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Thank you very much for your wonderful review and support bhai, sath bane rahiyeWaah gajab ka update.... Ragini ki baatien sach me majedaar hoti haii....
Agle update ki pratiksha rahegiii

Thank you very much for your wonderful review and support bhai, sath bane rahiyeWaah gajab ka update.... Ragini ki baatien sach me majedaar hoti haii....
Agle update ki pratiksha rahegiii


Dekhte hai bhai, kya ho payega aur kya nahiDEvika, Saumya, Ragini .........................wah ..sarkar ........
but ye sab रोमेश दी ग्रेट se n ho payega ...................![]()

Are wah Romesh. Babu ne pehle he jhade gaad rakhe hai dosto ke sath dushman ke bhi lagata hai jaroor koi khas he dushman hoga Romesh ka jisne Devika ka Sahara leke use fasane ki tayaari ki hai ache se ab dekhte hai Saumya madam kis Tej se madadgar sabit hoti hai#05
अंबेडकर हॉस्पिटल के पिछले गेट से थोड़ी सी दूरी पर ही कुमार की वही नीले रंग की वेलिनो खड़ी हुई थी।
इस वक़्त उस गाड़ी को तीन चार पुलिस वाले घेर कर खड़े हुए थे,और कुछ लोग उस गाड़ी की जाँच में लगे हुए थे।
मै उन लोगों के हावभाव से ही पहचान गया था कि वे फोरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग है।
गाड़ी के पास ही एसआई देवप्रिय भी मुस्तैदी के साथ खड़ा हुआ था।
हमें कुमार के साथ देखते ही उसकी न केवल भवे तन गई थी, बल्कि उसकी पेशानी पर बल भी पड़ चुके थे।
"क्या बात है, पूरा गैंग ही एक साथ घूम रहा हैं"
पता नही इस बन्दे का नाम देवप्रिय किसने रखा था, न बरखुरदार की शक्ल अच्छी थी, और न ही बाते ऐसी करता था, की किसी को भी प्रिय लगे।
"गैंग से क्या मतलब है आपका" मुझ से पहले ही रागिनी ने देवप्रिय से उसकी बात का मतलब पूछ लिया था।
"आप मे से एक बन्दे की गाड़ी चोरी हुई है, और उस गाड़ी में किसी के ताजा खून के धब्बे और निशान पाए जाते है, एक बन्दे की पिस्टल गायब है, और वैसी ही पिस्टल से निकली एक गोली किसी की जान भी ले चुकी होती है, और फिर भी आप लोग इसलिये मासूम बनकर पुलिस के सामने पेश आते है, क्यों कि इन लोगो ने पहले से ही अपनी गाड़ी और पिस्टल की चोरी की रपट पुलिस में लिखवाई हुई होती है" देवप्रिय हम लोगों को एक साथ देखते ही अपने नतीजे पर पहुंच भी चुका था।
"आपको तो इस इलाके का डीसीपी होना चाहिए था देवप्रिय जी, आप की प्रतिभा के साथ तो बहुत बड़ा अन्याय है कि आप अभी तक सिर्फ एसआई की पोस्ट तक ही पहुंचे हो" मैने तंज भरे स्वर में देवप्रिय को बोला तो उसने खा जाने वाली नजरो से मुझे देखा।
"क्यो क्या मैं कुछ गलत कह रहा हूँ" देवप्रिय जले भूने स्वर में बोला।
"आप बताइए कल रात से मेरी पिस्टल की चोरी होने की रपट पर आपने अभी तक क्या कार्यवाही की है, उसे ढूंढने की कोई एक भी कोशिश की है तो, जरा मेरी जानकारी में भी ला दो, और जब हम अपने प्रयासों से अपनी चोरी हुई चीज को ढूंढने की कोशिश में इस बन्दे तक पहुंचते है, जिसकी गाड़ी चुराकर वो लड़की मेरे घर तक आई थी, तो ये सब आपको हमारी मिली भगत लगती है, आप पर तो सचमुच बलिहारी होने का दिल कर रहा है, आपका नाम तो राष्ट्रपति के पास गोल्ड मेडल देने के लिए दिल्ली पुलिस को भेजना चाहिए"
मेरी बात सुनकर देवप्रिय के कांटो तो खून नही था, वो समझ नही पा रहा था, की क्या कोई उसकी पुलिसिया वर्दी का खौफ खाये बिना भी उससे इस लहजें मे भी बात कर सकता है।
"ज्यादा हवा में उड़ो मत जासूस साहब, बिना पुलिस की मदद के तुम किसी केस की तरफ पैर करके भी नही सो सकते हो, उसे सुलझाने की बात तो बहुत दूर की बात है, रही बात आपकी पिस्टल चोरी होने की रपट पर कार्यवाही की, तो सिर्फ एक यही काम नही रह गया है हमारे पास, सुबह से ही एक लड़की के कत्ल के केस में उलझे हुए है, जो कि आपकी पिस्टल को ढूंढने से ज्यादा बड़ा और जरूरी काम है" देवप्रिय ने मेरी ओर देखकर कुटिलता से बोला।
"अगर आप प्राथमिकता के आधार पर रात को ही मेरी पिस्टल को ढूंढने का प्रयास करते तो शायद इस कत्ल को होने से आप रोक पाते देवप्रिय जी" मैंने ये बोलकर अपने मोबाइल में उस लड़की का फोटो निकाल कर देवप्रिय के सामने रख दिया।
वो गहराई से नजर गड़ाकर उस फ़ोटो को देख रहा था।
"कौन हैं ये" देवप्रिय ने मेरी ओर देखते हुए पूछा।
"ये वही लड़की है, जिसने पहले इनकी गाड़ी चुराई, फिर उस गाड़ी में बैठकर मेरे घर तक आई, फिर मेरे घर से मेरी पिस्टल को चुराकर फरार हो गई" मैने देवप्रिय को बोला।
"लेकिन ये है कौन" देवप्रिय ने फिर से पूछा।
"एक सजा याफ्ता मुजरिम! जिसके बारे में जानकारी आप हमसे ज्यादा जुटा सकते हो" मैने बोला तो देवप्रिय मेरी और हक्का बक्का सा मेरी ओर देखता रह गया।
कुमार गौरव-5
इस वक़्त हम रोहिणी के थाने में बैठे हुए थे। कुमार गौरव के बताए हुए मल्लिका नाम के अनुसार उसका पुलिस रिकॉर्ड खंगाला जा रहा था।
लेकिन मल्लिका के नाम से कोई भी डेटा पुलिस के डेटा में नहीं मिल रहा था।
"आप फ़ोटो की पहचान से इस लड़की को ढूँढिये! शायद इस लड़की को क्यो कि हर जगह सिर्फ फ्रॉड करना होता है, तो ये हर जगह अपना नाम गलत ही बताती हो" मैने देवप्रिय की तरफ देखकर बोला।
देवप्रिय के सुर अब सुधर चुके थे, क्यो कि उसने देख लिया था कि पुलिस की बंधी बंधाई लकीर को पीटने से कुछ हासिल नही होने वाला था, बल्कि जो सवाल उससे मैने किये थे, उन सवालों को उससे कोई भी समझदार पुलिस अधिकारी कर सकता था।
"लेकिन तुम्हारे पास जो फ़ोटो है, वो बहुत धुंधली है, शायद डेटा उसे पकड़ न पाए" देवप्रिय की इस बात में दम था।
"कुमार साहब तुम्हारी तो वो लड़की गर्लफ्रेंड और एम्पलॉई दोनो ही रह चुकी है, तुम्हारे पास तो उसकी कोई फ़ोटो जरूर होनी चाहिये" रागिनी ने कुमार से मुखातिब होकर बोला।
"मैने उससे संबंधित सारा कुछ अपने मोबाइल से डिलीट कर दिया था, इसलिए मुश्किल है मेरे मोबाइल में कुछ मिलना" कुमार ने फंसे हुए स्वर में कहा।
"देखिए! एक बार मोबाइल को अच्छे से चेक कर लीजिए,नही तो मुझे आपका मोबाइल लैब में भेजना पड़ेगा, वहां पर आपका सभी डेटा रिकवर हो जाएगा" देवप्रिय ने उसे समझदारी से समझाया।
"कुमार आप डिलीट हिस्ट्री में जाओ, अगर तुमने फोन का डेटा रिबूट नही किया होगा तो डिलीट हिस्ट्री में सब मिल जाएगा" रागिनी ने कुमार को बोला।
"हाँ फ़ोन तो रिबूट नही किया हैं मैंने, मैं अभी देखता हूँ" मोबाइल को लैब में भेजने की बात सुनते ही जो चेहरा बुझ गया था, वह अब फिर से रोशन हो चुका था।
कुमार अब पूरी तल्लीनता से मोबाइल में घुस चुका था। कोई पांच मिनट के बाद ही एक विजयी मुस्कान के साथ वो मोबाइल से अपनी नजरो को उठाया।
"मिल गई एक फोटो तो मिल गई" कुमार ने सिर उठाते ही घोषणा की। उसके बाद उसने अपना मोबाइल मेरे आगे किया।
उस लड़की की फ़ोटो पर नजर पड़ते ही मैंने भी इस बात की तस्दीक करदी कि ये वही लड़की है, जो कल रात को मेरे घर मे आई थी।
देवप्रिय ने उस मोबाइल को डेटा केबल से जोड़ा और तुरन्त उस फ़ोटो को अपने कंप्यूटर में ट्रांसफर करने लगा।
फ़ोटो ट्रांसफर करनें के बाद उसने मोबाइल को कुमार को वापिस लौटा दिया। अब देवप्रिय के लिये उसकी तलाश आसान होने वाली थी।
देवप्रिय अब अपने पुलिस रिकॉर्ड के सजा याफ्ता मुजरिमो के फोटो सेक्शन में जाकर फ़ोटो ट्रेस कर रहा था। कुछ ही पलों में उसका परिणाम हमारे सामने था।
लड़की का नाम देविका था, और वो दो करोड़ की धोखाधड़ी के केस में छह माह पहले ही जेल में गई थी। अब वो जमानत पर बाहर थी।
"मुझे उस केस की डिटेल मिल सकती है, की किस कंपनी के साथ ये धोखाधड़ी करके जेल पहुंची थी, और इसने क्या धोखाधड़ी की थी" मैंने देवप्रिय की ओर देखते हुए एक हल्की सी मुस्कान के साथ पूछा।
देवप्रिय ने अजीब सी नजरो से मेरी और देखा।
"ये बंसल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की किसी डेटा संग्रहण कंपनी में थी, जहां पर इसने कम्पनी के कंज्यूमर डेटा को ही उनकी किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी को दो करोड़ में बेच दिया था" देवप्रिय ने न जाने क्या सोचकर मुझे केस डिटेल देने में कोई आना -कानी नही की थी।
"बस इतना काफी है सर! बाकी बंसल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज से मेरे अच्छे तालुक्कात है, मुझे इस लड़की की वहां से पूरी कुंडली मिल जाएगी" मैने देवप्रिय को बोला, तो देवप्रिय ने अजीब सी निग़ाहों से मेरी ओर देखा।
"भाई किस दुनिया में हो, जानते भी हो कितनी बड़ी कंपनी है ये, महीनों तक तो मिलने तक का अपॉइंटमेंट नही मिलता, इस कंपनी के मालिकों से" देवप्रिय ने बिना किसी जानकारी के ही हवा-हवाई बात बोली।
"जनाब इस कंपनी की सिर्फ एक ही मालकिन है, सौम्या बंसल! इनके पति राजीव बंसल अपने पिता और अपनी सौतेली माँ की हत्या के जुर्म में मेरी मेहरबानी से ही इस वक़्त उम्रकैद की सजा काट रहे है" मैंने ग्रुप ऑफ बंसल इंडस्ट्रीज की पूरी जन्म कुंडली देवप्रिय के सामने रख दी।
"तुम्ही वो प्राइवेट डिटेक्टिव हो जिसने इस केस को सॉल्व करने में डिपार्टमेंट की मदद की थी" देवप्रिय बदले हुए सुर में बोला।
"हाँ ! मैं ही हूँ वो आपका सेवक, रोमेश दी ग्रेट!" मैने हल्का सा अपना सिर नवाकर देवप्रिय को बोला।
"तभी मैं सोचूं की किसी पुलिस वाले से बात करने का इतना सलीका तुम में कैसे है" देवप्रिय अब खिसियाए से स्वर में बोला।
"चलिये जनाब! अब तक जो हुआ सो हुआ, मिट्टी डालिये उन बातों पर, अब आप इस केस पर अपने हिसाब से काम कीजिये, क्यो कि मुझे इस केस पर एक अलग नजरिये से काम करना है, लेकिन दोनो ही सूरत में हम दोनों का मकसद असल अपराधी को पकड़ना ही होगा" मैने देवप्रिय से अब अपने संबंध सामान्य बनाने के लिये ये पहल की।
वैसे भी पानी मे रहकर ज्यादा दिन तक आप मगरमच्छ से बैर नही रख सकते है। क्यो कि बिना पुलिसिया
मदद के एक प्राइवेट डिटेक्टिव चाह कर भी कोई तीर नही चला सकता था।
हम देवप्रिय से विदा लेकर थाने से बाहर आ चुके थे, कुमार की गाड़ी अभी पुलिस के कब्जे में ही थी, क्यो कि एक मर्डर के केस में वो गाड़ी अब बतौर सबूत पुलिस की प्रोपर्टी थी। लिहाजा हमे अभी कुमार गौरव को भी उसके घर पर ड्राप करना था।
इस केस में अब सौम्या बंसल से एक बार फिर से मुलाकात करनें का मौका मिलने वाला था।
शायद साल भर के बाद उससे मिलने का मौका आने वाला था। इसलिए सबसे पहले तो उसकी शिकायतों का पुलिंदा ही मुझे सुनना था।
कुमार को उसके घर पर छोड़कर हम फिर से मेरे फ्लैट पर आ गए थे।
दोपहर का समय होने को आया था, इसलिए मैंने उसी भोजनालय को अपने और रागिनी के लिए लंच आर्डर कर दिया था।
"देविका को हमारे खिलाफ कौन प्लांट कर सकता है" मैने रागिनी की ओर देखते हुए बोला।
"दिल्ली की तिहाड़ में तो आपके भेजे हुए बहुत सारे चाहने वाले है, सौम्या का हस्बैंड राजीव बंसल भी वही हैं, तुम्हारी चहेती मेघना भी वही है, इसके अलावा और भी बहुत लोग है" रागिनी ने मेरी बात का जवाब दिया।
"लेकिन देविका तो लड़की है तो वो तो महिला जेल में होगी" मैंने रागिनी को याद दिलाया।
"महिला जेल में उसकी मुलाकात मेघना के साथ हो सकती है, दोनो की बैकग्राउंड भी एक ही कंपनी के लिये काम करना है, तो दोनो में दोस्ती भी जल्दी हो गई होगी" रागिनी ने तुरन्त दो जमा दो बराबंर चार वाला फॉर्मूला जोड़ा।
"मुझे लगता तो नही की मेघना मुझ से बदला लेने के लिए ऐसा कुछ प्लान कर सकती है" मै रागिनी की इस बात को मानने के लिए तैयार नही था।
"क्यो ! वो तुम्हारी वजह से आज जेल में सड़ रही है, तो कभी तो तुम्हे भी किसी जाल में फ़साने का दिमाग में आया ही होगा" रागिनी की इस बात में दम था।
"एक काम करते है, खाना ख़ाकर तुम सौम्या से बात करो, फिर उससे मिलने चलते है, इस देविका की भी अब पूरी कुंडली निकालना जरुरी है" रागिनी ने लंच की थाली को मेरे सामने रखते हुए बोला।
लेकिन मैं रागिनी के बोलने से पहले ही सौम्या को फोन मिला चुका था। उधर से तीसरी बेल बजने के बाद सौम्या ने फोन उठाया।
"मैं तो आज धन्य हो गई" उधर से सौम्या ने फोन उठाते ही बोला।
"मैं भी कृतार्थ हो गया, इतनी खूबसूरत लड़की की इतनी मधुर आवाज को सुनकर" मै जानता था कि सौम्या फोन उठाते ही ऐसा ही कुछ बोलने वाली थी।
"तुम्हे अगर मेरी सुंदरता की जरा भी कदर होती तो कम से कम रात को सोने से पहले एक फ़ोन तो रोज करते तुम मुझे" सौम्या ने शिकायती लहजें में बोला।
"तुम फोन करनें की बात कर रही हो मेरी जान, मैं तो तुमसे मिलने के लिए बेताब हुए जा रहा हूँ, ये बताओ अभी कहाँ मिल सकती हो" मैंने तुरंत बात बनाई।
"बिना किसी काम के तो तुम मेरे पास आने से रहे, इसलिए पहले काम बताओ, फिर बताऊंगी मैं कहाँ हूँ" सौम्या भी अब बातो को भांपना सीख गई थी।
"सिर्फ तुम्हारे हसीन मुखड़े के दर्शन करने है, और तुम्हारें साथ कॉफी पीनी है, और रागिनी भी मेरे साथ आना चाहती है" मैंने सौम्या को बोला।
"रागिनी भी साथ आ रही है, तो पक्का किसी काम से ही आ रहे हो तुम, चलो तुम मेरे पास आ रहे हो, इतना ही काफी है, राजेन्द्र प्लेस वाले आफिस में हूँ, यही आ जाओ, छह बजे तक यही हूँ" सौम्या ने मुझे बोला।
"ठीक हैं मेरी गुले गुलजार, तुम्हारा ये बिछड़ा हुआ प्यार, सिर के बल दौड़ता हुआ आ रहा है" मेरी बात सुनकर सौम्या की एक जोर की हँसी गूँजी और फिर फोन रखने की आवाज सुनाई दी।
फोन रखते ही मैने देखा कि रागिनी मेरी ओर ही देखे जा रही थी।
"तो तुम सौम्या मैडम का बिछड़ा हुआ प्यार हो" रागिनी ने तंज भरे स्वर में कहा।
"अभी चल रही हो न मेरे साथ, तुम खुद देखना की वो मुझ से ऐसे चिपक कर मिलेगी, जैसे हम कई जन्मों से बिछड़े हुए प्रेमी हो" मैंने रागिनी को बोला।
"देखते है! कितना मरे जा रही है वो तुमसे मिलने के लिये, जल्दी से खाना खालो, कही लेट हो गए तो वो सुसाइड न कर ले" रागिनी ने एक कुटील मुस्कान के साथ बोला।
"कुछ जलने की बू आ रही हैं, इस ढाबे वाले ने भी लगता है जली हुई सब्जी भेज दी" ये बोलकर मैने एक सब्जी की कटोरी उठा कर उसकी महक सूंघने लगा।
"औए मिस्टर! जले मेरी जूती, अपना जलवा भी कोई कम नही है" रागिनी ने मुझे हूल दी।
मुझे कई बार रागिनी की इन बातों पर बड़ा मजा आता था।
लेकिन मैं इस बहस को अब अपनी गाड़ी में सफर के दौरान बचाकर रखना चाहता था, इसलिए मैंने अपना पूरा ध्यान अपने खाने में लगा दिया था।
जारी रहेगा_____![]()
Romesh ke to laude laga gai chhokriफिर मैंने दराजो को खंगालना शुरू किया। दराज में नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो चुके थे।
आपके इस सेवक की पिस्टल दराज से गायब थी।
for new story men

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....#05
अंबेडकर हॉस्पिटल के पिछले गेट से थोड़ी सी दूरी पर ही कुमार की वही नीले रंग की वेलिनो खड़ी हुई थी।
इस वक़्त उस गाड़ी को तीन चार पुलिस वाले घेर कर खड़े हुए थे,और कुछ लोग उस गाड़ी की जाँच में लगे हुए थे।
मै उन लोगों के हावभाव से ही पहचान गया था कि वे फोरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग है।
गाड़ी के पास ही एसआई देवप्रिय भी मुस्तैदी के साथ खड़ा हुआ था।
हमें कुमार के साथ देखते ही उसकी न केवल भवे तन गई थी, बल्कि उसकी पेशानी पर बल भी पड़ चुके थे।
"क्या बात है, पूरा गैंग ही एक साथ घूम रहा हैं"
पता नही इस बन्दे का नाम देवप्रिय किसने रखा था, न बरखुरदार की शक्ल अच्छी थी, और न ही बाते ऐसी करता था, की किसी को भी प्रिय लगे।
"गैंग से क्या मतलब है आपका" मुझ से पहले ही रागिनी ने देवप्रिय से उसकी बात का मतलब पूछ लिया था।
"आप मे से एक बन्दे की गाड़ी चोरी हुई है, और उस गाड़ी में किसी के ताजा खून के धब्बे और निशान पाए जाते है, एक बन्दे की पिस्टल गायब है, और वैसी ही पिस्टल से निकली एक गोली किसी की जान भी ले चुकी होती है, और फिर भी आप लोग इसलिये मासूम बनकर पुलिस के सामने पेश आते है, क्यों कि इन लोगो ने पहले से ही अपनी गाड़ी और पिस्टल की चोरी की रपट पुलिस में लिखवाई हुई होती है" देवप्रिय हम लोगों को एक साथ देखते ही अपने नतीजे पर पहुंच भी चुका था।
"आपको तो इस इलाके का डीसीपी होना चाहिए था देवप्रिय जी, आप की प्रतिभा के साथ तो बहुत बड़ा अन्याय है कि आप अभी तक सिर्फ एसआई की पोस्ट तक ही पहुंचे हो" मैने तंज भरे स्वर में देवप्रिय को बोला तो उसने खा जाने वाली नजरो से मुझे देखा।
"क्यो क्या मैं कुछ गलत कह रहा हूँ" देवप्रिय जले भूने स्वर में बोला।
"आप बताइए कल रात से मेरी पिस्टल की चोरी होने की रपट पर आपने अभी तक क्या कार्यवाही की है, उसे ढूंढने की कोई एक भी कोशिश की है तो, जरा मेरी जानकारी में भी ला दो, और जब हम अपने प्रयासों से अपनी चोरी हुई चीज को ढूंढने की कोशिश में इस बन्दे तक पहुंचते है, जिसकी गाड़ी चुराकर वो लड़की मेरे घर तक आई थी, तो ये सब आपको हमारी मिली भगत लगती है, आप पर तो सचमुच बलिहारी होने का दिल कर रहा है, आपका नाम तो राष्ट्रपति के पास गोल्ड मेडल देने के लिए दिल्ली पुलिस को भेजना चाहिए"
मेरी बात सुनकर देवप्रिय के कांटो तो खून नही था, वो समझ नही पा रहा था, की क्या कोई उसकी पुलिसिया वर्दी का खौफ खाये बिना भी उससे इस लहजें मे भी बात कर सकता है।
"ज्यादा हवा में उड़ो मत जासूस साहब, बिना पुलिस की मदद के तुम किसी केस की तरफ पैर करके भी नही सो सकते हो, उसे सुलझाने की बात तो बहुत दूर की बात है, रही बात आपकी पिस्टल चोरी होने की रपट पर कार्यवाही की, तो सिर्फ एक यही काम नही रह गया है हमारे पास, सुबह से ही एक लड़की के कत्ल के केस में उलझे हुए है, जो कि आपकी पिस्टल को ढूंढने से ज्यादा बड़ा और जरूरी काम है" देवप्रिय ने मेरी ओर देखकर कुटिलता से बोला।
"अगर आप प्राथमिकता के आधार पर रात को ही मेरी पिस्टल को ढूंढने का प्रयास करते तो शायद इस कत्ल को होने से आप रोक पाते देवप्रिय जी" मैंने ये बोलकर अपने मोबाइल में उस लड़की का फोटो निकाल कर देवप्रिय के सामने रख दिया।
वो गहराई से नजर गड़ाकर उस फ़ोटो को देख रहा था।
"कौन हैं ये" देवप्रिय ने मेरी ओर देखते हुए पूछा।
"ये वही लड़की है, जिसने पहले इनकी गाड़ी चुराई, फिर उस गाड़ी में बैठकर मेरे घर तक आई, फिर मेरे घर से मेरी पिस्टल को चुराकर फरार हो गई" मैने देवप्रिय को बोला।
"लेकिन ये है कौन" देवप्रिय ने फिर से पूछा।
"एक सजा याफ्ता मुजरिम! जिसके बारे में जानकारी आप हमसे ज्यादा जुटा सकते हो" मैने बोला तो देवप्रिय मेरी और हक्का बक्का सा मेरी ओर देखता रह गया।
कुमार गौरव-5
इस वक़्त हम रोहिणी के थाने में बैठे हुए थे। कुमार गौरव के बताए हुए मल्लिका नाम के अनुसार उसका पुलिस रिकॉर्ड खंगाला जा रहा था।
लेकिन मल्लिका के नाम से कोई भी डेटा पुलिस के डेटा में नहीं मिल रहा था।
"आप फ़ोटो की पहचान से इस लड़की को ढूँढिये! शायद इस लड़की को क्यो कि हर जगह सिर्फ फ्रॉड करना होता है, तो ये हर जगह अपना नाम गलत ही बताती हो" मैने देवप्रिय की तरफ देखकर बोला।
देवप्रिय के सुर अब सुधर चुके थे, क्यो कि उसने देख लिया था कि पुलिस की बंधी बंधाई लकीर को पीटने से कुछ हासिल नही होने वाला था, बल्कि जो सवाल उससे मैने किये थे, उन सवालों को उससे कोई भी समझदार पुलिस अधिकारी कर सकता था।
"लेकिन तुम्हारे पास जो फ़ोटो है, वो बहुत धुंधली है, शायद डेटा उसे पकड़ न पाए" देवप्रिय की इस बात में दम था।
"कुमार साहब तुम्हारी तो वो लड़की गर्लफ्रेंड और एम्पलॉई दोनो ही रह चुकी है, तुम्हारे पास तो उसकी कोई फ़ोटो जरूर होनी चाहिये" रागिनी ने कुमार से मुखातिब होकर बोला।
"मैने उससे संबंधित सारा कुछ अपने मोबाइल से डिलीट कर दिया था, इसलिए मुश्किल है मेरे मोबाइल में कुछ मिलना" कुमार ने फंसे हुए स्वर में कहा।
"देखिए! एक बार मोबाइल को अच्छे से चेक कर लीजिए,नही तो मुझे आपका मोबाइल लैब में भेजना पड़ेगा, वहां पर आपका सभी डेटा रिकवर हो जाएगा" देवप्रिय ने उसे समझदारी से समझाया।
"कुमार आप डिलीट हिस्ट्री में जाओ, अगर तुमने फोन का डेटा रिबूट नही किया होगा तो डिलीट हिस्ट्री में सब मिल जाएगा" रागिनी ने कुमार को बोला।
"हाँ फ़ोन तो रिबूट नही किया हैं मैंने, मैं अभी देखता हूँ" मोबाइल को लैब में भेजने की बात सुनते ही जो चेहरा बुझ गया था, वह अब फिर से रोशन हो चुका था।
कुमार अब पूरी तल्लीनता से मोबाइल में घुस चुका था। कोई पांच मिनट के बाद ही एक विजयी मुस्कान के साथ वो मोबाइल से अपनी नजरो को उठाया।
"मिल गई एक फोटो तो मिल गई" कुमार ने सिर उठाते ही घोषणा की। उसके बाद उसने अपना मोबाइल मेरे आगे किया।
उस लड़की की फ़ोटो पर नजर पड़ते ही मैंने भी इस बात की तस्दीक करदी कि ये वही लड़की है, जो कल रात को मेरे घर मे आई थी।
देवप्रिय ने उस मोबाइल को डेटा केबल से जोड़ा और तुरन्त उस फ़ोटो को अपने कंप्यूटर में ट्रांसफर करने लगा।
फ़ोटो ट्रांसफर करनें के बाद उसने मोबाइल को कुमार को वापिस लौटा दिया। अब देवप्रिय के लिये उसकी तलाश आसान होने वाली थी।
देवप्रिय अब अपने पुलिस रिकॉर्ड के सजा याफ्ता मुजरिमो के फोटो सेक्शन में जाकर फ़ोटो ट्रेस कर रहा था। कुछ ही पलों में उसका परिणाम हमारे सामने था।
लड़की का नाम देविका था, और वो दो करोड़ की धोखाधड़ी के केस में छह माह पहले ही जेल में गई थी। अब वो जमानत पर बाहर थी।
"मुझे उस केस की डिटेल मिल सकती है, की किस कंपनी के साथ ये धोखाधड़ी करके जेल पहुंची थी, और इसने क्या धोखाधड़ी की थी" मैंने देवप्रिय की ओर देखते हुए एक हल्की सी मुस्कान के साथ पूछा।
देवप्रिय ने अजीब सी नजरो से मेरी और देखा।
"ये बंसल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की किसी डेटा संग्रहण कंपनी में थी, जहां पर इसने कम्पनी के कंज्यूमर डेटा को ही उनकी किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी को दो करोड़ में बेच दिया था" देवप्रिय ने न जाने क्या सोचकर मुझे केस डिटेल देने में कोई आना -कानी नही की थी।
"बस इतना काफी है सर! बाकी बंसल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज से मेरे अच्छे तालुक्कात है, मुझे इस लड़की की वहां से पूरी कुंडली मिल जाएगी" मैने देवप्रिय को बोला, तो देवप्रिय ने अजीब सी निग़ाहों से मेरी ओर देखा।
"भाई किस दुनिया में हो, जानते भी हो कितनी बड़ी कंपनी है ये, महीनों तक तो मिलने तक का अपॉइंटमेंट नही मिलता, इस कंपनी के मालिकों से" देवप्रिय ने बिना किसी जानकारी के ही हवा-हवाई बात बोली।
"जनाब इस कंपनी की सिर्फ एक ही मालकिन है, सौम्या बंसल! इनके पति राजीव बंसल अपने पिता और अपनी सौतेली माँ की हत्या के जुर्म में मेरी मेहरबानी से ही इस वक़्त उम्रकैद की सजा काट रहे है" मैंने ग्रुप ऑफ बंसल इंडस्ट्रीज की पूरी जन्म कुंडली देवप्रिय के सामने रख दी।
"तुम्ही वो प्राइवेट डिटेक्टिव हो जिसने इस केस को सॉल्व करने में डिपार्टमेंट की मदद की थी" देवप्रिय बदले हुए सुर में बोला।
"हाँ ! मैं ही हूँ वो आपका सेवक, रोमेश दी ग्रेट!" मैने हल्का सा अपना सिर नवाकर देवप्रिय को बोला।
"तभी मैं सोचूं की किसी पुलिस वाले से बात करने का इतना सलीका तुम में कैसे है" देवप्रिय अब खिसियाए से स्वर में बोला।
"चलिये जनाब! अब तक जो हुआ सो हुआ, मिट्टी डालिये उन बातों पर, अब आप इस केस पर अपने हिसाब से काम कीजिये, क्यो कि मुझे इस केस पर एक अलग नजरिये से काम करना है, लेकिन दोनो ही सूरत में हम दोनों का मकसद असल अपराधी को पकड़ना ही होगा" मैने देवप्रिय से अब अपने संबंध सामान्य बनाने के लिये ये पहल की।
वैसे भी पानी मे रहकर ज्यादा दिन तक आप मगरमच्छ से बैर नही रख सकते है। क्यो कि बिना पुलिसिया
मदद के एक प्राइवेट डिटेक्टिव चाह कर भी कोई तीर नही चला सकता था।
हम देवप्रिय से विदा लेकर थाने से बाहर आ चुके थे, कुमार की गाड़ी अभी पुलिस के कब्जे में ही थी, क्यो कि एक मर्डर के केस में वो गाड़ी अब बतौर सबूत पुलिस की प्रोपर्टी थी। लिहाजा हमे अभी कुमार गौरव को भी उसके घर पर ड्राप करना था।
इस केस में अब सौम्या बंसल से एक बार फिर से मुलाकात करनें का मौका मिलने वाला था।
शायद साल भर के बाद उससे मिलने का मौका आने वाला था। इसलिए सबसे पहले तो उसकी शिकायतों का पुलिंदा ही मुझे सुनना था।
कुमार को उसके घर पर छोड़कर हम फिर से मेरे फ्लैट पर आ गए थे।
दोपहर का समय होने को आया था, इसलिए मैंने उसी भोजनालय को अपने और रागिनी के लिए लंच आर्डर कर दिया था।
"देविका को हमारे खिलाफ कौन प्लांट कर सकता है" मैने रागिनी की ओर देखते हुए बोला।
"दिल्ली की तिहाड़ में तो आपके भेजे हुए बहुत सारे चाहने वाले है, सौम्या का हस्बैंड राजीव बंसल भी वही हैं, तुम्हारी चहेती मेघना भी वही है, इसके अलावा और भी बहुत लोग है" रागिनी ने मेरी बात का जवाब दिया।
"लेकिन देविका तो लड़की है तो वो तो महिला जेल में होगी" मैंने रागिनी को याद दिलाया।
"महिला जेल में उसकी मुलाकात मेघना के साथ हो सकती है, दोनो की बैकग्राउंड भी एक ही कंपनी के लिये काम करना है, तो दोनो में दोस्ती भी जल्दी हो गई होगी" रागिनी ने तुरन्त दो जमा दो बराबंर चार वाला फॉर्मूला जोड़ा।
"मुझे लगता तो नही की मेघना मुझ से बदला लेने के लिए ऐसा कुछ प्लान कर सकती है" मै रागिनी की इस बात को मानने के लिए तैयार नही था।
"क्यो ! वो तुम्हारी वजह से आज जेल में सड़ रही है, तो कभी तो तुम्हे भी किसी जाल में फ़साने का दिमाग में आया ही होगा" रागिनी की इस बात में दम था।
"एक काम करते है, खाना ख़ाकर तुम सौम्या से बात करो, फिर उससे मिलने चलते है, इस देविका की भी अब पूरी कुंडली निकालना जरुरी है" रागिनी ने लंच की थाली को मेरे सामने रखते हुए बोला।
लेकिन मैं रागिनी के बोलने से पहले ही सौम्या को फोन मिला चुका था। उधर से तीसरी बेल बजने के बाद सौम्या ने फोन उठाया।
"मैं तो आज धन्य हो गई" उधर से सौम्या ने फोन उठाते ही बोला।
"मैं भी कृतार्थ हो गया, इतनी खूबसूरत लड़की की इतनी मधुर आवाज को सुनकर" मै जानता था कि सौम्या फोन उठाते ही ऐसा ही कुछ बोलने वाली थी।
"तुम्हे अगर मेरी सुंदरता की जरा भी कदर होती तो कम से कम रात को सोने से पहले एक फ़ोन तो रोज करते तुम मुझे" सौम्या ने शिकायती लहजें में बोला।
"तुम फोन करनें की बात कर रही हो मेरी जान, मैं तो तुमसे मिलने के लिए बेताब हुए जा रहा हूँ, ये बताओ अभी कहाँ मिल सकती हो" मैंने तुरंत बात बनाई।
"बिना किसी काम के तो तुम मेरे पास आने से रहे, इसलिए पहले काम बताओ, फिर बताऊंगी मैं कहाँ हूँ" सौम्या भी अब बातो को भांपना सीख गई थी।
"सिर्फ तुम्हारे हसीन मुखड़े के दर्शन करने है, और तुम्हारें साथ कॉफी पीनी है, और रागिनी भी मेरे साथ आना चाहती है" मैंने सौम्या को बोला।
"रागिनी भी साथ आ रही है, तो पक्का किसी काम से ही आ रहे हो तुम, चलो तुम मेरे पास आ रहे हो, इतना ही काफी है, राजेन्द्र प्लेस वाले आफिस में हूँ, यही आ जाओ, छह बजे तक यही हूँ" सौम्या ने मुझे बोला।
"ठीक हैं मेरी गुले गुलजार, तुम्हारा ये बिछड़ा हुआ प्यार, सिर के बल दौड़ता हुआ आ रहा है" मेरी बात सुनकर सौम्या की एक जोर की हँसी गूँजी और फिर फोन रखने की आवाज सुनाई दी।
फोन रखते ही मैने देखा कि रागिनी मेरी ओर ही देखे जा रही थी।
"तो तुम सौम्या मैडम का बिछड़ा हुआ प्यार हो" रागिनी ने तंज भरे स्वर में कहा।
"अभी चल रही हो न मेरे साथ, तुम खुद देखना की वो मुझ से ऐसे चिपक कर मिलेगी, जैसे हम कई जन्मों से बिछड़े हुए प्रेमी हो" मैंने रागिनी को बोला।
"देखते है! कितना मरे जा रही है वो तुमसे मिलने के लिये, जल्दी से खाना खालो, कही लेट हो गए तो वो सुसाइड न कर ले" रागिनी ने एक कुटील मुस्कान के साथ बोला।
"कुछ जलने की बू आ रही हैं, इस ढाबे वाले ने भी लगता है जली हुई सब्जी भेज दी" ये बोलकर मैने एक सब्जी की कटोरी उठा कर उसकी महक सूंघने लगा।
"औए मिस्टर! जले मेरी जूती, अपना जलवा भी कोई कम नही है" रागिनी ने मुझे हूल दी।
मुझे कई बार रागिनी की इन बातों पर बड़ा मजा आता था।
लेकिन मैं इस बहस को अब अपनी गाड़ी में सफर के दौरान बचाकर रखना चाहता था, इसलिए मैंने अपना पूरा ध्यान अपने खाने में लगा दिया था।
जारी रहेगा_____![]()
Romesh ke to laude laga gai chhokri
Kya jasus banega re tu.....hat lauda![]()
Thank you so much bhaiBtwfor new story men
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Wo londiya planning karke aayi, aur pistol udakar Romesh bhaiya ke loye laga gayi hai, lekin Romesh bhi dhoondh nikalega useFirst update read kiya, kafi interesting tha. Wo laundiya jasus ki revolver churaane ke maksad se hi uske paas aai thi, yakeenan uske dwara wo koi aisa chakkar chalane wali hai jo romesh ke laude lage hone me aur bhi zyada iazafa kar dega
Keep it up![]()

Romesh kyuki ek jasus hai, or isne pahle bhi kai logo ko pakadwaya hai, jis list me bohot se naam hain, to kisi ne lanka laga di hogiAre wah Romesh. Babu ne pehle he jhade gaad rakhe hai dosto ke sath dushman ke bhi lagata hai jaroor koi khas he dushman hoga Romesh ka jisne Devika ka Sahara leke use fasane ki tayaari ki hai ache se ab dekhte hai Saumya madam kis Tej se madadgar sabit hoti hai


Thank you so much parkas bhai, for your valuable review and supportBahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
