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“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“
बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।
******
अब आगे
“मस्त लोडा है पापा आपका तभी मम्मी (सुंदरी) कही किसी से नहीं चुद्वाती।“
“मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता बेटी, अगर तुम.....मेरे लंड का ध्यान रखो तो सुदरी को मैं मुक्त कर दूंगा।“
“मुक्त???? मतलब क्या है आपका पप्पा?”
“अरे बेटी, ऐसा कुछ नहीं जो तुमने समजा। मुक्त मतलब वह जहा चाहे जिस से चाहे चुदवा सकती है, हो सकता है मेरे सामने भी...”
“ओह्ह्ह तब तो ठीक है बाबूजी....लेकिन अभी नहीं...समय आने पर सब...हो.....गा...!”
महक ने मुनीम के लंड पर हाथ तो रखा फिर तुरंत अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा “आज तो बाबूजी ने मस्त चूत का मजा ले लिया अब और क्या चाहिए!! हो सकेगा तो मैं और चूत का बंदोबस्त कर दूंगी, लेकिन मैं अभी फिलहाल नहीं।“
“अरे बेटा, अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो तुम जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।“
“कर क्यों नहीं सकती बाबूजी! जरुर कर सकती हु और करुँगी भी, आखिर मेरे पापा के लंड को माल की कमी महसूस तो नहीं होनी चाहिए।“
“बेटे, अब तुम ही एक ऐसा माल हो, जिसको भी मिल जाए वह दुसरे माल की इच्छा ना रखे।“
बाबूजी, मस्का मारना तो बस, कोई आप से सीखे।“ उसकी नजर अभी भी बाबूजी के लंड पर थी।
महक ने मशकरी करते हुए आगे बोली:“और यह बाबूजी का प्यारा सा नन्हा सा खिलौना भी बहोत मस्का मारता होगा।“
पूनम बस इन दोनों की बाते सुनती रही।
पूनम को लगा की महक अगर उसके माल को दिखा दे तो मुनीम यानी की उसके पापा का लंड उसकी चूत में पूरा नहीं तो टहलने को तो चला जायगा। वैसे भी इस दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं जो उसके आँखों के सामने एक नन्ही सी चूत हो अरु उसका लंड खड़ा न हो और उस चूत के सैर करने को तैयार ना हो। फिर वह चाहे बाप हो या भाई। मर्द तो पहले मर्द है बाद में भाई-बाप या फिर मोई और रिश्तेदार। बस एक चूत के होल पर ही मर्द की दुनिया टिकी हुई होती है। छुट तैयार तो लंड किसी का भी हो खड़ा हो के छुट मारने को बेताब हो ही जाता है। उसे अपने माल पर गर्व हुआ। भगवान् तेरा बहोत बहोत धन्यवाद की मुझे चूत दी है, उस माल के जरिये मैं बहोत लंडो को उनके पेंट में ही झाड सकती हु।
“बस, बेटी, अब बस कर मुझे अब निचे तकलीफ हो रही है। मैं ज्यादा सहन नहीं कर पाऊंगा।“ महक भी तो वही चाहती थी। वह अपने बाप के सुपारे पे अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार थी। वह अब उस सुपारे को अपने अन्दर समाना चाहती थी। शायद अगर पूनम ना होती तो......अबतक यह सुपारा उसके अन्दर होता। और लंड को पूरा का पूरा खाली कर देती।
“अरे पापा अब उसे क्यों तंग कर रहे हो, पूनम का माल का उद्घाटन तो आपने कर ही दिया। उसकी परी को अब खूब लंड लेने के लिए मुक्त कर दिया।“ महक अपने बाबूजी को ज्यादा से ज्यादा उकसाने के प्रयास में थी। वह चाहती थी की एक बार फिर से पूनम की चूत की खबर अपने पापा का लंड से ले ली जाए। और वह यही प्रयास में थी की मुनीम बस एक बार फिर से पूनम की चूत में अपना लंड खाली कर दे। आये मौके को गवाना नहीं चाहिए।
मुनीम भी एक मौके की तलाश में था की पूनम थोडा सा आगे पीछे जाए तो महक को दबोच ले। वैसे भी वह थोडा डर रहा था। और अगर महक को गुस्सा आ गया तो पूनम को फिर से उसके लोडे के निचे आने नहीं देगी। और यह भी हो सकता है की आगे जाके जो महक ने कहा की वह नयी चूत का बंदोबस्त करेगी वह भी नहीं करेगी। नुकशान उसीका होगा। वह बड़े संयम के साथ वही खड़ा रहा। वैसे वह भी चाहता था की उसका लंड खड़ा रहे। लेकिन पूनम के जाने के राह देख रहा था। मुनीम के लिए हर एक पल एक दिनके बराबर होता जा रहा था।
उधर महक अपने निशाने को खली नहीं जाने दे रही थी, वह बार बार बाप को उक्साके उसका लंड खड़ा रखने की कोशिश में थी। हलाकि वह खुद भी अब इतनी गरम हो चुकी थी की अगर पूनम वह ना होती तो अच्छा था किवः अपने बाप को लुट लेती। उसके सुपारे को चूस देती। उसको अब परम से ज्यादा अपने बाप का लंड से प्रेम हो गया था। वह सोच थी की जो दर्द पूनम को हुआ वैसा ही दर्द मुनीम का लंड अपनी चूत में समा के वही दर्द को महसूस करना चाहती थी। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है।
एक तरीके से यह ट्राएंगल सा बन गया था। पूनम चाहती थी की उसके सामने महक के बाप का लंड महक की चूत को रोंद डाले जैसे उसकी चूत का हाल हुआ। तो दूसरी तरफ महक चाहती थी की पूनम अब जाए तो वह अपने बाप के लंड पर बैठ जाए। तो मुनीम का तो ठिकाना ही नहीं था वह तो दोनों को साथ में चोदना चाहता था लेकिन सब से पहले महक की चूत को मारना चाहता था ताकि उसके लिए बाकी सभी रस्ते खुल जाए और घर में ही एक जवान चूत का मजा मिल सके और वह भी कभी भी। तीनो अपनी अपनी सोच में डूबे थे।
बने रहिये और इस एपिसोड के लिए अपनी राय, मंतव्य दे................
बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।
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अब आगे
“मस्त लोडा है पापा आपका तभी मम्मी (सुंदरी) कही किसी से नहीं चुद्वाती।“
“मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता बेटी, अगर तुम.....मेरे लंड का ध्यान रखो तो सुदरी को मैं मुक्त कर दूंगा।“
“मुक्त???? मतलब क्या है आपका पप्पा?”
“अरे बेटी, ऐसा कुछ नहीं जो तुमने समजा। मुक्त मतलब वह जहा चाहे जिस से चाहे चुदवा सकती है, हो सकता है मेरे सामने भी...”
“ओह्ह्ह तब तो ठीक है बाबूजी....लेकिन अभी नहीं...समय आने पर सब...हो.....गा...!”
महक ने मुनीम के लंड पर हाथ तो रखा फिर तुरंत अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा “आज तो बाबूजी ने मस्त चूत का मजा ले लिया अब और क्या चाहिए!! हो सकेगा तो मैं और चूत का बंदोबस्त कर दूंगी, लेकिन मैं अभी फिलहाल नहीं।“
“अरे बेटा, अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो तुम जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।“
“कर क्यों नहीं सकती बाबूजी! जरुर कर सकती हु और करुँगी भी, आखिर मेरे पापा के लंड को माल की कमी महसूस तो नहीं होनी चाहिए।“
“बेटे, अब तुम ही एक ऐसा माल हो, जिसको भी मिल जाए वह दुसरे माल की इच्छा ना रखे।“
बाबूजी, मस्का मारना तो बस, कोई आप से सीखे।“ उसकी नजर अभी भी बाबूजी के लंड पर थी।
महक ने मशकरी करते हुए आगे बोली:“और यह बाबूजी का प्यारा सा नन्हा सा खिलौना भी बहोत मस्का मारता होगा।“
पूनम बस इन दोनों की बाते सुनती रही।
पूनम को लगा की महक अगर उसके माल को दिखा दे तो मुनीम यानी की उसके पापा का लंड उसकी चूत में पूरा नहीं तो टहलने को तो चला जायगा। वैसे भी इस दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं जो उसके आँखों के सामने एक नन्ही सी चूत हो अरु उसका लंड खड़ा न हो और उस चूत के सैर करने को तैयार ना हो। फिर वह चाहे बाप हो या भाई। मर्द तो पहले मर्द है बाद में भाई-बाप या फिर मोई और रिश्तेदार। बस एक चूत के होल पर ही मर्द की दुनिया टिकी हुई होती है। छुट तैयार तो लंड किसी का भी हो खड़ा हो के छुट मारने को बेताब हो ही जाता है। उसे अपने माल पर गर्व हुआ। भगवान् तेरा बहोत बहोत धन्यवाद की मुझे चूत दी है, उस माल के जरिये मैं बहोत लंडो को उनके पेंट में ही झाड सकती हु।
“बस, बेटी, अब बस कर मुझे अब निचे तकलीफ हो रही है। मैं ज्यादा सहन नहीं कर पाऊंगा।“ महक भी तो वही चाहती थी। वह अपने बाप के सुपारे पे अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार थी। वह अब उस सुपारे को अपने अन्दर समाना चाहती थी। शायद अगर पूनम ना होती तो......अबतक यह सुपारा उसके अन्दर होता। और लंड को पूरा का पूरा खाली कर देती।
“अरे पापा अब उसे क्यों तंग कर रहे हो, पूनम का माल का उद्घाटन तो आपने कर ही दिया। उसकी परी को अब खूब लंड लेने के लिए मुक्त कर दिया।“ महक अपने बाबूजी को ज्यादा से ज्यादा उकसाने के प्रयास में थी। वह चाहती थी की एक बार फिर से पूनम की चूत की खबर अपने पापा का लंड से ले ली जाए। और वह यही प्रयास में थी की मुनीम बस एक बार फिर से पूनम की चूत में अपना लंड खाली कर दे। आये मौके को गवाना नहीं चाहिए।
मुनीम भी एक मौके की तलाश में था की पूनम थोडा सा आगे पीछे जाए तो महक को दबोच ले। वैसे भी वह थोडा डर रहा था। और अगर महक को गुस्सा आ गया तो पूनम को फिर से उसके लोडे के निचे आने नहीं देगी। और यह भी हो सकता है की आगे जाके जो महक ने कहा की वह नयी चूत का बंदोबस्त करेगी वह भी नहीं करेगी। नुकशान उसीका होगा। वह बड़े संयम के साथ वही खड़ा रहा। वैसे वह भी चाहता था की उसका लंड खड़ा रहे। लेकिन पूनम के जाने के राह देख रहा था। मुनीम के लिए हर एक पल एक दिनके बराबर होता जा रहा था।
उधर महक अपने निशाने को खली नहीं जाने दे रही थी, वह बार बार बाप को उक्साके उसका लंड खड़ा रखने की कोशिश में थी। हलाकि वह खुद भी अब इतनी गरम हो चुकी थी की अगर पूनम वह ना होती तो अच्छा था किवः अपने बाप को लुट लेती। उसके सुपारे को चूस देती। उसको अब परम से ज्यादा अपने बाप का लंड से प्रेम हो गया था। वह सोच थी की जो दर्द पूनम को हुआ वैसा ही दर्द मुनीम का लंड अपनी चूत में समा के वही दर्द को महसूस करना चाहती थी। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है।
एक तरीके से यह ट्राएंगल सा बन गया था। पूनम चाहती थी की उसके सामने महक के बाप का लंड महक की चूत को रोंद डाले जैसे उसकी चूत का हाल हुआ। तो दूसरी तरफ महक चाहती थी की पूनम अब जाए तो वह अपने बाप के लंड पर बैठ जाए। तो मुनीम का तो ठिकाना ही नहीं था वह तो दोनों को साथ में चोदना चाहता था लेकिन सब से पहले महक की चूत को मारना चाहता था ताकि उसके लिए बाकी सभी रस्ते खुल जाए और घर में ही एक जवान चूत का मजा मिल सके और वह भी कभी भी। तीनो अपनी अपनी सोच में डूबे थे।
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