इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद भी रवि के लैंड में तनाव अब भी बना हुआ था। न सिर्फ उसका लंड टाइट था बल्कि उसके मन में सिर्फ चूत और चुदाई चल रही थी। उसने देखा की उसकी माँ एकदम नंग धडंग होकर डाइनिंग टेबल पर झुके झुके रेखा के बालों को सहला रही थी। उसकी माँ की गांड बाहर की तरफ निकली थी और उसके मुम्मे टेबल पर लटके से थे। लम्बे बाल एक तरफ गिरे हुए थे। एकदम चुदासी माल लग रही थी। रवि निचे उतरा और अपनी माँ के गांड में अपना लंड डालने लगा।
तरुणा - बहनचोद मन नहीं भरा क्या ? गांड ही लेगा क्या पहले। चूत निचे होता है। उसमे डाल। उसने अपना हाथ पीछे लेजाकर उसके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया। रवि ने एडाम से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया। उसकी चूत पहले से पनिया रखी थी। लंड आराम से अंदर चला गया। रवि ने तरुणा के बाल को पकड़ लिया। लग रहा था घोड़ी के लगाम पकड़ रखा हो। उसने फिर ताबड़तोड़ पिलाई शुरू कर दी।
तरुणा - आह आह आह मार ले मेरी कुत्ते। इसी दिन का इंतजार तो था मेरी चूत को। छोड़ना मत। चोद दे। फाड़ दे मेरी चूत। आह रविइइइइइइ मदरचूऊऊद पेलूउउउउ आह आह आह माअअअअअअअ आआ फाड़ डाला रे आह आह
तरुणा की चीख सुन कर रेखा ने आँखे खोली
रवि की जबरदस्त चुदाई देख वो दांग रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था की इतने देर तक उसे चोदने के बाद भी वो फिर तैयार हो जायेगा। पर उसे क्या पता था की रवि आज शांत होने और थकने के लिए तैयार नहीं था। उसने बीच में मौका निकाल कर अपने लिए सेक्स पावर के लिए दवा ले लिया था। दवा और बियर के कॉम्बिनेशन ने रवि को जानवर बना दिया था।
रवि अपनी माँ की चूत में धक्के लगाने में लगा था। उसकी स्पीड कम ही नहीं हो रही थी।
रवि - माँ क्या मस्त चूत है तुम्हारी। एकदम रंडी हो तुम। आह आह लग रहा है तुम्हारी चूत नहीं एक सुन्दर गुफा है जिसमे से मेरा लंड निकलना ही नहीं चाह रहा।
तरुणा - कौन कह रहा है निकालो, डालते रहो, पेलते रहो । मेरी चूत कितने दिनों की प्यासी है। आज उसकी प्यास बुझा दे। आह आह और जोर से , पेल पेल पेल पेल दे
रेखा को उसकी हालत देख कर समझ नहीं आ रहा था की खुश हो या तरस करे। आखिर तरुणा इतने दिनों से सब्र रखे हुए थी। रेखा तो गे थी पर तरुणा को तो लंड चाहिए था। उसे लड़कियों का टच अच्छा लगता था पर तरुणा को तो मर्द चाहिए थे। आज सच में उसकी ख्वाहिश पूरी हो गई। पर उसे खुद पर भी यकीन नहीं था की कैसे उसने रवि को चोदने के लिए अलाउ कर दिया। क्या सच में उसे रवि का टच अच्छा लगा था या सिर्फ एहसान उतारने के लिए चुदी थी। वो कंफ्यूज थी उस पर से पूरा बदन दर्द कर रहा था। मीठा मीठा दर्द।
रवि अभी तक माँ को पेले जा रहा था। तरुणा की हालत अब खराब हो गई थी। उसने कहा - अरे जानवर बन गया है क्या ? मेर चूत सच में फट जाएगी। अबे फट गई तो किसकी लेगा ? बस कर। मुझे बक्श दे। तेरी सोनिया मैडम को बुला दूंगी तू उनकी ले लेना। उनसे भी मन नहीं भरा तो वो नमिता मैम को लंच पर बुलाऊंगी उसके चुचे बड़े है न उनको दबा लेना। वो प्रिंसिपल को बुला दूंगी। बस मुझे छोड दे अभी।
टीचर्स का नाम सुनकर रवि और उतीजीत हो गया। उसे लगा की वो एक एक करके सब टीचर्स की चूत में लंड डाल रहा है। उसका लंड बस आग उगलने को ही था। तरुणा की बातें सुन आखिर में उसके लंड ने पूरा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। इतने देर की लगातार चुदाई से तरुणा के पैर काँप रहे थे। वो धड़ाम से निचे गिर पड़। रवि भी खुद को संभाल नहीं पाया और लड़खड़ाते हुए सोफे पर गिर पड़ा।
तरुणा - बहनचोद मन नहीं भरा क्या ? गांड ही लेगा क्या पहले। चूत निचे होता है। उसमे डाल। उसने अपना हाथ पीछे लेजाकर उसके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया। रवि ने एडाम से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया। उसकी चूत पहले से पनिया रखी थी। लंड आराम से अंदर चला गया। रवि ने तरुणा के बाल को पकड़ लिया। लग रहा था घोड़ी के लगाम पकड़ रखा हो। उसने फिर ताबड़तोड़ पिलाई शुरू कर दी।
तरुणा - आह आह आह मार ले मेरी कुत्ते। इसी दिन का इंतजार तो था मेरी चूत को। छोड़ना मत। चोद दे। फाड़ दे मेरी चूत। आह रविइइइइइइ मदरचूऊऊद पेलूउउउउ आह आह आह माअअअअअअअ आआ फाड़ डाला रे आह आह
तरुणा की चीख सुन कर रेखा ने आँखे खोली
रवि की जबरदस्त चुदाई देख वो दांग रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था की इतने देर तक उसे चोदने के बाद भी वो फिर तैयार हो जायेगा। पर उसे क्या पता था की रवि आज शांत होने और थकने के लिए तैयार नहीं था। उसने बीच में मौका निकाल कर अपने लिए सेक्स पावर के लिए दवा ले लिया था। दवा और बियर के कॉम्बिनेशन ने रवि को जानवर बना दिया था।
रवि अपनी माँ की चूत में धक्के लगाने में लगा था। उसकी स्पीड कम ही नहीं हो रही थी।
रवि - माँ क्या मस्त चूत है तुम्हारी। एकदम रंडी हो तुम। आह आह लग रहा है तुम्हारी चूत नहीं एक सुन्दर गुफा है जिसमे से मेरा लंड निकलना ही नहीं चाह रहा।
तरुणा - कौन कह रहा है निकालो, डालते रहो, पेलते रहो । मेरी चूत कितने दिनों की प्यासी है। आज उसकी प्यास बुझा दे। आह आह और जोर से , पेल पेल पेल पेल दे
रेखा को उसकी हालत देख कर समझ नहीं आ रहा था की खुश हो या तरस करे। आखिर तरुणा इतने दिनों से सब्र रखे हुए थी। रेखा तो गे थी पर तरुणा को तो लंड चाहिए था। उसे लड़कियों का टच अच्छा लगता था पर तरुणा को तो मर्द चाहिए थे। आज सच में उसकी ख्वाहिश पूरी हो गई। पर उसे खुद पर भी यकीन नहीं था की कैसे उसने रवि को चोदने के लिए अलाउ कर दिया। क्या सच में उसे रवि का टच अच्छा लगा था या सिर्फ एहसान उतारने के लिए चुदी थी। वो कंफ्यूज थी उस पर से पूरा बदन दर्द कर रहा था। मीठा मीठा दर्द।
रवि अभी तक माँ को पेले जा रहा था। तरुणा की हालत अब खराब हो गई थी। उसने कहा - अरे जानवर बन गया है क्या ? मेर चूत सच में फट जाएगी। अबे फट गई तो किसकी लेगा ? बस कर। मुझे बक्श दे। तेरी सोनिया मैडम को बुला दूंगी तू उनकी ले लेना। उनसे भी मन नहीं भरा तो वो नमिता मैम को लंच पर बुलाऊंगी उसके चुचे बड़े है न उनको दबा लेना। वो प्रिंसिपल को बुला दूंगी। बस मुझे छोड दे अभी।
टीचर्स का नाम सुनकर रवि और उतीजीत हो गया। उसे लगा की वो एक एक करके सब टीचर्स की चूत में लंड डाल रहा है। उसका लंड बस आग उगलने को ही था। तरुणा की बातें सुन आखिर में उसके लंड ने पूरा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। इतने देर की लगातार चुदाई से तरुणा के पैर काँप रहे थे। वो धड़ाम से निचे गिर पड़। रवि भी खुद को संभाल नहीं पाया और लड़खड़ाते हुए सोफे पर गिर पड़ा।