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Jaroor dostबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अंकित और सुगंधा के बीच अश्लील किताब की कहानी का सार पकड कर जो मादक वार्तालाप हो रहा हैं उसका वर्णन बडा ही खतरनाक हैं
उसी वार्तालाप के सहारे दोनों माँ बेटे का मिलन होना अब पक्का हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
भाई धमका जोरदार होना चाहिए.....धमके के नाम पे फुलझड़ी मत देना भाई यार
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअंकित का यह कहना कि उसे समय उसने ठीक से देखा नहीं था यह बात सुगंधा के तन बदल मदहोशी का रस घोल रही थी,,,,उसे साफ एहसास हो रहा था कि उसका बेटा कितना झूठ बोल रहा था अगर उसे बर के आकार के बारे में भूगोल के बारे में पता ना होता तो वह परखनली को सीधे-सीधे उसकी बुर की गुलाबी छेद पर कैसे रख पाता जहां से पेशाब निकलती है,,, लेकिन फिर भीअपने बेटे का यह झूठ उसे अच्छा लग रहा था क्योंकि इससे नए सिरे से शुरुआत करने का मौका जो मिल रहा था,,,एक बार फिर से दोनों के बीच खामोशी छा चुकी थी आधी रात का समय गुजर चुका था और दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि जिस तरह के हालात दोनों के बीच पैदा हो रहे थे उसे देखते हुए दोनों को इस बात का अंदाज़ हो रहा था कि आगे चलकर दोनों के बीच कुछ ना कुछ होने वाला है इसलिए दोनों एक दूसरे की बातों में मग्न होकर मदहोश हुए जा रहे थे।
अंकित अपने आप को दुनिया का सबसे भाग्यशाली बेटा समझ रहा था क्योंकि उसके साथ उसकी मां एकदम गंदे शब्दों में बात कर रही थी गंदी बातें कर रही थी ऐसी बातें जो लड़के लड़के आपस में किया करते हैं,,,, इस तरह की बातें अक्सर अंकित के दोस्त आपस में किया करते थे जिसका हिस्सा खुद अंकित होता था उसे दिन सब बातों में मजा आता था शुरू-शुरू मेंजब कोई उसे मां की गाली देता था या उसकी मां के बारे में कोई अप शब्द कहता था तो उसे बहुत बुरा लगता था और अंकित तुरंतउससे मारपीट कर लेता था क्योंकि वह अपनी मां के बारे में कभी भी इस तरह के गंदे शब्दों को सुनने के लिए तैयार नहीं था लेकिन धीरे-धीरे दोस्तों की संगत में खास करके राहुल की संगत में वहबिगड़ने लगा था उसे इस तरह की बातें अच्छी लगने लगी थी और जिस तरह का माहौल घर में बनता जा रहा था उसे देखते हुए वाहन धीरे-धीरे बिगड़ने लगा था औरतों की तरफ आकर्षित होने लगा थाखास करके अपनी मां के तरफ उसका आकर्षण कुछ ज्यादा ही बढ़ता जा रहा था भले ही वह उसकी सगी मां की लेकिनजिस तरह से अंकित का नजरिया बदलने लगा था उसमें उसे अपनी मन नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवानी से भरी हुई औरत नजर आती थी जिसे पाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था । इसीलिए तोआधी रात का समय हो चुका था लेकिन फिर भी उसकी आंख में नींद तक नहीं थी वह जाग रहा था अपनी मां का साथ दे रहा था उसकी बातों का जवाब दे रहा था और जवाब भी और सवाल भी पूरी तरह से अश्लीलजिसका जवाब देने में भी अंकित को मजा रहा था और खुद उसकी मां को ऐसे सवाल पूछने में मजा आ रहा था,,,
सुगंधा की बुर पूरी तरह से पनिया चुकी ऐसे ऐसे सवाल उसके जेहन में गूंज रहे थे जिसे पूछते हुए उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी सवालों का सिलसिला काम नहीं हो रहा था और अपने बेटे का जवाब सुनकर वह मदहोशी के सागर में डुबकी लगा रही थी,,, उम्र के इस दौड़ में उसकी पूरी इतना पानी छोड़ रही थी इतना तो वह जवानीके दौर में भी पानी नहीं छोड़ी थी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था और इसीलिए तो वह आश्चर्यचकित थी,,, अपने स्कूल में ही वह वह अपने ही साथी शिक्षक के मुंह से सुन चुकी थी जो कि वह लोग आपस में बात कर रहे थे सुगंधा वहां मौजूद नहीं थी और वहकमरे से गुजर रही थी तो अंदर से बहुत टहाको की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर वह रुक गई थी,,, और कान लगाकर सुनने की कोशिश कर रही थी तो जो बातें उसने सुनी उसे सुनकर वह एकदम से सन्न रह गई थी,,,क्योंकि अंदर से आवाज आ रही थी कि 40 की उम्र में औरत इतनी जवानी से भर जाती है कि रात भर उसकी बुर में लंड डालकर चोदते रहो फिर भी उसकी प्यास बुझने वाली नहीं रहती तभी तो40 की उम्र में अपने पति से उसे वह सुख नहीं मिल पाता इसलिए वह जवान लड़कों को पसंद करती है और उनके जवान लंड को अपनी बुर में लेकर अपना पानी निकालती है उसके इस बात से बाकी के लोग भी सहमत नजर आ रहे थे और जोर-जोर से हंस रहे थे,,, और हैरानी की बात यह थी की सुगंधा ऐसे शख्स के मुंह से ही सब बातों को सुन रही थी जिसे वह चरित्र का धनी समझते थे लेकिन उसे दिन से वह इंसान सुगंधा की नजर से एकदम से उतर गया था और वह उससे दूरी बनाने लग गई थी।
पहले सुगंधा उसे इंसान को बहुत अच्छा इंसान समझने की चरित्र का धनी समझती थी क्योंकि अक्सर वह सुगंधा के साथ सभ्यता से पेश आता था इसलिए उसके सानिध्य में उसके साथ रहकर सुगंधा को कभी भी असहज महसूस नहीं हुआ था लेकिन उसे दिन अनजाने में ही उसका सारा भरम टूट चुका था क्योंकि औरतों की बढ़ती उम्र के साथ उनकी कामवासना बढ़ जाती है इस बात को तो वह सुनकर हैरानी थी लेकिन आगे की जो बात उसने अपने कानों से सुनी,,, उसे सुनकर तोउसे ऐसा लग रहा था कि इसी समय जमीन फट जाए और वह जमीन के अंदर समा जाए क्योंकि वह जो कुछ भी सुनी थी वह अपने बारे में सुनी थी और उसी इंसान से सुनी थी जिसे वह एकदम सभ्य इंसान समझती थी,,, एक तो वह उम्र में भी उससे बड़ा था इस तरह से वह उसे मन में अपने बड़े भाई का दर्जा देती पर उसके मुंह से अपने लिए गंदी बात सुनकर उसके होश उड़ गए थे वह कह रहा था कि अपने पूरे स्टाफ में सबसे ज्यादा खूबसूरत और जवानी से भरी हुई सुगंधा है,,,, उसकी गदराई गांड देख कर तो मेरा लंड हमेशा खड़ा हो जाता है,,,जैसे ही यह शब्द सुगंधा के कान में पड़े थे उसे तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई पिघलता हुआ शीशा उसके कानों में डाल रहा हो उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,, वह दरवाजा खोलकर रूम में घुस जाना चाहती थी और दो चार थप्पड़ उसके गाल पर लगा देना चाहती थी,,,,
लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हुई लेकिन फिर उसे सभ्य इंसान का साथ देते हुए दूसरा बोल पड़ा,,,।
तुम सही कह रहे हो मेरी भी यही हालत होती है मैंने तो न जाने कितनी बार उसके बारे में कल्पना करके मुठ भी मारा है,,,,।
मैं हमेशा सही कहता हूं कसम से बहुत किस्मत वालों को ऐसी औरत चोदने को मिलती हैलेकिन शायद उसके पति के किस्मत में भी ज्यादा दिन तक उसकी बुर चोदने के लिए नहीं लिखा था,,,,अगर मुझे मौका मिल जाए तो मैं तो रात भर उसकी बुर में लंड डालकर पड़ा रहुं,,,,उफफफ,,, एेसी बेलगाम घोड़ी को चोदने में कितना मजा आएगा,,,,, इससे ज्यादा सुगंधा सुन नहीं सकी,,, और भारी मन से वह आगे कदम बढ़ा दीदिन भर उसका मन स्कूल में नहीं लग रहा था घर पर आकर भर रोने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा है इतना अच्छा इंसान समझती थी वही उसके बारे में इतनी गंदी धारणा रखता है,,,, इस बात से वह काफी परेशान हो गई थी और तकरीबनइस सब में से निकलने के लिए उसे 15 20 दिन जैसे लग गए थे,,, लेकिन यह सब की बात थी जब वह पूरी तरह से मर्यादा से बंधी हुई थी,,, संस्कारी थी उसके मन में गलत भावना ने कदम नहीं रखा था। लेकिन इस समय उसे बात को याद करके उसे उस इंसान की बातें सच लगने लगी थी,,,अपनी हालत पर गौर करके उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि वाकई में वह कितनी जवानी से भरी हुई हैकुछ इस तरह का उसके भजन में मदहोशी जा रही है उसे देखते हुए उसे पूरा यकीन था कि अगर उसकी बुर में मोटा सा बड़ा लंड रात भर उसकी चुदाई करें तो वह रात भर चुदवाती रहे,,,
जिस बात को लेकर वह काफी दिन तक परेशान थी आज इस बात को याद करके उसे अपने आप पर गर्व महसुस होता था,,,उसे अब अच्छा लगता था कि लोग उसे प्यासी नजर से देखते हैं गंदी नजर से देखते हैं उसके साथ रात भर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं और उसके बारे में कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर काम चलाते हैं,,, इस उम्र में भी मर्द उसकी तरफ आकर्षित होते हैं जवान लड़के उसकी तरफ आकर्षित होते हैं यह सब उसके लिए गर्व महसूस करने वाली बात थी,,,,,, सुगंधा को आज की रात बेहद रोमांचक लग रही थी क्योंकि आज दोनों के बीच में एकदम अश्लील और खुले शब्दों में बात हो रही थीसुगंधा इससे पहले बुर लंड गांड जैसे शब्दों का प्रयोग खुले तौर पर नहीं की थी और ना ही इस तरह का शब्दों का प्रयोग करके कभी अपनी सहेलियों से बातें करती थी लेकिन आज अपने बेटे के साथ इस तरह की बातें करके उसकी बुर पनडुब्बी बन चुकी थी।
दोनों के बीच की खामोशी को सुगंधा खुद तोड़ते हुए बोली।
हो सकता है तो सही कह रहा हैलेकिन किसी मर्द को खास करके तेरे जैसे जवान लड़के को ऐसा मौका मिलेगा तो वह अंगों को देखने के लालच को रोक नहीं पाएगा क्योंकि तू अच्छी तरह से जानता है कि एक जवान होते लड़के के लिए औरत का नंगा बदन कितना मायने रखता है और खास करके उसे देखने के लिए तो वह हमेशा तड़पता रहता है,,,,
हो सकता है तुम सच कह रही हो लेकिन उस समय के हालात कुछ और थे,,, मेरे लिए तुम्हारा स्वास्थ्य ही सर्वोपरि था और जिस तरह के हालात थे तुम शायद ठीक तरह से परिचित नहीं थी कि तुम्हें होश तक नहीं था मुझे तो डर लग रहा था कि कहीं कुछ गंभीर बीमारी तो नहीं हो रही हैइसलिए मैं घबराया हुआ था और आनन फानन में बाथरूम में जाना पड़ा था क्योंकि तुम्हें तो खड़े होने का होश नहीं था तो तुम कैसे यूरिन का सेंपल दे पाती,,,,,, सब कुछ इतनी जल्दी-जल्दी हुआ था कि मैं कुछ भी ठीक से देखा नहीं पाया था इसलिए मैं सच कह रहा हूं कि नाम सुना हूं लेकिन देख नहीं पाया हूं,,,,।
तेरी बातों से तो लग रहा है कि देखने की इच्छा कुछ ज्यादा ही है तेरे मन में,,,।
नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था तुम पूछ रही थी तो मैं बता रहा हूं,,,,(ऐसा कहते हुए भी अंकित के मन में चल रहा था की खास उसकी मां उसके मन की बात जान जाती और इस समय अपनी साड़ी उठाकर अपनी बुर के दर्शन करा देती तो मजा आ जाता,,,,, सुगंधा अपने बेटे की बात सुनकर बोली)
कोई बात नहीं मैं अच्छी तरह से जानती हूं तेरी उम्र के लड़कों की चाहत यही होती है औरतों के अंगों को देखना,,,,
लेकिन मैं दूसरों की तरह नहीं हूं,,,,
वह तो मैं जानती हूं वरना तु कह ना देता कि अभी मुझे दिखा दो,,,,,,,(ऐसा कहकर वह अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी,,,बार-बार उसकी नजर अपने बेटे के पेंट में बने तंबू पर चली जा रही थी और उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसके बेटे की क्या हालत हो रही होगी। उसे पूरा यकीन था क्या करें समय को अपने बेटे को बोल दे की चल सब कुछ भूल जा कि तेरे सामने कौन है,,, तु यह भी भुल जा की तेरे सामने तेरी मां है,,, इतना कहकर अगर टांगे खोल दु तो निश्चित तौर पर वह बिना कुछ सोचे समझे अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर देगा,,,, और ऐसा सोचकर वह गहरी सांस लेने लगी,,,, फिर कुछ देर तक सोचने के बाद वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
अच्छा आगे उस बेटे ने क्या किया अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर,,,,
उसके आगे कहां पढ पाया था,,, पढ़ा होता तो ना पता चलता कि उसके आगे उसने क्या किया,,,,।
अच्छा चल तू ही बता कि उसके आगे उसने क्या किया होगा,,,,।
ऊममममम,(कुछ देर सोचने के बाद,,,,अपनी मां का यह सवाल सुनकर उसके मन में भी बहुत कुछ चलने लगा था यहां पर उसे अच्छी तरह से मौका मिल चुका था अपने मन की बात बताने के लिए एक बेटे के मन में अपनी मां को उसे अवस्था में देखकर कैसे-कैसे विचार आते हैं उसे विचार को अपनी मां के सामने रखने के लिए और इसी के जरिए उसके मन में भी क्या चल रहा है यह बताने के लिए इससे अच्छा मौका नहीं था इसलिए वह बोला,,,) मेरे ख्याल से तो जिस तरह की अवस्था बनी हुई थी जिस तरह से वह लड़का अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर उत्तेजित हो गया था उसे देखते हुए वह लड़का भी बाथरुम में प्रवेश कर गया होगा,,,,।
अगर ऐसा हुआ होगा तब उसकी मां उसे बाथरूम में देखकर क्या कही होगी क्या सोच रही होगी अपने बेटे की हरकत पर यह भी बता,,,,,।
कर क्या रही होगी लड़का तो पहले से ही अपनी मां को उसे अवस्था में देखकर मस्त हो गया थाऔर उसके मन में अपनी मां के साथ कुछ गलत करने का विचार भी आ रहा था जिसके चलते वह अपने आप को रोक नहीं पाया होगा और बाथरूम में चला गया होगा और पीछे से शायद वह भी अपनी मां की तरह ही बैठकर अपने लंड को,,,,(अंकित इस बार बेझिझक लंड शब्द का प्रयोग कर दिया था जिसे सुनकर सुगंधा की भी हालत खराब हो गई थी,,,) बाहर निकाल कर अपनी मां की गांड से सटा दिया होगा,,,,.
(अंकित किस तरह की बातें सुगंधा के तन बदन में आग लग रही थी खास करके उसके गुलाबी छेड़ दे मैं तो जवानी के रस का उबाल आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कह क्या करेंवैसे तो यहां पर उसे ऐसा ही लग रहा था कि कुछ कहने की जरूरत नहीं थी बल्कि कुछ करने की जरूरत थी लेकिन फिर भी अपने आप को स्वस्थ करके अपने बेटे का जवाब देते हुए बोली)
इसके बाद उसकी मां क्या की होगी इसका कुछ अंदाजा है,,,,।
( अब अपनी मां के ईस सवाल पर वहअपनी मां का राय जानना चाहता था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह इसका बेहद सीधा-साधा जवाब देते हुए बोला।)
करना क्याअपने बेटे की हरकत पर वह गुस्सा आ गई होगी और अपने बेटे के गाल पर दो-चार थप्पड़ रसीद कर दी होगी,,,,,।
(अपने बेटे की बात पर सुगंधा मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए अपनी राय रखते हुए बोली,,,)
ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां अपने बेटे की हरकत से एकदम से घबरा गई होगी लेकिन अपने बेटे की हरकत से मस्त भी हो गई होगी,,,।
ऐसा क्यों उसे तो गुस्सा आना चाहिए ना,,,!
यह तो हालात पर निर्भर रखता है,,,,जरा दिमाग लगाकर सो ऐसा भी तो हो सकता है कि घर में केवल मां बेटे ही रहते हो,,,(सुगंधा अपनी बातों में अपने मन की मंशा बता रही थीवह अपने बेटे को जताना चाहती थी की मां बेटे के बीच कितना कुछ हो सकता है एकांत पाकर एक दूसरे की जरूरत को देखते हुए,,) हो सकता है कि उसकी मां का केवल वही सहारा हो,,,, और बरसों से उसी हालात में अपना जीवन गुजार रही हो,,,, और अपने बेटे की इस तरह की हरकत से उसके मन में बरसों से दबी हुई चाहत एकदम से जाग रही हो एक पुरुष संसर्ग के लिए वह तड़प रही हो,,,, उसके बेटे ने अपनी कामुक हरकत से उसके बदन में उत्तेजना का संचार भर दिया होजिसे देखते हुए अपने बेटे की हरकत से वह एकदम से मदहोश हो गई हो और कुछ भी कर सकते की स्थिति में बिल्कुल भी ना हो और अपने बेटे की हरकत पर आनंद लेने लगी हो,,,,
(अंकित अपनी मां की बात सुनकर अच्छी तरह से समझ रहा था कि वह उसे औरत के बारे में नहीं बल्कि अपने बारे में नहीं बता ही है और उसकी इस तरह की बातें सुऐसानकर अंकित के तन-बदन में उत्तेजना कि लहर रूठ रही थी उसे भी आशा की किरण नजर आ रही थी,,,,मन ही मन में अपनी मां की बात सुनकर प्रसन्न नजर आ रहा था लेकिन फिर भी अपनी मां की इस बात पर जान बुझ कर ऐतराज जताते हुए बोला,,,,)
ऐसा कैसे हो सकता है मम्मीअपने बेटे की हरकत पर से एक मां होने की ना तो उसे गुस्सा आ जाना चाहिए क्योंकि एक मां कभी नहीं जाएगी कि उसका बेटा उसके साथ इस तरह की हरकत करें,,,(ऐसा सवाल ापूछ कर अंकित अपनी मां के मन में क्या चल रहा है यह जानने की कोशिश कर रहा था वह इसलिए पूछ रहा था कि अगर कभी वह उत्तेजित अवस्था में इस तरह की हरकत कर दे तो उसकी मां कैसा बर्ताव करेंगे उसके साथ और अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली,,,)
मैं वही तो तुझे बता रही हूं अगर वह बरसों से अकेली रह रही होगी तो अपने बेटे की इस तरह की हरकत से वह मस्त हो जाएगी मदहोश हो जाएगी उसकी आंखों में नशा छाने लगेगा और वह उसे समय वही करेगी जो एकांत पाकर एक मर्द और औरत करते हैं,,,,
लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है वह दोनों तो मां बेटे हैं ना,,,,।
तो समझने की कोशिश नहीं कर रहा है भले ही वह मां बेटे हैं लेकिन हालात ऐसे हो जाते हैं किमां बेटे होते हुए भी दोनों को अपने बीच के रिश्ते को भूलना पड़ता है और अपने बदन की प्यास अपने बदन की जरूरत को पूरा करने के लिए मां बेटे की जगह मर्द और औरत बनना पड़ता है।
बाप रे क्या ऐसा भी हो सकता है,,,,(जानबूझकर अपनी मां की बात सुनकर हैरान होने का नाटक करते हुए अंकित बोला,,)
अरे घर की चार दिवारी के अंदर क्या-क्या होता है कहां किसी को पता चलने वाला है,,,,।
बात तो तुम ठीक कह रही होचार बीमारी के अंदर मां बेटे के बीच क्या खिचड़ी पक रही है कहां किसी को पता चलेगा और अगर सच में इस तरह का रिश्ता दोनों के बीच बन जाता है तो बेटा तो यह किसी को बताएगा नहीं और ना ही मा ही किसी को बताएगी क्योंकि इसमें दोनों के इज्जत जाने का डर बना हुआ है और ऐसे में मां बेटे के बीच यह राज राज ही रह जाता है,,,,,,(अंकित भी नहले पर दहला फेंकते हुए बोला,,,,सुगंधा अपने बेटे का जवाब सुनकर मुस्कुरा रहे थे इतना तो उसे भी एहसास हो रहा था कि उसकी तरह ही उसके बेटे के भी मन में उसे पाने की तरफ बढ़ती जा रही है लेकिन पहल नहीं कर पा रहा है फिर कुछ देर खामोश रहने के बाद वह एकदम से पूछ बैठी)
अच्छा यह बात उसे लड़के की तरह तेरे मन में भी मुझे देखकर इसी तरह की भावनाए जागती है क्या,,,,क्या तू भी मुझे पेशाब करते हुए देखा है और देखा है तो क्या तो भी उसकी तरह मुझे गंदी नजर से देखता है,,,(इस सवाल को पूछते हुए सुगंधा की बुर से पानी टपक रहा था,,,,, अपनी मां के सवाल पर अंकित भी थोड़ा सा चौक गया फिर अपने आप को एकदम सहज करते हुए बोला,,)
यह कैसी बातें करें मम्मी भला मैं तुम्हें गंदी नजर से कैसे देख सकता हूं और वैसे भी मैं तुम्हें कभी उस लड़के की तरह पेशाब करते हुए थोड़ी ना देखा हुं,,,,
क्या तू सच कह रहा है क्या सच में तूने मुझे कभी भी पेशाब करते हुए नहीं देखा है,,,।
नहीं बिल्कुल भी नहीं और नहीं कभी मेरे मन में इस तरह के ख्याल आते हैं,,,, मैं उस लड़के की तरह थोड़ी ना हूं,,,,।
(सुगंधा अपने बेटे का जवाब सुनकर उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा सरासर झूठ बोल रहा था उसे न जाने कितनी बार पेशाब करते हुए चोरी चुपके देख चुका है यहां तक की उसके करीब खड़ा रहकर भी उसे पेशाब करते हुए देख चुका है,,,,,लेकिन फिर भी सुगंधा खामोश थी वह कुछ ज्यादा बोलना नहीं चाहती थी,,,, रात काफी हो चुकी थी लेकिन अभी भी सुगंध के मन में बहुत कुछ चल रहा था वह देखना चाहती थी इस समय उसका बेटा क्या करता है,,,, इसलिए वह अपने हाथ को ऊपर ले जाकर आलस को मरोड़ते हुए बोली,,,,)
रात काफी हो चुकी है अब हमें सोना चाहिए,,,,,।
तुम ठीक कह रही हो मम्मी,,,,ज्यादा रात हो चुकी है देख रही है चारों तरफ सन्नाटा छा गया है हम दोनों को बात करते-करते लगभग 3 घंटे तो हो चुके हैं,,,,।
सही कह रहा है तू चल अब सो जा सुबह जल्दी भी तो उठना है,,,,,,(ऐसा कहकर वह पहले ही चटाई पर लेट गईअंकित का मन नहीं था लेकिन फिर भी उसे लेटना जरूरी था अपनी मां की बात मानते हुए और वह भी लेट गया सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे को अब नींद आने वाली नहीं है,,,, इसलिए वह जाग रही थी तकरीबन आधा घंटा गुजरने के बाद वह धीरे से उठकर बैठ गई और अपने बेटे की तरफ देखें तो वह जल्दी से अपनी आंखों को बंद कर लिया वह जाग रहा था इस बात का एहसास सुगंध को अच्छी तरह से था और वह चाहती भी थी उसका बेटा जागते रहे,,,, सुगंधा को बड़े जोरों से पेशाब लगी हुई थी और वह पेशाब को बड़े देर से रोक कर रखी थी इसी समय के लिए,,,,वह धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई चूड़ियों के खनकने की आवाज से वातावरण मदहोश होने लगा था,,,,, वह इस बात से अपने बेटे कोनिश्चित कर लेना चाहती थी कि वह सो रहा है इसलिए वह धीरे से छत के कोने की तरफ जाने लगी जैसे-जैसे कदमों की आवाज दूर जा रही थी वैसे-वैसेअंकित धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोल रहा था और अपनी मां को देख रहा था उसकी मां उसे चांदनी रात में एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,,, और से तेरा यकीन ताकि उसकी मां पेशाब करने जा रही है उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई है और इसलिए अंकित का दील जोरों से धड़कने लगा था।
अंकित एकदम चौकन्ना था वह अपनी मां का एक बार फिर से वही रूप देखना चाहता था उसे पेशाब करते हुए देखना चाहता था ऐसा नहीं था कि आज वह पहली बार अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था वह कई बार अपनी मां को ईस अवस्था में देख चुका था और इसी के चलते वह पूरी तरह से बदल भी चुका था,,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर उन्मादक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाआधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था,,, लेकिन मां बेटे दोनों की आंखों में नींद कोसों दूर नजर आ रही थी,,, दोनों बस जानबूझकर एक दूसरे को नींद में होने का बहाना बनाकर उलझा रहे थेसुगंधा अच्छी तरह से जानते थे कि जिस तरह की वार्तालाप मां बेटे के बीच हुई थी जिस तरह से उसका बेटा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे देखते हुए उसे नींद आने वाली नहीं है और इसी का फायदा उठाकर वह धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो चुकी थी,,,उसे काफी जोर से पेशाब भी लगी हुई थी और बड़े देर से लगी हुई थी लेकिन शायद इसी समय के लिए वह अपने पेशाब को रोक कर रखी हुई थी ताकि सही समय पर इसका सही उपयोग कर सके,,,, अपनी युक्ति को आजमाने में भी उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था इस तरह से वहां कई बार अपने मन मेंउठ रही युक्ति को अपने बेटे पर आजमा चुकी थी और उसका असर भी वह अच्छी तरह से देख चुकी थी।
अंकित लेटा हुआ था,,, अंकित को लग रहा था कि उसकी मां को ऐसा लग रहा है कि वह सो रहा है और सिर्फ वह सोने का नाटक कर रहा था जबकि उसकी मां को अच्छी तरह से मालूम था कि उसका बेटा जाग रहा है बस वह सोने का नाटक कर रहा है,,,, और वैसे भी जिस तरह की हरकत वह करने जा रही थी ऐसे में अंकित का जागते रहना बेहद जरूरी है क्योंकि उसे मूड में होने से वह अपनी हरकत को अंजाम नहीं दे सकती थी,,,वैसे तो उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और उसका पेशाब करना भी बेहद जरूरी था अगर अंकित गहरी नींद में सो रहा होता तो भीसहज रूप से उसका पेशाब करना जरूरी था लेकिन तब कोई मायने नहीं रह जाता सिर्फ उसे राहत महसूस होती ,उत्तेजना नहीं ,मदहोशी नहीं,,,, और एक मां के लिए कितनी शर्मसार कर देने वाली बात होती है जब वह वासना में युक्त होकर अपने बेटे के सामने इस तरह की हरकत करती है जिससे उसका खूबसूरत अंग नग्न अवस्था में उसके बेटे को देखने को मिल जाएएक अजीब सी हलचल उसके मन में होती है और इस समय वही हलचल वही शर्मसार कर देने वाला असर सुगंधा के तन बदन में महसूस हो रहा था,,, उसका दिल जोरो से धड़क रहा थाशांत वातावरण में उसके चूड़ियों की खनक और पायल की झनक वातावरण में एक मादकता सा भर दे रहे थे,,,अपनी मां की चूड़ियों की खनखन की आवाज अंकित के कानों में एकदम साफ सुनाई दे रहा था और वह इस आवाज को सुनकर मदहोश हुआ जा रहा था उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंच चुकी थी।
आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा है था लेकिनवातावरण में अंधेरा नहीं था क्योंकि चांदनी रात थी चांदनी रात में सब कुछ दिखाई दे रहा था,,, वैसे तो वासना की पूर्ति के लिए लोग अंधेरी रात का ही चयन करते हैं लेकिन इस समय हालात कुछ और थे और सुगंधा अपनी वासना की पूर्ति के लिए चांदनी रात का चयन की थीऔर उसे इस बात की खुशी थी कि इस समय अंधेरा बिल्कुल भी नहीं था चांदनी रात की चांदनी भरी उजाले में उसकी हरकत उसके बेटे को अच्छी तरह से देखने को मिलेगी। इसकी भारी भरकम गोरी गोरी गांड चांदनी रात में चमकती हुई उसके बेटे को दिखाई देगी और वह अच्छी तरह से जानते थे कि इस अद्भुत नजारे को देखकर उसके बेटे के तन बदन में वासना का तूफान उठने लगेगा वह देखना चाहती थी कि इसके बाद उसका बेटा क्या करता है,,,। अपने अंदर उठ रहे वासना को तूफान को कैसे शांत करता है यही देखने के लिए वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी,,,,।
अपनी युक्ति को आजमाने के लिए तो उसके तन-बदन मेंउत्तेजना की लहर उठ तो रही थी मदहोश हो रही थी लेकिन वह अपने आप से एक सवाल भी कर रही थी कि जब वह इतना कुछ करने को तैयार है तो क्यों नहीं एक कदम आगे बढ़ाकर खुद क्यों नहीं अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से पकड़ लेती,,,क्यों नहीं अपने बेटे से कह देती कि बस अब रहा नहीं जाता डाल दिया अपने लंड को मेरी बुर में और बन जा मादरचोद,,,, मत डर किसी से भी ना मुझसे ना समझ सकेकोई तेरा साथ देने वाला नहीं है तुझे अपनी जरूरत को मेरे साथ ही पूरी करनी पड़ेगी मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तू भी मुझे चोदने के लिए तड़प रहा है तेरा लंड मेरी बुर में जाने के लिए मचल रहा है,,, तो आज मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तोड़ दे गिरा दे मर्यादा की दीवार को और समा जा मेरे अंदर,,,, बुझा दे अपनी मां की जवानी की प्यास,,,, बरसों से तेरी मां बिस्तर पर तड़प रही है बरसों से तेरी मां की बुर में लंड नहीं गया,,,, मैं तेरे लिए छिनार बनने को तैयार हूं तु भी मेरे लिए मादरचोद बन जा,,,,, सुगंधा अपने मन में इस तरह की बात तो को बार-बार सोचती थीबार-बार उसके मन में इस तरह के सवाल उठाते थे कि इतना कुछ होने के बावजूद भी अपने बेटे से इतना क्यों नहीं कह पा रही है जिसे दोनों का रास्ता आसान हो जाए दोनों अपनी मंजिल तक पहुंच पाए,,,।
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इस तरह का सवाल मन में बार-बारउठना देखकर वह खुद ही अपने सवालों का जवाब अपने आप को देते हुए बोलती थी कि नहीं ऐसा करना उचित नहीं है उसका बेटा उसके बारे में क्या सोचेगा कहीं ऐसा ना हो कि उसकी हरकत से उसका बेटा उसे छिनार कह दे रंडी का कर पुकारने लगेऔर वैसे भी इस तरह के हालात चल रहे हैं एक न एक दिन उसका बेटा इस तरह के शब्दों का प्रयोग करने वाला है लेकिन इस समय उसके पहल से मामला पूरी तरह से उसके पक्ष में नहीं होगा उसके बेटे को नाहक ही इस बात की शंका होने लगेगी क्योंकि जब उसकी मां अपने बेटे के सामने इतना बेशर्मी दिखा रही है तो,, बाहर न जाने कितने लोगों से चुदवाती होगी,,,, बस इसी बात का डर सुगंधा के मन में रहता था और इसीलिए वह इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी, खुले शब्दों में अपने बेटे से कुछ कह नहीं पाती थी। और इसीलिए दिन रात तड़पती रहती थी,,,,।
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धीरे-धीरे सुगंधा अपनी गांड मटकाते हुए छत के कोने तक पहुंच चुकी थी,,, इसकी भारी भरकम बड़ी-बड़ी गांड कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से कुछ ज्यादा ही उभरी हुई नजर आती थी और वह जानबूझकर अपनी गांड मटका कर चल रही थी क्योंकि वह जानती थी तो उसका बेटा देख रहा है अंकित अपनी मां की हरकत को उसके खूबसूरत नजारे को पीठ के बल लेटकर हल्की खुली नजरों से देख रहा था,, पल पल अपनी मां की हरकत देख कर अंकित का दील जोरों से धड़का था,,। सोचने को तो अंकित भी बहुत कुछ सोच रहा था और इस समय भी अपनी मां को देखकर उसके मन में ढेर सारी भावनाएं उमड़ रही थी,,, वह भी जानता था कि उसके उसकी मां के बीच बहुत सारी बातें हो चुकी थी और ऐसी बातें जो मां बेटे के बीच संभव नहीं है ऐसी बातें केवल पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका के बीच ही संभव होती है,,,, और वह अपनी मां की बातों के मतलब को अच्छी तरह से समझता था। सुषमा आंटी और अपनी नानी की चुदाई करने के बाद वह औरतों का अच्छी तरह से समझने लगा थावह अपनी मां के कहने का मतलब कुछ इस तरह से समझ रहा था वह जानता था कि उसकी मां का भी हाल पड़ोस की सुषमा आंटी और उसकी नानी की तरह ही है उसकी मां को भी मोटा तगड़ा लंड चाहिए,,,,।लेकिन पहल करने से उसे भी इस बात का डर था कि उसकी मां उसके बारे में क्या सोचेगी,,,, वह भी यही सोचेगी कि उसका बेटा उसेगंदी नजर से देखा है और इसमें सच्चाई भी है और उसकी मां को पता भी है लेकिन जाहिर करने में या पहल करने में उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां उसे गलत ना समझने लगेऔर सब कुछ हालात पर उसने छोड़ दिया था कि जो कुछ भी होगा वह हालात पर निर्भर करेगा।
अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा था क्योंकि उसकी मां अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ ली थीऔर अंकित को इस बात का आभास हो गया था कि अब क्या होने वाला है अंकित की आंखों में वासना का तूफान नजर आ रहा था अपनी मां को कई बार नग्न अवस्था में देखने के बावजूद भीवह इस समय भी अपनी मां को कमर से नीचे नंगी होते हुए देखने के लिए तड़प रहा था। अौर सुगंधा जो उसका बेटा देखना चाहता था उसे वही नजारा दिखाने के लिए खुद उत्सुक थी। और इसके लिए उसने अपनी कमर कस ली थी,,, अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी को पकड़कर वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी,,,और यह नजारा देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी खूबसूरत नाटक के शुरू होने के पहले पर्दा ऊपर उठ रहा हो लेकिन यहां पर इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए दर्शक के रूप में केवल उसका बेटा ही था,,,, उसे ही अपनी मां की मदमस्त जवान देखकर शोर मचाना था सिटी बजाना था उसका हौसला बढ़ाना था और यह सब कुछ करने के लिए अंकित तैयार था लेकिन फर्क इतना था की नाटक देखकर लोग जोर-जोर से तालियां बजाते हैं सीटियां बजाते हैं यहां पर अंकित को सिर्फ अपनी आंखों का सहारा लेना था अपने हाथ का सहारा लेना था जितना खूबसूरत उत्तेजक नजर उतनी अत्यधिक मादकता भरी अंकित की हरकत होनी थी,,, और इसके लिए अंकित पूरी तरह से तैयार था।
अंकित की आंखों के सामने उसकी दुनिया की सबसे खूबसूरत हसीन औरत खड़ी थीजो अपने हाथों से अपनी साड़ी पकड़कर ऊपर की तरफ उठा रही थी,,, सुगंधा धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते उसकी खूबसूरत मांसल चिकनी पिंडलियां दिखाई देने लगी थी,,,, अंकित के होश उड़ते चले जा रहे थे अंकित अपनी आंखों को सेंक रहा था,,,,, वातावरण मेंठंडक का एहसास था लेकिन अपनी आंखों के सामने गरमा गरम दृश्य देखकर उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,,देखते ही देखते सुगंध अपनी साड़ी को अपनी मोटी मोटी जांघों तक उठा दी थी उसकी मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान दिखाई दे रही थी,, जिसे देख कर पेट के अंदर अंकित का लंड पूरी तरह से अकड़ने लगा था। अंकित को अब हल्का-हल्का अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा था,,, क्योंकि जब से मां बेटे छत पर आए थे तब से अंकित का लंड खड़ा का खड़ा ही था वह बिल्कुल भी शांत होकर बैठा नहीं था। सुगंधा भी अपने बेटे को तिल तिल तडपा रही थी।और उसे ऐसा करने में बेहद आनंद की अनुभूति होती थी उसे अच्छा लगता था जब उसका बेटा उसकी नंगी जवानी देखकर तड़प उठता था।
जांघों तक अपनी साड़ी उठाकरसुगंधा यह तसल्ली कर लेना चाहती थी उसका बेटा उसे देख रहा है कि नहीं इसलिए वह हल्के से अपनी नजर पीछे घूमाकर अपने बेटे की तरफ देखने लगी चांदनी रात में सबको साथ दिखाई दे रहा थाऔर पीछे देखने के बाद उसके चेहरे पर प्रश्न आता के भाव में जलने लगे वह इस बात से खुश हो गई कि उसका बेटा उसे ही देख रहा था और अंकित अपनी मां की नजरों को देखकर तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया था और अपनी आंखों को बंद किए हुए हैं वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, उसकी मां उसकी तरफ क्यों देख रही है,,,वह तय नहीं कर पा रहा था कि उसकी मां यह देखने के लिए पीछे नजर घुमा कर देख रही है की कही वह जाग तो नहीं रहा है या फिर यह देखने के लिए की वह गहरी नींद में सो तो रहा है ना जब तो नहीं रहा है यही अंकित अब समझ नहीं पा रहा था,,, और कुछ देर तक अपनी आंखों को बंद किए रहा,,,हालांकि अंकित का दिल बड़ी जोरों से धड़कता है उसके दिल की धड़कन बड़ी रफ्तार से चल रही थी। अपनी मां की मदमस्त जवानी की गर्मी का असर उसे अपने बदन में अच्छी तरह से महसूस हो रहा था उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,,कुछ देर खामोश रहने के बाद अपनी आंखों को बंद किए रहने के बाद वह धीरे से अपनी आंखों को खोलकर फिर से छत के कोने की तरफ देखने लगा जहां पर उसकी मां साड़ी को अभी भी जांघों तक उठाए खड़ी थी।
अंकित का दिमाग ठनक रहा था,,क्योंकि वह जानता था की औपचारिक रूप से जब कोई औरत पेशाब करने जाती है तो तुरंत अपनी साड़ी कमर तक उठकर बैठ जाती है लेकिन उसकी मां अभी भी खड़ी थी साड़ी जांघों तक उठाएं, जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां उसे ही दिखाने के लिए यह सब पैंतरा रच रही थी लेकिन यह बात उसे समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मां को तो ऐसा ही लग रहा था कि बस सो रहा है फिर वह ऐसा क्यों कर रही हैफिर अपने ही सवाल का बात खुद जवाब देते हो बोला कि शायद किसी तरह से वह सोच रही है कि अंकित जाग जाए और उसे पेशाब करते हुए देख ले क्योंकि गंदी किताब में जिस तरह का वर्णन था,,, इस किताब के बारे में दोनों के बीच देर तक बातचीत हुई थी शायद किसी का असर उसके दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,यह सब सोचने के बाद अंकित अपने मन में सोचा कि चलो चाहे जो भी हो, उसकी मां को एहसास नहीं होना चाहिए कि वह जाग रहा है। इसलिए वह फिर से कर नजरों से अपनी मां की तरफ देखने लगा, अंकित सोने के कुछ देर पहले ही अपने बदन पर चादर डाल लिया था इसलिए वह निश्चित था,, आंखों के सामने का नजारा पूरी तरह से गर्माहट पकड़ लिया था।
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सुगंधा अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी थी उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी और अंकित के लिए हैरानी की बात यह थी कि उसकी मां साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी,,,, अंकित को अच्छी तरह से याद था कि दोपहर में उसकी मां चड्डी पहनी थी लेकिन पंखा साफ करने से पहले अपनी चड्डी उतार दी थी और उसके बाद उसे खूबसूरत नजारा देखने को मिला था और उसमें से टपका हुआ मदन रस का स्वाद भी चखने को मिला था,,, उसके बाद वह नहाई भी थी लेकिन यह नहीं मालूम था कि नहाने के बाद वह चड्डी पहनी थी कि नहीं लेकिनआप अपनी आंखों के सामने अपनी मां को बिना चड्डी में देखकर सबको साफ हो गया था कि नहाने के बाद भी उसकी मां चड्डी नहीं पहनी थीएक औरत का इस तरह से साड़ी के अंदर चड्डी ना पहनना मर्द के लिए वाकई में उत्तेजित कर देने वाली बात होती है। और इस समय वही हो रहा था,,,सुगंधा अपने बेटे की आंखों के सामने कमर तक साड़ी उठाएं अपनी नंगी गांड दिखाते हुए खरीदी उसे बड़े जोरों के पेशाब लगी हुई थी लेकिन वह पूरा नजारा दिखा देना चाहती थी अपने बेटे को।
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चांदनी रात की चांदनी में सुगंध की चमकती हुई गांड अंकित के होश उड़ा रहे थे सुगंधा भी अपने बेटे की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए,,अपनी दोनों हथेलियां को अपनी नंगी गांड पर रख कर हकीकत कैसे ला रही थी मानो कि जैसे अपने बेटे को इशारा कर रही हो अपने पास बुलाने के लिए,,,,वैसे तो सुगंध अपने बेटे को पहल करने के लिए अपनी तरफ से सारे हथकंडे अपना चुकी थी लेकिन,, अंकित भी टस से मस नहीं हो रहा था और वह भी केवल अपनी मां के लिए ही बाकी सुमन की मां और राहुल की मां के साथ वह अपनी तरफ से आगे बढ़ चुका था राहुल की मां के घर में जब डाइनिंग टेबल पर राहुल के पिताजी आ चुके थे तब वह धीरे से डाइनिंग टेबल के नीचे जाकर छुप कर राहुल की मां की बुर को तब तक चाटता रहा था जब तक की उसका पानी न निकल गया था,,, और सुमन की मां के साथ वह अपनी तरफ से ही मनमानी किया था,,, दोपहर में जब उसके घर आई थी तब वह राहुल की तरफ आकर्षित हुई थी लेकिन वह सुमन की मां की हरकतों को अच्छी तरह से समझ गया था और उसके साथमनमानी करते हुए उसकी चुदाई कर दिया था जिससे सुमन की मां भी बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी लेकिन अपनी मां की सारी हरकतों को जानने के बावजूद भी वह अपनी मां के साथ ऐसा नहीं कर पा रहा था पहल नहीं कर पा रहा था यही उसकी भी सबसे बड़ी विवसता थी।,,,
सुगंधा का दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी बुर पानी छोड़ रही थी पेशाब निकलने से पहले उसकी बुर से मदन रस का बहाव लगातार हो रहा था जो उसकी जांघों को भीगो रहा था,,,, सुगंधा भी तिल तिल तड़प रही थी,,,, इस समय सुगंधा को बड़ी जोरों की पेशाब लग चुकी थी उससे अपनी पेशाब की तीव्रताबिल्कुल भी काबू में नहीं हो रही थी क्योंकि वहां पेशाब लगे हुए कुछ ज्यादा ही समय गुजर चुके थे इसलिए वह तुरंत एकदम से अपनी गांड अपने बेटे की तरफ लहराते हुए नीचे बैठ गई,,,और अंकित अपनी मां की ईस हरकत पर पूरी तरह से पानी पानी हो गया था,, वह तुरंत चादर के अंदर से ही अपने लंड को अपने पेंट के ऊपर से जोर से पकड़ लिया और उसे दबाने लगा और अगले ही पलअंकित के कानों में उसकी मां की बुर से निकलने वाली सिटी की आवाज सुनाई देने लगी जो कि इसे शांत वातावरण में कुछ ज्यादा ही शोर मचा रही थी,,,अंकित अपनी मां की बुर से निकलने वाली सिटी की आवाज को सुनकर उसकी मधुर ध्वनि को सुनकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा था इस ध्वनी को वह पहले भी कई बार सुन चुका था जो कि उसकी मां की बुर से ही निकलती थी,,,, और यही उसे अपनी मां को नग्न अवस्था में देखने के लिए प्रेरित करता था।अंकित की सांस बड़ी तेजी से चल रही थी और वह धड़कते दिन के साथ अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा था और सुगंध भी अपने बेटे की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए अपने दोनों हथेलियां को अपनी भारी भरकम गांड पर रखकर हल्के हल्के सहला रही थी और मुत रही थी,,,,
सुगंधा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटाउसे पेशाब करता हुआ देखकर उसके मन में उसे चोदने की भावना जाती है लेकिन वह झूठ बोल रहा था कि ऐसी कोई भावना उसके मन में नहीं जाती क्योंकि वह अपने बेटे की हरकत को उसकी हालत को अच्छी तरह से गौर से देखी थी जब वह पेशाब करती थी,, और इस समय भी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसके बेटे की भावनाएं उमड रही होगी उसे चोदने के लिए उसे पाने के लिए,,,, और यही तो वह चाहती थी,,,काफी देर से पेशाब रोके रहने की वजह से बड़े देर तक उसकी बुर से पेशाब की धार फूट रही थीऔर उसके शोर में पूरा वातावरण मदहोश हुआ जा रहा था लेकिन इसे दूर से निकलती हुई मधुर ध्वनि को सुनने वाला केवल इस समय उसका बेटा ही था और वह उसे ही सिर्फ सुनाना चाहती थी,,पहले जब मां बेटे में किसी भी प्रकार का शारीरिक आकर्षण नहीं था तब कभी जब बाथरूम मेंसुगंधा पेशाब करने के लिए बैठी थी तो अपने बेटे की मौजूदगी में अपने पर से निकलने वाली सिटी की आवाज को दबाने की कोशिश करती थी कि उसके बेटे को यह आवाज सुनाई ना दे लेकिन आज आलम और माहौल इस तरह का बन चुका है की वजह खोज कर अपने बेटे को दूर से निकलने वाली सिटी की आवाज को सुनाना भी चाहती थी और पेशाब करते हुए उसे दिखाना भी चाहती थी।
अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर अंकित जोर-जोर से पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबा रहा था मसल रहा था,,,और ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने इस समय उसकी मां पेशाब कर रही थी और अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर इस तरह की हरकत करने में जो आनंद मिलता है वह किसी और चीज में नहीं मिलता इस बात का एहसास अंकित को अच्छी तरह से था। इसलिए तो इस तरह की क्रिया करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन देखते ही देखते हैं बुर से निकलने वाली सिटी की आवाज कमजोर पड़ने लगी उसका शोर मचाना कम होने लगा,, जो कि इस बात का संकेत था की सुगंधा की पेशाब का जत्था कम हो रहा था। देखते ही देखते सुगंधा की बुर से निकलने वाली सिटी की आवाज एकदम से बंद हो गई और उनकी समझ गया कि उसकी मां पेशाब कर चुकी है,,,, अंकित अपनी मां की गोल-गोल गांड को देखकर एकदम चुदवासा हुआ जा रहा था,,, पेशाब कर लेने के बाद सुगंधा अपनी गांड को झटकने लगीऐसा करके वह अपनी बुर में फंसी हुई पेशाब की आखिरी बुंद को भी निकाल देना चाहती थी,,,, और ऐसा करने के बाद वह धीरे से खड़ी हो गईअंकित को लग रहा था कि उसकी मां एक खूबसूरत नाटक पर फिर से पर्दा गिरा देगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां उसी तरह से अपनी सारी कमर तक उठाए खड़ी थी अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां अभी भी ऐसा क्यों की है।
फिर सुगंधा इस हालत में साड़ी कमर तक उठाए हुए ही छत की दूसरी तरफ जो की पास में ही पानी भर लोटा रखा हुआ था वह लोटे को उठाई और उसमें से पानी पीने लगी लेकिन इस बीच भी वह साड़ी कमर तक उठाए हुए थी,,,,अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऐसा क्यों कर रही है और वह पानी पीने के बाद लोटे को नीचे रख दी और फिर अंकित की तरफ देखने लगी और जैसे ही सुगंधा अपने बेटे की तरफ देखी अंकित तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया मानो कि जैसे गहरी नींद में सो रहा हो,,,, अपने बेटे की हरकत देखकर सुगंधा मन ही मन में मुस्कुराते हुए मन में ही बोली,,, वाह बेटा कितना शरीफ बनने का नाटक कर रहा है बस इशारा मिल जाए तो अभी बुर में लंड पेल दे,,,,,, चलो कोई बात नहीं यही तो मैं चाहती हूं,,,,,और अपने मन में ऐसा कहते हुए वह साड़ी कमर तक उठाए हुए ही अपने बेटे की पास कदम बढ़ाने लगी और बिस्तर के पास पहुंचकर,,,, मुस्कुराई और साड़ी कमर तक उठाए हुए ही लेट गई,,,, अंकित को अपनी मां के अपने पास होने का एहसास हो रहा था उसका बिस्तर तककरीब आना उसके चूड़ियों की खनक से उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी मां बिस्तर पर लेट चुकी थी लेकिन वह आंख खोलने से डर रहा था कि कहीं उसकी मां उसे देख ना ले,,,,।
तकरीबन आधा घंटा गुजर चुका था किसी भी तरह की हलचल उसे अपनी मां की तरफ से महसूस नहीं हो रही थी तो उसे यकीन होकर की उसकी मां सो गई है और वह धीरे से अपनी आंख खोल औरअपनी नजरों को अपनी मां की तरफ घूम कर देखा तो उसके होश उड़ गई उसकी मां दूसरी तरफ करवट लेकर लेटी हुई थी और हैरान कर देने वाली बात यह थी कि अभी भी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी कमर के नीचे वह एकदम नंगी थी,,,, यह नजाराअंकित के लिए बेहद असहनीय था पल भर के लिए उसे लगाकर यह नजारा देखकर उसके लंड से पानी फेंक देगा लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाल ले गया था,,,,हालत अब बिल्कुल भी अंकित के काबू में नहीं था उसकी आंखों के सामने उसके बगल में एक ही चटाई पर उसकी खूबसूरत मदहोसी से भरी हुई मां कमर के नीचे एकदम नंगी होकर लेटी हुई उसकी भारी भरकम गांड ईतने करीब से देख कर अंकित की हालत खराब हो रही थी।लेकिन यह जानना चाहता था की गहरी नींद में है कि नहीं और यही देखने के लिए वह धीरे से बोला,,,।
मम्मी,,,, ओ मम्मी,,,,, मम्मी जाग रही हो कि सो रही है,,,,,,।
(सुगंधा की तरफ से कोई भी आवाज नहीं आई कोई भी जवाब नहीं आया वह जाग रही थी लेकिन गहरी नींद में होने का नाटक कर रही थी उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा थाएक बार अपनी मां को आवाज लगाने के बाद वह फिर से पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता थाइसलिए इस बार वह अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां के कंधे पर रखकर उसे हल्के से हिलाते हुए बोला)
मम्मी ,,,,,मम्मी सो गई हो क्या,,,,,
(लेकिन इस बार भी सुगंधा की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उसकी आंखों में वासना की चमक नजर आने लगी उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी और वगैरह लिखते सो रही थी यह मौका उसे पहले कभी मिला नहीं था आजइस अद्भुत नजारे को इस अद्भुत पल को महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था वह अपने आप में बिल्कुल भी नहीं था,,,,वह धीरे से अपने ऊपर से चादर हटाया उसकी मां उससे एक फिट की दूरी पर सो रही थी बस उसके करवट लेने की देरी थी और अंकित भी अपनी मां के बदन से सट जाता,,,, अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था वह अपने ऊपर से चादर हटाकर अपनी मां की तरफ देखता रहा अभी भी उसके बदन में किसी भी प्रकारकी प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी किसी भी प्रकार का हलचल नहीं हो रहा था यह देखकर वह मन ही मन खुश हो रहा था। पेंट में उसका लंड तंबू बनाए हुए था। जिसे वह हाथ से जोर-जोर से दबा रहा थालेकिन उसे एहसास होने लगा था कि अब इतने से काम चलने वाला नहीं है और यह मौका उसे मिलने वाला नहीं है,,,,दूसरी तरफ सुगंधा का दिल जोरो से धड़क रहा था वह बेहद उत्सुक हो चुकी थी यह देखने के लिए उसका बेटा क्या करता है,,,,,
अंकित की उत्तेजना और वासना दोनों बढ़ती जा रही थी अपनी मां की नंगी गांड देते हुए पेट के ऊपर से लंड दबाने में जो आनंद उसे मिल रहा था वह उसे खुल कर लेना चाहता था,,, इसलिए वह धीरे से पेंट की बटन खोलने लगा,,,, और देखते ही देख अपने पेट को अपने हाथ से सरका कर वह घुटनों के नीचे कर दिया,,,, अब उसके हाथ में उसका टन टनाया हुआ नंगा लंड था जिसे वह अपने मुट्ठी में दबाकर मुठिया रहा था यह क्रिया उसके लिए बेहद उतेजना से भर देने वाली साबित हो रही थी,,,,कुछ देर तक वह इस क्रिया को अपनी मां की नंगी गांड देखकर बार-बार दोहराता रहा लेकिन इतने से ही उसका मन नहीं भर रहा था अपनी मां को निश्चित होकर गहरी नींद में सोता हुआ देखकर उसका लालच बढ़ने लगा था,,,,और दूसरी तरफ उसकी मां की हालत खराब हो रही थी किसी भी प्रकार की हलचल प्रतिक्रिया न देखकर उसे लगने लगा था कि उसका बेटा आज भी बुद्धू बना वहाकर सो गया है इसलिएवह करवट लेकर उसकी तरफ देखना चाहती थी और ऐसा करने के लिए वह तैयार ही थी कि तभी अंकित भी अपनी तरफ से प्रतिक्रिया करते हुए अपनी मां की तरफ सरक गया था और जैसे ही उसकी मां पलटी लेने के लिए अपने आप को तैयार कर ही रही थी कि तभी उसे अपनी गांड पर अपने बेटे का लंड चूसता हुआ महसूस होने लगा और वह एकदम से गनगना गई,,,, उसके होश उड़ गए आज उसकी कामुक हरकत कम कर गई थी इसका एहसास उसे होने लगा,,,,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी लेकिन वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए थी।
अंकित की सांस उखड़ रही थी उसकी हालत एकदम से खराब हो रही थी क्योंकि यह पहला मौका था जब वह अपने लंड को अपनी मां की नंगी गांड से सटा दिया थाऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी लंड का मोटा तगड़ा सुपाड़ा गरमा गरम उसकी मां की नंगी गांड पर सटा हुआ था,,, इस एहसास से उसे इस बात का डर था कि उसके लंड से पानी न फेंक दे और अंकित की मां की बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,,कुछ देर तक अंकित अपनी मां के बदन में हलचल न होता देखकर उसी तरह से अपने लंड को उसकी गांड से सटाए रहा और फिर धीरे सेजब मामला पूरी तरह से शांत रहा तो वह अपने लंड को अपने लंड कैसे पानी को अपनी मां की नंगी गांड से रगड़ना शुरू कर दिया ऐसा करने में उसे मदहोशी जा रही थी उसका दिल जवाब दे रहा था बार-बार उसका मन कह रहा था कि ऐसा मत कर बस डाल दे अपनी मां की बुर में लेकिन ऐसा करने में उसे इस बात का डर था कि अगर उसकी मां जाग जाएगी तो गजब हो जाएगा,,,,लेकिन फिर भी जो कुछ भी वह कर रहा था यह भी उसके लिए बेहद आनंद आया था उसके लिए भी और उसकी मां के लिए भी,,,,सुगंधा की तो हालत पाल-पाल खराब होती जा रही थी उसकी बुर कचोरी कि तरह फुल चुकी थी,,,अंकित की हिम्मत बढ़ने लगी थी उसे विश्वास हो गया था कि उसकी मां गहरी नींद में सो रही है और वह भी दिन भर काम की थकान की वजह से शायद वाकई में उसे गहरी नींद लग गई थी ऐसा वह सोचकर अपनी हरकत को बढ़ाने के लिए अपने आप को तैयार करने लगा।
अभी तक तो वह अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की गांड की उभार पर रगड़ रहा था लेकिन अब उसका मन कुछ और करने को कर रहा था इसलिए वह अपने लंड को सुपाड़े को गांड की दरार मेंप्रवेश करने लगा अच्छी तरह से जानता था कुछ इस तरह से उसकी मां लेती हुई थी ऐसे हालात में उसके लंड का उसकी बुर के छेद तक पहुंचना नामुमकिन था,,, गांड की दरार में भी अपने लंड को हल्के हल्के से अंदर की तरफ डालकर मजा लेने लगा लेकिन उसे एहसास होने लगा था की सबसे बड़ी गंद होने की वजह से गांड की दरार भी गहरी हो जाती है,,,,और इसीलिए अंकित का लैंड गहराई तक जा रहा था उसका आधा घंटा उसकी मां की गांड की दरार की गहराई तक पहुंच चुका थाऔर यह अंकित के लिए बेहद खुशी की बात थी और उससे भी ज्यादा खुशी की बात यह थी कि अभी तक उसकी मां के बदन में हलचल बिल्कुल भी नहीं हुई थी,,,और अंकित धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया उसकी कमर के हिलने के साथ ही अंकित का लंड सुगंधा की गांड की दरार केऊपर से नीचे तक लहराने लगा जिसकी रगड़ जिसकी गर्माहट सुगंधा की बुर का पानी ढीला कर रही थी,,,, कुछ देर तक यह सिलसिला चलता रहा सुगंधा अपनी सांसों को काबू में किए हुए अपने बेटे की हरकत का आनंद ले रही थी,,,अपने बेटे के लंड की मोटाई और लंबाई का एहसास उसे बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसका लंड अगर उसकी बुर में घुस गया तो ,, बुर का भोसड़ा बनकर ही बाहर निकलेगा,,,,
सुगंधा का मन तो कर रहा था कि अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपने बेटे का लंड पकड ले और उसे अपने गुलाबी छेद की गली का रास्ता दिखा दे,,,लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हुई और अपने बदन में जरा भी हलचल करने की भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि उसे इस बात का डर था कि उसके बदन में जरा सी भी हलचलउसके बेटे की हरकत को रोक देगा वह घबराकर फिर ऐसी हरकत नहीं करेगा और वह इस हरकत का मजा लेना चाहती थी उसे रोकना नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि इससे भी ज्यादा उसका बेटा क्या कर सकता है,,,, इसलिए वह निश्चित होकर इस तरह से लेती रही और अपने बेटे की हरकत का मजा लेती रही।
अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी,,, काफी देर तक उसकी मां के बदन में हलचल नहीं हो रही थी इसलिए वह अपने बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और वह धीरे से अपना हाथ अपनी मां की कमर पर रख दिया कमर के ऊपर वाले हिस्से पर जहां से नितंबों का शुरुआत होता है उसकी उभार का शुरुआत होता है अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ रखते हुए उसके भजन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा और सुगंधा को भी इस बात का एहसास होने लगा कि उसके बेटे का लंड फुल रहा
था,,, अपनी मां की कमर पर हाथ रखते हीअंकित की उत्तेजना बढ़ने लगी तो वह धीरे से अपने आप को थोड़ा नीचे की तरफ कर दिया और अपनी कमर पर आगे की तरफ ठेलने लगा जिसके चलते उसका लंड उसकी मां की गांड के निचले स्तर मैं उसके नितंबों से बीचों-बीच से अंदर की तरफ से सरकने लगाऔर धीरे-धीरे अंदर की तरफ जाने लगा यह एहसास अंकित के तन बदन में उसकी उत्तेजना को बढ़ाने के लिए काफी थाऔर सुगंधा भी मदहोश हुए जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके बेटे का लंड अब कौन सी दिशा में आगे बढ़ रहा है,,,,
सुगंधा अपनी सांसों को रोके हुई थीऔर जिस तरह से उसके बेटे का लंड अंदर की तरफ आगे बढ़ रहा था उसे देखकर उसे अपने बेटे के लंड की मजबूती और उसकी ताकत का अंदाजा लग रहा था,,, जांघो के बीच से रगड़ता हुआ अंकित का लंड उसकी मां की गुलाबी छेद की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, अंकित के सुपाड़े में उसकी मां की बुर की गर्मी महसूस होने लगी थी और यही हाल सुगंधा का भी था,, सुगंधा भी अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े की गर्मी को महसूस करके बार-बार पिघल रही थी,,,, देखते ही देखतेअंकित के लंड का सुपाड़ा उसकी मां की गुलाबी छेद द्वार पर एकदम से स्पर्श हो गया,,,, सुगंधा काफी देर से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी मदहोश हो रही थी,,,लेकिन इस बार अपने बेटे के मजबूत लंड के सुपाड़े का स्पर्श उसकी गर्मी को वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और भलभला कर झड़ने लगी उसकी बुर से मदन रस का फवारा फुट पड़ा,,,, जिसका एहसास अंकित को अपने लंड पर हो रहा था,,,, और अपनी मां के मदन रस का फवारावह भी अपने लंड पर बर्दाश्त नहीं कर पाया और वह भी एकदम से अपने लंड से पानी की पिचकारी फेंकने लगा जो कि सीधा सुगंध को अपनी बुर के गुलाबी छेद पर महसूस हो रहा था,,, सुगंधा एकदम से गदगद हो गई वह इस फव्वारे को अच्छी तरह से जानती थी,,,, वह एकदम से चादर को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में भींच लीऔर यही हाल अंकित का भी था झड़ने समय वह अपनी मां की कमर को जोर से पकड़ लिया था लेकिन जैसे उसे एहसास हुआ कि उसकी मां जाग जाएगी वह तुरंत अपने हाथ को उसकी कमर से हटा लिया था।
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वासना का तूफान शांत हो चुका था अंकित धीरे से अपनी मां की जांघों के बीच से अपने घंटे को बाहर निकाला जो कि इस समय भी पूरी तरह से खड़ा था लेकिन अबउसका पानी निकल चुका था जो कि जहां को पूरी तरह से भिगो दिया था यह देखकर अंकित थोड़ा सा कपड़ा गया और तुरंत अपनी चादर से अपनी मां की टांगों पर लगा हुआ उसके पानी को साफ करने लगाऔर फिर वापस पेट के बल लेट कर आसमान की तरफ देखने लगा और कब नींद की आगोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला,,,, सुबह उसकी नींद जल्दीखुल चुकी थी लेकिन वह अपनी मां के सामने जल्दी जागना नहीं चाहता था क्योंकि अभी भी उसकी मां की साड़ी कमर तक उठी हुई थी,,,और वह अपनी मां को यह बिल्कुल भी जताना नहीं चाहता था कि रात को उसने उसके साथ कोई गलत हरकत किया था इसलिए वह सोने का नाटक करके लेट ही रह गया लेकिन इस बार दूसरी तरफ मुंह करके लेटा था ताकि उसकी मां उठे तो उसे बिल्कुल भी शक ना हो,,,,थोड़ी देर में सुगंधा की नींद खुली तो अपनी स्थिति को देखकर वह खुद ही शर्मा गई,,, अपनी बुर पर उसे चिपचिपाहट महसूस हो रही थीवह जानती थी कि ऐसा क्यों हुआ है लेकिन वह बिना कुछ बोले अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और वह अपने बेटे को जगाए बिना ही सीढ़ी से नीचे उतर आई,,,
रात को देर तक जागने की वजह से सुबह जल्दी नींद नहीं खुली थी उजाला हो चुका था इसलिए आज वॉकिंग पर जाने के लिए वह तैयार नहीं थीवह घर की सफाई करने लगी थी अंकित भी धीरे से होकर अपनी जगह पर बैठ गया और वह भी धीरे से सीढ़ियां उतरकर नीचे आ गया लेकिन वह अपनी मां से नजर नहीं मिल पा रहा था। औरअपने आप को सहज करने के लिए दैनिक क्रिया में लग गया था मां बेटे दोनों को सब कुछ मालूम था कि रात को क्या हुआ था लेकिन दोनों एक दूसरे से अंजान बने थे अंकित को ऐसे लग रहा था कि उसकी मां गहरी नींद में सो रही थी उसे कुछ नहीं मालूम था जबकि सुगंधा सब कुछ जानती थीऔर वह भी अपनी तरफ से खामोश थी अपने बेटे को कुछ बोलना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे इस बात की खुशी थी कि उसका बेटा इतनी हिम्मत दिखा पाया था के बिना उसकी बुर में लंड डाले ही उसका पानी निकाल दिया था।