरत है मुझे तेरे पिता और तेरे दादा से....


आनंद – (हैरान होके) हा लेकिन बात क्या है मां आज अचानक से तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब....


राधिका – क्योंकि मै नहीं चाहती को तू भी अपने पिता और दादा की तरह बन जाय जैसे तेरे चाचा और ताऊ, उनके दोनों बेटे थे....


आनन्द – मुझे सच सच बताओ मां आखिर बात क्या है किसने मारा था मेरे चाचा , ताऊ और उनके दोनों बेटो को किसने मारा था....


राधिका – (कुछ पल आनंद को गौर से देखती है) आज निधि की शादी में तू मिला होगा निधि के बाकी परिवार वालों से जो शहर में रहते है....


आनंद – हा देखा था मैने उनको....


राधिका – तू सुमन और रनवीर को जानता है...


आनंद – नहीं बस देखा जरूर था मैने शादी में उनको उनकी बेटी के साथ तब पिता जी और दादा जी दोनों उन्हीं को देख के कुछ बात कर रहे थे....


राधिका – (चौक के) क्या ये बात तूने मुझे पहले बताई क्यों नहीं....


आनंद – वो सब छोड़ो मां पहले मुझे पूरी बात बताओ....


राधिक – तो सुन ये बात आज से १८ साल पहले की है जब तू ८ साल का था उस वक्त रनवीर का पूरा परिवार गांव में आया था उनके बेटे के जन्मदिन के लिए तब उनका बेटा २ साल का था उस रात धीरेंद दादा ने गांव से थोड़ी दूर एक बड़ी पार्टी रखी थी उस वक्त तेरे ताऊ और उनके दोनों बेटे और हमारा पूरा परिवार भी शामिल था पार्टी में तब तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा इन चारों ने जैसे ही रनवीर की बीवी सुमन को देखा चारों की दिमाग खराब हो गया था वो बस किसी तरह सुमन के साथ अपनी हवस मिटाना चाहते थे उसी वक्त से उनकी नजर जम गई थी सुमन पर उसी रात वो चारों ने एक प्लान बनाया जिससे वो बना किसी को नजर में आए वो सुमन के साथ हवस मिटा सके लेकिन सबके होते ये संभव नहीं था तब पार्टी खत्म होने के बाद जब वापसी की बारी आई तो सभी वापस जाने लगे थे धीरेंद दादा की हवेली की तरफ तब तू मै तेरे पिता जी और तेरे दादा तो निकल गए थे लेकिन तेरे ताऊ तेरे चाचा और ताऊ के दोनों बेटे वही रुके थे तब तेरे ताऊ ने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बताया जिसे देख पास में खड़ी सुमन और राघव ने उनको संभाला , चुकी सब जा चुके थे तब वहां पर रनवीर ,सुमन , राघव और तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा थे और सिर्फ एक गाड़ी थी जिसमें सब नहीं आ सकते थे तब रनवीर ने राघव को बोल तेरे ताऊ को उनके साथ भिजवा दिया रह गए रनवीर और तेरा चाचा वहा पर बाकी रनवीर ने सुमन को भेज दिया ताकि वो लोग तेरे ताऊ को हवेली में छोड़ कर वापस धीरेंद कि हवेली चले जाए लेकिन हुआ कुछ और तेरे ताऊ हवेली आने के बजाय रस्ते में उनका फार्म हाउस था वहां उन्होंने कार रोक के उसमें से बाहर निकले तभी तेरे ताऊ के पहले बेटे ने राघव के सिर पर पीछे से जोर दार वार किया जिससे वो बेहोश हो गया साथ ही ताऊ के दूसरे बेटे ने सुमन के पीछे से सुमन के मू पर रुमाल लगा दिया जिसमें उन्होंने बेहोशी की दवा डाली तो जिसे सुग के वो बेहोश हो गई जबकि इस तरफ तेरे चाचा ने अपने दोस्त की गाड़ी बुलाई तो उसने रनवीर को धीरेन्द्र की हवेली में छोड़ निकल गया तेरे ताऊ की तरफ कुछ समय इंतजार करने पर जब सुमन वापस नहीं आई तब रनवीर ने राघव को फोन किया जवाब ना आने सुमन को फोन किया लेकिन जवाब नहीं आया तब रनवीर को चिंता होने लगी तभी रनवीर निकल गया और आ गया सीधे यहां हमारी हवेली पर यहां पर जब उसे पता चला अभी तक कोई नहीं आया तभी रनवीर ने तेरे पिता से पूछा और निकल गए तेरे पिता के साथ तेरे पिता इस बात से अंजान थे कि उनका भाई और ताऊ क्या करने जा रहे थे वो सीधा आ गए तेरे ताऊ की फार्म हाउस के रस्ते पर तभी उनकी नजर गाड़ी पर पड़ी जबकि इस तरफ सुमन को बेहोश करने के बाद उसे फार्म हाउस में लेके चले गए कमरे में लेटा के बाहर आ गए तब पहले वो चारों शराब पी के खुशियां मना रहे थे और फिर कुछ देर के बाद तेरे ताऊ पहले गए उस कमरे में जहां सुमन थी लेकिन तभी फार्म हाउस के बाहर रनवीर आ गया था तेरे पिता के साथ अन्दर जाने को बढ़े ही थे तभी उनको राघव दिखा जो जमीन में बेहोश था उसे होश में लाके पूछा और जब रनवीर को पता चला तब उसे समझते देर नहीं लगी कि वो लोग क्यों यहां आए है सुमन को लेके , उसी वक्त रनवीर ने गुस्से में तेरे पिता को वही मार मार के बेहोश कर दिया और गुस्से में फार्म हाउस के अंदर चला गया , अन्दर जाते ही रनवीर ने देखा तेरे ताऊ को हंसते हुए कमरे में जाते हुए तभी रनवीर ने दीवार में लगी तलवार को निकाल गुस्से में उनके पीछे गया जबकि तेरा चाचा और तेरे ताऊ के दोनों बेटे शराब पी रहे थे उन्होंने रनवीर को देखा नहीं आते हुए तभी कमरे के अन्दर जाते ही रनवीर ने सुमन को बेहोश देखा और तेरे ताऊ को , जो सुमन के ऊपर चढ़ने जा रहा था तब गुस्से में रनवीर ने तेरे ताऊ का वो हाथ काट दिया जिससे वो सुमन को छूने जा रहा था तेरे ताऊ की दर्द भरी आवाज सुन तीनों उस कमरे की तरफ भागे जैसे ही तीनों कमरे में आए तेरे ताऊ को दर्द में तड़पते हुए देखा तब तीनों ने रनवीर को देखा और गुस्से में उसकी तरफ बढ़े ही थे कि तभी रनवीर ने तेरे ताऊ के सिर धड़ से अलग कर दिया था ये नजारा देख तीनों डर से वही रुक गए इस बीच सुमन को होश आ गया था तब सुमन ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जबकि ये सब जब हुआ तो वो तीनों तो रुक गए थे लेकिन रनवीर नहीं रुका गुस्से में आगे बढ़ा तीनों के पास उन्हें मारने के लिए तभी तीनों ने डर के रनवीर के पैर पकड़ के माफी मांगने लगे थे लेकिन असल में ये उनकी चाल थी और शायद रनवीर इस बात से अंजान नहीं था तभी तेरे चाचा ने रनवीर का पैर पकड़ उसे गिरा दिया लेकिन गिरने से पहले रनवीर ने तेरे चाचा के सीने पर तलवार से वार किया जिससे तेरा चाचा तड़पने लगा तब तेरे ताऊ के दोनों बेटो ने आगे बढ़ के रनवीर को मारने को कोशिश करने लगे लेकिन रनवीर ने अपने गुस्से की आग में तीनों को सिर धड़ से अलग कर मार डाला तेरे पिता फार्म हाउस के बाहर बेहोश पड़े थे तब रनवीर , सुमन के साथ बाहर आया और राघव को लेके गाड़ी में बैठा दिया साथ तेरे पिता को और आ गए यहां पर आते ही रनवीर ने तेरे दादा के गले में तलवार रख उन्हें सब बता दिया साथ में चेतावनी दी अगर फिर कभी उसकी बीवी या परिवार की तरफ आंख उठा के देखा तो उसका हश्र भी वैसा होगा जैसे बाकियों का हुआ है बोल के रनवीर निकल गया सुमन और राघव के साथ उसके जाते ही हवेली में मातम छा गया तेरी ताई इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और चल बसी लेकिन गांव वाले को जाने कैसे ये बात पता चली तब गांव के लोगों ने ये बात पुलिस तक पहुंचाई तब पुलिस आई यहां पर उन्होंने जांच शुरू की तब फार्म हाउस में लगे कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ था जिसमें कैसे उनलोगों ने राघव को बेहोश किया कैसे हस्ते हुए सुमन को फार्म हाउस के अन्दर लाए कैसे रनवीर आया कैस सब हुआ सब कुछ , ये बात आगे बड़े इससे पहले तेरे दादा ने पुलिस को पैसे खिला के सारा मामला रफा दफा किया तब से तेरे पिता और दादा बदले की आग में जल रहे है इन सब के बीच मुझ तेरी चिंता होने लगी कही तेरे पिता तुझे भी वैसा ना बना दे इसीलिए मैं तुझे हर वक्त अपने साथ रखती थी....


बोल के राधिका चुप हो गई....


आनंद – तो इसीलिए तुम यहां से जाने की बाते करती रहती थी मुझसे....


राधिका – (हा में सिर हिला के) मै नहीं चाहती उन दोनों बाप बेटो की परछाई भी तुझ पर पड़े....


आनंद – लेकिन इस बात पर उनका क्या कसूर है मां वो तो....


बोल के चुप हो गया आनंद क्योंकि तब आनंद को निधि की शादी की याद आ गई कैसे उसके पीता और दादा रनवीर की बीवी और बेटी को देख रहे थे और हवेली आने के बाद उसके पिता ने उसे कहा कि कल उसका पसंद का तौहफा देगे ये बात सोचते ही आनन्द को समझ आ गया कि हो न हो उसके पिता और दादा रात में जो भी बात कर रहे थे उससे सुन के लगता है जैसे वो कुछ करने वाले हो कल , ये बाते आनंद के दिमाग में चलने लगी तब....


आनंद – (अपनी मां से) ठीक है मां मै तैयार हु तू जब बोलेगी जहां बोलेगी वहा चलेंगे हम....


अपने बेटे आनंद से ये बात सुन खुश होके बाकी सब भूल के....


राधिका – ठीक है बेटा मौका मिलते ही जब ये दोनों बाप बेटे नहीं होगे यहां तब हम निकल जायेगे यहां से बहुत दूर ताकि हमें कभी ढूंढ ना पाए....


आनंद – (मुस्कुर के) ठीक है मां....


राधिका – चल तू आराम कर अब हम भी जाते है आराम करने...


बोल के राधिका जाने लगी तभी....


सिमी – तुम जाओ मा मै अभी आती हु....


राधिका के जाने के बाद....


सिमी – (आनंद से) सच सच बता तू इतनी आसानी से कैसे मान गया बात , मां से बिना कुछ पूछे....


आनंद – (मुस्कुरा के) जैसा तुम सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं है दीदी....


सिमी – (आनंद का हाथ अपनी सिर में रख के) तो खा मेरी कसम....


आनंद – (अपना हाथ हटा के) मै कल्पना के बारे में सोच रहा था दीदी कितना वक्त हो गया उससे मिले....


सिमी – तेरी हरकत की वजह से दूर है तुझसे वर्ना उसे क्या पड़ी थी दूर होने की , तेरे से प्यार करती है वो आज भी....


आनंद – दीदी मै सोच रहा था हम कल्पना को भी अपने साथ ले चलेंगे वो भी तो अकेली है कौन है उसका इस दुनिया में है , हम सब एक साथ में रहेंगे...

कल्पना जो कि सिमी की सहेली है अक्सर सिमी के साथ कल्पना हवेली आती जाती रहती थी तभी आनंद को कल्पना पहली नजर में पास आ गई थी वो उससे प्यार करने लगा था इस बात का दोनों ने एक दोस्त से इजहार भी किया लेकिन इसी बीच विजय ने अपने बेटे आनंद को दौलत के साथ अय्याशी की राह में लाने लगा था जिस वजह से कल्पना , आनंद से दूर हो गई लेकिन प्यार करने से खुद को आज तक न रोक पाई..


सिमी – (मुस्करा के) तू सच बोल रहा है ना....


आनंद – हा दीदी आपकी कसम सच बोल रहा हूँ....


सिमी – मै आज ही कल्पना से बात करती हूं बहुत खुश होगी ये जान के....


आनंद – ठीक है दीदी आप बात कर लो मै कल करूंगा कल्पना से बात वैसे भी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर के रखा हुआ है...


बोल के हंसने लगा आनंद साथ में सिमी भी जिसके बाद सिमी चली गई उसके जाते ही आनंद ने किसी को कॉल किया....


आनंद – (कॉल पर) कैसे हो अमित....


आनंद का दोस्त अमित – मै बढ़िया हूँ तू बता....


आनंद – पैसे कमाना चाहेगा कुछ...


अमित – हा हा क्यों नहीं बता क्या करना होगा मुझे....


आनंद – आज धीरेन्द्र दादा की बेटी की शादी में शहर से आई लड़कियां याद है तुझे....


अमित – हा याद है फिर क्या करना है....


आनंद – उन पर नजर रखना है कर पाएगा ये काम....


अमित – अबे ये तो बहुत आसान सा काम है हो जाएगा तेरा काम लेकिन करना क्या चाहता है तू....


आनंद – सब बताऊंगा लेकिन पहले मेरा काम कर दे और याद रहे कुछ भी पता चले मुझे तुरंत बता देना...


अमित – हा हा तुरंत बताऊंगा भाई....


बोल के दोनों ने कॉल काट दिया जिसके बाद...


आनंद – (अपने मन में – आखिर क्या करने वाले है पिता जी और कौन सा तोहफा देने की बात बोली कही सच में इन दोनों का वही प्लान तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ नहीं अगर कुछ हुआ तो अमित बता देगा मुझे)...


सोचते हुए आनंद सो गया अगली सुबह हवेली के बाहर विजय जा रहा था अपनी कार से कही तभी उसने रास्ते में देखा रनवीर को रस्ते में अपनी कार से जाते हुए जिसे देख के....


विजय – रनवीर अकेला जा रहा है बॉडी गार्ड के साथ बाकी के लोग नहीं दिख रहे....


जिसके बाद उसने तुरंत अपने आदमी को कॉल मिलाया....


विजय – (कॉल पर अपने आदमी से) सुन एक काम कर चुपके से पता कर धीरेन्द्र की हवेली में आए मेहमान अभी निकले है कि नहीं और जो भी हो मुझे तुरंत बताना बात समझा...


सामने से आदमी – जी अभी पता करता हूँ...


जिसके बाद विजय अपनी कार को तेजी से ले जाने लगा १ घंटे बाद कुछ दूर कच्चे रस्ते में आते ही एक तरफ उसे कुछ लोग दिखाई दिए तब कार रोक उनके पास जाके....


आदमी – (विजय से) क्या बात है विजय साहेब आप ही ने बुलाया काम के लिए और अब जाने की बात बोलने आ गए आप....


विजय कुछ बोलने जा रहा था के तभी उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आने लगा मोबाइल स्क्रीन में RJ नाम दिखा जिसे देख विजय ने तुरंत कॉल उठाया....


विजय – (कॉल पर) हेलो RJ सर कैसे है आप....


RJ – मै तो अच्छा हूँ तुम बताओ विजय बाबू आज दिन में कहा निकल आए हो तुम....


विजय – (हैरान होके) आपको कैसे पता चला कि मैं हवेली में नहीं हूँ...


RJ – (मुस्कुरा के) मै अपने दोस्तो और दुश्मनों की सारी खबर रखता हूँ विजय और तुम तो मेरे बिजनेस पार्टनर हो , खेर मैने तुम्हें एक अच्छी खबर देने के लिए कॉल किया है....


विजय – (हैरान होके) कौन सी अच्छी खबर RJ सर....


RJ – तुम जिसके इंतजार में हो वो आएंगे और उनके साथ कोई भी नहीं होगा अपने आदमी को बोलो ३ घंटे बाद शहर के रस्ते से एक गाड़ी आएगी धीरेन्द्र की हवेली पर तीन लोगों को लेने बाकी तुम से समझदार हो विजय....


विजय – (चौक के) RJ सर आपको इतनी अन्दर की जानकारी कैसे मिली....


RJ – तुम आम खाओ विजय पेड़ की चिंता छोड़ दो , अपना बदला लेने की तैयारी करो बस....


विजय – (मुस्कुरा के) शुक्रिया RJ सर आपने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझपे....


RJ – (हस्त हुए) BEST OF LUCK...


बोल के काल काट दिया तब...


विजय – (अपने आदमियों से) सुनो अच्छी खबर है तुम लोगों के लिए....


आदमी – वो क्या है....


विजय – काम आज ही होगा , एक काम करो शहर के आने वाले रस्ते में कुछ घंटे बाद एक कार आएगी तीन लोगों को लेने तुम्हे उसके ड्राइवर की जगह लेनी होगी उसके बाद उन दोनों मां बेटी को लेके आना होगा मेरे फार्म हाउस पर....


आदमी – वो अकेले होगे और कोई नहीं होगा उनके साथ....


विजय – एक लड़का होगा निपटा देना उसे लेकिन उन दोनों मां बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे , उनके साथ जो करना होगा वो मै करूंगा समझ में आ गई बात....


आदमी – समझ गया विजय बाबू आपका काम हो जाएगा....


विजय – ठीक है और एक बात गांव के रस्ते में कुछ मत करना उनको , किसी गांव वाले की नजर में आ गए तो दिक्कत हो जाएगी...


आदमी – तो फिर कैसे होगा काम यहां चारों तरफ खेत ही खेत है....


विजय – इसी रस्ते में आगे जाके एक कच्चा रास्ता जाता है मन्दिर की तरफ वहां जल्दी कोई नहीं आता है वही उन्हें ले जाके अपना काम करके आ जाना....


आदमी – ठीक है...


विजय – और हा काम होते ही मुझे कॉल कर देना , अब मैं चलता हूँ....


बोल के विजय चला गया अपनी कार से उसके जाते ही....


आदमी – (अपने साथियों से) एक काम करो कुछ लोग यही रस्ते में रहो जैसे ही मैं गाड़ी लेके यहां से निकलूंगा तुम लोग तुरंत बेरियर लगा देना ताकि लगे कि रोड बन रही है और बाकी तुम सब साधु का भेस बना के मंदिर की तरफ निकल जाओ जो देखेगा उसे यही लगेगा साधु मंदिर जा रहे है और मै जाके उनको लेके आऊगा मंदिर में....


बोल के वो आदमी निकल गया और कुछ घंटे बाद उस आदमी ने शहर से आ रही गाड़ी को रोक उसमें बैठे ड्राइवर को घायल कर उसे झाड़ियों में फेक के धीरेन्द्र की हवेली निकल गया उसके बाद आपको पता है क्या हुआ था.....


लेकिन इस बीच में जब ये हादसा हो गया था साहिल , सुमन और कविता के साथ तब लाला की हवेली में अमित आया हुआ था आनंद से मिलने....


आनंद – (अमित को हवेली में देख) अबे तू यहां पर क्या बात है....


अमित – वो तुमने कहा था नजर रखने को वही बताने आया हूं मै....


आनंद – हम्ममम बात क्या बता....


अमित – मैने नजर बनाए राखी थी धीरे धीरे वहां से सब निकल गए हवेली से लेकिन आखिर में एक कार आई थी उस हवेली में और उसमें कल शादी में जिस मां बेटी को हम लोग देख रहे थे वो उसमें चले गए उनके साथ वो लड़का भी था कल शादी में उसे भी देख था हमने लेकिन एक अजीब बात है यार....


आनंद – कौन सी अजीब बात....


अमित – यार जब वो कार आई हवेली में तब उसमें मैने ड्राइवर देखा था....


आनंद – अबे तो क्या कार हवा में उड़ के आएगी क्या....


अमित – वो बात नहीं है यार उस कार में जो ड्राइवर था उसे मैने तेरे पिता जी के साथ देखा था एक बार शहर में....


आनंद – (चौक के) क्या तू सच बोल रहा है ना....


अमित – हा यार मै भला क्यों झूठ बोलूंगा तेरे से उसी ड्राइवर के साथ तीनों निकल गए हवेली से....


आनंद – (सोच के) कितने देर हुई है उन्हें निकले....


अमित – काफी देर हो गई यार उनके जाने के कुछ देर मै वही रुक था अपने दोस्त से बाते कर रहा था लेकिन फिर मैने देखा एक गांव वाला आया हवेली में चला गया उसके थोड़ी देर बाद उस गांव वाले के साथ राघव चाचा निकल गए....


आनंद – ऐसा कौन सा काम होगा जो शादी के अगले दिन राघव चाचा निकले होगे , तुझे पता है किस रस्ते गए होगे वो....


अमित – पहले मुझे लगा वो भी शहर के रस्ते जा रहे होगे लेकिन फिर वो गांव के अस्पताल के रस्ते गए है....


अमित की बात सुन आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब , आनंद को आज पहली बार इतना उलझा हुए देख अमित को अजीब लगा तब....


अमित – क्या बात है आनंद तू कौन सी गहरी सोच में डूबा हुआ है...


आनंद – नहीं कुछ नहीं (अपनी जेब से पैसे निकाल अमित को देते हुए) ये ले तू रख अच्छा काम किया तूने....


अमित जो आनंद का दोस्त था एक अच्छा दोस्त वैसे तो अमित इस गांव में रहता है लेकिन उसका इस दुनिया में कोई नहीं था लाला के घर में अमित के मां बाप काम किया करते थे लेकिन बीमारी से उनके गुजरने के बाद लाला और विजय ने कोई मतलब नहीं रखा अमित से तब आनंद की मां राधिका ने अमित को सहारा दिया जिस वजह से भले अमित अपने मां बाप के घर में रहता है साथ साथ आनंद के हर काम में उसका साथ देता है जिस वजह से आनंद की अच्छी दोस्ती हो गई अमित से खेर आगे बढ़ते है....


अमित – क्या बात है आनंद मै देख रहा हूँ तुझे जैसे कोई बात खाए जा रही है आखिर बात क्या है....


आनंद – ऐसी कोई बात नहीं है अमित....


अमित – तो तू इतना क्या सोच रहा है बता शायद मदद कर सकूं तेरी....


आनंद – (कल रात कैसे उसके दादा और पिता किसे देख रहे है सब बात के) बस यही सोच रहा हूँ यार कही कुछ गलत न कर दे....


अमित – बुरा मत मानना यार वैसे तेरे दादा और पिता का सच में कोई भरोसा नहीं दोनों कुछ भी उल्टा सीधा कर सकते है दोनों है ही ऐसे भाई....


अमित की बात सुन आनंद घूर के देखने लगा अमित को तब....


अमित – देख मैने बोला था ना बुरा ना मानना लेकिन तू सच में बुरा मान गया भाई....


आनंद – एक बात बता कल को मै चला गया यहां से तब तू क्या करेगा....


अमित – मै क्या यहां पर अपना लन्ड हिलाऊगा अकेले मै भी चलूंगा तेरे साथ वैसा भी तेरे और अम्मा (राधिका) के सिवा कौन है मेरा....


आनंद – ठीक है तैयार रह तू जब बोलूंगा तो चलना मेरे साथ लेकिन गलती से भी तू किसी को कुछ मत बताना समझा बात वर्ना तेरी मेरी दोस्ती खत्म....


अमित – पागल है क्या आज तक बताया है किसी को तेरी बात के बारे में जो अब करूंगा मै....


आनंद – ठीक है चल जरा चलते है अस्पताल में देखे किस लिए गए है दोनों....


बोल के दोनों अस्पताल की तरफ निकल गए कुछ देर में अस्पताल में आते ही दोनों ने देखा राघव को जो गांव वाले के साथ काल पर किसी से बात करते हुए अस्पताल के बाहर जा रहा है तभी दोनों चुप गए जबकि राघव और गांव वाला वहां से जने लगे तभी आनंद का ध्यान राघव की बात पर गया जो अपने पिता धीरेन्द्र से कर रहा था सारी बाते सुनते हुए आनंद भी राघव के पीछे पीछे अस्पताल के बाहर आ गया तब आनंद ने राघव को आखिरी बात सुनी मंदिर में जाने वाली बात साथ में ये भी की उस मंदिर में धीरेन्द्र और प्रताप के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता और जो जाएगा वो उस मंदिर के मायाजाल में फंस जाएगा ये बाते सुनते ही आनंद ने देखा राघव चला गया गांव वाले के साथ अस्पताल से उसके जाते ही...


आनंद – (अमित से) मुझे लगता है हमें भी जाना चाहिए वहां पर...


अमित – (चौक के) क्या बोले जा रहा है तू भाई , तू जनता नहीं वहां जो गया सही सलामत वापस नहीं आया है जाने क्या है उस जगह में जो जाता है पागल होके आता है और तू उधर जाने की बात कर रहा है....


आनंद – अबे तो क्या हुआ राघव चाचा भी जा रहे है ना उनके पीछे चले चलते है हम....


अमित – भाई मेरी बात मान दूर रह इस चक्कर से वैसे भी ये हमारा मामला नहीं है राघव चाचा जा रहे है ना वो देख लेगे सब तू हवेली चल देख शायद तू देख नहीं रहा है मौसम का हाल ऐसा लगता है बहुत भयानक तूफान आने वाला है....


आनंद – (अमित की बात सुन आसमान को देखते हुए) शायद राघव चाचा सच बोल रहे थे तूफान तो आ गया है....


अमित – हम्ममम चल भाई चलते है हम अम्मा राह देख रही होगी तेरा...


अस्पताल से निकल दोनों आ गए हवेली में आते ही...


विजय – (आनंद को देख) तुम हवेली के बाहर क्यों गए थे मैने मना किया था ना...


आनंद – सुबह से हवेली में बैठा बोर हो रहा था थोड़ा पास में टहल रहा था मै....


विजय – कम से कम बता के जाते बेटा हमें चित्त हो रही थी तेरी....


आनंद – (कुछ पल अपने पिता को गौर से देखने के बाद) आगे से ध्यान रखूंगा....


विजय – ठीक है जा जाके आराम कर...


आनंद – (अमित से) एक काम कर तू यही रुक जा तेज बारिश हो रही है भीग गया तो सर्दी लग जाएगी...


तभी आनंद ने अपनी मां राधिका को देखा जो कमरे में बैठी थी सिमी के साथ बात कर रही थी तभी आनंद कमरे में आके दरवाजा बंद कर राधिका के पास आ गया....


राधिका – (आनंद को इस तरह दरवाजा बंद करता देख) क्या बात है आनंद तू इस तरह ओर ये दरवाजा क्यों बंद किया....


आनंद – कुछ बात बतानी है मां तुझे....


राधिका – क्या बात है....


तब आनंद ने अपनी मां राधिक को सारी बात बता दी जिसे सुन....


राधिका – (गुस्से में) मै बोल रही थी न ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले है , जाने अब क्या होने वाला है समझ में नहीं आ रहा क्या करूं मै...


आनंद – मां क्यों न मै वहा चला जाऊ अमित के साथ देख के आता हु.....


राधिका – नहीं नहीं तू पागल है क्या जानता भी है क्या बोल रहा है तू उस मंदिर में बाबू जी (धीरेन्द्र) और बड़े बाबू जी (प्रताप सिंह) के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता है और जो गया वो वहा के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....


आनंद – मुझे तो समझ नहीं आ रहा यही बात अमित भी कर रहा था जब उसके साथ मंदिर में चलने को बोला....


राधिका – मतलब तू मंदिर मे जाने वाला था....


आनंद – हा मां लेकिन अमित नहीं माना इसीलिए यहां आके तुझे सारी बात बता दी....


राधिका – देख आनंद चाहे कुछ भी हो जाए अनजाने में भी तू उस मंदिर के रस्ते पर कभी मत जाना मै नहीं जानती वहां ऐसा क्या है जिससे लोग पागल होके आते है लेकिन जो भी है वो सही नहीं है , तू वहां नहीं जाएगा बस...


आनंद – मां फिर कैसे पता चलेगा उनलोगों के बारे में वो सही है कि नहीं....


सिमी –(जो इतनी देर से बाते सुन रही थी) मां क्यों ना धीरेन्द्र दादा को हम सारी बात बता दे.....


राधिका – यही सही रहेगा सिमी वक्त रहते बाबू जी सम्भाल लेगे बात को मै अभी बात करती हु....


बोल के राधिका ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल मिलाया तब....


धीरेन्द्र – (कॉल पर) हा राधिका बिटिया कैसी हो तुम....


राधिका – प्रणाम बाबू जी , मै ठीक हु और आपसे कुछ जरूरी बात करनी है....


धीरेन्द्र – क्या बात है बिटिया सब ठीक है न....


राधिका – बाबू जी यहां सब ठीक है...


फिर आनंद ने को कुछ बात वो सारी बात बता के....


राधिका – बाबू जी कुछ गलत हो उससे पहले हालत संभाल लीजिए आप....


धीरेन्द्र – हम्ममम बिटिया जब राघव का कॉल आया था तभी हमें शक हो गया था खेर राघव के साथ गांव के कई लोग है साथ ही मैने भी कुछ पहलवानों को भेजा है वहा पर तुम फिक्र न करो बिटिया सब ठीक ही होगा , अच्छा जरा आनंद से मेरी बात करा दो....


राधिका – जी बाबू जी (आनंद को फोन देके) बात कर बाबू जी तेरे से बात करना चाहते है....


राधिक की बात सुन आनंद चौक गया क्योंकि आज से पहले कभी भी आनंद ने धीरेन्द्र से कभी फोन तो क्या सामने से कभी बात नहीं कि लेकिन आज अचानक उनसे बात करने से सोचना लगा था आनंद....


आनंद – (कॉल पर धीरेन्द्र से) प्रणाम दाद जी....


धीरेन्द्र – खुश रहो बेटा , देखो बेटा अब जो बात मै बोलने जा रहा हूँ तुमसे उसे ध्यान से सुनो तुम....


आनंद – हा दादा जी....


फिर धीरेंद कुछ बात बताने लगा जिसे सुन आनंद के चेहरे पर हैरानी की लकीरें दिख रही थी कुछ देर बाद....


धीरेन्द्र – मेरी बात याद रहेगी ना तुम्हे बेटा....


आनंद – हा दादा जी , मै तैयार हु....


धीरेन्द्र – हम्ममम ठीक है बेटा , बस तुम अपनी मां और बहन का ख्याल रखो , मै जल्दी ही तुम्हे कॉल करूंगा....


बोल के काल काट दिया दोनों ने तब....


राधिका – (आनंद से) क्या बात है बेटा क्या कहा बाबू जी ने....


आनंद – कुछ खास नहीं यही की अपनी मां बहन का ख्याल रखो और तैयारी हो जाय तो मुझे बता देना...


राधिका – किस चीज की तैयारी....


आनंद – अरे मां तुम्हीं तो बोल रही थी मौका मिलते ही निकल जायेगे हम यहां से....


राधिका – ओह अच्छा उस बात की तैयारी , ठीक है चल चल के खाना खाते है रात होने को आ गई है आराम भी कर ले तू...


रात का खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए थे इधर आनंद अपने कमरे में बेड में लेता था...


आनंद – (अपने मन में – बस एक बार धीरेन्द्र दादा ने कहा वो काम कर दूं उसके बाद यहां से निकल जाऊगा मां और बहन के साथ फिर कभी शकल भी नहीं देख पाएंगे हमारी ये दोनों (लाला और विजय)....


सोचते हुए सो गया आनंद...


(ये घटना कहानी में आगे के लिए जरूरी है इसीलिए थोड़ा डिटेल में लिखा है मैने चलिए अब आगे चलते है मंदिर में हादसे के बाद साहिल का क्या हुआ और हा ज्यादा सोचना मत होना कि राघव ने क्या किया उसके बाद इस बारे में क्यों नहीं बताया मैने क्योंकि उसके बारे में बीच में पता चल जाएगा आपको)....


अब साहिल की तरफ इस वक्त साहिल घायल अवस्था में कार में बैठा था उसका सिर सुमन की गोद में था जिसकी आंख में आंसू थे वो बार बार साहिल के सिर में हाथ फेर उसका नाम पुकार उसे जगाने में लगी थी आगे बैठी कविता का पूरा ध्यान भी पीछे साहिल पर था अपनी भीगी आंखों से साहिल को देख रही थी जबकि ड्राइविंग सीट में बैठी सुनंदा गाड़ी चला रही थी मंदिर से निकलते ही पलक झपकते ही सुनंदा गाड़ी को अस्पताल की तरफ ले आई जिसका पता सुमन और कवित को भी न चला दोनों इस बात से बेखबर थे कि साहिल ज़ख्मी होने के बाद भी उसके शरीर से खून नहीं निकल रहा था जिसे सुनंदा ने पहले से रोक रखा था अपनी शक्ति से , शहर के हॉस्पिटल के बाहर आते ही गाड़ी रोक के....


सुनंदा – (सुमन और कविता से) हॉस्पिटल आ गया है जल्दी से साहिल को अन्दर ले चलते है...


सुनंदा की बात सुन जल्दी से सुमन और कविता गाड़ी से बाहर निकले तब....


सुनंदा – (सुमन और कविता से) आप दोनों जल्दी से कंपाउंडर को बुलाओ ताकि साहिल को अन्दर ले जा सके इलाज के लिए....


बात सुन दोनों ही जल्दी से हॉस्पिटल अन्दर जाके कंपाउंडर को बुलाने लगे थे जबकि इस तरफ सुनंदा , साहिल के पास आके...


सुनंदा – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ फेरने लगी) कितने बड़े हो गए हो तुम आरव चेहरे पे वही मासूमियत , बातों वो वही प्यार आज भी तू अपने से ज्यादा दिल में दूसरों की फिक्र करता है , लेकिन दिमाग में (हंसते हुए) एक नई शैतानी लेके आया तू , बस थोड़ी देर के बाद तू फिर से पहले की तरह अपनी हरकते शुरू करेगा , मुझे यकीन है आरव तू अपने काम में सफल जरूर होगा जिसके लिए तू यहां आया है....


इसी बीच सुमन और कविता आ गई आते ही साहिल को तुरंत स्ट्रेचर में लेटा के हॉस्पिटल अन्दर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने एक कमरे में ले जाके साहिल की इलाज करने लगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर कमरे से बाहर आया आते ही....


डॉक्टर – (सुमन से) पेशेंट के साथ आप है....


सुमन – जी डॉक्टर अब कैसा है साहिल....


डॉक्टर – वो ठीक है उसका शरीर काफी सक्त है , ज़ख्म गहरा नहीं है उसे मैने टाके लगा दिए है साथ पैन किलर की दवा दे रहा हूँ थोड़ी देर में उसे होश आ जाएगा आप चाहे तो उसे लेके जा सकते है और कुछ कपड़े हो तो दे दीजिए बदलने है उसके कपड़ो पर काफी खून लगा हुआ था उसे हटना पड़ा हमें....


सुनंदा – (बीच में आके) जी अभी लाते है (सुमन से) साहिल के कपड़े कहा है....


सुमन – वो गाड़ी में है...


सुनंदा – चलो लेके आते है (कविता से) तुम यही रुको हम अभी आते है....


बोल के दोनों बाहर जाने लगे तभी....


सुमन – (सुनंदा से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमारी इतनी मदद की....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ये मेरे फर्ज था....


सुमन – माफ कीजियेगा मै आपका नाम पूछना भूल गई....


सुनंदा – मेरा नाम सुनंदा है...


सुमन – जी मेरा नाम सुमन है और वो मेरी बेटी कविता है और...


सुनंदा – (बीच में) मै जानती हूं , आपको एक दूसरे का नाम लेते सुना था मैने....


सुमन – वैसे आप कही जा रहे थे....


सुनंदा – हा मै इस शहर में नौकरी के लिए आई हूँ **** कॉलेज में टीचर के लिए कल मेरा इंटरव्यू है....


सुमन – क्या सच में वो कॉलेज तो हमारा है....


सुनंदा – प्रताप सिंह आपके कौन है...


सुमन – वो मेरे ससुर जी है उन्हीं के नाम से कॉलेज है जिसमें आप पढ़ाने लिए आए हो....


सुनंदा – ओह , अच्छी बात है ये (गाड़ी से साहिल के कपड़े निकालने के बाद सुमन से) अब मुझे इजाजत दीजिए मैं चलती हूँ....


सुमन – लेकिन आप कहा जा रही है....


सुनंदा – आज की रात किसी होटल में गुजार लूंगी और कल किराए पर कोई कमरा देख वही रहूंगी....


सुमन – क्या आप अकेले हो....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा अभी तो अकेली हूँ....


सुमन – आपको कही जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे साथ रहेगी हमारे घर में....


सुनंदा – लेकिन मै आपके घर में कैसे मै तो अंजान हु आपके लिए....


सुमन – किसने कहा आप अंजान हो हमारे लिए अगर अंजान होते तो आप ये सब नहीं करते जो आपने आज हमारे लिए किया है , बस अब और कोई सवाल नहीं आप हमारे साथ रहोगे आज से हमारे घर में....


बोल के दोनों हॉस्पिटल के अन्दर चले गए जहां नर्स को साहिल के कपड़े दिए जिसे बदल उन्होंने साहिल के पहले वाले कपड़े वापस दिए सुमन को कुछ देर बाद साहिल को होश आया तब डॉक्टर ने सबसे मिलने को बोला तीनों साहिल के पास जाके मिलने गए तब....


साहिल – (सुमन , कविता और सुनंदा को देख के) मै यहां कैसे (बोल के उठने को हुआ था तभी पीठ में दर्द हुआ उसे) अअह्ह्ह्ह....


सुमन – (साहिल के कंधे पे हाथ रख संभालते हुए) आराम से उठो डॉक्टर ने ज़ख्म में जोर देने से मना किया है...


साहिल – (हल्के दर्द में) क्या हुआ था वहां पर और हमलोग यहां कैसे आए.....


सुमन – तुम बेहोश हो गए थे उसके बाद तुमने सबको....


सुनंदा –(बीच में) वहां पर पुलिस आ गई थी जिसे देख सब भाग गए उसके बाद तुम्हे लेके यहां हॉस्पिटल में आ गए हम....


कविता – लेकिन वहां पर कोई कैसे....


सुनंदा – (बीच में कविता की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) अब सब ठीक है कविता और साहिल भी मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए घर....


सुनंदा की बात सुन कविता चुप हो गई साथ ही सुमन भी क्योंकि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि साहिल अंजान बन के ऐसी बाते क्यों कर रहा है जैसे उसने कुछ किया ही ना हो लेकिन हालत को देख सुमन ने आगे बोलना जरूरी नहीं समझा....


साहिल – (सुनंदा से) आप कौन है , क्या मैं आपको जनता हु....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा शायद....


साहिल – कहा मिलें थे हम मुझे याद नहीं आ रहा कब मिला था मै आपसे....


सुनंदा – शायद स्कूल में देखा होगा मै टीचर हु स्कूल में पढ़ाती थी बच्चों को....


साहिल – ओह....


सुमन – हमें चलना चाहिए काफी देर हो गई है हमें , घर में परेशान हो रहे होगे सब....


साहिल – कितना वक्त हो रहा है अभी....


सुमन – अभी शाम के ७ बज रहे है....


साहिल – दादी परेशान हो रही होगी मेरे लिए चलो चलते है जल्दी से....


बोल के साहिल उठने लगा तब....


सुनंदा – आराम से उठो साहिल अभी कुछ दिन तुम्हे आराम करना है ताकि ज़ख्म जल्दी सही हो सके....


डॉक्टर – (साहिल से) मैडम सही बोल रही है कुछ दिन के लिए आपको टोटल बेड रेस्ट करना होगा और हा पीठ के बल बिल्कुल नहीं सोना वर्ना ज़ख्म भरेगा नहीं उल्टा खून बहेगा और पेन होगा अलग....


कविता – हम ध्यान रखेंगे इस बात का...


हॉस्पिटल की फीस जमा कर चारों निकल गए घर की तरफ रस्ते में साहिल और सुमन अभी भी पीछे बैठे थे एक साथ और आगे सुनंदा गाड़ी चला रही थी उसके साथ कविता बैठी थी अब थोड़ा साहिल की दादी के घर की तरफ ध्यान देते है आखिर वो इतनी जल्दी घर में क्यों आए और क्यों साहिल , सुमन और कविता को बाद में आने के लिए कहा...


लेकिन अभी नहीं यार थक गया हूँ अभी , अब अगले अपडेट में बाकी जानकारी मिलेगी सबको तब तक के लिए....
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जारी रहेगा✍️✍️
Incredible bahut badiya likha hai superb
 
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sam21003

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Agar aa sako to aoo
Yu hi patharo pe chal ke
Mere dil ki rah guzar pe
Koi kahkasha nahi hai
Very nice superb fantastic
Bole to ekdum jhakaas
Superb fabulous update
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 21



LOCATION....सरला सिंह का घर....


लता (नौकरानी) – (सरला से) माजी आप सब अकेले आए है साहिल कहा है और सुमन दीदी और कविता भी नहीं दिख रहे....


सरला – वो भी आ रहे है लता , अब तू सब छोड़ पहले जाके जल्दी से आरती की थाली ले आ आज साहिल कई सालों बाद घर वापस आ रहा है ना...


लता – तो क्या इसीलिए बाकी सब बाद में आयेगे...


सरला – हा और सुन साहिल का कमरा तैयार है ना कोई कमी तो नहीं रह गई है....


लता – नहीं माजी सब कुछ मैने पहले से तैयार कर दिया है....


रिकी (राजेश और रीना का बेटा) – (सरला से) दादी कौन आ रहा है....


सरला – (मुस्कुरा के) तेरा बड़ा भाई साहिल आ रहा है आज घर में....


रिकी – मेरा बड़ा भाई और आपने मुझे बताया नहीं गलत बात है दादी...


सरला – (मुस्कुर के) अरे मेरा बेटा तो नाराज हो गया अपनी दादी से....


रिकी – और नहीं तो क्या एक तो आपने कभी बताया नहीं मेरा बड़ा भाई भी है ऊपर से भैया आ रहे है अपने बताया नहीं नहीं तो मै भईया के लिए गिफ्ट लेके आता....


सरला – (चौक के) अच्छा क्या गिफ्ट लाते अपने भईया के लिए....


रिकी – मै क्यों बताऊं , आपको पता नहीं गिफ्ट के बारे में बताया नहीं जाता , दिया जाता है....


सरला – (मुस्कुर के) ओह हो मै तो सच में भूल ही गई थी इस बारे में....


रिकी – लेकिन मुझे तो सब याद रहता है दादी क्योंकि मै आप सब से ज्यादा समझदार हूँ...


सरला – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सच बात है मेरे बेटे से ज्यादा होशियार कोई नहीं पूरे घर में , चलो जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारे साहिल भईया थोड़ी देर में आने वाले है फिर हम सब मिल के उनकी आरती उतारेंगे....


रिकी – दादी साहिल भईया की आरती क्यों उतारनी है....


सरला – बेटा आपके साहिल भईया बाहर गए हुए थे पढ़ाई करने बचपन में आज बहुत सालों बाद पढ़ाई करके घर आ रहे है इसीलिए उनकी आरती उतारनी है ताकि किसी की नजर न लगे उनको...


रिकी – तो दादी आपने हमारी कभी आरती नहीं उतारी अगर हमें किसी की नजर लग गई तो...


इस वक्त सरला की हवेली में सुनैना , सोनम , पूनम , राजेश , अवनी , खुशी , लता और इन सबसे अलग बैठी रीना ये सब रिकी की मासूमियत भरी बाते सुन सभी मुस्कुरा रहे थे जबकि रिकी शरीर से बड़ा जरूर हो गया था लेकिन उसका दिमाग आज भी एक बच्चे की तरह था भोला भला बच्चा जिसे घर में सभी आज भी वैसे ही प्यार करते थे जैसे छोटे बच्चे से प्यार करते है फिलहाल आगे बढ़ते है....


सरला – (रिकी के सिर पे हाथ फेर के) ऐसे कैसे लगेगी किसी की नजर मेरे बच्चे को उसके हाथ पैर ना तोड़ दूं मै...


रिकी – तो दादी आज आप साहिल भईया के साथ हमारी भी नजर उतारोगे ना...


सरला – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल मेरे बच्चे....


उसके बाद सभी काफी देर तक इंतजार करते रहे साहिल , सुमन और कविता के आने का लेकिन नहीं आए तब....


सुनैना – (सरला से) बड़ी देर हो गई मां अभी तक आए नहीं ये लोग....


खुशी – मां देर तो लगेगी ना हमें भी तो घर आने में २ से ३ घंटे लग गए थे ना....


पूनम – वैसे भी चाची आज मौसम भी काफी खराब हो गया है हो सकता है उस तरफ बारिश हो रही हो इसीलिए देर हो रही हो उन्हें....


अवनी – मै कविता को कॉल करके पता करती हूँ...


लेकिन कॉल रिसीव नहीं होता कविता का जबकि अवनी कई बार कॉल करती है तब...


अवनी – ये कविता कॉल क्यों नहीं रिसीव कर रही है...


खुशी – (गुस्से में) ये कविता भी ना जब देखा अपना फोन साइलेंट करके रख देती है , मैं सुमन चाची को कॉल मिलती हूँ....


लेकिन सुमन का कॉल भी रिसीव नहीं होता....


खुशी – ये चाची का भी फोन रिसीव नहीं हो रहा है (सरला से) दादी आप जरा साहिल भईया को कॉल मिला के पूछिए ना...


सरला – हा एक मिनिट मै करती हु....


लेकिन साहिल का भी कॉल रिसीव नहीं होता जिसके बाद....


सरला – कमाल है साहिल भी रिसीव नहीं कर रहा कॉल मेरी....


सुनैना – मां हो सकता है इन लोगों ने अपना फोन बैग में रखा होगा शायद इसलिए कॉल रिसीव नहीं कर पा रहा हो....


अवनी – तीनों ने अपना फोन बैग में रखा होगा क्या मां ऐसा जरूरी तो नहीं....


सरला – मै रामू को फोन करती हूं....


लेकिन उसका फोन मिलता ही नहीं है तब....


सरल – रामू का फोन मिल ही नहीं रहा है , सब लोग ठीक तो है ना वहां पर....


राजेश – (सरला के कंधे पर हाथ रख के) मा तुम परेशान मत हो सब ठीक होगे मैं अभी धीरेन्द्र मामा से बात कर पता करता हूं....


बोल राजेश तुरंत धीरेन्द्र को कॉल करता है....


धीरेन्द्र – (कॉल रिसीव करके) हा राजेश....


राजेश – मामा जी वहां से साहिल , सुमन और कविता निकले नहीं है क्या अभी....


धीरेन्द्र – बेटा उन्हें निकले कई घंटों हो गए है....


राजेश – (चौक के) लेकिन वो लोग यहां अभी तक आए नहीं....


धीरेन्द्र – बेटा बात ऐसी है कि वो सब दिन में निकल गए थे (उसके बाद जो हुआ राजेश को सब बता दिया) राघव भी थोड़ी देर पहले घर आया है ये लो उससे बात करो...


राघव को फोन देके...


राघव – भईया मै पता करने गया था पिताजी से मिली जानकारी के बाद मैं सीधा मंदिर की तरफ चला गया गांव वालो के साथ वहा जाते ही जो देखा मैने वो बहुत भयानक नजारा था....


राजेश – (हैरानी से) ऐसा क्या देखा तुमने....


राघव – भईया वहां पर मुझे ४० लोगो को लाशें मिली....


राजेश – (चौक के) क्या लेकिन कैसे और क्या हुआ था वहां पर....


राघव – ये तो पता नहीं भईया लेकिन १० लोगो की लाश सूखे कूवे में पड़ी हुई थी और बाकी के ३० लोगों की लाश मंदिर के बाहर जमीन पर पड़ी हुई थी देख के ऐसा लगता है जैसे किसी ने बड़ी बेहरमी से मारा होगा उनको....


राजेश – (राघव की बात सुन सोचते हुए) और साहिल , सुमन और कविता वो कहा है....


राघव – वो वहा पर नहीं थे भइया और नाही आपकी कार थी वहां पर , मैने गांव के बाहर का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन साहिल , सुमन , कविता और आपकी कार किसी गांव वाले ने नहीं देखा रस्ते से आते जाते हुए , मैं बस अभी घर आया हूँ अपनी गाड़ी लेके गांव वालो के साथ जा रहा हु ढूंढने उनको...


राजेश – (हैरानी और घबराट से) राघव तुम वहां पता करो मैं यहां से तुरंत निकलता हूँ वहां के लिए....


इससे पहले बात आगे कोई करता तभी....


लता – (सरला से) मां जी वो लोग आ गए....


लता की आवाज सुन....


राजेश – कौन आया है लता....


लता – सुमन दीदी , कविता , साहिल और उनके साथ कोई लड़की भी है....


राजेश – (लता की बात सुन खुश होके राघव से कॉल पर) रुको राघव परेशान होने की जरूरत नहीं है साहिल , सुमन और कवित आ गए है घर में...


राघव – शुक्र है भगवान का भइया , अच्छा भईया आप उनसे बात कर के पता तो करिएगा वो आए कैसे और पता चलते हो बता दीजियेगा , रामू काका के ठीक होते ही उन्हें भिजवा दूंगा शहर में....


राजेश – हा ठीक है राघव....


बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद घर के सभी बाहर जाने लगे तब...


सरला – (लता से) लता आरती की थाली तो लेके आ जरा....


तभी घर के दरवाजे से सुमन , कविता , साहिल आने लगे उनके साथ एक लड़की थी तभी....


सरला – (सबको रोक के) रुको एक मिनिट जरा साहिल की आरती उतार दूं....


साहिल – आरती लेकिन दादी....


सरला – चुप कर तू बस खड़ा रह वही पर....


जिसके बाद सरला ने पहले साहिल की आरती उतारी उसके सिर पर टिका लगाया तब....


सरला – चल अब बाया पैर आगे कर अन्दर आजा...


सरला की बात सुनते ही साहिल ने वही किया साथ में सुमन , कविता और सुनंदा ने भी अन्दर आते वक्त सरला ने देखा साहिल को धीरे धीरे चलते हुए , साहिल को इस तरह से धीरे धीरे चलते देख....


सरला – (साहिल से) क्या बात है बेटा तू इस तरह धीरे धीरे क्यों चल रहा है....


सुमन – वो मां रस्ते में कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया था....


हमले की बात सुन सभी हैरान परेशान हो गए तब....


सुनैना – (सुमन से) हमला कैसा हमला दीदी और किसने किया....


सुमन – पता नहीं सुनैना लेकिन एक आदमी ने साहिल की पीठ पे चाकू मारा था ये तो अच्छा हुआ कि साहिल ठीक था और फिर हम सही वक्त पर हॉस्पिटल आ गए....


राजेश – (साहिल के पास आके) तू ठीक तो है ना बेटा....


साहिल – जी मै ठीक हूँ....


सुनैना –(लड़की को देख सुमन से) ये कौन है दीदी....


सुमन – (सुनंदा को देख) इनका नाम सुनंदा है , इन्होंने ही हमारी बहुत मदद की इनकी मदद से हम सब वहां से निकल हॉस्पिटल आ गए जहां साहिल का इलाज हुआ और तू जानती है सुनैना ये हमारे ही कॉलेज में टीचर की नौकरी की लिए आई है अगर ये न मिलती तो जाने आज क्या हो जाता...


सुनंदा – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं मेरी जगह कोई और होता तो वो भी यही करता....


सरला – (साहिल को सोफे पर बैठा के सुनंदा से हाथ जोड़ के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी आज आपने मेरे बेटे को बचा के मुझे नई जिंदगी दी है मैं आपका ये एहसान कैसे उतारूंगी....


सुनंदा – (सरला का हाथ पकड़ के) नहीं नहीं आप हाथ मत जोड़िए मैने किसी पे कोई एहसान नहीं किया , जो भी किया मेरा फर्ज था....


सरला – फिर भी आपका बहुत बहुत शुक्रिया सुनंदा जी (साहिल के बगल में बैठ के) दर्द हो रहा है बेटा...


साहिल – हा दादी अभी भी दर्द है....


सरला – ठीक है तू चल अपने कमरे में आराम कर बाद में बाते करेंगे...


बोल के सरला उठी और साहिल का हाथ पकड़ लिया साथ ही दूसरी तरफ राजेश ने साहिल का हाथ पकड़ उसे कमरे लेके जाने लगे सभी , पीछे से सुनंदा मुस्कुरा रही थी , इस तरफ साहिल को उसके कमरे में लाके बेड में बैठा दिया....


सुमन – (सरला से) मां डॉक्टर ने साहिल को पेट के बल आराम करने को कहा है , पीट पे ज़ख्म है उसकी वजह से उसे दिक्कत ना हो....


सरला – तब तो किसी ना किसी को साहिल के साथ रुकना पड़ेगा हर वक्त....


सुमन – मां मै रुक जाती हु वैसे भी मेरा कमरा बगल में ही है....


साहिल – (सरला से) दादी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है मै संभाल सकता हूँ खुद को....


सरला – हा हा वो सब दिख रहा है मुझे , बस चुप चाप मेरी बात सुन जब तक तू पूरी तरह से ठीक नहीं होता तब तक सुमन रहेगी तेरे साथ , और इससे आगे मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी समझा....


साहिल –(मुस्कुरा के) ठीक है मेरी प्यारी दादी जैसा आप कहो वैसा करूंगा मैं....


सुमन – मा वो सुनंदा जी इस शहर में अकेली है उन्होंने हमारे लिए इतना कुछ किया तो मैने उन्हें यहां सबके साथ रहने के लिए कहा है....


सरला – ये तो बहुत अच्छी बात है सुमन , तुमने बहुत अच्छा काम किया....


सुनंदा – अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं यही साहिल के साथ रुक सकती हूँ , साथ में साहिल की देख भाल भी कर दूंगी मैं....


सरला – अरे नहीं नहीं सुनंद जी आपने इतना कुछ किया है हमारे लिए आपको और परेशानी में नहीं डालेंगे....


सुनंदा – इसमें परेशानी कैसी , टीचर की जॉब लगने से पहले मैं नर्स थी एक अस्पताल में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी साहिल की देखभाल करने में....


सरला – सच में सुनंदा जी भगवान ने शायद आपको हमारे लिए ही भेजा है , ठीक है साहिल के ठीक होने तक आप यही रुक जाईए और सुमन का भी कमरा बगल में है वो इसमें आपका साथ देगी , उसके बाद मैं आपके लिए रूम सही करवा दूंगी....


सुनंदा – जी शुक्रिया...


सरला – (लता से) लता किसी को बोल के साहिल और सुनंदा जी का समान यहां भिजवा दे और तू खाने की तैयारी कर और साहिल का खाना कमरे में ले आना (सुनंदा से) आप भी फ्रेश हो जाइए थोड़ी देर में सब साथ में खाना खाते है...


सुमन – मां वो बाबू जी (धीरेन्द्र) ने कुछ सामान भेजा है आपके लिए....


सरला – हा तो रख दे कमरे में....


सुमन – वो मां मेरा सामान ऊपर वाले कमरे में है आप एक बार देख लेते तो....


सरला – अच्छा ठीक है चल (साहिल से) तू आराम कर मै अभी आती हु...


बोल के निकल गई सरला , सुमन के साथ , साथ में बाकी सभी सुमन के कमरे में आते ही सुमन ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया तब...


सुमन – मां आपको एक जरूरी बात बतानी है...


सरला – क्या बात है सुमन ऐसे अचानक से...


फिर सुमन ने वो सब बता दिया जो मन्दिर में हुआ कैसे वो मन्दिर में आए कैसे साहिल पर हमला हुआ और कैसे साहिल ने सबको मारा कैसे अस्पताल में आए और वहां आते ही साहिल ने जो कहा ये सारी बात सुन...


सरला –(हैरानी से) ये कैसे हो सकता है साहिल ने सबको मारा और उसे ही याद नहीं....


सुमन – मां अगर उस वक्त आप भी साहिल का वो रूप देखते शायद आपको भी यकीन नहीं होता , मां जिस रात रनवीर ने लाला का बेटा और उसके भाई और दोनों बेटो को मारा था उससे भी ज़्यादा भयानक मंजर था आज का जब साहिल उन सभी को बेहरमी से मार रहा था...


सरला – हम्ममम फर्क बस इतना सा है उस रात रनवीर ने तुझे बचाया था और आज साहिल ने तुझे और कविता को बचाया , उस वक्त वो सिर्फ चार थे और आज उससे ज्यादा , लेकिन एक बात समझ नहीं आई किसकी इतनी हिम्मत हो गई जिसने हमारे खानदान की तरफ आंख उठा के देखा होगा....


सुमन – मुझे ठीक से याद नहीं मां वो आदमी कुछ बोल तो रहा था लेकिन साहिल को उस हालत में देख मैने ध्यान नहीं दिया उसकी कही किसी बात पर....


सरला – शुक्र है ऊपर वाले का उसने कुछ भी गलत नहीं होने दिया मेरे परिवार के साथ , खेर मै मौका देख के साहिल से बात करूंगी इस बारे में , खेर वहां जो हुआ तुम इस बारे में किसी से बात मत करना , अब तुम भी फ्रेश हो जाओ खाना खा के आराम कर लो तुम्हे साहिल का भी ध्यान रखना है...


सुमन – जी मां....


इधर ये दोनों बात कर रहे थे वहीं साहिल के कमरे में...


सुनंदा – (साहिल से) तुम्हारा कमरा बहुत सुंदर है....


साहिल – हम्ममम मै भी देख रहा हूँ आज पहली बार इस कमरे को....


सुनंदा – पहली बार ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम....


साहिल – (मुस्कुरा के) सच ही तो बोल रहा हूँ ८ से ९ साल बाद आया हूँ इस घर में सब कुछ बदल चुका है यहां पर....


लता – (अपने साथ दोनों का समान कमरे में लाते हुए) हा साहिल बाबा बदला काफी कुछ है इस घर में आपका ये कमरा आपके जाने के बाद अभी खुला है....


साहिल – (लता से) आप कौन है और मेरे नाम के साथ बाबा....


लता – (मुस्कुरा के) आपने मुझे पहचाना नहीं शायद मेरा नाम लता है मै यहां काम करती हूँ , बचपन में आप मेरे साथ बहुत खेलते थे , मै आपको साहिल बाबा बुलाती थी , आपको याद नहीं....


साहिल – (मुस्कुरा के) यहां से जाने के बाद कुछ समय के लिए हर किसी को बहुत याद करता था , और फिर दादी के सिवा सबको भूल गया मै बस याद रही तो सिर्फ एक बात की कभी वापस नहीं आऊंगा यहां पर मैं....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) एक न एक दिन तो सभी को लौट के आना ही होता है साहिल शायद यही वक्त था तुम्हारे लौटने का वापस अपने घर पर...


साहिल – हम्ममम शायद कुछ वक्त के लिए बस....


लता – ऐसा क्यों बोल रहे हो आप बाबा अब आप कही नहीं जाओगे यही रहोगे हमेशा के लिए....


साहिल – (मुस्कुरा के) देखते है कितना वक्त लगता है इस बार , खेर आप मेरा खाना रहने देना मेरी इच्छा नहीं है खाने की....


सुनंदा – (बीच में लता से) आप एक काम करो खाना लेके आओ मै खिला दूंगी साहिल को....


लता – जी ठीक है....


बोल साहिल को एक बार देख के बाहर जाने लगी , कमरे के बाहर आके...


लता – (अपने मन में – क्या हुआ है साहिल बाबा को इतने सालों बाद आज घर आए है और आते ही , लगता है दादी के कहने से आए है घर में वर्ना बातों से यही लगता है शायद वापस ही नहीं आना चाहते थे यहां कभी , गलती तो साहिल को भी नहीं है इसमें , जो हुआ उनके साथ उसके बाद कौन आना चाहेगा उस घर में)....


सोचते हुए चली गई लता जबकि कमरे में....


साहिल – (सुनंदा से) आपने क्यों मंगवा लिया खाना मेरी सच में इच्छा नहीं है खाने की....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) हो सकता है लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा तुम्हे वर्ना ठीक कैसे होगे भूल गए जख्मी हो तुम खून भी बहा है तुम्हारा इसीलिए खाना तो पड़ेगा ही....


साहिल – (मुस्कुरा के) आपने कहा था कि हम स्कूल में मिले है लेकिन आपको अपने स्कूल में मैने कभी देखा ही नहीं फिर हम कब मिले थे....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) दो साल पहले हम स्कूल की पिकनिक पर मिले थे साथ में तुम्हारा दोस्त भी था....


साहिल – आपको सच में याद है और मुझे याद ही नहीं आपके बारे में....


सुनंदा – हम्ममम जैसे तुम्हे अपनी दादी के सिवा परिवार का कोई याद नहीं शायद वैसे ही...


साहिल – काफी फर्क है दोनों बातों में....


सुनंदा – और वो क्या....


साहिल – जाने दीजिए इस बात को , मै फ्रेश होके आता हु....


सुनंदा – मै मदद करती हूँ....


साहिल – नहीं मै कर लूंगा जरूरत होगी बता दूंगा आपको....


सुनंदा – ठीक है दरवाजा बंद मत करना बस जरूरत पड़े बुला लेना....


साहिल – ठीक है....


इस तरफ कविता के कमरे में अवनी , खुशी , सोनम , पूनम बैठे बात कर रहे थे....


सोनम – (कविता से) क्या हुआ था वहां पर कैसे हुआ ये सब....


कविता – गांव में रामू काका की जगह कोई और लें आया हमें जब पूछा तो बताया उसने की रामू काका की तबियत अचानक खराब होगई इसीलिए वो आया उनकी जगह उसके बाद हम निकल गए रास्ते में उस आदमी ने रास्ता बदल लिया तब एक मंदिर में गाड़ी रोकी उसने पहले तो याद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में याद आया कि उस मंदिर में हम पहले भी आ चुके है....


पूनम – कौन से मंदिर की बात कर रही है तू....


कविता – अरे वही जब राघव चाचा की शादी में हम गए थे एक बार तब धीरेन्द्र दादा के साथ हम गए थे घूमने उस मन्दिर में तब उन्होंने क्या कहा था याद है ना....


खुशी – हा उन्होंने कहा था कि इस मन्दिर में हमारे परिवार वालों के सिवा कोई नहीं आ सकता है और जो भी आया वो यहां के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....


कविता – उसी मंदिर में गए थे हम लेकिन....


अवनी – लेकिन क्या कविता....


कविता – अगर दादा जी की बात सच थी तो वहां पर वो सब कैसे आए थे और वो ड्राइव जो रामू काका की जगह आया वो कैस लेके आया हमें उस मंदिर के रस्ते में....


पूनम – कौन थे वो लोग....


कविता – पता नहीं दीदी लेकिन उन्होंने मंदिर में ही हमें घेर लिया था और शायद साहिल भाई समझ गए थे तभी वो मां और मुझे लेके जाने लगे मन्दिर से लेके तभी एक आदमी ने साहिल भाई को पीछे से चाकू मार दिया उसके बाद पता नहीं क्या हुआ दीदी मै बेहोश हो हुई थी जब होश आया तो अपने आप को कार में पाया तब साहिल भाई को हॉस्पिटल में लेके आए थे हम लोग उसके बाद यहां आ गए....


सोनम – ये तो बहुत अजीब बात है कौन हो सकता है वो जिसने ऐसा किया और सबसे बड़ी बात वो उस मन्दिर में कैसे आ गए....


इन सब बातों में उलझे हुए थे यहां पर ये पांचों जबकि नीचे हाल में उसी वक्त रनवीर आ गया आते ही....


रनवीर – (राजेश से मिला जो अपनी सोच में डूबा बैठा था सोफे पर जिसे रनवीर के आने का पता नहीं चला तब) क्या हुआ भैया आप यहां क्यों बैठो हो....


अपने सामने रनबीर को देख उसे सारी बात बताता है तब....


रनवीर – (चौक के) क्या ये सब कैसे और सुमन और कविता कैसे है....


राजेश – वो ठीक है कमरे में है अपने....


रनवीर – मै मिल के आता हु....


राजेश – रनवीर तुम्हे क्या लगता है कौन कर सकता है ये सब कही लाला का हाथ तो नहीं इसमें....


रनवीर – लाला नहीं हो सकता है भईया क्योंकि वो इसका अंजाम अच्छे से जानता है , ये जरूर कोई हमारा बिजनेस का दुश्मन होगा जिसने ये बेवकूफी की होगी वरना आप खुद सोचो भईया भला मंदिर में कैस जा सकता है कोई तभी तो मारे गए सब के सब....


राजेश – हम्ममम तुम ठीक कह रहे हो रनवीर....


बोल के रनवीर जैस ही अपने कमरे में गया वहां सुमन को ना पाके बाहर आया आते ही....


रनवीर – भईया अपने सुमन को देखा कमरे में नहीं है वो....


राजेश – अरे हा मै बताना भूल गया वो ऊपर साहिल के कमरे में है....


रनवीर – वो यहां पर...


राजेश – हा मा के कहने पर आया है , देखो रनवीर वो बेटा है हमारे घर का तुम उसे पसंद नहीं करते हो ये जानता हु मैं , तो प्लीज ऐसा कुछ मत करना जिससे मां को तकलीफ हो....


रनवीर – ये जानते हुए भी कि उसने क्या किया है....


राजेश – भूल जाओ उस बात को रनवीर सिर्फ आज में जीना सीखो बस...


रनवीर – मै कभी नहीं भूल सकता हु उस बात को भईया भले आप भूल जाओ....


बोल के रनवीर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा साहिल के कमरे में आके जहां साहिल बाथरूम में बाहर आ रहा था वही बेड में सुनंदा बैठी थी तभी....


रनवीर –(कमरे में आके साहिल से) सुमन कहा है....


साहिल बिना ध्यान दिए बेड में बैठ गया....


साहिल – (सुनंदा से) ये दादी के बेटे है इनका नाम रनवीर है वही जिनकी बीवी और बेटी के साथ हम यहां आए है....


तभी रनवीर का ध्यान सुनंदा पर जाता है उसे आंखे फाड़े देखता रह जाता है जिसे सुनंदा देख लेती है साथ में साहिल भी देख लेता है तब....


साहिल – मुझे पता नहीं....


रनवीर – (चौक के) क क्या कहा....


साहिल – (मुस्कुरा के) पता नहीं कहा है आपकी बीवी....


रनवीर – (सुनंदा से) आप कौन है....


सुनंदा – मेरे नाम सुनंदा है , सुमन लेके आई है मुझ यहां पर....


रनवीर – हम्ममम ठीक है (साहिल से) यहां पर अपनी हद में रहना तुम समझे....


साहिल – आप ये बात दादी मा के सामने कहिएगा और ज्यादा दिक्कत हो तो दादी से मना कर दीजियेगा....


बात सुन रनवीर कमरे में बाहर चला गया तभी उसने ध्यान दिया कि बगल वाला कमरा खुले आ हुआ है वहा जाके देखा तो सुमन और सरला आपस में बात कर रही थी तब....


रनवीर – (कमरे में आके सुमन से) तुम यहां क्या कर रही हो मुझे लगा अपने कमरे में होगी...


सुमन – अपने ही कमरे में हूँ मैं....


रनवीर – क्या मतलब , ये तुम्हारा कमरा कैसे वो तो नीचे है....


सुमन – नहीं ये है अब से मेरा कमरा....


रनवीर – ये कैसी बाते कर रही हो तुम सुमन अपना कमरा छोड़ के इस कमरे में अकेले क्यों....


सुमन – अकेले कहा हूँ साहिल है बगल के कमरे में और कविता का भी कमरा है....


रनवीर – मतलब साहिल की वजह से तुम यहां पर....


सुमन – हा ताकि साहिल के करीब रह सकू....


रनवीर – जब से गांव में मिली हो उससे जाने तब से क्या हो गया है तुम्हे इतने सालों तक तो जिसके बारे में सोचा नहीं आज अचानक उसके करीब रहने की बात कर रही हो....


सुमन – अकल पे पर्दा था मेरे जो सच और झूठ में फर्क नहीं कर पाई , सबकी तरह करती गई गलती पर गलती....


रनवीर – (बात न समझ के) क्या मतलब है तुम्हारा....


सुमन – मतलब साफ है गलती को सुधारना चाहती हूँ मैं और वैसे भी बारह सालों से कौन सा घर में रहते आए हो , आपको तो घर में बाहर रहने में मजा आने लगा है बारह सालों में....


रनवीर – (मुस्कुरा के) ओह तो ये बात है इतने वक्त से तुम्हे मै वक्त नहीं दे पाया , हा मानता हूँ सुमन काम की वजह से मुझ कई बार घर के बाहर रहना पड़ता रहा है लेकिन मै वादा करता हूं अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा काम के साथ घर पर भी वक्त दूंगा मै चलो अब अपने कमरे में....


सुमन – अब यही मेरा कमरा है और मुझे किसी भी तरह साहिल के करीब रहना है.....


रनवीर – वो तो तुम अपने कमरे में रह कर भी रह सकती हो करीब उसके , रह तो रहा है ना वो इस घर में....


सुमन – नहीं वो जख्मी है अभी , उसे कभी भी जरूरत पड़ सकती है मेरी इसीलिए इस कमरे में रहूंगी....


रनवीर – ठीक है उसके ठीक होते ही आजाना तुम....


सुमन – तब की तब देखेंगे....


रनवीर – (कुछ पल सुमन को गौर से देखता है तब) ठीक है....


बोल के निकल जाता है रनवीर कमरे से तब....


सरला – बहुत जिद्दी है रनवीर मानेगा नहीं....


सुमन –(मुस्कुरा के) साहिल से ज्यादा नहीं है मां , लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाली हूँ....


सरला – वो तू देख ले , चल फ्रेश होके खान के लिए आजा नीचे मैं साहिल के पास जा रही हूँ....


बोल के सरला निकल गई साहिल के कमरे में , इधर साहिल बेड में बैठा कुछ सोच रहा था सुनंदा फ्रेश होने गई थी बाथरूम में तभी....


साहिल – (मन में सोचते हुए – इतना कुछ होगया आज और अच्छा हुआ सेमेंथा ने नहीं देखा वर्ना....


इससे पहले साहिल आगे कुछ बोलता तभी....


सेमेंथा – वर्ना क्या साहिल....


साहिल – (चौक के) तुम यहां पर कैसे....


सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने कहा था ना तुमसे जब भी तुम मुझे याद करोगे या पुकारोगे अपने पास पाओगे....


साहिल – (अपने सिर में हाथ रख के) अरे हा यार मै सच में भूल गया था एक्सीडेंट के चक्कर में....


सेमेंथा – (हैरान होके) एक्सीडेंट , किसका एक्सीडेंट साहिल....


साहिल – (घबरा के) क क किसी का नहीं हुआ मै तो तो ऐसे ही ही बो बोला मै....


सेमेंथा – (साहिल को घूर के देखते हुए) सच सच बताओ साहिल बात क्या है....


साहिल – (मन्दिर में कैसे उसे चाकू मारा पीठ में ये बात बता के) उसके बाद मै बेहोश हो गया जब होश आया तो हॉस्पिटल में था....


सेमेंथा – (साहिल के पास आके) और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं एक बार याद तो कर सकते थे न (दूसरी तरफ सिर घुमा के) शायद तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं साहिल , मै ही पागल थी....


साहिल – (सेमेंथा का हाथ पकड़ के) तुम्हे नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो....


सेमेंथा – सही तो सोच रही हूँ मैं....


साहिल – (सेमेंथा को गले लगाते हुए) जिसको कहो उसकी कसम खा के बोलने को तैयार हु मैं , ये सब इतनी जल्दी में हुआ मुझे मौका ही नहीं मिला कुछ भी सोचने का....


साहिल की बात सुन जोर से गले लगती है जिससे साहिल को पीठ में दर्द होता है....


साहिल – (दर्द में) आआआहह....


सेमेंथा – (चौक के) क्या हुआ तुम्हे....


साहिल – कितने जोर से गले लगी हो पीठ में दर्द हो रहा है....


सेमेंथा – सौरी माफ करना मुझे ध्यान नहीं रहा....


साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) देखा इसी तरह मुझे भी ध्यान नहीं रहा था....


सेमेंथा – (हाथ से चुटकी बजा के) आगे से मै हर वक्त साथ रहूंगी तुम्हारे....


साहिल – वो तो ठीक है लेकिन अभी तुमने क्या किया चुटकी बजा के.....


सेमेंथा – कुछ खास नहीं तुम्हारा ज़ख्म सही कर दिया....


साहिल – (चौक के) ये क्या किया तुमने....


सेमेंथा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....


साहिल – तुम भूल रही हो सेमेंथा मै अब अकेला नहीं हूँ इस घर में सबको पता है मेरे ज़ख्म के बारे में क्या जवाब दूंगा मै उनको....


सेमेंथा – (मुस्कुरा के) मैने तुम्हारा ज़ख्म सही किया है सिर्फ , ज़ख्म वही का वही है अभी भी बस तुम्हे अब तकलीफ नहीं होगी और न दर्द....


साहिल –(मुस्कुरा के) तुमने तो सच में मुझे डरा दिया था....


इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी बाथरूम से कुछ गिरने की आवाज आती है जिसे सुन....


सेमेंथा –(आवाज सुन के) कौन है वहां पर....


साहिल – मै बताना भूल गया वो औरत जो हॉस्पिटल में लेके आई थी हमलोग को ये वही है कॉलेज में टीचर के लिए आई है और वो सुमन ने इसे यही रहने को बोला है....


साहिल ने इतना बोला था तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वहां से सुनंदा बाहर निकली तभी सेमेंथा गौर से देखने लगी सुनंदा को तब....


सुनंदा – (साहिल से) किस्से बाते कर रहे थे तुम कोई आया था कमरे में....


साहिल – नहीं वो मै फोन पर बात कर रहा था दोस्त से अपने....


सुनंदा – (सेमेंथा को एक नजर देख हल्का मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है तुम खड़े क्यों हो बेड में आराम करो....


साहिल – ओह हा वो मेरा मन हो गया था इसीलिए....


ठीक उसी वक्त लता आ गई सरला के साथ खाना लेके साहिल के कमरे में इधर इन तीनों ने साहिल के कमरे में खाना खाया और बाकी के लोगों ने हाल में खान खा के चले गए कमरे में सोने तब...


सुमन – (साहिल के कमरे में आके साहिल से) मेरा कमरा बगल में है और तुम्हारे कमरे से दरवाजा लगा हुआ है , जो खुला रहेगा , अगर कोई भी जरूरत हो तो बुला लेना....


साहिल – फिलहाल मै ठीक हु जरूरत नहीं है मुझे....


साहिल – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मैं चक्कर लगाती रहूंगी बीच बीच में....


बोल के सुमन चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही...


सुनंदा – (साहिल से) तुम इतना गुस्से में क्यों बात करते हो सुमन से....


साहिल – मुझे आदत नहीं किसी के सहारे की वो जबरदस्ती पीछे पड़ जाती है....


सुनंदा – (मुस्कुरा के) इसे जबरदस्ती नहीं कहते साहिल इसे प्यार कहते है....


साहिल – (हस्ते हुए) प्यार वो भी ये जाने दीजिए इससे अच्छा मजाक मैने अभी तक नहीं सुना....


सुनंदा – ऐसा क्यों बोल रहे हो....


साहिल – वो मेरी कुछ नहीं लगती है इस दुनिया में मेरा अगर कोई है तो वो सिर्फ दादी और मेरा दोस्त कमल और कोई नहीं....


बोल के साहिल बेड में लेट गया दूसरी तरफ मु करके जिसे देख सुनंदा हल्का मुस्कुरा रही थी जिसे सेमेंथा देख रही थी तब सुनंदा ने हवा में हल्का सा हाथ घुमाया और साहिल गहरी नींद में सो गया तब....


सुनंदा –(सेमेंथा से) कैसी हो तुम...


सेमेंथा , सुनंदा की आवाज सुन साहिल को देखने लगी तब....


सुनंदा –(मुस्कुरा के) परेशान मत हो साहिल को गहरी नींद में सुला दिया है मैने....


बात सुनते ही सेमेंथा तुरंत सुनंदा के गले लग गई तब....


सेमेंथा – मां आप वापस आ गया अपने बताया नहीं और ये सब साहिल के साथ अचानक से कैसे....


सुनंदा – सब बताऊंगी उससे पहले हमे चलना होगा मंदिर में अभी....


सेमेंथा – मंदिर में अभी क्यों मां....


सुनंदा – ऋषिवर से मिलने , बाकी वही चल के सब पता चल जाएगा चलो फिर जल्दी से वापस भी आना है हमें....


बोल के दोनों गायब हो गए वहां से और आ गए उसी मंदिर में जहां साहिल ने सबको मारा था मंदिर में आते हो सामने जगन्नाथ बाबा मिले....


सुनंदा – (जगन्नाथ बाबा से) प्रणाम ऋषिवर....


जगन्नाथ बाबा – प्रणाम देवी , बताए देवी कैसे आना हुआ....


सुनंदा – बाबा आपने तो देखा होगा आज मेरा पुत्र वापस आ गया और आते ही उसने जो किया....


जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) पता है देवी हमने पहले ही ये सब देख लिया था....


सुनंदा – बाबा अब आगे क्या और कैसे करना है....


जगन्नाथ बाबा – (मुस्कुरा के) देवी आगे के लिए जो करना है आपको ही करना होगा आपके पुत्र की सभी शक्तियों को आपको ही उसे प्राप्त करने में सहायता करनी होगी लेकिन....


सुनंदा – लेकिन क्या बाबा...


जगन्नाथ बाबा – आपने शायद ध्यान नहीं दिया एक बात पर देवी....


सुनंदा –(हैरानी से) कौन सी बात पर ध्यान नहीं दिया मैने ऋषिवर....


जगन्नाथ बाबा – समय का चक्र वापस घुमा है....


सुनंदा – समय का चक्र , मै कुछ समझी नहीं ऋषिवर और किसके लिए घूमा समय चक्र और क्यों....


जगन्नाथ बाबा – ये सब शिव की लीला है देवी , एक मां की अधूरी ममता उसका प्यार और बेटे का प्यार उसकी मां के प्रति जो अधूरा रह गया था उनके सच्चे प्यार के खातिर समय चक्र घूमा है आज और अब जल्द ही आपके पुत्र की भेट होने वाली है उनसे....


सुनंदा – परन्तु ऋषिवर इस बात का हमसे क्या ताल्लुख है....


जगन्नाथ बाबा – ताल्लुख है देवी , समय चक्र घूमने से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान धरती लोक में आ चुका होगा और अब वो बिल्कुल भी चुप नहीं बैठेगा BD जरूर कोई चाल चलेगा आप तक आने की इसीलिए अब आपको और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आपके पुत्र ने अपनी शक्ति अभी तक प्राप्त नहीं की है लेकिन इन सब के बाद जैसे ही आपके पुत्र ने अपनी पहली शक्ति प्राप्त की BD को समझते देर नहीं लगेगी आप धरती लोक में कहा छिपे हुए हो....


सुनंदा – तो ऋषिवर अब क्या करे हम....


जगन्नाथ बाबा – BD आपके पुत्र साहिल तक ना पहुंचे इसके लिए आपके पुत्र का उस लड़के के साथ होना जरूरी हो गया है....


सुनंदा – आखिर ऐसी क्या खासियत है उस लड़के में ऋषिवर.....


जगन्नाथ बाबा – उस लड़के पर शिव जी की कृपा है देवी उस लड़के ने अपने पूर्व जनम में कड़ी तपस्या की जिस वजह से शिव जी ने उसे वरदान के सरुप में काल भैरव दिया लेकिन उसे पूर्व जन्म में जितना उसे प्यार मिला उतनी ज़्यादा तकलीफ उसे इस जन्म में मिली छल कपट से उसकी मां को उससे दूर कर दिया गया उस लड़के ने हिम्मत न हारी अंत में वो मां आई अपने पुत्र के पास वापस लेकिन तब मृत्यु ने दूर कर दिया उस मां से उसके पुत्र को पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए उस मा ने शिव जी के सामने गुहार लगाई तब काल भैरव ने उस मां के असीम प्रेम और उस लड़के का अपने मा के प्रति अधूरे प्रेम के खातिर काल भैरव ने समय चक्र को घुमा दिया और उस मा को एक मौका दिया ताकि इस बार पुत्र और मां का प्रेम अधूरा ना रह जाए लेकिन अब काल भैरव उस लड़के के साथ तो नहीं है लेकिन उनकी शक्ति उस लड़के के साथ है इसीलिए उस लड़के का साथ आपके पुत्र के लिए जरूरी है जिस वजह से आपके दूसरे पुत्र BD का ध्यान आपके पुत्र पर जल्दी नहीं जाएगा....


सुनंदा – ऋषिवा कौन है वो मां और वो लड़का....


जगन्नाथ बाबा – जल्द ही आपकी भेट होगी उस लड़के और उसकी मां से परन्तु याद रहे देवी इस लड़ाई में अब आप अकेले नहीं हो वो मां और बेटा का साथ भी होगा इसमें , आपको उनका पूरा साथ देना होगा देवी तभी आपकी वर्षों की तपस्या सफल होगी....


सुनंदा – जी ऋषिवर में साथ दूंगी उनका....


जगन्नाथ बाबा – अति उत्तम देवी (सेमेंथा से) सेमेंथा पुत्री.....


सेमेंथा – (हाथ जोड़ के) जी बाबा....


जगन्नाथ बाबा – पुत्री अब तुम्हे साहिल और अपनी मां (सुनंदा) का साथ देना है जैसा वो कहे वैसा करना पुत्री तभी तुम्हारे जन्म का असली मकसद पूरा होगा....


सेमेंथा – जी बाबा....


जगन्नाथ बाबा – हम्ममम अब आप प्रस्थान करे जल्द ही हमारी मुलाक़ात होगी और इस बीच कभी भी आपको जरूरत पड़े हमारी तो मन में याद करिएगा....


इसके साथ सुनंदा और सेमेंथा दोनों ने एक साथ जगन्नाथ बाबा को प्रणाम कर वहां से गायब हो कर साहिल के पास आ गए....


सेमेंथा – (सुनंदा से) अब क्या करना है मां....


सुनंदा – अब हमें जो करना है जल्दी ही करना होगा इससे पहले BD को पता चले साहिल के बारे में हमें उसे सुरक्षित करना होगा किसी तरह....


सेमेंथा – लेकिन कैसे मां....


सुनंदा – मैने उस बारे में सोच लिया है सेमेंथा अपने पुत्र को बचाने के लिए मै वो करूंगी जिसके बाद साहिल पर ध्यान गलती से भी नहीं जाएगा BD का जिसके बाद साहिल के लिए और भी आसान हो जाएगा अपनी शक्ति को प्राप्त करना....
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जारी रहेगा✍️✍️
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ये दोनों मां और बेटा कौन है जल्द ही इस बारे में पता चल जाएगा आप सबको बस इन्तजार कीजिए आने वाले UPDATES का
 
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