मस्ती जीजू स्साली की
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कमल जीजू ने मुझे पकड़ कर दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया, अब तक मैंने सुना था, खड़े खड़े चोद दूंगा, लेकिन खड़े खड़े पेलने की वो भी पिछवाड़े,
पर कमल जीजू तो कमल जीजू तो कमल जीजू थे, पिछवाड़े के मास्टर और मेरे, अपनी छोटी स्साली के पिछवाड़े के दीवाने, मैं दीवाल से चिपक के खड़ी और मुझसे चिपक के कमल जीजू और उनका बालिश्त भर का पगलाया खूंटा मेरे चूतड़ के बीच धक्का मारता,
हालत सिर्फ जीजू के खूंटे की नहीं खराब थी,
मेरी गोल सुरंग में भी बड़ी बड़ी चींटियां काट रही थी, सोच रही थी, अब जीजू का मूसल घुसा, अब घुसा,
लेकिन, बस वो रगड़ रहा था, छेद खोज रहा था।
कमल जीजू वैसे बहुत ज्यादा फोरप्ले के कायल नहीं हैं, सीधे पेलने में और सीधे से नहीं तो जबरदस्ती वाले हैं।
पर कल रीनू के जीजू और मेरे मरद ने जिस तरह खिला खिला के रीनू को पागल कर दिया, उनके घुसड़ने के पहले ही उनकी स्साली दो बार झड़ गयी, वो देख के, या फिर जो मैंने उनके मोटे मूसल को अपने तलुवों से रगड़ रगड़ कर तंग कर रही थी वो भी,
उनका पहला चुम्मा मेरे कंधे पे, फिर गले पर पीछे से और उनके होंठ कभी चूमते कभी चाटते, नीचे की ओर, दायां हाथ उनका कस कस के मेरे चूतड़ दबा रहा था, मसल रहा था, मुझे पागल कर रहा था और बायां हाथ मेरे चेहरे को सहला रहा था,
फिर उसी बाएं हाथ की दो उँगलियाँ मेरे मुंह में होंठों के बीच।
मैं समझ गयी और मौका क्यों छोड़ती, जैसे थोड़ी देर पहले मैं अपने जीजू का मोटा लंड चूस रही थी, उसी तरह अब एक बार उनकी दोनों उँगलियाँ खूब थूक, लार लगा के। धीरे धीरे जीजू ने भी वो दोनों उँगलियाँ जड़ तक अंदर कर दी , टिपिकल कमल जीजू मुंह में हो या पिछवाड़े या बुर में वह पहला मौक़ा पाते ही जड़ तक ठेल देते थे, चुम्मा चाटी बाद में।
कमल जीजू ने मुझे कस के दीवाल से चिपका के दबा रखा था।
मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम दीवाल में दबी मसली, पिसी, जा और पीछे से रगड़ती मसलती कमल जीजू की देह अपनी पूरी ताकत से, मैं कस कस के कमल जीजू की दोनों मेरे मुंह में घुसी उँगलियों को चूस रही थी। अचानक मेरे मुंह से निकाल के जबतक मैं समझूं, सम्ह्लूं, दोनों मेरे थूक से गीली उंगलिया, मेरे पिछवाड़े,
गच्चाक,
सट्ट से उन्होंने ऊँगली घुसाई मेरी गांड में और फिर कलाई के जोर से धीरे धीरे जड़ तक अंदर, कभी गोल गोल घुमाते, कभी कैंची की फाल की तरह फैला देते और मेरी गोल कसी संकरी सुरंग फ़ैल जाती,
" ओह्ह जीजू, क्या कर रहे हो " थोड़ा चीखते, थोड़ा सिसकते मैं बोली
अब उन्होंने दोनों अपनी उँगलियों को चम्मच की तरह मोड़ लिया और मेरी पिछवाड़े की सुरंग की दीवालों को पूरी तरह करोचते बोले,
" स्साली, तेरी ऐसी मस्त मस्त माल साली के साथ जो हर जीजू को करना चाहिए "
" तो वो करिये न " मैंने उनके खड़े खूंटे पे अपने मोटे मोटे चूतड़ों को रगड़ते हुए अपना मन जाहिर किया।
" जो चाहिए वो बोल न, तब मिलेगा "
जीजू आज मुझे तंग करने पे तुले थे, लेकिन कमल जीजू की संगत में मैं अभी अब एकदम बेशर्म पीछे हाथ कर के मैंने उनका खूंटा पकड़ लिया और बोली
" जिज्जू, आपकी स्साली को ये चाहिए "
" ये क्या, कहाँ, साफ़ साफ़ बोल स्साली " कमल जीजू, खूब गरमाये हुए, आज मस्ती के मूड में थे।
अबकी दूसरी ओर की पिछवाड़े की अंदर की दीवार उनकी मुड़ी हुयी उँगलियाँ करोच रही थीं। पर जब तक मैं कुछ बोलती, वो दोनों उंगलिया मेरे नितम्बो के बीच की दरार से निकल कर, मेरे मुंह में। बिना कुछ सोचे समझे मैं एक बार फिर कस कस के उन्हें चूस रही थी।
उन उँगलियों का असर ये हुआ था की मेरे पिछवाड़े की दरार अब हलके गोल छेद में बदल गयी थी , दोनों तीन बार वो उँगलियाँ मुंह से पिछवाड़े और फिर वापस,
लेकिन जिस स्साली को कमल जीजू का कलाई से भी मोटा खूंटा पसंद आ जाये उसका ऊँगली से क्या काम चलेगा,
पर खड़े, खड़े मेरा छेद एकदम टाइट था, और मेरे बिना किये कुछ होने वाला नहीं था।
मैंने कस के अपने दोनों हाथों से अपने नितम्बो को पकड़ के पूरी ताकत से चियारा,
जीजू ने एक हाथ से अपना मूसल पकड़ के सटाया, कुछ धक्का उन्होंने मारा, कुछ मैंने और सुपाड़ा फंस गया। लेकिन अभी भी पूरी तरह घुस नहीं पा रहा था, स्साला मुस्टंडा था ही इतना मोटा। एकदम मेरी मुट्ठी की तरह।
लेकिन जीजू पिछवाड़े के उस्ताद और मेरी मम्मी ने जो बचपन में मुझे जिम्नास्टिक और योग की क्लास में दाखिला दिलवाया था और मैं आके शिकायत करती थी की कितना ज्यादा टाँगे फैलवाते हैं तो वो चिढ़ा के गाल पे चिकोटी काट के बोलतीं, जवान होगी तो इसका फायदा समझ में आएगा,
तो बस जीजू ने मेरी एक टांग उठा के दीवाल के सहारे, खूब फैला के, मैंने भी उनका साथ दिया
और अब जो उन्होंने करारा धक्का मारा, वो मोटू मुस्टंडा मेरे पिछवाड़े के अंदर, जैसे बरमे या आगर से गोल गोल घुमा के लकड़ी में छेद कर देते हैं न बिलकुल उसी तरह से
कमल जीजू ने और जब खैबर का दर्रा आया तो फिर उन्होंने कस के धक्का मारा,
" उययी जीजू जान गयी " मैं दर्द से चीखी।
" इत्ती जल्दी जान नहीं जायेगी तेरी अभी तो तुझे अपने इस जीजू से बहुत गांड मरवानी है "
हँसते हुए वो बोले और दूसरा धक्का पहले से भी तेज था। आधा मूसल अंदर।
लेकिन थोड़ी देर में मेरी फैली हुयी टांग में दर्द होने लगा तो उन्होंने छोड़ दिया पर तबतक आलमोस्ट पूरा अंदर, इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती।
मुझसे एकदम चिपके, मेरे अंदर घुसे मेरे जीजू और मैं पिछवाड़े उन्हें महसूस कर रही थी। गोल दरवाजा अच्छी तरह फैला था सुरंग फटी पड़ रही थी, लेकिन इतना अच्छा लग रहा था। वो धक्के नहीं मार रहे थे, सिर्फ मुझे महसूस कर लेने दे रहे थे अपने मोटे मुस्टंडे को मेरी गांड के अंदर।
प्रेम गली को तो मैं खूब कस के निचोड़ लेतीं थी आज मैंने पिछवाड़े की सुरंग को भी ट्राई किया, और मस्ती के मारे जीजू उछल गए
" निचोड़ स्साली निचोड़, तेरी माँ का भोंसड़ा, माँ की लौंड़ी ओह्ह और कस के "
मैंने ढीला कर दिया और फिर दुबारा पहले से भी ज्यादा ताकत से जीजू के लंड को अपनी गांड के छेद के अंदर निचोड़ने लगी और उनकी बात का जवाब देती बोली,
" एकदम सही बोल रहे हैं जीजू, मेरी माँ का भोंसड़ा नहीं होता तो आपकी ये स्साली निकलती किधर से "
और असली बात ये थी की ये सब ट्रिक मुझे मम्मी ने ही सिखाई थीं। लेकिन उस ट्रिक का खामियाजा मैं भुगत रही थी, जीजू जोश में आ गए और क्या धक्के मारने लगे, लेकिन तभी मुझे बगल की खिड़की नजर आयी और जीजू मुझे उधर देखते ही समझ गए।
बांस अंदर किये वो खिड़की के पास सरक लिए और मैं खिड़की पकड़ के थोड़ा सा, बस थोड़ा झुक गयी, डौगी पोज में नहीं, खड़े खड़े ही लेकिन बस हलके से खिड़की पकड़ के निहुरने का सहरा मिला गया।
मैंने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की खुली खिड़की से किचेन दिखता था जहाँ ये गुड्डी और रीनू थे, या वो सब मुझे देख सकते थे। मुझे तो सिर्फ पिछवाड़े घुसा मजा देता जीजू का मूसल याद आ रहा था।
जीजू एक बार झड़ चुके थे तो इतना जल्दी तो झड़ते नहीं और दूसरे जब तक तीन चार आसन बदल बदल के वो नहीं पेलते थे वो झड़ नहीं सकते थे ,
थोड़ी देर में मैं गद्दे पे पेट के बल लेटी थी और कमल जीजू हुमच हुमच के पीछे से, बस पेट के नीचे मेरी एक तकिया उन्होंने लगा दिया जिसे नितम्ब थोड़े उठे थे,
पर मैं भी कम बदमाश नहीं, इशारे से मैंने अजय जीजू को बुलाया।
देख देख के उनका भी खड़ा हो गया था बस मैंने हाथ से पकड़ के सीधे अपने मुंह में और हलके हलके बस चूस रही थी, चुभला रही थी।
थोड़ी देर बाद जब कमल जीजू झड़े तो अजय का मूसल एकदम खड़ा स्साली की सेवा करने को।
अजय मेरी हालत समझ रहा था। जिस तरह से हचक हचक के खड़े खड़े कमल जीजू ने मेरे पिछवाड़े को कूटा था, न मैं निहुर सकती थी, न ज्यादा एक्टिव हो सकती थी और मैं भी उस की हालत समझ रही थी, जिस तरह से उसका खूंटा खड़ा था, मुझे अंदर तो उसे लेना ही था।
अजय ने एकदम टिपिकल पहली रात वाली पोज का इस्तेमाल किया, मरद ऊपर, औरत नीचे। औरत आराम आराम से लेटी, सिर्फ जाँघे फैला दे, टाँगे उठा के मरद के कंधो के सिंहासन पर रख दे, और बाकी काम मरद जाने। साथ में चुम्मा चाटी, चूँची रगड़ी जाने का पूरा मजा। धक्के भी कस के लगते हैं।
तो बस उसी तरह, लेकिन कुछ देर में ही में दुहरी थी।
ये स्साले मर्दों को सबर कहाँ होता हैं और अगर जीजा का रिश्ता है तो फिर तो जो जो चीज कभी सपने में सोचे होंगे वो सब, पर मजा सालियों को कौन कम आता है, चाहे कोरी कुँवारी हों या लरकोर बियाहता। जीजा को देखते ही सालियों की दस साल उमर घट जाती है, तो मेरी भी थकान कम हो गयी। नीचे से मैं भी चूतड़ उठा उठा के और अजय को चिढ़ाने लगी,
" ये जोर जोर धक्का पहले अपनी महतारी के साथ सीखे या बहिनिया के साथ "
" तोहरी बहिनिया के साथ " अजय कौन चुप रहने वाला था लेकिन फिर जोड़ा,
" और अब अपनी एकलौती छोटी साली के साथ "
खुश हो मैंने नीचे से एक जबरदस्त धक्का मारा और जवाब में कचकचा के अजय ने मेरा गाल काट लिया। मैं चीख उठी। लेकिन बिना चीख के चुदाई अच्छी थोड़े ही लगती है, खास तौर से जीजू लोगों के साथ,
" जीजू गाल जिन काटो, दाग पड़ जाएगा "
झूठ मूठ का गुस्सा करते मैं बोली। और अजय जीजू ने दूसरा गाल भी कस के काट लिया और चिढ़ाया,
" ऐसे कचकचौवा गाल हो साली के तो न काटने पे साली गुस्सा हो जाएगी, और चलो दूसरे गाल पर भी काट लिया, हिसाब बराबर "
मैंने अपने ढंग से जवाब दिया। मेरे नाख़ून अजय जीजू के कंधे पर धंस गए और सीना उठा के मैंने अपने भारी भारी जोबन, अजय जीजू की छाती पे रगड़ने लगी, चूत मैंने कस के अजय जीजू के लम्बे बांस पे निचोड़ ली।
" निचोड़ स्साली, और कस के निचोड़ "
अजय अब अपनी उँगलियों से मेरी क्लिट को रगड़ रहे थे, मूसल जड़ तक घुसा था और बेस बुर पे रगड़ रहा था।
जीजू की बात टालूँ, मैं उन सालियों में नहीं थीं, तो मेरी चंद्रमुखी, कभी हलके से छोड़ती फिर दुगुने जोश से अजय के खूंटे को निचोड़ लेटी। जीजू के चेहरे की ख़ुशी, मस्ती मजा देखते ही मेरा जोश और दूना हो रहा था।
कुछ देर बात जब अजय का नंबर आया,
बोला तो था उसका मूसल बांस था एकदम, खूब लम्बा और कड़ा। इसलिए हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे पड़ता था, और अजय ने कस कस के दस धक्के सीधे मेरी बच्चेदानी पे, पांचवें छठवें के बाद ही मैं कांपने लगी, चेहरे पे पसीना आ गया। फुद्दी की फांके फूल रही थीं, सिकुड़ रही थीं, मैं झड़ रही थी बारबार।
अजय का भी दूसरी बार था इसलिए उसे भी टाइम तो लेना ही था। मैं झड़ के थेथर हो गयी, तो भी वो नहीं रुका और पेलता रहा धकेलता रहा।
और साथ में दोनों जोबन की मसलाई, चुदाई जल्दी ही फिर पूरे जोश में और मैं दुबारा, अजय भी किनारे पर पहुँचने ही वाला था। लेकिन अबकी जैसे उसने बांस बाहर निकाला,
रीनू की आवाज आयी, " खाना तैयार है, खिलाड़ियों बाहर आओ "
और मैंने अजय जीजू का मूसल हाथ में ले लिया और पकड़ के सीधे मुंह में, मैं पूरी ताकत से चूस रही थी, साथ में हाथ से मुठिया रही थी। अब मेरी मुनिया में और धक्के सहने की ताकत नहीं थी लेकिन जीजू का भी तो,...
अजय ने थोड़ी देर में रबड़ी मलाई छोड़नी शुरू की, वो बाहर निकालना चाहता था लेकिन मैंने इशारे से मना कर दिया और कटोरी भर माल मुंह में, दो चार बूँद रिस कर ठुड्डी पर आ गया लेकिन मैंने एक बूँद भी घोंटा नहीं।
गाल मेरे दोनों फूले फूले।
और उन मुस्टंडो ने मुझे कपडे पहनने से भी, सिर्फ के साडी और बाहर रीनू भी खट खट कर रही थी, तो बस साडी लपेट के मैं निकली, किसी तरह। खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , दोनों लड़कों ने पकड़ के खड़ा किया , पिछवाड़े तो अभी भी लग रहा था लकड़ी का किसी ने खूंटा थोक रखा हो
लेकिन बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।
क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ, अगले भाग में। बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।
इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले,
कमल जीजू भी अपनी साली को तो रगड़ रगड़ के वो भी दीवार से..
लेकिन असली मजा तो गुड्डी के बजाय कोमल ले गई..
मान गए कोमलजी. क्या game क्रिएटिट किया है. नदिया अपने सभी भइयाओ के खुटे खड़े करेंगी. और 4,4 मिनट सब के खुटो पर कूड़ेगी. जो जल्दी झड़ेगा वो हारेगा. पहला राउंड सारे टिके रहे.
वाह कोमलिया रे. किसे जितना चाहती थी. जो मजबूत मोहरे को तूने खुद हरवा दिया. कमल जीजू को हरवा दिया. अपने वाले को जितवाने के लिए.
धीरे धीरे टाइम बढ़ गया. साली छिनार कोनसे रंडी खानदान की है. नांदिया इतना टिक गई. जब की नई लोंड़िया है. मान गए.
भैया पेलो अपनी बहन को. तुम्हारी बीवी के लिए तो उसके जीजा के खुटे हार दम खड़े है.
रीनू ने उसके मुँह से बुलवाया. रीनू से साली बिलकुल पन्गा नहीं लेती.
ओह्ह मुकाबला भौजी और नांदिया के बिच वाह. कोमल अजय जीजू पर और नांदिया गुड्डी अपने भईया पर. माझा बहोत आएगा.
अगर सेक्सुअल game देखा जाए तो ये अपडेट अब तक का सब से best update है.
गेम भी ऐसा जिसमें दर्द भी हो और मजा भी...
करने वाला भी मजे ले और करवाने वाली भी..