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Ek number

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चलिए अब आगे चलते है कहानी में





सुंदरी बिस्तर पर सोने ही बाली थे की परम ने कहा:

“मां साड़ी उतार दो ख़राब हो जायेगी।”

सुंदरी "बेटे को देखकर मुस्कुराई और झटके से साड़ी उतार दिया और बिस्तर पर लेट गई। परम सोच रहा था कि साला यह विनोद सुंदरी को नंगा क्यों नहीं कर रहा है। लेकिन विनोद को तो सुंदरी के चूत में लंड पेलने की जल्दी थी। विनोद ने फटा-फट पेटीकोट को कमर के ऊपर तक घसकाया और दिखाई पड़ा एक दम चिकनी चूत। (पेंटी का रिवाज वहा गाव में नही होता) विनोद को लगा कि किसी 12-13 की लड़की का चूत देख रहा है। विनोद ने सुंदरी के पैरों को फैलाया और दोनों पैरों के बीच बैठ कर लंड को एंट्री पॉइंट पर रखा और सुंदरी की चुचियों को पकड़ा। जोर का धक्का मारा। विनोद के धक्के में दम था। पूरा लंड बुर के अंदर घुस गया।

“आहहह…।” धीरे से पेलो बेटा।” सुंदरी बोली। लेकिन विनोद को तो चूत का भोंसड़ा बनाना था। सुंदरी की बुर देख कर बहुत मस्त हो गया था। उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि सुंदरी को चोद रहा है। लंड चूत के अंदर पूरा चला गया, चूत टाइट थी, या फिर सुंदरी ने जानबुज कर अपनी छुट के मांस को जकड के रखा था, वह तो सुंदरी ही जानती थी, माहिर जो थी। इतनी गर्मी और टाइटनेस का उपयोग एक साल पहले अपनी दीदी को भी चोदने में नहीं आया था। विनोद ने जोर से धक्का मारा। सुंदरी को विनोद की जल्दबाज़ी देख कर लगा कि साला जल्दी ढल जाएगा और वही हुआ।

चौथा धक्के में ही विनोद ने सुंदरी की चूत को अपना पानी से नहला दिया। सुंदरी की गर्मी तो अभी चढ़ना शुरू ही हुआ था। उसने तो अभी तक लंड को चूत के अन्दर पूरा महसुस भी नहीं किया था और विनोद झड़ गया। सुंदरी को दुख नहीं हुआ कि उसने एक नामर्द से चुदवाया है। विनोद बहुत गर्म हो गया था उसकी धईलो को मसल-मसल कर और ये सोच कर कि सुंदरी को चोद रहा है। सुंदरी ने दोनों पैरों से विनोद को टाई कर दिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली:
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

"बेटे। घबराओ मत, ऐसा होता है। थोड़ा ठंडा हो जाओ, फिर चोदना।"

विनोद को चार धक्के में ही पानी छोड़ता देख परम बहुत खुश हुआ और उसने सारे कपड़े उतार कर नंगा सुंदरी के सामने आकर लंड हिलाने लगा और कहा

“माँ, ये साला तो तुम को चोद नहीं पाया, मुझे चोदने दो।”

" चुप.. मादरचोद, माँ को अपना लंड दिखता है। जाकर विनोद की माँ और दीदी को चोदो, मेरा माल (चूत) तुम्हारे लिए नहीं है।" सुंदरी परम के लंड को मुठ मारने लगी।

“जब तक मैं विनोद से मजा लेती हूं तुम उन दोनों कुतिया को जाकर चोदो।” सुंदरी ने बेटे के लंड को मसल कर छोड़ दिया।

फिर उसने विनोद को अपने से अलग किया और पूछा, “फिर चोदोगे की थक गए!”

विनोद ने सुंदरी के ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। विनोद ने चूत में लंड तो पेला लेकिन अभी तक मस्त चुचियों का दर्शन नहीं किया था। उसने दोनो निपल्स को धीरे से मसला और कहा “काकी अभी तो खाली तुम्हारी चूत को छुआ है, थोड़ी देर के बाद फिर पेलूंगा और तब देखना मेरे लंड से तुमको चुदवाने में कितना मजा आता है।” इतना कहते हुए विनोद ने सुंदरी के कमर से पेटीकोट को बाहर निकाल दिया। अब उस कमरे मे टीनो मादरचोद बिल्कुल नंगे थे।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

"काकी तुम सच में एक नंबर की माल हो। परम मूर्ख है कि उसने अब तक तुम्हें चोदा नहीं। मैं तेरा बेटा होता तो कब का तुम्हारी चूत में लंड पेल कर मजा लेता। और क्या पता मेरे ही बच्चे की माँ भी बन जाती। मेरे साथ कोलकाता चलो, वहा एक से एक चुदक्कड़ है। खूब चुदाई का मजा देंगे और जितना मागोंगी उतना पैसा भी देंगे।”

विनोद सुंदरी के होठों को चूमता रहा तब तक जब तक सुंदरी ने उसे बदन से अलग नहीं किया।

“विनोद तुझे फिर से लंड पेलना है तो जो मैं कहती हूँ..”

विनोद को सुंदरी का हर अंग छूने में मज़ा आ रहा था, “क्या करने बोलती हो काकी!“

“मेरी चूत चाट और चूस।” सुंदरी ने कहा।

"छी काकी, बुर भी कोई चाटने की चीज है। वहां तो खाली लंड को ही अंदर डालना होता है, चोदने के लिए चूत होती है काकी।"

“देख हरामी, तू अगर मुझे फिर से चोदना चाहता है तो चूत चाट नहीं तो लंड पकड़ कर बाहर चला जा और अपनी माँ से गांड सटा के सो जा।” सुंदरी बोलते हुए विनोद को धक्का दे कर उठ गई। फिर कहा “देख, परम का लंड भी चूत के अंदर जाने को तैयार है, आज उसी से चुदवा लूंगी।” सुंदरी ने परम को पास बुलाया और उसका लंड पकड़ कर अपनी स्तनों से रगड़ने लगी।

"काकी, परम के बारे में मैंने किसी को भी बुर को चाटते नहीं देखा। बुर तो गंदा रहता है, चाटने से बीमारी हो जाएगी...तू समजती क्यों नहीं!"

"चुप! बहनचोद साला। चूत चटवाने में जो मजा औरत को आता है उतना मजा तो लंड से पेलवाने में भी नहीं आता है।" सुंदरी अब परम के लंड को अपनी चूत से रगड़ रही थी।

परम खुश हो गया था कि आज माँ उसके दोस्त के सामने हमसे चुदवायेगी। उसने माँ का चूची दबाते हुए कहा “विनोद तुमने देखा तो है, जब मैंने तुम्हारी माँ और दीदी की चूत चूसता हूँ तो दोनों कुतिया कितना मजा लेती है।”

सुंदरी ने फिर कहा "मादरचोद, जल्दी बोल। मेरी चूत को अंदर तक चाटेगा की मैं परम से पेलवा लू?"


विनोद अपने ढीले लंड को हाथ से रगड़ कर टाइट करने की कोशिश कर रहा था और उधर परम ने सुंदरी के क्लिट को जोर से मसला। “ओह्ह….. आह्ह…” सुंदरी चीख उठी। विनोद ने फैसला किया कि अब अगर थोड़ी भी देरी होगी तो परम उसके सामने सुंदरी को पेल डालेगा और सुंदरी भी उसकी मां और दीदी की तरह परम के लंड की गुलाम हो जाएगी। विनोद को क्या मालूम कि दोनो माँ-बेटे रोज चुदाई का मजा लेते हैं। विनोद ने सोचा कि परम जब उसकी माँ और दीदी की चूत चाटता है तो दोनो मादरचोद बहुत मजा लेती है और परम भी खूब मजा लेकर चूत का स्वाद पुरे अंदर से लेता है। विनोद ने फैसला किया कि क्यों ना चूत चाटने की शुरुआत सुंदरी के चूत से की जाए। क्या यह चूत भी स्वादिष्ट है और इस चूत से ज्यादा स्वादिष्ट कोई हो ही नहीं सकता। अगर चूत का स्वाद अच्छा लगेगा तो रात अपनी माँ और दीदी की चूत भी चाटेगा।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है
अब आगे देखते है की विनोद सुंदरी की चूत चाट के चुतरस लेता है या फिर.............छोड़ देता है..............सुंदरी का स्वाद भूल जाएगा.......!!!!!!!!!!
मेरे साथ बने रहिये
यह एपिसोड कैसा लगा आपकी राय जरुर दीजिये..........प्रतीक्षा:
Nice update
 

Ek number

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चलिए आगे चलते है


सुन्दरी की चूत गीली थी, उसकी चूत अभी भी उसका चुतरस और विनोद का वीर्य धीरे धीरे बहार की ओर टपका रही थी। परम ने चूत को छुआ लेकिन सुंदरी ने उसका हाथ अलग कर दिया। विनोद को अपनी बाहों में लेकर चुमने लगी और फिर परम से दो गिलास गर्म दूध गुड़ के साथ लाने को कहा। करीब दस मिनट के बाद परम दूध लेकर आया तो देखा कि सुंदरी विनोद के गोद में बैठी है और विनोद उसकी चूत में फिंगरिंग कर रहा है और साथ में स्तनों को भी दबा रहा है। और कभी-कभी विनोद उसकी उंगलिया चाट के साफ़ करता रहा जिस से सब को यह पता चल रहा था की अब विनोद को चुतरस और मिक्स चुतरस दोनों पसंद आ गए है। दोनों ने वही पोजीशन में बैठे दूध पिया और फिर मस्ती करने लगे। परम ने टाइम देखा. 4.30 हो गए वे।मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना

“मां, सेठजी के घर भी जाना है।” परम ने कहा।

"अरे अभी तो बहुत टाइम है, बेटे। एक बार और तुम्हारे दोस्त का लंड से चुदवाउंगी।" सुंदरी ने विनोद को चूमते हुए कहा और दोनों दूध पीने लगे। इधर परम सामने खड़ा होकर माँ की थानों को दबा कर अपना लंड उसकी चूत से रगड़ने लगा। “एक बार मुझसे भी चुदवा लो, माँ!”

सुंदरी ने चूत को लंड के ऊपर दबाया और कहा, “बेटा तुम्हें जो भी करना है कर लो लेकिन तेरा लंड चूत के अन्दर नहीं लेगी।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद को आंख मारी.. चूत के नीचे से विनोद का लंड चूत को रगड़ रहा था और ऊपर से बेटे का लंड चूत के स्लिट को खोल कर घुसाने की तैयारी कर रहा था। “बेटा, आज यह माल सिर्फ विनोद का है, विनोद ही चोदेगा बेटे! उसी ने तो यह माल ख़रीदा भी है और मेरा फर्ज है की लंड को पूरा निचोड़ कर भेजना चाहिए।

विनोद ने परम के लंड को चूत के नीचे दबाया और कहा, “अरे काकी, मैं तो अपनी मां और बहन दोनों को रोज चोदता हूं, परम भी खूब अच्छी चुदाई करता है, तुम भी बेटे से चुद जाओ।” इतना कहते-कहते विनोद ने परम के लंड को सुंदरी की चूत में घुसा दिया। परम ने भी धक्का मारा और पूरा लंड चूत के अन्दर चला गया। लेकिन सुंदरी तुरत खड़ी हो गई और घूम कर फिर विनोद के गोद में बैठ गई और बैठे-बैठे चूत को विनोद के लंड के ऊपर दबाया और धीरे-धीरे पूरा लंड चूत के नीचे गायब हो गया। सुंदरी उछल-उछल को चूत को लंड पर उठ बैठ रही थी। अबकी बार परम पीछे से माँ की बोब्लो को मसल-मसल कर अपने लंड को चूत से सटा दिया और दबाये रखा। सुंदरी चुदाई करते-करते विनोद से चिपक गई और उसकी गांड ऊपर उठ गइ।

चुदाई करते-करते सुन्दरी की गांड भी पानी हो गयी, उसकी गांड भी चुतरस पि पि के गीली हो गई थी। परम ने पीछे से स्तन को दबाए हुए अपने लंड गांड के छेद से सताया और लंड को दबाने लगा। सुंदरी और जोर से विनोद से चिपक गये। परम ने और जोर से लंड को अंदर दबाया और करीब दो इंच लंड सुंदरी के गांड के अंदर घुस गया। अब क्या था, सामने से विनोद का लंड चूत को चोदे जा रहा था और पीछे से परम आ लंड उसकी गांड की खबर ले रहा था। दोनों के लंड एक बार बहार आते और फिर अपने अपने गंतव्य में अद्रश्य हो जाते।
“मत करो बेटा, दर्द कर रहा है और सुंदरी ने पीछे हाथ बढ़ा कर परम का लंड गांड से बाहर निकाल दिया और फिर लंड से उठ गयी और जमीन पर फ्लैट लेट गयी। ”विनोद जल्दी से चोद कर पानी निकाल दो।" विनोद तो तैयार था ही, फटा-फट सुंदरी की टैंगो तो फैलाया और बीच में बैठ कर लंड को चूत के छेद में घुसाया और जोर से धक्का मारा। दो-तीन धक्के में पूरा लंड चला गया। विनोद जोर-जोर से धक्का मारने लगा। सुंदरी का खून गरम हो गया था। उसके शरीर में हाई वोल्टेज का करंट दौड़ रहा था। विनोद धका-धक धक्का मार रहा था और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ गये।
मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना

दोनो ठंडे हुए तो सुंदरी ने बाथरूम जाकर मुंह हाथ धोया और फटा-फट साड़ी ब्लाउज पहन लिया। विनोद भी कपडे पहन कर तैयार हो गया। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, परम ने दरवाजा खोला, महक खड़ी थी। महक परम से चिपकना चाहती थी लेकिन परम अलग हट गया। महक ने विनोद को देखा।

"क्या भैया, आज इतने दिनों के बाद हमारी याद आयी है।" महक ने कहा।

विनोद ने देखा कि महक भी अपनी मां सुंदरी की तरह पूरी जवान हो गई है और उसके मन में ख्याल आया कि क्या महक को भी चोदने में सुंदरी जैसा मजा आएगा! लेकिन? विनोद ने फटाहट दिमाग से महक को चोदने का ख्याल हटाया और कहा,

"अरे महक, काम में इतना बिजी रहता हूं कि टाइम नहीं मिलता है।" उसने महक के गालों को थपथपाया और कहा “अब जल्दी-जल्दी मिलने आऊंगा।“ कुछ देर बातें करने के बाद विनोद चला गया। महक को भी विनोद अच्छा लगा।

काफी समय के बाद मिलना हुआ था, इस से पहले सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था लेकिन अब वो चूत लंड के बारे में सब जानती है। विनोद के लंड के बारे में सोचने लगी, उसने सोचा कि क्या विनोद अपना लंड से खेलने देगा! महक ने फैसला किया कि मौका मिलने पर विनोद को अपनी जवानी का मजा देगी। थोड़ी देर के बाद परम सुंदरी के साथ घर से बाहर निकला तो महक ने परम से कहा, “भैया देर मत करना, आज एक दूसरी माल आएगी तुम्हारा लंड खाने के लिए।”

दोनो निकल गए और महक नंगी होकर विनोद के लंड के बारे में सोचती हुई घर का काम करने लगी।

सुंदरी विनोद का लंड खा कर बहुत खुश थी। जब पहली बार प्रवेश करने पर वह तुरंत डिस्चार्ज हो गया तो उसे बहुत दुख हुआ लेकिन वह जानती थी कि यह उसे चोदने के लिए उसकी अत्यधिक उत्सुकता और उत्तेजना के कारण था। और वह सही थी, दूसरी बार की चुदाई मे विनोद ने उसकी चूत का भरता बना डाला। इतनी देर तक मुनीम ने कभी नहीं छोड़ा था ना ही परम भी विनोद जैसा चुदाई कर पाया था। फिर उसने सोचा की बेटे के सामने उसके दोस्त से चुदवाना से विनोद में काफी जोर आया की वह उसके दोस्त की माँ को उसी के सामने चोद रहा है, तो स्वाभाविक है ज्यादा जोर लगाके चूट को मारेगा, खेर जो भी हो मुझे तो मजा आई और आइन्दा से वह विनोद के लिए अपना प्रवेशद्वार खुला रखेगी। वैसे भी अब मुझे तो लंड से लगन है फिर बेटा हो या बेटे का दोस्त या जमाई कोई भी हो मेरी चूत को भरनेवाला चाहिए। और वह खुद पर और उसके माल पर गर्व करती रही।

मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना
इस एपिसोड पर आपका मंतव्य दे.........
Shaandaar update
 

Premkumar65

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अब आगे

विनोद ने बिना कुछ बोले परम को थोडा बाजू हटा के उसकी चूत से लंड निकालवा दिया और सुंदरी को पीछे से दोनों स्तनों को पकड़ लिया और बिस्तर पर लेटा दिया। सुंदरी की दोनो टैंगो को फैला कर विनोद ने जीभ को क्लिट पर लगाया। विनोद को एक अजीब सी गंध और स्वाद लगा। उसने जोर-जोर से जीभ को चूत के चीरा पर रगड़ना शुरू किया और सुंदरी अपना चुतर उछालने लगी। विनोद की जीभ चूत पर चलते चलते चूत के छेड़ को पार कर के अंदर घुस गया और उसने पूरी जीभ चूत के अंदर पेल कर जीभ को चूत में घुमाने लगा। सुंदरी को बहुत मजा आ रहा था।

“अहह.. बेटेईईई… मजाआआ.. आ रहा है… आह..” सुंदरी मचल रही थी और खुद ही अपने हाथों से स्तनों को मसलने लगी। परम अपना तनतना हुआ लंड लेकर आगे बढ़ा और सुंदरी के होठों से लंड को लगा कर उसकी छातिया दबाने लगा। सुंदरी ने परम के लंड को अलग हटा दिया और कहा "तुम अभी बैठ कर मजा लो, बेटे अब उसने पैसा दिया है तो उसका हक पहले बनता है।" मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

“विनोद जब तुम्हारा लंड टाइट हो जायेगा तो बोलना।”

विनोद ने दोनों हाथो से सुंदरी के टांगो को बिल्कुल दूर फैला दिया था और अपना पूरा मुँह सुदरी की मस्त चूत में घुसाने की कोशिश कर रहा था। उसका नाक तो अंदर चला ही गया था। विनोद को अब धीरे-धीरे चूत का स्वाद बहुत अच्छा लगने लगा।

विनोद सुंदरी की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि विनोद अपना पूरा सिर बुर में घुसा देगा लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के नीचे नहीं जा सका। सुंदरी को भी बहुत मजा आ रहा था, इस से पहले उसका बेटा परम और सेठजी ने सुंदरी का चूत चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। क्यों की विनोद उसकी चूत चाट रहा था की खोद रहा था! वह जितना अन्दर जा सकता था पहुच गया था। एक तरीके से उसकी सही चुदाई हो रही थी जहा लंड लटक रहा था और जिब उसकी चूत को खोद रही थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

सुंदरी खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर विनोद को बता रही थी कि उस से खूब मजा आ रहा है। सुंदरी जोरो से 'आहह...' उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर विनोद के चूत चटाई का मजा मार रही थी, और विनोद को उकसा रही थी। सुंदरी को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को चूम लिया। अब सुंदरी को अपनी चूत दिख रही थी। विनोद कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अंदर डाल कर घुमा रहा था। साथ ही चूत के अंदर उंगली भी घुसा कर सुदरी के तन और मन दोनों को चूत खुदाई के द्वारा खुद ही मजा लेने लगा और सुदरी को भी स्वर्ग दिखाने की कोशिश करने लगा।

विनोद का लंड टाइट होने लगा था लेकिन विनोद की चुदाई के बारे में भूलकर चूत खाने में लगा हुआ था। पहली बार विनोद इस तरह चूत का मज़ा ले रहा था। इधर परम का लंड पूरा टाइट था, वो अपनी माँ के पास आया और उसकी बोबले को मसलने लगा साथ ही अपना टाइट लंड को सुंदरी के बदन पर रगड़ने लगा। कभी लंड को सुंदरी की जाँघों से रगड़ता था तो कभी मस्त बोबले को ही लंड से दबा रहा था।

सुंदरी पूरी मस्त हो गई थी और वो भी लंड को चूसना चाह रही थी। अब सुदरी का मुह भी किसी लंड से चुदवाने को तड़प रहा था, उसका मुह खुला था की दोनों लंड से कोई एक भी उसे भर दे, “विनोद अपना लंड मेरे मुँह में डालो।” उसने जोर से कहा लेकिन विनोद अपनी स्थिति बदलना नहीं चाहता था। चूत को चोदा और चाटता रहा। सुंदरी ने दो-तीन बार तड़प कर लंड को मुँह में डालने के लिए कहा, लेकिन विनोद ने नहीं सुना। सुंदरी ने तड़प कर बेटे परम का लंड पकड़ा और मुँह में गपाक लिया और खूब जोर-जोर से चबाने और चूसने लगी।

विनोद का लंड पूरा टाइट हो चुका था। फिर भी उसने चूत का स्वाद लेना बंद नहीं किया। तभी परम ने जोर से कहा “साला चूत चाटते-चाटते तेरा पानी फिर निकल जाएगा और चोद नहीं पाएगा। फिर मुज से फ़रियाद ना करना और पैसे वापस ना माँगना। मैंने सुदरी को चोदने के लिए दे दिया अब तू उसकी चूत चाटे या उसका भोसड़ा बनाये सब तेरी मर्जी है।”
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

सुंदरी ने भी परम की बात में हामी भरते हुए कहा: “बेटा विनोद, परम ठीक ही तो कहता है, मैंने मेरा माल दिखा दिया अब पैसे वसूलना तुम्हारा काम है बेटे, चोदो या चाटो! मेरे ख्याल से नंगे माल को चाट के चोदना ही बेहतर रहता है।”

इतना सुनना था कि विनोद ने सुंदरी की कमर को नीचे की ओर दबाया और कमर को जोरो से पकड़ कर लंड चूत में घुसेड़ दिया।

“अहह… धीरे” सुंदरी ने परम के लंड को मुँह से निकाला हुआ कहा।

विनोद ने परम को धक्का मार कर अलग किया और सुंदरी की चुची को दबाते हुए उसे चूमने लगा। सुंदरी को अपनी चूत का स्वाद मिला और वो भी विनोद को टांगो से जकड़ कर कमर उछाल कर विनोद के लंड के धक्के को चूत के गहराईया भरने लगी। सुंदरी को इतना मजा परम के साथ चुदाई में नहीं आया था ना ही सेठ की चुदाई में। सुंदरी ने चोदते हुए फैसला किया कि परम और सेठ का लंड तो खायेगी ही लेकिन विनोद से भी नियमित रूप से चुदवायेगी। विनोद खूब दम लगाकर चोद रहा था और सुंदरी भी पूरा साथ दे रही थी।

“आहहह… राजा… बहुत मजा…आआ… रहा है… मेरे माल (चूत) को चोदते रहो।

इस आह्वाहन से विनोद ने खुश होकर और जोर से धक्का मारा।

“आअहह………, धीरे….चूत फट जायेगी…” वह जानती थी की ऐसे टाइम कैसे बोला जाता है।

परम बिलकुल सट कर, खड़ा होकर अपनी माँ की चुदाई देख रहा था और साथ-साथ सुंदरी की चुचियो को मसल-मसल कर जवानी का मजा भी ले रहा था। चुदाई थमने का नाम नहीं ले रही थी, दोनों खूब जोश में एक दूसरे को बाहों में जकड़ कर चुदाई कर रहे थे।


चुदाई करते-करते सुंदरी थक गई और उसका पानी निकल गया। तुरत बाद विनोद ने भी चूत के अंदर ही पानी निकाल कर चूत को ठंडा कर दिया। सुंदरी ने विनोद के जांघों को अपनी जांघों से जकड़ रखा था और कुछ देर तक चुम्मा चाटी करने के बाद दोनों अलग हो गए।


इस एपिसोड के बारे में अपनी राय अवश्य देना प्लीज़ ..............
Bahut mast. Vinod ne bhi Sundari ko chod liya. Ab Param ka number kab ayega?
 

Premkumar65

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सुन्दरी की चूत गीली थी, उसकी चूत अभी भी उसका चुतरस और विनोद का वीर्य धीरे धीरे बहार की ओर टपका रही थी। परम ने चूत को छुआ लेकिन सुंदरी ने उसका हाथ अलग कर दिया। विनोद को अपनी बाहों में लेकर चुमने लगी और फिर परम से दो गिलास गर्म दूध गुड़ के साथ लाने को कहा। करीब दस मिनट के बाद परम दूध लेकर आया तो देखा कि सुंदरी विनोद के गोद में बैठी है और विनोद उसकी चूत में फिंगरिंग कर रहा है और साथ में स्तनों को भी दबा रहा है। और कभी-कभी विनोद उसकी उंगलिया चाट के साफ़ करता रहा जिस से सब को यह पता चल रहा था की अब विनोद को चुतरस और मिक्स चुतरस दोनों पसंद आ गए है। दोनों ने वही पोजीशन में बैठे दूध पिया और फिर मस्ती करने लगे। परम ने टाइम देखा. 4.30 हो गए वे।मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना

“मां, सेठजी के घर भी जाना है।” परम ने कहा।

"अरे अभी तो बहुत टाइम है, बेटे। एक बार और तुम्हारे दोस्त का लंड से चुदवाउंगी।" सुंदरी ने विनोद को चूमते हुए कहा और दोनों दूध पीने लगे। इधर परम सामने खड़ा होकर माँ की थानों को दबा कर अपना लंड उसकी चूत से रगड़ने लगा। “एक बार मुझसे भी चुदवा लो, माँ!”

सुंदरी ने चूत को लंड के ऊपर दबाया और कहा, “बेटा तुम्हें जो भी करना है कर लो लेकिन तेरा लंड चूत के अन्दर नहीं लेगी।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद को आंख मारी.. चूत के नीचे से विनोद का लंड चूत को रगड़ रहा था और ऊपर से बेटे का लंड चूत के स्लिट को खोल कर घुसाने की तैयारी कर रहा था। “बेटा, आज यह माल सिर्फ विनोद का है, विनोद ही चोदेगा बेटे! उसी ने तो यह माल ख़रीदा भी है और मेरा फर्ज है की लंड को पूरा निचोड़ कर भेजना चाहिए।

विनोद ने परम के लंड को चूत के नीचे दबाया और कहा, “अरे काकी, मैं तो अपनी मां और बहन दोनों को रोज चोदता हूं, परम भी खूब अच्छी चुदाई करता है, तुम भी बेटे से चुद जाओ।” इतना कहते-कहते विनोद ने परम के लंड को सुंदरी की चूत में घुसा दिया। परम ने भी धक्का मारा और पूरा लंड चूत के अन्दर चला गया। लेकिन सुंदरी तुरत खड़ी हो गई और घूम कर फिर विनोद के गोद में बैठ गई और बैठे-बैठे चूत को विनोद के लंड के ऊपर दबाया और धीरे-धीरे पूरा लंड चूत के नीचे गायब हो गया। सुंदरी उछल-उछल को चूत को लंड पर उठ बैठ रही थी। अबकी बार परम पीछे से माँ की बोब्लो को मसल-मसल कर अपने लंड को चूत से सटा दिया और दबाये रखा। सुंदरी चुदाई करते-करते विनोद से चिपक गई और उसकी गांड ऊपर उठ गइ।

चुदाई करते-करते सुन्दरी की गांड भी पानी हो गयी, उसकी गांड भी चुतरस पि पि के गीली हो गई थी। परम ने पीछे से स्तन को दबाए हुए अपने लंड गांड के छेद से सताया और लंड को दबाने लगा। सुंदरी और जोर से विनोद से चिपक गये। परम ने और जोर से लंड को अंदर दबाया और करीब दो इंच लंड सुंदरी के गांड के अंदर घुस गया। अब क्या था, सामने से विनोद का लंड चूत को चोदे जा रहा था और पीछे से परम आ लंड उसकी गांड की खबर ले रहा था। दोनों के लंड एक बार बहार आते और फिर अपने अपने गंतव्य में अद्रश्य हो जाते।
“मत करो बेटा, दर्द कर रहा है और सुंदरी ने पीछे हाथ बढ़ा कर परम का लंड गांड से बाहर निकाल दिया और फिर लंड से उठ गयी और जमीन पर फ्लैट लेट गयी। ”विनोद जल्दी से चोद कर पानी निकाल दो।" विनोद तो तैयार था ही, फटा-फट सुंदरी की टैंगो तो फैलाया और बीच में बैठ कर लंड को चूत के छेद में घुसाया और जोर से धक्का मारा। दो-तीन धक्के में पूरा लंड चला गया। विनोद जोर-जोर से धक्का मारने लगा। सुंदरी का खून गरम हो गया था। उसके शरीर में हाई वोल्टेज का करंट दौड़ रहा था। विनोद धका-धक धक्का मार रहा था और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ गये।
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दोनो ठंडे हुए तो सुंदरी ने बाथरूम जाकर मुंह हाथ धोया और फटा-फट साड़ी ब्लाउज पहन लिया। विनोद भी कपडे पहन कर तैयार हो गया। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, परम ने दरवाजा खोला, महक खड़ी थी। महक परम से चिपकना चाहती थी लेकिन परम अलग हट गया। महक ने विनोद को देखा।

"क्या भैया, आज इतने दिनों के बाद हमारी याद आयी है।" महक ने कहा।

विनोद ने देखा कि महक भी अपनी मां सुंदरी की तरह पूरी जवान हो गई है और उसके मन में ख्याल आया कि क्या महक को भी चोदने में सुंदरी जैसा मजा आएगा! लेकिन? विनोद ने फटाहट दिमाग से महक को चोदने का ख्याल हटाया और कहा,

"अरे महक, काम में इतना बिजी रहता हूं कि टाइम नहीं मिलता है।" उसने महक के गालों को थपथपाया और कहा “अब जल्दी-जल्दी मिलने आऊंगा।“ कुछ देर बातें करने के बाद विनोद चला गया। महक को भी विनोद अच्छा लगा।

काफी समय के बाद मिलना हुआ था, इस से पहले सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था लेकिन अब वो चूत लंड के बारे में सब जानती है। विनोद के लंड के बारे में सोचने लगी, उसने सोचा कि क्या विनोद अपना लंड से खेलने देगा! महक ने फैसला किया कि मौका मिलने पर विनोद को अपनी जवानी का मजा देगी। थोड़ी देर के बाद परम सुंदरी के साथ घर से बाहर निकला तो महक ने परम से कहा, “भैया देर मत करना, आज एक दूसरी माल आएगी तुम्हारा लंड खाने के लिए।”

दोनो निकल गए और महक नंगी होकर विनोद के लंड के बारे में सोचती हुई घर का काम करने लगी।

सुंदरी विनोद का लंड खा कर बहुत खुश थी। जब पहली बार प्रवेश करने पर वह तुरंत डिस्चार्ज हो गया तो उसे बहुत दुख हुआ लेकिन वह जानती थी कि यह उसे चोदने के लिए उसकी अत्यधिक उत्सुकता और उत्तेजना के कारण था। और वह सही थी, दूसरी बार की चुदाई मे विनोद ने उसकी चूत का भरता बना डाला। इतनी देर तक मुनीम ने कभी नहीं छोड़ा था ना ही परम भी विनोद जैसा चुदाई कर पाया था। फिर उसने सोचा की बेटे के सामने उसके दोस्त से चुदवाना से विनोद में काफी जोर आया की वह उसके दोस्त की माँ को उसी के सामने चोद रहा है, तो स्वाभाविक है ज्यादा जोर लगाके चूट को मारेगा, खेर जो भी हो मुझे तो मजा आई और आइन्दा से वह विनोद के लिए अपना प्रवेशद्वार खुला रखेगी। वैसे भी अब मुझे तो लंड से लगन है फिर बेटा हो या बेटे का दोस्त या जमाई कोई भी हो मेरी चूत को भरनेवाला चाहिए। और वह खुद पर और उसके माल पर गर्व करती रही।

मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना
इस एपिसोड पर आपका मंतव्य दे.........
Jaldi hi Sundari Param ka lund legi.
 

Napster

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अब आगे......


सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।

उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।

“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।

विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"

“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”

यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”

विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।

"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.

तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”

“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”

“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”

विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,

"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"

सुंदरी को मजा आ रहा था।

"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"

“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”

“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”

विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।

"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,

“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”

यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,

“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।

लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।

विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।

सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है


******


क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?

क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?


अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................
बहुत ही शानदार लाजवाब और जबरदस्त मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

Mass

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Madam, latest update मैंने पोस्ट किया है मेरे स्टोरी पे . आशा है आप अपना बहुमूल्य कमेंट ज़रूर देंगी :)

Funlover
 

Napster

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चलिए अब आगे चलते है कहानी में





सुंदरी बिस्तर पर सोने ही बाली थे की परम ने कहा:

“मां साड़ी उतार दो ख़राब हो जायेगी।”

सुंदरी "बेटे को देखकर मुस्कुराई और झटके से साड़ी उतार दिया और बिस्तर पर लेट गई। परम सोच रहा था कि साला यह विनोद सुंदरी को नंगा क्यों नहीं कर रहा है। लेकिन विनोद को तो सुंदरी के चूत में लंड पेलने की जल्दी थी। विनोद ने फटा-फट पेटीकोट को कमर के ऊपर तक घसकाया और दिखाई पड़ा एक दम चिकनी चूत। (पेंटी का रिवाज वहा गाव में नही होता) विनोद को लगा कि किसी 12-13 की लड़की का चूत देख रहा है। विनोद ने सुंदरी के पैरों को फैलाया और दोनों पैरों के बीच बैठ कर लंड को एंट्री पॉइंट पर रखा और सुंदरी की चुचियों को पकड़ा। जोर का धक्का मारा। विनोद के धक्के में दम था। पूरा लंड बुर के अंदर घुस गया।

“आहहह…।” धीरे से पेलो बेटा।” सुंदरी बोली। लेकिन विनोद को तो चूत का भोंसड़ा बनाना था। सुंदरी की बुर देख कर बहुत मस्त हो गया था। उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि सुंदरी को चोद रहा है। लंड चूत के अंदर पूरा चला गया, चूत टाइट थी, या फिर सुंदरी ने जानबुज कर अपनी छुट के मांस को जकड के रखा था, वह तो सुंदरी ही जानती थी, माहिर जो थी। इतनी गर्मी और टाइटनेस का उपयोग एक साल पहले अपनी दीदी को भी चोदने में नहीं आया था। विनोद ने जोर से धक्का मारा। सुंदरी को विनोद की जल्दबाज़ी देख कर लगा कि साला जल्दी ढल जाएगा और वही हुआ।

चौथा धक्के में ही विनोद ने सुंदरी की चूत को अपना पानी से नहला दिया। सुंदरी की गर्मी तो अभी चढ़ना शुरू ही हुआ था। उसने तो अभी तक लंड को चूत के अन्दर पूरा महसुस भी नहीं किया था और विनोद झड़ गया। सुंदरी को दुख नहीं हुआ कि उसने एक नामर्द से चुदवाया है। विनोद बहुत गर्म हो गया था उसकी धईलो को मसल-मसल कर और ये सोच कर कि सुंदरी को चोद रहा है। सुंदरी ने दोनों पैरों से विनोद को टाई कर दिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली:
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

"बेटे। घबराओ मत, ऐसा होता है। थोड़ा ठंडा हो जाओ, फिर चोदना।"

विनोद को चार धक्के में ही पानी छोड़ता देख परम बहुत खुश हुआ और उसने सारे कपड़े उतार कर नंगा सुंदरी के सामने आकर लंड हिलाने लगा और कहा

“माँ, ये साला तो तुम को चोद नहीं पाया, मुझे चोदने दो।”

" चुप.. मादरचोद, माँ को अपना लंड दिखता है। जाकर विनोद की माँ और दीदी को चोदो, मेरा माल (चूत) तुम्हारे लिए नहीं है।" सुंदरी परम के लंड को मुठ मारने लगी।

“जब तक मैं विनोद से मजा लेती हूं तुम उन दोनों कुतिया को जाकर चोदो।” सुंदरी ने बेटे के लंड को मसल कर छोड़ दिया।

फिर उसने विनोद को अपने से अलग किया और पूछा, “फिर चोदोगे की थक गए!”

विनोद ने सुंदरी के ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। विनोद ने चूत में लंड तो पेला लेकिन अभी तक मस्त चुचियों का दर्शन नहीं किया था। उसने दोनो निपल्स को धीरे से मसला और कहा “काकी अभी तो खाली तुम्हारी चूत को छुआ है, थोड़ी देर के बाद फिर पेलूंगा और तब देखना मेरे लंड से तुमको चुदवाने में कितना मजा आता है।” इतना कहते हुए विनोद ने सुंदरी के कमर से पेटीकोट को बाहर निकाल दिया। अब उस कमरे मे टीनो मादरचोद बिल्कुल नंगे थे।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

"काकी तुम सच में एक नंबर की माल हो। परम मूर्ख है कि उसने अब तक तुम्हें चोदा नहीं। मैं तेरा बेटा होता तो कब का तुम्हारी चूत में लंड पेल कर मजा लेता। और क्या पता मेरे ही बच्चे की माँ भी बन जाती। मेरे साथ कोलकाता चलो, वहा एक से एक चुदक्कड़ है। खूब चुदाई का मजा देंगे और जितना मागोंगी उतना पैसा भी देंगे।”

विनोद सुंदरी के होठों को चूमता रहा तब तक जब तक सुंदरी ने उसे बदन से अलग नहीं किया।

“विनोद तुझे फिर से लंड पेलना है तो जो मैं कहती हूँ..”

विनोद को सुंदरी का हर अंग छूने में मज़ा आ रहा था, “क्या करने बोलती हो काकी!“

“मेरी चूत चाट और चूस।” सुंदरी ने कहा।

"छी काकी, बुर भी कोई चाटने की चीज है। वहां तो खाली लंड को ही अंदर डालना होता है, चोदने के लिए चूत होती है काकी।"

“देख हरामी, तू अगर मुझे फिर से चोदना चाहता है तो चूत चाट नहीं तो लंड पकड़ कर बाहर चला जा और अपनी माँ से गांड सटा के सो जा।” सुंदरी बोलते हुए विनोद को धक्का दे कर उठ गई। फिर कहा “देख, परम का लंड भी चूत के अंदर जाने को तैयार है, आज उसी से चुदवा लूंगी।” सुंदरी ने परम को पास बुलाया और उसका लंड पकड़ कर अपनी स्तनों से रगड़ने लगी।

"काकी, परम के बारे में मैंने किसी को भी बुर को चाटते नहीं देखा। बुर तो गंदा रहता है, चाटने से बीमारी हो जाएगी...तू समजती क्यों नहीं!"

"चुप! बहनचोद साला। चूत चटवाने में जो मजा औरत को आता है उतना मजा तो लंड से पेलवाने में भी नहीं आता है।" सुंदरी अब परम के लंड को अपनी चूत से रगड़ रही थी।

परम खुश हो गया था कि आज माँ उसके दोस्त के सामने हमसे चुदवायेगी। उसने माँ का चूची दबाते हुए कहा “विनोद तुमने देखा तो है, जब मैंने तुम्हारी माँ और दीदी की चूत चूसता हूँ तो दोनों कुतिया कितना मजा लेती है।”

सुंदरी ने फिर कहा "मादरचोद, जल्दी बोल। मेरी चूत को अंदर तक चाटेगा की मैं परम से पेलवा लू?"


विनोद अपने ढीले लंड को हाथ से रगड़ कर टाइट करने की कोशिश कर रहा था और उधर परम ने सुंदरी के क्लिट को जोर से मसला। “ओह्ह….. आह्ह…” सुंदरी चीख उठी। विनोद ने फैसला किया कि अब अगर थोड़ी भी देरी होगी तो परम उसके सामने सुंदरी को पेल डालेगा और सुंदरी भी उसकी मां और दीदी की तरह परम के लंड की गुलाम हो जाएगी। विनोद को क्या मालूम कि दोनो माँ-बेटे रोज चुदाई का मजा लेते हैं। विनोद ने सोचा कि परम जब उसकी माँ और दीदी की चूत चाटता है तो दोनो मादरचोद बहुत मजा लेती है और परम भी खूब मजा लेकर चूत का स्वाद पुरे अंदर से लेता है। विनोद ने फैसला किया कि क्यों ना चूत चाटने की शुरुआत सुंदरी के चूत से की जाए। क्या यह चूत भी स्वादिष्ट है और इस चूत से ज्यादा स्वादिष्ट कोई हो ही नहीं सकता। अगर चूत का स्वाद अच्छा लगेगा तो रात अपनी माँ और दीदी की चूत भी चाटेगा।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है
अब आगे देखते है की विनोद सुंदरी की चूत चाट के चुतरस लेता है या फिर.............छोड़ देता है..............सुंदरी का स्वाद भूल जाएगा.......!!!!!!!!!!
मेरे साथ बने रहिये
यह एपिसोड कैसा लगा आपकी राय जरुर दीजिये..........प्रतीक्षा:
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
 

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विनोद ने बिना कुछ बोले परम को थोडा बाजू हटा के उसकी चूत से लंड निकालवा दिया और सुंदरी को पीछे से दोनों स्तनों को पकड़ लिया और बिस्तर पर लेटा दिया। सुंदरी की दोनो टैंगो को फैला कर विनोद ने जीभ को क्लिट पर लगाया। विनोद को एक अजीब सी गंध और स्वाद लगा। उसने जोर-जोर से जीभ को चूत के चीरा पर रगड़ना शुरू किया और सुंदरी अपना चुतर उछालने लगी। विनोद की जीभ चूत पर चलते चलते चूत के छेड़ को पार कर के अंदर घुस गया और उसने पूरी जीभ चूत के अंदर पेल कर जीभ को चूत में घुमाने लगा। सुंदरी को बहुत मजा आ रहा था।

“अहह.. बेटेईईई… मजाआआ.. आ रहा है… आह..” सुंदरी मचल रही थी और खुद ही अपने हाथों से स्तनों को मसलने लगी। परम अपना तनतना हुआ लंड लेकर आगे बढ़ा और सुंदरी के होठों से लंड को लगा कर उसकी छातिया दबाने लगा। सुंदरी ने परम के लंड को अलग हटा दिया और कहा "तुम अभी बैठ कर मजा लो, बेटे अब उसने पैसा दिया है तो उसका हक पहले बनता है।"
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

“विनोद जब तुम्हारा लंड टाइट हो जायेगा तो बोलना।”

विनोद ने दोनों हाथो से सुंदरी के टांगो को बिल्कुल दूर फैला दिया था और अपना पूरा मुँह सुदरी की मस्त चूत में घुसाने की कोशिश कर रहा था। उसका नाक तो अंदर चला ही गया था। विनोद को अब धीरे-धीरे चूत का स्वाद बहुत अच्छा लगने लगा।

विनोद सुंदरी की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि विनोद अपना पूरा सिर बुर में घुसा देगा लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के नीचे नहीं जा सका। सुंदरी को भी बहुत मजा आ रहा था, इस से पहले उसका बेटा परम और सेठजी ने सुंदरी का चूत चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। क्यों की विनोद उसकी चूत चाट रहा था की खोद रहा था! वह जितना अन्दर जा सकता था पहुच गया था। एक तरीके से उसकी सही चुदाई हो रही थी जहा लंड लटक रहा था और जिब उसकी चूत को खोद रही थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

सुंदरी खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर विनोद को बता रही थी कि उस से खूब मजा आ रहा है। सुंदरी जोरो से 'आहह...' उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर विनोद के चूत चटाई का मजा मार रही थी, और विनोद को उकसा रही थी। सुंदरी को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को चूम लिया। अब सुंदरी को अपनी चूत दिख रही थी। विनोद कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अंदर डाल कर घुमा रहा था। साथ ही चूत के अंदर उंगली भी घुसा कर सुदरी के तन और मन दोनों को चूत खुदाई के द्वारा खुद ही मजा लेने लगा और सुदरी को भी स्वर्ग दिखाने की कोशिश करने लगा।

विनोद का लंड टाइट होने लगा था लेकिन विनोद की चुदाई के बारे में भूलकर चूत खाने में लगा हुआ था। पहली बार विनोद इस तरह चूत का मज़ा ले रहा था। इधर परम का लंड पूरा टाइट था, वो अपनी माँ के पास आया और उसकी बोबले को मसलने लगा साथ ही अपना टाइट लंड को सुंदरी के बदन पर रगड़ने लगा। कभी लंड को सुंदरी की जाँघों से रगड़ता था तो कभी मस्त बोबले को ही लंड से दबा रहा था।

सुंदरी पूरी मस्त हो गई थी और वो भी लंड को चूसना चाह रही थी। अब सुदरी का मुह भी किसी लंड से चुदवाने को तड़प रहा था, उसका मुह खुला था की दोनों लंड से कोई एक भी उसे भर दे, “विनोद अपना लंड मेरे मुँह में डालो।” उसने जोर से कहा लेकिन विनोद अपनी स्थिति बदलना नहीं चाहता था। चूत को चोदा और चाटता रहा। सुंदरी ने दो-तीन बार तड़प कर लंड को मुँह में डालने के लिए कहा, लेकिन विनोद ने नहीं सुना। सुंदरी ने तड़प कर बेटे परम का लंड पकड़ा और मुँह में गपाक लिया और खूब जोर-जोर से चबाने और चूसने लगी।

विनोद का लंड पूरा टाइट हो चुका था। फिर भी उसने चूत का स्वाद लेना बंद नहीं किया। तभी परम ने जोर से कहा “साला चूत चाटते-चाटते तेरा पानी फिर निकल जाएगा और चोद नहीं पाएगा। फिर मुज से फ़रियाद ना करना और पैसे वापस ना माँगना। मैंने सुदरी को चोदने के लिए दे दिया अब तू उसकी चूत चाटे या उसका भोसड़ा बनाये सब तेरी मर्जी है।”
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

सुंदरी ने भी परम की बात में हामी भरते हुए कहा: “बेटा विनोद, परम ठीक ही तो कहता है, मैंने मेरा माल दिखा दिया अब पैसे वसूलना तुम्हारा काम है बेटे, चोदो या चाटो! मेरे ख्याल से नंगे माल को चाट के चोदना ही बेहतर रहता है।”

इतना सुनना था कि विनोद ने सुंदरी की कमर को नीचे की ओर दबाया और कमर को जोरो से पकड़ कर लंड चूत में घुसेड़ दिया।

“अहह… धीरे” सुंदरी ने परम के लंड को मुँह से निकाला हुआ कहा।

विनोद ने परम को धक्का मार कर अलग किया और सुंदरी की चुची को दबाते हुए उसे चूमने लगा। सुंदरी को अपनी चूत का स्वाद मिला और वो भी विनोद को टांगो से जकड़ कर कमर उछाल कर विनोद के लंड के धक्के को चूत के गहराईया भरने लगी। सुंदरी को इतना मजा परम के साथ चुदाई में नहीं आया था ना ही सेठ की चुदाई में। सुंदरी ने चोदते हुए फैसला किया कि परम और सेठ का लंड तो खायेगी ही लेकिन विनोद से भी नियमित रूप से चुदवायेगी। विनोद खूब दम लगाकर चोद रहा था और सुंदरी भी पूरा साथ दे रही थी।

“आहहह… राजा… बहुत मजा…आआ… रहा है… मेरे माल (चूत) को चोदते रहो।

इस आह्वाहन से विनोद ने खुश होकर और जोर से धक्का मारा।

“आअहह………, धीरे….चूत फट जायेगी…” वह जानती थी की ऐसे टाइम कैसे बोला जाता है।

परम बिलकुल सट कर, खड़ा होकर अपनी माँ की चुदाई देख रहा था और साथ-साथ सुंदरी की चुचियो को मसल-मसल कर जवानी का मजा भी ले रहा था। चुदाई थमने का नाम नहीं ले रही थी, दोनों खूब जोश में एक दूसरे को बाहों में जकड़ कर चुदाई कर रहे थे।

चुदाई करते-करते सुंदरी थक गई और उसका पानी निकल गया। तुरत बाद विनोद ने भी चूत के अंदर ही पानी निकाल कर चूत को ठंडा कर दिया। सुंदरी ने विनोद के जांघों को अपनी जांघों से जकड़ रखा था और कुछ देर तक चुम्मा चाटी करने के बाद दोनों अलग हो गए।


इस एपिसोड के बारे में अपनी राय अवश्य देना प्लीज़ ..............
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
चलो विनोद पहली बार चुद चटाई का अनुभव ले लिया वो भी उसकी स्वप्न सुंदरी की रसिली चुद से
और उसके बाद जबरदस्त चुदाई का आनंद भी ले लिया सुंदरी की गदराई चुद का
 
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