dil_he_dil_main
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सभी के मिले जुले प्रयास से पहला पड़ाव पार हुआ, सभी की बुद्धिमानी, साहस एवं तर्क सक्ति ही इन सबकी असल ताकत है। एक बार फिर से अद्वितीय वर्णन, जबरदस्त अपडेट भाई#149.
क्रिस्टी का प्लान सभी को अच्छा लगा, पर सभी के दिल तेजी से धड़क रहे थे।
क्रिस्टी के बताए अनुसार सुयश और तौफीक, नीलकमल से 15 मीटर दूर आ गये।
क्रिस्टी के इशारा करते ही, सुयश और तौफीक ने दौड़ना शुरु कर दिया।
दौड़ने से पहले सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर ऐलेक्स को पकड़ा दिया, नहीं तो वह दौड़ने में बाधक बनती।
उन दोनों से 3 सेकेण्ड का अंतराल लेकर, क्रिस्टी ने भी उनके पीछे दौड़ना शुरु कर दिया।
जैसे ही नीलकमल की दूरी लगभग 1 मीटर बची, क्रिस्टी ने दोनों को रुकने के लिये कहा।
सुयश और तौफीक, अपने शरीर को कड़ा करते हुए, नीलकमल से 1 मीटर की दूरी पर रुक गये।
पीछे से भागकर आती क्रिस्टी ने उछलकर, अपना एक पैर तौफीक के कंधे पर व दूसरा पैर सुयश के कंधे पर रखा और अपने शरीर का बैलेंस बनाते हुए ऊपर की ओर उछल गई।
किसी सफल कलाबाज की तरह क्रिस्टी का शरीर हवा में गोल-गोल नाचा और वह जाकर नीलकमल पर सीधी खड़ी हो गई।
यह देख ऐलेक्स खुशी के मारे सीटी बजाकर नाचने लगा।
क्रिस्टी ने ऐलेक्स को देखा और धीरे से मुस्कुरा दी। सभी के चेहरे पर अब खुशी के भाव थे।
क्रिस्टी के नीलकमल पर खड़े होते ही क्रिस्टी के भार से, नीलकमल लगभग 2 फुट नीचे आ गया।
अब उसकी ऊंचाई मात्र 10 फुट की बची थी।
नीलकमल के बीच लगभग 1 मीटर व्यास का क्षेत्र खाली था, इसलिये क्रिस्टी को वहां खड़े होने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।
क्रिस्टी ने अब सुयश की ओर देखा और सुयश का इशारा मिलते ही आंतरिक कक्षा की सबसे छोटी पंखुड़ी को तोड़ दिया।
उस पंखुड़ी को तोड़ते ही, पंखुड़ी के निचले सिरे से सफेद रंग का द्रव निकला और इसके साथ ही नीलकमल बहुत ही धीरे, गोल-गोल नाचने लगा।
यह देख क्रिस्टी ने एक और पंखुड़ी तोड़ दी, नीलकमल की स्पीड थोड़ी सी और बढ़ गई।
यह देख सुयश ने नीचे से चीखकर कहा - “क्रिस्टी, नीलकमल घूमने लगा है, तुम्हें तेजी से इसकी आंतरिक पंखुड़ियों को तोड़ना होगा।
“कैप्टेन, मैं जैसे-जैसे पंखुड़ियां तोड़ रहीं हूं, वैसे-वैसे इस नीलकमल की स्पीड बढ़ती जा रही है। मैं कोशिश कर रही हूं इसे तेज तोड़ने की।” क्रिस्टी ने कहा।
कुछ ही देर में क्रिस्टी ने आंतरिक कक्षा की सभी पंखुड़ियों को तोड़ दिया। अब मध्य और वाहृ कक्षा की पंखुड़ियां ही बचीं थीं।
परंतु अब नीलकमल की स्पीड थोड़ी बढ़ गयी थी और उस पर क्रिस्टी के लिये खड़े रहना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।
क्रिस्टी को अब चक्कर आने लगे थे।
किसी प्रकार से क्रिस्टी ने मध्य कक्षा की भी आधी पंखुड़ियां तोड़ दीं और कूद कर नीचे आ गई।
जमीन पर आते ही क्रिस्टी ने उल्टी दिशा में घूमकर स्वयं को नियंत्रित किया और दुख भरे भाव से सुयश को देखने लगी।
“कोई बात नहीं क्रिस्टी, तुमने अपनी ओर से अच्छी कोशिश की।” सुयश ने क्रिस्टी का उत्साह बढ़ाते हुए कहा।
“मैं इसके आगे की पंखुड़ियां तोड़ सकती हूं।” जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “मैं एक डांसर हूं, आप लोगों ने ‘सुप्रीम’ पर देखा था कि मैं एक डांस ‘फुएट’ करती हूं, जिसमें तेजी से अपने पंजों पर
गोल-गोल नाचना रहता है। इसलिये मुझे गोल-गोल नाचने की प्रेक्टिस है और इससे मुझे चक्कर नहीं आते। पर मुश्किल यह है कि मैं क्रिस्टी की तरह कूदकर वहां जा नहीं सकती।”
“कैप्टेन, मेरे भार से वह नीलकमल 2 फुट नीचे आ गया है, अगर हम सम्मिलित कोशिश करें, तो जेनिथ को नीलकमल के ऊपर भेज सकते हैं।” क्रिस्टी ने कहा।
सभी ना समझने वाले भाव से क्रिस्टी की ओर देखने लगे।
“अब नीलकमल सिर्फ 10 फुट की ऊंचाई पर है। हममें से अधिकतर लोगों की ऊंचाई 6 फुट है। अगर हम सब गोला बनाकर, अपने हाथों को जोड़कर, अपनी सम्मिलित शक्ति से जेनिथ को नीलकमल पर फेंकने की कोशिश करें, तो उसे ऊपर पहुंचा सकते हैं।” क्रिस्टी ने कहा।
क्रिस्टी का प्लान ठीक था। सभी ने गोला बनाकर अपने हाथों को जोड़कर जेनिथ को उस पर खड़ा कर दिया और फिर 3 तक गिनती गिन कर, उसे ऊपर की ओर उछाल दिया।
जेनिथ सकुशल नीलकमल के ऊपर पहुंच गई और उसने मध्य कक्षा की पंखुड़ियों को तोड़ना शुरु कर दिया।
जेनिथ ने आसानी से मध्य कक्षा की पंखुड़ियों को तोड़ दिया, मगर अब सबसे मुश्किल कार्य था, क्यों कि पंखुड़ी के आकार को भी पहचानना था और आखिरी पंखुड़ी के द्रव को भी रोकना था।
“कैप्टेन मैं वाहृकक्षा की भी सभी पंखुड़ियां तोड़ दूंगी, परंतु उस द्रव को कैसे रोकना है? जो इस पंखुड़ी से निकल रहा है।” जेनिथ ने सुयश से पूछा।
“आप ध्यान से देखिये जेनिथ दीदी, पंखुड़ियां जहां से डंडी से जुड़ी होंगी, वहां का रंग थोड़ा गाढ़ा होगा, आपको उस गाढ़े रंग के पास से ही आखिरी पंखुड़ी को तोड़ना होगा। वह गाढ़ा स्थान तभी बनता है, जब वृक्ष, द्रव की आपूर्ति को फूल तक जाने से रोक देता है।” शैफाली ने कहा।
जेनिथ ने ध्यान से देखा तो उसे शैफाली की बात समझ में आ गई।
अब जेनिथ ने फुएट की तरह, एक ही स्थान पर गोल-गोल नाचना शुरु कर दिया, जिससे उसको पंखुड़ियों के आकार की पहचान में कोई
परेशानी नहीं आ रही थी।
अंत में जब 2 पंखुड़ियां बचीं तो जेनिथ थोड़ा परेशान नजर आने लगी।
“कैप्टेन, इन दोनों पंखुड़ियों का आकार मुझे एक जैसा ही लग रहा है, मैं समझ नहीं पा रही कि किसे पहले तोड़ूं।” जेनिथ ने उलझे-उलझे भावों से कहा।
लेकिन इससे पहले कि सुयश कुछ जवाब देता, ऐलेक्स बोल पड़ा- “जेनिथ तुम्हारे दाहिने हाथ वाली पंखुड़ी का आकार थोड़ा छोटा है, तुम उसे पहले तोड़ो।”
जेनिथ ने कांपते हाथों से ऐलेक्स के द्वारा बताई पंखुड़ी को तोड़ दिया।
ऐलेक्स का अंदाजा सही था। अब नीलकमल पर सिर्फ आखिरी पंखुड़ी बची थी।
नीलकमल के नाचने की गति भी अब धीमी होती जा रही थी।
सुयश ने अब खोपड़ी की माला को वापस अपने गले में पहन लिया।
कुछ ही देर में नीलकमल का नाचना बंद हो गया, पर जैसे ही नीलकमल रुका, पूरे कमरे की काँच की जमीन अपनी जगह से गायब हो गई और सभी के सभी, जमीन के नीचे मौजूद उस जेल जैसे द्रव में गिर गये।
किसी को भी इस प्रकार कुछ घटित होने का अंदाजा नहीं था, इसलिये सभी ने पानी में एक गोता लगा लिया।
नीलकमल अब जेनिथ की पहुंच से दूर चला गया था।
वह द्रव पानी से थोड़ा ही गाढ़ा था, इसलिये किसी को उसमें तैरने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं हो रही थी।
एक गोता खाने के बाद सभी ने अपना सिर पानी के बाहर निकाला।
“जिसे भी पानी के अंदर नीलकमल कहीं भी दिखाई दे, वह ध्यान से उसकी पहली पंखुड़ी को तोड़ देना।” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए चीखकर कहा- “क्यों कि उसी के द्वारा अब हम इस मुसीबत को पार कर सकते हैं।”
सुयश की बात सुन सभी ने वापस पानी में गोता लगा दिया।
तभी पानी में मौजूद सभी 6 डॉल्फिन जैसी मछलियों का रंग बदलकर नीले से पारदर्शी हो गया और वह सभी एक-एक व्यक्ति के पीठ से आकर चिपक गईं।
पानी के अंदर ऐलेक्स को छोड़कर, किसी को भी अपनी पीठ से मछलियों के चिपकने का अहसास भी नहीं हुआ।
ऐलेक्स ने अपना हाथ पीछे करके, उस मछली को पकड़कर खींचा, परंतु मछली उसकी पीठ से नहीं छूटी।
उधर पानी के अंदर नीलकमल ढूंढ रही जेनिथ को, पानी के अंदर एक साया नजर आया, जो कि निरंतर उसकी ओर बढ़ रहा था।
जेनिथ ने एक बार अपनी आँखों को मिचमिचाकर, ध्यान से उस साये की ओर देखा।
साये को देखते ही जेनिथ बहुत ज्यादा घबरा गई, वह साया लॉरेन का था, जो कि पानी के अंदर खड़ी उसे ही घूर रही थी।
घबराहट की वजह से थोड़ा पानी जेनिथ की नाक में चला गया, जिसकी वजह से वह सतह पर आ गई।
“यह लॉरेन पानी के अंदर कैसे आ गई?” जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।
“मुझे तो लॉरेन कहीं नहीं दिखाई दी।” नक्षत्रा ने आश्चर्य से कहा।
“पानी के अंदर लॉरेन बिल्कुल मेरे सामने ही थी।” जेनिथ के शब्दों में आश्चर्य झलक रहा था- “पर....पर वह तुम्हें क्यों नहीं दिखी नक्षत्रा?”
तभी तौफीक ने भी पानी की सतह पर घबराकर अपना सिर निकाला।
“क्या तुम्हें भी पानी में लॉरेन दिखाई दी तौफीक?” जेनिथ ने तौफीक से पूछा।
“नहीं....पर मुझे पानी में डूब रहा लोथार दिखाई दिया।” तौफीक ने हैरानी से कहा।
तभी क्रिस्टी ने भी पानी के ऊपर अपना सिर निकाला, वह भी काफी डरी हुई दिख रही थी।
“तुम्हें पानी के अंदर क्या दिखाई दिया क्रिस्टी?” जेनिथ ने क्रिस्टी से भी पूछ लिया।
“मुझे पानी में बहुत से हरे कीड़े तैरते हुए दिखाई दिये।” क्रिस्टी ने कहा।
अब सुयश, शैफाली और ऐलेक्स भी पानी से बाहर आ गये। जेनिथ ने सारी बातें सुयश को बता दीं।
“मुझे भी पानी में डूबता हुआ ‘सुप्रीम’ दिखाई दिया....पर....पर ये सब हो कैसे रहा है?” सुयश ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।
“मैं बताता हूं कैप्टेन।” ऐलेक्स ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए कहा- “कैप्टेन जब हम लोग तिलिस्मा के इस द्वार के अंदर आये, तो जमीन के नीचे कुछ नीले रंग की मछलियां भी थीं। क्या कोई बता सकता है कि मछलियां इस समय कहां पर हैं?”
ऐलेक्स की बात पर सभी का ध्यान मछलियों की ओर गया, पर किसी को भी मछलियां पानी के अंदर दिखाई नहीं दी थी। इसलिये सभी ने ऐलेक्स के सामने ‘ना’ में सिर हिला दिया।
“वह सभी नीली मछलियां पारदर्शी बनकर, हम सभी की पीठ से चिपकी हुईं हैं, पारदर्शी होने की वजह से वह हमें दिखाई नहीं दे रहीं हैं। वही मछलियां हमें ‘लुसिड ड्रीम्स’ की भांति, हमारे दिमाग में मौजूद डर
को हमारे सामने प्रकट कर रहीं हैं।” ऐलेक्स ने कहा।
“मतलब तुम्हारा यह कहना है ऐलेक्स, कि वह चीजें जो हमें दिखाई दीं, वह असली नही थीं, बल्कि एक प्रकार का भ्रम थीं।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से पूछा।
“हां, वह बस एक प्रकार का भ्रम हैं, जो उस मछली की वजह से हमारे सामने महसूस हो रहा है।” ऐलेक्स ने कहा।
यह सुनकर सुयश ने अपनी पीठ पर हाथ फेरा। पीठ पर हाथ फेरते ही सुयश को अपनी पीठ से किसी चीज के चिपके होने का अहसास हुआ।
सुयश ने भी उस मछली को अपनी पीठ से हटाने की कोशिश की,
पर वह भी सफल नहीं हुआ।
“ऐलेक्स सही कह रहा है।” सुयश ने कहा - “हमारी पीठ पर वह मछली चिपकी है, पर वह छूट नहीं रही है। .....ऐलेक्स क्या अब तुम यह बता सकते हो कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा मिलेगा?”
“मैं बताती हूं कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “वह मछली हमारे दिमाग से खेलकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर रही है और ऐसी स्थिति में, हमारे दिमाग का डर हमारे सामने दिख रहा है। तो अगर हम अपने दिमाग को यह विश्वास दिलायें कि हमारा सबसे बड़ा डर वह मछली ही है, तो वह मछली भी हमें हमारे सामने नजर आने लगेगी।
ऐसी स्थिति में हम अपने सामने मौजूद मछली को मारकर अपने डर पर काबू पा सकते हैं। अब हममें से जो भी सबसे पहले ये करने में सफल हो गया, वह नीलकमल को ढूंढ कर उसकी आखिरी पंखुड़ी को तोड़ देगा। आखिरी पंखुड़ी के टूटते ही यह मायाजाल ही समाप्त हो जायेगा।”
“यह कैसे हो सकता है?” जेनिथ ने कहा- “क्यों कि ऐलेक्स तो कह रहा था कि हमारे सामने जो चीजें दिख रहीं हैं, वह सब एक भ्रम है, तो फिर हमारे सामने जो मछली दिखाई देगी, वह भी तो एक भ्रम ही होगी, असली मछली नहीं। तो फिर हम उस भ्रम को मार कैसे सकते हैं?”
“हर भ्रम को सिर्फ विश्वास की शक्ति ही तोड़ सकती है।” शैफाली ने कहा- “अगर वह भ्रम सच ना होकर भी हमारी जान ले सकता है, तो हम भी सच ना होते हुए भी, उस भ्रम को अपने विश्वास से मार सकते हैं और वैसे भी वह मछली हमारे दिमाग से खेल रही है, ऐसे में अगर हम अपने दिमाग को स्वयं से नियंत्रित करने लगे, तो वह मछली स्वयं ही हार जायेगी।”
शैफाली के तर्क बहुत ही सटीक थे, इसलिये फिर से किसी ने कोई सवाल नहीं किया और सभी ने पानी के अंदर एक बार फिर डुबकी लगा दी।
सभी के पानी में डुबकी लगाते ही, एक बार फिर सभी को अपने-अपने डर नजर आने लगे।
पर इस बार कोई भी अपने सामने मौजूद डर से नहीं डरा, बल्कि डर के रुप में उस मछली के बारे में सोचने लगा।
सभी के डर अलग-अलग रुप धरकर उन्हें डराने की कोशिश कर रहे थे, पर सभी बिना डरे मछली के बारे में सोच रहे थे।
तभी ऐलेक्स को अपने सामने वही नीली मछली दिखाई दी।
मछली के दिखते ही ऐलेक्स ने झपटकर उस नीली मछली को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने हाथ की उंगलियों से उस मछली की आँखें फोड़ दीं।
आँखों के फूटते ही ऐलेक्स की पीठ पर मौजूद मछली ऐलेक्स के शरीर से छूट गई।
मछली के पीठ से हटते ही ऐलेक्स को सामने, कुछ दूरी पर वह नीलकमल दिखाई दिया।
नीलकमल नजर आते ही ऐलेक्स उसकी ओर झपटा। कुछ ही देर में नीलकमल ऐलेक्स के हाथ में था।
चूंकि ऐलेक्स की वशीन्द्रिय शक्ति अभी भी थोड़ा काम कर रही थी, इसलिये ऐलेक्स ने नीलकमल की पंखुड़ी के उस भाग को पानी के अंदर भी आसानी से देख लिया, जो हल्का गाढ़ा था। ऐलेक्स ने बिना देर कि ये पंखुड़ी को उस स्थान से तोड़ दिया।
पंखुड़ी के टूटते ही तिलिस्मा का वह द्वार भी टूट गया।
अब सभी के शरीर से मछलियां छूट गईं और उस जगह का सारा पानी वहीं जमीन में समा गया।
कुछ ही देर में सभी नार्मल से दिखने लगे, तो ऐलेक्स ने उन्हें बता दिया कि किस प्रकार उसने मछली को मारा था।
“अरे वाह....मेरा ब्वायफ्रेंड तो कमाल का निकला।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स के गले से लगते हुए कहा।
“गलत कहा, मैं कमाल का नहीं, क्रिस्टी का हूं।” ऐलेक्स ने मासूमियत से जवाब दिया।
सभी ऐलेक्स का जवाब सुन हंस दिये।
सभी अब सामने मौजूद तिलिस्मा के दूसरे द्वार की ओर बढ़ गये।
जारी रहेगा_______![]()
