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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग १११ पंडित जी और बुच्ची की लिख गयी किस्मत पृष्ठ ११३८

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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Chalakmanus

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अगला भाग ननद भाभी की शरारत का ही होगा
कोहबर में रात भर तीन तीन भाभियाँ, इमरतिया, मुन्ना बहु और मंजू भाभी और बुच्ची ननद

उसकी सहेली शीला को भी भौजाई अपनी ओर कर लेंगी
Waah.lekin tab to cheating hogi bucchi akele pad jaigi
 

komaalrani

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कोमल जी

मादक और रस से भरा शानदार अपडेट।

लेकिन वही भौजी जैसी शरारत, ऐसी जगह रोका है कि बस कुछ कहता ना बने, बस गनगना के रह जाए।

अब सबसे पहले इसके अपडेट का ही इंतजार रहेगा।

सादर


जल्द ही आएगा अगला अपडेट, ननद भौजाई की शरारत से भरा, रात भर कोहबर में मस्ती, दो जवानी के दरवाजे पे दस्तक दे रही किशोरियां, नंदे और तीन खेली खायी प्रौढ़ा भौजाइयां
 

komaalrani

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कोमल जी

मादक और रस से भरा शानदार अपडेट।

लेकिन वही भौजी जैसी शरारत, ऐसी जगह रोका है कि बस कुछ कहता ना बने, बस गनगना के रह जाए।

अब सबसे पहले इसके अपडेट का ही इंतजार रहेगा।

सादर
बाकी दो कहनियों के अपडेट आ गए हैं और अब वहां आप के कमेंट का इन्तजार है

Bored Cabin Fever GIF
 

Sutradhar

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बाकी दो कहनियों के अपडेट आ गए हैं और अब वहां आप के कमेंट का इन्तजार है




Bored Cabin Fever GIF

बाकी दो कहनियों के अपडेट आ गए हैं और अब वहां आप के कमेंट का इन्तजार है

Bored Cabin Fever GIF

कोमल जी

आपके आदेश की अक्षरशः पालना कर दी गई है।

अब जल्दी से अपडेट, यहां


सादर
 

Premkumar65

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भाग ८७ - इन्सेस्ट कथा -इंटरवल और थोड़ा सा फ्लैश बैक

१८,०१,४०२

भाई बहन दोनों थक के बिस्तर पर पड़े थे सुध बुध खोये, और साथ में मैं भी,... बाहर चांदनी झर रही थी , आम के बौर की, महुए की मादक महक हवा के साथ आ रही थी।


रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी, मेरी ननद दो बार अपने सगे भाई की सेज चढ़ चुकी थी, और जिस तरह से चूतड़ उठा उठा के उसने मलाई घोटी थी अपने भैया की मुझे पक्का अंदाज था की वो अपने भैया से गाभिन हो गयी होगी।

भाई बहिन एक दूसरे से चिपके मस्ती में लेटे थे,

लेकिन लम्बी ड्राइव में गाड़ी की टंकी हरदम फुल रहनी चाहिए तो मैं भाई बहिन को एक दूसरे की बाँहों में छोड़कर, ... पेट्रोल पम्प मतलब किचेन की ओर,



खीर बहुत बची थी अभी,

लेकिन दूबे भाभी की जड़ी बूटी भी तो डालनी थी उसमे वीर्यवर्धक वाली, ... और तरीका जो उन्होंने बताया था की दुबारा इस्तेमाल करने के लिए खीर को पहले पांच मिनट हल्का गुनगुना गरम करना, धीमी आंच पर , फिर पांच फूल केसर, थोड़ी सी अश्व्गन्धा और दूबे भाभी वाली जड़ी बूटी जो औरत मर्द दोनों पर असर करती थी,

मर्द को दस सांड की ताकत देती थी, वीर्य की मात्रा और शुक्राणु की ताकत दोनों बढाती थी

और औरत को भी गर्म करती थी और सबसे बड़ी बात उसकी बच्चेदानी खोल देती थी।

पांच मिनट धीमी आंच के बाद ये सब डालने के बाद उसे दस मिनट तक ठंडा भी करना था जिससे असर अच्छी तरह भिन जाए।



उनके वीर्य की बात सोच के मुझे हंसी आ गयी, पिछले साल ही तो, जनवरी था शायद, दो दिन पहले खिचड़ी पड़ी थी.

कुछ दिन बाद ही मेरे इंटर का बोर्ड का इम्तहान शुरू होने वाला था।

मिश्राइन भौजी आयी थीं, हमारे स्कूल की वाइस प्रिंसिपल, ... और माँ की पक्की सहेली। मुझे कोई हिंदी की कविता समझा रही थीं। तभी माँ इनकी कुंडली लेकर आ गयीं, ये तो मुझे मालूम था की मेरी शादी की बात चल रही है, ... पर मेरी माँ और उनकी समधन दोनों कुंडली मानती थी इसलिए तय हुआ की पहले लड़के की कुंडली आएगी. मिलाई जाएगी उसके बाद लड़के वाले देखने आएंगे, फिर अगर बात जमी तो,...

माँ बीच में आ गयी और कुंडली लड़के की निकाल के मिश्राइन भाभी के हवाले कर दी। मिश्राइन भाभी ज्योतिषी खानदान की थीं और पत्रा पचांग बांचने के साथ कुंडली भी पढ़ लेती थीं , जनम पत्री मिला लेती थीं,

थोड़ा बहुत माँ भी समझ लेती थीं,...

बस कुंडली , जन्म पत्री आने के बाद, माँ के पीछे पीछे मेरी जन्म से मेरी दुश्मन,... दोनों, और कौन मेरी दोनों दुष्ट बहने,... हम भी सुनेगे, हम भी सुनेंगे जीजू के बारे में, अभी लड़की पसंद भी नहीं आयी थी और इन दोनों शैतानो के ये जीजू हो गए थे। तब से दोनों जीजू की चमची।

बिहारी एक ओर मिश्राइन भाभी ने धर दिया और कुंडली उठा ली। वो कुंडली पढ़ रही थीं, माँ और मेरी दोनों बहने उनका चेहरा पढ़ रही थीं। मैं जबरदस्ती उलटी किताब देख रही थी, लेकिन दिल धकधक कर रहा था, जैसे बोर्ड का रिजल्ट देख रही हूँ। कान मिश्राइन भाभी की ओर चिपका, क्या फैसला सुनाती हैं।

उनका चेहरा बहुत खुश लग रहा था, जैसे जैसे आगे बढ़ती जा रही थीं चेहरे की चमक बढ़ती जा रही थी, फिर अचानक तेजी से वो मुस्करायी, मेरी ओर मुड़ी और कस के मेरे गाल पे चिकोटी काट के बोलीं,

" ननद रानी , ठीक नौ महीने में लल्ला होगा,"

दोनों बहने और खुश, दोनों मौसी बन जायेगीं। कहा न मेरी जन्म की बैरन, मेरी परेशानी नहीं सोच रही थी खाली मौसी कहलाने की पड़ी थी।

माँ ने बिना कहे मिश्राइन भाभी से आँखों ही आँखो में पूछ लिया और मिश्राइन भाभी ने कुंडली आगे कर दी,

" देख रही हैं, शुक्र किस घर में है और अभी अगले पांच साल की दशा, दशांतर, शुक्र प्रबल ही नहीं महा प्रबल है। लिखा भी है वीर्यवान, प्रबल शुक्राणु,... एक बूँद भी अंदर गया तो गाभिन होने से कोई रोक नहीं सकता।

मैं जोर से उछली, नहीं इतनी जल्दी नहीं, मुझे अभी आगे पढ़ना है।

" तो पढ़ न कल ही तुझे तेरी डाक्टर भाभी के पास ले चलती हूँ , दवा दे देंगी वो , साल दो साल के बाद, देखना जब जैसा दामाद जी कहेंगे " माँ ने मुझे जोर से हड़काया और मिश्राइन भाभी से आगे का हाल पूछा, लेकिन मिश्राइन भाभी अब एकदम भाभी वाले मूड में आ गयी थीं, मुझे छेड़ते बोलीं


" बस यही लिखा है की रोज तेरी टाँगे उठी रहेंगी,... "

माँ मुस्कराते हुए बोली, " अरे वो तो,...सादी बियाह होता किसलिए है, लेकिन गुन कितने मिलते हैं "

" बहुत ज्यादा, बस यही एक बात है की मेरी ननद रगड़ी कस के जायेगी रोज दिन रात "मेरी दोनों बहने मुझे देख के खिलखिला रही थीं तो मिश्राइन भाभी ने अपनी तोप का रुख उनकी ओर मोड़ दिया,

" बहुत हिनहिना रही हो न दोनों , तुम दोनों की भी फाड़ेगा वो "

" हमारे जीजू जो उनकी मर्जी वो करें " दोनों होने वाली सालिया एक साथ बोली।

उसी समय मैं समझ गयी, अभी शादी तय भी नहीं हुयी,.. और मेरा पूरा परिवार दल बदल कर गया, मेरी बहने अपने जीजू की ओर और माँ, दामाद के पास। मैं बेचारी मायके में भी अकेली।
Woww Purani yaden hamesha romanch bharti hai.
 

Premkumar65

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मेरी सास, ननद, जेठानी




और शादी क्या ऐसे तय होती है,

और शादी तो छोड़िये लड़की देखना भी ऐसे थोड़ी होता है जैसे इनके मायके वालों ने किया। न हम लोगों को नए परदे लगाने का मौका मिला, न आस पास से कुशन सेट टेबल क्लाथ मांग के लगाने का, न नया टी सेट खरीदने का।

दोनों मेरी दुश्मन जब से बात शुरू हुयी थी, चिढ़ाती रहती थीं,

" दीदी, ट्रे ले कर चलने की प्रैक्टिस शुरू कर दीजिये, खाली नहीं भरी केटली टी सेट, समोसे की प्लेट,... और आँखे नीचे कर के बात करियेगा। हँसियेगा एकदम मत,... "

दोनों आपस में मुझे दिखा के प्रैक्टिस करतीं। एक सास बनती, एकदम गुस्सैल नकचढ़ी, चल के दिखाओ, अखबार पढ़ो, खाने में क्या क्या बना लेती हो, भजन गाओ "

माँ ने कुंडली मिलने की खबर भिजवाई और अगले दिन वो लोग हाजिर,... बताया था की देर शाम तक लेकिन तिझरिये में ही, और मैं अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं थी, दरवाजा भी मैंने ही खोला। न ट्रे में चाय ले जाने का मौका मिला,... समोसे वो लोग खुद ही ले के आये थे, हमारे बगल वाले झटकु की दूकान से।

मेरी सास, यही ननद और जेठानी,

माँ ने पूछ लिया दामद जी नहीं आये तो मेरी जेठानी ने पट्ट जवाब दिया, " वो क्या करेंगे, देवरानी मुझे ले जानी है की उसे "

लेकिन सबसे बड़ा धमाका किया मेरी सास ने ये बोल के " हम लड़की देखने नहीं आये हैं "

हम सब लोगो को सांप सूंघ गया, क्या हो गया ये, लेकिन मेरी यही ननद बोलीं,



" हम लोग भाभी को ले आने आये हैं, "



और सास ने जिस तरह से मीठे बोल से मुझसे कहा, बेटी इधर आओ, ..

मेरे कदम अपने आप उनके पास, बगल में उन्होंने बैठा लिया, ... और अपने गले की सतलड़ी निकाल के मेरे गले में डाल दी और माँ से कहा की उनकी सास ने उनकी मुंह दिखाई में दिया था। मैं सास ननद के बीच बैठी।

मेरी माँ के कुछ समझ में नहीं आ रहा था। पड़ोस से मांग के आयी क्रोशिया की कढ़ाई, मैट वर्क अभी अंदर ही पड़े थे, जिसे दिखा के वो कहती मेरी बेटी ने काढ़ा है, दबी जबान से वो बोली और, शादी,...

मेरी ननद हमेशा से जुबान की तेज, मेरे ऊपर हाथ रख के,( जैसे लोग खाली सीट पे रुमाल रख देते हैं ) बोली,

" ये आप बड़े लोग तय करिये, मैं तो अपनी भाभी को ले जाने आयी हूँ। और जब भी शादी की तारीख तय हो जाए, रस्म वसम शुरू होने की बात तो मैं खुद भाभी को पहुंचा दूँगी, एक दम सील टाइट, चाक चौबंद, जैसे ले जारही हूँ उसी तरह। "

" और क्या, मेरा देवर मिठाई देख के ललचाता रहेगा, मिलेगी शादी के बाद, जब मैं कंगन खुलवा दूंगी। "

जेठानी कौन कम थीं, वो बोलीं।

माँ को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा लेकिन सास ने जब लेन देन की बात की तो उनकी फूंक सरकी।

मेरी सास बोलीं, देखिये लेन देन भी तय कर लें,... मेरी माँ चुप,



सास ने ही आगे की बात बोल दी,... देखिये जो मुझे लेना था मैंने ले लिया, मेरी बेटी मुझे मिल गयी, अब उसके बदले में जो मुझे देना है, .... तो बरात में लड़के के चाचा, ताऊ, फूफा, मामा मौसा, जो जो आप को पंसद आये, बस रख लीजियेगा, आप कहेंगी तो गदहे, घोड़े, हाथी,... सब पूरी बरात, समधन के लिए तो सब कुछ हाजिर है,... हाथ गोड़ या जो कुछ दबवाना हो उसके लिए हमारा नाउ, आपकी कुइंया में पानी भरने के लिए कन्हार,... जो कहिये सब,... लेकिन अपनी बेटी तो मैंने ले ली,...

और मजाक के मामले तो मेरी माँ भी कम नहीं थी, फिर खाने के समय ये गारियां गयीं माँ ने अपनी समधन के लिए

लगन की बात थी तो मिश्राइन भाभी थीं ही लेकिन उन्हें मेरी बारहवें के बोर्ड की भी तारीख मालुम थीं तो बोलीं की इम्तहान के बाद तो फिर दिन ठीक नहीं है, फिर चैत लग जाएगा, ... जेठ में ही २१ जून के बाद लग्न है।

लेकिन मेरी सास के मीठे बोल,... उन्होने रास्ता भी निकाल दिया। गौने में तो इतना ज्यादा लगन का चक्कर नहीं है तो

और मेरे होम साइंस के प्रैक्टिकल के दो दिन पहले शादी,... फरवरी में और जिस दिन इम्तहान ख़तम हुआ उसके चौथे दिन गौना। होली के हफ्ते भर बाद। चार दिन में साल पूरा होगा।



खीर अब ठंडी हो गयी थी।



मुझे याद आया मिश्राइन भाभी की एक एक बात सही निकली यहाँ तक की इनके कमर पे नाभि से एक बित्ते नीचे बायीं ओर तिल भी उन्होंने बताया था।


मैं भी न खीर के चक्कर में एक बात बतानी भूल ही गयी। मिश्राइन भाभी, इनके उच्च शुक्र और शुक्राणु की बात तो बता के चली गयी, मुझे कुछ भी गुदगुदी भी लग रही थी, कुछ कहीं कहीं डर भी लग रहा था, और मिश्राइन भाभी के जाते ही मैं माँ से चिपक गयी, मेरी सबसे बड़ी, सबसे अच्छी सहेली वही थीं,

" माँ मुझे, " मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे कहूं, बस मैं उनकी गोद में घुस के बैठ गयी और कस के दबोच लिया।

" ये मत कहना की तुझे शादी नहीं करनी, मैंने तो उन्हें हाँ भी कर दी, " माँ मुझे दुलराती बोलीं,

कैसे कहूं, नहीं समझ में आ रहा था, लेकिन मैंने माँ की परेशानी कम करते हुए, साफ़ कर दिया, " नहीं उसकी बात नहीं, वो आपने हाँ कर दिया तो ठीक है, शादी की नहीं, वो उसके बाद, "



अब माँ समझी, दुलार से मुझे चूमती बोलीं, " अरे अपनी मिश्राइन भौजी की बात से डर गयी तू " बड़ी देर तक वो खिलखिलाती रही फिर एकदम सीरियस हो के जैसे ससुराल जाती बेटी को माँ समझाती हैं, उसी तरह समझाते बोलीं

" देख मेरी बात एक सुन, गौने वाली रात, थोड़ा बहुत तो ठीक है, हर लड़की कुछ नखड़ा करती है, लेकिन ज्यादा नहीं। मरद को अगर कही पहले दिन मना कर दिया न तो जिंदगी भर के लिए खटास हो जाती है। और दर्द वर्द तो सब लड़की झेल लेती हूँ, किसी को कम, किसी को ज्यादा, और चीखे चिल्लायेगी भी उसमें भी कुछ बुराई नहीं है, लेकिन मेरे दामाद को इन्तजार मत कराना। बल्कि एक बात मेरी मान ले, लड़को को बड़ी जल्दीबाजी रहती है तो तो अपनी बुलबुल में थोड़ा सा कडुवा तेल पहले से डाल के जाना, दामाद मेरा तुझे छोड़ेगा तो है नहीं, छोड़ना चाहिए भी नहीं, इसलिए, हाँ और तेरी भौजाई, नाउन की नयकी बहुरिया, जब बुकवा करेगी न, लगन लगने पे तो वैसे भी मेरे कहने की जरूरत नहीं, वहां बिना तेल पानी किये छोड़ेगी नहीं। "



माँ भी मेरी न, शादी के पहले ही बेटी का पाला छोड़ के दामाद की ओर खिसक ली थीं।

लेकिन बात वो नहीं थी, इतना तो मुझे भी मालूम था। अब मैं झुँझला रही थी, कैसे समझाऊं माँ को , मिश्राइन भौजी ने इशारा भी दिया था लेकिन माँ के जिम्मे पचास काम वो भी भूल गयी थीं।

" माँ, वो नहीं, आप की बात ठीक है, मैं उसके बाद की बात कर रही हूँ " झुंझला के मैं बोली

अब माँ थोड़ा हंसी, थोड़ा सीरियस हुईं। फिर एक बार मुझे गोद में दुबकाया और बोलीं

" मेरी बिटिया सच में भोरी है, आज कल तो नौवें दसवे में पढ़ने वाली लड़कियां बस्ते में गोली लेलेकर टहलती हैं। लेकिन तू सही कह रही है तोर मिश्राइन भौजी भी कही थीं की किसी लेडी डाकटर को एक बार दिखा लें जैसा वो कहे, मैं ही भूल गयी थी। "
Bahut hi gajab ka likhti ho aap. Bahut hi sunder varnan hai ghar ki chhed chhad ka.
 

Premkumar65

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भैया और बहिनी - खेल चालू


तो उनकी शुक्राणु के ताकत की बात आज देखनी थी मिश्राइन भाभी की बात मुझे मालूम था ये भी सही होगी।

भैया बहिनी चिपक के लेटे थे, थोड़ा बहुत चुम्मा चाटी भी,... और मेरी ननद मेरे साजन को छेड़ रही थी, कान पकड़ के पान बना रही थीं.

“मुझे मालूम ही तू रोज बिना नागा मेरी ब्रा में मलाई छोड़ता था है न,... “

थोड़ा सा झेंपते हुए, वो बोले, " तुझे पता था तो टोका क्यों नहीं "

" क्यों टोकती, मेरे मीठे भइया की मीठी मलाई,... मैं तो वैसे ही गीली गीली पहन के कालेज जाती थी " हँसते हुए उनकी बहन ने अपना राज भी खोला।

तबतक मैं भी पहुँच गयी थी, मैंने ननद से पूछा,

" मलाई का मजा सिर्फ आपकी ब्रा को ये देते थे की अपनी महतारी की ब्रा को भी " हँसते हुए खीर का कटोरा टेबल पर रखते हुए मैंने पूछा।

" उनकी ब्रा में भी, लेकिन गलती भौजी आपकी थी, आप आयी देर से वरना मेरा भाई सही जगह में मलाई डालता "

टिपिकल ननद, जो भौजाई की टांग खींचने का कोई मौका न छोड़े।

" अरे गलती न आपकी न आपके भैया से ज्यादा भतार मेरे मरद की, आपके ये दूध के कटोरे ऐसे रसीले हैं, ... "

और मैंने खीर ननद के गदराये जोबन पर ही लपेट दिया और अपने सैंया का मुंह खींच के उनके ऊपर,... और हँसते हुए उनसे बोली,

" अभी ऊपर ऊपर से खा लो, ठीक नौ महीने बाद जब हमार ननद बियायेंगी तो दूध एही चूँची से पीना। एक चूँची से इनकी बिटिया और दूसरे से इनके भैया। और नहीं होगा निचोड़ निचोड़ के निकाल के दोगे तो एक कटोरी ओहि दूध की खीर भी बना देंगे। "

" अरे भौजी तोहरे मुंह में घी गुड़, एकदम पियाऊंगी तोहरे मर्द को दूध अगर ये तोहरे रंडी महतारी क दामद हमको गाभिन कर दिया तो " बोली ननद।

बिना गारी क ननद क बोली मीठी भी नहीं लगती।

मैंने दूसरी चूँची पर भी खीर पोत दी।

ननद ने ढेर सारी खीर अपने मुंह में लेकर थोड़ी देर चुभलाने के बाद सब की सब अपने भैया के मुंह में।

कुछ देर में ही कटोरा खाली हो गया और खूंटा भी खड़ा होने लगा, लेकिन आज हम ननद भौजाई बदमाशी पर आमादा थे।

कौन लौंडिया होगी जिसके मुंह में बित्ते भर का लंड देख कर पानी न आये,

और ये तो सगी बहिनिया, बचपन से ललचा रही थी, भैया कब खूंटा अंदर गाड़ें। लेकिन दो बार सगे भाई से चुदने के बाद अब मेरी ननद को भी कई जल्दी बाजी नहीं थी. बुर में भाई का बीज बजबजा रहा था, बच्चेदानी भरी हुयी थी. और बदमाशी भी उनकी बहिनिया ने ही शुरू की,

" भौजी तोहार छिनार बहिनियन क जीजा, बहुत लिबरा रहे हैं, इनका हाथ गोड़ न छान दें, "

" एकदम जो आपन बहिन महतारी क तडपावे उसके साथ यही होना चाहिए "

उन्हें तंग करने के हर प्रस्ताव पर मेरी सहमति थी चाहे वो मेरी छिनार ननद की ओर से क्यों न आएं। और जब तक वो समझें उनके हाथ पैर चारों पलंग के चारों पाए से बंधे, और गाँठ मैंने कस के लगायी, प्रेजिडेंट गाइड थी स्कूल में। तड़पें।



तड़पाने वाली बहन भी बीबी भी, जबरदस्त थ्रीसम।

शुरुआत मैंने ही . हाथ पैर बांधते ही, खूंटा खड़ा होने लगा, बस बची हुयी खीर मैंने कटोरे से बूँद बूँद उसपे चुआ और उनकी बहन को इशारा भर कर दिया,



बस पहले तो वो जीभ से अपने सगे भाई का लंड, .. सिर्फ जीभ की टिप से बस छू छू के जैसे सिर्फ खीर में उसकी दिलचस्पी हो, ... फिर चार चाट के,... बहन की जीभ हो भाई का खूंटा,... कैसे न खड़ा हो,.. एकदम कुतबमीनार, ...

और गप्प से ननद ने मुंह में भर लिया और बस कभी चुभलाती कभी चूसती। कभी अपने दीये जैसे बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें देखती, जैसे पूछ रही हो,

" आ रहा है न मजा भैया "

हाथ पैर ही तो बंधे थे, कमर तो फ्री थे, क्या हचक के धक्का मारा मेरे मर्द ने मेरी आँख के सामने अपनी बहन के मुंह में,
गप्पांक, आधे से ज्यादा बांस ननद के मुंह में। ननद का मुंह फूल गया, मोटे सुपाडे से. गाल फटा जा रहा था, आँखे उबली पड़ रही थीं लेकिन वो कस कस के चूस रही थीं।



पर ये तो साझा खेल था, मैं भी आ गयी मैदान में,

गन्ना मेरी ननद के हिस्से में तो दोनों रसगुल्ले मेरे मुंह में। एक साथ बहन और बीबी दोनों चूसे, एक साथ मोटा मूसल और बॉल्स दोनों चूसी जाएँ , क्या हाल होगी किसी मरद की। वही हाल मेरे मरद की हो रही थी, एकदम बेताब।

फिर ननद भाभी ने लंड बाँट लिया,... दायीं और से ननद चाट रही थीं, वामा मैं, बायीं ओर से मैं. पर कुछ देर में खूंटा मेरे हिस्से में गया पूरा और रसगुल्ले दोनों ननद के हिस्से में।

मुझे एक बदमाशी सूझी,

मैंने जो तकिये कुशन ननद के चूतड़ के नीचे लगाए थे, इनके नीचे लगाए थे और ननद का मुंह दबा के सीधे इनके पिछवाड़े।

मान गयी मैं इनकी बहिनिया को, सपड़ सपड़ उनका पिछवाड़ा चूस चाट रही थी, मैंने सर पर से हाथ हटा लिया था तब भी उसका चूसना जारी थी,

और मैंने अब अपने साजन का फड़फड़ाता तड़पता लंड अपने मुंह में ले लिया, इनकी बहन की तरह आधा तीहा नहीं, पूरा,... सीधे हलक तक।



" ओह्ह नहीं उफ़ छोड़ दो मुझे, एक बार ओह्ह "

वो चीख रहे थे, चिल्ला रहे थे और उनके मुंह को बंद करने का ढक्क्न था मेरे पास, बस अपनी रसमलाई रख दी उनके मुंह पे जैसे बच्चे जब बहुत रोते हैं तो माँ निपल उनके मुंह में ठूंस देती है।

मुंह तो उनका बंद हो होगया, लेकिन उनके दुष्ट होंठ और जीभ जिस तरह से मेरी फड़फड़ाती चुनमुनिया को पागल कर रहे थे मैं ही जानती थी, लेकिन मेरी मुट्ठी में, मेरा मतलब मेरे मुंह में उनका मोटू था, और मेरे होंठ और जीभ कौन शरीफ थे. जिस तरह से मैं चूस रही थी, चाट रही थी, मेरी उँगलियाँ मुंह से बाहर खूंटे को रगड़ रही थीं, सहला रही थीं, और वो तड़प रहे थे धक्के लगा रहे थे।



उनकी हालत मुझसे भी खराब थी क्योंकि उनके पिछवाड़े के गोल दरवाजे पर उनकी सगी बहिनिया चुम्मी ले रही थी, उसकी सांकल खटखटा रही थी, कभी जीभ से बंद दरवाजे को खोलने की भी कोशिश करती। रीमिंग भी, ब्लो जॉब भी।
Uffff very erotic.
 
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Premkumar65

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ननद -भौजाई साथ साथ


लेकिन उनकी हालत खराब होने से मेरे मन में कोई दया माया नहीं आयी. हो तो हो, पहली रात से जिस दिन मैं इस घर में गौने उतरी थी, इस लड़के ने मुझे पागल कर के रख दिया था, और रात क्यों दिन में,... तीसरे दिन ही, दिन में ही रसोई में भी सेंध लगा दिया मेरी बिल में, सास मेरी आयीं, हम दोनों को मैथुनरत देख कर लौट गयीं दबे पाँव।

लेकिन मैं अभी अपनी ललचाती ननद का चेहरा देख कर अपने को नहीं रोक सकी. हर बहन अपने भाई के पाजामे के अंदर के नाग को देखने के लिए छूने के लिए पकड़ने के लिए दीवानी रहती है। और इनकी बहन तो दो बार उसका मजा ले चुकी थी मेरे सामने,... तो मैं उसके चेहरे की रंगत लालच, देख कर मुझे दया आ गयी.

मैंने इनके खूंटे को छोड़ दिया, मुंह से निकाल दिया और अपनी ननद को ऑफर कर दिया। मैं उन भौजाइयों में से नहीं थी जो ननद के साथ ' मेरी तेरी ' करते हैं। जो मेरी वो उसकी, जो उसकी वो मेरी।



लेकिन ननद ने बजाय चूसने चाटने के,... ननद के नीचे वाले मुंह में आग लगी थी। बस ननद मेरी अपनी भाई के मोटे लंड पर चढ़ गयी और उन्हें चिढ़ाया भी,



" क्यों भैया बहुत चोद रहे थे अपनी बहिनिया को न, अब बहन चोदेगी भाई को "



" एकदम अब चल हम ननद भाभी मिल के इनकी रगड़ाई करते हैं, इस स्साले की माँ चोद देते हैं " इनकी रगड़ाई करने में तो मैं अपनी ननद का भी साथ दे देती।



" एकदम भाभी " ननद ने हुंकारी भरी और एक साथ हम दोनों ननद भौजाई चालू हो गए।

ननद मेरी पक्की खिलाड़ी, मायके की छिनार, खानदानी सातपुश्त की रंडी,... क्या धक्के मारने उसने शुरू किये, और साथ में अपने भैया का गन्ना अपने कोल्हू में पेर भी रही थी, कभी चूत निचोड़ लेती, सिकोड़ लेती,तो कभी ढीली कर के कस के धक्के मारती। धीरे धीरे उसकी भूखी सुरंग ने पूरा बित्ता भर घोंट लिया।



और मैं भी उनके मुंह पे अपनी बुर रगड़ती उनकी महतारी को चुन चुन के गाली दे रही थी.



और हम ननद भौजाई साथ साथ भी मस्ती कर रहे थे, शुरुआत मेरी ननद ने ही की, मेरे उभारों को दबा के मसल के और चिढ़ा के



" भौजी इस जोबन का रस सब पहले किस ने लिया "



" तेरी और तेरी माँ के इस खसम ने जो हम दोनों के नीचे दबा है , लेकिन अब तोहार जोबन मैं लूटूँगी "





और यह कह के मैं भी उसके जोबन का रस लेने लगी, कभी एक हाथ से ननद की जाँघों के बीच हाथ डालकर उसकी चुनमुनिया मसल देती और वो पगला जाती, कस कस के अपने भैया को चोदने लगती,



बीबी के सामने अपनी बहन को चोदने का सुख, इनकी भी मस्ती से हालत खराब हो रही थी.

पर थोड़ी देर में हम दोनों ने जगह बदल ली, खूंटा मेरे हवाले और ननद की चुनमुनिया जो चुद चुद के भाई के लंड पर उछल उछल कर चासनी से सराबोर थी, वो बहिनिया अपने भैया को चटा रही थी, उनके मुंह पे बैठ के। और उनकी जीभ भी बहन के बिल के अंदर तक धंसी,



मैंने ननद को उकसाया,



" अरे भैया का पिछवाड़ा तो बहुत चाटा चूसा, तनी अपने गोल गोल लौंडा छाप चूतड़ का, पिछवाड़े की गली का भी तो रस चखाओ अपने भैया को "



बस ननद ने मेरी बात मान ली, पहले थोड़ा सा उठी, अपने दोनों हाथों से पिछवाड़े के छेद को फैला कर, चौड़ा कर, भैया को दरसन करवाया और फिर उनके खुले मुंह पे पिछवाड़े का छेद,



उनका मुंह अब सील बंद और हम दोनों, भौजाई ननद मस्ती कर रहे थे , लेकिन ननद छिनार ने अपने भैया से क्या कहा समझाया उन्होने पलटी मार ली



और मेरी गाँड़ के अंदर।

उईईईईई - जोर से मेरी चीख निकली,... गप्पांक से मोटा सुपाड़ा इनका मेरी गाँड़ में घुसा, पूरी ताकत से,
Uffff kya mast erotica likhti ho aap Komal ji.
 
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ननद भौजाई- बुच्ची और इमरतिया
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" और जो शलवार वाली हैं ? " उनके मायके से आयी, मंजू भाभी ने ललचायी निगाह से कच्ची कलियों को देखते पुछा।

बुच्ची और शीला को देख के मुस्करा के सुरजू की माई बोलीं, " उनका तो सबसे पहले,....दूल्हा क बहिन हैं "
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बुच्ची का गाल सहलाते वो कहाईन मुन्ना बहू बोली,

" अरे नीचे क घास फूस साफ़ कर लीजिएगा, कल बिलुक्का ( बिल ) देखायेगा। "
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तबतक इमरतिया सूरजु को पहुंचा के बाहर निकल आयी थी और बुच्ची को पकड़ के बोली,

" अरे काहें हमारी बारी सुकुवाँरी ननद को तंग कर रही हो, वो काहें साफ़ करेंगी ? आखिर नाउन भौजी काहें हैं ? अरे नाऊ लोग जैसे मर्दन का दाढ़ी मूंछ बनाते हैं न ओहि से चिक्क्न, तोहार भौजी, नीचे वाले मुंह क बाल साफ़ करेंगी। जउन तोहार मक्खन अस चिक्कन गाल है न उससे भी चिक्कन नीचे वाला मुंह हो जाएगा , महीना भर तक झांट का रोआं भी नहीं जामेगा। जउन मरद देखेगा, चाहे तोहार भाई , चाहे भौजाई क भाई, बस गपागप, गपागप, घोंटना रोज टांग उठाय के "

उसका गाल सहलाते हुए इमरतिया ने समझा दिया।

" और आज रात को ही, अब कोहबर में तो हम ही पांच जने रहेंगे, बस हम हाथ गौड़ पकड़ लेंगे और इमरतिया आराम आराम से एकदम चिक्क्न "

"

मुन्ना बहू बोली,

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शीला, बुच्ची की सहेली तो नहीं घबड़ायी, खिलखलाती रही

लेकिन बुच्ची के मन में धकधक हो रहा था कहीं सच में तो नहीं, और सच में मुन्ना बहू की पकड़ एकदम सँडसी ऐसी है, एक अबार होली में पकड़ ली थी, बाएं हाथ से अपने दोनों हाथ की कलाई और लाख कोशिश कर के भी नहीं छूट रहा था। और कोहबर में रात में तो बस वही पांच जन रहेंगे, उसने मंजू भाभी की ओर देखा लेकिन मंजू भाभी जोर से मुस्करायी, और घबड़ायी बुच्ची को और चिढ़ाते इमरतिया को हड़काया,

" अरे खाली झँटिया साफ़ करने से का होगा, चुनमुनिया में अच्छी तरह से तेल चुपड़ चुपड़ के लगाना, अपनी ननदों क। बियाह शादी क घर है, कल कउनो तोहरे देवर क मन डोल जाये, पैंट टाइट हो जाए, तो लौंडे तेल वेल नहीं देखते, सीधे,


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और आगे की बात पूरी की, सुरजू की माई ने हँसते हुए,
" सीधे पेल देते हैं, सही कह रही हो, अपनी सुरक्षा खुद। इसलिए हम अभी कल ही पीली सरसों क अपने खेत क २० सेर कडुआ तेल पेरवाय क मंगाए हैं, कुछ तोहरे नयी देवरानी आएँगी उनके लिए और बाकी "



" हम लोगों की ननद के लिए " हँसते हुए मंजू भाभी ने बात पूरी की। मंजू भाभी, लगती तो बहू थीं लेकिन थीं एकदम सहेली की तरह खुले मजाक अपनी सास से।



" अरे हम लोगन को ननद को कउनो परेशानी नहीं होगी, आप देख लीजियेगा, हमरे और इमरतिया अस भौजाई के रहते, तोहरे सामने आज से कोहबर में ये दोनों क बुरिया हम फैलाइब और इमरतिया, बूँद बूँद कर के पूरे पाव भर कडुआ तेल पियाय देगी, बुर रानी के। चाहे हमरे देवर चढ़े चाहे हमरे भाई, चाहे टांग उठाय के लें चाहे निहुरा के, थूक लगाने की भी जरूरत नहीं, सटासट जाएगा। "मुन्ना बहू बोली,

छत पर अब सुरजू की माई के आल्वा सिर्फ वही पांच औरतें लड़कियां बची थी जिनके जिम्मे कोहबर रखाना था, बुच्ची,शीला, इमरतिया , मुन्ना बहू और मंजू भाभी।



इस छेड़छाड़ में अब सुरजू की माई भी शामिल थी हाँ वो थोड़ा कभी लड़कियों की ओर हो जाती तो बुच्ची का हौसला बढ़ातीं,

बुच्ची का गाल सहलातीं, वो दुलार से बोलीं, " हमरे बुच्ची का तू लोग का समझत हो " फिर बुच्ची से कहा " अरे बर्फी पेड़ा अस मीठ मीठ भाभी चाही, भौजी क दुआर छेंकने क नेग चाही तो बस १०-१२ दिन एकदम कोहबर क रखवारी में भौजी लोगो की बात चुपचाप, बिना दिमाग लगाये मानना चाहिए फिर फायदा ही फायदा "



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मुन्ना बहू, इमरतिया से भी एक हाथ आगे थी, बोली बुच्ची से, " और पहली बात भौजी लोगन की, कोहबर रखवाई में दूल्हा से चुदवाय ला, हमार देवर पक्का पहलवान है, "

" और पहले अपने भैया से चुदवावा फिर हम लोगन क भैया से " मंजू भाभी बोली और उस समय मंजू और बुच्ची दोनों के मन में रामपुर वाली भाभी के भाई गप्पू की शकल थी, जिस तरह से नैन मटक्का कर रहा था, बुच्ची ने उसके पैंट पे सीधे ' वहीँ' पानी गिराया, और गप्पू की बहन , बुच्ची की सहेली और रामपुर वाली भाभी की बहन चुनिया ने अपने भाई को बुच्ची का दुप्पटा छीन के पकड़ा दिया,

पर फाइनल फैसला सुरजू की माई ने सुना दिया,

" हमरे बुच्ची को समझती क्या हो, अरे यह गाँव का कुल लड़की भाई चोद हैं तो यह कैसे अलग होगी "

और मंजू भाभी ने बात और साफ़ की, " लड़कियां सब भाई चोद और लड़के सब बहनचोद "

" एकदम तो तोहार देवर भी तो इसी गाँव क पानी पिए हैं और बुच्ची क माई ( बुच्ची उनके बुआ की लड़की थी तो बुच्ची की माई उनकी बुआ , सुरजू के माई की ननद लगी, तो गरियाने का जबरदस्त रिश्ता ) तो हमरे आने के पहले से गाँव में कोई से पूछ लो, झांट आने के पहले से दो चार लंड रोज, और बुच्ची की उमर तक आने तक तो जबतक दो चार घोंट न लें तो नाश्ता नहीं करती थीं , मुझसे खुद कहती थीं , भौजी वो भी तो मुंह है भले बिना दांत का हो , तो बुच्ची सबका मन रखेगी लेकिन चलो अब रात हो गयी है, काम शरू करो, कल से गाना शुरू।"
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और थोड़ी देर में छत खाली हो गयी, शीला और बुच्ची बिस्तर लाने और मंजू भाभी को इमरतिया ने कुछ काम बता दिया।



थोड़ी देर में जब इमरतिया दो बड़े कटोरे में जब बुकवा ले के लौटी तो ऊपर छत पे खाली मुन्ना बहू थी , इमरतिया के हाथ में कटोरे भर बुकवा के साथ एक खाली कुल्हड़ भी था, उसे मुन्ना बहू को दिखा के मुस्कराती वो सूरजु की कोठरी में घुसी और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।

मुन्ना बहू मुस्करा के अपना आँचल संभालते बोली, " बुच्ची'
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" हाँ, शीरा" इमरतिया दरवाजे बंद करने के पहले आंख मार के मुस्कराती बोली।



बुकवा ले के आती इमरतिया के आँख के सामने सिर्फ एक नजारा बार बार घूम रहा था,

अखाड़े में जब सूरजु के लंगोट बांधते समय उसने बँसवाड़ी के पीछे से एकदम भोर भिन्सारे, देखा था, नाग नहीं नाग राज, जैसे संपेरा पुचकार के नाग को पिटारी में बंद कर रहा हो, एकदम वैसे ही लंगोट में, लम्बा मोटा और सबसे बड़ी खूब कड़ा, जितना और मर्दों का चूस चास के खड़ा करने पे नहीं होता, उससे बहुत ज्यादा, बित्ते भर का तो होगा।


उससे पहले ऐसा नहीं इमरतिया ने नहीं देखा था न हीं घोंटा था, एक से एक, अपने मरद के अलावा भी, लेकिन ये तो बहुत ही जबरदंग, जिस स्साली को मिलेगा, किस्मत बन जायेगी। एक बार भी मिल जाए न तो दूध पिला पिला के अपनी कटोरी का इस सांप को पक्का पालतू बना लेंगी।



लेकिन, लेकिन जरूरी है इस स्साले की सोच बदलना, पता नहीं कहाँ से अखाड़े और ब्रम्हचारी, अरे अब तो, दस दिन में इतनी सुंदर मिठाई मिलने वाली है। दस दिन में इसे न सिर्फ सब गुन ढंग सिखाना होगा, बल्कि पक्का चूत का भूत बना देना होगा, नंबरी चुदक्क्ड़, जो भी औरत को देखो सीधे उसकी चूँची देखे, उसकी चूत के बारे में सोचे, ये मन में आये की स्साली चोदने में कितना मजा देगी, बहन महतारी इसकी लाज झिझक, सब इसके, आखिर कुछ सोच के इनकी महतारी ने इमरतिया के हवाले किया होगा अपने बबुआ को।
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Very very seductive story. Very addictive.
 
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बुच्ची-- रसमलाई
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तिलक से बियाह तक सब रस्म रिवाज में सबसे ज्यादा दुर्गत, दुलहा की होती है और जलवा भी उसी का रहता है।

और दुर्गत ज्यादा होगी की जलवा, डिपेंड करता है, नाउन और भौजाई पर। एक कमरे में बंद, बाहर निकलना मना, एक कपडा पहने पहने , और निकलेगा भी तो नाउन के साथ और सब रस्म रिवाज के लिए, कभी कोहबर तो कभी,मांडव तो कभी, और उसी के सामने खुल के उस की माई बहिन गरियाई जाएंगी, हल्दी लगाते समय तेज भौजाई होंगी तो जरूर, ' इधर उधर ' हल्दी भी लगाएंगी, और चुमावन करते समय धक्का देके गिराने की भी कोशिश करेंगी। लेकिन कुछ मामलों में जलवा भी है, दूल्हे को जो उसकी भावज, नाउन कहेगी, वो सब खाने को मिलेगा, वो अपने हाथ से खिलाने को भी तैयार रहेगी, दोनों टाइम बुकवा लगेगा,



और यहाँ तो नाउन और भावज दोनों ही एक ही थी, इमरतिया, तो सूरज बाबू का जलवा था और इमरतिया ने उनको समझा भी दिया, " लाला मैं हूँ न एकदम मत घबड़ाना "


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और दूल्हे को जो छप्पन भोग मिलता था उसमे जो कोहबर रखाती थीं ननद भौजाई उनका भी हिस्सा होता था, और रात को कोहबर में जब सब सो जाते थे, उन्ही का राज होता था, फुल टाइम मस्ती।

और वैसे तो शादी का घर वो भी, बड़के घर की,.... हलवाई दस दिन से बैठा था, लेकिन सब मिठाई बन के भंडारे में और ताला बंद।

हाँ दूल्हे के नाम पे जरूर न सिर्फ ताला खुल जाता था बल्कि, हलवाई अलग से थोड़ी दूल्हे के नाम पे बना भी देता था। तो इमरतिया ने मंजू भाभी से कहा था दूल्हे के लिए एक कुल्हड़ में रसगुल्ला ले आएँगी और खाना ले आने की जिम्मेदारी बुच्ची और शीला दोनों लड़कियों की थी।



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मंजू भाभी से रसगुल्ले वाला कुल्हड़ लेकर, इमरतिया ने जो कुल्हड़ सूरजु के पास से लायी थी, उसमें थोड़ा सा शीरा मिला दिया और झट से बुच्ची की आँख बचा के ताखे पर रख दिया और बुच्ची से बोली,


' ले आयी हो देना भी तुम ही,... और ये रसगुल्ले वाला कुल्हड़ भी रख लो, रसगुल्ला तोहार भैया खाएंगे और शीरा तोहे मिलेगा, आखिर बहिनिया का हिस्सा होता है, भाई की थाली में, चलो "


और बुच्ची के साथ इमरतिया कोठरी में जहँ सूरजु अभी भी सिर्फ एक चादर ओढ़े बैठे थे। बुच्ची उन्हें देख के मुस्कराने लगी,



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एकदम मस्त माल लग रही थी खूब टाइट छोटी सी फ्राक में दोनों छोटे छोटे चूजे बाहर निकलने को बेताब थे, गोरा, भोला चेहरा, शैतानी से भरी बड़ी बड़ी आँखे, और सबसे बढ़के दोनों कच्ची अमिया, बस जैसे अभी कुतर ले कोई। और जिस तरह से थोड़ी देर पहले इमरतिया भौजी ने बुच्ची का का नाम ले ले कर मुट्ठ मारी था,

" एकदम कसी कसी फांक है दोनों चिपकी, मेहनत बहुत लगेगी, लेकिन देवर जी मजा भी बहुत आएगा जब ये मोटा सुपाड़ा अंदर घुसेगा "


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और सिखाया भी था, अपनी कसम देकर, ....:जो भी हो, आज से, बहन, महतारी, कोई,.... सीधे चूँची पे देखना "

और सूरजु के सीधे मुस्करा के बुच्ची की चूँची पे देखने का असर दोनों पर हुआ, बुच्ची कुनमुना रही थी , अजीब भी लग रहा था और अच्छा भी

और सूरजु के भी मन में बुलबुले उठ रहे थे

लेकिन सबसे ज्यादा मजा इमरतिया को आ रहा था, यही तो वो चाहती थी। वैसे भी आज रात को वो और मुन्ना बहु मिल एक बुच्ची का रस लेने वाली थीं और फिर सुरजू को छेड़ने, का चिढ़ाने का एक मौका मिल गया था,


" देने आयी हैं ये, तोहार बुच्ची, बोलीं आज भैया को हम देब,… तो काव काव देबू"

बुच्ची मुस्करायी और सुरजू का मुर्गा फड़फड़ाया, अब तो लंगोट का पिंजड़ा भी नहीं था।


सुबह से भौजाइयाँ सब मिल के बुच्ची के पीछे पड़ी थीं और सहेलियां भी डबल मीनिंग डायलॉग बोल बोल के उसे छेड़ रही थीं, फिर अभी तो सिर्फ इमरतिया भौजी और भैया थे और भैया तो वैसे बहुते सोझे, तो वो भी सुरजू से नजरे मिला के इमरतिया से शोख अदा में बोली,

" हमार भैया है,.... जउन जउन चीज माँगिहे, वो वो दे दूंगी "

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इमरतिया तो पक्की छिनार, बुच्ची के पीछे खड़ी थी, झट से हाथ बढ़ा क। उस किशोरी के दोनों हवा मिठाई को दबोच लिया और उभार के सुरजू को दिखाते बोली,

" मांग ला दुनो बालूशाही....., ये वाली। खूब मीठ है, मुंह में ले के चुभलाना, कुतर कुतर के खाना "

और इमरतिया अब खुल के बुच्ची के बस आते हुए छोटे छोटे जोबन मसल रही थी, क्या कोई लौंडा मसलेगा।

लेकिन ये देख के सुरजू लजा गए,पर लग उनको यही रहा था की जैसे इमरतिया नहीं वही बुच्ची की कच्ची अमिया दबा रहे हों। और बुच्ची भी समझ गयी तो बात बदलते बोली,

" भैया ला रसगुल्ला खा, हमरे हाथ से ,...वैसे मीठ मीठ भौजी मिलेंगी और खूब बड़ा सा मुंह खोला एक बार में "

सच में सुरजू ने बड़ा सा मुंह खोल दिया और बुच्ची ने एक बार में ही पूरा रसगुल्ला डाल दिया पर इमरतिया कैसे कच्ची ननद को चिढ़ाने का मौका छोड़ती, बोली

" ऐसे हमर देवर भी एक बार में पूरा डालेंगे तो,... पता चलेगा "

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और अबकी लजाने की बारी बुच्ची की थी, बहाना बना के जाते वो बोली,

" शीला, और मंजू भाभी इन्तजार कर रही होंगी, भौजी आप भैया को खाना खिला के आइये "



;लेकिन दरवाजे पे ही इमरतिया ने उसे दबोच लिया और सरजू को दिखाते बोली

" आज तो भैया को रसगुल्ला खिलाई हो, कल ये वाली रसमलाई चखा देना और जब तक बुच्ची समझे एक झटके में फ्राक उठा के चड्ढी में बंद गौरैया सुरजू को दिखा दी।


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खूंटा एकदम टाइट हो गया, फिर वो बुच्ची के हाथ से रसगुल्ले का कुल्हड़ ले के बोली



" रसगुल्ला तो भैया खाये हैं लेकिन शीरा उनकर बहिनी खाएंगी "

एकदम भौजी , कह के खिलखिलाती, छुड़ा के बुच्ची बाहर।

और दरवाजा बंद कर के इमरतिया मुड़ के सुरजू को देखते आँख नचा के मुस्करा के बोली,

" कैसा लगा माल,... है न मस्त पेलने लायक। "



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" एकदम भौजी " सुरुजू के मुंह से निकल पड़ा। और खाने के लिए सुरजू ने थाली की ओर हाथ बढ़ाया की इमरतिया ने डपट दिया,

" रुक, स्साले, तेरी बहन की, अरे अब यहाँ तोहार हाथ का इस्तेमाल बंद, ये भौजाई काहें हैं ? : और उनके बगल में बल्कि करीब करीब गोद में बैठ के वो बोली, और इमरतिया ने सुरजू का हाथ खींच के अपने ब्लाउज पे रख लिया। साड़ी तो दरवाजा बंद होते ही उतर गयी थी और सुरजू ने वैसे भी सिर्फ चादर ओढ़ रखा था जो अब दूर पड़ी थी।



घोडा एकदम खड़ा था तैयार, फनफनाया।


" छोट छोट चूँची, बिन चुदी कसी कसी चूत, बहुत मन कर रहा है बुच्ची को पेलने का ? "

खड़े घोड़े पर चढ़ती, अपने मोटे मोटे चूतड़ उसपर रगड़ती, इमरतिया ने पहला कौर अपने हाथ से सुरजू को खिलाते चिढ़ाया।



सुरजू के दोनों हाथ कस के इमरतिया के चोली फाड़ते जोबना पे, पहली बार वो खुल के किसी का जोबन दबा रहा था , पहलवान का हाथ चुटपुट चुटपुट करते सब चुटपुटिया बटन खुल गयी। दो सूरज बाहर आ गए, सीधे सुरजू के हाथों में। यही तो वो चाहता था, कस कस के भौजाई के जोबना मसलते वो बोला

" भौजी हमार मन तो केहू और के पेले के करत बा,.... और आज से ना,.... न जाने कहिये से "
इमरतिया की देह गनगना गयी, उसको याद आया एक दिन बड़की ठकुराइन को तेल लगाते लगाते, चिढ़ाते, इमरतिया ने उनकी, सुरजू की माई की बुलबुल में एक साथ तीन ऊँगली पेल दी और वो जोर से चिहुँक के चीख उठी और उसे गरियाते बोलीं, " बहुत छनछनात हाउ ना, अपना पहलवान बेटवा चढ़ाय देब तोहरे ऊपर, फाड़ के चिथड़ा कर देगा, बोल पेलवाओगी "

" तोहरे मुंहे में घी गुड़, लेकिन अरे उ का पेले हमका, हम खुदे ओकरे ऊपर चढ़ के पेल देब देवर है "

और ये बोल के इमरतिया ने तीनो ऊँगली सुरजू की महतारी की बुरिया में गोल गोल घुमानी शुरू कर दी और वो मस्ती से पागल हो गयी।



एक कौर सुरजू को दिखा के सीधे अपने मुंह में डालती हुयी इमरतिया बोली,



" देवर उ तो पेले के लिए ना मिली " और बेचारे सुरजू का मुंह झाँवा हो गया, एकदम उदास जैसे सूरज पर पूर्ण ग्रहण लग गया हो।

इमरतिया को भी लगा की बेचारा देवर, अपने मुंह का कौर अपने मुंह से सीधे उसके मुंह में डालते कस के दोनों हाथ से उसके सर को पकड़ के बोली,

" इसलिए की, वो खुदे तोहें पटक के पेल देई, तोहसे पूछी ना। तोहार भौजाई, घबड़ा जिन। "

और ग्रहण ख़त्म हो गया, सूरज बाहर निकल आया। लेकिन कहते हैं न टर्म्स एंड कंडीशन अप्लाई तो भौजाई ने शर्ते लगा दी।



"पहली बात, बिना सोचे, भौजाई क कुल बात माना, सही गलत के चक्कर में नहीं पड़ना और दूसरी न उमर न रिश्ता, कउनो लड़की मेहरारू को देखो तो बस मन में पहली बात आनी चाहिए, स्साली चोदने में कितना मजा देगी। और देखो, एकदम सीधे उसकी चूँची को, कितनी बड़ी, कितनी कड़ी और तुरंत तो तोहरे मन क बात समझ जायेगी वो, देखो आज बुच्ची k चूँची देख रहे थे तो वो केतना गरमा रही थी एकदम स्साली पनिया गयी थी।"

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और सुरजू मान गए " सही है भौजी, तोहार बात एकदम सही है, लेकिन, कुल बात मानब लेकिन,...."

"बस देवर कल,.... आज आराम कर लो कल से तो तोहार ,..."

कह के बिना अपनी बात पूरी किये थाली उठा के चूतड़ मटकाते इमरतिया कमरे से बाहर।
Ahhhhhh i almost ejaculated. Kitni erotic likhti ho aap.
 
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