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अब आगे.................


"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"

वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।

“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”

“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”

उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।

“मैंने बहुत छोकरियो (लड़कियों) को चोदा है.. लेकिन तेरी चूत चोदने में बहुत मजा आएगा।”

महक उसका लंड अपनी जांघों पर महसूस कर रही थी। सुबह उसने अपनी माँ से कहा था कि वो अब चुदाई करवाना चाहती है, लेकिन अब वह इस आदमी से छुटकारा पाना चाहती थी, वह डरी हुई थी।

“प्लीज़ मुझे जाने दीजिए... आप जो बोलेंगे मैं करूंगी।“
मैत्री और फनलवर की रचना है

“तो पूरी नंगी हो जाओ…” आदमी ने उसे हवा में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसने उसकी स्कर्ट खींची और ब्लाउज फाड़ना चाहा, लेकिन वह रुक गई और एक-एक करके अपने बटन खोलकर ब्लाउज उतार दिया।

“माँ की कसम, तू सच में बहुत ज़्यादा ज़बरदस्त माल है,तू जिस भोस से आई है उस भोस को भी मैं सलाम करता हु, क्या मस्त माल पैदा किया है,तेरी माँ ने!” उसने उसकी जांघें सहलाईं और कहा,

“अब जल्दी से पूरी नंगी हो जा।” लेकिन उसने उसके कुछ करने का इंतज़ार नहीं किया। उसने ब्लाउज खींचा, हुक टूट गया और स्तन बाहर आ गए। महकने अपनी टाँगें क्रॉस करने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी महक के लिए तेज़ और मज़बूत था। उसने फ्रॉक उतार दी और उसकी छोटी सी चूत देखी, जिस पर छोटे-छोटे भूरे बाल थे। उसने उसकी जांघें अलग कीं। उसने अपनी चूत को ढकने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी जांघों के बीच आ गया और उसकी चूत के होंठ अलग कर दिए। उसने चूत और भगशेफ पर उंगली रगड़ी। वह काँपने लगी। महक ने इस मस्ती का और अपने भाई और पिता के सुपारे को अपनी चूत पर रगड़ने का मज़ा तो लिया, लेकिन अब उसे यह सोचकर बहुत बुरा लग रहा है कि यह आदमी सच में... उसकी चुदाई करने जा रहा है, उस सोच से महक को डर लगने लगा है।

उसे याद आया कि कैसे कल शाम को उसकी दोस्त पूनम रोई थी और दर्द महसूस कर रही थी जब उसके पिता ने उसकी चूत में अपना लंड डाला था और उससे पहले सुधा परम के लंड के नीचे रोई थी।

एक बार फिर महकने उसे न चोदने के लिए प्रेरित करने के लिए एक हताश कदम उठाया,

“साहब मुझे छोड़ दो,मैं आपकी बेटी के के बराबर हूं, मेरी… फट जाएगी… प्लीज मुझे घर जाने दो… मैं अपनी सहेली को चुदवाने के लिए ले आऊंगी… प्लीज मुझे जाने दो….! आप चाहे तो आपके पैसे वापिस ले सकते हो।” अब वह चाहती थी की उस से तो अच्छा बाप या भाई ही उसे चोदता, अब वह अपने निर्णय पे पछता रही थी लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। जब चिड़िया चुभ जाए खेत। यहाँ महक पर खूब बैठ रही थी। अब वह एक चुदाई वाले ग्राहक के हाथ मे थी। और कोई भी ग्राहक उसे चोदे बिना कैसे जाने दे सकता था भला!

“बेटी, तुम्हारी जैसा माल अगर मेरी अपनी बेटी भी होती तो मैं उसे कब का चोद डालता…।अब तक वह मेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। तू कोई फिकर ना कर।”
मैत्री और नीता की रचना

उसने कपड़े उतारे और कहा, "अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है..." उसने अपना सुपारा चूत के छेद पर रखा और दबाया।

महकने लंड को दूर धकेलने की कोशिश की लेकिन उसने उसके हाथों को उसके शरीर से दूर कर दिया।

“अब बोल रानी, तू वर्जिन है कि चुद चुकी है?”

"आपको चोदना ही है तो क्या फ़र्क पड़ता है.. कि मैं वर्जिन हूँ की नहीं..." महक ने खुद को शांत करने की कोशिश की। वह जानती थी कि आज उसे इस आदमी का लंड अपनी चूत में अंदर तक लेना होगा। लंड साधारण था, न लंबा, न छोटा...महेक को आराम महसूस हुआ कि यह अब तक दो लंडों जितना मोटा नहीं है...

"बहुत दर्द नहीं करेगा... ।"

“फर्क पड़ता है रानी।” आदमी ने अपने लंड को और गहराई तक धकेला और महक ने अपने कूल्हे को झटका दिया।

“तू अगर वर्जिन है तो प्यार से चोदूंगा नहीं तो खूब ठुमका लगाऊंगा…। और वैसे भी पैसे मैंने तेरी शील तोड़ने के दिए है बेटा।”

“तो झुमकर ठुमका लगाओ राजा… मैं बहोत लंड खा चुकी हूँ…” महक को सुनाने में मजा आया। वो असली चुदाई का मजा लेना चाहती थी।

“क्या सोचते हो..कि तुम ही अकेले मर्द हो…जिसे मेरा माल पसंद है……खुद सोचो, क्या कोई मेरी जैसी ‘माल’ को ज्यादा दिनों तक कुंवारी रहने देगा! अब तक कम से कम 30 लौड़ा ले चुकी हूं…।”

महक की बात सुनकर उसे गुस्सा आ गया और उसने अपने कूल्हे को थोड़ा ऊपर उठाया और पूरी ताकत से लंड को चूत में धकेल दिया। महक अपने दर्द को नियंत्रित नहीं कर पाई और चिल्लाई।

“ओह्ह माँ....मैं मर गई माँ…” उसे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसे पसीना आने लगा। उसका शरीर अकड़ गया और एक सहज क्रिया की तरह उसने उस आदमी को अपनी बाहों में ले लिया।

“बहुत दर्द हो रहा है… लंड बाहर निकाल लो…” अब वह सोच सकती है कि कल रात जब मुनीम का वह मोटा लंड पूनम के अंदर गया होगा तो उसे कितना दर्द हुआ होगा।

“रानी जो दर्द होना था हो गया अब तो मज़ा आएगा… कुतिया तुम झूठ क्यों बोली कि तुम वर्जिन नहीं हो…तेरी चूत ने खून का फुवारा दे दिया और अपना प्रमाण दे दिया की तुम्हारा कौमार्य मेरे लंड ने ले लिया है।”

“कोई बात नहीं, अब आराम से चोदूँगा..।”

उसने चुदाई रोक दी और उसे चूमने लगा। उसने उसके होंठों, गालों, आँखों को चूमा और उसके कसे हुए स्तनों को धीरे से सहलाया। कुछ मिनटों के बाद महक का शरीर आराम मिलने लगा और उसे चूत में लंड का कसाव महसूस हुआ।

उसने अपनी कमर हिलाई और कहा, "अब चोदो राजा...जम कर चोदो... ।"
मैत्री और नीता की रचना

आदमी और महक ने चुदाई का भरपूर आनंद लिया और उसने उसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। उसे चुदाई में बहुत मज़ा आया और यह आनंद यादगार था और उसके भाई और पिता के साथ पहले मिले आनंद से कहीं बेहतर था। उसने आदमी को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश की। जब वह स्खलित हुआ और उसकी चूत भर गई, तो उसने उसका लंड चूसा हलाकि उस लंड पर उसके चुतरस और खून भी लगा हुआ था पर आराम से कोई तकलीफ नहीं उसे उस छोटे से लंड को चूसते हुए और उसे फिर से कड़ा कर दिया और उन्होंने फिर से तूफानी चुदाई की।

“ओह्ह्ह्ह…… रानी, मैं सच कहूँ तो मैं बहुत किस्मत बाला हूँ कि तुम्हारे जैसी मस्त माल को चोदने का मौका मिला वो भी कुंवारी चूत…” उसने उसे चूमा और प्यार किया।

“बहनचोद, तेरे सेठ ने तुझे क्यों नहीं चोदा अब तक….वो भी एक नंबर का चुदक्कड है….हमने कई बार एक साथ मजा लिया है…।”

"मुझे तो बस आप जैसा मर्द ही चोद सकता है...मेरे सेठजी में दम नहीं है मेरी गर्मी शांत करने का..." महक ने जवाब दिया और पूछा कि क्या वह तीसरा राउंड चाहता है?”

“ना रानी…अब तो तुमने सारा गरमी चूस लिया लेकिन बाद में फिर चोदूंगा…” वह उससे सहमति चाहिए थी।

“जब बोलोगे.. आ जाऊँगी... बस सेठजी को बोल देना...” उसने सहमति दे दी।

ऑफिस रूम में बेटी एक पिता जैसे आदमी से चुद रही थी।



और घर में...

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बने रहिये और इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले..................




।जय भारत


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वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।

“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”

“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”

उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।

“मैंने बहुत छोकरियो (लड़कियों) को चोदा है.. लेकिन तेरी चूत चोदने में बहुत मजा आएगा।”

महक उसका लंड अपनी जांघों पर महसूस कर रही थी। सुबह उसने अपनी माँ से कहा था कि वो अब चुदाई करवाना चाहती है, लेकिन अब वह इस आदमी से छुटकारा पाना चाहती थी, वह डरी हुई थी।

“प्लीज़ मुझे जाने दीजिए... आप जो बोलेंगे मैं करूंगी।“
मैत्री और फनलवर की रचना है

“तो पूरी नंगी हो जाओ…” आदमी ने उसे हवा में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसने उसकी स्कर्ट खींची और ब्लाउज फाड़ना चाहा, लेकिन वह रुक गई और एक-एक करके अपने बटन खोलकर ब्लाउज उतार दिया।

“माँ की कसम, तू सच में बहुत ज़्यादा ज़बरदस्त माल है,तू जिस भोस से आई है उस भोस को भी मैं सलाम करता हु, क्या मस्त माल पैदा किया है,तेरी माँ ने!” उसने उसकी जांघें सहलाईं और कहा,

“अब जल्दी से पूरी नंगी हो जा।” लेकिन उसने उसके कुछ करने का इंतज़ार नहीं किया। उसने ब्लाउज खींचा, हुक टूट गया और स्तन बाहर आ गए। महकने अपनी टाँगें क्रॉस करने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी महक के लिए तेज़ और मज़बूत था। उसने फ्रॉक उतार दी और उसकी छोटी सी चूत देखी, जिस पर छोटे-छोटे भूरे बाल थे। उसने उसकी जांघें अलग कीं। उसने अपनी चूत को ढकने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी जांघों के बीच आ गया और उसकी चूत के होंठ अलग कर दिए। उसने चूत और भगशेफ पर उंगली रगड़ी। वह काँपने लगी। महक ने इस मस्ती का और अपने भाई और पिता के सुपारे को अपनी चूत पर रगड़ने का मज़ा तो लिया, लेकिन अब उसे यह सोचकर बहुत बुरा लग रहा है कि यह आदमी सच में... उसकी चुदाई करने जा रहा है, उस सोच से महक को डर लगने लगा है।

उसे याद आया कि कैसे कल शाम को उसकी दोस्त पूनम रोई थी और दर्द महसूस कर रही थी जब उसके पिता ने उसकी चूत में अपना लंड डाला था और उससे पहले सुधा परम के लंड के नीचे रोई थी।

एक बार फिर महकने उसे न चोदने के लिए प्रेरित करने के लिए एक हताश कदम उठाया,

“साहब मुझे छोड़ दो,मैं आपकी बेटी के के बराबर हूं, मेरी… फट जाएगी… प्लीज मुझे घर जाने दो… मैं अपनी सहेली को चुदवाने के लिए ले आऊंगी… प्लीज मुझे जाने दो….! आप चाहे तो आपके पैसे वापिस ले सकते हो।” अब वह चाहती थी की उस से तो अच्छा बाप या भाई ही उसे चोदता, अब वह अपने निर्णय पे पछता रही थी लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। जब चिड़िया चुभ जाए खेत। यहाँ महक पर खूब बैठ रही थी। अब वह एक चुदाई वाले ग्राहक के हाथ मे थी। और कोई भी ग्राहक उसे चोदे बिना कैसे जाने दे सकता था भला!

“बेटी, तुम्हारी जैसा माल अगर मेरी अपनी बेटी भी होती तो मैं उसे कब का चोद डालता…।अब तक वह मेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। तू कोई फिकर ना कर।”
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उसने कपड़े उतारे और कहा, "अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है..." उसने अपना सुपारा चूत के छेद पर रखा और दबाया।

महकने लंड को दूर धकेलने की कोशिश की लेकिन उसने उसके हाथों को उसके शरीर से दूर कर दिया।

“अब बोल रानी, तू वर्जिन है कि चुद चुकी है?”

"आपको चोदना ही है तो क्या फ़र्क पड़ता है.. कि मैं वर्जिन हूँ की नहीं..." महक ने खुद को शांत करने की कोशिश की। वह जानती थी कि आज उसे इस आदमी का लंड अपनी चूत में अंदर तक लेना होगा। लंड साधारण था, न लंबा, न छोटा...महेक को आराम महसूस हुआ कि यह अब तक दो लंडों जितना मोटा नहीं है...

"बहुत दर्द नहीं करेगा... ।"

“फर्क पड़ता है रानी।” आदमी ने अपने लंड को और गहराई तक धकेला और महक ने अपने कूल्हे को झटका दिया।

“तू अगर वर्जिन है तो प्यार से चोदूंगा नहीं तो खूब ठुमका लगाऊंगा…। और वैसे भी पैसे मैंने तेरी शील तोड़ने के दिए है बेटा।”

“तो झुमकर ठुमका लगाओ राजा… मैं बहोत लंड खा चुकी हूँ…” महक को सुनाने में मजा आया। वो असली चुदाई का मजा लेना चाहती थी।

“क्या सोचते हो..कि तुम ही अकेले मर्द हो…जिसे मेरा माल पसंद है……खुद सोचो, क्या कोई मेरी जैसी ‘माल’ को ज्यादा दिनों तक कुंवारी रहने देगा! अब तक कम से कम 30 लौड़ा ले चुकी हूं…।”

महक की बात सुनकर उसे गुस्सा आ गया और उसने अपने कूल्हे को थोड़ा ऊपर उठाया और पूरी ताकत से लंड को चूत में धकेल दिया। महक अपने दर्द को नियंत्रित नहीं कर पाई और चिल्लाई।

“ओह्ह माँ....मैं मर गई माँ…” उसे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसे पसीना आने लगा। उसका शरीर अकड़ गया और एक सहज क्रिया की तरह उसने उस आदमी को अपनी बाहों में ले लिया।

“बहुत दर्द हो रहा है… लंड बाहर निकाल लो…” अब वह सोच सकती है कि कल रात जब मुनीम का वह मोटा लंड पूनम के अंदर गया होगा तो उसे कितना दर्द हुआ होगा।

“रानी जो दर्द होना था हो गया अब तो मज़ा आएगा… कुतिया तुम झूठ क्यों बोली कि तुम वर्जिन नहीं हो…तेरी चूत ने खून का फुवारा दे दिया और अपना प्रमाण दे दिया की तुम्हारा कौमार्य मेरे लंड ने ले लिया है।”

“कोई बात नहीं, अब आराम से चोदूँगा..।”

उसने चुदाई रोक दी और उसे चूमने लगा। उसने उसके होंठों, गालों, आँखों को चूमा और उसके कसे हुए स्तनों को धीरे से सहलाया। कुछ मिनटों के बाद महक का शरीर आराम मिलने लगा और उसे चूत में लंड का कसाव महसूस हुआ।

उसने अपनी कमर हिलाई और कहा, "अब चोदो राजा...जम कर चोदो... ।"
मैत्री और नीता की रचना

आदमी और महक ने चुदाई का भरपूर आनंद लिया और उसने उसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। उसे चुदाई में बहुत मज़ा आया और यह आनंद यादगार था और उसके भाई और पिता के साथ पहले मिले आनंद से कहीं बेहतर था। उसने आदमी को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश की। जब वह स्खलित हुआ और उसकी चूत भर गई, तो उसने उसका लंड चूसा हलाकि उस लंड पर उसके चुतरस और खून भी लगा हुआ था पर आराम से कोई तकलीफ नहीं उसे उस छोटे से लंड को चूसते हुए और उसे फिर से कड़ा कर दिया और उन्होंने फिर से तूफानी चुदाई की।

“ओह्ह्ह्ह…… रानी, मैं सच कहूँ तो मैं बहुत किस्मत बाला हूँ कि तुम्हारे जैसी मस्त माल को चोदने का मौका मिला वो भी कुंवारी चूत…” उसने उसे चूमा और प्यार किया।

“बहनचोद, तेरे सेठ ने तुझे क्यों नहीं चोदा अब तक….वो भी एक नंबर का चुदक्कड है….हमने कई बार एक साथ मजा लिया है…।”

"मुझे तो बस आप जैसा मर्द ही चोद सकता है...मेरे सेठजी में दम नहीं है मेरी गर्मी शांत करने का..." महक ने जवाब दिया और पूछा कि क्या वह तीसरा राउंड चाहता है?”

“ना रानी…अब तो तुमने सारा गरमी चूस लिया लेकिन बाद में फिर चोदूंगा…” वह उससे सहमति चाहिए थी।

“जब बोलोगे.. आ जाऊँगी... बस सेठजी को बोल देना...” उसने सहमति दे दी।

ऑफिस रूम में बेटी एक पिता जैसे आदमी से चुद रही थी।



और घर में...

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।जय भारत


कल तक के लिए विदा...............
Shandaar update
 

Ashiq Baba

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Aap to kalam ke jadugar ho. Komary bhang ya sheel bhang ke bahut scene padhe hai magar ye ye scene anokha aur ekdam realistic lagta hai jaise aapne apne ankho dekhi kahani likhi ho jise chashmdeed gavah bhi kahte hai. Sath hi pahli bar kisi anjan admi se apni apna sheel bhang hone ka darr Mahak ke antarman ya jehan me basa hua ho aur uska ek mann karta hai ki paise ke liye apni jindagi ke behtreen khajane ko kholne ka pahla haq to uske chudakkad bhai aur baap ka hona chahiye jinke sath vo ye khel khelne ki ichhuk bhi thi kisi gair ko kyo haq naseeb ho. Magar usne man pakka kiya aur paise ke prati apni jimmedari samjhte hue apne jivan ke pahle kaam krida ke mard seth ji ko poore mann se sweekar karte hue use purn santusht karne ki jimmedari li. Ye ek paripakv soch ka parinam hai. Is scene me aapne kai sare manobhavon ko darshaya hai. Paise ke lalsa, uthati hui ufanti jawani ki hook, ek kunwari ladki ke naye jivan ko shuru karne ki chah jaise kisi bandh ko tod kar dur talak bah jane ki ek dariya ki chahat. Sath me apni gharwalo ke prati jimmedari ka bhav. Vahi ek saudagar ko apne khareede maal ka poora paisa vasulne ki chahat jiske karan vah bar bar Mahak se puchhta hai ki pahle kisi se chudwaya to nahi. Apni tamanna aur shauk ko poora karne ki sanak me kharche gaye unche daam ko poora vasulne ke liye kiye gye jeetod prayas ko aapne badi bariki se likha hai. Ye scene to tasalli aur fursat se padhne layak hai.
is par aur jyda likhna Suraj ko Diya dikhane jaisa hai.
bahut bahut dhanyvad ye scene ek yadgar samhal kar rakhne layak hai.
thank you so much. Keep writing.
 
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Aap to kalam ke jadugar ho. Komary bhang ya sheel bhang ke bahut scene padhe hai magar ye ye scene anokha aur ekdam realistic lagta hai jaise aapne apne ankho dekhi kahani likhi ho jise chashmdeed gavah bhi kahte hai. Sath hi pahli bar kisi anjan admi se apni apna sheel bhang hone ka darr Mahak ke antarman ya jehan me basa hua ho aur uska ek mann karta hai ki paise ke liye apni jindagi ke behtreen khajane ko kholne ka pahla haq to uske chudakkad bhai aur baap ka hona chahiye jinke sath vo ye khel khelne ki ichhuk bhi thi kisi gair ko kyo haq naseeb ho. Magar usne man pakka kiya aur paise ke prati apni jimmedari samjhte hue apne jivan ke pahle kaam krida ke mard seth ji ko poore mann se sweekar karte hue use purn santusht karne ki jimmedari li. Ye ek paripakv soch ka parinam hai. Is scene me aapne kai sare manobhavon ko darshaya hai. Paise ke lalsa, uthati hui ufanti jawani ki hook, ek kunwari ladki ke naye jivan ko shuru karne ki chah jaise kisi bandh ko tod kar dur talak bah jane ki ek dariya ki chahat. Sath me apni gharwalo ke prati jimmedari ka bhav. Vahi ek saudagar ko apne khareede maal ka poora paisa vasulne ki chahat jiske karan vah bar bar Mahak se puchhta hai ki pahle kisi se chudwaya to nahi. Apni tamanna aur shauk ko poora karne ki sanak me kharche gaye unche daam ko poora vasulne ke liye kiye gye jeetod prayas ko aapne badi bariki se likha hai. Ye scene to tasalli aur fursat se padhne layak hai.
is par aur jyda likhna Suraj ko Diya dikhane jaisa hai.
bahut bahut dhanyvad ye scene ek yadgar samhal kar rakhne layak hai.
thank you so much. Keep writing.
बहोत बहोत धन्यवाद


आपके इस कोमेंट क्या रिप्लाय लिखू???????????????????


बस इतना कहती हूँ की "आप लाजवाब रीडर है".

आभार आपका
 

sunoanuj

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वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।

“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”

“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”

उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।

“मैंने बहुत छोकरियो (लड़कियों) को चोदा है.. लेकिन तेरी चूत चोदने में बहुत मजा आएगा।”

महक उसका लंड अपनी जांघों पर महसूस कर रही थी। सुबह उसने अपनी माँ से कहा था कि वो अब चुदाई करवाना चाहती है, लेकिन अब वह इस आदमी से छुटकारा पाना चाहती थी, वह डरी हुई थी।

“प्लीज़ मुझे जाने दीजिए... आप जो बोलेंगे मैं करूंगी।“
मैत्री और फनलवर की रचना है

“तो पूरी नंगी हो जाओ…” आदमी ने उसे हवा में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसने उसकी स्कर्ट खींची और ब्लाउज फाड़ना चाहा, लेकिन वह रुक गई और एक-एक करके अपने बटन खोलकर ब्लाउज उतार दिया।

“माँ की कसम, तू सच में बहुत ज़्यादा ज़बरदस्त माल है,तू जिस भोस से आई है उस भोस को भी मैं सलाम करता हु, क्या मस्त माल पैदा किया है,तेरी माँ ने!” उसने उसकी जांघें सहलाईं और कहा,

“अब जल्दी से पूरी नंगी हो जा।” लेकिन उसने उसके कुछ करने का इंतज़ार नहीं किया। उसने ब्लाउज खींचा, हुक टूट गया और स्तन बाहर आ गए। महकने अपनी टाँगें क्रॉस करने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी महक के लिए तेज़ और मज़बूत था। उसने फ्रॉक उतार दी और उसकी छोटी सी चूत देखी, जिस पर छोटे-छोटे भूरे बाल थे। उसने उसकी जांघें अलग कीं। उसने अपनी चूत को ढकने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी जांघों के बीच आ गया और उसकी चूत के होंठ अलग कर दिए। उसने चूत और भगशेफ पर उंगली रगड़ी। वह काँपने लगी। महक ने इस मस्ती का और अपने भाई और पिता के सुपारे को अपनी चूत पर रगड़ने का मज़ा तो लिया, लेकिन अब उसे यह सोचकर बहुत बुरा लग रहा है कि यह आदमी सच में... उसकी चुदाई करने जा रहा है, उस सोच से महक को डर लगने लगा है।

उसे याद आया कि कैसे कल शाम को उसकी दोस्त पूनम रोई थी और दर्द महसूस कर रही थी जब उसके पिता ने उसकी चूत में अपना लंड डाला था और उससे पहले सुधा परम के लंड के नीचे रोई थी।

एक बार फिर महकने उसे न चोदने के लिए प्रेरित करने के लिए एक हताश कदम उठाया,

“साहब मुझे छोड़ दो,मैं आपकी बेटी के के बराबर हूं, मेरी… फट जाएगी… प्लीज मुझे घर जाने दो… मैं अपनी सहेली को चुदवाने के लिए ले आऊंगी… प्लीज मुझे जाने दो….! आप चाहे तो आपके पैसे वापिस ले सकते हो।” अब वह चाहती थी की उस से तो अच्छा बाप या भाई ही उसे चोदता, अब वह अपने निर्णय पे पछता रही थी लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। जब चिड़िया चुभ जाए खेत। यहाँ महक पर खूब बैठ रही थी। अब वह एक चुदाई वाले ग्राहक के हाथ मे थी। और कोई भी ग्राहक उसे चोदे बिना कैसे जाने दे सकता था भला!

“बेटी, तुम्हारी जैसा माल अगर मेरी अपनी बेटी भी होती तो मैं उसे कब का चोद डालता…।अब तक वह मेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। तू कोई फिकर ना कर।”
मैत्री और नीता की रचना

उसने कपड़े उतारे और कहा, "अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है..." उसने अपना सुपारा चूत के छेद पर रखा और दबाया।

महकने लंड को दूर धकेलने की कोशिश की लेकिन उसने उसके हाथों को उसके शरीर से दूर कर दिया।

“अब बोल रानी, तू वर्जिन है कि चुद चुकी है?”

"आपको चोदना ही है तो क्या फ़र्क पड़ता है.. कि मैं वर्जिन हूँ की नहीं..." महक ने खुद को शांत करने की कोशिश की। वह जानती थी कि आज उसे इस आदमी का लंड अपनी चूत में अंदर तक लेना होगा। लंड साधारण था, न लंबा, न छोटा...महेक को आराम महसूस हुआ कि यह अब तक दो लंडों जितना मोटा नहीं है...

"बहुत दर्द नहीं करेगा... ।"

“फर्क पड़ता है रानी।” आदमी ने अपने लंड को और गहराई तक धकेला और महक ने अपने कूल्हे को झटका दिया।

“तू अगर वर्जिन है तो प्यार से चोदूंगा नहीं तो खूब ठुमका लगाऊंगा…। और वैसे भी पैसे मैंने तेरी शील तोड़ने के दिए है बेटा।”

“तो झुमकर ठुमका लगाओ राजा… मैं बहोत लंड खा चुकी हूँ…” महक को सुनाने में मजा आया। वो असली चुदाई का मजा लेना चाहती थी।

“क्या सोचते हो..कि तुम ही अकेले मर्द हो…जिसे मेरा माल पसंद है……खुद सोचो, क्या कोई मेरी जैसी ‘माल’ को ज्यादा दिनों तक कुंवारी रहने देगा! अब तक कम से कम 30 लौड़ा ले चुकी हूं…।”

महक की बात सुनकर उसे गुस्सा आ गया और उसने अपने कूल्हे को थोड़ा ऊपर उठाया और पूरी ताकत से लंड को चूत में धकेल दिया। महक अपने दर्द को नियंत्रित नहीं कर पाई और चिल्लाई।

“ओह्ह माँ....मैं मर गई माँ…” उसे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसे पसीना आने लगा। उसका शरीर अकड़ गया और एक सहज क्रिया की तरह उसने उस आदमी को अपनी बाहों में ले लिया।

“बहुत दर्द हो रहा है… लंड बाहर निकाल लो…” अब वह सोच सकती है कि कल रात जब मुनीम का वह मोटा लंड पूनम के अंदर गया होगा तो उसे कितना दर्द हुआ होगा।

“रानी जो दर्द होना था हो गया अब तो मज़ा आएगा… कुतिया तुम झूठ क्यों बोली कि तुम वर्जिन नहीं हो…तेरी चूत ने खून का फुवारा दे दिया और अपना प्रमाण दे दिया की तुम्हारा कौमार्य मेरे लंड ने ले लिया है।”

“कोई बात नहीं, अब आराम से चोदूँगा..।”

उसने चुदाई रोक दी और उसे चूमने लगा। उसने उसके होंठों, गालों, आँखों को चूमा और उसके कसे हुए स्तनों को धीरे से सहलाया। कुछ मिनटों के बाद महक का शरीर आराम मिलने लगा और उसे चूत में लंड का कसाव महसूस हुआ।

उसने अपनी कमर हिलाई और कहा, "अब चोदो राजा...जम कर चोदो... ।"
मैत्री और नीता की रचना

आदमी और महक ने चुदाई का भरपूर आनंद लिया और उसने उसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। उसे चुदाई में बहुत मज़ा आया और यह आनंद यादगार था और उसके भाई और पिता के साथ पहले मिले आनंद से कहीं बेहतर था। उसने आदमी को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश की। जब वह स्खलित हुआ और उसकी चूत भर गई, तो उसने उसका लंड चूसा हलाकि उस लंड पर उसके चुतरस और खून भी लगा हुआ था पर आराम से कोई तकलीफ नहीं उसे उस छोटे से लंड को चूसते हुए और उसे फिर से कड़ा कर दिया और उन्होंने फिर से तूफानी चुदाई की।

“ओह्ह्ह्ह…… रानी, मैं सच कहूँ तो मैं बहुत किस्मत बाला हूँ कि तुम्हारे जैसी मस्त माल को चोदने का मौका मिला वो भी कुंवारी चूत…” उसने उसे चूमा और प्यार किया।

“बहनचोद, तेरे सेठ ने तुझे क्यों नहीं चोदा अब तक….वो भी एक नंबर का चुदक्कड है….हमने कई बार एक साथ मजा लिया है…।”

"मुझे तो बस आप जैसा मर्द ही चोद सकता है...मेरे सेठजी में दम नहीं है मेरी गर्मी शांत करने का..." महक ने जवाब दिया और पूछा कि क्या वह तीसरा राउंड चाहता है?”

“ना रानी…अब तो तुमने सारा गरमी चूस लिया लेकिन बाद में फिर चोदूंगा…” वह उससे सहमति चाहिए थी।

“जब बोलोगे.. आ जाऊँगी... बस सेठजी को बोल देना...” उसने सहमति दे दी।

ऑफिस रूम में बेटी एक पिता जैसे आदमी से चुद रही थी।



और घर में...

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बने रहिये और इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले..................




।जय भारत


कल तक के लिए विदा...............
बहुत ही बढ़िया अपडेट दिया है ! अब अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी !
 

Funlover

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बहुत ही बढ़िया अपडेट दिया है ! अब अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी !
जी बिलकुल लिख रही हूँ
 
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Ashiq Baba

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बहोत बहोत धन्यवाद


आपके इस कोमेंट क्या रिप्लाय लिखू???????????????????


बस इतना कहती हूँ की "आप लाजवाब रीडर है".

आभार आपका
कृपया आभारी ना रहे । हम आपके आभारी है जो बिना की सैलरी लिए आप ये सर्वजन्य हिताय कार्य कर रहे है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
 
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