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बहोत बहोत धन्यवाद मित्रWAH VERY GOOD STORY KEEP IT UP HAPPY DIWALI. JAI INDIA, JAI BHARAT,JAI HINDUSTAN, JAI ARYAVART
जय भारत
बहोत बहोत धन्यवाद मित्रWAH VERY GOOD STORY KEEP IT UP HAPPY DIWALI. JAI INDIA, JAI BHARAT,JAI HINDUSTAN, JAI ARYAVART
Good. If you have seen it, even in all my updates, I first start with last 2 lines of the last update and then proceed with the new update which is good and provides a continuation to the story.Yes, thank you very much, friend.
Every time I think of something new (Innovative), perhaps this is one of them.
You liked the change and I glad to hear it.
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Funlover
आपकी ज़र्रानवाज़ी है जो आप मेरी छोटी छोटी टिप्पणियों को इतना मान दे रहे है । मैं अभी फुर्सत में हु तो आपकी दूसरी कहानी को अवश्य ही पढूंगा और मेरे विचार भी जरूर पेश करूंगा ।@Ashiq Baba
जी बहोत बहोत आभार
आपको और आपके स्नेहीजनो को भी मेरी ओर इस महापर्व दीपावली की से ढेर सारी शुभकामनाये।
और यह नया साल आपके लिए प्रगतिशील और स्वास्थ्यवर्धक बना रहे और आपकी इच्छापूर्ति बनी रहे ऐसे ह्रदय से कामना।
अब आगे ही विश किया है की आपकी इच्छापूर्ति होती रहे तो बेशक अगले नए साल में आप की इच्छा को ध्यान में रखते हुए ऐसा कोई एपिसोड लिख दूंगी। आपका सुचन ध्यान में है।
जी बिलकुल मुझे अच्छा लगा की शब्दों के द्वार जताया गया पुराना प्रेम को आपने प्रसंशा की। जी हाँ पुष्पा पहले से ही चाहती थी की वह मुनीम के संसर्ग में रहे पर संजोग उसके फेवर में नहीं रहे थे। और यहाँ परम के साथ बात-बात में यह बताने का कारण भी यही था की वह अभी भी मुनीम का स्वागत करने के लिए तैयार है, अगर मौक़ा मिले तो......मौक़ा मिलता है या नहीं वह तो आआगे की कहानी ही बता पाएगी।
जी आप बिलकुल सही है, यह वाकया शायद एपिसोड 5 या 6 में बताया गया है मुझे पूरा तो याद नहीं पर ........
मुनीम ने 16-17 साल पहले इस उम्र की पूनम की माँ को देखा था और उसे चोदने के लिए लंड खड़ा हो गया था। मुनीम पूनम की माँ को तो नहीं चोद पाया लेकिन आज उसकी बेटी चुदवाने के लिए पूरी नंगी उसके सामने खड़ी है। मुनीम उसे घूरता रहा।
समय समय की बात है एक समय ऐसा था की दो प्रेमी मिल नहीं सके एक ही गाँव रहते हुए भी, शायद दोनों के लिये एक सीमा बन गई थी। आज समय घूम के दुसरे रूप में प्रकाशित हुआ है, जा प्रेमी का बेटा प्रेमिका से और प्रेमी प्रेमिका की बेटी से जो कुछ भी हो सकता था, हो रहा है।
कभी उन दोनों में से किसी ने भी यह तो नहीं सोचा होगा। और आगे का तो यही कहानी बता सकती है की क्या क्या हो सकता है, संभावनाए काफी है.........
जी जैसे जैसे कहानी आगे जाती है प्लॉट्स उभर कर आते रहेते है और आगे भी आते रहेंगे...........और एक एक मोती से माला बनती जायेगी।
एक बार फिर से आपका बहोत बहोत धन्यवाद की आप कहानी के जड़ तक जाते हो और छिपा हुआ मर्म निकाल देते हो...............
शब्दों के शौक़ीन हो तो मेरी एक कहानी है लूइके पन्ने जो काफी धीरे से चलती है क्योकि ज्यादातर मेरा समय परम-सुंदरी ले लेती है फिर भी आशा है की आप को वर्नात्मकता का प्रभाव देखने को मिल सकता है। हलाकि वह अश्लीलता शायद नहीं है या फिर नहीं के बराबर है या फिर शब्दों की गुंथा गया है। समय मिले तो कभी वह सैर कर लेना।
मेरी दोनों कहानी का तफावत मिल जायेगा जहा एक ओर अशीलता से भरपूर गाँव है वह दूसरी ओर निश्वार्थ भावना, और गाँव की परिभाषा, और गाँव कैसा होता है उनकी रहन सहन और व्यवहार देखने को मिल सकता है। प्रयास कैसा है जरा बताना। (जरुरी नहीं की वह प्रसंशनीय ही हो, आपके प्रमाणिक टिपण्णी की आवश्यकता है)
लुइ के पन्ने!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया हैकपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।
पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”
अब आगे..........
कुछ देर के बाद पहले पूनम घर आई और फिर पुष्पा का पति और पुमा। परम पुमा को देखने के लिए ही रुका था। पूनम परम को अपने घर में देख कर घबरा गई और कमरे के तहत चली गई और पुष्पा अपने पति को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। पुष्पा ने परम को पूमा के साथ अकेले रहने का मौका दिया था। पुमा भी रूम मे जाने लगी तो परम ने उसे पकड़ कर उसे चूम लिया और उसकी नन्ही-नन्ही चूची को मसल दिया। परम फुसफुसाया,
“पूमा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा।”
यह सुन कर पूमा का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने आंख उठा कर परम को देखा और
“कोई देखेगा तो!”
लेकिन परम ने फिर उसे अपनी बाहो में लेकर जोर से दबाया और सीधा फ्रॉक उठाया कर नंगी चूचियो को मसल डाला।
“कभी अकेले मेरे घर पर आना, खूब मजा दूंगा…।”
दोनो अलग हो गए, पूमा अंदर चली गई। परम ने पुमा के शरीर में जहर भर दिया था और वो परम से अकेले मिलने का मौका का इंतजार करने लगी।
फिर पुष्पा ने परम को कुछ खाने को दिया और अपने पति से कहा कि परम पुमा से शादी करना चाहता है..।
“तो ठीक है… कर देंगे…उसमे कुछ बुराइ नहीं है” उसने उत्तर दिया…।” परम और पूमा की जोड़ी ठीक रहेगी...परम पागल है जो पूनम और रेखा से शादी का सोचता था...दोनों उससे बड़ी है... ।''
पुष्पा खुश हुई क्यों की उसके पति की परवानगी मिल गई थी तभी उसका पति ने बोला: “ और हां, अब जमाई समज लिया है तो उनको थोडा अकेले रहने का मौक़ा भी दे दिया करो, लेकिन उतना भी नहीं की शादी के पहले ही पूमा का पेट फुल जाए, तुम भी उसका साथ देती रहना।“ उसने पुष्पा की चूत पर हाथ रखते हुए कहा,”यह भी काफी समय से मांग रही है राईट??? घर की बात रहेगी और घर पर ही होता रहेगा।“
पुष्पा ने चिंतित नजर से कहा और पूनम?
“तुम्हे और मुझे दोनों को पता है पर बोलने की जरुरत नहीं, सिर्फ चोदु बनते रहे समजी?”
***
परम बहार निकल गया और सीधा सेठजी के वहा पहुंचा। सुंदरी तैयार थी। आते समय छोटी बहू ने परम से अगले दिन 2-3 बजे दोपहर में आने को कहा। परम सुंदरी को लेकर सेठजी के ऑफिस वाले रूम में आया। वहा देखा कि महक नंगी ही अजनबी के ऊपर लेटी हुई है और उसके लंड से खेल रही है। लंड लंगड़ा हो चुका था, यानी महक की चूत को फाड़कर ठंडा हो गया था। परम और माँ को देखकर महक अजनबी से अलग हो गई और अपनी माँ के पास आ गई। सुंदरी ने पुछा,
“सब ठीक से हो गया ना?”
महक शर्मा गई और मां चिपक गई। महक फुसफुसा कर बोली,
“बहुत मजा आया, लौड़ा में बहुत दम है.... साले ने तीन बार रगड़-रगड़ को चोदा है.,.चूत में झिल्ली जैसा कुछ रहा नहीं।“
अजनबी भी खड़ा हो गया,सुंदरी को देखा ही अजनबी का लंड टाइट होने लगा,
“क्या जबरदस्त माल है, कौन है यह माल?कोई है यहाँ?”
"ये सेठजी का खास माल है" परम ने जवाब दिया। “हर चुदाई का 50000/- देते हैं सेठजी.
परम ने उत्तर दिया.
“मैं एक लाख दूँगा।” अजनबी ने जवाब दिया और अपने ब्रीफ़केस से नोटों का बंडल निकाला और सुंदरी को दे दिया। “लो पूरा एक लाख है।” अजनबी ने सुंदरी को बिस्तर पर गिरा दिया और फटाफट उसे नंगा कर दिया। करीब 10 मिनट तक अजनबी सुंदरी को चूमता रहा, कभी होंठों पर, कभी चूची को तो कभी बेली को तो कभी चूत को। उसका लंड पूरा टाइट हो गया था और एक अजनबी ने एक धक्के में पूरा लंड सुंदरी के चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
इधर परम नंगी महक और सुंदरी की चुदाई देख कर गरमा गया और वो पूरा नंगा होकर महक को चूमने लगा। फिर महक को सुंदरी के बगल में लिटा कर अपनी बहन के टाइट चूत में लंड घुसेड़ दिया और चूतड उछाल कर चोदने लगा। परम के हर धक्के पर महक “आह…” “उहहह…” करती रही। परम और अजनबी दोनों पहले ही झड़ चुके थे तो दोनों आराम से खूब जम कर चुदाई कर रहे थे। आज एक दिन में सुंदरी दूसरी बाद नए आदमी से चुदाई कर रही थी और उधर 2 घंटे पहले महक का चूत फटा था और अब दूसरे लंड का मजा ले रही थी। सुंदरी और महक दोनो माँ-बेटी ने अपने-अपने पार्टनर को पूरा सहयोग किया। उन्हें चूमा, सहलाया, पैरों में कसा और अंत में दोनो के पानी को अपनी अपनी चूत के अन्दर लिया।
चुदाई ख़त्म करने के बाद सब कपड़े पहन कर तैयार हो गए तो अजनबी ने महक से पूछा कि वो बिना कुछ लिए (पैसे) परम से कैसे चुदवायी तो जवाब सुंदरी ने दिया,
“परम हम दोनों का यार है… जब चाहे हमारी चुदाई कर सकता है।”
परम ने अजनबी सेठ से उन्हें उनके घर तक छोड़ने का अनुरोध किया। अजनबी ने उन्हें बाध्य किया।
जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।
***********
आज के लिए बस यही तक।
कुछ दिनों के लिए कहानी को आराम देंगे और बाद में फिर से वही रफ़्तार पकड़ लेंगे।
आशा रखती हूँ की पाठक फिर से यही पर आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,
शुक्रिया दोस्तों।
आपको यह एपिसोड कैसा लगा इस बारे में तो बताना ही है।
।।जय भारत।।
आज दीपावली स्पेशल अपडेट बहुत अच्छा दिया है । शॉर्ट एंड स्वीट । साथ ही पुष्पा का पति परम को जमाई मान चुका है । और उसे घर मे खुली छूट दे दी है । साथ ही सुन्दरी को एक और मर्द ने अपने नीचे लिया और उसके बगल में ही परम ने अपनी बहन महक का उद्घाटन भी कर दिया ।कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।
पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”
अब आगे..........
कुछ देर के बाद पहले पूनम घर आई और फिर पुष्पा का पति और पुमा। परम पुमा को देखने के लिए ही रुका था। पूनम परम को अपने घर में देख कर घबरा गई और कमरे के तहत चली गई और पुष्पा अपने पति को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। पुष्पा ने परम को पूमा के साथ अकेले रहने का मौका दिया था। पुमा भी रूम मे जाने लगी तो परम ने उसे पकड़ कर उसे चूम लिया और उसकी नन्ही-नन्ही चूची को मसल दिया। परम फुसफुसाया,
“पूमा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा।”
यह सुन कर पूमा का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने आंख उठा कर परम को देखा और
“कोई देखेगा तो!”
लेकिन परम ने फिर उसे अपनी बाहो में लेकर जोर से दबाया और सीधा फ्रॉक उठाया कर नंगी चूचियो को मसल डाला।
“कभी अकेले मेरे घर पर आना, खूब मजा दूंगा…।”
दोनो अलग हो गए, पूमा अंदर चली गई। परम ने पुमा के शरीर में जहर भर दिया था और वो परम से अकेले मिलने का मौका का इंतजार करने लगी।
फिर पुष्पा ने परम को कुछ खाने को दिया और अपने पति से कहा कि परम पुमा से शादी करना चाहता है..।
“तो ठीक है… कर देंगे…उसमे कुछ बुराइ नहीं है” उसने उत्तर दिया…।” परम और पूमा की जोड़ी ठीक रहेगी...परम पागल है जो पूनम और रेखा से शादी का सोचता था...दोनों उससे बड़ी है... ।''
पुष्पा खुश हुई क्यों की उसके पति की परवानगी मिल गई थी तभी उसका पति ने बोला: “ और हां, अब जमाई समज लिया है तो उनको थोडा अकेले रहने का मौक़ा भी दे दिया करो, लेकिन उतना भी नहीं की शादी के पहले ही पूमा का पेट फुल जाए, तुम भी उसका साथ देती रहना।“ उसने पुष्पा की चूत पर हाथ रखते हुए कहा,”यह भी काफी समय से मांग रही है राईट??? घर की बात रहेगी और घर पर ही होता रहेगा।“
पुष्पा ने चिंतित नजर से कहा और पूनम?
“तुम्हे और मुझे दोनों को पता है पर बोलने की जरुरत नहीं, सिर्फ चोदु बनते रहे समजी?”
***
परम बहार निकल गया और सीधा सेठजी के वहा पहुंचा। सुंदरी तैयार थी। आते समय छोटी बहू ने परम से अगले दिन 2-3 बजे दोपहर में आने को कहा। परम सुंदरी को लेकर सेठजी के ऑफिस वाले रूम में आया। वहा देखा कि महक नंगी ही अजनबी के ऊपर लेटी हुई है और उसके लंड से खेल रही है। लंड लंगड़ा हो चुका था, यानी महक की चूत को फाड़कर ठंडा हो गया था। परम और माँ को देखकर महक अजनबी से अलग हो गई और अपनी माँ के पास आ गई। सुंदरी ने पुछा,
“सब ठीक से हो गया ना?”
महक शर्मा गई और मां चिपक गई। महक फुसफुसा कर बोली,
“बहुत मजा आया, लौड़ा में बहुत दम है.... साले ने तीन बार रगड़-रगड़ को चोदा है.,.चूत में झिल्ली जैसा कुछ रहा नहीं।“
अजनबी भी खड़ा हो गया,सुंदरी को देखा ही अजनबी का लंड टाइट होने लगा,
“क्या जबरदस्त माल है, कौन है यह माल?कोई है यहाँ?”
"ये सेठजी का खास माल है" परम ने जवाब दिया। “हर चुदाई का 50000/- देते हैं सेठजी.
परम ने उत्तर दिया.
“मैं एक लाख दूँगा।” अजनबी ने जवाब दिया और अपने ब्रीफ़केस से नोटों का बंडल निकाला और सुंदरी को दे दिया। “लो पूरा एक लाख है।” अजनबी ने सुंदरी को बिस्तर पर गिरा दिया और फटाफट उसे नंगा कर दिया। करीब 10 मिनट तक अजनबी सुंदरी को चूमता रहा, कभी होंठों पर, कभी चूची को तो कभी बेली को तो कभी चूत को। उसका लंड पूरा टाइट हो गया था और एक अजनबी ने एक धक्के में पूरा लंड सुंदरी के चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
इधर परम नंगी महक और सुंदरी की चुदाई देख कर गरमा गया और वो पूरा नंगा होकर महक को चूमने लगा। फिर महक को सुंदरी के बगल में लिटा कर अपनी बहन के टाइट चूत में लंड घुसेड़ दिया और चूतड उछाल कर चोदने लगा। परम के हर धक्के पर महक “आह…” “उहहह…” करती रही। परम और अजनबी दोनों पहले ही झड़ चुके थे तो दोनों आराम से खूब जम कर चुदाई कर रहे थे। आज एक दिन में सुंदरी दूसरी बाद नए आदमी से चुदाई कर रही थी और उधर 2 घंटे पहले महक का चूत फटा था और अब दूसरे लंड का मजा ले रही थी। सुंदरी और महक दोनो माँ-बेटी ने अपने-अपने पार्टनर को पूरा सहयोग किया। उन्हें चूमा, सहलाया, पैरों में कसा और अंत में दोनो के पानी को अपनी अपनी चूत के अन्दर लिया।
चुदाई ख़त्म करने के बाद सब कपड़े पहन कर तैयार हो गए तो अजनबी ने महक से पूछा कि वो बिना कुछ लिए (पैसे) परम से कैसे चुदवायी तो जवाब सुंदरी ने दिया,
“परम हम दोनों का यार है… जब चाहे हमारी चुदाई कर सकता है।”
परम ने अजनबी सेठ से उन्हें उनके घर तक छोड़ने का अनुरोध किया। अजनबी ने उन्हें बाध्य किया।
जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।
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आज के लिए बस यही तक।
कुछ दिनों के लिए कहानी को आराम देंगे और बाद में फिर से वही रफ़्तार पकड़ लेंगे।
आशा रखती हूँ की पाठक फिर से यही पर आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,
शुक्रिया दोस्तों।
आपको यह एपिसोड कैसा लगा इस बारे में तो बताना ही है।
।।जय भारत।।
Thank you. I "never said" you copied my idea. Such thoughts never crossed my mind. I just mentioned that I also do the same. Nothing else.Excellent.
Unfortunately, I didn't notice while reading. But I think it's good practice to provide such revival views before moving on. I agree with you that it provides a legacy of continuity. If you follow such an idea, you can say I copied yours. And I don't feel bad. In fact, I think there should be no hesitation in adopting good ideas.
Please accept my compliment.
Thank you very much.