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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–33



शाम के लगभग 7.30 बज रहे थे जब आज एक बार फिर रूही अलबेली को बस्ती भेज रही थी। लेकिन आर्यमणि, रूही को नजरों से ही समझा दिया की अब रुक जाना चाहिए और वह घर वापस लौट आया। जैसे ही वो पहुंचा भूमि अपने कमरे से बाहर निकलती… "आर्य तैयार हो जा"..


आर्यमणि:- ठीक है दीदी…


थोड़ी देर बाद पुरा परिवार साथ था। सभी लोग मंदिर जाकर पूजा किये। भूमि के चेहरे पर अलग ही खुशी थी। वो आर्यमणि के माथे पर तिलक लगती हुई कहने लगी… "बहुत जल्द परिवार में तुझे कोई मामा कहने वाला आयेगा। उसके नन्हे-नन्हे हाथो को पकड़कर तू उसे चलना सिखाएगा। सिखाएगा ना।"


आर्यमणि प्यार से भूमि के गाल पर रंग लगाते…. "मेरा उतराधिकारी वही बनेगा। केवल प्रहरी वाली इक्छा मत बोलना दीदी।"..


भूमि:- ठीक है नहीं बोलूंगी खुश। बस कुछ बातें हैं जो मै घर चलकर आराम से बताउंगी।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है दीदी।


वहां से सीधा भूमि अपने मायके निकल गई। घर गई, मीनाक्षी से मिली और घर में शोर-गुल होने लगा। इसी बीच जया और केशव भी पहुंच गए।… "अरे दीदी अब मै यहीं रहने वाली हूं, क्यों इतना शोर मचा रही हो।"..


तभी अंदर से भूमि निकल कर आयी और जया को पाऊं छू कर प्रणाम करने लगी। जया भूमि का खिला चेहरा देखते ही समझ गई और उसे अपने गले से लगाकर उसके गाल को चूमती… "अब तू यहां से हिलेगी नहीं। पूरे 33 महीने जबतक तेरा आने वाला 2 साल का नहीं होता। और इसपर कोई बहस नहीं होगी। आर्य, चल तू घर बदल ले बेटा। आज से तू भी यहीं रहेगा।"..


अब जब जया मासी ने बोल दिया फिर कौन बात टाल सकता था। ना तो भूमि ने एक बार भी ना नुकर की और ना ही जयदेव ने कुछ बोला। अगले 3-4 दिन तक तो बधाई देने वालों का मेला लगा हुआ था। जो आ सकते थे वो भूमि से आकर मिले। जो नहीं आ सकते थे उन्होंने फोन पर ही बधाइयां दे दी।


सनिवार की रात थी जब भूमि को आर्यमणि के वूल्फ पैक बनाने वाली बात पता चल गई। भूमि थोड़ी खींची और चिढी भी हुई थी, बस सही मौके के इंतजार में थी। थोड़ा इंतजार करना पड़ा लेकिन वो मौका भी मिल ही गया। भूमि अकेली थी और जैसे ही आर्यमणि उसके करीब आकर बैठ… "यहां मेरे पास क्यों आए हो?"


आर्यमणि:- आपसे बात करने।


भूमि:- क्यों?


आर्यमणि:- हम्मम ! इतना गुस्सा। मतलब आपको मेरी और सरदार खान की बात पता चल गई।


भूमि:- सरदार खान को बाद में देखूंगी। पहले तो मै तेरे पैक के बारे में जानना चाहूंगी। तू क्या वुल्फ है जो तुझे पैक चाहिए।


आर्यमणि, चौंकते हुए…. "वुल्फ इसे पैक का नाम देते है हम इसे क्लोज रिश्ता कहते है। इसमें गलत क्या है।


भूमि:- है गलत, जुबान ना लड़ाओ।


आर्यमणि:- आप मुझसे यहां झगड़ा करने बैठी हो या सवालों के जवाब चाहिए।


भूमि:- सवालों के जवाब।


आर्यमणि:- पहला सवाल?


भूमि हंस दी… "मुझे पिघला मत। पक्की खबर आयी है कि तूने वेयरवुल्फ का नया पैक बनाया है।"


आर्यमणि:- हां बनाया है, आपको बताता भी लेकिन उस रात आपने इतनी बड़ी खुशखबरी दी कि मै अपनी बात भुल गया। पैक का नाम भी है, अल्फा पैक।


भूमि:- पूछ सकती हूं क्यों पैक बनाया?


आर्यमणि:- भूमि देसाई ने उसी लड़की रूही को क्यों बचाया जिसे सड़क पर लड़के नोच रहे थे? आपको यदि रूही या अलबेली मे जानवर दिख रहा है तो आप दूर रहिए। मुझे वो इंसान नजर आती है जिनके अंदर भावनाएं है। इसलिए उनसे दोस्ती है। उन्होंने कहा हम पैक को परिवार मानते है और यहां मेरा कोई परिवार नहीं। सो मैंने उसके भावना का मान रखा। कोई मेरे परिवार को तंग कर रहा था, इसलिए मैंने तंग करने वालों को उसके नियम अनुसार सजा दे आया। अब आप मुझे कह दो कि मै गलत हूं।


भूमि:- बेटा तेरी बात सच है लेकिन अगर उसने भी तुझे अपने जैसा बना दिया तो।


आर्यमणि, भूमि के गाल खिंचते… "कितना चाहोगी आप मुझे। बस हर प्वाइंट में यही ढूंढ़ती हो की कहीं मै आपसे दूर तो नहीं हो रहा। बाइट का असर करने का नियम है। बाइट का विषाणु शरीर के ब्लड फ्लो से होते हुए सीने तक पहुंचने में 6 से 8 घंटे लेता है, जबकि लूथरिया बुलापिन उसी विषाणु का तोड़ है। रोज मेरे आने के बाद एक इंजेक्शन लगा देना।


भूमि:- हां लेकिन ये सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि बाइट किसी स्ट्रॉन्ग अल्फा की हुई तो लूथरिया बुलापिनी जहर की तरह काम करेगा और बाइट के बाद जितनी दूर तक वो विषाणु फैला होगा, वो अंग निष्क्रिय हो जाएगा।


आर्यमणि:- तभी तो उन्हें कंट्रोल सीखा रहा हूं और साथ में ये भी की जानवर का शिकार करके मासहारी प्रवृति अपने अंदर ना लाए। हो सके तो फल सब्जी पर आश्रित रहे और भूना हुआ मांस ही खाए। अब बोलो।


भूमि:- ठीक है तू सही मै गलत। जा अपना लंबा चौड़ा पैक बना ताकि उन्हें अच्छी जिंदगी मिले। प्रहरी समूह मे इसपर कोई सवाल-जवाब हुआ तो तेजस दादा जवाब देंगे। वैसे भी मैं बहुत इक्कछुक है उस सरदार खान की नकेल कसने के लिए। जा तू आराम कर, बाकी के काम मैं देखती हूं।


आर्यमणि, अपने कमरे में आराम करने चला गया। यही कोई रात के 2 बजे उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा जब खुला तो सामने रिचा थी, और क्या अवतार में थी। एकबार तो आर्यमणि की नजर भी ठहर गयि। रिचा, आर्यमणि को किनारे कर अंदर उसके बिस्तर पर बैठती.… "वहीं खड़े अब भी मेरे बारे में कल्पना कर रहे क्या?"…


आर्यमणि:– नही तो...


रिचा:– तो फिर रूम लॉक करो और आओ...


जैसे ही आर्यमणि रूम लॉक करके पलटा उसकी आंखें फैल गई। रिचा अपने ऊपर के कपड़े उतारकर केवल ब्रा और पेंटी में बैठी थी।…. "देखो तुम शर्त की बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले ली हो। या फिर यहां कुछ और जानने के इरादे से हो"…


रिचा, आर्यमणि को देखकर हंसने लगी और अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने हाथों से ब्रा को उतारती… "कुछ और जानने से तुम्हारा मतलब"…


आर्यमणि:– रिचा किसी को पता चला तो परिवार में बवाल हो जाएगा, तुम ऐसे अदा मत दिखाओ मुझे...


"और यदि मैं परिवार से नही होती तो"… रिचा अपने गोल सुडोल स्तनों के साथ खेलती हुई पूछने लगी...


आर्यमणि:– देखो मेरी शादी तय हो गई है। मेरी एक गर्लफ्रेंड है...


रिचा, अपने दोनो पाऊं फैलाकर पेंटी में अपना हाथ डाल ली, और मादकता से अपने होंठ काटती... "तो आओ ना लड़के, दिखाओ की तुम अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे संतुष्ट करोगे"…


आर्यमणि:– ऐसी बात है रिचा... लेकिन एक बात बता दूं मैं... मुझे किसी लड़की को खुश करने का जरा भी अनुभव नही...

"आह्ह्ह… क्या वाकई में आर्य… तो जब तुम इतने कच्चे हो फिर तो अब तक तुम्हे कूदकर मेरे ऊपर चढ़ जाना चाहिए था और अपनी हसरत खोलकर दिखा देना थी"…

"ऐसी बात है क्या"…. कहते हुए आर्यमणि ने रिचा को धक्का देकर लिटा दिया और अपना पैंट खोलकर सीधा बिस्तर पर चढ़ गया.…

रिचा अपना हाथ आगे बढ़ाकर आर्यमणि के लिंग को अपने दोनो हाथ के बीच दबोचती.… "आज तो तुम्हारा हथियार भरी बंदूक की तरह तना है। उफ्फ ये कितना लंबा और मोटा है आर्यमणि... ये तो मेरे नीचे जब घुसेगा, मेरी छेद को और बड़ा कर देगा।…

"आह्ह्ह्ह, रिचा तुम्हारे हाथ... उफ्फ मजा आ रहा है ऐसे ही आगे पीछे करते रहो"….

रिचा अपना एक हाथ हटाकर आर्यमणि का एक हाथ अपने हरे भरे वक्ष पर डाली, और दूसरा हाथ ले जाकर अपनी योनि पर रखती... "जरा इनके साथ भी खेलो आर्य... निचोड़ डालो मेरे दोनो कबूतर को... मेरे योनि को पूरा मसल डालो... आह्ह्ह्हह… तुम्हारे होंठ मेरे होंठ से लगाकर... रस भरा चुम्बन का मजा दो आर्य"…

आर्यमणि, रिचा के कमर के पास अपना थोड़ा पाऊं फैलाकर बैठा। एक हाथ से उसके स्तन को जोर जोर से मसलने लगा। दूसरे हाथ पेंटी में डालकर उसकी योनि से खेलने लगा... होंठ से होंठ जुड़ चुके थे। आर्यमणि अपना जीभ अंदर तक डालकर रस भरा चुम्बन लेने लगा।

जिस्म में जैसे चिंगारी फूटी हो। रिचा का हाथ ऐसा कमाल कर रहा था की लिंग झटके खाने लगा। जोश इतना हावी था की आर्यमणि ने वक्ष को इतना तेज निचोड़ा की रिचा उठकर बैठ गई.… "आह.. जंगली.. उखड़ने तो नही वाले थे।"… लेकिन रिचा की बात का जैसे उसपर कोई असर ही नही हुआ हो।

आर्यमणि खड़ा हो गया। उसका खड़ा लिंग रिचा के मुंह के पास झूलने लगा। आर्यमणि रिचा के बाल को मुट्ठी में पकड़कर उसका गर्दन ऊपर किया और खुद का चेहरा नीचे झुकाकर एक जोरदार चुम्बन के बाद लिंग को रिचा के गाल से सटाकर हिलाने लगा। रिचा हंसती हुई पूछने लगी... "इसका क्या मतलब है मेरे भोले शिकारी"…

आर्यमणि बिना कोई जवाब दिए लिंग को अब उसके होंठ से लगा दिया... रिचा बिना कोई देर किए अपना मुंह खोल दी। जैसे ही रिचा मुंह खोली आर्यमणि अपना तना लिंग झटके में अंदर डालकर कमर को झटका देने लगा। रिचा का पूरा मुंह भर गया। आर्यमणि का जोश रिचा से संभाला नही जा रहा था। वह लिंग को बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और आर्यमणि उसका बाल पकड़कर मुंह में ही जोर जोर से झटके मारने लगा... रिचा जब ज्यादा जोड़ लगाकर लिंग को मुंह से निकालने की कोशिश की, आर्यमणि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।


रिचा के पूरे गाल लाल हो गए। मुंह का लार चूकर उसके पूरे मुंह और छाती पर फैल गया था। रिचा का पूरा मुंह लाल हो गया था। रिचा किसी तरह हिम्मत जुटाकर आर्यमणि को धक्का दी और बिस्तर पर हाथ फैलाकर लेट गई। लेटकर वो अपने श्वांस सामान्य कर रही थी तभी आर्यमणि रिचा के पेंटी को एक झटके में उसके पाऊं खींचकर निकाल दिया। रिचा संभल भी नही पाई थी उस से पहले ही आर्यमणि ने उसके दोनो पाऊं फैला दिया। पाऊं फैलते ही रिचा की योनि बिलकुल सामने थी.… "यहां तो ऐसा लग रहा है कभी बाल ही नही थे... बाल कहां गए रिचा"…


रिचा झल्लाती हुई.… "तुझ चुतिए के लिए अपनी चूत को साफ़ करके आयी थी। साले जंगली, हरामजदा"…


रिचा इतना बोल ही रही थी की तभी आर्यमणि अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उसकी योनि पर रखा और योनि के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत घिसने लगा.… "आआआह्ह्ह.. हां हां... आह्हहहहह, मर गई आर्य.. उफ्फ…" चिंगारियां रिचा के बदन से फूटनी शुरू हो गई.. उसका सारा गुस्सा मादक सिसकारी में बदल गया। आर्यमणि के बाल को मुट्ठी में दबोच कर उसका मुंह अपने योनि के अंदर और भी दबाने लगी। अपने गोरे चिकने पाऊं से उसके गर्दन पर दवाब बनाने लगी। रिचा ऐसी पागल हुई की उसका कमर हिलने लगा।

कुछ देर की योनि चुसाई में ही रिचा पिघल कर बह गई। आर्यमणि के बाल को खींचकर वो अपने ऊपर ली और नीचे हाथ लगाकर उसका लिंग पकड़ती अपनी योनि पर घिसने लगी.… "आह्हहहहह, आर्य चूत को तुम्हारे लिए ही संवार कर लाई थी... आज शांत कर दो... बहुत जल रहा है।"..


आर्यमणि भी रिचा के पूरा ऊपर आते उसके गर्दन को चूमना शुरू किया और एक ही झटके में अपना पूरा लिंग रिचा के योनी में उतार दिया। "आह्ह्ह्ह्" की मादक सिसकारी के साथ रिचा हवा में उड़ने लगी। आर्यमणि तो जैसे मजे के सागर में था। लिंग कसा हुआ अंदर जाता और बाहर आता। उसे ऐसा लग रहा था वह योनि के छेद को फैलाकर अंदर घुसा रहा और बाहर कर रहा।


दोनो के गोरे बदन पसीने से तर थे। रिचा अपने पूरा पाऊं फैलाए आर्यमणि के नीचे थी और ऊपर से आर्यमणि उभरा हुआ नितंब दिख रहा था जो नीचे अपने लिंग से कसी हुई योनि में लगातार जगह बनाते धक्का मार रहा था। रिचा अपना सर दाएं बाएं करती मादक सिसकारियां भर रही थी। आर्यमणि का नया खून पूरे उबाल पर थापा थाप धक्के लगा रहा था।


योनि और लिंग का संगम इतना झन्नाटेदार था की आर्यमणि पहले धक्के से जो शुरू हुआ फिर रुका ही नही... धक्कों की रफ्तार अपने बुलंदियों पर.. आर्यमणि हांफते हुए धक्का लगा रहा था। रिचा सिसकारी भरती हर धक्के मजा ले रही थी। तभी पहले रिचा की सिसकारी अपनी बुलंदियों पर गई फिर आर्यमणि धक्का मरते मारते पूरा उफान पर आ गया... "आह्हहहहहहहहहहहहह" की जोरदार आवाज दोनो के मुंह से एक साथ निकली और आर्यमणि हांफते हुए रिचा के ऊपर लेट गया।


कुछ देर बाद रिचा आर्यमणि को अपने ऊपर से हटती, उठ गई। रिचा जैसे ही उठी आर्यमणि उसका हाथ पकड़ते... तुम जा रही हो क्या?"..


रिचा:– अपनी एक बार की शर्त थी...


आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर गिराया। उसके गोल सुडोल वक्ष आर्यमणि के सीने में धस गया। आर्यमणि रिचा के चेहरे को ऊपर करता... "हां शर्त ये थी की एक बार तुम न्यूड शो दिखाओगी और उसमे मैं अपनी मर्जी का कर सकता हूं"…


रिचा, हंसती हुई आर्यमणि के होंठ पर एक जोरदार चुम्बन देती... "मतलब"…. आर्यमणि, रिचा के दोनो पाऊं फैलाकर अपने कमर पर लदने के लिए विवश कर दिया और अगले ही पल अपने लिंग को उसके योनि के से लगाकर एक धक्का लगाते... "मतलब तुम्हारे अंदर मेरा हथियार कितनी बार जायेगा वो तय नहीं हुआ था"…


"आह्हहहहहहहहहहह... जंगली... पहले बता तो देते मैं तैयार हो जाती... उफ्फ कहर ढा रहे हो आर्यमणि"…


आर्यमणि घचाघच धक्के लगाते... "किसी शिकारी का शिकार करना काफी मजेदार होता है वो भी तब जब केवल एक बार के लिए आयी हो। फिर तो नाग का पूरा जहर उतर दो".…


"उफ्फफफफफफफफ, ऊम्ममममम आर्य... एक ही बार में पूरा निचोड़ लोगे क्या... मेरी चूत का भोसड़ा बना दिए"…


आर्यमणि, रिचा को सीधा बिठाया। रिचा आर्यमणि के लिंग पर सीधा बैठी थी और आर्यमणि लेटकर नीचे से धक्का मार रहा था... आर्यमणि अपने दोनो हाथ ऊपर ले जाकर उसके 34 के साइज के गोल वक्ष को अपने दोनो हाथ में दबोचकर... "ये चूत और भोसड़ा कहां से सीखी"…


"ऊम्मममममममममममम... आह्हहहहहहहहहह, तुम्हे किसी ने अब तक लंड, चूत नही सिखाया"…


"उफ्फफफफफ तुम हो न... मेरा हथियार जैसे बटर की भट्टी में जा रहा है... कितना मजा आ रहा है धक्का मारने में"…


"अह्ह्ह्ह… तुम्हारा लंड और स्टेमिना दोनो मजेदार है..." फिर रिचा अपने बालों को झटकती... "आह्हहहहहहह, और तेज चोदो मुझे... ऊम्मममममममम, आज चूत फाड़ दो… आज तो बड़ी तड़प रही... हां.. हां.. हां.. ऐसे ही तेज तेज धक्का मरते रहो… आह्हहहहहहहहहह, कहां थे आर्यमणि अब तक... उफ्फ चूची पर तो रहम नहीं किया.. चोदो.. चोदो… और तेज.. और तेज..."


"उफ्फ काफी गरम हो गई हो... वैसे रहता तो तुम्हारे पास ही हूं"…. "हां आर्यमणि काफी गरम हो गई.. ऐसे ही चोद चोद के ठंडा करो... आह्हहहहहहहह, ऊम्मममममम.. जब जी करे रात को लंड लेकर चले आना... आज शर्त वाला है... आगे कोई शर्त नहीं... जैसे मर्जी हो चोदना... उफ्फफफफफफफ, मेरा ओर्गास्म हो गया रे… आह्ह्ह्ह्ह"..


घमासान के बाद एक फिर दोनो हांफते हुए लेटे। रिचा को लगा की आर्यमणि कहीं तीसरे राउंड के लिए न तैयार हो जाए। नया–नया सेक्स के सुरूर में अक्सर हो जाता है इसलिए रिचा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने कमरे में आ गई। जैसे ही कमरे में पहुंची वैसे ही कॉल लगा दी...


दूसरे ओर से... "सब हो गया"..


रिचा:– हां सब हो गया और आर्यमणि ने शेप शिफ्ट नही किया। और कोई टेस्ट बाकी है....


दूसरी ओर से... "नही और कोई टेस्ट बाकी नही। लगता है आर्यमणि के दादा ने उसे कुछ खास दिया है। या फिर गंगटोक में उसे कुछ ऐसा मिल गया है जिससे वेयरवुल्फ तो उसके सामने कुछ है ही नही... उसकी ताकत के सोर्स का पता करना होगा।"..


रिचा:– वो अच्छा लड़का है। वुल्फ की जिंदगी सवार रहा है। फिर आप सबको उसकी ताकत का सोर्स क्यों जानना है। शिकारी भी सक्षम है वोल्फ से लड़ने में। फिर आप उसकी ताकत का सोर्स जानकर क्या करेंगे.. वोल्फ की तरह खुद भी तो कहीं ताकत बढ़ाने की चाह है आप सबकी।


दूसरी ओर से:– ये तुम्हारे चिंतन का विषय नही। जितना कहा जाए बस उतना करो..


रिचा:– जितना कहा उतना कर दिया। अब यदि मुझसे आर्यमणि के बारे में कुछ भी पता करवाने की उम्मीद नहीं रखियेगा... मैं किसी के ताकत का सोर्स पता करके उसकी ताकत पाने की चाह में प्रहरी नही ज्वाइन की हूं, इसलिए आगे मुझसे कोई उम्मीद न रखिए...


रिचा फोन रखकर खुद में ही समीक्षा करती.… "आखिर ये सब के सब आर्यमणि के पीछे हाथ धोकर क्यों परे है। उफ्फ बात कुछ भी हो लेकिन रात बना दी लड़के ने। क्या जोश है... जबतक किसी की हो न जाति मैं तो पूरा मजा लूंगी अब"…


रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
 

nain11ster

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vikyviky jaisa aapne sawal kiya tha... shayad wo samne hota to air achhe se samjha pata... Khair...



Riston me milawat se matlab tha ki yadi bhai-bahan hai to bhai bahan hi huye... Khair main aapko galat kah bhi nahi sakta kyonki 90% kahaniya waise hi likhi hai..



Raja ki bhi hazar raniya hoti hongi... Par wo rani hoti hai.. naki bahan..



Main incest nahi likhta isliye yahan agar bhai-bahan ka pyar ektarfa hai to wo usi emotion me honge aur aage jo bhi likha jayega wo bhai-bahan ke sandarbh me hi likha jayega... I mean jo jis relation me hai.... Isliye maine likha tha main riston me milawat nahi karta... Riston me jo bhi samvad ya drishya likhe gaye hai wah uss rishte ko dhyan me rakh kar likhe gaye the...
 

nain11ster

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11 ster fan kripya counter reply se bache...

vikyviky ji aap bhi dusron ko counter reply dene se bache...

Yadi kisi ko comment me kuch abhadr lagta hai to wah report kar sakta hai... Yadi kuch jyada ki abhadr likh diya ho aur jawab dene ki poori ikchha ho to uske comment ko quote kar lijiye aur chit chat thread par reply kar dijiye... wahan unlimited counter reply kar sakte hain... Yahan to mod pahunch jayega...

Usme bhi mod humare Aakash. Saar hain jo The Immortal Saar se kuch banne ki traning ke le rahe hain aur aaj tak apne pahle ban ko taras rahe... Kyon unka khata khulwa rahe... Duck par hi unhe promotion lene dijiye :D
 

jitutripathi00

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भाग:–33



शाम के लगभग 7.30 बज रहे थे जब आज एक बार फिर रूही अलबेली को बस्ती भेज रही थी। लेकिन आर्यमणि, रूही को नजरों से ही समझा दिया की अब रुक जाना चाहिए और वह घर वापस लौट आया। जैसे ही वो पहुंचा भूमि अपने कमरे से बाहर निकलती… "आर्य तैयार हो जा"..


आर्यमणि:- ठीक है दीदी…


थोड़ी देर बाद पुरा परिवार साथ था। सभी लोग मंदिर जाकर पूजा किये। भूमि के चेहरे पर अलग ही खुशी थी। वो आर्यमणि के माथे पर तिलक लगती हुई कहने लगी… "बहुत जल्द परिवार में तुझे कोई मामा कहने वाला आयेगा। उसके नन्हे-नन्हे हाथो को पकड़कर तू उसे चलना सिखाएगा। सिखाएगा ना।"


आर्यमणि प्यार से भूमि के गाल पर रंग लगाते…. "मेरा उतराधिकारी वही बनेगा। केवल प्रहरी वाली इक्छा मत बोलना दीदी।"..


भूमि:- ठीक है नहीं बोलूंगी खुश। बस कुछ बातें हैं जो मै घर चलकर आराम से बताउंगी।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है दीदी।


वहां से सीधा भूमि अपने मायके निकल गई। घर गई, मीनाक्षी से मिली और घर में शोर-गुल होने लगा। इसी बीच जया और केशव भी पहुंच गए।… "अरे दीदी अब मै यहीं रहने वाली हूं, क्यों इतना शोर मचा रही हो।"..


तभी अंदर से भूमि निकल कर आयी और जया को पाऊं छू कर प्रणाम करने लगी। जया भूमि का खिला चेहरा देखते ही समझ गई और उसे अपने गले से लगाकर उसके गाल को चूमती… "अब तू यहां से हिलेगी नहीं। पूरे 33 महीने जबतक तेरा आने वाला 2 साल का नहीं होता। और इसपर कोई बहस नहीं होगी। आर्य, चल तू घर बदल ले बेटा। आज से तू भी यहीं रहेगा।"..


अब जब जया मासी ने बोल दिया फिर कौन बात टाल सकता था। ना तो भूमि ने एक बार भी ना नुकर की और ना ही जयदेव ने कुछ बोला। अगले 3-4 दिन तक तो बधाई देने वालों का मेला लगा हुआ था। जो आ सकते थे वो भूमि से आकर मिले। जो नहीं आ सकते थे उन्होंने फोन पर ही बधाइयां दे दी।


सनिवार की रात थी जब भूमि को आर्यमणि के वूल्फ पैक बनाने वाली बात पता चल गई। भूमि थोड़ी खींची और चिढी भी हुई थी, बस सही मौके के इंतजार में थी। थोड़ा इंतजार करना पड़ा लेकिन वो मौका भी मिल ही गया। भूमि अकेली थी और जैसे ही आर्यमणि उसके करीब आकर बैठ… "यहां मेरे पास क्यों आए हो?"


आर्यमणि:- आपसे बात करने।


भूमि:- क्यों?


आर्यमणि:- हम्मम ! इतना गुस्सा। मतलब आपको मेरी और सरदार खान की बात पता चल गई।


भूमि:- सरदार खान को बाद में देखूंगी। पहले तो मै तेरे पैक के बारे में जानना चाहूंगी। तू क्या वुल्फ है जो तुझे पैक चाहिए।


आर्यमणि, चौंकते हुए…. "वुल्फ इसे पैक का नाम देते है हम इसे क्लोज रिश्ता कहते है। इसमें गलत क्या है।


भूमि:- है गलत, जुबान ना लड़ाओ।


आर्यमणि:- आप मुझसे यहां झगड़ा करने बैठी हो या सवालों के जवाब चाहिए।


भूमि:- सवालों के जवाब।


आर्यमणि:- पहला सवाल?


भूमि हंस दी… "मुझे पिघला मत। पक्की खबर आयी है कि तूने वेयरवुल्फ का नया पैक बनाया है।"


आर्यमणि:- हां बनाया है, आपको बताता भी लेकिन उस रात आपने इतनी बड़ी खुशखबरी दी कि मै अपनी बात भुल गया। पैक का नाम भी है, अल्फा पैक।


भूमि:- पूछ सकती हूं क्यों पैक बनाया?


आर्यमणि:- भूमि देसाई ने उसी लड़की रूही को क्यों बचाया जिसे सड़क पर लड़के नोच रहे थे? आपको यदि रूही या अलबेली मे जानवर दिख रहा है तो आप दूर रहिए। मुझे वो इंसान नजर आती है जिनके अंदर भावनाएं है। इसलिए उनसे दोस्ती है। उन्होंने कहा हम पैक को परिवार मानते है और यहां मेरा कोई परिवार नहीं। सो मैंने उसके भावना का मान रखा। कोई मेरे परिवार को तंग कर रहा था, इसलिए मैंने तंग करने वालों को उसके नियम अनुसार सजा दे आया। अब आप मुझे कह दो कि मै गलत हूं।


भूमि:- बेटा तेरी बात सच है लेकिन अगर उसने भी तुझे अपने जैसा बना दिया तो।


आर्यमणि, भूमि के गाल खिंचते… "कितना चाहोगी आप मुझे। बस हर प्वाइंट में यही ढूंढ़ती हो की कहीं मै आपसे दूर तो नहीं हो रहा। बाइट का असर करने का नियम है। बाइट का विषाणु शरीर के ब्लड फ्लो से होते हुए सीने तक पहुंचने में 6 से 8 घंटे लेता है, जबकि लूथरिया बुलापिन उसी विषाणु का तोड़ है। रोज मेरे आने के बाद एक इंजेक्शन लगा देना।


भूमि:- हां लेकिन ये सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि बाइट किसी स्ट्रॉन्ग अल्फा की हुई तो लूथरिया बुलापिनी जहर की तरह काम करेगा और बाइट के बाद जितनी दूर तक वो विषाणु फैला होगा, वो अंग निष्क्रिय हो जाएगा।


आर्यमणि:- तभी तो उन्हें कंट्रोल सीखा रहा हूं और साथ में ये भी की जानवर का शिकार करके मासहारी प्रवृति अपने अंदर ना लाए। हो सके तो फल सब्जी पर आश्रित रहे और भूना हुआ मांस ही खाए। अब बोलो।


भूमि:- ठीक है तू सही मै गलत। जा अपना लंबा चौड़ा पैक बना ताकि उन्हें अच्छी जिंदगी मिले। प्रहरी समूह मे इसपर कोई सवाल-जवाब हुआ तो तेजस दादा जवाब देंगे। वैसे भी मैं बहुत इक्कछुक है उस सरदार खान की नकेल कसने के लिए। जा तू आराम कर, बाकी के काम मैं देखती हूं।


आर्यमणि, अपने कमरे में आराम करने चला गया। यही कोई रात के 2 बजे उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा जब खुला तो सामने रिचा थी, और क्या अवतार में थी। एकबार तो आर्यमणि की नजर भी ठहर गयि। रिचा, आर्यमणि को किनारे कर अंदर उसके बिस्तर पर बैठती.… "वहीं खड़े अब भी मेरे बारे में कल्पना कर रहे क्या?"…


आर्यमणि:– नही तो...


रिचा:– तो फिर रूम लॉक करो और आओ...


जैसे ही आर्यमणि रूम लॉक करके पलटा उसकी आंखें फैल गई। रिचा अपने ऊपर के कपड़े उतारकर केवल ब्रा और पेंटी में बैठी थी।…. "देखो तुम शर्त की बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले ली हो। या फिर यहां कुछ और जानने के इरादे से हो"…


रिचा, आर्यमणि को देखकर हंसने लगी और अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने हाथों से ब्रा को उतारती… "कुछ और जानने से तुम्हारा मतलब"…


आर्यमणि:– रिचा किसी को पता चला तो परिवार में बवाल हो जाएगा, तुम ऐसे अदा मत दिखाओ मुझे...


"और यदि मैं परिवार से नही होती तो"… रिचा अपने गोल सुडोल स्तनों के साथ खेलती हुई पूछने लगी...


आर्यमणि:– देखो मेरी शादी तय हो गई है। मेरी एक गर्लफ्रेंड है...


रिचा, अपने दोनो पाऊं फैलाकर पेंटी में अपना हाथ डाल ली, और मादकता से अपने होंठ काटती... "तो आओ ना लड़के, दिखाओ की तुम अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे संतुष्ट करोगे"…


आर्यमणि:– ऐसी बात है रिचा... लेकिन एक बात बता दूं मैं... मुझे किसी लड़की को खुश करने का जरा भी अनुभव नही...

"आह्ह्ह… क्या वाकई में आर्य… तो जब तुम इतने कच्चे हो फिर तो अब तक तुम्हे कूदकर मेरे ऊपर चढ़ जाना चाहिए था और अपनी हसरत खोलकर दिखा देना थी"…

"ऐसी बात है क्या"…. कहते हुए आर्यमणि ने रिचा को धक्का देकर लिटा दिया और अपना पैंट खोलकर सीधा बिस्तर पर चढ़ गया.…

रिचा अपना हाथ आगे बढ़ाकर आर्यमणि के लिंग को अपने दोनो हाथ के बीच दबोचती.… "आज तो तुम्हारा हथियार भरी बंदूक की तरह तना है। उफ्फ ये कितना लंबा और मोटा है आर्यमणि... ये तो मेरे नीचे जब घुसेगा, मेरी छेद को और बड़ा कर देगा।…

"आह्ह्ह्ह, रिचा तुम्हारे हाथ... उफ्फ मजा आ रहा है ऐसे ही आगे पीछे करते रहो"….

रिचा अपना एक हाथ हटाकर आर्यमणि का एक हाथ अपने हरे भरे वक्ष पर डाली, और दूसरा हाथ ले जाकर अपनी योनि पर रखती... "जरा इनके साथ भी खेलो आर्य... निचोड़ डालो मेरे दोनो कबूतर को... मेरे योनि को पूरा मसल डालो... आह्ह्ह्हह… तुम्हारे होंठ मेरे होंठ से लगाकर... रस भरा चुम्बन का मजा दो आर्य"…

आर्यमणि, रिचा के कमर के पास अपना थोड़ा पाऊं फैलाकर बैठा। एक हाथ से उसके स्तन को जोर जोर से मसलने लगा। दूसरे हाथ पेंटी में डालकर उसकी योनि से खेलने लगा... होंठ से होंठ जुड़ चुके थे। आर्यमणि अपना जीभ अंदर तक डालकर रस भरा चुम्बन लेने लगा।

जिस्म में जैसे चिंगारी फूटी हो। रिचा का हाथ ऐसा कमाल कर रहा था की लिंग झटके खाने लगा। जोश इतना हावी था की आर्यमणि ने वक्ष को इतना तेज निचोड़ा की रिचा उठकर बैठ गई.… "आह.. जंगली.. उखड़ने तो नही वाले थे।"… लेकिन रिचा की बात का जैसे उसपर कोई असर ही नही हुआ हो।

आर्यमणि खड़ा हो गया। उसका खड़ा लिंग रिचा के मुंह के पास झूलने लगा। आर्यमणि रिचा के बाल को मुट्ठी में पकड़कर उसका गर्दन ऊपर किया और खुद का चेहरा नीचे झुकाकर एक जोरदार चुम्बन के बाद लिंग को रिचा के गाल से सटाकर हिलाने लगा। रिचा हंसती हुई पूछने लगी... "इसका क्या मतलब है मेरे भोले शिकारी"…

आर्यमणि बिना कोई जवाब दिए लिंग को अब उसके होंठ से लगा दिया... रिचा बिना कोई देर किए अपना मुंह खोल दी। जैसे ही रिचा मुंह खोली आर्यमणि अपना तना लिंग झटके में अंदर डालकर कमर को झटका देने लगा। रिचा का पूरा मुंह भर गया। आर्यमणि का जोश रिचा से संभाला नही जा रहा था। वह लिंग को बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और आर्यमणि उसका बाल पकड़कर मुंह में ही जोर जोर से झटके मारने लगा... रिचा जब ज्यादा जोड़ लगाकर लिंग को मुंह से निकालने की कोशिश की, आर्यमणि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।


रिचा के पूरे गाल लाल हो गए। मुंह का लार चूकर उसके पूरे मुंह और छाती पर फैल गया था। रिचा का पूरा मुंह लाल हो गया था। रिचा किसी तरह हिम्मत जुटाकर आर्यमणि को धक्का दी और बिस्तर पर हाथ फैलाकर लेट गई। लेटकर वो अपने श्वांस सामान्य कर रही थी तभी आर्यमणि रिचा के पेंटी को एक झटके में उसके पाऊं खींचकर निकाल दिया। रिचा संभल भी नही पाई थी उस से पहले ही आर्यमणि ने उसके दोनो पाऊं फैला दिया। पाऊं फैलते ही रिचा की योनि बिलकुल सामने थी.… "यहां तो ऐसा लग रहा है कभी बाल ही नही थे... बाल कहां गए रिचा"…


रिचा झल्लाती हुई.… "तुझ चुतिए के लिए अपनी चूत को साफ़ करके आयी थी। साले जंगली, हरामजदा"…


रिचा इतना बोल ही रही थी की तभी आर्यमणि अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उसकी योनि पर रखा और योनि के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत घिसने लगा.… "आआआह्ह्ह.. हां हां... आह्हहहहह, मर गई आर्य.. उफ्फ…" चिंगारियां रिचा के बदन से फूटनी शुरू हो गई.. उसका सारा गुस्सा मादक सिसकारी में बदल गया। आर्यमणि के बाल को मुट्ठी में दबोच कर उसका मुंह अपने योनि के अंदर और भी दबाने लगी। अपने गोरे चिकने पाऊं से उसके गर्दन पर दवाब बनाने लगी। रिचा ऐसी पागल हुई की उसका कमर हिलने लगा।

कुछ देर की योनि चुसाई में ही रिचा पिघल कर बह गई। आर्यमणि के बाल को खींचकर वो अपने ऊपर ली और नीचे हाथ लगाकर उसका लिंग पकड़ती अपनी योनि पर घिसने लगी.… "आह्हहहहह, आर्य चूत को तुम्हारे लिए ही संवार कर लाई थी... आज शांत कर दो... बहुत जल रहा है।"..


आर्यमणि भी रिचा के पूरा ऊपर आते उसके गर्दन को चूमना शुरू किया और एक ही झटके में अपना पूरा लिंग रिचा के योनी में उतार दिया। "आह्ह्ह्ह्" की मादक सिसकारी के साथ रिचा हवा में उड़ने लगी। आर्यमणि तो जैसे मजे के सागर में था। लिंग कसा हुआ अंदर जाता और बाहर आता। उसे ऐसा लग रहा था वह योनि के छेद को फैलाकर अंदर घुसा रहा और बाहर कर रहा।


दोनो के गोरे बदन पसीने से तर थे। रिचा अपने पूरा पाऊं फैलाए आर्यमणि के नीचे थी और ऊपर से आर्यमणि उभरा हुआ नितंब दिख रहा था जो नीचे अपने लिंग से कसी हुई योनि में लगातार जगह बनाते धक्का मार रहा था। रिचा अपना सर दाएं बाएं करती मादक सिसकारियां भर रही थी। आर्यमणि का नया खून पूरे उबाल पर थापा थाप धक्के लगा रहा था।


योनि और लिंग का संगम इतना झन्नाटेदार था की आर्यमणि पहले धक्के से जो शुरू हुआ फिर रुका ही नही... धक्कों की रफ्तार अपने बुलंदियों पर.. आर्यमणि हांफते हुए धक्का लगा रहा था। रिचा सिसकारी भरती हर धक्के मजा ले रही थी। तभी पहले रिचा की सिसकारी अपनी बुलंदियों पर गई फिर आर्यमणि धक्का मरते मारते पूरा उफान पर आ गया... "आह्हहहहहहहहहहहहह" की जोरदार आवाज दोनो के मुंह से एक साथ निकली और आर्यमणि हांफते हुए रिचा के ऊपर लेट गया।


कुछ देर बाद रिचा आर्यमणि को अपने ऊपर से हटती, उठ गई। रिचा जैसे ही उठी आर्यमणि उसका हाथ पकड़ते... तुम जा रही हो क्या?"..


रिचा:– अपनी एक बार की शर्त थी...


आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर गिराया। उसके गोल सुडोल वक्ष आर्यमणि के सीने में धस गया। आर्यमणि रिचा के चेहरे को ऊपर करता... "हां शर्त ये थी की एक बार तुम न्यूड शो दिखाओगी और उसमे मैं अपनी मर्जी का कर सकता हूं"…


रिचा, हंसती हुई आर्यमणि के होंठ पर एक जोरदार चुम्बन देती... "मतलब"…. आर्यमणि, रिचा के दोनो पाऊं फैलाकर अपने कमर पर लदने के लिए विवश कर दिया और अगले ही पल अपने लिंग को उसके योनि के से लगाकर एक धक्का लगाते... "मतलब तुम्हारे अंदर मेरा हथियार कितनी बार जायेगा वो तय नहीं हुआ था"…


"आह्हहहहहहहहहहह... जंगली... पहले बता तो देते मैं तैयार हो जाती... उफ्फ कहर ढा रहे हो आर्यमणि"…


आर्यमणि घचाघच धक्के लगाते... "किसी शिकारी का शिकार करना काफी मजेदार होता है वो भी तब जब केवल एक बार के लिए आयी हो। फिर तो नाग का पूरा जहर उतर दो".…


"उफ्फफफफफफफफ, ऊम्ममममम आर्य... एक ही बार में पूरा निचोड़ लोगे क्या... मेरी चूत का भोसड़ा बना दिए"…


आर्यमणि, रिचा को सीधा बिठाया। रिचा आर्यमणि के लिंग पर सीधा बैठी थी और आर्यमणि लेटकर नीचे से धक्का मार रहा था... आर्यमणि अपने दोनो हाथ ऊपर ले जाकर उसके 34 के साइज के गोल वक्ष को अपने दोनो हाथ में दबोचकर... "ये चूत और भोसड़ा कहां से सीखी"…


"ऊम्मममममममममममम... आह्हहहहहहहहहह, तुम्हे किसी ने अब तक लंड, चूत नही सिखाया"…


"उफ्फफफफफ तुम हो न... मेरा हथियार जैसे बटर की भट्टी में जा रहा है... कितना मजा आ रहा है धक्का मारने में"…


"अह्ह्ह्ह… तुम्हारा लंड और स्टेमिना दोनो मजेदार है..." फिर रिचा अपने बालों को झटकती... "आह्हहहहहहह, और तेज चोदो मुझे... ऊम्मममममममम, आज चूत फाड़ दो… आज तो बड़ी तड़प रही... हां.. हां.. हां.. ऐसे ही तेज तेज धक्का मरते रहो… आह्हहहहहहहहहह, कहां थे आर्यमणि अब तक... उफ्फ चूची पर तो रहम नहीं किया.. चोदो.. चोदो… और तेज.. और तेज..."


"उफ्फ काफी गरम हो गई हो... वैसे रहता तो तुम्हारे पास ही हूं"…. "हां आर्यमणि काफी गरम हो गई.. ऐसे ही चोद चोद के ठंडा करो... आह्हहहहहहहह, ऊम्मममममम.. जब जी करे रात को लंड लेकर चले आना... आज शर्त वाला है... आगे कोई शर्त नहीं... जैसे मर्जी हो चोदना... उफ्फफफफफफफ, मेरा ओर्गास्म हो गया रे… आह्ह्ह्ह्ह"..


घमासान के बाद एक फिर दोनो हांफते हुए लेटे। रिचा को लगा की आर्यमणि कहीं तीसरे राउंड के लिए न तैयार हो जाए। नया–नया सेक्स के सुरूर में अक्सर हो जाता है इसलिए रिचा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने कमरे में आ गई। जैसे ही कमरे में पहुंची वैसे ही कॉल लगा दी...


दूसरे ओर से... "सब हो गया"..


रिचा:– हां सब हो गया और आर्यमणि ने शेप शिफ्ट नही किया। और कोई टेस्ट बाकी है....


दूसरी ओर से... "नही और कोई टेस्ट बाकी नही। लगता है आर्यमणि के दादा ने उसे कुछ खास दिया है। या फिर गंगटोक में उसे कुछ ऐसा मिल गया है जिससे वेयरवुल्फ तो उसके सामने कुछ है ही नही... उसकी ताकत के सोर्स का पता करना होगा।"..


रिचा:– वो अच्छा लड़का है। वुल्फ की जिंदगी सवार रहा है। फिर आप सबको उसकी ताकत का सोर्स क्यों जानना है। शिकारी भी सक्षम है वोल्फ से लड़ने में। फिर आप उसकी ताकत का सोर्स जानकर क्या करेंगे.. वोल्फ की तरह खुद भी तो कहीं ताकत बढ़ाने की चाह है आप सबकी।


दूसरी ओर से:– ये तुम्हारे चिंतन का विषय नही। जितना कहा जाए बस उतना करो..


रिचा:– जितना कहा उतना कर दिया। अब यदि मुझसे आर्यमणि के बारे में कुछ भी पता करवाने की उम्मीद नहीं रखियेगा... मैं किसी के ताकत का सोर्स पता करके उसकी ताकत पाने की चाह में प्रहरी नही ज्वाइन की हूं, इसलिए आगे मुझसे कोई उम्मीद न रखिए...


रिचा फोन रखकर खुद में ही समीक्षा करती.… "आखिर ये सब के सब आर्यमणि के पीछे हाथ धोकर क्यों परे है। उफ्फ बात कुछ भी हो लेकिन रात बना दी लड़के ने। क्या जोश है... जबतक किसी की हो न जाति मैं तो पूरा मजा लूंगी अब"…


रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
Richa apne planning ke tahat hi aarya ke pass aayi thi, lakin uski planning fail ho gyi, aur ye parde ke pichhe kaun hai jo aarya ki asaliyat aur takat ka rahasy janane ko itna utawala hai.
Nice update brother waiting for next update
 

Scorpionking

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भाग:–33



शाम के लगभग 7.30 बज रहे थे जब आज एक बार फिर रूही अलबेली को बस्ती भेज रही थी। लेकिन आर्यमणि, रूही को नजरों से ही समझा दिया की अब रुक जाना चाहिए और वह घर वापस लौट आया। जैसे ही वो पहुंचा भूमि अपने कमरे से बाहर निकलती… "आर्य तैयार हो जा"..


आर्यमणि:- ठीक है दीदी…


थोड़ी देर बाद पुरा परिवार साथ था। सभी लोग मंदिर जाकर पूजा किये। भूमि के चेहरे पर अलग ही खुशी थी। वो आर्यमणि के माथे पर तिलक लगती हुई कहने लगी… "बहुत जल्द परिवार में तुझे कोई मामा कहने वाला आयेगा। उसके नन्हे-नन्हे हाथो को पकड़कर तू उसे चलना सिखाएगा। सिखाएगा ना।"


आर्यमणि प्यार से भूमि के गाल पर रंग लगाते…. "मेरा उतराधिकारी वही बनेगा। केवल प्रहरी वाली इक्छा मत बोलना दीदी।"..


भूमि:- ठीक है नहीं बोलूंगी खुश। बस कुछ बातें हैं जो मै घर चलकर आराम से बताउंगी।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है दीदी।


वहां से सीधा भूमि अपने मायके निकल गई। घर गई, मीनाक्षी से मिली और घर में शोर-गुल होने लगा। इसी बीच जया और केशव भी पहुंच गए।… "अरे दीदी अब मै यहीं रहने वाली हूं, क्यों इतना शोर मचा रही हो।"..


तभी अंदर से भूमि निकल कर आयी और जया को पाऊं छू कर प्रणाम करने लगी। जया भूमि का खिला चेहरा देखते ही समझ गई और उसे अपने गले से लगाकर उसके गाल को चूमती… "अब तू यहां से हिलेगी नहीं। पूरे 33 महीने जबतक तेरा आने वाला 2 साल का नहीं होता। और इसपर कोई बहस नहीं होगी। आर्य, चल तू घर बदल ले बेटा। आज से तू भी यहीं रहेगा।"..


अब जब जया मासी ने बोल दिया फिर कौन बात टाल सकता था। ना तो भूमि ने एक बार भी ना नुकर की और ना ही जयदेव ने कुछ बोला। अगले 3-4 दिन तक तो बधाई देने वालों का मेला लगा हुआ था। जो आ सकते थे वो भूमि से आकर मिले। जो नहीं आ सकते थे उन्होंने फोन पर ही बधाइयां दे दी।


सनिवार की रात थी जब भूमि को आर्यमणि के वूल्फ पैक बनाने वाली बात पता चल गई। भूमि थोड़ी खींची और चिढी भी हुई थी, बस सही मौके के इंतजार में थी। थोड़ा इंतजार करना पड़ा लेकिन वो मौका भी मिल ही गया। भूमि अकेली थी और जैसे ही आर्यमणि उसके करीब आकर बैठ… "यहां मेरे पास क्यों आए हो?"


आर्यमणि:- आपसे बात करने।


भूमि:- क्यों?


आर्यमणि:- हम्मम ! इतना गुस्सा। मतलब आपको मेरी और सरदार खान की बात पता चल गई।


भूमि:- सरदार खान को बाद में देखूंगी। पहले तो मै तेरे पैक के बारे में जानना चाहूंगी। तू क्या वुल्फ है जो तुझे पैक चाहिए।


आर्यमणि, चौंकते हुए…. "वुल्फ इसे पैक का नाम देते है हम इसे क्लोज रिश्ता कहते है। इसमें गलत क्या है।


भूमि:- है गलत, जुबान ना लड़ाओ।


आर्यमणि:- आप मुझसे यहां झगड़ा करने बैठी हो या सवालों के जवाब चाहिए।


भूमि:- सवालों के जवाब।


आर्यमणि:- पहला सवाल?


भूमि हंस दी… "मुझे पिघला मत। पक्की खबर आयी है कि तूने वेयरवुल्फ का नया पैक बनाया है।"


आर्यमणि:- हां बनाया है, आपको बताता भी लेकिन उस रात आपने इतनी बड़ी खुशखबरी दी कि मै अपनी बात भुल गया। पैक का नाम भी है, अल्फा पैक।


भूमि:- पूछ सकती हूं क्यों पैक बनाया?


आर्यमणि:- भूमि देसाई ने उसी लड़की रूही को क्यों बचाया जिसे सड़क पर लड़के नोच रहे थे? आपको यदि रूही या अलबेली मे जानवर दिख रहा है तो आप दूर रहिए। मुझे वो इंसान नजर आती है जिनके अंदर भावनाएं है। इसलिए उनसे दोस्ती है। उन्होंने कहा हम पैक को परिवार मानते है और यहां मेरा कोई परिवार नहीं। सो मैंने उसके भावना का मान रखा। कोई मेरे परिवार को तंग कर रहा था, इसलिए मैंने तंग करने वालों को उसके नियम अनुसार सजा दे आया। अब आप मुझे कह दो कि मै गलत हूं।


भूमि:- बेटा तेरी बात सच है लेकिन अगर उसने भी तुझे अपने जैसा बना दिया तो।


आर्यमणि, भूमि के गाल खिंचते… "कितना चाहोगी आप मुझे। बस हर प्वाइंट में यही ढूंढ़ती हो की कहीं मै आपसे दूर तो नहीं हो रहा। बाइट का असर करने का नियम है। बाइट का विषाणु शरीर के ब्लड फ्लो से होते हुए सीने तक पहुंचने में 6 से 8 घंटे लेता है, जबकि लूथरिया बुलापिन उसी विषाणु का तोड़ है। रोज मेरे आने के बाद एक इंजेक्शन लगा देना।


भूमि:- हां लेकिन ये सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि बाइट किसी स्ट्रॉन्ग अल्फा की हुई तो लूथरिया बुलापिनी जहर की तरह काम करेगा और बाइट के बाद जितनी दूर तक वो विषाणु फैला होगा, वो अंग निष्क्रिय हो जाएगा।


आर्यमणि:- तभी तो उन्हें कंट्रोल सीखा रहा हूं और साथ में ये भी की जानवर का शिकार करके मासहारी प्रवृति अपने अंदर ना लाए। हो सके तो फल सब्जी पर आश्रित रहे और भूना हुआ मांस ही खाए। अब बोलो।


भूमि:- ठीक है तू सही मै गलत। जा अपना लंबा चौड़ा पैक बना ताकि उन्हें अच्छी जिंदगी मिले। प्रहरी समूह मे इसपर कोई सवाल-जवाब हुआ तो तेजस दादा जवाब देंगे। वैसे भी मैं बहुत इक्कछुक है उस सरदार खान की नकेल कसने के लिए। जा तू आराम कर, बाकी के काम मैं देखती हूं।


आर्यमणि, अपने कमरे में आराम करने चला गया। यही कोई रात के 2 बजे उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा जब खुला तो सामने रिचा थी, और क्या अवतार में थी। एकबार तो आर्यमणि की नजर भी ठहर गयि। रिचा, आर्यमणि को किनारे कर अंदर उसके बिस्तर पर बैठती.… "वहीं खड़े अब भी मेरे बारे में कल्पना कर रहे क्या?"…


आर्यमणि:– नही तो...


रिचा:– तो फिर रूम लॉक करो और आओ...


जैसे ही आर्यमणि रूम लॉक करके पलटा उसकी आंखें फैल गई। रिचा अपने ऊपर के कपड़े उतारकर केवल ब्रा और पेंटी में बैठी थी।…. "देखो तुम शर्त की बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले ली हो। या फिर यहां कुछ और जानने के इरादे से हो"…


रिचा, आर्यमणि को देखकर हंसने लगी और अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने हाथों से ब्रा को उतारती… "कुछ और जानने से तुम्हारा मतलब"…


आर्यमणि:– रिचा किसी को पता चला तो परिवार में बवाल हो जाएगा, तुम ऐसे अदा मत दिखाओ मुझे...


"और यदि मैं परिवार से नही होती तो"… रिचा अपने गोल सुडोल स्तनों के साथ खेलती हुई पूछने लगी...


आर्यमणि:– देखो मेरी शादी तय हो गई है। मेरी एक गर्लफ्रेंड है...


रिचा, अपने दोनो पाऊं फैलाकर पेंटी में अपना हाथ डाल ली, और मादकता से अपने होंठ काटती... "तो आओ ना लड़के, दिखाओ की तुम अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे संतुष्ट करोगे"…


आर्यमणि:– ऐसी बात है रिचा... लेकिन एक बात बता दूं मैं... मुझे किसी लड़की को खुश करने का जरा भी अनुभव नही...

"आह्ह्ह… क्या वाकई में आर्य… तो जब तुम इतने कच्चे हो फिर तो अब तक तुम्हे कूदकर मेरे ऊपर चढ़ जाना चाहिए था और अपनी हसरत खोलकर दिखा देना थी"…

"ऐसी बात है क्या"…. कहते हुए आर्यमणि ने रिचा को धक्का देकर लिटा दिया और अपना पैंट खोलकर सीधा बिस्तर पर चढ़ गया.…

रिचा अपना हाथ आगे बढ़ाकर आर्यमणि के लिंग को अपने दोनो हाथ के बीच दबोचती.… "आज तो तुम्हारा हथियार भरी बंदूक की तरह तना है। उफ्फ ये कितना लंबा और मोटा है आर्यमणि... ये तो मेरे नीचे जब घुसेगा, मेरी छेद को और बड़ा कर देगा।…

"आह्ह्ह्ह, रिचा तुम्हारे हाथ... उफ्फ मजा आ रहा है ऐसे ही आगे पीछे करते रहो"….

रिचा अपना एक हाथ हटाकर आर्यमणि का एक हाथ अपने हरे भरे वक्ष पर डाली, और दूसरा हाथ ले जाकर अपनी योनि पर रखती... "जरा इनके साथ भी खेलो आर्य... निचोड़ डालो मेरे दोनो कबूतर को... मेरे योनि को पूरा मसल डालो... आह्ह्ह्हह… तुम्हारे होंठ मेरे होंठ से लगाकर... रस भरा चुम्बन का मजा दो आर्य"…

आर्यमणि, रिचा के कमर के पास अपना थोड़ा पाऊं फैलाकर बैठा। एक हाथ से उसके स्तन को जोर जोर से मसलने लगा। दूसरे हाथ पेंटी में डालकर उसकी योनि से खेलने लगा... होंठ से होंठ जुड़ चुके थे। आर्यमणि अपना जीभ अंदर तक डालकर रस भरा चुम्बन लेने लगा।

जिस्म में जैसे चिंगारी फूटी हो। रिचा का हाथ ऐसा कमाल कर रहा था की लिंग झटके खाने लगा। जोश इतना हावी था की आर्यमणि ने वक्ष को इतना तेज निचोड़ा की रिचा उठकर बैठ गई.… "आह.. जंगली.. उखड़ने तो नही वाले थे।"… लेकिन रिचा की बात का जैसे उसपर कोई असर ही नही हुआ हो।

आर्यमणि खड़ा हो गया। उसका खड़ा लिंग रिचा के मुंह के पास झूलने लगा। आर्यमणि रिचा के बाल को मुट्ठी में पकड़कर उसका गर्दन ऊपर किया और खुद का चेहरा नीचे झुकाकर एक जोरदार चुम्बन के बाद लिंग को रिचा के गाल से सटाकर हिलाने लगा। रिचा हंसती हुई पूछने लगी... "इसका क्या मतलब है मेरे भोले शिकारी"…

आर्यमणि बिना कोई जवाब दिए लिंग को अब उसके होंठ से लगा दिया... रिचा बिना कोई देर किए अपना मुंह खोल दी। जैसे ही रिचा मुंह खोली आर्यमणि अपना तना लिंग झटके में अंदर डालकर कमर को झटका देने लगा। रिचा का पूरा मुंह भर गया। आर्यमणि का जोश रिचा से संभाला नही जा रहा था। वह लिंग को बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और आर्यमणि उसका बाल पकड़कर मुंह में ही जोर जोर से झटके मारने लगा... रिचा जब ज्यादा जोड़ लगाकर लिंग को मुंह से निकालने की कोशिश की, आर्यमणि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।


रिचा के पूरे गाल लाल हो गए। मुंह का लार चूकर उसके पूरे मुंह और छाती पर फैल गया था। रिचा का पूरा मुंह लाल हो गया था। रिचा किसी तरह हिम्मत जुटाकर आर्यमणि को धक्का दी और बिस्तर पर हाथ फैलाकर लेट गई। लेटकर वो अपने श्वांस सामान्य कर रही थी तभी आर्यमणि रिचा के पेंटी को एक झटके में उसके पाऊं खींचकर निकाल दिया। रिचा संभल भी नही पाई थी उस से पहले ही आर्यमणि ने उसके दोनो पाऊं फैला दिया। पाऊं फैलते ही रिचा की योनि बिलकुल सामने थी.… "यहां तो ऐसा लग रहा है कभी बाल ही नही थे... बाल कहां गए रिचा"…


रिचा झल्लाती हुई.… "तुझ चुतिए के लिए अपनी चूत को साफ़ करके आयी थी। साले जंगली, हरामजदा"…


रिचा इतना बोल ही रही थी की तभी आर्यमणि अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उसकी योनि पर रखा और योनि के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत घिसने लगा.… "आआआह्ह्ह.. हां हां... आह्हहहहह, मर गई आर्य.. उफ्फ…" चिंगारियां रिचा के बदन से फूटनी शुरू हो गई.. उसका सारा गुस्सा मादक सिसकारी में बदल गया। आर्यमणि के बाल को मुट्ठी में दबोच कर उसका मुंह अपने योनि के अंदर और भी दबाने लगी। अपने गोरे चिकने पाऊं से उसके गर्दन पर दवाब बनाने लगी। रिचा ऐसी पागल हुई की उसका कमर हिलने लगा।

कुछ देर की योनि चुसाई में ही रिचा पिघल कर बह गई। आर्यमणि के बाल को खींचकर वो अपने ऊपर ली और नीचे हाथ लगाकर उसका लिंग पकड़ती अपनी योनि पर घिसने लगी.… "आह्हहहहह, आर्य चूत को तुम्हारे लिए ही संवार कर लाई थी... आज शांत कर दो... बहुत जल रहा है।"..


आर्यमणि भी रिचा के पूरा ऊपर आते उसके गर्दन को चूमना शुरू किया और एक ही झटके में अपना पूरा लिंग रिचा के योनी में उतार दिया। "आह्ह्ह्ह्" की मादक सिसकारी के साथ रिचा हवा में उड़ने लगी। आर्यमणि तो जैसे मजे के सागर में था। लिंग कसा हुआ अंदर जाता और बाहर आता। उसे ऐसा लग रहा था वह योनि के छेद को फैलाकर अंदर घुसा रहा और बाहर कर रहा।


दोनो के गोरे बदन पसीने से तर थे। रिचा अपने पूरा पाऊं फैलाए आर्यमणि के नीचे थी और ऊपर से आर्यमणि उभरा हुआ नितंब दिख रहा था जो नीचे अपने लिंग से कसी हुई योनि में लगातार जगह बनाते धक्का मार रहा था। रिचा अपना सर दाएं बाएं करती मादक सिसकारियां भर रही थी। आर्यमणि का नया खून पूरे उबाल पर थापा थाप धक्के लगा रहा था।


योनि और लिंग का संगम इतना झन्नाटेदार था की आर्यमणि पहले धक्के से जो शुरू हुआ फिर रुका ही नही... धक्कों की रफ्तार अपने बुलंदियों पर.. आर्यमणि हांफते हुए धक्का लगा रहा था। रिचा सिसकारी भरती हर धक्के मजा ले रही थी। तभी पहले रिचा की सिसकारी अपनी बुलंदियों पर गई फिर आर्यमणि धक्का मरते मारते पूरा उफान पर आ गया... "आह्हहहहहहहहहहहहह" की जोरदार आवाज दोनो के मुंह से एक साथ निकली और आर्यमणि हांफते हुए रिचा के ऊपर लेट गया।


कुछ देर बाद रिचा आर्यमणि को अपने ऊपर से हटती, उठ गई। रिचा जैसे ही उठी आर्यमणि उसका हाथ पकड़ते... तुम जा रही हो क्या?"..


रिचा:– अपनी एक बार की शर्त थी...


आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर गिराया। उसके गोल सुडोल वक्ष आर्यमणि के सीने में धस गया। आर्यमणि रिचा के चेहरे को ऊपर करता... "हां शर्त ये थी की एक बार तुम न्यूड शो दिखाओगी और उसमे मैं अपनी मर्जी का कर सकता हूं"…


रिचा, हंसती हुई आर्यमणि के होंठ पर एक जोरदार चुम्बन देती... "मतलब"…. आर्यमणि, रिचा के दोनो पाऊं फैलाकर अपने कमर पर लदने के लिए विवश कर दिया और अगले ही पल अपने लिंग को उसके योनि के से लगाकर एक धक्का लगाते... "मतलब तुम्हारे अंदर मेरा हथियार कितनी बार जायेगा वो तय नहीं हुआ था"…


"आह्हहहहहहहहहहह... जंगली... पहले बता तो देते मैं तैयार हो जाती... उफ्फ कहर ढा रहे हो आर्यमणि"…


आर्यमणि घचाघच धक्के लगाते... "किसी शिकारी का शिकार करना काफी मजेदार होता है वो भी तब जब केवल एक बार के लिए आयी हो। फिर तो नाग का पूरा जहर उतर दो".…


"उफ्फफफफफफफफ, ऊम्ममममम आर्य... एक ही बार में पूरा निचोड़ लोगे क्या... मेरी चूत का भोसड़ा बना दिए"…


आर्यमणि, रिचा को सीधा बिठाया। रिचा आर्यमणि के लिंग पर सीधा बैठी थी और आर्यमणि लेटकर नीचे से धक्का मार रहा था... आर्यमणि अपने दोनो हाथ ऊपर ले जाकर उसके 34 के साइज के गोल वक्ष को अपने दोनो हाथ में दबोचकर... "ये चूत और भोसड़ा कहां से सीखी"…


"ऊम्मममममममममममम... आह्हहहहहहहहहह, तुम्हे किसी ने अब तक लंड, चूत नही सिखाया"…


"उफ्फफफफफ तुम हो न... मेरा हथियार जैसे बटर की भट्टी में जा रहा है... कितना मजा आ रहा है धक्का मारने में"…


"अह्ह्ह्ह… तुम्हारा लंड और स्टेमिना दोनो मजेदार है..." फिर रिचा अपने बालों को झटकती... "आह्हहहहहहह, और तेज चोदो मुझे... ऊम्मममममममम, आज चूत फाड़ दो… आज तो बड़ी तड़प रही... हां.. हां.. हां.. ऐसे ही तेज तेज धक्का मरते रहो… आह्हहहहहहहहहह, कहां थे आर्यमणि अब तक... उफ्फ चूची पर तो रहम नहीं किया.. चोदो.. चोदो… और तेज.. और तेज..."


"उफ्फ काफी गरम हो गई हो... वैसे रहता तो तुम्हारे पास ही हूं"…. "हां आर्यमणि काफी गरम हो गई.. ऐसे ही चोद चोद के ठंडा करो... आह्हहहहहहहह, ऊम्मममममम.. जब जी करे रात को लंड लेकर चले आना... आज शर्त वाला है... आगे कोई शर्त नहीं... जैसे मर्जी हो चोदना... उफ्फफफफफफफ, मेरा ओर्गास्म हो गया रे… आह्ह्ह्ह्ह"..


घमासान के बाद एक फिर दोनो हांफते हुए लेटे। रिचा को लगा की आर्यमणि कहीं तीसरे राउंड के लिए न तैयार हो जाए। नया–नया सेक्स के सुरूर में अक्सर हो जाता है इसलिए रिचा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने कमरे में आ गई। जैसे ही कमरे में पहुंची वैसे ही कॉल लगा दी...


दूसरे ओर से... "सब हो गया"..


रिचा:– हां सब हो गया और आर्यमणि ने शेप शिफ्ट नही किया। और कोई टेस्ट बाकी है....


दूसरी ओर से... "नही और कोई टेस्ट बाकी नही। लगता है आर्यमणि के दादा ने उसे कुछ खास दिया है। या फिर गंगटोक में उसे कुछ ऐसा मिल गया है जिससे वेयरवुल्फ तो उसके सामने कुछ है ही नही... उसकी ताकत के सोर्स का पता करना होगा।"..


रिचा:– वो अच्छा लड़का है। वुल्फ की जिंदगी सवार रहा है। फिर आप सबको उसकी ताकत का सोर्स क्यों जानना है। शिकारी भी सक्षम है वोल्फ से लड़ने में। फिर आप उसकी ताकत का सोर्स जानकर क्या करेंगे.. वोल्फ की तरह खुद भी तो कहीं ताकत बढ़ाने की चाह है आप सबकी।


दूसरी ओर से:– ये तुम्हारे चिंतन का विषय नही। जितना कहा जाए बस उतना करो..


रिचा:– जितना कहा उतना कर दिया। अब यदि मुझसे आर्यमणि के बारे में कुछ भी पता करवाने की उम्मीद नहीं रखियेगा... मैं किसी के ताकत का सोर्स पता करके उसकी ताकत पाने की चाह में प्रहरी नही ज्वाइन की हूं, इसलिए आगे मुझसे कोई उम्मीद न रखिए...


रिचा फोन रखकर खुद में ही समीक्षा करती.… "आखिर ये सब के सब आर्यमणि के पीछे हाथ धोकर क्यों परे है। उफ्फ बात कुछ भी हो लेकिन रात बना दी लड़के ने। क्या जोश है... जबतक किसी की हो न जाति मैं तो पूरा मजा लूंगी अब"…


रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
Shaandar update bhai maza aa gaya.lekin ye prahari m Richa ko order Dene wala kon hai ?....
 

Lib am

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भाग:–33



शाम के लगभग 7.30 बज रहे थे जब आज एक बार फिर रूही अलबेली को बस्ती भेज रही थी। लेकिन आर्यमणि, रूही को नजरों से ही समझा दिया की अब रुक जाना चाहिए और वह घर वापस लौट आया। जैसे ही वो पहुंचा भूमि अपने कमरे से बाहर निकलती… "आर्य तैयार हो जा"..


आर्यमणि:- ठीक है दीदी…


थोड़ी देर बाद पुरा परिवार साथ था। सभी लोग मंदिर जाकर पूजा किये। भूमि के चेहरे पर अलग ही खुशी थी। वो आर्यमणि के माथे पर तिलक लगती हुई कहने लगी… "बहुत जल्द परिवार में तुझे कोई मामा कहने वाला आयेगा। उसके नन्हे-नन्हे हाथो को पकड़कर तू उसे चलना सिखाएगा। सिखाएगा ना।"


आर्यमणि प्यार से भूमि के गाल पर रंग लगाते…. "मेरा उतराधिकारी वही बनेगा। केवल प्रहरी वाली इक्छा मत बोलना दीदी।"..


भूमि:- ठीक है नहीं बोलूंगी खुश। बस कुछ बातें हैं जो मै घर चलकर आराम से बताउंगी।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है दीदी।


वहां से सीधा भूमि अपने मायके निकल गई। घर गई, मीनाक्षी से मिली और घर में शोर-गुल होने लगा। इसी बीच जया और केशव भी पहुंच गए।… "अरे दीदी अब मै यहीं रहने वाली हूं, क्यों इतना शोर मचा रही हो।"..


तभी अंदर से भूमि निकल कर आयी और जया को पाऊं छू कर प्रणाम करने लगी। जया भूमि का खिला चेहरा देखते ही समझ गई और उसे अपने गले से लगाकर उसके गाल को चूमती… "अब तू यहां से हिलेगी नहीं। पूरे 33 महीने जबतक तेरा आने वाला 2 साल का नहीं होता। और इसपर कोई बहस नहीं होगी। आर्य, चल तू घर बदल ले बेटा। आज से तू भी यहीं रहेगा।"..


अब जब जया मासी ने बोल दिया फिर कौन बात टाल सकता था। ना तो भूमि ने एक बार भी ना नुकर की और ना ही जयदेव ने कुछ बोला। अगले 3-4 दिन तक तो बधाई देने वालों का मेला लगा हुआ था। जो आ सकते थे वो भूमि से आकर मिले। जो नहीं आ सकते थे उन्होंने फोन पर ही बधाइयां दे दी।


सनिवार की रात थी जब भूमि को आर्यमणि के वूल्फ पैक बनाने वाली बात पता चल गई। भूमि थोड़ी खींची और चिढी भी हुई थी, बस सही मौके के इंतजार में थी। थोड़ा इंतजार करना पड़ा लेकिन वो मौका भी मिल ही गया। भूमि अकेली थी और जैसे ही आर्यमणि उसके करीब आकर बैठ… "यहां मेरे पास क्यों आए हो?"


आर्यमणि:- आपसे बात करने।


भूमि:- क्यों?


आर्यमणि:- हम्मम ! इतना गुस्सा। मतलब आपको मेरी और सरदार खान की बात पता चल गई।


भूमि:- सरदार खान को बाद में देखूंगी। पहले तो मै तेरे पैक के बारे में जानना चाहूंगी। तू क्या वुल्फ है जो तुझे पैक चाहिए।


आर्यमणि, चौंकते हुए…. "वुल्फ इसे पैक का नाम देते है हम इसे क्लोज रिश्ता कहते है। इसमें गलत क्या है।


भूमि:- है गलत, जुबान ना लड़ाओ।


आर्यमणि:- आप मुझसे यहां झगड़ा करने बैठी हो या सवालों के जवाब चाहिए।


भूमि:- सवालों के जवाब।


आर्यमणि:- पहला सवाल?


भूमि हंस दी… "मुझे पिघला मत। पक्की खबर आयी है कि तूने वेयरवुल्फ का नया पैक बनाया है।"


आर्यमणि:- हां बनाया है, आपको बताता भी लेकिन उस रात आपने इतनी बड़ी खुशखबरी दी कि मै अपनी बात भुल गया। पैक का नाम भी है, अल्फा पैक।


भूमि:- पूछ सकती हूं क्यों पैक बनाया?


आर्यमणि:- भूमि देसाई ने उसी लड़की रूही को क्यों बचाया जिसे सड़क पर लड़के नोच रहे थे? आपको यदि रूही या अलबेली मे जानवर दिख रहा है तो आप दूर रहिए। मुझे वो इंसान नजर आती है जिनके अंदर भावनाएं है। इसलिए उनसे दोस्ती है। उन्होंने कहा हम पैक को परिवार मानते है और यहां मेरा कोई परिवार नहीं। सो मैंने उसके भावना का मान रखा। कोई मेरे परिवार को तंग कर रहा था, इसलिए मैंने तंग करने वालों को उसके नियम अनुसार सजा दे आया। अब आप मुझे कह दो कि मै गलत हूं।


भूमि:- बेटा तेरी बात सच है लेकिन अगर उसने भी तुझे अपने जैसा बना दिया तो।


आर्यमणि, भूमि के गाल खिंचते… "कितना चाहोगी आप मुझे। बस हर प्वाइंट में यही ढूंढ़ती हो की कहीं मै आपसे दूर तो नहीं हो रहा। बाइट का असर करने का नियम है। बाइट का विषाणु शरीर के ब्लड फ्लो से होते हुए सीने तक पहुंचने में 6 से 8 घंटे लेता है, जबकि लूथरिया बुलापिन उसी विषाणु का तोड़ है। रोज मेरे आने के बाद एक इंजेक्शन लगा देना।


भूमि:- हां लेकिन ये सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि बाइट किसी स्ट्रॉन्ग अल्फा की हुई तो लूथरिया बुलापिनी जहर की तरह काम करेगा और बाइट के बाद जितनी दूर तक वो विषाणु फैला होगा, वो अंग निष्क्रिय हो जाएगा।


आर्यमणि:- तभी तो उन्हें कंट्रोल सीखा रहा हूं और साथ में ये भी की जानवर का शिकार करके मासहारी प्रवृति अपने अंदर ना लाए। हो सके तो फल सब्जी पर आश्रित रहे और भूना हुआ मांस ही खाए। अब बोलो।


भूमि:- ठीक है तू सही मै गलत। जा अपना लंबा चौड़ा पैक बना ताकि उन्हें अच्छी जिंदगी मिले। प्रहरी समूह मे इसपर कोई सवाल-जवाब हुआ तो तेजस दादा जवाब देंगे। वैसे भी मैं बहुत इक्कछुक है उस सरदार खान की नकेल कसने के लिए। जा तू आराम कर, बाकी के काम मैं देखती हूं।


आर्यमणि, अपने कमरे में आराम करने चला गया। यही कोई रात के 2 बजे उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा जब खुला तो सामने रिचा थी, और क्या अवतार में थी। एकबार तो आर्यमणि की नजर भी ठहर गयि। रिचा, आर्यमणि को किनारे कर अंदर उसके बिस्तर पर बैठती.… "वहीं खड़े अब भी मेरे बारे में कल्पना कर रहे क्या?"…


आर्यमणि:– नही तो...


रिचा:– तो फिर रूम लॉक करो और आओ...


जैसे ही आर्यमणि रूम लॉक करके पलटा उसकी आंखें फैल गई। रिचा अपने ऊपर के कपड़े उतारकर केवल ब्रा और पेंटी में बैठी थी।…. "देखो तुम शर्त की बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले ली हो। या फिर यहां कुछ और जानने के इरादे से हो"…


रिचा, आर्यमणि को देखकर हंसने लगी और अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने हाथों से ब्रा को उतारती… "कुछ और जानने से तुम्हारा मतलब"…


आर्यमणि:– रिचा किसी को पता चला तो परिवार में बवाल हो जाएगा, तुम ऐसे अदा मत दिखाओ मुझे...


"और यदि मैं परिवार से नही होती तो"… रिचा अपने गोल सुडोल स्तनों के साथ खेलती हुई पूछने लगी...


आर्यमणि:– देखो मेरी शादी तय हो गई है। मेरी एक गर्लफ्रेंड है...


रिचा, अपने दोनो पाऊं फैलाकर पेंटी में अपना हाथ डाल ली, और मादकता से अपने होंठ काटती... "तो आओ ना लड़के, दिखाओ की तुम अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे संतुष्ट करोगे"…


आर्यमणि:– ऐसी बात है रिचा... लेकिन एक बात बता दूं मैं... मुझे किसी लड़की को खुश करने का जरा भी अनुभव नही...

"आह्ह्ह… क्या वाकई में आर्य… तो जब तुम इतने कच्चे हो फिर तो अब तक तुम्हे कूदकर मेरे ऊपर चढ़ जाना चाहिए था और अपनी हसरत खोलकर दिखा देना थी"…

"ऐसी बात है क्या"…. कहते हुए आर्यमणि ने रिचा को धक्का देकर लिटा दिया और अपना पैंट खोलकर सीधा बिस्तर पर चढ़ गया.…

रिचा अपना हाथ आगे बढ़ाकर आर्यमणि के लिंग को अपने दोनो हाथ के बीच दबोचती.… "आज तो तुम्हारा हथियार भरी बंदूक की तरह तना है। उफ्फ ये कितना लंबा और मोटा है आर्यमणि... ये तो मेरे नीचे जब घुसेगा, मेरी छेद को और बड़ा कर देगा।…

"आह्ह्ह्ह, रिचा तुम्हारे हाथ... उफ्फ मजा आ रहा है ऐसे ही आगे पीछे करते रहो"….

रिचा अपना एक हाथ हटाकर आर्यमणि का एक हाथ अपने हरे भरे वक्ष पर डाली, और दूसरा हाथ ले जाकर अपनी योनि पर रखती... "जरा इनके साथ भी खेलो आर्य... निचोड़ डालो मेरे दोनो कबूतर को... मेरे योनि को पूरा मसल डालो... आह्ह्ह्हह… तुम्हारे होंठ मेरे होंठ से लगाकर... रस भरा चुम्बन का मजा दो आर्य"…

आर्यमणि, रिचा के कमर के पास अपना थोड़ा पाऊं फैलाकर बैठा। एक हाथ से उसके स्तन को जोर जोर से मसलने लगा। दूसरे हाथ पेंटी में डालकर उसकी योनि से खेलने लगा... होंठ से होंठ जुड़ चुके थे। आर्यमणि अपना जीभ अंदर तक डालकर रस भरा चुम्बन लेने लगा।

जिस्म में जैसे चिंगारी फूटी हो। रिचा का हाथ ऐसा कमाल कर रहा था की लिंग झटके खाने लगा। जोश इतना हावी था की आर्यमणि ने वक्ष को इतना तेज निचोड़ा की रिचा उठकर बैठ गई.… "आह.. जंगली.. उखड़ने तो नही वाले थे।"… लेकिन रिचा की बात का जैसे उसपर कोई असर ही नही हुआ हो।

आर्यमणि खड़ा हो गया। उसका खड़ा लिंग रिचा के मुंह के पास झूलने लगा। आर्यमणि रिचा के बाल को मुट्ठी में पकड़कर उसका गर्दन ऊपर किया और खुद का चेहरा नीचे झुकाकर एक जोरदार चुम्बन के बाद लिंग को रिचा के गाल से सटाकर हिलाने लगा। रिचा हंसती हुई पूछने लगी... "इसका क्या मतलब है मेरे भोले शिकारी"…

आर्यमणि बिना कोई जवाब दिए लिंग को अब उसके होंठ से लगा दिया... रिचा बिना कोई देर किए अपना मुंह खोल दी। जैसे ही रिचा मुंह खोली आर्यमणि अपना तना लिंग झटके में अंदर डालकर कमर को झटका देने लगा। रिचा का पूरा मुंह भर गया। आर्यमणि का जोश रिचा से संभाला नही जा रहा था। वह लिंग को बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और आर्यमणि उसका बाल पकड़कर मुंह में ही जोर जोर से झटके मारने लगा... रिचा जब ज्यादा जोड़ लगाकर लिंग को मुंह से निकालने की कोशिश की, आर्यमणि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।


रिचा के पूरे गाल लाल हो गए। मुंह का लार चूकर उसके पूरे मुंह और छाती पर फैल गया था। रिचा का पूरा मुंह लाल हो गया था। रिचा किसी तरह हिम्मत जुटाकर आर्यमणि को धक्का दी और बिस्तर पर हाथ फैलाकर लेट गई। लेटकर वो अपने श्वांस सामान्य कर रही थी तभी आर्यमणि रिचा के पेंटी को एक झटके में उसके पाऊं खींचकर निकाल दिया। रिचा संभल भी नही पाई थी उस से पहले ही आर्यमणि ने उसके दोनो पाऊं फैला दिया। पाऊं फैलते ही रिचा की योनि बिलकुल सामने थी.… "यहां तो ऐसा लग रहा है कभी बाल ही नही थे... बाल कहां गए रिचा"…


रिचा झल्लाती हुई.… "तुझ चुतिए के लिए अपनी चूत को साफ़ करके आयी थी। साले जंगली, हरामजदा"…


रिचा इतना बोल ही रही थी की तभी आर्यमणि अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उसकी योनि पर रखा और योनि के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत घिसने लगा.… "आआआह्ह्ह.. हां हां... आह्हहहहह, मर गई आर्य.. उफ्फ…" चिंगारियां रिचा के बदन से फूटनी शुरू हो गई.. उसका सारा गुस्सा मादक सिसकारी में बदल गया। आर्यमणि के बाल को मुट्ठी में दबोच कर उसका मुंह अपने योनि के अंदर और भी दबाने लगी। अपने गोरे चिकने पाऊं से उसके गर्दन पर दवाब बनाने लगी। रिचा ऐसी पागल हुई की उसका कमर हिलने लगा।

कुछ देर की योनि चुसाई में ही रिचा पिघल कर बह गई। आर्यमणि के बाल को खींचकर वो अपने ऊपर ली और नीचे हाथ लगाकर उसका लिंग पकड़ती अपनी योनि पर घिसने लगी.… "आह्हहहहह, आर्य चूत को तुम्हारे लिए ही संवार कर लाई थी... आज शांत कर दो... बहुत जल रहा है।"..


आर्यमणि भी रिचा के पूरा ऊपर आते उसके गर्दन को चूमना शुरू किया और एक ही झटके में अपना पूरा लिंग रिचा के योनी में उतार दिया। "आह्ह्ह्ह्" की मादक सिसकारी के साथ रिचा हवा में उड़ने लगी। आर्यमणि तो जैसे मजे के सागर में था। लिंग कसा हुआ अंदर जाता और बाहर आता। उसे ऐसा लग रहा था वह योनि के छेद को फैलाकर अंदर घुसा रहा और बाहर कर रहा।


दोनो के गोरे बदन पसीने से तर थे। रिचा अपने पूरा पाऊं फैलाए आर्यमणि के नीचे थी और ऊपर से आर्यमणि उभरा हुआ नितंब दिख रहा था जो नीचे अपने लिंग से कसी हुई योनि में लगातार जगह बनाते धक्का मार रहा था। रिचा अपना सर दाएं बाएं करती मादक सिसकारियां भर रही थी। आर्यमणि का नया खून पूरे उबाल पर थापा थाप धक्के लगा रहा था।


योनि और लिंग का संगम इतना झन्नाटेदार था की आर्यमणि पहले धक्के से जो शुरू हुआ फिर रुका ही नही... धक्कों की रफ्तार अपने बुलंदियों पर.. आर्यमणि हांफते हुए धक्का लगा रहा था। रिचा सिसकारी भरती हर धक्के मजा ले रही थी। तभी पहले रिचा की सिसकारी अपनी बुलंदियों पर गई फिर आर्यमणि धक्का मरते मारते पूरा उफान पर आ गया... "आह्हहहहहहहहहहहहह" की जोरदार आवाज दोनो के मुंह से एक साथ निकली और आर्यमणि हांफते हुए रिचा के ऊपर लेट गया।


कुछ देर बाद रिचा आर्यमणि को अपने ऊपर से हटती, उठ गई। रिचा जैसे ही उठी आर्यमणि उसका हाथ पकड़ते... तुम जा रही हो क्या?"..


रिचा:– अपनी एक बार की शर्त थी...


आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर गिराया। उसके गोल सुडोल वक्ष आर्यमणि के सीने में धस गया। आर्यमणि रिचा के चेहरे को ऊपर करता... "हां शर्त ये थी की एक बार तुम न्यूड शो दिखाओगी और उसमे मैं अपनी मर्जी का कर सकता हूं"…


रिचा, हंसती हुई आर्यमणि के होंठ पर एक जोरदार चुम्बन देती... "मतलब"…. आर्यमणि, रिचा के दोनो पाऊं फैलाकर अपने कमर पर लदने के लिए विवश कर दिया और अगले ही पल अपने लिंग को उसके योनि के से लगाकर एक धक्का लगाते... "मतलब तुम्हारे अंदर मेरा हथियार कितनी बार जायेगा वो तय नहीं हुआ था"…


"आह्हहहहहहहहहहह... जंगली... पहले बता तो देते मैं तैयार हो जाती... उफ्फ कहर ढा रहे हो आर्यमणि"…


आर्यमणि घचाघच धक्के लगाते... "किसी शिकारी का शिकार करना काफी मजेदार होता है वो भी तब जब केवल एक बार के लिए आयी हो। फिर तो नाग का पूरा जहर उतर दो".…


"उफ्फफफफफफफफ, ऊम्ममममम आर्य... एक ही बार में पूरा निचोड़ लोगे क्या... मेरी चूत का भोसड़ा बना दिए"…


आर्यमणि, रिचा को सीधा बिठाया। रिचा आर्यमणि के लिंग पर सीधा बैठी थी और आर्यमणि लेटकर नीचे से धक्का मार रहा था... आर्यमणि अपने दोनो हाथ ऊपर ले जाकर उसके 34 के साइज के गोल वक्ष को अपने दोनो हाथ में दबोचकर... "ये चूत और भोसड़ा कहां से सीखी"…


"ऊम्मममममममममममम... आह्हहहहहहहहहह, तुम्हे किसी ने अब तक लंड, चूत नही सिखाया"…


"उफ्फफफफफ तुम हो न... मेरा हथियार जैसे बटर की भट्टी में जा रहा है... कितना मजा आ रहा है धक्का मारने में"…


"अह्ह्ह्ह… तुम्हारा लंड और स्टेमिना दोनो मजेदार है..." फिर रिचा अपने बालों को झटकती... "आह्हहहहहहह, और तेज चोदो मुझे... ऊम्मममममममम, आज चूत फाड़ दो… आज तो बड़ी तड़प रही... हां.. हां.. हां.. ऐसे ही तेज तेज धक्का मरते रहो… आह्हहहहहहहहहह, कहां थे आर्यमणि अब तक... उफ्फ चूची पर तो रहम नहीं किया.. चोदो.. चोदो… और तेज.. और तेज..."


"उफ्फ काफी गरम हो गई हो... वैसे रहता तो तुम्हारे पास ही हूं"…. "हां आर्यमणि काफी गरम हो गई.. ऐसे ही चोद चोद के ठंडा करो... आह्हहहहहहहह, ऊम्मममममम.. जब जी करे रात को लंड लेकर चले आना... आज शर्त वाला है... आगे कोई शर्त नहीं... जैसे मर्जी हो चोदना... उफ्फफफफफफफ, मेरा ओर्गास्म हो गया रे… आह्ह्ह्ह्ह"..


घमासान के बाद एक फिर दोनो हांफते हुए लेटे। रिचा को लगा की आर्यमणि कहीं तीसरे राउंड के लिए न तैयार हो जाए। नया–नया सेक्स के सुरूर में अक्सर हो जाता है इसलिए रिचा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने कमरे में आ गई। जैसे ही कमरे में पहुंची वैसे ही कॉल लगा दी...


दूसरे ओर से... "सब हो गया"..


रिचा:– हां सब हो गया और आर्यमणि ने शेप शिफ्ट नही किया। और कोई टेस्ट बाकी है....


दूसरी ओर से... "नही और कोई टेस्ट बाकी नही। लगता है आर्यमणि के दादा ने उसे कुछ खास दिया है। या फिर गंगटोक में उसे कुछ ऐसा मिल गया है जिससे वेयरवुल्फ तो उसके सामने कुछ है ही नही... उसकी ताकत के सोर्स का पता करना होगा।"..


रिचा:– वो अच्छा लड़का है। वुल्फ की जिंदगी सवार रहा है। फिर आप सबको उसकी ताकत का सोर्स क्यों जानना है। शिकारी भी सक्षम है वोल्फ से लड़ने में। फिर आप उसकी ताकत का सोर्स जानकर क्या करेंगे.. वोल्फ की तरह खुद भी तो कहीं ताकत बढ़ाने की चाह है आप सबकी।


दूसरी ओर से:– ये तुम्हारे चिंतन का विषय नही। जितना कहा जाए बस उतना करो..


रिचा:– जितना कहा उतना कर दिया। अब यदि मुझसे आर्यमणि के बारे में कुछ भी पता करवाने की उम्मीद नहीं रखियेगा... मैं किसी के ताकत का सोर्स पता करके उसकी ताकत पाने की चाह में प्रहरी नही ज्वाइन की हूं, इसलिए आगे मुझसे कोई उम्मीद न रखिए...


रिचा फोन रखकर खुद में ही समीक्षा करती.… "आखिर ये सब के सब आर्यमणि के पीछे हाथ धोकर क्यों परे है। उफ्फ बात कुछ भी हो लेकिन रात बना दी लड़के ने। क्या जोश है... जबतक किसी की हो न जाति मैं तो पूरा मजा लूंगी अब"…


रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
अब तक सबवाइज ही आर्य को मामा बना रहे थे और भूमि ने उसको सचमुच का मामा बना दिया। ये एक नई बात पता चली की भूमि आर्य से गुस्सा भी होती है। मगर आर्य ने उसको मना ही लिया।

ये कौन लोग है जो नहा धो के आर्य के पीछे पढ़े है और इतने टेस्ट ले रहे है, क्या इन्ही लोगो का पर्दाफाश करने वाला है आर्य। क्या ये वही लोग है जिन्होंने आर्य के दादाजी को संस्था से बाहर किया था?

अभी तक तो रूही ही नही मान रही थी की अब रिचा भी आ गई लाइन में ये R अक्षर वाली कुछ ज्यादा ही मेहरबान है आर्य पर। लगता है चित्र भी अब माधव के साथ ब्वॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड खेलना चाहती है तभी उसने माधव को घर बुलाया है अब कहीं इन दोनो रिश्ता। यहां से आगे बढ़ने के बजाय टूट ना जाए? कहीं ऐसा तो नहीं की माधव को भी आर्य के लिए प्लांट किया गया हो टीम में?

शानदार अपडेट।
 

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भाग:–33



शाम के लगभग 7.30 बज रहे थे जब आज एक बार फिर रूही अलबेली को बस्ती भेज रही थी। लेकिन आर्यमणि, रूही को नजरों से ही समझा दिया की अब रुक जाना चाहिए और वह घर वापस लौट आया। जैसे ही वो पहुंचा भूमि अपने कमरे से बाहर निकलती… "आर्य तैयार हो जा"..


आर्यमणि:- ठीक है दीदी…


थोड़ी देर बाद पुरा परिवार साथ था। सभी लोग मंदिर जाकर पूजा किये। भूमि के चेहरे पर अलग ही खुशी थी। वो आर्यमणि के माथे पर तिलक लगती हुई कहने लगी… "बहुत जल्द परिवार में तुझे कोई मामा कहने वाला आयेगा। उसके नन्हे-नन्हे हाथो को पकड़कर तू उसे चलना सिखाएगा। सिखाएगा ना।"


आर्यमणि प्यार से भूमि के गाल पर रंग लगाते…. "मेरा उतराधिकारी वही बनेगा। केवल प्रहरी वाली इक्छा मत बोलना दीदी।"..


भूमि:- ठीक है नहीं बोलूंगी खुश। बस कुछ बातें हैं जो मै घर चलकर आराम से बताउंगी।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है दीदी।


वहां से सीधा भूमि अपने मायके निकल गई। घर गई, मीनाक्षी से मिली और घर में शोर-गुल होने लगा। इसी बीच जया और केशव भी पहुंच गए।… "अरे दीदी अब मै यहीं रहने वाली हूं, क्यों इतना शोर मचा रही हो।"..


तभी अंदर से भूमि निकल कर आयी और जया को पाऊं छू कर प्रणाम करने लगी। जया भूमि का खिला चेहरा देखते ही समझ गई और उसे अपने गले से लगाकर उसके गाल को चूमती… "अब तू यहां से हिलेगी नहीं। पूरे 33 महीने जबतक तेरा आने वाला 2 साल का नहीं होता। और इसपर कोई बहस नहीं होगी। आर्य, चल तू घर बदल ले बेटा। आज से तू भी यहीं रहेगा।"..


अब जब जया मासी ने बोल दिया फिर कौन बात टाल सकता था। ना तो भूमि ने एक बार भी ना नुकर की और ना ही जयदेव ने कुछ बोला। अगले 3-4 दिन तक तो बधाई देने वालों का मेला लगा हुआ था। जो आ सकते थे वो भूमि से आकर मिले। जो नहीं आ सकते थे उन्होंने फोन पर ही बधाइयां दे दी।


सनिवार की रात थी जब भूमि को आर्यमणि के वूल्फ पैक बनाने वाली बात पता चल गई। भूमि थोड़ी खींची और चिढी भी हुई थी, बस सही मौके के इंतजार में थी। थोड़ा इंतजार करना पड़ा लेकिन वो मौका भी मिल ही गया। भूमि अकेली थी और जैसे ही आर्यमणि उसके करीब आकर बैठ… "यहां मेरे पास क्यों आए हो?"


आर्यमणि:- आपसे बात करने।


भूमि:- क्यों?


आर्यमणि:- हम्मम ! इतना गुस्सा। मतलब आपको मेरी और सरदार खान की बात पता चल गई।


भूमि:- सरदार खान को बाद में देखूंगी। पहले तो मै तेरे पैक के बारे में जानना चाहूंगी। तू क्या वुल्फ है जो तुझे पैक चाहिए।


आर्यमणि, चौंकते हुए…. "वुल्फ इसे पैक का नाम देते है हम इसे क्लोज रिश्ता कहते है। इसमें गलत क्या है।


भूमि:- है गलत, जुबान ना लड़ाओ।


आर्यमणि:- आप मुझसे यहां झगड़ा करने बैठी हो या सवालों के जवाब चाहिए।


भूमि:- सवालों के जवाब।


आर्यमणि:- पहला सवाल?


भूमि हंस दी… "मुझे पिघला मत। पक्की खबर आयी है कि तूने वेयरवुल्फ का नया पैक बनाया है।"


आर्यमणि:- हां बनाया है, आपको बताता भी लेकिन उस रात आपने इतनी बड़ी खुशखबरी दी कि मै अपनी बात भुल गया। पैक का नाम भी है, अल्फा पैक।


भूमि:- पूछ सकती हूं क्यों पैक बनाया?


आर्यमणि:- भूमि देसाई ने उसी लड़की रूही को क्यों बचाया जिसे सड़क पर लड़के नोच रहे थे? आपको यदि रूही या अलबेली मे जानवर दिख रहा है तो आप दूर रहिए। मुझे वो इंसान नजर आती है जिनके अंदर भावनाएं है। इसलिए उनसे दोस्ती है। उन्होंने कहा हम पैक को परिवार मानते है और यहां मेरा कोई परिवार नहीं। सो मैंने उसके भावना का मान रखा। कोई मेरे परिवार को तंग कर रहा था, इसलिए मैंने तंग करने वालों को उसके नियम अनुसार सजा दे आया। अब आप मुझे कह दो कि मै गलत हूं।


भूमि:- बेटा तेरी बात सच है लेकिन अगर उसने भी तुझे अपने जैसा बना दिया तो।


आर्यमणि, भूमि के गाल खिंचते… "कितना चाहोगी आप मुझे। बस हर प्वाइंट में यही ढूंढ़ती हो की कहीं मै आपसे दूर तो नहीं हो रहा। बाइट का असर करने का नियम है। बाइट का विषाणु शरीर के ब्लड फ्लो से होते हुए सीने तक पहुंचने में 6 से 8 घंटे लेता है, जबकि लूथरिया बुलापिन उसी विषाणु का तोड़ है। रोज मेरे आने के बाद एक इंजेक्शन लगा देना।


भूमि:- हां लेकिन ये सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि बाइट किसी स्ट्रॉन्ग अल्फा की हुई तो लूथरिया बुलापिनी जहर की तरह काम करेगा और बाइट के बाद जितनी दूर तक वो विषाणु फैला होगा, वो अंग निष्क्रिय हो जाएगा।


आर्यमणि:- तभी तो उन्हें कंट्रोल सीखा रहा हूं और साथ में ये भी की जानवर का शिकार करके मासहारी प्रवृति अपने अंदर ना लाए। हो सके तो फल सब्जी पर आश्रित रहे और भूना हुआ मांस ही खाए। अब बोलो।


भूमि:- ठीक है तू सही मै गलत। जा अपना लंबा चौड़ा पैक बना ताकि उन्हें अच्छी जिंदगी मिले। प्रहरी समूह मे इसपर कोई सवाल-जवाब हुआ तो तेजस दादा जवाब देंगे। वैसे भी मैं बहुत इक्कछुक है उस सरदार खान की नकेल कसने के लिए। जा तू आराम कर, बाकी के काम मैं देखती हूं।


आर्यमणि, अपने कमरे में आराम करने चला गया। यही कोई रात के 2 बजे उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा जब खुला तो सामने रिचा थी, और क्या अवतार में थी। एकबार तो आर्यमणि की नजर भी ठहर गयि। रिचा, आर्यमणि को किनारे कर अंदर उसके बिस्तर पर बैठती.… "वहीं खड़े अब भी मेरे बारे में कल्पना कर रहे क्या?"…


आर्यमणि:– नही तो...


रिचा:– तो फिर रूम लॉक करो और आओ...


जैसे ही आर्यमणि रूम लॉक करके पलटा उसकी आंखें फैल गई। रिचा अपने ऊपर के कपड़े उतारकर केवल ब्रा और पेंटी में बैठी थी।…. "देखो तुम शर्त की बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले ली हो। या फिर यहां कुछ और जानने के इरादे से हो"…


रिचा, आर्यमणि को देखकर हंसने लगी और अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने हाथों से ब्रा को उतारती… "कुछ और जानने से तुम्हारा मतलब"…


आर्यमणि:– रिचा किसी को पता चला तो परिवार में बवाल हो जाएगा, तुम ऐसे अदा मत दिखाओ मुझे...


"और यदि मैं परिवार से नही होती तो"… रिचा अपने गोल सुडोल स्तनों के साथ खेलती हुई पूछने लगी...


आर्यमणि:– देखो मेरी शादी तय हो गई है। मेरी एक गर्लफ्रेंड है...


रिचा, अपने दोनो पाऊं फैलाकर पेंटी में अपना हाथ डाल ली, और मादकता से अपने होंठ काटती... "तो आओ ना लड़के, दिखाओ की तुम अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे संतुष्ट करोगे"…


आर्यमणि:– ऐसी बात है रिचा... लेकिन एक बात बता दूं मैं... मुझे किसी लड़की को खुश करने का जरा भी अनुभव नही...

"आह्ह्ह… क्या वाकई में आर्य… तो जब तुम इतने कच्चे हो फिर तो अब तक तुम्हे कूदकर मेरे ऊपर चढ़ जाना चाहिए था और अपनी हसरत खोलकर दिखा देना थी"…

"ऐसी बात है क्या"…. कहते हुए आर्यमणि ने रिचा को धक्का देकर लिटा दिया और अपना पैंट खोलकर सीधा बिस्तर पर चढ़ गया.…

रिचा अपना हाथ आगे बढ़ाकर आर्यमणि के लिंग को अपने दोनो हाथ के बीच दबोचती.… "आज तो तुम्हारा हथियार भरी बंदूक की तरह तना है। उफ्फ ये कितना लंबा और मोटा है आर्यमणि... ये तो मेरे नीचे जब घुसेगा, मेरी छेद को और बड़ा कर देगा।…

"आह्ह्ह्ह, रिचा तुम्हारे हाथ... उफ्फ मजा आ रहा है ऐसे ही आगे पीछे करते रहो"….

रिचा अपना एक हाथ हटाकर आर्यमणि का एक हाथ अपने हरे भरे वक्ष पर डाली, और दूसरा हाथ ले जाकर अपनी योनि पर रखती... "जरा इनके साथ भी खेलो आर्य... निचोड़ डालो मेरे दोनो कबूतर को... मेरे योनि को पूरा मसल डालो... आह्ह्ह्हह… तुम्हारे होंठ मेरे होंठ से लगाकर... रस भरा चुम्बन का मजा दो आर्य"…

आर्यमणि, रिचा के कमर के पास अपना थोड़ा पाऊं फैलाकर बैठा। एक हाथ से उसके स्तन को जोर जोर से मसलने लगा। दूसरे हाथ पेंटी में डालकर उसकी योनि से खेलने लगा... होंठ से होंठ जुड़ चुके थे। आर्यमणि अपना जीभ अंदर तक डालकर रस भरा चुम्बन लेने लगा।

जिस्म में जैसे चिंगारी फूटी हो। रिचा का हाथ ऐसा कमाल कर रहा था की लिंग झटके खाने लगा। जोश इतना हावी था की आर्यमणि ने वक्ष को इतना तेज निचोड़ा की रिचा उठकर बैठ गई.… "आह.. जंगली.. उखड़ने तो नही वाले थे।"… लेकिन रिचा की बात का जैसे उसपर कोई असर ही नही हुआ हो।

आर्यमणि खड़ा हो गया। उसका खड़ा लिंग रिचा के मुंह के पास झूलने लगा। आर्यमणि रिचा के बाल को मुट्ठी में पकड़कर उसका गर्दन ऊपर किया और खुद का चेहरा नीचे झुकाकर एक जोरदार चुम्बन के बाद लिंग को रिचा के गाल से सटाकर हिलाने लगा। रिचा हंसती हुई पूछने लगी... "इसका क्या मतलब है मेरे भोले शिकारी"…

आर्यमणि बिना कोई जवाब दिए लिंग को अब उसके होंठ से लगा दिया... रिचा बिना कोई देर किए अपना मुंह खोल दी। जैसे ही रिचा मुंह खोली आर्यमणि अपना तना लिंग झटके में अंदर डालकर कमर को झटका देने लगा। रिचा का पूरा मुंह भर गया। आर्यमणि का जोश रिचा से संभाला नही जा रहा था। वह लिंग को बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और आर्यमणि उसका बाल पकड़कर मुंह में ही जोर जोर से झटके मारने लगा... रिचा जब ज्यादा जोड़ लगाकर लिंग को मुंह से निकालने की कोशिश की, आर्यमणि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।


रिचा के पूरे गाल लाल हो गए। मुंह का लार चूकर उसके पूरे मुंह और छाती पर फैल गया था। रिचा का पूरा मुंह लाल हो गया था। रिचा किसी तरह हिम्मत जुटाकर आर्यमणि को धक्का दी और बिस्तर पर हाथ फैलाकर लेट गई। लेटकर वो अपने श्वांस सामान्य कर रही थी तभी आर्यमणि रिचा के पेंटी को एक झटके में उसके पाऊं खींचकर निकाल दिया। रिचा संभल भी नही पाई थी उस से पहले ही आर्यमणि ने उसके दोनो पाऊं फैला दिया। पाऊं फैलते ही रिचा की योनि बिलकुल सामने थी.… "यहां तो ऐसा लग रहा है कभी बाल ही नही थे... बाल कहां गए रिचा"…


रिचा झल्लाती हुई.… "तुझ चुतिए के लिए अपनी चूत को साफ़ करके आयी थी। साले जंगली, हरामजदा"…


रिचा इतना बोल ही रही थी की तभी आर्यमणि अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उसकी योनि पर रखा और योनि के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत घिसने लगा.… "आआआह्ह्ह.. हां हां... आह्हहहहह, मर गई आर्य.. उफ्फ…" चिंगारियां रिचा के बदन से फूटनी शुरू हो गई.. उसका सारा गुस्सा मादक सिसकारी में बदल गया। आर्यमणि के बाल को मुट्ठी में दबोच कर उसका मुंह अपने योनि के अंदर और भी दबाने लगी। अपने गोरे चिकने पाऊं से उसके गर्दन पर दवाब बनाने लगी। रिचा ऐसी पागल हुई की उसका कमर हिलने लगा।

कुछ देर की योनि चुसाई में ही रिचा पिघल कर बह गई। आर्यमणि के बाल को खींचकर वो अपने ऊपर ली और नीचे हाथ लगाकर उसका लिंग पकड़ती अपनी योनि पर घिसने लगी.… "आह्हहहहह, आर्य चूत को तुम्हारे लिए ही संवार कर लाई थी... आज शांत कर दो... बहुत जल रहा है।"..


आर्यमणि भी रिचा के पूरा ऊपर आते उसके गर्दन को चूमना शुरू किया और एक ही झटके में अपना पूरा लिंग रिचा के योनी में उतार दिया। "आह्ह्ह्ह्" की मादक सिसकारी के साथ रिचा हवा में उड़ने लगी। आर्यमणि तो जैसे मजे के सागर में था। लिंग कसा हुआ अंदर जाता और बाहर आता। उसे ऐसा लग रहा था वह योनि के छेद को फैलाकर अंदर घुसा रहा और बाहर कर रहा।


दोनो के गोरे बदन पसीने से तर थे। रिचा अपने पूरा पाऊं फैलाए आर्यमणि के नीचे थी और ऊपर से आर्यमणि उभरा हुआ नितंब दिख रहा था जो नीचे अपने लिंग से कसी हुई योनि में लगातार जगह बनाते धक्का मार रहा था। रिचा अपना सर दाएं बाएं करती मादक सिसकारियां भर रही थी। आर्यमणि का नया खून पूरे उबाल पर थापा थाप धक्के लगा रहा था।


योनि और लिंग का संगम इतना झन्नाटेदार था की आर्यमणि पहले धक्के से जो शुरू हुआ फिर रुका ही नही... धक्कों की रफ्तार अपने बुलंदियों पर.. आर्यमणि हांफते हुए धक्का लगा रहा था। रिचा सिसकारी भरती हर धक्के मजा ले रही थी। तभी पहले रिचा की सिसकारी अपनी बुलंदियों पर गई फिर आर्यमणि धक्का मरते मारते पूरा उफान पर आ गया... "आह्हहहहहहहहहहहहह" की जोरदार आवाज दोनो के मुंह से एक साथ निकली और आर्यमणि हांफते हुए रिचा के ऊपर लेट गया।


कुछ देर बाद रिचा आर्यमणि को अपने ऊपर से हटती, उठ गई। रिचा जैसे ही उठी आर्यमणि उसका हाथ पकड़ते... तुम जा रही हो क्या?"..


रिचा:– अपनी एक बार की शर्त थी...


आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर गिराया। उसके गोल सुडोल वक्ष आर्यमणि के सीने में धस गया। आर्यमणि रिचा के चेहरे को ऊपर करता... "हां शर्त ये थी की एक बार तुम न्यूड शो दिखाओगी और उसमे मैं अपनी मर्जी का कर सकता हूं"…


रिचा, हंसती हुई आर्यमणि के होंठ पर एक जोरदार चुम्बन देती... "मतलब"…. आर्यमणि, रिचा के दोनो पाऊं फैलाकर अपने कमर पर लदने के लिए विवश कर दिया और अगले ही पल अपने लिंग को उसके योनि के से लगाकर एक धक्का लगाते... "मतलब तुम्हारे अंदर मेरा हथियार कितनी बार जायेगा वो तय नहीं हुआ था"…


"आह्हहहहहहहहहहह... जंगली... पहले बता तो देते मैं तैयार हो जाती... उफ्फ कहर ढा रहे हो आर्यमणि"…


आर्यमणि घचाघच धक्के लगाते... "किसी शिकारी का शिकार करना काफी मजेदार होता है वो भी तब जब केवल एक बार के लिए आयी हो। फिर तो नाग का पूरा जहर उतर दो".…


"उफ्फफफफफफफफ, ऊम्ममममम आर्य... एक ही बार में पूरा निचोड़ लोगे क्या... मेरी चूत का भोसड़ा बना दिए"…


आर्यमणि, रिचा को सीधा बिठाया। रिचा आर्यमणि के लिंग पर सीधा बैठी थी और आर्यमणि लेटकर नीचे से धक्का मार रहा था... आर्यमणि अपने दोनो हाथ ऊपर ले जाकर उसके 34 के साइज के गोल वक्ष को अपने दोनो हाथ में दबोचकर... "ये चूत और भोसड़ा कहां से सीखी"…


"ऊम्मममममममममममम... आह्हहहहहहहहहह, तुम्हे किसी ने अब तक लंड, चूत नही सिखाया"…


"उफ्फफफफफ तुम हो न... मेरा हथियार जैसे बटर की भट्टी में जा रहा है... कितना मजा आ रहा है धक्का मारने में"…


"अह्ह्ह्ह… तुम्हारा लंड और स्टेमिना दोनो मजेदार है..." फिर रिचा अपने बालों को झटकती... "आह्हहहहहहह, और तेज चोदो मुझे... ऊम्मममममममम, आज चूत फाड़ दो… आज तो बड़ी तड़प रही... हां.. हां.. हां.. ऐसे ही तेज तेज धक्का मरते रहो… आह्हहहहहहहहहह, कहां थे आर्यमणि अब तक... उफ्फ चूची पर तो रहम नहीं किया.. चोदो.. चोदो… और तेज.. और तेज..."


"उफ्फ काफी गरम हो गई हो... वैसे रहता तो तुम्हारे पास ही हूं"…. "हां आर्यमणि काफी गरम हो गई.. ऐसे ही चोद चोद के ठंडा करो... आह्हहहहहहहह, ऊम्मममममम.. जब जी करे रात को लंड लेकर चले आना... आज शर्त वाला है... आगे कोई शर्त नहीं... जैसे मर्जी हो चोदना... उफ्फफफफफफफ, मेरा ओर्गास्म हो गया रे… आह्ह्ह्ह्ह"..


घमासान के बाद एक फिर दोनो हांफते हुए लेटे। रिचा को लगा की आर्यमणि कहीं तीसरे राउंड के लिए न तैयार हो जाए। नया–नया सेक्स के सुरूर में अक्सर हो जाता है इसलिए रिचा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने कमरे में आ गई। जैसे ही कमरे में पहुंची वैसे ही कॉल लगा दी...


दूसरे ओर से... "सब हो गया"..


रिचा:– हां सब हो गया और आर्यमणि ने शेप शिफ्ट नही किया। और कोई टेस्ट बाकी है....


दूसरी ओर से... "नही और कोई टेस्ट बाकी नही। लगता है आर्यमणि के दादा ने उसे कुछ खास दिया है। या फिर गंगटोक में उसे कुछ ऐसा मिल गया है जिससे वेयरवुल्फ तो उसके सामने कुछ है ही नही... उसकी ताकत के सोर्स का पता करना होगा।"..


रिचा:– वो अच्छा लड़का है। वुल्फ की जिंदगी सवार रहा है। फिर आप सबको उसकी ताकत का सोर्स क्यों जानना है। शिकारी भी सक्षम है वोल्फ से लड़ने में। फिर आप उसकी ताकत का सोर्स जानकर क्या करेंगे.. वोल्फ की तरह खुद भी तो कहीं ताकत बढ़ाने की चाह है आप सबकी।


दूसरी ओर से:– ये तुम्हारे चिंतन का विषय नही। जितना कहा जाए बस उतना करो..


रिचा:– जितना कहा उतना कर दिया। अब यदि मुझसे आर्यमणि के बारे में कुछ भी पता करवाने की उम्मीद नहीं रखियेगा... मैं किसी के ताकत का सोर्स पता करके उसकी ताकत पाने की चाह में प्रहरी नही ज्वाइन की हूं, इसलिए आगे मुझसे कोई उम्मीद न रखिए...


रिचा फोन रखकर खुद में ही समीक्षा करती.… "आखिर ये सब के सब आर्यमणि के पीछे हाथ धोकर क्यों परे है। उफ्फ बात कुछ भी हो लेकिन रात बना दी लड़के ने। क्या जोश है... जबतक किसी की हो न जाति मैं तो पूरा मजा लूंगी अब"…


रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
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भाग:–33



शाम के लगभग 7.30 बज रहे थे जब आज एक बार फिर रूही अलबेली को बस्ती भेज रही थी। लेकिन आर्यमणि, रूही को नजरों से ही समझा दिया की अब रुक जाना चाहिए और वह घर वापस लौट आया। जैसे ही वो पहुंचा भूमि अपने कमरे से बाहर निकलती… "आर्य तैयार हो जा"..


आर्यमणि:- ठीक है दीदी…


थोड़ी देर बाद पुरा परिवार साथ था। सभी लोग मंदिर जाकर पूजा किये। भूमि के चेहरे पर अलग ही खुशी थी। वो आर्यमणि के माथे पर तिलक लगती हुई कहने लगी… "बहुत जल्द परिवार में तुझे कोई मामा कहने वाला आयेगा। उसके नन्हे-नन्हे हाथो को पकड़कर तू उसे चलना सिखाएगा। सिखाएगा ना।"


आर्यमणि प्यार से भूमि के गाल पर रंग लगाते…. "मेरा उतराधिकारी वही बनेगा। केवल प्रहरी वाली इक्छा मत बोलना दीदी।"..


भूमि:- ठीक है नहीं बोलूंगी खुश। बस कुछ बातें हैं जो मै घर चलकर आराम से बताउंगी।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है दीदी।


वहां से सीधा भूमि अपने मायके निकल गई। घर गई, मीनाक्षी से मिली और घर में शोर-गुल होने लगा। इसी बीच जया और केशव भी पहुंच गए।… "अरे दीदी अब मै यहीं रहने वाली हूं, क्यों इतना शोर मचा रही हो।"..


तभी अंदर से भूमि निकल कर आयी और जया को पाऊं छू कर प्रणाम करने लगी। जया भूमि का खिला चेहरा देखते ही समझ गई और उसे अपने गले से लगाकर उसके गाल को चूमती… "अब तू यहां से हिलेगी नहीं। पूरे 33 महीने जबतक तेरा आने वाला 2 साल का नहीं होता। और इसपर कोई बहस नहीं होगी। आर्य, चल तू घर बदल ले बेटा। आज से तू भी यहीं रहेगा।"..


अब जब जया मासी ने बोल दिया फिर कौन बात टाल सकता था। ना तो भूमि ने एक बार भी ना नुकर की और ना ही जयदेव ने कुछ बोला। अगले 3-4 दिन तक तो बधाई देने वालों का मेला लगा हुआ था। जो आ सकते थे वो भूमि से आकर मिले। जो नहीं आ सकते थे उन्होंने फोन पर ही बधाइयां दे दी।


सनिवार की रात थी जब भूमि को आर्यमणि के वूल्फ पैक बनाने वाली बात पता चल गई। भूमि थोड़ी खींची और चिढी भी हुई थी, बस सही मौके के इंतजार में थी। थोड़ा इंतजार करना पड़ा लेकिन वो मौका भी मिल ही गया। भूमि अकेली थी और जैसे ही आर्यमणि उसके करीब आकर बैठ… "यहां मेरे पास क्यों आए हो?"


आर्यमणि:- आपसे बात करने।


भूमि:- क्यों?


आर्यमणि:- हम्मम ! इतना गुस्सा। मतलब आपको मेरी और सरदार खान की बात पता चल गई।


भूमि:- सरदार खान को बाद में देखूंगी। पहले तो मै तेरे पैक के बारे में जानना चाहूंगी। तू क्या वुल्फ है जो तुझे पैक चाहिए।


आर्यमणि, चौंकते हुए…. "वुल्फ इसे पैक का नाम देते है हम इसे क्लोज रिश्ता कहते है। इसमें गलत क्या है।


भूमि:- है गलत, जुबान ना लड़ाओ।


आर्यमणि:- आप मुझसे यहां झगड़ा करने बैठी हो या सवालों के जवाब चाहिए।


भूमि:- सवालों के जवाब।


आर्यमणि:- पहला सवाल?


भूमि हंस दी… "मुझे पिघला मत। पक्की खबर आयी है कि तूने वेयरवुल्फ का नया पैक बनाया है।"


आर्यमणि:- हां बनाया है, आपको बताता भी लेकिन उस रात आपने इतनी बड़ी खुशखबरी दी कि मै अपनी बात भुल गया। पैक का नाम भी है, अल्फा पैक।


भूमि:- पूछ सकती हूं क्यों पैक बनाया?


आर्यमणि:- भूमि देसाई ने उसी लड़की रूही को क्यों बचाया जिसे सड़क पर लड़के नोच रहे थे? आपको यदि रूही या अलबेली मे जानवर दिख रहा है तो आप दूर रहिए। मुझे वो इंसान नजर आती है जिनके अंदर भावनाएं है। इसलिए उनसे दोस्ती है। उन्होंने कहा हम पैक को परिवार मानते है और यहां मेरा कोई परिवार नहीं। सो मैंने उसके भावना का मान रखा। कोई मेरे परिवार को तंग कर रहा था, इसलिए मैंने तंग करने वालों को उसके नियम अनुसार सजा दे आया। अब आप मुझे कह दो कि मै गलत हूं।


भूमि:- बेटा तेरी बात सच है लेकिन अगर उसने भी तुझे अपने जैसा बना दिया तो।


आर्यमणि, भूमि के गाल खिंचते… "कितना चाहोगी आप मुझे। बस हर प्वाइंट में यही ढूंढ़ती हो की कहीं मै आपसे दूर तो नहीं हो रहा। बाइट का असर करने का नियम है। बाइट का विषाणु शरीर के ब्लड फ्लो से होते हुए सीने तक पहुंचने में 6 से 8 घंटे लेता है, जबकि लूथरिया बुलापिन उसी विषाणु का तोड़ है। रोज मेरे आने के बाद एक इंजेक्शन लगा देना।


भूमि:- हां लेकिन ये सुरक्षित तरीका नहीं है। यदि बाइट किसी स्ट्रॉन्ग अल्फा की हुई तो लूथरिया बुलापिनी जहर की तरह काम करेगा और बाइट के बाद जितनी दूर तक वो विषाणु फैला होगा, वो अंग निष्क्रिय हो जाएगा।


आर्यमणि:- तभी तो उन्हें कंट्रोल सीखा रहा हूं और साथ में ये भी की जानवर का शिकार करके मासहारी प्रवृति अपने अंदर ना लाए। हो सके तो फल सब्जी पर आश्रित रहे और भूना हुआ मांस ही खाए। अब बोलो।


भूमि:- ठीक है तू सही मै गलत। जा अपना लंबा चौड़ा पैक बना ताकि उन्हें अच्छी जिंदगी मिले। प्रहरी समूह मे इसपर कोई सवाल-जवाब हुआ तो तेजस दादा जवाब देंगे। वैसे भी मैं बहुत इक्कछुक है उस सरदार खान की नकेल कसने के लिए। जा तू आराम कर, बाकी के काम मैं देखती हूं।


आर्यमणि, अपने कमरे में आराम करने चला गया। यही कोई रात के 2 बजे उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा जब खुला तो सामने रिचा थी, और क्या अवतार में थी। एकबार तो आर्यमणि की नजर भी ठहर गयि। रिचा, आर्यमणि को किनारे कर अंदर उसके बिस्तर पर बैठती.… "वहीं खड़े अब भी मेरे बारे में कल्पना कर रहे क्या?"…


आर्यमणि:– नही तो...


रिचा:– तो फिर रूम लॉक करो और आओ...


जैसे ही आर्यमणि रूम लॉक करके पलटा उसकी आंखें फैल गई। रिचा अपने ऊपर के कपड़े उतारकर केवल ब्रा और पेंटी में बैठी थी।…. "देखो तुम शर्त की बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले ली हो। या फिर यहां कुछ और जानने के इरादे से हो"…


रिचा, आर्यमणि को देखकर हंसने लगी और अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने हाथों से ब्रा को उतारती… "कुछ और जानने से तुम्हारा मतलब"…


आर्यमणि:– रिचा किसी को पता चला तो परिवार में बवाल हो जाएगा, तुम ऐसे अदा मत दिखाओ मुझे...


"और यदि मैं परिवार से नही होती तो"… रिचा अपने गोल सुडोल स्तनों के साथ खेलती हुई पूछने लगी...


आर्यमणि:– देखो मेरी शादी तय हो गई है। मेरी एक गर्लफ्रेंड है...


रिचा, अपने दोनो पाऊं फैलाकर पेंटी में अपना हाथ डाल ली, और मादकता से अपने होंठ काटती... "तो आओ ना लड़के, दिखाओ की तुम अपनी गर्लफ्रेंड को कैसे संतुष्ट करोगे"…


आर्यमणि:– ऐसी बात है रिचा... लेकिन एक बात बता दूं मैं... मुझे किसी लड़की को खुश करने का जरा भी अनुभव नही...

"आह्ह्ह… क्या वाकई में आर्य… तो जब तुम इतने कच्चे हो फिर तो अब तक तुम्हे कूदकर मेरे ऊपर चढ़ जाना चाहिए था और अपनी हसरत खोलकर दिखा देना थी"…

"ऐसी बात है क्या"…. कहते हुए आर्यमणि ने रिचा को धक्का देकर लिटा दिया और अपना पैंट खोलकर सीधा बिस्तर पर चढ़ गया.…

रिचा अपना हाथ आगे बढ़ाकर आर्यमणि के लिंग को अपने दोनो हाथ के बीच दबोचती.… "आज तो तुम्हारा हथियार भरी बंदूक की तरह तना है। उफ्फ ये कितना लंबा और मोटा है आर्यमणि... ये तो मेरे नीचे जब घुसेगा, मेरी छेद को और बड़ा कर देगा।…

"आह्ह्ह्ह, रिचा तुम्हारे हाथ... उफ्फ मजा आ रहा है ऐसे ही आगे पीछे करते रहो"….

रिचा अपना एक हाथ हटाकर आर्यमणि का एक हाथ अपने हरे भरे वक्ष पर डाली, और दूसरा हाथ ले जाकर अपनी योनि पर रखती... "जरा इनके साथ भी खेलो आर्य... निचोड़ डालो मेरे दोनो कबूतर को... मेरे योनि को पूरा मसल डालो... आह्ह्ह्हह… तुम्हारे होंठ मेरे होंठ से लगाकर... रस भरा चुम्बन का मजा दो आर्य"…

आर्यमणि, रिचा के कमर के पास अपना थोड़ा पाऊं फैलाकर बैठा। एक हाथ से उसके स्तन को जोर जोर से मसलने लगा। दूसरे हाथ पेंटी में डालकर उसकी योनि से खेलने लगा... होंठ से होंठ जुड़ चुके थे। आर्यमणि अपना जीभ अंदर तक डालकर रस भरा चुम्बन लेने लगा।

जिस्म में जैसे चिंगारी फूटी हो। रिचा का हाथ ऐसा कमाल कर रहा था की लिंग झटके खाने लगा। जोश इतना हावी था की आर्यमणि ने वक्ष को इतना तेज निचोड़ा की रिचा उठकर बैठ गई.… "आह.. जंगली.. उखड़ने तो नही वाले थे।"… लेकिन रिचा की बात का जैसे उसपर कोई असर ही नही हुआ हो।

आर्यमणि खड़ा हो गया। उसका खड़ा लिंग रिचा के मुंह के पास झूलने लगा। आर्यमणि रिचा के बाल को मुट्ठी में पकड़कर उसका गर्दन ऊपर किया और खुद का चेहरा नीचे झुकाकर एक जोरदार चुम्बन के बाद लिंग को रिचा के गाल से सटाकर हिलाने लगा। रिचा हंसती हुई पूछने लगी... "इसका क्या मतलब है मेरे भोले शिकारी"…

आर्यमणि बिना कोई जवाब दिए लिंग को अब उसके होंठ से लगा दिया... रिचा बिना कोई देर किए अपना मुंह खोल दी। जैसे ही रिचा मुंह खोली आर्यमणि अपना तना लिंग झटके में अंदर डालकर कमर को झटका देने लगा। रिचा का पूरा मुंह भर गया। आर्यमणि का जोश रिचा से संभाला नही जा रहा था। वह लिंग को बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी और आर्यमणि उसका बाल पकड़कर मुंह में ही जोर जोर से झटके मारने लगा... रिचा जब ज्यादा जोड़ लगाकर लिंग को मुंह से निकालने की कोशिश की, आर्यमणि एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।


रिचा के पूरे गाल लाल हो गए। मुंह का लार चूकर उसके पूरे मुंह और छाती पर फैल गया था। रिचा का पूरा मुंह लाल हो गया था। रिचा किसी तरह हिम्मत जुटाकर आर्यमणि को धक्का दी और बिस्तर पर हाथ फैलाकर लेट गई। लेटकर वो अपने श्वांस सामान्य कर रही थी तभी आर्यमणि रिचा के पेंटी को एक झटके में उसके पाऊं खींचकर निकाल दिया। रिचा संभल भी नही पाई थी उस से पहले ही आर्यमणि ने उसके दोनो पाऊं फैला दिया। पाऊं फैलते ही रिचा की योनि बिलकुल सामने थी.… "यहां तो ऐसा लग रहा है कभी बाल ही नही थे... बाल कहां गए रिचा"…


रिचा झल्लाती हुई.… "तुझ चुतिए के लिए अपनी चूत को साफ़ करके आयी थी। साले जंगली, हरामजदा"…


रिचा इतना बोल ही रही थी की तभी आर्यमणि अपना बड़ा सा मुंह खोलकर उसकी योनि पर रखा और योनि के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत घिसने लगा.… "आआआह्ह्ह.. हां हां... आह्हहहहह, मर गई आर्य.. उफ्फ…" चिंगारियां रिचा के बदन से फूटनी शुरू हो गई.. उसका सारा गुस्सा मादक सिसकारी में बदल गया। आर्यमणि के बाल को मुट्ठी में दबोच कर उसका मुंह अपने योनि के अंदर और भी दबाने लगी। अपने गोरे चिकने पाऊं से उसके गर्दन पर दवाब बनाने लगी। रिचा ऐसी पागल हुई की उसका कमर हिलने लगा।

कुछ देर की योनि चुसाई में ही रिचा पिघल कर बह गई। आर्यमणि के बाल को खींचकर वो अपने ऊपर ली और नीचे हाथ लगाकर उसका लिंग पकड़ती अपनी योनि पर घिसने लगी.… "आह्हहहहह, आर्य चूत को तुम्हारे लिए ही संवार कर लाई थी... आज शांत कर दो... बहुत जल रहा है।"..


आर्यमणि भी रिचा के पूरा ऊपर आते उसके गर्दन को चूमना शुरू किया और एक ही झटके में अपना पूरा लिंग रिचा के योनी में उतार दिया। "आह्ह्ह्ह्" की मादक सिसकारी के साथ रिचा हवा में उड़ने लगी। आर्यमणि तो जैसे मजे के सागर में था। लिंग कसा हुआ अंदर जाता और बाहर आता। उसे ऐसा लग रहा था वह योनि के छेद को फैलाकर अंदर घुसा रहा और बाहर कर रहा।


दोनो के गोरे बदन पसीने से तर थे। रिचा अपने पूरा पाऊं फैलाए आर्यमणि के नीचे थी और ऊपर से आर्यमणि उभरा हुआ नितंब दिख रहा था जो नीचे अपने लिंग से कसी हुई योनि में लगातार जगह बनाते धक्का मार रहा था। रिचा अपना सर दाएं बाएं करती मादक सिसकारियां भर रही थी। आर्यमणि का नया खून पूरे उबाल पर थापा थाप धक्के लगा रहा था।


योनि और लिंग का संगम इतना झन्नाटेदार था की आर्यमणि पहले धक्के से जो शुरू हुआ फिर रुका ही नही... धक्कों की रफ्तार अपने बुलंदियों पर.. आर्यमणि हांफते हुए धक्का लगा रहा था। रिचा सिसकारी भरती हर धक्के मजा ले रही थी। तभी पहले रिचा की सिसकारी अपनी बुलंदियों पर गई फिर आर्यमणि धक्का मरते मारते पूरा उफान पर आ गया... "आह्हहहहहहहहहहहहह" की जोरदार आवाज दोनो के मुंह से एक साथ निकली और आर्यमणि हांफते हुए रिचा के ऊपर लेट गया।


कुछ देर बाद रिचा आर्यमणि को अपने ऊपर से हटती, उठ गई। रिचा जैसे ही उठी आर्यमणि उसका हाथ पकड़ते... तुम जा रही हो क्या?"..


रिचा:– अपनी एक बार की शर्त थी...


आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर गिराया। उसके गोल सुडोल वक्ष आर्यमणि के सीने में धस गया। आर्यमणि रिचा के चेहरे को ऊपर करता... "हां शर्त ये थी की एक बार तुम न्यूड शो दिखाओगी और उसमे मैं अपनी मर्जी का कर सकता हूं"…


रिचा, हंसती हुई आर्यमणि के होंठ पर एक जोरदार चुम्बन देती... "मतलब"…. आर्यमणि, रिचा के दोनो पाऊं फैलाकर अपने कमर पर लदने के लिए विवश कर दिया और अगले ही पल अपने लिंग को उसके योनि के से लगाकर एक धक्का लगाते... "मतलब तुम्हारे अंदर मेरा हथियार कितनी बार जायेगा वो तय नहीं हुआ था"…


"आह्हहहहहहहहहहह... जंगली... पहले बता तो देते मैं तैयार हो जाती... उफ्फ कहर ढा रहे हो आर्यमणि"…


आर्यमणि घचाघच धक्के लगाते... "किसी शिकारी का शिकार करना काफी मजेदार होता है वो भी तब जब केवल एक बार के लिए आयी हो। फिर तो नाग का पूरा जहर उतर दो".…


"उफ्फफफफफफफफ, ऊम्ममममम आर्य... एक ही बार में पूरा निचोड़ लोगे क्या... मेरी चूत का भोसड़ा बना दिए"…


आर्यमणि, रिचा को सीधा बिठाया। रिचा आर्यमणि के लिंग पर सीधा बैठी थी और आर्यमणि लेटकर नीचे से धक्का मार रहा था... आर्यमणि अपने दोनो हाथ ऊपर ले जाकर उसके 34 के साइज के गोल वक्ष को अपने दोनो हाथ में दबोचकर... "ये चूत और भोसड़ा कहां से सीखी"…


"ऊम्मममममममममममम... आह्हहहहहहहहहह, तुम्हे किसी ने अब तक लंड, चूत नही सिखाया"…


"उफ्फफफफफ तुम हो न... मेरा हथियार जैसे बटर की भट्टी में जा रहा है... कितना मजा आ रहा है धक्का मारने में"…


"अह्ह्ह्ह… तुम्हारा लंड और स्टेमिना दोनो मजेदार है..." फिर रिचा अपने बालों को झटकती... "आह्हहहहहहह, और तेज चोदो मुझे... ऊम्मममममममम, आज चूत फाड़ दो… आज तो बड़ी तड़प रही... हां.. हां.. हां.. ऐसे ही तेज तेज धक्का मरते रहो… आह्हहहहहहहहहह, कहां थे आर्यमणि अब तक... उफ्फ चूची पर तो रहम नहीं किया.. चोदो.. चोदो… और तेज.. और तेज..."


"उफ्फ काफी गरम हो गई हो... वैसे रहता तो तुम्हारे पास ही हूं"…. "हां आर्यमणि काफी गरम हो गई.. ऐसे ही चोद चोद के ठंडा करो... आह्हहहहहहहह, ऊम्मममममम.. जब जी करे रात को लंड लेकर चले आना... आज शर्त वाला है... आगे कोई शर्त नहीं... जैसे मर्जी हो चोदना... उफ्फफफफफफफ, मेरा ओर्गास्म हो गया रे… आह्ह्ह्ह्ह"..


घमासान के बाद एक फिर दोनो हांफते हुए लेटे। रिचा को लगा की आर्यमणि कहीं तीसरे राउंड के लिए न तैयार हो जाए। नया–नया सेक्स के सुरूर में अक्सर हो जाता है इसलिए रिचा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने कमरे में आ गई। जैसे ही कमरे में पहुंची वैसे ही कॉल लगा दी...


दूसरे ओर से... "सब हो गया"..


रिचा:– हां सब हो गया और आर्यमणि ने शेप शिफ्ट नही किया। और कोई टेस्ट बाकी है....


दूसरी ओर से... "नही और कोई टेस्ट बाकी नही। लगता है आर्यमणि के दादा ने उसे कुछ खास दिया है। या फिर गंगटोक में उसे कुछ ऐसा मिल गया है जिससे वेयरवुल्फ तो उसके सामने कुछ है ही नही... उसकी ताकत के सोर्स का पता करना होगा।"..


रिचा:– वो अच्छा लड़का है। वुल्फ की जिंदगी सवार रहा है। फिर आप सबको उसकी ताकत का सोर्स क्यों जानना है। शिकारी भी सक्षम है वोल्फ से लड़ने में। फिर आप उसकी ताकत का सोर्स जानकर क्या करेंगे.. वोल्फ की तरह खुद भी तो कहीं ताकत बढ़ाने की चाह है आप सबकी।


दूसरी ओर से:– ये तुम्हारे चिंतन का विषय नही। जितना कहा जाए बस उतना करो..


रिचा:– जितना कहा उतना कर दिया। अब यदि मुझसे आर्यमणि के बारे में कुछ भी पता करवाने की उम्मीद नहीं रखियेगा... मैं किसी के ताकत का सोर्स पता करके उसकी ताकत पाने की चाह में प्रहरी नही ज्वाइन की हूं, इसलिए आगे मुझसे कोई उम्मीद न रखिए...


रिचा फोन रखकर खुद में ही समीक्षा करती.… "आखिर ये सब के सब आर्यमणि के पीछे हाथ धोकर क्यों परे है। उफ्फ बात कुछ भी हो लेकिन रात बना दी लड़के ने। क्या जोश है... जबतक किसी की हो न जाति मैं तो पूरा मजा लूंगी अब"…


रविवार का दिन। छुट्टी कि सुबह लेकिन आपातकालिक बैठक प्रहरी की। उच्च सदस्यी बैठक में पलक बोर ना हो इसलिए अपने सहायक तौड़ पर वो आर्यमणि को ले जाना चाहती थी। लेकिन वुल्फ पैक के मसले को देखते हुए पलक निशांत को ले गयी।


निशांत के पापा राकेश और मां निलांजना भी इस सभा के लिए पहुंचे और घर में चित्रा हो गई अकेली। अकेले उसे बोर लगने लगा इसलिए वो माधव को कॉल लगा दी… "क्या हो रहा है बेबी।"


माधव:- तुम यकीन नहीं करोगी चित्रा दिमाग में एक दम धांसू कॉन्सेप्ट आया है। मै उस इंजिनियरिंग पर दिमाग लगा रहा था जिसने बिना हैवी मैकेनिकल प्रोसेस के समुद्र में पुल बांध दिया। रामायण का वो तैरता पत्थर का पुल।


चित्रा, थोड़ी उखड़ी आवाज़ में… "ठीक है पुल बनाकर मुझे कॉल करना।"..


माधव:- सॉरी सॉरी, अब क्या करे हमरा रूममेट भी बात नहीं करना चाहता और इतना बढ़िया कॉन्सेप्ट था कि तुम्हे बताए बिना रह नहीं पाए। सॉरी, लगता है फिर से तुम्हे बोर कर दिया।


चित्रा:- वो सब छोड़ो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
Achha update hai maja aa gaya
 
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