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मुझे लगा की सुंदरी का अब क्या होगा वह ज्यादा सुस्पेंस ना रखु और लिख दू


हालाँकि मुनीम ने खुद उसे सेठजी को संतुष्ट करने के लिए कहा था, लेकिन उसे यकीन था कि सेठजी को उसका किसी और के साथ चुदना बिल्कुल पसंद नहीं आएगा। उसने खुद को अजनबी की जांघों के बीच और भी करीब खींच लिया। दूसरी ओर, मुनीम को उस समय गहरा सदमा लगा जब उसने एक नग्न आकर्षक महिला को एक नग्न पुरुष की जांघों के बीच अपना सिर घुसाते देखा। मुनीम ने अपनी पत्नी की खुली हुई चूत देखी। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था। मुनीम अन्दर से जानता था की वह औरत कौन है। अजनबी ने मुनीम से कहा कि वह सुंदरी की पीठ पर रजिस्टर रखे। मुनीम बिस्तर पर बैठने से हिचकिचाया, लेकिन वह अपने प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका। चूत को करीब से देखने का मन हुआ और वह सुंदरी के बहुत करीब बैठ गया। मुनीम ने एक-एक करके रजिस्टर खोला और अजनबी ने मनचाही जगहों पर हस्ताक्षर और मोहरें लगाईं।


पन्ने पलटते हुए मुनीम ने सुंदरी को इधर-उधर छुआ और एक बार तो चूत पर अपनी उंगली भी फिराई। वह उसका चेहरा देखना चाहता था, लेकिन सुंदरी का चेहरा उसके घने बालों से पूरी तरह ढका हुआ था। रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने में सिर्फ़ 10 मिनट लगे, लेकिन सुंदरी को तो सालों लग गए। मुनीम के जाने और सेठ के अंदर से दरवाज़ा बंद करने के बाद, सुंदरी ने अपना सिर उठाया।

सेठ मुस्कुराया।

"आप बहुत गंदे हैं," उसने सेठ की तरफ मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे सबके सामने नंगा कर दोगे..." उसने अजनबी का लंड सहलाया और पूछा, "

किसी को चोदना है? कि कपड़े पहन लूँ...?"

अजनबी उठा और सुंदरी को चूमा, "मैं तो थक गया हूँ..." और कपड़े पहनने लगा। सेठ ने कुछ देर तक उसे सहलाया और फिर दोनों बाहर चले गए, सुंदरी को कमरे में अकेला छोड़कर। उसने अंदर से दोनों दरवाज़े बंद कर लिए और बिस्तर पर नंगी पड़ी रही। उसने मुस्कुराते हुए खुद से कहा, "मैं आज से वेश्या बन गई हूँ और मेरा बेटा,पति और सेठजी मेरे दलाल बनगए है!" और अपनी आँखें बंद कर लीं।


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।।जय भारत।।
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 
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यहाँ सुंदरी चुद रही थी और बाहर परम किताबों की दुकान पर गया और 'बड़ी बहू' के लिए दो गंदी किताबें चुनीं। उसने किताब वाले को पैसे दिए और उसी समय उसे एक मीठी आवाज़ सुनाई दी,

"परम तू, कॉलेज नहीं गया, यहाँ क्या कर रहा है...?"

परम ने ऊपर देखा और अपनी बहन की करीबी दोस्त सुधा की माँ 'रजनी' को देखा। सुधा पहली कुंवारी लड़की थी जिसे उसने महक की मौजूदगी में अपने बिस्तर पर चोदा था।

वह झुका और उसके पैर छूने की कोशिश की। रजनी एक कॉलेज टीचर थी और अब घर जा रही थी।

"मुझे सेठजी ने बुलाया था।" वह कैसे कह सकता है कि उसने उसकी माँ सुंदरी को एक अजनबी के साथ एक कमरे में चुदने के लिए छोड़ दिया है।

"चल बेटा, समय है तो मेरे साथ घर चलो।"

परम यह निमंत्रण पाकर खुश हुआ। अगले दो घंटे तक उसके पास करने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए बिना किसी हिचकिचाहट के वह मान गया। इसके अलावा, वह इस दुबली-पतली, साधारण दिखने वाली महिला पर मोहित हो गया था।

घर तक पैदल जाना था। लगभग 10 मिनट में वे रजनी के घर पहुँच गए। नौकरानी रिंकू ने दरवाज़ा खोला। परम कुछ महीनों बाद उनके घर आया था, इसलिए वह रिंकू से कभी नहीं मिला था। रजनी ने उसे रिंकू से मिलवाया और उसने रिंकू को बताया कि परम सुधा की सबसे अच्छी दोस्त का भाई है। परम को याद आया कि महक ने रिंकू के बारे में क्या बताया था कि रजनी का पति (सुधा के पिता) हर सुबह रिंकू को चोदता है और सुधा देखती रहती है। रिंकू को देखकर और महक द्वारा रिंकू के बारे में बताई गई बातों को याद करके परम को भी रजनी की मौजूदगी में रिंकू को चोदने का मन हुआ।

रजनी ने परम को बिस्तर पर बैठने के लिए कहा और वह बाथरूम चली गई और कुछ देर बाद वह केवल सफेद पेटीकोट और काली ब्रा में वापस आ गई। अब परम ने रजनी को गौर से देखा। वह सुंदरी की उम्र की थी, लेकिन उससे पतली थी। रजनी 5’2” की थी, गोरी। उसका चेहरा गोल और नैन-नक्श तीखे थे। उसने देखा कि रजनी के स्तन सुंदरी से छोटे हैं। यह 34” से ज़्यादा नहीं होने चाहिए। ब्रा भी स्तनों के उभारों को ढकने के लिए पर्याप्त थी। रजनी का पेट सपाट था और उसकी नाभि गहरी थी। पेटीकोट का ऊपरी हिस्सा नाभि से लगभग 6” नीचे था। वह 30 के मध्य में थी और उस सेक्सी पोशाक।

परम उसकी सराहना करना बंद नहीं कर सका,

“काकी, तुम तो लोगो का जान ले लोगी…बहुत मस्त लग रही हो…आपका मा....ल...!”

रजनी मुस्कुराई और परम ने साहस किया। उसने रजनी का हाथ पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया। वह लगभग उसके शरीर पर गिर पड़ी।

“है काकी (आंटी) कॉलेज में टीचर्स लोग तुम्हारे लिए पागल हो जाते हैं…।”

'साला, किसी के लंड में दम नहीं है...सब खाली अपना...हाथ..' वह कुछ कहना चाहती थी लेकिन रुक गई। रजनी ने परम की पीठ थपथपाई और कहा, 'उन शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नजर युवा बढ़ती लड़कियों पर है, वाह मेरे जैसी बूढ़ी औरत को देखने का समय कहां है।'

वह एक गर्ल्स कॉलेज में कार्यरत थी और वह जानती थी कि लगभग सभी पुरुष शिक्षक किसी न किसी छात्रा को नियमित रूप से चोदते हैं।

रजनी ने आगे कहा, ''साले सब के सब कमसिन लड़कियाँ के पीछे पड़े रहते हैं, हम लोगों के लिए किसके पास टाइम है?

"साले,सब बेबकूफ़ है! तुम्हारी जैसी मस्त माल को छोड़ कर कच्ची लड़की के पीछे पड़े रहते हैं...!"

"चुप हरामी, काकी भी बोलता है और माल भी बोलता है... सच पूछो तो इस गांव में कोई असली माल है तो तुम्हारी माँ सुंदरी है..!"

उसने परम के गालों को थपथपाया और वह रजनी के करीब चला गया। अब परम को लगा कि उसका बीपी बढ़ रहा है और खून उसके लंड की ओर बढ़ रहा है। वह रजनी को चोदना चाहता था जबकि उसने कुछ दिन पहले महक की मौजूदगी में उसकी बेटी को अपने ही घर में चोदा था। कुछ देर तक परम के गालों को सहलाने के बाद, वह अपना हाथ उसके शरीर पर नीचे ले गई और उसकी जाँघों पर रख दिया।

“काकी तूम अगर मेरे कॉलेज में होती तो मैं…तुम्हें..अब तक..” परम ने कहा लेकिन रजनी ने बीच में ही बोल दिया..

"तो क्या करता... तू तो बच्चा है अभी...'" और वह हँसी और बिस्तर पर सीधी लेट गई।

“नहीं काकी मैं बच्चा नहीं हूँ…” परम ने उत्तर दिया और उसके पैरों पर अपना हाथ रख दिया। “मैं लेग्स दबा दू….!” परम मन ही मन में बोला अगर चाहो तो तुम्हारी बेटी से पूछ लो मेरे लंड ने ही तो उसकी सिल तोड़ी है।
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आगे है .............सब्र करे................
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।।जय भारत।।
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 
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Update 09



“अरे कोई जरुरत नहीं है, मुझे सोने दे..” उसने रिंकू (नौकरानी) की ओर देखा और परम से कहा “तू रिंकू के साथ बात कर।”

उसने रिंकू से कहा, “परम को अपने साथ ले जा और कुछ खिला पिला दे.. ।” रजनी ने नौकरानी को आंख मारी….लड़की समझ गई कि मालकिन चाहती है कि वो परम को अपनी जवानी का थोड़ा मौक़ा दे…..।

लेकिन परम रजनी के साथ रहना चाहता था। वह जानता था कि रिंकू को उसका मालिक पिछले एक साल से नियमित रूप से चोद रहा है, इसलिए उसे इस्तेमाल की हुई माल में कोई दिलचस्पी नहीं थी, बल्कि उसे सुंदरी जैसी रसदार और अनुभवी माल में दिलचस्पी थी। परम को बुजुर्ग महिला स्वाभाविक पसंद थी। याद है उसने सबसे पहले 50 साल की औरत यानी सेठानी को चोदा था। वह उसके निचले पैरों को दबाता रहा। रजनी ने उसे रिंकू के साथ जाने के लिए मनाने की कोशिश की।

आख़िर उसने कहा-
नीता और मैत्री की रचना

“जा ना, मेरा पैर दबा कर क्या मिलेगा, रिंकू को दबा कर मजा ले… मैं कुछ नहीं बोलूंगी।”

इतना सुन कर रिंकू शर्मा गई और कमरे के बाहर चली गई।

परम ने जवाब दिया, "काकी मुझे पैर दबाने दे। मुझे तो तुम्हारी जैसी माल ही अच्छी लगती है..!"

“चुप हरामी, माल बोलता है.!” उसने फिर सहमति दी और परम को उसके पैर दबाने के लिए कहा। उसने कहा, "थोड़ी देर दबा ले, फिर रिंकू के साथ मस्ती लेना.. जवान माल है.. बहुत मजा देगी..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और अपने दोनों हाथ अपनी छाती पर रख लिए।

परम ने सेठानी की योनि को उजागर करने और उसे चोदने के लिए वही तरकीबें इस्तेमाल करने की सोची जो उसने इस्तेमाल की थीं। कुछ मिनटों तक परम ने धीरे-धीरे पैरों से घुटने तक पैरों को ऊपर-नीचे दबाया। उसने देखा कि रजनी की साँसें आसान हो गई थीं और उसके दोनों स्तन लयबद्ध तरीके से ऊपर-नीचे हो रहे थे। परम की धड़कन बढ़ गई। दबाना जारी रखते हुए उसने अब पेटीकोट को उसके पैरों पर ऊपर उठाना शुरू कर दिया। उसने उसकी पिंडलियों को सहलाया और पिंडली की मांसपेशियों को दबाया। वह हिली नहीं। उसने पेटीकोट को और घुटने तक ऊपर सरका दिया और दोनों पैरों को थोड़ा सा अलग कर दिया। वह उसकी निचली जांघों की चिकनी त्वचा देख सकता था। अब उसने घुटने से ऊपरी जांघों तक दबाना शुरू किया। परम ने रजनी की जांघ की दृढ़ता महसूस की। यह निश्चित रूप से सुंदरी, बड़ी बहू या सेठानी या यहां तक कि विनोद की माँ से भी अधिक दृढ़ थी। उसे दृढ़ता पसंद आई। “अब तू जा… मुझे सोने दे…।”

लेकिन वह सीधी ही रही। इसके बजाय उसने अपनी टांगों के बीच जगह बढ़ा दी। अब पेटीकोट पूरी तरह खिंच गया था। उसने पेटीकोट को और ऊपर उठाने की कोशिश की, लेकिन वह टाइट था और ऊपर नहीं उठ पा रहा था। फिर उसने एक हाथ उसकी टांगों के बीच ले जाकर उसकी अंदरूनी जांघों को धीरे से सहलाया। दूसरी जांघों से उसने पेटीकोट के ऊपर से जांघों को दबाना जारी रखा। अंदर उसका हाथ चूत के और करीब जा रहा था। लेकिन इससे पहले कि परम उसकी चूत को छू पाता, उसने दोनों पैरों को अपने कूल्हों के बहुत पास खींच लिया। चूँकि पेटीकोट घुटनों से ऊपर उठ चुका था और टांगें उचित दूरी पर थीं, चूत पूरी तरह से नंगी हो गई। कमरे में दिन की तेज़ रोशनी थी। परम एक और चूत देखकर बहुत उत्साहित और खुश हुआ। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन रिंकू अभी भी नज़र नहीं आ रही थी। परम अब और भी आत्मविश्वास से अंदरूनी जांघों को सहलाता रहा। उसने एक के बाद एक दोनों जांघों को सहलाया और जल्द ही उसके हाथ उसकी चूत के बहुत पास थे। फिर बहुत धीरे से परम ने अपनी एक उंगली चूत के होंठों पर रखी और धीरे-धीरे और धीरे से उसे रगड़ा। परम चूत का गीलापन महसूस हुआ और उसने चूत की पंखुड़ियाँ रगड़ दीं। रजनी झटके से उठी और परम को धक्का देकर दूर धकेल दिया। बिना कुछ बताए वह कमरे से बाहर चली गई और ड्राइंग रूम में सोफ़े पर बैठ गई। रिंकू वहीं बैठी थी।

“साला मादरचोद, उंगली कर रहा था, हरामी…” रजनी ने धीरे से कहा।

“क्या हुआ मौसी?” रिंकू ने पूछताछ की!

“साला कुत्ता है, मैं तो इसे अच्छा लड़का समझ कर घर ले आई थी लेकिन साला पाओ दबाते सीधा-सीधा चूत दबाने लगा था।”

रजनी जोर से चिल्लाई। वह बहुत गुस्से में थी। इसी समय परम भी कमरे में आया और रजनी के पास फर्श पर बैठ गया और उसके पैर पकड़ लिए। रजनी ने सोचा कि वह सॉरी कहने और माफी मांगने आया है लेकिन इसके बजाय परम ने साहसपूर्वक कहा..

“काकी मुझे चोदने दो.. अपनी जवानी का मज़ा दो.. प्लीज़ काकी.. ।”

"देख साला कितना बेशरम है। खुले आम चोदने की बात कर रहा है। उसने अपने पैरों को उसके चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की लेकिन परम ने उसे जाँघों से बहुत मजबूती से पकड़ लिया।

“छोड़ मादरचोद, अपनी माँ को जा कर चोद… क्या पता साला चोद भी चुका हो…!” उसने रिंकू की ओर देखा और कहा

"लेकिन कुतिया के पिल्ले, तू मुझे नंगा करके करेगा क्या? तू तो अभी बच्चा है... तेरा नुनु तो अभी खड़ा भी नहीं होता होगा...!"

रजनी और रिंकू दोनों हँस पड़े। परम को अपुमान सा महसूस हुआ। उसने उसकी जांघें आज़ाद कर दीं और उठ खड़ा हुआ। एक झटके में उसने पतलून उतार दी और नंगा हो गया। उसने अपनी कमीज़ और बनियान उतार दी और वह नंगा हो गया। वह टांगें चौड़ी करके खड़ा हो गया। रिंकू भी आगे आ गई। रजनी और रिंकू उसका लंबा, मोटा और टाइट लंड देखकर दंग रह गए। रिंकू ने सबसे पहले जवाब दिया,

“हाय मौसी कितना बड़ा सुपारा है… साहब से भी ज़्यादा लंबा और मोटा है।”
नीता और मैत्री की रचना

परम ने एक बार अपने लंड को मुट्ठी में दबाया और कहा, “काकी पेलवा लो… बहुत मज़ा आएगा।”
बाकी देखेंगे अगले अपडेट में



बने रहिये और इस एपिसोड के लिए आपकी राय दीजिये


तब तक के लिए आप सभी का धन्यवाद

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।।जय भारत।।
बहुत ही जबरदस्त शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अब साला ये परम रिंकु और रजनी को पेल के ही मानेगा
 

Ek number

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अब आगे................


आप लोगो को याद होगा कि सुबह मुनीम ने पूनम से शाम को फिर से चुदाई के लिए आने को कहा था।

मुनीम को पूरा भरोसा था कि पूनम ज़रूर आएगी, वह जानता था की एक बार जिसने उसका लंड लिया वह दूसरी बार क्या बार-बार आती रहेगी और उसका लंड खली करती रहेगी, और जब दोपहर में उसने सेठजी और उसके सामने सुंदरी को एक आदमी के साथ संबंध बनाते देखा, तो वह पूनम को चोदने के लिए बहुत उत्साहित हो गया।

और उसने तय कर लिया कि आज रात चाहे कुछ भी हो जाए, वह उसकी अपनी बेटी महक को भी चोदेगा। इसलिए सेठजी के घर जाने के तुरंत बाद उसने ऑफिस भी बंद कर दिया और रिक्शा लेकर घर पहुँच गया। चाबी उसके पास थी क्योंकि सुबह ही तय हो गया था कि बाकी सब सेठजी के घर पर होंगे।

मुनीम अंदर आया और लुंगी पहन ली। जब वह नहा रहा था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मुनीम ने सोचा कि पूनम है। फिर भी उसने पूछा;

"कौन है..?"

"मैं हूँ काका, दरवाज़ा खोलो!" जवाब आया। एक महिला की आवाज़ आई।

यह सोचकर कि यह पूनम है, उसने उसका स्वागत करने की सोची। उसने लुंगी उतार दी। सिर्फ़ पूनम और सिर्फ़ उसके ख्याल से ही उसका सुपारा पूरा आकार ले चुका था। उसका सुपारा अपे सीथ से आधा बहार आ चुका था। वह नंगा ही दरवाज़ा खोलने आया। उसे हैरानी हुई कि वह 'पूनम' नहीं, बल्कि उसकी बेटी की एक और सहेली 'सुधा' थी। (जब पूनम ने कॉलेज में अपने पिता के बड़े सुपारे के बारे में बताया था, तो सुधा ने उसे चखने का फैसला किया था और जब महक ने कहा कि शाम को वह घर पर नहीं होगी, तो सुधा ने मुनीम के बड़े आलू के आकार के सुपारे के साथ मज़े करने का फैसला किया।)

मुनीम ने इधर-उधर देखा। कोई नज़र नहीं आ रहा था। सुधा मुनीम को पूरी तरह नंगा और पूरे आकार में तना हुआ लंड देखकर चौंक गई। यह उसके पिता के लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा और मोटा था, जिसे उसने सुबह भी देखा था जब वह नौकरानी रिंकू को चोद रहे थे। इससे पहले, कि सुधा कुछ कहती मुनीम ने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

“बेटे अब तो तुमने देख ही लिया है.. तो फिर तुमसे छिपाना क्या…!”
मैत्री और नीता की रचना

मुनीम ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे अपनी ओर खींच लिया। सुधा ने अपनी आँखें हाथों से ढँक ली थीं। उसने उसके हाथों को उसकी आँखों से हटा दिया और कहा

“शर्माती क्यों हो बेटी, तुम तो पूरी जवान हो.. लंड लेने के लायक हो गई हो… इसे छू कर बताओ कि मेरा लंड कैसा है…!” इतना कहकर मुनीम ने लंड सुधा के हाथ में रख दिया।

सुधा तो इसी लंड का मजा लेने आयी थी, पर जब वो यहाँ आई तब तक वह रस्ते में एक से दो बार मन ही मन में मुनीम का लंड अपनी चूत में ले चुकी थी।पर सामने जब मुनीम का लंड आया तो उसकी चूत में एक अजीब सी फड़क बैठ गई, और सोचने लगी की इतना बड़ा लंड, कैसे हो सकता है,सुपारा तो न जाने कहा से लेके आया है। लंड देखने के बाद वह थोड़ी डर गई थी उसकी चूत लंड को देखने के बाद जैसे सिकुड़ कर अपना दरवाजा बंद कर के बैठ गई हो। पूनम की बात बिलकुल सही थी यह लंड बहोत खतरनाक हो सकता है, उसकी चूत और गांड की धज्जिया उदा सकता है। लेकिन पूनम को मजा आया मतलब उसको भी आएगा। वो सोच रही थी कि कैसे मुनीम को चोदने के लिए लिया जाएगा लेकिन यहां तो मुनीम का लंड निकल कर उसके हाथ में डाल दिया है। सुधा इतना सोच ही रही थी कि मुनीम ने सुधा के फ्रॉक को सिर के ऊपर से बाहर निकाल दिया। सुधा ने एक ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मुनीम ने सुधा को अपनी ओर घुमाया और उसकी चुचियो को प्यार से मसलने लगा...

“काका क्या कर रहो हो!” कहते हुए सुधा ने लंड को मसल दिया…।

निपल दबाते-दबाते और खिंच के छोड़ते-छोड़ते, मुनीम का हाथ सुधा के पेट से होते हुए उसकी चूत के आसपास घुस गया और मुनीम ने सुधा की चिकनी चूत को मुट्ठी में लेकर मसल दिया।

“आआहह… काका…।”

थोड़ी देर तक चूत को मसलने के बाद मुनीम ने सुधा को अलग किया। अब सुधा नंगी थी, सुधा का शरीर भी महक की तरह टाइट और स्वस्थ था, लेकिन बोबले महक से छोटे थे। मुनीम ने सुधा को बिस्तर पर ढकेला तो सुधा ने पैर तो फैला कर उठा दिया।

मुनीम को अब कंट्रोल नहीं था। उसने सुधा के चूत की बाहरी पटलो को फैलाया और लंड को उसने सटाया ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई और आवाज आई,

“उसकी माँ को चोदे! कौन है?”

“मैं हूँ, मैं पूनम हूं, दरवाजा खोलो।”
मैत्री और नीता की सहयारी रचना

मुनीम सुधा को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर खुद नंगा दी दरवाजे पर गया और पहले की तरह दरवाजा खोला और पूनम को अंदर खींच लिया। पूनम तो दरवाजे पर मुनीम को नंगा देखकर घबरा गई और अंदर आ कर जब सुधा को बिस्तर पर नंगी लेटे देखा तो बोल पडी,

“आज महक नहीं तो सुधा को ही बुला लिया! लगता है तुम लोगों ने अभी चुदाई की नहीं!” पूनम ने सुधा की चूत को चूमा और बोली,

“काका इस कुतीया की प्यास बुझा दो फिर मेरी चुदाई करना।

मुनीम बिस्तर पर चढ़ा और लंड को सुधा के चूत के एंट्री द्वार पर रख कर जोर से दबाया। सुधा की चूत गीली हो चुकी थी और 5-6 करारे धक्के में पूरा लंड घुस गया। मुनीम ने पहले से ही उसका एक हाथ सुधा के मुंह पर रख दिया था। वह जानता था की लंड जाएगा तो यह माल उस्छ्लेगा। उसके यह प्रेक्टिस में था। कोई भी चूत आसानी से मुनिमका लंड नहीं ले सकती थी चाहे कितनी बार ही चुदी हो और यहाँ तो एक कच्चा जैसा माल था।

सुधा ने कस-कर मुनीम को पकड़ कर रखा था और हर धक्के पर सिसकारी मार रही थी…पूनम ने भी काफी सहकार दिया सुधाको अपने बूब को उसन=के मुंह में दल कर धीरे से कह रही थी चिल्लाना मत बस मार खाती जा।

सुधा आब सांतवे आसमान में पहुँच गई थी, बहुत मजा आ रहा था...और आता भी क्यों नहीं...मस्त लंबा, मोटा टाइट लंड और कड़क जवान गरम चूत को खोद रहा था।

फिर कल रात की तरह मुनीम ने दोनो के साथ खुब मस्ती मारी, दोनों लडकियों की चूत को २-३ बार झाड दिया। दोनो से अपना लंड चुसवाया और उनकी चूत को चाटा और चोदा। दोनो लड़कियो ने भी एक दूसरे की चूत का मजा ली। और दोनो ने मुनीम से वादा लिया कि अगली बार उनके सामने पहले महक को चोदेगा और फिर उनकी चूत को।

करीब दो घंटे की मस्त चुदाई और चूत की रस-मलाई छोड़ ने के बाद दोनों लड़कियाँ अपनी एब्नोर्मल चाल से अपने-अपने घर चली गईं। मुनीम लंड को सहलाता रहा और इंतजार करता रहा कि कब महक घर आएगी और उसको जम कर चोदे।

लेकिन महक के बारे में सोचते-सोचते मुनीम को दोपहर का सीन याद आ गया जब वो ऑफिस के कमरे में पेपर साइन करने गया था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुंदरी, पूरी तरह से नंगी, कुत्ते की मुद्रा में, मुँह में एक बड़ा सा लंड और चूत पूरी दुनिया के सामने खुली हुई, कैसे रह सकती है। उसे पछतावा हुआ कि उसने उसे चोदने की इच्छा क्यों नहीं जताई। मुनीम ने तय किया कि अगली बार अगर ऐसा मौका आया तो वो सेठजी की की पत्नी को चोदेगा, चाहे वो सुंदरी हो, महक हो या सेठजी की बेटी या बहू...
हिसाब तो बराबर रहना चाहिए.......शायद मैं तो मेरे दो माल देके सेठजी के सभी मालो पर अपने लंड से वीर्य की धाराए बहता रहूँगा।

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जाऐगा नहीं................


आपकी राय इस एपिसोड के बारे में देना ना भूले



।।जय भारत।।
Nice update
 

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अब आगे.......



परम ने एक बार अपने लंड को मुट्ठी में दबाया और कहा, “काकी पेलवा लो… बहुत मज़ा आएगा।”

यह सुनकर रजनीने अपना चेहरा हटा लिया, लेकिन परम उसके पास आया और अपना लंड उसके गालों को छूने दिया। हालाँकि रजनी ने अपना चेहरा हटा लिया, लेकिन परम का लंड देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गई। उसने सोचा था कि यह एक छोटा पतला डंडी होगा, लेकिन यह तो एकदम कसी हुई चूत में भी छेद करने के लिए काफी अच्छा था। उसे लगा की परम का लोडा उसके किल्ले को सही तरीके से भेद सकता है बस एक सही हमले कि जरुरत है। उसे अपनी चूत में गीलापन महसूस हुआ। परम के लंड की लंबाई और मोटाई से ज़्यादा मोटा गोल सुपारा (लंड का ऊपरी हिस्सा) देखकर वह हैरान रह गई। उसके पति का लंड बेलन आकार का था और इस लड़की रिंकू के आने तक उसकी सेक्स लाइफ संतुष्ट थी। मैत्री और नीता की रचना

रिंकू के आने के बाद उसका पति रिंकू को दिन-रात नियमित रूप से चोदता है। रात में उसे उसके साथ बिस्तर शेयर करना पड़ता है। शुरुआत में उसने बहुत विरोध किया लेकिन जब उसने आखिरकार उससे कहा कि अगर वह रिंकू को उनके साथ सोने के लिए राजी नहीं हुई तो वह उसे छोड़ देगा। उसके पास कोई चारा नहीं था। वह अपने पति को अपने बगल में लेटी नौकरानी को चोदते हुए देखती थी। हफ्ते में एक-दो बार वह उसे भी चोदता था। यह सिलसिला चलता रहा लेकिन उसने विरोध करना बंद नहीं किया। जब उसने कहा कि इसका उनकी बेटी सुधा पर बहुत बुरा असर पड़ेगा, तो उसके पति ने उसे बताया कि सुधा को रिंकू के साथ उसकी चुदाई के बारे में पता है। उसने यह भी कहा उसके पति ने भी उससे कहा था कि अगर वह किसी बाहरी आदमी से चुदवा ले तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन अब तक उसने अपनी पवित्रता बनाए रखी थी। और अब यह जवान लड़का परम अपना लंड उसके गालों पर रगड़ रहा था और उससे चुदने की विनती कर रहा था।

रजनी ने अपना चेहरा परम की तरफ घुमाया और लंड उसके होंठों से छू गया। एक सहज क्रिया के रूप में उसने लंड को अपने मुँह में जाने से रोकने के लिए उसे मुट्ठी में भींच लिया। परम का लंड उसके पसीने से तर हाथ में गर्म और मोटा था। उसकी एक खास खुशबू थी। उसे लंड का आकार भी पसंद आया। लेकिन उसमें एक स्वाभाविक झिझक थी। बचपन से ही उसे बताया गया था कि एक औरत को सिर्फ़ उसके पति से ही चुदवाना चाहिए और किसी और को उसकी नग्नता नहीं दिखानी चाहिए, न ही उसे किसी और मर्द को छूने देना चाहिए। बस घर की बात कुछ अलग है पर बाहरी मर्द तो कभी नहीं। उसके घर में जब से वह बैठती हई तब से वह देख रही थी की उसकी माँ, बुआ,और काकी घर में सभी से चुदवाती थी यहाँ तक की उसके दादाजी भी उसकी माँ को चोदते थे और वह भी उसके सामने। तब माँ कहती थी की घर के लंडो को शांत रखना घर की चुतो में आता है लेकिन कोई भी बाहरी पुरुष नहीं,कभी नहीं, चाहे जैसा भी हो घर के लंड ही। एक दो बार उसके पिताजी ने छेड़-छाड़ की थी पर माँ ने उनको मन कर दिया था, एक बार दादाजी ने उसके बोबले पर हल्का सा दबाव दिया था पर माँ ने उन्हें भी मन कर दिया की रजनी को अक्षत ही रखना है। तब से लेके किसी ने कुछनही किया हां कभी कभी माँ उसे दबा देती थी और कहती थी माल सही बनाना है पर हो भी गए थे। वह अपने अतीत में थी, लेकिन यह लड़का बिल्कुल नंगा खड़ा था और उसकी मुट्ठी में उसका टाइट, मोटा और गर्म लंड था।

"मासी, चुदवा लो, परम से...बहुत मज़ा आएगा।" नौकरानी ने उसका लंड मुट्ठी में दबाते हुए देखकर कहा।

“चुप कुतिया, साली चुदासी, तू क्यों नहीं इस लंड को अपनी चूत में घुसेड़ लेती है! मेरे पति का लंड तो रोज़ खाली करती है आज इसका भी लंड खाली कर दे … हरामजादी, मादरचोद…।”
मैत्री और नीता की रचना

रजनी ने पलटकर जवाब दिया, लेकिन उसने लंड की मुठ्ठी मारना जारी रखा। असल में मुठ्ठी मारने की स्पीड बढ़ गई थी।

परम को मज़ा आ रहा था। उसने सोचा कि अब वह चुदाई के लिए तैयार हो जाएगी, इसलिए उसने नीचे झुककर उसके स्तनों को दबाया। रजनी इसके लिए तैयार नहीं थी। उसने परम को धक्का दिया और कहा:

“मादरचोद, जा इस कुतिया को चोद.. ।” उसने उसे नौकरानी की तरफ धकेल दिया। लेकिन परम ने फिर से संतुलन बनाया और अपना लंड हाथ में लेकर फिर से रजनी के गालों पर लंड रगड़ा।

“काकी तुम जो बोलेगी, तुम्हारी गुलामी करूंगा लेकिन मुझे चोदने दे…तुम्हारी चूत बहुत मस्त है…बहुत मजा आएगा पेलने में…चुदवा लो काकी तुमको भी बहुत मजा आएगा…मैं कब से तेरी चूत में लंड पेलने को बेकरार हूं..!”

रजनी को भी लंड चाहिए था। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी और लंड के लिए तड़प रही थी। हालाँकि रजनी का शरीर परम के लंड को स्वीकार करने के लिए तैयार था लेकिन उसका मन नहीं था। उनका जन्म और पालन-पोषण पारंपरिक तरीके से हुआ। हालाँकि उसके पति ने उसे नौकरानी की उपस्थिति में अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से चुदाई करवाने के लिए कहा था और अब उसके पास निश्चित रूप से अपने पति की तुलना में बहुत बड़ा और मजबूत लंड था, लेकिन वह झिझक रही थी। उसने परम को उसे छोड़ने और रिंकू को चोदने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की। उसका लोडा सहलाते हुए रजनी बोली।

“बेटा तेरा लोडा तो बहुत मस्त है लेकिन मेरे साथ इस लंड को मजा नहीं आएगा, मैं बूढी हो गइ, मेरा सारा मजा सुधा के बाबूजी ने चूस लिया है अब मेरे नीचे भी कोई रस नहीं है (उसकी चूत गीली होकर पच-पच हो रही थी) तू रिंकू को चोद, जवान लड़की है तुझे बहुत मजा आएगा। तेरा लंड मस्त हो जायेगा। रिंकू भी काफी चुदासी है,हरदम वह अपने चूत को गिला रख पाती है। मेरा पति भी उसकी चूत को मार-मार के सही माल कर दिया है। जा रिंकू को चोद और अपने लंड को शांत कर दे। रिंकू, बीटा अपना माल परमा को दे दे और खूब ऐश करो तुम दोनों मुझे कोई आपत्ति नहीं है।“ लेकिन ना तो उसने परम का लंड छोड़ा पर उसने लंड पर एक हल्का सा चुम्बन लिया।


"नहीं, काकी रिंकू को बाद में चोदूंगा लेकिन पहले अपनी चूत में मेरा लंड ले लो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।"



आशा है की आपको यह एपिसोड अच्छा लगा होगा........आपकी प्रतिक्रया का




।।जय भारत।।
बडा ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
रजनी परम से चुद कर ही रहेगी
 
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परम ने कहा और फिर से झुककर उसके छोटे स्तनों को दबाता रहा। दबाते हुए, उसने ब्लाउज के कप ऊपर खींच दिए और अब उसके नर्म, नंगे स्तन उसके हाथों में थे। उसने लंड को छोड़ा और सोफ़े पर लेट गई। परम उसके स्तनों को बेरहमी से मसल रहा था और उसकी गर्मी बढ़ती जा रही थी। और वह अब परम की हरकतों के आगे समर्पण कर रही थी। वह कराह उठी।

“आआआआआआआआआआआआआआआहहह… छोड़ दे बेटा,,, वो धीरे से बोली। लेकिन उसने परम के हाथो को अपने बोबले से दबाये रखा।

लेकिन परम ने उसका ब्लाउज उसके बदन से खींच ली और उसके हाथ उसके वक्ष और पेट पर फिरने लगे। उसने उसे ऊपर खींच लिया। उसने डरते हुए सामान्य विरोध किया। परम ने उसे दूसरे कोने में रखे दीवान पर खींच लिया।

परम ने रजनी को बिस्तर पर लेटा दिया और एक झटके में उसका पेटीकोट खोलकर उसके बदन से उतार दिया। वो ऊपर से नीचे तक नंगी थी। उसने अपनी टाँगें क्रॉस कर लीं और परम की नज़रों से अपनी चूत छिपाने की कोशिश की।

“काकी, अब रुको, देखो तुम्हारी चूत पानी-पानी हो गई है.. मेरा लंड लेने के लिए बेताब है… अब चुदवा ही ले रानी। उसके सिवा अब तेरा यह माल तुजे चेन से जीने नहीं देगा।“
फनलवर और मैत्री की रचना


यह कहते हुए परम ने उसकी जाँघें अलग कीं और रजनी की प्यारी क्लीन शेव्ड चूत देखी। यह उसकी बहन महक और सुधा की चूत से भी छोटी थी। परम ने चूत पर एक चुम्बन लिया। उसे चूत से निकलने वाले रस का स्वाद आ रहा था। लेकिन अचानक रजनी ने अपने पैर परम की छाती पर रख दिए और जोर का धक्का दे दिया। परम दीवान से गिर गया। रजनी और रिंकू दोनों हँस पड़े।

“मासी बेचारे को क्यों तड़पा रही हो… अब तो उसका लंड माल में लेलो.. नहीं तो लंड फूट जाएगा। और आपका माल अधुरा रह जाएगा। चलो परम उठो और मौसी की चूत पर अपने लंड से हमला करो और माल जित लो। फिर मैं भी हूँ।“

वह उठ बैठी,परम को खींच लिया और फिर से उसका लंड हाथ में ले लिया। उसने कहा;

“देख परम, मैं तुमसे आज ही नहीं, बार-बार चुदवाऊंगी लेकिन एक शर्त पर…!”

“तू जो बोल काकी, मैं सब करूंगा…” परम ने उत्तर दिया और पहली बार उसके होंठों को चूमा।

“तू अगले रविवार को अपनी माँ सुंदरी को लेकर आयेगा और मेरे और रिंकू के सामने अपनी माँ को काका (उसके पति) से चुदवायेगा…” रजनी ने कहा!

“ठीक है काकी, मैं सुंदरी को मना लूंगा, वो तेरे पति से चुदवाएगी लेकिन मैं भी काका के सामने तुम्हें चोदूंगा…।” परम ने कहा।

“हाँ हिसाब तो बराबर करना पड़ेगा।” रजनी ने अपनी चूत खोलते हुए कहा।
मैत्री और फनलवर की रचना

“लाओ मौसी मैं आपके पैर उठाके पकडती हूँ लगता है यह लम्बे समय का घोडा है।“ और उसने रजनी के पैरो को ऊपर उठाये और उसकी चूत पर हाथ घुमाया और परम से बोली; “माल तैयार है बस हथोड़े की जरुरत है मार दो साली की चूत में।“

“हाँ हाँ डार्लिग देखती जा मेरे लंड की कमाल, एक बार मुझ से जो चुद गई वह दुबारा अपने पैर फैलाके ही मेरे पास आती है।“ परम को उसकी बात ने ज्यादा उत्तेजित कर दिया और धक्के की स्पीड बढ़ गई।

रिंकू भी समज गई की परम उसकी बातो से ज्यादा उत्तेजित हो के अपने हमले तेज कर रहा है। वह उसके अन्डकोशो को हाथ में लिए कहा; “मेरी मालकन बहोत चुदासी है परम, जब से साहब नेमुझे चोदना चालू किया तब से वह बेचारी अपनी चूत सह्लाती रही और मुझे ही उसकी चूत को ठंडा करना पड़ता था। आज उसके माल को पूरा मौक़ा मिला है की वह एक जवान लड़के का लंड से अपनी चूत मरवा रही है। थोक दे आज और भर दे उसकी चूत।“

हाँ हां रंडी तुमने मेरे पति के लंड पर कब्जा किया हुआ है तो मैं क्या करू! परम लगा आज मेरी चूत का भोंसडा बना दे। मैं भी देखू की तेरे लंड में कितना दम है, मेरी चूत हारती है या तेरा यह लंड। जो मस्त मार रहा है, मार दे मेरी चूत को फाड़ दे।“

और उसके बाद दोनों ने मिशनरी पोज़ में आ गए और परम का लंड एक झटके में तो अन्दर नही घुसा लेकिन 3-4 धक्को में रजनी के माल की उन्ड़ाई को नापने अंदर तक पहुच गया। रिंकू बस उसके अंडकोष ही देख पाती थी और लंड अन्दर से बहार आके फिर अन्दर जाके रजनी के माल की खुदाई कर रहा था। रजनी की आँखे बंद कर के हर धक्के को अपनी गांड उछाल कर जवाब देने लगी थी। रिंकू ने उन्हें चुदाई करते हुए देखा। उसने देखा कि परम का बड़ा और मोटा लंड उसकी मालकिन की चूत में बहुत तेज़ी से अंदर और बाहर जा रहा था। वो बहुत उत्तेजित हो गई और उसने अपनी ड्रेस उतार दी। वह नंगी हो गई और परम चोदते हुए काकी के ठीक सामने खड़ी हो गई।

"काकी कैसा लग रहा है?" परम ने पूछा।

"ओह बेटा तू तो बहुत बड़ा चोदु है। मुझे पहले पता होता तो अब तक तेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है.. और ज़ोर से चोद... आह्ह... ।"


रिंकू ने खुद को उंगली से चोदा और परम ने काकी को चोदने और रिंकू को खुद को उंगली करते देखने का आनंद लिया। एक साल से ज़्यादा समय के अंतराल के बाद रजनी ने चुदाई का आनंद लिया। जब से उसका पति रिंकू के साथ उसके बिस्तर पर सोने लगा, उसकी चुदाई में रुचि खत्म हो गई थी, लेकिन अब उसे मज़ा आ रहा था और वह ज़्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकती थी। वह चरम पर पहुँच गई और परम को कसकर पकड़ लिया। उसने परम पर चुम्बनों की बौछार कर दी और कुछ ही पलों में परम रजनी की चूत में ही झड़ गया। उधर रजनी की चूत ने भी बाकी रहा अपना चुतरस त्याग दिया। दोनों पूरी तरह से संतुष्ट थे। उसकी चूत को परम का लंड अभीभी अपना पानी पिला रहा था और धीरे धीरे ठंडा होक बाहर आने की कोशिश कर रहा था। जब की रजनी वैसे ही पैरो को फैलाके रह गई थी और वह उसकी चूत में हर एक बूंद की गरमी को महसूस कर सकती थी। उसने परम को जकड कर रखा हुआ था और अपने चूत की मंस्पेशियो को खिंच कर परम के लोडे को निचोड़ रही थी। परम को मजा आता था इस प्रकिरू=या से उसका लंड की हर एक बूंद निचोडे जा रही थी।
शुक्रिया दोस्तों

.

आपके कोमेंट की प्रतीक्षा में
.
कल तक आपसे विदा चाहूंगी

.


।।जय भारत।।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
आखिर परम ने रजनी की चुद पर अपने लंड रुपी झंडा गाड ही दिया
 
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“मुफ्त में किसी से नहीं चुदवाऊंगी… महक तुम भी मुफ्त में अपनी जवानी को मत लुटाना..!”


सुंदरी अपने कूल्हे हिलाने लगी, उसने परम को मजबूती से पकड़ लिया..।

“आह बेटे, चोदो, जोर से धक्का मारो..आह्ह मजा आ रहा है.. लंड को ओर अंदर पेलो…!”

सुंदरी को और अधिक उत्तेजित करने के लिए परम ने ज़ोर का धक्का दिया और पूछा..

“रानी,मजा आ रहा है बेटे के लंड से चुदने में..?”

“हा, बहुत मजा आ रहा है..! बेटे से चुदवाने का सब माँ को मजा आता है बेटे,और यहाँ तो मेरी बेटी भी साथ दे रही है, उस से ज्यादा मजा और कहा मिलेगा! तुम मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे हो बेटे, ह्म्म्म, अब अपनी माँ चोदो, आराम से।”

“रोज़ लंड चूत में लोगी!”

“अब यह भी कोई पूछने की बात है,रोज़ चुदवाऊँगी।”

“गांड मरवाओगी!”

“हा, मेरी गांड भी तो अब तेरी ही है राजा, जब तुम कहो,गांड भी मारवाउंगी।”

“मेरे दोस्त का लंड खाओगी?”

"हा।"

“कुत्ते का भी लंड चूसोगी?”

“हा, मुझे तो लंड से मतलब है, कुत्ते का हो या इंसान का, लंड भी चूसूंगी।”

“कुत्ते का लंड चूत में लोगी..!”

“बेटी की चूत चाटोगी..!”

“अरे हा, चाटूँगी…अब उसमे कोई नयी बात नहीं है, मुझे महक की चूत से पहले से प्रेम है।” और परम ने चुदाई की और स्पीड बढ़ा दी। उसने उसकी बड़े बोब्लो को दबाया और महक को अपने लंड के साथ-साथ माँ की चूत में भी उंगली करने को कहा। महक को चूत में लंड के साथ उंगली डालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन थोड़ी कोशिश के बाद उसने एक उंगली अंदर डाल दी। अब परम का लंड महक की उंगली के साथ सुंदरी की चूत में जा रहा था। परम ओर भी ज्यादा उत्साहित और कामुक हो गया।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना

“आ....आह बहुत मज़ा आ रहा है.. बेटे चूत को फैला कर दूसरी उंगली भी अंदर डालो।” सुंदरी को भी मज़ा आया।

महक ने चूत के होंठ खींचे और अपने दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली भी सुंदरी की चूत में डाल दी। अब परम का लंड उसकी बहन की दो उंगलियों के साथ चुदाई कर रहा था। सुंदरी की चूत कस गई थी। उसे बहुत तेज़ उत्तेजना महसूस हुई और वह खुद पर काबू नहीं रख पाई और चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। और उसकी चूत ने परम के लोडे और महक की उंगलियो पर अपना चरमोत्कर्ष का परिणाम दे दिया। परम सुंदरी को चोदता रहा,

“बेटा आज चूत में बहुत धक्का लगा है,काफी बार मेरी चूत चोदी गई है अब मेरी चूत में ज्यादा पानी छोड़ने को नहीं है। लंड निकालो और मेरे मुँह में पानी गिरा दो। अपने लंड का अमृत दे ही दो।”

परम ने लंड बाहर निकाला। लंड एक ज़ोरदार छींटे के साथ निकला, “फच्चक”। महक ने भी अपनी दो उंगलियाँ बाहर निकालीं और झुककर उसकी चूत के होंठ को चाटने लगी। उसने सुंदरी की क्लिट और चूत के होंठ चबाए और अपनी उंगली से माँ की भोस को टटोला। परम ने लंड को सुंदरी के मुँह में डाला और धीरे-धीरे धक्के दिए। सुंदरी ने लंड को ज़ोर से काटा और मुँह में लिया और परम ज्यादा ना टिकते हुए, परम के लोडे ने वीर्य उगल दिया।


सुंदरी ने थोड़ा सा पी लिया और अपने होंठों से वीर्य की धार बहने दी। महक सुंदरी की चूत चाटने में व्यस्त थी। परम सीधा लेट गया और अपनी माँ और बहन को देखने लगा। कुछ देर बाद सुंदरी ने अपनी बेटी के पैरों को उसके सिर की तरफ खींचा और उसने महक को लिटा दिया। अब माँ और बेटी 69 की पोजीशन में थीं और माँ उसके ऊपर लेटी हुई बेटी की चूत चाट रही थी।
अपनी राय देना न भूलना प्लीज़.....................
 

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“अच्छा! मतलब क्या हमारे माल में कुछ कमी है राजाभैया!” विनोद की बहन ने अपनी आँखे नचाते हुए कहा।


अरे ऐसा कुछ नहीं डार्लिंग, वैसे कल ही तो तुम दोनों को चोद के गया। अभी ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ, और तुम माँ बेटी भूखी भी हो गई!”

तेरे लंड और मुह के लिए यह माँ-बेटी भूखी ही रहेगी हमेशा के लिए। दीदी ने परम के लोडे पर हाथ रखते हुए कहा।

आंटी: “हां बेटा, वह सही कह रही है। चलो अब जल्दी से अपना काम चालू करो और हम दोनों की चूत और पिछवाड़े को अपने लोडे से बंध कर दो!”

तीनो बेडरूम में आ गये और परम ने दीदी को नंगा किया और दीदी ने उसकी माँ को नंगी कर दिया। परम ने देखा की दोनों की चूत काफी गीली हो गई थी।

“डार्लिंग दीदी, अभी तो मैंने तुम्हे छुआ तक नहीं और तुम्हारी चूत अपना रस देने लग गई?” परम ने दीदी की चूत के होठो को थोडा फैलाते हुए कहा।

आंटी: “अरे बेटा, होगी कैसे नहीं? तुम्हारा चेहरा देख के ही हमारी चूत अपना रस छोड़ के हमारी गांड के छेदों को अपना पानी पिलाके उसे भी गिला करने में लग जाती है।“ आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपना हाथ में परम के लोडे को थाम लिया।

“मम्मी,यह मेरा बोनर है मुझे इस लोडे को अपने हाथ में लेने दो।“ दीदी ने मम्मी के हाथ को झटकाते हुए कहा और परम का लोडा अब दीदी के हाथ में आ गया था।

दोनों माँ-बेटी एक लोडे के लिए लड़ रही थी मगर प्यार से।

और परम ने उन दोनों को बिस्तर पर धक्का लगाया और दोनों बिस्तर पर गिरी और साथ ही दोनों ने अपने पैरो को फैला कर अपनी चूत परम के आगे धर दी।

“अब देरी मत करो बेटा, आ के हमारी चूत पर अपने निशान की महोर लगा दो। कब से वेइट कर रही है, अब तुम ही तो हो इस काने के मालिक चलो आके अब इस चूत और गांड को शांत कर दो। आंटी ने अपने पैर कुछ ज्यादा फैला के परम को अपनी चूत पर आक्रमण करने का न्योता दे दिया।

अगले पल परम उन दोनों की चूतो पर अपना झंडा गाड ने में बिजी हो गया। कभी दीदी की चूत पर तो कभी आंटी की चूत पर, कभी कभी अपने दांतों के निशान भी उनके चूत के फांके पर जमा दिए।

थोड़े समय के बाद सिन यह था की दीदी परम के लोडे को मुह में समा लिया था और आंटी दीदी के चूत पर अपना अड्डा बना लिया था। दोनों उछल-उछल कर अपना चरमोत्कर्ष पर पहोचना चाहती थी। और हुआ भी दोनों लगभग एक मिनट के अन्दर ही अपनी चूतरस का स्त्राव कर रही थी। परम के मुह पर दीदी अपना चुतरस छोड़ रही थी और आंटी दीदी के मुह में अपना चुतरस का त्याग कर रही थी। यह नजारा परम के लिए उत्तेजित होने के लिए काफी था। उसने दोनों को सीधा लिटाके अपने लंड को भोजन देने के काम में लग गया और अब दोनों चूत एक ही लंड से चुद रही थी। और परम की उंगलिया भी उन दोनों की गांड को चोद रही थी।

परम ने दोनो माँ बेटी को खूब चूमा और दम भर कर चोदा। दोनों के बोबले को आटा की तरह मसल-मसल के ढीला कर दिया। माँ के चूत से लंड निकाल कर बेटी को रस पिलाया और बाद में बेटी की चूत से लंड निकाल कर माँ को चूसवाया। दोनो माँ-बेटी को चुदाई से ज्यादा चूत और गांड चटवाने में मजा मिला। वैसे तो उन दोनो ने विनोद के अलावा कई और लोगो से कलकत्ता में अपनी जवानी लुटवाई थी लेकिन परम के सिवा किसी ओर ने उनकी चूत को नहीं कुटा चाटा था। परम जब चूत में जीभ घुसा कर हिलाता था और चूत को दांतों से मसलता था तो मां-बेटी दोनों को चुदाई से ज्यादा मजा आता था। चुदाई ख़तम करने के बाद परम नंगा ही लेटा रहा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

दीदी कपड़े बदल कर हिसाब किताब देखने के लिए बाहर ऑफिस जाकर बैठ गईं। माँ ने अर्धनग्न होकर खाना बनाया और जब विनोद वापस आया तो सबने मिलकर खाना खाया। दीदी ने विनोद से कहा कि उसका दोस्त (परम) बहुत मजा देकर चुदाई करता है और आराम से चोदता है। दोनो ने परम को कहा कि कभी रात भर रुक कर उन लोगो के साथ मस्ती करे। दीदी ने ये भी कहा कि उसने परम के लिए एक कड़क माल देख रखी है। परम प्रोग्राम बता कर आएगा तो उसे बुला कर रखेगी।


परम ने विनोद के सामने एक बार फिर उसकी माँ को चोदा। विनोद को लेकर जब घर पहुंचें तो ठीक दो बजे थे।
आशा है की आप को यह अपडेट पसंद आया होगा ................आपका कीमती विचार जरुर शेर करे..............
मिलते है एक नए अपडेट में ......
Mast chuddakar update diya ji
 

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सुंदरी ने दरवाजा खोला, विनोद और परम उसे देखते ही रह गए। साली ने काले रंग की साड़ी के ऊपर गुलाबी रंग का ब्लाउज पहन रखा था। सुंदरी गजब की मस्त माल लग रही थी। परम और विनोद को देख कर मुस्कुराई और अन्दर आने को कहा। दोनो बैठ गए, सुंदरी अंदर से दो ग्लास शरबत बना कर ले आई और दोनों लड़कों को दिया और खुद जमीन पर दीवार से सट कर बैठ गई, ठीक विनोद के सामने।

उसने अपना पेटीकोट कुछ उस तरह किया ताकि विनोद की नजर अन्दर जा सके।

“क्या रे विनोद, तू परम से मेरे बारे में गंदी-गंदी बात करता है..!” सुंदरी ने कहा।

विनोद ने बिना कोई झिझक और डर के कहा "काकी (चाची) तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हर समय तुम्हारे बारे में मैं ही सोचता रहता हूं।"

“क्या सोचते हो,” सुंदरी ने धीरे से पूछा।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

“मैं तुम्हारी मस्त जवानी के बारे में सोचता हूं और पिछले एक साल से तुम्हें चोदने के लिए बेताब हूं।”

यह सुनकर सुंदरी शरमा गई। उसने आँखें नीची रखते हुए धीरे से कहा, “अरे मैं तो बूढ़ी (पुरानी) हो गई हूँ…!”

विनोद उठकर सुंदरी के पास आया और उसके बगल में बैठ कर उसके गालों को चूम लिया।

"रानी तुम गाव कि सबसे मस्त माल हो। मैं ही नहीं सभी तुम्हें चोदना चाहते है। तुम्हारा नाम लेले कर अपना लंड सहलाते हैं और पानी गिराते हैं।"बोलते-बोलते विनोद ने एक हाथ सुंदरी के कंधे पर रख कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके मस्त बोबले को दबाने लगा और कहा -.

तुम्हारे बोब्लो में जो मस्ती है वो मेरी बहन के बोब्लो में भी नहीं है।”

“क्या तुम अपनी बहन को भी चोदते हो? उसकी तो शादी हो गई है।”

“शादी के बाद जब घर वापस आई तो पहली ही रात मैंने उसे जम कर चोदा, उसको मेरा लंड बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से परम ने उसके चूत में अपना लंड पेला है, दीदी परम के लंड की गुलाम हो गई है। परम का लंड ने उसकी और मेरी माँ की चूत पर कब्जा कर दिया है।”

विनोद अब दोनों हाथों से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था। “दीदी तो कभी-कभी ही अपनी ससुराल जाती है, उसे यहीं पर चुदवाना अच्छा लगता है।” विनोद का हाथ जोर-जोर से सुंदरी की चुचियों को मसल रहा था,

"कभी-कभी दीदी मेरे साथ कलकत्ता जाती है तो वहां मेरे जान पहचान बालों से भी जम कर चुदवाती है। मैं तो उसे होटल के कमरे में रख कर रोज चोदता ही हूं।"

सुंदरी को मजा आ रहा था।

"विनोद तू अपनी माँ को भी चोदता है...!"

“हा रानी, तुम्हारे चूत के चक्कर में ही माँ को चोद डाला।”

“तेरी माँ भी कलकत्ता जाकर धंधा करती है..?”

विनोद ने कुछ जवाब नहीं दिया। सुंदरी को चोदना था। विनोद ने अपने बैग में से एक बंडल निकाला।

"रानी, पूरा 50000/- है। बाद में और भी दूंगा। अब जरा जल्दी से अपनी मस्त जवानी दिखा दो।" कहते हुए उसने सुंदरी के होठों को चूमा। सुंदरी ने भी पूरा सहयोग दिया। सुंदरी ने रूपया लेकर परम को दिया और कहा कि कमरे में रख दो। परम अंदर गया। सुंदरी ने जल्दबाजी किये विनोद से पूछा,

“लंड में दम है मुझे चोदने के लिए?मेरी चूत बहुत गर्म है, लंड पिघल जाएगा।” कहते हुए सुंदरी ने विनोद के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और पूछा “बेटा चोद पाओगे तो नंगी करो नहीं तो ऊपर-ऊपर मजा लेकर पानी गिरा दो।”

यह सुनकर विनोद खड़ा हो गया और झट से अपना पैंट और जंघिया निकाल डाला। विनोद का लंड लोहे की रॉड की तरह टाइट था। विनोद ने अपने हाथों से लंड हिलाते हुए कहा,

“कुतिया इस लंड से कितनी रंडी का पानी निकाल चुका हूँ, तुमको भी चोद-चोद कर चूत का भोंसड़ा बना दूँगा।” विनोद बिल्कुल नंगा हो गया और अपना 7” लंबा लंड हो सुंदरी के हाथ में थमा दिया।

लंड को पकड़े पकड़े सुंदरी खड़ी हो गई और बेडरूम में जाने लगी। सुंदरी लंड को हाथ में लेकर मसल रही थी। लंड एक दम कड़ा था और सुंदरी को लगा कि विनोद का लंड अपने बेटे परम से थोड़ा ज्यादा लम्बा और मोटा है। सुंदरी को विश्वास था कि इस लंड से चुदाई कदने में पूरा मजा मिलेगा। बिस्तर के पास पहुँच कर सुंदरी ने लंड छोड़ दिया और विनोद से कहा “आ जा बेटे, आज गाँव की सबसे मस्त चूत और गांड का मजा लेले।” सुंदरी ने वोनोद के लंड को सहलाते हुए कहा: “अपने 50000 पुरे वसूल कर ले बेटे। मेरे दोनों छेद अभी के लिए तुम्हारे हुए है। मार और लंड को शांत कर जितना कर सकता है। फिर ना कहना की यह मस्त माल को पूरा चोदा नहीं। जितना मार सकता है थोक इस चूत को।“ सुंदरी उसे उक्साके अपना मजा लेना चाहती थी। उसे विनोद के लंड पर भरोसा था की वह उसे ठीक से छोड़ पायेगा। उसके सभी माल की अच्छे से मरामत कर पायेगा।

विनोद भी काफी तैयार था अपने हथियार को सामें की ओंर रखे खड़ा था। वह चाहता थी की सुंदरी अपने मुंह की गर्मी उसके लोडे को दे पर वह उतना भी तैयार नहीं था।

सुंदरी ने उसका लंड को छोड़े बिना बिस्तर पर बैठ गई और विनोद के लंड को अच्छे से सहलाने लगी, ऐसा कहिये की वह अपनी पूरी स्किल उस लंड पर उतार रही थी। वह नहीं चाहती थी की विनोद एक बार आके फिर कभी मुड के वापिस ना आये। वह उस लंड को चाहती थी। अपने सभी छेदों भरना चाहती थी।विनोद के लंड से वह मुंह,गांड और चूत न्योछावर करना चाहती थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है


******


क्या विनोद सुंदरी के मुताबिक़ परफोर्म कर पायेगा?

क्या विनोद अपने पुरे पैसे वसूल कर पायेगा?


अगले एपिसोड में जानेंगे ...............बने रहिये मेरे साथ और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजिये......................
 

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Har ek update behtreen hai
चलिए अब आगे चलते है कहानी में





सुंदरी बिस्तर पर सोने ही बाली थे की परम ने कहा:

“मां साड़ी उतार दो ख़राब हो जायेगी।”

सुंदरी "बेटे को देखकर मुस्कुराई और झटके से साड़ी उतार दिया और बिस्तर पर लेट गई। परम सोच रहा था कि साला यह विनोद सुंदरी को नंगा क्यों नहीं कर रहा है। लेकिन विनोद को तो सुंदरी के चूत में लंड पेलने की जल्दी थी। विनोद ने फटा-फट पेटीकोट को कमर के ऊपर तक घसकाया और दिखाई पड़ा एक दम चिकनी चूत। (पेंटी का रिवाज वहा गाव में नही होता) विनोद को लगा कि किसी 12-13 की लड़की का चूत देख रहा है। विनोद ने सुंदरी के पैरों को फैलाया और दोनों पैरों के बीच बैठ कर लंड को एंट्री पॉइंट पर रखा और सुंदरी की चुचियों को पकड़ा। जोर का धक्का मारा। विनोद के धक्के में दम था। पूरा लंड बुर के अंदर घुस गया।

“आहहह…।” धीरे से पेलो बेटा।” सुंदरी बोली। लेकिन विनोद को तो चूत का भोंसड़ा बनाना था। सुंदरी की बुर देख कर बहुत मस्त हो गया था। उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि सुंदरी को चोद रहा है। लंड चूत के अंदर पूरा चला गया, चूत टाइट थी, या फिर सुंदरी ने जानबुज कर अपनी छुट के मांस को जकड के रखा था, वह तो सुंदरी ही जानती थी, माहिर जो थी। इतनी गर्मी और टाइटनेस का उपयोग एक साल पहले अपनी दीदी को भी चोदने में नहीं आया था। विनोद ने जोर से धक्का मारा। सुंदरी को विनोद की जल्दबाज़ी देख कर लगा कि साला जल्दी ढल जाएगा और वही हुआ।

चौथा धक्के में ही विनोद ने सुंदरी की चूत को अपना पानी से नहला दिया। सुंदरी की गर्मी तो अभी चढ़ना शुरू ही हुआ था। उसने तो अभी तक लंड को चूत के अन्दर पूरा महसुस भी नहीं किया था और विनोद झड़ गया। सुंदरी को दुख नहीं हुआ कि उसने एक नामर्द से चुदवाया है। विनोद बहुत गर्म हो गया था उसकी धईलो को मसल-मसल कर और ये सोच कर कि सुंदरी को चोद रहा है। सुंदरी ने दोनों पैरों से विनोद को टाई कर दिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली:
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

"बेटे। घबराओ मत, ऐसा होता है। थोड़ा ठंडा हो जाओ, फिर चोदना।"

विनोद को चार धक्के में ही पानी छोड़ता देख परम बहुत खुश हुआ और उसने सारे कपड़े उतार कर नंगा सुंदरी के सामने आकर लंड हिलाने लगा और कहा

“माँ, ये साला तो तुम को चोद नहीं पाया, मुझे चोदने दो।”

" चुप.. मादरचोद, माँ को अपना लंड दिखता है। जाकर विनोद की माँ और दीदी को चोदो, मेरा माल (चूत) तुम्हारे लिए नहीं है।" सुंदरी परम के लंड को मुठ मारने लगी।

“जब तक मैं विनोद से मजा लेती हूं तुम उन दोनों कुतिया को जाकर चोदो।” सुंदरी ने बेटे के लंड को मसल कर छोड़ दिया।

फिर उसने विनोद को अपने से अलग किया और पूछा, “फिर चोदोगे की थक गए!”

विनोद ने सुंदरी के ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। विनोद ने चूत में लंड तो पेला लेकिन अभी तक मस्त चुचियों का दर्शन नहीं किया था। उसने दोनो निपल्स को धीरे से मसला और कहा “काकी अभी तो खाली तुम्हारी चूत को छुआ है, थोड़ी देर के बाद फिर पेलूंगा और तब देखना मेरे लंड से तुमको चुदवाने में कितना मजा आता है।” इतना कहते हुए विनोद ने सुंदरी के कमर से पेटीकोट को बाहर निकाल दिया। अब उस कमरे मे टीनो मादरचोद बिल्कुल नंगे थे।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है

"काकी तुम सच में एक नंबर की माल हो। परम मूर्ख है कि उसने अब तक तुम्हें चोदा नहीं। मैं तेरा बेटा होता तो कब का तुम्हारी चूत में लंड पेल कर मजा लेता। और क्या पता मेरे ही बच्चे की माँ भी बन जाती। मेरे साथ कोलकाता चलो, वहा एक से एक चुदक्कड़ है। खूब चुदाई का मजा देंगे और जितना मागोंगी उतना पैसा भी देंगे।”

विनोद सुंदरी के होठों को चूमता रहा तब तक जब तक सुंदरी ने उसे बदन से अलग नहीं किया।

“विनोद तुझे फिर से लंड पेलना है तो जो मैं कहती हूँ..”

विनोद को सुंदरी का हर अंग छूने में मज़ा आ रहा था, “क्या करने बोलती हो काकी!“

“मेरी चूत चाट और चूस।” सुंदरी ने कहा।

"छी काकी, बुर भी कोई चाटने की चीज है। वहां तो खाली लंड को ही अंदर डालना होता है, चोदने के लिए चूत होती है काकी।"

“देख हरामी, तू अगर मुझे फिर से चोदना चाहता है तो चूत चाट नहीं तो लंड पकड़ कर बाहर चला जा और अपनी माँ से गांड सटा के सो जा।” सुंदरी बोलते हुए विनोद को धक्का दे कर उठ गई। फिर कहा “देख, परम का लंड भी चूत के अंदर जाने को तैयार है, आज उसी से चुदवा लूंगी।” सुंदरी ने परम को पास बुलाया और उसका लंड पकड़ कर अपनी स्तनों से रगड़ने लगी।

"काकी, परम के बारे में मैंने किसी को भी बुर को चाटते नहीं देखा। बुर तो गंदा रहता है, चाटने से बीमारी हो जाएगी...तू समजती क्यों नहीं!"

"चुप! बहनचोद साला। चूत चटवाने में जो मजा औरत को आता है उतना मजा तो लंड से पेलवाने में भी नहीं आता है।" सुंदरी अब परम के लंड को अपनी चूत से रगड़ रही थी।

परम खुश हो गया था कि आज माँ उसके दोस्त के सामने हमसे चुदवायेगी। उसने माँ का चूची दबाते हुए कहा “विनोद तुमने देखा तो है, जब मैंने तुम्हारी माँ और दीदी की चूत चूसता हूँ तो दोनों कुतिया कितना मजा लेती है।”

सुंदरी ने फिर कहा "मादरचोद, जल्दी बोल। मेरी चूत को अंदर तक चाटेगा की मैं परम से पेलवा लू?"


विनोद अपने ढीले लंड को हाथ से रगड़ कर टाइट करने की कोशिश कर रहा था और उधर परम ने सुंदरी के क्लिट को जोर से मसला। “ओह्ह….. आह्ह…” सुंदरी चीख उठी। विनोद ने फैसला किया कि अब अगर थोड़ी भी देरी होगी तो परम उसके सामने सुंदरी को पेल डालेगा और सुंदरी भी उसकी मां और दीदी की तरह परम के लंड की गुलाम हो जाएगी। विनोद को क्या मालूम कि दोनो माँ-बेटे रोज चुदाई का मजा लेते हैं। विनोद ने सोचा कि परम जब उसकी माँ और दीदी की चूत चाटता है तो दोनो मादरचोद बहुत मजा लेती है और परम भी खूब मजा लेकर चूत का स्वाद पुरे अंदर से लेता है। विनोद ने फैसला किया कि क्यों ना चूत चाटने की शुरुआत सुंदरी के चूत से की जाए। क्या यह चूत भी स्वादिष्ट है और इस चूत से ज्यादा स्वादिष्ट कोई हो ही नहीं सकता। अगर चूत का स्वाद अच्छा लगेगा तो रात अपनी माँ और दीदी की चूत भी चाटेगा।मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना है
अब आगे देखते है की विनोद सुंदरी की चूत चाट के चुतरस लेता है या फिर.............छोड़ देता है..............सुंदरी का स्वाद भूल जाएगा.......!!!!!!!!!!
मेरे साथ बने रहिये
यह एपिसोड कैसा लगा आपकी राय जरुर दीजिये..........प्रतीक्षा:
 
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