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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:- 173




राजीव मिश्रा, मनीष मिश्रा, अनुप्रिया और महिदिपी को 31 की रात को ही रिमांड में ले लिया गया। इन लोगों के साथ साथ कुल 80 हाई प्रोफाइल लोग फसे थे, जिन्हे 3 जनवरी से 5 जनवरी के बीच चली लगातार सुनवाई के बाद सभी को दोषी पाया गया। मनीष मिश्रा, राजीव मिश्रा, अनुप्रिया और महिदिपी को आजीवन कारावास और बाकियों को उसके गुनाह के अनुसार सजा मिल गई।


5 जनवरी को ही सुनवाई में बाद चारो को जेल में शिफ्ट किया जा रहा था, तभी रास्ते में धमाका हुआ, अचानक ही सब दिखना बंद। जबतक किसी को कुछ समझ में आता, 4 कैदी फरार, जिसकी सूचना तुरंत अधिकारियों तक पहुंचाई गई और चप्पे चप्पे पर पुलिस अलर्ट।


बिल्कुल इन चारो का भी वहीं ट्रीटमेंट हुआ, जैसा विक्रम, प्रकाश और लोकेश के साथ हुआ था। एक रात रखकर बदन के सारे नाखून, बाल सब गायब। इन्हे भी शुरवात के 10 मिनट तक अंधेरे में छोड़ा गया, और उनका भविष्य दिखा दिया गया।


ये लोग थोड़ा ढिट थे, इन्होंने ऐसी प्रतिक्रिया दी, जैसे इन्हे कोई फर्क नहीं परता। फिर सामने के स्क्रीन पर फ़्लैश हुई एक तस्वीर, विक्रम, प्रकाश और लोकेश 15 अगस्त के पहले और 16 अगस्त में बाद।


तीनों चेन से बंधा बाहर आया। तेज रौशनी में कुछ देर तक उनकी आखें नहीं खुली। कुछ देर बाद उनके आखों के सामने खड़े कुछ लोग, जो धुंधले नजर आ रहे थे, वो बिल्कुल साफ दिखाई दे रहे थे। प्रकाश तो देखकर ही अपनी स्माइल देने लगा।…. "आय हाय, अपनी एक्स गर्लफ्रेंड को देखकर कैसे मुस्कान आ गई।".. ऐमी ने टोंट किया..


विक्रम और प्रकाश बस चेहरे की प्रतिक्रिया ही दे रहे थे, बाकी इतनी जान अंदर नहीं बची की आवाज निकाल सके। उनके होंठ तो हिल रहे थे, लेकिन आवाज़ ही नहीं आ रही थी। चारो उन तीनों को देखकर आश्चर्य से… "ये यहां है।"..


अपस्यु:- और मेरे दुश्मनों, आप का भविष्य भी यही है।


अब लगे चारो गिड़गिड़ाने। मिन्नते करने और रिश्तेदारी निभाने। लोकेश में थोड़ी जान बाकी थी… "ये मिश्रा हमारे लेवेल के खिलाड़ी है क्या?"


अपस्यु:- उससे भी बड़े लेवल का है लोकेश। ये लोग उस दौड़ के साथी है, जब अनुप्रिया और महिदिपी साथ में पढ़ा करते थें। तुमने सुना होगा इसके 2 छिपे हुए पार्टनर।


प्रकाश और विक्रम हां में सर हिलाते हुए सहमति देने लगे, हां हम जानते है। तभी लोकेश बोल परा… "साला मेरा कमीना भाई अपने अकाउंट पर हमसे छिपकर पैसे रखा था, अपस्यु ने उसे ट्रांसफर करके कानून कि सजा काटने भेज दिया। ऊपर से मेरी दिलदार बुआ ने मेरी भाभी को ढाई हजार करोड़ दिए है, वो तो किसी भी वक़्त छूट जाएगा। यहां तो 5 लाख में लोग छुड़ाने का इंतजाम कर लेते है।"..


अपस्यु, लोकेश की बात कर हंसते हुए… "इन लोगो को निचोड़ लिया गया है, इनके पास अब कोई पैसे नहीं।"..


मनीष अपस्यु को कोने मै ले जाते… "देखो मेरे पास बहुत पैसा है।"..


अपस्यु:- कितना पैसा है..


मनीष:- लैपटॉप लाओ..


मनीष लैपी से अकाउंट लोग इन करके अमाउंट दिखाए… "इतने है।"..


अपस्यु:- सिर्फ 10000 करोड़, इतने का तो सामान बर्बाद करके युक्रेन से आ रहा हूं।


"रुको",.... फिर दूसरा अकाउंट लॉग इन किया, वहां 5000 करोड़। ऐसे ही धीरे धीरे खींचकर अपस्यु ने उससे 25000 करोड़ निकलवा लिए। उसे अपस्यु कोने में भेज दिया। फिर अाई राजीव मिश्रा की बारी… भाई साहब के पास 6 अकाउंट और कुल 16000 करोड़ का माउंट। फिर बारी आयी दोनो भाई बहन की, जो खंगाल कर 4 लाख निकाल पाई। सबका पैसा खींचने और उनकी हाय सुनने के बाद अपस्यु जोड़ जोड़ से हंसते हुए चारो को अंदर डाल दिया। विक्रम और प्रकाश को भी अंदर भेज दिया।


लेकिन जैसे ही उसने लोकेश को अंदर करना चाहा… "हम तो भाई है एक मिनट सुन तो लो।"


अपस्यु:- जी सुना दीजिए…


लोकेश:-तुम्हरा मैंने अभी अभी अरबों का फायदा करवाया। उसपर से ये तो बेईमानी है। तुम्हे यहां केवल बुड्ढे को रखा है, इकलौता मै नेक्स्ट जेनरेशन का। फिर मेरे साथ ये नाइंसाफी क्यों?


अपस्यु:; क्योंकि तुम्हारी सजा निम्मी ने तय की थी, और वो अभी यहां नहीं है जो उससे तुम्हारा फेवर करके तुम्हारे सजा के बारे में पुछ लूं।


लोकेश:- नहीं मुझे भी मेरे भाई और अनुप्रिया के बच्चो की तरह बाहर के जेल में डालो।


अपस्यु हंसते हुए… सामने स्क्रीन पर देखो अनुप्रिया के बच्चो के लिए काया की दी हुई सजा। वैसे तुम्हे भी इसी सजा के लिए काया बोल रही थी। लेकिन मैंने माना कर दिया, कहा निम्मी के आने के बाद ही कुछ होगा।


लोकेश सामने की स्क्रीन पर देखा। रुद्रा, युक्तेश्वर और हंस झुके हुए थे, उनके पैंट नीचे पाऊं में और पीछे से एक दैत्याकार का मोटा कैदी रुद्रा के पीछे, जिसका खुला पिछ्वाड़ा दिख रहा था और रुद्रा को फ्रेच जेल की सजा से रूबरु करवा रहा था। यही हाल युक्तेश्वर और हंस का भी था। लोकेश अपना मुंह फाड़े, घोर आश्चर्य करते… "नही निम्मी को सजा ही बेहतर है।"


इन सब को अंधेरे में डालने के बाद अपस्यु और ऐमी ऊपर आए। 4 महीने में वो जगह लगभग पुरा बनकर तैयार थी, बस थोड़े काम और बाकी रह गया था। परमानेंट कुटिया बनी हुई थी, लेकिन सब वैसे ही झोपड़ी की तरह दिख रही थी। चारो ओर का वैसा ही इलाका और जिस जगह सबको जलाया गया था वहां 170 मूर्तियां वहां के लोगों की समाधि के रूप में जो बली चढ़ गए किसी की गन्दी महत्वकांछा में।


इसी के साथ एक बार फिर दोनो उसी पहाड़ी के नीचे थे, जहां के ऊपर के फूल से पहली कहानी शुरू हुई थी। अपस्यु और ऐमी के मायूस चेहरे पर आज की ये पहली खिली और सच्ची मुस्कान थी। दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए। हालांकि ऊपर चढ़ने के लिए शानदार लिफ्ट की व्यवस्था करवा दी गई थी, लेकिन दोनो ही पहाड़ पर फिर से चढ़े, बिना किसी सुरक्षा के।


ऊपर आकर दोनो ने महादेव बंदना कि और पहाड़ के किनारे बैठकर एक दूसरे के कंधे से टीके, घंटो उस जगह को देखते रहे… "आज हमारे कितने दोस्त होते नहीं। सब अपनी अपनी लाइफ में मस्त होते और हम अचानक से किसी के यहां पहुंचकर उन्हें चौंका देते।"..


अपस्यु:- हम्मम ! चलो चलते है।


दोनो पैदल ही वापस जेके और पल्लवी के कॉटेज तक आए, जहां आस पास 8-10 घर बन चुके थे, लेकिन वो कॉटेज अब भी वैसे ही खड़ा था। वो बगीचा अब भी वैसा ही था, बस आम के पेड़ के साथ कई जंगली पेड़ भी खड़े हो गए थे। ऐसा लग रहा था अभी कल ही की तो बात है, अंदर से ऐमी की आती आवाज़।


दोनो कॉटेज में घुसे और सीधा तहखाने में जाकर अपने लिए छोड़े गए वो सामान को उठा लिया, जिसे जेके और पल्लवी ने अपस्यु और ऐमी के लिए उस दौर में छोड़ा था जब ट्रेनिंग देते थे, यह कहकर कि एक दिन जब हम नहीं होंगे, फिर ये तुम्हारा होगा, संभाल कर रखना, अच्छे से समझना और इसे आगे बढ़ाते रहना।


दोनो ने उस बक्से की धूल झाड़ी और अंदर के समान को एक बार देखकर वापस बक्सा बंद कर दिया और पुराने यादों को एक बार आंखो मै संजो कर दोनो उस जगह को छोड़ दिए।


वापस दिल्ली पहुंचते ही अगले दिन हाई कोर्ट मै पेसी का नोटिस पहुंच चुका था। 31st की घटना पर फाइनल सुनवाई होनी थी। अपस्यु के साथ सभी पागल जेल जाने को आतुर। किसी तरह मनाकर सबके नाम केस से हटवाए गए। सबूत के साथ थोड़ी से छेड़छाड़ पहले दिन ही हो गई थी, जहां केवल और केवल अपस्यु और ऐमी ही दिख रहे थे।


काफी तीखी बहस चली कोर्ट में। सिन्हा जी जहां खुद ही मोर्चा संभाले हुए थे वहीं पब्लिक प्रॉसिक्यूटर भी उतना ही भिड़ा हुआ था, लेकिन सिन्हा जी के हाथ में भी कुछ नहीं था, क्योंकि सबूत पुख्ते थे और दोनो पक्षों के वकील अपना फाइनल स्टेटमेंट दे चुके थे।


हाई कोर्ट के जज की वहीं बेंच थी और शायद सजा भी पहले से तय थी। दोनो को 3 साल के लिए देश से ही तड़ीपार कर दिया गया। याधपि उन्हें दोषी करार नहीं दिया गया, सेल्फ डिफेंस के मामले को देखते उन्हें क्लीन चिट दिया गया और उनके खतरनाक इतिहास को देखते और पिछले 7 साल से एक ही बात सोचते रहने कर कारन, दोनो को 3 साल तक देश के बाहर रहने के आदेश मिले। ताकि इन 3 साल में वो लोग इन जगहों से दूर रहे जो उनकी अक्रमता को बढ़ा देती है, और अपने ट्रेनिंग के कारन ये बेहद खतरनाक साबित होंगे।


देश छोड़ने के लिए उन्हें 25 जनवरी तक वक़्त दिया गया और इसी के साथ कोर्ट कि सभा भी समाप्त हो गई। सजा के बारे में सुनकर घर के सारे लोग भन्नाए हुए थे। कुंजल और नंदनी तो रह रह अपस्यु और ऐमी का चेहरा देखती और 2 बातें कोर्ट को सुनाने लगती। काफी गुस्से में दिख रही थी दोनो।


ऐमी, खड़ी होकर नंदनी के कंधे को पीछे से पकड़कर उसके ऊपर लटकती… "मां, घूमने जा रहे है हम, 3 साल ही तो है यूं गुजर जायेंगे। और हम यहां नहीं आ सकते तो क्या हुआ आप आती रहना।"..


नंदनी:- मुझे तो इन दोनों पर ही शक हो रहा है कि ऐसी सजा खुद ही तय करवाए होंगे। दूसरे देश ऐसे कैसे भेज सकते है, फिर कोर्ट रहने और खाने पीने का पैसा दे।


सिन्हा जी:- नंदनी जी आप जज्बाती हो रही है। कोर्ट ने इन्हे कोई सजा नहीं दी है। बस उनका मानना है कि ये दोनों लंबे समय से एक ही मिशन में मानसिक रूप से ऐसे फसे है कि इन्हे जहां कहीं भी कोई मजलूम दिखेगा तो ये खतरनाक फैसला करने लगेंगे। इसलिए 3 साल का देश से बाहर रहने का आदेश मिला है ताकि इन इलाकों से जितना दूर रहेगा खुद के बारे में और अपने बारे में सोचने का मौका मिलेगा।


नंदनी:- हां! कोर्ट का ऐसा सोचना तो बिल्कुल सही है। ठीक है दोनो की शादी करवाकर 3 साल के हनीमून पर भेज देते है। दोनो को मंजूर।


अपस्यु और ऐमी मुसकुराते हुए… "हम इस कोर्ट का फैसला भी कैसे टाल सकते है।"..


रात के वक़्त दोनो भाई अकेले छत पर बैठे हाथ में बियर लिए चांद को देख रहे थे। आरव, अपस्यु को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा… "साला अपनी किस्मत में अलग ही रहना लिखा है।"..


अपस्यु:- हां शायद। वैसे भी परिवार की जिम्मेदारी तुझे ही तो लेनी है।


आरव:- कमीना, और तू देश विदेश घूमते रहना। ऐसी जिंदगी क्यों चुन रहा है। तू और ऐमी साथ में तो है, यहीं रुक जा आराम से परिवार शुरू कर।


अपस्यु:- इमोशनल ना कर, हंस कर विदाई दे।


आरव:- तू जेके भईया और पल्लवी भाभी के कातिलों के पीछे जा रहा है?


अपस्यु:- अभी उसपर सोचा तो नहीं है लेकिन हां, जल्दी काम शुरू करूंगा। फिलहाल एक वैकेशन पर हूं।


"तुम ही दोनो सगे हो ना, मुझे तो भुल ही गए।"… दोनो के बीच जगह बनती कुंजल भी अपना बियर का बॉटल लिए बैठी। दोनो भाई आखें बड़ी किए… "ये क्या है।"..


कुंजल:- बियर की बोतल है, देखो लिखा है।


आरव:- हां लेकिन हमारे साथ लेकर बैठी है?


कुंजल:- अभी मै कॉलेज की सीनियर हूं और अपने दोस्तो के साथ बैठी हूं। ओक जूनियर्स।


दोनो भाई हंसते हुए.. "ओक सीनियर"..


स्माइल.. ही ही.. खी खी.. कुछ देर तक ऐसी ही आवाज़ ऊपर से आती रही, तीनों सेल्फी पर सेल्फी लेते रहे।..


कुंजल:- साची से मिले थे क्या दोनो।


आरव और अपस्यु:- नहीं मुलाकात नहीं हो पाई थी। वहां सब ठीक तो है ना..


कुंजल:- पुरा परिवार वापस गांव जा रहा था, मैंने किसी तरह समझा बुझाकर वहां तुम्हारे फ्लैट में शिफ्ट करवाया, लेकिन मेरे ख्याल से तुम दोनो को मिल लेना चाहिए। साची और लावणी के भाइयों ने इंडिया वापस आने से मना कर दिया है, कहते है, बदनाम परिवार है उनका।


अपस्यु:- 10 दिन में भागकर आएंगे तू टेंशन ना ले। चल फिलहाल चलकर मिलते है। वैसे वहां सुलेखा आंटी है इसलिए मुझे उतनी चिंता नहीं। बहुत बुरे दौड़ से गुजर रहे है थोड़ा वक़्त तो लगेगा संभलने में। क्या हमे वो वक़्त नहीं लगा था।


कुंजल:- ऐसे इमोशनल बातें करोगे तो मै चली जाऊंगी।


अपस्यु और आरव दोनो ने कुंजल के गले में हाथ डालकर उसके गर्दन को दबाते हुए… "ऐसे कैसे चली जाएगी। अच्छा सुन तुम्हे एक काम देकर जाऊं।"..


तीनों छत से नीचे आकर फ्लैट के ओर चलने लगे… "कुसुम रोज जाती है चिल्ड्रंस केयर, तुम भी क्यों नहीं उसके साथ जाती। शायद वो भी अकेली मेहसूस केर रही होगी हमारी तरह, पर दिल की मजबूत है। कभी मुझे वहां अपने चेहरे से जतायी नहीं। उसे भी एक बहन मिल जाएगी, और दोस्त भी। कभी-कभी उसे अकेले सबके साथ खेलते देखता हूं तो वहीं दर्द सा मेहसूस होता है जैसे पहले कभी मै मेहसूस करता था। कोई बाउंड्री नहीं है, तेरा मन हो तो करना।"..
 

Nevil singh

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नंदनी आरव के ओर मुड़ी और लावणी आरव के ठीक पास में खड़ी थी। वो जैसे ही कुछ बोलने को हुए उससे पहले ही उसकी आह निकल गई। बड़ी सफाई से लावणी ने अपने हाथ का पीन को उसके पीछे भोंक दी। बेचारा तिलमिला गय।


नंदनी:- क्या हुआ, ऐसे क्या करने लगा।


आरव:- कुछ नहीं मां आप जाओ मै इसी के साथ हूं।


नंदनी के जाते ही आरव… "उल्लू ये कौन सा प्यार जताने का तरीका है, पीन चिभो कर। ऊपर से मां साथ में थी।"


लावणी आरव के गले में हाथ डालते… "मां पास है, कुंजल देख रही ये सब छोड़ो और अपने बीवी पर फोकस करो।"..


"ये मेरी बीवी हिरनी से शेरनी कैसे बन गई। कहीं 2 पेग तो मार कर नहीं आयी।"… आरव अपने मन में ख्याल लाते हुए पूछने लगा… "बेबी तुमने डर भागने वाली ट्रीटमेंट तो नहीं ली है ना।"..


लावणी, आरव के थोड़े और करीब आते… "अच्छा याद दिलाया जारा 120 ml हो जाए, फिर तो खुलकर मस्ती करेंगे।"


आरव, अपने चारो ओर देखते… "तुम्हारा दबा कुचला मस्ती ही मुझ पर बहुत भारी पड़ रहा है लावणी। बेबी देखो यहां सब हमे ही देख रहे है। प्लीज कंधे से हाथ हटा लो।"..


लावणी:- हाथ हटाने का तो मन नहीं लेकिन एक किस्स दोगे तो हाथ हटाने का सोचूंगी।


आरव अपनी बड़ी सी आखें किए… "क्या?"..


लावणी:- एक किस्स..


आरव:- यहां..


लावणी:- अम्म ! यहां लोग ज्यादा लग रहे है और सब पहचान वाले। ठीक है मेरे रूम में आ जाना आज रात वहीं मै किस्स ले लूंगी।


आरव मस्ती में अपनी आखें बड़ी करते…. "अभी ही चलो ना। इनका फंक्शन शुरू होने में आधा घंटा है अभी।"..


लावणी, कंधे से हाथ हटाती… "रूम में सिर्फ किस्स ही मिलेगा, ज्यादा अरमान मत जगाओ मिस्टर आरव।"..


आरव:- हां ठीक है पहले रूम में तो पहुंचने दो।


लावणी:- मुझे बातो से धमाका रहे हो। ठीक है किस्स भी कैंसल और जो तुम्हे देखकर प्यार आ रहा था उसे भी कैंसल करते है।


आरव:- हद है बेबी। अच्छा ठीक है सिर्फ एक किस्स अब खुश ना।


लावणी:- नहीं, अभी खुश नहीं हुई। अंगूठी पहनाते ही सबसे पहले हम डांस करेंगे।


आरव:- डांस भी करना है?


लावणी:- क्यों हम साथ डांस नहीं जर सकते क्या?


आरव:- थोड़ा टूटा फूटा और देशी स्टाइल वाला होगा, चलेगा ना।


लावणी:- तो मै कौन सा शकीरा की तरह कमर लचकाने वाली हूं, बस तुम तैयार रहना। वैसे पहले कभी किसी लड़की के साथ डांस किए हो या नहीं। ।


आरव:- बहुत हो गई पूछताछ अभी सामने ध्यान दो, अंगूठी पहनाई जा रही है।


सब लोग दोनो के देखने लगे स्वास्तिका के एक ओर से उसका पूरा परिवार तो दूसरी ओर से उसका पुरा ससुराल। उसके लिए बीते वक़्त और अभी के खुशी के पल को मेहसूस करना थोड़ा सा मार्मिक हो गया और उसके आखों में आशु छलक आए।


नंदनी रुमाल से उसके आशु साफ करती, उसके सर को अपने सीने से टिकाती हुई कहने लगी…. "मजबूत दिल लड़की, प्रोफेशन से सर्जन और उसके आखों मै आशु।"..


स्वास्तिका:- थोड़ा रोने का दिल कर रहा है मां, मत रोको।


नंदनी:- अरे ऐसे अभी से रोने लगी तो तेरी सास तुझे कमजोर समझकर तुम पर हुक्म झारेगी। मन भी करे रोने का तो हमलोग अकेले में रोने कि सभा बिठाएंगे। और हमलोग ग्रुप क्राई करेंगे।


तभी वहां जोड़ जोड़ से ढोल पीटने की आवाज आने लगी और बिल्कुल देशी स्टाइल में वहां आरव नाचने लगा और उसका साथ देने के लिए लावणी भी आ गई। मौका अच्छा था ऐमी को आइडिया आया और वो अपस्यु का हाथ पकड़कर बीच में ले आयी।


डांस करते हुए वो… "बेबी साड़ी के साथ प्रॉब्लम थी, तुम प्लीज दिल छोटा ना करो। मेरा वादा है रात को जब आओगे मै तुम्हे वैसी ही मिलूंगी।"..


अपस्यु:- मै कहां कुछ कह रहा हूं, तुम खुद से सबकुछ सोचने लगती हो।


ऐमी:- ओय अपस्यु रघुवंशी, मै तुम्हारे रग रग से वाकिफ हूं। ये जो तुम मुंह फुलाकर भी मुस्कुराते रहते हो और जान बुझ कार ध्यान नहीं देते, दिल चिर जाता है। सॉरी बेबी.. वो स्वास्तिका का मन था कि मै ये ड्रेस पहनूं, लेकिन मैंने साड़ी पहनी। बाद में जब बहाने से उसने मुझे ये ड्रेस पहनाया तब उसके चेहरे की खुशी मैंने देखी थी। अब कहो..


अपस्यु, उसे जोड़ से चिकोटो काटते… "कितना कुछ मिस कर गया ये बात तुम पहले भी बता सकती थी ना।"..


ऐमी:- पैचअप होते ही हरकतें शुरू..


अपस्यु:- डांस पर ध्यान दो.. और जो वादा किया है वो निभाना पड़ेगा।


ऐमी:- रहने देते है ना बेबी.. साड़ी तो उम्र भर पहनूंगी.. क्योंकि आई लव साड़ी।


अपस्यु:- ठीक है स्वीटी…


एक हसीन शाम ढल चुकी थी। स्वास्तिका को ऐसा लगा जैसे जिंदगी से छीनी गई खुशियां उसे वापस मिल चुकी थी। सभी लव बर्डस अपनी अपनी उड़ान भर रहे थे।


30 नवंबर 2014…


सुबह के 9 बज रहे थे। प्राइवेट टीवी चैनल पर अनुप्रिया और महिदिपी पहली बार लाइव आ रहे थे। रुद्रा ने यह क्रयक्रम रखवाया था। कार्यक्रम के पीछे कॉन्सेप्ट सिर्फ इतना था कि लोगो के बौद्धिक विकास और तर्क के लिए किसी सभा को आकर ज्वाइन करने की जरूरत नहीं है, आज हमे सुने, अपने सवाल भेजे और कुछ कॉमन सवाल के जवाब लाइव शो के दौरान दिए जाएंगे और बाकी के सवाल आप इंटरनेट की वीडियो देखकर पूछ सकते है, जहां सवाल और जवाब केवल भक्त आपस में देंगे, ताकि ये लोग भी जज कर सके कि बौद्धिक विकास हुआ है कि नहीं। लोगो ने तर्क करना सीखा कि नहीं।


इसका एक प्यारा सा स्लोगन भी दिया गया था। भक्ति अंधे होने का नाम नहीं बल्कि बौद्धिक विकास के जरिए समस्या के समाधान का मार्ग है। आप घर पर देखे हम समझेंगे आप हमारे आश्रम में पधारे है। हमे सुनने के लिए आपको अपने काम छोड़कर, अपना परिवार छोड़कर आने कि जरूरत नहीं।


रविवार की सुबह। प्रोग्राम जब शुरू हुआ तब दर्शक मात्र 4 लाख थे, लेकिन प्रोग्राम खत्म होने तक 2 करोड़ लोग जुड़ चुके थे। जिस हिसाब के तर्क और बहुत सारे कॉमन सवालों के जवाब सुनकर लोगो का विश्वास इस कदर बाना कि 2 घंटे के प्रोग्राम में हर कोई जुड़ गया।


इस तरह के प्रोग्राम का संचालन के लिए अंत में अनुप्रिया ने पहले तो उन छात्रों और छात्राओं का धन्यवाद कहीं, जिसने ये विचार उनको दिया, जिसके प्रमुख नाम भी उन्होंने लिया.. विकास, लिसा, हंसिका, मालविका, अनुराधा.. और ऐसे ही 4-5 नाम थे जिन्हें पॉपुलैरिटी दी गई और उन्हें इंटरनेट पर भक्तों के तर्क पर नजर बनाए रखने का काम भी दिया गया।


सुबह तो ये प्रोग्राम धीरेl-धीरे हिट हुआ लेकिन जैसे ही ये प्रोग्राम ऑनलाइन हुआ। एक ही दिन में देश और विदेश मिलाकर 6 करोड़ का व्यूज और तकरीबन 18 करोड़ कमेंट लोग सवाल जवाब के जरिए कर चुके थे। सपने में भी जिस पॉपुलैरिटी को इन लोगो ने अचीव नहीं किया था, वो मुकाम एक ही प्रोग्राम से हासिल कर लिया।


वक़्त नजदीक आता जा रहा था और शायद अनुप्रिया की तैयारी कुछ ज्यादा ही मजबूत नजर आ रही थी। उसके बच्चे लगातार अपस्यु पर नजर बनाए हुए थे, इसी का नतीजा यह हुआ था कि कुछ दिन पहले काया और लिसा का रिश्ता सामने आने के बाद काया को लिसा के नाम से ब्लैकमेल किया गया और उसने अपने हिस्से कि सारी कहानी बयां कर दी थी।


ये सूचना वाकई काफी अहम थी क्योंकि अब उन्हें एग्जैक्ट पता था कि जिस बीएनपी परिबास बैंक का ये मुवाएना कर आए थे उस बैंक में 12 दिसंबर को चोरी होगी और उसके लिए अपस्यु और ऐमी 6 दिसंबर को फ्रांस के लिए रवाना होगा। उसकी टीम पहले ही निकाल चुकी है, जो इस वक़्त फ्रांस में है और वहां के कुछ प्रोफेशनल्स को चोरी के लिए, और तकरीबन 40 रिटायर सोल्जर को डीलिंग के दिन वाले काम के लिए लगाएगी। जिसे उस क्षेत्र में जाकर पहले से मुवायना करना था और अपने लिए सेफ ग्राउंड ढूंढ़कर 1000 दुश्मनों से भिड़ने की योजना बन रही है।


साथ में ये भी साझा किया की इस चोरी में कुल 20 लोग सामिल होंगे, जिन्हें पूरी इंफॉर्मेशन नहीं है। केवल वो लोग अपना काम करेंगे और चलते बनेगे। 20 लोगो की टीम में से 10 लोग तो वो रहेंगे जो उतने सारे कैश को सबकी नजरो से बचाकर अपस्यु के ठिकाने तक ले जाएंगे और वहां से अपस्यु फिर अपने कोर टीम के साथ उन पैसों को लेनदेन कि जगह ले जाने वाले है।


काया ने अंत में उन्हें सिर्फ इतना ही कहा… "मुझे मेरे वीडियो वाइरल होने से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन किसी मासूम को हमने इस्तमाल करके मरने छोड़ दिया, ये ना तो अपस्यु को बर्दास्त होगा और ना ही मुझे। शायद आज तुम जीत जाओ लेकिन वो अपस्यु है। हार कर भी वो फिर खड़ा होगा।"..


रुद्रा:- हम तो उसके साथ बस खेलेंगे बेबी, जैसे आज से फिर से एक बार तुम्हारे साथ वहीं खेल शुरू होगा जिसकी शुरवात हमने लोकेश के यहां की थी। और फिक्र मत करो यहां के लोग भी तुझ पर कोई रहम नहीं दिखायेगा। ।


25 नवंबर को काया को कैद किया गया और 26 नवंबर को लिसा से संपर्क किया गया। लिसा चूंकि भावना से जुड़ी थी और काया के लिए इमोशन्स भी थे, इसलिए काया को सुरक्षित देखने के लिए वो ना चाहते हुए भी अनुप्रिया के प्रोमोशन टीम का हिस्सा बनी और उसके लिए भारत मै अन्य क्षेत्र में प्रचार और होर्डिंग्स कैसे होने चाहिए उसपर एक टीम के साथ मिलकर काम की।


कलिका भी वही खेल रच रही थी जो इस वक़्त अपस्यु रचे हुए था, अंदर ही अंदर तैयारी और बाहर से एक दम लापरवाह, जैसे हमे कोई मतलब ही नहीं कौन से पैसों की डील कहां होनी है। जबसे युवाओं ने सात्त्विक आश्रम के लिए पॉजिटिव प्रचार टीवी पर शुरू किया था, ये लोग बस ऊपर से दिखाने के लिए उसी में व्यस्त थे।


1 दिसंबर के दिन कलिका ने नीलू से प्राइवेट नंबर पर संपर्क किया। नीलू अपने योजना मुताबिक आगे बढ़ रही थी और अपस्यु के लिए हायर की गई 40 सोल्जर की पूरी टीम से उसकी मुलाकात करवाई, जों नीलू के इशारे पर काम करती। अपस्यु की सबसे बड़ी कमजोरी, जो उनके हाथ लगी थी, वो था किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए काम पीर लगाए गए लोग, इस बार उसे हराने के लिए उन्ही लोगो को करप्ट कर दिया गया था जिसके भरोसे ये पुरा मिशन था।


इनकी योजना केवल इतनी ही नहीं थी बल्कि इस बार ये लोग भी दुश्मन को खुद से 1000 गुना ज्यादा चालाक समझकर अपनी योजना बना रहे थे और खुद को मेंटली इस बात के लिए तैयार किए थे कि जो डील होगी उसमें अगर हारे तो जितना कहां है। इस योजना के तहत लंबा पैसा फेका जा चुका था, जिसकी भनक शायद ही किसी को नहीं थी।


6 दिसंबर की सुबह अपस्यु के फ्लैट में एक छोटी सी मीटिंग रखी गई, जहां आरव, स्वास्तिका और मिश्रा ब्रदर्स थे। स्वास्तिका को चूंकि अंत में सामिल किया गया इसलिए वो थोड़ी खफा भी हुई, लेकिन अपस्यु और आरव ने सारा मामला संभाल लिया।


जिस बड़े काम में वो हाथ डालने जा रहा था, वहां परिवार की सुरक्षा एक अहम मुद्दा था। इसलिए आरव को शक्त निर्देश मिले की मिश्रा बंधु और उनका पूरा परिवार, साथ में ध्रुव भी 22 दिसंबर से लेकर 5 जनवरी तक राठौड़ मेंशन में ही रहेगा। परिवार की पूरी जिम्मेदारी एक सिक्योरिटी टीम पर शौंप दी गई है। 15 लोगो की ये टीम राठौड़ मेंशन के बाहर कहीं है, जो किसी भी तरह के दुश्मन को तबतक रोककर रख सकती है जबतक कि फोर्स ना आ जाए।


हालांकि मिश्रा बंधु ने अपने कम अक्ल होने का परिचय एक बार और दिया, किन्तु आरव ने उन्हें आंखे दिखाकर शांत रहने और बात मान लेने के लिए कहा। आरव की बात सुनकर दोनो भाई राजी ही गए और सभी योजना कर अपनी हामी भर दी।
logan apshue khilona jaana
rashpadr jhatke ke liye tiyaaar ek aur nayi update atiutam hai dost.
 

Anky@123

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Haan aur kahani par chhote chhote vichar ke baad ek overall final vichar jaroor dijiyega
100 percent pura time deker ek accha review dunga ,baki aapki lekhni jo salam
 
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Reactions: Nevil singh

nain11ster

Prime
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ab param aur uske bhai bahano se hi akhiri ummid hai... yeh log milke achha sabak sikhaye us imli aur apsyu ko... chaahe kuch bhi ho jaaye chahe Jamin asman ek hi kyun na karni pare par apsyu aur imli ko jamin pe utarni hai... bahot ud liya indono ne aur inke lallu gang ne.. Karma waiting pe hai jaldi hi saza milegi in dono ko...
nain11ster saheb ye anupriya kidhar hai :?: ushe bhi entry karaiye story mein
Btw let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill nainu ji :applause: :applause:

Hahaha ... Dekhiye nasiba kahan le ja raha hai dono ko .. aur karma kiske sath kya insaf karta hai... Shayad aap ki dua kabool ho :D hum to yahi dua karenge ... Lekin log kahte hai meri mangi dua hamesa ulta parinam deti hai :D ... Kahiye to ulti dua maang lun..
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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31 दिसंबर… 2014… शाम के 5 बजे..


अपने लाइव प्रोग्राम और ऑनलाइन डिबेट से तहलका मचाने वाले सात्त्विक आश्रम के संचालक, एक बड़े से हॉल के मंच पर बैठे हुए थे। अपने भक्तों के अनुरोध पर अपने जीवन से जुड़ी हर घटना पर प्रकाश डालने आये थे, जिसके लाइव शो के सवाल और जवाब की प्रैक्टिस पिछले 2-3 घंटे से यहीं पर चल रही थी।


टीवी जगत के 3 बड़े चैनल ने अलग-अलग जगह के लाइव शो के राइट खरीद लिए थे। ऑडिटोरियम में बैठे तकरीबन 200 खास दर्शक, जिसमे ज्यादातर युवा थे, हर कोई दोनो का नाम लेकर चिल्ला रहे थे। ऑडिटोरियम में बाहर बड़े से मैदान में चारो ओर स्टूडेंट ही स्टूडेंट थे, जो बाहर लगे बड़े-बड़े कई सारे स्क्रीन पर इस शो को देखते और बाहर से किसी आनेवाले को बाहर ही रोके रहते। वहीं होम मिनिस्टर साहब ने चैनल के स्टूडियो के बाहर कुछ फोर्स, और रिले रूम और एडिटिंग रूम में भी फोर्स डाल चुके थे, ताकि इस प्रोग्राम को बिना बाधा के चलाया जा सके।


मंच आयोजक पूरे गर्मजोशी के साथ अनुप्रिया और महिदिपी का नाम चिल्ला रहे थे। दोनो ही मुख पर मुस्कान और चेहरे पर सरलता के साथ, दोनो हाथ उठाकर आशीर्वाद देते हुए चले आए।


महिदीपा अपने हाथो में माईक थामते…. "जय जय कार तो केवल उस प्रकृति की होनी चाहिए, जिसने हमें जीवन सृजन दिया, जीने की अनुकूल माहौल दिया, ऐसा इकोसिस्टम विकसित किया, जिसमें हर जीव-जंतु तथा पेड़०p-पौधे अपना भरन पोषण कर सके।"


मंच संचालक:- क्या बात है गुरुजी, आज ऐसा लग रहा है, जैसे लोगों को उनकी करतूत और प्रयावरण के ऊपर खूब डांट पड़ने वाली है।


अनुप्रिया:- माफ कीजिएगा संचालक महोदय, मै एक बार फिर अपने सुनने वाले को बताना चाहूंगी, हम जो यहां बोलते है उसमे ऐसा कुछ नया नहीं है जो पहले कभी आपने नहीं सुना है। मै केवल एक ही बात पर जोड़ देती हूं.. और वो क्या है…


भिड़ चिल्लाते हुए… "सुनने से कुछ नहीं होता वो हमे केवल भटकाता है, सुनने के बाद उसपर अमल करने और उस संदर्व में काम करने से होता है।"


मंच संचालक….. "क्या खूब कही आप। आप दोनो कृपया बैठ जाए। अब हम गुरु महिदिपी और अनुप्रिया की जिंदगी को और करीब से जानने के लिए, मै बुलाना चाहूंगा आप सब के चहेते और दिल्ली में इनकी जोड़ी को सबसे ज्यादा लोगो ने सराहा है, मिस्टर अपस्यु रघुवंशी। जोरदार तालियां हो जाए इनके लिए भी..


हैवी इंटेंस संगीत चारो ओर बजने लगा हो जैसे। अनुप्रिया और महिदिपी के चेहरे की रंगत बिल्कुल उड़ गई। दोनो भौचक्के खड़े होकर ऐसे देख रहे थे मानो सामने से भूत चलकर आ रहा हो।.. चेहरे की सारी खुशियां जैसे हवा हो गई हो।


"हमारा इंटरव्यू ये थोड़े ना लेने वाला था।".. अनुप्रिया थोड़ी घबराई सी आवाज में पूछने लगी।


मंच संचालक:- नहीं मैडम यही तो है ए.आर.. इनकी अनुपस्थिति में आपसे स्टूडियो का एक लड़का बस डेमो सवाल पूछ रहा था। इतने में अपस्यु वहां पहुंचकर माईक अपने हाथ में लिया और दोनो को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा… "मेरे स्वागत में इतनी बड़ी हस्ती खड़ी हो गई, वहीं मेरे लिए काफी है। बैठ जाइए सर, बैठ जाइए मैम। आप दोनो कुछ घबराएं से है, तबीयत तो खराब नहीं हो गई कहीं।"..


अनुप्रिया:- संचालक महोदय जी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही, हम जाना चाहते है।


संचालक:- सर, मैम.. 400 करोड़ का स्पॉन्सर है और आपने हमसे 200 करोड़ लिए मांग किया था, चाहिए तो 20 करोड़ और बढ़ा लीजिए लेकिन है प्रोग्राम छोड़कर मत जाइए।


महिडिपु:- पहले इस लड़के को हटाओ, फिर हम यहां रुकेंगे।


संचालक:- मैडम ये बिल्कुल नहीं जा सकता पुरा शो का फाइनेंसर यहीं है। और ये उतना भी सारिफ नहीं उसने यदि दावा ठोका ना तो कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक आपको तत्काल 400% भुगतान करना होगा।


अनुप्रिया और महिदिपी आपस में कुछ चर्चा करते, तभी माईक पर अपस्यु की आवाज गूंज गई… "लगता है अनुप्रिया और माही जी तय नहीं कर पा रहे की उन्हें सवालों के जवाब देना चाहिए या नहीं। शायद उनका भूतकाल उतना अच्छा नहीं, लेकिन इन्हीं की एक कहीं बात याद आ रही है… 'जो अपने अतीत से मुंह छिपता है जरूर या तो वो कायर है या फिर उसने अपना मुंह इतना काला किया है कि खुद की शक्ल याद नहीं करना चाहता।"..


अपस्यु की बात सुनकर महिदिपी फीका मुस्कुराया… "लगता है ये लड़का भ्रम की दुनिया से निकलकर आया है। अभी ही इसकी बातो में इतना रोष है, ऐसा प्रतीत होता है कि हमे बदनाम करने का मन बनाकर आ चुका है।"..


अपस्यु:- लेकिन आप तो गुरु कहलाते है ना महाशय। ज्ञान के प्रकाश से जो अंदर के अन्धकार को भगा दे, वो गुरु। रोष तो केवल माध्यम मार्ग है गुरुदेव, जो अंदर के विकार को निकालता है। और यदि मेरे अंदर कोई विकार है, तो उसे समझकर शांत करने हेतु आप अपने ज्ञान की वाणी मुझे दें, यही तो गुरु कर्तव्य है। फिर भी मै अपने सवाल आपसे नहीं पूछूंगा.. बल्कि लोगों ने बहुत से सवाल पूछे है, उन्हीं में से मै सवाल पूछूंगा। अब खुश है आप।


दोनो एक साथ.. "बालक हमे किसी प्रकार के सवाल से कोई भय नहीं है। जैसे तुम्हारी मर्जी हो सवाल पूछिए।"


अपस्यु:- चलिए तो शुरू करते है। ये सवाल है लगभग 20 लाख लोगों ने पूछा है.. आप दोनो के गुरु कौन थे, जिनसे आपने शिक्षा प्राप्त की थी..


अनुप्रिया:- हमारे कोई जीवित गुरु नहीं थे जिनसे हमने शिक्षा ली हो, लेकिन हां कुछ वक़्त तक हम गुरु निशी के आश्रम में रहे थे और उनकी सेवा की थी।


अपस्यु:- आप सबको मै बताना चाहूंगा कि मैंने भी अपने प्रारंभिक जीवन के कई साल गुरु निशी के "आध्यात्म गुरुकुल नमः" का छात्र रह चुका हूं। जानकर अच्छा लगा कि आपने कुछ साल उनकी सेवा की है। चलिए अब आगे बढ़ते है.. लगभग 40 हजार लोगों ने यह सवाल अभी-अभी किया है ऊपर स्क्रीन पर नजर आ रहा होगा। इस वक़्त गुरु निशी कहां है?


महिदिपी:- क्यों तुम्हे नहीं पता जो मुझसे पूछ रहे हो? तुम तो उसके शिष्य भी राज चुके हो।


अपस्यु:- सर यहां आप दोनो के जीवन के बारे में लोग जानना चाह रहे है, उनसे जुड़ी बातें। इसलिए कृपा आप अपने उत्तर दे दीजिए, मुझे कुछ जानकारी हुई तो मै साझा कर दूंगा।


अनुप्रिया:- उनकी सेवा करने के बाद मै वर्ष 1983 में अपने भाई महा के साथ देहरादून चली आयी। फिर हमने देश विदेश घूमकर गुरुकुल शिक्षा का प्रसार किया। उसके बाद फिर हमे कोई जानकारी नहीं गुरु निशी के बारे में।


अपस्यु:- हम्मम ! शायद टेक्नोलॉजी का प्रसार उस दौर में उतना नहीं रहा हो इसलिए आप संपर्क में नहीं रह पाई। दर्शकों के सवाल का जवाब देते हुए मै बता दू की गुरु निशी को वर्ष 2007 में आग के हवाले कर दिया गया था। जिन्होंने उन्हें मारा वो केवल वही तक नहीं रुके, उस आग में उनके 160 शिष्य को भी जिंदा जला दिया गया था। वहां कुछ आश्रम के बाहर के लोग भी थे, जो जीने के ग्रीष्म कालीन छुट्टी में आए थे।

उन जलने वाले बाहरी लोगों के जलने वालों में एक मेरी मां भी थी। मेरी होने वाली पत्नी जो हर साल गुरुकुल छुट्टियों में आती थी, उसकी मां और उसका भाई भी उसके आग के हवाले झोंक दिया गया था। उस घटना के साक्ष्य बने कुल 5 लोग किस्मत से बचे थे, जिसमे से एक मै, दूसरा मेरा जुड़वा भाई आरव, तीसरा पार्थ, चौथी गुरी निशी की गोद ली हुई पुत्री स्वास्तिका, और पंचवि ऐमी बच गई थी, जो गर्मियों कि छुट्टी में नैनीताल आश्रम आयी हुई थी। शायद यहां सुनने वालों को यकीन ना हो, इसलिए 2007 के उन हादसों की कुछ तस्वीरें मै आप सबसे साझा करना चाहूंगा, यह कहकर कि यदि आपका दिल कमजोर है तो यह तस्वीरें नहीं देखे।


अपनी बात कहकर अपस्यु ने खींची गई हर तस्वीर को दिखाया, जो पहाड़ के ऊपर मंदिर से उन लोगो ने फोकस करके ली थी। जहां साफ-साफ देखा जा सकता था, कुछ लोग हथियार लिए आश्रम में घूम रहे थे। एक बड़ा सा विकराल हवन कुंड कुवां, जिसमें जिंदा जलाए हुए लाश, जो एक के ऊपर ढांचे बने राख के ढेर में थे, और वहां आस पास घूमते लोग। दुनिया भर के 12 करोड़ दर्शक कब 22 करोड़ हुए किसी को पता नहीं चला।


अपस्यु से जुड़े सभी लोग पहली बार उसके मुंह से पूरी सच्चाई सुन रहे थे, आखों के सामने वो विचलित करने वाली तस्वीरें देख रहे थे। हर कोई स्तब्ध और बिल्कुल मौन सा था। अपस्यु को जानने वालों को अब समझ में आ रहा था कि क्यों वो इतना रहस्यमई है। अपस्यु के आग्रह पर फ्रांस में अनुप्रिया के बच्चो को भी ये प्रोग्राम दिखाया जा रहा था।


कंजन ने जब पहली बार अपनी बहन के बारे में सच्चाई सुनी, वो धम्म से बेहोश हो गई। पायल मुंबई में बैठी ये प्रोग्राम देख रही थी और अब पहले से ज्यादा आत्मग्लानि मेहसूस कर रही थी, क्योंकि जिस हादसे को लेकर वो अपस्यु और उसके परिवार से खफा थी, खुद उसके जीवन में भी भीषण हादसा हो चुका था।


अजिंक्य, एसपी अशोक बंसल, होम मिनिस्टर, और सौरव भी देख रहे थे। खैर अपस्यु का तो पुरा परिवार ही इस प्रोग्राम में मौजूद था, जो रो रहा था। किसी के आंसू रुके नहीं रुक रहे थे। केवल वहां शांत और मुसकुराते हुए 3 लोग थे, अपस्यु, आरव और ऐमी। कुछ आश्चर्य के भाव महिदिपी ने दिए, तो अनुप्रिया फुट फुट कर रोना शुरू कर दी। थोड़ा सा ड्रामा हुआ और फिर अपस्यु बोलना शुरू किया।


"कोई बात नहीं है, शायद आप उस दौर में मसरूफ ज्यादा थी। बहरहाल जो 2 करोड़ दर्सकों के सवाल है वो ये कि अनुप्रिया जी की शादी किससे हुई थी।".. अपस्यु गुरु निशी से हटकर सवाल का पूरा मूड चेंज कर दिया..


अनुप्रिया अपस्यु को घूरती हुई… "हमारी गुप्त शादी थी, मै लोगो के बीच इसे साझा नहीं करना चाहती।"..


अनुप्रिया का यह जवाब सुनकर तो मानो सवालों कि बौछार लग गई… "अनुप्रिया जी 10 करोड़ लोग कह रहे है, गुप्त तो गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड का रिलेशन होता है, आप पति से रिश्ता गुप्त रख रही।"..


अनुप्रिया:- जी मै पुराने रिती रिवाज को मानती हूं और मै अपने पति का नाम ना तो बोल सकती हूं और ना ही लिख सकती।


अपस्यु:- जी हम आपकी भावनाओं की कदर करते है, ये सवाल हम आपके भाई महिदिपी से पूछ लेते है। सर आप ही कुछ प्रकाश डाले इस सवाल पर।


महिदिपी, माईक को ऑफ करके धीरे से कुछ कहने कि कोशिश करने लगा, तभी बैठे हुए लौंडे चिल्लाने लगे… "सर क्या भूत से विवाह हुआ था, जो लीपा पोती कर रहे हो।"..


महिदिपी, ना चाहते हुए भी…. "चन्द्रभान रघुवंशी"..


अपस्यु:- दर्शक साफ सुन नहीं पाए, क्या कहा आपने…


महिदिपी:- चन्द्रभान रघुवंशी।


अपस्यु:- "जिन लोगो को पता नहीं उन्हें मै बता दू की चन्द्रभान रघुवंशी वहीं व्यक्ति है, जिन्होंने मेरी मां को उस आग में झोंक था। उस अग्नि कुंड में पहली जिंदा जलने वाली और जिसकी चींख उन वादियों में सबसे पहले गूंजी थी। एक और बात है इसमें भी, वो चन्द्रभान रघुवंशी और कोई नहीं मेरा पिता था और मै अनुप्रिया जी का सौतेला बेटा हूं। शायद इन्हे ये बात ज्ञात ना हो।"

"चन्द्रभान रघुवंशी का एक छोटा भाई था भूषण रघुवंशी, जिनकी धरम पत्नी का नाम है नंदनी रघुवंशी, जिसके पूरे परिवार को साजिश के तहत 2006 में मार दिया गया था। आप सबने शायद 15 अगस्त की वो न्यूज देखी हो। दोनो कांड आपस में लिंक थे। चन्द्रभान रघुवंशी ने ही मेरी छोटी मां के चचेरे भाई को, मायलो ग्रुप को हथियाने का काम सौंपा था और खुद अपने छोटे भाई का कत्ल करवाकर, मेरी छोटी मा और बहन को दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया। उफ्फ ये खौफनाक इतिहास, दौलत और ताकत की जंग।"


अनुप्रिया उठकर वहां से जाने लगी तभी अपस्यु उसे रोकते हुए… "आप लोगो को शायद पता हो कि ना हो लेकिन महिदिपी के पुत्र रुद्रा और अनुप्रिया की के पुत्र युक्तेश्वर और हंस दोनो इस वक़्त फ्रांस की जेल में है। इन तीनों ने मिलकर कुछ दिन पहले फ्रांस कि बड़ी बैंक बीएनपी परिबास में 300 बिलियन यूरो की चोरी को अंजाम दिया था। ये देखिए फ्रेंच पुलिस का स्टेटमेंट.."


जैसे ही स्क्रीन पर फ्रेंच पुलिस को लोगो लाइव देखा और सुना, सब के सब शॉक्ड हो गए। अनुप्रिया और महिदिपी दोनो अपस्यु के पास आकर उसका कॉलर पकड़ते.. "तुम्हे तो मै कोर्ट में देख लूंगी लड़के, चलो माही।"..


अपस्यु:-" क्या हुआ अनुप्रिया जी महिदिपी जी.. सवालों से इतना भी क्या घबराना। शायद आपको पता नहीं तो मै बता दूं…. अभी-अभी मैंने बड़ी मुश्किल से अपने पूरे परिवार को दिल्ली के सबसे ख़तरनाक इलाके से बचाकर ला रहा हूं, जहां अनुप्रिया और महिदिपी के 2 पुराने साथी ने मेरे बचे हुए परिवार को मारने कि पूरी साजिश रच दी थी।"


अपस्यु की बात सुनकर तो जैसे अनुप्रिया और महिदिपी झटके पर झटका खा रहे थे। दोनो किसी भी तरह से यहां से निकलने की कोशिश में जुट गए लेकिन तभी अनुप्रिया की पूरी प्रमोशनल टीम मंच पर आ गई। दोनो को आराम से बिठाकर घेर लिया गया। इनके बॉडीगार्ड जो मंच पर आने के लिए पगलाए थे, उन्हें वीरदोयी का फटका लगा और वो चुपचाप जाकर कोना पकड़ लिया।

2 मिनट के इस विराम के बाद अपस्यु फिर अपनी बात आगे बढ़ने लगा……. "हां तो बात हो रही है अभी और आज के ताजा घटना की जहां 14 लोगों को मारने कि साजिश रची जा चुकी थी जिसमे मुख्य था मेरा पूरा परिवार, मेरी होने वाली पत्नी ऐमी के डैड, मेरे भाई के होने वाली पत्नी के पुरा परिवार।"

"और इस साजिश में सामिल है अनुप्रिया के नाजायज पति राजीव मिश्रा, जिनसे इनका एक पुत्र भी है युक्तेश्वर। और दूसरा है मुख्य साजिश करता है, मनीष मिश्रा जिसकी एक और नाजायज पत्नी है, जिसकी बेटी श्रेया मिश्रा को कुछ दिन पहले मेरे पीछे लगाया गया था। आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि राजीव मिश्रा और मनीष मिश्रा का परिवार ही मेरे भाई का ससुराल है। और ये दोनो भाई भी मेरे बाप के पर चिह्न पर चलते हुए अपनी ही पत्नी और बेटी का बली चढ़ाने का रहे थे। वह रे पैसा और ताकत की माया।"

"अनुप्रिया जी से मै एक बात समझने कि कोशिश कर रहा हूं, कि पहली बार मेरी मां इनके पति के हाथो मारी गई। कई सालो बाद जब अपने टूटे परिवार को जोड़ लिया, तो भी इस बार इनके नाजायज पति और उसका भाई बीच में आ गया मेरे परिवार को मारने। अनुप्रिया जी से गुजारिश है कि वो बता दे उनके और कितने पति है, जो आने वाले भविष्य में मेरे परिवार के लिए तो खतरा है ही, साथ ही साथ अपने परिवार के लिए भी ना कहीं खतरा बन जाए।"


अनुप्रिया:- कमाल का शो होस्ट किया है, ऐसा लग रहा है एडिटिंग और फिक्शनल स्तिरी से इस शो के टीआरपी में चार चांद लगाने की कोशिश की जा रही है। प्रोग्राम तो ऑर्गनाइज हुआ था मेरे जीवन पर प्रकाश डालने के लिए, और यहां मंच संचालक ना जाने क्यों अपने जीवन की कहानी को मुझसे जोड़ रहा।

बेटा जब तुम्हे अपने बारे में ही पूरी कथा बतानी थी फिर मुझे क्यों बुलाया यहां। तुम्हारी को तुम्हारे पिता ने मारा, और गलती से वो मेरा पति भी था। हां वो मेरा पति भी था, तो क्या उसने मुझे धोका नहीं दिया। उसके बाद मै बड़ी ही सलिंता से शांत बैठकर अपने चरित्र पर लांछन लगते देख रही, और तक मेरे चरित्र को भारी सभा में उछाल रहे। क्या मै तुमसे जान सकती हूं कि ऐसा कौन सा पति होगा जो अपनी पत्नी को जिंदा आग में झोंक दे? क्या कहानी रही होगी उस पति की भी, जिसकी पहले से एक पत्नी हो लेकिन किसी ट्रिया चरित्र की औरत के मोह में वो पर गया हो और उस इंसान का जब भ्रम टूटा हो, असलियत आखों से दिखी हो तब वो मजबूर होकर ऐसे कदम उठा लिया हो।

मेरा परिवार सिर्फ मै और मेरा भाई और हमारे बच्चे है। इसके अलावा कोई अपनी निजी जिंदगी में क्या कर रहा है उसका दोषी यदि मुझे बनना है तो कोई बात नहीं, हम वो भी सह लेंगे, क्यों आक्रोशित होकर धैर्य खोना हमने नहीं सीखा। शायद इस सभा में मेरी कुछ ज्यादा ही बेज्जती हो चुकी है इसलिए आप लोगो से इजाजत चाहूंगी, आप लोगों ने इस लड़के की सुनी मेरी भी सुन किए अब फैसला आओ हाथ में है। हम बीच ने जा रहे है इसके लिए क्षमा चाहती हूं।


अपस्यु जोड़ जोड़ से हंसते हुए… "अच्छा बोल लेती है आप अनुप्रिया जी, बहुत अच्छा। लेकिन मैं यहां पर जो भी बोल रहा हूं, उनके सबूतों कि कॉपी यहां के कानून व्यवस्था के पास पहुंच चुकी है। इसलिए आराम से बैठ जाओ अनुप्रिया और महिदिपी, बाहर पुलिस ही इंतजार कर रही है। जिन लाशों के सीढ़ी पर चढ़कर तुम दोनो भाई बहन यहां तक पहुंचे हो, उस कीर्तिमान को तो सुनते चले जाओ।.. अच्छा लोग बोर हो रहे है ये फैमिली ड्रामा सुनकर, इन्हे रिफ्रेश करने के लिए एक फिल्मी अमाउंट बताता हूं, साथ में सबूत भी दिखेंगे स्क्रीन पर.. पेश है अनुप्रिया और महिदिपी के जिंदगी से जुड़ी एक और सच…


"ये फिल्मी कहानी कुछ इस प्रकार है, एक क्लोज डोर मीटिंग हुई और यहां मौजूद पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मिलकर, अपनी काली कमाई को एक जगह जमा किया, जो था अनुप्रिया का काला खाते। कारन इसके पीछे तो वर्ष 2016 में होने वाले लोकसभा इलेक्शन में, ये पुरा देश को अपने मुट्ठी में रखे।"

"ये थी एक फिल्मी कहानी अब इनकी काली कमाई दिखता हूं आपको स्क्रीन पर, जिसका सबूत और एफ आई आर हो चुका है। पैसे कैसे और कौन-कौन अकाउंट से कहां कहां पहुंचे उसका पूरा ब्योरा।"

"जो लोग ज़ीरो नही गिन पा रहे, या अंक की गणना नहीं कर पा रहे, उन्हें मै बता दू ये अमाउंट डेढ़ लाख करोड़ रुपया हैं। इस काले धन को केवल 3 लोगों ने मिलकर जमा किया है, जिसका 80 हजार करोड़ अनुप्रिया और महिदिपी, और 70 हजार करोड़ पक्ष और विपक्ष के मुख्या पार्टी के पार्टी अध्यक्ष का है। इस सच्चाई को बाहर लाने में मददगार साबित हुए श्रीमान होम मिनिस्टर और उनकी पूरी टीम, जिन्हे शक था कि राजीव मिश्रा और मनीष मिश्रा जैसा टॉप ब्रेन, जो ऊपर से दिखाने के लिए गुंडों जैसा व्यवहार करता है, अंदर से जरूर कोई खिचड़ी पका रहा है।"

"और जब उनकी छानबीन आगे बढ़ी तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया, क्योंकि इनकी कब्र खोदने के पीछे मै तो 2007 से लगा हुआ था, जिसमें हमारी मार्गदर्शक रही मेरी मां की करीबी दोस्त और राजीव मिश्रा की धर्म पत्नी सुलेखा मिश्रा, जिसके एक छोटी सी बात ने 2008 में ही 160 शिष्यों के साथ गुरु निशी की हत्याकांड के सभी आरोपी को बेनकाब कर दिया था। उनका साफ कहना था, दोनो मिश्रा बंधु को केवल फॉलो करो, तुम्हें धीरे-धीरे सब मिल जाएंगे। वक़्त लगा इनके किए की सजा दिलवाने में लेकिन मै आज सुकून में हूं।"


15 अगस्त 2014 की सुबह के न्यूज के पीछे का कारन भी मै ही हूं, लेकिन तब मैंने अनुप्रिया और महिदिपी से अलग हुए इनके साथी विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल को उनके तत्काल गुनाह, और कुंवर सिंह राठौड़ के मर्डर में लपेटा था, लेकिन आज पूर्ण सच्चाई सबके सामने है।"

"मै हर उस इंसान से माफी चाहूंगा जिसका इस्तमाल मैंने अपने योजना के अंतर्गत किया। फिर चाहे मुझे यूएस सीनेटर प्रकाश जिंदल और इनसे अलग हुए ग्रुप को फसने के लिए, मनीष मिश्रा की बेटी साची को ट्रैप करके उसका इस्तमाल करना परा हो, या फिर मेरे दोस्त और होम मिनिस्टर जी के लड़के सौरव हो, जो मेरे एक कहने पर बिना ये सोचे कि उसके पापा सेंट्रल मिनिस्टर है और यदि वो कोई लड़की को गलत ढंग से छेड़ता है तो बहुत बदनामी होगी, फिर भी साची को ट्रैप करने के चक्कर में खुद की बेज्जती सह लिया, लेकिन दोस्त की मदद के लिए आगे खड़ा रहा।

आज सौरव और मेरे पुराने कॉन्टैक्ट सोमेश के वजह से मेरा परिवार जिंदा है। क्योंकि दिल्ली की जिन गलियों में मेरे परिवार को मारने कि योजना बनी थी, वहां 20 पुलिस वाले को सड़क पर मार दिया गया था और उस गली से एक भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। आज भी मैंने उसी सौरव और अपने पुराने एक और दोस्त जो उम्र में काफी बड़े है और जिन्हे मै अंकल कहता हूं सांसद सोमेश दत्त, वो उस गली में घुसे और मेरे पूरे परिवार को निकालने मै मदद कि।.. मै माफी चाहूंगा सोमेश दत्त की बेटी लिसा से भी, जिसे मैंने ट्रैप किया और अनुप्रिया के आश्रम भेजा सवाल जवाब करने और टीबी जगत पर उन्हें आने के लिए प्रेरित करने।


इसी क्रम में यहां मौजूद उन स्टूडेंट्स सब का भी शुक्रिया, खासकर विकास, मालविका, निशा, खुशी और उसके अन्य दोस्त, जो एक गलत राह पर भटके थे फिर मैंने उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तमाल किया और दिमाग में यह डाला की अनुप्रिया से सवाल जवाब करे। अनुप्रिया दिल की कली जरूर है लिकन वो गुरु निशी की शिष्य है, जिसके जवाब सुनकर सबका बौद्धिक विकास हुआ। उसका प्रचार हुआ और एक प्रोग्राम उसका करोड़ कि टीआरपी में गया। अनुप्रिया को मै आज के लिए इस मंच पर देखना चाहता था। ताकि आज जब मै उन लोगो को वास्तविक बता सकूं कि मै ऐसा क्यों हो गया, मैंने उनका इस्तमाल क्यों किया, जब मै ये कहानी पूरी दुनिया के सामने खुलकर बता सकूं, तब ये दोनो भी सुन सके।

मेरे इतने लंबे इंतजार के सफर के 2 मुख्य साथी, मेरे गॉडफादर और गॉडमदर जिन्होंने मुझे इस लायक ट्रेंड किया की मै इन जैसे का सामना कर पाऊं वो कुछ दिन पहले ही देश के लिए सहीद हो गए। वो जहां कहीं भी इस वक़्त होंगे, मेरी मां जहां कहीं भी होगी, मेरे साथ बड़े हुए वो 160 मित्र, ऐमी की मां और उसका भाई, मेरे अंकल, मेरी छोटी मां का पूरा मायका.. सब के सब.. आज जरूर खुश होंगे।

मै बदले कि राह पर नहीं था इसलिए इतने मौत होने के बावजूद भी मैंने किसी को नहीं मारा। मारना तो इनके लिए मुक्ति होती। बस जिस पैसे और पॉवर के लिए कइयों के मासूम जिंदगी में ये जहर घोल चुके, उसका पूरा भुगतान किए बिना इन्हे मरने कैसे देता। इनसे इनका पैसे छीनना था, सो मैंने छीन लिया। इनकी पॉवर छिन्नना था, वो भी मैंने छीन लिया। सबूत जमा कर दिए गए है, कोर्ट सजा भी तय करेगी इनका, ये वादा है। और आज नहीं मै 7 साल बाद इनसे पूछूंगा, क्या हासिल किया तुमने इतना लाश का ढेर बनाकर।

सॉरी जिन स्पॉन्सर का आज एड नहीं चल पाया, वो कृपया अपने अमाउंट वापस लेते जाएगा। इसी के साथ मै अपने और अपने परिवार के ओर से आप सभी से इजाजत चाहूंगा। अब शायद मेरा दिल रोने का हो रहा है और यहां रुक पाना काफी मुश्किल।


अपस्यु ने जैसे ही बोलना बंद किया.. स्क्रीन पर सवालों के बौछार लग गए। चन्द्रभान का क्या हुआ.. चन्द्रभान का क्या हुआ..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "उस रात 120-130 लोगो की टीम आयी थी, जिसमें से मात्र कुछ लोग वापस गए, बाकी अनुप्रिया जी की अनुकम्पा से इन्होंने सबूत मिटाने के नाम पर, उन्हें भी नहीं छोड़ा जिन्होंने उस कुंड में जिंदा लोगों को डाला था। उन्हीं में से एक चन्द्रभान रघुवंशी भी था, जिसे उन्ही के साथियों ने आग के हवाले कर दिया (पिता की मौत की असली वजह को छिपा लिया गया।)


एक लंबे दौर का समापन सा हो चला हो जैसे। प्रोग्राम समाप्त होते ही अपस्यु अपने आप में टूटा हुआ मेहसूस कर रहा था। ऐसे ही कुछ फीलिंग स्वास्तिका, ऐमी और आरव की भी थी। किसी से भी अब ज्यादा देर रुक पाना मुश्किल हो रहा था। वो चारो तेजी के साथ एक कमरे में दाखिल हुए और सीधे जाकर बेड पर रोना शुरू कर दिया।
Waah bhai kya kahe Marvelous update
Akhirkar Anupriya aur mahidip ka sach sabke samne lakar unko unki karm phal dediya au iis sabke piche mishra brother the parde ke piche rahke game khel rahe the Awesome
 

Chinturocky

Well-Known Member
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Update:-156






दृश्य:- हम्मम ! भाई होने के नाते एक मदद और कर दो अपने भाई की?


अपस्यु:- के एन शर्मा, उत्तर प्रदेश के जौनपुर क्षेत्र में मिल जाएंगे। मेरे गॉडफादर अक्सर कहते थे, जिंदगी में जब भी खाली रहो उनके पास वक़्त बिताओ। शायद ये आपका भी खाली समय है और आपको भी वहां वक़्त बिताना चाहिए। आगे आपकी मर्जी है।


दृश्य, अपस्यु के गले लगकर उसे जेके का बैग थमाते हुए… "थैंक्स भाई, मै उनके पास वक़्त बीतता हूं, वहां जाने से पहले मै तुझसे मिलकर जाऊंगा।


अपस्यु:- उम्मीद है आप अपने नए सफ़र कि मंजिल को जरूर तय करे।


दृश्य अपने परिवार के साथ वहां से निकल गया। पिछले 13 दिन में पायल 26 बार अपस्यु से माफी मांग चुकी थी। उसे अपने कहे शब्दो पर गिल्ट मेहसूस हो रहा था। वैली की हालत देखते हुए उसे वहीं एक दोस्त के पास छोड़ दिया गया, यानी कि स्वास्तिका के साथ। जिसके साथ मिलकर वैली 2 दिनों से हॉस्पिटल के काम में पुरा ध्यान दे रही थी।


"क्या खडूस क्या सोच रहा है।"… एक शाम अपस्यु घर की लॉन में अकेला बैठा हुआ था, तभी वहां आरव, लावणी के साथ पहुंचते..


लावणी:- भईया आपको ना आचार्य महिदिपी और उनकी बहन अनुप्रिया को सुनना चाहिए, दोनो आपके ज्ञान के भंडार को बढ़ा देंगे।


अपस्यु:- ऐसा क्या खास है उन दोनों में?


लावणी:- आप टीवी नहीं देखते क्या, आज कल टीवी पर उनके भक्त क्या डिस्कशन करते है। वो आपके फ्लोर पर रहती है एक लड़की मालविका और उसका बॉयफ्रेंड विकास, दोनो तो पुरा हिलाए हुए है।


अपस्यु:- ओह हो हमारी लावणी तो उनकी फैन हो गई।


लावणी:- फैन तो मै आपकी भी होती लेकिन आपने बहुत परेशान किया है मुझे।


"अच्छा जी, मेरे भईया को छोटी आंख वाला कहा था किसी ने, मुझे याद आ रहा है। क्यों भाई ऐसे ही कोई शब्द कहे थे ना राखी पर।"…. कुंजल उनके बीच पहुंचती हुई बोली।


आरव:- हां तो ठीक ही बोली थी क्या गलत कहा था लावणी ने।


कुंजल:- देख लो भाई अभी से, होने वाली बीवी की पक्ष ले रहा है।


अपस्यु:- होने वाली बीवी जब इतनी प्यारी हो तो इतना तो पक्ष लेना बनता ही है ना। क्यों लावणी?


लावणी बेचारी शर्मा गई और वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी, लेकिन आरव ने उसका हाथ छोड़ा ही नहीं। …. "हां तो इकलौती बीवी है ऊपर से इतनी प्यारी भी। बड़े पापड़ बेले है मैंने इसके लिए।"


अपस्यु:- हां वो तो हम सबको याद है, पापड़ तूने बेले थे या दारू पिला कर तस्वीरें ले कर ब्लैकमेल किया था?


कुंजल:- क्या ? क्या ? क्या ?


लावणी अपनी हाथ छुड़ाकर दौड़कर गई अपस्यु के पास और उसके मुंह पर कसके अपने दोनो हाथ रखकर, उसका मुंह बंद करती…. "नहीं भईया प्लीज, आपको मेरी कसम जो किसी को कुछ बताया तो।".… इतना कहकर सामने आरव को घूरते… "ये सब तुम्हारा किया धारा है आरव, क्या कहा था तुमने हम दोनों के बीच की बात है, कोई तीसरा जान ही नहीं सकता। अभी घूमने निकलेंगे फिर मै दिखाती हूं।"


कुंजल :- नहीं मुझे जानना है, प्लीज कोई बताओ वरना मै दोनो में से किसी से बात नहीं करूंगी, मै भी कसम लेती हूं..


आरव:- यहां क्या तुम दोनो प्रतिज्ञा-प्रतिज्ञा खेल रही हो। कॉलेज के एक लफड़े से निकालने के लिए, और साची दीदी के वो डर भागने वाले कुत्ते के कॉन्सेप्ट को काटने के लिए, मैंने लावणी के डरपोक कैरेक्टर में दारू का मोटीवेशन डाला था और इसका नतीजा ये हुआ कि लावणी ने जो ही उस लड़के का हाल किया। उसके बाद ये बहुत खुश थी और मुझे लावणी से प्यार। ये खुश होकर नशे मै मुझे चूमती रही और मेरे मोबाइल से सेल्फी लेती रही। बस इसी बात फायदा बाद में मिलने के लिए उठाया था। और बेबी तुम जब अपस्यु को बताने के लिए डांट ही रही हो तो उसमे कुंजल वाला भी एड कर लेना। सब हिसाब किताब आज बराबर कर लेना।


लावणी गुस्से में उसके पास पहुंची और उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। उसे बाहर जाते हुए देख कुंजल और अपस्यु जोर जोर से हंस रहे थे।…. "तुम दोनो को शर्म नहीं आती, जब देखो तब लावणी को छेड़ते रहते हो।"… नंदनी दोनो के सर पर हाथ मारती हुई कहने लगी।


कुंजल:- मां वो मीना कुमारी वाली आज डांस हो जाए क्या.. इन्हीं लोगों ने ले ली ना दुपट्टा मेरा।


नंदनी:- ए पागल ये क्या कह रही है?


अपस्यु:- डांस ही करने तो कह रही है, और क्या कह रही। जब देखो तब आप ना बिल्कुल एंग्री लुक दिए रहते हो।


नंदनी:- मेरी ही गलती है, वीरे से उस दिन इसका रिश्ता पक्का कर देती तब ये इसकी हंसी खी खी नहीं निकलती और तू जो इसे बढ़ावा दिए रहता है वो इसको टाईट करके रखता।


अपस्यु:- वैसे जोड़ी तो अच्छी ही है मां, ऊपर से इनकी जुगलबंदी… वीरे जी.. हां कुंजल जी..


नंदनी तेज हंसती… "वैसे भी इसे तो अरेंज मैरेज ही करनी है ना, तो पूछ ले वीरे में क्या खराबी है।"..


कुंजल:- भईया आप ना लोटा हो, किधर भी लुढ़क जाते हो। अभी मेरी डिग्री कंप्लीट होने दो फिर ढूंढ लेना लड़का। और कोई ना मिले तो कोई नहीं मै उसी वीरे जी से ही कर लुंगी। दोनो मां बेटा खुश। मै चली अब..


अपस्यु;- जा कहां रही है, बैठ ना गप्पे लड़ाते है।


कुंजल:- लड़को की सेल लगी है बाजार में। मै बड़ी भाभी और साची जा रहे है उसी की शॉपिंग करने।


अपस्यु:- अच्छा सुन एक ढंग के पापा मिले तो उसे भी खरीद लेना।


चटाक की एक झन्नाटेदार आवाज़ जो बाहर जा रही कुंजल के कानो तक भी पड़ी, और वो हंसती हुई… "सब के साथ ज्यादा मज़ा लोगे तो यही हाल होगा।"…


उसकी बात सुनकर नंदनी और अपस्यु दोनो हंसने लगे।… "तू ना बहुत शरारती है। तुझमें बहुत कुछ सुनंदा दीदी जैसा है, ऐसा लगता है वो अपना रूप छोड़ गई है। मै आज तक उनके इतना सरल हंसमुख और दयालु नहीं बन पाई। वो जब तुम्हारे पास हो ना तो आस पास एक अलग ही तरह की फीलिंग होती है। तेरी मासी और मौसा जब भी उसके पास आते, वो ऐसी खिंचाई करती की दोनो हाथ जोड़ लिया करते थे, बख्श दो।"....


अपस्यु:- बस अब आप भावुक मत हो जाना। कभी कभी सोचता हूं कश कोई रिवर्स बटन होता, कश उस रात की घटना की भनक कुछ समय पहले लग गई होती, कश मै मां को.. खैर छोड़ो.. ये काश शब्द ना मां बहुत चुभता है, मुझे एहसास करवाता है कि कितना बेबस और लाचार है हम। अब तो मेरे जिंदगी में एक और काश जुड़ गया। छोड़ो भी मां, वैसे अब आपको देर नहीं हो रही वो ऑफिस में कौन है क्लर्क जिनके बेटी की शादी में आपको जाना था।।


नंदनी:- देख मै भी ना यहां बैठ गई। अच्छा सुन बेटा स्वास्तिका और वैली को फोन करके घर बुला ले, उनको बोलना रेडी होने मै बाहर जबतक एक छोटा सा काम निपटाकर आती हूं।


नंदनी चली गई, अपस्यु भी स्वास्तिका को कॉल करके नंदनी का संदेश द देने के बाद, कुछ सोचते हुए सिन्हा जी को कॉल लगाने के लिए मोबाइल निकाला ही था कि ठीक उसी वक़्त सिन्हा जी का कॉल आ गया।


अपस्यु:- बापू बहुत शक्त जान हो, 100+ तो क्रॉस करोगे ही।


सिन्हा जी:- आजा छोटे, मेरे सीने में ना हल्की हल्की चुभन हो रही है।


अपस्यु:- हम्मम ! यहां भी वही हाल है बापू, आप महफिल लगाओ मै अभी आया।


थोड़ी ही देर में अपस्यु सिन्हा जी के ऑफिस में था और दोनो बैठकर आराम से दारू के मज़े लेने लगे। आज अपस्यु अपनी नहीं बल्कि ऐमी की फेवरेट वेसपर मार्टिनी की डिमांड कर बैठा।


सिन्हा जी:- छोटे तू ये टेस्ट कबसे चेंज कर दिया, तेरे लिए कितनी मेहनत से मैंने वो तेरे कॉकटेल का इंतजाम किया था अब आखरी मोमेंट पर प्लान चेंज ना कर।


अपस्यु:- कोई नहीं बापू अभी जो है वो पिला दो।


दोनो बैठ गए बड़े आराम से पीने। सिन्हा जी के 2 पेग और अपस्यु अपने तरीके से बेहिसाब… तभी एक सिक्योरिटी वाला… "सर वो होम मिनिस्टर साहब आए है।"…. "आए नहीं है ने घोंचू, आ चुके है। शुक्ला जी आप ऑफिसर्स से कहिए यहां के सीसी टीवी को बंद करने, और उन ऑफिसर्स को भी यहां लेते आएगा, कहिएगा आज शाम मेरे साथ 1,2 जाम हो जाए।"..


सिन्हा जी:- बड़ा खुश लग रहा है, बात क्या है?


होम मिनिस्टर:- 3 दिन बाद मेरे बेटे का एंगेजमेंट है, सोचा कुछ लोगों मै निजी तौर पर इन्वाइट कर दू। अपस्यु के घर गया तो पता चला कोई था ही नहीं।


सिन्हा जी:- और फिर तूने आईबी वालो से हमारा पता लगवाया..


होम मिनिस्टर:- अब एक पेग देगा कंजूस या इसका भी बिल भेजेगा।


अपस्यु:- बधाई हो सर, वैसे कहां रिश्ता तय किया है?


होम मिनिस्टर:- आज कल मां बाप रिश्ता तय करते है क्या? लड़के ने पसंद कर ली, और मैंने हां, बाकी की डिटेल उस दिन खुद आकर देख लेना, और मेरी बहू को भी लेकर आना। ये जो तेरा ससुर है ना, साला बहुत बड़ा कंजूस है, बेटी की शादी तय हुई, एक बार पार्टी के लिए पूछा तक नहीं।


सिन्हा जी:- कश्यप, भाई तू बहुत ऊंची चीज है। रहने दे वरना मै तेरी होवार्ड यूनिवर्सिटी वाली पार्टी का पोल खोल दूंगा जो तुमने दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनाई थी, और फिर वो माला मिश्रा, की कहानी भी।


होम मिनिस्टर:- अबे कौन माला मिश्रा की बात कर रहा है?


सिन्हा जी:- चुतिया सब बात इसी के सामने पूछ ले। अबे वो फ्रेंच कंपनी ट्रित्रेंट के इंडिया की सीईओ।


होम मिनिस्टर:- चुतिया कहीं का, मला मिश्रा का केस वो होवार्ड वाली पार्टी में नहीं हुआ था, बल्कि वो अखिल के शादी तय होने की जब हमने रूमर उड़ाई थी तब हुआ था। उस पार्टी में तो तुझे भाभी (सिन्हा जी की पत्नी) दिखी थी और कांड उसी के साथ पढ़ने वाली वो फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थीं ना.. क्या नाम तो था रे..

सिन्हा जी:- अंकिता शर्मा..


होम मिनिस्टर:- अंकिता शर्मा की बात रहा हूं पागल। सुनीता भाभी की फ्रेंड का क्या नाम था, जिसे तू मूवी दिखाने ले गया था?


सिन्हा जी:- नूतन छवरिया ..


होम मिनिस्टर:- हां कांड उसके साथ हुआ था..


अपस्यु:- आप दोनो को नहीं लगता कि यहां कोई तीसरा भी बैठा हुआ है?


होम मिनिस्टर:- ओह सॉरी अपस्यु, वो हम बहुत दिन के बाद मिल रहे थे तो..


अपस्यु:- दोनो रहने भी दीजिए... आप अपने गर्लफ्रेंड की याद ताजा कीजिए मै जा रहा हूं?


होम मिनिस्टर:- नाह तुम दोनो बैठो, मै जा रहा हूं। ज्यादा देर रहा तो मीडिया वाले शुंघते हुए पहुंच जाएंगे।


होम मिनिस्टर के जाते ही… "बापू ऑफिस में पीने का मज़ा नहीं आएगा अब, वैसे भी मंत्री जी यहां का पूरा माहौल बोर कर दिया।"


सिन्हा जी:- हां सही कहा.. चल किट्टू सु में चलते है। चलकर 2-4 पेग भी मरेंगे और मूड बाना तो 2-4 ठुमके भी।


थोड़ी ही देर में दोनो पब के सामने खड़े थे। लंबी सी कतार लगी थी और सिन्हा जी उन सबको दरकिनार करते हुए सीधा गेट पर पहुंच गए। वहां के गेट का बाउंसर… "तुम दोनो यहां ऐसे कैसे चले आ रहे हो। जाकर पहले अपनी ड्रेस बदल कर आओ और फिर उधर से लाइन में आना।"..


सिन्हा जी:- साले यहां क्या तूने स्कूल खोला है जो हम ड्रेस कोड में आए। इंडियन लॉ के कोड अनुसार हम सब यहां चलते है और रास्ता छोड़।


बाउंसर अपना हाथ आगे ही बढ़ाया था कि…. "तू मेरे बापू को टच कर लिया तो मेरा वादा है मै तुझे इतनी जोड़ लात मारूंगा की तू अपने उस दरवाजे से टकराते हुए इतना शानदार आवाज़ करेगा की अंदर की पब्लिक कहेगी.. वांस मोर (once more)


दूसरा बाउंसर तुरंत वहां पहुंचते… "क्यों बहस कर रहे हो, आप दोनो की क्या समस्या है।"


सिन्हा जी:- इसकी तो, साला जो आता है यही पूछता है। हमे अंदर जाना है बस।


बाउंसर:- सर अंदर फुल है, आप ड्रेस कॉड फॉलो करके लाइन में अाए।


सिन्हा जी:- छोटे मुझे अब इनसे कोई बात नहीं करनी, बस 1 मिनट है तेरे पास वरना मै घर चला जाऊंगा।


अपस्यु, बाउंसर से… "अंदर मैनेजर से बोलो बाहर सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील बिना ड्रेस कोड के अंदर आना चाहते है, क्या करना है? जो जवाब हो बता देना फिर हम यहां के ऑनर से ही बात कर लेंगे।


बाउंसर ने संपर्क किया और डिस्को का दरवाजा तुरंत खुल गया। वहां का मनाजिंग डारेक्टर खुद सिन्हा जी को लेने आया था। दोनो जैसे ही अंदर आए सिन्हा जी मैनेजर को वापस भेजते… "छोटे यहां तो घर की पार्टी लगती है। देख तो मेरा बेटा और बहू कितने प्यारे लग रहे है।".. (आरव और लावणी)
Bahut buri lagi aarav aur laavani ki😂😂😂😂
 
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nain11ster

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इंतेहा हो गई इंतजार की

आई ना कुछ खबर मेरे यार की
है हमें यह यकीन बेवफा वो नहीं
फिर वजह क्या हुई ? :what3:
Areee Sunday likha hai update dunga fir kahe padesan ho rahe the.. aur jab kal se update par update de raha hun to pata na kahan chhipe hain
 
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