चलिए आगे चलते है
सुन्दरी की चूत गीली थी, उसकी चूत अभी भी उसका चुतरस और विनोद का वीर्य धीरे धीरे बहार की ओर टपका रही थी। परम ने चूत को छुआ लेकिन सुंदरी ने उसका हाथ अलग कर दिया। विनोद को अपनी बाहों में लेकर चुमने लगी और फिर परम से दो गिलास गर्म दूध गुड़ के साथ लाने को कहा। करीब दस मिनट के बाद परम दूध लेकर आया तो देखा कि सुंदरी विनोद के गोद में बैठी है और विनोद उसकी चूत में फिंगरिंग कर रहा है और साथ में स्तनों को भी दबा रहा है। और कभी-कभी विनोद उसकी उंगलिया चाट के साफ़ करता रहा जिस से सब को यह पता चल रहा था की अब विनोद को चुतरस और मिक्स चुतरस दोनों पसंद आ गए है। दोनों ने वही पोजीशन में बैठे दूध पिया और फिर मस्ती करने लगे। परम ने टाइम देखा. 4.30 हो गए वे।मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना।
“मां, सेठजी के घर भी जाना है।” परम ने कहा।
"अरे अभी तो बहुत टाइम है, बेटे। एक बार और तुम्हारे दोस्त का लंड से चुदवाउंगी।" सुंदरी ने विनोद को चूमते हुए कहा और दोनों दूध पीने लगे। इधर परम सामने खड़ा होकर माँ की थानों को दबा कर अपना लंड उसकी चूत से रगड़ने लगा। “एक बार मुझसे भी चुदवा लो, माँ!”
सुंदरी ने चूत को लंड के ऊपर दबाया और कहा, “बेटा तुम्हें जो भी करना है कर लो लेकिन तेरा लंड चूत के अन्दर नहीं लेगी।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद को आंख मारी.. चूत के नीचे से विनोद का लंड चूत को रगड़ रहा था और ऊपर से बेटे का लंड चूत के स्लिट को खोल कर घुसाने की तैयारी कर रहा था। “बेटा, आज यह माल सिर्फ विनोद का है, विनोद ही चोदेगा बेटे! उसी ने तो यह माल ख़रीदा भी है और मेरा फर्ज है की लंड को पूरा निचोड़ कर भेजना चाहिए।
विनोद ने परम के लंड को चूत के नीचे दबाया और कहा, “अरे काकी, मैं तो अपनी मां और बहन दोनों को रोज चोदता हूं, परम भी खूब अच्छी चुदाई करता है, तुम भी बेटे से चुद जाओ।” इतना कहते-कहते विनोद ने परम के लंड को सुंदरी की चूत में घुसा दिया। परम ने भी धक्का मारा और पूरा लंड चूत के अन्दर चला गया। लेकिन सुंदरी तुरत खड़ी हो गई और घूम कर फिर विनोद के गोद में बैठ गई और बैठे-बैठे चूत को विनोद के लंड के ऊपर दबाया और धीरे-धीरे पूरा लंड चूत के नीचे गायब हो गया। सुंदरी उछल-उछल को चूत को लंड पर उठ बैठ रही थी। अबकी बार परम पीछे से माँ की बोब्लो को मसल-मसल कर अपने लंड को चूत से सटा दिया और दबाये रखा। सुंदरी चुदाई करते-करते विनोद से चिपक गई और उसकी गांड ऊपर उठ गइ।
चुदाई करते-करते सुन्दरी की गांड भी पानी हो गयी, उसकी गांड भी चुतरस पि पि के गीली हो गई थी। परम ने पीछे से स्तन को दबाए हुए अपने लंड गांड के छेद से सताया और लंड को दबाने लगा। सुंदरी और जोर से विनोद से चिपक गये। परम ने और जोर से लंड को अंदर दबाया और करीब दो इंच लंड सुंदरी के गांड के अंदर घुस गया। अब क्या था, सामने से विनोद का लंड चूत को चोदे जा रहा था और पीछे से परम आ लंड उसकी गांड की खबर ले रहा था। दोनों के लंड एक बार बहार आते और फिर अपने अपने गंतव्य में अद्रश्य हो जाते।
“मत करो बेटा, दर्द कर रहा है और सुंदरी ने पीछे हाथ बढ़ा कर परम का लंड गांड से बाहर निकाल दिया और फिर लंड से उठ गयी और जमीन पर फ्लैट लेट गयी। ”विनोद जल्दी से चोद कर पानी निकाल दो।" विनोद तो तैयार था ही, फटा-फट सुंदरी की टैंगो तो फैलाया और बीच में बैठ कर लंड को चूत के छेद में घुसाया और जोर से धक्का मारा। दो-तीन धक्के में पूरा लंड चला गया। विनोद जोर-जोर से धक्का मारने लगा। सुंदरी का खून गरम हो गया था। उसके शरीर में हाई वोल्टेज का करंट दौड़ रहा था। विनोद धका-धक धक्का मार रहा था और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ गये। मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना।
दोनो ठंडे हुए तो सुंदरी ने बाथरूम जाकर मुंह हाथ धोया और फटा-फट साड़ी ब्लाउज पहन लिया। विनोद भी कपडे पहन कर तैयार हो गया। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, परम ने दरवाजा खोला, महक खड़ी थी। महक परम से चिपकना चाहती थी लेकिन परम अलग हट गया। महक ने विनोद को देखा।
"क्या भैया, आज इतने दिनों के बाद हमारी याद आयी है।" महक ने कहा।
विनोद ने देखा कि महक भी अपनी मां सुंदरी की तरह पूरी जवान हो गई है और उसके मन में ख्याल आया कि क्या महक को भी चोदने में सुंदरी जैसा मजा आएगा! लेकिन? विनोद ने फटाहट दिमाग से महक को चोदने का ख्याल हटाया और कहा,
"अरे महक, काम में इतना बिजी रहता हूं कि टाइम नहीं मिलता है।" उसने महक के गालों को थपथपाया और कहा “अब जल्दी-जल्दी मिलने आऊंगा।“ कुछ देर बातें करने के बाद विनोद चला गया। महक को भी विनोद अच्छा लगा।
काफी समय के बाद मिलना हुआ था, इस से पहले सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था लेकिन अब वो चूत लंड के बारे में सब जानती है। विनोद के लंड के बारे में सोचने लगी, उसने सोचा कि क्या विनोद अपना लंड से खेलने देगा! महक ने फैसला किया कि मौका मिलने पर विनोद को अपनी जवानी का मजा देगी। थोड़ी देर के बाद परम सुंदरी के साथ घर से बाहर निकला तो महक ने परम से कहा, “भैया देर मत करना, आज एक दूसरी माल आएगी तुम्हारा लंड खाने के लिए।”
दोनो निकल गए और महक नंगी होकर विनोद के लंड के बारे में सोचती हुई घर का काम करने लगी।
सुंदरी विनोद का लंड खा कर बहुत खुश थी। जब पहली बार प्रवेश करने पर वह तुरंत डिस्चार्ज हो गया तो उसे बहुत दुख हुआ लेकिन वह जानती थी कि यह उसे चोदने के लिए उसकी अत्यधिक उत्सुकता और उत्तेजना के कारण था। और वह सही थी, दूसरी बार की चुदाई मे विनोद ने उसकी चूत का भरता बना डाला। इतनी देर तक मुनीम ने कभी नहीं छोड़ा था ना ही परम भी विनोद जैसा चुदाई कर पाया था। फिर उसने सोचा की बेटे के सामने उसके दोस्त से चुदवाना से विनोद में काफी जोर आया की वह उसके दोस्त की माँ को उसी के सामने चोद रहा है, तो स्वाभाविक है ज्यादा जोर लगाके चूट को मारेगा, खेर जो भी हो मुझे तो मजा आई और आइन्दा से वह विनोद के लिए अपना प्रवेशद्वार खुला रखेगी। वैसे भी अब मुझे तो लंड से लगन है फिर बेटा हो या बेटे का दोस्त या जमाई कोई भी हो मेरी चूत को भरनेवाला चाहिए। और वह खुद पर और उसके माल पर गर्व करती रही।
मैत्री और फनलव से अनुवादित रचना।
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