Click anywhere to continue browsing...
Bahut bahut dhanywaad bhaiRomanchak kissewala update. Pratiksha agle rasprad update ki
Super hot update
Yar jaise is update mein aman aur murari baap bete dost ban Rahe hai jaise raj rangi aur Rahul jangi hai waise hi anuj aur rangi ko bhi dost ki Tarah dikhao
कहीं पुरानी बातें खुल रही हैं, तो कहीं बाप बेटे की यारी हो रही है,
कहीं छुप कर मसला मसली, तो कहीं हनीमून की तैयारी हो रही है।
PWD डिपार्टमेंट की तरह सबके कार्यों को साथ लेकर चलता हुआ अपडेट, अब कौनसा कार्य पूरा होगा और किसकी फाइल पर साहब तुनक जाएंगे देखने लायक होगा।
Dhakad update diya bhai aap ne kitna kamuk h maja hi aa gya
Jha ek trf murarai apni pasand ki heroine ki bat apne bete se krte hue land bhich rha h
Wahi dusri trf arun apni mami ki gand or chuchiyo ki tapish bardash nhi kr paya h
Jarur wo apna land hilayega sayed salini bhi ab uth kr muthne jaye or arun ki madak awaj k sath land hilata hua use pakad le to maja hi aa jayega bhai ji
Or yha raj ke ghar me shila apni suhagrat ki khani suna kr raj ko grm kr rahi h
Dekhte h aagle update me kya kya hota h but bhai ji update regulary diya kro na
Super Update Bhai![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
Keep It Up Waiting For Next Update
![]()
![]()
![]()
![]()
New update is postedRomanchak kissewala update. Pratiksha agle rasprad update ki
Nice Update BhaiUPDATE 202
अमन के घर
इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।
मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।
ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..
मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।
ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह
ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।
मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।
मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर
मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।
अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने
अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।
अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे
ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा
अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।
ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह
ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।
वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।
मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।
अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा
अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही
मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना
अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही
मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु
मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स
मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।
अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही
अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।
अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।
मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती
अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।
अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।
अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?
अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?
मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे
अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।
वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या
अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।
अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।
मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ
अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?
अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी
मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है
अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे
अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा
राहुल के घर
इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।
राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।
एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।
उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा
ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।
डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया
एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।
उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया
2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया
इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।
राज के घर
"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।
शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।
मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,
"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।
बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।
मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।
वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला
मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।
मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।
वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।
मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।
वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे
मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?
वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।
मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।
मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।
वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।
मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।
मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।
मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास
मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया
वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।
उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।
जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया
मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।
मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे
भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।
देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।
देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।
देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ
देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।
मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी
मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।
राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।
तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।
कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।
मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।
मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी
मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।
कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।
मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।
उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम
अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम
मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।
तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।
" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,
उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।
मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी
"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती
उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे
" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।
उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।
मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।
उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह
वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।
मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ
मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे
मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।
तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।
मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे
मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे
"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।
शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट
राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।
जारी रहेगी
Aise hi regula update dete Raho taki jalse Jala hum anuj aur ragini ka bhi Kuch dekhno k milue aur rangi k sath baap bete ki dostiUPDATE 203
अमन के घर
" नही मम्मी जी मै अकेले कही नही गयी ऐसे "
"अरे शादी के बाद पति के साथ नही जायेगी तो क्या अब हमारे साथ जायेगी " , ममता ने सोनल को समझाते हुए कहा ।
सोनल - हा आप चलो ना साथ मे मम्मी , फिर मुझे डर भी नही लगेगा ।
ममता हस कर - अरे तुम जवाँ जोड़ो के बीच मेरा क्या काम हिहिहिही मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने जाऊ तु भी ना बहू हिहिहिही
सोनल हस कर - अरे इसमे बूढ़े जवाँ की क्या बात है, मुझे अपनी सासु मा का साथ मिलेगा इससे बढ कर क्या चाहिये ।
ममता- तेरी बात ठिक है बहू लेकिन ऐसे समाज मे बात खुली तो लोग बातें बनायेंगे कि शादी के बाद भी अपनी मा के पल्लू से बन्धा रहता है अमन ।
सोनल - तो रहने देते है ना , मुझे वैसे भी अकेले जाना अच्छा नही लगता ।
ममता - अरे तो अपने मायके से किसी को लिवा ले , कह तो समधन जी से बात करू मै ।
सोनल - अच्छा तो इसको लेके लोग बातें नही बनायेंगे कि ब्याहने के बाद ये (अमन) जोरू के गुलाम हो गये , अपनी सगी मा को छोड कर सास को घुमाने ले गये हिहिही
ममता हसने लगी - हे भगवान तु भी ना कम नही है हिहिहिही अच्छा तो तु ही बता किसको साथ लिवा जायेगी ।
सोनल तपाक से बोली - मेरे चाचा की लड़की है ना निशा , अगर आप कहो तो ?
ममता - हम्म्म्म मतलब तेरा पूरा पूरा मन है घूमने का हिहिहिही
सोनल - जी मम्मी और निशा मेरी बहन कम सहेली ज्यादा है तो उसके साथ होने से मुझे दिक्कत नही होगी और शायद इनको भी टेन्सन कम हो क्योकि ये (अमन )भी तो पहली बार मेरे साथ बाहर जायेंगे ।
ममता - हम्मम्म बात तो तेरी ठिक है लेकिन क्या उसके पापा मम्मी इस बात के लिए राजी होंगे
सोनल - हा क्यूँ नही , हम लोग घूमने ही जा रहे है ना
ममता सोनल के भोलेपन पर मुस्कुराई और सोचने लगी , कि ये तो सच मे बहुत मासूम है और अगर ऐसी लड़की लन्ड चुसने से इंकार कर दे तो कोई बड़ी बात नही ।
ममता - अच्छा ठिक है इस बारे मे मै आज अमन के पापा से बात करूंगी , तु आराम कर
फिर ममता कमरे से निकली और गलियारे से होकर जिने की ओर जा रही थी कि भोला ने पीछे से आकर उसको पकड कर उपर सीढ़ीयो पर खिंच ले गया
ममता - आह्ह क्या कर रहे है कोई देख लेगा
भोला - ये क्या है भाभी , आप तो अपना काम निपटा कर हमे भूल ही गयी । इतना बड़ा फरेब वो भी हमसे । क्या क्या नही किया मैने आपकी खातिर बोलो ।
ममता मुस्कुराये जा रही थी - अच्छा बाबा हुआ क्या ?
भोला - हुआ क्या ? अभी भी आप पुछ रही है हुआ क्या ? अरे शादी को दो दिन हो गये और आप अपना वादा भूल जा रही है, कल तो मै घर जा रहा हु ना
ममता - अरे इतनी जल्दी , दो दिन और रुक जाते , सोनल के मायके से लोग आ रहे है ना ।
भोला - हा उसके लिए संगीता और रिन्की रुकेगी लेकिन मै निकल जाऊंगा
ममता कुछ सोचती हुई - अच्छा!
भोला - देखो भाभी अब बहुत तरसा लिया आपने मुझे , आज रात मुझे चाहिये तो चाहिये
ममता इतरा कर मुस्कुराई - क्या ?
भोला तिलमिलाया और अपना मुसल रगड़ते हुए ममता की चुत को उसकी सलवार के उपर से सहलाता हुआ - आह्ह भाभी आपकी ये रसदार चुत देदो उह्ह्ह
ममता सिसकी और उसका हाथ झटक कर - क्या नंदोई जी आप भी , रात मे मिलते है ना अपने अड्डे पर
भोला - प्कका ना
ममता ने हा मे सर हिला कर - प्कका
फिर दोनो अलग हो गये ।
वही निचे मुरारी के कमरे मे अलग ही चर्चा हो रही थी ।
अमन मोबाईल मे अदाकारा मन्दाकीनि की एक बिकनी शूट वाली तस्वीर अपने बाप को दिखा रहा था ।
मुरारी - वाह वाह वह बेटा तुने तो मौसम बना दिया अह्ह्ह क्या कटीली छमिया थी ये आह्ह
अमन - तो क्या मम्मी भी ऐसे ही दिखती थी पापा ?
मुरारी मोबाईल मे तस्वीर मे मन्दाकीनि के ब्रा मे उभरे हार्ड निप्स देखने मे खोया हुआ - हा हा बेटा बिल्कुल ऐसे ही ।
अमन - बताओ ना पापा क्या हुआ था उस दोपहर को
मुरारी अमन के सवाल पर ध्यान देता हुआ अपने मुसल को भींच कर - आह्ह उस दुपहर को घर पर कोई नही था , बस मै और तेरी मा थे ।
3 दिन से मै भीतर से जल रहा था । उस दिन वो मेरे लाये हुए ब्रा साध रही थी और उससे हुक नही लग रहे थे , मै बाहर झन्गले से भितर निहार रहा था और फिर उसने मुझे भितर बुलाया
अमन अपना मुसल मसल कर - फिर पापा
मुरारी - फिर मेरी नजर तेरी मा की पीठ पर गयि उसके जिस्म की मुलायम स्पर्श से मै पिघल गया और हम बहक गये
अमन - अरे वाह तो क्या आप सच मे खुद से खरीद कर मम्मी के लिए अंडरगार्मेंट्स लाये थे
मुरारी - हा भाई बहुत झेप मह्सूस होती थी और पता है दो बार साइज़ की वजह से बदलने जाना पड़ा सो अलग
अमन हसता हुआ - वाव पापा आप तब भी इतने रोमैंटिक थे हिहिहिही तो क्या ये रोमान्स अभी भी जारी है या
मुरारी - मतलब
अमन हस कर - अरे मतलब अब भी मम्मी के लिए आप वो सब लाते हो क्या ?
मुरारी - क्या , छे छे नही बिल्कुल नही ?
अमन - क्यू ?
मुरारी - अरे वो खुद से ले लेती है और ...
मुरारी बोल कर रुक गया फिर थोडा सोच कर - और उसका साइज़ तो यहा लोकल के बाजार मे मिलता ही कहा है तो कहा से लाऊ , अब तो सालों बीत गये
अमन - अरे पापा तो ऑनलाइन ऑर्डर कर लिया करो ना
मुरारी - अरे भाई मै 8वी पास आदमी हु फोन के ये गणित मेरी समझ से बाहर होते है , वैसे होता कैसे है ये ऑर्डर जो तु बता रहा है
अमन अपना मोबाईल खोलकर - अरे पापा ये देखो ये है शॉपिंग ऐप्प इसमे सब कुछ दुकान जैसा होता है , जो चाहिये सब मिलेगा ।
मुरारी - तो क्या इसमे तेरी मा की साइज़ के मिल जायेगे
अमन - हा बिल्कुल वो भी एक से बढ कर एक फैंसी डिजाईनर ।
मुरारी कुछ सोच कर - तो एक जोड़ी मगा ले , अगर सही हुआ तो और भी ऑर्डर करेंगे
अमन हस कर - अरे लेकिन मम्मी का साइज़ क्या है वो तो बताओ
मुरारी - अरे यार ये सम्स्या हो गयी , अब उसका साइज़ कैसे पता करू
अमन - अरे पुछ लो ना
मुरारी - नही भाई तु नही जानता ये औरतों के चोचले , अभी देखा नही घुमाने ना ले जाने के लिए कैसे ताना दिया ।
अमन हसने लगा - तो ?
मुरारी - अच्छा मै देखता हूँ फिर तुझसे बात करता हु ठिक है
अमन - ओके पापा , तो मै जाऊ
मुरारी - अह ठिक है लेकिन बेटा वो हीरोइन की और भी कुछ तस्वीरें निकालना ना
अमन हसता हुआ - जी पापा हिहिहिही
राज के घर
राज - किसका फ़ोन था बुआ , उफ्फ़ आप तो मजा किरकिरा कर रहे हो
शिला मुस्कुरा कर - बस हो गया बेटा आजा इधर
राज शिला के फिर से चिपका और उसकी चुचिया मिजते हुए - अब तो बताओ आगे क्या हुआ , चूसा आपने फुफा का मुसल
शिला - हम्म्म
वो मेरे हिसाब से बहुत आगे के इन्सान थे , पढ़ाई लिखाई और शहर मे कोचिंग क्लास भी लेते थे दोनो । उन्के मोर्डन खयालात मै उनकी चुत चुसाई से ही समझ गयी थी ।
वो - अह जान प्लीज मान जाओ ना , इसे बस कुल्फ़ी के जैसे चुबलाओ
मै भिन्की और मुझे यकीन हो गया कि मुझे ये करना ही पडेगा , उससे ज्यादा अफसोस इस बात का हो रहा था कि शायद अब मै आगे से कभी भी मलाई कुल्फ़ी ना खाउ , क्योकि जब भी खाउन्गी ये बात मेरे जहन मे जरुर आयेगी । मैने मुह खोलकर उनका लन्ड मुह ने लिया और वो सिहर उठे , दो चार बार मे मुझे उल्टी सा होने लगा और मैने मुह से निकाल दिया
वो - कोई बात नही मै तुम्हे सिखा दूँगा
उनकी बात से मुझे ये सोच कर हसी आई कि अब ये किस्का चुस कर मुझे दिखाएंगे हिहिहिही
मुझे मुस्कुराता पाकर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरी जान्घे एक बार फैली तो बस 20 मिंट तक फैली रही
कभी मेरे उपर चढ कर तो कभी मेरी टांग कन्धे पर उठाए वो मेरे चुत के परख्चे उड़ाते रहे और मै सिसकती रही ।
उस रात दो बार मेरी हुमच कर पेलाई हुई और देह देह दर्द से चूर हो गया ।
फिर वो मुझे कस के पकड कर सो गये ।
अगली सुबह मेरी जिज्ञासा थी कि क्म्मो ने भी कल रात चुदाई की या नही ।
दोनो भाई जब निचे गये तो मै क्म्मो के पास रात का हाल लेने के लिए पहुची तो उसने ब्ताया कि उनके बीच कुछ नही हुआ । देवर जी बिस्तर पर आये ही नही वो अलग बिस्तर पर सोये थे ।
मै समझ गयी कि उनकी मुहब्बत मै थी ।
दिन गुजरने लगे , हम चारों मे धीरे धीरे मिठास भरने लगी , धीरे धीरे हम चारो मे असहजता कम होने लगी ।
इधर हर रात तेरे फूफा मेरी जमकर 2 से 3 बार चुदाई करते कभी कभी दिन मे भी । उनसे चुत चटवाने के लिए अब मै भी पागल होने लगी हर बार एक नया सा अह्सास होता था और वही दूसरी ओर कम्मो और देवर जी मे कोई रिश्ता नही पनप रहा था । हफते भर बाद भी दोनो के बीच नजदिजिका नही आई , कम्मो के अनुसार उसने कोसिस भी की उनके करीब जाने की मगर वो रुचि नही दिखाते थे ।
मैं भी अब परेशान होने लगी और तेरे फूफा से कतराने लगी क्योकि जैसा हमने तय किया था वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था ।
आखिरकार रात मैने तेरे फुफा को सब बताया कि कैसे हफ्ते भर बाद ही देवर जी और क्म्मो एक दुसरे को अपना नही पाये है ।
वो - मुझे लगता है हमे एक बार फिर से दोनो को समझाना चाहिये , तुम क्या कहती हो ।
मै - अह जैसा आप ठिक समझे , लेकिन मै आपको कुछ ब्ताना चाहती हूँ जो अब तक मैने आपसे छिपाया है देवर जी को लेके ।
वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।
वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?
वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा
मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता
मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है
फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।
फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।
मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये
मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।
अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।
मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।
वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं
वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु
उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है
मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो
मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने
वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु
मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी
" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।
वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।
मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई
वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।
मैने कुछ सोचा और अपनी साडी उठाते हुए उनके आगे झुक गयी और उन्होने लन्ड बाहर निकाल कर पीछे से ही मेरी चुत मे दे दिया , मै झटके खाती रही और वो मुझे हचक हचक कर पेलते रहे फिर मरी गाड़ पर झड़ कर निकल गये ।
मुझे अब तेरे फुफा की बातें सही लगने लगी कि इस तपस्वी की साधना मुझे ही भन्ग करनी पड़ेगी ।
शाम को देवर जी वापस आये और आंगन ने बैठे हुए थे ।
मै अपने आंचल को ढील दी और ब्लाउज के दो हुक खोल दिये और उन्के आगे चाय रखने के साथ मेरा जोबन से मेरा पल्लू सरक कर कलाई मे आ गया
मुलायम गहरी लम्बी खाईदार छातियों पर उनकी नजरे पड़ी
और मैने अंजान होने का नाटक कर अपना आचल सम्भालते हुए खड़ी हुई और कोमल मुलायम पेट दिखाते हुए उनको अपनी कामुक नाभि के दिदार कराते हुए बडी मादक चाल से रसोई ने चली गयी ।
वही रसोई मे खड़ी कम्मो मेरी हरकते देख कर मेरे मजे लेने लगी ।
मै - अरे तेरा क्या है , तुझे तो रोज मिल रहा है , जबसे ये (मानसिंह) तेरे पास गये है मेरी तो हालत खराब हो गयि है ।
कम्मो - हा जीजी और वो लेते भी हचक के है ,मेरी तो कमर मे लचक आ जाती है ।
मै - कल रात कितनी बार हुआ तेरा
कम्मो - दो बार पर तय ही समझो और आज सुबह सुबह मै पेट के बल सोई थी , मेरे उठे हुए नितंब देख कर जोश मे आ गये और हिहिहिही
मुझे थोड़ी जलन हुई और मेरा बिगड़ा मुह देख कर क्म्मो मेरे कन्धे पर हाथ रख - चिंता ना करो दीदी , सब ठिक हो जायेगा शायद इन्हे कुछ वक़्त लगे मगर ये आपको जरुर प्यार देंगे आखिर इनका प्यार आप ही हो ना ।
मै कम्मो की बात पर बस हुन्कारि भरी मगर भीतर से मै ही जानती थी कि मै क्या मह्सूस कर रही थी
रात चढने लगी और एक बार फिर देवर जी निचे बिस्तर लगाने लगे तो मै भी उनके पास बैठ गयी सट कर ।
देवर - क्या हुआ भाभी
मै इठला कर - आपको नही पता क्या हुआ , मुझे तो लगता है आप उस रात बस बाते बना रहे थे हुह सचमुच का प्यार तो कभी आपको मुझसे था ही नही ।
देवर - नही नही शीलू मेरा प्यार ... स सॉरी भाभीई
मैने उनका हाथ पकडा और अपने सीने पर रखते हुए - खाईये मेरी कसम कि आपको मुझसे प्यार है
उनका हाथ कापने लगा और होठ सुखने लगे - भाभीई वो वो मै वो
मै खीझ कर- क्या भाभी भाभी लगा रखा है, मै आपकी बिवी हु समझे
वो - अह लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही देता , मैने तो कम्मो की मांग भरी है
मै भुनक कर उठी और उन्हे खिंच कर - बस मांग भरने को ही आप शादी मान्ते है तो आईये , चलिये आईये
वो भौचक्के मुझे निहारते रहे और मै उन्हे कमरे के मंदिर के पास लेके आई और मेरे हाथ मे सिन्दूर की डिबिया थी - लिजिए और भर दीजिये मेरी मांग और बना लिजिए मुझे अपना
देवर - अह भाभी ये मै कैसे
मै - अगर आपको सच मे मुझसे प्यार है तो आप मेरी माग जरुर भरेंगे , आपको मेरी कसम है
देवर - शीलू ये तुम
मै उन्के मुह से अपना नाम सुन्कर कर मुस्कुराई - अब भर भी दो ना जानू
वो खिले और मेरी मांग भर दी मैने उन्हे कस कर गले लगा लिया ।
वो भी मुझे कस कर फफक पडे और मुझे चूमने लगे मै मदहोश होने लगी और वो मुझे पीछे से जकड कर मेरी छातियां मिजने लगे
देवर - अह्ह्ह शीलू तुम्हारे दूध सच मे कितने मोटे है ऊहह , ना जाने कब से तड़प रहा था इन्हे छूने को ऊहह मेरी जान
मै - आह्ह मै भी तो आपके स्पर्श के लिए पागल हो रही थी
वो जल्दी जल्दी मेरे बलाऊज खोल्कर मुझे कमरे की दिवाल से ल्गा दिये और आगे से दोनो हाथो मे मेरी चुचियां पकड कर उन्हे निहारते हुए - अह्ह्ह कितने मुलायम है ये ऊहह खा लू क्या मेरी जान
मै मुस्कुराई और बोली -सोच लो आपके भैया ने जूठा किया है इन्हे
वो मुस्कुराये और मेरे एक निप्प्ल को मुह मे निचोड कर बोले - हम दोनो भाई बचपन से ही एक दूसरे का जूठा खाते आये है मेरी जान उम्म्ंम
वो मेरे जोबनो पर टूट पड़े और पागल होने लगी
वो मेरी जान्घे पकड कर उपर खिंचते हुए पजामे के भीतर से ही मेरी चुत पर अपना लन्ड घिसने लगे और मै ऊनके टोपे की ठोकर से सिस्क पड़ी- अह्ह्ह मेरे राजा निकालो ना बाहर उसे
देवर - क्या मेरी जान
मैने लपक कर पजामे के बने तम्बू की बास को हाथ मे जकड लिया - अह्ह्ह येह्ह्ह उम्म्ंम्ं चाहिये मुझे उह्ह्ह
वो मेरे सर को पकड़ कर निचे करते हुए - तो जाओ लेलो तुम्हारा ही है मेरी जान
I understood that both the brothers were fond of getting dicks sucked and this time I happily sat down, opened the pajamas and this time an even thicker muscle was in front of me. The thickness of brother-in-law's muscle was more than that of your uncle.
I could not stop myself from kissing him and started sucking him in my mouth, he started flying in the air and started caressing my head while sobbing - Ahhh Shilu my love uhhh uhmm and suck my queen uhhh
Within 2 minutes, my cheeks responded and that thick steely penis was getting completely hot.
He made me lie down and slowly removed half of his penis, setting it at the mouth of my pussy.
The walls of my pussy expanded and my scream also started resonating. My pussy was releasing juice every now and then and her thighs were hitting my thighs thump thump.
The penis was hurting the roots of my pussy. He was on top of me and was moving slowly.
Then he ejaculated on my stomach.
That night, Josh fucked me three times and we slept together, clinging to each other.
For the next 3-4 days, we had a lot of sex, both of us sisters were happy now, during the day, whenever you got a chance, your uncle would sometimes grab hold of me and I would get fucked openly with him.
Then one day my father-in-law returned from my sister-in-law's place.
Now a problem had arisen where all four of us were exchanging things openly.
It could be managed at night but during the day I will have to stay with your uncle and brother-in-law in Kammo's room. It was decided like this.
Then from then onwards I used to be with your uncle during the day and my brother-in-law used to come to me at night, since then our relationship has remained like this and since then I have two husbands.
Raj took a strong orgasm and while massaging his penis - Ahhh bua, your story was really interesting, you have created a mood.
Raj - Okay, but that night I saw the younger aunt with both the uncles. Younger uncle only liked you, then how could he be with elder uncle?
Shila smiled - That's what happened...
Just then there was a knock on the door of the room and Raj's mother Ragini was calling Shila from outside.
will continue
Thanks For Back To Back Update BhaiNew update is posted
Super Update BhaiUPDATE 203
अमन के घर
" नही मम्मी जी मै अकेले कही नही गयी ऐसे "
"अरे शादी के बाद पति के साथ नही जायेगी तो क्या अब हमारे साथ जायेगी " , ममता ने सोनल को समझाते हुए कहा ।
सोनल - हा आप चलो ना साथ मे मम्मी , फिर मुझे डर भी नही लगेगा ।
ममता हस कर - अरे तुम जवाँ जोड़ो के बीच मेरा क्या काम हिहिहिही मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने जाऊ तु भी ना बहू हिहिहिही
सोनल हस कर - अरे इसमे बूढ़े जवाँ की क्या बात है, मुझे अपनी सासु मा का साथ मिलेगा इससे बढ कर क्या चाहिये ।
ममता- तेरी बात ठिक है बहू लेकिन ऐसे समाज मे बात खुली तो लोग बातें बनायेंगे कि शादी के बाद भी अपनी मा के पल्लू से बन्धा रहता है अमन ।
सोनल - तो रहने देते है ना , मुझे वैसे भी अकेले जाना अच्छा नही लगता ।
ममता - अरे तो अपने मायके से किसी को लिवा ले , कह तो समधन जी से बात करू मै ।
सोनल - अच्छा तो इसको लेके लोग बातें नही बनायेंगे कि ब्याहने के बाद ये (अमन) जोरू के गुलाम हो गये , अपनी सगी मा को छोड कर सास को घुमाने ले गये हिहिही
ममता हसने लगी - हे भगवान तु भी ना कम नही है हिहिहिही अच्छा तो तु ही बता किसको साथ लिवा जायेगी ।
सोनल तपाक से बोली - मेरे चाचा की लड़की है ना निशा , अगर आप कहो तो ?
ममता - हम्म्म्म मतलब तेरा पूरा पूरा मन है घूमने का हिहिहिही
सोनल - जी मम्मी और निशा मेरी बहन कम सहेली ज्यादा है तो उसके साथ होने से मुझे दिक्कत नही होगी और शायद इनको भी टेन्सन कम हो क्योकि ये (अमन )भी तो पहली बार मेरे साथ बाहर जायेंगे ।
ममता - हम्मम्म बात तो तेरी ठिक है लेकिन क्या उसके पापा मम्मी इस बात के लिए राजी होंगे
सोनल - हा क्यूँ नही , हम लोग घूमने ही जा रहे है ना
ममता सोनल के भोलेपन पर मुस्कुराई और सोचने लगी , कि ये तो सच मे बहुत मासूम है और अगर ऐसी लड़की लन्ड चुसने से इंकार कर दे तो कोई बड़ी बात नही ।
ममता - अच्छा ठिक है इस बारे मे मै आज अमन के पापा से बात करूंगी , तु आराम कर
फिर ममता कमरे से निकली और गलियारे से होकर जिने की ओर जा रही थी कि भोला ने पीछे से आकर उसको पकड कर उपर सीढ़ीयो पर खिंच ले गया
ममता - आह्ह क्या कर रहे है कोई देख लेगा
भोला - ये क्या है भाभी , आप तो अपना काम निपटा कर हमे भूल ही गयी । इतना बड़ा फरेब वो भी हमसे । क्या क्या नही किया मैने आपकी खातिर बोलो ।
ममता मुस्कुराये जा रही थी - अच्छा बाबा हुआ क्या ?
भोला - हुआ क्या ? अभी भी आप पुछ रही है हुआ क्या ? अरे शादी को दो दिन हो गये और आप अपना वादा भूल जा रही है, कल तो मै घर जा रहा हु ना
ममता - अरे इतनी जल्दी , दो दिन और रुक जाते , सोनल के मायके से लोग आ रहे है ना ।
भोला - हा उसके लिए संगीता और रिन्की रुकेगी लेकिन मै निकल जाऊंगा
ममता कुछ सोचती हुई - अच्छा!
भोला - देखो भाभी अब बहुत तरसा लिया आपने मुझे , आज रात मुझे चाहिये तो चाहिये
ममता इतरा कर मुस्कुराई - क्या ?
भोला तिलमिलाया और अपना मुसल रगड़ते हुए ममता की चुत को उसकी सलवार के उपर से सहलाता हुआ - आह्ह भाभी आपकी ये रसदार चुत देदो उह्ह्ह
ममता सिसकी और उसका हाथ झटक कर - क्या नंदोई जी आप भी , रात मे मिलते है ना अपने अड्डे पर
भोला - प्कका ना
ममता ने हा मे सर हिला कर - प्कका
फिर दोनो अलग हो गये ।
वही निचे मुरारी के कमरे मे अलग ही चर्चा हो रही थी ।
अमन मोबाईल मे अदाकारा मन्दाकीनि की एक बिकनी शूट वाली तस्वीर अपने बाप को दिखा रहा था ।
मुरारी - वाह वाह वह बेटा तुने तो मौसम बना दिया अह्ह्ह क्या कटीली छमिया थी ये आह्ह
अमन - तो क्या मम्मी भी ऐसे ही दिखती थी पापा ?
मुरारी मोबाईल मे तस्वीर मे मन्दाकीनि के ब्रा मे उभरे हार्ड निप्स देखने मे खोया हुआ - हा हा बेटा बिल्कुल ऐसे ही ।
अमन - बताओ ना पापा क्या हुआ था उस दोपहर को
मुरारी अमन के सवाल पर ध्यान देता हुआ अपने मुसल को भींच कर - आह्ह उस दुपहर को घर पर कोई नही था , बस मै और तेरी मा थे ।
3 दिन से मै भीतर से जल रहा था । उस दिन वो मेरे लाये हुए ब्रा साध रही थी और उससे हुक नही लग रहे थे , मै बाहर झन्गले से भितर निहार रहा था और फिर उसने मुझे भितर बुलाया
अमन अपना मुसल मसल कर - फिर पापा
मुरारी - फिर मेरी नजर तेरी मा की पीठ पर गयि उसके जिस्म की मुलायम स्पर्श से मै पिघल गया और हम बहक गये
अमन - अरे वाह तो क्या आप सच मे खुद से खरीद कर मम्मी के लिए अंडरगार्मेंट्स लाये थे
मुरारी - हा भाई बहुत झेप मह्सूस होती थी और पता है दो बार साइज़ की वजह से बदलने जाना पड़ा सो अलग
अमन हसता हुआ - वाव पापा आप तब भी इतने रोमैंटिक थे हिहिहिही तो क्या ये रोमान्स अभी भी जारी है या
मुरारी - मतलब
अमन हस कर - अरे मतलब अब भी मम्मी के लिए आप वो सब लाते हो क्या ?
मुरारी - क्या , छे छे नही बिल्कुल नही ?
अमन - क्यू ?
मुरारी - अरे वो खुद से ले लेती है और ...
मुरारी बोल कर रुक गया फिर थोडा सोच कर - और उसका साइज़ तो यहा लोकल के बाजार मे मिलता ही कहा है तो कहा से लाऊ , अब तो सालों बीत गये
अमन - अरे पापा तो ऑनलाइन ऑर्डर कर लिया करो ना
मुरारी - अरे भाई मै 8वी पास आदमी हु फोन के ये गणित मेरी समझ से बाहर होते है , वैसे होता कैसे है ये ऑर्डर जो तु बता रहा है
अमन अपना मोबाईल खोलकर - अरे पापा ये देखो ये है शॉपिंग ऐप्प इसमे सब कुछ दुकान जैसा होता है , जो चाहिये सब मिलेगा ।
मुरारी - तो क्या इसमे तेरी मा की साइज़ के मिल जायेगे
अमन - हा बिल्कुल वो भी एक से बढ कर एक फैंसी डिजाईनर ।
मुरारी कुछ सोच कर - तो एक जोड़ी मगा ले , अगर सही हुआ तो और भी ऑर्डर करेंगे
अमन हस कर - अरे लेकिन मम्मी का साइज़ क्या है वो तो बताओ
मुरारी - अरे यार ये सम्स्या हो गयी , अब उसका साइज़ कैसे पता करू
अमन - अरे पुछ लो ना
मुरारी - नही भाई तु नही जानता ये औरतों के चोचले , अभी देखा नही घुमाने ना ले जाने के लिए कैसे ताना दिया ।
अमन हसने लगा - तो ?
मुरारी - अच्छा मै देखता हूँ फिर तुझसे बात करता हु ठिक है
अमन - ओके पापा , तो मै जाऊ
मुरारी - अह ठिक है लेकिन बेटा वो हीरोइन की और भी कुछ तस्वीरें निकालना ना
अमन हसता हुआ - जी पापा हिहिहिही
राज के घर
राज - किसका फ़ोन था बुआ , उफ्फ़ आप तो मजा किरकिरा कर रहे हो
शिला मुस्कुरा कर - बस हो गया बेटा आजा इधर
राज शिला के फिर से चिपका और उसकी चुचिया मिजते हुए - अब तो बताओ आगे क्या हुआ , चूसा आपने फुफा का मुसल
शिला - हम्म्म
वो मेरे हिसाब से बहुत आगे के इन्सान थे , पढ़ाई लिखाई और शहर मे कोचिंग क्लास भी लेते थे दोनो । उन्के मोर्डन खयालात मै उनकी चुत चुसाई से ही समझ गयी थी ।
वो - अह जान प्लीज मान जाओ ना , इसे बस कुल्फ़ी के जैसे चुबलाओ
मै भिन्की और मुझे यकीन हो गया कि मुझे ये करना ही पडेगा , उससे ज्यादा अफसोस इस बात का हो रहा था कि शायद अब मै आगे से कभी भी मलाई कुल्फ़ी ना खाउ , क्योकि जब भी खाउन्गी ये बात मेरे जहन मे जरुर आयेगी । मैने मुह खोलकर उनका लन्ड मुह ने लिया और वो सिहर उठे , दो चार बार मे मुझे उल्टी सा होने लगा और मैने मुह से निकाल दिया
वो - कोई बात नही मै तुम्हे सिखा दूँगा
उनकी बात से मुझे ये सोच कर हसी आई कि अब ये किस्का चुस कर मुझे दिखाएंगे हिहिहिही
मुझे मुस्कुराता पाकर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरी जान्घे एक बार फैली तो बस 20 मिंट तक फैली रही
कभी मेरे उपर चढ कर तो कभी मेरी टांग कन्धे पर उठाए वो मेरे चुत के परख्चे उड़ाते रहे और मै सिसकती रही ।
उस रात दो बार मेरी हुमच कर पेलाई हुई और देह देह दर्द से चूर हो गया ।
फिर वो मुझे कस के पकड कर सो गये ।
अगली सुबह मेरी जिज्ञासा थी कि क्म्मो ने भी कल रात चुदाई की या नही ।
दोनो भाई जब निचे गये तो मै क्म्मो के पास रात का हाल लेने के लिए पहुची तो उसने ब्ताया कि उनके बीच कुछ नही हुआ । देवर जी बिस्तर पर आये ही नही वो अलग बिस्तर पर सोये थे ।
मै समझ गयी कि उनकी मुहब्बत मै थी ।
दिन गुजरने लगे , हम चारों मे धीरे धीरे मिठास भरने लगी , धीरे धीरे हम चारो मे असहजता कम होने लगी ।
इधर हर रात तेरे फूफा मेरी जमकर 2 से 3 बार चुदाई करते कभी कभी दिन मे भी । उनसे चुत चटवाने के लिए अब मै भी पागल होने लगी हर बार एक नया सा अह्सास होता था और वही दूसरी ओर कम्मो और देवर जी मे कोई रिश्ता नही पनप रहा था । हफते भर बाद भी दोनो के बीच नजदिजिका नही आई , कम्मो के अनुसार उसने कोसिस भी की उनके करीब जाने की मगर वो रुचि नही दिखाते थे ।
मैं भी अब परेशान होने लगी और तेरे फूफा से कतराने लगी क्योकि जैसा हमने तय किया था वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था ।
आखिरकार रात मैने तेरे फुफा को सब बताया कि कैसे हफ्ते भर बाद ही देवर जी और क्म्मो एक दुसरे को अपना नही पाये है ।
वो - मुझे लगता है हमे एक बार फिर से दोनो को समझाना चाहिये , तुम क्या कहती हो ।
मै - अह जैसा आप ठिक समझे , लेकिन मै आपको कुछ ब्ताना चाहती हूँ जो अब तक मैने आपसे छिपाया है देवर जी को लेके ।
वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।
वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?
वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा
मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता
मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है
फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।
फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।
मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये
मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।
अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।
मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।
वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं
वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु
उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है
मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो
मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने
वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु
मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी
" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।
वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।
मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई
वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।
मैने कुछ सोचा और अपनी साडी उठाते हुए उनके आगे झुक गयी और उन्होने लन्ड बाहर निकाल कर पीछे से ही मेरी चुत मे दे दिया , मै झटके खाती रही और वो मुझे हचक हचक कर पेलते रहे फिर मरी गाड़ पर झड़ कर निकल गये ।
मुझे अब तेरे फुफा की बातें सही लगने लगी कि इस तपस्वी की साधना मुझे ही भन्ग करनी पड़ेगी ।
शाम को देवर जी वापस आये और आंगन ने बैठे हुए थे ।
मै अपने आंचल को ढील दी और ब्लाउज के दो हुक खोल दिये और उन्के आगे चाय रखने के साथ मेरा जोबन से मेरा पल्लू सरक कर कलाई मे आ गया
मुलायम गहरी लम्बी खाईदार छातियों पर उनकी नजरे पड़ी
और मैने अंजान होने का नाटक कर अपना आचल सम्भालते हुए खड़ी हुई और कोमल मुलायम पेट दिखाते हुए उनको अपनी कामुक नाभि के दिदार कराते हुए बडी मादक चाल से रसोई ने चली गयी ।
वही रसोई मे खड़ी कम्मो मेरी हरकते देख कर मेरे मजे लेने लगी ।
मै - अरे तेरा क्या है , तुझे तो रोज मिल रहा है , जबसे ये (मानसिंह) तेरे पास गये है मेरी तो हालत खराब हो गयि है ।
कम्मो - हा जीजी और वो लेते भी हचक के है ,मेरी तो कमर मे लचक आ जाती है ।
मै - कल रात कितनी बार हुआ तेरा
कम्मो - दो बार पर तय ही समझो और आज सुबह सुबह मै पेट के बल सोई थी , मेरे उठे हुए नितंब देख कर जोश मे आ गये और हिहिहिही
मुझे थोड़ी जलन हुई और मेरा बिगड़ा मुह देख कर क्म्मो मेरे कन्धे पर हाथ रख - चिंता ना करो दीदी , सब ठिक हो जायेगा शायद इन्हे कुछ वक़्त लगे मगर ये आपको जरुर प्यार देंगे आखिर इनका प्यार आप ही हो ना ।
मै कम्मो की बात पर बस हुन्कारि भरी मगर भीतर से मै ही जानती थी कि मै क्या मह्सूस कर रही थी
रात चढने लगी और एक बार फिर देवर जी निचे बिस्तर लगाने लगे तो मै भी उनके पास बैठ गयी सट कर ।
देवर - क्या हुआ भाभी
मै इठला कर - आपको नही पता क्या हुआ , मुझे तो लगता है आप उस रात बस बाते बना रहे थे हुह सचमुच का प्यार तो कभी आपको मुझसे था ही नही ।
देवर - नही नही शीलू मेरा प्यार ... स सॉरी भाभीई
मैने उनका हाथ पकडा और अपने सीने पर रखते हुए - खाईये मेरी कसम कि आपको मुझसे प्यार है
उनका हाथ कापने लगा और होठ सुखने लगे - भाभीई वो वो मै वो
मै खीझ कर- क्या भाभी भाभी लगा रखा है, मै आपकी बिवी हु समझे
वो - अह लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही देता , मैने तो कम्मो की मांग भरी है
मै भुनक कर उठी और उन्हे खिंच कर - बस मांग भरने को ही आप शादी मान्ते है तो आईये , चलिये आईये
वो भौचक्के मुझे निहारते रहे और मै उन्हे कमरे के मंदिर के पास लेके आई और मेरे हाथ मे सिन्दूर की डिबिया थी - लिजिए और भर दीजिये मेरी मांग और बना लिजिए मुझे अपना
देवर - अह भाभी ये मै कैसे
मै - अगर आपको सच मे मुझसे प्यार है तो आप मेरी माग जरुर भरेंगे , आपको मेरी कसम है
देवर - शीलू ये तुम
मै उन्के मुह से अपना नाम सुन्कर कर मुस्कुराई - अब भर भी दो ना जानू
वो खिले और मेरी मांग भर दी मैने उन्हे कस कर गले लगा लिया ।
वो भी मुझे कस कर फफक पडे और मुझे चूमने लगे मै मदहोश होने लगी और वो मुझे पीछे से जकड कर मेरी छातियां मिजने लगे
देवर - अह्ह्ह शीलू तुम्हारे दूध सच मे कितने मोटे है ऊहह , ना जाने कब से तड़प रहा था इन्हे छूने को ऊहह मेरी जान
मै - आह्ह मै भी तो आपके स्पर्श के लिए पागल हो रही थी
वो जल्दी जल्दी मेरे बलाऊज खोल्कर मुझे कमरे की दिवाल से ल्गा दिये और आगे से दोनो हाथो मे मेरी चुचियां पकड कर उन्हे निहारते हुए - अह्ह्ह कितने मुलायम है ये ऊहह खा लू क्या मेरी जान
मै मुस्कुराई और बोली -सोच लो आपके भैया ने जूठा किया है इन्हे
वो मुस्कुराये और मेरे एक निप्प्ल को मुह मे निचोड कर बोले - हम दोनो भाई बचपन से ही एक दूसरे का जूठा खाते आये है मेरी जान उम्म्ंम
वो मेरे जोबनो पर टूट पड़े और पागल होने लगी
वो मेरी जान्घे पकड कर उपर खिंचते हुए पजामे के भीतर से ही मेरी चुत पर अपना लन्ड घिसने लगे और मै ऊनके टोपे की ठोकर से सिस्क पड़ी- अह्ह्ह मेरे राजा निकालो ना बाहर उसे
देवर - क्या मेरी जान
मैने लपक कर पजामे के बने तम्बू की बास को हाथ मे जकड लिया - अह्ह्ह येह्ह्ह उम्म्ंम्ं चाहिये मुझे उह्ह्ह
वो मेरे सर को पकड़ कर निचे करते हुए - तो जाओ लेलो तुम्हारा ही है मेरी जान
मै समझ गयि कि दोनो भाइयो को लन्ड चुसवाने का शौक है और मै इस बार खुशी निचे बैठ गयी , पजामा खोला तो इस बार और भी मोटा मुसल मेरे आगे था । देवर जी के मुसल की मोटाई तेरे फुफा से ज्यादा थी ।
मै उसको चूमने से खुद को रोक ना सकी और मुह मे लेके चुबलाने लगी , वो हवा मे उड़ने लगे और सिस्कते हुए मेरे सर को सहलाने लगे - अह्ह्ह शीलू मेरी जान उह्ह्ह उहम्म और चुस मेरी रानी उह्ह्ह
2 मिंट मे ही मेरे गाल जवाब दे गये और वो पुरा मोटा फौलादी खुन्टा पुरा तप रहा था ।
उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चुत के मुहाने पर सेट करते हुए हचाक से लन्ड आधा उतार दिया
मेरी चुत की दीवारे फैल गयी और मेरी चिख भी गूंजने लगी । फचर फचर मेरी बुर रस छोड रही थी और थप्प थप्प उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकरा रही थी
लन्ड मेरी बुर के जड़ो मे चोट कर रहा था । वो मेरे उपर चढ़े हुए हचक ह्चक के पेल रहे थे ।
फिर मेरे पेट पर ही झड़ गये ।
जोश मे उस रात पुरे 3 बार मेरी ठुकाई हुई और हम चिपक कर सो गये ।
अगले 3 4 दिन हमने खुब चुदाई की हम दोनो बहने अब खुश थी , इधर दिन मे मौका मिलने पर तेरे फूफा कभी कभी मुझे दबोच लेते और मै उनके साथ खुल कर पेलाई करवाति ।
फिर एक दिन मेरे सास ससुर ननद के यहा से वापस आ गये ।
अब जहा हम चारो खुल कर अदला-बदली कर रहे थे उसमे सम्स्या आ गयी थी ।
रात मे मैनेज किया जा सकता था मगर दिन मे तो मुझे तेरे फुफा के साथ और देवर जी को क्म्मो के कमरे मे ही रहना पडेगा । ऐसा तय किया गया ।
फिर उसके बाद से दिन मे मै तेरे फूफा के साथ होती थी और रात मे देवर जी आते थे मेरे पास , बस तबसे हमारा रिश्ता यू ही बना हुआ है और तबसे मेरे दो पति है समझा ।
राज ने एक जोर की अंगड़ाई ली और अपना लन्ड मसलता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी स्टोरी तो सच मे मजेदार थी इह्ह्ह मूड बना दिया आपने ।
राज - अच्छा लेकिन वो उस रात जो मैने देखा था, छोटी बुआ दोनो फूफा के साथ । छोटे फूफा तो सिर्फ आपको पसंद करते थे ना फिर वो बड़े फूफा के साथ कैसे ?
शिला मुस्कुराई - वो हुआ यू था कि .....
तभी कमरे के दरवाजे पर खटखट हुई और बाहर से राज की मा रागिनी शिला को आवाज दे रही थी ।
जारी रहेगी
Ek dam dhasu update diya bhai ji maja aa gya padne me kya kamuk sean likhte h aapUPDATE 203
अमन के घर
" नही मम्मी जी मै अकेले कही नही गयी ऐसे "
"अरे शादी के बाद पति के साथ नही जायेगी तो क्या अब हमारे साथ जायेगी " , ममता ने सोनल को समझाते हुए कहा ।
सोनल - हा आप चलो ना साथ मे मम्मी , फिर मुझे डर भी नही लगेगा ।
ममता हस कर - अरे तुम जवाँ जोड़ो के बीच मेरा क्या काम हिहिहिही मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने जाऊ तु भी ना बहू हिहिहिही
सोनल हस कर - अरे इसमे बूढ़े जवाँ की क्या बात है, मुझे अपनी सासु मा का साथ मिलेगा इससे बढ कर क्या चाहिये ।
ममता- तेरी बात ठिक है बहू लेकिन ऐसे समाज मे बात खुली तो लोग बातें बनायेंगे कि शादी के बाद भी अपनी मा के पल्लू से बन्धा रहता है अमन ।
सोनल - तो रहने देते है ना , मुझे वैसे भी अकेले जाना अच्छा नही लगता ।
ममता - अरे तो अपने मायके से किसी को लिवा ले , कह तो समधन जी से बात करू मै ।
सोनल - अच्छा तो इसको लेके लोग बातें नही बनायेंगे कि ब्याहने के बाद ये (अमन) जोरू के गुलाम हो गये , अपनी सगी मा को छोड कर सास को घुमाने ले गये हिहिही
ममता हसने लगी - हे भगवान तु भी ना कम नही है हिहिहिही अच्छा तो तु ही बता किसको साथ लिवा जायेगी ।
सोनल तपाक से बोली - मेरे चाचा की लड़की है ना निशा , अगर आप कहो तो ?
ममता - हम्म्म्म मतलब तेरा पूरा पूरा मन है घूमने का हिहिहिही
सोनल - जी मम्मी और निशा मेरी बहन कम सहेली ज्यादा है तो उसके साथ होने से मुझे दिक्कत नही होगी और शायद इनको भी टेन्सन कम हो क्योकि ये (अमन )भी तो पहली बार मेरे साथ बाहर जायेंगे ।
ममता - हम्मम्म बात तो तेरी ठिक है लेकिन क्या उसके पापा मम्मी इस बात के लिए राजी होंगे
सोनल - हा क्यूँ नही , हम लोग घूमने ही जा रहे है ना
ममता सोनल के भोलेपन पर मुस्कुराई और सोचने लगी , कि ये तो सच मे बहुत मासूम है और अगर ऐसी लड़की लन्ड चुसने से इंकार कर दे तो कोई बड़ी बात नही ।
ममता - अच्छा ठिक है इस बारे मे मै आज अमन के पापा से बात करूंगी , तु आराम कर
फिर ममता कमरे से निकली और गलियारे से होकर जिने की ओर जा रही थी कि भोला ने पीछे से आकर उसको पकड कर उपर सीढ़ीयो पर खिंच ले गया
ममता - आह्ह क्या कर रहे है कोई देख लेगा
भोला - ये क्या है भाभी , आप तो अपना काम निपटा कर हमे भूल ही गयी । इतना बड़ा फरेब वो भी हमसे । क्या क्या नही किया मैने आपकी खातिर बोलो ।
ममता मुस्कुराये जा रही थी - अच्छा बाबा हुआ क्या ?
भोला - हुआ क्या ? अभी भी आप पुछ रही है हुआ क्या ? अरे शादी को दो दिन हो गये और आप अपना वादा भूल जा रही है, कल तो मै घर जा रहा हु ना
ममता - अरे इतनी जल्दी , दो दिन और रुक जाते , सोनल के मायके से लोग आ रहे है ना ।
भोला - हा उसके लिए संगीता और रिन्की रुकेगी लेकिन मै निकल जाऊंगा
ममता कुछ सोचती हुई - अच्छा!
भोला - देखो भाभी अब बहुत तरसा लिया आपने मुझे , आज रात मुझे चाहिये तो चाहिये
ममता इतरा कर मुस्कुराई - क्या ?
भोला तिलमिलाया और अपना मुसल रगड़ते हुए ममता की चुत को उसकी सलवार के उपर से सहलाता हुआ - आह्ह भाभी आपकी ये रसदार चुत देदो उह्ह्ह
ममता सिसकी और उसका हाथ झटक कर - क्या नंदोई जी आप भी , रात मे मिलते है ना अपने अड्डे पर
भोला - प्कका ना
ममता ने हा मे सर हिला कर - प्कका
फिर दोनो अलग हो गये ।
वही निचे मुरारी के कमरे मे अलग ही चर्चा हो रही थी ।
अमन मोबाईल मे अदाकारा मन्दाकीनि की एक बिकनी शूट वाली तस्वीर अपने बाप को दिखा रहा था ।
मुरारी - वाह वाह वह बेटा तुने तो मौसम बना दिया अह्ह्ह क्या कटीली छमिया थी ये आह्ह
अमन - तो क्या मम्मी भी ऐसे ही दिखती थी पापा ?
मुरारी मोबाईल मे तस्वीर मे मन्दाकीनि के ब्रा मे उभरे हार्ड निप्स देखने मे खोया हुआ - हा हा बेटा बिल्कुल ऐसे ही ।
अमन - बताओ ना पापा क्या हुआ था उस दोपहर को
मुरारी अमन के सवाल पर ध्यान देता हुआ अपने मुसल को भींच कर - आह्ह उस दुपहर को घर पर कोई नही था , बस मै और तेरी मा थे ।
3 दिन से मै भीतर से जल रहा था । उस दिन वो मेरे लाये हुए ब्रा साध रही थी और उससे हुक नही लग रहे थे , मै बाहर झन्गले से भितर निहार रहा था और फिर उसने मुझे भितर बुलाया
अमन अपना मुसल मसल कर - फिर पापा
मुरारी - फिर मेरी नजर तेरी मा की पीठ पर गयि उसके जिस्म की मुलायम स्पर्श से मै पिघल गया और हम बहक गये
अमन - अरे वाह तो क्या आप सच मे खुद से खरीद कर मम्मी के लिए अंडरगार्मेंट्स लाये थे
मुरारी - हा भाई बहुत झेप मह्सूस होती थी और पता है दो बार साइज़ की वजह से बदलने जाना पड़ा सो अलग
अमन हसता हुआ - वाव पापा आप तब भी इतने रोमैंटिक थे हिहिहिही तो क्या ये रोमान्स अभी भी जारी है या
मुरारी - मतलब
अमन हस कर - अरे मतलब अब भी मम्मी के लिए आप वो सब लाते हो क्या ?
मुरारी - क्या , छे छे नही बिल्कुल नही ?
अमन - क्यू ?
मुरारी - अरे वो खुद से ले लेती है और ...
मुरारी बोल कर रुक गया फिर थोडा सोच कर - और उसका साइज़ तो यहा लोकल के बाजार मे मिलता ही कहा है तो कहा से लाऊ , अब तो सालों बीत गये
अमन - अरे पापा तो ऑनलाइन ऑर्डर कर लिया करो ना
मुरारी - अरे भाई मै 8वी पास आदमी हु फोन के ये गणित मेरी समझ से बाहर होते है , वैसे होता कैसे है ये ऑर्डर जो तु बता रहा है
अमन अपना मोबाईल खोलकर - अरे पापा ये देखो ये है शॉपिंग ऐप्प इसमे सब कुछ दुकान जैसा होता है , जो चाहिये सब मिलेगा ।
मुरारी - तो क्या इसमे तेरी मा की साइज़ के मिल जायेगे
अमन - हा बिल्कुल वो भी एक से बढ कर एक फैंसी डिजाईनर ।
मुरारी कुछ सोच कर - तो एक जोड़ी मगा ले , अगर सही हुआ तो और भी ऑर्डर करेंगे
अमन हस कर - अरे लेकिन मम्मी का साइज़ क्या है वो तो बताओ
मुरारी - अरे यार ये सम्स्या हो गयी , अब उसका साइज़ कैसे पता करू
अमन - अरे पुछ लो ना
मुरारी - नही भाई तु नही जानता ये औरतों के चोचले , अभी देखा नही घुमाने ना ले जाने के लिए कैसे ताना दिया ।
अमन हसने लगा - तो ?
मुरारी - अच्छा मै देखता हूँ फिर तुझसे बात करता हु ठिक है
अमन - ओके पापा , तो मै जाऊ
मुरारी - अह ठिक है लेकिन बेटा वो हीरोइन की और भी कुछ तस्वीरें निकालना ना
अमन हसता हुआ - जी पापा हिहिहिही
राज के घर
राज - किसका फ़ोन था बुआ , उफ्फ़ आप तो मजा किरकिरा कर रहे हो
शिला मुस्कुरा कर - बस हो गया बेटा आजा इधर
राज शिला के फिर से चिपका और उसकी चुचिया मिजते हुए - अब तो बताओ आगे क्या हुआ , चूसा आपने फुफा का मुसल
शिला - हम्म्म
वो मेरे हिसाब से बहुत आगे के इन्सान थे , पढ़ाई लिखाई और शहर मे कोचिंग क्लास भी लेते थे दोनो । उन्के मोर्डन खयालात मै उनकी चुत चुसाई से ही समझ गयी थी ।
वो - अह जान प्लीज मान जाओ ना , इसे बस कुल्फ़ी के जैसे चुबलाओ
मै भिन्की और मुझे यकीन हो गया कि मुझे ये करना ही पडेगा , उससे ज्यादा अफसोस इस बात का हो रहा था कि शायद अब मै आगे से कभी भी मलाई कुल्फ़ी ना खाउ , क्योकि जब भी खाउन्गी ये बात मेरे जहन मे जरुर आयेगी । मैने मुह खोलकर उनका लन्ड मुह ने लिया और वो सिहर उठे , दो चार बार मे मुझे उल्टी सा होने लगा और मैने मुह से निकाल दिया
वो - कोई बात नही मै तुम्हे सिखा दूँगा
उनकी बात से मुझे ये सोच कर हसी आई कि अब ये किस्का चुस कर मुझे दिखाएंगे हिहिहिही
मुझे मुस्कुराता पाकर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरी जान्घे एक बार फैली तो बस 20 मिंट तक फैली रही
कभी मेरे उपर चढ कर तो कभी मेरी टांग कन्धे पर उठाए वो मेरे चुत के परख्चे उड़ाते रहे और मै सिसकती रही ।
उस रात दो बार मेरी हुमच कर पेलाई हुई और देह देह दर्द से चूर हो गया ।
फिर वो मुझे कस के पकड कर सो गये ।
अगली सुबह मेरी जिज्ञासा थी कि क्म्मो ने भी कल रात चुदाई की या नही ।
दोनो भाई जब निचे गये तो मै क्म्मो के पास रात का हाल लेने के लिए पहुची तो उसने ब्ताया कि उनके बीच कुछ नही हुआ । देवर जी बिस्तर पर आये ही नही वो अलग बिस्तर पर सोये थे ।
मै समझ गयी कि उनकी मुहब्बत मै थी ।
दिन गुजरने लगे , हम चारों मे धीरे धीरे मिठास भरने लगी , धीरे धीरे हम चारो मे असहजता कम होने लगी ।
इधर हर रात तेरे फूफा मेरी जमकर 2 से 3 बार चुदाई करते कभी कभी दिन मे भी । उनसे चुत चटवाने के लिए अब मै भी पागल होने लगी हर बार एक नया सा अह्सास होता था और वही दूसरी ओर कम्मो और देवर जी मे कोई रिश्ता नही पनप रहा था । हफते भर बाद भी दोनो के बीच नजदिजिका नही आई , कम्मो के अनुसार उसने कोसिस भी की उनके करीब जाने की मगर वो रुचि नही दिखाते थे ।
मैं भी अब परेशान होने लगी और तेरे फूफा से कतराने लगी क्योकि जैसा हमने तय किया था वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था ।
आखिरकार रात मैने तेरे फुफा को सब बताया कि कैसे हफ्ते भर बाद ही देवर जी और क्म्मो एक दुसरे को अपना नही पाये है ।
वो - मुझे लगता है हमे एक बार फिर से दोनो को समझाना चाहिये , तुम क्या कहती हो ।
मै - अह जैसा आप ठिक समझे , लेकिन मै आपको कुछ ब्ताना चाहती हूँ जो अब तक मैने आपसे छिपाया है देवर जी को लेके ।
वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।
वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?
वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा
मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता
मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है
फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।
फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।
मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये
मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।
अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।
मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।
वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं
वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु
उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है
मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो
मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने
वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु
मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी
" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।
वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।
मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई
वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।
मैने कुछ सोचा और अपनी साडी उठाते हुए उनके आगे झुक गयी और उन्होने लन्ड बाहर निकाल कर पीछे से ही मेरी चुत मे दे दिया , मै झटके खाती रही और वो मुझे हचक हचक कर पेलते रहे फिर मरी गाड़ पर झड़ कर निकल गये ।
मुझे अब तेरे फुफा की बातें सही लगने लगी कि इस तपस्वी की साधना मुझे ही भन्ग करनी पड़ेगी ।
शाम को देवर जी वापस आये और आंगन ने बैठे हुए थे ।
मै अपने आंचल को ढील दी और ब्लाउज के दो हुक खोल दिये और उन्के आगे चाय रखने के साथ मेरा जोबन से मेरा पल्लू सरक कर कलाई मे आ गया
मुलायम गहरी लम्बी खाईदार छातियों पर उनकी नजरे पड़ी
और मैने अंजान होने का नाटक कर अपना आचल सम्भालते हुए खड़ी हुई और कोमल मुलायम पेट दिखाते हुए उनको अपनी कामुक नाभि के दिदार कराते हुए बडी मादक चाल से रसोई ने चली गयी ।
वही रसोई मे खड़ी कम्मो मेरी हरकते देख कर मेरे मजे लेने लगी ।
मै - अरे तेरा क्या है , तुझे तो रोज मिल रहा है , जबसे ये (मानसिंह) तेरे पास गये है मेरी तो हालत खराब हो गयि है ।
कम्मो - हा जीजी और वो लेते भी हचक के है ,मेरी तो कमर मे लचक आ जाती है ।
मै - कल रात कितनी बार हुआ तेरा
कम्मो - दो बार पर तय ही समझो और आज सुबह सुबह मै पेट के बल सोई थी , मेरे उठे हुए नितंब देख कर जोश मे आ गये और हिहिहिही
मुझे थोड़ी जलन हुई और मेरा बिगड़ा मुह देख कर क्म्मो मेरे कन्धे पर हाथ रख - चिंता ना करो दीदी , सब ठिक हो जायेगा शायद इन्हे कुछ वक़्त लगे मगर ये आपको जरुर प्यार देंगे आखिर इनका प्यार आप ही हो ना ।
मै कम्मो की बात पर बस हुन्कारि भरी मगर भीतर से मै ही जानती थी कि मै क्या मह्सूस कर रही थी
रात चढने लगी और एक बार फिर देवर जी निचे बिस्तर लगाने लगे तो मै भी उनके पास बैठ गयी सट कर ।
देवर - क्या हुआ भाभी
मै इठला कर - आपको नही पता क्या हुआ , मुझे तो लगता है आप उस रात बस बाते बना रहे थे हुह सचमुच का प्यार तो कभी आपको मुझसे था ही नही ।
देवर - नही नही शीलू मेरा प्यार ... स सॉरी भाभीई
मैने उनका हाथ पकडा और अपने सीने पर रखते हुए - खाईये मेरी कसम कि आपको मुझसे प्यार है
उनका हाथ कापने लगा और होठ सुखने लगे - भाभीई वो वो मै वो
मै खीझ कर- क्या भाभी भाभी लगा रखा है, मै आपकी बिवी हु समझे
वो - अह लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही देता , मैने तो कम्मो की मांग भरी है
मै भुनक कर उठी और उन्हे खिंच कर - बस मांग भरने को ही आप शादी मान्ते है तो आईये , चलिये आईये
वो भौचक्के मुझे निहारते रहे और मै उन्हे कमरे के मंदिर के पास लेके आई और मेरे हाथ मे सिन्दूर की डिबिया थी - लिजिए और भर दीजिये मेरी मांग और बना लिजिए मुझे अपना
देवर - अह भाभी ये मै कैसे
मै - अगर आपको सच मे मुझसे प्यार है तो आप मेरी माग जरुर भरेंगे , आपको मेरी कसम है
देवर - शीलू ये तुम
मै उन्के मुह से अपना नाम सुन्कर कर मुस्कुराई - अब भर भी दो ना जानू
वो खिले और मेरी मांग भर दी मैने उन्हे कस कर गले लगा लिया ।
वो भी मुझे कस कर फफक पडे और मुझे चूमने लगे मै मदहोश होने लगी और वो मुझे पीछे से जकड कर मेरी छातियां मिजने लगे
देवर - अह्ह्ह शीलू तुम्हारे दूध सच मे कितने मोटे है ऊहह , ना जाने कब से तड़प रहा था इन्हे छूने को ऊहह मेरी जान
मै - आह्ह मै भी तो आपके स्पर्श के लिए पागल हो रही थी
वो जल्दी जल्दी मेरे बलाऊज खोल्कर मुझे कमरे की दिवाल से ल्गा दिये और आगे से दोनो हाथो मे मेरी चुचियां पकड कर उन्हे निहारते हुए - अह्ह्ह कितने मुलायम है ये ऊहह खा लू क्या मेरी जान
मै मुस्कुराई और बोली -सोच लो आपके भैया ने जूठा किया है इन्हे
वो मुस्कुराये और मेरे एक निप्प्ल को मुह मे निचोड कर बोले - हम दोनो भाई बचपन से ही एक दूसरे का जूठा खाते आये है मेरी जान उम्म्ंम
वो मेरे जोबनो पर टूट पड़े और पागल होने लगी
वो मेरी जान्घे पकड कर उपर खिंचते हुए पजामे के भीतर से ही मेरी चुत पर अपना लन्ड घिसने लगे और मै ऊनके टोपे की ठोकर से सिस्क पड़ी- अह्ह्ह मेरे राजा निकालो ना बाहर उसे
देवर - क्या मेरी जान
मैने लपक कर पजामे के बने तम्बू की बास को हाथ मे जकड लिया - अह्ह्ह येह्ह्ह उम्म्ंम्ं चाहिये मुझे उह्ह्ह
वो मेरे सर को पकड़ कर निचे करते हुए - तो जाओ लेलो तुम्हारा ही है मेरी जान
मै समझ गयि कि दोनो भाइयो को लन्ड चुसवाने का शौक है और मै इस बार खुशी निचे बैठ गयी , पजामा खोला तो इस बार और भी मोटा मुसल मेरे आगे था । देवर जी के मुसल की मोटाई तेरे फुफा से ज्यादा थी ।
मै उसको चूमने से खुद को रोक ना सकी और मुह मे लेके चुबलाने लगी , वो हवा मे उड़ने लगे और सिस्कते हुए मेरे सर को सहलाने लगे - अह्ह्ह शीलू मेरी जान उह्ह्ह उहम्म और चुस मेरी रानी उह्ह्ह
2 मिंट मे ही मेरे गाल जवाब दे गये और वो पुरा मोटा फौलादी खुन्टा पुरा तप रहा था ।
उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चुत के मुहाने पर सेट करते हुए हचाक से लन्ड आधा उतार दिया
मेरी चुत की दीवारे फैल गयी और मेरी चिख भी गूंजने लगी । फचर फचर मेरी बुर रस छोड रही थी और थप्प थप्प उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकरा रही थी
लन्ड मेरी बुर के जड़ो मे चोट कर रहा था । वो मेरे उपर चढ़े हुए हचक ह्चक के पेल रहे थे ।
फिर मेरे पेट पर ही झड़ गये ।
जोश मे उस रात पुरे 3 बार मेरी ठुकाई हुई और हम चिपक कर सो गये ।
अगले 3 4 दिन हमने खुब चुदाई की हम दोनो बहने अब खुश थी , इधर दिन मे मौका मिलने पर तेरे फूफा कभी कभी मुझे दबोच लेते और मै उनके साथ खुल कर पेलाई करवाति ।
फिर एक दिन मेरे सास ससुर ननद के यहा से वापस आ गये ।
अब जहा हम चारो खुल कर अदला-बदली कर रहे थे उसमे सम्स्या आ गयी थी ।
रात मे मैनेज किया जा सकता था मगर दिन मे तो मुझे तेरे फुफा के साथ और देवर जी को क्म्मो के कमरे मे ही रहना पडेगा । ऐसा तय किया गया ।
फिर उसके बाद से दिन मे मै तेरे फूफा के साथ होती थी और रात मे देवर जी आते थे मेरे पास , बस तबसे हमारा रिश्ता यू ही बना हुआ है और तबसे मेरे दो पति है समझा ।
राज ने एक जोर की अंगड़ाई ली और अपना लन्ड मसलता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी स्टोरी तो सच मे मजेदार थी इह्ह्ह मूड बना दिया आपने ।
राज - अच्छा लेकिन वो उस रात जो मैने देखा था, छोटी बुआ दोनो फूफा के साथ । छोटे फूफा तो सिर्फ आपको पसंद करते थे ना फिर वो बड़े फूफा के साथ कैसे ?
शिला मुस्कुराई - वो हुआ यू था कि .....
तभी कमरे के दरवाजे पर खटखट हुई और बाहर से राज की मा रागिनी शिला को आवाज दे रही थी ।
जारी रहेगी
Hot Update BhaiUPDATE 203
अमन के घर
" नही मम्मी जी मै अकेले कही नही गयी ऐसे "
"अरे शादी के बाद पति के साथ नही जायेगी तो क्या अब हमारे साथ जायेगी " , ममता ने सोनल को समझाते हुए कहा ।
सोनल - हा आप चलो ना साथ मे मम्मी , फिर मुझे डर भी नही लगेगा ।
ममता हस कर - अरे तुम जवाँ जोड़ो के बीच मेरा क्या काम हिहिहिही मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने जाऊ तु भी ना बहू हिहिहिही
सोनल हस कर - अरे इसमे बूढ़े जवाँ की क्या बात है, मुझे अपनी सासु मा का साथ मिलेगा इससे बढ कर क्या चाहिये ।
ममता- तेरी बात ठिक है बहू लेकिन ऐसे समाज मे बात खुली तो लोग बातें बनायेंगे कि शादी के बाद भी अपनी मा के पल्लू से बन्धा रहता है अमन ।
सोनल - तो रहने देते है ना , मुझे वैसे भी अकेले जाना अच्छा नही लगता ।
ममता - अरे तो अपने मायके से किसी को लिवा ले , कह तो समधन जी से बात करू मै ।
सोनल - अच्छा तो इसको लेके लोग बातें नही बनायेंगे कि ब्याहने के बाद ये (अमन) जोरू के गुलाम हो गये , अपनी सगी मा को छोड कर सास को घुमाने ले गये हिहिही
ममता हसने लगी - हे भगवान तु भी ना कम नही है हिहिहिही अच्छा तो तु ही बता किसको साथ लिवा जायेगी ।
सोनल तपाक से बोली - मेरे चाचा की लड़की है ना निशा , अगर आप कहो तो ?
ममता - हम्म्म्म मतलब तेरा पूरा पूरा मन है घूमने का हिहिहिही
सोनल - जी मम्मी और निशा मेरी बहन कम सहेली ज्यादा है तो उसके साथ होने से मुझे दिक्कत नही होगी और शायद इनको भी टेन्सन कम हो क्योकि ये (अमन )भी तो पहली बार मेरे साथ बाहर जायेंगे ।
ममता - हम्मम्म बात तो तेरी ठिक है लेकिन क्या उसके पापा मम्मी इस बात के लिए राजी होंगे
सोनल - हा क्यूँ नही , हम लोग घूमने ही जा रहे है ना
ममता सोनल के भोलेपन पर मुस्कुराई और सोचने लगी , कि ये तो सच मे बहुत मासूम है और अगर ऐसी लड़की लन्ड चुसने से इंकार कर दे तो कोई बड़ी बात नही ।
ममता - अच्छा ठिक है इस बारे मे मै आज अमन के पापा से बात करूंगी , तु आराम कर
फिर ममता कमरे से निकली और गलियारे से होकर जिने की ओर जा रही थी कि भोला ने पीछे से आकर उसको पकड कर उपर सीढ़ीयो पर खिंच ले गया
ममता - आह्ह क्या कर रहे है कोई देख लेगा
भोला - ये क्या है भाभी , आप तो अपना काम निपटा कर हमे भूल ही गयी । इतना बड़ा फरेब वो भी हमसे । क्या क्या नही किया मैने आपकी खातिर बोलो ।
ममता मुस्कुराये जा रही थी - अच्छा बाबा हुआ क्या ?
भोला - हुआ क्या ? अभी भी आप पुछ रही है हुआ क्या ? अरे शादी को दो दिन हो गये और आप अपना वादा भूल जा रही है, कल तो मै घर जा रहा हु ना
ममता - अरे इतनी जल्दी , दो दिन और रुक जाते , सोनल के मायके से लोग आ रहे है ना ।
भोला - हा उसके लिए संगीता और रिन्की रुकेगी लेकिन मै निकल जाऊंगा
ममता कुछ सोचती हुई - अच्छा!
भोला - देखो भाभी अब बहुत तरसा लिया आपने मुझे , आज रात मुझे चाहिये तो चाहिये
ममता इतरा कर मुस्कुराई - क्या ?
भोला तिलमिलाया और अपना मुसल रगड़ते हुए ममता की चुत को उसकी सलवार के उपर से सहलाता हुआ - आह्ह भाभी आपकी ये रसदार चुत देदो उह्ह्ह
ममता सिसकी और उसका हाथ झटक कर - क्या नंदोई जी आप भी , रात मे मिलते है ना अपने अड्डे पर
भोला - प्कका ना
ममता ने हा मे सर हिला कर - प्कका
फिर दोनो अलग हो गये ।
वही निचे मुरारी के कमरे मे अलग ही चर्चा हो रही थी ।
अमन मोबाईल मे अदाकारा मन्दाकीनि की एक बिकनी शूट वाली तस्वीर अपने बाप को दिखा रहा था ।
मुरारी - वाह वाह वह बेटा तुने तो मौसम बना दिया अह्ह्ह क्या कटीली छमिया थी ये आह्ह
अमन - तो क्या मम्मी भी ऐसे ही दिखती थी पापा ?
मुरारी मोबाईल मे तस्वीर मे मन्दाकीनि के ब्रा मे उभरे हार्ड निप्स देखने मे खोया हुआ - हा हा बेटा बिल्कुल ऐसे ही ।
अमन - बताओ ना पापा क्या हुआ था उस दोपहर को
मुरारी अमन के सवाल पर ध्यान देता हुआ अपने मुसल को भींच कर - आह्ह उस दुपहर को घर पर कोई नही था , बस मै और तेरी मा थे ।
3 दिन से मै भीतर से जल रहा था । उस दिन वो मेरे लाये हुए ब्रा साध रही थी और उससे हुक नही लग रहे थे , मै बाहर झन्गले से भितर निहार रहा था और फिर उसने मुझे भितर बुलाया
अमन अपना मुसल मसल कर - फिर पापा
मुरारी - फिर मेरी नजर तेरी मा की पीठ पर गयि उसके जिस्म की मुलायम स्पर्श से मै पिघल गया और हम बहक गये
अमन - अरे वाह तो क्या आप सच मे खुद से खरीद कर मम्मी के लिए अंडरगार्मेंट्स लाये थे
मुरारी - हा भाई बहुत झेप मह्सूस होती थी और पता है दो बार साइज़ की वजह से बदलने जाना पड़ा सो अलग
अमन हसता हुआ - वाव पापा आप तब भी इतने रोमैंटिक थे हिहिहिही तो क्या ये रोमान्स अभी भी जारी है या
मुरारी - मतलब
अमन हस कर - अरे मतलब अब भी मम्मी के लिए आप वो सब लाते हो क्या ?
मुरारी - क्या , छे छे नही बिल्कुल नही ?
अमन - क्यू ?
मुरारी - अरे वो खुद से ले लेती है और ...
मुरारी बोल कर रुक गया फिर थोडा सोच कर - और उसका साइज़ तो यहा लोकल के बाजार मे मिलता ही कहा है तो कहा से लाऊ , अब तो सालों बीत गये
अमन - अरे पापा तो ऑनलाइन ऑर्डर कर लिया करो ना
मुरारी - अरे भाई मै 8वी पास आदमी हु फोन के ये गणित मेरी समझ से बाहर होते है , वैसे होता कैसे है ये ऑर्डर जो तु बता रहा है
अमन अपना मोबाईल खोलकर - अरे पापा ये देखो ये है शॉपिंग ऐप्प इसमे सब कुछ दुकान जैसा होता है , जो चाहिये सब मिलेगा ।
मुरारी - तो क्या इसमे तेरी मा की साइज़ के मिल जायेगे
अमन - हा बिल्कुल वो भी एक से बढ कर एक फैंसी डिजाईनर ।
मुरारी कुछ सोच कर - तो एक जोड़ी मगा ले , अगर सही हुआ तो और भी ऑर्डर करेंगे
अमन हस कर - अरे लेकिन मम्मी का साइज़ क्या है वो तो बताओ
मुरारी - अरे यार ये सम्स्या हो गयी , अब उसका साइज़ कैसे पता करू
अमन - अरे पुछ लो ना
मुरारी - नही भाई तु नही जानता ये औरतों के चोचले , अभी देखा नही घुमाने ना ले जाने के लिए कैसे ताना दिया ।
अमन हसने लगा - तो ?
मुरारी - अच्छा मै देखता हूँ फिर तुझसे बात करता हु ठिक है
अमन - ओके पापा , तो मै जाऊ
मुरारी - अह ठिक है लेकिन बेटा वो हीरोइन की और भी कुछ तस्वीरें निकालना ना
अमन हसता हुआ - जी पापा हिहिहिही
राज के घर
राज - किसका फ़ोन था बुआ , उफ्फ़ आप तो मजा किरकिरा कर रहे हो
शिला मुस्कुरा कर - बस हो गया बेटा आजा इधर
राज शिला के फिर से चिपका और उसकी चुचिया मिजते हुए - अब तो बताओ आगे क्या हुआ , चूसा आपने फुफा का मुसल
शिला - हम्म्म
वो मेरे हिसाब से बहुत आगे के इन्सान थे , पढ़ाई लिखाई और शहर मे कोचिंग क्लास भी लेते थे दोनो । उन्के मोर्डन खयालात मै उनकी चुत चुसाई से ही समझ गयी थी ।
वो - अह जान प्लीज मान जाओ ना , इसे बस कुल्फ़ी के जैसे चुबलाओ
मै भिन्की और मुझे यकीन हो गया कि मुझे ये करना ही पडेगा , उससे ज्यादा अफसोस इस बात का हो रहा था कि शायद अब मै आगे से कभी भी मलाई कुल्फ़ी ना खाउ , क्योकि जब भी खाउन्गी ये बात मेरे जहन मे जरुर आयेगी । मैने मुह खोलकर उनका लन्ड मुह ने लिया और वो सिहर उठे , दो चार बार मे मुझे उल्टी सा होने लगा और मैने मुह से निकाल दिया
वो - कोई बात नही मै तुम्हे सिखा दूँगा
उनकी बात से मुझे ये सोच कर हसी आई कि अब ये किस्का चुस कर मुझे दिखाएंगे हिहिहिही
मुझे मुस्कुराता पाकर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरी जान्घे एक बार फैली तो बस 20 मिंट तक फैली रही
कभी मेरे उपर चढ कर तो कभी मेरी टांग कन्धे पर उठाए वो मेरे चुत के परख्चे उड़ाते रहे और मै सिसकती रही ।
उस रात दो बार मेरी हुमच कर पेलाई हुई और देह देह दर्द से चूर हो गया ।
फिर वो मुझे कस के पकड कर सो गये ।
अगली सुबह मेरी जिज्ञासा थी कि क्म्मो ने भी कल रात चुदाई की या नही ।
दोनो भाई जब निचे गये तो मै क्म्मो के पास रात का हाल लेने के लिए पहुची तो उसने ब्ताया कि उनके बीच कुछ नही हुआ । देवर जी बिस्तर पर आये ही नही वो अलग बिस्तर पर सोये थे ।
मै समझ गयी कि उनकी मुहब्बत मै थी ।
दिन गुजरने लगे , हम चारों मे धीरे धीरे मिठास भरने लगी , धीरे धीरे हम चारो मे असहजता कम होने लगी ।
इधर हर रात तेरे फूफा मेरी जमकर 2 से 3 बार चुदाई करते कभी कभी दिन मे भी । उनसे चुत चटवाने के लिए अब मै भी पागल होने लगी हर बार एक नया सा अह्सास होता था और वही दूसरी ओर कम्मो और देवर जी मे कोई रिश्ता नही पनप रहा था । हफते भर बाद भी दोनो के बीच नजदिजिका नही आई , कम्मो के अनुसार उसने कोसिस भी की उनके करीब जाने की मगर वो रुचि नही दिखाते थे ।
मैं भी अब परेशान होने लगी और तेरे फूफा से कतराने लगी क्योकि जैसा हमने तय किया था वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था ।
आखिरकार रात मैने तेरे फुफा को सब बताया कि कैसे हफ्ते भर बाद ही देवर जी और क्म्मो एक दुसरे को अपना नही पाये है ।
वो - मुझे लगता है हमे एक बार फिर से दोनो को समझाना चाहिये , तुम क्या कहती हो ।
मै - अह जैसा आप ठिक समझे , लेकिन मै आपको कुछ ब्ताना चाहती हूँ जो अब तक मैने आपसे छिपाया है देवर जी को लेके ।
वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।
वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?
वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा
मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता
मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है
फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।
फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।
मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये
मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।
अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।
मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।
वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं
वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु
उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है
मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो
मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने
वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु
मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी
" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।
वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।
मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई
वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।
मैने कुछ सोचा और अपनी साडी उठाते हुए उनके आगे झुक गयी और उन्होने लन्ड बाहर निकाल कर पीछे से ही मेरी चुत मे दे दिया , मै झटके खाती रही और वो मुझे हचक हचक कर पेलते रहे फिर मरी गाड़ पर झड़ कर निकल गये ।
मुझे अब तेरे फुफा की बातें सही लगने लगी कि इस तपस्वी की साधना मुझे ही भन्ग करनी पड़ेगी ।
शाम को देवर जी वापस आये और आंगन ने बैठे हुए थे ।
मै अपने आंचल को ढील दी और ब्लाउज के दो हुक खोल दिये और उन्के आगे चाय रखने के साथ मेरा जोबन से मेरा पल्लू सरक कर कलाई मे आ गया
मुलायम गहरी लम्बी खाईदार छातियों पर उनकी नजरे पड़ी
और मैने अंजान होने का नाटक कर अपना आचल सम्भालते हुए खड़ी हुई और कोमल मुलायम पेट दिखाते हुए उनको अपनी कामुक नाभि के दिदार कराते हुए बडी मादक चाल से रसोई ने चली गयी ।
वही रसोई मे खड़ी कम्मो मेरी हरकते देख कर मेरे मजे लेने लगी ।
मै - अरे तेरा क्या है , तुझे तो रोज मिल रहा है , जबसे ये (मानसिंह) तेरे पास गये है मेरी तो हालत खराब हो गयि है ।
कम्मो - हा जीजी और वो लेते भी हचक के है ,मेरी तो कमर मे लचक आ जाती है ।
मै - कल रात कितनी बार हुआ तेरा
कम्मो - दो बार पर तय ही समझो और आज सुबह सुबह मै पेट के बल सोई थी , मेरे उठे हुए नितंब देख कर जोश मे आ गये और हिहिहिही
मुझे थोड़ी जलन हुई और मेरा बिगड़ा मुह देख कर क्म्मो मेरे कन्धे पर हाथ रख - चिंता ना करो दीदी , सब ठिक हो जायेगा शायद इन्हे कुछ वक़्त लगे मगर ये आपको जरुर प्यार देंगे आखिर इनका प्यार आप ही हो ना ।
मै कम्मो की बात पर बस हुन्कारि भरी मगर भीतर से मै ही जानती थी कि मै क्या मह्सूस कर रही थी
रात चढने लगी और एक बार फिर देवर जी निचे बिस्तर लगाने लगे तो मै भी उनके पास बैठ गयी सट कर ।
देवर - क्या हुआ भाभी
मै इठला कर - आपको नही पता क्या हुआ , मुझे तो लगता है आप उस रात बस बाते बना रहे थे हुह सचमुच का प्यार तो कभी आपको मुझसे था ही नही ।
देवर - नही नही शीलू मेरा प्यार ... स सॉरी भाभीई
मैने उनका हाथ पकडा और अपने सीने पर रखते हुए - खाईये मेरी कसम कि आपको मुझसे प्यार है
उनका हाथ कापने लगा और होठ सुखने लगे - भाभीई वो वो मै वो
मै खीझ कर- क्या भाभी भाभी लगा रखा है, मै आपकी बिवी हु समझे
वो - अह लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही देता , मैने तो कम्मो की मांग भरी है
मै भुनक कर उठी और उन्हे खिंच कर - बस मांग भरने को ही आप शादी मान्ते है तो आईये , चलिये आईये
वो भौचक्के मुझे निहारते रहे और मै उन्हे कमरे के मंदिर के पास लेके आई और मेरे हाथ मे सिन्दूर की डिबिया थी - लिजिए और भर दीजिये मेरी मांग और बना लिजिए मुझे अपना
देवर - अह भाभी ये मै कैसे
मै - अगर आपको सच मे मुझसे प्यार है तो आप मेरी माग जरुर भरेंगे , आपको मेरी कसम है
देवर - शीलू ये तुम
मै उन्के मुह से अपना नाम सुन्कर कर मुस्कुराई - अब भर भी दो ना जानू
वो खिले और मेरी मांग भर दी मैने उन्हे कस कर गले लगा लिया ।
वो भी मुझे कस कर फफक पडे और मुझे चूमने लगे मै मदहोश होने लगी और वो मुझे पीछे से जकड कर मेरी छातियां मिजने लगे
देवर - अह्ह्ह शीलू तुम्हारे दूध सच मे कितने मोटे है ऊहह , ना जाने कब से तड़प रहा था इन्हे छूने को ऊहह मेरी जान
मै - आह्ह मै भी तो आपके स्पर्श के लिए पागल हो रही थी
वो जल्दी जल्दी मेरे बलाऊज खोल्कर मुझे कमरे की दिवाल से ल्गा दिये और आगे से दोनो हाथो मे मेरी चुचियां पकड कर उन्हे निहारते हुए - अह्ह्ह कितने मुलायम है ये ऊहह खा लू क्या मेरी जान
मै मुस्कुराई और बोली -सोच लो आपके भैया ने जूठा किया है इन्हे
वो मुस्कुराये और मेरे एक निप्प्ल को मुह मे निचोड कर बोले - हम दोनो भाई बचपन से ही एक दूसरे का जूठा खाते आये है मेरी जान उम्म्ंम
वो मेरे जोबनो पर टूट पड़े और पागल होने लगी
वो मेरी जान्घे पकड कर उपर खिंचते हुए पजामे के भीतर से ही मेरी चुत पर अपना लन्ड घिसने लगे और मै ऊनके टोपे की ठोकर से सिस्क पड़ी- अह्ह्ह मेरे राजा निकालो ना बाहर उसे
देवर - क्या मेरी जान
मैने लपक कर पजामे के बने तम्बू की बास को हाथ मे जकड लिया - अह्ह्ह येह्ह्ह उम्म्ंम्ं चाहिये मुझे उह्ह्ह
वो मेरे सर को पकड़ कर निचे करते हुए - तो जाओ लेलो तुम्हारा ही है मेरी जान
मै समझ गयि कि दोनो भाइयो को लन्ड चुसवाने का शौक है और मै इस बार खुशी निचे बैठ गयी , पजामा खोला तो इस बार और भी मोटा मुसल मेरे आगे था । देवर जी के मुसल की मोटाई तेरे फुफा से ज्यादा थी ।
मै उसको चूमने से खुद को रोक ना सकी और मुह मे लेके चुबलाने लगी , वो हवा मे उड़ने लगे और सिस्कते हुए मेरे सर को सहलाने लगे - अह्ह्ह शीलू मेरी जान उह्ह्ह उहम्म और चुस मेरी रानी उह्ह्ह
2 मिंट मे ही मेरे गाल जवाब दे गये और वो पुरा मोटा फौलादी खुन्टा पुरा तप रहा था ।
उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चुत के मुहाने पर सेट करते हुए हचाक से लन्ड आधा उतार दिया
मेरी चुत की दीवारे फैल गयी और मेरी चिख भी गूंजने लगी । फचर फचर मेरी बुर रस छोड रही थी और थप्प थप्प उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकरा रही थी
लन्ड मेरी बुर के जड़ो मे चोट कर रहा था । वो मेरे उपर चढ़े हुए हचक ह्चक के पेल रहे थे ।
फिर मेरे पेट पर ही झड़ गये ।
जोश मे उस रात पुरे 3 बार मेरी ठुकाई हुई और हम चिपक कर सो गये ।
अगले 3 4 दिन हमने खुब चुदाई की हम दोनो बहने अब खुश थी , इधर दिन मे मौका मिलने पर तेरे फूफा कभी कभी मुझे दबोच लेते और मै उनके साथ खुल कर पेलाई करवाति ।
फिर एक दिन मेरे सास ससुर ननद के यहा से वापस आ गये ।
अब जहा हम चारो खुल कर अदला-बदली कर रहे थे उसमे सम्स्या आ गयी थी ।
रात मे मैनेज किया जा सकता था मगर दिन मे तो मुझे तेरे फुफा के साथ और देवर जी को क्म्मो के कमरे मे ही रहना पडेगा । ऐसा तय किया गया ।
फिर उसके बाद से दिन मे मै तेरे फूफा के साथ होती थी और रात मे देवर जी आते थे मेरे पास , बस तबसे हमारा रिश्ता यू ही बना हुआ है और तबसे मेरे दो पति है समझा ।
राज ने एक जोर की अंगड़ाई ली और अपना लन्ड मसलता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी स्टोरी तो सच मे मजेदार थी इह्ह्ह मूड बना दिया आपने ।
राज - अच्छा लेकिन वो उस रात जो मैने देखा था, छोटी बुआ दोनो फूफा के साथ । छोटे फूफा तो सिर्फ आपको पसंद करते थे ना फिर वो बड़े फूफा के साथ कैसे ?
शिला मुस्कुराई - वो हुआ यू था कि .....
तभी कमरे के दरवाजे पर खटखट हुई और बाहर से राज की मा रागिनी शिला को आवाज दे रही थी ।
जारी रहेगी
कामुकता से परिपूर्णUPDATE 113
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
[ MEGA ]
अब तक
इनकी खरीदारी तो हो गयी थी मगर सबके मन में अपनी अपनी प्लानिंग थी घर जाकर
रमन और सोनल तो अपने अपने हमसफर से संपर्क बनाने मे व्यस्त थे ।
वही रज्जो और राजन की रात मे एक और धमाकेदार चुदाई की तलब हो रही थी ।
पल्लवि अनुज को छेड़ कर मजे लेने की योजना बना रही थी वही अनुज फिर से पल्लवि के होठो से जुड़ने को परेशान हुआ जा रहा था और उसके मन में काफी सारे सवाल थे ।
इधर ममता ने तय कर रखा था कि अब वो जबतक अपने भैया के साथ चुदवा न ले उसे चेन नही पडेगा तो वो भी नयी योजनाये बना रही थी कि कैसे कम्ल्नाथ से नजदीकिया बड़ाई जाये ।
फिर कमलनाथ की हालत कम खराब नही थी वो भी अपनी बहन के साथ समय बिताने को उतावला था और उसे अंडरगरमेंट्स वाले सेक्सन मे हुए वक्तव्यो पर चर्चा करनी थी जो बार बार उसे उत्तेजित किये जा रही थी ।
अब आगे
शाम 4 बजे तक सारे लोग रेस्तरां से खाना खाने के बाद घर आ गये फिर अपने अपने समानो के साथ अपने अपने कमरो मे चले गये आराम करने के लिए और थकान के कारण लगभग सभी लोग सो जाते है।
शाम को 6 बजे के करीब रज्जो उठती है तो पहले खुद फ्रेश होकर कमलनाथ को जगाती है । फिर शाम के नास्ते की तैयारी करने निचे किचन मे जाती है ,,जहा ममता पहले से चूल्हे पर चाय चढा कर , दुसरे चुल्हे पर चिप्स निकाल रही होती है ।
रज्जो - अरे ममता क्या तू भी अकेले अकेले लग गयी ,, मुझे जगा देती ना
ममता - भाभी ये मेरा भी घर है ना ,, आप सिर्फ अपना हक ना जताया करो
रज्जो हस कर ममता को छेड़ते हुए - हा हा क्यू नही यहा का सब तेरा ही तो है यहा तक कि मेरे पति भी तेरे है हिहिहिहिही
ममता तुनकते हुए - हा तो , वो मेरे भैया मेरे ही रहेंगे ना
रज्जो हस कर ममता के करीब जाकर - हा तो अपने भैया का लण्ड भी लेले फिर हिहिहिही
ममता शर्मा कर - धत्त भाभी आप भी ना , हटिये मै भैया को चाय देके आती हू
रज्जो ह्स कर - एक बार उनको अपना दुध पिला के तो देख ,,,, हिहिहिही
ममता बिना कुछ बोले ह्स्ते हुए उपर निकल गयी और कमलनाथ के कमरे मे घुसती है ।
कमलनाथ सोफे पर बैठा टीवी पर न्यूज़ देख रहा था और ममता को कमरे मे आते देख आवाज स्लो कर दिया
कमलनाथ - अरे ममता आज तू लाई है चाय ,,
ममता हस कर - क्यू भाभी को ही भेजू क्या हिहिहिही
कमलनाथ ह्स कर - अरे नही ऐसी बात नही ,,, आ बैठ बताता हू
ममता ह्स कर ट्रे टेबल पर रख सोफे पर कमलनाथ के बगल मे बैठ गयी - हा बोलो अब हिहिहिही
कमलनाथ - अरे वो मुझे याद आ गया ना शादी के पहले तो तू ही मेरा ख्याल रखती थी और आज कितने सालो बाद तेरे हाथ की चाय मिल रही है इसिलिए बोला
ममता हस कर - ओह्ह्ह ये बात ,मै समझी आपको भाभी की याद आ रही है हिहिहिहिही
कमलनाथ हस कर - हाहहह्हा तू ना बिल्कुल नही बदली ,,अब भी उतनी चंचल है
ममता बस शर्मायी
कमलनाथ थोडा रुका और ममता को निहारा , ममता अपने भैया द्वारा खुद को ऐसे निहारे जाने पर थोडा अटपटा महसूस कर रही थी ,उसकी दिल की तरंगे तेजी से अपनी साइकिल बनाये जा रही थी ।
कमलनाथ ने उसकी ओर से नजर हटा कर चाय का सिप लेते हुए थोड़ा झिझक भरे लहजे मे बोला - ममता वो कपडे तुने नापे , साइज़ सही है ना
ममता की सासे अटक गयी कि भैया ये क्या पुछ रहे है - न न नही भैया क्यू
कमलनाथ चाय की सिप लेते हुए - वो अगर साइज़ छोटा ब्डा हुआ तो बदल सकते है 2 दिन का समय रहता है उसमे
ममता थोडा नजरे नीची करके- नही भैया मैने पहना नही अब तक
कमलनाथ - ठीक है ट्राई करके बताना
ममता हस कर धीरे से फुसफुसाती है जिसे कमल्नाथ सही से सुन नही पाता - क्यू आप देखोगे क्या हिहिहिही
कमलनाथ थोडा अनुमान लगाते हुए - मतलब, मै सुना नही फिर से कहो
ममता इस बार शर्मा कर लेकिन हस्ते हुए -वो वहा दुकान पर क़ो औरत कह रही थी ना कि मै वो पहन कर आपको दिखाऊ ,,,कही आप अब भी तो वही नही सोच रहे है ना हिहिहिही
कमलनाथ ममता की बात सुन कर धक्क सा रहगया लेकिन ममता का खिलखिलाता चेहरा देख कर वो मुस्काराया - क्या तू भी ,,,, मजे ले रही है मेरे हा ,,उसने तो तेरे पति यानी राजन के लिए कहा था ना हिहिहिही
ममता शर्मा कर - हा लेकिन तब उस वक़्त मेरे पति आप थे ना हिहिहिहिही
कमलनाथ के दिल की धड़कने ममता के इस वक्तव्य से और तेज हो गयी औए उस्का लण्ड मे उठाव होने लगा । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले वही एक ओर अच्छे से ये भी जान रहा था कि ममता उसकी खिचाई कर रही है क्योकि ये उसकी बचपन की आदत थी । मगर कमलनाथ के मन मे कुछ और भी ख्याल थे जो वो ममता से खुले शब्दो मे कह नही सकता था ।
कमलनाथ कुछ विचार किया और सोचा कि अभी फिल्हाल के लिए अपनी भाव्नाओ को किनारे कर थोडा बहुत ममता से हसी मजाक ही कर लिया जाये
कमलनाथ - ह्म्म्ं बात तो सही है ,,, इसका मतलब तुम मेरे सामने
ममता कमलनाथ की बाते पूरी करने से पहले ही ह्स्ते हुए - छीईई भैया क्या आप भी ,, मै कैसे आपके सामने ,,,मतलब सम्झिये ना मुझे शर्म आयेगी ना
कमलनाथ ममता के मुह ऐसे बाते सुन कर उसे मह्सूस हुआ कि मानो एक तल पर ममता उस बात के तैयार है जो वो खुद चाहता है ,,मतलब ममता उसके सामने वो ब्रा पैंटी पहन के आना चाहती है और उसे दिखाना चाहती है मगर रिश्ते की मर्यादा और लाज वस वो ऐसा करने से कतरा रही है ।
इधर ये सब विचार आते ही कमलनाथ का लंड अंगड़ाई लेने लगा ।
कमलनाथ ह्स कर - धत्त पगली , तू ऐसे कह रही है मानो मै कोई गैर हू ,,,याद है बचपन में मा से ज्यादा तू मेरे हाथो से नहाना पसंद करती थी और तुझे मै ही कपडे पहनाता था , स्कूल के लिए तैयार करता था ।
ममता बचपन की उन यादो का अह्सास पाते ही उन्हे अब के समय के हिसाब से जोड कर कल्पना करने लगी कि अगर अभी उस्के भैया उसे नहलाते और तैयार करते तो,,,ममता उस कल्पना मात्र से ही गनगना गयी और उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी ।
ममता नजरे नीची किये शर्मा कर - हा लेकिन भैया तब मै छोटी थी और अब मै
कमलनाथ - अब क्या ???
ममता झिझक कर - अब मै बडी हो गयी हू भैया तो कैसे ??
कमलनाथ हस कर - माना कि तू बडी हो गयी , तेरी शादी भी हो गयी और तेरे बच्चे भी है मगर इनसब के बाद भी हम दोनो का रिश्ता तो वही ही है ना जो तब था । मेरे लिए तू तो आज भी मेरी छोटी बहन है गुड़िया जैसी
ममता अपने भैया के मुह से इतनी गहरी बाते सुन के एक बार नजरे उठा कर उनको देखती है तो वो उसे ही देख रहा था ।
ममता शर्मा कर वापस नजरे निचे करते हुए - आपकी बात ठीक है भैया लेकिन
कमलनाथ हौले से ममत की ठुडी को उठाके उसकी आंखो मे देखता हुआ - लेकिन क्या ममता , माना कि आज तेरे कपड़ो के साइज़ बदल गये है , तू पहले से और सुन्दर दिखने लगी है , मगर इनसब से मेरी वो प्यारी चंचल गुड़िया बदल तो नही गयी ,,,तू तो आज भी वैसी ही है जैसे तब थी ।
ममता कमलनाथ की बातो पर शर्मायी
कमलनाथ उससे कबूलवाते हुए -बोल मै कुछ गलत कह रहा हू
ममता मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाती है
कमलनाथ ने मौका देख के अपनी जुठी चाय का कप उसकी ओर देख कर - ले चल तू भी पि ,,याद है तेरी शादी होने तक हम दोनो एक ही ग्लास मे चाय पीते थी और एक ही थाली मे खाते थे
ममता हस कर कमलनाथ के हाथ से चाय का प्याला लेके सिप लेती है - हिहिहिही हा भैया याद है
फिर ममता थोडा सोचते हुए - पर !!!!
कमलनाथ अचरज से - पर क्या ??
ममता शर्मा कर ह्सते हुए - वो आप अपना मोबाईल दे दीजिये मै वो कपडे पहन के फ़ोटो निकाल के दे दूँगी आपको ,,मगर ऐसे आपके सामने नही
कमलनाथ की आंखे चमक गयी मगर वो अपनी भावणाए छिपात हुआ - हाहहाहा तू अब भी उसके बारे सोच रही है ,,, पागल कही की मै यहा हमारे बचपन की बाते कर रहा हु।
ममता को लगा उसने उस्ताह मे कही जल्दी तो नही कर दी ।मगर कमलनाथ के अगले वक्तव्य से उसकी गलतफहमी दुर हो गयी ।
कमलनाथ - ले ये मेरा मोबाइल,,, निकालना हो तो अच्छी तस्वीरे निकालना ,पगली कही की
ममता भी कमलनाथ के साथ हसने लगती है ।
फिर ममता वहा से मोबाईल लेके अपने कमरे मे चली जाती है जहा राजन अभी तक सो रहा होता है ।
वही इनसब के अलग निचे के हाल मे पल्लवि चाय की चुस्कियां लेते हुए बार बार अपने रसिले होठो को कभी दाँतो से चबा कर तो कभी उन्पे अपनी गुलाबी नुकीली जीभ फिरा कर अनुज को उत्तेजित कर रही थी ।
अनुज की हालत खराब हो रही थी और उसे बहुत डर लग रहा था कि कही कोई पल्लवी को ऐसे सब करते हुए देख ना ले
मगर पल्लवी इनसब साव्धानियो के लिए बहुत ही चालाक थी वो सारे पैतरे सोच समझ कर ही चलाती थी ।
थोडी देर मे सारे लोग हाल मे एकजुट हुए और फिर खाने की प्लानिंग होने लगी ।
ऐसे मे कमलनाथ थोडा मूड बनाने की फिराक मे था मगर ममता नही चाह रही थी कि आज उसके भैया कोई नशा करे क्योकि वो आज उन्हे अपनी जवानी का नशा कराणे के मूड मे थी ,,,लेकिन दिक्कत ये थी कि रज्जो और राजन के रहते वो अपने भैया के साथ रात मे कैसे रुके ।
वही रज्जो और राजन इसी फिराक मे थे कि कमलनाथ और ममता के रहते कैसे कोई काम हो ।
इनसब के अलग पल्लवि और अनुज की अपनी बेचैनी थी , वो दोनो भी इस गहरी रात का फाय्दा लेके अपने विचारो और भावानाओ का आदान प्रदान करने की फिराक मे थे लेकिन सोनल जोकि देर रात तक अपने होने वाले पति से बाते करती थी , बिना उस्के सोये उन दोनो का काम अधूरा था
कमलनाथ - चलो राजन छत पर चलते हैं, थोडा टहल लिया जाये
कमलनाथ की बात पर ममता गुस्सा कर बोली - नही भैया आप लोग यही बैठो कही जाने की जरुरत नही है
राजन - क्या बात है तू ऐसे नाराज क्यू हो रही है
राजन के वक्तव्य से ममता को समझ आया कि वो ओवररियेक्शन दे रही है ।
कमलनाथ - हा ममता क्या हुआ बता तो
ममता कुछ सोच कर - क्या भैया आपको तो कुछ पडी ही नही है मेरी ,,,ये नही इतने साल बाद आयी हू कुछ बाते मेरे साथ भी करे ,बस रोज पीकर सो जाते है आप
ये बोलते हुए ममता थोडी रुआसी हो जाती है
कमलनाथ को कुछ समझ नही आता है कि अचानक से क्या हुआ इसको ,,फिर वो ममता को भावुक होता देख उसके पास गया और बोला - ओह्ह्ह सॉरी ना ममता ,, आज से पीना बंद , जबतक तू है हम रोज बाते करेंगे ठीक है
ममता थोडा खुश होते हुए - और सिनेमा
कमलनाथ अचरज से - सिनेमा मतलब
ममता फिर से मुह बनाते हुए - भूल गये ना , जब मै गाव थी तो आप ही बोले थे हम सबको सिनेमा ले जाने के लिए , आपको तो कुछ याद भी नही रहता
पल्लवि - हा मामा , आप बोले , जबसे आये हैं हम लोग बस काम काम काम
कमलनाथ हस कर - अच्छा ठीक है भई, कल हम सब लोग सिनेमा जायेन्गे खुश ।
पल्लवि चहक कर - हिहिहिही जी मामा
कमलनाथ - और ममता तू
ममता इतरा कर - हा वो ठीक है लेकिन बाकी का अभी खाने के बाद बताउन्गी आपसे बाते करते हुए
सारे लोग ममता की मासूमियत और भोलेपन हस रहे थे ,,वही ममता मे ब्ड़ी चालाकी से आज रात अपने भैया के साथ बिताने का प्लान बना चुकी थी ।
फिर कमलनाथ वही हाल मे बैठ कर आगे की तैयारियो के बारे मे बाते करने लगे ।
थोडी देर बाद किचन मे सारी महिला मंडली जमा हुई और खाना बनाने की तैयारियो मे सब लग गये ।
पल्लवि जो कि सिनेमा जाने को काफी आतुर हुए जा रही थी वो सोनल से बोली - दीदी कल आप क्या पहनोगे
सोनल - मै सोच रही हूँ कल जीन्स डाल लू ,,काफी समय से नही पहना हिहिहिही
पल्लवि चहक कर - फिर तो मै भी आज जो नयी जीन्स ली है वही पहन के चलूंगी हिहिहिही
सोनल ममता से - तो बुआ आप लोग क्या पहन मे जाओगे
ममता हस कर - हमारी किस्मत मे जीन्स कहा बेटी हिहिहिहिही ,, कुल्हे चौडे हो गये हैं हमारे , क्यू भाभी
रज्जो हस कर - अरे ऐसी कोई बात नही है, मेरे पास मेरे नाप के जीन्स है हिहिहिही
रज्जो की बात पर पल्लवि सोनल और ममता चौके
सोनल - सच मे मौसी , लेकिन आपको देखा नही कभी ऐसे हिहिहिही
रज्जो हस कर - वो तेरे मौसा लाते रहते है मेरे लिए कभी कभी कुर्ती के साथ डाल लेती हू
सोनल चहक कर - फिर कल आप भी जीन्स ही पहनना मौसी
पल्लवि - लेकिन फिर मम्मी अकेले साड़ी मे रहेगी क्या
रज्जो - अरे ऐसे कैसे ,,,मेरे पास कुछ पुराने जीन्स है वो ममता को फिट आयेन्गे
ममता एक पल को खुश हुई फिर भी अपने दिल की भावनाओ पर नियंत्रण करते हुए - धत्त भाभी क्या आप भी ,,,इस उम्र मे जीन्स पहनूँगी हिहिहिही
रज्जो हस कर - अरे एक बार पहन के निकलो तो मेरी ननद रानी ,,,,, जवाँ लौंडे भी पागल होकर इन कसे चुतडो को घुरेन्गे हिहिहिही
रज्जो की बात पर सोनल और पल्लवि मुह दबा कर हसने लगे ।
ममता रज्जो की बातो का जवाब देते हुए - आपके सामने मेरे कुल्हे को निहारेगा भाभी हिहिहिहिही
रज्जो हस कर - कोई निहारे या ना निहारे तेरे भैया जरुर निहारेंगे हिहिहिहिही
ममता अपने भैया के सामने जीन्स मे जाने के अह्सास से ही सिहर गयी और हस कर बोली - क्या भाभी चूप करो , बच्चे है हिहिहिही
फिर सारे लोग ऐसी ही मस्तिया करते हुए खाना बनाने मे लगे रहे । वही हाल मे जेन्स लोग बैठे हुए आप्स मे बाते कर रहे थे लेकिन सब के सब मानसिक रूप से कही और ही खोये हुए थे ।
थोडी देर बाद सारे बच्चे लोग खाना खाकर अपने अपने कमरो की ओर निकल गये ,,,सोनल के साथ जाते वक़्त पल्लवी ने अनुज को आंख मारी और मुस्कुरा कर उसके साथ निकल गयी । अनुज भी कुछ सोचते हुए अपने कमरे मे गया
फिर रमन भी अपने कमरे मे चला गया ।
स्बके जाने के बाद हाल मे राजन रज्जो ममता और कमलनाथ बैठे हुए थे ।
राजन आज ममता के साथ नही बल्कि रज्जो के साथ थकने के मूड मे था तो वो सोचा कि क्यू ना नीद आने का बहाना किया जाये ताकि ममता सो जाये जल्दी फिर वो और रज्जो
राजन अंगड़ाई लेते हुए - उम्म्ंम्ं चलो ममता सोते है ,,आज ब्ड़ी थकान है
रज्जो राजन के बहाने को समझ कर मुस्कुराई
ममता ने जब ये सुना कि आज राजन जल्दी सोने वाला है तो वो और भी चहक उठी कि अब वो थोडा समय अपने भैया के साथ बिता सकती है ।
लेकिन रज्जो के रहते कैसे ?? कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा
कमलनाथ - हा भाई चलो आराम किया जाय
फिर सारे लोग उपर अपने कमरे मे गये ।
रज्जो औए कमलनाथ कमरे मे जाते ही अपने अपने आरामदायक कपडो मे आ गये ।
रज्जो ने अपनी साडी निकाल दी , वही कमलनाथ सिर्फ़ जांघिया और बनियान मे ।
वही बगल के कमरे मे राजन जाते ही बिस्तर पे लेट गया और सोने का नाटक करने लगा ,,वही ममता को इस्स्से कोई फर्क नहीं पडा वो तो अपने भैया के पास जाने की योजना बनाते हुए अपने गहने उतारे कर सोच रही थी कि उसे एक विचार आया । उसने तय किया कि अब वो जीन्स के बहाने कमलनाथ के पास जायेगी ।
ममता एक नजर राजन को देखी तो बोली - ए जी मै अभी भाभी के पास से आती हू थोडा कुछ काम है
राजन जोकि सोने का नाटक कर रहा था वो हम्म्म्म बोलके वैसे ही लेटा रहा ।
ममता चहकते हुए कमरे से बाहर निकली और रज्जो के कमरे मे घुस गयी ।
ममता के कमरे मे आते ही कमलनाथ स्तर्क हो गया
कमलनाथ फौरन उठ कर एक गम्छा लेके लपेट लिया और बोला - अरे ममता तू यहा ,,,कोई बात है कया
ममता थोडा अटक कर रज्जो को देखते हुए - हा वो भाभी मुझे अपनी एक जीन्स देने वाली थी ट्राई करने के लिए
कमलनाथ चौक कर ममता को देखा कि उसकी बहन इस उम्र मे जीन्स पहनेगी
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे हा मै तो भूल ही गयी , रुक देती हू
फिर रज्जो उठ के अपनी आलमारी से कुछ जीन्स निकाल कर बिस्तर पर रखती है
रज्जो - ले इसमे से जो तुझे अच्छा लगे लेले
ममता कुछ सोच के - ये मुझे हो जायेंगे ना भाभी
कमलनाथ - क्या तू भी ममता ,,अरे यही पहन कर देख ले ना
रज्जो कमलनाथ के बात पर मुस्कुराई और ममता को छेड़ने के अंदाज मे बोली - हा क्यू नही , चल उतार साडी हिहिहिही
ममता शर्मा कर एक नजर कमलनाथ को देखा और बोली - हिहिहिही क्या भाभी आप भी
कमलनाथ - अच्छा ठीक है तुम लोग ट्राई कर लो मै उपर से फ्रेश होकर आता हू
फिर कमलनाथ कमरे से बाहर निकल कर जीने की ओर चला गया ।
कमलनाथ के जाते ही रज्जो हस कर - अरे क्या हुआ इतना अच्छा मौका था भैया के सामने नंगा होने का हिहिहिही
ममता शर्मा कर -खुद होती है ना वही काफी है हिहिहिहिही
फिर ममता ने साड़ी निकाली और फिर पेतिकोट निकाल कर सिर्फ बलाउज पैंटी मे आ गयी ।
रज्जो ने मौका देख के फौरन ममता के अधनंगे चुतडो पर चप्प से हाथ से थ्पेड़ा जिससे ममता सिहर गयी
ममता हस कर - आऔउउउच्च्च भाभी क्या कर रही है हिहिहिही लग रहा है
रज्जो - ओह्हो ये गोरे चुतड एक बार अपने भैया को दिखा तो सही पागल हो जाएंगे तुझे चोदने के लिए
ममता जीन्स मे पाव डालते हुए - क्या भाभी कितना गन्दा सोचती है आप हिहिहिही
रज्जो हस के - गन्दा कहा रही है तू ,,कभी कभी तो मै अगर चुदते वक़्त तेरा नाम ले लेती हू तो तेरे भैया दुगनी जोश से मुझे चोदते है हिहिहिही
ममता जीन्स को अपनी कमर पर च्धाते हुए - हिहिहिही क्या भाभी आप भी ना
ममता - देखो ना कैसा लग रहा है
रज्जो - अब ये तू अपने भैया को ही दिखा के पुछ हिहिहिही
ममता - अरे नही नही भैया के सामने ऐसे कैसे मुझे शरम आयेगी और दुपट्टा भी नही है
रज्जो - तू तो ऐसे बोल रही है जैसे कभी तेरे भैया ने चुचिया देखी ही नही ,,
ममता - भक्क भाभी आप भी ना ,,,अच्छा थिक है बुला लो लेकिन पहले आप भी पहनो जिंस फिर
रज्जो ह्स कर - इसमे क्या है
ये बोल कर रज्जो ने फौरन अपना पेतिकोट खोलकर निचे गिरा दिया ।
ममता की नजर रज्जो के पुरे नन्गे खुले गाड और चुत पर गयी तो वो चौककर - भाभी आप ऐसे ही रहती है क्या हिहिहिही
रज्जो जीन्स पहनते हुए - हा तो , तेरे भैया के सिवा किसी की हिम्मत है क्या जो मेर पेतिकोट उठा दे हिहिहिही
ममता ह्स कर - आपसे कोई नही जीत सकता भाभी हिहिहिही
इधर रज्जो ने कमर पर जीन्स कर बटन बंद करते हुए - चल ठीक है अब बुलाऊ तेरे भैया को
ममता थोडा हिचक कर - हम्म्म्म ठीक है
रज्जो लपक कर बाहर दरवाजे के पास आई तो कमलनाथ गलियारे मे टहल रहा था
रज्जो हस्कर - हमम्म आईए
कमलनाथ थोडा मुस्कुरा कर कमरे में घुसता है तो उसकी नजर दरवाजे की ओर पिठ करके बिस्तर के पास खड़ी हुई ममता पर गयी।
जिसके बडे बडे चुतडो के उभार और मास्ल जान्घे जीन्स मे कसे हुए थे । कमर पर चर्बी एक्थ्था हूई थी और उपर कसा हुआ ब्लाउज था ।
कमलनाथ की नजरे ममता के गुदाज गाड से हट ही नही रही थी ।
जिससे उसके मन मे एक उत्तेजना ने जन्म ले लिया था ,, आज सुबह से ही वो अपनी बहन के लिए अगल ही अनुभव महसूस कर रहा था और उसका ऐसा रूप देख कर उसका लण्ड कड़क होने लगा जिससे गमछे के उपर उसका उभार दिखने लगा ।
वही रज्जो ने जब अपने पति को व्यस्त देख कर एक नजर उसके उभरे लण्ड पर गयी तो वो मुस्कुरा उठी ।
वो इतरा कर आगे चल के ममता के बगल के खड़ी हुई और उसे घुमा कर कमलनाथ के सामने करते हुए बोली - तो बताईये जी कैसी लग रही है ननद भौजाई की जोडी हिहिहिहो
कमलनाथ की नजर जब सामने से ममता के खुले सीने और चुचियो के उभारो पर गयी और फिर उसने ममता के गुदाज पेट के गहरी नाभि को देखकर थुक गटकते हुए जीन्स पर चुत वाले जिससे पर नजर मारी तो गनगना गया ।
फिर उसकी नजर रज्जो पर गयी दोनो आज क्यामत लग रही थी ।
कमलनाथ थोडा झिझक कर - अरे वाह बहुत खूब जंच रहा है तुम दोनो पे
रज्जो इतराई और फिर अपना मोबाईल कमलनाथ को देते हुए - फ़ोटो निकालिये ना प्लीज
ममता चौकी और रज्जो को ना मे सर हिला कर मुस्कुराइ
रज्जो - क्या नही ,निकालो जी आप
फिर कमलनाथ ने उन दोनो गदराइ हसिनाओ की तस्वीरे निकालनी शुरु की
रज्जो ने कभी आगे भी पीछे तो कभी साइड से पोज दे देके अपना और ममता की तस्वीरे निकाली ।
रज्जो कमलनाथ के हाथ से मोबाइल लेके - अरे वाह !! देख तो ममता तू कितनी अच्छी दिख रही है हिहिहिही रुक मै नंदोई जी को दिखा के आती हू
ममता - अरे नही भाभी , वो सो रहे है
रज्जो खिलखिला कर - अरे ये फ़ोटो देख के उनकी नीद गायब होने वाली है ।
चुकी रज्जो को समझ आ गया था कि कमलनाथ की हालत उसकी बहन की कसे चुतडो को देख कर खराब है तो क्यू ना इन दोनो को आपस मे फ्से रहने दिया जाये और मै एक राउंड नंदोई जी चुदवा कर फटाफट चली आऊ ।
इसिलिए रज्जो भागते हुए मोबाइल लेके राजन के कमरे मे घुस गयी ,,,ममता लपक कर उसकी ओर गयी उसके पहले रज्जो ने जानबुझ कर दरवाजा अंदर से बन्द कर दिया ।
इधर ममता हस्ते हुए वापस कमलनाथ के कमरे मे आ गयी ।
कमलनाथ हस कर - अरे छोड उसको आ बैठ
ममता - भैया ये भाभी को बाँध के रखिये हिहिहिहिहू बहुत शैतान है
कमलनाथ हस कर - तू भी तो कम नही है
ममता थोडी शर्माइ और बोली - ठीक है भैया मै ये कपडे बदल के आती हू ।
फिर ममता अपना पेतिकोट लेके बाथरुम मे घुस गई । मगर वहा उसका जीन्स उसके कूल्हो पर कस गया था जो निचे हो ही नही रहा था । निराश होकर ममता हाथ मे पेतिकोट लेके वापस कमरे मे आ गयी ।
कमलनाथ - अरे ममता क्या हुआ तुने चेंज नही किया
ममता थोडा शर्मा कर - हा भैया वो जीन्स नही निकल रही है ,,टाइट है बहुत
कमलनाथ - अरे तो इसमे क्या है ,, आ इधर मै मदद करता हू
ममता आंखे बडी करते हुए - लेकिन भैया
कमलनाथ - अच्छा ठीक है भई रुक मै दरवाजा भिड़का देता हू ,,,तू भी ना
ममता अपने सर पर हाथ मारते हुए हसने लगती है ।
कमलनाथ दरवाजा बंद करके वापस ममता के करीब आता है
कमलनाथ वही बेड पर बैठते हुए ममता को सामने किया
कमलनाथ - ला इधर आ
ममता थोडा शर्माते हुए - रहने दो ना भैया
कमलनाथ - तो क्या ऐसे ही रहेगी तू हा
ममता - वो मै निकाल लूंगी ना बाद मे
कमलनाथ थोडा झूठमुट का गुस्सा दिखाते हुए - तू चुपचाप खड़ी रह ,,, देख रहा हू कबसे निकाल ही रही है ।
ममता अपने भैया के इस प्यारे गुस्से पे बहुत दुलार आता है और वो मुस्कुरा देती है ।
इधर कमलनाथ ममता के जीन्स का बटन खोलने की कोसिस करता है लेकिन बार बार उसकी उंगलियाँ ममता के गहरी नाभि को छू रही थी ,, कमलनाथ भी सीधेपन का दिखावा तो कर रहा था मगर उसके दिल की नियत अब काफी हद तक गंदी हो चुकी थी वो अब अपनी बहन को अपने हाथो से नंगी करने के फिराक मे था ।
कमलनाथ - जरा पेट अन्दर कर तो
ममता मुस्कुरा कर पेट को पुरा जोर लगा के पिचकाया और मौका पाकर कमलनाथ ने जीन्स का बटन खोला ।
फिर कमलनाथ ने जीन्स का चैन पकड कर निचे करने लगा,,, हर सरकते खाँचे के साथ दोनो भाई बहनो के दिल की धडकन तेज हो रही थी ।
धीरे से कमलनाथ को चैन के गैप से ममता के गुलाबी पैंटी की झलक मिलने लगी ।
उसके लण्ड ने अंगड़ाई लेनी शुरु कर दी ,,,यहा ममता ने देखा कि उसके भैया की नजरे उसकी चैन के गैप मे ही खोयी हुई है ।
कमलनाथ ने एक नजर उपर किया तो ममता ने फौरन आंखे बन्द कर ली ।
कमलनाथ ने जीन्स के किनारो को पकड़ा और साइड से उतारना शुरु किया । शुरुवाति किनारो से होते हुए जीन्स आधे कूल्हो तक आते आते अटक गयी ।
कमलनाथ के जोर लगाने के बाद भी वो ममता के गाड के उभार से निचे नही उतर रही थी ।
कमलनाथ ने बिना कुछ बोले ममता को उसकी कमर को पकड कर घुमा दिया ,,,जिस्से ममता थोडी सी चहकी फिर कमलनाथ नाथ ने ममता की जीन्स को पीछे से पकड़ कर खींचा लेकिन फिर से उतना जोर नही लग पा रहा था ।
कमलनाथ मन मे - उफ्फ़ ये तो ममता के गाड पर अटक ही गयी है कैसे करु ,,,हा निचे बैठ कर निकालता हू
कमलनाथ फौरन बिस्तर से उतर कर ममता के पीछे घुटनो के बल हो गया और इस बार जोर लगा कर जीन्स को निचे किया और एक ही झटके जिंद जांघो तक आ गया और इस झटके से कमलनाथ का सन्तुलन थोडा बिगडा और उसका चेहरा सीधा ममता के गद्देदार गाड के पाटो से जा लगा ।
ममता सिसकी और कमलनाथ ने खुद को सम्भाला और उसकी नजर पैंटी मे कैद उसकी बहन की फैली हुई गाड़ पर गयी । पैंटी के किनारे से गाड़ की गोरी चमडी पर उभरे हुए खडे रोए ममत की बेचैनी बयां कर रहे थे
कमलनाथ फटी हुई आंखो से ममता के गुदाज गाड़ को निहारते हुए थुक गतकने लगा इधर ममता के बदन मे भी सिहरन सी हो रही थी ।
ममता ने जब जाना कि उसके भैया को रुके ज्यादा समय हो गया तो वो बोली - क्या हुआ भैया निकाल दो ना अब
कमलनाथ चौक के - अब ब ब हा हा तू अब बिस्तर पर बैठ जा इसको खिच कर निकालना पडेगा
ममता थोडी मुस्कुराई और घूम कर बिस्तर पे बैठ गयी ।
कमलनाथ ने अब सामने से ममता के कमर के निचे नजर दौडाई ।
उसकी मासल जांघो के बिच की पैंटी उसके चुत के चिपकी हुई थी और निचले हिस्सो पर पर कुछ गीली थी ।
ममता ने बेड पर हाथो को टिका कर अपने पैर आगे किये
क्मल्नाथ का लण्ड अबतक तन चुका था और गमछे के उपर उसका उभार साफ नजर आ रहा था जिसे ममता भी देख कामुक हुई जा रही थी ।
कमल्नाथ मुस्कुरा कर जीन्स को पकड कर जोर लगा कर खिंचता है और ममता टाँगे उठाते हुए हस्ते हुए बेड पर गिर जाती है ।
ऐसे मे कमलनाथ की नजर ममता के चुत से हटी नही और जब जीन्स निकल गया तो ममता ने एक गहरी सास लेते हुए पैरो को फ़ोल्ड करके लेट गयी ।
जिससे उसकी चुत का हिस्सा कमल्नाथ और भी फुला हुआ नजर आया साथ ही उसकी नजरे ममता के चुत के उन बालो पर गयी जो उसकी पैंटी के बाहर की ओर निकाली थी ।
ममता इनसे अलग आंखे बंद किये आने वाले पल को लेके अपने ही ख्वाब बूने जा रही थी कि इसके आगे भैया क्या करेंगे ।
तभी कमलनाथ ममता के बगल मे आके बैठा तो ममता को अह्सास हुआ और वो फौरन उठ कर बैठ गयी और उसने लपक कर अपनी पेतिकोट को उठाकर अपनी जांघो पर रख लिया जिसे देख कर कमलनाथ हसने लगा
ममता कमलनाथ को हस्ते देख - अब क्यू हस रहे हो आप हम्म्म्म्ं
कमलनाथ - देख रहा हू तू आजकल अपना ध्यान नही रख रही है
ममता अचरज से - मतलब
कमलनाथ धीरे से उसके कान के पास जाकर - वो तेरे निचे अब भी बाल है ,,,गरमी के मौसम मे इससे बिमारी फैलती है
ममता कमलनाथ की बाते सुन कर हस दी और शर्माते हुए - वो मुझे वहा के बाल बनाने नही आते ,,,डर लगता है
कमलनाथ ममता की प्रतिक्रिया पर चहक कर - डर , लेकिन कैसा
ममता - वो कही कट ना जाये इसिलिए
कमलनाथ - अरे तो क्रीम यूज़ किया कर ना
ममता - वो कैसे ,,, मुझे तो नही आता
कमलनाथ मौका देखके - अरे इसमे क्या है ये तो आसान है , चल बाथरुम मे बताता हू तुझे
ममता की आंखे बडी हो गयी और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी कि अब उसके भैया उसके चुत के बाल बनाने वाले है, मतलब वो निचे से पूरी नंगी होगी और वो उसे सहलायेगे दुलारेंगे ।
इस कल्पना के सोचने से ही ममता की चुत फड़फड़ाने लगी ।
कमलनाथ उठा और ममता की कलाई पकड कर उसे उठाता है तो ममता खुद को रोकने की ताकत लगाते हुए ह्सती है ।
कमलनाथ हस्ते हुए - अब चल नही तो गोदी मे उठा के ले जाऊंगा ह्हाहहहहा
ममता थोडी शर्मा गयी और मौका देखकर कमलनाथ उसे खिच कर बाथरुम की ओर चल दिया ।
इधर जहा इनदोनो भाईबहनो के रंगमच सेट हो रहे थे , वही बगल मे कमरे मे राजन रज्जो की जिंस को जांघो तक करके उसकी कसी हुई गाड़ मे गोते लगाये जा रहा था ।
रज्जो सिसकिया लेते हुए - आह्ह जीजा जी जीन्स निकाल लेने दो ना बहुत टाइट जा रहा है अन्दर उम्म्ंम्ं
राजन - तो चुदवाओ ना भाभी जी ,,,मुझे बहुत मजा आ रहा है ऐसे ओह्ह्ह कितना कसा हुआ लग रहा है
राजन रज्जो के गाड़ पर थ्पेड़ जडते हुए तेजी से लण्ड को गचगच पेले जा रहा था ।
यहा उपर के फ्लोर पर जो चल रहा था उसके अलग निचे के हाल मे दो जवाँ दिल आपस मिलने को बेकरार थे ।
अनुज कुछ सवालो के जवाब में बार बार कमरे से बाहर होकर पल्लवि के कमरे तक जाता और फिर वापस हाल मे चक्कर लगाता ,,,उसे उम्मीद थी की पल्लवि जरुर आयेगी ।
इधर कमरे मे सोनल अमन के साथ कॉल पर धीमी आवाज मे रोमांटिक बाते किये जा रही थी जिससे पल्लवि की तलब और भी बढ रही थी ।
सोनल भी समझ रही थी पल्लवि की हालत कि उसके बात करने से पल्लवि थोडा शर्मा रही है और असहज महसूस कर रही है ,,लेकिन वो उसे चिढा देती कि उसकी शादी तय होगी तो उसको भी मौका मिलेगा ।
पल्लवि ह्स देती है और फिर बाथरूम का बहाना मारकर कमरे से बाहर निकल जाती है ।
वही पल्लवि के दरवाजे पर आहट सुनते ही अनुज अपने कमरे मे घुस जाता है और आगन्तुक का इन्तजार करता है ।
पल्लवि दबे पाव अनुज के कमरे की ओर जाती है और उसके दरवाजे पर जाकर हल्की सी आवाज देती है - अनुज
अनुज खुद दरवाजे के पास खड़ा होता है वो पल्लवि की आवाज सुनते उसकी दिल की धड़कन तेज हो जाती है ,,होठ अचानक से सुखने लग जाते है फिर भी वो हिम्मत करके फौरन दरवाजा खोलता है ।
पल्लवि मुस्कुरा कर बिना कोई आहट के फौरन कमरे मे घुस जाती है ।
अन्दर जाते ही अनुज दरवाजा बंद कर देता है और दोनो की निगाहे एक दुसरे से टकराती है तो पल्लवि मुस्कुरा देती है ।
अनुज भी मुस्कुरा देता है
पल्लवि ह्स कर - आओ ना बैठते है ।
अनुज कापती हुई आवाज हा कहता है और दोनो बिस्तर पर पैर लटका के बैठ जाते है ।
दोनो चुप थे लेकिन उन्के दिल की तेज धडकनें साफ सुनी जा सकती है ।
अनुज ने पहल करते हुए - वो वो मुझे तुमसे कुछ पूछना है
पल्लवि ने एक गहरी सास ली और सोची कि चलो इसने पहल तो की ।
पल्लवि खुद को नोर्मल रखते हुए - हा बोलो ना
अनुज तेज धड़कते दिल के साथ थुक गटकते हुए बडी ही हिम्मत से मुह खोला - वो वो वो,,, तुमने माल मे वो क्यू किया
पल्लवि हस कर - वो क्या
अनुज पल्लवि की आंखो मे देख कर अपने होठो पर एक ऊँगली रखते हुए - यहा पर वो
पल्लवि अनुज की मासूमियत पर पिघल गयी और अपनी गरदन आगे बढा कर एक बार फिर से अनुज के होठो को चुमते हुए - इसकी बात कर रहे हो तुम ना हिहिहिही
अनुज सकपका गया कि ये पल्लवि ने फिर से क्यू किया और इसको डर भी नही लग रहा है ।
अनुज अपने होठ अन्दर कर एक बार उनपर जीभ फिरा कर सीधा किया और अटकते हुए बोला - अ ब ब हा मतलब वही ,, ये गलत है ना
पल्लवि चहक कर - इसमे क्या गलत है पागल हिहिहिहिही
अनुज अपने होठ पोछता हुआ -पता नही लेकिन अगर कोई जान गया तो
पल्लवि अब थोडा अनुज के और करीब आते हुए अपने हाथ उसके जांघो पर रख कर उसकी आंखो मे बडी ही कामुक अदा से देखते हुए बोली - यहा हमारे अलावा कोन है ,,,, बस तुम और मै
पल्लवि के होठ फिर से अनुज के होठो के करीब जा रहे थे और अनुज अपने चेहरे को पीछे किये जा रहा था
अनुज एक अलग ही उत्तेजना और पल्लवि के हाथो के स्पर्श से कपकपा रहा था ,, उसके होठ फड़फ्ड़ा रहे थे ।
उसके पेट मे तितलिया उड़ने लगी और दिल की धडकनें पहले से भी तेज हो गयी ।
पल्लवि ने और आगे होकर उसके होठो पर अपने नरम तपते हुए होठ रख दिये ।
अनुज के बदन पल्लवि के होठो का स्पर्श पाते ही पिघलने लगा ,,उसका लण्ड अकडने लगा और उसने धीरे से अपने होठ को खोला
पल्लवि ने तुरंत उसके निचले लिप्स को मुह मे दबोच लिया ।
अनुज अब भी काप रहा था और ब्स वैसे ही ठहरा हुआ था । पल्लवि पुरे जोर से उसके होठो को चूसे जा रही थी लेकिन काफी समय तक उसने जब अनुज की प्रतिक्रिया नही पाई तो उसने खुद उसका हाथ पकड कर अपनी कमर पर रखा ।
अनुज फिर से सिहर उठा उसने हिम्मत करके टीशर्ट के उपर से पल्लवि के कमर को सहलाया ,,,वो स्पर्श उसे एतना कामुक कर गया कि उसने भी जोश में आकर पल्लवि के उपरी होठ पर पकड बना ली और धिरे धीरे लय बनाते हुए पल्लवि के साथ ही उसके होठ चूसने शुरु कर दिये ।
पल्लवि इस समय सोनल की ही टीशर्ट और लोवर पहने हुए थी ।
धीरे धीरे पल्लवी किस्स को और भी गहरा करने लगी और अनुज धीरे धीरे उसके और करीब आता गया ,,,उसने धीरे धीरे अपना हाथ पल्लवी के टीशर्ट के अन्दर डाल दिया ।
ये अनुज का किसी लडकी के कमर पर पहला स्पर्श था ,,,उसे इतना मुलायम अह्सास कभी नही हुआ ये स्पर्श उसे और भी जोशील किये जा रहा था ।
तभी दरवाजे पर दसटक हुई जो सोनल थी ।
सोनल की आवाज सुनते ही अनुज की फट गयी कि अब क्या होगा और दीदी ने आज उसे रंगे हाथ पकड लिया ,,कही वो पापा या मम्मी को बता ना दे ।
अनुज मन ही मन डरते हुए भगवान को याद कर रहा था कि आज उसे बचा ले फिर आगे वो इस झंझट मे पडेगा ही नही । मन ही मन उसने सुबह मंदिर जाकर पाव भर लड्डु के प्रसाद चढ़ाने की मन्न्त भी माग ली । बस किसी भी तरह से भगवान आज उसे बचा ले ।
वही पल्लवि एकदम सामन्य थी और उसने मुस्कुरा कर अनुज को देखा और एक बार फिर हल्के से उसके होठ को चूम कर खड़ी हुई और दरवाजा खोलने चली गयी ।
दरवाजा खोलते ही सोनल - तू यहा क्यू आ गयी पल्लवि
सोनल के सवाल से अनुज की हालत और खराब हो गयी कि अब तो वो गया ,,,उसके मन मे भगवान के प्रति श्रद्धा और लड्डुओं का वजन और भी बढ गया । पहले पाव भर और अब सवाकिलो । कैसे भी करके अनुज इस झमेले से बचना चाहता था ।
पल्लवी हस्ते हुए - वो क्या है दीदी आप जीजू से बात कर रही थी तो मै बाथरुम आयी थी , फिर अनुज भी जाग रहा था तो हम बाते करने लगे ।हिहिहिही
अनुज ने जैसे पल्लवि के मुह से जवाब सुना उसे बडी राहत मिली और मन ही मन उसने भगवान की धन्यवाद किया कि उसने पल्लवि को सतबुद्धि दी और उसे बचा लिया ।
सोनल थोड़ा मुस्कुरा कर - तू भी ना बडी बदमाश है ,,,चल अब हो गयी मेरी बात ,,,और तू अनुज तू भी सो जा रात हो गयी है ।
अनुज खुश होकर - हा दीदी बाय गुड नाइट
सोनल - ओहो आज गुड नाइट हा
पल्लवि - क्या दीदी आप भी परेशान कर रही है उसको चलो ,,,बाय अनुज
अनुज - हा बाय
फिर पल्लवि और सोनल अपने कमरे मे चले और अनुज ने फौरन दरवाजा बंद करके अपने तेज धडकते दिल को राहत दी और भाग कर कमरे मे लगे एक भगवान की फ़ोटो के सामने खडे होकर उन्का धन्यवाद करने लगा ।
इधर निचे दो जवाँ दिल फिर से तडप कर रह गये वही उपर कमलनाथ के कमरे मे दोनो भाई बहन बाथरुम के पहुच चुके थे ।
ममता इस वक़्त ब्लाउज और पैंटी मे नंगी खड़ी थी और कमलनाथ का लण्ड तनमनाया हुआ था ।
कमलनाथ बाथरूम मे एक दरख्त से रज्जो की रखी हुई हेयर रेमोवर क्रीम का टयूब निकालता है।
ममता बड़े अचरज से उस क्रीम के ट्यूब को देखती है - ये कैसे काम करता है भैया
कमलनाथ - इसको लगाने से पहले वहा निचे पहले पानी से भिगो कर बालो गिला कर लेते है और फिर थोडी सी क्रीम लेके हाथो से अच्छे से लगाते है और फिर थोडी देर बाद पानी डाल के धुल देते है ।
ममता बडे ध्यान से कमलनाथ को सुन रही थी ।
कमलनाथ हस कर - मै जान रहा हू तू नही कर पायेगी ,,,रुक मै ही कर देता हू
ममता की आंखे चौडी हो गयी और वो मुस्कुरा कर बोली - धत्त नही भैया प्लीज रहने दो मुझे वैसे ही शरम आ रही है
कमलनाथ हस कर - तू बड़ा शर्मा रही है ,,भूल गयी छोटी थी तब तेरी चुतड भी मै ही धुला करता था
ममता अपने भाई के मुह से सीधे लफजो मे चुतड शब्द सुन कर झेप सी गयी ।
कमलनाथ हस कर - चल अब निकाल इसको कि ये भी मै ही करू हम्म्म्म
ममता तो चाह ही रही थी कि वो पूरी तरह से अपने भैया के सामने नंगी होकर उनको अपना जिस्म दिखाये , मगर ऐसे सीधे मुह कैसे कह सकती थी कि उसे भी मजा आ रहा है । हालाकि अब तक कमलनाथ ने भले ही ममता पर बडे भाई का हक जताते अपनी मन्शाये पूरी कर रहा था लेकिन फिर भी उसने ऐसी कोई हरकत या वक्तव्य नही रखा जिससे ममता को लगे कि वो हवसी हुआ जा रहा है सिवाय उसके सर उठाते लण्ड के । जो तब से तना हुआ था जबसे ममता को उसने जिंस मे देखा था ।
ममता नुकुराते हुए कमलनाथ की ओर पीठ करके झुकी और एक ही झटके मे पैंटी को निचे करके सीधी खड़ी हो गयी । पैंटी निचे करने से पहले ममता ने एक बार पैंटी के उपर से अप्नी चिपचिपाती चुत को दबा कर साफ कर दिया था ।
ममता की नंगी गोरी चर्बीदार गाड़ को देख कर कमलनाथ का लण्ड ठुमका जिसे कमलनाथ ने हल्का सा दबा दिया ।
कमलनाथ - अब चल उस कमोड पर पैर खोल कर बैठ जा
ममता अपनी चुत के आगे हाथ रखते हुए घूमी और वैसे ही टाँगे सताये हुए कमोड पर बैठ गयी ।
कमलनाथ ममता को शर्माता देख मुस्कुरा कर उसके आगे बैठ गया और टोइलेट सीट के बगल मे लगी छोटी हैण्ड स्प्रे को हाथ मे पकड कर उसका पानी चालू कर दिया ।
ममता पानी के प्रेशर और ठन्डे छीटे अपने पैरो पर पाते ही थोडा चहकी फिर कमलनाथ ने उसके सटे हुए घुटनो को एक हाथ स्पर्श किया और हलका सा जोर लगा कर खोलने लगा ।
ममता अपने नंगे बदन पर भैया के कठोर हाथो का स्पर्श पाकर सिहर गयि और उसने आंखे बन्द करते हुए बिना कोई रोक के टांगो को खोल दिया ।
कमलनाथ को पहली बार ममता के चुत के दाने के उभार की हल्की झलक मिली लेकिन बढ़ी हुई काली झान्टो मे उसकी गोरी जान्घे बहुत खिली खिली दिख रही थी ।
कमलनाथ ने एक नजर ममता को देखा तो मधोश होते हुए आंखे बन्द किये गहरी सासे ले रही थी और उसकी चुचिया ब्लाउज मे ही उपर निचे हो रही थी ।
कमलनाथ ने वो प्रेशर स्प्रे का मुह ममता के चुत पर डाला और एक तेज ठंडी धार ममता के चुत पर जाने लगी जिस्से ममता चिहुक उठी ।
कुछ ही पलो मे ममता के चुत के बाल गीले होकर चीपक गये लेकिन कमलनाथ अभी भी चुत के मुहाने पर धार मारे जा रहा था जिससे कि सारे बाल दोनो तरफ बट गये और चुत की खुली हुई लकीर साफ दिखने लगी ।
फिर कमलनाथ ने ट्यूब से थोडा सा क्रीम लेके हाथो मे फेटते हुए बोला - ममता तू जरा ये अपने पैर मेरे कन्धे पर रख ले ताकि निचे अच्छे से क्रीम लगा दू मै
ममता अपनी हसी और हवस दोनो को दबाए मुस्कुराते हुए बडी ही बेशर्मी से अपनी दोनो टाँगे कमलनाथ के कन्धे पर टिका दी और पीछे दिवाल से टेक ले ली ।
अब कमलनाथ को ममता के की पूरी चुत के साथ साथ उसके गाड़ का भूरा छेद भी दिखा रहा था जिसके आस पास बालो के रोए थे ।
कमलनाथ से क्रीम फेटते हुए अपने हाथ को धीरे से चुत के आस पास घुमना शुरुकीया
ममता को गुदगुड़ी सी मह्सूस हो रही थी साथ चुत के उपर उसके भैया के सख्त हथेलियो के स्पर्श उसे कामुकता से भर दे रहे थे फिर भी वो खुद पर काबू करते हुए हसते हुए बोली - हिहिहिहिही आराम से भैया गुदगुदी लग रही है
ममता को हस्ता देख कमलनाथ मुस्कुरा कर थोडा हल्के हाथो से अच्छे से चुत के आस पास क्रीम लगा कर अंगूठे से गाड के सुराख के पास क्रीम लगाने लगा जिस्से ममता छटकने लगी ।
कमलनाथ उसकी जान्घे थाम कर - ओहो क्या कर रही है अभी गिर जाती तू ,,सही से बैठ
ममता ह्सते हुए - धत्त भैया मुझे गुदगुड़ी हो रही हैं जल्दी से करो ना
कमलनाथ हस कर - हा हो गया है ब्स थोडा सुख जाये 2 मिंट
ये बोल कर कमलनाथ ममता के चुत के उपर फुक मार कर उसे सुखाने लगा । ये सब हरकते ममता को बहुत ही ज्यादा उत्तेजित किये जा रही थी , मगर वो ज्यादा रियेक्शन नही दे सकती थी ना ही खुल कर आहे भर सकति थी ।
वही कमलनाथ की हालात कम खराब नही थी वो भी अपने खडे हुए लण्ड को आजाद करना चाहता था मगर वो भी मजबुर था ।
एक तो क्रीम मे मिण्ट का फ़लेवर था जो पहले से ही ममता के चुत और गाड की सुराख के पास एक ठंडक भरी झुनझुनी दे रहा था उसपे कमलनाथ की ठंडी फुक से वो और भी पागल होने लगी थी ।
दो मिनट के बाद कमलनाथ ने वापस से पानी के स्प्रे ममता के चुत की ओर किया और धीरे धीरे ढेर सारे झाग के साथ सारे बाल निचे गिरने लगे । ममता को काफी ताज्जुब हो रहा था कि इतनी आसानी से बिना कोई दर्द के ये साफ हो गया ।
कमलनाथ फिर प्रेशर स्प्रे का मुह ममता के गाड के सुराख पर किया और फिर से चिहुक उठी लेकिन इस बार वो सामान्य ही रही ,,,धीरे ममता की चुत से सारे बाल हट गये और उसकी चुत चमकने लगी ।
कमलनाथ का मुह और लण्ड दोनो लार से भर गये । ममता की चुत अब बहुत ही मुलायम थी उसके चुत के किनारे वो हल्के भूरे घेरे उसे और भी कामुक बनाये जा रहे थे ।
ममता - हो गया ना भैया
कमलनाथ चौक कर हा हो गया , रुक मै इसे पोछ दू
ममता हस कर खडे होते हुए - अरे मै कर लूंगी
कमलनथ भी उठ कर अपना गम्छा निकाल के उसे देते हुए - हा ये ले इससे पोछना , तू चल मै हाथ धुल के आता हू
ममता ने एक नजर कमलनाथ के लण्ड के उभार को जान्घिये मे उठा देखा फिर उसके हाथ से वो गमछा लिया और कमरे मे आ गयी ।
इधर कमलनाथ ने जलदी से हाथ धुल कर नारियल के तेल की शिशि लेके कमरे आता है तो ममता अपना पेतिकोट बान्ध रही होती है ।
कमलनाथ - अरे ये क्या कर रही है तू
ममता हस के - अब क्या ऐसे ही रहू हिहिहिहिह
कमलनाथ हस कर - अरे मेरा मतलब था कि अभी ये तेल लगाना पडेगा ना ,,नही तो खुजली होगी वहा
ममता - ओह्हो अब क्या फिर से निकलू इसे
कमलनाथ हस कर - अरे नही ,,तू यही बिस्तर पर लेट जा और ये पेतिकोट उपर ले मै लगा देता हू
ममता मुस्कुराई और वही बिसतर पर एक साइड लेट गयी और खुद पेतिकोट को कमर तक चढाते हुए बडी बेशरमी से अपनी जांघो को फ़ोल्ड करते हुए खोल दिया ।
कमलनाथ की नजरे अब ममता की चुत पर जम सी गयी ,,पोछने के बाद से उसकी चुत और भी खिल गयी थी ।
कमलनाथ ने अपनी भावनाओ पर काबू मे रखते हुए तेल की शीशी से कुछ बुन्दे ममाता चुत के बालो वाले हिस्से पर टिपकाई
ममता ने एक बार फिर से आंखे बन्द कर लि और गहरी सासे भरने लगी ,, तेल की बुन्दे टिप टिप टिप गिरते हुए रिसते हुए उसके चुत के किनारो से होते हुए गाड़ के सुराखो तक चली जा रही थी ।
कमलनाथ ने फिर सीसी को किनारे रख कर अपने दाये हाथ से हल्का हल्का चुत के उपरी बालो वाले हिस्से पर तेल को फैलाना शुरु कर दिया और जैसे ही उसके हाथ का खुरदरा स्पर्श ममता के चुत के उभरे हुए दाने को मिलता है वो हलकी सी सिस्क उठती है ।
कमलनाथ ममता की सिसकी सुन कर उसकी ओर देखता है तो ममता उसे आंखे बंद किये बहुत ही तडपती और कामुकता से मदहोश नजर जाती है और फिर वैसे उसने ममता के चेहरे के भावो को पढते हुए उसकी चुत के हिस्सो को सहलाते हुए तेल को हर तरफ पहचाने लगता है और धीरे से एक ऊँगली को उसकी गाड के सुराख के पास ले जाकर छुटा है
जिस्से ममता की आंखे खुल जाती है और उसकी नजरे कमलनाथ से टकराती है ।
ममता शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर लेती है - हो गया भैया
कमलनाथ चौक कर - हा अ ब ब हा हो गया , देख तो कितनी साफ लग रहि है अब
ये बोलते हुए कमलनाथ झुक कर ममता के चुत के उपरी बालो वाले हिस्से पर किस्स कर लेता है ।
ममता खिलखिला कर - हिहिहिही क्या भैया वो कोई जगह है चुम्मी करने की
कमलनाथ वापस से ममता के चुत के पास उंगलिया रेंगाते हुए - हा तो इसमे क्या बुराई है ,, तू मेरे लिए हर जगह से अच्छी लगती है ,, और ये जगह भी प्यारी लग रही है अब ,, मेरा तो मन हो रहा है इसे और भी चुम्मीया दू
ये बोल कर कमलनाथ फौरन निचे बैठ गया और उसकी एक जांघो को खिच के अपने कन्धे पर रखते हुए चुत को थोड़ा अपने सामने किया और बार बार ममता के चुत के उपर चुम्मिया देने लगा
ममता खिलखिला कर - अब ब्स भी करो भैया हिहिहिही गुदगुदी लग रही है ।
कमलनाथ - वैसे ये जगह बहुत ही मुलायम है अह्ह्ह
ये बोलकर कमलनाथ अपना गाल ममता के चुत के पास घुमाता है
ममता मौका देख कर ह्स्ते हुए - उससे भी ज्यादा मुलायम जगह है भैया ,आपने शायद देखा नही हिहिहिहिही
कमलनाथ समझ रहा था फिर भी अंजान बन्ते हुए - कहा है मुझे तो नही लगता कि इससे भी मुलायम जगह कही और है
ममता हस कर - लगा लो शर्त हार जाओगे हिहिहिही
कमलनाथ चहककर - ठीक है लगी शर्त ,,,तू जीती तो जो तू कहेगी मै करने की तैयार हू
ममता ह्स के - सोच लो भैया हार जाओगे हिहिहिही
कमलनाथ उठ कर खड़ा हुआ और ममता भी उठ कर बैठ गयी ।
कमलनाथ - मुझे मंजूर है
ममता ह्स कर - हिहिहिही ठीक है फिर आप आंखे बन्द कर लो
कमलनाथ आंखे बंद करके खड़ा हो गया
ममता हस्ते हुए उसे बिस्तर पर बिठाती है
कमलनाथ - क्या हुआ
ममता ह्स कर - हिहिहिही बस रुको ना भैया थोड़ा सा
ममता ने फिर एक एक करके अपने ब्लाउज और ब्रा निकाल कर उपर से नंगी हो गयी और आगे बढ के कमलनाथ हाथ पकडते हुए बोली - हिहिहिही अभी आंख नही खोलना भैया ठीक है
कमलनाथ हस कर - हा ठीक है लेकिन तू कर क्या रही है
ममता हस कर - बस अभी पता चल जायेगा
इतना बोल कर ममता ने कमलनाथ के हाथ को पकड कर सीधा अपनी नुकीली चुचियो के उपर रख दिया - अब बताओ भैया है ना वहा से भी मुलायम हिहिहिहू
कमलनाथ ने अच्छे से उस जगह को हथेलियों से टटोलता और जब उसे समझ आया कि ये तो ममता की चुची है तो इस्का लण्ड टनटना गया और उसने हौले से उसकी चुची को दबाया और बोला - अह्ह्ह ममता सच मे क्या है ये बहुत ही मुलायम है ये तो
ममता खिलखिलाते हुए - खुद ही देख लिजिए हिहिहिही
कमलनाथ ने जैसे ही आंखे खोली उसकी आंखे फटी की फटी रह गईं और एक कामुक मुस्कान उसके होटो पर छा गयी ।
कमलनाथ एक नजर ममता को हस्ते देखा और वापस से उसकी चूची को निहारते हुए उसके कड़े निप्पल को सहलाया ,,,ममता मचल गयी और उसकी सासे तेज हो गयी ।
कमलनाथ दोनो हाथो से ममता की चुचिया पकडते हुए सहलाने लगा - अह्ह्ह ममता सच मे ये तो उससे भी मुलायम है
ये बोल कर कमलनाथ ने दोनो हाथो से ममता की चुचियो को हल्का जोर देके दबाया ।
ममता सिस्ककर - उम्म्ंम्ं हा भैया इस्स्स्स्स अह्ह्ह
कमलनाथ - मै एक बार इसकी भी चुम्मी लेके देखता हू कैसा लगता है
ममता कमलनाथ की बाते सुन कर सिहर उठी और उस्का बदन कापने लगा ।
कमलनाथ ने अगले ही पल ममता की नंगी कमर को थामा और गरदन आगे बढा कर ममता के निप्प्ल के बगल मे हल्का सा चुम्बन किया ।
ममता गनगना कर रह गई उसकी चुत फिर से रसाने लगी।
कमलनाथ ने एक नजर ममता को देखा जो आंखे बन्द किये सिसकियाँ ले रही थी ।
कमलनाथ ने वापस से अपना खोलते हुए इस बार सीधा ममता के निप्प्ल को मुह भर कर एक बार चुबलाया ।
ममता सिस्क कर - सीईईई अह्ह्ह भैयाआआ उम्म्ंम्ं
कमलनाथ मुह हटा कर ममता को देखते हुए - क्या हुआ ममता
ममता हस कर - कुछ नही ,
कमलनाथ बडे दुलार से उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपनी जान्घ पर बिठाते हुए -बोल ना
ममता शर्मा के ह्स्ते हुए - वो मै शर्त जीत गयी ना हिहिहिहो
कमलनाथ हस कर बगल से साथ निकाल कर उसकी एक चूची को थामते हूए - अरे हा ,, तो बता क्या चाहिये तुझे
ममता कमलनाथ के हाथो को अपने जिस्म पर रेंगता पाकर कसमसा कर बोली - उह्ह्ह्ह भैया मुझे भी भाभी के जैसे प्यार करो ना
कमलनाथ ममता के मुह से ये बाते सुन कर उत्तेजना से भर गया और उस्का दिल तेजी से धडकनें लगा ।
वही ममता ये बोल कर बहुत काप रही थी लेकिन उसके चुचियो पर घुमते उसके भैया के हाथ उसे उम्मीद दिए हुए थे
कमलनाथ जो चाह रहा था वो अब उसके सामने थे अब तक उसने अपने दिल के उठे हवस के तरंगो को रोक रखा था ।
उसने हौले से ममता की चुची को दुलारते हुए उसके गालो को चुम कर बोला - तू चाहती है कि मै तुझे रज्जो के जैसे प्यार करू
ममता सिहर कर नजरे नीची किये हा मे सर हिला कर वही कमलनाथ के गोद मे बैठी रही ।
कमलनाथ ने सामने से अपने हाथ को ममता की चुचिया पर रख कर उसके निप्प्ल पर दरते हुए बोला - तू चाह रही है कि मै तेरे बदन को वैसे स्पर्श करू जैसे तेरी भाभी को करता हू
ममता सिस्ककर - हम्म्म्म्ं भैया अह्ह्ज सीईई उम्म्ंम्ं
कमलनाथ ममता से वापस कबूलवाते हुए - तुझे मेरा स्पर्श अच्छा लगता है क्या ममता ,,,बोल ना
ममता सिस्ककर - उम्म्ंम्ं हा भईयाआआ बहुत अच्चाआआ
कमलनाथ ने अब ममता को आगे कर पीछे से उसकी दोनो चुचिया मिजते हुए - ओह्ह्ह्ह ममता सच मे तेरे दूध बहुत मुलायम है उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
ममता सिस्कर अपने हाथ कमलनाथ के हाथो के उपर रख कर उन्हे रगड़ते हुए - ओह्ह आपको पसंद आया ना मेरे दूध उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह भैया ऐसे ही उम्म्ंम्ं रगडो ना भैया जैसे रज्जो भाभी का रगड़ते हो ,,,देखो ना कितना ब्डा कर दिये हो उनका
कमलनाथ और जोर से ममता के चुचियो के मिजता हुआ - उम्म्ंम्ं तुझे भी अपने दूध उसके जैसे करवाने है क्या उम्म्ंम्ं
ममता सिस्कते हुए - उम्म्ंम्ं हा भैया कर दो ना उम्म्ंम्म्ं भाभी के जैसे ओह्ह्ह्ह
कमलनाथ - आह्ह ममता तेरी बात कभी मैने टाली है उम्म्ं तेरे दूध भी मै रज्जो के जैसे मोटे कर दूँगा उफ्फ्फ वैसे ये कम मोटे नही है उम्म्ंम्ं बहुत ही मुलायम दूध है तेरे
ममता सिस्क कर - उम्म्ं भैया सूनो ना उम्म्ंम्म्ं
सीई
कमलनाथ अपने हाथ रोकते हुए - हमम क्या हुआ बोल
ममता थोडा मुस्कुरा कर शर्माते हुए - इनको दूध नही बोलते ,,,सही नाम लो ना उम्म्ंम्म्ं अह्ज्ज्ज
कमलनाथ ममता के वक्तव्य से और भी जोशील होकर एक बार फिर ममता की चुचिया हथेली मे भरते हुए - ओह्ह्ह तू चाह रही है मै इनके वो वाले नाम लू गन्दे वाले
ममता हा मे सर हिलाते हुए सिसकी
कमलनाथ - ओह्ह्ह ममता तेरी चुचिया बहुत ही मुलायम है अह्ह्ज इनको मिजने मे बहुत ही मजा आ रहा है उफ्फ़फ्फ
ममता अपने भैया के मुह से खुले शब्दो को सुन के मचल उथी
वही कमलनाथ धीरे से निचे से ममता के पेतिकोट को उपर करके एक हाथ को उसकी चुत पर लगा दिया और उसे सहलाने लगा
ममता की हालत खराब होने लगी वो अपने भैया की बाहो मे पिघलने लगी ।
कमलनाथ - उम्म्ं तू ऐसे ही चाहती है ना मै इसे सहलाऊ बोल ना
ममता सिस्ककर - उम्म्ंम हाआआ भैयाआआ उफ्फफ़फ़ ऐसे ही मसलो उसे
कमलनाथ - बोल ना क्या मसलवा रही है अपने भैया से उम्म्ंम
ममता सिहर के - उम्म्ंम्ं सीईईई अह्ह्ह्ह च च च चुउउऊऊ त्त्त्त्त्त अह्ह्ह
कमलनाथ अपनी हथेली मे ममता की चुत को दबोचते हुए - मजा आ रहा है अपने भैया से अपनी चुत मसलवा के ,उम्म्ंम्ं बोल ना
ममता सिस्ककर - उह्ह्ह्ह्ह हाआआ भैयाआआ बहुतहहह उम्म्ंम्ं
कमलनाथ - उम्म्ंम तो फिर अपने भैया को मजा नही देगी क्या उम्म्ंम बोल ना
ममता - सीईई ओह्ह्ह हाआआ क्यू नही उम्म्ंम्ं
कमलनाथ ने फौरन ममता को खड़ा करके खुद अपना जांघिया खोल कर निचे कर दिया और उसका मोटा लण्ड तनमना कर खड़ा हो गया ।
ममता अपने भैया का लण्ड देखकर एक गहरी आह्ह्ह भरी और तुरंत घुटने के बल होकर बिना कोई देरी के सीधा मुह मे लण्ड लेके चूसना शुरु कर दिया
कमलनाथ ममता की आतुरता देखकर थोडा मुस्कुराया और अगले ही पल जब ममता ने उसकी चमडी खिच कर सुपाडे ले जीभ फिराया तो कमलनाथ पूरी तरह से हिल गया ।
कमलनाथ - ओह्ह्ह ममता उम्म्ं ऐसे ही अह्ह्ह सच मे तू तो कमाल की है रे अह्ह्ब उम्म्ंम्म्ं
ममता बिना कुछ बोले तेजी से गपगपा लण्ड निचोद्ते हुए चुसे जा रही थी ।
कमलनाथ ज्यादा देर तक रोक नही सकता था खुद को और उसने ममता का सर रोका ।
ममता ने हौले से मुह खोल्कर लण्ड छोड दिया और नजरे उपर कर कमलनाथ को ऐसे देखने लगी कि मानो पुछ रही थी कि मुझे रोका क्यू ।
कमलनाथ - सारा रस यही निचोड लेगी क्या उम्म्ं
ममता शर्माते हुए मुस्कुराई तो कमलनाथ मे उसको पकड कर उठाया और बिस्तर पे लिटा दिया ।
ममता ने शर्माते हुए मुह फेर ली और वही कमलनाथ उसकी जान्घे फ़ोल्ड करता हुआ उस्के पेतिकोट को कमर तक चढा दिया ।
फिर कमलनाथ अपना जान्घिया पैर से निकाल कर एक पैर का घुटना मोड कर बिस्तर पर रखा और ममता की टांगो को पकड के अपनी ओर खिचते हुए लण्ड को उसकी पनियायी चुत पर फिराया और अगले ही पल हचाक से अन्दर पेल दिया
ममता सिसक उठी - उह्ह्ह्ह भैयाआआ अह्ह्ह उम्म्ंम्ं आह्ह्ह्ह अराअमाआम्ंंं से उह्ह्ह
कमलनाथ ममता की आंखो मे देखते हुए - दर्द हुआ क्या तुझे
ममता ह्स के ना मे सर हिलायि
कमलनाथ ने एक और जोर का धक्का देकर पुरा लण्ड जड़ तक पेलते हुए - देख ऐसे ही रज्जो पेलता हू पुरा अन्दर तक
ममता अपनी चुत के जड़ मे अपने भैया का लण्ड पाकर चिहुक उठी और सिस्कते हुए - ओह्ह्ह भैया तो पेलो ना मुझे वैसे ही ,,जैसे रज्जो भाभी को पेलते हो हचक हचक के
कमलनाथ ममता की बातो से और भी जोश मे आ गया और लम्बे लम्बे धक्के ममता की चुत लगाते हुए - तुझे भी ह्चक ह्च्क के पेलवाना है ना तो ले और ले अह्ह्ह आह्ह
ममता सिस्कते हुए अपनी गाड उचका के - ओह्ह्ह हा भैया और तेज्ज अह्ज्ज उम्म्ंम्ं ऐसे ही और हचक के पेलो मुझे अओह्ह्ह भैयाआअह्ह्ह
कमलनाथ जोश मे आते हुए - ओह्ह्ह ममता तू बहुत गरम है अह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं
ममता - ओह्ह भैया आपका वो भी बहुत मोटा है उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह
कमलनाथ तेजी से ममता की चुत मे लण्ड पेलते हुए - अह्ह्ह उम्मममं तेरी चुत बहुत कसी हुई है रे अह्ह्ह इसको भी तेरे भाभी के जैसे कर दूँगा उम्म्ंम
ममता कमलनाथ से कबुलवाते हुए - ओह्ह सच मे भैया मेरी भी चुत भाभी जैसे खोल दोगे उम्म्ंम
कमलनथ तेजी से चुत की गहराइयो मे जाते हुए - हा ममता ,,,तेरी भी चुत का भोसडा बना दूँगा चोद चोद के ओह्ह्ह
ममता - ओह्ह भैया फिर बना दो ना मेरी चुत का भोस्डा उम्म्ं और तेज पेलो अपनी बहन को ओह्ह्ह अह्ह्ह ऐसे ही
ममता के मुह से बहन शब्द सुन कर कमलनाथ के लण्ड मे नयी ऊर्जा आ गयी और वो तेजी से हचाक ह्चाक उसकी चुत मे लण्ड पेलने लगा
कमलनाथ - उम्म्ंम ममता एक नम्बर की अह्ह्ह सीईई
ममता अपनी गाड उचका के कमलनाथ की आंखो मे देख कर - अह्ह्ह भैयाआआ बोलो ना ,, मै एक नम्बर की क्या अह्ह्ह उम्म्ं
कमलनाथ ममता की आंखो मे देखते हुए - सच मे बोल दू उम्म्ंम्ं
ममता - अह्ह्ह हा भैया बोलो ना मै क्या एक नम्बर की उह्ह्ह्ह सीईई अह्ह्ह
कमलनाथ अपने लन्ड़ को ममता की चुत के गहराईयो मे ले जाकर - तू एक न्म्बर की चुद्क्क्ड लगती है रे अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं
ममता अपने भैया के मुह से अपने लिये ऐसे लब्ज सुन के और भी पागल होने लगी - अह्ह्ह सच मे भैया उम्म्ंम और क्या लगती हू मै आपको अह्ह्ह्ह सीईई उम्म्म्ं
कमलनाथ बिना कुछ बोले ममता को तडपते हुए देखकर मुस्कुराते हुए लगाताए एक ही लय बनाते हुए उसकी चुत मे गचागच पेले जा रहा था
ममता कमलनाथ को चूप देख कर थोडी परेशान होने लगी - उम्म्ंम भैया क्या हुआआ सीई अह्ह्ह बोलो ना क्या सोच रहे उम्म्ंम्म्ं बोलो ना मुझे गंदे गंदे शब्द उम्म्ंम्ं
कमलनाथ मुस्कुरा के - उम्म्ं तुझे गंदे गन्दे शब्द सुनने है हा
ममता - उम्म्ंम हा ,,भाभी कह रही थी कि जब वो आपको एक गाली देती है तो आप उनको बहुत तेज चोदते हो उम्म्ंम्ं
कमलनाथ मुस्कुरा के - कौन सी बता ना
ममता मुस्कुरा ना मे सर हिलाती है
कमलनथ ममता की टाँगे उठा कर एक जोर का झटका लगाते हुए एक लम्बा शॉट उसकी चुत मे लगाते हुए- बोल ना उम्म्ं
ममता दर्द और मस्ती से सिस्ककर - ओह्ह्ह बहनचोद चोद ना मुझे कस के उम्म्ंम्ं
कमलनाथ ममता के मुह से अपने लिये गाली सुन के उत्तेजना से भर गया और तेजी से धक्के लगाते हुए उसके उपर चढ़ गया और एकदम करिब से उसकी आंखो मे देखते हुए - आह्ह अब तो मै पक्का बहनचोद हो गया हू रे उम्म्ंम
ममता अपने चरम पर थी इसिलिए वो अपने गाड़ को उच्काते हुए अपने चुत के छल्ले को कमलनाथ के लण्ड पर कसटे हुए - तो चोद ना बहनचोद अपनी बहन को खुब हचक हचक के पेल ना उम्म्ंम ऐसे हो अह्ह्ज्ज
कमलनाथ भी अब अपने रंग मे आते हुए - आह्ह्ह्ह साली तू बडी चुद्क्क्ड है उम्म्ंम्ं आज तो तेरी चुत का भोस्दा बना ही दूँगा उम्म्ंम्ं साली रन्डी है तू उम्म्ंम्ं
ममता तो इसी सब के इन्तजार मे थी उसे ऐसे ही बेरहम और गाली गलौज भरी धमाकेदार चुदाई चाहिये थी अपने भैया से
कमलनाथ अब उसे गाली देते हुए तेजी से अपना लण्ड ह्च्च्च ह्च्च उसकी चुत मे उतार रहा था ,,
ममता अब झडने के करीब थी और वो अपनी कमर उच्काते हुए - आह्ह भैया चोदो ना अपनी रंडी बहन को आह्ह्ह ऐसे ही ओह्ह्ह मै आ रही हुई अओह्ज्ज अह्ह्ह पेलो भैयाबन जाओ ना बहिनचोद उम्म्ंम अह्ह्ह
इधर ममता तेजी से झडने लगी और तेजी से अपने भैया के लंड को निचोडते हुए चुत के अंदर ही कसने लगी
कमलनाथ तेजी से लण्ड को उसकी चुत मे पेल्ते हुए -अह्ह्ह ममता मेरा भी होने वाला है उह्ह्ह्
ये बोलकर कमलनाथ ने तेजी से लण्ड को बाहर निकाला और ममता के मुह के पास जाकर हिलाने लगा
ममता के तुरंत एक करवट होकर लंड को मुह मे भर लिया
अगले ही पल ममता का मुह कमलनाथ मे गरम माल से भरने लगा और कमलनाथ निढ़ाल होने लगा
ममता ने अच्छे से कमलनाथ का लण्ड निचोड के छोड दी
थोडी देर बाद जब दोनो के तन और मन स्थिर हुए तो उनको रज्जो का ख्याल आया ।
ममता हस कर - भैया भाभी को गये काफी समय हो गया हिहिहिही
ममता के सवाल से कमलनाथ का मन भी खटका कि ममता के साथ समय बिताने के चक्कर मे मै रज्जो को भूल ही गया
वो भी तो सिर्फ ब्लाउज और जीन्स मे राजन के पास गयी है ,, आखिर इतना समय तो लगाना नही चाहिये
ममता अपने भैया को सोचते देख कर हस्ते हुए - अरे भैया इतना क्या सोच रहे हैं चलिये कपडे पहन लेते है क्योकि दरवाजा बंद कर दिया था आपने और हम लोगो का कितना समय बाथरूम मे बीत गया था तो
कमलनाथ ने जब ममता के पहलू पर विचार किया तो उसकी फट गयी कि कही रज्जो वापस आई हो और उसने बंद दरवाजा देख कर हमारे बारे मे कोई बात ना बना ली हो ।
इसिलिए फौरान वो भी उठ कर अपने कपडे पहनने लगता है और ममता को बोलत है कि वो बाथरूम मे जाकर अपनी पैंटी लेले ।
यहा इस कमरे मे ये हड़बड़ी मची ही थी कि बगल के कमरे मे रज्जो ने देखा कि कमलनाथ और ममता ने उसकी खोज खबर नही ली तो उसने दुसरी राउंड की चुदाई के आखिरी क्षणो का मजा ले रही थी ।
राजन तेजी से उसकी चुत फाडे जा रहा था और कुछ ही पलो मे वो रज्जो मे मुह मे झड़ भी जाता है ।
रज्जो फटाफट अपना मुह साफ कर जीन्स चढा लेती है और कमरे से निकल रही होती है कि सामने ममता और कमलनाथ नजर आते है ।
ममता अब तक साडी पहन चुकी थी और कमलनाथ बनियान जान्घिये मे गम्छा लपेटे खड़ा था ।
रज्जो जब दोनो को सामने देखा तो पहले थोडी सहमी फिर खुद को सम्भालते हुए हस कर - हम्म्म हो गयी बात आप दोनो की
कमलनाथ रज्जो के बात से थोडा परेशान हुआ लेकिन उसे शाम की वो बात याद आई जब ममता ने उससे बाते करने की जिद की थी - हा हा ,,,हमने तो खुब सारी बाते की और बचपन की यादे भी ताजा की
ममता भी अपने भैया का पक्ष लेते हुए हस कर - हिहिहीहि हा भाभी आप होती ना आपको भी मजा आता
रज्जो हस कर - चल तू खुश है ना ,,,मै तो नंदोई जी को तेरे फ़ोटो दिखाने आई थी और यही बातो मे लग गयी ।
कमलनाथ - चलो कोई बात नही ,, जा ममता तू भी आराम कर
रज्जो - हा जी चलिये
फिर सारे लोग अपने अपने कमरे मे चले जाते है ।
जारी रहेगी
आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
जितनी अच्छी प्रतिक्रियाए मिलेगी , अगला अपडेट उतना जल्द ही