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Very superb updateUPDATE 14
एक गाड़ी तेजी से शहर की तरफ जा रही थी उसमें बैठा आदमी...
लाला – (अपने मुनीम से) मुनीम ये रनवीर का बेटा तो बिल्कुल अपने बाप पर गया है हूँ बहु उसकी तरह दिखता है और वैसी ही अकड़ है उसमें भी...
मुनीम – हा मालिक उसे देख के मुझे रनवीर की याद आ गई आज....
लाला – (अपने बेटे विजय से) विजय जरा ध्यान रखना धीरेन्द्र की बेटी की शादी है कुछ भी उल्टा सीधा ना होने पाय क्योंकि वहां रनवीर भी मौजूद होगा बस शांत रहना सब और आनंद को भी समझा देना...
विजय – पिता जी शादी में तो राधिका और सिम्मी भी जाएगी ना हम तो नहीं जाएंगे...
लाला – नहीं विजय हमें भी जाना होगा धीरेन्द्र ने न्योता दिया है खुद हमारी हवेली में आके भूलो मत गांव में हमसे ज्यादा उसकी चलती है पूरे गांव वालो का वो मसीहा है...
विजय – ठीक है पिता जी लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा आप शांत रहने को क्यों बोल रहे है हमें आप जानते हो ना क्या किया था रनवीर ने उस रात को...
लाला – (गुस्से में) कुछ नहीं भूला हूँ मै विजय सब याद है मुझे और किसने कहा हम शांत रहेंगे बल्कि हम कुछ भी नहीं करेंगे बल्कि करवाएंगे दूसरों से और इस बार जो मेरे पिता और मेरे भाई नहीं कर पाए वो हम करेंगे लेकिन तरीका अलग होगा हमारा इस बार जिससे गांव वालो की नजर में ना आए हम...
विजय – (मुस्कुरा के) ठीक है पिता जी जैसा आप कहे....
इस तरफ साहिल जब कमरे में आया तब अपने सामने सुमन को देखा जिसके साथ सुनैना और उसकी दोनों बेटी खुशी और अवनी थी अपने सामने साहिल को देख चारों बेड से उठ गए तभी...
साहिल – (कमरे में चारों तरफ नजर दौड़ा के उसे समझ आ गया कि वो गलत कमरे में आ गया है तब) sorry मै गलती से गलत कमरे में आ गया...
बोल के साहिल वापस निकल गया कमरे से जबकि सुमन कुछ बोलने को हुईं थी लेकिन कुछ बोल ना पाई सुमन तब...
सुनैना – शायद गलती से इस कमरे में आ गया होगा साहिल एक जैसे है सारे कमरे यहां पर...
अवनी – (सुनैना से) मा क्या साहिल भाई माफ करेगा हमें...
सुनैना – (अवनी और खुशी से) याद है तुम दोनों को जब तुम दोनों मिल के साहिल को परेशान करती थी और तुम दोनों की वजह से साहिल एक बार कितनी मार खाया था तब मैने तुम दोनों को डाटा था और बोला भी था ना जो तुम दोनों कर रहे हो उसकी माफी नहीं मिलेगी कभी लेकिन तुम दोनों मेरी बात नहीं मानी अब नतीजा तुम दोनों के सामने है उसके बाद भी इस उम्मीद में हो की साहिल तुम्हे माफ करेगा...
खुशी – लेकिन मा उस वक्त बड़ी मां बोलती थी सबको की साहिल गन्दा है उसकी वजह से दादा जी मर गए और उसकी वजह से ही बड़ी मां (सुमन) के घर वाले भी मारे गए थे इसीलिए सब घर वाले नफरत करते है साहिल से...
सुमन –(खुशी की बात सुन के सुनैना से) मा(सरला देवी) सही कह रही थी उस दिन बड़ों ने नफरत की आग में जलते हुए अपने बच्चों को भी झोंक दिया उस आग में जलने के लिए और जिसके बारे में मू खोलते वक्त कोई सोचता नहीं था आज उसी के सामने बोलने से भी डर लग रहा है हर किसी को...
सुनैना – जाने कैसे मना पाएंगे साहिल को हम सब मुझे तो आज की हुई बात से डर लग रहा था जब मा ने साहिल को घर आने के लिए बोल रही थी मुझे लगा कही साहिल मना ना कर दे लेकिन शुक्र है इस बात का की साहिल मा की हर बात मानता है इसीलिए हा कर दिया घर आने के लिए...
ये सब यहां आपस में बाते कर रहे थे वहीं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी कविता बस चुप चाप सबकी बाते सुन रही थी जाने उसके दिमाग में क्या चल रहा था जबकि इस तरफ साहिल अपने कमरे में आते ही उसे सामने सेमेंथा दिखी तब….
साहिल – तो तुम यहां हो रस्ते से कहा चली गई थी....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) बताया तो था मैने और वैसे भी मै कहा जाऊंगी भला तुम्हारे सिवा...
साहिल – हम्ममम बड़ी चालक हो तुम तो....
सेमेंथा – इसमें चालाकी कैसी अब मै तो साथ हूँ तुम्हारे और तुम ही ने तो कहा था कि मै तुम्हारे साथ रह सकती हूँ...
साहिल – हा कहा तो था लेकिन अब मै नहाने जा रहा हूँ (आंख मार के) इसमें साथ दोगी मेरा....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) जैसे निधि साथ थी वैसे क्या...
साहिल – (चौक के) तुम्हे कैसे पता उसके बारे में...
सेमेंथा – देखा नहीं बाते सुनी मैने सारी तुम्हारी...
साहिल – (मुस्कुरा के) वो तो बस होगया था हमारे बीच में लेकिन तुम्हारे साथ मजाक कर रहा था मै...
सेमेंथा – कोई बात नहीं मै तो तुम्हारे साथ हूँ हर कदम पर मुझे कोई एतराज नहीं इसमें भी...
साहिल – (सेमेंथा के करीब आके) सच में इतना भरोसा है मुझपे...
सेमेंथा – (साहिल के और करीब होके) खुद से भी ज्यादा साहिल चाहो तो आजमा लो तुम....
साहिल – कही इस भरोसे का मैने फायदा उठा के तुम्हे छोड़ दिया तो....
सेमेंथा – (मुस्कुरा के) अपने प्यार पर यकीन है मुझे पूरा....
साहिल – 2 दिन में प्यार हो गया तुम्हे मुझसे....
सेमेंथा – प्यार तो सालों पहले हो गया था तुमसे आज मौका मिला कहने का....
साहिल – (थोड़ी मायूसी से) और कही तुम मुझे छोड़ के चली गई तो....
सेमेंथा – ऐसा कभी नहीं होगा साहिल सपने में भी नहीं में हमेशा साथ रहूंगी तुम्हारे....
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) प्यार किसी से हुआ नहीं कभी लेकिन डर लगता है फिर से कोई अपना दूर ना हो जाएं मुझसे...
सेमेंथा – (साहिल के गले लग के) क्या अभी भी डर लगता है तुम्हे...
साहिल – (मुस्कुरा के गले लगे हुए सेमेंथा से) नहीं लगता अब डर किसी का भी , I LOVE YOU सेमेंथा...
सेमेंथा – ME TO...
एक तरफ साहिल और सेमेंथा प्यार का इजहार कर रहे है दूसरी तरफ कमल हवेली में काम करने में लगा हुआ था शादी का जो धीरेन्द्र ने उसे दिया था जिस वजह से कमल के कई बार नैन मटका हो रहे थे अवनी से जिसमें अवनी को भी बहुत मजा आ रहा था कमल के साथ ये दोनों हवेली के बाहर थे जहां पंडाल की तैयारी हो रही थी वही कमल लगा था तैयार करने में पंडाल को जबकि अवनी पंडाल की सजावट को देख रही थी तभी मौका पाके...
कमल – (अवनी से) हाय कैसी हो तुम...
अवनी – अच्छी हूँ और तुम...
कमल – मै भी अच्छा हूँ...
अवनी – तुम साहिल भाई के साथ कब से हो...
कमल – 8 सालों से हूँ साहिल के साथ...
अवनी – क्या वो ऐसे ही सबसे बात करते है गुस्से में...
कमल – अरे नहीं साहिल ऐसा बिल्कुल नहीं है वो बहुत अच्छा लड़का है हस के बाते करता है सबसे...
अवनी – हम्ममम लेकिन हमसे गुस्से में...
कमल – हम्ममम जनता हूँ मै इसके पीछे की वजह भी....
अवनी – तुम जानते हो फिर भी मुझसे बाते कर रहे हो...
कमल – (मुस्कुरा के) तुम जब से यहां आई हो तब से मैं देख रहा हूँ तुम्हे लेकिन कल के बाद से तुम्हारा नजरिया बदल गया साहिल के लिए जान सकता हूँ क्यों और किस लिए हुआ ऐसा अचानक से वो भी इतने सालों बाद....
अवनी – पहले तो हम सब सुनी हुई बात मानते आ रहे थे लेकिन कल जो देखा उसके बाद मुझे भाई का दर्द समझ आ गया कैसे वो इतने सालों तक अकेले ही दादा जी की मौत के दर्द को झेलते आ रहे है बिना परिवार के कैसे रह रहे थे इसका अंदाजा शायद ही लगा पाए हम कमल मै उनसे माफी मांगना चाहती हूँ लेकिन हिम्मत नहीं हो रही उनके सामने तक जाने की आखिर किस मू से माफी मांगू उनसे...
कमल – अवनी उसे वक्त दो थोड़ा और अब तो वो तुम सब के साथ घर जा रहा है हमेशा के लिए तब तुम्हे कई मौके मिलेगे साहिल के साथ लेकिन ध्यान रखना साहिल से ऐसी कोई बात मत करना जिससे उसे अटैक आए उसके बाद बहुत मुश्किल से संभालता है वो...
अवनी – तुम भी तो रहोगे ना साथ में...
कमल – हा रहूंगा लेकिन मुझे जाना पड़ेगा अपने स्कूल में कुछ सर्टिफिकेट का इश्यू हुआ है उसके लिए जाना पड़ेगा मुझे कुछ दिन में आ जाऊंगा वापस वैसे अब तो तुम भी कॉलेज ज्वाइन करने वाली हो साहिल के साथ और कौन कौन आ रहा है घर से तुम्हारे...
अवनी – मै , खुशी , कविता , साहिल भाई और तुम...
कमल – एक बात पूछूं तुमसे बुरा तो नहीं मानोगी...
अवनी – क्यों ऐसी क्या बात है....
कमल – वो असल में क्या तुम्हारा BF है क्या...
अवनी – (हल्का मुस्कुरा के) क्यों क्या कम है तुम्हे उससे...
कमल – मतलब सच में तुम्हारा बॉयफ्रेंड है....
अवनी – अरे तभी तो बोली तुम्हे उससे क्या काम है....
कमल – (उदास होके) नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही पूछ लिया मैने अच्छा ठीक है मै चलता हूँ और भी काम है मुझे...
बोल के कमल जाने लगा तब...
अवनि – कमल का उदास चेहरा देख मुस्कराते हुए मन में – बुद्धू है ये एक नंबर का....
अवनी – (कमल को बुला के) अच्छा सुनो जरा...
कमल – हा बोलो....
अवनी – BF के लिए क्यों पूछ रहे थे सच बताना...
कमल – ऐसे ही वैसे तुम बहुत खूबसूरत हो...
अवनी – फ्लर्ट कर रहे हो...
कमल – नहीं कसम से तुम सच में बहुत सुंदर हो...
अवनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया और तुम भी बहुत स्मार्ट लुकिंग हो....
कमल – (धीरे से) क्या फायदा इस बात का अब...
अवनी – (मुस्कुरा के कमल की बात सुन कर अंजान बन के) कुछ कहा तुमने....
कमल – नहीं तो कुछ सुना तुमने...
अवनी – नहीं तो वैसे मेरा कोई BF नहीं है....
कमल – अच्छा क्यों कोई पसंद नहीं आया तुम्हे कभी...
अवनी – घर और पढ़ाई के इलावा कभी सोचा नहीं इस बारे में....
कमल – (हाथ आगे बढ़ा के) तो दोस्ती करोगी मुझसे...
अवनी – (हाथ मिला के) ठीक है लेकिन दोस्ती की तो निभानी पड़ेगी...
कमल – मंजूर है...
बोल के दोनों मुस्कुराने लगे तब...
कमल – चलो अच्छा पहले काम को निपटा लेते है शाम को हलवाई वाले आने वाले है साथ में बाकी के मेहमान भी आज तो हवेली भी भरने वाली है मेहमानों से...
बोल के दोनों एक साथ बातो के साथ काम करने लगे...
तो इस तरह से साहिल के साथ कमल को भी GF मिल गई अपनी जबकि इस तरफ जब से कल रात को सभी लड़कियों ने जो कुछ हुआ उसके साथ साहिल की हालत देखी थी तब से उनका भी मन में साहिल को लेके एक अलग ही जगह बन गई थी सुबह के बाद जब साहिल बाहर से दिन में काम निपटा के वापिस आया था तब अमृता की दोनों बेटी और सुनीता की दोनों बेटी कमरे की खिड़की में बैठी साहिल को आता देख हवेली में बाते कर रही थी आपस में...
शिवानी – (सुरभि , पायल और शबनम से) इतने साल से ना जाने हम लोग क्या समझते आ रहे थे साहिल के बारे में लेकिन सच तो ये है कि वो कितना अच्छा है ये कभी सोचा नहीं हमने...
पायल – शायद मां जानती थी इसलिए इतने सालों में मां कभी मिलने नहीं गई नानी के घर पर...
सुरभि – तू सही बोल रही है पायल जब भी हम साहिल के लिए कुछ भी गलत बोलते थे तभी मां डाटती हमें लेकिन यार हम भी क्या करते हमने जो सुना और बताया गया बस उसे सच मान के ऐसा किया था सच का तो पता नहीं था यार.....
शबनम – ये सब बड़ी मामी का किया धारा है उन्होंने ही कई बार बोला साहिल के लिए हम सब से कि साहिल ने नाना को मारा था...
शिवानी – लेकिन यार एक बात समझ नहीं आई अगर साहिल ने नहीं मारा नाना जी को तो किसने मारा था और वो कौन है जो नाना जी को मारने के बाद साहिल को मारने वाला था....
सुरभि – हा यार जब साहिल होश में आया तब कितना डरा हुआ था वो मुझे तो लगता है जरूर नानी जानती होगी इस बारे में वर्ना इतने सालों तक पूरा परिवार साहिल का साथ नहीं दे रहा था सिर्फ नानी थी साहिल के साथ तो वो क्यों साथ देती अगर साहिल ने ऐसा कुछ किया होता तो...
पायल – लेकिन नानी से भी पूछने की हिम्मत कौन करेगा यार कल आते ही कितनी बुराई कर रहे थे हम सब साहिल के लिए सारी बाते सुन ली नानी ने हमारी...
शिवानी – एक काम करते है क्यों ना हम मयंक भईया को बताए सारी बात शायद वो मा से बात का पता कर सके....
तभी उनके कमरे में रचना आती है...
रचना – क्या पता करने की बात कर रहे हो तुम सब...
शिवानी – साहिल के बारे में बात कर रहे है हम मौसी...
साहिल के बारे में सुन रचना के चेहरे की हसी गायब हो गई तब...
रचना – लेकिन कौन सी बात का पता करना है अब...
सुरभि – यही की आखिर नाना जी को किसने मारा होगा...
रचना – मेरे ख्याल से इस वक्त सबसे पहले सभी को साहिल से माफी मांगने के बारे में सोचना होगा कैसे माफी मांगे साहिल से हम लोग...
शिवानी – क्या वो माफ कर पाएंगे हमें...
पायल – कोशिश तो करनी पड़ेगी हमें आखिर वो हमारा भाई है....
रचना – सच बोलूं तो कल के बाद मेरी हिम्मत नहीं हो रही साहिल के सामने जाने की मैने जो गाली दी...
बोल के रचना चुप हो गई...
सुरभि – (रचना से) मौसी गलती तो हमसे भी हुई है जो इतने सालों से साहिल को बुरा भला बोले जा रहे थे लेकिन इतना कुछ उनके साथ होने के बाद भी उन्होंने फिर भी राघव मामा और राजेश मामा को अपने फैसले के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया सच में रचना मौसी साहिल बहुत अच्छा भाई है हमारा उनके साथ जो हुआ उसके बाद भी उन्होंने राघव मामा की बेटी और राजेश मामा के बच्चों के बारे में पहले सोचा ताकि जो साहिल ने सहा वो उन्हें ना सहना पड़े...
रचना – हा सुरभि सच में साहिल ने ये करके साबित कर दिया वो कितना अच्छा और हम कितने गलत है शायद इसीलिए निधि भी साहिल का साथ दे रही थी उस वक्त जब सब साहिल पर गुस्सा थे जो बड़ी मामी बॉथरूम में जाने पर हुआ...
शिवानी – लेकिन साहिल भी सही बोल रहा था आखिर बड़ी मामी किस लिए गई थी साहिल के कमरे में वो भी दरवाजा खुला छोड़ के इसका मतलब साफ था बड़ी मामी ने सब जान बुझ के किया ताकि साहिल को यहां से जलील करके निकाला जा सके...
रचना – छोड़ ना सुरभि उस बारे में बात करके अब क्या फायदा अभी सिर्फ ये सोचना चाहिए साहिल से माफी कैसे मांगे हम...
शबनम – मै क्या बोलती हूँ क्यों ना हम लोग साहिल भाई के दोस्त है ना कमल उससे बात करे वो हमारी मदद कर सकते है इसमें उनको पता है साहिल भाई के बारे में सब कुछ...
रचना – हा ये सही रहेगा कल रात में कैसे साहिल के पिता (रनवीर) के सामने आके बिना डरे बोल रहा था वो पक्का वो हमारी मदद जरूर करेगा लेकिन उससे बात कौन करेगा...
शिवानी – (शबनम और पायल से) क्यों न तुम दोनों बात करो कमल से इस बारे में कुछ भी करके उसे मना लो तुम दोनों प्लीज....
शबनम और पायल एक साथ – हा हम तैयार है...
ये दोनों अभी तक इस बात से अंजान है के जिससे ये मदद लेने जाने वाले है वो असल में इनका ही भाई है और ये बात इन दोनों को नहीं पता है क्योंकि इनकी मां सुनीता अपनी दोनों बेटियों को सरप्राइस देना चाहती है भाई के रूप में कमल को...
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जारी रहेगा![]()
Beautiful n bestUPDATE 1
DEVIL LOK
PART 1
आज डेविल लोक में काफी चहल पहल मची हुई थी जिसका कारण था आज डेविल लोक की रानी मा सुनंदा अपने दोनों बेटे आरव और BD में से किसी एक को डेविल लोक का प्रिंस बनाने जा रही थी जिस वजह से आज महल में काफी हलचल दिख रही थी डेविल लोक राज्य के जितने भी निवासी थे सभी महल के एक बड़े से हॉल में इकठ्ठा हुए थे और सभी के मुख में सिर्फ एक नाम था आरव का के तभी बिगुल बजने लगा जिसका मतलब था कि डेविल लोक की रानी महल में पधार रही है जिसके बाद सभी लोगों में शांति छा गई तभी महल के दरवाजे से रानी सुनंदा आने लगी अपने साथ अपने दोनों बेटे आरव और BD साथ ही आरव की बीवी परी साथ में BD की बीवी समारा भी इन सभी को एक साथ देख डेविल राज्य के रहने वाले सभी लोगों झुक गए चलते चलते रानी मा अपने सिंहासन के पास आ गई जहां डेविल लोक के कुलगुरु दयानंद ने रानी को प्रणाम किया जिसके बाद सुनंदा सिंहासन में बैठने के बजाय पलट के राज्य के लोगों से बोली....
सुनंदा – (सभी से) आप सभी का हम तहे दिल से स्वागत करते है आपके इस सम्मान का तहे दिल से आभारी हूँ जैसा कि आप जानते है आज हमारे दोनों सुपुत्रों का जन्म दिन है जिसके उपलक्ष्य में आज हमने ये फैसला किया है कि आज हम (अपने दोनों बेटो को देख) अपने दोनों सुपुत्रों में से किसी एक को डेविल राज्य का राजा चुनेंगे...
जिसके बाद रानी सुनंदा ने अपनी दासी को पास बुलाया जिसके हाथ में एक प्लेट पकड़े थी जिसमें ताज रखा था उस ताज को उठा के सुनंदा अपने दोनों सुपुत्रों के पास आ गई जहां आरव और BD सिर झुकाए खड़े थे तभी...
सुनंदा – (खुश होके आरव के सिर पे ताज पहना के) आज से हम अपने प्रिय सुपुत्र आरव को डेविल राज्य का राजा घोषित करते है....
जिसके बाद महल में आए राज्य के लोग खुशी से ताली बजाने लगे जिसके बाद रानी सुनंदा ने आरव का हाथ पकड़ के उसे राजा की गड्डी में बिठा उसका तिलक किया जिसे देख आरव खुशी से मुस्कुरा रहा था तब रानी सुनंदा ने प्यार से आरव की सिर पे हाथ फेर बोला...
सुनंदा – (खुशी से) मै शुरू से जानती थी कि तू ही इस राज्य को सम्भाल सकता है आज मै बहुत खुश हूँ तेरे लिए आरव बस अपने पिता की तरह आज से तुझे भी इस राज्य के लोगों की भलाई के लिए जो करना पड़े करना ताकि तेरे पिता को तुझपे फक्र हो...
अपनी मां की बाते सुन खड़ा होके अपनी मां सुनंदा को गले लगा लिया...
आरव – (आंख में आसू लिए) हम वादा करते है मां आपसे पिता जी की तरह हम अपने राज्य के लोगों की खुशी और भलाई के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे (अपने भाई BD को देख के) लेकिन मां हमारे भाई के लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) अब तो तुम राजकुमार हो इस राज्य के इसीलिए अपने भाई के लिए भी तुझे करना होगा...
आरव – (मुस्कुरा के) समझ गया मां (हॉल में सभी को देख के) इस खुशी के मौके पर हम एक महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहते है कृपया सभी ध्यान दे...
जिसके बाद पूरे हॉल में शांति छा जाती है अब सभी की निगाह डेविल प्रिंस आरव के देखते है सब तभी...
आरव – (अपने भाई BD के पास जाके) आज से हम अपने भाई BD को अपने रक्षक के साथ मुख्य सलाहार नियुक्त करते है...
जिसके बाद BD खुशी से आरव को गले लगा लेता है तब...
आरव – (धीरे से BD के कान में) हम जानते है भाई के आप राजा बनना चाहते थे और सच तो ये भी है कि आपके राजा बनने से सबसे ज्यादा खुशी हमें होती लेकिन आप जानते हो रानी मां के फैसले को टालना किसी के बस का नहीं है...
BD – (खुश होके धीरे से आरव के कान में) कोई बात नहीं भाई मुझे रानी मा के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है हमें भी बहुत खुशी हुई आपके राजा बनने से साथ ही आपने हमे इतनी इज्जत दी उसके लिए हमें बहुत खुशी हुई कि हम आपके हर फैसले पे आपके साथ रहेंगे...
बोल के दोनों भाई हस्ते हुए अलग होते है जिसके बाद BD खुशी से आरव के सामने अपना सिर झुकता है जिसे देख आरव BD के कंधे को पकड़ उठा के गले लगता है जिसे देख रानी सुनंदा की आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगते है जिसे देख आरव की बीवी...
परी – (सुनंदा से) मा आपके आंखों में आंसू किस लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दोनों भाइयों का एक दूसरे के प्रति प्यार देख के आंसू आ गए बेटी मुझे लगा कही BD को हमारे फैसले से दुख न हो...
समारा – (दोनों की बाते सुन के) कैसी बाते कर रहे हो आप मां भला उन्हें दुख क्यों होगा भले ही आरव भैया राजा बन गए लेकिन आपके साथ उन्हें भी अपने भाई के लिए इतना कुछ सोचा जिसे उन्होंने पूरे राज्य के सामने अपना मुख्य सलाकार के साथ रक्षक नियुक्त किया मां भैया के इस फैसले से बहुत खुशी हुई कम से कम दोनों भाई एक साथ इस राज्य की भलाई के लिए फैसले ले सकेंगे...
सुनंदा – (समारा की बात सुन उसे गले लगा के) हा मेरी बच्ची तेरी इन बातों से तूने आज सच में मेरा दिल जीत लिया मेरी बच्ची...
बोल के समारा के माथे को चूम लेती है साथ पारी के माथे को भी...
जिसके बाद राज्य के सभी लोग एक एक करके रानी सुनंदा , राजा आरव और BD को मुबारक बाद देते है साथ ही रानी सुनंदा सभी को एक एक करके उपहार देती है जिसे ले सभी लोग खुशी खुशी आरव की जय जय कार करके महल के बाहर जाने लगते है जहां सभी के भोजन का इंतजाम किया गया था सभी के जाने के बाद डेविल लोक से आए उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राज्यों के राजाओं से भेट करते है जिनमें से दक्षिण और उत्तर के राजा की उम्र आरव के पिता की बराबर थी जबकि पूरब के पूर्व राजा के गुजरने के बाद उनके बेटे को राजा बनाया गया था जिसका नाम नागेन्द्र था तीनों मिल के आरव के पास आके उसे प्रणाम करते है साथ ही राजा बनने की बधाई देते है जिसके बाद तीनों रानी सुनंदा के पास जाते है उत्तर , दक्षिण और पूरब के राजा...
तीनों एक साथ – (रानी सुनंदा से) सुनंदा जी बहुत बहुत मुबारक हो आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) आपको भी...
तीनों एक साथ – सुनंदा जी इस शुभ अवसर पर क्या हम आपसे कुछ मांग सकते है...
सुनंदा – जी बिल्कुल कहिए...
तीनों एक साथ – जैसा कि आप जानती है आपके पति राजा हर्षवर्धन जी ने हम तीनों से वादा किया था कि अपने दोनों बेटो में किसी एक को राजा नियुक्त करने के बाद वो हम तीनों के की पुत्रियों से अपने बेटे का विवाह कराएंगे...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) जी हमे अच्छे से याद है उनका किया वादा और हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है राजन अगले दो दिन में ही हम अपने बेटे आरव की शादी आप तीनों राज्यों के राजा की पुत्री से करवाएंगे....
तीनों एक साथ – (मुस्कुरा के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया रानी सुनंदा जी....
सुनंदा – नहीं नहीं राजन इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है हमारे पति भी यही चाहते थे ताकि चारों राज्य एक साथ एक परिवार की तरह मिल के रहे वो तो खुद अपने पुत्र को राजा बनते उसका घर बसता देखना चाहते थे लेकिन तकदीर को शायद मंजूर नहीं था...
नागेन्द्र – कोई बात नहीं रानी मां हम मानते है चाचा जी अगर होते सबसे ज्यादा खुशी उनको होती आज सभा में , अफसोस मुझे भी होता है चाचा जी के ना होने का मेरे पिता के जाने के बाद हर्ष चाचा ने ही मुझे संभाला था मुझे हौसला दिया राज्य के प्रति मेरी जिम्मेदारियों से मुझे अवगत कराया आज मै अगर आपके समक्ष खड़ा हूँ तो सिर्फ हर्ष चाचा की वजह से ही वरना पिता की मृत्यु के बाद मै टूट सा गया था अगर चाचा वक्त पर न संभालते तो शायद आज मै भी राज्य के बाकी लोगों की तरह भीड़ का हिस्सा होता...
सुनंदा – (नागेन्द्र के सिर पे हाथ फेर के) तुम्हारे चाचा ने जो किया सिर्फ इसीलिए क्योंकि तुम्हारे पिता जी और तुम्हारे चाचा बचपन के दोस्त थे उन दोनों ने हमेशा से सुख और दुख में एक दूसरे का साथ निभाया तो भला वो तुम्हे कैसे अकेले छोड़ देते बेटा....
सुनंदा की बाते सुन नागेंद्र ने तुरंत ही सुनंदा के पैर छू लिए...
सुनंदा – बस बेटा अपने पिता के दिखाई राह पे चलते रहना हमेशा ताकि उनको गर्व हो तुम्हे देख के...
नागेंद्र – जी रानी मां...
सुनंदा – (तीनों से) चलिए चल के भोजन करते है उसके बाद आप तीनों को भी तैयारी करनी है अगले दो दिन में आरव के ब्याह की...
सभी हसी खुशी एक साथ भोजन करते है जिसके बाद तीनों राज्य के राजा एक दूसरे से विदा लेके अपने अपने राज्य की ओर निकल जाते है रात के वक्त सभी अपने अपने कमरे में विश्राम कर रहे होते है तभी एक कमरे में रानी सुनंदा जाती है दरवाजा खटखटा ती है जिसे परी खोलती है सामने देख...
परी – (सुनंदा को देख के) मा आप आइए ना...
कमरे में आते ही...
सुनंदा – (परी से) आरव कहा है बेटी...
परी – मा वे अभी बाहर गए हुए है आते होगे....
सुनंदा – हम्ममम बेटी तुझसे एक बात करनी है अगर तुझे कोई एतराज न हो तो...
परी – मा भला आपकी बात से मुझे क्यों एतराज होगा आप निश्चित होके कहिए...
सुनंदा – परी आज तुमने सभा में सारी बात सुनी उसे लेके मै बात करने आई हूँ तुमसे...
परी – जी कहिए मा...
सुनंदा – परी आज सभा में जब हमने आरव की शादी की बात कही क्या तुम्हे मेरे फैसले पर कोई एतराज तो नहीं (इसे पहले परी कुछ बोलती सुनंदा ने आगे बात बोलदी) देखो परी हम जानते है आरव की शादी आपसे हुई है इसीलिए आपक पूरा हक बनता है आरव पर इसीलिए हमने आपसे पूछना बेहतर समझा अगर आपको एतराज हो तो हम तीनों राज्यों के राजाओं में माफी मांग लेगे...
परी – (अपनी आंख में आंसू लिए) मा हम जब से इस महल में बहू बन के आए थे तब से आपने कभी हमें बहू नहीं बेटी समझा कभी हमें एहसास नहीं होने दिया कि हम आपकी बेटी नहीं बहू है फिर भला अपनी मां की बात कैसे टाल सकते है मा हमें अपनी मां पर पूरा यकीन है अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं सोचेगी...
परी की बात सुन उसे गले लगा के....
सुनंदा – तूने आज मेरे मन के बोझ को हल्का कर दिया बेटी आज मुझे पता चला कि आरव तुमसे इतना अधिक प्रेम क्यों करता है (परी के सिर पे हाथ रख के) आज मै तुझे अपनी बराबर की शक्ति देती हु बेटी जिसे मैने अपनी बहू के लिए सम्भाल के रखा है (परी के सिर पे हाथ रख) मेरा आशीर्वाद है कि तेरा और आरव का प्रेम हमेशा के लिए बना रहेगा (सिर से हाथ हटा के) आरव की शादी के बाद हमारी आने वाली तीनों बहुवों का तेरे साथ खास रिश्ता बना रहेगा...
जिसके बाद एक रोशनी निकलती है सुनंदा के शरीर से जो परी के अंदर समा जाती है जिसके बाद...
सुनंदा – सही वक्त आने पर ये शक्ति खुद जागृत हो जाएगी बेटी....
परी – (सुनंदा के पैर छू के) मुझे आशीर्वाद दीजिए माजी मै चाहती हूँ आपका प्रेम हम सब के साथ सदैव ऐसे ही बना रहे...
सुनंदा –(मुस्कुरा के) मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा बेटी...
जिसके बाद सुनंदा कमरे से चली जाती है जिसके कुछ देर बाद आरव आता है कमरे में परी को देख जो बहुत खुश दिख रही थी...
आरव – क्या बात है परी आज तुम बहुत खुश लग रही हो...
परी – (आरव के पास आके) मै तो हमेशा से खुश रहती हु लेकिन आज आपको ऐसा क्यों लगा....
आरव – (परी को गले लगा के) कुछ नहीं मुझे लगा सो कह दिया...
परी – (आरव के गले से अलग होने की कोशिश करते हुए) हटिए अब मै बहुत थक गई हु सोने दीजिए मुझे...
आरव – (परी के गले लगे हुए) बस कुछ देर रहने दो ऐसे ही परी तुम्हारे गले लगते ही मुझे बहुत सुकून मिलता है जैसे शरीर को अजीब सी शांति मिलती है मेरे दिल को ऐसे लगता है बस तुम्हारी गोद में सिर रख के सोता रहूं...
परी – (मुस्कुरा के अलग होते हुए) आपको मना किसने किया है (आरव का हाथ पकड़ बेड में बैठ के आरव के सिर को अपनी गोद में रख उसके सिर पे हाथ फेरते हुए) मुझे भी अच्छा लगता है जब आप मेरी गोद में सिर रख के लेटे रहते है मन शांत हो जाता है मेरा भी...
आरव – (आंख बंद कर परी के गोद में सिर रखे हुए बोलता है) परी एक बात कहूं...
परी – हम्ममम कहिए....
आरव – सभा में मा के लिए मेरी शादी के फैसले से आपको एतराज तो नहीं...
परी – बिल्कुल नहीं मा ने जो किया सोच समझ के किया है फैसला मा कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहेगी...
आरव – क्या तुम्हे लगता है तीन शादी होने के बाद उनका तुम्हारे प्रति व्यवहार कही गलत हुआ तो...
परी – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं होगा...
आरव – और ऐसा क्यों...
नपरी – क्योंकि मुझे विश्वास है खुद पे और आप पर भी देखना हम चारों बहने बन के एक साथ रहेगी हम चारों का प्रेम आपके लिए कभी कम नहीं होगा...
आरव – (परी की बाते सुन के) परी मै वादा करता हु तुमसे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूंगा भले ही परिस्थिति कैसी भी हो....
परी – (मुस्कुरा के) अच्छा सोच लीजिए कही मुझे भूल गए तो...
आरव – (मुस्कुरा के) सोच लिया मेरी जान तुम्हे मै कभी नहीं भूल सकता हूँ और अगर कभी ऐसा हुआ तो तुम मुझे हमारा प्यार याद दिला देना कि मैं क्या हूँ तुम्हारा...
परी – अच्छा भला आपसे जबरदस्ती कैसे कर सकती हूँ मै आप तो बहुत ज्यादा ताकतवर हो...
आरव – लेकिन तुम्हारे प्यार से ज्यादा ताकत कहा मेरी जान...
दोनों मुस्कुरा के गले लग के सो जाते है....
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जारी रहेगा![]()
Thoda time do mujhe kuch time me update aane lgega usme bhiDEVIL MAXIMUM aap apke 2ri story ka update karenge story name Albela kyuki aap ki 2 story padh raha hu us story ke update ka bhi intezar rahega![]()
Fantastic start of storyUPDATE 1
DEVIL LOK
PART 1
आज डेविल लोक में काफी चहल पहल मची हुई थी जिसका कारण था आज डेविल लोक की रानी मा सुनंदा अपने दोनों बेटे आरव और BD में से किसी एक को डेविल लोक का प्रिंस बनाने जा रही थी जिस वजह से आज महल में काफी हलचल दिख रही थी डेविल लोक राज्य के जितने भी निवासी थे सभी महल के एक बड़े से हॉल में इकठ्ठा हुए थे और सभी के मुख में सिर्फ एक नाम था आरव का के तभी बिगुल बजने लगा जिसका मतलब था कि डेविल लोक की रानी महल में पधार रही है जिसके बाद सभी लोगों में शांति छा गई तभी महल के दरवाजे से रानी सुनंदा आने लगी अपने साथ अपने दोनों बेटे आरव और BD साथ ही आरव की बीवी परी साथ में BD की बीवी समारा भी इन सभी को एक साथ देख डेविल राज्य के रहने वाले सभी लोगों झुक गए चलते चलते रानी मा अपने सिंहासन के पास आ गई जहां डेविल लोक के कुलगुरु दयानंद ने रानी को प्रणाम किया जिसके बाद सुनंदा सिंहासन में बैठने के बजाय पलट के राज्य के लोगों से बोली....
सुनंदा – (सभी से) आप सभी का हम तहे दिल से स्वागत करते है आपके इस सम्मान का तहे दिल से आभारी हूँ जैसा कि आप जानते है आज हमारे दोनों सुपुत्रों का जन्म दिन है जिसके उपलक्ष्य में आज हमने ये फैसला किया है कि आज हम (अपने दोनों बेटो को देख) अपने दोनों सुपुत्रों में से किसी एक को डेविल राज्य का राजा चुनेंगे...
जिसके बाद रानी सुनंदा ने अपनी दासी को पास बुलाया जिसके हाथ में एक प्लेट पकड़े थी जिसमें ताज रखा था उस ताज को उठा के सुनंदा अपने दोनों सुपुत्रों के पास आ गई जहां आरव और BD सिर झुकाए खड़े थे तभी...
सुनंदा – (खुश होके आरव के सिर पे ताज पहना के) आज से हम अपने प्रिय सुपुत्र आरव को डेविल राज्य का राजा घोषित करते है....
जिसके बाद महल में आए राज्य के लोग खुशी से ताली बजाने लगे जिसके बाद रानी सुनंदा ने आरव का हाथ पकड़ के उसे राजा की गड्डी में बिठा उसका तिलक किया जिसे देख आरव खुशी से मुस्कुरा रहा था तब रानी सुनंदा ने प्यार से आरव की सिर पे हाथ फेर बोला...
सुनंदा – (खुशी से) मै शुरू से जानती थी कि तू ही इस राज्य को सम्भाल सकता है आज मै बहुत खुश हूँ तेरे लिए आरव बस अपने पिता की तरह आज से तुझे भी इस राज्य के लोगों की भलाई के लिए जो करना पड़े करना ताकि तेरे पिता को तुझपे फक्र हो...
अपनी मां की बाते सुन खड़ा होके अपनी मां सुनंदा को गले लगा लिया...
आरव – (आंख में आसू लिए) हम वादा करते है मां आपसे पिता जी की तरह हम अपने राज्य के लोगों की खुशी और भलाई के लिए कुछ भी कर गुजरेंगे (अपने भाई BD को देख के) लेकिन मां हमारे भाई के लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) अब तो तुम राजकुमार हो इस राज्य के इसीलिए अपने भाई के लिए भी तुझे करना होगा...
आरव – (मुस्कुरा के) समझ गया मां (हॉल में सभी को देख के) इस खुशी के मौके पर हम एक महत्वपूर्ण घोषणा करना चाहते है कृपया सभी ध्यान दे...
जिसके बाद पूरे हॉल में शांति छा जाती है अब सभी की निगाह डेविल प्रिंस आरव के देखते है सब तभी...
आरव – (अपने भाई BD के पास जाके) आज से हम अपने भाई BD को अपने रक्षक के साथ मुख्य सलाहार नियुक्त करते है...
जिसके बाद BD खुशी से आरव को गले लगा लेता है तब...
आरव – (धीरे से BD के कान में) हम जानते है भाई के आप राजा बनना चाहते थे और सच तो ये भी है कि आपके राजा बनने से सबसे ज्यादा खुशी हमें होती लेकिन आप जानते हो रानी मां के फैसले को टालना किसी के बस का नहीं है...
BD – (खुश होके धीरे से आरव के कान में) कोई बात नहीं भाई मुझे रानी मा के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है हमें भी बहुत खुशी हुई आपके राजा बनने से साथ ही आपने हमे इतनी इज्जत दी उसके लिए हमें बहुत खुशी हुई कि हम आपके हर फैसले पे आपके साथ रहेंगे...
बोल के दोनों भाई हस्ते हुए अलग होते है जिसके बाद BD खुशी से आरव के सामने अपना सिर झुकता है जिसे देख आरव BD के कंधे को पकड़ उठा के गले लगता है जिसे देख रानी सुनंदा की आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगते है जिसे देख आरव की बीवी...
परी – (सुनंदा से) मा आपके आंखों में आंसू किस लिए...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) दोनों भाइयों का एक दूसरे के प्रति प्यार देख के आंसू आ गए बेटी मुझे लगा कही BD को हमारे फैसले से दुख न हो...
समारा – (दोनों की बाते सुन के) कैसी बाते कर रहे हो आप मां भला उन्हें दुख क्यों होगा भले ही आरव भैया राजा बन गए लेकिन आपके साथ उन्हें भी अपने भाई के लिए इतना कुछ सोचा जिसे उन्होंने पूरे राज्य के सामने अपना मुख्य सलाकार के साथ रक्षक नियुक्त किया मां भैया के इस फैसले से बहुत खुशी हुई कम से कम दोनों भाई एक साथ इस राज्य की भलाई के लिए फैसले ले सकेंगे...
सुनंदा – (समारा की बात सुन उसे गले लगा के) हा मेरी बच्ची तेरी इन बातों से तूने आज सच में मेरा दिल जीत लिया मेरी बच्ची...
बोल के समारा के माथे को चूम लेती है साथ पारी के माथे को भी...
जिसके बाद राज्य के सभी लोग एक एक करके रानी सुनंदा , राजा आरव और BD को मुबारक बाद देते है साथ ही रानी सुनंदा सभी को एक एक करके उपहार देती है जिसे ले सभी लोग खुशी खुशी आरव की जय जय कार करके महल के बाहर जाने लगते है जहां सभी के भोजन का इंतजाम किया गया था सभी के जाने के बाद डेविल लोक से आए उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राज्यों के राजाओं से भेट करते है जिनमें से दक्षिण और उत्तर के राजा की उम्र आरव के पिता की बराबर थी जबकि पूरब के पूर्व राजा के गुजरने के बाद उनके बेटे को राजा बनाया गया था जिसका नाम नागेन्द्र था तीनों मिल के आरव के पास आके उसे प्रणाम करते है साथ ही राजा बनने की बधाई देते है जिसके बाद तीनों रानी सुनंदा के पास जाते है उत्तर , दक्षिण और पूरब के राजा...
तीनों एक साथ – (रानी सुनंदा से) सुनंदा जी बहुत बहुत मुबारक हो आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) आपको भी...
तीनों एक साथ – सुनंदा जी इस शुभ अवसर पर क्या हम आपसे कुछ मांग सकते है...
सुनंदा – जी बिल्कुल कहिए...
तीनों एक साथ – जैसा कि आप जानती है आपके पति राजा हर्षवर्धन जी ने हम तीनों से वादा किया था कि अपने दोनों बेटो में किसी एक को राजा नियुक्त करने के बाद वो हम तीनों के की पुत्रियों से अपने बेटे का विवाह कराएंगे...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) जी हमे अच्छे से याद है उनका किया वादा और हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है राजन अगले दो दिन में ही हम अपने बेटे आरव की शादी आप तीनों राज्यों के राजा की पुत्री से करवाएंगे....
तीनों एक साथ – (मुस्कुरा के) आपका बहुत बहुत शुक्रिया रानी सुनंदा जी....
सुनंदा – नहीं नहीं राजन इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है हमारे पति भी यही चाहते थे ताकि चारों राज्य एक साथ एक परिवार की तरह मिल के रहे वो तो खुद अपने पुत्र को राजा बनते उसका घर बसता देखना चाहते थे लेकिन तकदीर को शायद मंजूर नहीं था...
नागेन्द्र – कोई बात नहीं रानी मां हम मानते है चाचा जी अगर होते सबसे ज्यादा खुशी उनको होती आज सभा में , अफसोस मुझे भी होता है चाचा जी के ना होने का मेरे पिता के जाने के बाद हर्ष चाचा ने ही मुझे संभाला था मुझे हौसला दिया राज्य के प्रति मेरी जिम्मेदारियों से मुझे अवगत कराया आज मै अगर आपके समक्ष खड़ा हूँ तो सिर्फ हर्ष चाचा की वजह से ही वरना पिता की मृत्यु के बाद मै टूट सा गया था अगर चाचा वक्त पर न संभालते तो शायद आज मै भी राज्य के बाकी लोगों की तरह भीड़ का हिस्सा होता...
सुनंदा – (नागेन्द्र के सिर पे हाथ फेर के) तुम्हारे चाचा ने जो किया सिर्फ इसीलिए क्योंकि तुम्हारे पिता जी और तुम्हारे चाचा बचपन के दोस्त थे उन दोनों ने हमेशा से सुख और दुख में एक दूसरे का साथ निभाया तो भला वो तुम्हे कैसे अकेले छोड़ देते बेटा....
सुनंदा की बाते सुन नागेंद्र ने तुरंत ही सुनंदा के पैर छू लिए...
सुनंदा – बस बेटा अपने पिता के दिखाई राह पे चलते रहना हमेशा ताकि उनको गर्व हो तुम्हे देख के...
नागेंद्र – जी रानी मां...
सुनंदा – (तीनों से) चलिए चल के भोजन करते है उसके बाद आप तीनों को भी तैयारी करनी है अगले दो दिन में आरव के ब्याह की...
सभी हसी खुशी एक साथ भोजन करते है जिसके बाद तीनों राज्य के राजा एक दूसरे से विदा लेके अपने अपने राज्य की ओर निकल जाते है रात के वक्त सभी अपने अपने कमरे में विश्राम कर रहे होते है तभी एक कमरे में रानी सुनंदा जाती है दरवाजा खटखटा ती है जिसे परी खोलती है सामने देख...
परी – (सुनंदा को देख के) मा आप आइए ना...
कमरे में आते ही...
सुनंदा – (परी से) आरव कहा है बेटी...
परी – मा वे अभी बाहर गए हुए है आते होगे....
सुनंदा – हम्ममम बेटी तुझसे एक बात करनी है अगर तुझे कोई एतराज न हो तो...
परी – मा भला आपकी बात से मुझे क्यों एतराज होगा आप निश्चित होके कहिए...
सुनंदा – परी आज तुमने सभा में सारी बात सुनी उसे लेके मै बात करने आई हूँ तुमसे...
परी – जी कहिए मा...
सुनंदा – परी आज सभा में जब हमने आरव की शादी की बात कही क्या तुम्हे मेरे फैसले पर कोई एतराज तो नहीं (इसे पहले परी कुछ बोलती सुनंदा ने आगे बात बोलदी) देखो परी हम जानते है आरव की शादी आपसे हुई है इसीलिए आपक पूरा हक बनता है आरव पर इसीलिए हमने आपसे पूछना बेहतर समझा अगर आपको एतराज हो तो हम तीनों राज्यों के राजाओं में माफी मांग लेगे...
परी – (अपनी आंख में आंसू लिए) मा हम जब से इस महल में बहू बन के आए थे तब से आपने कभी हमें बहू नहीं बेटी समझा कभी हमें एहसास नहीं होने दिया कि हम आपकी बेटी नहीं बहू है फिर भला अपनी मां की बात कैसे टाल सकते है मा हमें अपनी मां पर पूरा यकीन है अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं सोचेगी...
परी की बात सुन उसे गले लगा के....
सुनंदा – तूने आज मेरे मन के बोझ को हल्का कर दिया बेटी आज मुझे पता चला कि आरव तुमसे इतना अधिक प्रेम क्यों करता है (परी के सिर पे हाथ रख के) आज मै तुझे अपनी बराबर की शक्ति देती हु बेटी जिसे मैने अपनी बहू के लिए सम्भाल के रखा है (परी के सिर पे हाथ रख) मेरा आशीर्वाद है कि तेरा और आरव का प्रेम हमेशा के लिए बना रहेगा (सिर से हाथ हटा के) आरव की शादी के बाद हमारी आने वाली तीनों बहुवों का तेरे साथ खास रिश्ता बना रहेगा...
जिसके बाद एक रोशनी निकलती है सुनंदा के शरीर से जो परी के अंदर समा जाती है जिसके बाद...
सुनंदा – सही वक्त आने पर ये शक्ति खुद जागृत हो जाएगी बेटी....
परी – (सुनंदा के पैर छू के) मुझे आशीर्वाद दीजिए माजी मै चाहती हूँ आपका प्रेम हम सब के साथ सदैव ऐसे ही बना रहे...
सुनंदा –(मुस्कुरा के) मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ रहेगा बेटी...
जिसके बाद सुनंदा कमरे से चली जाती है जिसके कुछ देर बाद आरव आता है कमरे में परी को देख जो बहुत खुश दिख रही थी...
आरव – क्या बात है परी आज तुम बहुत खुश लग रही हो...
परी – (आरव के पास आके) मै तो हमेशा से खुश रहती हु लेकिन आज आपको ऐसा क्यों लगा....
आरव – (परी को गले लगा के) कुछ नहीं मुझे लगा सो कह दिया...
परी – (आरव के गले से अलग होने की कोशिश करते हुए) हटिए अब मै बहुत थक गई हु सोने दीजिए मुझे...
आरव – (परी के गले लगे हुए) बस कुछ देर रहने दो ऐसे ही परी तुम्हारे गले लगते ही मुझे बहुत सुकून मिलता है जैसे शरीर को अजीब सी शांति मिलती है मेरे दिल को ऐसे लगता है बस तुम्हारी गोद में सिर रख के सोता रहूं...
परी – (मुस्कुरा के अलग होते हुए) आपको मना किसने किया है (आरव का हाथ पकड़ बेड में बैठ के आरव के सिर को अपनी गोद में रख उसके सिर पे हाथ फेरते हुए) मुझे भी अच्छा लगता है जब आप मेरी गोद में सिर रख के लेटे रहते है मन शांत हो जाता है मेरा भी...
आरव – (आंख बंद कर परी के गोद में सिर रखे हुए बोलता है) परी एक बात कहूं...
परी – हम्ममम कहिए....
आरव – सभा में मा के लिए मेरी शादी के फैसले से आपको एतराज तो नहीं...
परी – बिल्कुल नहीं मा ने जो किया सोच समझ के किया है फैसला मा कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहेगी...
आरव – क्या तुम्हे लगता है तीन शादी होने के बाद उनका तुम्हारे प्रति व्यवहार कही गलत हुआ तो...
परी – (मुस्कुरा के) ऐसा कुछ नहीं होगा...
आरव – और ऐसा क्यों...
नपरी – क्योंकि मुझे विश्वास है खुद पे और आप पर भी देखना हम चारों बहने बन के एक साथ रहेगी हम चारों का प्रेम आपके लिए कभी कम नहीं होगा...
आरव – (परी की बाते सुन के) परी मै वादा करता हु तुमसे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूंगा भले ही परिस्थिति कैसी भी हो....
परी – (मुस्कुरा के) अच्छा सोच लीजिए कही मुझे भूल गए तो...
आरव – (मुस्कुरा के) सोच लिया मेरी जान तुम्हे मै कभी नहीं भूल सकता हूँ और अगर कभी ऐसा हुआ तो तुम मुझे हमारा प्यार याद दिला देना कि मैं क्या हूँ तुम्हारा...
परी – अच्छा भला आपसे जबरदस्ती कैसे कर सकती हूँ मै आप तो बहुत ज्यादा ताकतवर हो...
आरव – लेकिन तुम्हारे प्यार से ज्यादा ताकत कहा मेरी जान...
दोनों मुस्कुरा के गले लग के सो जाते है....
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जारी रहेगा![]()
Beautiful updateUPDATE 2
DEVIL LOK
PART 2
एक कमरे में दो लोग आपस में बाते कर रहे थे..
औरत – (गुस्से में) आपने बोला क्यों नहीं कुछ भी सब कुछ आपकी आंखों के सामने होता चला गया आखिर क्यों चुप बैठे थे आप..
आदमी – (गुस्से में) तो तुम्हे क्या लगता है जो हुआ उससे मै बहुत खुश था नहीं बल्कि बदले की आग तो मेरे सीने में लग चुकी है पूरी तरह से जिससे इन दोनों मा बेटे को जला के खाक कर दूंगा...
औरत – उसे क्या होगा क्या ये राज्य मिल जाएगा आपको...
जी हा सही समझ रहे है ये दोनों कोई और नहीं B D और उसकी बीवी समारा है...
B D – हा मिल जाएगा क्योंकि आरव ने एक गलती कर दी है मुझे अपना रक्षक के साथ सलाहकार नियुक्त करके बस तुम देखती जाओ ये रक्षक कैसे भक्षक बन जाएगा...
समारा – तो आप रानी मा का क्या करोगे....
B D – हम्ममम उसी बात की चिंता हो रही है मुझे कैसे उस औरत को कैद करूं उसकी शक्ति हम दोनों भाइयों से काफी अधिक है पल भर में बच भी जाएगी साथ ही मिटा के रख देगी सभी को....
समारा – अब क्या करोगे आप....
B D – सिर्फ एक रास्ता है अब...
समारा – कौन सा रास्ता....
B D – योगिनी...
समारा – (चौक के) क्या ये कोई चुडैल है....
B D – (हस्ते हुए) वो चुडैल नहीं बल्कि योगिनी है जिसके तांत्रिक और अघोरियों के साथ रह के एक से एक विद्या हासिल की है तुम्हे शायद यकीन नहीं होगा ये बात जान के की वो पिछले तीन सौ सालों से मौत को धोखा देती आ रही है...
समारा – वो कैसे....
BD – हर बार उसका शरीर जब वृद्ध अवस्था में आ जाता है तभी वो एक दूसरा शरीर ढूंढती है ऐसा वैसा शरीर नहीं बल्कि स्वास्थ्य शरीर जो सिर्फ एक बच्चे का होता है जो नाबालिग हो उसे बहला फुसला के अपनी क्रिया करने लगते है जिसके बाद वो उस नाबालिग के शरीर पर अपना कब्जा कर लेती है इस क्रिया की वजह से ही वो इतने सालों से मौत को धोखा देती आ रही है....
समारा – अगर वो इतनी खतरनाक है तो वो यहां कैसे आ गई और आपको कैसे पता उसके बारे में....
B D – एक बार योगिनी अपनी क्रिया करने में लगी हुई थी तभी उस नाबालिग बच्चे के मा बाप उसे ढूंढते हुए योगिनी तक आ गए जब उन्होंने देखा योगिनी को जो अपना हाथ उस नाबालिग बच्चे की सिर पे रख के मंत्र पढ़ रही है तभी उनलोगों ने उसे मारना शुरू किया जिसकी वजह से मौका पा के योगिनी ने तुरंत एक मंत्र पढ़ा जिसके बाद जितने लोग उसे मार रहे थे वो सब राख बन गए उसी वक्त मै धरती पर ये नजारा देख रहा था तभी योगिनी की नजर मुझपे पढ़ी मुझे देखती वो जान गई थी मै कौन हूँ तब उसने मुझे मदद मांगी मैने बदले में उससे वादा लिया कि मेरे लिए काम करना है लेकिन कब क्या और कौन सा काम मै बाद बताऊंगा उसक बाद से मैने योगिनी को इस राज्य के बाहर सुनसान पहाड़ में बनी गुफा में रहने का इंतजाम किया मैने...
समारा – तो आप उससे मिलने जाएंगे...
B D – हा आज ही जाऊंगा मिलने उससे और तुम भी साथ चलोगी मेरे...
समारा – लेकिन मेरा क्या काम है वहां पर....
B D – सब पता चल जाएगा कुछ ही देर में सब सो जाएंगे तब हम चलेंगे योगिनी के पास....
समारा – उसके पास क्यों...
B D – वही हमे हमारी असली मंजिल तक जाने का रास्ता दिखाएगी (समारा से) क्या इस काम में तुम मेरा साथ दोगी...
समारा – आपकी खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकती हूँ...
B D – (मुस्कुरा के) हम्ममम...
जिसके कुछ समय बाद B D और समारा महल से चुपके से निकल गए उस पहाड़ी की ओर जहां पर योगिनी उनका इंतजार कर रही थी गुफा के अंदर आते ही दोनों की नजर एक तरफ पड़ी जहां सामने एक अधेड़ उम्र की औरत अपनी आंखे बंद करके हवन कुंड के पास बैठी थी तभी उसकी आंख खुली अपने सामने B D और समारा को देख...
योगिनी – (मुस्कुरा के B D से) मै आप ही का इंतजार कर रही थी महाराज (समारा से) कैसी हो आप महारानी...
योगिनी की बात सुन B D मुस्कुराता है जबकि...
समारा – (थोड़ा चौक के) अच्छी हूँ और आप ये क्या...
योगिनी – (बीच में) आपके सारे सवालों का जवाब भी आपको जल्द ही मिल जाएगा महारानी (दोनों को एक तरफ इशारा करके) बैठिए यहां पर...
योगिनी के इशारों को समझ दोनों हवन कुंड के पास बैठ गए तब...
योगिनी – (दोनों से) अब बताइए क्या सेवा कर सकती हूँ मै आप दोनों की...
B D – तुम जानती हो योगिनी आज मैने क्या खोया है बस उसे पाना चाहता हूँ किसी भी हालत में...
योगिनी – हम्ममम और इस कम में क्या आपकी पत्नी आपका साथ देने को तैयार है....
समारा – हा मै अपने पति का साथ अपनी आखिरी सास तक दूंगी....
योगिनी – (मुस्कुरा के समारा से) बहुत अधिक प्रेम करती है आप अपने पति से महारानी....
समारा – हा जान से भी ज्यादा....
योगिनी – (मुस्कुरा के) लेकिन आपको जान देने की जरूरत नहीं है महारानी सिर्फ साथ देना है आपको क्या आप तैयार है...
समारा – हा हम तैयार है....
समारा की बात सुन के योगिनी के साथ B D भी मुस्कुराता है जिसके बाद...
योगिनी – (समारा से) ठीक है महारानी (अपना हाथ आगे कर समारा से) मेरा हाथ पकड़ लीजिए महारानी ताकि इस नेक काम की शुरुवात हम अभी से कर सके...
समारा – (योगिनी का हाथ पकड़ के) लेकिन इससे आप क्या करने वाली है...
योगिनी – (मुस्कुरा के) बहुत जल्द ही आपको पता चल जाएगा महारानी....
जिसके बाद योगिनी ने हवन कुंड के सामने मंत्र पढ़ते हुए दूसरे हाथ से आहुति देने लगी कुछ समय बाद समारा और योगिनी की आंखे बंद हो गई तभी समारा की आंख खुली तो अपने सामने B D को देख के....
समारा – (B D से) क्या हुआ मेरी आंख कैसे लग गई...
बोल के खड़ी होने लगी जिस वजह से समारा को कमर और पैर में दर्द होने लगा जिसके बाद...
समारा – (दर्द में करहाते हुए B D से) सुनिए जाने कैसे मेरे कमर और पैर में काफी दर्द हो रहा है....
तभी एक लड़की की आवाज आई...
लड़की – क्या हुआ महारानी...
आवाज सुन पलट के देखते हुए अचानक से समारा की आंखे बड़ी हो गई डर से...
समारा – (अपने सामने अपनी तरह दिखने वाली लड़की को देखते हुए हैरानी से) कौन हो तुम और तुम मेरी तरह कैसे दिख रही हो....
लड़की – (मुस्कुरा के आइने को समारा को दिखाते हुए) अब देख के बताइए आप महारानी क्या हम एक जैसे दिखते है या नहीं...
समारा – (आइने में अपनी जगह एक अधेड़ उम्र की औरत को देख) ये तो तुम हो लेकिन ये मै कैसे....
बोल के जैसे ही समारा ने B D और उस लड़की की तरफ देख जो हस रहे थे...
समारा – (दोनों हंसता हुए देख हैरान होके) हो क्या रहा है यहां आप दोनों हस क्यों रहे हो (लड़की से) क्या किया है तुमने मेरे साथ...
लड़की – (B D से) लगता है ये अभी तक नहीं समझ पाई है मेरे महाराज...
B D – (हस्ते हुए समारा से) मैने तुझसे कहा था ना कि योगिनी ही हमें हमारी मंजिल के रास्ता दिखाएगी और तुमने ही कहा था ना कि तुम मेरे साथ हो...
समारा – हा लेकिन....
B D – (बीच में) मेरी मंजिल का रास्ता तुझसे ही शुरू होता है समारा तेरे शरीर के बदले योगिनी मुझे डेविल की दुनिया का सबसे ताकतवर राजा बनाएगी जिसके बाद पूरे डेविल वार्ड का सिर्फ एक राजा होगा मै...
बोल के हंसने लगा साथ ही लड़की भी हंसने लगी दोनों की हसी की गूंज उठी थी जिसे देख के समारा डर से कंपनी लगी तब...
समारा – (BD से) लेकिन आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मै तो आपकी पत्नी हूँ आपसे प्यार करती हु...
B D – (हस्ते हुए) प्यार जैसा मेरी जिंदगी में कुछ नहीं है समारा , योगिनी को एक स्वस्थ और ताकत वार शरीर चाहिए था ताकि वो सदा के लिए जवान और ताकतवर रह सके जो एक इंसान में नहीं हो सकता है इसीलिए मैने योगिनी को एक स्वस्थ और ताकतवर शरीर देने का वादा किया जिसके बदले मुझे डेविल लोक का राजा बना देगी योगिनी इसीलिए तुझसे विवाह करने के बाद मैने तुझे छुआ नहीं क्योंकि मैं जनता था अगर मैने तेरे साथ मिलन किया तो तुझमें मेरी तरह ताकत आ जाएगी और साथ ही तेरा कुंवारा पन समाप्त हो जाएगा जो योगिनी नहीं चाहती थी जानती है क्यों , क्योंकि योगिनी तेरे शरीर को अपना बना के उसमें अपनी सालों की इक्कठा की शक्तियों को जागृत करेगी जिसके बाद मै उसे भोगूगा तब मेरी ओर योगिनी की शक्तियां मिल जाएगी जिसके बाद हम दोनों हमेशा के लिए इस लोक में राज करेंगे...
बोल के हंसने लगे दोनों जिसे देख समारा आसू बहने लगी तब...
योगिनी – (समारा को देख हस्ते हुए) ओह हो देखो तो कैसे आसू बहा रही है ये अरे बेवकूफ औरत तुझे खुश होना चाहिए तूने अपने पति के लिए क्या किया है नाज होना चाहिए तुझे खुद पे और तू रो रही है...
समारा – छल किया है मेरे साथ तुम दोनों ने मै रानी मा को सब कुछ बता दूंगी...
BD – (हस्ते हुए) वो तो तब होगा जब तू यहां से चल के निकल पाए पहले खड़ी होके चल के दिखा...
जिसके बाद समारा खड़ी होके चलने की कोशिश कर रही थी कुछ दूर चलने के बाद गिर गई समारा उसे दर्द होने लग अपने पैरों में जिसे देख BD और योगिनी हंसने लगे तब BD समारा को उठा के गुफा के बाहर एक पत्थर में बैठा के...
BD – (हस्ते हुए) बस आज रात की बात है उसक बाद कल सुबह का सूरज तूने देख लिया तो किस्मत तेरी नहीं तो (बोल के हंसने लगा)...
समारा – क्या मतलब है तुम्हारा...
योगिनी – (हस्ते हुए) मतलब ये कि मैने काली शक्तियों को पूजा में अपनी पूरी जिंदगी बिता दी जिस वजह से मुझे अंधेरे में रहना पड़ता है गलती से भी अगर मैं दिन के उजाले में आ गई तो मेरा शरीर जल के भस्म हो जाएगा अब तेरे पास कल सुबह तक का वक्त है बचा सकती है तो बचा ले खुद को क्योंकि अब तेरा शरीर तो मेरा होगया और मेरा शरीर तेरा...
बोल के B D और योगिनी हस्ते हुए एक साथ निकल गए वहां से छोड़ गए समारा को उसके हाल पर दोनों के जाने के बाद समारा मन ही मन खुद को कोस रही थी कि उसने जिसे अपना जीवन साथी माना उसी ने उसके साथ कितना बड़ा छल किया उसके प्यार का क्या सिला मिल रहा है उसे याद कर के आसू बहा थी समारा तभी समारा ने कुछ सोच के गुस्से में बोल उठी...
समारा – नहीं BD मै तुझे तेरी चाल में कभी कामयाब नहीं होने दूंगी मैं सारा सच बताऊंगी रानी मा को तेरा लेकिन उससे पहले मुझे खुद को बचाना होगा वरना रानी मा को कैसे सच बताऊंगी...
मन में सोचते हुए समारा ने हिम्मत करके पैर पर खड़े होके धीरे धीरे गुफा के अंदर जाने लगी ये सोच के की शायद उसे कुछ ऐसा मिल जाय जिससे उसे मदद मिल सके धीरे धीरे गुफा के अंदर आके समारा कुछ ढूंढने लगी कुछ देर बाद समारा को गुफा में एक तरफ पड़े भाले दिखे जिसे डीके समारा की आंखे में चमक आ गई क्योंकि वो भाले में डेविल का चिन्ह था जिसका मतलब ये भाले साधारण नहीं थे बल्कि महल की सुरक्षा करने वाले सैनिकों के इस्तमाल के लिए मिलते थे उन भालों को उठा उसमें उसमें कपड़ा बांधने लगती है जिससे हाथों की पकड़ बन सके जिसके सहारे समारा चल के महल की तरफ जा सके कुछ देर की मेहनत के बाद समारा ने आखिर कार भालों को तैयार कर लिया लेकिन अब उसके सामने सबसे बड़ी मुसीबत थी गुफा से बाहर निकल महल में जाने उसे काफी वक्त लग सकता है इस बीच सुबह हो गई तो शरीर जल के खाक हो जाएगा सूरज की किरणों से इसीलिए समारा से आज की रात और कल पूरा दिन भर गुफा में रहना ठीक समझा जिसके बाद समारा गुफा के अंदर इंतजार करने लगी अगली रात होने का...
जबकि इस तरफ BD और योगिनी दोनों महल में आ गए अपने कमरे में आते ही...
योगिनी – (BD के गले लगते हुए) सालों से इस पल की प्रतीक्षा कर रही थी मै...
BD – (मुस्कुरा के) मै भी योगिनी लेकिन क्या अभी हम आगे बढ़ना चाहिए...
योगिनी – आगे तो हम जरूर बढ़ेंगे लेकिन उससे पहले आपको इस महल का राजा बनना पड़ेगा और उसके लिए आपको चाहिए वो ताकत जिसके बाद आप राजा बनोगे...
BD – लेके कैसे योगिनी वो शक्तियों तो राजा को मिलती है जो आरव को मिलेगी उसके विवाह के वक्त...
योगिनी – (हस्ते हुए) मिल सकती है वो शक्ति आपको उसके लिए बस आपको अपनी मां को भोगना होगा...
BD – (चौक के) ये तुम क्या कह रही हो...
योगिनी – हा महाराज ये काम आपको करना होगा वैसे भी राजा का हक अपने राज्य की हर स्त्री पर होता है फिर वो आपकी मां क्यों ना हो...
BD –(मुस्कुरा के) उसे भोगने के बाद उसके जैसी सारी शक्ति मेरे पास आ जाएगी लेकिन ये होगा कैस...
योगिनी – (मुस्कुरा के) वो मै बताऊंगी आपको...
जिसके बाद दोनों मुस्कुराने लगे...
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जारी रहेगा
Bahut hi mast likha hai devil bhaiGood One Bhai...and Nice start to the story...
maine tumko DM kiya tha...not sure if you saw it..
Maine bhi ek naya story start kiya hai...ho sake to ek baar us par bhi nazar daal lo.
Look forward to your updates and comments as well.
DEVIL MAXIMUM
Very niceUPDATE 4
DEVIL LOK
PART 4
BD सबके सामने आरव बन के गुस्से में बैठा हुआ था भरी सभा में अपनी राज गद्दी में अपने सामने बैठे तीनों राज्य के राजा से बात करते हुए...
BD – (आरव बन के उत्तर के राजा धर्मपाल , दक्षिण के राजा तेजपाल और पूरब के राजा नागेंद्र से बात करते हुए) बहुत ही अफसोस के साथ मुझे कहना पड़ रहा है मेरे भाई ने राज गद्दी की लालच के लिए अपनी मां और हमारी पत्नियों को अगवा कर बंदी बना लिया है वो अपनी पत्नी के साथ भाग गया है उसका कहना है जब तक उसे इस राज्य का राजा नहीं बना दिया जाता वो किसी को आजाद नहीं करेगा...
नागेंद्र – लेकिन रानी मा को कोई कैसे बन्दी बना सकता है...
धर्मपाल – नागेंद्र सही कह रहा है पुत्र रानी सुनंदा की शक्ति के आगे कोई कैसे टिक सकता है भला...
तेजपाल – बात चाहे जो भी हो मुझे अपनी बेटी की फिक्र हो रही है आखिर कहा ले गया होगा वो BD मेरी बच्ची एंजिला को....
नागेंद्र – धैर्य रखिए चाचा जी मेरी बहन लिसा भी उनके साथ में है वो हर तरह से निपुण है अस्त्र शस्त्र की कला में कोई उसके सामने टिक नहीं पाया वो चुप बैठने वालों में से नहीं है चाचा जी....
धर्मपाल – (नागेंद्र से) क्या पता जाने किस हाल में होगी सुनंदा जी और बच्चियां...
BD –(आरव बन के) हम अपनी पूरी ताकत लगा देगे उन्हें आजाद कराने के लिए बस मुझे आप सब का साथ चाहिए ताकि हम मिल के ढूंढ सके सभी को...
राजपाल और धर्मपाल – हम हर तरह से मदद करने को तैयार है आपकी आरव बेटा...
नागेंद्र –(मन में – इतना सब हो गया लेकिन अभी तक राजगुरु के बारे में यहां पर कोई बात नहीं कर रहा है कुछ तो बात हो जो छुपाई जा रही है हमसे)....
नागेंद्र जो अपनी सोच में डूबा था उसे कुछ न बोलते देख...
BD –(आरव बन के) क्या बात है साले साहब किस सोच में डूबे है आप....
नागेंद्र – (मन की बात बदल के) मै ये सोच रहा था अगर वो यहां से भागे है तो डेविल लोक में नहीं होगे क्योंकि यहां पर उन्हें खोजना आसान है लेकिन कही और हुए तो कह नहीं सकते है...
BD –(आरव बन के) आपके कहने का अर्थ है वो इस लोक में नहीं होगे तो कहा जा सकते है वो....
नागेंद्र – यही बात हमें खाए जा रही है जीजा जी...
तीनों की बातों से BD मन ही मन मुस्कुरा रहा था क्योंकि हादसे के अगले दिन ही BD ने आरव बन के पूरे राज्य में ऐलान करा दिया था कि विवाह के बाद रात में ही BD ने अपनी मां और अपनी भाभियों का अपहरण कर लिया जिसमें उसकी बीवी समारा भी उसका साथ दे रही है साथ में ये शर्त रखी है BD ने जब तक पूरे सम्मान के साथ उसे डेविल लोक का राजा नहीं बना दिया जाता है तब तक वो किसी को आजाद नहीं करेगा....
खेर कुछ ही देर में तीनों राज्य के राजा चले गए जिसके बाद BD एक कमरे में गया जहां पर योगिनी बैठी थी अपने पुराने अधेड़ उम्र की औरत वाले शरीर में...
BD – (योगिनी से) डेविल लोक में सबको खबर करवा दी है मैने अब तुम्हे क्या लगता है क्या होगा आगे...
योगिनी – होना क्या है महाराज अब तो आप ही डेविल लोक के राजा है अब आपको जो करना हो वो करिए अब तो किसी की पाबंदी नहीं है आपके ऊपर...
BD – तुम समझ नहीं रही हो योगिनी जब तक वो औरत जिंदा है तब तक खतरा मंडराता रहेगा हम पे....
योगिनी – आपको उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है महाराज अगर आपकी मां को डेविल लोक में छिपना होता तो राजगुरु को कभी न बुलाती राजगुरु के आने का मतलब साफ है महाराज आपकी मां किसी और लोक में छिपी हुई है...
BD – क्या लगता है तुम्हे किस लोक में होगी मां...
योगिनी – महाराज आप जानते हो बिना शक्ति के मै कुछ पता नहीं कर सकती हूँ मुझे इस वक्त एक स्वस्थ शरीर की आवश्यकता है महाराज...
BD – हमने उसकी व्यवस्था कर ली है योगिनी कुछ ही देर में आती होगी वो...
तभी उस कमरे में सैनिक एक पागल लड़की को पकड़ के लाते है जो दिखने और हरकतों से ही पागल लग रही थी जिसे देख....
योगिनी – (गुस्से में) ये किस पागल को उठवा लाए है महाराज....
BD – (मुस्कुरा के) देखो योगिनी अभी मुझे इस राज्य की जनता के सामने अच्छा बनने का नाटक करना पड़ेगा अगर मैने अभी से गलत हरकत की तो लोगों को शक हो जाएगा और क्या पता हर कोई बात बनाने लगे कि ये सब मेरा किया धारा है इसीलिए मैने इस पागल लड़की को पकड़ने के लिए सैनिकों को भेजा था क्योंकि राज्य में इसका होना न होना बराबर है समझी बात....
योगिनी – हम्ममम ठीक है...
जिसके बाद योगिनी ने कुछ ही देर में अपना शरीरी को बदल लिया पागल लड़की के शरीरी के साथ जिसके बाद...
योगिनी – आज रात को ही मै पता लगाती हु अपनी शक्तियों से उन सबका कहा छुपे बैठे है वो सब...
यहां तो ये सब हो रहा था जबकि इस तरफ एक घने जंगल के बीचोबीच जहां गहरा सन्नाटा छाया हुआ था अचानक से वहां तेज हवा चलने लगती है और तभी वहां पर एक तेज रोशनी होती है जो धीरे धीरे कम होने लगती है जैसे ही वो रोशनी कम होती है तभी उस जगह पर राजगुरु ज्ञानेन्द्र , रानी सुनंदा , समारा , अग्निशा , लिसा , परी , शीना , एंजिला , आरव का मृत शरीर और रत्नेश होते है तब...
सुनंदा – (राजगुरु ज्ञानेन्द्र से) गुरु देव ये हम कहा आ गए है....
ज्ञानेन्द्र – रानी सुनंदा इस वक्त हम धरती लोक में है...
सुनंदा – धरती लोक में लेकिन क्यों गुरु देव...
ज्ञानेन्द्र – हालात को देखते हुए उस वक्त मुझे जो सही लगा मैने वही किया रानी सुनंदा...
तभी उस शांत माहौल में एक तेज आवाज गुजी....
आवाज – स्वागत है आपका धरती लोक में...
ये आवाज सुन सभी चौक जाते है तभी...
आवाज – कृपया करके आप सभी घबराए नहीं मेरी आवाज की दिशा पर चलते आए....
सुनंदा –(आवाज सुन राज गुरु से) ये किसकी आवाज है गुरुदेव किसे पता है हमारे बारे में की हम धरती लोक में है...
ज्ञानेन्द्र – घबराए नहीं रानी सुनंदा ये आवाज जिसकी भी है उसे हमारे आगमन के बारे में जानकारी शायद पहले से है इसीलिए उसने स्वागत की बात बोली चलिए देखते है कौन है वो...
ज्ञानेन्द्र की बात सुन सुनंदा हा बोल के सभी को आगे चलने के लिए बोल दिया लिसा ने परी का हाथ पकड़ के आगे जाने लगी वहीं शीना और एंजिला आगे चलने लगी थी अग्निशा के साथ आखिर में रत्नेश ने आरव के शरीरी को गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ गया लेकिन तभी...
रत्नेश –(ज्ञानेन्द्र को पुकार के) गुरुदेव....
आवाज सुन ज्ञानेन्द्र पलट के देखा रत्नेश के साथ ही बाकी सभी देखने लगे जहां रत्नेश अकेला खड़ा था और आरव का शरीरी गायब हो गया था जिसे देख...
ज्ञानेन्द्र – (रत्नेश से) क्या बात है रत्नेश और आरव का शरीर कहा गया...
रत्नेश – गुरुदेव जैसे ही मै आरव का शरीरी उठाने के लिए आगे बढ़ा ही था तभी आरव का शरीरी गायब हो गया अपने स्थान से...
ये नजारा देख सुनंदा के साथ बाकी सभी हैरान थे तभी...
ज्ञानेन्द्र – (कुछ सोच के) हमे आगे बढ़ना चाहिए आवाज की दिशा में वहां चल के इस बारे में वार्ता लाप करेंगे...
जिसके बाद सभी राजगुरु की बात मान आगे जाने लगे कुछ दूरी में आने के बाद सभी को एक शिव मंदिर दिखा जो कि पूरा खुला हुआ था जहां सीढ़ियां बनी हुई थी उसके ऊपर शिव जी की एक बड़ी सी मूर्ति खड़ी थी जैसे नृत्य कर रहे हो साथ ही मंदिर का कुछ मलबा जमीन में पड़ा हुआ था जैसे ही सब मंदिर के नजदीक आए तभी पंडित का चोला पहने एक आदमी उनके सामने आया दिखने में जिसकी उम्र लगभग 70 से 75 लग रही थी ऐसा लगता था जैसे मंदिर का पुजारी हो वो अपने सामने सभी को देख...
पंडित – (अपने हाथ जोड़ के सभी से) आप सभी को मेरा प्रणाम , स्वागत है आपका धरती लोक में मेरा नाम जगन्नाथ है मै इस मंदिर का पुजारी हूँ....
जगन्नाथ को प्रणाम करता देख सभी ने उन्हें प्रणाम किया जिसके बाद...
जगन्नाथ – (सभी से) कृपया मंदिर के अन्दर पधारे...
जगन्नाथ की बात सुन सभी गौर से उसे देखने लगे तभी...
जगन्नाथ – (उन्हें देख मुस्कुरा के) आप सभी चकित मत होइए हमें पता है आप कौन है और किस कारण धरती लोक में आए है हमारा विश्वास रखिए , आप सब यहां पूर्ण रूप से सुरक्षित है...
जगन्नाथ की बात सुन सभी मंदिर में चले जाते है जहां जगन्नाथ सभी को बैठता है फिर सभी के समीप बैठ के...
जगन्नाथ – (सभी से) हम जानते है आप सभी किन हालातों से निकल के यहां आए है आप निश्चित रहिए यहां आप सभी सुरक्षित है....
तभी...
ज्ञानेन्द्र – (जगन्नाथ से) ऋषिवर आप हमें कैसे जानते है और आपको कैसे पता हम यहां आने वाले है....
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) ये सब शिव जी की लीला है गुरुदेव मै तो उनका एक छोटा सा सेवक हूं जो उनकी आज्ञा का पालन कर रहा हूँ...
ज्ञानेन्द्र – शिव जी की आज्ञा मै कुछ समझा नहीं ऋषिवर....
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) मुझे एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए ही शिव जी ने चुना है जिस कारण मै वर्षों से आप सभी के यहां आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ...
सुनंदा – कैसा कार्य ऋषिवर...
जगन्नाथ – बुरी शक्तियों के नाश के लिए रानी सुनंदा इस कार्य को करने के लिए आपके बेटे आरव को चुना गया है....
अपने पुत्र आरव की बात सुन के...
सुनंदा – मेरा पुत्र आरव का शरीर यहां आते ही जाने कहा...
जगन्नाथ – (बीच में) हम जानते है रानी सुनंदा आपके पुत्र आरव के बारे में और हमें अफसोस भी है आपके पुत्र आरव को आपके सामने कैसे मारा गया था लेकिन जिस कार्य के लिए आपके पुत्र आरव को चुना गया है उसके लिए उसका अगला जन्म का वक्त आने वाला है जिस कारण आप सभी को यहां आना पड़ा....
ज्ञानेन्द्र – लेकिन ऋषिवर हम तो यहां सभी को बचाने के कारण यहां आए थे लेकिन आरव का अगला जन्म से इसका क्या ताल्लुख है...
जगन्नाथ – ताल्लुख है गुरुदेव कुछ ऐसी बुरी शक्तियां जो भविष्य में आपके लोक के साथ धरती लोक में भी विनाश का कारण बन सकती है उनका नाश करने के लिए ही शिव ने चुना है आरव को जो समय आने पर बुरी शक्तियों का नाश खुद करेंगे....
सुनंदा – (खुशी से आंख में आंसू लिए) मेरे आरव का जनम कब होगा ऋषिवर...
जगन्नाथ – (मुस्कुरा के) निश्चित रहिए देवी आपके पुत्र का जन्म कुछ साल बाद इसी लोक में होगा और आपके पुत्र का शरीर कही गायब नहीं हुआ है बल्कि (जलते हुए एक दिए की तरफ इशारा करके) वो देखिए वो जलता दिया कोई ओर नहीं आपका पुत्र आरव है जो जल्द ही पुनर जनम लेने वाला है लेकिन...
सुनंदा – जगन्नाथ की आखिरी बात सुन) लेकिन क्या ऋषिवर....
जगन्नाथ – लेकिन ये की सभी कार्यों को करने से पहले आपके पुत्र आरव को कठिन परीक्षा से गुजरना होगा साथ ही कई कष्टों से गुजरना होगा और इसमें आप सब उसकी कोई मदद नहीं कर सकते है ये विधि का विधान है रानी सुनंदा....
तभी इतनी देर से आरव की चारों पत्नियों साथ थी सभी एक साथ बोल पड़ी....
आरव की चारों पत्नियों – (हाथ जोड़ के रोते हुए जगन्नाथ से) बाबा हमे हमारे पति के साथ रहने दीजिए बाबा उनके बिना नहीं रह सकते हम उनकी हर परीक्षा हर एक कष्ट में उनका साथ देंगे बस हमें उनके साथ रहने दीजिए बाबा....
जगन्नाथ – पुत्री हम जानते है आपके लिए आपके पति आरव क्या है लेकिन ये जरूरी है पुत्री बिना कष्ट के कुछ भी आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन सिर्फ आरव ही नहीं आप सभी का जन्म भी उनके साथ ही होगा आप उनके साथ होगे लेकिन कुछ वक्त के लिए दूरी जरूर रहेगी आपकी और वक्त आने पर आरव सभी के साथ होगे एक दोस्त , एक प्रेमी और एक पति के रूप में उससे पहले उन्हें कुछ परीक्षा देनी ही होगी....
चारों एक साथ – हम उन्हें पहचानेंगे कैसे ऋषिवर...
जगन्नाथ – आप सभी मानव रूप में जनम लेगे लेकिन एक एक करके परन्तु परी पुत्री आपको छोड़ के और जब आपक मिलन होगा उसके बाद ही आपकी अपनी स्मृति वापस आ जाएगी...
परी – तो क्या मेरा जन्म नहीं होगा ऋषिवर मै कैसे अपने पति के बिना रह पाऊंगी...
जगन्नाथ – पुत्री जन्म तो आपक भी होगा मानव रूप में लेकिन आपके पति आरव की तरह आपके भी जन्म का एक उद्देश्य है जो आपके पति आरव के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है वक्त आने पर आप सभी मिलेंगे एक साथ...
जिसके बाद....
चारों एक साथ – (हाथ जोड़ के) हमे मंजूर है ऋषिवर....
सुनंदा – (जगन्नाथ से) क्या मेरा भी जन्म....
जगन्नाथ – (बीच में) नहीं रानी सुनंदा उसके लिए आपको यही प्रतीक्षा करनी होगी वक्त आने पर आपका पुत्र स्वयंम यहां आएगा (एक तरफ इशारा करके जहां मंदिर के बाहर त्रिशूल जमीन में गढ़ा हुआ था) उस त्रिशूल को निकालने वाला ही आपका पुत्र आरव होगा तब तक आपको यही पर उसकी प्रतिक्षा करनी होगी जिस दिन ऐसा होगा उसके बाद आप अपनी शक्तियों के साथ उसी रूप में वापस आ जाएगी जैसे आप आज है साथ ही आपकी दासी अग्निशा भी....
सुनंदा – मै अपने पुत्र प्रतीक्षा करूगी ऋषिवर लेकिन आपने अभी कहा मेरे पुत्र का पुनर जन्म होगा लेकिन उसे उसकी शक्तियां कैसे मिलेगी...
जगन्नाथ – वक्त के साथ शक्ति मिलेगी उसे जिस दिन अपनी प्रेमिकाओं से मिलन होगा उसके बाद आपके पुत्र की स्मृति भी वापस आ जाएगी...
सुनंदा – ठीक है ऋषिवर....
जगन्नाथ – अति उत्तम (ज्ञानेन्द्र से) गुरुदेव अब आपको वापस जाना होगा अपने लोक में वहां आपको आरव के आने की प्रतीक्षा करनी होगी ताकि अपने लोक में पुनः वापस आके अपना कार्य भार सम्भल सके आरव....
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) मै समझ गया ऋषिवर लेकिन जाने से पहले मुझे आपको कुछ जरूरी बात बतानी है...
जगन्नाथ और ज्ञानेन्द्र एक साथ अलग जगह जाके बात करके वापस आते है तब...
ज्ञानेन्द्र – (सुनंदा से) रानी सुनंदा हमे आज्ञा दीजिए अब हमे वापस जाना होगा अपने लोक में जल्द ही आप सभी से वही भेट होगी....
जिसके बाद ज्ञानेंद्र विदा लेके धरती लोक से गायब हो जाता है और चला जाता है डेविल लोक की राज सभा में जहां इस वक्त BD राज गद्दी में बैठा हुआ था योगिनी के साथ अकेले उनके सामने आके....
ज्ञानेन्द्र – (अचानक से BD के सामने आके) कैसे हो BD...
अचानक से अपन नाम सुन के...
BD –(ज्ञानेन्द्र को सामने देख चौक के) तू यहां पर कैसे और कहा है बाकी सब...
ज्ञानेन्द्र – जहां भी है सुरक्षित है वो सब...
BD – (गुस्से में) लेकिन कहा है वो सब....
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) वक्त आने पर तुझे पता चल जाएगा BD....
BD – क्या मतलब है इस बात का...
ज्ञानेन्द्र – (मुस्कुरा के) रानी सुनंदा ने तेरे लिए एक संदेश भेजा है कि जितनी मर्जी मनमानी करले तू जल्द ही आरव आएगा तेरा नाश करने...
BD – (हस्ते हुए) उम्र के साथ उस औरत का दिमाग भी खराब हो गया है मुर्दे जिंदा नहीं हुआ करते है गुरुदेव अच्छा होगा आप मेरा साथ दे...
ज्ञानेन्द्र – लेकिन आरव जिंदा होगा भी और तेरा नाश भी करेगा BD तब तक के लिए अगर तुझे अपनी गलती का एहसास हो जाय तो अच्छा होगा तेरे लिए तब शायद रानी सुनंदा माफ करदे तुझे लेकिन मैं जनता हूँ तू ऐसा नहीं करेगा छल कपटी है तू जिसने प्यार का नाजायज फायदा उठाया अपने भाई को मार दिया केवल राज सिंहासन के लिए....
BD – गुरुदेव अपने प्रवचन अपने पास रखे आप अगर मेरा साथ देना हो तो बता दो कहा है वो लोग वर्ना....
ज्ञानेन्द्र – मरना मंजूर है मुझे लेकिन तुझे कभी नहीं बताऊंगा कहा है वो सब....
BD योगिनी की तरफ इशारा करता है जिसे देख योगिनी अपनी शक्ति का इस्तमाल कर ज्ञानेन्द्र को बंदी बना लेती है...
योगिनी – (हस्ते हुए ज्ञानेन्द्र से) ये बंधन कोई मामूली बंधन नहीं है गुरुदेव इसके बांधते ही आपकी कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी और बिना शक्ति के आप ना चल सकते हो ना कुछ कर सकते हो...
तभी अचानक ज्ञानेन्द्र जमीन में गिर पड़ता है साथ ही ज्ञानेन्द्र के चेहरे पर झुर्रियां आने लगती है उसके बाल पूरे सफेद होने लगते है उसका शरीर भी कमजोर होने लगता है इसी के साथ बेहोश हो जाता है जिसके बाद....
BD – (सैनिकों को बुला के) ले जाओ इसे और डाल दो कैद खाने में (योगिनी से) योगिनी ध्यान रहे ये मारना नहीं चाहिए हमें जानना है सबके बारे में कहा है वो सब...
योगिनी – (मुस्कुरा के) जी महाराज...
जिसके बाद धीरे धीरे करके वक्त सालों में बीतता चला गया अब धरती लोक के शिव जी के उस मंदिर में जगन्नाथ के साथ रानी सुनंदा और उनकी दासी अग्निशा ही थी एक पुजारिन की वेश भूषा में जो सिर्फ आरव के आने का इंतजार कर रही थी....
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