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Incest मुझे प्यार करो,,,

rohnny4545

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बहुत मस्त मदमस्त करने वाली स्टोरी चल रही है, दोनों की कामुक बातें और दोनों एक दूसरे को जान बुझ कर इस तरह से बातेंकर रहे हैं और दोनों खुल चुके हैं ये बहुत ही अच्छी बात है, ताकि दोनों का जब समागम हो तो खुल कर बातें करते हुए करे, कहानी की स्पीड बहुत मस्त सही तरीके से चल रही है, कमाल की बात है बहुत अच्छा लग रहा है रोजाना अपडेट पढ़ कर , कमाल कर दिया है
Kahani Ko padhne ke liye बहुत-बहुत shukriya

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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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rajeev13

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Thanks Rajeev bhai

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वैसे मैंने आपकी कहानी 'बरसात की रात और एक अधूरी प्यास 2' का PDF यहाँ पोस्ट कर दिया है। जैसे ही मुझे समय मिलेगा और मेरे काम से फुर्सत मिलेगी, मैं बाकी की कहानियों को भी PDF रूप में रूपांतरित कर के पोस्ट कर दूंगा।
 

rohnny4545

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वैसे मैंने आपकी कहानी 'बरसात की रात और एक अधूरी प्यास 2' का PDF यहाँ पोस्ट कर दिया है। जैसे ही मुझे समय मिलेगा और मेरे काम से फुर्सत मिलेगी, मैं बाकी की कहानियों को भी PDF रूप में रूपांतरित कर के पोस्ट कर दूंगा।
Ohhh rajeeb bhai बहुत-बहुत dhanyvad
 

rohnny4545

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वैसे मैंने आपकी कहानी 'बरसात की रात और एक अधूरी प्यास 2' का PDF यहाँ पोस्ट कर दिया है। जैसे ही मुझे समय मिलेगा और मेरे काम से फुर्सत मिलेगी, मैं बाकी की कहानियों को भी PDF रूप में रूपांतरित कर के पोस्ट कर दूंगा।
Ohhh rajeeb bhai बहुत-बहुत dhanyvad
 
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मां बेटे दोनों के बीच एक अद्भुत मुद्दे पर बातचीत की शुरुआत हो चुकी थीइसके बारे में सोच सोच कर ही अंकित पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था और उसकी मां की भी यही हालत थी,,, गंदी किताब की कहानी वाले मुद्दे पर बात करने कासुगंधा का उद्देश्य इतना ही था कि वह अपने बेटे को बताना चाहती थी की किताब में जो कुछ भी लिखा हुआ था वह सही था हर बेटे के मन में अपनी मां को देखकर की उत्सुकता और उत्तेजना जागरूक होती है वह सब जता कर अपने और अपने बेटे के बीच की दीवार को पूरी तरह से गिरा देना चाहती थी और इसके लिए अंकित भी आतुर था।

रात का समय चारों तरफ अंधेरा लेकिन चांदनी रात होने की वजह से सबकुछ साफ दिख रहा थाअंकित अपनी मां को हर एक रूप में देखकर उत्तेजित हो जाता था पहले वह कपड़े में हो या कपड़े बगैर हो उसका हर एक रूप से उत्तेजक और मादकता भरा लगता था उसके बदन की बनावट बेहद गठीला और बेहद नशीला था जिसके नशे में वह महीनों से डूबा हुआ था,,, इस समय जिस तरह के हालात थे उसे देखते हुए अंकित को ऐसा ही लग रहा था कि शायद आज की रात दोनों के बीच कुछ हो जाएबार-बार अंकित तकीए को देख रहा था जो उसकी मां की भारी भरकम गांड का वजन शायद झेल नहीं पा रही थी और एकदम से छीतरा गई थी। अंकित का दिल जोरो से तड़प रहा था तभी उसकी मां अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।

तुझे क्या लगता है अंकित जिस तरह से कहानी में उसका बेटा बाथरूम में अपनी मां को देखा था और उसे देखने के बाद जो भावनाए उसके मन में जाग रही थी क्या वहां किसी के भी मन मैं जाग सकती है,,,..


मैं थोड़ा सा सोच नहीं पा रहा हूंकहानी में क्या था मैं थोड़ा भूल गया हूं थोड़ा बता दो तो मुझे याद आ जाए,,,,(अपनी मां की बात सुनकर अंकित भी यहां पर थोड़ा साअपनी युक्ति लगाते हुए बोला क्योंकि कहानी में जो कुछ भी लिखा हुआ था वह खुद पढ़कर अपनी मां को सुनाया था और उसे सब कुछ मालूम था लेकिन वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए थोड़ा चलाकी दिखा रहा था,,,,,, और सुगंधा भी अपने बेटे की बात सुनकर कहानी वाले दृश्य को कहानी के ही शब्दों में बताते हुए बोली,,,)

तू सच में भूल गया,,,

हां मुझे कुछ उतना खास याद नहीं है,,,,

अच्छा ठीक है मैं ही बता देती हुं,,,,,कहानी में कहानी के नायक को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बाथरूम में पेशाब करने के लिए गया था लेकिन जैसे ही बाथरूम के पास पहुंचा तो अंदर का दृश्य देखकर वह एकदम सेपागल हो गया क्योंकि अंदर उसकी मां साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने के लिए बैठी हुई थी और शायद यह उसके लिए पहली बार था जब अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा था लेकिनपहली बार में ही वह पूरी तरह से अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर मस्त हो गया था,,,।

(अपनी मां के मुंह से इस तरह से खुले शब्दों में कहानी का वर्णन सुनकर अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था और पेट की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि अंकित का लंड पेंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,,, अपनी मां की बात सुनते ही वह एकदम से बोल पड़ा,,,)

हां हां मुझे याद आया,,,वह पहली बार अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा था और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसकी हालत खराब हो गई थी,,,, माफ करना मैं यहां पर थोड़ा सा कहानी के लहजे में बोल गया,,,,,(बड़ी-बड़ी गांड शब्द बोलने पर वह जानबूझकर उस शब्द पर अपनी मां से माफी मांग रहा था और उसकी बात सुनकर उसकी मां बोली,,)

कोई बात नहीं किताब में जो लिखा हुआ था वही तो बताना है,,,,।

तो क्या सच में वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर पागल हुआ जा रहा था,,,!(अंकित यहां पर अपनी मां के सामने प्रश्न उठाते हुए बोला)

कहानी में तो ऐसा ही लिखा हुआ था,,,,,

हां मम्मी तुम सच कह रही हो कहानी में तो ऐसा ही लिखा हुआ था उस लड़के का पहली बार था लेकिन पहली बार होने के बावजूद भी वह वहां से हटा नहीं जबकि अपनी मां को इस हालत में देखकर उसे वहां से हट जाना चाहिए था,,,।

यही तो मैं भी सोच रही हूंअगर अनजाने में भी कोई बेटा अपनी मां कोई हालत में देख लेता है तो उसे वहां से हट जाना चाहिए ना की आंखें फाड़ कर उसे देखना चाहिए,,,, लेकिन शायद वह कर भी क्या सकता था,,,।

कर भी क्या सकता था मैं कुछ समझा नहीं तुम क्या कहना चाह रही हो,,,,।

अरे बुद्धू यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है बढ़ती उम्र मतलब कि जब बच्चे जवान हो रहे होते हैं तो इस तरह की तरह से देखकरउनका दिमाग काम करना बंद कर देता है उनके लिए तो यह सब कुछ नया नया रहता है इसलिए वह लोग चाहते हुए भी अपनी नजर वहां से हटा नहीं पाते,,,।

क्या बात कर रही हो मम्मी कोई बेटा अपनी मां को पेशाब करते हुए देखेगा तो क्या वहां से उसे हट नहीं जाना चाहिए,,,।

अब जैसा तू बोल रहा है वैसा होना तो चाहिए लेकिन कहानी में तो वैसा बिलकुल भी नहीं हुआ,,,,(तकिए पर ही कसमसाते हुए सुगंधा बोली,,,, अपनी मां की बातें सुनकर वह बोला,,,)

इससे आगे भी लिखा हुआ था कहानी में ,,

हां तु कुछ और भी पढ़ कर बता तो रहा था लेकिन मुझे याद नहीं है,,,,।

चलो अब जाने दो याद नहीं है तो,,,


नहीं नहीं ऐसे कैसे तुझे तो मालूम है तू बता,,,, वैसे भी जानना जरूरी है कि क्याजिस तरह से कहानी में लिखा हुआ था वह हकीकत में भी होता है और मैं तुझे बसई भी तो की हकीकत में हुआ है तभी तो कहानी में लिखा है लेकिन फिर भी थोड़ा अजीब तो लगता है,,,।

बात तो सही है मम्मी थोड़ा अजीब तो लगता है लेकिन एक बात भी है कि इस तरह की कहानी पढ़ने में पता नहीं कैसा महसूस होने लगता है,,(एक बहाने से अंकित अपने मन की बात बता रहा था और उसकी बात सुनकर उसकी मां बोली)

कैसा महसूस हो रहा था मुझे तो बता,,,।

अरे अब क्या बताऊं जब एक कहानी पड़ रहा था तो भजन में अजीब सी हलचल हो रही थी औरकिताब बंद करने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रहा था मन कर रहा था पूरी किताब बैठकर पढ़ डालु,,,

हां तो सच कह रहा है तू तो पढ़ रहा था और मैं सुन रही थी लेकिन सुनने में भी मुझे भी बड़ा अजीब लग रहा था सच कहूं तो न जाने क्यों अच्छा लग रहा था,,,, लेकिन कहानी वाली बात है तो बहुत गंदी लेकिन पढ़ने में और सुनने में बेहद रोचक लग रही थीमैं तो यह सोच रही हूं कि जब हम लोग को पढ़ने में इतनी हालत खराब हो रही है तो उसे नायक की क्या है कोई होगी जो अपनी मां को उसे अवस्था में देखा होगा और न जाने क्या-क्या सोच रहा था अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर,,,,।

उसकी सोच तो बहुत गंदी थी मम्मी सुनी थी ना कहानी में क्या लिखा था अपनी मां को देखकर उसका एकदम से खड़ा हो गया था,,,(मौके की नजाकत को समझते हुए अंकित एकदम से खुलते हुए बोलालेकिन लंज शब्द को जानबूझकर अपने होठों पर नहीं आने दिया था वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या बोलती है,,,,)

क्या एकदम से खड़ा हो गया था,,,( सुगंधा भी अनजान बनते हुए बोली)

अरे वही,,,,

क्या वही बता तो सही,,,।

धत् मुझसे तो नाम भी नहीं लिया जा रहा है पता नहीं उसने कैसे कहानी लिखा होगा,,,

लड़का होकर शर्मा रहा है और उसने पूरा अपना अनुभव जो उसकेऊपर बीत चुकी थी वह सब कुछ शब्दों में ढालकर किताब बना दिया था मुझसे अब शर्माने की जरूरत नहीं है,,, हम दोनों अब दोस्त की तरह है,,,,

फिर भी मम्मी एकदम खुले शब्दों में बोलने में शर्म तो आती है ना,,,,(अपनी मां की उत्सुकता देखकर अंकित मन ही मन प्रसन्न हो रहा था लेकिन जानबूझकर नाटक कर रहा था उसकी बात सुनकर उसकी मां बोली)

शर्माने की जरूरत नहीं है यह तो ज्ञान की बातें हैं,,, हम दोनों को पता चलना चाहिए कि दुनिया में चार दिवारी के अंदर क्या-क्या हो रहा है,,,,।

तुम एकदम ठीक कह रही हो मम्मी,,, न जाने कितने ऐसे घर हैं जिसकी चार दीवारी के अंदर इसी तरह से न जाने क्या-क्या चल रहा होगा।(अंकित को एकदम से राहुल की याद आ गईवह अपनी मां से बताना चाहता था कि राहुल और उसकी मां के बीच की शारीरिक संबंध है जिसे वह अपनी आंखों से देख चुका था उसे समय तो वह राहुल को अपनी मां को चोदते हुए देखकर एकदम से सन्न रह गया उसे वह बात हजम नहीं हो रही थी लेकिन नूपुर का मदमस्त यौवन देखकर उसकी भरी हुई जवान देखकर उसे एहसास होने लगा था कि वाकई में जब घर में इतनी खूबसूरत जवानी से भरी हुई औरत हो तो किसी भी मर्द का मन उसे चोदने को तड़प उठेगा फिर भले ही वहां उसका बेटा क्यों ना हो,,, लेकिन इस समय वह अपनी मां के सामने राहुल का जिक्र नहीं छेड़ना चाहता था क्योंकिउसके मन में इस बात का शंका था कि कहीं उसकी मां को ऐसा ना लगे कि उसका बेटा जानबूझकर राहुल की बात बता कर उसे चोदने के फिराक में है,,,अपने बेटे की बात सुनकर गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर के अपनी छाती को उभार कर वह बोली,,)

तो सही कहना है ऐसे ना जाने कितने घर होंगे जिसकी चार दिवारी के अंदर मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता इस तरह की चाहत और इस तरह की ताका झांकी चल रही होगी,,,(इस बात को कहते हुए सुगंधा अपने और अपने बेटे के बीच जिस तरह की तांका झांकी चल रही है उसका भी जिक्र कर देना चाहती थी लेकिन किसी तरह से अपनी भावनाओं पर वह काबू कर ले गई थी,,,,, फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) और हांतो कुछ कहानी में आगे बता रहा था कि वह नायक अपनी मां को बाथरूम में पेशाब करते हुए देखकर पागल हो गया था और उसका एकदम से खड़ा हो गया था,,,, तु बताया नहीं क्या खड़ा हो गया था।

अब जाने देना मम्मी तुमको तो पता ही होगा कि क्या स्थिति हो जाती होगी लड़कों की,,,(जानबूझकर शर्माने का नाटक करते हुए अपना नजर नीचे करते हुए अंकित बोला उसकी हालत देखकर उसकी मां मन ही मन मुस्कुरा रही थी और उसकी हालत देखकर एकदम से तपाक से बोल पड़ी,,,)

तेरी भी उसी तरह की हालत हो जाती है क्या तेरा भी कुछ ऐसा ही खड़ा हो जाता है क्या,,,,,।

(अपनी मां की बात सुनते ही अंकित एकदम से अपनी मां की तरफ देखने लगाअंकित की आंखों में वासना एकदम साफ दिखाई दे रहा था और उसकी मां की इस तरह की बातें उसे पूरी तरह से पागल कर रही थी और आगे बढ़ने को प्रेरित कर रही थी,,,, लेकिन किसी तरह से वह अपने भावनाओं पर काबू किए हुए था और अपनी मां की बात सुनकर बोला,,)

धत् कैसी बातें कर रही हो मम्मीमैंने कभी तुम्हें उसे अवस्था में थोड़ी ना देखा है और ना हीं देखने की कोशिश किया हूं,,,,।

हां बात तो सही है,,,, तू तो मेरा अच्छा बेटा है,,,,(सुगंधा जानबूझकर यह बातें कर रही थी वह एक तरह से अपने बेटे की बातें सुनकर उस पर कटाक्ष कर रही थी क्योंकि वह अपने बेटे की हरकत से भली भांति परिचित थी,,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) अच्छा उसके आगे भी तो था जो कहानी में उसे बेटे के मन में बहुत कुछ चल रहा था अपनी मां को उसे अवस्था में देखकर बता तो सही,,,



हां इसके आगे का विचारतो उसे लड़के का बहुत ही ज्यादा गंदा था अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकरऔर शायद पहली बार उसके मन में इस तरह का ख्याल आ रहा होगा,,, कहानी पढ़कर तो ऐसा ही लग रहा था,,,,,(ऐसा कहते हुए अंकित भी अपने पेंट में बना तंबू अपनी मां को दिखाने के लिए वह भी अपनी मां की तरह हाथ पीछे की तरफ करके अपनी दोनों टांगें फैला दिया था और वाकई में उसकी यह युक्ति काम कर गई थी उसके पेंट में बना तंबू एकदम साफ उसकी मां को दिखाई दे रहा था जिसे देखकर उसकी मां की बुर कचोरी की तरह फूलने लगी थी,,,, और अपने बेटे के तंबू को देखकर वह अपने मन में सोच रही थी कि उसके बेटे की भी हालत कहानी के नायक वाली की तरह हो रही थी जिसका मतलब साफ था कि वह भी उसे चोदना चाहता था वरना उसका लंड इसमें खड़ा ना होता,,, अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) अपनी मां को पेशाब करते हुए देखकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका लं,,,ल,,लंड एकदम से खड़ा हो गया था,,(बड़ी हिम्मत करके अपनी मां के सामने इस शब्द का प्रयोग कर रहा था जिसे सुनकर उसकी मां के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी)और वह अपने मन में ही बोल रहा था कि उसकी मां की गांड कितनी मस्त है गोरी गोरी एकदम बड़ी-बड़ी और कहानी में लिखा हुआ था कि उसका मन तो कर रहा था कि इसी समय बाथरूम में घुस जाऊं और पीछे से अपनी मां की बुर में पूरा लंड डालकर चुदाई कर दुं,,,,।

हाय दईया,,,, कितना हरामी लड़का है अपनी मां के बारे में ऐसा सोच रहा है,,,,(सुगंधा जानबूझकर ऐसा बोल रही थी और उसकी बात सुनकर अंकित भी अनजान बनता हुआ बोला,,,)

क्या सच में एक बेटा अपनी मां के बारे में ऐसा सोच सकता है,,,?

क्यों नहीं सोच सकता कहानी का नायक तेरी उम्र के आसपास का ही लग रहा है तभी तो कहानी में लिखा था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देख रहा था और अपनी मां को ही,,,,और ऐसा होता है तेरी उम्र के लड़के जब औरत के अंगों को देखते हैं पहली पहली बार तो उनके मन में ऐसी ही जागरूकता और जिज्ञासा जगाती हैं उनका मन भटकने लगता है भले ही उनकी आंखों के सामने रिश्ते में कोई भी हो,,,।

तो क्या वह लड़का सच में अपनी मां के बारे में ऐसा सोच रहा था,,,।

तूने ही तो पढ़ा था एकदम साफ-साफ वह बाहर खड़ा होकर देख रहा था और उसके मन में ढेर सारी बातें चल रही थी अपनी मां को पेशाब करते हुए देख कर पर तू ही तो बताया था कि अपनी मां को पेशाब करते हुए उसका वह खड़ा हो गया था,,,, और तू शायद नहीं जानता कि तुम लड़कों का वो,,,(उंगली से अंकित के पेट में बने तंबू की तरफ इशारा करते हुए) क्यों खड़ा होता है कब खड़ा होता है...

अपनी मां का इशारा देख कर अंकित एकदम से शर्मा गयाऔर अपने पैर को घुटनों से मोड़कर अपने पेंट में बने तंबू को छुपाने की कोशिश करने लगा तो उसकी मां मां ही मां अपने बेटे की हरकत को देखकर मुस्कुराने लगी,,,, अपनी मां की बातें सुनकर वह भी अपनी मां से पूछ बैठा।


कब और क्यों खड़ा होता है,,,,!(उत्तेजित स्वर में अंकित बोला उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि अब यह मुद्दा पूरी तरह से गरमाहट पैदा कर रहा था और यही हाल सुगंधा का भी था उसकी बुर बार-बार पनिया रही थी,,,,,अपने बेटे की बात सुनकर उसे यही सही मौका लग रहा था खुले शब्दों में बोलने के लिए और वह गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)



देख मैं तुझे बता तो देती हूं लेकिन मुझे गलत मत समझना मैं सिर्फ तेरे ज्ञान के लिए बता रही हूं,,,, तू भले ही बड़ा हो गया है लेकिन अभी नादान ही है इसलिए तुझे बताना जरूरी है,,,,। एक मर्द का लंड,,,,(एकदम मदहोशी भरे स्वर में गहरी सांस लेते हुए और लंड शब्द बोलते हैं उसकी हालत एकदम से खराब हो गईअंकित का भी हो रहा था अपनी मां के मुंह से इस तरह की अश्लील शब्द सुनकर वह पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबने लगा थावह सिर्फ मां बेटे की मर्यादा को देखकर रुका हुआ था वरना इसी समय चटाई पर लेटा कर वह अपनी मां की चुदाई कर देता,,,,फिर भी वह अपनी उत्तेजना से सूखने हुए गले को अपने थूक से गिला करने की कोशिश करके अपनी मां की बात सुनने लगा,,, और उसकी मां भी एकदम मस्त होते हुएअपने बेटे से नजर मिलाए बिना ही आसमान की तरफ देखते हुए बोली,,,) तभी खड़ा होता है जब वह पूरी तरह से किसी औरत पर मदहोश हो जाता है और उत्तेजित हो जाता है उसे पर पूरी तरह से आकर्षित हो जाता है और सच कहूं तो खुले शब्दों मेंवैसे तो मैं तेरे सामने ही शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहती लेकिन फिर भी तुझे बताना जरूरी है,,,,, लेकिन मुझे शर्म आ रही है,,,।

(अपनी मां किस तरह की बातों को सुनकर अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था,, अपनी मां की उत्सुकताऔर उसके मुंह से निकला हुआ लंड से अभी तक उसके बदन में उत्तेजना का संचार कर रहा था वह अपने आप को काबू में नहीं कर पा रहा था,,,,लेकिन जिस तरह से उसकी मां बताते हुए रुक गई थी और शरम का जिक्र कर रही थी उसे देखकर अंकित अपनी मां को समझाते हुए बोला,,,

हम दोनों में कैसे शर्म अभी कुछ देर पहले तुम ही तो मुझे समझ रही थीफिर अभी शर्मा क्यों कर रही हो मैं भला किसी और से बताने वाला थोड़ी ना हूं हम दोनों के बीच जो भी बातें हो रही है आपस में राज रहेगी उसके बारे में किसी को भी पता नहीं चलेगा यहां तक की तृप्ति को भी नहीं,,,,

(तृप्ति का जिक्र आते हीसुगंधा के होठों पर मुस्कान आ गई थी क्योंकि जिस तरह से उसका बेटा इस राज को राज रखने के लिए बोल रहा था और अपनी भी बड़ी बहन से भी यह राज राज रखने के बारे में बोल रहा था यह देखकर सुगंध को अच्छा लगा था क्योंकि वह चाहती थी कि जो कुछ भी उसके और उसके बेटे के बीच में बातचीत हो रही है क्रियाकलात हो रही है वह राज्य ही रहे इसके बारे में किसी को भनक तक ना लगे लेकिन अपने ही बेटे के मुंह से इस तरह की बातों को राज रखने के लिए बोलता हुआ सुनकर उसे राहत महसूस हो रही थीऔर जिस तरह से उसका बेटा उत्सुकता दिख रहा था आगे की बात जानने के लिए उसे देखकर सुगंधा भी आतुर थी आगे की बात बताने के लिए इसलिए वह बोली,,)

तू कहता है तो मैं तुझे बता देता हूं लेकिन अपने वादे से मुकरना नहीं यह राज, राज ही रहना चाहिए,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूंगा और मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि ईस तरह की बातें किसी से भी बताई नहीं जाती,,,।


बहुत समझदार हो गया है तु,,,, तेरे कहने पर मैं बता रही हूं सच कहूं तो मर्द का लंड तभी खड़ा होता है जब वह पूरी तरह से चोदने के लिए तैयार होता है,,,,।

(इतनी सी बात कहने के लिए सुगंधा के पसीने छूट गए थे और उसकी बुर का पानी भी निकलने लगा वह जानती थी कि अपने बेटे के सामने इस तरह की बातें करने में एक मां के लिए कितनी मस्सकत करनी पड़ती है,,,, यहां तक की अपने संस्कार मर्यादा मां बेटे के बीच के रिश्ते को एक तरफ रख देना पड़ता हैऔर वाकई में इस तरह की बात करते हैं उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई थीऔर यह हालत अंकित की भी थी आज अपनी मां के मुंह से एक औरत और मर्द के बीच के चार दिवारी के अंदर के संबंध को खुले शब्दों में सुनकर अंकित की हालत एकदम से खराब हो गई थी उसके लंड की अकड़ एकदम से बढ़ने लगी थी वह इस कदर उत्तेजित अवस्था में आकर फूल रहा था अंकित को तो इस बात का डर था कि कहीं उसकी नसें फट ना जाए,,,,अपनी मां की बात सुनकर उसके मुंह से कुछ निकल नहीं पाया बस आशचर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वह एक शब्द बोल नहीं पा रहा थाउसकी मां उसकी हालत को अच्छी तरह से समझ सकती थी क्योंकि वह लोहा गरम देखकर हथोड़ा मारी थीवह अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत के मुंह से एक जवान लड़का इस तरह की बातें सुनकर किस तरह से मचल उठेगा किस तरह से उसकी भावनाएं बेकाबू हो उठेंगी वही हालत इस समय अंकित की भी थी,, कुछ पल के लिए दोनों एकदम खामोश हो गए एकदम से खामोशी छा गई लेकिन यह खामोशी एक इशारा था आने वाले बदलाव काक्योंकि अभी बात खत्म नहीं हुई थी रात भी बाकी थी और बात भी बाकी थी,,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अंकित और सुगंधा के बीच अश्लील किताब की कहानी का सार पकड कर जो मादक वार्तालाप हो रहा हैं उसका वर्णन बडा ही खतरनाक हैं
उसी वार्तालाप के सहारे दोनों माँ बेटे का मिलन होना अब पक्का हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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