अब आगे................
आप लोगो को याद होगा कि सुबह मुनीम ने पूनम से शाम को फिर से चुदाई के लिए आने को कहा था।
मुनीम को पूरा भरोसा था कि पूनम ज़रूर आएगी, वह जानता था की एक बार जिसने उसका लंड लिया वह दूसरी बार क्या बार-बार आती रहेगी और उसका लंड खली करती रहेगी, और जब दोपहर में उसने सेठजी और उसके सामने सुंदरी को एक आदमी के साथ संबंध बनाते देखा, तो वह पूनम को चोदने के लिए बहुत उत्साहित हो गया।
और उसने तय कर लिया कि आज रात चाहे कुछ भी हो जाए, वह उसकी अपनी बेटी महक को भी चोदेगा। इसलिए सेठजी के घर जाने के तुरंत बाद उसने ऑफिस भी बंद कर दिया और रिक्शा लेकर घर पहुँच गया। चाबी उसके पास थी क्योंकि सुबह ही तय हो गया था कि बाकी सब सेठजी के घर पर होंगे।
मुनीम अंदर आया और लुंगी पहन ली। जब वह नहा रहा था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मुनीम ने सोचा कि पूनम है। फिर भी उसने पूछा;
"कौन है..?"
"मैं हूँ काका, दरवाज़ा खोलो!" जवाब आया। एक महिला की आवाज़ आई।
यह सोचकर कि यह पूनम है, उसने उसका स्वागत करने की सोची। उसने लुंगी उतार दी। सिर्फ़ पूनम और सिर्फ़ उसके ख्याल से ही उसका सुपारा पूरा आकार ले चुका था। उसका सुपारा अपे सीथ से आधा बहार आ चुका था। वह नंगा ही दरवाज़ा खोलने आया। उसे हैरानी हुई कि वह 'पूनम' नहीं, बल्कि उसकी बेटी की एक और सहेली 'सुधा' थी। (जब पूनम ने कॉलेज में अपने पिता के बड़े सुपारे के बारे में बताया था, तो सुधा ने उसे चखने का फैसला किया था और जब महक ने कहा कि शाम को वह घर पर नहीं होगी, तो सुधा ने मुनीम के बड़े आलू के आकार के सुपारे के साथ मज़े करने का फैसला किया।)
मुनीम ने इधर-उधर देखा। कोई नज़र नहीं आ रहा था। सुधा मुनीम को पूरी तरह नंगा और पूरे आकार में तना हुआ लंड देखकर चौंक गई। यह उसके पिता के लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा और मोटा था, जिसे उसने सुबह भी देखा था जब वह नौकरानी रिंकू को चोद रहे थे। इससे पहले, कि सुधा कुछ कहती मुनीम ने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
“बेटे अब तो तुमने देख ही लिया है.. तो फिर तुमसे छिपाना क्या…!” मैत्री और नीता की रचना।
मुनीम ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे अपनी ओर खींच लिया। सुधा ने अपनी आँखें हाथों से ढँक ली थीं। उसने उसके हाथों को उसकी आँखों से हटा दिया और कहा
“शर्माती क्यों हो बेटी, तुम तो पूरी जवान हो.. लंड लेने के लायक हो गई हो… इसे छू कर बताओ कि मेरा लंड कैसा है…!” इतना कहकर मुनीम ने लंड सुधा के हाथ में रख दिया।
सुधा तो इसी लंड का मजा लेने आयी थी, पर जब वो यहाँ आई तब तक वह रस्ते में एक से दो बार मन ही मन में मुनीम का लंड अपनी चूत में ले चुकी थी।पर सामने जब मुनीम का लंड आया तो उसकी चूत में एक अजीब सी फड़क बैठ गई, और सोचने लगी की इतना बड़ा लंड, कैसे हो सकता है,सुपारा तो न जाने कहा से लेके आया है। लंड देखने के बाद वह थोड़ी डर गई थी उसकी चूत लंड को देखने के बाद जैसे सिकुड़ कर अपना दरवाजा बंद कर के बैठ गई हो। पूनम की बात बिलकुल सही थी यह लंड बहोत खतरनाक हो सकता है, उसकी चूत और गांड की धज्जिया उदा सकता है। लेकिन पूनम को मजा आया मतलब उसको भी आएगा। वो सोच रही थी कि कैसे मुनीम को चोदने के लिए लिया जाएगा लेकिन यहां तो मुनीम का लंड निकल कर उसके हाथ में डाल दिया है। सुधा इतना सोच ही रही थी कि मुनीम ने सुधा के फ्रॉक को सिर के ऊपर से बाहर निकाल दिया। सुधा ने एक ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मुनीम ने सुधा को अपनी ओर घुमाया और उसकी चुचियो को प्यार से मसलने लगा...
“काका क्या कर रहो हो!” कहते हुए सुधा ने लंड को मसल दिया…।
निपल दबाते-दबाते और खिंच के छोड़ते-छोड़ते, मुनीम का हाथ सुधा के पेट से होते हुए उसकी चूत के आसपास घुस गया और मुनीम ने सुधा की चिकनी चूत को मुट्ठी में लेकर मसल दिया।
“आआहह… काका…।”
थोड़ी देर तक चूत को मसलने के बाद मुनीम ने सुधा को अलग किया। अब सुधा नंगी थी, सुधा का शरीर भी महक की तरह टाइट और स्वस्थ था, लेकिन बोबले महक से छोटे थे। मुनीम ने सुधा को बिस्तर पर ढकेला तो सुधा ने पैर तो फैला कर उठा दिया।
मुनीम को अब कंट्रोल नहीं था। उसने सुधा के चूत की बाहरी पटलो को फैलाया और लंड को उसने सटाया ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई और आवाज आई,
“उसकी माँ को चोदे! कौन है?”
“मैं हूँ, मैं पूनम हूं, दरवाजा खोलो।” मैत्री और नीता की सहयारी रचना।
मुनीम सुधा को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर खुद नंगा दी दरवाजे पर गया और पहले की तरह दरवाजा खोला और पूनम को अंदर खींच लिया। पूनम तो दरवाजे पर मुनीम को नंगा देखकर घबरा गई और अंदर आ कर जब सुधा को बिस्तर पर नंगी लेटे देखा तो बोल पडी,
“आज महक नहीं तो सुधा को ही बुला लिया! लगता है तुम लोगों ने अभी चुदाई की नहीं!” पूनम ने सुधा की चूत को चूमा और बोली,
“काका इस कुतीया की प्यास बुझा दो फिर मेरी चुदाई करना।
मुनीम बिस्तर पर चढ़ा और लंड को सुधा के चूत के एंट्री द्वार पर रख कर जोर से दबाया। सुधा की चूत गीली हो चुकी थी और 5-6 करारे धक्के में पूरा लंड घुस गया। मुनीम ने पहले से ही उसका एक हाथ सुधा के मुंह पर रख दिया था। वह जानता था की लंड जाएगा तो यह माल उस्छ्लेगा। उसके यह प्रेक्टिस में था। कोई भी चूत आसानी से मुनिमका लंड नहीं ले सकती थी चाहे कितनी बार ही चुदी हो और यहाँ तो एक कच्चा जैसा माल था।
सुधा ने कस-कर मुनीम को पकड़ कर रखा था और हर धक्के पर सिसकारी मार रही थी…पूनम ने भी काफी सहकार दिया सुधाको अपने बूब को उसन=के मुंह में दल कर धीरे से कह रही थी चिल्लाना मत बस मार खाती जा।
सुधा आब सांतवे आसमान में पहुँच गई थी, बहुत मजा आ रहा था...और आता भी क्यों नहीं...मस्त लंबा, मोटा टाइट लंड और कड़क जवान गरम चूत को खोद रहा था।
फिर कल रात की तरह मुनीम ने दोनो के साथ खुब मस्ती मारी, दोनों लडकियों की चूत को २-३ बार झाड दिया। दोनो से अपना लंड चुसवाया और उनकी चूत को चाटा और चोदा। दोनो लड़कियो ने भी एक दूसरे की चूत का मजा ली। और दोनो ने मुनीम से वादा लिया कि अगली बार उनके सामने पहले महक को चोदेगा और फिर उनकी चूत को।
करीब दो घंटे की मस्त चुदाई और चूत की रस-मलाई छोड़ ने के बाद दोनों लड़कियाँ अपनी एब्नोर्मल चाल से अपने-अपने घर चली गईं। मुनीम लंड को सहलाता रहा और इंतजार करता रहा कि कब महक घर आएगी और उसको जम कर चोदे।
लेकिन महक के बारे में सोचते-सोचते मुनीम को दोपहर का सीन याद आ गया जब वो ऑफिस के कमरे में पेपर साइन करने गया था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुंदरी, पूरी तरह से नंगी, कुत्ते की मुद्रा में, मुँह में एक बड़ा सा लंड और चूत पूरी दुनिया के सामने खुली हुई, कैसे रह सकती है। उसे पछतावा हुआ कि उसने उसे चोदने की इच्छा क्यों नहीं जताई। मुनीम ने तय किया कि अगली बार अगर ऐसा मौका आया तो वो सेठजी की की पत्नी को चोदेगा, चाहे वो सुंदरी हो, महक हो या सेठजी की बेटी या बहू...
हिसाब तो बराबर रहना चाहिए.......शायद मैं तो मेरे दो माल देके सेठजी के सभी मालो पर अपने लंड से वीर्य की धाराए बहता रहूँगा।
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जाऐगा नहीं................
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।।जय भारत।।