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Very nice,sex se bharpoor updateपिछवाड़े की कुटाई
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मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले,
" तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं "
मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली,
" तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का "
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और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के,
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दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
और फिर क्या करारा धक्का लगा मेरे पिछवाड़े, इनके जीजा की मलाई अभी तक पिछवाड़े बजबजा रही थी, बस बिना किसी चिकनाई के मोटा मूसल पांच छह धक्कों में आधे से ज्यादा अंदर,...
बहुत ताकत थी इस स्साले सास के लौंडे में , सच में मेरी सास ने गदहे घोड़े से चुदवा चुदवा के इन्हे पैदा किया था , या क्या पता पंचायती सांड़ के पास गयी हों,... और जब आधे से ज्यादा करीब साढ़े चार पांच इंच घुस गया था, मेरी गाँड़ फ़टी जा रही थी,... परपरा रही थी ,
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तो बस उन्होंने मेरी दोनों चूँची कस के पकड़ ली , और लगे मीजने,
इतना मज़ा आ रहा था मैं बता नहीं सकती, जितना कस के ये मेरे जोबन मसलते थे उतना ही मजा आता था, शादी के पांच छह महीनों में ही मेरी कप साइज बढ़ के सी से डी हो गयी थी, ननद मुझे चिढ़ाती भी थी, भाभी यही हाल रही है तो साल भर में भैया एफ साइज कर देंगे,...
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कर दें तो कर दें न , मेरा साजन चाहे जो कुछ करे,... फिर मैं कौन सी ब्रा पहनती थी, न घर में न बाहर,...
उनकी उँगलियों का भरे भरे गदराये जोबन पर दबाव और जिस तरह से वो दुष्ट, अपनी तर्जनी और मंझली ऊँगली के बीच में कैंची की तरह फंसा फंसा के मेरे कंचे ऐसे बड़े कड़े निप्स को दबाता था,
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मस्ती से जान निकल जाती थी, लेकिन मैं कौन थी, थी तो अपने साजन की सजनी, अपनी माँ की बेटी,... तो अबकी मायके में माँ ने पिछवाड़े का जो गुन ढंग सिखाया था, वो सब, कैसे खूंटे को आराम से पहले हलके हलके दबाओ, फिर कस के निचोड़ो, खुद कैसे धक्के का जवाब धक्के से दो, बस कभी मैं धक्के मारती तो कभी वो, मैं कस के पलंग की पाटी पकडे थी, कभी मेरी चीख निकलती कभी सिसकी,
दरवाजा खुला हुआ था , बगल के कमरे से ननद रानी की सिसकियाँ सुनाई पड़ रही थी, उनकी भी चुदाई जबरदस्त हो रही थी.
धक्का दोनों और से लगने का असर हुआ की बस थोड़ी देर में इनका बित्ते भर का बांस जड़ तक मेरी गाँड़ में समा गया, गाँड़ फटी पड़ रही थी, पूरे जड़ तक मेरी ननद के यार ने धंसा रखा था, लेकिन जितना दर्द हो रहा था, उतना ही मजा आ रहा था,
पर उस बदमाश के तरकस में कोई एक दो तीर थे , हर रोज नयी स्टाइल, मेरे निप्स खींच खींच के उसने मूंगफली के दाने की तरह कर दिया था , और हरदम टनटनाया रहता था, बस दोनों हाथों से मेरे निपल को पकड़ के, जैसे ग्वाला गाय की छीमी पकड़ के खींच खींच के दूध दुहता है , बस एकदम उसी तरह,
एक नए तरह का दर्द , एक नए तरह का मज़ा और अब मुझसे नहीं रहा गया, मैं कस कस के गांड में घुसे मोटे लंड को कस कस के निचोड़ रही थी , गाँड़ अपनी कस कस के सिकोड़ रही थी और जवाब में वो कस के एकदम दूध दुहने की तरह मेरे निप्स पकड़ पकड़ के खींच रहे थे,
और अब न उनसे रहा गया, न मुझसे क्या मस्त गाँड़ मरौव्वल हुयी मेरी, लेकिन मैं भी , दस पांच धक्के वो मारते, तो एक दो मैं भी,...
कभी लंड पकड़ के गाँड़ में मेरा साजन गोल गोल घुमाता था, कभी हौले से पूरा मूसल बाहर निकाल के पूरी ताकत से वो धक्का मारते की बगल के कमरे में मेरी ननद को तो सुनाई ही पड़ता , सासू जी के कमरे में ,सासू जी और छुटकी बहिनिया को भी,...
एक बार तो अभी मेरी छुटकी बहिनिया की गाँड़ में वो झड़े ही थे , तो सेकेण्ड राउंड में टाइम तो लगना ही था, पूरे आधे घंटे,.... नान स्टॉप तूफ़ान मेल मात और जब झड़ना शुरू हुए तो बस, जैसे गर्मी के बाद सावन भादो में बादल बरसे, सूखी धरती की तरह मैं रोप रही थी , और गिरना ख़तम होने की बाद भी बड़ी देर तक मैं वैसे निहुरी रही और वो मेरे अंदर धंसे, ...
और उसी तरह मुझे उठा के पलंग पर,
बड़ी देर तक बिना बोले हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, लेकिन फिर शुरुआत भी मैंने की , बस छोटे छोटे चुम्मे, उनके चेहरे पर , ईयर लोब्स पर, ... उँगलियों से उनकी छाती सहलाती रही,
वो बस ललचायी नज़रों से मुझे देखते रहे,
बाहर रात झर रही थी, चन्द्रमा पश्चिम की ओर जल्दी जल्दी डग भर रहा था, ...
बहुत लंबे समय से बाहर था । हॉस्पिटल के चक्कर लग रहे थे । अब देखते आपकी कहानी में क्या हुआछुटकी की फिर से,...
न उनका मन कर रहा था की मैं उनके पास से जाऊं , न मेरा लेकिन वहां मेरी ननद छिनार अकेले रसोई में होंगी, गरिया रही होगी मुझे, किसी तरह उसने छुड़ा के मैं रसोई में ,...
आधे पौन घंटे में हम दोनों ने खाना लगा दिया था , मेरी सास अभी भी छुटकी को लिए अपने कमरे में बहला फुसला रही थीं , वो छुटकी को लेकर खाने की मेज पर आयीं और दोनों लोग हंसती खेलती, और खाने की टेबल पर भी वो अपने जीजा और डबल जीजा यानी मेरे नन्दोई के बीच में बैठी , और सामने हम तीनो , बीच मे मेरी सास , एक ओर मै और दूसरी ओर मेरी ननद।
और ननद के लिए दो बातें स्वयंसिद्ध हैं, पहली बात ननद होगी तो छिनार होगी ही, दूसरी बिना छेड़े वो रह नहीं सकती। तो बस मेरी ननद छुटकी के पीछे पड़ गयीं,...
" कैसे फटी हो छुटकी कैसे फटी, बगिया में तोहार,... अरे जब तुम्हारे जिज्जा और डबल जिज्जा तुझे आम की बगिया में ले गए तभी समझ जाना चाहिए थे की आज फटेगी, चल यार फटने वाली चीज है फट गयी कोई बात नहीं। "
पर मुझे सबसे बड़ी ख़ुशी हुयी, छुटकी ने बिना चिढ़े , उसी अंदाज में मुस्करा के जवाब दिया,...
" हमारे जिज्जा ने क्या आपकी भी उसी बगिया में फाड़ी थी ? "
मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी खिलखिलाहट रोकी, ... पर मुझसे ज्यादा मेरी सास खुश हो रही थीं, छुटकी के जवाब से। पर ननद खानदानी छिनार चुप थोड़े होने वाली थी, उन्होंने फिर छुटकी को चिढ़ाया,
" अरे हमसे बोली होती जाने के पहले, मिरचे के अचार वाला तेल दे देती , बल्कि ऊँगली डाल के अंदर तक लगा देती, मजा दूना हो जाता। इतनी क्या जल्दी थी की सूखे ही मरवाने,... "
पर अब मेरी सास आगयीं, अपनी दुलारी छुटकी को बचाने, ननद को हड़काया उन्होंने,...
" अरे खा लेने दो बेचारी को , एक तो मारे दर्द के बेचारी की हालत खराब थी, ऊपर से तुम,... "
ननद थोड़ी देर तक तो चुप रहीं, फिर उन्होंने दूसरा मोर्चा खोल दिया जिसका अंदाज मुझे भी नहीं पता चला,
मुझसे बोलीं, तोहरे तरह तोहरी छुटकी बहिनिया भी स्साली नौटंकी है , बढ़िया एक्टिंग करती है।
मैं तो नहीं बोली , पर छुटकी ट्रैप में फंस गयी, उसने बोल दिया,
" अरे दर्द के मारे जान निकल गयी, और आप कह रही हैं एक्टिंग "
बस ननद को मौका मिल गया, मुस्कराते हुए बोलीं वो,
" तभी तो कह रही हूँ , तुमने अपने जिज्जू और डबल जिज्जू को पटा लिया, ऐसे घूम के लौट आयी अरे बड़ी ताकत चाहिए पिछवाड़े में घोंटने के लिए,... इतना दर्द होता,... लेकिन एक्टिंग ऐसी की की एक बार मुझे भी लगा की फट गयी, ... "
छुटकी ने कुछ बोलने की कोशिश की, पर ननद ने बात काट दी, और मुझे आँख मारते हुए बोलीं,...
" अरे जंगल में मोर नाचा किसने देखा,... अगर सच में करवाया है तो अभी हम सब के सामने, हो जाए एक राउंड , पिछवाड़े वाला, डबल जिज्जू और जिज्जू के साथ ,... "
और जो थोड़ी बहुत उम्मीद बची थी, उसपर मेरी सास ने न सिर्फ दरवाजा बंद कर दिया बल्कि मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया,... ननद की बात के जवाब में छुटकी की ओर से वो बोलीं,
" अरे मेरी छुटकी बेटी को समझती क्या हो, डरती है क्या किसी से.... अभी देखो,... क्यों " और उन्होंने बॉल मेरे पाले में डाल दी.
बेचारी छुटकी कभी मुझे देखती कभी मेरी सास को,... और मुझे जल्द फैसला लेना था,
पहली बात सास की बात, वो भी सबके सामने काटने की मैं सोच भी नहीं सकती थी,फिर मैंने सोचा सास को अपने साथ मिलाने के बड़े फायदे हैं, पहली बात तो तुरंत ही, कल ननद भौजाई का जो मैच होगा उसमें जज वही होंगी,... और थोड़ा बहुत मैच फिक्सिंग,...
फिर अब घर में भी जेठानी और छुटकी ननदिया तो जेठ जी के पास चली गयी हैं साल में कभी कभार छुट्टी छपाटी,... और ये ननद नन्दोई भी चार पांच दिन में, ... फिर तो घर में मैं, मेरी छोटी बहिन, उसके जीजा,... और मेरी सास ही रहेंगी, ... मैं सोच रही थी सास जी के बारे में और मेरी चमकी, बहुत सी बड़ी उमर की औरतों को कुछ करने करवाने से ज्यादा मज़ा आता है,.. देखने में और जिस पर चढ़ाई हो रही हो , वोएकदम कच्ची उमर वाली, कच्चे टिकोरों वाली हो हो कहना ही क्या, फिर छुटकी को देख के सबसे ज्यादा आँखे उन्ही की चमकी थी, उसे साथ ले के अपने कमरे में चली गयीं थी,...
तो उसकी कच्ची अमिया उनके सामने कुतरी जाए , ये देखने का मन उनका कर रहा होगा
मैंने एक पल ननद जी की और उनके भैया की ओर देखा, और मुझे लगा की अगर आज सबके सामने , अपनी माँ के सामने ये खुल के मेरी बहन की चुदाई करेंगे तो इनकी जो भी झिझक है और ननद जी की भी वो सब निकल जायेगी, फिर एक दो दिन में मैं इनकी बहन के ऊपर इसी घर में अपने सामने चढ़ाउंगी, तब आएगा असली मज़ा. जो मजा ननद के ऊपर भौजाई को अपने सामने ननद के सगे भाई को चढ़ाने में आता है न उसके आगे कोई भी मजा फेल है।
बस ये सब सोच के मैंने अपनी सास का साथ दिया,...
" एकदम, क्यों डरेगी और किससे डरेगी, बड़ी बहादुर है मेरी छुटकी बस अभी थोड़ी देर में,... "
छुटकी ने कुछ बोलने की कोशिश की तो मैंने समझा दिया अरे मैं रहूंगी न तेरे साथ, ... और अबकी मेरी सास ने भी उसका साथ दिया,...
हाँ मैच शुरू होने के पहले मैंने कुछ शर्तें ननद औरसास से मनवा ली, वो क्या थीं, मौके पर बताउंगी।