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Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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एक स्पेशल थैंक्स HalfbludPrince और Moon Light जी का भी बनता है, जिनके कारण ये कहानी लिखने का मन किया। 🙏🏽
 

manu@84

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कौन सी पार्टी दे दें भाई, लेफ्ट वाली या राइट वाली?
जैसी प्रभू की इच्छा..... 😂
 

Moon Light

Prime
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एक स्पेशल थैंक्स HalfbludPrince और Moon Light जी का भी बनता है, जिनके कारण ये कहानी लिखने का मन किया। 🙏🏽
मोस्ट वेलकम...!!!!
आगे और भी कहानियां देखने को मिले हमें,
यही कामना करते हैं ।
 

Chutiyadr

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#9 And they meet....

अमर उछल कर अनामिका को अपने आगोश में ले कर रोड के एक साइड लुढ़क जाता है, और तभी वो वैन एकदम नजदीक से अमर की बांह पर रगड़ बनाते हुए निकल जाती है।

अमर और अनामिका एक दूसरे से लिपटे हुए रोड के किनारे बनी ढलान से लुढ़क कर नीचे आ जाते हैं। और दोनो एक दूसरे की आंखों में को से जाते हैं। तभी आस पास के लोग उनके तरफ आते हैं, जिनकी आवाजें सुन कर दोनो को होश आता है।

अमर की बांह पर गहरी खरोंचों के निशान आ जाते है और शर्ट की बाजू भी फट जाती है। अनामिका ये देख कर घबरा जाती है, और अमर से उसका हाल पूछती है। अमर कहता है कि वो ठीक है, और वो अनामिका से पूछता है की चोट तो नही लगी? रोड के किनारे पर घास होने से दोनो में से किसी को और कोई चोट नहीं आती है। दोनो वापस होटल के अंदर आते हैं।

आज अमर को अनामिका की आंखों में अपने लिए कुछ अलग सा दिखा, मगर वो उसे अपने नाम से मिला कर ज्यादा ध्यान नहीं देता उस पर। घर आ कर अनामिका फर्स्ट एड बॉक्स ले कर उसके घाव को साफ करती है।

रमाकांत जी अमर का हाल चाल लेते हैं और अमर से पूछते हैं कि ये कैसे हुआ, इस बार अमर झूठ बोल देता है की शायद उस गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया था। अमर नही चाहता था कि उसके कारण इन लोगो को तकलीफ हो।

शाम को रमाकांत जी अमर को स्टडी में बुलाते है, वहां पर एक लड़का पहले से बैठा होता है।

रमाकांत जी: अमर, ये सूरज है, हमारे शेफ का भाई। इसका घाटी के उस पार वाले गांव में कैफे है जिसमे यहां आने वाले अक्सर ब्रेक लेते हैं। सूरज क्या यही हैं वो??

सूरज: जी साहब, ये वही हैं। लेकिन मेरी इनसे ऐसी कोई बात नही हुई थी कि ऐसा कुछ पता चले कि ये कहां से आ रहे थे।

रमाकांत जी: अच्छा, चलो ठीक है फिर तुम जाओ। और कोई काम है या वापस जाओगे।

सूरज: साहब वो जो पास में नया होटल बन रहा है, वहां भैया ने बात की है शायद, अब कैफे से उतनी कमाई होती नही, मेरी शादी भी तय हो चुकी है, इसीलिए देखता हूं कुछ वहां पर।

रमाकांत जी: ठीक है तुम जाओ।

उसके जाने के बाद, रमाकांत जी ने अपने टेबल पर रखे हुए एक पर्स को अमर की तरफ बढ़ते हुए कहा, "ये तुम्हारा है, देख लीजिए शायद कुछ मिल जाय जिससे कुछ पता चल सके। ये तुम सूरज के कैफे में छोड़ आए थे।"

अमर: आपने नही देखा?

रमाकांत जी, अब ये तुम्हारा ही है, और तुम खुद यहीं हो तो खुद ही देख लो।

अमर उस पर्स को खोल कर देखता है, उसमे बस कुछ पैसे होते हैं, और अमर की एक फोटो, और कुछ भी नही।

अमर: इसमें तो कुछ भी नही है।

रमाकांत जी: ओह बैडलक अगेन। ठीक है देखते है और क्या किया जा सकता है।

रात को अमर बेड पर बैठा उसी पर्स को देख रहा होता है, अपनी फोटो को जब वो ध्यान से देखता है तो उसे लगता है कि ये फोटो मुड़ी हुई है और बस सामने उसका चेहरा दिख रहा है। अमर उस फोटो को बाहर निकलता है और खोलने पर उसे दिखता है कि उस फोटो में उसके साथ मोनिका है और दोनो इस तरह से हैं उस फोटो में जैसे दोनो एक दूसरे के करीबी हों। ये देख अमर सोच में पड़ जाता है कि "क्या वो मोनिका का प्रेमी, या पति है क्या?? उसे रमाकांत जी को ये बता देना चाहिए?? लेकिन उनको मोनिका से ज्यादा मतलब है नही, और वो तो ये जनता भी नही की वो और मोनिका साथ में हैं या नहीं।"

इसी उधेड़बुन में अमर की आंख लग जाती है।

सुबह अनामिका उसे उठाने आती है, आज वो आसमानी रंग के सूट में बहुत प्यारी दिख रही होती है, और उसकी आंखों में एक चमक सी होती है। उसे देख अमर के दिल को बड़ा सुकून आता है, मगर तभी उसका दिमाग उसे फोटो वाली बात याद दिलाता है, जिसको याद कर के वो तुरंत अपनी नजरें अनामिका से हटा लेता है।ये देख अनामिका को थोड़ा दुख होता है।
दोपहर को बाहर गार्डन में अनामिका कुछ काम कर रही होती है, और अमर उधर जाता है, पवन वहीं पर खेल रहा होता है। अमर पवन की ओर चला जाता है, जिसे देख अनामिका फिर चिढ़ जाती है।

तभी एक होटल का स्टाफ अनामिका के पास आता है, और गलती से गार्डन की एक क्यारी में उसका पैर पद जाता है। जिसे देख अनामिका बहुत जोर से उसके ऊपर चिल्लाती है। उसका चिल्लाना सुन कर पवन बहुत डर जाता है, और रमाकांत जी आ कर अनामिका को अंदर ले जाते हैं।

पवन: आज दीदी को बहुत दिन के बाद ऐसे गुस्से में देखा है, और वो भी गार्डेनिंग के समय, जबकि इसी गार्डेनिंग से तो उनका गुस्सा शांत हुआ था।

अमर ये सुन कर सोच में पड़ जाता है कि क्या उसके बर्ताव से ऐसा हो रहा है अनामिका के साथ? मगर वो भी तो मजबूर था जब तक उसे अपने और मोनिका के बारे में पूरी सच्चाई ना पता चल जाए तब तक वो कैसे अनामिका के बारे में कुछ सोच पता, वैसे भी उसके कारण इस घर के लोगों की जान पर भी बन आई है।

वो फैसला लेता है कि वो ये घर छोड़ कर कहीं और चला जायेगा, और घर क्या, वो ये कस्बा भी छोड़ देगा, ताकि यहां पर लोग सुरक्षित रहें। और मोनिका तो शहर में ही है, मतलब वो भी वहीं से आया है।

रात को सबके सोने के बाद, अमर चुपके से घर से बाहर निकल जाता है, और अंदाज से एक ओर बढ़ने लगता है, कुछ आगे जाने पर उसे एक पान की दुकान दिखाई देती है, वहां से वो बस स्टैंड का पूछ कर वहां के लिए निकल जाता है।

बस स्टैंड पर पहुंचने पर उसे बताया जाता है की शहर की बस 1 घंटे बाद मिलेगी। वो बस स्टैंड पर ही बैठ जाता है। तभी उसे लगता है की सामने वाली दुकान पर वही काले कोट वाला शख्स खड़ा सिगरेट पी रहा है।


अमर चुपके से उसके नजरों से बच कर एक कोने में खड़ा हो कर उसको देखने लगता है, कुछ देर बाद वो आदमी एक ओर बढ़ जाता है, अमर चुपके से उसका पीछा करने लगता है। एक पुराने और छोटे से घर के बाहर पहुंच कर वो आदमी उसको खोलने लगता है, तभी अमर को एक नुकीला सा लोहे का चालू जैसा दिखता है जिसे उठा कर अमर उस आदमी की पीठ पर लगा कर......
To monica ne isi janaab ko anamika ko marne ke liye taiyaar kiya tha aur ye sahab yaddast hi kho baithe ... :lol1:
Bahut hi intresting story :superb:
 
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पहली कहानी सम्पूर्ण होने पर बहुत बहुत बधाई रिकी भाई।
कहानी मे सस्पेंस बढ़िया बनाया आपने। इमोशंस का भी अच्छा इस्तेमाल किया हुआ था।
थोड़ी रोमांस की कमी रह गई थी लेकिन पहली कहानी के हिसाब से देखा जाए तो वो कोई बड़ा मैटर भी नही था।

कहानी का अंत सुखद था। अनू की शादी उसी से हुई जिससे उसके मरहूम माता पिता चाहते थे। यह जरूर उनके आत्मा को शांति देगा।
अनू का किरदार बहुत खुबसूरत लगा मुझे। पृथ्वी का किरदार कभी नेगेटिव तो कभी पोजिटिव वे मे रहा।

बहुत बढ़िया कहानी लिखा आपने। जैसे जैसे आगे लिखते जायेंगे वैसे वैसे आप के लेखनी मे निखार आता जायेगा।
एक बार फिर से इस कहानी के लिए हार्दिक आभार।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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पहली कहानी सम्पूर्ण होने पर बहुत बहुत बधाई रिकी भाई।
कहानी मे सस्पेंस बढ़िया बनाया आपने। इमोशंस का भी अच्छा इस्तेमाल किया हुआ था।
थोड़ी रोमांस की कमी रह गई थी लेकिन पहली कहानी के हिसाब से देखा जाए तो वो कोई बड़ा मैटर भी नही था।

कहानी का अंत सुखद था। अनू की शादी उसी से हुई जिससे उसके मरहूम माता पिता चाहते थे। यह जरूर उनके आत्मा को शांति देगा।
अनू का किरदार बहुत खुबसूरत लगा मुझे। पृथ्वी का किरदार कभी नेगेटिव तो कभी पोजिटिव वे मे रहा।

बहुत बढ़िया कहानी लिखा आपने। जैसे जैसे आगे लिखते जायेंगे वैसे वैसे आप के लेखनी मे निखार आता जायेगा।
एक बार फिर से इस कहानी के लिए हार्दिक आभार।
Much obliged by such words from you.

Romance वगैरा शायद मैं कभी न लिख सकूंगा, थोड़ा ऑर्थोडॉक्स और ओल्ड फैशन का व्यक्ति हूं मैं, जज्बातों को अल्फाज देना नही आता, ना मौखिक रूप से न लिखित रूप से।

आगे कभी कुछ कोशिश करूंगा भी तो भी शायद कम ही जज्बातों वाली कहानी ही लिख पाऊंगा।

अनु का किरदार "गर्ल नेक्स्ट डोर इन इंडियन नेबर हुड" जैसा है जो जिम्मेदार है, पर फालतू दिखावा कम ही कर पाती है और अपने परिवार को ही सब कुछ मानती है, पर जब किसी पर दिल आता है तो वही सबसे बढ़ कर हो जाता है उनके लिए।
 

king cobra

Well-Known Member
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Much obliged by such words from you.

Romance वगैरा शायद मैं कभी न लिख सकूंगा, थोड़ा ऑर्थोडॉक्स और ओल्ड फैशन का व्यक्ति हूं मैं, जज्बातों को अल्फाज देना नही आता, ना मौखिक रूप से न लिखित रूप से।

आगे कभी कुछ कोशिश करूंगा भी तो भी शायद कम ही जज्बातों वाली कहानी ही लिख पाऊंगा।

अनु का किरदार "गर्ल नेक्स्ट डोर इन इंडियन नेबर हुड" जैसा है जो जिम्मेदार है, पर फालतू दिखावा कम ही कर पाती है और अपने परिवार को ही सब कुछ मानती है, पर जब किसी पर दिल आता है तो वही सबसे बढ़ कर हो जाता है उनके लिए।
ek sexy story likho aisi jisme sex ho lekin jabardasti ka nai balki blackmail tipe ka sab ho mai aapko saport deta rahunga
 
Last edited:

Sandeep singh nirwan

Jindgi na milegi dobara....
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#1 The Accident....

जंगल के बीचों बीच एक काली गाड़ी पूरी रफ्तार से चली जा रही थी, जिसे कोई 26- 27 साल का का एक हैंडसम सा आदमी चला रहा था। तभी उसका फोन बजता है।

आदमी: हां बस 3 से 4 घंटे में।पहुंच जाऊंगा। और पहुंचते ही कॉल करता हूं, होटल की बुकिंग है, उसका नाम याद नही, कहीं रुक कर बताता हूं।

फोन पर: .......

आदमी: हां पता है, सब कुछ इसी काम पर निर्भर करता है, हमारी आने वाली पूरी जिंदगी इस से जुड़ी है, काम खतम करूंगा जल्द ही। फिर आ कर मिलता हूं।

और फोन कट जाता है, शायद जंगल में सिग्नल की कोई दिक्कत होती है।

फिर उसका हाथ ने जेब से एक कार्ड निकाला जो किसी होटल का लग रहा था। जिसपर एक बड़ी सी हवेली की फोटो बने थी और लिखा था...

"Woods Villa"
Outer hill Road
Hameerpur

शाम के 4 बज रहे थे और उसे भूख सी लग रही थी। थोड़ा आगे जाने पर एक बस्ती जैसी दिखाई दी, उसमे एक कैफे था।

गाड़ी बाहर खड़ी करके वो अंदर गया, काउंटर पर एक 18 साल का लड़का बैठा था। लड़के ने उसका स्वागत किया और एक टेबल तक ले गया। वहां बैठने के बाद आदमी ने मेनू देख कर एक कॉफी और सैंडविच का आर्डर किया।

कोई 20 मिनिट के बाद उसके टेबल पर ऑर्डर सर्व हो चुका था। खाते खाते उसकी बात कैफे वाले लड़के से होने लगी, और उसने कैफे वाले लड़के से हमीरपुर के रास्ते के बारे में पूछा।

कैफे वाले लड़के ने बताया की यहां से अभी कोई 2 घंटे कम से कम लगेंगे, और रास्ता सही है, लेकिन...

"लेकिन क्या??"

"हमीरपुर से पहले घाटी पड़ती है और उसका आखिरी वाला मोड़ बहुत खतरनाक है, अक्सर धुंध रहती है वहां शाम के वक्त, और कई एक्सीडेंट हो चुके हैं वहां, वैसे भी अभी 5 बजने वाले है और एक घंटे में ही अंधेरा घिर जायेगा। तो जरा सम्हाल कर गाड़ी चलाएगा।"

"हम्म्, और कुछ?"

"नही, और सब सही है, बस वहां पर जरा सतर्क रहिएगा। फिर उस मोड़ से 5 किलोमीटर बाद शहर की आबादी शुरू हो जाती है।"

"अच्छा। चलो ठीक है ध्यान रखूंगा। कितने पैसे hue तुम्हारे?"

लड़का बिल लेकर आता है, और आदमी ने अपने पर्स से उसे पैसे दे कर वाशरूम की तरफ निकल गया, जो कैफे के दरवाजे के पास में ही था। फिर 5 मिनट बाद वो बाहर निकल कर अपनी गाड़ी में बैठ कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ जाता है। उसके जाते समय कैफे वाला लड़का उसे नही दिखता, शायद वो और कस्टमर्स का ऑर्डर लेने अंदर की तरफ चला गया था। बाहर अंधेरा छाने लग था।

समय शाम के 6:30, गाड़ी हमीरपुर की घाटी को लगभग पार कर ही चुकी थी और मौसम साफ था, कुछ 2 या 3 मोड़ और थे, कि तभी उसका फोन फिर से बजा।

आदमी: हां डार्लिंग, बोला था न की पहुंचते ही कॉल करूंगा, अभी बस पहुंचने वाला ही हूं।

फोन: ......

आदमी: हां बस कल से ही इस काम में लग जाऊंगा, और जितनी जल्दी होगा उसको खत्म करके वापस आता हूं। आखिर हम दोनो की जिंदगी का सवाल जुड़ा है इस काम से। बस डार्लिंग कुछ दिनो की बात है, फिर हम साथ होंगे और अच्छी जिंदगी बिताएंगे क्योंकि इस काम के बाद ही तो पैसे आयेंगे अपने पास।

फोन: ......

आदमी: हां डार्लिंग, Love... आआ ओह नो...

और एक जोर का धमाका होता है....

गाड़ी एक मोड़ पर एकदम से अनियंत्रित हो कर खाई की तरफ ढलान पर मुड़ जाती है और एक पत्थर से टकरा जाती है। लड़के का सर जोर से स्टीयरिंग से टकरा कर खून से लथपथ हो जाता है, और उसका होश खोने लगता है, गलती से उसका पैर एक्सीलेटर पर लगता है और गाड़ी पत्थर से छूट कर उलट कर खाई की ओर फिसलने लगती है, और लड़का बेहोश हो जाता है।

कुछ देर बाद लड़के को जरा सा होश आता है, और वो निकलने की कोशिश करता है, मगर वो कामयाब नही होता। उसकी गाड़ी खाई के एकदम किनारे किसी तरह से बस अटकी हुई होती है, जो उसके बाहर निकलने की कोशिश से हिलने लगती है। तभी उसके कान में एक आवाज आती है।

"हाथ दो अपना"


वो एक तरफ देखता है तो बाहर रोशनी में उसे कोई खड़ा दिखता है, चेहरा नही दिखता लेकिन कंधे के पीछे लहराते बाल, और उसकी ओर बढ़ता एक हाथ जिसपर लंबे नाखून थे वो उसे दिखता है। आदमी अपना हाथ उस ओर बढ़ा देता है और फिर से बेहोश हो जाता है......
Suruwaat bahut behtrin rahi pahle he update ne sama bandh diya .....aur bahut sare sawal,khade kar diye h ki ye ladka koun tha kanha se aya tha kyo ja raha tha awesome update bro and most welcome in writers world .... We all support you.....keep going .....keep posting updates........
 

Chutiyadr

Well-Known Member
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#21 the Marriages......

तभी एक स्पॉट लाइट अनामिका और चंदन पर पड़ने लगी, और एक रोमांटिक गाना "दो दिल मिल रहें हैं, मगर चुपके चुपके" बजने लगा। चंदन के मुख पर एक मुस्कान आ जाती है, और अनामिका की नजरें नीची हो जाती हैं। और दोनो एक दूसरे के नजदीक आते हैं, और दोनो स्पॉटलाइट एक हो जाती है।

तभी एक लड़की की आवाज गूंजती है, "हेलो जानू।"

लड़का: हेलो मेरी जानेमन, कैसी है तू? मैं तो तेरे लिए तड़प रहा हूं।

इसी के साथ एक और स्पॉटलाइट सोनाली पर पड़ती है, और प्रोजेक्टर ऑन हो जाता है जिसमे चंदन और सोनाली की अंतरंग तस्वीरें होती हैं।

लड़की: अरे जानू अनामिका से पीछा छुड़ाने की कोई तरकीब निकाली क्या?

लड़का: एक बात पता चली है, बुढ़ाऊ उसको और आनंद को अपने पोता पोती ही मानता है, और अपनी प्रॉपर्टी का एक हिस्सा अनामिका के नाम है, और तो और अभी एक 5 करोड़ का इंश्योरेंस भी करवाया गया है उसका। तो अब तो शादी करनी ही पड़ेगी। इंश्योरेंस और प्रॉपर्टी मिला कर इतना ही जायेगा जो हम जिंदगी भर नही कमा सकते।

लड़की: पर करोगे क्या शादी के बाद?

लड़का: करना क्या है, वो घाटी वाला मोड़ है, सब वही करेगा, जो इतने लोग का कल्याण कर चुका है, हम दोनो का भी कर देगा।

लड़की: मतलब?

लड़का: अरे बस एक एक्सीडेंट ही तो दिखाना पड़ेगा बस.....

और पृथ्वी की आवाज आती है, "तो दोस्तों ये है इस चंदन और उसकी सो कॉल्ड बहन की असलियत...

और हॉल में लाइट जल जाती है। और पृथ्वी स्टेज पर आते हुए अनामिका का हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतार देता है, जो रमाकांत जी के पास चली जाती है।

आनंद: ये क्या है पृथ्वी?

पृथ्वी: वही जो आप देख रहे हैं भैया।

चंदन, चिल्लाते हुए: ये सब झूठ है भाईसाब, ये आदमी हम भाई बहन को बदनाम करना चाहता है, मैने आपको कहा था ना। ये सब बनाया हुआ है।

सोनाली, गुस्से से: ये क्या है चंदन? क्या इसीलिए तुमने मुझे बुलाया है इतनी दूर?

आनंद: पृथ्वी चलो अब नीचे आओ, हम सब अब तुम्हारी किसी चाल में नही आने वाले।

पृथ्वी: दादाजी, प्लीज भैया के जरा शांत रहने को बोलिए।

रमाकांत जी आनंद को इशारा करते हैं, और वो चुप हो जाता है।

पृथ्वी: हां तो सोनाली जी क्या कह रहीं थी आप? आप दोनो को बदनाम करने बुलाया है? आप जैसों को क्या बदनाम करना सोनाली जी, या सोनागाछी की शन्नो बाई, क्या कह कर पुकारा जाय आपको?

ये सुनते ही सोनाली अपना चहरा नीचे कर लेती है।

पृथ्वी: और डॉक्टर चंदन मित्रा, आपने कहां से अपनी मेडिकल डिग्री ली थी, वो भी मात्र 3 साल पढ़ कर?

चंदन: झूठ है ये सब!

पृथ्वी: अच्छा एक और सुनो फिर।

और इसके बाद सोनाली और चंदन का एक दिन पहले की बातचीत चलने जिसमे वो सोनाली को 2 साल इंतजार करने की बात कहता है। जिसे सुन कर आनंद गुस्से से चंदन का गिरेबान पकड़ लेता है, तभी पृथ्वी बीच के आते हुए दोनो को अलग करता है और आनंद से कहता है, "भैया जाने दीजिए, इसका हिसाब पुलिस कर लेगी। इंस्पेक्टर साहब..."

तभी हाल में पुलिस इंस्पेक्टर आ कर चंदन को अरेस्ट कर लेता है, और पृथ्वी कहता है, "ये अपने मेडिकल कॉलेज में कई तरह के गैरकानूनी काम करता था, और अपने कई प्रोफेसर को सोनाली के साथ मिल कर फसा कर ब्लैकमेल करता था। इसीलिए बंगाल पुलिस इसको ढूंढ रही थी।"

पुलिस दोनो को ले कर चल जाती है।

आनंद आंखो में आंसू भर कर: पता नही मेरी इस बहन अनामिका की क्या किस्मत है, बेचारी आज फिर दुल्हन की तरह सज कर अकेली रह गई।

रमाकांत जी: आनंद, अनामिका आज चंदन के लिए नही, बल्कि पृथ्वी के लिए दुल्हन के लिबास में है।

आनंद आश्चर्य से रमाकांत जी और अनामिका को देखता है।

रमाकांत जी: हां आनंद, इनकी सच्चाई हम दोनो को पहले से ही पता थी, बल्कि पृथ्वी ने तो उस दिन तुम्हे भी बताना चाहा था, पर तुमने उसकी एक नही सुनी। हालांकि उसमे गलती तुम्हारी भी नही ही थी, हालत ही कुछ ऐसे हो गए थे। और एक बात, सिर्फ पृथ्वी ही नही, अनामिका भी पृथ्वी को ही चाहती है, वो भी पहले दिन से जब दोनो की शादी के कारण दोनो मिले थे। बस पृथ्वी को ही यहां आ कर पता चला की उसको भी अनामिका ही पसंद है। लेकिन दोनो तुम्हारी मंजूरी के बिना एक कदम भी नही बढ़ाएंगे।

आनंद: तो ये सब आप लोगो ने प्लान किया था?

पृथ्वी: बस मैंने किया था भैया, इन सब ने बस साथ दिया। और एक बात कहूं तो कुछ साथ आपने भी से दिया।

आनंद: कैसे?

पृथ्वी कोमल की ओर देखते हुए: कोमल को भेज कर, वो न उस दिन पार्टी में जाता, ना हम उसका घर बग कर पाते, और न ही उसकी और सोनाली की फोटो मिल पाती हमको। बस ऑडियो प्रूफ पर तो कुछ साबित नही होता ना।

तभी किशन जी आ कर आनंद का हाथ पकड़ कर कहते हैं, "आनंद बेटा, तुमने बहुत कुछ खोया है इस सब में, खास कर मेरे इस लड़के की गलती के कारण। इसीलिए अगर जो तुम्हारी मर्जी
होगी बस वही होगा।

अनामिका: हां भैया बिना आपकी इजाजत के हम किसी से भी शादी नही कर सकते।

आनंद: अनु तुम्हे पता है ना इसने क्या किया है आपने साथ?

अनामिका: सब पता है भैया, पर पृथ्वी अपनी उस हरकत के लिए शर्मिंदा भी है और कई बार माफी भी मांग चुका है।

आनंद: फिर भी मैं मंजूर नहीं करूंगा।

रमाकांत जी: बेटा, जो हो गया उसको बदला नही जा सकता, लेकिन जरा ये तो सोचो कि ये दोनो एक दूसरे को प्यार करते हैं। और तुमसे बेहतर कौन जान सकता है कि अपने प्यार से दूर होना कैसा होता है, प्लीज, समझने की कोशिश करो एक बार।

आनंद: नही, मुझे मंजूर नही

और ये बोल कर आनंद बाहर चला जाता है।

किशन जी: रमाकांत भाईसाब, जाने दीजिए, इसी बच्चे का सुख सबसे बड़ा है, और जब तक ये नही समझेगा तब तक इस बात को जाने ही दीजिए।

और वो पृथ्वी, आकाश और निधि के साथ अपने कमरों में चले जाते हैं। अनामिका भी बुझे मन से वहां से निकल जाती है।

सुबह के 6 बजे, असमान में बस हल्का सा उजाला ही हुआ था, मोड़ के उसी पत्थर पर पृथ्वी और अनामिका उदास मन से बैठा कुछ सोच रहे होते है।

पृथ्वी: अनु....

अनामिका,उसकी आंखों में देखते हुए हुए: क्यों उदास बैठे हो?

पृथ्वी: क्या करूं फिर? भैया तो नही ही मानने वाले हैं।

तभी पीछे आ आवाज आती है: किसने कहा नही मानूंगा मैं?

दोनो चौंकते हुए पीछे मुड़ते हैं जहां आनंद के साथ सभी लोग खड़े थे।

आनंद: अरे भाई किसने कहा की मैं नही मानूंगा? सच कहूं तो मैं इसलिए नाराज था कि मेरी इस गुड़िया ने मुझे ये बात नही बताई, इसकी खुशी से ज्यादा मुझे कुछ नही चाहिए। वैसे सब खेल रहे तो मैंने भी थोड़ा खेल लिया। मुझे पता था की तुम दोनो यहां पर जरूर आओगे, तभी मैं सबको ले आया यहां। और सच कहूं तो इस मोड़ से अच्छी कोई जगह हो ही नहीं सकती तुम दोनो की जिंदगी को नया मोड़ देने के लिए।

निधि आगे बढ़ कर अनामिका का हाथ पकड़ कर आनंद के पास ले जाती है, और, "आनंद अब आप अपनी बहन को कुछ दिन सम्हाल कर रखिए, शादी की सबसे पहले मूहर्त में हम सब उसको मेरे देवर के लिए लेने आयेंगे।

रमाकांत जी: बिलकुल निधि बेटे, हम भी आपका स्वागत करने को तैयार हैं। किशन भाईसाब, अब पृथ्वी को दूल्हे की तरह ले कर जल्दी से आइए आप सब।

किशन जी: बिलकुल भाईसाब, अब हम इजाजत दीजिए।

तभी अनामिका की नजर आनंद पर जाती है जो एक साइड में खड़ी लड़की को देख रहा होता है, अनामिका आगे बढ़ कर उस लड़की को सबके सामने ला कर खड़ी कर देती है।

अनामिका: भैया, अब आप भी शादी कर लीजिए, भाभी तो ढूंढ ही ली है आपने।

वो लड़की: ये अभी भी अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाय हैं। मैं बस इनकी दोस्त भर ही हूं।

किशन जी: आनंद बेटे, जो लड़की airf आप की खातिर अपनी इज्जत भी दांव पर लगा रही हो, उससे अच्छा जीवन साथी आपको नही मिल सकता।

रमाकांत जी: बिलकुल बेटे, और अब पूर्वी वापस तो नही ही आने वाली, कम से कम आप अपनी जी जिंदगी तो जीना सीखिए, और कोमल से अच्छी और कोई नही मिलने वाली आपको, मुझे कोमल भी पूर्वी जैसी ही लगती है।

आनंद भी कोमल को देख कर मुस्कुरा देता है। अनामिका दोनो का हाथ एक दूसरे को पकड़ा देती है।

किशन जी: भाईसाब, कोमल मेरी पोती जैसी ही है, ये मेरे बेटे के दोस्त मैडम खुराना की बेटी है, उनकी मृत्यु इसके बचपन में ही हो गई थी, इसीलिए मैं चाहता हूं कि इसकी डोली मेरे घर से उठे, आपको कोई आपत्ती न हो तो।

रमाकांत जी: वो भला मुझे क्यों होगी।

किशन जी: तो कोमल बेटा आप हमारे साथ चलिए, सबकी शादी एक साथ ही करवा देते हैं हम लोग।

ये सुन कर सब लोग सहमति देते हैं और किशन जी अपने परिवार के साथ अपने शहर को निकल गए। एक महीने बाद सबकी शादी का मूहर्त निकला और शादी की तयारियां दोनो तरफ जोर शोर से होने लगीं।

शादी वाले दिन एक ही मैरिज हॉल में 2 बारात एक सात पहुंचती हैं, एक में पृथ्वी गुलाबी और हल्के स्लेटी रंग की शेरवानी में किसी राजकुमार की तरह लग रहा था, वहीं गुलाबी लहंगे में अनामिका किसी राजकुमारी की तरह सजी हुई उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। दूसरी ओर कोमल सुर्ख लाल लहंगे में अपने चेहरे की लालिमा के साथ अमर की प्रतीक्षा में अधीर हो रही थी जो गहरे मरून शेरवानी में किसी राजा की तरह लग रहा था। दोनो जोड़ों की शादी खूब धूम धाम से हुई और सब कार्यक्रम हंसी खुशी अच्छे से समाप्त हुए।

कुछ साल बाद.....

"गोपाल, जल्दी से गायत्री को ले कर आ जाओ, पूर्वी राखी बांधने के लिए तैयार है।" ये आवाज अनामिका की थी जो आनंद को राखी बांध कर उठी थी, और उनकी जगह कोमल पृथ्वी और आकाश को राखी बांध रही थी।

तभी एक लड़की की आवाज आती है, "मम्मा, देखो ये पूर्वी ने भाई को पहले ही राखी बांध दी।"

अनामिका: तो क्या हो गया गायत्री, वो कभी कभी ही तो अपने भाई से मिलती है, आप दोनो तो हमेशा से साथ रहते है, चलिए अब आप गोपाल को राखी बांधिए।

दोनो बच्चे, गोपाल और गायत्री जो की जुड़वा थे, वो राखी बंधवाने बैठ जाते हैं, और पूर्वी, कोमल और आनंद की बेटी, उसको मिठाई खिलाती है।


किशन जी और रमाकांत जी साथ बैठे हुए चाय पीते हुए सबको हंसते खेलते देख खुश हो रहे थे.....
Bahut badiya story :superb:
 
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