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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
Shukriya ji
 

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परम-सुंदरी चैप्टर 1

अपडेट 1

ये घटना उस समय की है जब परम सिर्फ़ 20 साल का था। परम की एक छोटी बहन थी महेक। माँ का नाम था सुंदरी और वो औरत सुंदर फूल की तरह महकती रहती थी। जैसा की उसका नाम था बस वैसे ही दिखती थी। उस समय वो करीब 40 साल की थी। एक दम जवान और मस्त। गठा हुआ बदन, भारी पूरी भंहे, थोड़ा सावला रंग लेकिन गजब की चमक थी चेहरे पर। मस्त हथिनी की तरह कूल्हे हिला-हिला कर चलती थी तो देखनेवालो की साँस रुक जाती थी। मोहल्ले मे अपनी खूबसूरती और हाजिर जवाबी के लिए बहुत पसंद की जाती थी। उसकी एक मुस्कान और मीठी आवाज सुनने के लिए मर्द तो मर्द औरतें भी पागल रहती थी। बड़े-बड़े बोबले थे उसके। शायद 38” या उससे भी बड़े। लंबे काले बाल और मुस्कुराता चेहरा लेकर हरदम बहकती रहती थी लेकिन उसने कभी किसि को दाना नही डाला।


उसे क्या पता था की वो बहुत जल्द बड़ी कामुक और वासना की गुलाम बनने बाली है। शादी के 20 साल बीत गये और उसका घरवाला अब उसमे ज़्यादा रुची नही रखता था। बस यह समज लीजिये की “घर की दाल”, सच तो यह था की वो सुंदरी की प्यास नही बुझा पाता था। चुदाई तो रोज करता था लेकिन थोड़े धक्को के बाद मे पानी गिरा कर सो जाता था और सुंदरी रात भर चूत को सहलाती रहती थी। वो नामर्द या कामजोर मर्द नहीं था..लेकिन अब सुंदरी के पति को अपनी पत्नी से ज्यादा..जवान हो चुकी बेटी महक और उसकी सहेलियों में था...वो रात दिन अपनी बेटी के साथ-साथ उसकी सहेली को चोदने के लिए फिराक में रहता था...लेकिन ना कोई मौका मिला ना ही वो हिम्मत जुटा पाया। उस प्रकार से देखा ए तो ना सुंदरी को अपने पति में रूचि थी और नाही पति को पत्नी में।

उसे मालूम था की एक इशारा करने पर गाव के सारे मर्द उसे चोदने आ जाएँगे लेकिन अभी इतनी बेशरम नही हुई थी। वो पति को खूब खिलाती पिलाती थी लेकिन कोई फायदा नही। वो सुंदरी की गर्मी नही उतार पाता था या फिर वह खुद को मन से नहीं चुद्वाती थी। पति को भी तो अपनी बेटी को चोदना था, और बेटी में ही रूचि थी।

उनका साधारण परिवार था। घरवाला (पतिदेव) एक शेठ के यहा मुनीम था काफ़ी सालो से। शेठ उसे तनख़्वाह के अलावा समय-समय पर कपड़े लत्ते और सुंदरी के लिए गहने भी देता था। शेठ ने कई बार इशारो-इशारो मे सुंदरी की जवानी की बात की और हमेशा उसकी तारीफ़ करता रहता था। पूजा त्योहार के अवसर पर सुंदरी बच्चो के साथ शेठ के घर जाती रहती थी। शेठ उसे घूरता रहता था, इशारा भी करता था लेकिन कभी उसने खुलकर सुंदरी से चुदवाने की बात नही की, डर के मारे।

शेठानी को मालूम था की उसका शेठ सुंदरी को चोदना चाहता है और उसने सुंदरी को जता भी दिया था की शेठ को अपनी जवानी के जलवे दिखाने की ज़रूरत नही है। वैसे भी सुंदरी को शेठ बिल्कुल पसंद नही था। वो सोच भी नही सकती थी की इतना मोटा आदमी शेठानी की चूत मे लंड कैसे पेल पाता होगा। लेकिन अपने पति की तरह वो भी शेठजी को बहुत मानती थी, बहुत सम्मान देती थी।

इधर सुंदरी का बेटा परम जवान हो गया था। उसका लंड उसे तंग करने लगा था। वो अपनी बहन महेक के साथ एक ही कमरे मे अलग अलग बिस्तर पर सोता था। पिछले दो सालो से मूठ भी मार रहा था। लेकिन उसका मन अभी तक अपनी माँ के या बेहन के उपर नही आया था। वो हमेशा शेठजी की बेटी रेखा जो उससे 2 साल बड़ी थी, के बारे मे सोच-सोच कर मूठ मारता था। बचपन से ही परम और शेठजी की बेटी रेखा बहुत घुले मिले थे...रेखा की एक खास सहेली पूनम भी परम की बहुत खास दोस्त थीं। वो बी रेखा की तरह परम से 2 साल बड़ी थी। अब तक दोनों रेखा और पूनम दोनों बिल्कुल कुंवारी थीं।

परम और रेखा दोनों एक दूसरे को मन ही मन बहुत प्यार करते थे। पूनम भी परम को प्यार करती थी लेकिन उसे मालूम था कि परम रेखा को ज्यादा प्यार करता है...इस तरह उसने भी परम को अपना प्यार कभी नहीं जताया और ना कभी किसी निपल को सहलाने और चुम्मा लेने से मना किया। रेखा, यह देख कर बहुत जलती थी लेकिन वो हमेशा चुप रही...उसे मालूम था कि परम सिर्फ उसका है और उसे जलाने के लिए ही पूनम के साथ मस्ती लेता है...

परम को मालूम था की उसकी माँ के बारे मे लोग गंदी बाते करते है लेकिन किसीने भी परम के सामने अबतक सुंदरी को चोदने की बात नही की थी। लेकिन उसने एक दिन अपने ख़ास दोस्त विनोद को सुंदरी के बारे मे कहते सुना।

“ अरे यार, परम की माँ क्या जबरदस्त माल है। साली को देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगता है। मन करता है की रोड पर ही पटक कर चोद दू। कभी उसकी बड़ी-बड़ी गोल गोल निपल देखी है! चूसने मे क्या मज़ा आएगा। साली की जाँघो पर हाथ फ़ेरने मे जो मज़ा आएगा उतना मज़ा मख्खन छूने मे भी नही आएगा। एक बार चोदने के लिए मै उसका गुलाम बनने को तैयार हूँ। मै तो रोज सुंदरी के चूत के बारे मे सोच कर लंड हिलाता रहता हूँ। मादरचोद, परम साला बहुत किस्मतवाला है। रोज उसकी चुचि और चूत देखता होगा। मै उसका बेटा होता तो कबका उसे चोद देता…… मै उस को एक चुदाई का दस हज़ार दूँगा।।।” विनोद बोलता रहा और परम वहा से हट गया।

इतना सुनकर परम को बहुत गुस्सा आया लेकिन वो गुस्सा पी कर रह गया। विनोद उससे उम्र मे बड़ा था और वहा चार पाँच लड़के खूब मस्ती मे विनोद की बातो का मज़ा ले रहे थे।

परम चार बजे घर वापस आया। दरवाजा उसकी माँ, सुंदरी ने खोला। परम बेग रखकर सुंदरी के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर पूछा।


“माँ, तुम बहुत सुंदर हो क्या?”


एपिसोड अभी चालु है .............
Nice effort
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
रेखा तो अपनी अनचुदी चुद और चुचीयाॅं परम को कल दिखाने का कहकर अपनी सहेली के साथ निकल गयी घर पर शेठानी की मालिश के साथ साथ परम ने उसकी चुद पर अपने लंड का उद्घाटन कर लिया और शेठानी की ओर से उसकी बेटी रेखा और उसकी बहु को भी चोदने की सहमती मिल गयी
वही सुंदरी को शेठ से चुदने के लिये उकसा रहीं हैं
अब देखते हैं परम अपनी माँ सुंदरी की किस तरहा से चुदाई करता है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Ji aapka pratisad sahi hai dost
Yah kahani sundari ke aaspas hi ghumti hai aur sundari ko kaun kya kaise kyu sab kuchh kaisr milta hai pata nhi
Par koshish karna mere saath jaan ne ke liye
 

Yashu7979

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Dekhte hai dost...
Agar sabhi readers ki ek hi rai hai to yah kahani next 2 to 3 episodes me khatam ho jayegi.
Kahani ka main mudda hi yahi hai ki yah gaav me sab free hai aur nahi bhi sab karte bhi hai aur kahte bhi nahi....
Agar aisa h bhai toh aap apni marzi sa likho...writing skills achi h aapki....
 

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“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"


परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।

सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।

“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”

“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।

“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।

“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।

“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”

उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’

दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”

“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”

“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।

'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।

“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।



अभी आगे लिख रही हु .......


Mast update
 

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“हा माँ, मैने भी देखा है। उसके बोबले भी दबाऊ?”

“मुझे क्या मालूम, वो दबाने देगी तो दबा-दबा कर तुम दोनों भाई-बहन मज़ा ले लेना लेकिन उसे मत बताना की तुमने मेरे बोबले भी दबाये है और मैने तुमसे कहा है उसकी निपल को दबाने को, उसके बोबले को बड़े करने को...लेकिन अभी उसे चोदना मत। तुम छोटे हो उसे खुश नही कर पाओगे।”

अब परम ओर ज़ोर-ज़ोर से निपल और पुरे बोबले को मसल रहा था, सुंदरी ने परम से पूनम और रेखा के बारे में बात की और पूछा कि वो भी तो परम को खूब मजा देती है...अपने बोबले दबवाती है तुम से!


“नहीं माँ, रेखा तो बस सारा समय मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बैठी रहती है लेकिन पूनम कभी-कभी चुची सहलाने और चुम्मा लेने देती है…”

परम ने दोनों हाथों से चूची को खूब मसला दबाया और कहा कि मां की चूची में पूनम की चूची से ज्यादा मांस (flesh) से भरी हुई है... फिर एक हाथ से एक चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ से गाल को पकड़ा और माँ के होठों को चूमने लगा...



सुंदरी ने कस कर पैंट के ऊपर हाथ रख-कर जोर से दबाया और परम झड़ गया.. वो ठंडा हो गया। माँ की गोद से उतरा तो माँ ने देखा कि उसका पैंट के सामने गिला हो गया है। परम नजर झुका कर खड़ा था। सुंदरी ने गिले हिस्से को छूने के बहाने पैंट के ऊपर से लंड को सहलाया। लंड ढीला हो गया था लेकिन फिर भी सुंदरी ने नक्शा लिया कि बेटे का लंड बाप के लंड से लंबा और मोटा है…

उसने गिले हिस्से को सहलाते हुए कहा,उसने कहा,

“ अरे कोई बात नही, बेटे... इतनी देर तक कोई भी स्तनों को दबाएगा तो उसका लंड जवाब दे के पानी गिरेगा ही। तुम जाकर कपड़े बदल लो, बहन आती ही होगी।”

सुंदरी जाने लगी तो परम बोला “ माँ तुम सचमुच बहुत सुंदर और मस्त माल हो। विनोद से चुदवाओगी?”

“बेटे, तुमने तो माँ की सुंदरता अभी देखी कहा! और अपने दोस्त को बोलना की मेरे बारे मे सोचना छोडकर अपनी माँ को चोदे।”

ये पहला मौका था की माँ-बेटे ने चुदाई की बात की।


लिख रही हु....
Badhiya suruvaat hai maa bete ki. Mast update
 
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