हम तो आपके कहानी के साथ हमेशा से जुड़े हुए ही हैपिछले अपडेट से आगे.........छोटा है............
"इधर आ" उसने उसे बुलाया।
परम उसके पास गया। उसने अपना दाहिना हाथ पकड़ लिया और परम को आश्चर्य हुआ कि उसने अपना हाथ उसकी नंगी दरार पर रख दिया। उसने उसे दबाकर रखा और कहा,
“कसम खा, जो काम मैं बोलूंगी उसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।”
परम को उसके शरीर की कोमलता और गर्मी महसूस हुई। उसने स्तन पर दबाव बढ़ाया और अपना हाथ दाहिने स्तन के टीले की ओर बढ़ाया।
"कसम खाता हूं भाभी, किसी को नहीं बोलूंगा। लेकिन काम तो बताओ।"
उषा ने अपना हाथ परम के हाथ से हटा लिया और जैसे ही उसका हाथ आज़ाद हुआ उसने साहसपूर्वक भाभी के दाहिने स्तन को दबा दिया। उसने तुरंत उसका हाथ हटा दिया।
"क्या करता है, कोई देखेगा तो.." दोनों ने दरवाजे की ओर देखा।
कोई नहीं था! उषा ने फिर परम का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ कमरे के एक कोने की ओर खींच लिया। वे दरवाजे के ठीक पीछे खड़े थे। दोनो का दिल खूब जोर-जोर से गिर रहा था। परम का तो इस लिए कि भाभी की चुची को एक बार दबा चुका था और अब और मसल ने का मौका मिल गया। उषा इस लिए उत्साहित हैं कि वो जो परम से कहने वाली थी उसे बोलने में उसे शर्म आ रही थी। उषा अब बिलकुल परम के सामने खड़ी थी। दोनो के बीच मुश्किल से 6" का फासला था। अगर परम पैंट निकल कर खड़ा होता तो उसका लंड उषा के चूत से टकरा जाता। परम ने अपना दोनों हाथ साइड में रखा था। उषा ने हाथ बढ़ा कर परम के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा।
“तुम मेरे लिए पोंडी ला सकते हो?”
वह हकलायी और तुरंत परम की ओर पीठ करके मुड़ गयी। उसे इतनी शर्म महसूस हुई कि उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। ये सबसे अच्छा मौका था, परम ने धीरे-धीरे उसके हाथ उसकी कमर पर रख दिए और हाथों को उसके शरीर पर ऊपर धकेल दिया.. एक झटके में उसने अपने दोनों हाथ उषा के दोनों स्तनों पर रख दिए। उसने उन्हें कई बार दबाया। उषा की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में परम को बहुत मजा आया। उषा जैसी गुदाज़ चुची ना तो सुंदरी की थे ना तो किसी और औरत की जिसको उसने चोदा या दबाया था।
“छोड़ो ना, क्या कर रहे हो… कोई आ जायेगा।” उषा फुसफुसाई। और एक निमंत्रण के तौर पे कहा “चल साले चुटिया कही का, चोदु बन ने निकला है क्या।“
परम ने उसे अपने पास खींच लिया। अब पैंट के नीचे से परम का लंड उषा की गांड से रगड़ रहा था। साथ ही परम भाभी की चुचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे कि उसकी अपनी माल हो..
लेकिन उषा अलग हो गई और परम की तरफ घूम गई। उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोली,
“बेशरम, तुमको किसका डर नहीं लगता… भैया (उसका पति) देखते तो हाथ काट देते…”
परम ने फिर हाथ बढ़ा कर उषा को अपनी ओर खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूम लिया। उषा ने मुस्कुरा कर परम को धक्का दिया और बोली "मुझे रोज़ 'पोंदी' चाहिए।"
“तुम पोंडी किताब लेकर क्या करोगी.. वो तो हमारे जैसे लड़के पढ़ते हैं… तुम तो खुद ही पोंडी हो… सेक्स की पूरी और नई किताब.. जिसे पढ़ने में पूरी जिंदगी निकल जाएगी..”
परम ने फिर उषा की चुचियो को दबाया. “कल ले आऊंगा.. कोई सी, फोटो वाली या सिर्फ कहानी बाली”। उन्होंने पूछताछ की।
(आशा है कि हर कोई जानता है कि "पोंडी" का मतलब हार्डकोर सेक्स कहानियों और चित्रों वाली किताबें हैं)।
“तुम तो इसे दबा-दबा कर ढीला कर दोगे… मुझे कल नहीं, अभी चाहिए… बिना पोंडी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है… जल्दी से ले आओ।”
उषा ने उसे धक्का दिया और वह स्थान दिखाया जहां उसे उन पुस्तकों को रखना चाहिए और अगले दिन बदल लिए जाना चाहिए। और उसने उसे सलाह दी कि किताबें गंदी होनी चाहिए, सेक्सी और बेहद अश्लील... उसने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने किताबों के बारे में किसी को बताया तो वह उसे दोबारा छूने नहीं देगी और अपने पति को भी बता देगी कि उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की। उसने परम को कमरे से बाहर धकेल दिया।
परम बिना किसी से बात किए घर से बाहर निकल गया और लगभग मुख्य बाज़ार की ओर भागा। अंदर जो हुआ उससे वह बहुत खुश था। उसे पूरा भरोसा था कि जल्द ही वह सेठजी की बड़ी बहू को चोद पाएगा। उसका मुह चोदने को मिलेगा।
जुड़े रहिये इस कहानी के साथ और अपनी अमूल्य राय देना ना भूले प्लीज़ ....................
आपकी राय मुझे ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करती है.................
जी कहानी में नए केरेक्टर्स आते रहेंगे.........ताकि रीडर्स बोर ना हो जायेNice ek aur nayi entry
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गयापिछले अपडेट से आगे.........छोटा है............
"इधर आ" उसने उसे बुलाया।
परम उसके पास गया। उसने अपना दाहिना हाथ पकड़ लिया और परम को आश्चर्य हुआ कि उसने अपना हाथ उसकी नंगी दरार पर रख दिया। उसने उसे दबाकर रखा और कहा,
“कसम खा, जो काम मैं बोलूंगी उसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।”
परम को उसके शरीर की कोमलता और गर्मी महसूस हुई। उसने स्तन पर दबाव बढ़ाया और अपना हाथ दाहिने स्तन के टीले की ओर बढ़ाया।
"कसम खाता हूं भाभी, किसी को नहीं बोलूंगा। लेकिन काम तो बताओ।"
उषा ने अपना हाथ परम के हाथ से हटा लिया और जैसे ही उसका हाथ आज़ाद हुआ उसने साहसपूर्वक भाभी के दाहिने स्तन को दबा दिया। उसने तुरंत उसका हाथ हटा दिया।
"क्या करता है, कोई देखेगा तो.." दोनों ने दरवाजे की ओर देखा।
कोई नहीं था! उषा ने फिर परम का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ कमरे के एक कोने की ओर खींच लिया। वे दरवाजे के ठीक पीछे खड़े थे। दोनो का दिल खूब जोर-जोर से गिर रहा था। परम का तो इस लिए कि भाभी की चुची को एक बार दबा चुका था और अब और मसल ने का मौका मिल गया। उषा इस लिए उत्साहित हैं कि वो जो परम से कहने वाली थी उसे बोलने में उसे शर्म आ रही थी। उषा अब बिलकुल परम के सामने खड़ी थी। दोनो के बीच मुश्किल से 6" का फासला था। अगर परम पैंट निकल कर खड़ा होता तो उसका लंड उषा के चूत से टकरा जाता। परम ने अपना दोनों हाथ साइड में रखा था। उषा ने हाथ बढ़ा कर परम के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा।
“तुम मेरे लिए पोंडी ला सकते हो?”
वह हकलायी और तुरंत परम की ओर पीठ करके मुड़ गयी। उसे इतनी शर्म महसूस हुई कि उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। ये सबसे अच्छा मौका था, परम ने धीरे-धीरे उसके हाथ उसकी कमर पर रख दिए और हाथों को उसके शरीर पर ऊपर धकेल दिया.. एक झटके में उसने अपने दोनों हाथ उषा के दोनों स्तनों पर रख दिए। उसने उन्हें कई बार दबाया। उषा की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में परम को बहुत मजा आया। उषा जैसी गुदाज़ चुची ना तो सुंदरी की थे ना तो किसी और औरत की जिसको उसने चोदा या दबाया था।
“छोड़ो ना, क्या कर रहे हो… कोई आ जायेगा।” उषा फुसफुसाई। और एक निमंत्रण के तौर पे कहा “चल साले चुटिया कही का, चोदु बन ने निकला है क्या।“
परम ने उसे अपने पास खींच लिया। अब पैंट के नीचे से परम का लंड उषा की गांड से रगड़ रहा था। साथ ही परम भाभी की चुचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे कि उसकी अपनी माल हो..
लेकिन उषा अलग हो गई और परम की तरफ घूम गई। उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोली,
“बेशरम, तुमको किसका डर नहीं लगता… भैया (उसका पति) देखते तो हाथ काट देते…”
परम ने फिर हाथ बढ़ा कर उषा को अपनी ओर खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूम लिया। उषा ने मुस्कुरा कर परम को धक्का दिया और बोली "मुझे रोज़ 'पोंदी' चाहिए।"
“तुम पोंडी किताब लेकर क्या करोगी.. वो तो हमारे जैसे लड़के पढ़ते हैं… तुम तो खुद ही पोंडी हो… सेक्स की पूरी और नई किताब.. जिसे पढ़ने में पूरी जिंदगी निकल जाएगी..”
परम ने फिर उषा की चुचियो को दबाया. “कल ले आऊंगा.. कोई सी, फोटो वाली या सिर्फ कहानी बाली”। उन्होंने पूछताछ की।
(आशा है कि हर कोई जानता है कि "पोंडी" का मतलब हार्डकोर सेक्स कहानियों और चित्रों वाली किताबें हैं)।
“तुम तो इसे दबा-दबा कर ढीला कर दोगे… मुझे कल नहीं, अभी चाहिए… बिना पोंडी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है… जल्दी से ले आओ।”
उषा ने उसे धक्का दिया और वह स्थान दिखाया जहां उसे उन पुस्तकों को रखना चाहिए और अगले दिन बदल लिए जाना चाहिए। और उसने उसे सलाह दी कि किताबें गंदी होनी चाहिए, सेक्सी और बेहद अश्लील... उसने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने किताबों के बारे में किसी को बताया तो वह उसे दोबारा छूने नहीं देगी और अपने पति को भी बता देगी कि उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की। उसने परम को कमरे से बाहर धकेल दिया।
परम बिना किसी से बात किए घर से बाहर निकल गया और लगभग मुख्य बाज़ार की ओर भागा। अंदर जो हुआ उससे वह बहुत खुश था। उसे पूरा भरोसा था कि जल्द ही वह सेठजी की बड़ी बहू को चोद पाएगा। उसका मुह चोदने को मिलेगा।
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आपकी राय मुझे ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करती है.................
बहुत ही अच्छा प्रयास किया गया आपने ! और यह सही भी है स्वप्न सुंदरी को देख कर अच्छे अच्छे लोग फेल हो जाते हैं !जी sunoanuj जी थोडा सुस्पेंस रखा था........शायद आपको अच्छा लगा होगा......थैंक यु दोस्त ................
वैसे भी एक तो अपनी स्वप्न सुंदरी उसमे भी वोही सामने से कह रही हो, और दोस्त की माँ. कुल मिला के यह तो स्वाभाविक है ज्यादा उत्तेजित हो जाना यह मुझे लगता था सामान्य है इसलिए ऐसा जोड़ दिया.....जिस से थोडा सा वास्तविक लगे......प्रयास की सराहना करने के लिए धन्यावाद
बन गया परम का काम लाला की बहू पूरी तरह से ख़ुश करने को आतुर है परम को ।पिछले अपडेट से आगे.........छोटा है............
"इधर आ" उसने उसे बुलाया।
परम उसके पास गया। उसने अपना दाहिना हाथ पकड़ लिया और परम को आश्चर्य हुआ कि उसने अपना हाथ उसकी नंगी दरार पर रख दिया। उसने उसे दबाकर रखा और कहा,
“कसम खा, जो काम मैं बोलूंगी उसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।”
परम को उसके शरीर की कोमलता और गर्मी महसूस हुई। उसने स्तन पर दबाव बढ़ाया और अपना हाथ दाहिने स्तन के टीले की ओर बढ़ाया।
"कसम खाता हूं भाभी, किसी को नहीं बोलूंगा। लेकिन काम तो बताओ।"
उषा ने अपना हाथ परम के हाथ से हटा लिया और जैसे ही उसका हाथ आज़ाद हुआ उसने साहसपूर्वक भाभी के दाहिने स्तन को दबा दिया। उसने तुरंत उसका हाथ हटा दिया।
"क्या करता है, कोई देखेगा तो.." दोनों ने दरवाजे की ओर देखा।
कोई नहीं था! उषा ने फिर परम का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ कमरे के एक कोने की ओर खींच लिया। वे दरवाजे के ठीक पीछे खड़े थे। दोनो का दिल खूब जोर-जोर से गिर रहा था। परम का तो इस लिए कि भाभी की चुची को एक बार दबा चुका था और अब और मसल ने का मौका मिल गया। उषा इस लिए उत्साहित हैं कि वो जो परम से कहने वाली थी उसे बोलने में उसे शर्म आ रही थी। उषा अब बिलकुल परम के सामने खड़ी थी। दोनो के बीच मुश्किल से 6" का फासला था। अगर परम पैंट निकल कर खड़ा होता तो उसका लंड उषा के चूत से टकरा जाता। परम ने अपना दोनों हाथ साइड में रखा था। उषा ने हाथ बढ़ा कर परम के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा।
“तुम मेरे लिए पोंडी ला सकते हो?”
वह हकलायी और तुरंत परम की ओर पीठ करके मुड़ गयी। उसे इतनी शर्म महसूस हुई कि उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। ये सबसे अच्छा मौका था, परम ने धीरे-धीरे उसके हाथ उसकी कमर पर रख दिए और हाथों को उसके शरीर पर ऊपर धकेल दिया.. एक झटके में उसने अपने दोनों हाथ उषा के दोनों स्तनों पर रख दिए। उसने उन्हें कई बार दबाया। उषा की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में परम को बहुत मजा आया। उषा जैसी गुदाज़ चुची ना तो सुंदरी की थे ना तो किसी और औरत की जिसको उसने चोदा या दबाया था।
“छोड़ो ना, क्या कर रहे हो… कोई आ जायेगा।” उषा फुसफुसाई। और एक निमंत्रण के तौर पे कहा “चल साले चुटिया कही का, चोदु बन ने निकला है क्या।“
परम ने उसे अपने पास खींच लिया। अब पैंट के नीचे से परम का लंड उषा की गांड से रगड़ रहा था। साथ ही परम भाभी की चुचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे कि उसकी अपनी माल हो..
लेकिन उषा अलग हो गई और परम की तरफ घूम गई। उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोली,
“बेशरम, तुमको किसका डर नहीं लगता… भैया (उसका पति) देखते तो हाथ काट देते…”
परम ने फिर हाथ बढ़ा कर उषा को अपनी ओर खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूम लिया। उषा ने मुस्कुरा कर परम को धक्का दिया और बोली "मुझे रोज़ 'पोंदी' चाहिए।"
“तुम पोंडी किताब लेकर क्या करोगी.. वो तो हमारे जैसे लड़के पढ़ते हैं… तुम तो खुद ही पोंडी हो… सेक्स की पूरी और नई किताब.. जिसे पढ़ने में पूरी जिंदगी निकल जाएगी..”
परम ने फिर उषा की चुचियो को दबाया. “कल ले आऊंगा.. कोई सी, फोटो वाली या सिर्फ कहानी बाली”। उन्होंने पूछताछ की।
(आशा है कि हर कोई जानता है कि "पोंडी" का मतलब हार्डकोर सेक्स कहानियों और चित्रों वाली किताबें हैं)।
“तुम तो इसे दबा-दबा कर ढीला कर दोगे… मुझे कल नहीं, अभी चाहिए… बिना पोंडी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है… जल्दी से ले आओ।”
उषा ने उसे धक्का दिया और वह स्थान दिखाया जहां उसे उन पुस्तकों को रखना चाहिए और अगले दिन बदल लिए जाना चाहिए। और उसने उसे सलाह दी कि किताबें गंदी होनी चाहिए, सेक्सी और बेहद अश्लील... उसने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने किताबों के बारे में किसी को बताया तो वह उसे दोबारा छूने नहीं देगी और अपने पति को भी बता देगी कि उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की। उसने परम को कमरे से बाहर धकेल दिया।
परम बिना किसी से बात किए घर से बाहर निकल गया और लगभग मुख्य बाज़ार की ओर भागा। अंदर जो हुआ उससे वह बहुत खुश था। उसे पूरा भरोसा था कि जल्द ही वह सेठजी की बड़ी बहू को चोद पाएगा। उसका मुह चोदने को मिलेगा।
जुड़े रहिये इस कहानी के साथ और अपनी अमूल्य राय देना ना भूले प्लीज़ ....................
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