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अध्याय 02 का नया भाग अपडेट 015
पेज नंबर 1266 पर पोस्ट कर दिया गया है
कृपया पढ़ कर रेवो जरूर करें ।
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Overall accha update hai par raj, rajjo, ragini ya Kisi AUR ka part bhi Dena chahiye tha aur yeh Kamalnath ka scene bhi bohut chota aur unnecessary laga Kyu ki jangi already raj k bagal mein sote huye Shalini ki chudai kar Chuka hai agar kamalnath bhi same karta toh jyada excited nahi HOTA toh Kisi AUR ka part hona chahiye tha ab anuj ko Ghar bejho aur us Apne Ghar mein Kuch scene karwao same goes to Rahul
Shandar...Hume to sonal ka intezar hai kab Tak apne papa chacha sasur...etc maze legi
Mast Update![]()
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Thanks For Update BhaiNew update is posted
Kamalnath ki himmat na hui Shalini ke maze lene ki. Pratiksha agle rasprad update ki
Superb bhai ji kya mast Or kamuk update diya bhai ji
Jha aman ne apni bibi k sath sath nisha ka bhi pani nikal diya mobile me chudai dikha kr
To yha salini ki chut me ungli kr ke kamalnath nikal gya kyu ki abhi tak salini or kamalnath ke bich kuch bhi esa hua nhi h isi liye dar se wo bhag gya ab dekhte h ki salini ki nind khulti k ki nhi or anuj k sath chudai karne ka uska man hota h ki nhi ya fir soti hi rahe gi
Bhai ji subha jab sab jage to anuj or salini ki chudai or chut chatai jarur karwana bhai cahe kichen me ya bathroom me nhate hue please plzzz plzzzz bhai ji
Telling honestly not good as accepted I was accepting that this night is over and we have get see what happens in raj house anuj come back home and staring eye on his mother or raj has planned threesome with kamalnath and Reena and rajjo get to know about her husband and daughter in law or in aman house murari keep eye on suhagrat for see how his son doing with Mamta and they both get exited
I am more interested in like rinkp219 Bro wish sonal with her father brother anuj or sasur and or Rony01 Bro wish anuj with brother father togher fuck his mother
Behatareen update Mitra,
Suhagraat bhi man gayi, aur Nisha bhi jhad gayi, ab dekhna hai ki aage kya hota hai, murari, Sangeeta, Bhola, Mamta, abhi kai kadi hain, aur inke beech sonal ka hona kaise antar daalega,
Wohin Kamalnath ne apani saali ki devrani ko mahsoos kar lia par saali se abhi tak door hai, aage ka intezar
Bhai mamta ko aman se chudwao sonal ki help se aur sangeeta ko murari se chudwao mamta ki help se
Are detective bhai.... Kha jtna dimag lga rhe ho kahani hai maze lo bs
Kamalnaath ka koi fatwa zari karo , harami bkl .
Bahut hi mazedar update
Super update Bhai
Waiting bro
Ab intzaar nahi ho raha sir
Waah anuj bhai waah
hot update
Wowkya starting hai
Bhai aaj hi padhi hai maja aa rha hai lage raho
Yrr ragini is my fav character uski chudai jangilal se karwao na yrrr aur anuj se bhi
Haa Ragini aur jangilal me chudai
yes jangilal and ragini
NEW UPDATE IS POSTEDअपडेट मिलेगा या नहीं
Lajawab jabrdast jhakas updateUPDATED 197
सुबह साढ़े पांच शालिनी ने अंगड़ाई ली और पेट के बल लेटे हुए गरदन फेर कर देखा तो अनुज गहरी नीद मे बेफिर एक ओर पहले के जैसे करवट लेके ही लिये ही सोया - हिहि इसको सिर्फ ऐसे ही सोने आता है क्या , पागल कही का
तभी उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर गयी जो लगभग आधे से ज्यादा खुली हुई थी , शालिनी ने झट से अपना ब्लाउज खोजने लगी और उस्का ध्यान अपनी गाड़ पर चढ़े हुए पेटिकोट पर गया - हाय दईयाआ ये कैसे हुआ ?? कही अनुज तो नही , नही नही ये तो सोया है । या फिर निशा के पापा ? नही वो आते तो दरवाजे को ऐसे नही ना छोड़ते ये जानते हुए कि घर मे एक और मर्द है ।
शालिनी आखे बड़ी कर बड़बड़ाई " तो क्या अनुज के मौसा ? "
तभी शालिनी को एक धुंधली छवि याद आई कि रात के एक पहर कमरे मे कुछ आहट जरुर हुई थी और उससे अपनी जांघ खुजाई थी ।
शालिनी झट से उठी और कमरे के बाहर हाल मे झाक कर देखा तो कमलनाथ सोफे पर बैठे बैठे हुए सोता दिखा
अब शालिनी को यकीन हो गया था कि उसकी लापरवाही से कितनी बड़ी गलती हो गयी ।
उसने झट पट से अपनी साडी लपेटी और बाथरूम चली गयी ।
रंगी - बनवारी
सुबह तड़के ही बाथरूम मे फ्लश की आवाज सुन कर रंगी को आंख खुल गयी और थोडी ही देर बाद उसने देखा कि बनवारी बाहर आ रहा है ।
दोनो की नजरे टकराई और रंगी उठ कर मुस्कुराते हुए बैठ गया ।
रन्गी - आईये बाऊजी बैठीये
पेट खाली होने के बाद बनवारि को राहत हो रही थी वही रंगी तकिये के पास कुछ ढूढ रहा था ।
बनवारी- क्या हुआ जमाई बाबू
रन्गी थोड़ा असहज थोडा हसता हुआ - जी बाऊजी वो मेरी चुनौटी नही मिल रही है , वो सुबह सुबह प्रेशर नही आता जब तक ....हिहिहिहो
बनवारी हस कर उठा - अच्छा रुको मै देता हू , हाहाहा
रन्गी के लिये बहुत ही अटपटा लग रहा था कि उसका ससुर उसे अपनी तम्बाकू की डिबिया थमा रहा था - अरे लो दामाद बाबू , मेरा भी यही हाल है बिना चबाये सुबह की पेसाब ना उतरे , अम्ल ऐसी चीज है
रन्गी उसकी हा मे हा मिलाता हुआ - आपके लिए भी बना दू बाऊजी
बनवारी थोडा सोचा और फिर - अह बना ही दो , अभी कौन सा बाहर जाना है
रन्गी अपनी हथेली मे तम्बाकू रगड़ता हुआ - क्यू बाऊजी बाहर जाने मे क्या दिक्कत है
बनवारि हस कर - कुछ नही छोड़ो
रंगी अपनी हथेली आगे बढा कर तम्बाकू अपने ससुर को देता हुआ - अरे बताईये ना
बनवारी- दरअसल ये वाला तम्बाकू बहुत तगड़ा है , तो हिसाब से लेना पडता है मुझे
रंगी - क्यू सर पकडता है क्या ये ?
बनवारी अपने निचले होठ मे तम्बाकू रखता हुआ - सर नही कुछ और ही जोर पकड लेता है
रन्गी असमंजस मे - मतल्व
बनवारी हस कर- अरे वो निचे असर होने लगता है
रंगी हस पड़ा और तम्बाकू का बिरा अपने मुह मे रखता हुआ - क्या बाऊजी आप भी हिहिही
बनवारी- अभी खुद ही पता चल जायेगा तुमको
रंगी मजाक मजाक मे - तो कही परसो इसी तम्बाकू का कमाल तो नही था ना जो रन्जू भाभी के साथ हहाहहा
बनवारी का चेहरा शान्त हो गया और अपने ससुर को भाव विहीन देख कर रंगी को लगा उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया - सॉरी बाऊजी ,
अगले ही पल बनवारी हस पड़ा- अरे तुम सही कह रहे हो जमाई बाबू , कुछ तो इसका ही असर था और बाकी
रन्गी मुस्कुरा कर - बाकी क्या ?
बनवारी- बाकी जमुना बहू की दीन-दया हाहाहहा
रन्गी हसत हुआ - आप भी ना बाऊजी सच मे कमाल के हो
बनवारी हस कर - अरे कमाल तो ये है कि मेरे जमाई बाबू बड़े खुले दिल वाले मिले है , नही तो उस दिन की बात पर ना जाने क्या क्या हो जाता ।
रंगी - अह छोडिए ना बाउजि , आप दोनो ने एक दुसरे की जरुरत को समझा बस यही काफी है
बनवारी का दिमाग ठनका - मतलब
रन्गी - अह छोडिए ना बाऊजी जो हो गया उसकी क्या चर्चा
बनवारी- तुम जरुर कुछ छिपा रहे हो जमाई बाबू
रन्गी - अब आपसे क्या छिपाना बाऊजी , रंजू भौजी की हालत आपके जैसी ही है
बनवारी - मतलब
रन्गी - मतलब जमुना भैया अब रस नही लेते भौजी मे
बनवारी- लेकिन तुम्हे कैसे पता ?
रन्गी - ये सब बाते छिपे छिपाई थोड़ी ना रह पाती है बाऊजी ,
बनवारी- हा वो भी है
रंगी - वैसे एक बात सच कही बाऊजी ने आपने
बनवारी- क्या ?
" तम्बाकू आपका सच मे जोर पकडता है " , रन्गी ने जान्घिये मे बने हुए तम्बू की ओर इशारा करते हुए कहा ।
बनवारी खिलखिला कर हस पड़ा ।
बनवारी- जाकर पेसाब कर लो , आराम हो जायेगा
रंगी - अच्छा तो उपचार भी मालूम है आपको हाहहहा
बनवारी- भई 40साल का अनुभव है हाहाहाहा
रन्गी - हा लेकिन बाऊजी हर बार तो पेसाब से असर तो नही जाता होगा ना
बनवारी - हा ये बात भी सही है
रन्गी - तो उसके लिए कोई जुगाड तो होगा ही ना क्यूँ
बनवारी हस कर - सब भेद अभी जान लोगे , आओ कभी ससुराल अपने भेद और छेद दोनो बताएंगे
रन्गीलाल खिलखिलाहर हस पड़ा - तो क्या आज सच मे ही वापस जाना है बाऊजी
बनवारी- तुमसे बात करके इच्छा तो नही हो रही है , लेकिन बच्चो का स्कूल और गल्ले का काम अकेले तुम्हारे साले से होगा नही तो जाना पडेगा ही
रन्गी - अच्छा ठिक है बाऊजी जैसी आपकी मर्जी , मै जरा जा रहा हु सच मे प्रेशर तेज कर दिया इसने तो हाहा
बनवारी हस कर - हा हा जाओ जाओ
अमन के घर
"धत्त क्या कर रहो बन्द करों ना उसे "
" वॉव सो सेक्सी बेबी आह्ह क्या जबरजस्ट गाड़ है तुम्हारी "
" अच्छा ऐसा क्या , तो अच्छे से देखो ना मेरी जान " सोनल ने ब्लाउज पहने हुए सिर्फ़ पैंटी मे अपनी बड़ी मोटी गाड अमन की ओर घुमा कर उसको दिखाते हुए बोली ।
अमन उसकी रसिली चिकनी गाड़ के तस्वीरे निकालता हुआ अपना उफनाया मुसल अंडरवियर के उपर से मसल रहा था ।
वो लपक कर आगे बढ़ कर उसकी नंगी चुतड को हाथ मे दबोचता हुआ गाड की दरारो मे उंगली पेल कर उसके भिगे बालों के पास चुम्बन करता हुआ - उफ्फ़ बेबी तुमने तो मूड बना दिया उह्ह्ह
सोनल को हसी आई और वो कसमसा कर अमन से दूर होती हुई - क्या न्हीईई , जाओ पहले नहाओ अभी नीचे पूजा करने जाना
सोनल के मना करने के अमन का मूड थोड़ा खीझा और वो भिनककर वापस से सोनल के हाथ पकड कर उससे मनाता हुआ - यार बेबी , वो भी कर लेन्गे ना अभी इस्का कुछ करो ना
सोनल भले ही अमन को तरसा रही थी मगर उसकी सासे भी अमन के अंडरवियर मे फड़कते लन्ड को देख कर मचल रही थी ।
मगर इस्से पहले कि वो कुछ कहती , दरवाजे दस्तक हुई
सोनल हड़बड़ा कर - भागो भागो मुझे कपड़ा पहनने दो , कोई आया है
अमन भी लाज के मारे तेजी से बाथरूम के घुस गया और सोनल जल्दी जल्दी पेतिकोट डाल कर साडी लपेटने लगी
इधर हर बीतते पल के साथ दरवाजे को पीटा जा रहा था और खुसफुसाहट भरी हसी की किलकारीयां भी उठ रही थी ।
सोनल को समझते देर नही लगी जरुर उसकी जेठानी दुलारि और चुलबुली ननद रिन्की ही होंगे ।
सोनल ने दो मिंट मे आने का बोल कर साडी लपेटी और दरवाजा खोला ।
दरवाजा खुलते हुए रिन्की झट से कमरे मे दाखिल हुई और पीछे पीछे दुलारी
दुलारी- बड़ा समय ले लिया देवरानी जी दरवाजा खोलने मे ,,कुछ कर रही थी क्या ?
सोनल साडी का पल्लू अपने सर पर चढाती हुई मुस्कुराती शर्माती हुई - जी वो कपडे पहन रही थी ।
मौके का फाय्दा लेके दुलारि ने मजा लिया - हाय दईया कहा है देवर जी , ना पूजा ना पाठ , मुह मे बिचारि के निवाला नही गया और सुबह सुबह कपड़ा उतार दिया मेरी देवरानी का , कहा है नवाब साहब
दुलारि की मस्ती पर सोनल मुह फेर कर हसने लगी - क्या भाभी आप भी , वो मै नहा कर आई थी तो ?,,
रिन्की वही बगल मे खड़ी खिखीया रही थी ।
दुलारी- हा लेकिन ये बिना बुद्धि का बैल है कहा, सूरज सर पर चढ आया है , नीचे सब लोग इंतजार कर रहे है
सोनल - जी वो बस नहाने गये है
दुलारी- अच्छे से तैयार होकर सब रत्न जेवर पहन कर और सौदा सजा कर उतरना , मुहल्ले के जौहरियों की बिवियां आ रही है , कुछ कमी नही मिले मेरी देवरानी मे
सोनल मुस्कुराई और हा मे सर हिला कर दरवाजा बन्द कर दिया
राज के घर
सुबह की अंगड़ाई , अलार्म और घर मे चल रही चहल पहल से राज की नीद खुल गयी ।
पैरों को तान कर अंडरवियर मे बने त्म्बू को भींचता हुआ वो खडा हुआ , एक बड़ी उबासी और नजर मोबाईल की जल रही स्क्रीन पर गयी ।
नोटीफीकेशन मे व्हाट्सअप मैसेज के अलर्ट आये हुए थे ।
लपक कर मोबाईल उठा कर लॉक खोलता हुआ बाथरूम मे घुस गया ।
देसी टोइलेट सीट पर चुतड टिका कर बैठा था और तेज पडपड़ाहट के साथ पेट खाली हो रहा था कि उसकी आंखे मोबाइल स्क्रीन को देख कर चमक उठी ।
एक एक करके धडाधड़ तीन स्नैपस लोड होने लगे और जैसे ही डाउनलोडिंग पूरी हुई चटक लाल साडी मे कातिल अदाये दिखाती
राज की दीदी सोनल की उसकी सुहागरात के बाद की पहली तस्वीर थी
सेक्सी कामुक अदाये और उसपे से उसकी चर्बीदार गाड़ के उभार देखते हुए उसके झूलते लन्ड
आड़ो सहित तन गये ।
सोनल ने सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी मे अपनी गाड़ दिखाते हुए बहुत ही सेक्सी तस्वीरें निकाली थी ।
तस्वीरें देख साफ लग रहा था कि सोनल ने किसी कह निकलवाई है "और होगा भी कौन साले जिजा के अलावा , साफ दिख रहा था बहिनचोद ने मेरी बहन चोद दी है रात मे " , राज अपना तने हुआ मुसल को सहलात हुआ बुदबदाया ।
उनकी चुदाई का सोच कर राज लन्ड फड़फडा रहा था और टट्टी गाड़ मे ही अटक गयी
तभी कमरे मे उसके नानू के आने की आवाज आई, वो बाथरूम का दरवाजा पीट रहे थे तो राज भी जल्दी से गाड़ धूल कर बाहर आ गया ।
पता चला कि नानू की फैमिली तैयार होकर हाल मे बैठी है , समय देखा तो 8 बजने को हो रहे थे ।
किचन मे रीना और निशा भिड़ें हुए थे । मम्मी मौसी को लेके मामी की विदाई के लिए कुछ समान जोड रही थी , पापा भी मुह मे ब्रश डाले हाल मे बैठे हुए कुछ हिसाब किताब मे लगे थे ।
इनसब से अलग अनुज , चाची चाचा और मौसा की कही खबर नही थी
खबर तो दो और लोगो की नही थी , अरुण और राहुल ।
छत पर बाथरूम के पास दातून घुमाते हुए राहुल अरुण के मोबाइल मे वो तस्वीरें देख रहा था जो बीती रात उन्होने चुदाई के बाद निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई इसका देख साली ने कैसी टाँगे खोल कर वीडियो बनाई है , बोली है जानू जब भी मेरी याद आये इसे देख कर हिला लेना
राहुल हस कर अरुण के मोबाइल मे गीता की एक सेल्फी मोड पर बनाई हुई नंगे जिस्म की वीडियो देख कर - यार साली है जबरजस्त बहिनचोद चोदने नही दिया इसकी बहन ने
अरुण हस कर - हा तो मुझे ही कहा मिली तेरी वाली हिहिहिही ,
राहुल - मुझे यकीन नही हो रहा है कि इतना ओपन और horny के बाद यहा तक कि दोनो lesbo भी है मगर लन्ड के इत्नी पोजेसिव हाहहहा मतलब साला swap करने नही दिया
अरुण - वही ना भाई , मगर अब क्या ही कर सकते है , ना जाने कब आना हो और कब मौका मिले
राहुल - अरे यार छुट्टियो मे जाउन्गा ना मै अनुज के साथ हिहिही
अरुण - हा लेकिन मेरा
राहुल - अरे तब की तब देखन्गे , फिलहाल अब आगे का सोचते है हिहिही और कितने दिन रुकने वाला है तु
अरुण - यार पता नही कुछ , बड़ी मम्मी जबतक रुके मुझे भी रुकना ही पड़ेगा
राहुल - चल कोई बात नही मेरे साथ मेरे घर मस्ती करना और क्या
अरुण - हा यार यहा उतना मन नही लग रहा है अब , ये घर मे रुका तो गीता की याद आयेगी ही
राहुल हस कर - साले , प्यार तो नही हो गया ,ना तुझे
अरुण खिलखिलाकर - हा मेरे लन्ड को हो गया है हिहिहीही
राहुल के घर
घर के काम निपटा कर झाडू कटका करती हुई हाल मे आ पहुची
इधर कमलनाथ कही दिख नही रहा था तो उसने बालटी लेके हाल मे पोछा लगाना शुरु कर दिया
उसी समय कमलनाथ दुकान वाले गलियारे से हाल मे दाखिल हुआ हाथ मे खैनी रगड़ते हुए और उसकी नजर सामने शालिनी पर गयी , जिसके सीने से पल्लू उतरा हुआ था और उसकी लो कट ब्लाउज स आधे से ज्यादा चुचिया बाहर झूलती हुई हिल रही थी
कमलनाथ खैनी का फाका मारते हुए तौलिये के उपर से अपना मुसल रगड़ा और हाल मे दाखिल हुआ
शालिनी की नजर जैसे ही कमलनाथ पर गयी उसकी नजर तौलिये मे बने तम्बू पा गयी और तभी उसको अपनी खुली छातियों का ख्याल आया ,झट से उसने अपना पल्लू सही करते हुए असहज भरी मुस्कान से कमलनाथ को देखा ।
कमलनाथ ने भी अपनी ओछे उन्माद मे मुस्कुरा कर आगे बढ गया ।
बाथरूम की ओर जाते देख शालिनी ने एक बार हिम्मत करके गैलरी मे देखा तो पाया कि कमलनाथ तौलिये के आगे हाथ लगा कर खुजा रहा है ।
शालिनी के लिए ये चिंता का विषय हो गया ।
जंगी दुकान खोलकर साफ सफाई मे लगा हुआ था और अनुज अभी तक सोया हुआ था ।
शालिनी ने थोडे ही देर मे पोछा कम्प्लीट किया और अनुज को जगाने के लिए चली गयि ।
शालिनी - उठ बेटा सुबह हो गयी है , चल फ्रेश हो जा
अनुज उसकी कलाई पकड कर - उम्म्ं चाची आओ ना , थोड़ी देर मेरे पास सोवो ना
शालिनी हस के - धत्त बदमाश वो सब बाद मे , पहले तु उठ
अनुज ने अंगदायी ली और उसका लन्ड पाजामे मे तना हुआ था
जिसपे शालिनी ने मस्ती मे उसका टीशर्त फेक कर ढकते हुए - उठ जा और उसको भी जगा दे हिहिही
अनुज - नही उसको आप ही जगाओ
शालिनी- धत्त बदमाश उठ और जाकर उपर वाले बाथरूम मे फ्रेश हो ले , निचे तेरे मौसा नहाने गये है ।
अनुज उठा और उपर निकल गया
कुछ देर बाद
"अरे जन्गीईई भाईई "
" अनुज , भाभी जीईई "
"कोई सुन रहा है क्या "
शालिनी को किचन मे कमलनाथ की आवाज आई
शालिनी भागके जीने के पास गयी , जहा कमलनाथ बाथरूम के बाहर सिर्फ एक तौलिये मे नहा खड़ा था ,
कमलनाथ - अह भाभी भाईसाहब की कोई बनियान या फिर शर्ट मिलेगी वो मैने मेरे कपडे धूल दिये तो !!
शालिनी ने एक नजर कमलनाथ के तंदुरुस्त बदन और बाहर निकले पेट को देखा और फिर जंगी के बदन का सोच कर बोली - हा लेकिन उनके कपडे आपको कैसे होगे
कमलनाथ - अरे कोई ढीला शर्ट भी हो तो चलेगा
शालिनी - ठिक है देखती हु
शालिनी कमरे मे गयी और वापस खाली हाथ आई - सॉरी नही है ऐसा कुछ,
कमलनाथ - तो मै ऐसे कैसे रहू
शालिनी - अच्छा आप मेरे कमरे मे बैठिये मै आपके कपड़े ड्रायर मे डाल देती हु फिर हल्का सा धूप लग जायेगा तो सुख जायेगा
कमलनाथ को विचार सही लगा और वो शालिनी के कमरे मे चला गया ।
थोड़ी देर बाद शालिनी उसके लिए नासता लेके आई और फिर चली गयी ।
कमलनाथ वैसे ही तौलिये मे बैठा हुआ नास्ता कर रहा था ।
वही जैसे ही अनुज नहा कर आया तो शालिनी ने उसको भी नास्ता दिया करने को और वो राहुल के कपडे पहन कर नास्ता करने लगा
अनुज का नास्ता करने के दौरान शालिनी ने कमलनाथ के कपड़े सूखने के लिये छत पर डाल दिये
वही जब अनुज नास्ता कर लिया तो शालिनी ने उसे दुकान पर जाकर चाचा को भितर आने को बोल दिया
जन्गी हाल मे आया और कमलनाथ को ना पाकर शालिनी से पुछने किचन मे चला गया
किचन मे उसको पीछे से उस्की गाड़ को स्पर्श किया ही था कि शालिनी एक दम से चौक गयी
जंगी हस कर - अरे जानू मै हु
शालिनी - क्या आप भी कितनी चोरी चोरी आते हो
जन्गी उसको पीछे से पकड कर अपना मुसल उसके गाड़ मे चुबोता हुआ - अरे मेरी जान चोरी चोरी करने मे ही मजा है हिहिही
शालिनी - अच्छा जी तभी भतिजे के पीठ पीछे आप रात मे हिहिहही
जन्गी उसकी गुदाज चुचीया हाथो मे भरता हुआ - सीईई आह्ह मेरी जान मै तो चाहू दिन मे भी पेल दू तुम्हे
"बस ये कमल भाई कहा है ये पता चल जाये " जन्गी किचन से बाहर ताक झाक करते हुए फुसफुसाया ।
शालिनी हस कर - वो हमारे कमरे मे है
जन्गी - क्यू ?
शालिनी - अरे वो क्या हुआ !!!
फिर शालिनी ने सारी व्यथा बताई
जंगी उसकी रस भरी चुचिया मसल्ता हुआ - आह्ह जान तब तो सुबह का नासता मुझे यही देदो
शालिनी - मतलब
जंगी ने झुक कर उसकी साडी पेतिकोट सहित उठाई और अपना मुह सिधा उसकी बुर मे दे दिया
शालिनी खिलखिलाई , कसमसाइ और फिर सिस्कने लगी
सुबह जंगी की रुखी जीभ उसके सूखे फाको पर रेन्गने लगी और उसके पाव कापने लगे , वो उसके सर को थाम कर अपने शरीर का बैलेंस बनाती हुई थोडा झुकी हुई थी
उसकी मादक सिस्किया उठने लगी थी , चेहरा पूरा भिन्चा हुआ था और आंखे बन्द थी
जैसे ही उसकी आन्खे खुली किचन के बाहर गैलरी मे कमलनाथ तौलिये खड़ा था , उसके हाथ मे नास्ते की थाली ग्लास थे
उस्का मुह खुला हुआ था और लन्ड तौलिये मे उफनाया हुआ था ।
शालिनी की नजर जैसे कमलनाथ से टकराई वो सकपका गयि , इससे पहले कि वो जन्गी को दूर हटाती कमलनाथ ने अपने मुह पर हाथ रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया
और खुद कमरे जा रहा है ऐसे ही इशारे मे बोला
फिर वो कमरे मे लौट गया ,
शालिनी की सारी कामोत्तेजना फीकी शरबत की तरह बह गयी
जन्गी को मजा तो आया मगर शालिनी के लिए बहुत ही असमंज्स की स्थिति आ खडी हुई ।
जंगी ने नासता किया और फिर दुकान मे चला गया ।
वही चाचा के आने पर अनुज भी घर के लिए निकल गया क्योकि उसे पता था कि उसके नानू और बहने सुबह ही निकलने वाले है ।
अमन के घर
" ह्म्म्ं देखू तो मेरी देवरानी को , ओहो देखो कैसे अन्ग अन्ग खिला हुआ है " , दुलारी ने सोनल की चिकनी कमर को चिमटी काटते हुए खिलखिलाई ।
सोनल - आह्ह भाभीई धत्त , सीईई बाबा दर्द हो रहा है और सोनल साडी अपनी कमर से हटा कर उसको देखते हुए लाल हुए जगह को सहलाने लगी ।
दुलारी- हाय दैया यहा सिर्फ छूने भर से लाल हो गया तो वहा की लाली अभी भी होगी , दिखाओ ना देवरानी जी
अपने सास के कमरे के बाहर गैलरी मे खडी सोनल को और भी लाज आ रही थी , जवाब एक से एक रखे थे उस्के पास मगर एक दिन की दुल्हन का लिहाज रखना था उसे भी तो वो बस हसती शर्माने लगी ।
दुलारि ने हाथ बढा कर निचे झुक कर उसकी साडी उठानी चाही तो वो हसती खिलखिलाती हुई तेज कदमौ से बाहर हाल की ओर भागी और सामने से मदन आ रहा था ।
वो और दुलारी एकदम से शान्त हो गये और सोनल ने झटसे आगे बढ कर मदन के पाव छूने लगी और उसकी साडी का पल्लू उसके सीने से उतर गया
और भरा पुरा जोबन डीप गले वाले बेहतरीन लैसदार वाला ब्लाउज जोबन की गोरी घाटियों सहित मदन के आंखो के साम्ने ।
अपने चाचा ससुर की बढ़ी हुई आंखो की चमक से सोनल का ध्यान खुद पर गया और वो झट से अपने सीने को आन्च्ल से ढकती हुई खड़ी हो गयी ।
शर्म से उसकी नजरे झुकी हुई और मदन भी नजरे फेरे हुए उसको खुश रहने का आशीर्वाद देता हुआ उपर छत की ओर निकल गया ।
वही दुलारी मुह पर हाथ रखे हुए हसे जा रही थी और सोनल का शरीर कांप रहा था ।
ससुराल मे पहली सुबह और ये क्या हो गया उसके साथ ।
खुद की हसी को रोकती हुई दुलारि सोनल को हौसला देती हुई बाकी मेहमानो से मिलाने के लिए लेके जाने लगती है ।
सोनल को दुलारि का खिलखिलापं देख कर चिढ़ भी हो रही थी और हसी भी आ रही थी मगर वो कर भी क्या सकती थी ।
दुलारी- टेंशन मत लो , अब यहा कोई डर नही है
सोनल - क्यू ?
दुलारि - अरे यहा हम सब औरते ही है , यहा अगर तुम्हारा पल्लू तुमसे बईमानी कर भी जाये तो क्या गम , जो दिखेगा वो तो सब्के पास है हिहिहिही
सोनल घून्घट मे हसने लगी और मेहमानों के बिच जाकर बैठ गयी ।
जहा ना जाने कैसी और क्या बाते होने वाली थी , ये उसके लिए अनोखा अनुभव होने वाला था ।
जारी रहेगी
Welcome Back Bhai THANKS For Update BhaiNEW UPDATE IS POSTED
Thanks For Update BhaiKeep It Up
Mast update diya bro...UPDATED 197
सुबह साढ़े पांच शालिनी ने अंगड़ाई ली और पेट के बल लेटे हुए गरदन फेर कर देखा तो अनुज गहरी नीद मे बेफिर एक ओर पहले के जैसे करवट लेके ही लिये ही सोया - हिहि इसको सिर्फ ऐसे ही सोने आता है क्या , पागल कही का
तभी उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर गयी जो लगभग आधे से ज्यादा खुली हुई थी , शालिनी ने झट से अपना ब्लाउज खोजने लगी और उस्का ध्यान अपनी गाड़ पर चढ़े हुए पेटिकोट पर गया - हाय दईयाआ ये कैसे हुआ ?? कही अनुज तो नही , नही नही ये तो सोया है । या फिर निशा के पापा ? नही वो आते तो दरवाजे को ऐसे नही ना छोड़ते ये जानते हुए कि घर मे एक और मर्द है ।
शालिनी आखे बड़ी कर बड़बड़ाई " तो क्या अनुज के मौसा ? "
तभी शालिनी को एक धुंधली छवि याद आई कि रात के एक पहर कमरे मे कुछ आहट जरुर हुई थी और उससे अपनी जांघ खुजाई थी ।
शालिनी झट से उठी और कमरे के बाहर हाल मे झाक कर देखा तो कमलनाथ सोफे पर बैठे बैठे हुए सोता दिखा
अब शालिनी को यकीन हो गया था कि उसकी लापरवाही से कितनी बड़ी गलती हो गयी ।
उसने झट पट से अपनी साडी लपेटी और बाथरूम चली गयी ।
रंगी - बनवारी
सुबह तड़के ही बाथरूम मे फ्लश की आवाज सुन कर रंगी को आंख खुल गयी और थोडी ही देर बाद उसने देखा कि बनवारी बाहर आ रहा है ।
दोनो की नजरे टकराई और रंगी उठ कर मुस्कुराते हुए बैठ गया ।
रन्गी - आईये बाऊजी बैठीये
पेट खाली होने के बाद बनवारि को राहत हो रही थी वही रंगी तकिये के पास कुछ ढूढ रहा था ।
बनवारी- क्या हुआ जमाई बाबू
रन्गी थोड़ा असहज थोडा हसता हुआ - जी बाऊजी वो मेरी चुनौटी नही मिल रही है , वो सुबह सुबह प्रेशर नही आता जब तक ....हिहिहिहो
बनवारी हस कर उठा - अच्छा रुको मै देता हू , हाहाहा
रन्गी के लिये बहुत ही अटपटा लग रहा था कि उसका ससुर उसे अपनी तम्बाकू की डिबिया थमा रहा था - अरे लो दामाद बाबू , मेरा भी यही हाल है बिना चबाये सुबह की पेसाब ना उतरे , अम्ल ऐसी चीज है
रन्गी उसकी हा मे हा मिलाता हुआ - आपके लिए भी बना दू बाऊजी
बनवारी थोडा सोचा और फिर - अह बना ही दो , अभी कौन सा बाहर जाना है
रन्गी अपनी हथेली मे तम्बाकू रगड़ता हुआ - क्यू बाऊजी बाहर जाने मे क्या दिक्कत है
बनवारि हस कर - कुछ नही छोड़ो
रंगी अपनी हथेली आगे बढा कर तम्बाकू अपने ससुर को देता हुआ - अरे बताईये ना
बनवारी- दरअसल ये वाला तम्बाकू बहुत तगड़ा है , तो हिसाब से लेना पडता है मुझे
रंगी - क्यू सर पकडता है क्या ये ?
बनवारी अपने निचले होठ मे तम्बाकू रखता हुआ - सर नही कुछ और ही जोर पकड लेता है
रन्गी असमंजस मे - मतल्व
बनवारी हस कर- अरे वो निचे असर होने लगता है
रंगी हस पड़ा और तम्बाकू का बिरा अपने मुह मे रखता हुआ - क्या बाऊजी आप भी हिहिही
बनवारी- अभी खुद ही पता चल जायेगा तुमको
रंगी मजाक मजाक मे - तो कही परसो इसी तम्बाकू का कमाल तो नही था ना जो रन्जू भाभी के साथ हहाहहा
बनवारी का चेहरा शान्त हो गया और अपने ससुर को भाव विहीन देख कर रंगी को लगा उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया - सॉरी बाऊजी ,
अगले ही पल बनवारी हस पड़ा- अरे तुम सही कह रहे हो जमाई बाबू , कुछ तो इसका ही असर था और बाकी
रन्गी मुस्कुरा कर - बाकी क्या ?
बनवारी- बाकी जमुना बहू की दीन-दया हाहाहहा
रन्गी हसत हुआ - आप भी ना बाऊजी सच मे कमाल के हो
बनवारी हस कर - अरे कमाल तो ये है कि मेरे जमाई बाबू बड़े खुले दिल वाले मिले है , नही तो उस दिन की बात पर ना जाने क्या क्या हो जाता ।
रंगी - अह छोडिए ना बाउजि , आप दोनो ने एक दुसरे की जरुरत को समझा बस यही काफी है
बनवारी का दिमाग ठनका - मतलब
रन्गी - अह छोडिए ना बाऊजी जो हो गया उसकी क्या चर्चा
बनवारी- तुम जरुर कुछ छिपा रहे हो जमाई बाबू
रन्गी - अब आपसे क्या छिपाना बाऊजी , रंजू भौजी की हालत आपके जैसी ही है
बनवारी - मतलब
रन्गी - मतलब जमुना भैया अब रस नही लेते भौजी मे
बनवारी- लेकिन तुम्हे कैसे पता ?
रन्गी - ये सब बाते छिपे छिपाई थोड़ी ना रह पाती है बाऊजी ,
बनवारी- हा वो भी है
रंगी - वैसे एक बात सच कही बाऊजी ने आपने
बनवारी- क्या ?
" तम्बाकू आपका सच मे जोर पकडता है " , रन्गी ने जान्घिये मे बने हुए तम्बू की ओर इशारा करते हुए कहा ।
बनवारी खिलखिला कर हस पड़ा ।
बनवारी- जाकर पेसाब कर लो , आराम हो जायेगा
रंगी - अच्छा तो उपचार भी मालूम है आपको हाहहहा
बनवारी- भई 40साल का अनुभव है हाहाहाहा
रन्गी - हा लेकिन बाऊजी हर बार तो पेसाब से असर तो नही जाता होगा ना
बनवारी - हा ये बात भी सही है
रन्गी - तो उसके लिए कोई जुगाड तो होगा ही ना क्यूँ
बनवारी हस कर - सब भेद अभी जान लोगे , आओ कभी ससुराल अपने भेद और छेद दोनो बताएंगे
रन्गीलाल खिलखिलाहर हस पड़ा - तो क्या आज सच मे ही वापस जाना है बाऊजी
बनवारी- तुमसे बात करके इच्छा तो नही हो रही है , लेकिन बच्चो का स्कूल और गल्ले का काम अकेले तुम्हारे साले से होगा नही तो जाना पडेगा ही
रन्गी - अच्छा ठिक है बाऊजी जैसी आपकी मर्जी , मै जरा जा रहा हु सच मे प्रेशर तेज कर दिया इसने तो हाहा
बनवारी हस कर - हा हा जाओ जाओ
अमन के घर
"धत्त क्या कर रहो बन्द करों ना उसे "
" वॉव सो सेक्सी बेबी आह्ह क्या जबरजस्ट गाड़ है तुम्हारी "
" अच्छा ऐसा क्या , तो अच्छे से देखो ना मेरी जान " सोनल ने ब्लाउज पहने हुए सिर्फ़ पैंटी मे अपनी बड़ी मोटी गाड अमन की ओर घुमा कर उसको दिखाते हुए बोली ।
अमन उसकी रसिली चिकनी गाड़ के तस्वीरे निकालता हुआ अपना उफनाया मुसल अंडरवियर के उपर से मसल रहा था ।
वो लपक कर आगे बढ़ कर उसकी नंगी चुतड को हाथ मे दबोचता हुआ गाड की दरारो मे उंगली पेल कर उसके भिगे बालों के पास चुम्बन करता हुआ - उफ्फ़ बेबी तुमने तो मूड बना दिया उह्ह्ह
सोनल को हसी आई और वो कसमसा कर अमन से दूर होती हुई - क्या न्हीईई , जाओ पहले नहाओ अभी नीचे पूजा करने जाना
सोनल के मना करने के अमन का मूड थोड़ा खीझा और वो भिनककर वापस से सोनल के हाथ पकड कर उससे मनाता हुआ - यार बेबी , वो भी कर लेन्गे ना अभी इस्का कुछ करो ना
सोनल भले ही अमन को तरसा रही थी मगर उसकी सासे भी अमन के अंडरवियर मे फड़कते लन्ड को देख कर मचल रही थी ।
मगर इस्से पहले कि वो कुछ कहती , दरवाजे दस्तक हुई
सोनल हड़बड़ा कर - भागो भागो मुझे कपड़ा पहनने दो , कोई आया है
अमन भी लाज के मारे तेजी से बाथरूम के घुस गया और सोनल जल्दी जल्दी पेतिकोट डाल कर साडी लपेटने लगी
इधर हर बीतते पल के साथ दरवाजे को पीटा जा रहा था और खुसफुसाहट भरी हसी की किलकारीयां भी उठ रही थी ।
सोनल को समझते देर नही लगी जरुर उसकी जेठानी दुलारि और चुलबुली ननद रिन्की ही होंगे ।
सोनल ने दो मिंट मे आने का बोल कर साडी लपेटी और दरवाजा खोला ।
दरवाजा खुलते हुए रिन्की झट से कमरे मे दाखिल हुई और पीछे पीछे दुलारी
दुलारी- बड़ा समय ले लिया देवरानी जी दरवाजा खोलने मे ,,कुछ कर रही थी क्या ?
सोनल साडी का पल्लू अपने सर पर चढाती हुई मुस्कुराती शर्माती हुई - जी वो कपडे पहन रही थी ।
मौके का फाय्दा लेके दुलारि ने मजा लिया - हाय दईया कहा है देवर जी , ना पूजा ना पाठ , मुह मे बिचारि के निवाला नही गया और सुबह सुबह कपड़ा उतार दिया मेरी देवरानी का , कहा है नवाब साहब
दुलारि की मस्ती पर सोनल मुह फेर कर हसने लगी - क्या भाभी आप भी , वो मै नहा कर आई थी तो ?,,
रिन्की वही बगल मे खड़ी खिखीया रही थी ।
दुलारी- हा लेकिन ये बिना बुद्धि का बैल है कहा, सूरज सर पर चढ आया है , नीचे सब लोग इंतजार कर रहे है
सोनल - जी वो बस नहाने गये है
दुलारी- अच्छे से तैयार होकर सब रत्न जेवर पहन कर और सौदा सजा कर उतरना , मुहल्ले के जौहरियों की बिवियां आ रही है , कुछ कमी नही मिले मेरी देवरानी मे
सोनल मुस्कुराई और हा मे सर हिला कर दरवाजा बन्द कर दिया
राज के घर
सुबह की अंगड़ाई , अलार्म और घर मे चल रही चहल पहल से राज की नीद खुल गयी ।
पैरों को तान कर अंडरवियर मे बने त्म्बू को भींचता हुआ वो खडा हुआ , एक बड़ी उबासी और नजर मोबाईल की जल रही स्क्रीन पर गयी ।
नोटीफीकेशन मे व्हाट्सअप मैसेज के अलर्ट आये हुए थे ।
लपक कर मोबाईल उठा कर लॉक खोलता हुआ बाथरूम मे घुस गया ।
देसी टोइलेट सीट पर चुतड टिका कर बैठा था और तेज पडपड़ाहट के साथ पेट खाली हो रहा था कि उसकी आंखे मोबाइल स्क्रीन को देख कर चमक उठी ।
एक एक करके धडाधड़ तीन स्नैपस लोड होने लगे और जैसे ही डाउनलोडिंग पूरी हुई चटक लाल साडी मे कातिल अदाये दिखाती
राज की दीदी सोनल की उसकी सुहागरात के बाद की पहली तस्वीर थी
सेक्सी कामुक अदाये और उसपे से उसकी चर्बीदार गाड़ के उभार देखते हुए उसके झूलते लन्ड
आड़ो सहित तन गये ।
सोनल ने सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी मे अपनी गाड़ दिखाते हुए बहुत ही सेक्सी तस्वीरें निकाली थी ।
तस्वीरें देख साफ लग रहा था कि सोनल ने किसी कह निकलवाई है "और होगा भी कौन साले जिजा के अलावा , साफ दिख रहा था बहिनचोद ने मेरी बहन चोद दी है रात मे " , राज अपना तने हुआ मुसल को सहलात हुआ बुदबदाया ।
उनकी चुदाई का सोच कर राज लन्ड फड़फडा रहा था और टट्टी गाड़ मे ही अटक गयी
तभी कमरे मे उसके नानू के आने की आवाज आई, वो बाथरूम का दरवाजा पीट रहे थे तो राज भी जल्दी से गाड़ धूल कर बाहर आ गया ।
पता चला कि नानू की फैमिली तैयार होकर हाल मे बैठी है , समय देखा तो 8 बजने को हो रहे थे ।
किचन मे रीना और निशा भिड़ें हुए थे । मम्मी मौसी को लेके मामी की विदाई के लिए कुछ समान जोड रही थी , पापा भी मुह मे ब्रश डाले हाल मे बैठे हुए कुछ हिसाब किताब मे लगे थे ।
इनसब से अलग अनुज , चाची चाचा और मौसा की कही खबर नही थी
खबर तो दो और लोगो की नही थी , अरुण और राहुल ।
छत पर बाथरूम के पास दातून घुमाते हुए राहुल अरुण के मोबाइल मे वो तस्वीरें देख रहा था जो बीती रात उन्होने चुदाई के बाद निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई इसका देख साली ने कैसी टाँगे खोल कर वीडियो बनाई है , बोली है जानू जब भी मेरी याद आये इसे देख कर हिला लेना
राहुल हस कर अरुण के मोबाइल मे गीता की एक सेल्फी मोड पर बनाई हुई नंगे जिस्म की वीडियो देख कर - यार साली है जबरजस्त बहिनचोद चोदने नही दिया इसकी बहन ने
अरुण हस कर - हा तो मुझे ही कहा मिली तेरी वाली हिहिहिही ,
राहुल - मुझे यकीन नही हो रहा है कि इतना ओपन और horny के बाद यहा तक कि दोनो lesbo भी है मगर लन्ड के इत्नी पोजेसिव हाहहहा मतलब साला swap करने नही दिया
अरुण - वही ना भाई , मगर अब क्या ही कर सकते है , ना जाने कब आना हो और कब मौका मिले
राहुल - अरे यार छुट्टियो मे जाउन्गा ना मै अनुज के साथ हिहिही
अरुण - हा लेकिन मेरा
राहुल - अरे तब की तब देखन्गे , फिलहाल अब आगे का सोचते है हिहिही और कितने दिन रुकने वाला है तु
अरुण - यार पता नही कुछ , बड़ी मम्मी जबतक रुके मुझे भी रुकना ही पड़ेगा
राहुल - चल कोई बात नही मेरे साथ मेरे घर मस्ती करना और क्या
अरुण - हा यार यहा उतना मन नही लग रहा है अब , ये घर मे रुका तो गीता की याद आयेगी ही
राहुल हस कर - साले , प्यार तो नही हो गया ,ना तुझे
अरुण खिलखिलाकर - हा मेरे लन्ड को हो गया है हिहिहीही
राहुल के घर
घर के काम निपटा कर झाडू कटका करती हुई हाल मे आ पहुची
इधर कमलनाथ कही दिख नही रहा था तो उसने बालटी लेके हाल मे पोछा लगाना शुरु कर दिया
उसी समय कमलनाथ दुकान वाले गलियारे से हाल मे दाखिल हुआ हाथ मे खैनी रगड़ते हुए और उसकी नजर सामने शालिनी पर गयी , जिसके सीने से पल्लू उतरा हुआ था और उसकी लो कट ब्लाउज स आधे से ज्यादा चुचिया बाहर झूलती हुई हिल रही थी
कमलनाथ खैनी का फाका मारते हुए तौलिये के उपर से अपना मुसल रगड़ा और हाल मे दाखिल हुआ
शालिनी की नजर जैसे ही कमलनाथ पर गयी उसकी नजर तौलिये मे बने तम्बू पा गयी और तभी उसको अपनी खुली छातियों का ख्याल आया ,झट से उसने अपना पल्लू सही करते हुए असहज भरी मुस्कान से कमलनाथ को देखा ।
कमलनाथ ने भी अपनी ओछे उन्माद मे मुस्कुरा कर आगे बढ गया ।
बाथरूम की ओर जाते देख शालिनी ने एक बार हिम्मत करके गैलरी मे देखा तो पाया कि कमलनाथ तौलिये के आगे हाथ लगा कर खुजा रहा है ।
शालिनी के लिए ये चिंता का विषय हो गया ।
जंगी दुकान खोलकर साफ सफाई मे लगा हुआ था और अनुज अभी तक सोया हुआ था ।
शालिनी ने थोडे ही देर मे पोछा कम्प्लीट किया और अनुज को जगाने के लिए चली गयि ।
शालिनी - उठ बेटा सुबह हो गयी है , चल फ्रेश हो जा
अनुज उसकी कलाई पकड कर - उम्म्ं चाची आओ ना , थोड़ी देर मेरे पास सोवो ना
शालिनी हस के - धत्त बदमाश वो सब बाद मे , पहले तु उठ
अनुज ने अंगदायी ली और उसका लन्ड पाजामे मे तना हुआ था
जिसपे शालिनी ने मस्ती मे उसका टीशर्त फेक कर ढकते हुए - उठ जा और उसको भी जगा दे हिहिही
अनुज - नही उसको आप ही जगाओ
शालिनी- धत्त बदमाश उठ और जाकर उपर वाले बाथरूम मे फ्रेश हो ले , निचे तेरे मौसा नहाने गये है ।
अनुज उठा और उपर निकल गया
कुछ देर बाद
"अरे जन्गीईई भाईई "
" अनुज , भाभी जीईई "
"कोई सुन रहा है क्या "
शालिनी को किचन मे कमलनाथ की आवाज आई
शालिनी भागके जीने के पास गयी , जहा कमलनाथ बाथरूम के बाहर सिर्फ एक तौलिये मे नहा खड़ा था ,
कमलनाथ - अह भाभी भाईसाहब की कोई बनियान या फिर शर्ट मिलेगी वो मैने मेरे कपडे धूल दिये तो !!
शालिनी ने एक नजर कमलनाथ के तंदुरुस्त बदन और बाहर निकले पेट को देखा और फिर जंगी के बदन का सोच कर बोली - हा लेकिन उनके कपडे आपको कैसे होगे
कमलनाथ - अरे कोई ढीला शर्ट भी हो तो चलेगा
शालिनी - ठिक है देखती हु
शालिनी कमरे मे गयी और वापस खाली हाथ आई - सॉरी नही है ऐसा कुछ,
कमलनाथ - तो मै ऐसे कैसे रहू
शालिनी - अच्छा आप मेरे कमरे मे बैठिये मै आपके कपड़े ड्रायर मे डाल देती हु फिर हल्का सा धूप लग जायेगा तो सुख जायेगा
कमलनाथ को विचार सही लगा और वो शालिनी के कमरे मे चला गया ।
थोड़ी देर बाद शालिनी उसके लिए नासता लेके आई और फिर चली गयी ।
कमलनाथ वैसे ही तौलिये मे बैठा हुआ नास्ता कर रहा था ।
वही जैसे ही अनुज नहा कर आया तो शालिनी ने उसको भी नास्ता दिया करने को और वो राहुल के कपडे पहन कर नास्ता करने लगा
अनुज का नास्ता करने के दौरान शालिनी ने कमलनाथ के कपड़े सूखने के लिये छत पर डाल दिये
वही जब अनुज नास्ता कर लिया तो शालिनी ने उसे दुकान पर जाकर चाचा को भितर आने को बोल दिया
जन्गी हाल मे आया और कमलनाथ को ना पाकर शालिनी से पुछने किचन मे चला गया
किचन मे उसको पीछे से उस्की गाड़ को स्पर्श किया ही था कि शालिनी एक दम से चौक गयी
जंगी हस कर - अरे जानू मै हु
शालिनी - क्या आप भी कितनी चोरी चोरी आते हो
जन्गी उसको पीछे से पकड कर अपना मुसल उसके गाड़ मे चुबोता हुआ - अरे मेरी जान चोरी चोरी करने मे ही मजा है हिहिही
शालिनी - अच्छा जी तभी भतिजे के पीठ पीछे आप रात मे हिहिहही
जन्गी उसकी गुदाज चुचीया हाथो मे भरता हुआ - सीईई आह्ह मेरी जान मै तो चाहू दिन मे भी पेल दू तुम्हे
"बस ये कमल भाई कहा है ये पता चल जाये " जन्गी किचन से बाहर ताक झाक करते हुए फुसफुसाया ।
शालिनी हस कर - वो हमारे कमरे मे है
जन्गी - क्यू ?
शालिनी - अरे वो क्या हुआ !!!
फिर शालिनी ने सारी व्यथा बताई
जंगी उसकी रस भरी चुचिया मसल्ता हुआ - आह्ह जान तब तो सुबह का नासता मुझे यही देदो
शालिनी - मतलब
जंगी ने झुक कर उसकी साडी पेतिकोट सहित उठाई और अपना मुह सिधा उसकी बुर मे दे दिया
शालिनी खिलखिलाई , कसमसाइ और फिर सिस्कने लगी
सुबह जंगी की रुखी जीभ उसके सूखे फाको पर रेन्गने लगी और उसके पाव कापने लगे , वो उसके सर को थाम कर अपने शरीर का बैलेंस बनाती हुई थोडा झुकी हुई थी
उसकी मादक सिस्किया उठने लगी थी , चेहरा पूरा भिन्चा हुआ था और आंखे बन्द थी
जैसे ही उसकी आन्खे खुली किचन के बाहर गैलरी मे कमलनाथ तौलिये खड़ा था , उसके हाथ मे नास्ते की थाली ग्लास थे
उस्का मुह खुला हुआ था और लन्ड तौलिये मे उफनाया हुआ था ।
शालिनी की नजर जैसे कमलनाथ से टकराई वो सकपका गयि , इससे पहले कि वो जन्गी को दूर हटाती कमलनाथ ने अपने मुह पर हाथ रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया
और खुद कमरे जा रहा है ऐसे ही इशारे मे बोला
फिर वो कमरे मे लौट गया ,
शालिनी की सारी कामोत्तेजना फीकी शरबत की तरह बह गयी
जन्गी को मजा तो आया मगर शालिनी के लिए बहुत ही असमंज्स की स्थिति आ खडी हुई ।
जंगी ने नासता किया और फिर दुकान मे चला गया ।
वही चाचा के आने पर अनुज भी घर के लिए निकल गया क्योकि उसे पता था कि उसके नानू और बहने सुबह ही निकलने वाले है ।
अमन के घर
" ह्म्म्ं देखू तो मेरी देवरानी को , ओहो देखो कैसे अन्ग अन्ग खिला हुआ है " , दुलारी ने सोनल की चिकनी कमर को चिमटी काटते हुए खिलखिलाई ।
सोनल - आह्ह भाभीई धत्त , सीईई बाबा दर्द हो रहा है और सोनल साडी अपनी कमर से हटा कर उसको देखते हुए लाल हुए जगह को सहलाने लगी ।
दुलारी- हाय दैया यहा सिर्फ छूने भर से लाल हो गया तो वहा की लाली अभी भी होगी , दिखाओ ना देवरानी जी
अपने सास के कमरे के बाहर गैलरी मे खडी सोनल को और भी लाज आ रही थी , जवाब एक से एक रखे थे उस्के पास मगर एक दिन की दुल्हन का लिहाज रखना था उसे भी तो वो बस हसती शर्माने लगी ।
दुलारि ने हाथ बढा कर निचे झुक कर उसकी साडी उठानी चाही तो वो हसती खिलखिलाती हुई तेज कदमौ से बाहर हाल की ओर भागी और सामने से मदन आ रहा था ।
वो और दुलारी एकदम से शान्त हो गये और सोनल ने झटसे आगे बढ कर मदन के पाव छूने लगी और उसकी साडी का पल्लू उसके सीने से उतर गया
और भरा पुरा जोबन डीप गले वाले बेहतरीन लैसदार वाला ब्लाउज जोबन की गोरी घाटियों सहित मदन के आंखो के साम्ने ।
अपने चाचा ससुर की बढ़ी हुई आंखो की चमक से सोनल का ध्यान खुद पर गया और वो झट से अपने सीने को आन्च्ल से ढकती हुई खड़ी हो गयी ।
शर्म से उसकी नजरे झुकी हुई और मदन भी नजरे फेरे हुए उसको खुश रहने का आशीर्वाद देता हुआ उपर छत की ओर निकल गया ।
वही दुलारी मुह पर हाथ रखे हुए हसे जा रही थी और सोनल का शरीर कांप रहा था ।
ससुराल मे पहली सुबह और ये क्या हो गया उसके साथ ।
खुद की हसी को रोकती हुई दुलारि सोनल को हौसला देती हुई बाकी मेहमानो से मिलाने के लिए लेके जाने लगती है ।
सोनल को दुलारि का खिलखिलापं देख कर चिढ़ भी हो रही थी और हसी भी आ रही थी मगर वो कर भी क्या सकती थी ।
दुलारी- टेंशन मत लो , अब यहा कोई डर नही है
सोनल - क्यू ?
दुलारि - अरे यहा हम सब औरते ही है , यहा अगर तुम्हारा पल्लू तुमसे बईमानी कर भी जाये तो क्या गम , जो दिखेगा वो तो सब्के पास है हिहिहिही
सोनल घून्घट मे हसने लगी और मेहमानों के बिच जाकर बैठ गयी ।
जहा ना जाने कैसी और क्या बाते होने वाली थी , ये उसके लिए अनोखा अनुभव होने वाला था ।
जारी रह
Super Update BhaiUPDATED 197
सुबह साढ़े पांच शालिनी ने अंगड़ाई ली और पेट के बल लेटे हुए गरदन फेर कर देखा तो अनुज गहरी नीद मे बेफिर एक ओर पहले के जैसे करवट लेके ही लिये ही सोया - हिहि इसको सिर्फ ऐसे ही सोने आता है क्या , पागल कही का
तभी उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर गयी जो लगभग आधे से ज्यादा खुली हुई थी , शालिनी ने झट से अपना ब्लाउज खोजने लगी और उस्का ध्यान अपनी गाड़ पर चढ़े हुए पेटिकोट पर गया - हाय दईयाआ ये कैसे हुआ ?? कही अनुज तो नही , नही नही ये तो सोया है । या फिर निशा के पापा ? नही वो आते तो दरवाजे को ऐसे नही ना छोड़ते ये जानते हुए कि घर मे एक और मर्द है ।
शालिनी आखे बड़ी कर बड़बड़ाई " तो क्या अनुज के मौसा ? "
तभी शालिनी को एक धुंधली छवि याद आई कि रात के एक पहर कमरे मे कुछ आहट जरुर हुई थी और उससे अपनी जांघ खुजाई थी ।
शालिनी झट से उठी और कमरे के बाहर हाल मे झाक कर देखा तो कमलनाथ सोफे पर बैठे बैठे हुए सोता दिखा
अब शालिनी को यकीन हो गया था कि उसकी लापरवाही से कितनी बड़ी गलती हो गयी ।
उसने झट पट से अपनी साडी लपेटी और बाथरूम चली गयी ।
रंगी - बनवारी
सुबह तड़के ही बाथरूम मे फ्लश की आवाज सुन कर रंगी को आंख खुल गयी और थोडी ही देर बाद उसने देखा कि बनवारी बाहर आ रहा है ।
दोनो की नजरे टकराई और रंगी उठ कर मुस्कुराते हुए बैठ गया ।
रन्गी - आईये बाऊजी बैठीये
पेट खाली होने के बाद बनवारि को राहत हो रही थी वही रंगी तकिये के पास कुछ ढूढ रहा था ।
बनवारी- क्या हुआ जमाई बाबू
रन्गी थोड़ा असहज थोडा हसता हुआ - जी बाऊजी वो मेरी चुनौटी नही मिल रही है , वो सुबह सुबह प्रेशर नही आता जब तक ....हिहिहिहो
बनवारी हस कर उठा - अच्छा रुको मै देता हू , हाहाहा
रन्गी के लिये बहुत ही अटपटा लग रहा था कि उसका ससुर उसे अपनी तम्बाकू की डिबिया थमा रहा था - अरे लो दामाद बाबू , मेरा भी यही हाल है बिना चबाये सुबह की पेसाब ना उतरे , अम्ल ऐसी चीज है
रन्गी उसकी हा मे हा मिलाता हुआ - आपके लिए भी बना दू बाऊजी
बनवारी थोडा सोचा और फिर - अह बना ही दो , अभी कौन सा बाहर जाना है
रन्गी अपनी हथेली मे तम्बाकू रगड़ता हुआ - क्यू बाऊजी बाहर जाने मे क्या दिक्कत है
बनवारि हस कर - कुछ नही छोड़ो
रंगी अपनी हथेली आगे बढा कर तम्बाकू अपने ससुर को देता हुआ - अरे बताईये ना
बनवारी- दरअसल ये वाला तम्बाकू बहुत तगड़ा है , तो हिसाब से लेना पडता है मुझे
रंगी - क्यू सर पकडता है क्या ये ?
बनवारी अपने निचले होठ मे तम्बाकू रखता हुआ - सर नही कुछ और ही जोर पकड लेता है
रन्गी असमंजस मे - मतल्व
बनवारी हस कर- अरे वो निचे असर होने लगता है
रंगी हस पड़ा और तम्बाकू का बिरा अपने मुह मे रखता हुआ - क्या बाऊजी आप भी हिहिही
बनवारी- अभी खुद ही पता चल जायेगा तुमको
रंगी मजाक मजाक मे - तो कही परसो इसी तम्बाकू का कमाल तो नही था ना जो रन्जू भाभी के साथ हहाहहा
बनवारी का चेहरा शान्त हो गया और अपने ससुर को भाव विहीन देख कर रंगी को लगा उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया - सॉरी बाऊजी ,
अगले ही पल बनवारी हस पड़ा- अरे तुम सही कह रहे हो जमाई बाबू , कुछ तो इसका ही असर था और बाकी
रन्गी मुस्कुरा कर - बाकी क्या ?
बनवारी- बाकी जमुना बहू की दीन-दया हाहाहहा
रन्गी हसत हुआ - आप भी ना बाऊजी सच मे कमाल के हो
बनवारी हस कर - अरे कमाल तो ये है कि मेरे जमाई बाबू बड़े खुले दिल वाले मिले है , नही तो उस दिन की बात पर ना जाने क्या क्या हो जाता ।
रंगी - अह छोडिए ना बाउजि , आप दोनो ने एक दुसरे की जरुरत को समझा बस यही काफी है
बनवारी का दिमाग ठनका - मतलब
रन्गी - अह छोडिए ना बाऊजी जो हो गया उसकी क्या चर्चा
बनवारी- तुम जरुर कुछ छिपा रहे हो जमाई बाबू
रन्गी - अब आपसे क्या छिपाना बाऊजी , रंजू भौजी की हालत आपके जैसी ही है
बनवारी - मतलब
रन्गी - मतलब जमुना भैया अब रस नही लेते भौजी मे
बनवारी- लेकिन तुम्हे कैसे पता ?
रन्गी - ये सब बाते छिपे छिपाई थोड़ी ना रह पाती है बाऊजी ,
बनवारी- हा वो भी है
रंगी - वैसे एक बात सच कही बाऊजी ने आपने
बनवारी- क्या ?
" तम्बाकू आपका सच मे जोर पकडता है " , रन्गी ने जान्घिये मे बने हुए तम्बू की ओर इशारा करते हुए कहा ।
बनवारी खिलखिला कर हस पड़ा ।
बनवारी- जाकर पेसाब कर लो , आराम हो जायेगा
रंगी - अच्छा तो उपचार भी मालूम है आपको हाहहहा
बनवारी- भई 40साल का अनुभव है हाहाहाहा
रन्गी - हा लेकिन बाऊजी हर बार तो पेसाब से असर तो नही जाता होगा ना
बनवारी - हा ये बात भी सही है
रन्गी - तो उसके लिए कोई जुगाड तो होगा ही ना क्यूँ
बनवारी हस कर - सब भेद अभी जान लोगे , आओ कभी ससुराल अपने भेद और छेद दोनो बताएंगे
रन्गीलाल खिलखिलाहर हस पड़ा - तो क्या आज सच मे ही वापस जाना है बाऊजी
बनवारी- तुमसे बात करके इच्छा तो नही हो रही है , लेकिन बच्चो का स्कूल और गल्ले का काम अकेले तुम्हारे साले से होगा नही तो जाना पडेगा ही
रन्गी - अच्छा ठिक है बाऊजी जैसी आपकी मर्जी , मै जरा जा रहा हु सच मे प्रेशर तेज कर दिया इसने तो हाहा
बनवारी हस कर - हा हा जाओ जाओ
अमन के घर
"धत्त क्या कर रहो बन्द करों ना उसे "
" वॉव सो सेक्सी बेबी आह्ह क्या जबरजस्ट गाड़ है तुम्हारी "
" अच्छा ऐसा क्या , तो अच्छे से देखो ना मेरी जान " सोनल ने ब्लाउज पहने हुए सिर्फ़ पैंटी मे अपनी बड़ी मोटी गाड अमन की ओर घुमा कर उसको दिखाते हुए बोली ।
अमन उसकी रसिली चिकनी गाड़ के तस्वीरे निकालता हुआ अपना उफनाया मुसल अंडरवियर के उपर से मसल रहा था ।
वो लपक कर आगे बढ़ कर उसकी नंगी चुतड को हाथ मे दबोचता हुआ गाड की दरारो मे उंगली पेल कर उसके भिगे बालों के पास चुम्बन करता हुआ - उफ्फ़ बेबी तुमने तो मूड बना दिया उह्ह्ह
सोनल को हसी आई और वो कसमसा कर अमन से दूर होती हुई - क्या न्हीईई , जाओ पहले नहाओ अभी नीचे पूजा करने जाना
सोनल के मना करने के अमन का मूड थोड़ा खीझा और वो भिनककर वापस से सोनल के हाथ पकड कर उससे मनाता हुआ - यार बेबी , वो भी कर लेन्गे ना अभी इस्का कुछ करो ना
सोनल भले ही अमन को तरसा रही थी मगर उसकी सासे भी अमन के अंडरवियर मे फड़कते लन्ड को देख कर मचल रही थी ।
मगर इस्से पहले कि वो कुछ कहती , दरवाजे दस्तक हुई
सोनल हड़बड़ा कर - भागो भागो मुझे कपड़ा पहनने दो , कोई आया है
अमन भी लाज के मारे तेजी से बाथरूम के घुस गया और सोनल जल्दी जल्दी पेतिकोट डाल कर साडी लपेटने लगी
इधर हर बीतते पल के साथ दरवाजे को पीटा जा रहा था और खुसफुसाहट भरी हसी की किलकारीयां भी उठ रही थी ।
सोनल को समझते देर नही लगी जरुर उसकी जेठानी दुलारि और चुलबुली ननद रिन्की ही होंगे ।
सोनल ने दो मिंट मे आने का बोल कर साडी लपेटी और दरवाजा खोला ।
दरवाजा खुलते हुए रिन्की झट से कमरे मे दाखिल हुई और पीछे पीछे दुलारी
दुलारी- बड़ा समय ले लिया देवरानी जी दरवाजा खोलने मे ,,कुछ कर रही थी क्या ?
सोनल साडी का पल्लू अपने सर पर चढाती हुई मुस्कुराती शर्माती हुई - जी वो कपडे पहन रही थी ।
मौके का फाय्दा लेके दुलारि ने मजा लिया - हाय दईया कहा है देवर जी , ना पूजा ना पाठ , मुह मे बिचारि के निवाला नही गया और सुबह सुबह कपड़ा उतार दिया मेरी देवरानी का , कहा है नवाब साहब
दुलारि की मस्ती पर सोनल मुह फेर कर हसने लगी - क्या भाभी आप भी , वो मै नहा कर आई थी तो ?,,
रिन्की वही बगल मे खड़ी खिखीया रही थी ।
दुलारी- हा लेकिन ये बिना बुद्धि का बैल है कहा, सूरज सर पर चढ आया है , नीचे सब लोग इंतजार कर रहे है
सोनल - जी वो बस नहाने गये है
दुलारी- अच्छे से तैयार होकर सब रत्न जेवर पहन कर और सौदा सजा कर उतरना , मुहल्ले के जौहरियों की बिवियां आ रही है , कुछ कमी नही मिले मेरी देवरानी मे
सोनल मुस्कुराई और हा मे सर हिला कर दरवाजा बन्द कर दिया
राज के घर
सुबह की अंगड़ाई , अलार्म और घर मे चल रही चहल पहल से राज की नीद खुल गयी ।
पैरों को तान कर अंडरवियर मे बने त्म्बू को भींचता हुआ वो खडा हुआ , एक बड़ी उबासी और नजर मोबाईल की जल रही स्क्रीन पर गयी ।
नोटीफीकेशन मे व्हाट्सअप मैसेज के अलर्ट आये हुए थे ।
लपक कर मोबाईल उठा कर लॉक खोलता हुआ बाथरूम मे घुस गया ।
देसी टोइलेट सीट पर चुतड टिका कर बैठा था और तेज पडपड़ाहट के साथ पेट खाली हो रहा था कि उसकी आंखे मोबाइल स्क्रीन को देख कर चमक उठी ।
एक एक करके धडाधड़ तीन स्नैपस लोड होने लगे और जैसे ही डाउनलोडिंग पूरी हुई चटक लाल साडी मे कातिल अदाये दिखाती
राज की दीदी सोनल की उसकी सुहागरात के बाद की पहली तस्वीर थी
सेक्सी कामुक अदाये और उसपे से उसकी चर्बीदार गाड़ के उभार देखते हुए उसके झूलते लन्ड
आड़ो सहित तन गये ।
सोनल ने सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी मे अपनी गाड़ दिखाते हुए बहुत ही सेक्सी तस्वीरें निकाली थी ।
तस्वीरें देख साफ लग रहा था कि सोनल ने किसी कह निकलवाई है "और होगा भी कौन साले जिजा के अलावा , साफ दिख रहा था बहिनचोद ने मेरी बहन चोद दी है रात मे " , राज अपना तने हुआ मुसल को सहलात हुआ बुदबदाया ।
उनकी चुदाई का सोच कर राज लन्ड फड़फडा रहा था और टट्टी गाड़ मे ही अटक गयी
तभी कमरे मे उसके नानू के आने की आवाज आई, वो बाथरूम का दरवाजा पीट रहे थे तो राज भी जल्दी से गाड़ धूल कर बाहर आ गया ।
पता चला कि नानू की फैमिली तैयार होकर हाल मे बैठी है , समय देखा तो 8 बजने को हो रहे थे ।
किचन मे रीना और निशा भिड़ें हुए थे । मम्मी मौसी को लेके मामी की विदाई के लिए कुछ समान जोड रही थी , पापा भी मुह मे ब्रश डाले हाल मे बैठे हुए कुछ हिसाब किताब मे लगे थे ।
इनसब से अलग अनुज , चाची चाचा और मौसा की कही खबर नही थी
खबर तो दो और लोगो की नही थी , अरुण और राहुल ।
छत पर बाथरूम के पास दातून घुमाते हुए राहुल अरुण के मोबाइल मे वो तस्वीरें देख रहा था जो बीती रात उन्होने चुदाई के बाद निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई इसका देख साली ने कैसी टाँगे खोल कर वीडियो बनाई है , बोली है जानू जब भी मेरी याद आये इसे देख कर हिला लेना
राहुल हस कर अरुण के मोबाइल मे गीता की एक सेल्फी मोड पर बनाई हुई नंगे जिस्म की वीडियो देख कर - यार साली है जबरजस्त बहिनचोद चोदने नही दिया इसकी बहन ने
अरुण हस कर - हा तो मुझे ही कहा मिली तेरी वाली हिहिहिही ,
राहुल - मुझे यकीन नही हो रहा है कि इतना ओपन और horny के बाद यहा तक कि दोनो lesbo भी है मगर लन्ड के इत्नी पोजेसिव हाहहहा मतलब साला swap करने नही दिया
अरुण - वही ना भाई , मगर अब क्या ही कर सकते है , ना जाने कब आना हो और कब मौका मिले
राहुल - अरे यार छुट्टियो मे जाउन्गा ना मै अनुज के साथ हिहिही
अरुण - हा लेकिन मेरा
राहुल - अरे तब की तब देखन्गे , फिलहाल अब आगे का सोचते है हिहिही और कितने दिन रुकने वाला है तु
अरुण - यार पता नही कुछ , बड़ी मम्मी जबतक रुके मुझे भी रुकना ही पड़ेगा
राहुल - चल कोई बात नही मेरे साथ मेरे घर मस्ती करना और क्या
अरुण - हा यार यहा उतना मन नही लग रहा है अब , ये घर मे रुका तो गीता की याद आयेगी ही
राहुल हस कर - साले , प्यार तो नही हो गया ,ना तुझे
अरुण खिलखिलाकर - हा मेरे लन्ड को हो गया है हिहिहीही
राहुल के घर
घर के काम निपटा कर झाडू कटका करती हुई हाल मे आ पहुची
इधर कमलनाथ कही दिख नही रहा था तो उसने बालटी लेके हाल मे पोछा लगाना शुरु कर दिया
उसी समय कमलनाथ दुकान वाले गलियारे से हाल मे दाखिल हुआ हाथ मे खैनी रगड़ते हुए और उसकी नजर सामने शालिनी पर गयी , जिसके सीने से पल्लू उतरा हुआ था और उसकी लो कट ब्लाउज स आधे से ज्यादा चुचिया बाहर झूलती हुई हिल रही थी
कमलनाथ खैनी का फाका मारते हुए तौलिये के उपर से अपना मुसल रगड़ा और हाल मे दाखिल हुआ
शालिनी की नजर जैसे ही कमलनाथ पर गयी उसकी नजर तौलिये मे बने तम्बू पा गयी और तभी उसको अपनी खुली छातियों का ख्याल आया ,झट से उसने अपना पल्लू सही करते हुए असहज भरी मुस्कान से कमलनाथ को देखा ।
कमलनाथ ने भी अपनी ओछे उन्माद मे मुस्कुरा कर आगे बढ गया ।
बाथरूम की ओर जाते देख शालिनी ने एक बार हिम्मत करके गैलरी मे देखा तो पाया कि कमलनाथ तौलिये के आगे हाथ लगा कर खुजा रहा है ।
शालिनी के लिए ये चिंता का विषय हो गया ।
जंगी दुकान खोलकर साफ सफाई मे लगा हुआ था और अनुज अभी तक सोया हुआ था ।
शालिनी ने थोडे ही देर मे पोछा कम्प्लीट किया और अनुज को जगाने के लिए चली गयि ।
शालिनी - उठ बेटा सुबह हो गयी है , चल फ्रेश हो जा
अनुज उसकी कलाई पकड कर - उम्म्ं चाची आओ ना , थोड़ी देर मेरे पास सोवो ना
शालिनी हस के - धत्त बदमाश वो सब बाद मे , पहले तु उठ
अनुज ने अंगदायी ली और उसका लन्ड पाजामे मे तना हुआ था
जिसपे शालिनी ने मस्ती मे उसका टीशर्त फेक कर ढकते हुए - उठ जा और उसको भी जगा दे हिहिही
अनुज - नही उसको आप ही जगाओ
शालिनी- धत्त बदमाश उठ और जाकर उपर वाले बाथरूम मे फ्रेश हो ले , निचे तेरे मौसा नहाने गये है ।
अनुज उठा और उपर निकल गया
कुछ देर बाद
"अरे जन्गीईई भाईई "
" अनुज , भाभी जीईई "
"कोई सुन रहा है क्या "
शालिनी को किचन मे कमलनाथ की आवाज आई
शालिनी भागके जीने के पास गयी , जहा कमलनाथ बाथरूम के बाहर सिर्फ एक तौलिये मे नहा खड़ा था ,
कमलनाथ - अह भाभी भाईसाहब की कोई बनियान या फिर शर्ट मिलेगी वो मैने मेरे कपडे धूल दिये तो !!
शालिनी ने एक नजर कमलनाथ के तंदुरुस्त बदन और बाहर निकले पेट को देखा और फिर जंगी के बदन का सोच कर बोली - हा लेकिन उनके कपडे आपको कैसे होगे
कमलनाथ - अरे कोई ढीला शर्ट भी हो तो चलेगा
शालिनी - ठिक है देखती हु
शालिनी कमरे मे गयी और वापस खाली हाथ आई - सॉरी नही है ऐसा कुछ,
कमलनाथ - तो मै ऐसे कैसे रहू
शालिनी - अच्छा आप मेरे कमरे मे बैठिये मै आपके कपड़े ड्रायर मे डाल देती हु फिर हल्का सा धूप लग जायेगा तो सुख जायेगा
कमलनाथ को विचार सही लगा और वो शालिनी के कमरे मे चला गया ।
थोड़ी देर बाद शालिनी उसके लिए नासता लेके आई और फिर चली गयी ।
कमलनाथ वैसे ही तौलिये मे बैठा हुआ नास्ता कर रहा था ।
वही जैसे ही अनुज नहा कर आया तो शालिनी ने उसको भी नास्ता दिया करने को और वो राहुल के कपडे पहन कर नास्ता करने लगा
अनुज का नास्ता करने के दौरान शालिनी ने कमलनाथ के कपड़े सूखने के लिये छत पर डाल दिये
वही जब अनुज नास्ता कर लिया तो शालिनी ने उसे दुकान पर जाकर चाचा को भितर आने को बोल दिया
जन्गी हाल मे आया और कमलनाथ को ना पाकर शालिनी से पुछने किचन मे चला गया
किचन मे उसको पीछे से उस्की गाड़ को स्पर्श किया ही था कि शालिनी एक दम से चौक गयी
जंगी हस कर - अरे जानू मै हु
शालिनी - क्या आप भी कितनी चोरी चोरी आते हो
जन्गी उसको पीछे से पकड कर अपना मुसल उसके गाड़ मे चुबोता हुआ - अरे मेरी जान चोरी चोरी करने मे ही मजा है हिहिही
शालिनी - अच्छा जी तभी भतिजे के पीठ पीछे आप रात मे हिहिहही
जन्गी उसकी गुदाज चुचीया हाथो मे भरता हुआ - सीईई आह्ह मेरी जान मै तो चाहू दिन मे भी पेल दू तुम्हे
"बस ये कमल भाई कहा है ये पता चल जाये " जन्गी किचन से बाहर ताक झाक करते हुए फुसफुसाया ।
शालिनी हस कर - वो हमारे कमरे मे है
जन्गी - क्यू ?
शालिनी - अरे वो क्या हुआ !!!
फिर शालिनी ने सारी व्यथा बताई
जंगी उसकी रस भरी चुचिया मसल्ता हुआ - आह्ह जान तब तो सुबह का नासता मुझे यही देदो
शालिनी - मतलब
जंगी ने झुक कर उसकी साडी पेतिकोट सहित उठाई और अपना मुह सिधा उसकी बुर मे दे दिया
शालिनी खिलखिलाई , कसमसाइ और फिर सिस्कने लगी
सुबह जंगी की रुखी जीभ उसके सूखे फाको पर रेन्गने लगी और उसके पाव कापने लगे , वो उसके सर को थाम कर अपने शरीर का बैलेंस बनाती हुई थोडा झुकी हुई थी
उसकी मादक सिस्किया उठने लगी थी , चेहरा पूरा भिन्चा हुआ था और आंखे बन्द थी
जैसे ही उसकी आन्खे खुली किचन के बाहर गैलरी मे कमलनाथ तौलिये खड़ा था , उसके हाथ मे नास्ते की थाली ग्लास थे
उस्का मुह खुला हुआ था और लन्ड तौलिये मे उफनाया हुआ था ।
शालिनी की नजर जैसे कमलनाथ से टकराई वो सकपका गयि , इससे पहले कि वो जन्गी को दूर हटाती कमलनाथ ने अपने मुह पर हाथ रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया
और खुद कमरे जा रहा है ऐसे ही इशारे मे बोला
फिर वो कमरे मे लौट गया ,
शालिनी की सारी कामोत्तेजना फीकी शरबत की तरह बह गयी
जन्गी को मजा तो आया मगर शालिनी के लिए बहुत ही असमंज्स की स्थिति आ खडी हुई ।
जंगी ने नासता किया और फिर दुकान मे चला गया ।
वही चाचा के आने पर अनुज भी घर के लिए निकल गया क्योकि उसे पता था कि उसके नानू और बहने सुबह ही निकलने वाले है ।
अमन के घर
" ह्म्म्ं देखू तो मेरी देवरानी को , ओहो देखो कैसे अन्ग अन्ग खिला हुआ है " , दुलारी ने सोनल की चिकनी कमर को चिमटी काटते हुए खिलखिलाई ।
सोनल - आह्ह भाभीई धत्त , सीईई बाबा दर्द हो रहा है और सोनल साडी अपनी कमर से हटा कर उसको देखते हुए लाल हुए जगह को सहलाने लगी ।
दुलारी- हाय दैया यहा सिर्फ छूने भर से लाल हो गया तो वहा की लाली अभी भी होगी , दिखाओ ना देवरानी जी
अपने सास के कमरे के बाहर गैलरी मे खडी सोनल को और भी लाज आ रही थी , जवाब एक से एक रखे थे उस्के पास मगर एक दिन की दुल्हन का लिहाज रखना था उसे भी तो वो बस हसती शर्माने लगी ।
दुलारि ने हाथ बढा कर निचे झुक कर उसकी साडी उठानी चाही तो वो हसती खिलखिलाती हुई तेज कदमौ से बाहर हाल की ओर भागी और सामने से मदन आ रहा था ।
वो और दुलारी एकदम से शान्त हो गये और सोनल ने झटसे आगे बढ कर मदन के पाव छूने लगी और उसकी साडी का पल्लू उसके सीने से उतर गया
और भरा पुरा जोबन डीप गले वाले बेहतरीन लैसदार वाला ब्लाउज जोबन की गोरी घाटियों सहित मदन के आंखो के साम्ने ।
अपने चाचा ससुर की बढ़ी हुई आंखो की चमक से सोनल का ध्यान खुद पर गया और वो झट से अपने सीने को आन्च्ल से ढकती हुई खड़ी हो गयी ।
शर्म से उसकी नजरे झुकी हुई और मदन भी नजरे फेरे हुए उसको खुश रहने का आशीर्वाद देता हुआ उपर छत की ओर निकल गया ।
वही दुलारी मुह पर हाथ रखे हुए हसे जा रही थी और सोनल का शरीर कांप रहा था ।
ससुराल मे पहली सुबह और ये क्या हो गया उसके साथ ।
खुद की हसी को रोकती हुई दुलारि सोनल को हौसला देती हुई बाकी मेहमानो से मिलाने के लिए लेके जाने लगती है ।
सोनल को दुलारि का खिलखिलापं देख कर चिढ़ भी हो रही थी और हसी भी आ रही थी मगर वो कर भी क्या सकती थी ।
दुलारी- टेंशन मत लो , अब यहा कोई डर नही है
सोनल - क्यू ?
दुलारि - अरे यहा हम सब औरते ही है , यहा अगर तुम्हारा पल्लू तुमसे बईमानी कर भी जाये तो क्या गम , जो दिखेगा वो तो सब्के पास है हिहिहिही
सोनल घून्घट मे हसने लगी और मेहमानों के बिच जाकर बैठ गयी ।
जहा ना जाने कैसी और क्या बाते होने वाली थी , ये उसके लिए अनोखा अनुभव होने वाला था ।
जारी रहेगी