shameless26
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BEUTIFUL NARRATION. A LITTLE HAYWIRE BUT GREAT GOING. I IDENTIFY MYSELF WITH RAVI, BEEN THERE SOME. BUT GOT NO HELP FROM ANY PSYCHIATRIST IT JUS SORTED ITSELF ON ITS OWN.
घर पहुँचते ही तरुणा ने अपनी साडी उतार दी और सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में आ गई। रवि भी सिर्फ एक बरमूडा में हो गया। रेखा ने ऐज उसुअल एक शार्ट और टी-शर्ट पहन ली।
तीनो ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गए। तरुणा तीन ग्लास और ढेर सारा बर्फ लेकर आई। रवि ने बोतल खोल दिया। पहली सिप जाते ही रवि का मुँह अजीब सा बन गया। उसने कहा कैसे पी लेते हैं लोग ? तरुणा को भी उसका स्वाद थोड़ा अजीब ही लगा। उसने बहुत दिनों बाद बियर को हाथ लगाया था। तीनो में रेखा ही नार्मल थी क्योंकि वो अक्सर पी लेती थी। कुछ घूँट जाने के बाद तरुणा और रवि बहकने लगे।
रवि - माँ अब तो तू मुझे पक्का मादरचोद बना देगी न। सिर्फ तुझे पाने को मैंने इतनी मेहनत की है।
तरुणा - भक बकलन्ड। कैसी बात करता है। अब तू डॉक्टर बन कर तूने अपना भविष्य बनायेगा । मेरे सपने को पूरा करेगा। अब एक बार डॉक्टर बन जा चूतो की लाइन लग जाएगी।
रेखा - औरतो का डॉक्टर बन जाना बे। चूत ही चूत और चूत से निकलते तुम जैसे मादरचोद। हाहाहाहाहा
रवि - कितनी घटिया बात कर दी।
तरुणा - गलत क्या कहा? औरतें तो आएंगी चेक उप कराने को तुझे तो उनका सारा शरीर देखना पड़ेगा।
रवि - चुप हो जाओ तुम दोनों मैं एक अच्छा डॉक्टर बनूँगा। चूत के लिए मरीज थोड़े ही चाहिए। लेना होगा तो साथ की डॉक्टर की ले लूंगा। इतनी नर्स तो रहेंगी आस पास। कोई भी दे देगी।
रेखा हँसते हुए - तब तो तू बहनचोद भी हो जायेगा
रवि - कैसे ?
रेखा - हीहीहीही नर्सेज को सिस्टर कहते हैं न। सिस्टर को चोदेगा तो बहनचोद ही बनेगा। हीहीहीहीहीही
तीनो हंस पड़े।
रवि सीरियस होकर बोला - पर मैं किसी की नहीं लूंगा। मुझे तो बस माँ की चाहिए।
तरुणा - अरे पगले तेरी माँ तो तेरी है ही पर मेर सच में इच्छा है की तू पहले एक कुँवारी चूत ले ले फिर मेरी जितनी मन करे मार लेना। तू तब मेरी चूत का भोसड़ा भी बना देगा तो फर्क नहीं।
रवि - गांड दोगी?
तरुणा नशे में - हां।
रवि - पर मुझे तो इनाम आज ही चाहिए। और इनाम में तेरी ही चूत चाहिए। दिखाओ न प्लीज।
तरुणा भी कड़ी हो गई और एकदम से रवि के सामने कड़ी होकर अपना पेटीकोट उतार दिया। अंदर उसने पैंटी नहीं पहनी थी। अवि उसके चिकने चूत को देख कर पालक झपकाना भूल गया। इतने नजदीक से चूत पहली बार देख रहा था। उसने तरुणा को कमर से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। बोला - माँ तेरी चूत तो एकदम चिकनी है। मन करता है चूम लू।
तरुणा - रोका किसने है। लेले
रवि ने उसकी चूत को चूम लिया। तब रेखा ने कहा - साले इसे चूमते नहीं हैं चाटते हैं। कह कर उसने अपनी जीभ तरुणा की चूत पर फेर दी।
रवि ने भी देखा देखि वैसे किए और अपनी जीभ उसकी चूत पर नीचे से ऊपर फेर दिया। नमकीन चूत के पानी ने और भी नशा कर दिया।
रवि एक बार और चाटने को हुआ तभी रेखा ने बियर की ग्लास से थोड़ा बियर तरुणा की पेट से होते हुए चूत की तरफ गिरा दिया। रवि ने झट से बहता बियर पी लिया। रेखा ने भी तरुणा के जांघो पर आता बियर चाट लिया। अब तरुणा रवि के गोद में बैठ गई। रवि का लंड बरमूडा से निकलने को बेताब था। वो चाह रहा था की नंगा हो जाये अपने लंड को आजाद कर दे पर तरुणा ने होने नहीं दिया। पर तरुणा ने रेखा से कहा - क्यों रे मेरी रांड , मुझे तो नंगा कर दिया खुद पुरे कपड़ो में है उतार अपने कपडे।
रवि - हाँ हां उतारो। हमाम में सब नंगे होने चाहिए।
रेखा को भी थोड़ा शुरूर चढ़ रहा था। उसने भी जोश जोश में अपना शर्ट उतार दिया।
तरुणा ने कहा - पेंट कौन उतारेगा तेरा बाप।
रेखा - उस बेटीचोद का नाम मत लो। हाथ भी नहीं लगाने दिया उसे मैंने। एक बार कोशिश की थी छुरी उठा लिया था। तब से सिर्फ मुझे मारा ही करता था। इज्जत पर हाथ नहीं लगा पाया।
तरुणा को एह्साह हुआ की गलती हो गई है। उसने कहा - सॉरी माय डिअर। मेरा मतलब नहीं था। जाने दे उस भड़ुए को क्यों याद कर रही है। बैठ जा।
रेखा - हम्म। कोई नहीं। कहकर रेखा ने अपनी पेंट उतार दी। अब वो भी नंगा था।
उसे इस रूप में देख रवि के लंड ने नीचे से सलामी दी। तरुणा ने फिर रवि की तरफ पीठ करके उसके गोद में बैठ गई और झुक कर रेखा की चूत चाटने लगी। चूत चाटते चाटते वो अपने कमर को रवि के लंड पर हिला भी रही थी। रवि ने अपना हाथ आगे कर करके तरुणा की चूत को छु रहा था , कभी वो उसकी चूत को सहलाता , कभी उसके क्लीट को उँगलियों के बीच में पकड़ता। पर वो वास्तव में अपना बरमूडा उतार कर तरुणा की चूत में समां जाना चाहता था। तरुणा सब समझ रही थी पर उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। तरुणा थोड़ी देर बाद रवि के गोद से उतर गई और निचे बैठ गई। उसने रवि का बरमूडा उतार दिया। उसने रेखा का हाथ पकड़ रवि के बगल में बिठा दिया। फिर उसने अपना चेहरा रेखा के जांघो के बीच में घुसा दिया और अपने एक हाथ से रवि के लंड को सहलाने लगी। अब वो मुँह से रेखा की चूत चाट रही थी और हाथ से धीरे धीरे रवि को मुठिया रही थी। रेखा को जैसे ही मस्त चढ़ी, तरुणा ने चाल बदल दी। अब वो रवि के लौड़े को चूमने लगी और बोली - क्या मस्त लौड़ा है मेरे बेटे का। जवान बेटे का घोड़े जैसा लंड। कितना मजा आएगा जब मेरी चूत में जायेगा।
वो फिर उसके लंड के टोपे को चूमने लगी। रेखा की चूत पनिया चुकी थी। पर ऐन मोके पर तरुणा ने उसकी चूत को छोड़ रवि के लौड़े पर फोकस कर दिया था। तरुणा ने अपने अपना एक हाथ रेखा की चूत पर ही रखा था और उसे धीरे धीरे सहला रही थी पर रेखा को उसमे मजा नहीं आ रहा था। उसने कहा - पहले मेरा कर दो। आग लगा कर क्यों अलग कर दिया।
तरुणा - आती हूँ तेरे पास भी। पर देख न इतना मस्त लौड़ा है कैसे छोड़ दू। आजा तू भी ले ले इस लॉलीपॉप को। मजा आ जायेगा।
रेखा ने रवि के लंड की तरफ देखा और अपनी ही चूत में ऊँगली करने लगी। तरुणा ने तब अपना चेहरा फिर से उसके चूत पर रख दिया। उसने अबकी बार उसके क्लीट को चूसना शुरू किए और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
रेखा पूरी मस्ती में थी। रवि उसके इस रूप को देख कर मस्त हो गया। उसने झुक कर रेखा के बूब्स को अपने हाथ में ले लिया। रेखा पूरी मस्ती में आँख बंद किये हुए थी। उसने रवि के हाथो को अपने बूब्स पर और जोर से दबा लिया। अब रवि उसके निप्पल निचोड़ रहा था और तरुणा उसके क्लीट को।
रेखा - आह आह क्या मस्त चीज हो तुम माँ बेटे। क्या चूसती हो मेरी जान। उसने तरुणा के सर को अपने पैरो के बीच में दबोच लिया और रवि के सर को अपने मुम्मे पर। अब रवि उसके मुम्मे चूस रहा था। तरुणा ने रेखा का एक हाथ रवि के लौड़े पर रख दिया। रेखा ने अपना हाथ हटा लिया। तरुणा ने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया। रेखा समझ गई तरुणा नहीं मानेगी। उसने फिर आखिर में रवि के लंड को पकड़ ही लिया। उसके हाथ लगते ही रवि का लंड फनफना उठा। तरुणा ने तब अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। रेखा को दर्द तो हुआ पर तरुणा माहिर थी। थोड़ी ही देर में रेखा मस्त हो गई। रेखा - आह आह आह , क्या मजे हैं। माँ तेरी उंगलिया कमाल करती हैं। थोड़ा और अंदर डालो न। हां ऐसे ही बस तेजी से करो। मेरी चूत को खुश कर दो मेरी जान। आह क्या करती हो।
तरुणा ने थोड़ी देर तेज ऊँगली करि और फिर उठ कर कड़ी हो गई। बोली - क्या रे सिर्फ अपना सोचती है। मेरी चूत जो पनियाई है उसका क्या ? चल चाट इसे। रेखा एकदम से मिन्नत करने लगी - बस मेरा होने वाला है प्लीज कर दो न।
तरुणा - तेरे हाथ में हथियार है और मेरी ऊँगली चाहिए। चुदना है तो बैठ जा उसके लंड पर। सच कह रही हूँ जो मजा मिलेगा ऊँगली भूल जाएगी।
रेखा ने रवि के लंड को देखा। उसका मन सच में किए की बैठ जाए उस पर उसकी चूत की खुजली मिट जाएगी। पर इतना बड़ा लंड देख डर रही थी। उसने नजरे फेर ली और उसके लंड को छोड़ दिया।
तरुणा तब तक सोफे के हैंडल पर पर बैठ गई और रवि को बोला - चल अब माँ की चूत की सेवा कर। चाट जरा। बहुत दिनों से मांग रहा था न। लेले अपनी माँ की चूत मुँह में। तरुणा ने अपने चूत की फांको को अलग किए और अपना क्लीट दिखा कर बोली ये तेरी माँ का लंड है। इसे भी प्यार करना। रवि तो खो गया था गुलाबी गुलाबी चूत देख क। उसने मुँह लगा दिया। तरुणा - शाबाश मेरे लाल। ले ले अपनी माँ की चूत। खा जा। इसने तुझे बहुत तड़पाया है चाट ले। काट ले। रवि कुत्ते की तरह तरुणा की चूत पर जीभ चलाने लगा।
तरुणा - आह आह क्या मस्त कुत्ते की तरह चाट रहा है। चाट ले। निकाल दे मेरा पानी। डाल अपनी एक ऊँगली डाल।
रवि - कहो तो लंड डाल कर शांत कर दूँ माँ। मेरा लंड भी तो तेरी चूत में समाने को तैयार है।
तरुणा - खबरदार जो लंड डाला तो। तू तभी मुझे छोड़ पायेगा जब जब मुझसे पहले एक कुँवारी चूत की अपने लंड से मांग भरेगा।
रवि - माँ ये कैसी जिद्द है। इतना इंतजार के बाद ऐसा क्यों ?
तरुणा - चाट ले पहले। चाट के मुझे झड़वा।
रवि फिर चाटने में लग गया।
इधर रेखा का ध्यान रवि के लंड पर से नहीं हट रहा था। उसे तरुणा के ताने भी सुनाई दे रहे थे। उसका नशा उतर चूका था। बल्कि उसे ज्यादा नशा हुआ ही नहीं था। उसने एक पैग और बनाया और पीने लगी। उसने सोचा रवि को माँ की चूत नहीं मिलेगी। तरुणा की चेहरे पर मस्ती थी पर अजीब सी जिद्द भी थी। वो उठ कर तरुणा के पास गई और उसे किस कर लिया। तरुणा - क्या मजे हैं मेरे बेटा निचे ले लिप्स पी रहा है और बेटी ऊपर के।
उसने रेखा के मुम्मे दबोच लिए और पीने लगी। रेखा ने रवि की लम्बे हिलते लौड़े को देखा उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी।
उसने फिर रवि को हटा दिया और खुद लग गई तरुणा की चूत चाटने। अब तरुणा सोफे पर बैठी थी और निचे रेखा कुतिया बानी उसकी चूत चाट रही थी। रवि रेखा की पीठ सहला रहा था। उसने कहा - तुम दोनों अपने अपने चूत का तो सोच रही हो मेरा लंड बेचारा बस हवा में लहरा रहा है।
रेखा ने फिर उसका लंड एक हाथ से पकड़ लिया। रवि - कब तक हाथ से काम चलूँगा। दो दो चूत सामने है पर कोई भी मेरा नहीं है।
तरुणा - देख मेरी चूत तो बिजी है। रेखा से पूछ ले।
रेखा - मादरचोद अब भी पूछेगा क्या ही भड़ुए। कुतिया बानी गांड लहरा लहरा कर न्योता दे रही हूँ अब मेरी चूत थोड़े ही बोलेगी की सैया
आओ समां जाओ।
रवि लपक के रेखा के पीछे पहुँच गया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करने लगा। तरुणा बोली - बहनचोद, कुँवारी चूत तैयार हुई है ऐसे ही थोड़े मिलेगी। रुक।
वो फिर उठी और रेखा को सोफे पर बैठा दी। किचन से हल्दी और तेल ले आई। कमरे से सिन्दूर और थाली में दिया। उसने पहले रवि के लंड को हल्दी का टीका लगाया। रेखा की चूत पर सिन्दूर और दोनों की आरती करने लगी। उसने रेखा की चूत को चूमा और रवि के लौड़े को। फिर खूब सारा तेल रवि के लंड पर उड़ेल दिया। चूत पर भी तेल लगा दी। अब उसने फिर रेखा से कहा की - सवारी करेगी या करवाएगी ?
रेखा - करने में मजा भी है और अपने हिसाब से लुंगी।
तरुणा - समझदार है तू। अब रवि के दोनों तरफ पैर करके रेखा ने अपनी चूत उसके लंड पर सेट कर लिया और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी। चूत में दो ऊँगली तो पूरी गई नहीं थी मोटा लंड कैसे जाता। तरुणा ने रेखा को ग्लास में बियर दिया और बोला पी ले दर्द काम हो जायेगा। जैसे ही रेखा ने बियर ख़त्म की तरुणा के उसके कंधे पर हाथ रख कर जोर से दबा दिया। रेखा की चूत में रवि का लंड सटाक से घुस गया।
रेखा- मआदारचोद मार डाला। ऐसे कोई करता है क्या मेरी चूत फाड़ दी तूने।
तरुणा - चुदना तो था ही इतना नाटक क्यों। अब खेल शुरू कर
रेखा थोड़ा ऊपर उठी और फिर धीरे से बैठ गई। अब उसके चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था। उसका दर्द काफूर था , दर्द ने मजे का रूप ले लिया था। अब वो रवि के लंड पर मस्त झूला झूल रही थी।
रेखा - सच में क्या मजा आता है। मादरचोद से पहले बहनचोद बन गया। तेरी तो बचपन की इच्छा पूरी हो गई रे ।
रवि का लंड टाइट चूत में जल सा रहा था। वो एकदम हवा में था। थोड़ी देर बाद उसने रेखा को उठाया और हवा में लेकर चोदने लगा। रेखा एकदम बेहाल थी। उसे सहारा देने के लिए पीछे तरुणा कड़ी थी। रेखा माँ बेटे के बीच में हवा में चुद रही थी। रवि में ना जाने कहाँ से ताकत आ गई थी। नशे का असर था उसका जोश भी काम नहीं हो रहा था। ऊपर उठाये उठाये कुछ देर चोदने के बाद उसने रेखा को डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया और जोरदार तरीके से चोदने लगा।
रेखा - मार देगा क्या मुझे भोसड़ी के। कितनी बेरहमी से छोड़ रहा है। आराम से कर। चूत छोड़ कर भाग थोड़े ही जाएगी। चोद जम कर चोद पर प्यार से।
रवि कहाँ मानने वाला था। उसने कहा - तूने मुझे बहुत तड़पाया है। ऐसे थोड़े ही छोडूंगा। आज तेरी चूत का कबाड़ा कर दूंगा। कितनी मस्त चूत है तेरी एकदम सील पैक। चूस लिया है अंदर मेरे लंड को। आह आह आह।
रवि और रेखा दोनों उन्माद में काँप रहे थे। दोनों झड़ने वाले थे। तरुणा - शाबाश मादरचोद शेर अब तू पक्का चोदू बन गया है। आज तुझे सील चूत भी मिल गई अब तू मेरी चूत ले मादरचोद बन या मेरी गांड मार ले फर्क नहीं पड़ता। मेरी मुराद पूरी हो गई।
रवि माँ के इस रूप को देख कर तेजी से झड़ने लगा। उसने सारा वीर्य रेखा की चूत के अंदर उड़ेल दिया। और डाइनिंग टेबल पर ही रेखा के ऊपर अधलेटी अवस्था में हो गया। तरुणा दोनों को सर पर हाथ रख बालों को सहला रही थी रेखा तो लगभग बेहोशी वाली हालत में थी।
उसने तरुणा और रवि का कर्ज उतार दिया था। वो हर तरह से संतुष्ट थी। मन से भी तन से भी।