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Incest बेटे की फैंटसी

Who do you think make better pair?

  • 1) Ravi - Tanya

    Votes: 40 61.5%
  • 2) Ravi - Rekha

    Votes: 39 60.0%
  • 3) Samrat - Rekha,

    Votes: 11 16.9%
  • 4) Samrat - Saloni

    Votes: 14 21.5%

  • Total voters
    65

tharkiman

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इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद भी रवि के लैंड में तनाव अब भी बना हुआ था। न सिर्फ उसका लंड टाइट था बल्कि उसके मन में सिर्फ चूत और चुदाई चल रही थी। उसने देखा की उसकी माँ एकदम नंग धडंग होकर डाइनिंग टेबल पर झुके झुके रेखा के बालों को सहला रही थी। उसकी माँ की गांड बाहर की तरफ निकली थी और उसके मुम्मे टेबल पर लटके से थे। लम्बे बाल एक तरफ गिरे हुए थे। एकदम चुदासी माल लग रही थी। रवि निचे उतरा और अपनी माँ के गांड में अपना लंड डालने लगा।
तरुणा - बहनचोद मन नहीं भरा क्या ? गांड ही लेगा क्या पहले। चूत निचे होता है। उसमे डाल। उसने अपना हाथ पीछे लेजाकर उसके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया। रवि ने एडाम से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया। उसकी चूत पहले से पनिया रखी थी। लंड आराम से अंदर चला गया। रवि ने तरुणा के बाल को पकड़ लिया। लग रहा था घोड़ी के लगाम पकड़ रखा हो। उसने फिर ताबड़तोड़ पिलाई शुरू कर दी।
तरुणा - आह आह आह मार ले मेरी कुत्ते। इसी दिन का इंतजार तो था मेरी चूत को। छोड़ना मत। चोद दे। फाड़ दे मेरी चूत। आह रविइइइइइइ मदरचूऊऊद पेलूउउउउ आह आह आह माअअअअअअअ आआ फाड़ डाला रे आह आह
तरुणा की चीख सुन कर रेखा ने आँखे खोली
रवि की जबरदस्त चुदाई देख वो दांग रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था की इतने देर तक उसे चोदने के बाद भी वो फिर तैयार हो जायेगा। पर उसे क्या पता था की रवि आज शांत होने और थकने के लिए तैयार नहीं था। उसने बीच में मौका निकाल कर अपने लिए सेक्स पावर के लिए दवा ले लिया था। दवा और बियर के कॉम्बिनेशन ने रवि को जानवर बना दिया था।
रवि अपनी माँ की चूत में धक्के लगाने में लगा था। उसकी स्पीड कम ही नहीं हो रही थी।
रवि - माँ क्या मस्त चूत है तुम्हारी। एकदम रंडी हो तुम। आह आह लग रहा है तुम्हारी चूत नहीं एक सुन्दर गुफा है जिसमे से मेरा लंड निकलना ही नहीं चाह रहा।
तरुणा - कौन कह रहा है निकालो, डालते रहो, पेलते रहो । मेरी चूत कितने दिनों की प्यासी है। आज उसकी प्यास बुझा दे। आह आह और जोर से , पेल पेल पेल पेल दे
रेखा को उसकी हालत देख कर समझ नहीं आ रहा था की खुश हो या तरस करे। आखिर तरुणा इतने दिनों से सब्र रखे हुए थी। रेखा तो गे थी पर तरुणा को तो लंड चाहिए था। उसे लड़कियों का टच अच्छा लगता था पर तरुणा को तो मर्द चाहिए थे। आज सच में उसकी ख्वाहिश पूरी हो गई। पर उसे खुद पर भी यकीन नहीं था की कैसे उसने रवि को चोदने के लिए अलाउ कर दिया। क्या सच में उसे रवि का टच अच्छा लगा था या सिर्फ एहसान उतारने के लिए चुदी थी। वो कंफ्यूज थी उस पर से पूरा बदन दर्द कर रहा था। मीठा मीठा दर्द।
रवि अभी तक माँ को पेले जा रहा था। तरुणा की हालत अब खराब हो गई थी। उसने कहा - अरे जानवर बन गया है क्या ? मेर चूत सच में फट जाएगी। अबे फट गई तो किसकी लेगा ? बस कर। मुझे बक्श दे। तेरी सोनिया मैडम को बुला दूंगी तू उनकी ले लेना। उनसे भी मन नहीं भरा तो वो नमिता मैम को लंच पर बुलाऊंगी उसके चुचे बड़े है न उनको दबा लेना। वो प्रिंसिपल को बुला दूंगी। बस मुझे छोड दे अभी।
टीचर्स का नाम सुनकर रवि और उतीजीत हो गया। उसे लगा की वो एक एक करके सब टीचर्स की चूत में लंड डाल रहा है। उसका लंड बस आग उगलने को ही था। तरुणा की बातें सुन आखिर में उसके लंड ने पूरा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। इतने देर की लगातार चुदाई से तरुणा के पैर काँप रहे थे। वो धड़ाम से निचे गिर पड़। रवि भी खुद को संभाल नहीं पाया और लड़खड़ाते हुए सोफे पर गिर पड़ा।
 

tharkiman

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रात सेलिब्रेशन की रात थी। रवि के मेडिकल में होने की और साथ ही उसे दो दो चूत मिलने की। उसने इनाम में सिर्फ माँ की चूत सोच राखी थी पर रेखा की कुँवारी चूत भी मिल ही गई। थोड़ी देर बार तरुणा और रवि को तो होश आ गया पर रेखा की हालत खराब थी। उसकी कुँवारी चूत की सील टूटी थी वो भी रवि के गधे जैसे लंड से। उसकी हालत देख तरुणा किचन से गरम पानी करके उसकी पेट के आस पास सेकाई करने लगी। औरतों की चूत इलास्टिक की बनी होती है। उसमे आदमी का लंड ही क्या गधे का भी चला जाए। पर पहली बार में तो हालत खराब हो ही जाती है। रवि ने रेखा को गोद में उठाया और माँ के कमरे में लिटा दिया। खुद दुसरे कमरे में चला गया।
सुबह रेखा से उठा नहीं जा रहा था। उसका बदन टूट रहा था सर चकरा रहा था। रात की साड़ी बातें जब उसे याद आई तो उसे खुद पर ग्लानि होने लगी। मरदों से दूरी बनाने वाली रेखा मर्द से कैसे चुद गई। शायद नशे में , या चुदाई के खुमार में , या फिर रवि के अंदाज से या माँ बेटो के एहसान को उतारने में। ये तो वो भी नहीं समझ पा रही थी।
उठने की कोशिश करने लगी तो तरुणा दौड़ कर आई और मना कर दिया। उसे नाश्ता देकर दोबारा दवाई दी और आराम करने को कहा। शाम तक उसकी हालत कुछ सही हुई तो कमरे से बाहर निकली। उसे देख रवि नजरे चुरा रहा था। उसने धीरे से सॉरी बोलाजिस पर रेखा चुप ही रही। आखिर उसकी गलती थोड़े ही थी।
एक दो दिन तो घर में माहौल थोड़ा ऑक्वर्ड रहा पर बाद में सब सामान्य हो गया। सामान्य क्या रेखा और रवि दोनों की चांदी हो गई।। दोनों तरुणा को जब मन करता चोदने लगते। दोनों पहले तरुणा की मुम्मे खूब चूसते फिर उसकी चूत पर रेखा कब्ज़ा करती और चाट चाट कर पनिया देती। फिर रवि उसमे अपना लंड घुसा मस्त चोदता था। रवि ने रेखा को दुबारा चोदने की कोशिश नहीं की पर रेखा को उसका लंड प्यारा लगता था। जब कभी भी वो उसके बगल में नंगा बैठा होता तो रेखा उसके लंड को उलटे पेंडुलम की तरह हिला हिला कर मजे लेती।
रवि तो कुछ नहीं कहता पर एक आध बार तरुणा जरूर कह देती - ले ले अंदर। इसका अलग मजा है। मेरी चूत का पानी कितना पीयेगी।
रवि अब तरुणा को जब मन करता जहाँ मन करता चोद देता। ऐसे ही करते करते रवि के काउंसलिंग और एडमिशन का दिन भी आ गया।
तीनो काउंसलिंग सेण्टर पर पहुंचे। वहां नए नए लड़के लड़किया एडमिशन के लिए तो आये ही थे कई गैप ईयर वाले भी थे। पर जो कोमलता और मासूमियत नए नए बच्चों में थी वो पुराने में नहीं। पहली बार रवि को सामने दिखती लड़कियां सुन्दर लग रही थी। फॉर्म वगैरह भरने के बाद जब मेडिकल की बारी आई तो चेकअप अधिकांश लड़कियां ही कर रही थी। फाइनल ईयर वाले थे ये नए नए डॉक्टर रहे होंगे। रवि को डॉक्टर मेहर की याद आ गई। पर जितनी ख़ुशी रवि को थी उससे ज्यादा तरुणा को। उसका सपना पूरा जो हो रहा था। बलिदान व्यर्थ नहीं गया था। रेखा भी रवि के लिए खुश थी। माहौल देख उसे यकीन था की अब रवि किसी न किसी लड़की को पटा लेगा। उसे फिर तरुणा का ख्याल रखना होगा।
एडमिशन के टाइम पर भीड़ में ही एक सुन्दर सी यंग लड़की थी। लगता था १२वी पास करते ही उसका सिलेक्शन हो गया था। मासूम सी काली लग रही थी जिस पर कई भँवरे मंडरा रहे थे। उसने सुन्दर सी रेड कलर की टॉप पहन राखी थी और निचे घुटनो से ऊपर तक का टॉप।
उसकी गोरी गोरी टाँगे चमक रही थी। झुकने पर थोड़ी बहुत जंघे दिख जाते थे। क्या चिकनी माल थी। सबकी नज़र उस पर थी। रेखा की भी और रवि की भी। लड़की किसी और को तो भाव नहीं दे रही थी पर रवि से इम्प्रेस थी। रवि लम्बा चौड़ा तो था पर उसके चेहरे में भोलापन था। उसने अपनी माँ तो चोद ली थी पर प्यार में भी था। वासना काम प्यार ज्यादा , सो चेहरे पर मासुमियत भी थी। छल नहीं था। शाम होते होते दोनों दोस्त बन गए। रवि ने उसे अपनी माँ से मिलवाया और रेखा से भी बहन कह कर परिचय करवाया। वो लड़की सबसे मिलकर खुश हुई।
रेखा का दिल भी उसने चुरा लिया था। ये बात तरुणा और रवि दोनों ने महसूस की थी। उस लड़की का नाम सुनैना था। वो गोवा की रहने वाली थी और यहाँ उसका कोई जान पहचान का नहीं था। उसके साथ उसकी माँ और पिता दोनों आये थे। उसके पिता का वहां रेस्टोरेंट था। वो चाहते थे की नैना उनका बिज़नेस संभाले पर वो डॉक्टर बनना चाहती थी।
तरुणा ने भी अपना और अपने परिवार का परिचय दिया। उन्हें ऑफर किया की वो उनके घर भी रह सकते हैं। नैना को हॉस्टल मिलने तक अपने घर रखने का भी ऑफर दिया। पर उन लोगों ने प्यार से मना कर दिया। उन्होंने होटल में पहले से बुकिंग करा रखा था। तरुणा समझ रही थी की रवि और रेखा दोनों को वो लड़की बहुत पसंद आ रही है। शार्ट स्कर्ट में बहुत ही क्यूट और सेक्सी लग रही थी।
रास्ते में कॉलेज और एडमिशन प्रोसेस की बात निकलते निकलते नैना की बात भी आ गई।
रेखा - कितनी क्यूट थी न।
रवि - हाँ प्यारी थी
तरुणा - तुम दोनों ठर्कियों को एक ही लड़की पसंद आई। वो भी क्यूट , सेक्सी नहीं थी। गोवा वाले स्टाइल में मुझे तो मस्त सेक्सी लग रही थी
रवि - हाँ स्कर्ट में सुंदर लग रही थी।
तरुणा - सुन्दर ?
रवि - अरे सेक्सी। वो बोल पड़ा - स्कूल कम ही लड़कियां स्कर्ट में अच्छी लगती थी।
रेखा - अच्छा जी वो क्लास 9 वाली सलोनी याद है। तू तो कहता था उसके स्कर्ट में घुस जायेगा। माँ , एक बार उसने अपने शर्ट की सेटिंग के लिए अंदर हाथ डाला था तभी से इनकी जान अंदर अटक गई थी। सफ़ेद पैंटी देख मुझसे भी बोला की सफ़ेद ही पहना कारु
तरुणा - अरे बाबा , जनाब को कोई लड़की पसंद थी, पता ही नहीं था। नाहक ही चुद गई मैं तो।
रवि शर्मा गया। रेखा बोल पड़ी - लड़की का पता नहीं पर उसकी स्कर्ट और जंघे पसंद थे।
बातें करते करते सब घर पहुंचे। रात फिर खाने के साथ एक एक पैग बियर पिया सबने। पर फिर सब सोने चले गए। दिन भर की कारवाही से सब थके हुए थे। पर रेखा को नींद नहीं आ रही थी। उसके दिलो दिमाग से नैना नहीं जा रही थी। सलोनी सिर्फ रवि को ही नहीं बल्कि रेखा को भी पसंद थी। वो कई बार बाथरूम में कपडे सही करने के बहाने सलोनी की स्कर्ट के अंदर हाथ डाल चुकी थी। सलोनी के मुम्मे एवरेज साइज के थे। रेखा सलोनी और नैना में कंपरिसन कर ही रही थी की अचानक उसके मोबाइल पर मैसेज आया। देखा तो नैना का था। उसने हाय बोला था। दरअसल दिन में रेखा और सुनैना ने आपस में नंबर एक्सचेंज कर लिए थे।
रेखा ने भी हाय जवाब में भेजा और लिखा - नींद नहीं आ रही क्या। मुझे लगा की थक गई होगी। यहाँ रवि और माँ तो थक कर चूर हो गए हैं। दोनों खर्राटे भरके सो रहे हैं।
नैना - मुझे नई जगह नींद कम ही आती है। मैं बाहर आ गई। सोचा सुट्टा लगा लूँ एक।
रेखा - तू सिगरेट पीती है।
नैना - गोवा से हूँ , सब लेती हूँ। वहां तो ये सब कॉमन है। मोम डैड को तो दारु बिना नींद नहीं आती। कमरे में महफ़िल सजा रखा है। तभी तो आपके यहाँ नहीं रुके।
रेखा - हम्म। तो तुम नहीं ले रही।
नैना - आज मूड नहीं है। वैसे भी उनके साथ रही तो काण्ड हो जाना है। उनके सोने के बाद ही जाउंगी।
रेखा - काण्ड। क्या मतलब।
नैना - फिर कभी बताउंगी।
रेखा को अजीब पर अच्छा लगा की एक ही दिन में ये लड़की इतनी खुल गई।
नैना बोली - आप लोग बहुत अच्छे हो। आप आंटी , रवि। मैं इतनी जल्दी अजनबियों से नहीं खुलती पर आप सब अपने से ही लगे तो दिल की बात निकल आई। ख़ास कर आपसे मिलकर तो बहुत अच्छा लगा।
रेखा ने थैंक यू कहा।
तभी पीछे से नैना की माँ की आवाज आई। वो बोली - चलती हूँ ये चैन से रहने नहीं देंगे। चलो गुड नाईट जल्द ही मुलाकात होगी।
रेखा ने भी गुड नाईट कहा। मन में वो सोचने लगी - लड़की जितनी मासूम दिखती है उतनी है नहीं। पर जिस सच्चाई से खुल रही है बुरी लड़की नहीं है। हो सकता है उसकी परिस्थिती में मेरे जैसे हो। सोचते सोचते रेखा भी नींद के आगोश में चली गई।
 

Enjoywuth

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Kahani bahut badiya ja rahi hai.. Ab toh rekha ke dil main ravi ka pyar jaga he do writer ji.. Let it be happy family...

Teeno milkar maje kare..

Lekin jis tarah se last update aaya.. Lagta hua.. Ab yeh adultary ke traf jane waali hui sayad taruna ka number sunaina ke parents ke sath hone waala hai
 
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tharkiman

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अगले दिन दोपहर में तरुणा ने रेखा से कहा मार्किट चलना है कुछ सामान लेना है।
रेखा ने पुछा - क्या लेना है ?
तरुणा - कुछ कपडे लेने हैं।
रेखा - मुश्कुरा कर। अब क्या पहन कर रिझाना है। चूद तो गई लौंडे से। अब तो नंगी होकर चले जाओ।
तरुणा - बहुत बेशरम हो तुम। चलना है तो बताओ वरना मैं खुद ही चली जाउंगी।
रेखा - ठीक है चलती हूँ।
दोनों तैयार होकर मार्किट पहुँच गई। मॉल में पहुँच कर रेखा ने पुछा - अब तो बता दो क्या लेना है ?
तरुणा नई नवेली दुल्हन की तरह से बोली - दरअसल मुझे स्कर्ट टॉप लेना है। तेरे लिए भी लेना है। पता नहीं मेरे साइज का आएगा की नहीं। तू ही मदद कर सकती है।
रेखा चूंकि तरुणा को पहले भी कपडे दिला चुकी थी और सेल्स कर चुकी थी उसे पता था की तरुणा की साइज के कपडे किस स्टोर में मिलेंगे।
वो उसे उसी स्टोर में ले गई जहाँ से उसे फॉर्मल पेंट शर्ट और ब्लेजर दिलवाया था। वहां उसने अपने और तरुणा की साइज के कुछ स्कर्ट टॉप लिए और ट्रायल रूम में तरुणा के साथ जाने लगी । तरुणा बोली - अरे तुम क्यों आ रही हो ?
रेखा - देखूं तो सही कैसी लगती है। कहकर जबरदस्ती घुस गई।
तरुणा ने सलवार कुर्ती डाली हुई थी और रेखा ने एक चुस्त सी पेंट और टी-शर्ट।
तरुणा ने अपनी कुर्ती उतार दी और टॉप डाल कर चेक किया। रेखा का अंदाजा सही था। उसकी फिटिंग की टॉप मिल गई थी। स्कर्ट के लिए तरुणा ने सलवार के ऊपर से ही डालने की कोशिश की। पर तरुणा के जंघे मांसल थे , उस पर से उसने सलवार नहीं निकाली थी। स्कर्ट तो ऊपर चढ़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। रेखा ने उससे कहा की सलवार उतार दे फिर ट्राई करे।
तरुणा ने फिर सलवार उतार कर ट्राई किया। स्कर्ट चुस्त हो रही थी। ऊपर चढ़ने को तैयार ही नहीं थी।
रेखा बोली रुको थोड़ा बड़े साइज का लाती हूँ। वो एक साइज बड़ा लेकर आ। वो स्कर्ट उसे आ तो गई पर हिप्स पर बहुत टाइट थी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था।
रेखा ने उसके पिछवाड़े पर हाथ फेरा और कहा - मस्त सेक्सी गांड उभर कर आई है इसमें। तुम्हारी टाँगे सेक्सी लग रही है।
तरुणा - इसे पहन कर तो मैं चल ही नहीं पाऊँगी। कितनी टाइट है।
रेखा - पहन कर डांस थोड़े ही करना है। वैसे भी १० मिनट में राज इसे उतार ही देगा।
तरुणा शर्मा गई बोली - फिर भी।
रेखा ने कहा इसे रख लो मैं कुछ और भी लेकर आती हूँ।
रेखा तब एथनिक वियर सेक्शन में गई और एक लॉन्ग घाघरा लेकर आई। पीले रंग का सुन्दर सा घाघरा तरुणा को फिट आ गया।
वो उसमे बहुत ही सुन्दर लग रही थी। रेखा उससे मैचिंग चोली भी लेकर आई थी जिसने पूरी पीठ खुली थी। एक ब्लाउज की तरह ही थी। तरुणा की बड़ी बड़ी नाभि साफ़ दिख रही थी। उस ड्रेस में रेखा को तरुणा इतनी सुन्दर लगी की उसने उसे वहीँ किस कर लिया। तरुणा ने भी पलट कर चुम्मी दे दी। रेखा फिर वहीँ निचे बैठ गई और तरुणा की नाभि पर जीभ फिराने लगी।
तरुणा - क्या कर रही हो ? हम मार्किट में हैं।
रेखा कहाँ सुनने वाली थी। तरुणा एकदम नई नवेली दुल्हन सी लग रही थी। रेखा ने तभी उसका घाघरा उठाया और अंदर घुस गई। उसने तरुणा की जांघो पर जीभ फिराना शुरू कर दिया। उसके हाथ उसकी गांड पर हरकत करने लगे।
तरुणा धीरे से - अस्स्सस्स , क्या कर रही हो। कोई आ जायेगा। मैं पागल हो जाउंगी।
रेखा कहाँ मानने वाली थी। उसकी चेंज रूम में किसी के साथ सेक्स करने की खुद की फैंटसी थ। आज मौका था। पिछली बार भी मन था पर उस समय तरुणा से वो डरती की कहीं वो बुरा न मान जाये। पर आज की बात कुछ और ही थी।
रेखा की जीभ अब उसके जांघो के बीच पहुँच चुकी थी। वो पैंटी के ऊपर से की उसकी चूल पर जीभ फेरने लगी।
इस हरकत से तरुणा का पूरा शरीर झनझना सा गया। वो वही पास रखे स्टूल पर बैठ गई। अब रेखा ने घाघरा उसके कमर पर कर दिया और उसकी पैटी उतार दी एंड उसकी क्लीट को धीरे से दांतो के बीच में दबा लिया। तरुणा की अजीबो गरीब हालत थी। उसने अपनी उँगलियाँ
अपने मुँह में डाल ली थी जिससे आवाज नहीं आये। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। इस सिचुएशन में कभी उसे किसी ने प्यार नहीं किया था। भीड़ भाड़ में छुप कर पहली बार वो सेक्स कर रही थी। उस पर से रेखा की रसभरी जीभ। तरुणा मिनटों में ही खलास हो गई। उसकी हालत देख रेखा स्माइल कर रही थी।
तरुणा बोली - क्या क्या करती है तू। कितने लोग दरवाजे पर नॉक करके चले गए।
रेखा - उसका भी असली मजा है।
दोनों फटाफट से वापस अपने ओरिजिनल पहन लिए । ट्रायल रूम से बाहर एक बुजुर्ग महिला बड़े अजीब नज़रों से देखते हुए बोली - नए लड़के और लड़कियों में तो ऐसा होते सुना था पर लगता है शौक सबको लग गया है।
रेखा - बेशर्मी से उस महिला के पास गई और उसके कान में बोली - एड्रेस बताओ आपको बह ीखुश कर दूंगी। बड़ा मजा आता है। चस्का लगा तो लंड भूल जाओगी।
वहीँ खड़ी स्टोर की स्टाफ खीखीया कर हंस दी।
रेखा - तुझे भी चाहिए क्या ?
लड़की - भक्क
तरुणा ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और बिलिंग काउंटर पर पहुंची। उससे पहले रेखा ने अपने लिए भी एक रंग बिरंगा घाघरा चोली ले लिया था।
घर पहुंची तो रवि नहीं था। वो कहीं निकला हुआ था। घर खाली देख तरुणा रेखा के ऊपर टूट पड़ी। उत्तेजित तो वो हो ही चुकी थी। उसने रेखा को पीछे से पकड़ लिया और एकदम से उसके मुम्मे पकड़ लिए और जोर जोर से दबाने लगी। पीछे से वो रेखा की गांड पर जोर जोर से हंपिंग करने लगी जैसे उसकी चुदाई कर रही हो। रेखा ने एकदम टाइट से कॉटन पेंट पहन रखी थी।
तरुणा उसके पिछवाड़े पर जोर जोर से थप्पड़ मारते हुए कहा - बड़ी चोदू बनी हुई है। बड़ी गरमी है अंदर। फिर उसने रेखा को अपनी तरफ घुमा लिया पेंट के ऊपर से ही उसकी चूत को पंजे से पकड़ लिया।
रेखा - कितने जोर से पकड़ा हुआ है। छोड़ो।
तरुणा ने उसके होठो पर किस कर लिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और अंदर बाहर करने लगी।
रेखा भी गरम हो चुकी थी उसने तरुणा की जीभ चूसना चालू कर दिया। इधर तरुणा ने उसके पेंट की इलास्टिक में हाथ डाल कर उतार दिया। रेखा अब सिर्फ टी शर्ट और पैंटी में थी। दोनों एक दुसरे को जबरदस्त तरीके से किस कर रही थी। तभी रेखा का फ़ोन बज उठा। उसने देखा तो सुनैना की कॉल थी। रेखा के मन में तभी बदमाशी सूझी उसने फ़ोन पिक कर लिया और स्पीकर पर कर दिया ।
हाँफते हुए बोली - हां नैना बोल।
तरुणा पहले तो सोची रुक जाये पर बहुत उत्तेजित थी , उसने रेखा का टी-शर्ट उतार दिया और उसके मुम्मे मसलने लगी।
रेखा - आह आह
नैना - क्या हुआ दी।
रेखा - सससस अरे कुछ नहीं एक बिल्ली है, भूखी है दुध चाहिए उसे।
नैना समझ गई । बोली - बिल्ली या बिल्ला। मुझे तो लगा तुमने बिल्ला रख रखा है।
रेखा - बड़ी बिल्ली है बड़ी। सब बड़े है उसके।
नैना - ओह्ह फिर तो ज्यादा भूखी होगी , दे दो उसे दूध ।
रेखा - अरे देने की जरूरत नहीं है उसे , छीन लेती है। आह आह , धीरे धीरे।
नैना - बिल्ली को बोलो प्यार से पिले। आराम से पीने का मजा अलग ही है।
रेखा - तुमने भी बिल्ली पाल राखी है क्या ?
नैना - हाँ एक है तो कुत्ता भी है। उनके साथ खेलने में बहुत मजा आता है। आप डॉगी या बिल्ला भी पाल लो। उनके साथ और बढ़िया टाइम पास होता है।
रेखा - ना रे मुझे तो बिल्लियां पसंद हैं और उनकी प्यारी प्यारी किटेंस।
तरुणा अब झुक कर उसकी चूत पर आ चुकी थी। उसने रेखा की पैंटी उतार कर उसकी चूत में ऊँगली कर दी।
रेखा- आह आह सससस क्या कर रही हो। मार दोगी क्या।
नैना - लगता है दी आपकी बिल्ली अब नहीं मानेगी। मैं रखती हूँ। मिलते हैं कभी।
रेखा - हाँ बाय।
तरुणा ने उसके फ़ोन रखते ही उसकी चूत में दूसरी ऊँगली भी डाल दिया।
रेखा चीख पड़ी - आह। माँअअअअअआ। फाड् दोगी क्या
तरुणा - बहुत चुल्ल है न तेरे अंदर। शॉप में तो रहम नहीं कर रही थी। सबके सामने इज्जत उतार दिया।
रेखा - अभी कहाँ, रंडी बनाकर कइयों के सामने चूदवाउंगी। बेटे का लंड अंदर लेने में शर्म नहीं लड़की चाटे तो इज्जत गई। आह आह ससस
तरुणा - क्यों तुझे भी शौक है तो ले ले न लंड। कैसी चूत वाली है , असली मजे से भाग रही है। कह कर वो कुतिया की तरह उसकी चूत पर तेजी से जीभ फिराने लगी।
रेखा - आह आह आह , चाट चाट ले मेरी चूत। इसे जीभ का स्वाद ही पसंद है लंड का पानी नहीं। चूसो। जीभ अंदर डाल दो।
रेखा सोफे के हैंडल पर पीठ टिका खड़ी थी और तरुणा बैठ कर चूत चाट रही थी। रेखा ने फिर तरुणा को खड़ा किया और ऊके कपडे भी उतार दिए। और सोफे पर लेकर सिक्सटी नाइन अवस्था में आ गई। अब दोनों एक दुसरे के चूत को चाटे जा रही थी।
इधर ये दोनों आपस में लगी थी तभी रवि घर वापस आ गया। उसके पास चाभी तो थी ही। वो सीधे दरवाजा खोल अंदर आया।
अंदर सिसकारियों की आवाज आ रही थी। वो समझ गया की रेखा और तरुणा लगी हुई हैं। उसने अपने कपडे उतारे और नंगा ही उनके पास पहुँच गया। तरुणा ने उसे देखा तो कहा - आ गया
रवि - हाँ आ भी गया और देख भी रहा हूँ क्या जबरदस्त रंडीबाजी चल रही है। मस्त खेल है तुम लोगों का भी।
उसने फिर तरुणा को उठा लिया और उसके मुँह में अपना लंड घुसा दिया। रेखा भी उठकर तरुणा के मुम्मे दबाने लगी। तरुणा के मुँह से लार टपकने लगा। थोड़ी देर बाद रवि ने अपना लंड लिया उसकी चूत में डाल दिया और धुआँधार पेले करने लगा।
तरुणा - रविइइइइइ , पेल दे मुझे। आह आह क्या चोदता है रे तू। तेजी से कर।
रेखा ने पहले ही उसकी चूत से पानी निकाल दिया था। गिला होने की वजह से कमरे में फच फच की आवाज आ रही थी। उन दोनों को देख कर रेखा अपनी चूत में ऊँगली किये जा रही थी।
रेखा - मादरचोद , पेल ले माँ को। मार ले उसकी चूत। आह आह ससस अस्स्सस्स।
तरुणा ने रेखा को अपनी तरफ खींच लिया और उसके मुम्मे अपने मुँह में डाल लिया। रवि तरुणा की चूत मारे जा रहा था और उसमे मुम्मे भी दबा रहा था। तरुणा रेखा के मुम्मे पिए जा रही थी। रेखा अपनी ऊँगली चूत में अंदर बाहर कर रही थी। दोनों की चूत इतना पानी छोड़ चुकी थी की अजीब सी गंध कमरे में हो गई थी। थोड़ी देर तक तो ये जानदार चुदाई समारोह चली फिर सब फारिग हो गए। आवेश और उत्तेजना की लहर जो बही थी किनारे आ चुकी थी। तूफ़ान शांत हो गया था। तीनो एक दूसरे के बाहों में वहीँ लेट गए।
 
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tharkiman

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थोड़ी देर बाद तरुणा को पेशाब लगी तो वो उठ कर जाने लगी। रवि ने उसका हाथ पकड़ लिया बोला -कहा चली
तरुणा - छोड़ , बाथरूम जाना है।
रवि - मुझे भी आई है, साथ करते हैं । कहकर उसने उसे गोद में उठा लिया।
रेखा पीछे से बोली - मुझे भी आई है।
न जाने क्या सोचकर वो उठी और रवि के पीछे से बहन डाल उसकी पीठ पर लटक गई। अब रवि के पीठ से उसके मुम्मे चिपके थे। आगे बाहों में माँ। बाथरूम जैसे ही पहुंचे रेखा ने कहा - उतार मुझे। रवि ने उसे उतार दिया पर बाँहों से आजाद नहीं करता है। उसने कहा - आज भींगने का मन है। कर दो मेरे ऊपर। तरुणा पूरी तरह से चुदास हो राखी थी। उसने धीरे धीरे उसके बाहों में रहते हुए ही उसके ऊपर मूतना शुरू कर दिया। रेखा जो पीछे लटकी थी उसने भी रवि के ऊपर मूतना शुरू कर दिया। दोनों औरतें उसे आगे पीछे से भिंगाये जा रही थी। रवि की मूत रुक गई थी। इतने गरम माहौल में उसका लंड वापस खड़ा हो गया था। तरुणा ने जब उसकी ये हालत देखि तो उसने एक मग पानी लिया और उसके लंड पर डाल दिया। थोड़ी देर में उसका लंड शांत हो गया। तब तरुणा ने उसका लंड पकड़ कर बच्चे जैसे शूऊ करते हुए पेशाब करना शुरू कर दिया। जैसे ही उसकी धार निकालनी शुरू हुई , रेखा जो पीछे खड़ी थी आगे आ गई और बैठ गई। अब रवि की मूत क धार रेखा को कंधे के निचे से भिंगोने लगी थी। उसे ऐसा करते देख तरुणा ने भी वापस जोर लगाया और बची खुची मूत वो भी उसके ऊपर करने लगी। रेखा फिर उठ गई और दोनों से लिपट गई। तीनो के तीनो आपस में शरीर रगड़ने लगे। गन्दगी और पेशाब की महक से जब बाथरूम भर गया तो तरुणा ने कहा - अब तो नहाना पड़ेगा।
रेखा बोली - अब भी नहाना है क्या
तरुणा ने शावर खोलते हुए कहा - तू बहुत गन्दी है।
रेखा - और तुम बड़ी साफ़।
तरुणा ने साबुन उठाया और बारी बारी से रवि और रेखा को लगाया। जब दोनों का शरीर झाग से भर गया तो उन दोनों ने तरुणा को अपने बीच में किया और अपने शरीर से रगड़ने लगे। इस रगड़ाई से रवि का लंड दोबारा खड़ा हो गया था। रगड़ते रगड़ते कभी वो रेखा और तरुणा के बीच में आ जाता कभी रेखा उन दोनों के बीच में। इस दौरान रवि का लंड पूरा अकार ले चूका था। रेखा का मन अब लंड लेने को आतुर था। तरुणा ने रेखा को बीच में किया जिससे रेखा और रवि का चेहरा के दुसरे के सामने आ गया। रवि ने आगे चेहरा बढ़ा कर रेखा को चूमना चाहा। रेखा ने रोका नहीं बल्कि उसके होठ अपने होठो के बीच दबा लिया। अब रेखा और रवि एक दुसरे को किस करने लगे थे। रवि का लंड पुरे शबाब पर था और रेखा की चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। साबुन लगे होने से एक आध बार अंदर तक झाँक आया था।
रेखा से रहा नहीं गया। उसने कहा - किसका इंतजार कर रहे हो राजा। मेरी मुनिया पनिया चुकी है। तुम्हारे लौड़े से दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है। बेचैन है वो। स्वाद लग चूका है। पेल दो मेरे राजा
इतना सुनना था की रवि ने रेखा को बाथरूम के दीवार के सहारे खड़ा किया और पीछे से उसकी चूत में आना पूरा लंड घुसा दिया। रेखा को इस बार भी दर्द हुआ पर ये दर्द मीठा था।, मजेदार था।
उसने कहा - पेल दो मेरे भाई , बहन की चूत तुम्हारे लंड के लिए तैयार है। घुस जाओ में मेरी बगिया में। तहस नहस कर दो मेरे फूलो को।
तरुणा ने रवि को पीछे से पकड़ लिया था और उसके धक्के के साथ लय मिलाते हुए अपनी चूत रवि की गांड से सटा धक्के लगा रही थी।
तरुणा - पेल दे अपनी मुँहबोली बहन को। तू तो बचपन से चोदना चाहता था न। देख राजी हो गई है चोद ले। रहम मत करना अबकी। जोर से मार। आह आह आह।
रेखा - भाआईईई बेहनचुओोूद फाड़ दे मेरी चूत। आह आह रविइइइ मैं बस आने वाली हूँ। जोर से मार लो। अब नहीं रहा जाता। लंड दे दो अपना। मेरी चूत को लंड चाहिए। अंदर डालो। एक धक्का और दो। आह आह
रवि - देर से आई पर दे दी तूने रेखा। पर बहन बन कर दी अपनी चूत। माँ का दीवाना बना दिया था तूने। तूने ही मादरचोद बनाया। बहन बन कर अब बहनचोद भी बना दिया। इसी की कमी थी। आह आह। मस्त टाइट चूत है रे तेरी। आह आह
चूँकि रवि एक बार झाड़ चूका था उसका लंड पानी निकलने को तैयार नहीं था पर रेखा की चूत कई बार पानी बहा चुकी थी। उसका शरीर कांपने लगा। उससे खड़ा नहीं होया जा रहा था। रवि ने उसकी हालत देखते हुए उसे सीधा किया अपने गोद में उठा लिया और गोद में उठाये उठाये ही चोदने लगा। थोड़ी देर खड़े खड़े चोदने के बाद उसके लंड ने भी पानी छोड़ दिया। इस मस्त चुदाई के ख़त्म होने के बाद भी रेखा उसकी बाँहों में झूल रही थी। रवि को पीछे से तरुणा ने जकड़ा हुआ था। रवि अपने सपनो की रानियों के बीच में सैंडविच बना हुआ था।
शावर लेने के बाद तीनो ने कपडे पहनने का विचार त्याग दिया। थके हुए थे तो बाहर से ही खाना मंगाया जिसे रवि ने तौलिया लपेट कर ले लिया।
तीनो खाने के बाद नंगे ही तरुणा के कमरे में सोने चले गए।
तरुणा रवि और रेखा के बीच में पीठ के बल लेटी थी। रेखा उसकी दाएं तरफ करवट करके और रवि बाएं तरफ। रेखा और रवि बीच बीच में
तरुणा के गाल पर किस करते तो कभी एक दुसरे के होठो को। दोनों के हाथ तरुणा के मुम्मे से खेल रहे थे।
तभी तरुणा ने कहा - तो रेखा आखिर मेरे बेटे का लंड पसंद आ ही गया तुम्हे। चूत को लंड पसंद आ ही गया।
रेखा - मेरे भाई का लंड है ही इतना प्यारा
तरुणा - भइआ को सैयां बना लो।
रेखा - जो मजा भाई के लंड को लेने में है वो सैया के लंड में कहा। ये एहसास की भाई से चुद रही हूँ अलग है। जैसे जब माँ की चूत चाटती हूँ तो अलग मजा आता है। भाई बनाया है तभी उसका लंड लिया है।
तरुणा - मतलब एक नहीं होना है तुम दोनों को
रेखा - हम तीनो अलग ही कहा हैं। मुझे अपने परिवार का एहसास चाहिए। माँ और भाई का एहसास चाहिए। रवि के लिए कोई और चुड़क्कड़ लौंडिया ढूंढ लेंगे हम।
रवि - मुझे कोई नहीं चाहिए। तुम दोनों के साथ ही खुश हूँ
तरुणा - चुप कर। फिर रेखा को देखते हुए बोली - वो नैना बड़ी प्यारी है न
रवि - वो स्कर्ट वाली लड़की
तरुणा - देखा इसे उसका चेहरा नहीं याद , स्कर्ट याद है। वो इजाजत दे दे तो घुस जाएँ साहब उसके स्कर्ट के अंदर
रवि - स्कर्ट में कोई भी घुसा ले तो घुस जाऊंगा। हीहीहीही
रेखा ने अपना हाथ बढ़ा कर रवि के लंड को उमेठ दिया। कहा - देखते हैं ये पप्पू कहा कहाँ घुसेगा
रवि - अभी तो माँ की चूत में जायेगा। कहकर वह तरुणा के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिय।
रेखा - देखा माँ , स्कर्ट वाली के नाम पर चढ़ बैठे तुम पर। सोचती हूँ एक स्कर्ट खरीद ही लाऊँ तुम्हारे लिए।
रवि को पता नहीं था की शॉपिंग तो हो चुकी है। बोल पड़ा - दोनों एक एक स्कर्ट खरीद लाओ। मजा आ जायेगा गदराई चुतों को स्कर्ट में देख कर। कह कर उसने स्पीड बढ़ा दी।
तरुणा - आह आह। मन नहीं भरा तेरा। दोपहर से चोद रहा है हमें। मेरी चूत तो जवाब दे गई है। आह सससस कितना बड़ा चोदू है रे तू
अब तो रेखा भी मिल गई अब तो मुझे छोड़ दे।
रेखा - जो मजा तुम्हारे में है वो किसी और में कहा। है न भाई।
रवि - सही में मेरी बहना
रेखा - चोदते रहो। बना दो बुर का भोसड़ा मेर माँ का।
रेखा ने अपनी चूत को तरुणा के जांघो से सटा लिया था और रगड़ रही थी। रवि में तरुणा के ऊपर लम्बा हो दंड बैठक वाले अंदाज में पेले जा रहा था।
रेखा - क्या मस्त चोदता है न भाई माँ। सोच रही हूँ नैना की चूत भी सजा दूँ इसके लिए। दोपहर में सुना था कैसी बेताब थी वो।
तरुणा - हाँ मैं सोचती थी की सीधी सादी लड़की है पर वो हम से भी बड़ी चुड़क्कड़ लग रही है।
रेखा - सही है न परिवार में सेट हो जाएगी। सब मिलकर फिर चुदाई का खेल खेलेंगे।
इतनी गरम गरम बात सुनकर रवि के लंड ने ख़ुशी ख़ुशी अपना माल तरुणा की चूत में उड़ेल दिया। फिर उसके ऊपर ही पेट गया। तरुणा ने उसे अपने सीने से लगा लिया। आज उसके बेटे ने बहुत मेहनत की थी। रेखा भी दोनों से चिपकी पड़ी थी।
तरुणा ने फिर अपने मुम्मे उसके मुँह में दे दिया और कहा - काश दूध आता तो मेरे लाल को कितनी ताकत आ जाती पीकर।
रवि चुप चाप उसके चूचक चूसता रहा। थोड़ी देर में तीनो नींद के आगोश में चले गए।
अगली सुबह नयी शुरुवात होनी थी।
 

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घर पहुँचते ही तरुणा ने अपनी साडी उतार दी और सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में आ गई। रवि भी सिर्फ एक बरमूडा में हो गया। रेखा ने ऐज उसुअल एक शार्ट और टी-शर्ट पहन ली।
तीनो ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गए। तरुणा तीन ग्लास और ढेर सारा बर्फ लेकर आई। रवि ने बोतल खोल दिया। पहली सिप जाते ही रवि का मुँह अजीब सा बन गया। उसने कहा कैसे पी लेते हैं लोग ? तरुणा को भी उसका स्वाद थोड़ा अजीब ही लगा। उसने बहुत दिनों बाद बियर को हाथ लगाया था। तीनो में रेखा ही नार्मल थी क्योंकि वो अक्सर पी लेती थी। कुछ घूँट जाने के बाद तरुणा और रवि बहकने लगे।
रवि - माँ अब तो तू मुझे पक्का मादरचोद बना देगी न। सिर्फ तुझे पाने को मैंने इतनी मेहनत की है।
तरुणा - भक बकलन्ड। कैसी बात करता है। अब तू डॉक्टर बन कर तूने अपना भविष्य बनायेगा । मेरे सपने को पूरा करेगा। अब एक बार डॉक्टर बन जा चूतो की लाइन लग जाएगी।
रेखा - औरतो का डॉक्टर बन जाना बे। चूत ही चूत और चूत से निकलते तुम जैसे मादरचोद। हाहाहाहाहा
रवि - कितनी घटिया बात कर दी।
तरुणा - गलत क्या कहा? औरतें तो आएंगी चेक उप कराने को तुझे तो उनका सारा शरीर देखना पड़ेगा।
रवि - चुप हो जाओ तुम दोनों मैं एक अच्छा डॉक्टर बनूँगा। चूत के लिए मरीज थोड़े ही चाहिए। लेना होगा तो साथ की डॉक्टर की ले लूंगा। इतनी नर्स तो रहेंगी आस पास। कोई भी दे देगी।
रेखा हँसते हुए - तब तो तू बहनचोद भी हो जायेगा
रवि - कैसे ?
रेखा - हीहीहीही नर्सेज को सिस्टर कहते हैं न। सिस्टर को चोदेगा तो बहनचोद ही बनेगा। हीहीहीहीहीही
तीनो हंस पड़े।
रवि सीरियस होकर बोला - पर मैं किसी की नहीं लूंगा। मुझे तो बस माँ की चाहिए।
तरुणा - अरे पगले तेरी माँ तो तेरी है ही पर मेर सच में इच्छा है की तू पहले एक कुँवारी चूत ले ले फिर मेरी जितनी मन करे मार लेना। तू तब मेरी चूत का भोसड़ा भी बना देगा तो फर्क नहीं।
रवि - गांड दोगी?
तरुणा नशे में - हां।
रवि - पर मुझे तो इनाम आज ही चाहिए। और इनाम में तेरी ही चूत चाहिए। दिखाओ न प्लीज।
तरुणा भी कड़ी हो गई और एकदम से रवि के सामने कड़ी होकर अपना पेटीकोट उतार दिया। अंदर उसने पैंटी नहीं पहनी थी। अवि उसके चिकने चूत को देख कर पालक झपकाना भूल गया। इतने नजदीक से चूत पहली बार देख रहा था। उसने तरुणा को कमर से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। बोला - माँ तेरी चूत तो एकदम चिकनी है। मन करता है चूम लू।
तरुणा - रोका किसने है। लेले
रवि ने उसकी चूत को चूम लिया। तब रेखा ने कहा - साले इसे चूमते नहीं हैं चाटते हैं। कह कर उसने अपनी जीभ तरुणा की चूत पर फेर दी।
रवि ने भी देखा देखि वैसे किए और अपनी जीभ उसकी चूत पर नीचे से ऊपर फेर दिया। नमकीन चूत के पानी ने और भी नशा कर दिया।
रवि एक बार और चाटने को हुआ तभी रेखा ने बियर की ग्लास से थोड़ा बियर तरुणा की पेट से होते हुए चूत की तरफ गिरा दिया। रवि ने झट से बहता बियर पी लिया। रेखा ने भी तरुणा के जांघो पर आता बियर चाट लिया। अब तरुणा रवि के गोद में बैठ गई। रवि का लंड बरमूडा से निकलने को बेताब था। वो चाह रहा था की नंगा हो जाये अपने लंड को आजाद कर दे पर तरुणा ने होने नहीं दिया। पर तरुणा ने रेखा से कहा - क्यों रे मेरी रांड , मुझे तो नंगा कर दिया खुद पुरे कपड़ो में है उतार अपने कपडे।
रवि - हाँ हां उतारो। हमाम में सब नंगे होने चाहिए।
रेखा को भी थोड़ा शुरूर चढ़ रहा था। उसने भी जोश जोश में अपना शर्ट उतार दिया।
तरुणा ने कहा - पेंट कौन उतारेगा तेरा बाप।
रेखा - उस बेटीचोद का नाम मत लो। हाथ भी नहीं लगाने दिया उसे मैंने। एक बार कोशिश की थी छुरी उठा लिया था। तब से सिर्फ मुझे मारा ही करता था। इज्जत पर हाथ नहीं लगा पाया।
तरुणा को एह्साह हुआ की गलती हो गई है। उसने कहा - सॉरी माय डिअर। मेरा मतलब नहीं था। जाने दे उस भड़ुए को क्यों याद कर रही है। बैठ जा।
रेखा - हम्म। कोई नहीं। कहकर रेखा ने अपनी पेंट उतार दी। अब वो भी नंगा था।
उसे इस रूप में देख रवि के लंड ने नीचे से सलामी दी। तरुणा ने फिर रवि की तरफ पीठ करके उसके गोद में बैठ गई और झुक कर रेखा की चूत चाटने लगी। चूत चाटते चाटते वो अपने कमर को रवि के लंड पर हिला भी रही थी। रवि ने अपना हाथ आगे कर करके तरुणा की चूत को छु रहा था , कभी वो उसकी चूत को सहलाता , कभी उसके क्लीट को उँगलियों के बीच में पकड़ता। पर वो वास्तव में अपना बरमूडा उतार कर तरुणा की चूत में समां जाना चाहता था। तरुणा सब समझ रही थी पर उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। तरुणा थोड़ी देर बाद रवि के गोद से उतर गई और निचे बैठ गई। उसने रवि का बरमूडा उतार दिया। उसने रेखा का हाथ पकड़ रवि के बगल में बिठा दिया। फिर उसने अपना चेहरा रेखा के जांघो के बीच में घुसा दिया और अपने एक हाथ से रवि के लंड को सहलाने लगी। अब वो मुँह से रेखा की चूत चाट रही थी और हाथ से धीरे धीरे रवि को मुठिया रही थी। रेखा को जैसे ही मस्त चढ़ी, तरुणा ने चाल बदल दी। अब वो रवि के लौड़े को चूमने लगी और बोली - क्या मस्त लौड़ा है मेरे बेटे का। जवान बेटे का घोड़े जैसा लंड। कितना मजा आएगा जब मेरी चूत में जायेगा।
वो फिर उसके लंड के टोपे को चूमने लगी। रेखा की चूत पनिया चुकी थी। पर ऐन मोके पर तरुणा ने उसकी चूत को छोड़ रवि के लौड़े पर फोकस कर दिया था। तरुणा ने अपने अपना एक हाथ रेखा की चूत पर ही रखा था और उसे धीरे धीरे सहला रही थी पर रेखा को उसमे मजा नहीं आ रहा था। उसने कहा - पहले मेरा कर दो। आग लगा कर क्यों अलग कर दिया।
तरुणा - आती हूँ तेरे पास भी। पर देख न इतना मस्त लौड़ा है कैसे छोड़ दू। आजा तू भी ले ले इस लॉलीपॉप को। मजा आ जायेगा।
रेखा ने रवि के लंड की तरफ देखा और अपनी ही चूत में ऊँगली करने लगी। तरुणा ने तब अपना चेहरा फिर से उसके चूत पर रख दिया। उसने अबकी बार उसके क्लीट को चूसना शुरू किए और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
रेखा पूरी मस्ती में थी। रवि उसके इस रूप को देख कर मस्त हो गया। उसने झुक कर रेखा के बूब्स को अपने हाथ में ले लिया। रेखा पूरी मस्ती में आँख बंद किये हुए थी। उसने रवि के हाथो को अपने बूब्स पर और जोर से दबा लिया। अब रवि उसके निप्पल निचोड़ रहा था और तरुणा उसके क्लीट को।
रेखा - आह आह क्या मस्त चीज हो तुम माँ बेटे। क्या चूसती हो मेरी जान। उसने तरुणा के सर को अपने पैरो के बीच में दबोच लिया और रवि के सर को अपने मुम्मे पर। अब रवि उसके मुम्मे चूस रहा था। तरुणा ने रेखा का एक हाथ रवि के लौड़े पर रख दिया। रेखा ने अपना हाथ हटा लिया। तरुणा ने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया। रेखा समझ गई तरुणा नहीं मानेगी। उसने फिर आखिर में रवि के लंड को पकड़ ही लिया। उसके हाथ लगते ही रवि का लंड फनफना उठा। तरुणा ने तब अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। रेखा को दर्द तो हुआ पर तरुणा माहिर थी। थोड़ी ही देर में रेखा मस्त हो गई। रेखा - आह आह आह , क्या मजे हैं। माँ तेरी उंगलिया कमाल करती हैं। थोड़ा और अंदर डालो न। हां ऐसे ही बस तेजी से करो। मेरी चूत को खुश कर दो मेरी जान। आह क्या करती हो।
तरुणा ने थोड़ी देर तेज ऊँगली करि और फिर उठ कर कड़ी हो गई। बोली - क्या रे सिर्फ अपना सोचती है। मेरी चूत जो पनियाई है उसका क्या ? चल चाट इसे। रेखा एकदम से मिन्नत करने लगी - बस मेरा होने वाला है प्लीज कर दो न।
तरुणा - तेरे हाथ में हथियार है और मेरी ऊँगली चाहिए। चुदना है तो बैठ जा उसके लंड पर। सच कह रही हूँ जो मजा मिलेगा ऊँगली भूल जाएगी।
रेखा ने रवि के लंड को देखा। उसका मन सच में किए की बैठ जाए उस पर उसकी चूत की खुजली मिट जाएगी। पर इतना बड़ा लंड देख डर रही थी। उसने नजरे फेर ली और उसके लंड को छोड़ दिया।
तरुणा तब तक सोफे के हैंडल पर पर बैठ गई और रवि को बोला - चल अब माँ की चूत की सेवा कर। चाट जरा। बहुत दिनों से मांग रहा था न। लेले अपनी माँ की चूत मुँह में। तरुणा ने अपने चूत की फांको को अलग किए और अपना क्लीट दिखा कर बोली ये तेरी माँ का लंड है। इसे भी प्यार करना। रवि तो खो गया था गुलाबी गुलाबी चूत देख क। उसने मुँह लगा दिया। तरुणा - शाबाश मेरे लाल। ले ले अपनी माँ की चूत। खा जा। इसने तुझे बहुत तड़पाया है चाट ले। काट ले। रवि कुत्ते की तरह तरुणा की चूत पर जीभ चलाने लगा।
तरुणा - आह आह क्या मस्त कुत्ते की तरह चाट रहा है। चाट ले। निकाल दे मेरा पानी। डाल अपनी एक ऊँगली डाल।
रवि - कहो तो लंड डाल कर शांत कर दूँ माँ। मेरा लंड भी तो तेरी चूत में समाने को तैयार है।
तरुणा - खबरदार जो लंड डाला तो। तू तभी मुझे छोड़ पायेगा जब जब मुझसे पहले एक कुँवारी चूत की अपने लंड से मांग भरेगा।
रवि - माँ ये कैसी जिद्द है। इतना इंतजार के बाद ऐसा क्यों ?
तरुणा - चाट ले पहले। चाट के मुझे झड़वा।
रवि फिर चाटने में लग गया।
इधर रेखा का ध्यान रवि के लंड पर से नहीं हट रहा था। उसे तरुणा के ताने भी सुनाई दे रहे थे। उसका नशा उतर चूका था। बल्कि उसे ज्यादा नशा हुआ ही नहीं था। उसने एक पैग और बनाया और पीने लगी। उसने सोचा रवि को माँ की चूत नहीं मिलेगी। तरुणा की चेहरे पर मस्ती थी पर अजीब सी जिद्द भी थी। वो उठ कर तरुणा के पास गई और उसे किस कर लिया। तरुणा - क्या मजे हैं मेरे बेटा निचे ले लिप्स पी रहा है और बेटी ऊपर के।
उसने रेखा के मुम्मे दबोच लिए और पीने लगी। रेखा ने रवि की लम्बे हिलते लौड़े को देखा उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी।
उसने फिर रवि को हटा दिया और खुद लग गई तरुणा की चूत चाटने। अब तरुणा सोफे पर बैठी थी और निचे रेखा कुतिया बानी उसकी चूत चाट रही थी। रवि रेखा की पीठ सहला रहा था। उसने कहा - तुम दोनों अपने अपने चूत का तो सोच रही हो मेरा लंड बेचारा बस हवा में लहरा रहा है।
रेखा ने फिर उसका लंड एक हाथ से पकड़ लिया। रवि - कब तक हाथ से काम चलूँगा। दो दो चूत सामने है पर कोई भी मेरा नहीं है।
तरुणा - देख मेरी चूत तो बिजी है। रेखा से पूछ ले।
रेखा - मादरचोद अब भी पूछेगा क्या ही भड़ुए। कुतिया बानी गांड लहरा लहरा कर न्योता दे रही हूँ अब मेरी चूत थोड़े ही बोलेगी की सैया
आओ समां जाओ।
रवि लपक के रेखा के पीछे पहुँच गया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करने लगा। तरुणा बोली - बहनचोद, कुँवारी चूत तैयार हुई है ऐसे ही थोड़े मिलेगी। रुक।
वो फिर उठी और रेखा को सोफे पर बैठा दी। किचन से हल्दी और तेल ले आई। कमरे से सिन्दूर और थाली में दिया। उसने पहले रवि के लंड को हल्दी का टीका लगाया। रेखा की चूत पर सिन्दूर और दोनों की आरती करने लगी। उसने रेखा की चूत को चूमा और रवि के लौड़े को। फिर खूब सारा तेल रवि के लंड पर उड़ेल दिया। चूत पर भी तेल लगा दी। अब उसने फिर रेखा से कहा की - सवारी करेगी या करवाएगी ?
रेखा - करने में मजा भी है और अपने हिसाब से लुंगी।
तरुणा - समझदार है तू। अब रवि के दोनों तरफ पैर करके रेखा ने अपनी चूत उसके लंड पर सेट कर लिया और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी। चूत में दो ऊँगली तो पूरी गई नहीं थी मोटा लंड कैसे जाता। तरुणा ने रेखा को ग्लास में बियर दिया और बोला पी ले दर्द काम हो जायेगा। जैसे ही रेखा ने बियर ख़त्म की तरुणा के उसके कंधे पर हाथ रख कर जोर से दबा दिया। रेखा की चूत में रवि का लंड सटाक से घुस गया।
रेखा- मआदारचोद मार डाला। ऐसे कोई करता है क्या मेरी चूत फाड़ दी तूने।
तरुणा - चुदना तो था ही इतना नाटक क्यों। अब खेल शुरू कर
रेखा थोड़ा ऊपर उठी और फिर धीरे से बैठ गई। अब उसके चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था। उसका दर्द काफूर था , दर्द ने मजे का रूप ले लिया था। अब वो रवि के लंड पर मस्त झूला झूल रही थी।
रेखा - सच में क्या मजा आता है। मादरचोद से पहले बहनचोद बन गया। तेरी तो बचपन की इच्छा पूरी हो गई रे ।
रवि का लंड टाइट चूत में जल सा रहा था। वो एकदम हवा में था। थोड़ी देर बाद उसने रेखा को उठाया और हवा में लेकर चोदने लगा। रेखा एकदम बेहाल थी। उसे सहारा देने के लिए पीछे तरुणा कड़ी थी। रेखा माँ बेटे के बीच में हवा में चुद रही थी। रवि में ना जाने कहाँ से ताकत आ गई थी। नशे का असर था उसका जोश भी काम नहीं हो रहा था। ऊपर उठाये उठाये कुछ देर चोदने के बाद उसने रेखा को डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया और जोरदार तरीके से चोदने लगा।
रेखा - मार देगा क्या मुझे भोसड़ी के। कितनी बेरहमी से छोड़ रहा है। आराम से कर। चूत छोड़ कर भाग थोड़े ही जाएगी। चोद जम कर चोद पर प्यार से।
रवि कहाँ मानने वाला था। उसने कहा - तूने मुझे बहुत तड़पाया है। ऐसे थोड़े ही छोडूंगा। आज तेरी चूत का कबाड़ा कर दूंगा। कितनी मस्त चूत है तेरी एकदम सील पैक। चूस लिया है अंदर मेरे लंड को। आह आह आह।
रवि और रेखा दोनों उन्माद में काँप रहे थे। दोनों झड़ने वाले थे। तरुणा - शाबाश मादरचोद शेर अब तू पक्का चोदू बन गया है। आज तुझे सील चूत भी मिल गई अब तू मेरी चूत ले मादरचोद बन या मेरी गांड मार ले फर्क नहीं पड़ता। मेरी मुराद पूरी हो गई।
रवि माँ के इस रूप को देख कर तेजी से झड़ने लगा। उसने सारा वीर्य रेखा की चूत के अंदर उड़ेल दिया। और डाइनिंग टेबल पर ही रेखा के ऊपर अधलेटी अवस्था में हो गया। तरुणा दोनों को सर पर हाथ रख बालों को सहला रही थी रेखा तो लगभग बेहोशी वाली हालत में थी।
उसने तरुणा और रवि का कर्ज उतार दिया था। वो हर तरह से संतुष्ट थी। मन से भी तन से भी।
Akhirkar Taruna ne Ravi ko kuwari chut dilwa hi di
 
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थोड़ी देर बाद तरुणा को पेशाब लगी तो वो उठ कर जाने लगी। रवि ने उसका हाथ पकड़ लिया बोला -कहा चली
तरुणा - छोड़ , बाथरूम जाना है।
रवि - मुझे भी आई है, साथ करते हैं । कहकर उसने उसे गोद में उठा लिया।
रेखा पीछे से बोली - मुझे भी आई है।
न जाने क्या सोचकर वो उठी और रवि के पीछे से बहन डाल उसकी पीठ पर लटक गई। अब रवि के पीठ से उसके मुम्मे चिपके थे। आगे बाहों में माँ। बाथरूम जैसे ही पहुंचे रेखा ने कहा - उतार मुझे। रवि ने उसे उतार दिया पर बाँहों से आजाद नहीं करता है। उसने कहा - आज भींगने का मन है। कर दो मेरे ऊपर। तरुणा पूरी तरह से चुदास हो राखी थी। उसने धीरे धीरे उसके बाहों में रहते हुए ही उसके ऊपर मूतना शुरू कर दिया। रेखा जो पीछे लटकी थी उसने भी रवि के ऊपर मूतना शुरू कर दिया। दोनों औरतें उसे आगे पीछे से भिंगाये जा रही थी। रवि की मूत रुक गई थी। इतने गरम माहौल में उसका लंड वापस खड़ा हो गया था। तरुणा ने जब उसकी ये हालत देखि तो उसने एक मग पानी लिया और उसके लंड पर डाल दिया। थोड़ी देर में उसका लंड शांत हो गया। तब तरुणा ने उसका लंड पकड़ कर बच्चे जैसे शूऊ करते हुए पेशाब करना शुरू कर दिया। जैसे ही उसकी धार निकालनी शुरू हुई , रेखा जो पीछे खड़ी थी आगे आ गई और बैठ गई। अब रवि की मूत क धार रेखा को कंधे के निचे से भिंगोने लगी थी। उसे ऐसा करते देख तरुणा ने भी वापस जोर लगाया और बची खुची मूत वो भी उसके ऊपर करने लगी। रेखा फिर उठ गई और दोनों से लिपट गई। तीनो के तीनो आपस में शरीर रगड़ने लगे। गन्दगी और पेशाब की महक से जब बाथरूम भर गया तो तरुणा ने कहा - अब तो नहाना पड़ेगा।
रेखा बोली - अब भी नहाना है क्या
तरुणा ने शावर खोलते हुए कहा - तू बहुत गन्दी है।
रेखा - और तुम बड़ी साफ़।
तरुणा ने साबुन उठाया और बारी बारी से रवि और रेखा को लगाया। जब दोनों का शरीर झाग से भर गया तो उन दोनों ने तरुणा को अपने बीच में किया और अपने शरीर से रगड़ने लगे। इस रगड़ाई से रवि का लंड दोबारा खड़ा हो गया था। रगड़ते रगड़ते कभी वो रेखा और तरुणा के बीच में आ जाता कभी रेखा उन दोनों के बीच में। इस दौरान रवि का लंड पूरा अकार ले चूका था। रेखा का मन अब लंड लेने को आतुर था। तरुणा ने रेखा को बीच में किया जिससे रेखा और रवि का चेहरा के दुसरे के सामने आ गया। रवि ने आगे चेहरा बढ़ा कर रेखा को चूमना चाहा। रेखा ने रोका नहीं बल्कि उसके होठ अपने होठो के बीच दबा लिया। अब रेखा और रवि एक दुसरे को किस करने लगे थे। रवि का लंड पुरे शबाब पर था और रेखा की चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। साबुन लगे होने से एक आध बार अंदर तक झाँक आया था।
रेखा से रहा नहीं गया। उसने कहा - किसका इंतजार कर रहे हो राजा। मेरी मुनिया पनिया चुकी है। तुम्हारे लौड़े से दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है। बेचैन है वो। स्वाद लग चूका है। पेल दो मेरे राजा
इतना सुनना था की रवि ने रेखा को बाथरूम के दीवार के सहारे खड़ा किया और पीछे से उसकी चूत में आना पूरा लंड घुसा दिया। रेखा को इस बार भी दर्द हुआ पर ये दर्द मीठा था।, मजेदार था।
उसने कहा - पेल दो मेरे भाई , बहन की चूत तुम्हारे लंड के लिए तैयार है। घुस जाओ में मेरी बगिया में। तहस नहस कर दो मेरे फूलो को।
तरुणा ने रवि को पीछे से पकड़ लिया था और उसके धक्के के साथ लय मिलाते हुए अपनी चूत रवि की गांड से सटा धक्के लगा रही थी।
तरुणा - पेल दे अपनी मुँहबोली बहन को। तू तो बचपन से चोदना चाहता था न। देख राजी हो गई है चोद ले। रहम मत करना अबकी। जोर से मार। आह आह आह।
रेखा - भाआईईई बेहनचुओोूद फाड़ दे मेरी चूत। आह आह रविइइइ मैं बस आने वाली हूँ। जोर से मार लो। अब नहीं रहा जाता। लंड दे दो अपना। मेरी चूत को लंड चाहिए। अंदर डालो। एक धक्का और दो। आह आह
रवि - देर से आई पर दे दी तूने रेखा। पर बहन बन कर दी अपनी चूत। माँ का दीवाना बना दिया था तूने। तूने ही मादरचोद बनाया। बहन बन कर अब बहनचोद भी बना दिया। इसी की कमी थी। आह आह। मस्त टाइट चूत है रे तेरी। आह आह
चूँकि रवि एक बार झाड़ चूका था उसका लंड पानी निकलने को तैयार नहीं था पर रेखा की चूत कई बार पानी बहा चुकी थी। उसका शरीर कांपने लगा। उससे खड़ा नहीं होया जा रहा था। रवि ने उसकी हालत देखते हुए उसे सीधा किया अपने गोद में उठा लिया और गोद में उठाये उठाये ही चोदने लगा। थोड़ी देर खड़े खड़े चोदने के बाद उसके लंड ने भी पानी छोड़ दिया। इस मस्त चुदाई के ख़त्म होने के बाद भी रेखा उसकी बाँहों में झूल रही थी। रवि को पीछे से तरुणा ने जकड़ा हुआ था। रवि अपने सपनो की रानियों के बीच में सैंडविच बना हुआ था।
शावर लेने के बाद तीनो ने कपडे पहनने का विचार त्याग दिया। थके हुए थे तो बाहर से ही खाना मंगाया जिसे रवि ने तौलिया लपेट कर ले लिया।
तीनो खाने के बाद नंगे ही तरुणा के कमरे में सोने चले गए।
तरुणा रवि और रेखा के बीच में पीठ के बल लेटी थी। रेखा उसकी दाएं तरफ करवट करके और रवि बाएं तरफ। रेखा और रवि बीच बीच में
तरुणा के गाल पर किस करते तो कभी एक दुसरे के होठो को। दोनों के हाथ तरुणा के मुम्मे से खेल रहे थे।
तभी तरुणा ने कहा - तो रेखा आखिर मेरे बेटे का लंड पसंद आ ही गया तुम्हे। चूत को लंड पसंद आ ही गया।
रेखा - मेरे भाई का लंड है ही इतना प्यारा
तरुणा - भइआ को सैयां बना लो।
रेखा - जो मजा भाई के लंड को लेने में है वो सैया के लंड में कहा। ये एहसास की भाई से चुद रही हूँ अलग है। जैसे जब माँ की चूत चाटती हूँ तो अलग मजा आता है। भाई बनाया है तभी उसका लंड लिया है।
तरुणा - मतलब एक नहीं होना है तुम दोनों को
रेखा - हम तीनो अलग ही कहा हैं। मुझे अपने परिवार का एहसास चाहिए। माँ और भाई का एहसास चाहिए। रवि के लिए कोई और चुड़क्कड़ लौंडिया ढूंढ लेंगे हम।
रवि - मुझे कोई नहीं चाहिए। तुम दोनों के साथ ही खुश हूँ
तरुणा - चुप कर। फिर रेखा को देखते हुए बोली - वो नैना बड़ी प्यारी है न
रवि - वो स्कर्ट वाली लड़की
तरुणा - देखा इसे उसका चेहरा नहीं याद , स्कर्ट याद है। वो इजाजत दे दे तो घुस जाएँ साहब उसके स्कर्ट के अंदर
रवि - स्कर्ट में कोई भी घुसा ले तो घुस जाऊंगा। हीहीहीही
रेखा ने अपना हाथ बढ़ा कर रवि के लंड को उमेठ दिया। कहा - देखते हैं ये पप्पू कहा कहाँ घुसेगा
रवि - अभी तो माँ की चूत में जायेगा। कहकर वह तरुणा के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिय।
रेखा - देखा माँ , स्कर्ट वाली के नाम पर चढ़ बैठे तुम पर। सोचती हूँ एक स्कर्ट खरीद ही लाऊँ तुम्हारे लिए।
रवि को पता नहीं था की शॉपिंग तो हो चुकी है। बोल पड़ा - दोनों एक एक स्कर्ट खरीद लाओ। मजा आ जायेगा गदराई चुतों को स्कर्ट में देख कर। कह कर उसने स्पीड बढ़ा दी।
तरुणा - आह आह। मन नहीं भरा तेरा। दोपहर से चोद रहा है हमें। मेरी चूत तो जवाब दे गई है। आह सससस कितना बड़ा चोदू है रे तू
अब तो रेखा भी मिल गई अब तो मुझे छोड़ दे।
रेखा - जो मजा तुम्हारे में है वो किसी और में कहा। है न भाई।
रवि - सही में मेरी बहना
रेखा - चोदते रहो। बना दो बुर का भोसड़ा मेर माँ का।
रेखा ने अपनी चूत को तरुणा के जांघो से सटा लिया था और रगड़ रही थी। रवि में तरुणा के ऊपर लम्बा हो दंड बैठक वाले अंदाज में पेले जा रहा था।
रेखा - क्या मस्त चोदता है न भाई माँ। सोच रही हूँ नैना की चूत भी सजा दूँ इसके लिए। दोपहर में सुना था कैसी बेताब थी वो।
तरुणा - हाँ मैं सोचती थी की सीधी सादी लड़की है पर वो हम से भी बड़ी चुड़क्कड़ लग रही है।
रेखा - सही है न परिवार में सेट हो जाएगी। सब मिलकर फिर चुदाई का खेल खेलेंगे।
इतनी गरम गरम बात सुनकर रवि के लंड ने ख़ुशी ख़ुशी अपना माल तरुणा की चूत में उड़ेल दिया। फिर उसके ऊपर ही पेट गया। तरुणा ने उसे अपने सीने से लगा लिया। आज उसके बेटे ने बहुत मेहनत की थी। रेखा भी दोनों से चिपकी पड़ी थी।
तरुणा ने फिर अपने मुम्मे उसके मुँह में दे दिया और कहा - काश दूध आता तो मेरे लाल को कितनी ताकत आ जाती पीकर।
रवि चुप चाप उसके चूचक चूसता रहा। थोड़ी देर में तीनो नींद के आगोश में चले गए।
अगली सुबह नयी शुरुवात होनी थी।
Rekha Ravi ke Lund ka soch bhi nhi rhi thi ab lapk ke le Rahi h
 
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