chapter 26
रोज की तरह सुबह आसा अभय को जगाने जाती है अभय आराम से सोया था आसा प्यार से मीठी आवाज से - लाला उठ जा सुबह हो गई
अभय आखे खोल आसा को देख मुस्कुराते हुवे उठ कर बैठे आसा को देख - गुड मोर्निग मा
आसा मुस्कुराते हुवे अभय के होठों पे किस कर - गुड मोर्निग मेरा बच्चा
अभय बिस्तर से खरा होके अदिति को जगाने जाता है अदिति को उठाने के बाद अभय खेतो की तरफ निकल परता है
आसा अभय को जाते देख मन मे - कुछ तो गर्बर् है मेरा लाला पहले जैसा नही लग रहा मुझे बाहों मे नही लिया हॉट सेक्सी भी नही बोला क्या कुछ हुआ है मुझे पता लगाना होगा मे ऐसे अपने लाला को नही देख सकती
अभय हल्का होने के बाद रोज की तरह जोगिग् करता है फिर सीधा मिनिता के घर आ जाता है अंदर जाने के बाद अभय कोमल को जोकि खाना बनाने मे लगी हुई थी
अभय - गुड मोरिंग कोमल
कोमल हैरान अभय को देख - गुड मोर्निंग
मिनिता अंदर से आते हुवे अभय को देख - हा गया अभय बेटा
अभय मुस्कुराते हुवे - गुड मोर्निंग ऑन्टी
मिनिता अभय के पास आके - गुड मोर्निंग बेटा
तभी विजय भी हल्का होके आ जाता है
अभय विजय को देख - कैसा है विजय
विजय मुस्कुराते हुवे - आपकी कृपा से अच्छा हु
अभय मुस्कुराते हुवे - घर लेने या बनाने के बारे मे सोचा है
विजय - हा सोचा तो है
मिनिता अभय को देख - ये पागल तुम जहा घर लोगों वही घर लेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - ये तो अच्छी बात है रोज की तरफ आपके घर आता जाता रहुंगा
मिनिता मुस्कुराते हुवे - ये बात तो सही कही मे भी चाहती हु तुम जहा घर लोगे पास मे हम भी रहे कियुंकी अब तो दीदी तुम सब से मिले बाते करे बगैर रहा नही जाता
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है मे बता दूंगा विजय को अच्छा मे चलता हु
अभय फिर घर की तरफ निकल परता है विजय फिर अपने काम पे लग जाता है लेकिन कोमल मिनिता पूरी तरह से हैरान थे कोमल मिनिता एक दूसरे को देखने लगते है
मिनिता मन मे - अब तो पक्का कुछ हुआ है जब से अभय बेटा ननद दोस्तो से मिल कर आया है बदल सा गया है
कोमल मन मे - आज अभय ने मुझे बंदरिया नही कहा ना मस्ती मजाक क्या यहा तक मा से भी नही की ना रोज की तरफ बाहों मे लिया तारीफ की ना किस्सी मांगी
मिनिता कमरे मे आती है और काजल को फोन लगा देती है
काजल गाय को चारा खिला रही थी फोन का रिंग बजता है तो काजल ब्लाउस के अंदर से फोन निकाल कर नंबर देख - भाभी
काजल - हा भाभी बोलिये
मिनिता - ननद जी किया हुआ कुछ हुआ है आपके अभय के बीच
मिनिता कि बात सुनते ही काजल बहोत हैरान होती काजलकमरे मे आके बिस्तर पे बैठ कर डरते हुवे - भाभी कुछ हुवा है क्या
मिनिता पहले ये बताईये - आपके अभय के बीच कुछ हुवा है
काजल हिम्मत कर - भाभी . ..... ये सब हुवा था लेकिन आप बताईये कुछ हुवा है क्या मुझे डर लग रहा है
काजल की बात सुन मिनिता बहोत हैरान सॉक हो जाती है
मिनिता मन मे - तो ये हुवा था इसी वजह से अभय बेटा
काजल - भाभी बताईये ना मेरा दिल घबरा रहा है
मिनिता - बात ये है ननद जी......... तो ये सब हो रहा है अभय बेटा अब पहले जैसे मस्ती मजाक तारीफ किस्सी बाहों मे लेना नही करता
काजल बहोत हैरान हो जाती है काजल को बहोत बुरा लगता है अपनी गलती का एहसास होता है लेकिन ये एहसास अभय के जाते हि होना सुरु हो चुका था
चलिये उस दिन चलते है जब अभय काजल के घर से निकला था
अभय के जाते ही काजल कमरे मे बिस्तर पे लेती जो उसने अभय के साथ क्या उसके बारे मे सोचने लगी थी
काजल को सुरु से लेकर अब तक अभय के साथ वो प्यारे मस्ती भरे पल काजल ने बिताये थे एक एक काजल के आखो के सामने फिल्म कि तरह आ रहा था
काजल 40 साल की औरत थी आसा से एक साल छोटी अभय पेहला लरका था जिसने काजल को बाहों मे लिया होठो पे किस किया थोरा जीजा साली जैसा बाते मस्ती किया अभय के साथ कुछ दिन बिताये पल काजल के तब तक के सबसे अच्छा मस्ती भरा पल था नही तो सुरु से घर संभालने खेतो मे बाकी सब मे ही दिन गुजर जाता था
अभय के जाते की काजल को एहसास हो गया था उसने गलत क्या है
काजल मन मे - मुझे ऐसा नही करना चाहिये था मे अभय बेटे को अच्छे से जानती थी फिर भी मुझसे गलती हो गई अभय बेटा कुछ सफाई मे केहना चाहता था लेकिन मेने नही सुनी मान लिया अभय बेटा सच मे मुझे गीली किस्सी करना चाहता था तो मे सीधे मना कर सकती थी लेकिन मेने क्या किया गुस्सा कई बात सुना दी जरूर अब अभय बेटा मुझसे नफरत करने लगा होगा
इसके बाद काजल ने कई बार कोसिस की अभय को फोन कर माफी मांगने कि लेकिन हिम्मत जुटा नही पाई और अब मिनिता से जान की उसके वजह से अभय की मस्ती पना चला गया तो
काजल रोते हुवे - भाभी मुझसे गलती हो गई मुझे ऐसा नही करना चाहिये था
मिनिता - रोना बंद कीजिये हा आपसे थोरि गलती जरूर हुई है आप अभय बेटा को जानती थी कैसा है वो आपने उसकी बात नही सुनी दूसरी आप आराम से मना कर सकती थी
काजल सिसकते हुवे - हा यही मुझसे गलती हो गई
मिनिता - ननद रानी अभय बेटा के मस्ती पना उसकी हरकते ही हमे बहोत हसाती थी लेकिन वही नही रहेगी तो फिर
काजल - मुझसे गलती हुई है मेरी वजह से सब हुवा है तो मे ही अभय बेटा को पहले जैसा करुगी
मिनिता गहरी सासे लेते हुवे - अभय बेटा के अंदर आपने जो किया उसके बाद डर बैठ गया है कही फिर कोई उसपे गुस्सा ना करे इसी लिये अभय बेटा अब पहले तरह सब मस्ती नही कर रहा
काजल - हा आपने सही कहा भाभी लेकिन मे सब ठीक कर दुगी
फोन कट
मिनिता - करना ही परेगा ननद जी
सुबह 10 अभय के घर
अभय के घर एक बंदा आता और अभय को आवाज देता है अभय बाहर आके बंदे को देख
अभय - आप कोन है मुझे कैसे जानते है मे तो आपको नही जानता
बंदा - नीतिका मैडम ने बुलाया है आ जाना ( बंदा इतना बोल चला जाता है
वही अभय की टेंसन बढ़ जाती है अभय अच्छे से जानता था नीतिका मैडम कोन से सवाल पूछेगी
अभय अंदर जाता है तो आसा - कोन था बेटा
अभय - अरे मा वो मेरा एक दोस्त ना
आसा - अच्छा
अभय खाना खाने के बाद बाइक लेके पुलिस स्टेशन निकल परता है
अभय के जाते ही मिनिता आ जाती है और मिनिता आसा बाते करने लगते है
अभय पुलिस स्टेशन पहुँच जाता फिर अंदर जाता है अभय ऑफिस के अंदर जाता है तो नितका कुर्सी पे बैठी फाइल देख रही थी
अभय नीतिका को देख - गुड मोर्निंग मैडम
नीतिका अभय को देख मुस्कुराते हुवे - आ गये माफ करना परेसानी के किये आओ बैठो
अभय सामने वाली कुर्सी पे बैठ जाता है
नितका फाइल साइड मे रख अभय को देख - मुझे तुमसे कुछ सवाल पूछने है
अभय नीतिका को देखता फिर - हा पूछीये
नीतिका - कल तुम बाहर कई गये थे
अभय नीतिका की आखो मे देख - गया था
नीतिका - कहा कियु कब
अभय - तीन दिन पहले बुवा को घर छोरने गया था फिर दोस्त के यहा गया कल साम को ही घर आया मे लेकिन ये सब आप मुझे बुला कर कियु पूछ रही है
नीतिका - कल की न्यूज़ तो पढ़ी हि होगी
अभय अंजान बनते हुवे - कोन सी न्यूज़ मे तो कभी न्यूज़ पढ़ता ही नही
नितका अभय की आखो मे देखती रहती है ठोरी देर फिर -कल साम xxx जगह पे लरकियो का सप्लाये किया जा रहा था लेकिन कुछ लोग आके सभी गैंग को बुरी तरह से मार दिया
अभय नीतिका को देख - तो उससे मेरा क्या लेना देना कही आप ये तो नही सोच रही की मेरा इन सब मे हाथ है
नीतिका - देखो अभय पुलिस का काम ही ऐसा है किसी पे जरा सक होने पे हमे पूछताछ करनी परती है तुम dp devil के कैद मे थे वहा बच्चो को ट्रेनिंग दी जाती थी असेसन् बनने की और असेसन जिस तरह के हथियार इस्त्माल करते है वैसे ही हथियार से कल सभी लोगो को मारा गया था
अभय - इस लिये आपको लगा मे हो सकता हु मैडम एक बात बताईये dp devil के अलावा कोई नही होगा जो उसके जैसा गंदा काम कर रहा होगा किया मेरे अवाला कोई असिसन् नही है दूसरा कही कुछ भी होगा तो आप मुझे बुला लेगी ( अभय थोरा गुस्से से बोल रहा था)
नीतिका अभय को देख - माफ करना तुम्हारा केहना भी सही है
अभय नीतिका को देख - मैडम हम कैद मे थे हमसे जबरदस्ती सब करवाया जाता था लेकिन इस दुनिया के हर कोने मे कई dp devil से बुरे लोग भी है जो अपने मर्ज़ी से गंदे काम को अंजाम देते है तो प्लेस मुझे परेसान ना करे मे सब भूल अपने परिवार के साथ सांत से जीना चाहता हु
नीतिका अभय को देख - सॉर्री आगे से हम ध्यान रखेगे
अभय सांत होते हुवे नीतिका को देख - मैडम यहा मे आपकी कोई मदद कर सकता हु तो जरूर करुगा बस ऐसे मत बुलाया कीजिये
अभय उठ कर नीतिका को देख - वैसे आप बहोत इमानदार और खूबसूरत है ( अभय ये केह चला जाता है
लेकिन नीतिका हैरान मुह खोले अभय को जाते देखती रहती है
नीतिका मन मे - पुलिस वाली से फ्लेटिंग एक दिन जेल मे डाल के गांड पे डंडा मारुगी तो नानी याद आ जायेगी
अब चलते है पिछले रात अमर आरोही के बीच जब बाते अदिति को लेकर चल रही थी
अमर आरोही को देख - तो किया मे पहले बताऊं
आरोही मुस्कुराते हुवे - हा
अमर - ठीक है तो सुनो ये 2 महीने पहले दोपहर 2 बजे मे अदिति के घर गया था
अमर अदिति के कमरे मे जाता है अदिति बिस्तर पे लेती हुई थी अदिति पेट के बल सुई हुई थी जिसके वजह से अदिति की बरी गांड साफ कपड़े से दबे दिखाई दे रहे थे

अमर अदिति के बरे गांड देख पागल होने लगता है अमर पहले पीछे देखता है फिर अदिति के पास आके गांड को देख - इसी गांड को देख स्कूल के लरके पागल हो जाते है साली चलती है तो दोनो बम हिलते है जिसे देख मेरा लंड फटने लगता था
अमर धीरे से कापते हाथ से अदिति के बरे गांड को छुटे हुवे मन मे - आह बहोत गर्म गोल मटोल गांड है
अमर हाथ हटा के - अदिति क्या तुम सोई हुई हो
अमर की आवाज सुन अदिति पलट के अमर को देख उठ कर बैठते हुवे - अमर तुम आओ बैठो
अमर अदिति के पास बैठ - तुम ठीक तो हो ना
अदिति अमर को देख दुखी आवाज मे - जिसने दो भाई खोये वो कैसे ठीक रेह सकती है
अमर अदिति के हाथ पकर अदिति के आखो मे देख - अदिति तुम्हारी दर्द को मे समझ सकता हु लेकिन मे हमेसा तुम्हारे साथ रहुंगा हर दुख सुख मे ये मेरा वादा है
अदिति अमर को देख - थैंक्स अमर तुम बहोत अच्छे हो
अमर अदिति के पास जाके अदिति को पकर बिस्तर पे लेता के अदिति के ऊपर आके अदिति की आखो मे देख - तुम मेरे लिये सब कुछ हो अदिति

अदिति अमर को देखती रहती है अमर के लंड अदिति के चुत पे था अमर अदिति के चुत पे लंड से दबाव डालता है अदिति सिसक उठती है अमर अदिति की सिसक की आवाज सुन जोस मे आ जाता हैअदित
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अमर अदिति के ऊपर पुरा लेत जाता है अदिति के बरे टाइट खरे चूचे अमर अपने सीने पे फिल कर के मजे लेने लगता है अदिति अमर के नीचे परी समझ नही पा रही थी क्या करे
अमर अदिति के कान मे धीरे से - अपनी टांगे उठा के फैलाओ प्लेस एक बार अदिति
अदिति अमर की बात सुन अपनी टांगे फैला देती है जिसकी वजह से अमर अच्छे से साफ तरह से अपना लंड अदिति के चुत पे दबा के अदिति की चुत की फाके चुत की उभार गर्मी साफ फिल कर के और जोस मे आके अपने लंड का दबाव अदिति के चुत पे परता है और अपना चेहरा होठ अदिति के के होठ चेहरे के पास ले जाता है
दोनो सामने सामने सासे एक दूसरे के सासे से टकरा रही थी अदिति जोर जोर से सासे लेते जा रही थी अदिति अपनी चुत पे अमर का लंड फिल कर पा रही थी ( अदिति कापते होठो से अमर को देख - ये तुम क्या कर रहे हो अमर प्लेस हट जाओ

अमर अदिति के चूचे पे धीरे से हाथ ले जाके सेहलाते हुवे धीरे से दबाने लगता है उसी के साथ अपना लंड अदिति के चुत पे रगरने लगता हो अदिति की सिसकिया निकल जाती है सासे और तेज होने लगती है
अमर -उसके बाद अदिति ने मुझे धक्का दे कर एक जोर दार चाता लगा दिया
आरोही गुस्से से - कमीनी चुदवा लेती तो उसका कुछ बिगर जाता
अमर आरोही आरोही को देख - अब तुम बताओ
आरोही - तो सुनिये याद है मे एक दिन अदिति के घर रुकी थी
अमर - हा अदिति के बरे भाई के जाने के कुछ दिन बाद
आरोही - हा उस दिन अदिति के कहने पे रुक गई थी रात को खाना खाने के बाद हम कमरे मे सोने गये तब अदिति ने मुझे अपना एक नाइट गाउन दिया और खुद भी कपड़े निकाल बिकनी चड्डी मे आ गई
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साली कमीनी को बिकनी चड्डी मे देख मुझे उसकी खूबसूरती और उसकी बॉडी से जलन होने लगी थी लेकिन मे खुश थी इस खूबसूरत बॉडी को मेरा भाई मसल कर मजे से रस पियेगा उसके बाद मुझे मस्ती सूजी मेने अदिति को पकर बिस्तर पे लेता के अदिति के ऊपर आ गई
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अदिति आरोही को देख हैरानी से - आरोही तुम ये क्या कर रही हो
आरोही अदिति के चुत के ऊपर हाथ रख मसलते सेहलाते हुवे - अपनी दोस्त की चुत कि बनावट गर्मी को फिल कर रही हु
अपनी चुत पे आरोही का हाथ चलते फिल कर अदिति कि सिसकिया निकल जाती है अदिति आरोही को देख - कमीनी छोर मुझे कैसी गंदी बाते और हरकते कर रही है
आरोही अदिति के चुत को अच्छे से दबाते हुवे - मेरी दोस्त तुम्हारी चुत तो बहोत गर्म है चिंता मत कर मेरा भाई तेरी चुत कि गर्मी निकालेगा रोज
उसके बाद मेने चड्डी के अंदर हाथ डाला और अदिति के नरम गर्म चमरे को फिल क्या लेकिन तभी अदिति ने मुझे धक्का दे दिया बस यही हुवा था
सारी कहानी सुनने के बाद अमर का लंड फुल टाइट होके खरा हो गया था अमर बिना देरी किये आरोही को बिस्तर पे गिरा के पागलो कि तरह किस करने लगता है आरोही हैरान होती है लेकिन फिर मुस्कुराते हुवे अमर को पकर अपने भाई का साथ देती है

दोनो भाई बेहन एक दूसरे के होठो को चुसे जा रहे थे अमर मन मे - आह सायद हि किसी को किस करने मे इतना मजा आयेगा जितना बेहन के होठो का रस पीने मे मुझे आ रहा है उफ 2 मिनट बाद
आरोही अमर को देख मुस्कुराते हुवे - भाई आज बहोत जोस मे है
अमर कपड़े निकाल - छोटी बेहन आज भाई को मत तरसा प्लेस
आरोही अपने कपड़े निकालते हुवे अमर को मुस्कुराते हुवे देख - आज नही तरसाउगी
अदिति पूरी नंगी होके बिस्तर पे लेत अमर को देख - भाई देख लीजिये अपनी छोटी बेहन का खजाना आप किस्मत वाले है जो अपनी बेहन का खजाना देख और मजे भी लेगे

अमर अपनी छोटी बेहन को नँगा देख पागल हो जाता है अमर का लंड टाइट नशे फटने लगती है अमर अच्छे से अपनी बेहन के हर एक अंग को अच्छे से देखते हुवे - बेहना तेरे चूचे कमर बरे गांड और फूली टाइट रसिलि चुत का कोई जवाब नही तुम कयामत लग रही हो
अमर पुरे जोस मे था अमर के लिये रुकना मुश्किल था अमर आरोही के ऊपर आके अपना लंड अपनी बेहन के चुत पे रख एक जोर दार धक्का मार पुरा लंड अपनी छोटी बेहन के चुत मे घुसा देता है

आरोही दर्द मे आखो मे आसु लिये अमर को देख - भाई बहोत दर्द हुआ ( अमर धक्का मारते हुवे - आह बेहना सेह ले उफ तेरी टाइट गर्म चुत की गर्मी मेरे लंड को जला रही है मे रुक नही सकता अमर जोर जोर से धक्का मारते रेहता है आरोही दर्द मे आह उफ्फ मा मर गई धीरे आह दर्द कर रहा है भाई 6 मिनट बाद
अमर आरोही के ऊपर ढेर हो जाता है अमर हाफते हुवे - सोचा था अच्छे से तुम्हारी चुत मारुंगा लेकिन जोस मे अपने आप को रोक नही पाया
आरोही अमर को बाहों मे लिये - कोई बात नही मे तो आपकी ही हु फिर कभी अच्छे से अपनी छोटी बेहन की चुत मार लेना
अमर उठ कर बैठ आरोही को देख - बेहना मजा बहोत आया तेरी चुत मार के
आरोही मुस्कुराते हुवे - हा आयेगा ही छोटी बेहन कि चुत जो थी वैसे ये बताईये अदिति के साथ आपने जो किया वैसा कुछ नही हुवा था ना आपने झूठी कहानी बना के सुनाई मुझे
अमर मुस्कुराते हुवे - तुम्हे कैसे पता
आरोही मुस्कुराते हुवे - कियुंकी मे जानती हु अदिति आपको अपने पास भी नही आने देती थी चुने की दूर की बात है
अमर गुस्से से सब याद कर - तुम सही हो कई बार मेने उसे चुने कि कोसिस की कुछ करने की कोसिस करता तो साली करने नही देती थी बस दो बार सिर्फ छोटा किस दिया कमीनी ने
आरोही गुस्से से - कोई बात नही भाई जल्दी ही अदिति आपकी रण्डी बन के रहेगी जी भर के मजे लेना आप
अमर आरोही को देख - मे तो लूंगा ही लेकिन तुम बताओ तुम ने जो बताया अदिति को चड्डी मे देखा उसकी चुत पकरा सच था या तुमने भी मुझे झूठी कहानी सुनाई
आरोही अमर को देख - अदिति को मेने बिकनी चड्डी मे देखा वो सच था बाकी सब झुठ मे करना तो चाहती थी लेकिन मुझे पता था अदिति गुस्सा हो जायेगी और सायद मुझे बुरी गंदी लरकी समझ लेती ऐसा होता तो आपका ज्यादा नुकसान होता ये सोच रुक गई
अमर - अच्छा ये बात है
आरोही - हा लेकिन ये सच है अदिति खूबसूरत के साथ उसकी बॉडी बहोत मस्त कयामत है
अमर - कोई ना जल्दी ही अच्छे से मजे लुगा साली कि
ये था भाई बेहन के बीच रात जो हुवा
अभय पुलिस स्टेशन से सीधा मधु के घर जाता है
अभय अंदर जाते हुवे - गुरिया कहा हो तुम
मधु अभय की आवाज सुन तेजी से कमरे से बाहर निकल अभय को देख जल्दी से जाके गले लग जाती है
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अभय मधु को कस के बाहों मे भर लेता है और पिट सेहलाते हुवे - गुरिया किया कर रही थी मेरे बिना ( मधु अभय के गले लगे - किया करुगी भाई आपके बिना बस आपका इंतज़ार कर रही थी
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा मा कहा है
मधु - खेत मे ठोरी देर मे आ हि जायेगी
अभय मधु के चेहरे को पकर मधु के आखो मे देख - गुरिया तुम बहोत खूबसूरत हॉट हो कसम से किस्मत वाला होगा जिससे तुम सादी करुगी

मधु अभय की बात सुन सर्म से - किया मे आपको सच मे बहोत खूबसूरत हॉट लगती हु - अभय मधु के करीब आखो मे देख हा बहोत उस दिन मेने तो अच्छे से नही देखा लेकिन फिर भी तुम कयामत लग रही थी
मधु की सासे तेज होने लगती है चूचे तेज सासे लेने की वजह से उपर नीचे होने लगते है दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे
तभी अभय हस्ते हुवे - और तुम बंदरिया भी लगती हो
अभय की बात सुन मधु गुस्से से अभय को मारते हुवे - भाई आप बहोत गंदे है हमेसा मुझे परेसान करते रहते है
तभी सिला भी आ जाती है और अभय मधु को मस्ती करते देख मुस्कुराते हुवे - क्या बाते हो रही है दोनो भाई बेहन के बीच
अभय सिला को देख जाके गले लग - कुछ नही केह रहा था अदिति कि सादी के बाद इसकी सादी कर दूंगा
सिला अभय चेहरे पकर होठो पे किस कर - जरूर करना भाई का ये तो फर्ज़ है
मधु मुह बनाते हुवे - अभी तो मुझे भाई के साथ बहोत मस्ती करनी है
सिला हस्ते हुवे - अच्छा बाबा कर लेना
अभय मधु सिला के साथ 30 मिनट तक बाते कर घर आ जाता है
वही सिला बिस्तर पे लेत खेत मे थी तब आसा का फोन आया था जो बाते हुई उसके बारे मे सोच रही थी
आसा - छोटकी अभय जब तेरे पास आया तो तुझे बदला सा लगा ना
सिला - जी दीदी आपने सही कहा लेकिन आपको कैसे पता कुछ हुवा है किया
आसा - हा हुवा है ( फिर आसा काजल अभय के बीच जो हुवा बता देती है) क्या इसी लिये अभय बेटा बदला सा लग रहा है
आसा - हा कियुंकी लाला डर रहा हो किसी के नजदिक जाने से
सिला दुखी होके - दीदी डरेगा हि ना आपने प्यार से लाला को पाला है कभी गुस्सा तो दूर दाता नही लेकिन पहली बार लाला किसको अपना माना लेकिन
आसा - मे क्या बोलू समझ नहीं आ रहा पर मे ननद जी को गलत नही ठहरा सकती
सिला - दीदी मानती हु लेकिन प्यार से बना भी कर सकती थी गुस्सा करने की क्या जरूरत थी लाला ने उसके साथ जोर जबरदस्ती तो नही की थी ना
आसा - मुझे ये सब नही सुनना मे तो बस लाला को पहले जैसा देखना चाहती हु
सिला - दीदी अब आप ही लाला को समझा दीजिये अच्छे से हर कोई आपकी तरह लाला को प्यार नही दे सकता
आसा - तुमने सही कहा रात को अच्छे से बात करुगी
सिला - लेकिन आपको कैसे पता चला
आसा - मिनिता आई थी उसी ने बताया
सिला - अच्छा ये बात है
आसा - ठीक है मे रखती हु अरे हा लाला तेरे पास है किया
सिला - नही दीदी अभी निकला है यहा से
आसा - अच्छा ठीक है मे रखती हु
फोन कट
सिला यही सब सोच मन मे - लाला ने किस मांगा लेकिन मना कर देती गुस्सा करने की क्या जरूरत थी आज मेरा लाला अब मुझे बाहों मे नही लेता ना हॉट सेक्सी केह तारीफ करता है मस्ती करता है सब उसकी वजह से हुआ है
अभय घर आके बाइक लगा के अदिति के कमरे मे जाता है अदिति बिस्तर पे बैठी दिशा से बात कर रही होती है
अभय मुस्कुराते हुवे - किससे बाते हो रही है
अदिति अभय को देख मुस्कुराते हुवे - आपकी बीवी से
अभय अदिति के पास जाके बैठ - किया बाते हो रही है
अदिति फोन इस्पिकर पे कर देती है
दिशा - आपको कियु जानना है ये बात हम ननद भाभी के बीच की है
अभय हस्ते हुवे - अरे मुझे पता दोगी तो क्या होगा
दिशा - कुछ बाते किसी को बताई नही जाती समझ गये पति जी
अभय मुस्कुराते हुवे - मसझ गया बीवी जी
दिशा - ठीक है ननद जी पति जी आप दोनो बाते करे मे रखती हु
फोन कट

अभय अदिति को पकर बिस्तर पे लेता के अदिति के ऊपर आके अदिति को देख - क्या बाते हो रही थी
अदिति अभय को देख मुस्कुराते हुवे - हम ननद भाभी के बीच कि बात है
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ये बात है चलो कोई ना
अभय अदिति के ऊपर से हट बिस्तर पे लेत जाता है

अदिति अभय के सीने के सर रख लेत जाती है अभय भी अदिति को पकर देता है दोनो भाई बेहन ठोरी देर बाते करते हुवे सो जाते है
रात 10 बजे
खाना खाने के बाद अदिति कमरे मे जाके मधु सिला से बाते करने मे लग जाती है वही आसा अभय साथ मे लेते हुवे थे
अभय अपनी मा के ऊपर लेता सीने पे सर सोया था आसा अभय को बाहों मे लिये थी
आसा - लाला आज इतना सांत कियु है कुछ बोल
अभय आखे खोल आसा को देख - किया बोलू मा
आसा अभय को देख - आज मेरी तारीफ नही करेगा

अभय आसा की आखो मे देख - मेरी मा आप बहोत सेक्सी हॉट है आपको देखता हु तो कही खो सा जाता हु आपकी कालि नीली आखे चाँद सा चेहरा और रसीले गुलाबी होठ जिसे देखता हु पीने का दिल करता है लेकिन वो जगह हक मेरा नही है ( आसा सर्म से लाल अभय को देखते रहती है
अभय अपनी के ऊपर से थोरा नीचे आके पेट से सारी हटा के कमर और गहरी ढोरी को देखते हुवे - और आपकी ये कमर गहरी ढोरी कयामत है जब भी मेरी नज़र आपके कमर ढोरी पे जाती है तो

आसा सर्म से लाल तेज सासे लेते हुवे अभय की आखो मे देख - तो
अभय गहरी ढोरी कमर को देखता है और अपनी मा की आखो मे देख - तो दिल करता है आपकी कमर को पकर ढोरी मे जिब दाल चाट लू
अपने बेटे की ऐसी तारीफ बात सुन आसा बिस्तर जोर से पकर लेती है आसा के मुह से अपने आप सिसकिया निकल परती है

अभय अपनी मा के ढोरी को देखता है एक उंगली आसा के पेट पे रख धीरे धीरे धीरे ढोरी से लेकर नीचे उंगली फेरने लगता है आसा सिसकिया लेते हुवे बिस्तर पकर जोर जोर से सासे लेने लगती है जोर जोर से जैसे जैसे आसा सासे ले रही थी आसा के बरे चूचे उपर नीचे हो रहे थे आसा को अजीब एहसास फीलिंग जागने लगती है

तभी अभय अपना मुह खोल सीधा अपनी मा के पेट ढोरी को मुह मे लेके चूसने चाटने लगता है आसा अपने पेट ढोरी मे अपने बेटे का गर्म जिब मेहसूस कर आसा एक जोर से सिसक मारती है और बिस्तर पे टरप् मचल उठती है आसा के मुठी बिस्तर को और जोर से पकर लेती है
अभय एक मिनट बाद अपनी मा के सारी सही कर लेत जाता है आसा सर्म से लाल जोर जोर से सासे लिये जा रही थी ठोरी देर बाद आसा सांत होती है
अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - कैसा लगा अपने लाला का कमाल
आसा सर्म से लाल अभय के गाल सेहलाते हुवे - बहोत अच्छा मेरे लाल
अभय आसा को देख थोरा दुखी होके - काजल बुवा मेरे बीच जब गया था तो......... ये हुवा मेने सोचा बता दु आप मेरी मा है इस लिये मुझे लगा बता दु
आसा अभय को देख - बेटा क्या तुम काजल बुवा से गुस्सा हो
अभय मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल नही
आसा - ऐसा कियु
अभय - कियुंकी गलती मेरी थी
आसा - बेटा हमारे बीच जितना प्यार है ये मत सोचना हर कोई तुझे देगा हर किसी का प्यार तेरे लिये अलग होगा कोई तुझे बहोत प्यार देगा तो कोई तुझे समझ नही पायेगा कुछ भी तो लेकिन तुम अपने आप को मत बदलना और सब को प्यार देते रेहना मुह किसी से मत फेरना
अभय मुस्कुराते हुवे - मा का कहा मे कैसे ताल सकता हु जैसा आप कहे
आसा मुस्कुराते हुवे -बहोत अच्छे मेरे लाल
अभय आसा के होठो पे किस करते हुवे - गुड नाइट मेरी सेक्सी मा
आसा मुस्कुराते हुवे - गुड नाइट लाला
अभय खरा होके आसा को देख मुस्कुराते हुवे - नाइटी पेहन कर सो जायेगी अगली बार और भी सेक्सी नाइटी लूंगा अपनी सेक्सी मा के लिये
आसा सर्म से अभय को देख - ठीक है लाला तु लेगा मे पेहनुगी
अभय मुस्कुराते हुवे चला जाता है
आसा अभय के जाने के बाद मुस्कुराते हुवे मन मे - चलो मेरा लाला पेहले जैसा हो गया
फिर आसा अभय की तारीफ सब जो किया उसे याद कर सर्म से लाल हो जाती है
आसा खरी होके सारी निकाल पूरी नंगी होने के बाद आसा की नजर अपनी चुत मे परती है चुत पे बहोत बाल थे

आसा अपने चुत के बाल देख मन मे - अरे आज बाल साफ करने वाली थी भूल गई कल साफ कर लुगी बहोत बरे हो गये है
आसा फिर नाइटी पेहन बिस्तर पे लेत मुस्कुराते हुवे आखे बंद कर लेती है
रात के 11 बज चुके थे अभय दिशा से बात करने लगता है
अभय - मेरी जान ये 20 दिन कब गुजरेगे रहा नही जा रहा
दिशा शर्मा के - आपका रोज का है रहा नही जा रहा
अभय मुस्कुराते हुवे - क्या तुम्हे जल्दी नही है
दिशा - किसने कहा मे भी चाहती हु जल्दी वो दिन आये जब आप मेरी मांग मे सिंदूर गले मे मंगलसूत्र दाल मुझे अपनी बीवी बना के ले जाये
अभय हस्ते हुवे - फिर सुहागरात का तो कहा ही नही
दिशा सर्म से - गंदे पति जी वो भी खुश
अभय - वो भी क्या चुदाई बोलो खुल के
दिशा शर्मा के - छी छी कितनी गंदी बाते करते है
दोनो के बीच ऐसे ही 15 मिनट बाते होती फिर
फोन कट
अभय अपने फोन लिये काजल बुवा के बारे मे सोचने लगता है
अभय - काजल बुवा की कोई गलती नही है उन्होंने तो वही क्या जो कोई और औरत भी करती गलती मेरी है तो मुझे ही माफी मांग लेनी चाहिये
सेम काजल भी बिस्तर पे लेते हाथ मे फोन लिये सोच रही थी तभी काजल का फोन बजता है काजल फोन उठा के हैलो
अभय - मे बुवा अभय
आज के लिये इतना ही


