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S M H R

TERE DAR PE SANAM CHALE AYE HUM
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Nice
परमने अपनी माँ की चूत को देखा। लंड और टाइट हो गया और फिर से जोर जोर से चोदने लगा। महक ने सुधा को चिल्लाने का मौका नहीं दिया। उसके मुँह को अपनी चूत पर दबाया। परम सुधा के चूत में धक्का लगता था और मजा महक को आ जाता था। सुंदरी कुछ देर देखती रही।

अब आगे...............

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Update 16​



सुधा चूस तो रही थी महक की चूत को लेकिन उसका मुन सुंदरी की उठी हुई चूत में था। सुधा ने महक के चूत पर से मुँह हटाया ओर बोली;

“महक तू जरा हट जा,मुझे काकी का चूत का मजा लेने दे!”

महेक अभी भी संतुष्ट नहीं थी, उसने हाथ खींच लिया और बोली, “माँ जरा इस कुतिया को अपनी चूत चटा दे!”

“बेटा, चूत तो चूत है, मेरी हो या तेरी!”

“नहीं काकी, चुतरस का स्वाद हर चूत का अलग होता है। मैं और महक तो कभी भी एकदूसरे की चूत का स्वाद ले सकते है, लेकिन आप की चूत कब मिलेगी!”

“पर बेटी तुम सहेलिया एक दुसरे की चाटो और मजे करो,मेरी उतनी टाईट नहीं जितनी तुम लोगो की होती है।”

“काकी, आपको आपकी चूत की कीमत मालूम नहीं, जरा बाहर जाके देखो कितने लंड उबल रहे है आपकी चूत को छेदने के लिए!”

उसने अब जानबुज के जोड़ा: “उसमे मेरा बाप भी है जो आपकी चूत समज के ही मेरी माँ को चोदता है।“

“मम्मी,अब तुम्हारी चूत से उसका मुंह बंद करो।”
फनलवर की प्रस्तुति

हाँ यह भी ठीक है, किसी को बोलते बंद करना हो तो चूत एक मस्त हथियार है। उसने ठहाका लगाया और अपना घाघरा ऊपर उठा लिया।

सुंदरी ने अपनी योनि सुधा के मुँह के ऊपर रख दी, उसने सुंदरी की जाँघों को खींच लिया और योनि के पूरे त्रिकोण को मुँह में लेने की कोशिश की।

सुंदरी ने कहा, "सुधा, मेरी चूत को खा जाएगी तो तेरे काका चोदेगा किसको। तेरी माँ को!"

“तु चिंता क्यों करती है,” महक ने जवाब दिया “ये हरामजादी तो मेरा भाई और बाप दोनों का लंड खा चुकी है कुतिया।“

सुधा ने सुंदरी की खुली हुई चूत की पंखुड़ी को खींच लिया और जितना हो सके उतनी अंदर जाने की कोशिश करने लगी तभी सुधा को अच्छी तरह से परम के लंड चूत में पंप किया। सुंदरी ने सुधा का सिर अपनी जांघों के बीच दबाया और सुधा की चूत को चूसती रही आखिर सुधा थक गई और सुंदरी के होंठ गिर गइ। परम फिर भी सुधा को चोदता रहा और आख़िर में सुधा कि भूखी चूत को अपने रस से भर दिया।

वो सुधा के ऊपर चिपक कर लेट गया और सुधा के सिर को सुंदरी की चूत के ऊपर से हटा दिया और खुद अपनी माँ की चूत को चूसने लगा। सुंदरी ने चूत को ऊपर उछाला और परम के दोनों हाथों को खींचकर अपने बोबले पर रखा। परम अब सुधा के सामने माँ के बोब्लो को मसलने लगा माँ की चूत का मजा लेने लगा। करीब 10 मिनट तक बेटा और सुधा से चूत चटवाने के उनके दोनों के मुंह में अपना स्त्राव दिया, सुधा खुश हो गई हो ऐसा उसके चहरे से लग रहा था। वह बार अपनी जीभ से अपने होठो को बचे हुए सुंदरी की बुँदे साफ़ कर के चाट रही थी। लेकिनाभी भी वह सुंदरी के चूत खुरेद रही थी, जो भी माल मिले उसे गवाना नहीं चाहती थी।
फनलवर की पेशकश

आखिरकार सुंदरी ने धीरे से अपनी चूत को सुधा के मुंह से हटाया और सुंदरी उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई। महक भी बहार चली गई थी। परम और सुधा चुम्मा चाटी करने लगे। सुधा ने कहा;

“परम मैं एक बार तुम दोनो बाप-बेटे से चुदवाना चाहती हूँ, देखना है कौन ज्यादा मजा देता है…तू या तेरा बाप।”

परमने पूछा कि “तेरे बाप ने तुझे चोदा की नहीं।“

“ना रे, साला रोज़ अपना लंड दिखता है लेकिन चुदाई नहीं करता है बेटीचोद…लेकिन तू बोल, तेरा लंड अपनी माँ सुंदरी की चूत में घुसेड़ा की नहीं?”

परम ने उठकर जवाब दिया, “ना रे जैसा तेरा बाप तुझको रोज लंड दिखाकर चुदाई नहीं करता है वैसे ही मेरी माँ भी चूत चटवाती है लेकिन चोदने नहीं देती। अभी अभी तो तूने देखा, माँ ने अपनी चूत सिकुड़ के चली गई और मेरा लंड तेरी चूत मार के संतोषी होक देख आराम से तेरे सामने झुक जो गया है।“

सुधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, ट्राई करते रहो,जल्दी चुदवाएगी कुतिया तेरे लंड से भी।” उसने परम का लंड दबाया और कहा;

“मुझे जाने दे, माँ ने जल्दी बुलाया था, पता नहीं क्यों!”

परम जानता है, क्यों? आज सुंदरी सुधा के बाप से चुदवायेगी और परम सुधा की माँ की गांड मारेगा। ।

अगले 10 मिनट में सभी तैयार हो गये। सुंदरी ने महेक को कुछ दिनों के लिए बारात के मनोरंजन के लिए विनोद के घर जाकर बात करने का निर्देश दिया। उसने कहा कि वह सुधा की माँ को सुधा और उसकी नौकरानी रिंकू को बारात में शामिल होने के लिए मना लेगी। महक बहुत खुश थी कि वह अपने प्रेमी विनोद के साथ समय बिता सकेगी। उसने सुधा को अपना साथ देने के लिए मना लिया। सुधा अपनी इच्छा के विरुद्ध महक के साथ चली गई और सुंदरी परम को सुधा के घर ले गई।

विनोद महक को देखकर खुश हुआ। वह उसे अपनी माँ और बहन के पास ले गया। उन्होंने बातचीत की और जब महक ने बारात के स्वागत के लिए ज़रूरी लड़कियों के बारे में बताया, तो वह भड़क गई।

“यह सेठजी साला, क्या समजता है अपने आप को? गाव के हर माल उसके है क्या?

"मेरे गाँव की लड़कियाँ रंडी नहीं हैं कि बारात का मनोरंजन करेंगी।“ लग तो रहा था की सही तरीके से गुस्से में नहीं बोल रही थी।

“और तू यहाँ उसकी दलाल बन के आई है क्या?” विनोद की माँ ने उसे पुकारते हुए कहा।

महक ने कहा “आंटीजी, ऐसा नहीं है, पर अब बारात आ ही रही है तो कुछ माल का बंदोबस्त किया हो तो अच्छा, ऐसा सेठजी सोच रहे थे और उन्हों ने मेरी माँ को कहा की थोडा ताज़ा माल जो अच्छे हो उनके लिए व्यव्श्था करे। माँ ने मुझे कहा तो मैं यहाँ आ गई आपसे मिलने को और बात करने के लिए। अगर आप ना चाहो तो कोई बात नहीं, वैसे सेठजी ने आपको भी आमंत्रित किया है और आपकी बड़ी लड़की को भी, अगर हो सके तो आप दोनों आके बाराती के लिए कुछ अपना पेश कर सके!”

आंटी हस दी और बोला “अच्छा है, साला ने मुझे आमंत्रण तो दिया। खेर तो तुम चाहती हो की मैं और मेरी बेटी बरातियो का स्वागत अपने माल दिखाके करे!”

महक की गांड थोड़ी फटी लेकिन अपनी बात को जोर देते हुए कहा :”अगर आंटी आप और बड़ी बेटी चाहे तो वरना नहीं। यहाँ इस गाँव में किसी पर कोई बंधन तो नहीं। यह आप अच्छे से जानती है। मैंने सिर्फ कोशिश की है।”

थोड़ी बहस के बाद वोनोद की माँ ने सहमती दे दी।

“सेठजी को बोल देना, मैं 5 नहीं, 10-10 माल (लड़कियाँ) सेठजी के पास भेज दूँगी। वो चाहे तो खुद भी सबका मज़ा लेले।" उसने वहीं विनोद और अपनी बेटी को निर्देश दिया कि वे जाए और जो मजदुर अपने लिए काम पर आये है वह मज़दूरों के बीच से अलग-अलग उम्र की 10 सेक्सी मालो (लड़कियों) को चुनें और शादी वाले दिन सुबह उन्हें सेठजी से मिलवाएँ।

महक और सुधा ने कुछ देर बातें कीं, कुछ नाश्ता किया और चली गईं। विनोद उनके साथ महक के घर गया। दरवाज़े पर ही सुधा ने माफ़ी मांगी और अपने घर चली गई।

महक ने अपने घर का दरवाज़ा खोला, चारों ओर देखा और विनोद को अपने साथ अंदर खींच लिया। उसने दरवाज़ा बंद किया और विनोद को उसी बिस्तर पर अपने ऊपर खींच लिया जहाँ पिछली सुबह विनोद ने सुंदरी और बड़ी बहू को चोदा था।
फनलवर की रचना है

महक: “क्या इरादा है मिस्टर?”

विनोद: “जो तेरा है उस से कही ज्यादा मेरा है।“और उसने महक के बोबले पर आक्रमण करने की कोशिश की पर महक हट गई।

महक: “साले तू बहोत चोदु किसम का है रे,सीधा माल पर हमला करता है।“

विनोद: “अब क्या करू जैसी माँ है वैसी बेटी है उसका माल भी तो चख ही लेना चाहिए!”

महक: साले तू मेरी माँ के पीछे क्यों पड़ा है? जब की उसकी बेटी का माल के पीछे नहीं है!”

विनोद: “देखो डार्लिंग, तेरी माँ के सपने हर कोई देखता है उसका माल सच में मस्त है और हर छोटा बड़ा उसकी चूत में सफ़र करना चाहेगा, लेकिन तुम भी तो कम नहीं है और दूसरी बात यह है की तेरी माँ को अगर चांस मिले तो चोद लू। तू तो मेरा ही माल है जब चाहे तुजे चोद सकता हु चाहे शादी के बाद ही सही।“

महक: “देखो विनोद माँ और बेटी को चोदना अच्छी बात नहीं है।” उसने अपने बोब्लो को फ्रॉक के ऊपर से ही थोडा सहलाया और विनोद को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करती रही।

विनोद थोडा आगे बढ़ा और महक के बोब्लो पर हमला कर दिया। इस बार महक तैयार नहीं थी या फिर खुद ही वह हमले होने की राह देख रही थी। खेर जो भी हो विनोद के हाथ में उसका एक बोबला आ गया था और वह उसी को दबाने लगा।

महक ने सिर्फ एक छोटी सी सिसकारी दी और विनोद का हाथ पकड़ कर अपने दुसरे स्तन पर रख दिया।

“अब भोसडिके, इसको क्यों छोड़ रहा है मादरचोद! दो बोबले होते है लड़की के एक को दबाएगा तो दुसरे को दुःख नहीं होगा क्या?”

विनोद ने भी “ह्म्म्म” के साथ दुसरे बोबले को मसलना चालू कर दिया। और दोनों के होठ अब एक हो गए।

थोड़ी देर के बार महक थोडा खिसकी।

महक ने अपने फ्रॉक को उठाया और अपना माल विनोद के सामने दिखाया।

अब चिकना माल सामने था तो विनोद का लंड उसको सलामी देने लगा और अपनी पेंट को निचे कर दी अंडरवियर तो था ही नहीं तो उसके लंड ने महक की चूत के सामने आके उसको सलामी देने लगा।

विनोद: “देख, मेरा लंड अपने माल (चूत) को सलामी दे रहा है अब उसके जाने के लिए जगह बनाने दे मेरी जान!”

महक:”जल्दी है क्या! आराम से। यह माल तेरा ही है और होगा शादी के बाद तो बस यह लंड और मेरी चूत हर रोज अपनी लड़ाई करते रहेंगे।” कह कर महक ने अपनी चूत के फांको को थोडा फैलाया और विनोद के लंड को अपने हाथ में ले लिया।

विनोद ने भी उसे कपनी तरफ खिंचा और फिर से उसके होठो पर अपने होठ रख के एक कर दिया, दोनों प्रेमी एक दुसरे के होठो के रस चूसने लगे। उस दरमियान दोनों के हाथ भी एक दुसरे के गुप्तांगो को सहला रहे थे।

थोड़े समय के फोरप्ले के बाद दोनों में एक मस्त आग लगी हुई थी जो ठंडी होनी चाहिए थी। विनोद ने पहल करते हुए महक को बिस्तर पर लेटा दिया। जैसे ही महक बिस्तर पर लेती उसने अपनी टांगो को हवा में फैला दी और अपनी चूत को उजागर करते हुए प्रेमी का लंड को आमंत्रित कर दिया।

विनोद ने अपने लंड को सहलाते हुए महक को फ्रॉक उतारने का इशारा किया और महक उस इशारों पे चली गई। अपने आप को नंगा कर दिया और साथ ही उसने विनोद को भी नंगा कर दिया।

विनोद ने अपना लंड को चूत के द्वार पर रखा और एक धक्का मारा, लंड उसकी चूत को चीरते हुए बड़े आराम से अन्दर चला गया। विनोद को लगा की इतनी आसानी से उसकी माँ की भोस में भी नहीं गया था जितनी आसानी से महक की छोटी सी चूत में गया।

महक समज गई की वोनोद क्या सोच रहा था। उसने तुरंत कहा कब से चूत गीली पड़ी हुई है, बस तेरे इस लंड का इंतज़ार करती थी और झरती रही थी।

और थोड़ी देर में “फ्च्च्क, फच्चक” की मधुर आवाजे कमरे में गूंजने लगी।

इसके बाद विनोद ने महक ने उसे पूरी तरह से संतुष्ट किया। उन्होंने दो घंटे से ज़्यादा समय तक मज़े किए और थकने के बाद विनोद ने कसम खाई कि वह महक से ही शादी करेगा और वह भी बहुत जल्द। यह महक की अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी, उसके पिता द्वारा की गई चुदाई से भी थोडा अलग, क्यों की वह प्रेमी था। विनोद के साथ चुदाई में कुछ खास बात है, शायद उसने सोचा होगा कि उसकी चूत में लंड के तेज़ झटके के साथ विनोद ने उसके शरीर पर प्यार की बारिश कर दी थी। दोनों सो गए और तभी उठे जब उन्होंने दरवाजे पर ज़ोरदार दस्तक सुनी।


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आज के लिए बस इतना ही, कल फिर एक नए एपिसोड के साथ मिलेंगे.


तब तक आप अपने मंतव्यो दे।.


। जय भारत
Nice update
 

dark_devil

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कपडे पहन लेने के बाद परम ने पुष्पा की साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा कर अपनी तरफ चेहरा करके गोदी में बैठा लिया और दोनो चुत्तडो को मसलते-मसलते बात बनाने लगा। पुष्पा की गांड को रगड़ते हुए परम ने पुष्पा को याद दिलाया कि वो पुमा से ही शादी करेगा और उसे (पुष्पा) जब तक लंड में दम है चोदता रहेगा।

पुष्पा ने जवाब में सिर्फ इतना कहा “देखेंगे।”
अब आगे..........


कुछ देर के बाद पहले पूनम घर आई और फिर पुष्पा का पति और पुमा। परम पुमा को देखने के लिए ही रुका था। पूनम परम को अपने घर में देख कर घबरा गई और कमरे के तहत चली गई और पुष्पा अपने पति को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। पुष्पा ने परम को पूमा के साथ अकेले रहने का मौका दिया था। पुमा भी रूम मे जाने लगी तो परम ने उसे पकड़ कर उसे चूम लिया और उसकी नन्ही-नन्ही चूची को मसल दिया। परम फुसफुसाया,


“पूमा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही शादी करूंगा।”

यह सुन कर पूमा का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने आंख उठा कर परम को देखा और

“कोई देखेगा तो!”

लेकिन परम ने फिर उसे अपनी बाहो में लेकर जोर से दबाया और सीधा फ्रॉक उठाया कर नंगी चूचियो को मसल डाला।

“कभी अकेले मेरे घर पर आना, खूब मजा दूंगा…।”

दोनो अलग हो गए, पूमा अंदर चली गई। परम ने पुमा के शरीर में जहर भर दिया था और वो परम से अकेले मिलने का मौका का इंतजार करने लगी।

फिर पुष्पा ने परम को कुछ खाने को दिया और अपने पति से कहा कि परम पुमा से शादी करना चाहता है..।

“तो ठीक है… कर देंगे…उसमे कुछ बुराइ नहीं है” उसने उत्तर दिया…।” परम और पूमा की जोड़ी ठीक रहेगी...परम पागल है जो पूनम और रेखा से शादी का सोचता था...दोनों उससे बड़ी है... ।''

पुष्पा खुश हुई क्यों की उसके पति की परवानगी मिल गई थी तभी उसका पति ने बोला: “ और हां, अब जमाई समज लिया है तो उनको थोडा अकेले रहने का मौक़ा भी दे दिया करो, लेकिन उतना भी नहीं की शादी के पहले ही पूमा का पेट फुल जाए, तुम भी उसका साथ देती रहना।“ उसने पुष्पा की चूत पर हाथ रखते हुए कहा,”यह भी काफी समय से मांग रही है राईट??? घर की बात रहेगी और घर पर ही होता रहेगा।“

पुष्पा ने चिंतित नजर से कहा और पूनम?

“तुम्हे और मुझे दोनों को पता है पर बोलने की जरुरत नहीं, सिर्फ चोदु बनते रहे समजी?”


***


परम बहार निकल गया और सीधा सेठजी के वहा पहुंचा। सुंदरी तैयार थी। आते समय छोटी बहू ने परम से अगले दिन 2-3 बजे दोपहर में आने को कहा। परम सुंदरी को लेकर सेठजी के ऑफिस वाले रूम में आया। वहा देखा कि महक नंगी ही अजनबी के ऊपर लेटी हुई है और उसके लंड से खेल रही है। लंड लंगड़ा हो चुका था, यानी महक की चूत को फाड़कर ठंडा हो गया था। परम और माँ को देखकर महक अजनबी से अलग हो गई और अपनी माँ के पास आ गई। सुंदरी ने पुछा,

“सब ठीक से हो गया ना?”

महक शर्मा गई और मां चिपक गई। महक फुसफुसा कर बोली,

“बहुत मजा आया, लौड़ा में बहुत दम है.... साले ने तीन बार रगड़-रगड़ को चोदा है.,.चूत में झिल्ली जैसा कुछ रहा नहीं।“

अजनबी भी खड़ा हो गया,सुंदरी को देखा ही अजनबी का लंड टाइट होने लगा,

“क्या जबरदस्त माल है, कौन है यह माल?कोई है यहाँ?”

"ये सेठजी का खास माल है" परम ने जवाब दिया। “हर चुदाई का 50000/- देते हैं सेठजी.

परम ने उत्तर दिया.

“मैं एक लाख दूँगा।” अजनबी ने जवाब दिया और अपने ब्रीफ़केस से नोटों का बंडल निकाला और सुंदरी को दे दिया। “लो पूरा एक लाख है।” अजनबी ने सुंदरी को बिस्तर पर गिरा दिया और फटाफट उसे नंगा कर दिया। करीब 10 मिनट तक अजनबी सुंदरी को चूमता रहा, कभी होंठों पर, कभी चूची को तो कभी बेली को तो कभी चूत को। उसका लंड पूरा टाइट हो गया था और एक अजनबी ने एक धक्के में पूरा लंड सुंदरी के चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

इधर परम नंगी महक और सुंदरी की चुदाई देख कर गरमा गया और वो पूरा नंगा होकर महक को चूमने लगा। फिर महक को सुंदरी के बगल में लिटा कर अपनी बहन के टाइट चूत में लंड घुसेड़ दिया और चूतड उछाल कर चोदने लगा। परम के हर धक्के पर महक “आह…” “उहहह…” करती रही। परम और अजनबी दोनों पहले ही झड़ चुके थे तो दोनों आराम से खूब जम कर चुदाई कर रहे थे। आज एक दिन में सुंदरी दूसरी बाद नए आदमी से चुदाई कर रही थी और उधर 2 घंटे पहले महक का चूत फटा था और अब दूसरे लंड का मजा ले रही थी। सुंदरी और महक दोनो माँ-बेटी ने अपने-अपने पार्टनर को पूरा सहयोग किया। उन्हें चूमा, सहलाया, पैरों में कसा और अंत में दोनो के पानी को अपनी अपनी चूत के अन्दर लिया।

चुदाई ख़त्म करने के बाद सब कपड़े पहन कर तैयार हो गए तो अजनबी ने महक से पूछा कि वो बिना कुछ लिए (पैसे) परम से कैसे चुदवायी तो जवाब सुंदरी ने दिया,

“परम हम दोनों का यार है… जब चाहे हमारी चुदाई कर सकता है।”

परम ने अजनबी सेठ से उन्हें उनके घर तक छोड़ने का अनुरोध किया। अजनबी ने उन्हें बाध्य किया।

जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।


***********



आज के लिए बस यही तक।


कुछ दिनों के लिए कहानी को आराम देंगे और बाद में फिर से वही रफ़्तार पकड़ लेंगे।

आशा रखती हूँ की पाठक फिर से यही पर आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,


शुक्रिया दोस्तों।



आपको यह एपिसोड कैसा लगा इस बारे में तो बताना ही है।



।।जय भारत।।
👍👌🔥
 

sunoanuj

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जी सही कहा आपने. लेकिन एक बात जरूर है कि जब मर्यादा नहीं रहती तब शर्म या किसी भी प्रकार की मर्यादा नहीं रहती।

Shukriya dost.
Bilkul sahi kaha apane मर्यादा ख़त्म होने से रिश्ते भी बदल जाते हैं!
 

sunoanuj

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अगले अपडेट की प्रतीक्षा है !
 

Mass

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Finally Madam, with this update...you have completed 1L words of your story!! Congrats!!

Funlover
 

Ajju Landwalia

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“भाभी, बाबूजी के निचे से गुजरी हुई हो तो थोडा आराम कर लेना चाहिए, वरना बहोत तकलीफ होती है तभी तो लडकिया बाबूजी से दूर ही रहना पसंद करती है। अभी आपकी चूत सुजेगी, बाद में मूत ने में भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। अब मैं ही आपको चोद दिया करूँगा।“ उसने अपना मौके को पकड़ कर रखा।

अब आगे............



जब परम और बहू घर पहुंचे तो शाम के साढ़े पांच बज रहे थे।


वह सबसे पहले लडखडाती हुई अपने कमरे में गई और उन कागजों और पैसो को छिपा दिया। घर की दूसरी औरतें और सेठानी उसके कमरे में आईं और उसने उन्हें दिखाया कि उसने क्या खरीदा है। बड़ी बहू और सुंदरी छोटी के चेहरे और उसके कपड़ों को गौर से देख रही थीं। उन्होंने उसके कपड़ों पर वीर्य के धब्बे और सिकुड़न देखी, बड़ी बहू ने सुंदरी के हाथ दबाए और मुस्कुराई। उन्होंने अंदाज़ा लगाया कि परम ने किसी तरह छोटी बहू को चोदा है। बड़ी बहू ने राहत की साँस ली। उसके लिए अब एक खिड़की खुली हुई लगी क्यों की अब घर में छोटी से चुदाई के मामले में भिड़ना नहीं पड़ेगा।


"चलो, परम को हम दोनों बहू के माल का मज़ा मिल गया।"

******

रात में सब लोग सेठजी के कहने से रुक गए और सब खाना कहने के बाद सो गए.......तब......(शोर्ट में)

"साली बहुत गरम है। बहू को चोदो।"

सेठजी ने अपना लंड बहू के मुँह से बाहर निकाला। लंड अब टाइट हो गया था। उन्होंने खुद को उसकी जांघों के बीच रखा और अपना लंड बहू की गीली चूत में डाल दिया।

उसने एक जोर का धक्का दिया। "बहू तुम्हें तो दिन में चोद लिया था लेकिन अभी भी सुंदरी को चोदने निकला था। लेकिन अच्छा हुआ तुम्हारा टाइट चूत चोदने का मौका मिल गया। सुंदरी को तो कभी भी चोद लूंगा।"

सेठजी ने जोर का धक्का मारा। 100 किलो का आदमी का धक्का छोटी बहू के लिए बहुत था। वो मजा लेकर चुदवाने लगी। परमने थोड़ी देर में उन दोनो की चुदाई देखी और फिर वो बड़ी बहू के कमरे में आ गया। दरवाजा बंद था। परम ने धीरे से दस्तक दी तो दरवाजा खुला और परम ने देखा सुंदरी बिल्कुल नंगी खड़ी है।

"मै जानती थी तू ही होगा। रेखा को मज़ा दिया की नहीं।" उसने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया। अगर वह बाहर देखती तो आसानी से देख सकती थी कि सेठजी अपनी छोटी बहू को चोद रहे थे।

परम ने देखा कि बड़ी बहू भी सुंदरी की तरह नंगी थी और उसे दो-तीन बड़े आकार के खीरे दिखाई दिए।

परम ने उन्हें हाथ में लिया और सुंदरी ने कहा, "हम दोनो ने पहले तो एक दूसरे को खूब चूमा और चूत को चूमा फिर इस खीरे से एक दूसरे को चोदा और गांड में भी घुसाया। तेरी भाभी एक नंबर की चुदासी है।"

परम ने सुंदरी के चूत में ककड़ी घुसडते हुए कहा “तुमसे बड़ी चुदासी दुनिया में कोई नहीं है माँ।”

सुंदरी ने खीरे को पकड़कर लिया और कहा “बेटा लंड में दम नहीं है कि खीरा घुसा रहा है!”

"क्या करू माँ, पहले तो रेखा ने, फिर सेठानी ने और बाद में छोटी बहू ने लंड को पूरा चूस लिया। छोटी बहू की चूत तो महक के चूत से भी टाइट थी।”

'मुझे चुदाई की अभी जरूरत नहीं है। आज विनोद ने खूब चोदा हम दोनो को। चल मेरे चूत से लंड सटा कर सो जा।' सुंदरी ने चूत से खीरा निकाला तो परम खीरे को चबा-चबा कर खा डाला।

“माँ, मैंने बहुत चूत के स्वाद लिया है। लेकिन तेरी चूत सबसे स्वादिष्ट है, स्वादिष्ट है… तेरी चूत में से तो अमृत ही बहता है....आजा मेरी बाहों में आ जा कुतिया…और तेरी चूत से निकालता हुआ रस मेरे भोजन के बराबर है माँ।”

परम बड़ी बहू और सुंदरी के बीच सो गया और सुंदरी ने उसके बेटे के लंड पर अपना लंड रख दिया।

“रातमे लंड टाइट हो तो चूत में पेल देना।“ सुंदरी ने कहा और लाइट बंद कर दी। कुछ देर तक परम ने सुंदरी को चूमा, प्यार किया और फिर उसे पकड़कर सोने की कोशिश की।

सुबह जब सुंदरी उठी तो उसने देखा कि परम का लंड बड़ी बहू की योनि पर खड़ा था और उसके हाथ उसके स्तनों पर थे। उसने ठीक से कपड़े पहने और उन्हें परेशान किए बिना वह बाहर आ गई। उसने बरामदे में खाट पर किसी को सोते हुए देखा जहां परम सोया था। उसने पास जाकर देखा तो छोटी बहू पूरी नंगी थी। सुंदरी ने उसे जगाया। बहू ने आँखें खोलीं और सुंदरी को देखा।

“परम कहा है?”

“बहू, तू परम को छोड़, देख तू नंगी है, कोई देखेगा तो क्या बोलेगा! सेठजी उठने वाले है। जा तू अपने कमरे में।“

बहु तुरंत उठी और नग्न अवस्था में अपने कमरे में चली गई और कमरा अंदर से बंद कर लिया।

सुंदरी सेठानी के कमरे में गई और सेठ और सेठानी दोनों को नग्न देखा। फिर वह ऊपर गई और अपनी बेटी को जगाया, वह असामान्य पोशाक में थी और रेखा नग्न थी। उसने सोचा कि रात में महक को छोड़कर उसका बेटा सभी महिलाओं के साथ आनंद लिया।

जब वह वापस उस कमरे में लौटी जहाँ वह सोई थी, तो उसने परम को बड़ी बहू को चोदते हुए देखा। बहू ने उसे देखा, “सुंदरी, ओह सुबह मेरी चुदाई का अपना मजा है… बहुत मजा आ रहा है… तू भी चुदवाले।”

“बेशरम, कुतिया तू परम के लंड का मजा ले, मैंने रात में पूरा मजा ले लिया था।” सुंदरी ने जवाब दिया और उस कमरे से बाहर आ गई।

“रात में तूने तेरी माँ को चोदा था?”

"क्या भाभी तुम भी! मैं तो तुम्हें चोदने आया था। वो साली तो सोई थी, उसे मालूम ही नहीं मैं कब आया। मैंने तेरी चूत से चिपक कर सो गया। ले अब संभाल मेरा लोडा!"

परमने लंड बाहर निकल कर 8-10 धक्का लगाया और बहू का पानी फुव्वारी की तरह निकल गया।

“बस राजा, अब उतर जा… रात को फिर यहीं रहना,खूब चुदवाऊंगी।”

बहू ने परम को धक्का देकर नीचे गिरा दिया। उसने कपड़े पहने और बाहर चली गई। परम ने भी कपड़े पहने।

जब वह बाहर आये तो परिवार के सभी सदस्य और कुछ कार्यकर्ता पहले से ही परिसर (कोर्ट-यार्ड) में मौजूद थे। सुंदरी ने सभी को चाय परोसी और फिर परम ने सभी से विदा ली और अपनी बहन महक और सुंदरी के साथ घर आ गया। सेठानी ने उन्हें जल्दी आने को कहा।

घर वापस आकर, सुंदरी और महक ने घर की सफाई की और उसके बाद सुंदरी ने नाश्ता बनाया। उन्होंने खाना खाया और पिछली रात के बारे में बातें कीं।

सुंदरी ने बताया कि कल रात परम ने सेठानी से लेकर रेखा तक सभी औरतों के साथ खूब चुदाई की। महक ने उत्तर दिया,

“मैने देखा की कैसे रेखा भैया से मजा लेने के बाद नंगी मेरे बगल में आकार सो गई और बेशरम हो कर बोली कि तेरा भैया के लंड में बहुत मस्ती है और खूब चोद कर जो मजा देता है उसका कोई जवाब नहीं।“

“आखिर बेटा किसका है!” सुंदरी ने कहा।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति

महक ने जवाब दिया, “गाँव की सबसे चुदक्कड़ चुदास सुंदरी का।” वे सभी हँसे। महक ने जारी रखा, “मेरे चूत में भी खुजली होने लगी थी…अगर दोनों भैया होते तो मैं भी अनसे चुदवा लेती।”

सुंदरी- "महक क्या बोलती हो! सेठ के दोनों बेटे तो छक्का है। जो आदमी अपनी बीबी को चोदकर खुश नहीं कर सकता वो तुम्हारे और मेरे जैसे मस्त माल को क्या चोदेगा! तू भी परम के पास आ जाती, तुझे भी मस्त कर देता।"

“तुम भी तो बहार जाके चुदवा रही हो तो क्या मेरे पिताजी में दम नहीं है? उस लंड से तुम्हे जी भर गया है माँ लेकिन मुझे पूछ मेरी चूत से पूछ क्या हालत कर दी थी मार-मार के,किसी के बारे में ऐसा कहने से पहले सोच तो लिया कर। तेरे उस पति के लंड पर तीनो माल लटकने को तैयार है। मैं किसी से भी चुद्वाऊ लेकिन मेरी चूत का प्रथम प्यार तो बाबूजी का लंड ही है।“

“हां हा ठीक है, तू अपने बाबूजी के लंड पर लटकती रह, लेकिन मुझे अब नए लंडो की तलाश है।“

इस तरह वे घर पर ही रहे। परम और महक ने साथ में नहाया, लेकिन एक बार भी उन्होंने चुदाई नहीं की। इसके बाद, सुंदरी बाथरूम में गई। वह नंगी हो गई और कपड़े धोने लगी। उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखा। तभी उसे बाहर के दरवाज़े पर दस्तक सुनाई दी। बाथरूम प्रवेश द्वार से काफ़ी दूर एक कोने में था, इसलिए उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। परम ने अपनी कमर में तौलिया लपेटा और दरवाज़ा खोला। वह अपनी पहली कुंवारी लड़की सुधा को देखकर खुश हुआ। उसे पता नहीं था कि बाद में वह उसके घर आई थी और उसके पिता के मोटे लंड से अपनी चूत चुदवा रही थी।

उसने महक के बारे में पूछा और बेडरूम की तरफ़ जाते हुए उसने सुंदरी को बाथरूम में नंगी देखा। सुंदरी ने पूछा,

"कैसी है बेटी?"

"सुधा बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी हो गई और बोली, "मैं ठीक हूँ, माँ ने आपको और परम को बुलाया है।"

वह उस आदर्श महिला से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही थी, वह सुंदरी थी। वह चाहती थी कि वह भी उसकी तरह हो।

“ठीक है, तू बैठ मैं नहा कर आती हूँ।” सुंदरी ने आगे कहा, “लेकिन रजनी (उसकी माँ) को अभी मुझसे क्या काम है!

वह नहीं जानती थी कि कुछ दिन पहले जब परम ने रजनी को चोदा था तो वह केवल इस शर्त पर राजी हुई थी कि परम सुंदरी को उसके पति से चुदवाने के लिए लाएगा। परम भूल गया था लेकिन सुधा की बात सुनने के बाद उसे याद आया। महक ब्रा और पैंटी में बाहर आई और दोनों एक दूसरे से लिपट गईं। महक ने सुधा को अपने कमरे में खींच लिया और परम को बुलाया।

"सुधा, तुझे देखते ही मेरी चूत गरमा जाती है। तू बहुत प्यार से और मजा देकर चूत को मजा देती है। उसने खुद को नंगा किया और सुधा के विरोध के खिलाफ महक ने उसे भी नग्न कर दिया। महक ने जबरदस्त सुधा के मुंह को अपनी जांघों के बीच दबाया। सुधा भी क्या करती, महक की चूत चाटने लगी।

इधर परम अंदर आया तो उसे सुधा का चूत खुला हुआ देखा। सुधा ने झांट भी साफ किया था और पूरी जांघें फैला कर महक के चूत का मजा ले रही थी। परम ने भी सुधा की कमर को पकड़ा और दम लगा कर धक्का मारा। आधा लंड चूत में गया, अंदर घुस गया। सुधा पिछले दिन से चुदवाई नहीं थी और अभी भी चुदाई के लिए तैयार नहीं थी। चूत बिल्कुल सूखी थी। परम को लगा कि कुंवारी चूत को चोद रहा है। लंड बाहर निकाल कर फिर जोर से धक्का मारा और इस बाद लंड पूरा चूत के अंदर चला गया लेकिन सुधा जोर से चिल्ला उठी।।

“ओह्हमा मेरी चूत गयी!”

सुंदरी दौड़ कर नंगी कमरे में आई तो तीनो बच्चो को मजा मारते देखा।

“बेटा, प्यार से चोदो। जब भी किसी चूत को चोदो तो प्यार से चोदना चाहिए। उसे मजा लेने दो।” सुधा ने नज़र उठाई तो उसे सुंदरी का चमकाया और मस्त जवानी दिखाई पड़ी। सुधा इस बात से सहमत थी कि सुंदरी की चूत का आकार बहुत ही सेक्सी है। छोटा सा त्रिकोण, बीच से फूला हुआ और एक पटला स्लिट।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति

“काकी मैं तुम्हारी चूत का मजा लुंगी।”

“ठीक है, ले लेना पहले जम कर चुदवा ले। अपनी चूत की खुजली मिटा बाद में मेरी चूत पर आना।” सुंदरी ने जवाब दिया।


परमने अपनी माँ की चूत को देखा। लंड और टाइट हो गया और फिर से जोर जोर से चोदने लगा। महक ने सुधा को चिल्लाने का मौका नहीं दिया। उसके मुँह को अपनी चूत पर दबाया। परम सुधा के चूत में धक्का लगता था और मजा महक को आ जाता था। सुंदरी कुछ देर देखती रही।

बस आज के लिए यही तक कल फिर आप के सामने नए एपिसोड के साथ आ जाउंगी।


तब तक आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी।




।। जय भारत ।।

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Ajju Landwalia

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परमने अपनी माँ की चूत को देखा। लंड और टाइट हो गया और फिर से जोर जोर से चोदने लगा। महक ने सुधा को चिल्लाने का मौका नहीं दिया। उसके मुँह को अपनी चूत पर दबाया। परम सुधा के चूत में धक्का लगता था और मजा महक को आ जाता था। सुंदरी कुछ देर देखती रही।

अब आगे...............

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Update 16​



सुधा चूस तो रही थी महक की चूत को लेकिन उसका मुन सुंदरी की उठी हुई चूत में था। सुधा ने महक के चूत पर से मुँह हटाया ओर बोली;

“महक तू जरा हट जा,मुझे काकी का चूत का मजा लेने दे!”

महेक अभी भी संतुष्ट नहीं थी, उसने हाथ खींच लिया और बोली, “माँ जरा इस कुतिया को अपनी चूत चटा दे!”

“बेटा, चूत तो चूत है, मेरी हो या तेरी!”

“नहीं काकी, चुतरस का स्वाद हर चूत का अलग होता है। मैं और महक तो कभी भी एकदूसरे की चूत का स्वाद ले सकते है, लेकिन आप की चूत कब मिलेगी!”

“पर बेटी तुम सहेलिया एक दुसरे की चाटो और मजे करो,मेरी उतनी टाईट नहीं जितनी तुम लोगो की होती है।”

“काकी, आपको आपकी चूत की कीमत मालूम नहीं, जरा बाहर जाके देखो कितने लंड उबल रहे है आपकी चूत को छेदने के लिए!”

उसने अब जानबुज के जोड़ा: “उसमे मेरा बाप भी है जो आपकी चूत समज के ही मेरी माँ को चोदता है।“

“मम्मी,अब तुम्हारी चूत से उसका मुंह बंद करो।”
फनलवर की प्रस्तुति

हाँ यह भी ठीक है, किसी को बोलते बंद करना हो तो चूत एक मस्त हथियार है। उसने ठहाका लगाया और अपना घाघरा ऊपर उठा लिया।

सुंदरी ने अपनी योनि सुधा के मुँह के ऊपर रख दी, उसने सुंदरी की जाँघों को खींच लिया और योनि के पूरे त्रिकोण को मुँह में लेने की कोशिश की।

सुंदरी ने कहा, "सुधा, मेरी चूत को खा जाएगी तो तेरे काका चोदेगा किसको। तेरी माँ को!"

“तु चिंता क्यों करती है,” महक ने जवाब दिया “ये हरामजादी तो मेरा भाई और बाप दोनों का लंड खा चुकी है कुतिया।“

सुधा ने सुंदरी की खुली हुई चूत की पंखुड़ी को खींच लिया और जितना हो सके उतनी अंदर जाने की कोशिश करने लगी तभी सुधा को अच्छी तरह से परम के लंड चूत में पंप किया। सुंदरी ने सुधा का सिर अपनी जांघों के बीच दबाया और सुधा की चूत को चूसती रही आखिर सुधा थक गई और सुंदरी के होंठ गिर गइ। परम फिर भी सुधा को चोदता रहा और आख़िर में सुधा कि भूखी चूत को अपने रस से भर दिया।

वो सुधा के ऊपर चिपक कर लेट गया और सुधा के सिर को सुंदरी की चूत के ऊपर से हटा दिया और खुद अपनी माँ की चूत को चूसने लगा। सुंदरी ने चूत को ऊपर उछाला और परम के दोनों हाथों को खींचकर अपने बोबले पर रखा। परम अब सुधा के सामने माँ के बोब्लो को मसलने लगा माँ की चूत का मजा लेने लगा। करीब 10 मिनट तक बेटा और सुधा से चूत चटवाने के उनके दोनों के मुंह में अपना स्त्राव दिया, सुधा खुश हो गई हो ऐसा उसके चहरे से लग रहा था। वह बार अपनी जीभ से अपने होठो को बचे हुए सुंदरी की बुँदे साफ़ कर के चाट रही थी। लेकिनाभी भी वह सुंदरी के चूत खुरेद रही थी, जो भी माल मिले उसे गवाना नहीं चाहती थी।
फनलवर की पेशकश

आखिरकार सुंदरी ने धीरे से अपनी चूत को सुधा के मुंह से हटाया और सुंदरी उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई। महक भी बहार चली गई थी। परम और सुधा चुम्मा चाटी करने लगे। सुधा ने कहा;

“परम मैं एक बार तुम दोनो बाप-बेटे से चुदवाना चाहती हूँ, देखना है कौन ज्यादा मजा देता है…तू या तेरा बाप।”

परमने पूछा कि “तेरे बाप ने तुझे चोदा की नहीं।“

“ना रे, साला रोज़ अपना लंड दिखता है लेकिन चुदाई नहीं करता है बेटीचोद…लेकिन तू बोल, तेरा लंड अपनी माँ सुंदरी की चूत में घुसेड़ा की नहीं?”

परम ने उठकर जवाब दिया, “ना रे जैसा तेरा बाप तुझको रोज लंड दिखाकर चुदाई नहीं करता है वैसे ही मेरी माँ भी चूत चटवाती है लेकिन चोदने नहीं देती। अभी अभी तो तूने देखा, माँ ने अपनी चूत सिकुड़ के चली गई और मेरा लंड तेरी चूत मार के संतोषी होक देख आराम से तेरे सामने झुक जो गया है।“

सुधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, ट्राई करते रहो,जल्दी चुदवाएगी कुतिया तेरे लंड से भी।” उसने परम का लंड दबाया और कहा;

“मुझे जाने दे, माँ ने जल्दी बुलाया था, पता नहीं क्यों!”

परम जानता है, क्यों? आज सुंदरी सुधा के बाप से चुदवायेगी और परम सुधा की माँ की गांड मारेगा। ।

अगले 10 मिनट में सभी तैयार हो गये। सुंदरी ने महेक को कुछ दिनों के लिए बारात के मनोरंजन के लिए विनोद के घर जाकर बात करने का निर्देश दिया। उसने कहा कि वह सुधा की माँ को सुधा और उसकी नौकरानी रिंकू को बारात में शामिल होने के लिए मना लेगी। महक बहुत खुश थी कि वह अपने प्रेमी विनोद के साथ समय बिता सकेगी। उसने सुधा को अपना साथ देने के लिए मना लिया। सुधा अपनी इच्छा के विरुद्ध महक के साथ चली गई और सुंदरी परम को सुधा के घर ले गई।

विनोद महक को देखकर खुश हुआ। वह उसे अपनी माँ और बहन के पास ले गया। उन्होंने बातचीत की और जब महक ने बारात के स्वागत के लिए ज़रूरी लड़कियों के बारे में बताया, तो वह भड़क गई।

“यह सेठजी साला, क्या समजता है अपने आप को? गाव के हर माल उसके है क्या?

"मेरे गाँव की लड़कियाँ रंडी नहीं हैं कि बारात का मनोरंजन करेंगी।“ लग तो रहा था की सही तरीके से गुस्से में नहीं बोल रही थी।

“और तू यहाँ उसकी दलाल बन के आई है क्या?” विनोद की माँ ने उसे पुकारते हुए कहा।

महक ने कहा “आंटीजी, ऐसा नहीं है, पर अब बारात आ ही रही है तो कुछ माल का बंदोबस्त किया हो तो अच्छा, ऐसा सेठजी सोच रहे थे और उन्हों ने मेरी माँ को कहा की थोडा ताज़ा माल जो अच्छे हो उनके लिए व्यव्श्था करे। माँ ने मुझे कहा तो मैं यहाँ आ गई आपसे मिलने को और बात करने के लिए। अगर आप ना चाहो तो कोई बात नहीं, वैसे सेठजी ने आपको भी आमंत्रित किया है और आपकी बड़ी लड़की को भी, अगर हो सके तो आप दोनों आके बाराती के लिए कुछ अपना पेश कर सके!”

आंटी हस दी और बोला “अच्छा है, साला ने मुझे आमंत्रण तो दिया। खेर तो तुम चाहती हो की मैं और मेरी बेटी बरातियो का स्वागत अपने माल दिखाके करे!”

महक की गांड थोड़ी फटी लेकिन अपनी बात को जोर देते हुए कहा :”अगर आंटी आप और बड़ी बेटी चाहे तो वरना नहीं। यहाँ इस गाँव में किसी पर कोई बंधन तो नहीं। यह आप अच्छे से जानती है। मैंने सिर्फ कोशिश की है।”

थोड़ी बहस के बाद वोनोद की माँ ने सहमती दे दी।

“सेठजी को बोल देना, मैं 5 नहीं, 10-10 माल (लड़कियाँ) सेठजी के पास भेज दूँगी। वो चाहे तो खुद भी सबका मज़ा लेले।" उसने वहीं विनोद और अपनी बेटी को निर्देश दिया कि वे जाए और जो मजदुर अपने लिए काम पर आये है वह मज़दूरों के बीच से अलग-अलग उम्र की 10 सेक्सी मालो (लड़कियों) को चुनें और शादी वाले दिन सुबह उन्हें सेठजी से मिलवाएँ।

महक और सुधा ने कुछ देर बातें कीं, कुछ नाश्ता किया और चली गईं। विनोद उनके साथ महक के घर गया। दरवाज़े पर ही सुधा ने माफ़ी मांगी और अपने घर चली गई।

महक ने अपने घर का दरवाज़ा खोला, चारों ओर देखा और विनोद को अपने साथ अंदर खींच लिया। उसने दरवाज़ा बंद किया और विनोद को उसी बिस्तर पर अपने ऊपर खींच लिया जहाँ पिछली सुबह विनोद ने सुंदरी और बड़ी बहू को चोदा था।
फनलवर की रचना है

महक: “क्या इरादा है मिस्टर?”

विनोद: “जो तेरा है उस से कही ज्यादा मेरा है।“और उसने महक के बोबले पर आक्रमण करने की कोशिश की पर महक हट गई।

महक: “साले तू बहोत चोदु किसम का है रे,सीधा माल पर हमला करता है।“

विनोद: “अब क्या करू जैसी माँ है वैसी बेटी है उसका माल भी तो चख ही लेना चाहिए!”

महक: साले तू मेरी माँ के पीछे क्यों पड़ा है? जब की उसकी बेटी का माल के पीछे नहीं है!”

विनोद: “देखो डार्लिंग, तेरी माँ के सपने हर कोई देखता है उसका माल सच में मस्त है और हर छोटा बड़ा उसकी चूत में सफ़र करना चाहेगा, लेकिन तुम भी तो कम नहीं है और दूसरी बात यह है की तेरी माँ को अगर चांस मिले तो चोद लू। तू तो मेरा ही माल है जब चाहे तुजे चोद सकता हु चाहे शादी के बाद ही सही।“

महक: “देखो विनोद माँ और बेटी को चोदना अच्छी बात नहीं है।” उसने अपने बोब्लो को फ्रॉक के ऊपर से ही थोडा सहलाया और विनोद को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश करती रही।

विनोद थोडा आगे बढ़ा और महक के बोब्लो पर हमला कर दिया। इस बार महक तैयार नहीं थी या फिर खुद ही वह हमले होने की राह देख रही थी। खेर जो भी हो विनोद के हाथ में उसका एक बोबला आ गया था और वह उसी को दबाने लगा।

महक ने सिर्फ एक छोटी सी सिसकारी दी और विनोद का हाथ पकड़ कर अपने दुसरे स्तन पर रख दिया।

“अब भोसडिके, इसको क्यों छोड़ रहा है मादरचोद! दो बोबले होते है लड़की के एक को दबाएगा तो दुसरे को दुःख नहीं होगा क्या?”

विनोद ने भी “ह्म्म्म” के साथ दुसरे बोबले को मसलना चालू कर दिया। और दोनों के होठ अब एक हो गए।

थोड़ी देर के बार महक थोडा खिसकी।

महक ने अपने फ्रॉक को उठाया और अपना माल विनोद के सामने दिखाया।

अब चिकना माल सामने था तो विनोद का लंड उसको सलामी देने लगा और अपनी पेंट को निचे कर दी अंडरवियर तो था ही नहीं तो उसके लंड ने महक की चूत के सामने आके उसको सलामी देने लगा।

विनोद: “देख, मेरा लंड अपने माल (चूत) को सलामी दे रहा है अब उसके जाने के लिए जगह बनाने दे मेरी जान!”

महक:”जल्दी है क्या! आराम से। यह माल तेरा ही है और होगा शादी के बाद तो बस यह लंड और मेरी चूत हर रोज अपनी लड़ाई करते रहेंगे।” कह कर महक ने अपनी चूत के फांको को थोडा फैलाया और विनोद के लंड को अपने हाथ में ले लिया।

विनोद ने भी उसे कपनी तरफ खिंचा और फिर से उसके होठो पर अपने होठ रख के एक कर दिया, दोनों प्रेमी एक दुसरे के होठो के रस चूसने लगे। उस दरमियान दोनों के हाथ भी एक दुसरे के गुप्तांगो को सहला रहे थे।

थोड़े समय के फोरप्ले के बाद दोनों में एक मस्त आग लगी हुई थी जो ठंडी होनी चाहिए थी। विनोद ने पहल करते हुए महक को बिस्तर पर लेटा दिया। जैसे ही महक बिस्तर पर लेती उसने अपनी टांगो को हवा में फैला दी और अपनी चूत को उजागर करते हुए प्रेमी का लंड को आमंत्रित कर दिया।

विनोद ने अपने लंड को सहलाते हुए महक को फ्रॉक उतारने का इशारा किया और महक उस इशारों पे चली गई। अपने आप को नंगा कर दिया और साथ ही उसने विनोद को भी नंगा कर दिया।

विनोद ने अपना लंड को चूत के द्वार पर रखा और एक धक्का मारा, लंड उसकी चूत को चीरते हुए बड़े आराम से अन्दर चला गया। विनोद को लगा की इतनी आसानी से उसकी माँ की भोस में भी नहीं गया था जितनी आसानी से महक की छोटी सी चूत में गया।

महक समज गई की वोनोद क्या सोच रहा था। उसने तुरंत कहा कब से चूत गीली पड़ी हुई है, बस तेरे इस लंड का इंतज़ार करती थी और झरती रही थी।

और थोड़ी देर में “फ्च्च्क, फच्चक” की मधुर आवाजे कमरे में गूंजने लगी।

इसके बाद विनोद ने महक ने उसे पूरी तरह से संतुष्ट किया। उन्होंने दो घंटे से ज़्यादा समय तक मज़े किए और थकने के बाद विनोद ने कसम खाई कि वह महक से ही शादी करेगा और वह भी बहुत जल्द। यह महक की अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी, उसके पिता द्वारा की गई चुदाई से भी थोडा अलग, क्यों की वह प्रेमी था। विनोद के साथ चुदाई में कुछ खास बात है, शायद उसने सोचा होगा कि उसकी चूत में लंड के तेज़ झटके के साथ विनोद ने उसके शरीर पर प्यार की बारिश कर दी थी। दोनों सो गए और तभी उठे जब उन्होंने दरवाजे पर ज़ोरदार दस्तक सुनी।


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आज के लिए बस इतना ही, कल फिर एक नए एपिसोड के साथ मिलेंगे.


तब तक आप अपने मंतव्यो दे।.


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