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Thanks for nice wordsसच कहा आपने... इस मामले में कोमल रानी का जवाब नहीं.....
सच में,... यही कुछ ज्यादा ही सीधे थेसाजन का बहिनिया प्रेम तो बचपन का था..
पता नहीं जग जाहिर था या नहीं .. लेकिन बहन तो खुल के इशारे देती थी.... (रजाई में भी... जाड़ा तो बहाना था)
अब बाली उम्र के चूजे तो गदर होंगे हीं...
चूसने-चूमने का मजा देखने वाले को भी सुहाय .. ये कम हीं होता है...
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kya pata agali post men hi pata chalegaमुझे तो लगता है कि चंपा बाई की शक्ल जेठानी जी की महतारी से मिलती होगी...
इसलिए फट से राजी हो गई...
और एक बार कोठे पर चढ़ कर उन्हें उनकी सो कॉल्ड महतारी का प्यार भी मिलेगा....
क्या पता चंपा बाई उनकी मौसी लगती हो रिश्ते में... (माँ की बहन या फिर नाना की किसी कोठे पर गए होने से पैदा बेटी)
ननद क्या जो भाभी का ख्याल न रखे। आखिर सुहाग की सेज तक, पिया के पास तो वही पहुंचाती है।जेठानी जी के मजे का अंत नहीं....
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गाड़ी खड़ी रहती थी,
हाँ बिना ड्राइवर वाली गाड़ी आ जाए तो पिछली सीट का इस्तेमाल और बढ़ जाएगा।
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doosari kahani aapke coments ka aur nazare inaayat ka wait kar rahi haiYe khub kha aapne
Waiting for next apdateअगले कुछ हिस्सों में हो सकता है फ्लैश बैक ज्यादा हों, कारण अनेक हैं, कहानी के बहुत पहले के भागों से जोड़ने के लिए , अतीत में कई बार भविष्य की पदचाप छुपी होती या सिर्फ बीते हुए कल का सबकी तरह से व्यामोह,
जिन पाठक/पाठिकाओं को दुहराव की शिकायत होगी, उनसे अग्रिम क्षमा याचना
अगला भाग भी जल्द ही.///
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नहीं नहीं, चंपा बाई का कोठा देखा, और उसे देख के चंपा बाई की शक्ल याद आयी और उस याद के साथये तो कोमल रानी स्काइप कॉल के दौरान हीं पहचान सकती थीं....
लेकिन प्रत्यक्ष देखकर .....