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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी भाइयो और मेरे पाठको को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
💥💐💥
उम्मीद करता हूँ ये दीवालि आपके जिवन खुशियो से भरपूर और मस्त रही हो

एक अनुरोध है सभी से ये कहानी का अगला भाग नये साल यानी 2025 से ही शुरु हो पाना संभव है
तो मेरी दुसरी कहानी अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया को तब तक पढे

जब ये कहानी शुरु होगी
सभी को सूचित किया जायेगा

एक बार फिर सभी का धन्यवाद
 

Deepaksoni

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Update bro....
Hm sab ko dekhna arun rahul or anuj ke karname dekhne h bhai ki aage kya hota h
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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UPDATE 202

अमन के घर

इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।

मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।

ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..

मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।

ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह

ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।

मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।

मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर

मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।

अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने

अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।

अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे

ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा

अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।

ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह

ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।

वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।

मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।

अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा

अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही

मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना

अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही

मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु

मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स

मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।

अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही

अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।

अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।

मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती

अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।

अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।

अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?

अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?

मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे

अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।

वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या

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अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।

अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।


मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ

अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?

अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी

मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है

अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे

अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा


राहुल के घर

इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।

राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।

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एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।

उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा

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ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।

डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया

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एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।

उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया

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2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया

इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।


राज के घर

"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।

शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।

मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,

"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।

बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।

मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।

वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला

मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।

मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।

वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।

मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।

वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे

मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?

वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।

मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।

मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।

वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।

मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।

मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।

मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास

मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया

वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।

उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।

जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया

मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।

मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे

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भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।
देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।

देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।

देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ

देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।

मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी

मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।


राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।

तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।

कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।

मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।

मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी

मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।

कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।

मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।

उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम

अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम

मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।

तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।

" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,

उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।

मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी

"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती

उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे

" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।

उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।

मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।

उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह

वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।

मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ

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मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे

मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।

तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।

मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे

मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे

"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।

शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट

राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।

जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Thanks For Update Bhai U Made Sunday To Funday ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️💝💝❤️❤️❤️💯💯

Likho Apne hisab se jis topic se update de Rahe ho ek baato toh pata chal gaya ki anuj ragini ka filhal dekhne ko nahi milega Khair ab hum karbhi Kya sakte hai 😞😞😞

Jhakkas lajawab update. Aan Rinki ke pichhe lagega. Pratiksha agle rasprad update ki

Bhai esa kyu Sad ho rahe ho yrrr
Abhi to salini chachi ka time h kyu ki abhi Arun ne bhi salini ko muthte hue dekh liya h aage dekhte h arun anuj or rahul kya ghul khilate h

Shandar update

Shandar Update :bj2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :bj2::bj2::bj2::bj2::bj2::bj2::sex::sex::sex::sex::sex::sex:

Bua ki kahaani chal rahi hai to, Sonal ke sasural mein Aman ka kahar chhaya hua hai, aaj to Dulari bhabhi ne kya Masti se dulaar kia hai, sath hi Rinki je naam ki chingari bhi laga di hai, dekhte hain ye chingari aag mein kab badalti hai.
Behatareen update

Beautiful ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ update Bhai... waiting more sonal

बहुत ही गरम अपडेट भाई मजा आ गया

J JABARDAST UPDATE

ममता का कैरेक्टर सबसे मस्त लगा, ऊपर ऊपर से सबने मज़े लिये पर आज तक मुरारी के अलावा कोई चोद ना पाया, यथासंभव इस करैक्टर को ना ही छेड़े तो बेहतर होगा, अमन के घर में चुदाईवाले एपीसोड्स को पढ़ कर उतना मज़ा नहीं आता जितना KLPD वाले एपीसोड्स को पढ़ कर आता है.

Ekda kadak, lgta h rangi bhi shalini ko pelna chahta hai

ragini ko le aaa yrrr

very nice story

When will give update?

Nice update
NEW UPDATE IS POSTED
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Super hot update
 

Rony 1

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UPDATE 202

अमन के घर

इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।

मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।

ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..

मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।

ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह

ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।

मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।

मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर

मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।

अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने

अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।

अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे

ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा

अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।

ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह

ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।

वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।

मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।

अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा

अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही

मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना

अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही

मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु

मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स

मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।

अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही

अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।

अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।

मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती

अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।

अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।

अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?

अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?

मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे

अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।

वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या

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अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।

अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।


मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ

अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?

अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी

मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है

अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे

अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा



राहुल के घर

इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।

राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।

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एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।

उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा

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ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।

डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया

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एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।

उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया

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2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया

इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।



राज के घर

"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।

शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।

मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,

"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।

बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।

मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।

वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला

मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।

मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।

वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।

मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।

वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे

मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?

वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।

मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।

मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।

वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।

मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।

मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।

मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास

मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया

वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।

उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।

जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया

मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।

मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे

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भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।

देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।

देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।

देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ

देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।

मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी

मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।


राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।

तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।

कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।

मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।

मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी

मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।

कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।

मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।

उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम

अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम

मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।

तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।

" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,

उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।

मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी

"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती

उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे

" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।

उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।

मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।

उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह

वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।

मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ

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मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे

मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।

तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।

मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे

मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे

"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।

शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट

राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।

जारी रहेगी
Yar jaise is update mein aman aur murari baap bete dost ban Rahe hai jaise raj rangi aur Rahul jangi hai waise hi anuj aur rangi ko bhi dost ki Tarah dikhao
 
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TharkiPo

I'M BACK
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UPDATE 202

अमन के घर

इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।

मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।

ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..

मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।

ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह

ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।

मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।

मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर

मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।

अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने

अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।

अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे

ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा

अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।

ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह

ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।

वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।

मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।

अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा

अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही

मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना

अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही

मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु

मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स

मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।

अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही

अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।

अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।

मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती

अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।

अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।

अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?

अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?

मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे

अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।

वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या

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अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।

अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।


मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ

अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?

अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी

मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है

अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे

अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा



राहुल के घर

इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।

राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।

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एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।

उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा

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ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।

डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया

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एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।

उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया

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2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया

इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।



राज के घर

"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।

शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।

मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,

"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।

बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।

मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।

वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला

मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।

मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।

वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।

मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।

वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे

मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?

वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।

मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।

मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।

वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।

मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।

मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।

मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास

मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया

वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।

उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।

जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया

मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।

मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे

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भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।

देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।

देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।

देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ

देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।

मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी

मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।


राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।

तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।

कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।

मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।

मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी

मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।

कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।

मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।

उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम

अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम

मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।

तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।

" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,

उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।

मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी

"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती

उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे

" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।

उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।

मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।

उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह

वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।

मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ

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मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे

मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।

तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।

मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे

मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे

"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।

शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट

राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।

जारी रहेगी
कहीं पुरानी बातें खुल रही हैं, तो कहीं बाप बेटे की यारी हो रही है,
कहीं छुप कर मसला मसली, तो कहीं हनीमून की तैयारी हो रही है।

PWD डिपार्टमेंट की तरह सबके कार्यों को साथ लेकर चलता हुआ अपडेट, अब कौनसा कार्य पूरा होगा और किसकी फाइल पर साहब तुनक जाएंगे देखने लायक होगा।
 
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Deepaksoni

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UPDATE 202

अमन के घर

इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।

मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।

ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..

मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।

ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह

ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।

मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।

मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर

मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।

अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने

अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।

अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे

ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा

अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।

ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह

ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।

वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।

मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।

अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा

अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही

मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना

अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही

मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु

मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स

मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।

अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही

अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।

अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।

मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती

अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।

अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।

अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?

अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?

मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे

अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।

वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या

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अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।

अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।


मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ

अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?

अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी

मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है

अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे

अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा



राहुल के घर

इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।

राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।

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एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।

उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा

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ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।

डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया

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एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।

उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया

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2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया

इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।



राज के घर

"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।

शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।

मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,

"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।

बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।

मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।

वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला

मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।

मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।

वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।

मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।

वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे

मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?

वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।

मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।

मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।

वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।

मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।

मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।

मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास

मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया

वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।

उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।

जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया

मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।

मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे

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भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।

देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।

देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।

देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ

देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।

मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी

मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।


राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।

तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।

कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।

मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।

मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी

मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।

कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।

मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।

उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम

अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम

मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।

तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।

" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,

उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।

मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी

"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती

उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे

" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।

उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।

मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।

उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह

वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।

मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ

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मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे

मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।

तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।

मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे

मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे

"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।

शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट

राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।

जारी रहेगी
Dhakad update diya bhai aap ne kitna kamuk h maja hi aa gya

Jha ek trf murarai apni pasand ki heroine ki bat apne bete se krte hue land bhich rha h

Wahi dusri trf arun apni mami ki gand or chuchiyo ki tapish bardash nhi kr paya h
Jarur wo apna land hilayega sayed salini bhi ab uth kr muthne jaye or arun ki madak awaj k sath land hilata hua use pakad le to maja hi aa jayega bhai ji

Or yha raj ke ghar me shila apni suhagrat ki khani suna kr raj ko grm kr rahi h

Dekhte h aagle update me kya kya hota h but bhai ji update regulary diya kro na
 
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UPDATE 202

अमन के घर

इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।

मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।

ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..

मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।

ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह

ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।

मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।

मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर

मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।

अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने

अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।

अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे

ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा

अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।

ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह

ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।

वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।

मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।

अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा

अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही

मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना

अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही

मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु

मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स

मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।

अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही

अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।

अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।

मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती

अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।

अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।

अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?

अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?

मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे

अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।

वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या

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अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।

अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।


मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ

अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?

अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी

मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है

अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे

अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा



राहुल के घर

इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।

राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।

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एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।

उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा

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ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।

डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया

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एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।

उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया

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2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया

इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।



राज के घर

"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।

शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।

मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,

"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।

बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।

मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।

वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला

मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।

मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।

वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।

मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।

वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे

मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?

वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।

मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।

मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।

वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।

मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।

मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।

मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास

मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया

वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।

उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।

जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया

मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।

मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे

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भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।

देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।

देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।

देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ

देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।

मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी

मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।


राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।

तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।

कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।

मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।

मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी

मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।

कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।

मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।

उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम

अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम

मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।

तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।

" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,

उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।

मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी

"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती

उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे

" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।

उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।

मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।

उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह

वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।

मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ

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मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे

मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।

तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।

मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे

मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे

"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।

शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट

राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।

जारी रहेगी
Super Update Bhai ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ 💯😍💝🥶🥶❤️💝😍💯💯😍💝🥶❤️🥶💝😍😍 Keep It Up Waiting For Next Update 💯 💯 💯 ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️💝💝💝💝💝🥰🥰❤️❤️🥶💝😍💯💯😍💝🥶
 
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