• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

कहानी अच्छी है या नहीं


  • Total voters
    46
  • This poll will close: .

insotter

👑
685
1,476
124
आप सभी तारीख नोट कर लीजिए 05 sep 2025 से पहले ही अपडेट दे पाऊंगा उसके बाद 05 Oct 2025 तक मैं अपडेट नहीं दे पाऊंगा किसी व्यक्तिगत समय के अनुसार (लगता है अब तो ग्रहण भी लग गया मेरा फ़ोन का डिस्प्ले गया) उसके बाद आपसे मुलाकात होगी तब तक आप लोग अन्य कहानी के मजे लेना। बीच बीच में आऊंगा बस कमेंट देखने की अपडेट की कितनी प्रतीक्षा है आप लोगों में।
 
Last edited:

insotter

👑
685
1,476
124
अध्याय-7
अनकही शुरुवात

कुछ दिन तक सभी अपने काम में व्यस्त रहने के बाद शुक्रवार के दिन शाम को चाय पीते समय ये फैसला हुआ की कहा कहा घूमने जाना है और कौन कौन साथ चलेंगे,

पीताम्बर-“तो ठीक है नैनीताल जाना तो पक्का हुआ, अब ये बताओ किस किस को जाने की इक्षा है माँ आप तो जा ही रही और बाक़ी लोग भी बताओ भई”

चंचल-“मेरा जाना तो मुश्किल है माँ जी जा रही है, तो घर में किसी को तो रहना पड़ेगा और वैसे भी आपके भैया और बाबू जी भी तो यही है, तो हमारा रहने दो”

पीताम्बर-“ठीक है भाभी जैसा आप कहे, लेखा तुम भगवती और नेहा से भी पूछ आओ ना”

लेखा ठीक है बोलके वहाँ से निकल जाती है, तीनो लड़किया कॉलेज से वापस आके चाय पी रही थी और आपस में धीरे धीरे कुछ बाते कर रही थी जैसे उनके मन में जाने को लेकर कुछ अलग ही योजना हो,

पीताम्बर-“पूजा तुम लोगों का क्या है किसको जाना है और किसको नहीं अभी बताओं”

पूजा-“पापा मैं और पिंकी जायेंगी रिंकी के कॉलेज के कुछ काम बाक़ी है तो वो नहीं जाएगी” और तीनो बहने वहाँ से उठके बाहर की ओर चल पड़ती है इसी समय दरवाज़े पे रिंकी और कमल की नजरे एक दूसरे से मिलती है और रिंकी उसे देख मुस्कुरा के चलते बनती है।

पीताम्बर के पीछे से लेखा आते हुए अपने पति से कहती है-“मैं भी यही रहूँगी दीदी के साथ बाक़ी भगवती और नेहा तो जाने के लिए हा बोल रही है”

पीताम्बर-“तुम्हें क्या हुआ तुम क्यों नहीं चल रही बस एक ही हफ़्ते की तो बात है”

लेखा- अपने मन में कुछ सोच विचार करके “अब आप लोग एक हफ़्ते के लिए जा रहे तो किसी को दुकान में तो रहना पड़ेगा ना, पता नहीं अनी को भी जाना हुआ फिर तो इतने दिन बंद रखना सही नहीं”

पीताम्बर-“ठीक है जैसा तुम्हें सही लगे करो”

फिर कमल और अनिमेष भी अपने विचारो से बाहर आते हुए अनी अपने पापा से कहता है-“पापा कहा जाने का फैसला हुआ फिर और कौन कौन जाने को तैयार हो गए” अनिमेष बस ये जानना चाह रहा था की उसकी माँ ने क्या फैसला किया है।

पीताम्बर-“नैनीताल जाने का फैसला किया है, अभी तो बस मैं, माँ, तुम्हारी दोनों चाची, पूजा और पिंकी बाक़ी तुम दोनों भी बताओ जाने का क्या विचार है”

कमल और अनिमेष एक दूसरे की ओर देखते हुए इशारे से अपने सर हिला के, हा बता भाई तेरा क्या कहना है चले या नहीं, फिर दोनों ही अनायास एक साथ ना में सर हिला देते है और बस मुस्कुराते हुए बगल में बैठ जाते है,

कमल-“चाची चाय चाहिए” लेखा ये सुनते ही हा में सर हिलाते हुए वहाँ से रसोई की तरफ़ निकल जाती है बस पीछे छोड़ जाती है अपनी गांड की परछाई लड़को के दिमाग़ में,

पीताम्बर-“अनी अभी नवीन और रमल कहा है” लेखा चाय लेके आते हुए कहती है “वो दोनों तो अपने रूम में मस्ती कर रहे है।” “अनी जा उनको बुला ला” पीताम्बर ने तुरंत ही कहा और चाय की अंतिम घुट ख़त्म की और चाय की कप को बगल में रख दिया,

अब नवीन और रमल को पीताम्बर ने वही बताया और पूछा जो सभी से पूछा गया और वो दोनों तो जाने के लिए कुछ ज़्यादा ही उत्साहित हो गए,

पीताम्बर-“ठीक है फिर मैं, माँ, पूजा, रिंकी, नवीन, रमल, भगवती, नेहा, पामराज और अनुज का जाना पक्का हुआ, सभी तैयार हो जाना समान के साथ ही हम सब कल सुबह 9️⃣ बजे यहाँ से निकलेंगे, एक हफ़्ते का सफ़र रहेगा तो सभी उसी तरह समान ले लेना” फिर सभी उठके वहाँ से जाने लगे,

अगले दिन सुबह सभी नाश्ता करके घर के सामने इकट्ठा होने लगे, एक दूसरे को जल्दी नीचे आने के लिए कहने लगे, जब सभी एक साथ खड़े हुए तो पीताम्बर ने सभी जाने वालो को आख़िरी भाषण देना शुरू किया,

पीताम्बर-“आज हम सब यहाँ नैनीताल की यात्रा पर जाने से पहले इकट्ठा हुए हैं। यह एक रोमांचक अवसर है, और मैं आप सभी को इस यात्रा के लिए शुभकामनाएं देना चाहता हूं।

यह यात्रा हमें नैनीताल के बारे में कुछ सकारात्मक बातें, जैसे "सुंदर दृश्य", "ऐतिहासिक स्थान", "सांस्कृतिक अनुभव" का आनंद लेने का अवसर देगी। मैं चाहता हूं कि हम सब यात्रा के दौरान कुछ खास बातें, जैसे "खुले दिमाग से" या "हर पल का आनंद लेते हुए" का अनुभव करें।

यात्रा के दौरान, हमें कुछ सावधानियां, जैसे "सुरक्षित रहें", "एक दूसरे का ध्यान रखें", "स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें" का भी ध्यान रखना होगा।

मुझे विश्वास है कि यह यात्रा हम सभी के लिए यादगार और आनंददायक होगी। तो चलिए, इस यात्रा का भरपूर आनंद लेते हैं!”

इसके बाद सभी समान के बैग्स को नवीन और रमल ने कार के ऊपर रखना शुरू कर दिया, बड़े बैग्स को गाड़ी के ऊपर रखा गया एक साथ बांध के और कुछ ज़रूरी सामान, पानी और खाने के थैलियों को नीचे रख दिया,

फिर गाड़ियो में बैठने से पहले सभी एक दूसरे को अलविदा कहने लगे और देखते ही देखते नैनीताल घूमने जाने वालो की गाड़ी निकल गई, नोट- यहाँ से एक हफ़्ते इन गाड़ी वाले 🔟 लोगो के साथ जो भी होगा उनका अलग अध्याय बनेगा।
.
.
बाक़ी लोग घर के अंदर अपने अपने कमरे में कार्यो को पूरा करने के लिए तैयारी के लिए जाने लगे, रमेश जी की पत्नी तो घूमने चली गई थी अपने मन में एक उत्साह लेके जैसे आज से कुछ नया होने वाला हो,

और अब वो भी खेत की तरफ़ जाने ही वाले थे की तभी चंचल दोपहर के खाने के लिए पूछने उनके कमरे में जाने ही वाली थी की उसी समय उसके ससुर रमेश जी भी अचानक बाहर निकल आए और दोनों आपस में टकरा गए जिससे चंचल नीचे गिरते हुए बची क्यूंकि रमेश जी ने उनको अपने हाथ से पकड़ लिया,

चंचल का दिल तो अचानक हुए इस घटना से मानो जोरो से धकधक करने लगा था उसे कुछ देर तक तो इस चीज का आभास ही नहीं रहा की उसके ससुर ने कसके उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा है,

लेकिन रमेश जी पूरा अहसास हो रहा था अपनी बहू के गदराए हुए बदन की, उसकी ख़ुशबू वो अपने जहन में उतार ही रहा था की एक आवाज़ ने रमेश को अपने होश में ला दिया, चंचल अलग होते हुए कहने लगी,

चंचल-“शुक्रिया बाबू जी आपने तो मुझे गिरने से बचा ही लिया आप नहीं पकड़ते तो मैं तो गिर ही जाती” और अपनी साड़ी के पल्लू को जल्दी से ठीक करने लगी,

रमेश-“अरे नहीं नहीं बहू तुम भी ना ये सब कहने की कोई जरूरत नहीं, ये बताओ तुम इतनी जल्दी में काहे अंदर आ रही थी”

चंचल-“मैं ये पूछने आ रही थी दोपहर में आप खाने आयेंगे या किसी के हाथ भेजा दु”

रमेश- थोड़ा सोच के कुछ पूछते हुए “कौन कौन है घर पे”

चंचल-“कमल के पापा तो कंपनी के लिए ड्यूटी निकल रहे और बच्चे तो शायद कॉलेज जाने वाले है बची लेखा वो तो दुकान के लिए निकल भी गई दोपहर में आने का बोल के”

रमेश-“और बहू तुम क्या करोगी घर पे अकेले, तुम्ही ले आना फिर खाना मेरे लिए और शायद तुम्हें आज वो सब्जी भी मिल जाए जिसे तुमने उस दिन छोटा कहा था” और चंचल की तरफ़ देख हँसने लगे,

चंचल को आज से पहले इतनी शर्म कभी नहीं आई थी और शर्माते हुए कहने लगी-“ठीक है बाबू जी जैसा आप कहें” और तुरंत रसोई के तरफ़ भाग खड़ी हुई, जहाँ पहुँच के उसे खिड़की से ससुर खेतों की तरफ़ जाते दिखाई दी और उस दिन की बाते याद आ जाती हैं, उसके दिमाग़ में वो दृश्य भी आ जाता है जब उसने अपने ससुर का चड्ढी के अंदर से उसका बड़ा सा लंड देखा था,

चंचल अपने पति के लिए टिफिन तैयार कर रही थी पर उसका दिमाग़ तो कहीं और ही था थोड़े देर पहले हुए घटना को वो आने वाले समय से जोड़ रही थी की क्या होगा जब वो अपने ही घर में अपने पति के अलावा किसी और से संबंध बना बैठी?

पंकज ने चंचल को आवाज दी और अपना खाना लेके कंपनी काम के लिए निकल गया, निकलते समय उसके फ़ोन में किसी का कॉल आया था वो बात करते हुए अपनी गाड़ी में टिफिन रख ड्यूटी के लिए निकल गया,

और चंचल भी अपने कमरे में नहाने चली गई जहाँ सभी कपड़े धोने के बाद जैसे ही नहाने के लिए बैठती है उसकी नजर उसके बदन पे जाती है और उसके मन में कुछ अजीब सी बेचैनी आने लगती है उसका शरीर एठने लगता है जैसे बहुत दिनों से शरीर पर कुछ किया ही ना हो,

उसके दोनों हाथ अपने ही आप उसके एक एक चुचो पर चली जाती है और आँखे बंद कर कुछ अजीब दृश्य को देखते हुए धीरे धीरे उसे मसलने लगती है उसके चूचे अभी भी बड़े ही सख्त थे जो अब और ज़्यादा सख्त होने लगती है उसके मुंह से एक आह निकल जाती है,
61308-very-first-timer-blond-squashing-hooters-in-front-of-open-windows
porngif-c64f7ec14c27b20ac8f72fa890220350
फिर चंचल अपनी एक हाथ को धीरे से नीचे की तरफ़ बड़ाने लगती है और एक जगह आके रुक जाती है जहाँ पहुंचना हर एक मर्द की चाहत होती है वो ऊपर से ही उसे सहलाने लगती है
porngif-3c3fc30280df6b4614384363727ea1f8

और वो अपनी मस्ती में नहाने लग जाती है,
.
.
ऊपर कमरे में कमल बिस्तर पर बैठा अपना फ़ोन चला था और अनिमेष नहाने के लिए बाथरूम में जा चुका था की तभी वहाँ पे रिंकी आ गई और उससे बात करने लगी,

रिंकी-“भाई आज आप कॉलेज जाएँगे क्या?”

कमल- मोबाइल बगल में रखते हुए “हा जाऊँगा पर तू क्यों पूछ रही”

रिंकी-“वो आज थोड़ा काम से मार्केट जाना था पूजा और पिंकी भी नहीं है तो आप चल लेते मेरे साथ”

कमल-“ठीक है चल लेंगे पर जाना कब है” रिंकी से पूछा

रिंकी-“शाम को कॉलेज से आते हुए गए तो देर हो जाएगी आप दोपहर में आ सकते हो क्या मेरे कॉलेज के बाहर” रिंकी ने फिर पूछा

कमल-“मैं तुझे फ़ोन करता हूँ कोई क्लास वैगरा नहीं रहा तो या कुछ और भी रहा तो”

रिंकी-“ठीक है आप कॉल करना नहीं तो मैं ही पूछ लुंगी और एक बात मुझे आपसे कुछ पूछना भी था वो मैं आपसे वही अकेले में पूछ लुंगी”

कमल-“अभी पूछ लेना ऐसी कौन सी बात है”

रिंकी-“नहीं कुछ ऐसी है जो मैं आपसे वही आते समय पूछूँगी अब चलती हूँ मैं दोपहर में मिलूँगी”

कमल थोड़ा सोच में पड़ जाता है ऐसी कौनसी बात होगी जो वो मुझे अभी नहीं अकेले में वही पूछेगी, उसके दिमाग में एक डर सा आने लगा कहीं उसने मुझे कुछ करते या कहीं कुछ देखते तो नहीं देख लिया ये थोड़ा डरावना हो सकता मेरे लिए,

अनिमेष जैसे ही नहा के आया कमल ने उससे पूछा “चल रहा ना कॉलेज की फिर कुछ और प्लान है अपने दोस्तों के साथ”

अनिमेष ने कपड़े पहनते हुए जवाब दिया “हा हा चल रहा भाई आज कौन सा मुझे कोई काम होगा घर पे”

थोड़ी देर में नीचे चंचल दोनो भाई को और रिंकी को नास्ता दे रही थी जहाँ मस्ती करते हुए चंचल ने कमल से पूछा आज भी कॉलेज जा रहे तुम लोग या ऐसे ही घूमने जा रहे, पता नहीं तुम लोग पड़ाई कैसे चल रही होगी,

फिर तुरंत ही रिंकी ने कहा “हम कॉलेज ही जा रहे बड़ी माँ पर दोपहर में मुझे मार्केट जाना है तो मैंने कमल भैया को साथ जाने के लिए कहा है”

चंचल-“ठीक है कमल रिंकी को ले जाना मार्केट और शाम को लेट नहीं करना”

तीनों नाश्ता करके चंचल को अलविदा कहके बस लेने चौक पे पहुँच गए और कॉलेज के लिए निकल पड़े, घर पे चंचल भी नास्ता करके अपने कमरे में आराम करने लगी।
.
.
वहाँ लेखा भी अब दुकान पर झाड़ू और पोछा लगा चुकी थी फिर पूजा पाठ करके आराम से दुकान में बैठी अपने पति को याद करने लगी थी वो उसे कॉल लगा रहा थी पर उसका फ़ोन नहीं लग रहा था फिर उसे कल अपनी पति की बात याद आई,

एक थोक व्यापारी कुछ सामान छोड़ने आयेगा और उसे कुछ पैसे भी देने थे पर दुकान में इतना नगद ना होने के कारण पीताम्बर ने लेखा से कहा था अनि को बोलके शहर के एटीएम से कुछ नगद निकाल लाए,

लेखा ने तुरंत अनिमेष को फ़ोन लगाया,

अनिमेष-“हा माँ बताओ क्या हुआ”

लेखा-“अनी तू कहा है अभी”

अनिमेष-“अभी तो बस में बैठा ही था माँ”

लेखा-“तेरे पापा ने कहा है कॉलेज से आते समय एटीएम से ४० हज़ार निकाल ले आने को”

अनिमेष-“कब तक लेके आना है माँ मैं तो शाम को ही आता हूँ ना कॉलेज से”

लेखा-“आज दोपहर में ही आ जाना ना कॉलेज से”

अनिमेष-“ठीक है माँ वैसे भी कमल भैया भी जल्दी निकल जाएँगे तो मैं भी पैसे लेके आ जाउंगा”

लेखा-“ठीक है बेटा” और लेखा फ़ोन रख देती है,

लेखा मन में सोचती है और उसको आज का दिन सही लगता है अनी से अकेले में बात करने की योजना, लेकिन तभी ग्राहक आते है और वो उनको समान देने में लग जाती है,
.
.
रमेश खेतों में मचान के ऊपर आराम करते करते सोचने लगा, आज तो बहुत गर्मी है, लगता है आज ज़्यादा लोग नहीं आए खेतों में, और अपने खेतों में लगे गेहूं को देखने लगा साथ ही बगल के खेतों के चारों बाजू में लगे बाजरे की ऊँची फसल को देखने लगा,

सुस्ताते हुए उसने जब अपने मोबाइल में समय देखा तो दोपहर हो चुका था उसे अचानक याद आया कि बहू दोपहर का खाना लेकर आ रही होगी, बहू का ख्याल आते ही उसका लंड खड़ा होने लगा और रोंगटे भी खड़े हो गए, उसने धीरे से मस्ती में मचल के कहा “बहू तेरी चूत”

रमेश को अपने मुंह से यह शब्द सुनकर इतना रोमांच हुआ कि उसने अपना हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर रखा और जोर से बोला "बहू आज खेत में चुदवा ले अपने ससुर से”, अब रमेश और उत्तेजित हो उठा और चिल्लाया “बहू आज अपनी चूत लेके आ मेरे पास देख तेरा ससुर हाथ में लंड लेके बैठा है”,

tumblr-lqie3tjj-LC1qkpqjoo1-250
रमेश खेतों में मचान के ऊपर लेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और ऐसे गंदे शब्द अपनी बहू के लिए बोलकर अपने आप को और ज़्यादा गर्म कर रहा था, अपनी बहू की चूत की कल्पना करके रमेश पागल हुआ जा रहा था,

उसका लंड तनकर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, सुनसान जगह का फायदा उठा कर रमेश जोर जोर से ख़ुद से बाते करता हुआ अपनी बहू की चूत की तारीफ़ करने लगा, दस मिनट ही हुए थे की उसे अपनी बहू दूर से आती दिखी और रमेश आँखे बंद कर आराम करने का नाटक करने लगा,

कुछ देर बाद चंचल मचान के नीचे आके चिल्लाकर आवाज लगाने लगी “बाबू जी नीचे आइए मैं खाना लेके आई हूँ” पर रमेश थोड़ी देर शांत रहा जैसे नींद में है, फिर अचानक से उठते हुए नीचे अपनी बहू को देखा और नीचे आने लगा,

मन में अपने बहू के लिए गंदे विचारो की वजह से रमेश चंचल से नजरे नहीं मिला रहा था, फिर चंचल ने अपने ससुर से कहा “बाबू जी आज खाना यही नीचे बैठे खाना है या ऊपर ले चालू मचान में” जैसे ही रमेश नीचे पहुँचा तो उसके माथे के पसीने को देख के चंचल फिर बोली “बाबू जी आज गर्मी बहुत है आज तो आपको बहुत गर्मी लग रही होगी लाइये मैं पहले आपके पसीने पोछ देती हूँ उसके बाद आप हाथ मुंह धोने चले जाना”

और अपने ससुर के चेहरे के पसीने को प्यार से पास जाके उसके गमछे से पोछने लगी, फिर रमेश वहाँ से पैर हाथ धोने चला गया वहाँ पहुँच रमेश अपने बहू के व्यवहार से अचंभित था कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा और पाँच मिनट बाद वापस आके अपने बहू के साथ नीचे ही खाने बैठ गया जो उसे निकाल के थाली में परोस रही थी,

चंचल को अपने ससुर को खाना खिलाने के बाद उसके मन में ये इक्षा हो रही थीं की बाबू जी किसी बहाने उनको यहाँ रोके पर उसके ससुर कुछ नहीं कह रहे तो चंचल को ही कहना पड़ा “बाबू जी आज तो गर्मी है तो बाक़ी खेत वाले भी आए है या नहीं”

रमेश-“आए थे पर वो लोग शायद घर चले गए खाने के लिये और मुझे नहीं लगता है अब आने वाले होंगे”

चंचल-“तो बाबू जी क्यों ना सब्ज़ी वाले खेतों से होते हुए पीछे के नहर से घूम आए आज, बड़े दिन हो गए वहाँ गए”

रमेश-“ठीक है बहू अभी एक आध घंटे यही ऊपर थोड़ा आराम कर लो घर पे भी कोई होगा नहीं तो आराम से चल पड़ेंगे”

चंचल-“ठीक है बाबू जी” और बर्तन एक तरफ़ बाजू में रख ऊपर मचान की तरफ़ जाने लगी,

नीचे रमेश पम्प वाले रूम की तरफ़ जाने लगा वहाँ आराम करने के लिए और यहाँ ऊपर चंचल जैसे ही पहुँची उसने अपने ससुर का फ़ोन देखा जिसमे कुछ छूटी कॉल थी, चंचल ने सोचा बाबू जी को आवाज़ लगा के उनका फ़ोन वापस करदे पर फिर पता नहीं क्या दिमाग़ में आया उसने फ़ोन में कुछ कुछ देखने लगी जैसे फोटो और वीडियो जिनमें सब साधारण था कुछ अलग नहीं था,

फिर तभी अचानक चंचल से क्रोम ब्राउज़र खुल गया जिसमे उसने कुछ अजीब देखा जैसे कुछ नंगी तस्वीरे और अश्लील वीडियो सामने आ गई, उसने उसपे उतना ध्यान नहीं दिया जितना अभी वो उस कहानी पे दे रही थी जिसका शीर्षक था “ससुर बहू की प्रेमलीला”

चंचल के लिए ये अनुभव नया होने वाला था उसे अपने ससुर की हरकत पे कोई ज़्यादा सक नहीं था पर अब ये सक यकीन में बदल रहा था की उसके ससुर उसके प्रति एक आकर्षण रखते है उनका लक्ष्य चंचल को साफ़ नज़र आने लगा था की कहीं ना कहीं उसके ससुर अपने ही बहू को चोदना चाहते है,

चंचल भी इन सब से दूर नहीं हो पा रही थी वो भी धीरे धीरे अब इस जाल में फसती चली जा रही थी वो ना चाहते हुए कहानी के कुछ अंस पड़ने लग जाती है जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी नीचे उसका ससुर अपने फ़ोन की तलास में नीचे आ चुका था वो अपने बहू को आवाज़ लगाए बिना सीढ़ियों से ऊपर की तरफ़ चड़ने की सोच रहा था,

इससे अनजान चंचल की उसका ससुर ऊपर आ सकता है वो अब धीरे से कहानी पढ़ते हुए अपने एक हाथ को साड़ी के अंदर से गठीले और गोरे जांघो को सहलाने लगी थी, चंचल की काम वासना जाग रही थी उसकी चूत में हल्का सा एक टीस उठा जिससे एक बूँद चूत से बाहर आ गई,

जिसका आभास होते ही तुरंत चंचल ने साड़ी को जांघो से हटाके अच्छे से अपने हाथ को चड्डी के अंदर ले जाके चूत को ऊपर से सहलाने लग जाती है,

gifcandy-panties-40
चंचल के लिए उसको लगने लगा ये एक कहानी नहीं बल्कि ये उसके साथ घटित हुई हो और कहानी को पढ़ते हुए अपनी चूत को अंदर तक रगड़ने लगी जिससे उसकी एक आह निकल गई,

नीचे रमेश ने खेतों की तरफ़ देखते हुए शांत माहौल में जैसे ही उसने एक आह की आवाज़ सुनी उसे कोई संदेह नहीं हुआ ये कहा से आई उसने नज़र तुरंत ऊपर दौड़ाई और बिना आवाज़ किए ऊपर की तरफ़ चड़ने लगा, रमेश बिना किसी ज़्यादा आवाज़ किए धीरे से ऊपर की तरफ़ पहुँचने लगा,

ऊपर पहुँच जैसे ही पहली नज़र उसने अपने बहू को देखा तो उसे अपने आँखो पे यकीन ही नहीं हुआ, सामने उसकी अपनी बड़ी बहू उसका फोन लिए उसपे कुछ देख रही थी और एक हाथ को अपने चड्डी के अंदर ले जाके अपनी चूत को रगड़ रगड़ के आह भर रही है,

उसे सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब उसने अपने बहु के मुँह से ये सुना “आह बाबू जी आप क्यों नहीं आ रहे मेरे पास, यहाँ आपकी बहू चूत सहला रही और आप नीचे आराम कर रहे”

1a4c3254eeafddeab47f1706da86d461

चंचल को थोड़ा भी अंदाज़ा नहीं था उसके ससुर जो बाजू में खड़े उसकी हर एक बात ध्यान से सुन रहे है,

आज के लिए इतना ही दोस्तों देरी के लिए माफी 🙏

जल्द ही मिलते है अगले अध्याय में।
 
Last edited:

insotter

👑
685
1,476
124
Mast update thanks guruji
Nice update
Gazab ki kahani hai dost maza aa gaya aise hi aage badhte raho
Nice story

Next please
Add more pics and gifs plz
Story is awesome 👍 keep going
बढ़िया कहानी
Waiting For Next Update

Bahut badhiya update diya hai apne
अगला अध्याय दे दिया हू कृपया अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें धन्यवाद 🙏🏻
 

Mass

Well-Known Member
10,289
21,432
229
Good One bhai...hope mere story par bhi aaoge...bahut din ho gaye :)

insotter
 

Mass

Well-Known Member
10,289
21,432
229
  • Like
Reactions: Danny69 and Napster

Mass

Well-Known Member
10,289
21,432
229
Top